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Incest मामा का गांव ( बड़ा प्यारा )

Devrajan

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Do teen din thoda kaam he. Is liye update nahi ayega. Par Monday se haptebhar lagatar har din 1 update jarur dunga
 

Devrajan

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भाग १५


थोड़ी देर बाद सुधिया फिर से गरम होने लगी।

सुधियां मस्ती में हसने लगी, दोनो के पूरे बदन पर मिट्टी लगी थी अपने भांजे के जोरोसे चूचियां मसलने से सुधियां मचलने लगी और अपनी गांड तेज तेज उछाल कर लंड को बूर में कस कस के लेने लगी, काफी देर तक यही खेल चलता रहा और
सूरजने सुधियां से कहा - हम दोनो का शरीर मिट्टी सन गया हे इस अवस्था में घर जाना ठीक नहीं होगा सुधिया रानी चल तुझे ट्यूबवेल में ले जा कर पानी से मिट्टी साफ करेंगे।

सुधियां मुझसे अब चला नहीं जा रहा मेरे पैर बहोत दर्द कर रहे है।
सूरज - तो कैसे जायेगे हम..?

सुधिया- अरे ओ मेरे बुद्धू सैयां, मुझे अपनी गोद में लेके अपनी इस पत्नी को ट्यूबवेल तक इस तरह ले चलो ओर तुम्हारा मूसल जूस लंड मेरी कमसिन सी बूर से न निकले।

सूरज - ओह! मेरी जान, मेरी रानी, मेरी सुधियां रानी, जैसा तेरा हुक्म।

फिर सूरज ने सुधियां को गोद में लिए बैठा, बैठने से लंड बूर में और धंस गया, उसके बाद सूरज सुधियां को लिए खड़ा हो गया, सूरज काफ़ी बलशाली था सुधियां उसकी इस ताकत पर और भी कायल हो गयी, सूरजने सुधियां को उठाकर गोद में बैठा लिया और अपने दोनों हांथों से नितम्बों को थाम लिए, सुधियांने अपनी दोनों टांगें अपने भांजे के गोद में चढ़कर उनकी कमर पर कैंची की तरह लपेटते हुए, उनसे कस के लिपटते हुए, कराहते हुए, जोर से सिसकारते हुए, उनके कंधों पर मीठे दर्द की अनुभूति में काटते हुए उनके विशाल लन्ड पर अपनी रस टपकाती बूर रखकर बैठती चली गयी, लन्ड फिसलता हुआ बूर की गहराई के आखरी छोर पर जा टकराया, क्योंकि सुधियां के मखमली बदन का पूरा भार अब केवल लंड पर था, इतनी गहराई तक लन्ड शायद ही अभी तक घुसा हो, दोनों ही मामी भांजा काफी देर तक उन अंदरूनी अनछुई जगहों को आज पहली बार छूकर परम आनंद में कहीं खो से गये।

सूरज और सुधियां सुबह के शांत वातावरण में एक दूसरे में समाए सिसकते कराहते पसीने में भीग रहे थे, सूरज खेत के बीचों बीच अपनी मामी को उसके नितम्बों से पकड़कर अपनी कमर तक उठाये उसकी रसभरी बूर में अपना लन्ड घुसेड़े, उसकी बूर की मखमली अंदरूनी नरम नरम अत्यंत गहराई का असीम सुख लेता हुआ खड़ा था। सुधियां के भार से सूरज के पैर मिट्टी में धसे हुए थे,
इसी तरह सुधियां अपने भांजे की कमर में अपने पैर लपेटे उनके लंड पर बैठी, उनसे कस के लिपटी हुई परम आनंद की अनुभूति प्राप्त कर कराहे जा रही थी।

कुछ देर ऐसे ही मामी के यौन मिलन के आनंद में खोए रहने के बाद सूरज मामी को गोद में लिए खेत से बाहर ट्यूबवेल की तरफ निकलने लगा, चलने से लन्ड और इधर उधर हिल रहा था जिससे सुधियां बार बार चिहुँक चिहुँक कर हाय हाय करने लग जा रही थी। ट्यूबवेल वहां से ४० मीटर की दूरी पर ही थी।

