काफी मशक्कत करने के बाद आखिर कर अंकित ने अपनी मां की ब्रा का हुक खोल ही दिया ,,,,, अंकित को इतने सही समझ में आ गया था कि औरत को नंगी होते हुए देखना और खुद अपने हाथों से उसके कपड़े उतार कर नंगी करने में कितना फर्क है,,,। अंकित को इसमें थोड़ी बहुत शर्मिंदगी का एहसास हुआ था,,, जब उसकी मां ने यह कहा था कि क्या कर रहा है तुझसे हुक नहीं खुल रहा,,, अपनी मां के मुंह से यह सुनकर उसे अपनी मर्दानगी पर थोड़ा गुस्सा आने लगा था पर वह अपने मन में यही सोचता था कि जब वह खूबसूरत औरत का ब्रा नहीं खोल सकता तो उसके साथ संभोग कैसे करेगा,,, लेकिन अंकित अपनी मरदान की साबित करते हुए अपनी मां का ब्रा का हुक खोल दिया था अभी भी उसके हाथों में ब्रा का हुक था,,,,।
Sugandha ki maadak Ada ki jhalak bathroom me
बाथरूम के अंदर बेहद अद्भुत दृश्य की रचना हो रही थी और रचनाकार थी सुगंध जो अपनी जवानी के जंगलों में अपने बेटे को पूरी तरह से फांस रही थी,,, और अंकित अपनी मां की जवानी के चलते उसकी मदहोशी भारी जाल में फसता चला जा रहा था,,, औरजब सुगंधा जैसी जवानी से लदी हुई जाल साज हो तो दुनिया का कौन सा मर्द होगा जो ऐसे जाल में फंसना नहीं चाहेगा,,, इसलिए तो उनमें से अंकित भी बाकात नहीं था,,,वह भी अपनी मां की जवानी के रस में डूबने के लिए तैयार था,,,।
बाथरूम में सुगंधा सामने की दीवार की तरफ मुंह करके खड़ी थी उसकी पीठ अंकित की तरफ थी और उसकी ब्रा खुली हुई थी उसे खोलने वाला था खुद अंकित जिसके हाथों में अभी भी उसके ब्रा की पट्टी थी,,,, अंकित का दिल बड़ी जोरों से धड़क रहा था,,, क्योंकि वह जानता था कि हुक खुल जाने की वजह से उसकी मां की चुचियों का कैसा हुआ ब्रा का कप एकदम से ढीला हो गया होगा उसकी मां की चूची आजाद हो गई होगी लेकिन वह देख नहीं पा रहा था,,,, उसका मन मचल रहा था अपनी मां की नंगी चूचियों को देखने के लिए पागल हुआ जा रहा था लेकिन आगे चलकर वह खुद से तो अपनी मां की चूची देख नहीं सकता था क्योंकि ऐसा करना उसे इस समय थोड़ा बहुत गलत लग रहा था,,,, क्योंकि इस समय उसकी मां बीमार थी भले ही उसे थोड़ा आराम होने लगा था बुखार उतर चुका था लेकिन फिर भी वह बीमारी ही थी और ऐसे हालात में फायदा उठाना अंकित को अच्छा नहीं लगना था,,,।
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अगर बीमारी की हालत में वह अपनी मां का फायदा उठाना चाहता तो दवा खाने के क्लीनिक में ही उसके अंगों को दबा देता मसल देता अपनी मां की बुर पर हथेली रख देता या उसमें उंगली डाल देता कुछ भी कर सकने की स्थिति में वह था क्योंकि उसकी मां को बिल्कुल भी होश नहीं था,,, यहां तक कि जब दवा लेकर घर पर आया तब भी दवा खाने के बाद उसकी मां एकदम बेहोशी की हालत में सो रही थी उसे समय भी वह चाहता तो कुछ भी कर सकता था यहां तक की अपने जीवन की पहली चुदाई का सुख भोग सकता था और वह भी अपनी मां की खूबसूरत बदन के साथ लेकिन वह ऐसा नहीं किया और इसीलिए इस समय भी वह अपनी मनमानी नहीं करना चाहता था,,,।
