भाग ४
सुबह का वक्त सभी तरफ अंधेरा छाया हुवा था।
विलास जल्दी उठ कर सूरज को जगाने चला गया।
विलास - सूरज में आगे खेतो में जा रहा हु। तुम भी थोड़ी देर में आ जाना सूरज आंखे मलते हुवे ठीक ही मामा।
फिर सूरज कल वाली घटना को भूल कर खेतो की तरफ निकल पड़ा।
सूरज के खेत पास छोटी नहर थी। उसमे नहाकर खेतों पर जा जाने लगा,, चारों तरफ हरे हरे खेत लहरा रहे थे,, बाकी के मुकाबले विलास के पास कुछ खेत ज्यादा ही जमीन थी जिसमें वह सब्जियां भी ऊगा लेता था जिससे उसका जीवन निर्वाह अच्छे से हो रहा था,,,
रास्ते में गाना गाते हुआ सूरज चला जा रहा था,,,
तभी सूरज को गन्ने के खेतो से कुछ आवाजें आनी लगती है। तो सूरज गन्ने के खेत में थोड़ा अंदर चला जाता है और देखता हे की। कल्लू और निम्मो जो रिश्ते में भाई बहन हे वो दोनो चुदाई कर रहे थे। सूरज पाहिली बार चुदाई देखा रहा था वो भी भाई बहन की सूरज वही रुक कर उन दोनो की चुदाई देखने लगा।
निम्मो- आह आह कल्लू तू कितना अच्छा चोद्ता है ऐसे ही मुझे चोद्ते रहना, आह और ज़ोर से खूब कस कर चोद आह आह
कल्लू सतसट अपने लंड को अपनी दीदी की चूत मे मारने लगता है और उसका लंड बड़ी चिकनाहट के साथ आगे पिछे होने
लगता है. कल्लू अपनी बहन पर पूरी तरह लेट कर उसके रसीले होंठो को चूमने लगता है और एक हाथ से उसकी चुचियों को
मसल्ने लगता है, करीब 10 मिनिट तक कल्लू अपनी बहन को चोदने के बाद उसकी चूत मे अपना पानी छोड़ देता है और
निम्मो आह-आह करती हुई कल्लू से पूरी तरह चिपक जाती है और उसकी चूत से भी पानी बहने लगता है,
निम्मो- अपनी जाँघो को फैला कर कल्लू को दिखाती हुई देख रामू तूने मेरी चूत से तेरा पानी बह रहा हे।
कल्लू - दीदी अब तो तेरी इस चूत को रोज ऐसा ही पानी बहेगा और हसने लगता है
चुदाई खतम होने के बाद दोनो घर चले जाते हे और सूरज भी अपने खेतो की तरफ निकल जाता हे।
रास्ते में मुझे यह खयाल आता है की कम्मो अपने भाई से केसे चुदावा सकती हे। ये समाज के नियमो के खिलाफ हे पर सूरज जानता था की बूर की प्यास बड़ती हे तो वह रिश्ते नाते नहीं देखती सिर्फ लंड देखती है लंड चाहे उसके भाई का हो या बेटे का वह चूद ज्याती हे। रिश्तो में चुदाई की बात से सूरज का लंड कड़क हो गया।
तभी सूरज को मामी को मुतता हुवा देखने की बात याद अति हे सूरज को भी अपनी मां समान मामी को चोदने की अभिलाषा बढ़ जाती हे। सूरज ने ठान लिया था की चाहे कुछ भी हो मामी को चोद कर रहूंगा।इन्ही खयालों में खोया हुवा सूरज थोड़ी ही देर में वहां कच्चे रास्ते से नीचे उतर कर अपने खेतों में घुस गया जहां पर चारों तरफ गन्ने और धान की फसल लहरा रही थी,,, सूरज से भी अधिक ऊंचाई मैदान पूरे खेतों में दूर-दूर तक छाया हुआ था एक तरह से उन धानों के बीच में सूरज खो सा गया था,, ।
सूरज धीरे-धीरे खेतों के बीच में चला जा रहा था,,, देखते ही देखते सूरज खेत के एकदम बीचो-बीच बने अपने मकान में पहुंच गया,,, यह मकान यहां पर खेतों में काम करते-करते थक जाने पर आराम करने के लिए ही बनाई गई थी,,, खेतों के बीच में यह बना मकान बेहद ही खूबसूरत लगता था। मकान के दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ थे जिसकी वजह से उसकी छाया मकान पर बराबर पडती थी,, और उसकी वजह से ठंडक भी रहती थी।
खेत पहुंच कर में मामा की मदत करने लगा। दोपहर को कड़ी धूप में काम करके बहोत थकान और भूख लग रही थी। तभी मामा बोले
मामा - अब तक घर से कोई भी खाना लेके नही आया सूरज बेटा मुझे भूख लगी
सूरज - हा मामा मुझे भी जोरो की भूख लगी हे।