सूरज अपनी मामी को अपनी गोद में बैठाये ट्यूबवेल की ओर चलने लगा, चलने से लंड बूर की गहराई में अच्छे से ठोकरें मारने लगा, सुधियां सिस्कार सिस्कार के बदहवास सी हो गयी, उसे अपनी बूर की गहराई में गुदगुदी सी होने लगी,

सूरज - सुधियां रानी तुझे ऐसे चलते हुए चोदने में मजा आ रहा है। आज से ये बूर सिर्फ मेरी हे इस पर सिर्फ मेरा अधिकार हे।
सुधियां - ओओओओओहहहहह.......सूरज..........अपनी पत्नी को, जैसे मर्जी वैसे चोदिये, खूब चोदिये, आपकी मामी आपसे खुद चुदना चाहती है, उसकी बूर सिर्फ आपके लिए है, चोदिये मेरे राजा, ले चलिए मुझे.....मेरे राजा मेरी बूर खाली नही होनी चाहिए अब, जब तक मैं लंड के पानी से तृप्ति न पा लूं, इस तरह ले चलो अपनी पत्नी को ट्यूबवेल तक,

तभी सुधियां अपने भांजे को कस के पकड़कर सिसकते हुए अपनी जाँघे भीचते हुए अपने आप को झड़ने से रोकने लगी, सूरज समझ गया कि मामी झड़ते झड़ते रह गयी, उसने अपने आपको मेरे साथ झड़ने के लिए रोके रखा है, सूरज फिर चलने लगा और ट्यूबवेल तक पहुँचा,


ट्यूबवेल का पानी पहले बड़ी सी पाइप में से बाहर निकल कर बडे से गड्ढे में जा के गिरता था। जिसके इर्द-गिर्द ४ ४ फिट की मिट्टी की दीवार बनाई गई थी,,, पहले पानी उसमें इकट्ठा होता था उसके बाद उसमें से निकलकर पास में ही बनाई हुई नाली में से गुजर कर खेतों में जाता था,,,

सूरज सुधियां को गोद में लिए लिए ट्यूबवेल के पानी में उतर गया,
सूरज पानी में तब तक अंदर गया जब तक पानी उनके कंधों तक नही आ गया।
पानी में इतने अंदर तक आते आते उनके शरीर की काफी मिट्टी धूल चुकी थी।

सूरज - पानी बहुत ठंडा है मामी,,,, संभल के,,,,

सुधियां - कोई बात नहीं ठंडा पानी मुझे अच्छा लगता है,,,
ट्यूबवेल का पानी काफी ठंडा था,,,जिसकी वजह से सुधियां को अपने बदन में ठंडक का एहसास हो रहा था लेकिन वह ठंडक उसे बेहद भा भी रहा था,,

सूरज ने सुधियां को धीरे से पानी में उतारा, पानी ठंडा था, दोनों एक दूसरे को बाहों में लिए बहुत नजदीक से एक दूसरे को देखने लगे और देखते देखते सुधियां के होंठ अपने भांजे के होंठों से मिल गए, काफी देर एक दूसरे के होठों को चूमने चूसने के बाद,
सूरज ने अपनी मामी से कहा- सुधियां, मेरी जान, क्या तुम्हारी बूर एक पल के लिए भी खाली हुई?

सुधियां शर्माते हुए- ना मेरे सैयां, मेरे राजा, अब चोदो मुझे इसी टयूबवेल के पानी में कस कस के सूरज, जल्दी चोदो अपनी मामी को फिर से प्यास लगी है।

सूरज का लंड बूर में घुसा ही हुआ था, ट्यूबवेल का पानी कलकल करके बह कर खेतो में जा रहा था।

