दवाई का असर जल्द ही सुगंधा पर हुआ और वह धीरे-धीरे नींद की आगोस में चली गई,,,, कुछ देर तक अंकित अपनी मां के पास ही बैठा रहा बार-बार वह अपनी मां के सर पर हाथ रखकर उसके बुखार को देख रहा था जो की धीरे-धीरे उसका सर ठंडा हो रहा था इसका मतलब था कि उसका बुखार उतर रहा है और बुखार उतरने से अंकित को भी राहत मिल रही थी,,,,।
सुगंधा की तड़पती जवानी
सुगंधा का तो बुखार उसका बुखार में तपता हुआ शरीर दवा खाकर धीरे-धीरे,, ठंडा होने लगा था लेकिन ,,, अपनी मां की मदहोश कर देने वाली गर्म जवानी देखकर,, अंकित के दिल और दिमाग पर अपनी मां की जवानी का बुखार चढ़ चुका था,,,, अपनी मां को गहरी नींद में सोता हुआ देखकर धीरे से अंकित बिस्तर पर से उठा और कमरे के बाहर आकर बैठ गया और अपनी मां के बारे में सोचने लगा जो कुछ भी हुआ था उसके बारे में सोचने लगा उसे पल के बारे में सोचने लगा जो उसके जीवन में अभी-अभी आकर गुजर गया था,,,। लेकिन अंकित इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि जो पल अभी-अभी उसके जीवन में गुजरा था वह पल नहीं था बल्कि आंधी और तूफान था जो उसकी जिंदगी में बहुत बड़ा बदलाव करने के लिए आया था,,,,।
अपनी मां के साथ तो बहुत बार दवा खाने आया गया था लेकिन यह पहली बार था जब वह अपनी मां को दवा खाने लेकर गया था उसे दवा दिलाने के लिए और दवा खाने में जो कुछ भी हुआ था उसके बारे में सोच कर खुद अंकित की हालत खराब हुए जा रही थी,,,, पहले वाला अंकित होता तो शायद डॉक्टर की हरकत परवाह डॉक्टर को भला बुरा सुना देता या उसे पर हाथ भी उठा देता क्योंकि तब उसमें औरत को लेकर कोई समझदारी नहीं थी वह अपनी मां को एक मां के ही नजरिए से देखा था औरत के नजरिए से नहीं लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल चुके थे,,, क्योंकि अब वह अपनी मां को मां के नजरिए से नहीं बल्कि है जवानी से भरी हुई औरत के नजरिया से देखा था और इसीलिए शायद डॉक्टर की मनसा को अच्छी तरह से समझता था,,,,।
सुगंधा
डॉक्टर के चेहरे को देखकर वह समझ गया था कि उसकी मां की गर्म जवानी उसके लावे को पिघलाने के लिए काफी थी,,, दवा खाने के अंदर गुजरा हुआ एक तरफ से किसी फिल्म के दृश्य की तरफ उसकी आंखों के सामने घूम रहा था जब अपनी मां को डॉक्टर के केबिन में ले गया उसे डॉक्टर के सामने कुर्सी पर बैठाया तो डॉक्टर उसकी मां को देखा ही रह गया था खास करके उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों की तरफ से तो उसकी निगाह हट ही नहीं रही थी,,, बुखार के चलते उसकी मां को बिल्कुल भी होश नहीं था और उसके साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे सड़क गया था जिसके कारण उसकी मां का भारी भरकम चूची वाला हिस्सा डॉक्टर दिखाई दे रहा था और यह देखकर डॉक्टर के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था इस बात का एहसास अंकित को बहुत अच्छे से था,,,,।
