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Incest मामा का गांव ( बड़ा प्यारा )

rkv66

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भाग ६

आधी रात में मंगल को जोरो की पेशाब लगती हे। रात का समय था उसे बाहर जाने में डर लग रहा था।इस लिए मंगल विलास को जगाने लगती हे।
मंगल - गौरी के बाबा उठिए मुझे पेशाब लगी हे मुझे बाहर जाने में डर लग रहा है।
विलास - नींद में चली जा आगे में आता हूं और सो गया।
विलास नही जगा इस लिए मंगल अकेली घर के पीछे चली जाति हे।
बाहर चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था केवल कुत्तों के भौंकने और सियार की ही आवाज आ रही थी जाहिर था पूरे गांव वाले नींद की आगोश में सो रहे थे।
वह चारों तरफ नजर घुमाकर देख रही थी की कोई उसे मुतते हुवे न देख ले। पर उसे कहीं कोई दिखाई तो नहीं दे रहा और वैसे भी इतनी आधी रात को वहां कौन आने वाला था लेकिन फिर भी मन की शांति के दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था
बाहर घना अंधेरा था कुछ ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था।जैसे तैसे मंगल घर के पीछे एक बड़ा पेड़ था पेड़ के पास ही जंगली झाड़ियों के पीछे पहुंच गई।

घर के अंदर सूरज को जोरो की पेशाब लगी थी इस लिए वह नींद से जाग कर कमरे से बाहर आ गया दूसरी तरफ विलास को भी पेशाब लगी थी इस लिए विलास कमरे से बाहर आया उसकी नजर सूरज पर पड़ी तो विलास बोला
सूरज बेटा इतनी रात को कहा जा रहे हो
सूरज सकपकता हुवा ओ.. ओ... दरअसल मुझे पेशाब लगी थी इस लिए में पेशाब करने बाहर जा रहा था।
विलास चलो मुझे भी पेशाब लगी हे साथ में मिलके चलते हे। सूरज और विलास बाते करते करते बाहर आने लगे।

इधर बाहर
झाड़ियों के पीछे मंगल ने अपनी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठालीया लाल रंग की कच्छी नीचे सरका के पेशाब करने बैठ गई।
कुछ ही सेकंड में बुर से निकलती हुई सीटी की आवाज वातावरण में गूंजने लगी
बड़ी-बड़ी घास होने की वजह से मंगल हल्के से अपनी गांड को ऊपर उठाए हुए थी,,, और उसकी हल्के से उठी हुई गांड किसी पहाड़ी की तरह लग रही थी।

मंगल इस समय अपनी मत मस्त गांड को उठाकर एकदम मन मोहिनी लग रही थी जो कि पृथ्वी के किसी भी इंसान को अपनी तरफ मोहित कर देने में सक्षम थी। मंगल की बुर से लगातार मधुर संगीत फूट रही थी उसे इतनी जोड़ों की पेशाब लगी हुई थी कि चारों तरफ फैले हुए सन्नाटे में उसकी बुर की सीटी की आवाज बहुत दूर तक जा रही थी,,,।

वातावरण में शीतलता के साथ-साथ चांदनी भी फैली हुई थी लेकिन जिस स्थान पर मंगल मूत रही थी वहां घनी झाड़ियां थी,,, बड़ी ओर घनी जंगली झाड़ियां के पीछे मूतने के कारण मंगल किसीको भी नजर नहीं आ सकती थी ,,,

मंगल लगातार अपनी गुलाबी बुर के छेद में से नमकीन पानी की बौछार जंगली झाड़ियों पर कर रही थी,,,
धीरे-धीरे करके मंगल की पेशाब की टंकी पूरी तरह से खाली हो गई वह जबरदस्ती प्रेशर देकर अपनी गुलाबी बूर के छेद में से बची दो चार बूंदों को भी बाहर निकाल देना चाहती थी इस लिए अपनी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को हल्के से दो-तीन बार झटके देकर वहां अपनी बुर के किनारे पर फंसे पेशाब की बूंदों को बाहर झटक दी,,,
मंगल पेशाब करके उठाने ही वाली थी तभी

विलास और सूरज घर के पीछे आ जाते हे। उनकी आवाज सुने मंगल उसी अवस्था में वही बैठी रहती हे।
विलास सूरज चलो उन झाड़ियों के पास चलत कर मुतते
हे
सूरज मामा के सात पेशाब करने में शरमा रहा था।नही मामाजी में दूसरी तरफ जाता हू विलास अरे शरमा क्यों रहा है चल मेरे साथ और विलास और सूरज झाड़ियों की तरफ जाने लगाते हे।
मंगल उनकी बातो ओर पास आते हुवे कदमो की आवाज से डर जाति हे। मंगल अभी तक साड़ी कमर तक उठाए हुवे नीचे से नंगी थी।
विलास झाड़ियों के पास पेड़ था वहा मूतने चला गया और सूरज जंगली झाड़ियों के पास चला जाता हे।
मंगल को झाड़ियों के पास किसी के कदमों की आहट आने लगी मंगल डराने लगी की आगे क्या होगा। कदमों की आहट झाड़ियों के पास आ कर रुक गई।
धोती में सूरज का मुसल जैसा लंड पूरी तरह से आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा था,,,
उसे बहुत जोरों की पेशाब लगी थी ,,, सूरज ने धोती खोली और वह वही खड़े होकर मुतने लगा,,,
पेशाब की जोरदार तिरछी धार झाड़ियों में से हल्की खुली जगह से गुजरते हुवे सीधे मंगल की नंगी बूर पर जा गिरी इस हमले से मंगल सिहर गई लंड का गरम पानी बूर पर गिरते ही उसके मुंह से हल्की सी आहा.... निकल गई जो किसी ने नहीं सुनी। मंगल वहासे उठाना चाहती थी लेकिन वह ऐसा करती तो पकड़ी जाती ओर अपने पति और सूरजबेटे के सामने शर्मिंदा होती। वह साड़ी नीचे भी नही कर सकती अगर ऐसा करती तो चूड़ियों की आवाज से दोनो को मालूम पड़ जाता झाड़ियों के पीछे कोई हे।
इस लिए मंगल वैसे ही बैठी रही।
बूर पर पेशाब की गरम मोटी धार की गर्माहट पाकर उसे लगा कि बूर बर्फ की तरह पिघल ना जाए। पेशाब की गरम धार से मंगल के बुर से मदन रस का रिसाव हो रहा था ,,, मंगल बहुत गरम हो रही थी।मंगल को यह लग रहा था कि कहीं उसकी बुर से मदन रस की धार ना छूट जाए,,,।
सूरज जोरो से पेशाब की धार बूर पे मारे जा रहा था।
मंगल का मुंह बैचेनी जी वजह से खुला हुआ था।
सूरज के लंड में पेशाब की आखरी धार बची थी
सूरज ने अपने खड़े लंड को एक हाथ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके झुलाकर पेशाब की आखरी धार छोड़ दी,,,।