फिर भी हालात पूरी तरह से नाजुक हो चुके थे अंकित के पेंट में तंबू बना हुआ था और ठीक उसके लंड के सामने उसकी मां की उभरी हुई गांड थी जो की पेटिकोट के परदे में कैद थी,,,, पेटीकोट में होने के बावजूद भी अंकित को अपनी मां की गांड का उभार और उसका कटाव एकदम साफ झलक रहा था मन तो उसका कर रहा था कि बस एक कदम आगे बढ़कर अपने लंड की रगड़ अपनी मां की गांड पर महसूस करा दे,,, लेकिन ऐसा करने से वह डर रहा था वह कोई भी काम बिगड़ता नहीं देना चाहता था वह नहीं चाहता था कि उसकी एक गलती से सब कुछ बिगड़ जाए उसे ऐसा लग रहा था कि उसकी मां नाराज हो जाएगी लेकिन वह तो खुद चाहती थी कि अंकित आगे बढ़े,,,, उसके साथ कोई हरकत करें उसके बदन से खेले,,, और वह ईसी इंतजार में थी,,,,,,और वह जानती थी कि,,,,,अगर वह थोड़ा सा भी पीछे अपनी गांड को ले गई तो तुरंत उसके बेटे का तंबू उसके नितंबों पर रगड़ खाने लगेगा और वह इस अनुभव के लिए तड़प रही थी और मन ही मन अंकित पर थोड़ा गुस्सा भी कर रही थी,,,।
और गुस्सा इस बात से कर रही थी कि,,, अंकित पूरी तरह से जवान होने के बावजूद भी दूसरे लड़कों की तरह हरकत करने वाला नहीं था नहीं तो उसकी आंखों के सामने इतनी खूबसूरत औरत और जिसे खुद अपने हाथों से ब्रा का हुक खोलना हो भला ऐसा लड़का ऐसी खूबसूरत औरत के बदन के साथ छेड़छाड़ किए बिना कैसे रह सकता है,,, कुछ देर तक सुगंध भी उसी अवस्था में खड़ी रही वह चाहती थी कि अंकित की तरफ से कोई हरकत हो अंकित उसके बदन पर अपना हाथ रखे या कोई ऐसा हरकत करें जिससे वह एकदम से मस्त हो जाए लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ वह पागल की तरह अपने दोनों हाथों में उसकी ब्रा की पट्टी पकड़े खड़ा रहा,,,,,,,ऐसा नहीं था कि,, अंकित के मन में यह सब नहीं चल रहा था वह भी अपने लंड को अपनी मां की गांड पर रगड़ना चाहता था उसके नितंबों पर अपने तंबू को सहलाना चाहता था लेकिन ऐसा करने में उसे डर लग रहा था,,,, बार-बार अंकित की नजर अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड पर जा रही थी और वह ऊंचाई में थोड़ा अपनी मां से एक दो इंच बड़ा ही था इसलिए वहां ऊपर से ही अपनी मां की छातिया की तरफ देख रहा था लेकिन वह ठीक से दिखाई नहीं दे रही थी,,, अगर वह एक कदम आगे बढ़ा देता तो उसे सब कुछ साफ-साफ नजर आने लगता लेकिन ऐसा करने से उसका तंबू उसकी मां की नितंबों पर एकदम से रगड़ खा जाता और उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां बुरा ना मान जाए,,,,।
जब कुछ देर तक दोनों की तरफ से किसी भी प्रकार की हरकत नहीं हुई तो सुगंधा ही गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।
बस कर अब मैं उतार लूंगी,,,,।
ठीक है मम्मी,,,(इतना कहने के साथ ही बेमन से अंकित वापस अपनी जगह पर आकर बैठ गया उसका तो मन कर रहा था कि अपनी मम्मी से कह दे कि तुम रहने दो मेरी तुम्हें नहला देता हूं,,,,,,।
अंकित अपनी जगह पर आकर बैठ गया था और सुगंधा मन ही मां अपने बेटे पर गुस्सा कर रही थी,,, वह धीरे से अपने खुली हुई ब्रा को अपनी बाहों में से बाहर निकाली और उसे दूसरों कपड़ों के साथ रखदी,,, अंकित तिरछी नजर से अपनी मां की तर्पी देख रहा था ब्रा के उतरते ही वह समझ गया था कि उसकी मां कमर के ऊपर पूरी तरह से नंगी हो चुकी है,,, और अपने मन में यही सोच कर मस्त हो रहा था कि क्या मस्त लगती होगी उसकी मां इस समय,,, बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां एकदम गोल गोल जिसे देखकर ही मुंह में पानी आ जाए,,,, अंकित की हालत खराब हो रही थी बाथरूम में खड़ी उसकी मां के बदन पर केवल पेटिकोट भर रह गई थी,,,,।