सूरज ने सुधियां को फिर से बाहों में उठाया और थोड़ा किनारे एक बड़े पत्थर पर आ गया वो पत्थर आधा पानी में डुबा था आधा बाहर था, सूरज ने धीरे से मामी को उसपर लिटाया, सुधियां आराम से उसपर लेट गयी, सुधियां के पैर आधा पानी के अंदर थे, सूरज का लंड इस प्रक्रिया में सुधियां की बूर में से आधा बाहर आ गया था कि तभी सुधियां ने अपने हाथ अपने भांजे की गांड पर ले जाकर हल्का सा आगे दबाया तो सूरज ने एक करारा धक्का मारकर लन्ड को गच्च से पूरा बूर में डाल दिया, सुधियां की तेज से आह निकल गयी,और दोनों ने एक दूसरे को देखा तो मुस्कुरा पड़े, सूरज ने अपनी मामी के ऊपर झुककर उसको चोदना शुरू किया, लंबे लंबे तेज तेज धक्के सुधियां को अपनी मखमली बूर में लगने से सुधियां जोर जोर से सिसकने लगी,

सूरज ने अपनी मामी के एक पैर को उठाया और अपने कंधों पर रख लिया और दूसरा पैर फैला हुआ पानी के अंदर ही था, सूरज पोजीशन बना कर अपनी मामी को एक लय में तेज तेज धक्के लगाते हुए घचा घच्च चोदने लगा, पानी की बहती आवाज के साथ साथ उसकी भी जोरदार सिसकारियां गूंजने लगी,
सूरज अपनी मामी को चोदते हुए उसे सिसकते और कराहते हुए देखता और फिर और उत्तेजित हो जाता, तेज धक्कों से सुधियां की चूचीयाँ लगातार ऊपर नीचे उछल उछल कर हिल रही थी।

सूरज अब सुधियांको तेज तेज गांड उछाल उछाल के उसकी बूर में दनादन धक्के मारने लगा, कभी गांड को गोल गोल घुमा कर लंड को बूर के अंदर गोल गोल घुमा घुमा कर धक्के मरता तो कभी तेज तेज हुमच हुमच कर चोदता

सुधियां - आहहहहहह आहहहहहह,,,,,ऊईईईईईईईई,मां,,,,,,,, मार डाला रे,,,, क्या खाया है आज तूने,,,,,,ऊफफ,,,,,आहहहहहह,,,,

सुधियां के मुंह से लगातार सिसकारी के साथ-साथ दर्द भरी कराहने की आवाज भी निकल रही थी,,, वाकई में सुधिया को ऐसा लग रहा था कि रात को शिलाजीत वाला दूध पिला देने से सूरज में घोड़े की शक्ति आ गई है,,,
सूरज गजब की ताकत और लय दिखा रहा था,,, पानी के अंदर भी गजब की फुर्ती का प्रदर्शन हो रहा था ,,,

सूरज - बोल न मेरी रानी, क्या हुआ? झड़ने वाली है क्या मेरी सुधियां ?
सुधिया - आआआआआहहहहह.......मेरे राजा......चोदो ऐसे ही तेज तेज चोदो.........ओओओओओहहह हहह..............ऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईई.........माँ............ कस कस के पेलो लन्ड सूरज.........कितना मजा है चुदाई करने में................अब रुकना मत राजा, सूरज , मेरे पतिदेव.......पेलो अपनी इस पत्नी को.............ऊऊऊऊईईईईई........आआआ आआआआहहहहहहहह..............और गहराई तक घुसाओ राजा...........हाँ ऐसे ही.........ओओओओओहहहहह..............हाय मेरी बूर.............हाय सूरज।

सूरज - आआआआआहहहहह.........मेरी सुधियां.............क्या बूर है तेरी..............हाय.............. कितना मजा है तेरी बूर में...........आआआआआहहहहह.............सच में अपनी मामी को पत्नी बनाके चोदने में बहुत मजा है..........इतना मजा आजतक कभी नही आया.........आआआआआहहहहह।


दोनों की तेज चुदाई से टयूबवेल का पानी छपाछप करने लगा। दोनो की चुदाई इतनी तेज थी कि ट्यूबवेल में से पानी दुसरे रास्ते बाहर तक बहने लगा।

