Bahut hi behtarin kahani hai mitr… or jabardast kamukta se saath likh rahe ho aap ..![]()
nice update
Romanchak aur Rochak ke sath sath kamuk bhi. Pratiksha agle rasprad update ki
Thanks........... Enjoy
Bahut hi behtarin kahani hai mitr… or jabardast kamukta se saath likh rahe ho aap ..![]()
nice update
Romanchak aur Rochak ke sath sath kamuk bhi. Pratiksha agle rasprad update ki
Behtreen updateEpisode 7
अब तक आपने पढ़ा.. सरोज ने धमकी का डर बता कर मुझ पर हाथ साफ़ करने की सोची तो माया अपनी पक्की सहेली सरोज पर गुस्सा करते हुए मुझ पर अपना प्यार जताने लगी। अब आगे..
माया ने मुझे बांहों में लेकर बड़े गर्व से कहा- हां, मैं इसे दिल से चाहती हूँ.. इसे अपना पति मानती हूँ.. उससे मत छू.. और तुझसे क्या छुपाना.. मैं भी तो तेरी सब बात जानती हूँ।
सरोज ने पलटी मारी- माया देख तो सही.. ये तुझसे कितना छोटा लगता है। पर हाँ.. क्या चिकना माल है। यार उसकी मजबूत बांहों में मुझे भी जरा झूलने दे मेरी जान!
फिर वो माया का मुरझाया चेहरा देख शांत हो कर बोली- यार मैं तेरे दिल का हाल जानती हूँ और मुझे यह भी पता है कि तुझे छोटे मर्द पसंद हैं।
वो ‘फु.. फु..’ करती हुई हँस पड़ी- सॉरी मेरी जान.. मैं तेरी फिरकी ले रही थी.. पर क्या तीर मारा है। मस्त चिकन अकेले ही खा रही हो और हमें दावत भी नहीं.. साली चुदक्कड़.. मैं तो तुम दोनों से मजाक कर रही थी। सालों तुम्हारे सहमे हुए चेहरे तो देखो.. सालों तुम दोनों की कैसी फट रही है। प्यार भी डर कर करते हो.. मेरे छोटे से जीजू..!
मेरी जान में जान आई, माया ने कस के उसके बाल खींचे और दबी आवाज में कहा- साली हरामखोर.. तूने हमको डरा ही दिया? माया ने उसे खींच कर बिस्तर पर धक्का दे दिया और उस पर चढ़ गई, अब माया उसके गालों को नोंचने लगी, वो चिल्लाई- सरोज की बच्ची.. आज तू गई! सरोज- आहह्ह्ह माया.. दु:खता है। छोड़ मुझे.. साली तुझे कुछ करना भी नहीं आता। अच्छा है मुझे सुनाई दिया, वरना आज तो तू किसी के हाथ पकड़ी जाती। साली चुड़ैल.. मैं तुझे बचाने आई और तू मुझे ही मारती है? रुक मैं अभी चिल्लाती हूँ।
माया ने उसके मुँह हाथ रख कर उसके गालों को चूमते हुए कहा- सरोज मेरा प्यार.. मेरी यार मेरी अच्छी दोस्त है न। अपना मुँह मेरे लिए बन्द नहीं रखेगी मेरी रानी..! सरोज- एक शर्त पर मैं चुप रहूँगी। यार बहुत दिनों से मेरी चूत में भी बड़ी खुजली हो रही है। यार जब से डाइवोर्स हुआ है, कोई लंड चोदने को नहीं मिल रहा और मेरी भी तेरे जैसी हालत है। तेरे माल में से थोड़ा मक्खन मुझे भी खिला दे यार.. दोनों मिल-बांट कर मक्खन खाएंगे। उसने मेरे सहमे हुए चेहरे की तरफ देखते हुए मुझे आंख मारी।
‘क्यों जीजू दो खाओगे? या एक से ही पेट भर गया?’ माया- नहीं सरोज.. ये अभी छोटा है यार.. इससे कुछ नहीं पाता। मैं उससे प्यार करती हूँ, प्लीज यार
हमें आज की रात कुछ लम्हे साथ बिताने दे मेरी माँ.. देख मेरी शादी 6 महीने में एक बूढ़े से हो जाएगी। ये जब से आया है तब से नाम बताए बिना मैंने तुझसे कहा था न.. कि शायद मुझे मेरा प्यार मिल गया है। ये वो ही विकी है.. जो छत वाले कमरे में रहता है। ये पढ़ता है और अभी 19 साल का ही है। वो इतना ज्यादा सेक्स नहीं कर सकता.. उससे कुछ नहीं आता। प्लीज मेरी माँ.. अब तू जा। आज बड़ी मुश्किल से मौका मिला है, हमें प्यार करने दे.. मेरी माँ जा। वो दो के साथ सेक्स कैसे करेगा.. उसे कुछ हो जाएगा.. हमें बख्श दे मेरी माँ..!