अंकीत की कल्पना,,रसोईघर में
सुगंधा का दिल जोरो से धड़क रहा था उसका मन तो कर रहा था कि लगे हाथ अपनी पेटिकोट के उतार कर पूरी तरह से नंगी हो जाए लेकिन ऐसा करने में उसका बेशर्मी पन झलक सकता था क्योंकि इस समय वह पूरी तरह से होश में थी,,, बेहोशी की बात कुछ और थी,,, लेकिन आज ऐसी कोई बात नहीं थी आज वह पूरी तरह से होश में थी इसलिए ऐसा करना उचित नहीं था लेकिन फिर भी वह जिस तरह की अदाकारी दिख रही थी उसे पूरा विश्वास था कि उसके बेटे की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, सुगंधा इस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी कि केवल उसकी देखभाल के बहाने उसका बेटा जानबूझकर बाथरूम के सामने बैठा हुआ है वह उसे कपड़े उतारते हुए देखना चाहता है उसे नंगी देखना चाहता है,,, ईसी बात का एहसास सुगंधा केतन बदन में उत्तेजना की फुहार उठा रहा था जो कि यह फुआ उसकी टांगों के बीच की पतली दरार के झरने में से बह रही थी,,,।
अंकित की कल्पना अपनी मां के साथ
बाथरूम के इर्द-गिर्द का वातावरण पूरी तरह से मादकता से भरता चला जा रहा था अंकित की आंखों के सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत धीरे-धीरे करके अपने बदन पर से कपड़े उतार रही थी,,, ब्लाउज ब्रा और पेटिकोट का नंबर था और यही देख देख कर अंकित पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था मस्त हुआ जा रहा था,,, लेकिन सबके बावजूद भी उसके मन में इस बात का मलाल था कि इतनी खूबसूरत औरत उसकी आंखों के सामने कपड़े उतार रही थी लेकिन वह कुछ कर नहीं पा रहा था,,,,। बस देखने के सिवा वह कुछ कर भी नहीं सकता था,,, अंकित के हालात इस कदर बिगड़ गए थे कि,,, उसे इस बात का डर लगने लगा था कि कहीं उत्तेजना की वजह से उसके लंड के नशे फट ना जाए,,,। इसलिए बार-बार पेट के ऊपर से अपने लंड को दबा दे रहा था,,,,।
बाथरूम के अंदर सुगंधा अपने पेटिकोट की डोरी खोलने लगी और अपनी मां की हरकत को देखकर अंकित का दिल जोरो से धड़कने लगा उसके मन में उमंग जगने लगी,,, वह अपने मन में सोचने लगा आज तो उसकी मां बिल्कुल होश में है तो बना हुआ उसकी उपस्थिति में इस तरह से अपने कपड़े कैसे उतार सकती है क्या ऐसा तो नहीं कि उसकी मां ही कुछ चाहती हो उसके मन में भी कुछ चल रहा हो जिस तरह से उसके दोस्त ने बताया था कि,, इस तरह के जीवन जीने वाली औरतें चुदवासी होती है,,, इनमें भी समय-समय पर कामाग्नि भड़कने लगती है,,, इस तरह की औरतों को भी समय-समय पर लंड की जरूरत पड़ती है,,, अपने दोस्त की कही बात याद आते ही अंकित के लंड की अकड़ और ज्यादा बढ़ने लगी,,,,,, उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,,,।
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अंकित अपनी मां के जीवन के बारे में अच्छी तरह से जानता था वह जानता था कि बरसों से उसकी मां इस तरह की एकाकी जीवन की रही थी,,,, और इतना भी जानता था कि उसकी मां का चरित्र दूसरी गंदी औरतों की तरह बिल्कुल भी नहीं था वरना अप तक तो उसकी मां शादीशुदा जीवन व्यतीत करने लगती दूसरी शादी करके अगर ऐसा नबी होता तो अब तक न जाने कितने मर्दों के साथ संबंध बना ली होती लेकिन ऐसा भी बिल्कुल नहीं था,,,, जहां तक अंकित का ज्ञान था कुछ गंदी किताबों को देखकर और कुछ अपने दोस्तों से बटोर कर वह इतना तो समझ गया था कि