जो झाड़ियों के पीछे जा के मंगल के ब्लाउज़ के ऊपर चूचियों पर और मुंह में गिर गई मंगल को कुछ समाज नही आया और अनजाने में मुंह में गिरा पेशाब पी गई।
मंगल को पेशाब खारे नमकीन गरम पानी जैसा लगा। वह कुछ कर भी नही सकती थी।
पेशाब करने के बाद सूरज ने लंड को धोती में डाल दिया
उधर विलास का भी पेशाब करके हो गया था। फिर दोनो साथ में अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
मंगल अभी भी उसी अवस्था में बैठी हूई थी।पेशाब के गरम पानी ने उसे गीला कर दिया था। पेशाब का गरम पानी मंगल की बूर के झाटो से होते हुवे धीरे धीरे जमीन पर गिर रहा था। मंगल को समाज नही आ रह था की उसके सामने कोन पेशाब कर रहा था। उसके पति या फिर स स स सूरज का नाम लेते ही बूर फूलने लगी।
उसे ये जानने की इच्छा थी कि किसने झाड़ियों के पास पेशाब की उसे यह बात सिर्फ उसका पति ही बता सकता है।
इसी लिए जलादि से मंगल खड़ी हो गई पेटीकोट से अपनी गीली बूर को साफ किया। लाल रंग की कच्छी बड़े बड़े चूतड़ों पे पहन ली और साड़ी नीचे कर कर घर के अंदर चली गई।
अंदर कमरे में आ के बिस्तर पे लेट जाति हे। विलास मंगल को बिस्तर पर लेटता देख उससे कहता हे।कहा थी तुम में बाहर आया था पर मुझे तुम दिखाई नहीं दी। वो में बाथरूम में पेशाब करने गई थी।
पर आप कहा थे..?
विलास - मै पेशाब करने के लिए कमरे से बाहर आया तो सूरज भी कमरे से बाहर पेशाब करने के किया आया। तो हम साथ में चले गए।
मंगल - कहा....?
विलास - घर के पीछे
मंगल - घर के पीछे कहा... उसकी जिज्ञासा बड़ती चली जा रही थी।
विलास - तू भी न छोटी बच्ची की तरह सवाल पूछ रही हे
मंगल - तो फिर सही से बताओ ना।
विलास - में पेड़ के पास पेशाब कर रहा था बस हो गया ना।अब मुझे सोने दे मुझे सुबह खेतो में जाना हे।
मंगल - ओर सूरज कहा था
विलास - ओहो मंगल तू भी सवाल पे सवाल किए जा रही हे। सूरज झाड़ियों के पास पेशाब कर रहा था बस अब और सवाल नही में सो रहा हू।
ओर खराटे लेते हुवे गहरी नींद में सो जाता हे।