मेरा हाथ पकड़ अपनी ओर खींच कर मुझे अपनी बांहों में भींचकर सरोज बोल उठी- ना.. मेरे प्यारे चिकने जीजू पर मेरा भी आधा हक़ बनता है मेरी जान, इसे तो मैं भी आधा खाऊँगी। क्यों लिटिल जीजू..?? मैं तेरी साली हूँ, मेरे छोटे जीजू.. वो मुझे चूमने लगी।
मुझे तो समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ, पकड़ा जो गया था।
तभी माया अचानक मुझे उससे छुड़ाते हुए उस पर झपट पड़ी- सरू, अब तो हद कर रही हो यार.. मजाक छोड़ और जा! सरोज- न न.. मेरी जान मैं एकदम सीरियस हूँ। आज तो तेरा माल आधा में भी खाऊँगी, वर्ना तू भी भूखी रहेगी। बोल मेरी जान क्या करना है? क्यों लल्ला क्या ख्याल है..? वर्ना यह साली महंगी पड़ेगी मेरे प्यारे लिटिल जीजू!
माया- सरू, तुझसे मैं हाथ जोड़ती हूँ.. तू इधर से जा मेरी माँ, उस बेचारे को क्यों परेशान करती है? आज जा.. तू कल से जो तू कहेगी वही होगा और अब खिड़की से कोई आवाज़ नहीं आएगी। सरोज- यार.. कुछ करने नहीं देती तो न सही.. पर देखने तो दे.. मैं अपने नाईट ड्रेस पहन अभी आई। तेरी कसम किसी को नहीं कहूँगी। मुझे तेरे कमरे सोने दे, मैं तुम दोनों के केवल देखूंगी बस.. और अगर रात के वक्त कोई आ भी जाएगा। अगर मैं तेरे साथ होऊँगी तो कोई शक भी नहीं करेगा, इसे आहिस्ता से सीढ़ियाँ चढ़ा देंगे।
अब माया सोचने लगी और धीरे से बड़बड़ाई- साली चुदक्कड़.. मुझे एक रात भी अकेले अपने प्यार के साथ सोने नहीं देगी.. पूरी मादरचोद है साली! यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप Xforum सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
माया ने प्रश्नसूचक निगाहों से मेरी तरफ देखा। मैं- यार, कोई मुझसे भी तो पूछो? मैं कोई बाँट कर खाने वाली चीज़ हूँ, जो आपस में मेरा बंटवारा कर रही हो? ‘हम्म..’
मैंने माया को चुपके से आंख मारी- माया, यह यहाँ तेरे साथ सोती है
तो सोने दे ना। अच्छा है किसी को हम पर शक नहीं होगा। माया बोल उठी- ठीक है तू जल्दी कपड़े बदल कर आ जा। देर न करना मुझे दरवाजा बन्द करना है। सरोज- यार बीस मिनट तो लगेंगे.. मुझे नहाना भी है। तुम लोग तब तक खाना खा लो.. और नहा भी लो, अच्छा रहेगा। उसने माया को आंख मारी।
फिर सरोज मेरी तरफ देख कर बोली- क्यों ठीक होगा न जानू? हम सभी सहमत हुए और वो दौड़ती हुई गई और माया ने फिर से दरवाजा बन्द कर दिया।
माया चैन की साँस लेते हुए- साली बहुत ही बड़ी चुदक्कड़ है विकी.. तुझे पता नहीं है। एक बार रात को मैं उसके साथ सोई थी। साली ने मुझे काट-काट कर सुजा दिया था। उसे मर्द न मिले तो वो लड़कियों से भी काम चला लेती है। साली ने अपने भतीजे, देवर, बहनोई और सीमा को भी नहीं छोड़ा, उसने सीमा को लेस्बियन बना दिया है। ‘सीमा को भी?’ माया- एक आईडिया है, यह तुझे सीमा तक आसानी से पहुँचा देगी। यार तू इससे दोस्ती कर ले.. पर मुझे चिंता है वो आज रात तेरी हालत ख़राब कर देगी। वो कुतिया की तरह काट खाती है। जा तू पहले नहा ले.. फिर हम खाना खाते हैं। मैंने तेरे लिए अंडे की अच्छी अच्छी चीजें बनाई हैं।
मैं ऊपर नहाने चला गया, कुछ मिनट में मैं नहा कर नीचे आ गया, हम दोनों ने मजे से खाना खाया और दूध पिया। माया- आई लव यू विकी.. मैं जिंदगी भर तेरा एहसान नहीं भूलूंगी, मैं तेरी दासी बनकर रहूँगी मेरे राजा!