अब सुधियां और सूरज के बदन में सनसनी होने लगी एकाएक दोनों मामी भांजा गनगना कर जोर जोर से हाँफते हुए एक दूसरे से कस के लिपटकर झड़ने लगे। सुधियां की बूर से एक बार फिर ज्वालामुखी फूट पड़ा था, वो थरथरा कर अपने भांजे से लिपट कर झड़ रही थी, उसकी बूर पूरा अपने भांजे के लंड को लीए संकुचित हो होकर रस छोड़ रही थी, सूरज भी आंखें बंद किये झटके खाता हुआ अपनी मामी की बूर में झड़ रहा था, लंड और बूर की रगड़ से निकला चुदाई का रस जाँघों से होता हुआ नीचे पत्थर पर और फिर नीचे जाकर ट्यूबवेल के पानी में मिलने लगा।

असीम चरमसुख की अनुभूति का अहसास मामी भांजा को मंत्र मुग्द कर गया काफी देर तक सूरज और सुधियां उस पत्थर पर एक दूसरे से लिपटे लंड और बूर मिलाए हुए लेटे रहे, सूरज और सुधियां दोनों ही काफी थक चुके थे, सूरज द्वारा रातभर धुँवाधार चुदाई से मानो सुधियां की जाँघे जवाब दे गई हों, ओर थकान के कारण वो बेसुध सी हो गयी थी,

सूरजने सुधियां को गोद में उठाया और ट्यूबवेल से निकलकर निम के पेड़ तक आया, अभी लगभग ६:०० हुए होंगे, सूरज की धोती और बाकी सामान वही पर था।

सूरज ने अपनी धोती को जमीन पर बिछाया और सुधियां को उस पर लिटा दिया, सूरज ने अपनी मामी की साड़ी उठायी और अपनी मामी के बगल लेटते हुए उसको बाहों में लेकर दुलारते हुए साड़ी ओढ़ ली और सुधियां के कानों में बोला - सुधियां, मेरी रानी, मैं जानता हूँ तुम बहुत थक चुकी हो, सुबह होने में अभी थोड़ा वक्त हे तब तक आराम करो।

सुधियां - नींद में हाँ मेरे राजा, मेरे सैयां, आप भी सो जाइए।

सूरज ने सुधियां के सर के नीचे अपना हाथ तकिया बना कर रख लिया, और उसको बाहों में लेकर सोने लगा, कुछ ही देर में दोनों बहुत थके होने की वजह से नींद की आगोश में जाने लगे, साड़ी के अंदर दोनों निवस्त्र थे, सुधियां अपने भांजे से बिल्कुल चिपकी हुई थी, सूरज का सुस्त पड़ चुका लंड सुधियां की बूर की फांकों के बीच अब भी सटा हुआ था, दोनों कुछ देर के लिए सो गए।

उजाला होने के ठीक आधे घंटे पहले सुधियां की आंख खुल गयी,

सुधियां ने आंखें खोली तो उसकी आंखें कच्ची नींद में उठ जाने की वजह से काफी लाल थी, उसने आंखें मली और एक नज़र अपने भांजे पर डाला और बीती रात को क्या क्या हुआ ये सोचते हुए मुस्कुरा दी, उसने अपना चेहरा आगे कर सूरज को धीरे से चूम लिया और धीरे से बोली- उठो सूरज सवेरा होने वाला है, उठो मेरे सैयां, इससे पहले की इधर कोई आ जाये चलो टयूबवेल का पानी बंद कर के हमे घर चलाना चाहिए।

सुधियां के मीठे चुम्बन और नशीली आवाज से सूरज की भी आंखें खुली तो उसने अपनी मामी को बड़े प्यार से देखा जो उनकी आंखों में ही देखने की कोशिश कर रही था।
सूरज ने सुधियां को अपने ऊपर लेकर बाहों में भरकर चूम लिया, सुधियां सिरह उठी और अपने भांजे की बाहों में समा गई, दोनों पूर्ण निवस्त्र थे, बस ऊपर से सुधियां की साड़ी ओढ़ रखी थी वो भी इधर उधर से खुल ही गयी थी सोते वक्त।