आला लगकर बुखार चेक करने के बहाने संजू को साड़ी का पल्लू हटाने के लिए बोलना और आला को चूचियों पर रखकर धीरे-धीरे दबाना उंगलियों से उसकी चूची का स्पर्श करना या सब हरकत अंकित को बहुत अच्छे से समझ में आ रहा था लेकिन अंकित कुछ बोल नहीं पा रहा था एक तरह से अंकित अपनी मां की जवानी के आगे डॉक्टर को पिघलते हुए देखने में मजा आ रहा था,,,,, उसके बाद डॉक्टर का सुई लगाना जहां अधिकतर डाक्टर औरत को उसकी मां पर सुई लगाते हैं वही वह डॉक्टर जानबूझकर उसकी मां के नितंबों पर सी लग रहा था एक बहाने से वह उसके गोरी गोरी नितंबों के उधर को देखना चाहता था,,, जिसमें वह सफल भी हो गया था यह सब सो कर अंकित अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी में जब डॉक्टर इस तरह की हरकत कर रहा था अगर वह नहीं होता उसकी मां डॉक्टर की क्लीनिक में अकेले ही होती तो डॉक्टर ना जाने कौन-कौन सी मनमानी उसकी मां के साथ करता,,,,।
सुगंधा
यह सब याद करते हुए अंकित की हालत खराब हो रही थी यहां तक की उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और वह अपनी मां के कमरे के बाहर से उठकर हुआ अपने कमरे में चला गया और दरवाजा बंद कर दिया और अपने कमरे में जाते हुए धीरे-धीरे अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया आखिरकार उसे पर भी अपनी मां की जवानी का नशा चढ़ा था और नशे के आधीन होकर अंकित मजबूर हो गया था अपने कपड़े को उतार कर निर्वस्त्र होने में देखते-देखते वह एकदम नंगा होकर अपनी बिस्तर पर लेट गया था पीठ के बाल लाकर वह अपनी मां के बारे में सोच रहा था और इसी बीच उसे बाथरूम वाला वाक्या याद आ गया,,, और इस दिल से को याद करके तो उसके लंड की नसें फटने जैसी हो गई वह पूरी तरह से अपने बदन में उत्तेजना का संचार होता हुआ महसूस कर रहा था वह मदहोश हो चुका था अपनी मां की गदराई जवानी को देखकर,,,।
अंकित इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां बुखार के नशे में थी बेशुध थी उसे बिल्कुल भी होश नहीं था,,,, अंकित को बहुत मौका मिला था अपनी मां की मदद कर देने वाली जवानी के अंगों को छूने को उसे स्पर्श करने को उसे अपने हाथों में लेकर दबाने को लेकिन हालात को देखते हुए अंकित ऐसा नहीं कर पाया था क्योंकि मौका और जगह दोनों अंकित की चाह से विपरीत थे,,,, बाथरूम वाला वाक्या याद करके अंकित अपने खड़े लंड को अपनी मुट्ठी में दबोच लिया और उसे धीरे-धीरे हिलाना शुरू कर दिया,,,। वह गहरी गहरी सांस ले रहा था और अपनी मां के बारे में सोच रहा था,,,।
वैसे तो उसके जीवन में अपनी मां को निर्वस्त्र देखने का सुनहरा मौका मिल चुका था और वह अपनी मां को पेशाब करता हुआ और बाथरूम में निर्वस्त्र होकर नहाते हुए पूरी तरह से वह देख चुका था लेकिन फिर भी हर एक बार उसकी मां का पेशाब करना निर्वस्त्र होना अंकित के नसों में उत्तेजना का संचार और बड़ी तेजी से बढ़ा देता था,,,। अंकित के लिए यह सब किसी कल्पना और खूबसूरत अपने जैसा ही था जिसमें से वह अपने आप को बाहर निकलना नहीं चाहता था क्योंकि वह जानता था कि यह सपना यह कल्पना उसके जीवन का अमूल्य पल है,,,। वह अपने मन में सोच रहा था कि काश ऐसा उसके जीवन में बार-बार हो तो जिंदगी का मजा ही बदल जाए,,,।