उसने मुझे अपनी बांहों में लेकर अपने होंठ मेरे होंठों से लगा दिए और चूसने लगी, अब तो मुझे भी लिप किस करना आ गया था, मैंने भी अपने जुबान उसके मुँह में घुसेड़ दी, उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैं उसकी जुबान से अपनी जुबान टकराने लगा।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई.. माया नाराज हो उठी- आ गई साली चुदक्कड़.. रंडी.. उसने भुनभुनाते हुए गेट खोला और सरोज अन्दर आ गई।
सरोज ने ब्लैक गाउन पहना था, सरोज भी मस्त माल लग रही थी। अब मैं आपको सरोज के बारे में बता दूँ।
सरोज एक मुक्त ख्याल वाली मनचली चंचल लड़की है। उसने अपनी किशोरावस्था में ही पहला सेक्स अपने से 8 साल बड़े एक लड़के से किया था। उसके अलावा उसने अपने पड़ोस की किसी कुंवारी लड़की, शादी-शुदा भाभी, आंटी या सहेली तक को भी नहीं छोड़ा था।
आज वो 31 साल की सेक्सी साढ़े पांच फुट कद की मस्त माल थी। उसके लम्बे घने बाल थे और 36-26-38 का कामुक और मस्त फिगर था। गहरी झील से नशीली आंखें, मस्त गुलाबी गाल
लाल चटख होंठ थे। वो भी क़यामत से कम नहीं थी।
उसके ऐसे चाल-चलन से उसका पति नाराज था.. और इसी वजह से उसका तलाक हो गया था। वो माया को पाने की कब से फिराक में थी। एक रात उसने माया को अपने घर बुलाकर बहुत समझाया.. पर वो उसके साथ प्यार से नहीं मानी।
उस रात उसने माया पर पूरी रात जबरदस्ती की, उससे नोंचा, काटा पर माया नहीं मानी। क्योंकि माया की पसंद अपने से छोटे मर्द थे.. जो मैं उसे मिल चुका था। मैं उसके लिए एक बहुत सेफ सैटिंग था क्योंकि मैं उसके घर के अन्दर ही था।
जब सरोज ने माया नहीं मानी.. तो सीमा को फंसाकर उसे लेस्बियन बना कर रख दिया। आखिर लंड के अभाव में माया भी सरोज के साथ पट गई। अब सरोज सीमा को रात-रात भर चोदती है, सीमा और उसकी बहुत पटने लगी है। उन दोनों में इतना अधिक बनने लगी है कि आज उनका ये रूप देख कर मेरी समझ में सब कुछ आ गया था।
जब मैं वहाँ नहीं रहता था तो सीमा वहीं माया के कमरे में सोती थी और सरोज अपनी छत से वहाँ आ जाती थी। फिर रात-रात भर दोनों एक दूसरी की चूत को चाट चाट कर अपनी वासना पूर्ति करती थीं।
सरोज ने आते ही मुझे कस के अपनी बांहों में जकड़ लिया और मुझे चूमा ‘हाई जीजू..’ उसने मेरे लोअर में हाथ डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया- वाव.. क्या मस्त मूसल है। माया की चूत को इतना ठोक कि साली लाइन पर आ जाए.. वैसे वो मेरा माल है जीजू। आज हरामजादी की चूत को इतना चोदो.. कि उसकी चूत का भोसड़ा बन जाए और वो एक नंबर की चुदक्कड़ बन जाए। उसे इतना चीर दे कि साली दूसरी बार लंड लेना भूल जाए।
सरोज अभी मेरे लंड को मुठियाने लगी ही थी कि माया ने आकर कहा- तूने सिर्फ देखने का वादा किया था। इसे छोड़ साली छिनाल। सरोज- आधी उसकी हूँ पर तेरी तो पूरी हूँ। चूत चाटने का काम आए तो मुझे दे देना और साथ ही अन्दर की थोड़ी खुजली मिटा लूँ तो भी चलेगा.. क्यों जानू..?
हम सब जोर से हंस पड़े और मेन गेट पर ताला लगा के हम माया के कमरे में आ गए।
अब अगले भाग में इन दोनों के बीच में मेरी क्या गति होने वाली है.. आप अंदाज लगा सकते हैं,
To be continued
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
एक धमाकेदार चुदाई की ओर अग्रेसर
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Hot updateEpisode 8
आपने पढ़ा.. माया और सरोज मेरे साथ मस्ती करने लगी थीं। अब आगे..
माया ने अपने कमरे से दो बड़े बिस्तर बाजू वाले बड़े कमरे में ला कर नीचे डाल दिए थे ताकि किसी को बाहर आवाज न जाए। वो कमरा अन्दर कोने में था और बड़ा साफ़ सुथरा और खाली था। वहाँ पानी की ठंडी बोतल, तेल की बोतल और क्रीम आदि रखे थे। मैंने अपनी जेब से पेन किलर और कंडोम भी वहीं रख दिए।
माया ने सब अच्छा प्लान किया था ताकि नीचे तीनों आराम से लेट कर चुदाई कर सकें।
सरोज बड़े प्यार से मुझे लिपट कर चूमने लगी.. धीरे धीरे उसने मेरी टी-शर्ट को उतार फेंकी, उसकी जुबान मेरे मुँह घुस के ‘चपर-चपर..’ चल रही थी, उसकी नशीली आंखें मेरी आँखों में तड़पते हुए देख रही थीं।