मामा - तू एक काम कर घर जा के तू पहले खाना खाले और मेरे लिए घर से खाना लेके आ।
सूरज - ठीक ही मामाजी और में घर की ओर निकल पड़ा और मामाजी खेतो के फिरसे काम करने लग गए।
दूसरी तरफ सूरज घर पर पहुंच चुका था उसे बहुत जोरों की भूख लगी थी,,,। इसी लिए मामी को आवाज देने लगा पर कोई उत्तर नही आया। इसलिए सूरज गौरी को ढूंढता हुआ अंदर के कमरे में जा पहुंचा,,, अंदर का नजारा देख कर दंग रह गया और गौरी को आंख फाड़े देखता ही रह गया,,,, क्या करें सामने का नजारा ही कुछ इतना जबरदस्त और गर्म था कि वह अपनी नजरों को हटा नहीं पाया सूरज के लिए पूरी तरह से उत्तेजना से भर देने वाला दृश्य था क्योंकि गरमी की वजह से अभी अभी गौरी नहाकर घर में आई थी और सिर्फ अपने बदन पर टावेल ही पहन रखी थी बाकी नीचे कुछ नहीं पहनी थी नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी और टावेल भी उसकी कमर से बस 2 इंच तक ही आती थी जिससे गौरी के सारे नितंबों का आकार सूरज की आंखों के सामने उजागर हो रहा था,,। क्योंकि गौरी की पीठ सूरज की तरफ थी सूरज तो गौरी की मदमस्त गोरी गोरी गांड और उसकी चिकनी लंबी टांगों को देखकर एकदम मस्त हो गया वह भी भूल गया कि उसकी आंखों के सामने कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी मामा की लड़की है,,,। लेकिन यह आखों को कहा पता चलता है कि सामने अर्धनग्न अवस्था में कौन है बस उसे तो अपने अंदर गर्माहट महसूस करने से ही मतलब रहता है और वही हो भी रहा था,,,।
मामी को मुताता देख कर सूरज का नजरिया एकदम से बदल गया था वरना वह इस तरह से गौरी को अर्धनग्न अवस्था में नहीं देखता रहता बल्कि वहां से चला जाता,,। वैसे भी कुछ देर पहले ही वह कल्लू और कम्मो की चुदाई देख कर गरम हो गया था। उस पल की सनसनाहट अभी तक उसके बदन से दूर हुई नहीं थी कि उसकी आंखों के सामने एक बार फिर से बेहद गर्म नजारा देखते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,।
आज पहली बार वह गौरी को इस अवस्था में देख रहा था तब जाकर पता चला था कि गौरी खूबसूरत और मादक जिस्म की मालकिन है,,,। गौरी की गोरी गोरी गांड और उसकी बीच की गहरी फांक को देखकर पूरी तरह से मदहोश होने लगा,,,। सूरज के मन में तो आ रहा था कि कमरे में जाकर पीछे से गौरी को अपनी बाहों में भर ले और अपना खड़ा लंड उसकी मुंह में डालकर उसकी चुदाई कर दे। क्योंकि ओरातो को केसे चोदा जाता है और उन्हें कैसे खुश किया जाता है सूरज को मालूम था। लेकिन अभी वह गौरी के साथ यह नहीं कर सकता था हालांकि करने का मन करने लगा था,,,।
तभी अपनी ही मस्ती में बालों को संभाल रही गौरी को इस बात का एहसास हुआ कि उसके पीछे कोई खड़ा है तो वह पीछे नजर घुमा कर देखी तो दरवाजे पर सूरज खड़ा था और उसे देखते ही वह पूरी तरह से हड़बड़ा गई और अपने नंगे बदन को ढकने की कोशिश करने लगी,,, तभी बिस्तर पर से चादर को खींचकर व अपने नंगे तन को छुपा ली,,,,। गौरी की हड़बड़ाहट देखकर सूरज समझ गया कि ज्यादा देर तक खड़ा रहना ठीक नहीं है इसलिए वह वहां से वापस लौटते हुए बोला,,,।
गौरी जल्दी से खाना निकाल दो
गौरी जल्दी से अपनी साड़ी उठा कर उसे पहन ली,,,। उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह भी पहली बार सूरज की आंखों के सामने इस अवस्था में खड़ी थी उसे इस बात का एहसास तो हो ही गया था कि जिस तरह से वह दरवाजे की तरफ पीठ करके अपने बालों को संभाल रही थी सूरज ने जरूर उसकी गोरी गोरी गांड को देख ही लिया होगा,,, और यह एहसास उसके तन बदन को पूरी तरह से झकझोर गया,,,। आईने में अपनी शक्ल को देखकर वह शरमा गई,,,।