अंकित अपने कमरे में
लंड की नसें पूरी तरह से फुल कर उभर गई थी अंकित अपने लंड को मुट्ठी में दबोच कर अपनी मर्दाना अंग के मर्दाना ताकत को महसूस कर रहा था और अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर किसी भी तरह से अपने लंड को अगर वह अपनी मां की बुर में डालने में कामयाब हो गया तो उसकी मां पूरी तरह से मस्त हो जाएगी,,, लंड की नसों की रगड़ उसकी बुर की अंदरूनी दीवारों को पानी पानी कर देगी,,, ऐसा अपने मन में सोचते हुए,,, फिर से अंकित दवा खाने के बारे में सोचने लगा वह नहीं जानता था की दवा खाने ले जाने पर डॉक्टर पेशाब की जांच करने को रहेगा,,,, और ऐसा कह भी दिया था तो कोई दिक्कत की बात नहीं थी लेकिन जब,,, बाथरूम के पास पहुंचकर सुगंधा खुद अपने बेटे को अंदर आने के लिए बोली तो अंकित के बदन में कंपन होने लगा उसका रोम रोम पुलकित होने लगा वैसे भी वह बहुत बार अपनी मां के साथ बाथरुम में कल्पना कर चुका था लेकिन पहली बार हकीकत में उसे अपनी मां के साथ बाथरुम में जाने का मौका मिल रहा था इधर-उधर देखकर अंकित हिम्मत दिखाते हुए अपनी मां के साथ बाथरुम में प्रवेश कर गया था क्योंकि उसकी मां को चक्कर भी आ रहा था जहां एक तरफ उसे अपनी मां की फिक्र भी थी वहीं दूसरी तरफ बाथरूम में अपनी मां के साथ वक्त गुजारने की चाह भी बड़े जोरों की थी,,,।
दवा खाने केबाथरूम में सुगंधा
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और मौके की नजाकत को देखते हुए वह भी अपनी मां के पीछे-पीछे बाथरुम में प्रवेश कर गया और अपनी मां को परखनली भी थमा दिया,,,, अंकित स्थल को याद करके पूरी तरह से उत्तेजना में डूबने लगा था वह धीरे-धीरे इस पल को याद करके अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था,,, उसे याद आया कि उसकी मां से उसकी चड्डी उतारी नहीं जा रही थी पटना जाने कैसे बुखार के नशे में वह अपनी चड्डी उतारने के लिए खुद अपने बेटे को ही बोल दी थी यह भी सोच रहा था कि अगर उसकी मां को बुखार ना चढ़ा होता है तो शायद ऐसा सुनहरा मौका उसके जीवन में न जाने कभी आता भी या नहीं और उसे मौके का फायदा उठाते हुए अंकित अपनी मां की चड्डी को दोनों हाथों से नीचे उतारा था बहुत कम लोगों को ऐसा मौका मिलता है जब उन्हें खुद अपनी मां की चड्डी उतारने का सुनहरा मौका प्राप्त होता है और उन भाग्यशाली में से अंकित था,,,।
अगर कोई और मौके पर इस तरह का सौभाग्य अंकित को प्राप्त होता तो शायद वह अपनी मां की चड्डी उतारने के साथ-साथ उसके गुलाबी छेद में अपना लंड भी डाल दिया होता लेकिन वह जानता था कि उसकी मां बीमार है उसे चक्कर आ रहे थे इसलिए वह ज्यादा कुछ सोच नहीं पाया लेकिन जो कुछ भी उसने अपनी आंखों से देखा था उसे याद करके वह जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा था और कुछ पल के लिए अपनी आंखों को बंद करके कल्पना करने लगा था दवा खाने में जो कुछ भी हुआ था उसे विपरीत वह अपने मन में सोचने लगा कि परखनली को अपने हाथों में लेकर मुस्कुराते हुए उसकी मां बाथरूम के दरवाजे पर खड़ी और बाथरूम का दरवाजा खोलकर अंदर प्रवेश करते ही पीछे की तरफ देखकर अपने बेटे को भी अंदर आने का इशारा करती है,,,,।
