हीतेश अंदर नहाने चले गए है, खाना तो में तैयार कर चुकी थि, और कोई काम था नहीं और खिड़की में आकर खड़ी हो गई . बाहर निचे लोग इधर से उधर जा रहे थे, किसे क्या पता था की आज एक माँ और उनके बेटे की सुहागरात है.
ये ख्याल आते ही मुझे कुछ होने लगा. कितना अजीब लगा था उस वक़्त जब माँ ने मुझे हीतेश से शादी करने को कहा था. कितना मुश्किल था मेरे लिए हा कहना. पर इतना में जानती थी की हीतेश मुझे बहुत प्यार करता है. मैंने उसकी आँखों में अपने लिए वो भाव कई बार देखे थे, पर उसने कभी ऐसी कोई हरकत नहीं की जिससे मुझे लगे की ये प्यार नहीं वासना है. शायद ये ही सबसे बड़ा कारन था की में शादी के लिए तैयार हो गई
दिल से हीतेश को अपना पति मान लिया है पर फिर भी कहीं दिल के किसी कोने में एक डर सा समाया हुआ है कितनी बड़ी हु में उम्र में उससे, आज नहीं तो कल ये फरक दिखने लगेगा, तब क्या होगा. क्या में उनका पूरा साथ दे पाउँगी. आज की ख़ुशी के साथ साथ आने वाला कल मुझे डरा रहा था.
ये डर कितना बेबूनियाद है में अच्छी तरहा जानती हु, क्यूँकि हमारा रिश्ता प्रेम के धागो से जुड़ा है, पर न जाने कयूं मेरे मन में एक उथल पुथल फिर भी मची रेहती है.
कीतने शरारती हो गए है, कैसी कैसी हरकतें करने लग गए है.
ओह वो चुम्बन अब भी मेरी साँसों में घुला हुआ है. अगर मम्मी का फ़ोन नहीं आता तो न जाने हम कितनी देर तक……. छि... छि….. ये क्या सोचने लग गई में.
अब मुझे खुद को पूरा बदलना है एक माँ की जगह एक पत्नी का रूप लेना है पर क्या वो माँ मर जायेगी क्या में सच में उस माँ का गाला घोट पाउंगी और सिर्फ एक पत्नी बन के रह पाउंगी कुछ समझ नहीं आ रहा ... शायद वक़्त के हवाले सब करना पड़ेगा ... वक़्त ने हमारी शादी कारवाई है और इस समस्या का हल भी वक़्त ही निकालेगा.
कतना तड़प रहे हैं मुझे छूने के लिए और में --- क्या में भी ... उफ़ ... शायद हाँ--- आज कितने बरसों के बाद ... कोई मुझे एक औरत समझ के प्यार करेगा --- कोई कहाँ ... मेरा अपना ही बेटा ... जो अब मेरा पति बन चुक्का है.मम्मी भी कैसे कैसे इशारे कर रही थी ... की अब में जल्दी माँ बन जाऊ ... शायद इस्लिये क्यूँकि मेरे पास वक़्त कम है ... उम्र जैसे जैसे बढ़ती है ... माँ बन्ने में कठिनाइयँ आने लगती है. ... क्या सब कुछ ठीक होगा ... है ... ये क्या सोच्ने लग गई में.
अभि तो हमें ... उफ़ ... कैसे कर पाउंगी ... जब वो मुझे ... न ... कितनी शर्म आ रही है ... दिल कितना जोरों से धड़क रहा है.
क्यों एक नयी सी उमंग दिल में पैदा हो रही है ... आज में फिर से सुहागन बन गई हु ... फिर से सुहागण- शायद ही कोई ऐसी औरत होगी ... जो अपने ही बेटे की सुहागन बनती होगी ... लेकिन इन बातों को सोचने से अब क्या ... अब तो में सुहागन बन चुकी हु ... ये प्यारे प्यारे रंग जो मेरी जिंदगी से चले गए थे- हीतेश उन्हें फिर मेरी जिंदगी में ले आये. हीतेश मेरा बेटा ... मेरा पति- मेरा सब कुच.
क्या में साथ दे पाउंगी सुहाग रात में ... कितने सपने सजाये होंगे हीतेश ने ... कितने अरमान होंगे हीतेश के- क्या में उन्हें पूरा कर पाउंगी ... क्या में ... क्या वो मुझे समझ पाएँगे ... मेरे दिल की हालत ... एक अड़चन कहीं न कहीं अब भी दिमाग में रहती है .