गजब की प्यास थी और बड़ा गर्म था उसका शरीर.. सांसें तेज और वो वासना की मारे काँपे जा रही थी साली! आहिस्ता से उसने अपना एक हाथ से मेरे बरमूडा को झटके के साथ खींच कर नीचे उतार दिया, मैं अब केवल अपने काले निक्कर में था।
उसने निक्कर के ऊपर से ही मेरे तने हुए लौड़े को दबोच कर मुझे तड़पाना शुरू कर दिया। मैं काँप रहा था, मेरे शरीर से मानो बिजली का 440 वोल्ट का करंट पास हुआ हो। मेरे लंड में गजब की गुदगुदी हो रही थी और मेरे लंड के अन्दर से झटके आ रहे थे, मैं आंखें मूंद पाँव फैलाकर मजे ले रहा था, आह्ह.. क्या अहसास था।
तभी माया ने उसको पीछे से जकड़ा और उसकी चूचियां पीछे से जोर से रगड़ते हुए उसके कंधे को चूमना शुरू कर दिया। सरोज की यह कमजोरी वो जानती थी।
सरोज एकदम कसमसा उठी और उसने मुझे छोड़ दिया. अब वो माया की तरफ लपकी.. जोकि उसकी फेवरिट माल थी, उसने जोर से माया को अपनी बांहों लिया और उसे लिपलॉक किस कर दिया। सरोज ने अपनी जुबान माया के मुँह में डालकर जोर से खींच ली, सरोज बड़ी बेदर्दी से उसे चूस रही थी, दोनों जोश में एक दूसरी को बेतहाशा चूमने लगीं।
मैं तो बस साइड कलाकार होकर उन दोनों तड़प और प्यार महसूस कर उसे देखने का लुफ़्त ले रहा था। दोनों एक-दूसरे की जुबान को चूसे जा रही थीं ‘चप.. चपर.. पुच.. पुचर..’ साथ में दोनों आहिस्ता आहिस्ता मीठी आहें भर रही थीं ‘ऊऊम्म्म.. सास्स्सल्ली.. इस्सस माँ.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आउच.. आहह्ह्ह.. काट मत.. उम्म्म्म सीई.. इश.. चप.. आह्ह्हह्ह।’
वो दोनों इतनी मदहोश होकर एक-दूसरे को चूम रही थीं कि शायद मुझे भूल गई हों। सरोज माया के बालों को खींचती हुई
और उसके मांसल मम्मों को सहलाते हुए धीरे-धीरे उसके गाउन की ज़िप खोलने लगी।
उसने माया का गाउन एकदम से उतार फेंका। माया ने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था। गाउन उतरते ही साली पूरी की पूरी नंगी हो चुकी थी।
माया को नंगी देख कर सरोज और भी नशे में मस्त हो गई। वो उसके को पागलों की तरह उसके बड़े-बड़े हिलते स्तनों को जोर से दबोच कर उसके गुलाबी और टाइट निप्पलों को काटने लगी।
माया- आउच.. यार धीरे.. खून निकाल कर पी जाओगी क्या? ओह्ह्ह्ह.. सरू.. मजा आ रहा है। यार तेरे काटने से मेरी चूत में लवक लवक झटके आ रहे हैं.. अन्दर गुदगुदी होती है। अरे साली रंडी धीरे.. ओह्ह्ह्ह माँ.. फिर काट लिया सीईस.. ओह्ह माँ.. सीस आआआह्ह्ह.. सरोज उसे भूखी शेरनी की तरह बेदर्दी से नोच कर खा रही थी।
मैंने सोचा अगर औरतें ऐसे आपस में चुदवाने लगीं.. तो साला हम मर्दों के लंड का क्या होगा। पर असल में सरोज माया को मेरे लिए तैयार कर रही थी, वो उसे एक्दम गर्म कर रही थी और बीच बीच में मुझे आंख मारती जा रही थी।
कमरे में तो बस उन दोनों की कामुक आहें.. और मादक चीखों से गूंज भर रही थी ‘पुच.. पुच.. उम्ह्ह्ह.. अहह इस्स्स.. आहह्ह्ह.. मेरीईई.. माँआया.. ऊह्ह्ह्ह पुच.. पुच्च्च्च.. चप्प्प्पप चु चु ऊऊह्ह्ह.. चूऊ..त.. पा..नी.. छोड़.. र..ही..है, छोड़ सा..ली.. मैं.. क्या.. चुदवाऊँगीई..’
सरोज- माया मेरी जान.. तूने मुझे बहुत तड़पाया है.. माँआअ ओह्ह्ह.. सरोज ने गपक से उसकी चूत में अपनी उंगली घुसा दी और गाली देते हुए कहने लगी- साली चिकनी चूत.. तू तो अब पक्का मरेगी.. साली.. मादरचोद..
इसी के साथ सरोज माया के गुलाबी उन्नत और कठोर निप्पल मुँह में ले कर जोर-जोर से काटते हुए चूसने लगी। वो माया के बाएं स्तन को घुमा-घुमा कर भंभोड़ रही थी। मुझे लगा माया मर जाएगी।
माया आंखें बन्द करके सिसिया रही थी- ऊऊह्ह्ह मेरी जान ओह्ह्ह.. सरू मुझे कंपकपी और मीठा दर्द हो रहा है। विकी तू भी आजा मेरी जान.. वरना यह मुझे आज तेरे हाथ में नहीं.. आआने देगी.. आज ये अपनी भड़ास ही निकालेगी रंडी साली.. सरोज- आजा.. मेरे छोटे जीजू आजा..चल तुझे चोदने के अच्छे-अच्छे दांव सिखा दूँ आजा!