इस तरह की कल्पना अंकित को किसी दूसरी दुनिया में ही लिए जा रही थी अंकित पूरी तरह से मस्त हो चुका था और वह जोर-जोर से अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था,,,। आंखों को बंद करके उसकी कल्पना एकदम साफ नजर आ रही थी वह अपनी मां के इशारे पर तुरंत बाथरूम में प्रवेश कर गया और अपनी मां के हाथ से परखनली को ले लिया उसकी मां भी मुस्कुराते हुए अपने बेटे को परखनली दे दी और खड़े-खड़े अपनी दोनों टांगों को खोलते हुए अपनी साड़ी को कमर तक उठने लगी यह नजारा बेहद ही उत्तेजना से भरा हुआ था और इस नजारे की कल्पना करके अंकित स्वर्ग का सुख भोग रहा था देखते ही देखते सुगंध अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी दोनों टांगों को खोलकर अपनी गुलाबी छेद में से पेशाब करने लगी और इशारे से ही अपने बेटे को परखनली को बर के छेद पर लगाने के लिए बोली और अपनी मां का आदेश पाकर तुरंत अंकित उसे परखनली को अपनी मां की गुलाबी छेद पर लगा दिया जिसमें पल भर में ही उसकी बुर से निकला हुआ नमकीन की धार से भर गया,,,,।
Apni ma k bare me kalpna karta hua ankit
पेशाब से परखनली भर जाने से अंकित तुरंत परख नदी को हटा लिया और अपनी हथेली से अपनी मां की गुलाबी छेद को बंद करने की कोशिश करने लगा,,, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था क्योंकि उसकी बुर से पेशाब की धार इतनी तेजी से निकल रही थी कि उसकी बौछार इधर-उधर पूरे बाथरुम में फैल रही थी और देखते ही देखते अंकित अपने लंड को अपने पेंट में से बाहर निकाल लिया,,, अपने बेटे के खड़े लंड को देखकर,, सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, और वह खुद अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसे अपनी गुलाबी छेद पर लगा दी,,, और उत्तेजना भरे स्वर में बोली,,,।
डाल दे मेरी बुर में बेटा,,,,।
(इतना सुनते ही अंकित से रहा नहीं गया और वह एक हाथ में परखनली को पकड़े हुए ही अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालना शुरू कर दिया और देखते ही देखे उसका लंबा मोटा लंड उसकी मां के गुलाबी छेद में पूरी तरह से खो गया डूब गया और फिर एक हाथ में परखनली को पकड़े हुए दूसरे हाथ को अपनी मां के कमर में डालकर वह अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया देखते ही देखते दोनों मां बेटे पूरी तरह से मदहोशी के आलम में बाथरूम के अंदर गहरी गहरी सांस लेते हुए शिसकारी की आवाज छोड़ने लगे,,,।
Sugandha ki kalpna me chudai
इस तरह की कल्पना करते हुए अपने ही बिस्तर पर निर्वस्त्र अवस्था में मस्ती करते हुए अंकित अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए वीर्य का फवारा छोड़ने लगा,,,, जो कि उसके ही ऊपर गिरने लगा उसे बहुत मजा आ रहा था ईस तरह की कल्पना करने में,,,, और जैसे ही उसके दिमाग से वासना का तूफान शांत होगा वह धीरे-धीरे होश में आने लगा और अपनी स्थिति को देखकर अपनी ही चड्डी से अपने ऊपर गिरी वीर्य को साफ करने लगा और फिर देखते ही देखते वह भी नींद की आगोस में चले गया,,,।