थोड़ी ही देर में गौरी रसोई के पास आकर अपने सूरज के लिए खाना परोस कर वहीं बैठी रही ।
सूरज को मामी की बड़ी-बड़ी नितंब और गौरी की गोरी गोरी गांड़ ही नजर आ रही थी जिसमें कल्पना करते हुए सूरज का लंड धोती में फूलने लगा।उसे शांत का कर खाना खाने के लिए बैठ गया,,, और उसके खाना खाने के लिए बैठते ही शर्म के मारे गौरी वहां से उठकर अंदर कमरे में चली गई,,,, सूरज द्वारा अपनी नंगी गांड देखे जाने की वजह से उसके तन बदन में उतेजना की लहर दौड़ रही थी शर्मिंदगी का अहसास तो हो ही रहा था लेकिन साथ में उत्तेजना की आगोश में वह अपने आप को पूरी तरह से डुबोती चली जा रही थी,,,।
थोड़ी ही देर में सूरज ने खाना खा लिया और गौरी को आवाज देते हुए बोला,,,।
गौरी जल्दी से मामा के लिए खाना बांध दो मुझे खेतों पर जाना है,,,।
( इतना सुनते ही गौरी अंदर से निकलकर बाहर रसोई के पास आई और अपने बाबूजी के लिए रोटी सब्जी और प्याज काट कर रखने लगी,,, गौरी ने सूरज से नजर नहीं मिला पा रही थी उसे बहुत ज्यादा शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था लेकिन फिर भी वह अपनी बाबूजी के लिए खाना बांधते हुए सूरज की तरफ देखे बिना ही बोली,,,
ये लो खाना जलादि जा वरना खाना ठंडा हो जायेगा।
सूरज गौरी तुम चिंता मत करो मैं समय पर खेत पर पहुंच जाऊंगा,,,,
ओर जाते जाते सूरज गौरी से बोला अभी जो कुछ हुवा वह गलती से हो गया मामी को इसके बारे में कुछ मत बताना।
गौरी - मैं जानती हूं जो कुछ भी हुआ वह गलती से हुआ इस में तुम्हारी कोई गलती नहीं है इसलिए तू जा में मां से कुछ नहीं कहूंगी,,,,( गौरी की बात सुनते ही सूरज मुस्कुराते हुए घर से बाहर चला गया और गौरी वहीं खड़ी तब तक उसे देखती रही जब तक कि वह आंखों से ओझल नहीं हो गया,,, वह खड़ी खड़ी यही सोच रही थी कि क्या सच में यह सब अनजाने में हुआ था क्या सूरज सच में अनजाने में ही दरवाजे तक आ गया था लेकिन अगर अनजाने में हुआ था तो वह तुरंत चला क्यों नहीं किया खड़े होकर देख क्यों रहा था,,,। सूरज कि मुझे अभी की बात सुनकर और कुछ देर पहले की हरकत को देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या समझे क्या फैसला ले,,,, गौरी भी यह सब अनजाने में हुआ होगा ऐसा झूठी दिलासा आपने आपको देकर काम में व्यस्त हो गई,,,।
तभी उसकी मां आ गई क्या हुवा बेटी कुछ नही मां सूरज आया था खाना लेने उसे खाना से दिया।
मंगल ठीक ही में थोड़ा कमरे में आराम करती हू
गौरी ठीक ही मां में कम्मो से मिलके अति हू
ओर मंगल अपने कमरे में चली जाति हे और गौरी कम्मो से मिलने चली जाति हे
सूरज कल से लेकर के अबतक के वाकए के बारे में सोचता हुआ चला जा रहा था,,,, उसे एहसास होने लगा था कि किस्मत उसके ऊपर पूरी तरह से मेहरबान हो चुकी थी,,,, क्योंकि जबसे मामी को पेशाब करते हुए देखा था तब से उसकी जिंदगी में सब कुछ बदलता चला जा रहा था। सुबह कल्लू और कम्मो की चुदाई देखी
ओर अभी अभी गौरी की खूबसूरत गांड के दर्शन कर पाता यही सब सोचकर वह मस्त हुआ जा रहा था और अपनी किस्मत पर इठला भी रहा था,,,, लेकिन फिर भी वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसे बहुत सोच समझ कर आगे कदम बढ़ाना है कोई जल्दबाजी नहीं दिखानी है वरना कहीं मामी को पता चल गया तो हो सकता है फिर से उसे घर से निकाल दे उस पर फिरसे नाराज हो जाए ओर ऐसा सूरज बिल्कुल भी नहीं चाहता था,,,। सूरज खेत पहुंच गया और मामा को खाना दिया। मामा ने खाना खाया कुछ देर आराम किया और वापस खेतो के काम में जुट गए।