सुधियां - सूरज राजा, अब उठो नही तो देर हो जाएगी, हम जल्दी नहीं गए तो तेरे विलास मामा हमे ढूंढते हुए इस तरफ आ सकते है।

सूरज - हाँ, सुधियां, चलो

सुधियां उठी और एक अंगडाई ली, सूरज ने लेटे लेटे अपनी मामी को पहले तो अंगडाई लेते हुए देखता रहा फिर उठकर उसकी पीठ पर दो चार चुम्बन अंकित कर दिए, सुधियां फिर सिसक गयी पर सूरज आगे नही बढ़ा, अगर बढ़ता तो देर हो जाती, वो और सुधियां और सूरज जल्दी से उठे और अपने अपने कपड़े में पहने,

सूरज जलादि से जा के टयूबवेल का पानी बंद कर देता है। ओर वापस सुधियां के पास जाता हे।
अब हल्का हल्का रोशनी होनी शुरू हो चुकी थी,अंधकार मिटना शुरू हो चुका था।

सूरज और सुधियां ने एक दूसरे को देखा तो सुधियां शरमा गयी और सूरज ने अपनी मामी की इस अदा पर उसको अपनी बाहों में भर लिया।

सूरज - थक गई क्या मेरी सुधियां रानी..

सुधियां - ने शरमा कर हाँ में सर हिलाया फिर पूछा - तुम नही थके हो क्या सूरज ?

सूरज - रात भर तुमरी रसोई का मक्ख़न खाया हे ओर दूध पिया है, मक्ख़न खाने से ओर तुम्हारा दूध पीने से जो ताकत आयी है तो में थकूंगा कैसे..?

सुधिया ने शर्माते हुए एक हल्का मुक्का अपने भांजे की पीठ पर मारा- बदमाश! सैया, बहुत बदमाश हो आप, मेरा तो सारा मक्ख़न खा गए और दूध पी गए आप एक ही रात में (सुधियां ने शरारत से कहा)


सूरज - रात भर तुम्हारी रसोई का मक्खन और दूध पीने से अब रसोई तो पूरी खाली हो गई हे न मेरी रानी ,

सुधियां - हां तो और मक्खन और दूध बन रहा है न मेरे इस रसोई में राजा, जैसे ही पक जाएगा मैं अपने भांजे को खुद ही खिलाऊंगी।


सूरज - रसोई में खाना दुबारा कब तक तैयार हो जाएगा? ( सूरज ने सुधियां से वसनात्मय होते हुए कहा)

सुधियां शर्माते हुए- हाहाहाहायययय .....सूरज राजा ! जल्द ही हो जाएगा , जैसे ही होगा मैं आपको खिला दूंगी।

सूरज - सच्ची

सुधियां - मुच्ची, मेरे सूरज राजा सच्ची मुच्ची।


सूरज ने अपनी मामी को बाहों में उठा लिया

सुधियां - ऊई मां, सूरज आप भी तो थक गए होगे न, रहने दो मैं चल लूँगी धीरे धीरे।

सूरज - अपनी सुधियां रानी को अब मैं पैदल नही चलने दूंगा, तुमने मुझे रातभर मक्ख़न खिलाया तो मैं भला पैदल चलने दूंगा मेरी रानी को।

सुधियां खिलखिला कर हंस दी- अच्छा तो इतनी मेहनत मक्ख़न के लिए हो रही है।

सूरज - हाँ और क्या, सेवा करेंगे तभी तो मेवा मिलेगा खाने को।

सुधियां - मामी का मेवा, सुधियां रानी का ,


सूरज अपनी मामी को बाहों में लिये कंधों पे उठाये खेतो में से बाहर की ओर चल दिया ।

सूरज और सुधिया ऐसे ही बातें करते हुए खेतो से बाहर कच्चे रास्ते तक पहुँच गए तो सूरज ने सुधियां को उतार दिया। सुधियां अपने भारी नितम्ब को मटकाते थोड़ी लंगड़ाते हुए आगे आगे चलने लगी, अब उजाला हो चुका था।