छोड़ो ... देखते हैं क्या होगा ... मुझे विश्वास है वो मेरे दिल की बात जरूर समझ जायेंगे ... मुझे वक़्त देंगे अपने इस नये रूप में पूरी तरहा ढ़लने के लिये. दिल तो मेरा भी बहुत करने लगा है उनके बाँहों में समाने का ... पर एक डर भी लगता है.
कल में मम्मी पापा की शरण में थि, आज मुझे मेरा घर मिल गया ... मेरा घर ... मेरे हीतेश का घर ... हमारा घर . अब यही मेरा नया संसार है ... जो अनुभुति मुझे इस वक़्त हो रही है वो शायद में कभी शब्दों में बयान नहीं कर पाउँगी.
एक सुखद अहसास हो रहा है अपने इस नए घर में आने का ... मम्मी पापा से दूर होने का दुःख भी है पर ... आज मुझे ये भी मेहसुस हो रहा है अब में फिर से पूरी हो जाउँगी ... वो सुख जो हीतेश के पापा दिया करते थे ... वो सुख जिसे में भूल गई थी ... वो सुख जो हर नारि की तमन्ना होती है ... जो हर नारी को उनके पुरे होने का अहसास करता है ... वो सुख अब मुझे मेरा हीतेश देगा कितना खूबसूरत है हितेश बिल्कुल अपने पापा तरह जैसे वह फिर आ गये हो हितेश के रूप में ... में फिर से सपनो में उड़ने लगूँगी ... फिर से मेरी कामनाओ को पंख मिल जायेंगे ... फिर से मेरी जिंदगी में सपनो की बहार आ जायेगी ... फिर से मुझे कोई थाम लेगा ... मुझे एक नई दिशा देगा ... अपना पूरा प्यार देगा ... मेरा हीतेश फिर से मुझे पूरा कर देगा.
पता नही क्यों मेरे लब पे ये गीत आ गया ... “अब तो है तुमसे हर ख़ुशी अपनी” ---- में खो गई ... अब मुझे सड़क पे चल्ने वाले लोग नहीं दिख रहे थे ... ये गीत मुझे मेरे हीतेश के पास ले जा रहा था ... मेरा खुद पे बस ख़तम हो रहा था ... में उनका इंतजार कर रही थी कितना देर लगाते है नहाने में.
ये ख्याल आते ही मुझे कुछ होने लगा. कितना अजीब लगा था उस वक़्त जब माँ ने मुझे हीतेश से शादी करने को कहा था. कितना मुश्किल था मेरे लिए हा कहना. पर इतना में जानती थी की हीतेश मुझे बहुत प्यार करता है. मैंने उसकी आँखों में अपने लिए वो भाव कई बार देखे थे, पर उसने कभी ऐसी कोई हरकत नहीं की जिससे मुझे लगे की ये प्यार नहीं वासना है. शायद ये ही सबसे बड़ा कारन था की में शादी के लिए तैयार हो गई
दिल से हीतेश को अपना पति मान लिया है पर फिर भी कहीं दिल के किसी कोने में एक डर सा समाया हुआ है कितनी बड़ी हु में उम्र में उससे, आज नहीं तो कल ये फरक दिखने लगेगा, तब क्या होगा. क्या में उनका पूरा साथ दे पाउँगी. आज की ख़ुशी के साथ साथ आने वाला कल मुझे डरा रहा था.
ये डर कितना बेबूनियाद है में अच्छी तरहा जानती हु, क्यूँकि हमारा रिश्ता प्रेम के धागो से जुड़ा है, पर न जाने कयूं मेरे मन में एक उथल पुथल फिर भी मची रेहती है.
कीतने शरारती हो गए है, कैसी कैसी हरकतें करने लग गए है.
ओह वो चुम्बन अब भी मेरी साँसों में घुला हुआ है. अगर मम्मी का फ़ोन नहीं आता तो न जाने हम कितनी देर तक……. छि... छि….. ये क्या सोचने लग गई में.
अब मुझे खुद को पूरा बदलना है एक माँ की जगह एक पत्नी का रूप लेना है पर क्या वो माँ मर जायेगी क्या में सच में उस माँ का गाला घोट पाउंगी और सिर्फ एक पत्नी बन के रह पाउंगी कुछ समझ नहीं आ रहा ... शायद वक़्त के हवाले सब करना पड़ेगा ... वक़्त ने हमारी शादी कारवाई है और इस समस्या का हल भी वक़्त ही निकालेगा.