पर मंगल नींद नहीं आ रही थी। ये बात सुन कर मंगल सुन्न रह गई।अभी थोड़ी देर पहले उसके बूर पे जो पेशाब गिरा था वह सूरज का था ये जानने के बाद...
मंगल का मन बहक ने लगा उसके पांव आकर्षण के चिकनी माटी में फीसलते चले जा रहे थे।
मंगल की कच्छी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी उसे कुछ कसमसाहट सा महसूस हो रहा था इसलिए वह खुद ही अपनी साड़ी को पकड़ के ऊपर की तरफ सरकाने लगी... देखते ही देखते मंगल अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी। उसकी लाल रंग की पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी जो कि उसे साफ साफ नजर आ रहा था उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह खाली कल्पना करके ही बूर इतना सारा पानी फेंक चुकी है उसकी बुर कुछ ज्यादा ही उत्तेजना महसूस कर रही थी क्योंकि उसकी फुली हुई बुर कच्छी के ऊपरी सतह पर किसी गरम कचोरी की तरह नजर आ रही थी। मंगल कच्छी के ऊपर से ही अपनी पुर की हालत को देखकर एकदम उत्तेजित हो गई वह धीरे धीरे अपनी गीली वाली जगह पर अपनी हथेली रखकर अपने बुर को रगड़ना शुरू कर दी कुछ ही पल में मंगल को मज़ा आने लगा और उसके मुख से गरम-गरम सिसकारी की आवाज भी आने लगी मंगल के चेहरे के हाव-भाव बदलने लगे थे उसका गोरा गाल लाल टमाटर की तरह हो गया था कुछ देर तक यूं ही वह कच्छी के ऊपर से ही अपनी बुर को मसलती रही। यह सब करते हुए भी उसके मन के एक कोने में यह सब बड़ा ही घृणित लग रहा था लेकिन अपने आनंद के वश में होकर वह रुकने का नाम नहीं ले रही थी... वह कभी अपनी बुर मसल रही थी तो दूसरे हाथ से कभी अपनी नंगी चिकनी मक्खन जैसी जांघों को सहला रही थी तो कभी उसी हाथ से ब्लाउज के ऊपर से ही अपने फड़फड़ाते दोनों कबूतरों को शांत करने की कोशिश कर रही थी।
मंगल पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी सही गलत सोचने का उसके पास समय बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि इस समय वह आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे और उसके जेहन में उस आनंद का केंद्र बिंदु उसका भांजा सूरज था। जो थोड़ी देर पहले उसकी बूर पर अनजाने में पेशाब किया था।सुगंधा अपनी हथेली को अपनी नंगी बुर पर रखकर हल्के हल्के दबाने लगी और ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था और देखते ही देखते वह अपनी बीच वाली उंगली को हल्के से अपनी बूर की गहराई में उतार दी और एक हल्की चीख के साथ अपनी आंखों को बंद करके उस उंगली से बुर के अंदर अंदर बाहर हो रही रगड़ का आनंद लेने लगी मंगल को मजा आने लगा कुछ देर तक वह अपनी एक ही उंगली से अपनी बुर को चोदती रही। लेकिन एक उंगली से उसकी बुर की खुजली शांत होने वाली नहीं थी इसलिए वह अपनी दूसरी उंगली भी अपने बुर के अंदर डाल दी और अपने सूरज बेटे के मोटे तगड़े लंड की कल्पना करने लगी वह ना चाहते हुए भी ऐसी कल्पना कर रही थी कि सूरज उसकी दोनों टांगों को फैला कर अपने मोटे लंड को उसकी बुर के अंदर डालकर चोद रहा है और जैसे-जैसे अपनी उंगली को बड़ी तेजी से बुर के अंदर-बाहर करती वैसे वैसे उसकी कल्पनाओं का घोड़ा उसके बेटे की हिलती हुई कमर को देखती रहती और उस नजारे की कल्पना करके मंगल का तन बदन एक अद्भुत सुख के एहसास से भर जा रहा था..... उसके मन में यही विचार उमड़ रहा था कि जैसे-जैसे वह अपनी उंगलियों की गति को बुर के अंदर बाहर करते हुए बढ़ाती वैसे वैसे सूरज जोर जोर से अपनी कमर हिलाते हुवे अपने लंड को उसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए उसे चोद रहा है उसकी उत्तेजना का आलम इस कदर उस पर हावी हो चुका था कि अपनी उंगली से अपनी बुर चोदते हुए वह पूरी तरह से बिस्तर पर छटपटा रही थी
( पर पास में विलास खराटे मारता हुवा गहरी नींद में सो रहा था उसे मालूम ही नहीं था की उसकी पत्नी प्यासी हे और बूर में अपने बेटे का लंड की कल्पना कर के उंगली अंदर बाहर कर रही हे )
उसकी साड़ी उसके बदन से अलग हो चुकी थी और उत्तेजना ग्रस्त मंगल ना जाने कब अपनी उंगली से हस्तमैथुन करते हुए सूरज ओहो सूरज करके मजे लेने लगी इस बात का उसे पता भी नहीं चला और थोड़ी देर बाद उसकी बुर ने ढेर सारा पानी फेंक दी। काफी वर्षों के मंगल की बूर ने पानी छोड़ा था। उसे इस एहसास ने काफी आनंदित किया था कुछ देर तक वह यूं ही बिस्तर पर लेटी रही लेकिन थोड़ी ही देर बाद जब वासना का तूफान उसके दिमाग से थम चुका था। उसे इस बात का अहसास होने लगा कि उसने जो किया वह गलत था।मंगल को अपने किए पर शर्मिंद गी आ रहीं थी। थोड़ी देर पहले सूरज ने जो किया वह अनजाने में हुवा लेकिन उसने जो सूरज का नाम लेके बूर से पानी छोड़ा वह गलत था। मंगल ने ठान लिया की आज के बाद वह ये सब हरकत कभी नही करेगे चाहे कुछ भी हो। आखिर सूरज उसके बेटे जैसा हे।ओर यही सोचकर बिस्तर में सो गई।
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आधी रात में मंगल को जोरो की पेशाब लगती हे। रात का समय था उसे बाहर जाने में डर लग रहा था।इस लिए मंगल विलास को जगाने लगती हे।
मंगल - गौरी के बाबा उठिए मुझे पेशाब लगी हे मुझे बाहर जाने में डर लग रहा है।
विलास - नींद में चली जा आगे में आता हूं और सो गया।
विलास नही जगा इस लिए मंगल अकेली घर के पीछे चली जाति हे।
बाहर चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था केवल कुत्तों के भौंकने और सियार की ही आवाज आ रही थी जाहिर था पूरे गांव वाले नींद की आगोश में सो रहे थे।
वह चारों तरफ नजर घुमाकर देख रही थी की कोई उसे मुतते हुवे न देख ले। पर उसे कहीं कोई दिखाई तो नहीं दे रहा और वैसे भी इतनी आधी रात को वहां कौन आने वाला था लेकिन फिर भी मन की शांति के दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था
बाहर घना अंधेरा था कुछ ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था।जैसे तैसे मंगल घर के पीछे एक बड़ा पेड़ था पेड़ के पास ही जंगली झाड़ियों के पीछे पहुंच गई।