उसकी मां भी चुदवासी है,,, क्योंकि इस समय उसके बदन में बुखार नहीं था वह पूरी तरह से होशो आवाज में थी तो भला एक मां अपने होशो आवाज में होने के बावजूद अपने ही बेटे के सामने और वह भी जवान लड़के के सामने अपने वस्त्र उतार कर नंगी क्यों होगी,,,, अंकित अपने मन में सोच रहा था कि कहीं उसकी मां जानबूझकर उसे अपना नंगा बदन तो नहीं दिखा रही है,,, कहीं ऐसा तो नहीं कि वह खुद अपने बेटे को उत्तेजित कर रही है अपनी तरफ आकर्षित कर रही है संबंध बनाने के लिए,,,,
ऐसा ख्याल उसके मन में आते ही वह पूरी तरह से रोमांचित हो उठा उसे लगने लगा कि उसकी मां उसके लिए ही यह सब सारा खेल रच रही है,,, उसे लगने लगा कि उसकी मां उसके साथ संबंध बनाना चाहती है और इसी बात की खुशी उसके चेहरे के साथ-साथ उसकी दोनों टांगों के बीच के हथियार में बड़े अच्छे से झलक रही थी जो कि इस समय पूरी तरह से लोहे के रोड की तरह एकदम कड़क हो चुका था अगर इस समय वहां मौका मिल जाने पर अपनी मां की बुर में अपना लंड डालता तो शायद पहली बार में ही वह अपनी मां की बुर का भोसड़ा बना देता इस कदर पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबता चला जा रहा था,,,, लेकिन तभी उसके मन में ख्याल आया नहीं अगर ऐसा नहीं हुआ तो अगर उसकी मां सच में बीमारी की वजह से कहीं अकेले में चक्कर न आ जाए,,, इसलिए ना चाहते हुए भी उसके सामने अपने कपड़े उतार कर नहाने की तैयारी कर रही हो तो,,,, इतने वर्षों में तो उसने कभी अपनी मा में इस तरह के बदलाव नहीं देखे थे,,,।
सुगंधा और अंकित बाथरूम में
और पहली बार ही तो मां इस तरह से बीमार हुई थी,,, बीमारी की वजह से ही वह मजबूर होकर इस तरह की हरकत कर रही है,,,, क्योंकि होशो हवास में भर ऐसी कौन सी मैन होगी जो अपनी बेटी के सामने अपने कपड़े उतार कर निर्वस्त्र होकर नंगी होकर बाथरूम में उसकी आंखों के सामने ही नहाएगी,,, नहीं नहीं मैं ही अपनी मां के बारे में कुछ गलत सोच रहा हूं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है अच्छा हुआ मैं किसी प्रकार की हरकत अपनी मां के साथ नहीं किया वरना लेने के देने पड़ जाते,,,,। अंकित अपने मन में यह सोच कर रहा की सांस ले रहा था क्योंकि वाकई में उसने अभी तक अपनी मां के साथ कोई गलत हरकत नहीं किया था जो कुछ भी किया था उसके होशो हवास में किया था और दवा खाने में तो मजबूर होकर किया था,,,।
सुगंघा और अंकित
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वह यह सब सोच ही रहा था कि इसी बीच उसकी मां अपने पेटिकोट की डोरी एकदम से खोल दी और डोरी के खुलते ही उसकी कमर पर कसी हुई ,,, पेटिकोट एकदम से ढीली पड़ गई,,, और एक पल के लिए तो अंकित को लगा कि उसकी मां की पेटिकोट सड़क कर नीचे उसके कदमों में गिर जाएगी क्योंकि ऊपर वाला पेटीकोट का हिस्सा ढीला होकर उसके नितंबों के उभार पर नीचे लुढ़ककर टिक गया था और वह भी उसके नितंबो की गोलाकार उभरी हुई गांड की वजह से ही उसका पेटिकोट रुका हुआ था वरना वाकई में पेटिकोट की डोरी खुलते ही पेटिकोट उसके कदमों में जाकर गिर जाती और वह निर्वस्त्र हो जाती,,, इसलिए तो एक पल के लिए अंकित का दिल धक से करके रह गया था,,,, अंकित को ऐसा ही लग रहा था कि आज उसकी मां अपना पेटिकोट की उतार देगी लेकिन उसे इस बात कर सकता कि उसकी मां पेटिकोट के अंदर कुछ पहनी होगी कि नहीं ,,, इस बात के बारे में सोच ही रहा था कि तभी उसे याद आया कि कल ही तो वह अपने हाथों से ही अपनी मां की पेंटिं दवा खाने के बाथरूम में उतारा था,,, और अब तक उसकी मां ने अपने कपड़े बदले नहीं थे इसका मतलब पेटिकोट के अंदर उसकी मां चड्डी पहनी हुई है,,,,।