मैंने जाकर माया के बाएं स्तन को अपने मुँह में ले लिया और अपने एक उंगली उसके भारी चूतड़ों के बीच में उसकी गांड के छेद में घुसाने लगा।
फिर मैंने भी सरोज की तरह माया की चूची को दबोचते हुए थोड़ा और जोर से खींचते हुए उसकी निप्पल को चूसने लगा। मुझे भी चुदाई का नशा चढ़ गया था और मैं भी पागलों की तरह उसकी गांड के छेद को खोल-खोल उसमें उंगली घुसा रहा था।
हम दोनों ही माया को बुरी तरह से दबोचकर मानो उसके साथ जोर आजमाइश कर रहे थे। पर इस सब से माया को दुगना आनन्द मिल रहा था, वो काम के नशे में चिल्लाने और आहें लेने लगी। इसी जोश में आकर उसने सरोज की नाईटी खोल कर उतार फेंकी।
‘साली चुदक्कड़
ठहर जा.. अभी चीरती हूँ तेरी चूत और गांड को!’
वो दोनों नंगी और मस्ती में थीं और दोनों के मस्त कूल्हे पीछे से थपक-थपक झूल रहे थे। वो कभी मुझे तो कभी सरोज को चूमे जा रही थी।
माया- विक्कीईई.. लल्लाआआअ.. चूस ले.. आह्ह.. बस ऐसे ऐसे ही.. आआह्ह्ह.. सरू तू भी चूस साली.. अब तो तुझे मेरे पके आम खिला रही ऊह्हऊऊ आआह्ह्ह सीस साली कब से मेरे पीछे पड़ी थीईइ.. भैन की लौड़ी.. ओह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह.. लल्लाआ.. उम्म्मम्म हां ऐसे.. जोर.. से.. साआली सरू आज तूने मुझे खा ही लिया हरामखोर.. आआ ओहह.. ऊऊम्म्म उह्ह्ह.. साली चूत में तेरे नाख़ून चुभोती है.. आहिस्ता.. उंगली कर.. मुझे कुतिया समझा है क्या..?
माया ने सरोज के चूतड़ों पर जोर की ‘ठपाक..’ से चपत मारी। सरोज इस ठपाक की दुश्मनी माया की चूत पर उतार रही थी। उसने एक की जगह दो उंगलियां चूत में घुसेड़ दीं ‘गपाक…’ वो सरोज के चूतड़ों को अपनी हथेलियों से जोर-जोर से ठोक रही थी ‘थप.. थप..’
उधर उसकी मस्त चूत से चिकना पानी बह रहा था, इस चिकनाई ने उसकी गुलाबी चूत को और सेक्सी बना दिया था, वो बड़े जोश में चिल्ला रही थी। उसकी चूत में झटके आ रहे थे और वो बारी-बारी से अपनी आंखें मूंद कर अपनी चूत के ऊपर भगनासे को उंगली से मसल रही थी।
माया- चूस साली रंडी.. पूरी कर ले आज तेरी इच्छा.. आअह्ह्ह्ह.. साली.. जोर से काट.. फाड़ दे मेरी चूत… अहह… सरोज चूत से उंगली निकाल कर उसे चाटने लगी। सरू ने माया की चूत से उंगली निकाली.. तो मैंने ‘गप्प..’ से घुसेड़ दी।
माया- ओह्ह्ह्ह लल्ल्ला आहिस्ता.. ऊपर ले रगड़.. हां आहह.. जोर से लल्लाआ.. आआआह्ह्ह.. जोर से ऊपर की ओर कर.. हाँ.. बस वहीं.. जल्दी..कर..बस ऐसे ही.. आह्ह्ह.. माँआआअ.. ऊऊफ़्फ़्फ़ आगे.. जरा..औ..र.. तेज दबा..कर रगड़.. हाँ बस वहीं.. यस..हाँ बस आह्ह..
सरोज उसकी चूचियों को अपने दांतों से काटने लगी थी। माया अब एक हाथ से कभी मेरे बालों को तो कभी लंड को सहला रही थी और एक हाथ से सरोज के मांसल कूल्हों को अपनी हथेलियों से बजा रही थी ‘ठाप.. ठाप..’
एक तरफ चूसने की आवाज़ ‘पुच.. पुच.. पचाक.. चपर.. स्लर्प..’ आ रही थी। उधर दूसरी तरफ सरोज की गर्म सांसें उसकी चूचियों से टकरा रही थीं। सरू अब पागलों की तरह माया को चूसे ही नहीं.. बल्कि खाए जा रही थी।
पूरा कमरा उन दोनों की मीठी आहों से गूंज रहा था। क्या नशीला माहौल था।
मेरी पहली चुदाई और वो भी दो-दो चुदक्कड़ लड़कियों से
आज मुझे स्वर्ग का आनन्द मिल रहा था। मुझे सीमा की भी याद आ रही थी।