घर के अंदर सूरज को जोरो की पेशाब लगी थी इस लिए वह नींद से जाग कर कमरे से बाहर आ गया दूसरी तरफ विलास को भी पेशाब लगी थी इस लिए विलास कमरे से बाहर आया उसकी नजर सूरज पर पड़ी तो विलास बोला
सूरज बेटा इतनी रात को कहा जा रहे हो
सूरज सकपकता हुवा ओ.. ओ... दरअसल मुझे पेशाब लगी थी इस लिए में पेशाब करने बाहर जा रहा था।
विलास चलो मुझे भी पेशाब लगी हे साथ में मिलके चलते हे। सूरज और विलास बाते करते करते बाहर आने लगे।

इधर बाहर
झाड़ियों के पीछे मंगल ने अपनी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठालीया लाल रंग की कच्छी नीचे सरका के पेशाब करने बैठ गई।
कुछ ही सेकंड में बुर से निकलती हुई सीटी की आवाज वातावरण में गूंजने लगी
बड़ी-बड़ी घास होने की वजह से मंगल हल्के से अपनी गांड को ऊपर उठाए हुए थी,,, और उसकी हल्के से उठी हुई गांड किसी पहाड़ी की तरह लग रही थी।

मंगल इस समय अपनी मत मस्त गांड को उठाकर एकदम मन मोहिनी लग रही थी जो कि पृथ्वी के किसी भी इंसान को अपनी तरफ मोहित कर देने में सक्षम थी। मंगल की बुर से लगातार मधुर संगीत फूट रही थी उसे इतनी जोड़ों की पेशाब लगी हुई थी कि चारों तरफ फैले हुए सन्नाटे में उसकी बुर की सीटी की आवाज बहुत दूर तक जा रही थी,,,।

वातावरण में शीतलता के साथ-साथ चांदनी भी फैली हुई थी लेकिन जिस स्थान पर मंगल मूत रही थी वहां घनी झाड़ियां थी,,, बड़ी ओर घनी जंगली झाड़ियां के पीछे मूतने के कारण मंगल किसीको भी नजर नहीं आ सकती थी ,,,

मंगल लगातार अपनी गुलाबी बुर के छेद में से नमकीन पानी की बौछार जंगली झाड़ियों पर कर रही थी,,,
धीरे-धीरे करके मंगल की पेशाब की टंकी पूरी तरह से खाली हो गई वह जबरदस्ती प्रेशर देकर अपनी गुलाबी बूर के छेद में से बची दो चार बूंदों को भी बाहर निकाल देना चाहती थी इस लिए अपनी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को हल्के से दो-तीन बार झटके देकर वहां अपनी बुर के किनारे पर फंसे पेशाब की बूंदों को बाहर झटक दी,,,
मंगल पेशाब करके उठाने ही वाली थी तभी

विलास और सूरज घर के पीछे आ जाते हे। उनकी आवाज सुने मंगल उसी अवस्था में वही बैठी रहती हे।
विलास सूरज चलो उन झाड़ियों के पास चलत कर मुतते
हे
सूरज मामा के सात पेशाब करने में शरमा रहा था।नही मामाजी में दूसरी तरफ जाता हू विलास अरे शरमा क्यों रहा है चल मेरे साथ और विलास और सूरज झाड़ियों की तरफ जाने लगाते हे।
मंगल उनकी बातो ओर पास आते हुवे कदमो की आवाज से डर जाति हे। मंगल अभी तक साड़ी कमर तक उठाए हुवे नीचे से नंगी थी।
विलास झाड़ियों के पास पेड़ था वहा मूतने चला गया और सूरज जंगली झाड़ियों के पास चला जाता हे।
मंगल को झाड़ियों के पास किसी के कदमों की आहट आने लगी मंगल डराने लगी की आगे क्या होगा। कदमों की आहट झाड़ियों के पास आ कर रुक गई।
धोती में सूरज का मुसल जैसा लंड पूरी तरह से आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा था,,,
उसे बहुत जोरों की पेशाब लगी थी ,,, सूरज ने धोती खोली और वह वही खड़े होकर मुतने लगा,,,
पेशाब की जोरदार तिरछी धार झाड़ियों में से हल्की खुली जगह से गुजरते हुवे सीधे मंगल की नंगी बूर पर जा गिरी इस हमले से मंगल सिहर गई लंड का गरम पानी बूर पर गिरते ही उसके मुंह से हल्की सी आहा.... निकल गई जो किसी ने नहीं सुनी। मंगल वहासे उठाना चाहती थी लेकिन वह ऐसा करती तो पकड़ी जाती ओर अपने पति और सूरजबेटे के सामने शर्मिंदा होती। वह साड़ी नीचे भी नही कर सकती अगर ऐसा करती तो चूड़ियों की आवाज से दोनो को मालूम पड़ जाता झाड़ियों के पीछे कोई हे।
इस लिए मंगल वैसे ही बैठी रही।
बूर पर पेशाब की गरम मोटी धार की गर्माहट पाकर उसे लगा कि बूर बर्फ की तरह पिघल ना जाए। पेशाब की गरम धार से मंगल के बुर से मदन रस का रिसाव हो रहा था ,,, मंगल बहुत गरम हो रही थी।मंगल को यह लग रहा था कि कहीं उसकी बुर से मदन रस की धार ना छूट जाए,,,।
सूरज जोरो से पेशाब की धार बूर पे मारे जा रहा था।
मंगल का मुंह बैचेनी जी वजह से खुला हुआ था।
सूरज के लंड में पेशाब की आखरी धार बची थी
सूरज ने अपने खड़े लंड को एक हाथ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके झुलाकर पेशाब की आखरी धार छोड़ दी,,,।