कतना तड़प रहे हैं मुझे छूने के लिए और में --- क्या में भी ... उफ़ ... शायद हाँ--- आज कितने बरसों के बाद ... कोई मुझे एक औरत समझ के प्यार करेगा --- कोई कहाँ ... मेरा अपना ही बेटा ... जो अब मेरा पति बन चुक्का है.मम्मी भी कैसे कैसे इशारे कर रही थी ... की अब में जल्दी माँ बन जाऊ ... शायद इस्लिये क्यूँकि मेरे पास वक़्त कम है ... उम्र जैसे जैसे बढ़ती है ... माँ बन्ने में कठिनाइयँ आने लगती है. ... क्या सब कुछ ठीक होगा ... है ... ये क्या सोच्ने लग गई में.
अभि तो हमें ... उफ़ ... कैसे कर पाउंगी ... जब वो मुझे ... न ... कितनी शर्म आ रही है ... दिल कितना जोरों से धड़क रहा है.
क्यों एक नयी सी उमंग दिल में पैदा हो रही है ... आज में फिर से सुहागन बन गई हु ... फिर से सुहागण- शायद ही कोई ऐसी औरत होगी ... जो अपने ही बेटे की सुहागन बनती होगी ... लेकिन इन बातों को सोचने से अब क्या ... अब तो में सुहागन बन चुकी हु ... ये प्यारे प्यारे रंग जो मेरी जिंदगी से चले गए थे- हीतेश उन्हें फिर मेरी जिंदगी में ले आये. हीतेश मेरा बेटा ... मेरा पति- मेरा सब कुच.
क्या में साथ दे पाउंगी सुहाग रात में ... कितने सपने सजाये होंगे हीतेश ने ... कितने अरमान होंगे हीतेश के- क्या में उन्हें पूरा कर पाउंगी ... क्या में ... क्या वो मुझे समझ पाएँगे ... मेरे दिल की हालत ... एक अड़चन कहीं न कहीं अब भी दिमाग में रहती है .
छोड़ो ... देखते हैं क्या होगा ... मुझे विश्वास है वो मेरे दिल की बात जरूर समझ जायेंगे ... मुझे वक़्त देंगे अपने इस नये रूप में पूरी तरहा ढ़लने के लिये. दिल तो मेरा भी बहुत करने लगा है उनके बाँहों में समाने का ... पर एक डर भी लगता है.
कल में मम्मी पापा की शरण में थि, आज मुझे मेरा घर मिल गया ... मेरा घर ... मेरे हीतेश का घर ... हमारा घर . अब यही मेरा नया संसार है ... जो अनुभुति मुझे इस वक़्त हो रही है वो शायद में कभी शब्दों में बयान नहीं कर पाउँगी.
एक सुखद अहसास हो रहा है अपने इस नए घर में आने का ... मम्मी पापा से दूर होने का दुःख भी है पर ... आज मुझे ये भी मेहसुस हो रहा है अब में फिर से पूरी हो जाउँगी ... वो सुख जो हीतेश के पापा दिया करते थे ... वो सुख जिसे में भूल गई थी ... वो सुख जो हर नारि की तमन्ना होती है ... जो हर नारी को उनके पुरे होने का अहसास करता है ... वो सुख अब मुझे मेरा हीतेश देगा कितना खूबसूरत है हितेश बिल्कुल अपने पापा तरह जैसे वह फिर आ गये हो हितेश के रूप में ... में फिर से सपनो में उड़ने लगूँगी ... फिर से मेरी कामनाओ को पंख मिल जायेंगे ... फिर से मेरी जिंदगी में सपनो की बहार आ जायेगी ... फिर से मुझे कोई थाम लेगा ... मुझे एक नई दिशा देगा ... अपना पूरा प्यार देगा ... मेरा हीतेश फिर से मुझे पूरा कर देगा.
पता नही क्यों मेरे लब पे ये गीत आ गया ... “अब तो है तुमसे हर ख़ुशी अपनी” ---- में खो गई ... अब मुझे सड़क पे चल्ने वाले लोग नहीं दिख रहे थे ... ये गीत मुझे मेरे हीतेश के पास ले जा रहा था ... मेरा खुद पे बस ख़तम हो रहा था ... में उनका इंतजार कर रही थी कितना देर लगाते है नहाने में.