सुगंधा और अंकित बाथरूम में
अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था उसे उम्मीद थी कि उसकी मां पेटीकोट भी उतार देगी और जल्द ही उसकी मां की चड्डी देखने को मिलेगी जिसे वह कल दवा खाने के बाथरूम में अपने हाथों से उतारा था और पहनाया था,,, और वह अपनी मां की चड्डी देखने के लिए व्याकुल हुआ जा रहा था जिस तरह से उसकी मां अपने बदन से एक-एक करके सारे कपड़ों को बाथरूम के कोने में उतर कर फेंक दी थी उसे ऐसा ही लग रहा था कि वह अपनी पेटीकोट भी उतार देंगी,,, और उसके सोच के मुताबिक है उसकी मां पेटिकोट के घेरे को अपनी कमर के घेरे से अलग करने लगी,,, अंकित बार-बार किताब हमेशा अपनी नजर उठा कर अपनी मां की तरफ देख ले रहा था अब वह तिरछी नजर से नहीं बल्कि अपनी नजर उठा कर देख रहा था क्योंकि उसकी मां की पीठ उसके ठीक सामने थी और उसका मुंह दीवाल की तरफ था,,,, ऐसे में उसकी मां का अंकित की तरफ एकदम से देख पाना नामुमकिन था इसलिए वह इसका फायदा उठा रहा था,,,,।
सुगंधा और अंकित
अंकित की नजर एकदम से अपनी मां के ऊपर खड़ी हुई थी लेकिन तभी उसके अरमानों पर पानी फिर गया जब उसकी मां पेटीकोट को दोनों हाथों से पकड़कर उसे नीचे ले जाने के बजाय ऊपर की तरफ ले जाने लगी और अपनी चुचियों तक लाकर उसे एकदम से रोक दी,,।,,, यह देखकर अंकित के दिल की धड़कन पढ़ने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां ऊपर से पेटिकोट निकलेगी कि नीचे से नीचे से तो वह अब नहीं निकाल सकते थे क्योंकि वह पेटिकोट अपने हाथ में लेकर ऊपर की तरफ ले गई थी और चूचियों के पास आते ही उसे रोक दी थी,,,,, अंकित को कुछ-कुछ शक हो रहा था कि उसकी मां पेटीकोट को नहीं निकालेगी,,, वरना पहले प्रयास में ही वह पेटीकोट को नीचे सी सही ऊपर से ही उतार देती और उसका यह सब बिल्कुल सही निकला जब उसकी मां पेटिकोट की डोरी को चूचियों की ऊपर लाकर बांधने लगी,,, यह देखकर अंकित के अरमान पर पानी फिर गया था लेकिन इसके बावजूद भी सुकांता जानबूझकर अपनी बेटी को चूचियों के थोड़ा ऊपर की तरफ उठाई थी ताकि उसका पिछवाड़ा उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड उसके बेटे को दिखाई दे और ऐसा ही हुआ वह जिस तरह से पेटिकोट की डोरी को बंद रही थी उसके पीछे का पेटीकोट ऊपर की तरफ उठ गया था जिसे नितंबों के नीचे की गोलाई एकदम साफ नजर आ रही थी,,, उसके बीच की गहरी दरार भी एकदम साफ दिखाई दे रही थी यह देखकर अंकित का हांथ अपने आप उसके लंड पर आ गया और वह जोर से दबा दिया,,,, भले उसकी मां पेटीकोट को पूरी तरह से नहीं निकली थी लेकिन फिर भी अपने बेटे को पूरी तरह से मदहोश कर गई थी,,,,,।
Nahati huyi sugandha