जो झाड़ियों के पीछे जा के मंगल के ब्लाउज़ के ऊपर चूचियों पर और मुंह में गिर गई मंगल को कुछ समाज नही आया और अनजाने में मुंह में गिरा पेशाब पी गई।
मंगल को पेशाब खारे नमकीन गरम पानी जैसा लगा। वह कुछ कर भी नही सकती थी।
पेशाब करने के बाद सूरज ने लंड को धोती में डाल दिया
उधर विलास का भी पेशाब करके हो गया था। फिर दोनो साथ में अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
मंगल अभी भी उसी अवस्था में बैठी हूई थी।पेशाब के गरम पानी ने उसे गीला कर दिया था। पेशाब का गरम पानी मंगल की बूर के झाटो से होते हुवे धीरे धीरे जमीन पर गिर रहा था। मंगल को समाज नही आ रह था की उसके सामने कोन पेशाब कर रहा था। उसके पति या फिर स स स सूरज का नाम लेते ही बूर फूलने लगी।
उसे ये जानने की इच्छा थी कि किसने झाड़ियों के पास पेशाब की उसे यह बात सिर्फ उसका पति ही बता सकता है।
इसी लिए जलादि से मंगल खड़ी हो गई पेटीकोट से अपनी गीली बूर को साफ किया। लाल रंग की कच्छी बड़े बड़े चूतड़ों पे पहन ली और साड़ी नीचे कर कर घर के अंदर चली गई।
अंदर कमरे में आ के बिस्तर पे लेट जाति हे। विलास मंगल को बिस्तर पर लेटता देख उससे कहता हे।कहा थी तुम में बाहर आया था पर मुझे तुम दिखाई नहीं दी। वो में बाथरूम में पेशाब करने गई थी।
पर आप कहा थे..?
विलास - मै पेशाब करने के लिए कमरे से बाहर आया तो सूरज भी कमरे से बाहर पेशाब करने के किया आया। तो हम साथ में चले गए।
मंगल - कहा....?
विलास - घर के पीछे
मंगल - घर के पीछे कहा... उसकी जिज्ञासा बड़ती चली जा रही थी।
विलास - तू भी न छोटी बच्ची की तरह सवाल पूछ रही हे
मंगल - तो फिर सही से बताओ ना।
विलास - में पेड़ के पास पेशाब कर रहा था बस हो गया ना।अब मुझे सोने दे मुझे सुबह खेतो में जाना हे।
मंगल - ओर सूरज कहा था
विलास - ओहो मंगल तू भी सवाल पे सवाल किए जा रही हे। सूरज झाड़ियों के पास पेशाब कर रहा था बस अब और सवाल नही में सो रहा हू।
ओर खराटे लेते हुवे गहरी नींद में सो जाता हे।

पर मंगल नींद नहीं आ रही थी। ये बात सुन कर मंगल सुन्न रह गई।अभी थोड़ी देर पहले उसके बूर पे जो पेशाब गिरा था वह सूरज का था ये जानने के बाद...
मंगल का मन बहक ने लगा उसके पांव आकर्षण के चिकनी माटी में फीसलते चले जा रहे थे।
मंगल की कच्छी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी उसे कुछ कसमसाहट सा महसूस हो रहा था इसलिए वह खुद ही अपनी साड़ी को पकड़ के ऊपर की तरफ सरकाने लगी... देखते ही देखते मंगल अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी। उसकी लाल रंग की पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी जो कि उसे साफ साफ नजर आ रहा था उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह खाली कल्पना करके ही बूर इतना सारा पानी फेंक चुकी है उसकी बुर कुछ ज्यादा ही उत्तेजना महसूस कर रही थी क्योंकि उसकी फुली हुई बुर कच्छी के ऊपरी सतह पर किसी गरम कचोरी की तरह नजर आ रही थी। मंगल कच्छी के ऊपर से ही अपनी पुर की हालत को देखकर एकदम उत्तेजित हो गई वह धीरे धीरे अपनी गीली वाली जगह पर अपनी हथेली रखकर अपने बुर को रगड़ना शुरू कर दी कुछ ही पल में मंगल को मज़ा आने लगा और उसके मुख से गरम-गरम सिसकारी की आवाज भी आने लगी मंगल के चेहरे के हाव-भाव बदलने लगे थे उसका गोरा गाल लाल टमाटर की तरह हो गया था कुछ देर तक यूं ही वह कच्छी के ऊपर से ही अपनी बुर को मसलती रही। यह सब करते हुए भी उसके मन के एक कोने में यह सब बड़ा ही घृणित लग रहा था लेकिन अपने आनंद के वश में होकर वह रुकने का नाम नहीं ले रही थी... वह कभी अपनी बुर मसल रही थी तो दूसरे हाथ से कभी अपनी नंगी चिकनी मक्खन जैसी जांघों को सहला रही थी तो कभी उसी हाथ से ब्लाउज के ऊपर से ही अपने फड़फड़ाते दोनों कबूतरों को शांत करने की कोशिश कर रही थी।
मंगल पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी सही गलत सोचने का उसके पास समय बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि इस समय वह आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे और उसके जेहन में उस आनंद का केंद्र बिंदु उसका भांजा सूरज था। जो थोड़ी देर पहले उसकी बूर पर अनजाने में पेशाब किया था।सुगंधा अपनी हथेली को अपनी नंगी बुर पर रखकर हल्के हल्के दबाने लगी और ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था और देखते ही देखते वह अपनी बीच वाली उंगली को हल्के से अपनी बूर की गहराई में उतार दी और एक हल्की चीख के साथ अपनी आंखों को बंद करके उस उंगली से बुर के अंदर अंदर बाहर हो रही रगड़ का आनंद लेने लगी मंगल को मजा आने लगा कुछ देर तक वह अपनी एक ही उंगली से अपनी बुर को चोदती रही। लेकिन एक उंगली से उसकी बुर की खुजली शांत होने वाली नहीं थी इसलिए वह अपनी दूसरी उंगली भी अपने बुर के अंदर डाल दी और अपने सूरज बेटे के मोटे तगड़े लंड की कल्पना करने लगी वह ना चाहते हुए भी ऐसी कल्पना कर रही थी कि सूरज उसकी दोनों टांगों को फैला कर अपने मोटे लंड को उसकी बुर के अंदर डालकर चोद रहा है और जैसे-जैसे अपनी उंगली को बड़ी तेजी से बुर के अंदर-बाहर करती वैसे वैसे उसकी कल्पनाओं का घोड़ा उसके बेटे की हिलती हुई कमर को देखती रहती और उस नजारे की कल्पना करके मंगल का तन बदन एक अद्भुत सुख के एहसास से भर जा रहा था..... उसके मन में यही विचार उमड़ रहा था कि जैसे-जैसे वह अपनी उंगलियों की गति को बुर के अंदर बाहर करते हुए बढ़ाती वैसे वैसे सूरज जोर जोर से अपनी कमर हिलाते हुवे अपने लंड को उसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए उसे चोद रहा है उसकी उत्तेजना का आलम इस कदर उस पर हावी हो चुका था कि अपनी उंगली से अपनी बुर चोदते हुए वह पूरी तरह से बिस्तर पर छटपटा रही थी
( पर पास में विलास खराटे मारता हुवा गहरी नींद में सो रहा था उसे मालूम ही नहीं था की उसकी पत्नी प्यासी हे और बूर में अपने बेटे का लंड की कल्पना कर के उंगली अंदर बाहर कर रही हे )
उसकी साड़ी उसके बदन से अलग हो चुकी थी और उत्तेजना ग्रस्त मंगल ना जाने कब अपनी उंगली से हस्तमैथुन करते हुए सूरज ओहो सूरज करके मजे लेने लगी इस बात का उसे पता भी नहीं चला और थोड़ी देर बाद उसकी बुर ने ढेर सारा पानी फेंक दी। काफी वर्षों के मंगल की बूर ने पानी छोड़ा था। उसे इस एहसास ने काफी आनंदित किया था कुछ देर तक वह यूं ही बिस्तर पर लेटी रही लेकिन थोड़ी ही देर बाद जब वासना का तूफान उसके दिमाग से थम चुका था। उसे इस बात का अहसास होने लगा कि उसने जो किया वह गलत था।मंगल को अपने किए पर शर्मिंद गी आ रहीं थी। थोड़ी देर पहले सूरज ने जो किया वह अनजाने में हुवा लेकिन उसने जो सूरज का नाम लेके बूर से पानी छोड़ा वह गलत था। मंगल ने ठान लिया की आज के बाद वह ये सब हरकत कभी नही करेगे चाहे कुछ भी हो। आखिर सूरज उसके बेटे जैसा हे।ओर यही सोचकर बिस्तर में सो गई।
Fantastic
भाग ४