माया- आआह्ह्ह्ह.. उईई ओह्ह्ह आआअ माँआआ.. ऐसे ही जोर से खा जा.. स्स्स्सूउर.. लल्लाआआ दाना खींच कर चूस आह.. हाआअ ओह्ह्ह्ह। सरोज ने उसे धक्का देकर बिस्तर पर गिराया और मर्दों की तरह उसपर चढ़ कर उसकी दोनों भारी चूचियां रगड़ते-रगड़ते मुझसे हाँफते हुए, काँपते हुए स्वर में कहा- आ जा मेरे छोटे दूल्हे.. तुझे अब चूत चूसना सिखा दूँ।
सरोज का चेहरा लाल हो गया था। वो कांप रही थी। साथ ही बड़े ही नशे में थी। उसके कूल्हे लाल चटख हो गए थे। उसने माया के कूल्हों को उठाया और नीचे तकिया रखा ताकि उसकी चूत का छेद ठीक से ऊपर आ जाए और खुल कर फूल की तरह खिल जाए।
मैंने पहली बार इतनी नजदीक से चूत की लाल चटख फांकों को देखा था। ओहह.. क्या मस्त चूत थी माया की..! उसकी गुलाबी कसी हुई चूत के ऊपर की लाल पंखुड़ियां एकदम बन्द थीं.. उसे सरोज ने खोला, वो सीलपैक माल थी। यारों.. अब मुझे ज्ञात हुआ कि लड़के चूत के पीछे इतना पागल क्यों होते है।
उसकी चूत को देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया। मेरे लंड का तो हाल बहुत बुरा ही था, उस पर झटके आ रहे थे और वो तन कर निक्कर पर अपना सर.. यानि सुपारा ठोक रहा था।
उधर माया और सरोज की चूतें चिकना पानी छोड़ रही थीं। उनकी कसी हुई चूत मुलायम झांटों से ढंकी और भी मस्त लग रही थी, जिसे देखकर मेरा लंड झटके देता हुआ ऐसा तन गया कि मुझे लगा कि इसके अन्दर का खून लंड की नसों को फाड़ कर बाहर आ जाएगा।
उसकी मखमली झांटें भी चूत के पानी से गीली थीं। सरोज ने उसकी उभरी गुलाबी चूत की पंखुड़ी को लपक कर अपने मुँह में लिया, तो वो चिल्लाई ‘इस्स्स्स.. उईईईए..’ सरोज उस पर अपनी जुबान बड़े प्यार से घुमा कर रगड़ रही और उसे तड़पा रही थी।
मेरे सामने माया और सरोज लेस्बियन सेक्स में लिप्त थीं। मुझे उन दोनों को चोदने का मौका कब मिलेगा.. मैं यही सोचने लगा।
कहानी जारी है।
Kamuk updateEpisode 9
अब तक आपने पढ़ा.. माया और सरोज के लेस्बियन सेक्स के साथ मैं भी अपना लंड चुसाने का मजा ले रहा था। अब आगे..
वो अपने दाँतों को चूत पर दबाते हुए कहने लगी- साल्ल्ली.. आज तुझे काट के खाऊँगी.. ले साली मादरचोद.. मुझे तूने बहुत ललचाया था.. पर ले साली रंडी! सरोज अपनी जुबान को नुकीली करके माया की चूत के फांकों को चोदने लगी, मैं उसको बड़ी बेताबी से उसे देखकर चूत चाटना सीख रहा था।
सरोज बड़ी बेदर्दी से माया की चूत काट-काट कर चूस रही थी और अन्दर अपनी जुबान घुसेड़ रही थी। वो बड़ी हैवान हो कर उसे काट रही थी और खुद भी तड़प रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे एक भूखी शेरनी हिरन को काट-काट कर खा रही हो।
सरोज- आआह्ह साली माया.. तेरी चूत का रस काफी मीठा है.. उम्म्म ला इसे खा खाकर चीर दूँ… लपक लपक.. चपर.. चप.. सीई.. माया- उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह्ह्ह साली मादरचोद.. मुझे अन्दर झटके.. आआ रहे हैं.. उईई माँ सस सस.. उफ्फ जोर से लल्लाआअ अआजा.. मुझे अपनी बांहों में ले ले अह्ह्ह ससरू.. मुझे बहुत कुछ आहह.. हो रहा है.. इस्स्स ओफ्फ!
मैंने भी कसके माया के निप्पल को मुँह में लेकर काटना शुरू कर दिया तो वो उछल पड़ी और वो अपने पैरों से सरोज का चेहरा दबोच कर चूत की तरफ दबाने लगी, साथ ही माया मेरे सर को खींचकर अपने चूचियों की ओर दबाने लगी।
माया- मम्मा.. आआह्ह्ह उफ्फ्फ.. इसी तरह जोर से.. हाँ ऐसे ही चूस लल्ला.. ओह्ह्ह माँ मैं मर गई.. ओह्हह ऊऊम्म सरू.. विकी.. ओह्ह्ह मा..र.. दोगे क्या.. आह.. सरू तेरे दांत चुभते हैं साली.. मार ही देगी.. धीरे कर कुतिया.. आह्ह्ह सरू..