सूरज - मामी तुम ऐसे लंगड़ाते हुए क्यो चल रहीं हो।
सुधिया - रात भर तुमने जो मेरी जबरदस्त चुदाई की हे उससे बूर सूज गई हे इस में दर्द हो रहा हे।
सूरज - माफ कर दो मामी मेरे वजह से आपको तकलीफ हुई।
सुधियां - नहीं बेटा इस दर्द के लिए तो में कब से तड़प रही थी तूने जो ये प्यारा दर्द मुझे दिया है उससे मेरा रोम रोम मचल रहा हे तूमें में बता नहीं सकती इस दर्द के पीछे की मिटास।


तभी दूसरी ओर से बिलास मामा खेतो से बाहर आ जाता हे।
मामा को देख कर दोनो चुप हों जाते हे।

विलास कुमार चलते हुए दोनो की तरफ आ जाता हे।

विलास कुमार - भाभीजी रात को खेतो की सिंचाई हो गई ना अच्छे से..
सुधियां सूरज की ओर देखते हुए ।

सुधिया - हा विलासजी बरसो से सुखी जमीन रात भर ट्यूबवेल के पानी से अच्छी तरह सिंचाई रही , आज के लिए तो इसकी प्यास बुझ गई हे अब ये जमीन दिन भर अपने अंदर पानी को सोकती रहेगी।
ओर सूरज के आंखो में देख कर हलाकि सी मुस्कुरा देती है।

विलास को सुधिया की बाते कुछ समाज नही अति तो विलास बोलता है चलो हमे चलाना चाहिए।

तभी तभी सुधियां हड़बड़ी में हा चलते हे बहोत देर हो रही हे।

ओर तीनो घर की ओर निकल पड़ते हे रास्ते में सुधियां थोड़ी लंगड़ाते हुए चल रही थी। इस लिए विलास ने सुधियां से पूछा।

विलास - भाभीजी वैसे आप लंगड़ाते हुए क्यो चल रही हो।
ये सुन कर सूरज और सुधियां थोड़े डर ज्याते हे सुधियां अपने आप को संभालते हुए ।

सुधिया - भाईसाहब रात को अंधेरे में कीचड़ में पैर फिसल गया और थोड़ी मोच आ गई ।

विलास - ज्यादा चोट तो नही आइ ना
सुधियां - नही में अब में ठीक हू बस हलका दर्द हे जो आराम करने पर ओर मालिश से ठीक हो जाएगा।

विलास - पैरो का दर्द ठीक नहीं हुआ तो में गौरीबिटिया को आपके पैरो की मालिश करने के लिए भेज देता हु।
सुधियां - इस की कोई जरूरत नहीं है ये ठीक हो जायेगा।

ओर बाते करते तीनो विलास कुमार के घर के पास पहोंच जाऊंगा ।

तभी सुधियां बोलतीं हे भाईसाहब आज रात को आप दोनो को हमारे घर खाने पे आना हे। आपने ओर सूरज हमारी बहोत मदर की हे। इस लिए आपको आना ही होगा।

विलास - मुझे आज रात को जरूरी काम हे में खाने पे नही आ पाऊंगा पर सूरज बेटा जरूर आयेंगा ।

सुधिया - आपको आना ही होगा भाईसाहब।
विलास - नही भाभीजी जरूरी काम हे अगर काम जलादि खतम हुआ तो में सूरज के साथ जरूर खाने पे आऊंगा।
सुधियां - ठीक हे में आप दोनो का रात के खाने पे इंतजार करूंगी।

ओर सुधियां अपनी बातो को खतम कर के अपने घर की ओर निकल पड़ती हे।

सूरज और विलास अपने घर के अंदर जा के अपने अपने कमरे में गहरी नींद में सो जाते हे।

सुधियां अपने घर में जा के खाट पे निढाल होकर लेट ज्याती हे उसके बूर में अभी भी सूरज के लंड के धक्के महसूस हो रहे थे ओर थोड़ी देर बाद सुधिया गहरी नींद में सो जाति हे।
 
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