सुबह का वक्त सभी तरफ अंधेरा छाया हुवा था।
विलास जल्दी उठ कर सूरज को जगाने चला गया।
विलास - सूरज में आगे खेतो में जा रहा हु। तुम भी थोड़ी देर में आ जाना सूरज आंखे मलते हुवे ठीक ही मामा।
फिर सूरज कल वाली घटना को भूल कर खेतो की तरफ निकल पड़ा।
सूरज के खेत पास छोटी नहर थी। उसमे नहाकर खेतों पर जा जाने लगा,, चारों तरफ हरे हरे खेत लहरा रहे थे,, बाकी के मुकाबले विलास के पास कुछ खेत ज्यादा ही जमीन थी जिसमें वह सब्जियां भी ऊगा लेता था जिससे उसका जीवन निर्वाह अच्छे से हो रहा था,,,

रास्ते में गाना गाते हुआ सूरज चला जा रहा था,,,
तभी सूरज को गन्ने के खेतो से कुछ आवाजें आनी लगती है। तो सूरज गन्ने के खेत में थोड़ा अंदर चला जाता है और देखता हे की। कल्लू और निम्मो जो रिश्ते में भाई बहन हे वो दोनो चुदाई कर रहे थे। सूरज पाहिली बार चुदाई देखा रहा था वो भी भाई बहन की सूरज वही रुक कर उन दोनो की चुदाई देखने लगा।

निम्मो- आह आह कल्लू तू कितना अच्छा चोद्ता है ऐसे ही मुझे चोद्ते रहना, आह और ज़ोर से खूब कस कर चोद आह आह

कल्लू सतसट अपने लंड को अपनी दीदी की चूत मे मारने लगता है और उसका लंड बड़ी चिकनाहट के साथ आगे पिछे होने

लगता है. कल्लू अपनी बहन पर पूरी तरह लेट कर उसके रसीले होंठो को चूमने लगता है और एक हाथ से उसकी चुचियों को
मसल्ने लगता है, करीब 10 मिनिट तक कल्लू अपनी बहन को चोदने के बाद उसकी चूत मे अपना पानी छोड़ देता है और

निम्मो आह-आह करती हुई कल्लू से पूरी तरह चिपक जाती है और उसकी चूत से भी पानी बहने लगता है,

निम्मो- अपनी जाँघो को फैला कर कल्लू को दिखाती हुई देख रामू तूने मेरी चूत से तेरा पानी बह रहा हे।