तकरीबन ढाई घंटे बाद जब उसकी नींद खुद ही तो अपनी स्थिति का भान होते ही वह जल्दी-जल्दी कपड़े पहनने लगा क्योंकि उसे याद था कि उसे रिपोर्ट लेने जाना है और घर में जिस तरह की शांति छाई हुई थी उसे देखकर वह समझ गया था कि अभी तक उसकी बहन घर पर वापस आई नहीं थी और उसकी मां भी सो रही थी वह धीरे से अपने कमरे से बाहर निकाला और अपनी मां के कमरे तक जाकर वह धीरे से दरवाजा खोल कर देखा तो उसकी मां गहरी नींद में सो रही थी और वह फिर हाथ में धोकर रिपोर्ट लेने के लिए दवा खाने पहुंच गया,,,,।
दवा खाने पहुंचकर डॉक्टर उसे रिपोर्ट देते हुए बोला कि।
Apni ma ki chudai karta ankit
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कोई घबराने वाली बात नहीं है बस हल्का सा मलेरिया का असर था मुझे दवाई लिख देता हूं यह दवाई शुरू कर देना तीन दिन में सब ठीक हो जाएगा,,,।
धन्यवाद डॉक्टर,,,(डॉक्टर के हाथ से प्रिसक्रिप्शन लेते हुए अंकित बोला,,,अंकित डॉक्टर के चेहरे की तरफ देख रहा था और अपने मन में सोच रहा था कि इस समय डॉक्टर कितना मासूम लग रहा है उसका चेहरा एकदम मासूम है उसे देखकर कोई समझ ही नहीं पाएगा कि यह खूबसूरत औरत को देखकर डॉक्टर भी दूसरे मर्दों की तरह ही रंग,,, बदलता है,,, अंकित अपने मन में यह बात इसलिए सोच रहा था क्योंकि सुई लगाते समय उसने डॉक्टर के हालात को बड़ी-बड़ी की से निरीक्षण किया था वह साफ तौर पर देखा था कि जब डॉक्टर उसकी मां को सी लग रहा था उसकी साड़ी को थोड़ा नीचे की तरफ करके उसके नितंबों को उसकी गोरी गोरी गांड को देखकर डॉक्टर का भी लंड खड़ा हो रहा था और इस नजारे को अंकित देख लिया था,,,, लेकिन अंकित एक मर्द होने के नाते डॉक्टर की हालत को अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए कुछ बोला नहीं था,,,।
डॉक्टर के द्वारा लिखी गई दवा लेकर घर जाते-जाते शाम ढल चुकी थी अंधेरा होने लगा था घर पर जब पहुंचा तो तृप्ति भी घर पर आ चुकी थी तृप्ति अपनी मां के पास ही बैठी हुई थी और वह थोड़ा चिंतित नजर आ रही थी,,,, अपनी मां के पास पहुंचते ही अंकित अपनी मां से बोला,,,।
मम्मी ब्लू और पेशाब का रिपोर्ट आ चुका है,, और घबराने वाली कोई बात नहीं हल्का सा मलेरिया का असर है,,,,।
अच्छा हुआ अंकित कुछ ज्यादा गड़बड़ नहीं हुई नहीं तो मैं कब से परेशान हो गई थी मुझे तो मालूम ही नहीं था कि मम्मी की तबीयत खराब है घर पर आई तो पता चला,,,, दो-तीन दिन तक मम्मी तुम आराम करना मैं खाना बना देता हूं मैं पहले चाय बना देती हूं तुम चाय के साथ दवाई खा लेना,,,(इतना कहने के साथ ही तृप्ति अपनी मां के पास से उठकर खड़ी हो गई और किचन की तरफ जाने लगी,,,, लेकिन सुगंधा के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था अंकित के रिपोर्ट वाली बात सुनकर उसके होश उड़ गए थे,,, और वह भी ब्लड और पेशाब का इन सब के बारे में तो सुगंधा को कुछ पता ही नहीं था इसलिए वह हैरानी से अंकित की तरफ देख रही थी,,,।