माया की चूत और चूचियों की एक जोरदार और जबरदस्त चुदाई हो रही थी। वो मछली की तरह तड़प रही थी। कमरे में एक जोरदार जंग चल रही थी और नशे का आलम था।
दोस्तो, यह कहानी लिखते हुए इतने सालों बाद भी मेरा लंड कड़ा हो कर पानी छोड़ रहा है। मैं आपको क्या कहूँ.. सच में कहानी लिखते हुए ही मेरा कई बार पानी निकल गया।
माया अपनी कमर को ऊपर उठाकर सरोज को और मेरे चेहरे को अपने स्तनों पर दबाकर आंखें बन्द करके काँपते हुए लफ्जों से हमें थैंक्स कह रही थी।
साथ ही माया सरोज को गालियां भी दे रही थी- साल्ली रंडी ने आखिर मुझे नहीं बक्शा.. अहह.. साली मुझे आखिर चोद कर ही छोड़ा.. ओह्ह्ह विकी खा जा मेरे लाल हह्ह्ह्हा आहह्ह्ह ऊऊऊ.. चाट साली
बना दे मेरे विकी को भी एक नंबर का पति.. साली तू जानती है एक औरत को कैसे सुख दिया जाता है।
वो सरोज को बीच बीच में पीट भी रही थी और सरोज उसका बदला चूत से ले रही थी। पूरे कमरे में मीठी सीत्कारें और चूसने की आवाजें गूँज रही थीं। लगभग दस मिनट हम दोनों माया को बेदर्दी से रगड़ते रहे। पता नहीं अब मुझे भी माया पर दया नहीं आ रही थी। मैं भी अपने दांतों को मिसमिसा कर उसे चूस रहा था।
माया सिसकार रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
अंत में उसका पूरा शरीर एकदम से अकड़ा और उसने खींच कर मुझे बुरी तरह से अपने चूचियों पर दबोच लिया और जोर से चिल्लाई ‘आआह्ह्ह्ह.. लल्ला कसके.. ओह्ह्ह्हह माँ आआह्ह्ह..’ वो जोरदार झटकों के साथ काँपते हुए, अपने पैरों को सिकोड़ते हुए झड़ गई- हाआअ.. माँआअ सरू मैं मरी..ईईईई.. ऊऊफ़्फ़.. और माया मुझे अपने स्तनों पर जकड़ते हुए झड़ गई। उसने सरोज के मुँह में अपना गरमा-गरम कामरस छोड़ दिया।
सरोज बड़े प्यार से कुतिया की तरह अपनी जुबान से उसकी चूत चाट रही थी।
माया अब भी झड़ते हुए हिलक सी रही थी ‘ओह.. माँ.. मैं मरीईई.. ओह्ह्ह्ह.. ओफ्फ..’
मैंने उसके होंठ पर अपने होंठ जड़ दिए और उसे चुप करा दिया।
माया आंख बन्द कर बिस्तर पर ढेर हो गई.. उसका पसीना छूट गया था। वो जोरो से हाँफ रही थी। उसका शरीर तप कर लाल लोहा बन कर हमें जला रहा था। वो ऐसी बिल्कुल नंगी मचलती मछली सा तड़पते हुए शांत हो गई। उसकी आंखें बन्द थीं और मैं उसकी जोरदार लपेट में फंसा था। इस अवस्था में वो और भी मस्त लग रही थी।
सरोज- देखा मेरे राजा.. चूत ऐसे चाटते हैं। अब तुझे मेरी चूत ऐसे ही चाटनी है।
माया की छाती से खींचकर उसने मुझे अपनी नंगी छाती से चिपका कर मेरे गले को चूमते हुए दाँतों से मेरे कंधे और गले को काटा.. तो मेरा तना हुआ लाल चटख लवड़ा 90 डिग्री के कोण में ऊपर को खड़ा हो गया। मैं कांप उठा- ऊफ्फ सरू.. आहिस्ता आह्ह्ह्ह!
वो घुटनों के बल बैठ गई, मेरा खीरे जैसा बड़ा लाल चटख लंड हिलने लगा, उसने लपककर मेरे लंड को अपने मुँह में खींच लिया। जैसे कोई नाग चूहे को खा लेता है।
वो मेरा लंड पूरा का पूरा अपने मुँह में घुसेड़ कर अन्दर उस पर अपनी जुबान रगड़ रही थी। वो मेरे लंड को अपनी गीली जुबान से मलते हुए खींच-खींच कर चूस रही थी।
‘चप.. चाप.. पुच.. पुच..’ की आवाज़ आने लगी। सरू साली थकती ही नहीं थी, बस लंड चूसने की आवाज़ आ रही थी।
मैं बहुत तड़प रहा था। मेरे लंड में सनसनी हो रही थी। मैं कहीं का न रहा। अब तो मैं खड़ा भी नहीं रह सकता था ‘ओह्ह्ह्हह
सरू.. मेरी..जा..न..’
मैं भी जोश में आके उसका चेहरा पकड़ कर उसे आगे-पीछे करने लगा। कमरे में बस चुसाई की आवाजें आ रही थीं। मेरी आंखें बन्द थीं और सांसें तेज थीं।
एक जबरदस्त चिंगारी मेरे लंड पर लग रही थी। मुझे ऐसा अहसास कभी भी नहीं मिला था। बिजली का झटका मेरे लंड पर झटके दे दे कर उससे एक मीठा दर्द दे रहा था।
ऊपर लंड पर सरू की जीभ चल रही थी। नीचे उसकी चूचियां और ऊपर से चूतड़ हवा में हिल रहे थे। वो तो बस मेरे लंड को खाए जा रही थी। ऐसा क्यों ना हो.. छह महीने बाद उसे ऐसे बिना झांटों का मस्त लंड चूसने को मिला था, वो कोई मौका गंवाना नहीं चाहती थी। एक तरफ मेरा लंड और एक तरफ माया उसकी जान.. जो उसे बड़े अच्छे नसीब से आज अच्छी तरह से मिल गई थी, वो तो बस ‘पुच.. पुच..’ करके मेरे लंड का रस चूस रही थी।
अचानक उसने मेरे लंड को बाहर निकाला और चिल्लाई- साला तू झड़ता क्यों नहीं है..? इतना बड़ा लौड़ा.. मेरी जान लेगा क्या..!