कल्लू - दीदी अब तो तेरी इस चूत को रोज ऐसा ही पानी बहेगा और हसने लगता है

चुदाई खतम होने के बाद दोनो घर चले जाते हे और सूरज भी अपने खेतो की तरफ निकल जाता हे।
रास्ते में मुझे यह खयाल आता है की कम्मो अपने भाई से केसे चुदावा सकती हे। ये समाज के नियमो के खिलाफ हे पर सूरज जानता था की बूर की प्यास बड़ती हे तो वह रिश्ते नाते नहीं देखती सिर्फ लंड देखती है लंड चाहे उसके भाई का हो या बेटे का वह चूद ज्याती हे। रिश्तो में चुदाई की बात से सूरज का लंड कड़क हो गया।
तभी सूरज को मामी को मुतता हुवा देखने की बात याद अति हे सूरज को भी अपनी मां समान मामी को चोदने की अभिलाषा बढ़ जाती हे। सूरज ने ठान लिया था की चाहे कुछ भी हो मामी को चोद कर रहूंगा।इन्ही खयालों में खोया हुवा सूरज थोड़ी ही देर में वहां कच्चे रास्ते से नीचे उतर कर अपने खेतों में घुस गया जहां पर चारों तरफ गन्ने और धान की फसल लहरा रही थी,,, सूरज से भी अधिक ऊंचाई मैदान पूरे खेतों में दूर-दूर तक छाया हुआ था एक तरह से उन धानों के बीच में सूरज खो सा गया था,, ।

सूरज धीरे-धीरे खेतों के बीच में चला जा रहा था,,, देखते ही देखते सूरज खेत के एकदम बीचो-बीच बने अपने मकान में पहुंच गया,,, यह मकान यहां पर खेतों में काम करते-करते थक जाने पर आराम करने के लिए ही बनाई गई थी,,, खेतों के बीच में यह बना मकान बेहद ही खूबसूरत लगता था। मकान के दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ थे जिसकी वजह से उसकी छाया मकान पर बराबर पडती थी,, और उसकी वजह से ठंडक भी रहती थी।

खेत पहुंच कर में मामा की मदत करने लगा। दोपहर को कड़ी धूप में काम करके बहोत थकान और भूख लग रही थी। तभी मामा बोले

मामा - अब तक घर से कोई भी खाना लेके नही आया सूरज बेटा मुझे भूख लगी
सूरज - हा मामा मुझे भी जोरो की भूख लगी हे।
मामा - तू एक काम कर घर जा के तू पहले खाना खाले और मेरे लिए घर से खाना लेके आ।
सूरज - ठीक ही मामाजी और में घर की ओर निकल पड़ा और मामाजी खेतो के फिरसे काम करने लग गए।

दूसरी तरफ सूरज घर पर पहुंच चुका था उसे बहुत जोरों की भूख लगी थी,,,। इसी लिए मामी को आवाज देने लगा पर कोई उत्तर नही आया। इसलिए सूरज गौरी को ढूंढता हुआ अंदर के कमरे में जा पहुंचा,,, अंदर का नजारा देख कर दंग रह गया और गौरी को आंख फाड़े देखता ही रह गया,,,, क्या करें सामने का नजारा ही कुछ इतना जबरदस्त और गर्म था कि वह अपनी नजरों को हटा नहीं पाया सूरज के लिए पूरी तरह से उत्तेजना से भर देने वाला दृश्य था क्योंकि गरमी की वजह से अभी अभी गौरी नहाकर घर में आई थी और सिर्फ अपने बदन पर टावेल ही पहन रखी थी बाकी नीचे कुछ नहीं पहनी थी नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी और टावेल भी उसकी कमर से बस 2 इंच तक ही आती थी जिससे गौरी के सारे नितंबों का आकार सूरज की आंखों के सामने उजागर हो रहा था,,। क्योंकि गौरी की पीठ सूरज की तरफ थी सूरज तो गौरी की मदमस्त गोरी गोरी गांड और उसकी चिकनी लंबी टांगों को देखकर एकदम मस्त हो गया वह भी भूल गया कि उसकी आंखों के सामने कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी मामा की लड़की है,,,। लेकिन यह आखों को कहा पता चलता है कि सामने अर्धनग्न अवस्था में कौन है बस उसे तो अपने अंदर गर्माहट महसूस करने से ही मतलब रहता है और वही हो भी रहा था,,,।
मामी को मुताता देख कर सूरज का नजरिया एकदम से बदल गया था वरना वह इस तरह से गौरी को अर्धनग्न अवस्था में नहीं देखता रहता बल्कि वहां से चला जाता,,। वैसे भी कुछ देर पहले ही वह कल्लू और कम्मो की चुदाई देख कर गरम हो गया था। उस पल की सनसनाहट अभी तक उसके बदन से दूर हुई नहीं थी कि उसकी आंखों के सामने एक बार फिर से बेहद गर्म नजारा देखते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,।
आज पहली बार वह गौरी को इस अवस्था में देख रहा था तब जाकर पता चला था कि गौरी खूबसूरत और मादक जिस्म की मालकिन है,,,। गौरी की गोरी गोरी गांड और उसकी बीच की गहरी फांक को देखकर पूरी तरह से मदहोश होने लगा,,,। सूरज के मन में तो आ रहा था कि कमरे में जाकर पीछे से गौरी को अपनी बाहों में भर ले और अपना खड़ा लंड उसकी मुंह में डालकर उसकी चुदाई कर दे। क्योंकि ओरातो को केसे चोदा जाता है और उन्हें कैसे खुश किया जाता है सूरज को मालूम था। लेकिन अभी वह गौरी के साथ यह नहीं कर सकता था हालांकि करने का मन करने लगा था,,,।

तभी अपनी ही मस्ती में बालों को संभाल रही गौरी को इस बात का एहसास हुआ कि उसके पीछे कोई खड़ा है तो वह पीछे नजर घुमा कर देखी तो दरवाजे पर सूरज खड़ा था और उसे देखते ही वह पूरी तरह से हड़बड़ा गई और अपने नंगे बदन को ढकने की कोशिश करने लगी,,, तभी बिस्तर पर से चादर को खींचकर व अपने नंगे तन को छुपा ली,,,,। गौरी की हड़बड़ाहट देखकर सूरज समझ गया कि ज्यादा देर तक खड़ा रहना ठीक नहीं है इसलिए वह वहां से वापस लौटते हुए बोला,,,।

गौरी जल्दी से खाना निकाल दो

गौरी जल्दी से अपनी साड़ी उठा कर उसे पहन ली,,,। उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह भी पहली बार सूरज की आंखों के सामने इस अवस्था में खड़ी थी उसे इस बात का एहसास तो हो ही गया था कि जिस तरह से वह दरवाजे की तरफ पीठ करके अपने बालों को संभाल रही थी सूरज ने जरूर उसकी गोरी गोरी गांड को देख ही लिया होगा,,, और यह एहसास उसके तन बदन को पूरी तरह से झकझोर गया,,,। आईने में अपनी शक्ल को देखकर वह शरमा गई,,,।
थोड़ी ही देर में गौरी रसोई के पास आकर अपने सूरज के लिए खाना परोस कर वहीं बैठी रही ।

सूरज को मामी की बड़ी-बड़ी नितंब और गौरी की गोरी गोरी गांड़ ही नजर आ रही थी जिसमें कल्पना करते हुए सूरज का लंड धोती में फूलने लगा।उसे शांत का कर खाना खाने के लिए बैठ गया,,, और उसके खाना खाने के लिए बैठते ही शर्म के मारे गौरी वहां से उठकर अंदर कमरे में चली गई,,,, सूरज द्वारा अपनी नंगी गांड देखे जाने की वजह से उसके तन बदन में उतेजना की लहर दौड़ रही थी शर्मिंदगी का अहसास तो हो ही रहा था लेकिन साथ में उत्तेजना की आगोश में वह अपने आप को पूरी तरह से डुबोती चली जा रही थी,,,।
थोड़ी ही देर में सूरज ने खाना खा लिया और गौरी को आवाज देते हुए बोला,,,।

गौरी जल्दी से मामा के लिए खाना बांध दो मुझे खेतों पर जाना है,,,।
( इतना सुनते ही गौरी अंदर से निकलकर बाहर रसोई के पास आई और अपने बाबूजी के लिए रोटी सब्जी और प्याज काट कर रखने लगी,,, गौरी ने सूरज से नजर नहीं मिला पा रही थी उसे बहुत ज्यादा शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था लेकिन फिर भी वह अपनी बाबूजी के लिए खाना बांधते हुए सूरज की तरफ देखे बिना ही बोली,,,
ये लो खाना जलादि जा वरना खाना ठंडा हो जायेगा।
सूरज गौरी तुम चिंता मत करो मैं समय पर खेत पर पहुंच जाऊंगा,,,,

ओर जाते जाते सूरज गौरी से बोला अभी जो कुछ हुवा वह गलती से हो गया मामी को इसके बारे में कुछ मत बताना।
गौरी - मैं जानती हूं जो कुछ भी हुआ वह गलती से हुआ इस में तुम्हारी कोई गलती नहीं है इसलिए तू जा में मां से कुछ नहीं कहूंगी,,,,( गौरी की बात सुनते ही सूरज मुस्कुराते हुए घर से बाहर चला गया और गौरी वहीं खड़ी तब तक उसे देखती रही जब तक कि वह आंखों से ओझल नहीं हो गया,,, वह खड़ी खड़ी यही सोच रही थी कि क्या सच में यह सब अनजाने में हुआ था क्या सूरज सच में अनजाने में ही दरवाजे तक आ गया था लेकिन अगर अनजाने में हुआ था तो वह तुरंत चला क्यों नहीं किया खड़े होकर देख क्यों रहा था,,,। सूरज कि मुझे अभी की बात सुनकर और कुछ देर पहले की हरकत को देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या समझे क्या फैसला ले,,,, गौरी भी यह सब अनजाने में हुआ होगा ऐसा झूठी दिलासा आपने आपको देकर काम में व्यस्त हो गई,,,।
तभी उसकी मां आ गई क्या हुवा बेटी कुछ नही मां सूरज आया था खाना लेने उसे खाना से दिया।
मंगल ठीक ही में थोड़ा कमरे में आराम करती हू
गौरी ठीक ही मां में कम्मो से मिलके अति हू
ओर मंगल अपने कमरे में चली जाति हे और गौरी कम्मो से मिलने चली जाति हे

सूरज कल से लेकर के अबतक के वाकए के बारे में सोचता हुआ चला जा रहा था,,,, उसे एहसास होने लगा था कि किस्मत उसके ऊपर पूरी तरह से मेहरबान हो चुकी थी,,,, क्योंकि जबसे मामी को पेशाब करते हुए देखा था तब से उसकी जिंदगी में सब कुछ बदलता चला जा रहा था। सुबह कल्लू और कम्मो की चुदाई देखी
ओर अभी अभी गौरी की खूबसूरत गांड के दर्शन कर पाता यही सब सोचकर वह मस्त हुआ जा रहा था और अपनी किस्मत पर इठला भी रहा था,,,, लेकिन फिर भी वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसे बहुत सोच समझ कर आगे कदम बढ़ाना है कोई जल्दबाजी नहीं दिखानी है वरना कहीं मामी को पता चल गया तो हो सकता है फिर से उसे घर से निकाल दे उस पर फिरसे नाराज हो जाए ओर ऐसा सूरज बिल्कुल भी नहीं चाहता था,,,। सूरज खेत पहुंच गया और मामा को खाना दिया। मामा ने खाना खाया कुछ देर आराम किया और वापस खेतो के काम में जुट गए।
Nice update
 
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