ऐसे मैं कैसे झड़ जाता.. मुझे माया ने थोड़ी देर पहले ही मेरे लंड को चूस-चूस कर झड़वाया था। पर सरोज बहुत ज्यादा आनन्द दे रही थी।
उसकी चूत भी एकदम गीली थी, उस पर एक भी बाल नहीं था, उसकी गुलाबी चूत भी बड़ी मस्त दिख रही थी। मेरा लंड एकदम टाइट हो कर लोहा हो गया था।
वो थक गई थी, उसे और कुछ न सूझा तो उसने साइड पर पड़ी तेल की बोतल उठाई और उसमें से तेल निकाल कर मेरे लौड़े पर उसे जोर से मलने लगी। जब मेरा लंड एकदम कड़ा लोहे जैसा और तेल से जोरदार चिकना हो गया तो उसने मुझे माया की ओर लेकर इसके पैरों के पास घुटनों के बल बिठा दिया।
सरोज- चल मेरी मायादेवी.. सुहागरात के लिए तैयार हो जा.. तेरा असली साजन तेरी चूत में अपनी बारात ले जा रहा है।
माया ने अपनी नशीली आंखें खोल लाचारी से बोली- यार आहिस्ता से.. मैं तुम दोनों की प्रेमिका हूँ.. जरा प्यार से डालना.. पहली बार है तो दुखेगा यार..
सरोज- दुखेगा क्या.. इसकी चूत को तो चीर के फाड़ देना लल्ला.. साली हरामखोर.. लंड देखा तो चुदने तैयार हो गई, पर मेरी एक न मानी.. मेरी चूत से तुझे क्या कांटे लगने वाले थे? रुक साली रंडी.. अभी तेरी चूत का भोसड़ा बनवाती हूँ। माया- यार ऐसा न बोल.. प्लीज मेरी जान.. जरा दया रख अपनी जानू पर.. सरोज- तो मेरी जान जरा अपनी टाँगें फैला कर थोड़ी ऊँची कर और अपना शरीर एकदम ढीला छोड़
चल हम आहिस्ता से करवाएंगे.. है न लिटिल जीजू..!
माया ने तकिए पर ही अपनी टाँगें फैलाईं और चूत की फांकों को चौड़ा किया। माया की लाल चटख गीली चूत.. मुलायम झांटों से ढंकी चूत.. मेरी मौज बनी जा रही थी दोस्तों..
सरोज ने मुझे माया पैर फैलाकर उसके बीच घुटनों के बल बिठाया। मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत के मुँह पर सटा कर बोल उठी- चल छोटे जीजू.. फाड़ दे साली की बुर.. पेल साली को बिना रोके.. पेल दे.. मेरे लल्ला.. उसने मुझे जोर से चूमा और पीछे से धक्का दे दिया।
मुझे अपने मन में माया की छोटी सी कसी हुई गुलाबी बुर देख कर दया आई, मैंने आहिस्ता से अपना लंड उसकी गीली बुर की फांकों पर दबाया तो वो फ़िसल कर साइड में हो गया। माया आंखें बन्द करके कंपकंपाती हुई अपने दांतों से होंठों को दबा कर मेरे लंड के वार की मानो राह देख रही थी।
अभी भी आंख बन्द करके अपने होंठों को दबा के मस्त हो ही रही थी कि सरोज ने मेरे गर्म चिकने लोहे को चूत के मुँह पर फिर से टिकाकर मेरे कूल्हों को जोर से धक्का मारा तो मेरा आधा लंड माया की कोमल कसी चिकनी गीली चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया।
सरोज बड़ी मस्त होते हुए अपने दांतों को पीसते हुए मजा लेने लगी- ठोक साली चुड़ैल रंडी को.. ठोक ठोक.. इतना ठोक कि इसकी बुर का भोसड़ा बन जाए। सरू दांतों को पीस कर माया पर झपटने को कह रही थी। ‘साली ने मुझे बहुत तड़पाया है।’
माया- ओह्ह्ह्ह.. सरू मैं मर गई साली.. ओह्ह्हह्ह.. माँ फाड़ दी.. ओह्ह्ह्ह.. ये क्या किया साली.. मुझे बोल तो देती।
माया के पैर कंपकंपाने लगे थे। उसकी आँखों में पानी आ गया। वो दर्द के मारे छटपटा रही थी। अपनी बुर से मेरा लंड बाहर करने की नाकाम कोशिश करने लगी।
मुझे दया आ गई.. मैं अपना लंड निकाल ही रहा था कि सरोज और एक जोर धक्का मारा और कहा।
सरोज- साले अनाड़ी.. अभी मत निकाल.. निकाल कर तूने फिर से डाला तो फिर इसको और भी दुखेगा। बस.. अब तो हो जाएगा.. तू इसे पूरा घुसेड़ दे और फाड़ दे साली की चूत, साली माया.. बहुत गुमान था ना तुझे अपनी चूत पर.. ले साली लेती जा लंड.. चुद अब.. विकी बना दे इसकी चूत को चीर के भोसड़ा..
दोनों काम वासना में तप कर लाल हो गई थीं। माया की चूत तो इतनी गर्म थी.. ओह्ह्ह कि मेरा लंड झुलसने लगा था।