अंकित की मां पेटिकोट को बांधकर घूम गई लेकिन ना तो दीवाल की तरफ मुंह करके और ना तो अंकित की तरह वह सामने की तरफ मुंह कर ली,,,और बाथरूम में छोटा सा लकड़ी का पाटी रखा हुआ था उस पर बैठ गई,,, वह इस तरह से बैठी थी कि इतनी दोनों टांगें खोल दी थी,,,,, इस अवस्था को देखकर अंकित को इस बात का मलाल था कि उसकी मां अगर उसकी तरफ मुंह करके इस तरह से बैठती तो शायद उसके खूबसूरत बुर के या उसकी चड्डी के दर्शन हो जाते,,, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था क्योंकि उसकी मां तिरछी बेठी हुई थी,,,। लेकिन फिर भी इस अवस्था में भी अंकित को उसकी मां की मोटी मोटी जांघें उसकी नंगी टांग एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,, इतना ही अंकित के लिए काफी था वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुका था क्योंकि औरतों की चिकनी मोटी मोटी जांघें उनकी नंगी टांगें भी मर्दों के लिए उत्तेजना का प्रमुख कारण होती हैं,,,।
Bathroom me sugandha
अंकित ने पहले से ही बाथरूम में पानी से भरा हुआ टब रख दिया था जिसमें से सुगंधा मग भरकर पानी को अपने ऊपर डालने लगी,,, इस स्थिति में ठंडा पानी सुगंधा को बेहद सुकून दे रहा था लेकिन अंकित की हालत खराब कर दे रहा था ,,,,, अंकित अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां लगभग अर्धनग्न अवस्था में ही थी और ऐसे हालात में एक खूबसूरत औरत को नहाते हुए देखना कितना उत्तेजनात्मक होता है और वही अंकित को भी हो रहा था अपनी मां की मादकता भरी जवानी में वह पूरी तरह से अपने आप को डुबोते चला जा रहा था,,, धीरे-धीरे सुगंधा अपने ऊपर पानी डाल डाल कर अपने पूरे बदन को भिगो डाली और उसके बाद साबुन लगाना शुरु कर दी,,,।
Apni ma ko nahate huye dekhkar ankit
अंकित किताब खोलकर बस किताब के पन्ने को देख रहा था उन्हें पढ़ने की तस्दी बिल्कुल भी नहीं ले रहा था,,, और वैसे भी जब आंखों के सामने जवानी से भरी हुई किताब खुली पड़ी हो तो भला,, दुनिया का कौन सा मर्द होगा जो स्कूल की किताब में ध्यान लगाएगा,,,, अंकित बार-बार अपनी लंड पर अपना हाथ रख कर उसे ज़ोर से दबा दे रहा था,,,, धीरे-धीरे सुगंधा आपने पूरा बदन पर साबुन लगाने लगी साबुन के झाग में उसका गोरा बदन और भी ज्यादा खूबसूरत लगने लगा,,,, सुगंधा भी इस स्थिति में बेहद उत्तेजना महसूस कर रही थी क्योंकि वह अपनी बेटे की आंखों के सामने लगभग लगभग निर्वस्त्रावस्था में ही नहा रही थी क्योंकि उसके बदन का आधे से भी ज्यादा भाग उसके बेटे की आंखों के सामने उजागर था उसकी मोती-मोती जंग उसकी नंगी चिकनी टांग यहां तक की उसकी पेटीकोट भी एकदम कमर तक थी और जांघ की शुरुआत से ही उसकी पूरी टांग दिखाई दे रही थी,,,, यहां तक की उसकी चड्डी भी नजर आने लगी थी सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा उसके अंगों के साथ-साथ उसकी चड्डी भी देख रहा होगा जिसे वह कल अपने हाथों से उसके बदन से उतारा था,,,,,, अनुभव से भारी होने के बावजूद भी सुगंधा चड्डी के मामले में निश्चित तौर पर नहीं कह सकती थी की औरतों की चड्डी देखकर मर्दों की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच जाती है,,,, क्योंकि विवाहित जीवन की शुरुआत से ही वह अपने पति के मुंह से सुनती आ रही थी चड्डी ना पहना करें क्योंकि रात को उतारते समय उसे दिक्कत होती है,,, इसलिए सुगंधा को भी ऐसा ही लगता था कि सारे मर्द चड्डी के मामले में एक जैसी सोच रखते होंगे,,,।।
AOni ma ko dekhkar mast hota hua ankit
monolith 12
लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था एक उसका पति ही दूसरे मर्दों से अलग था जबकि सारे मर्द औरतों की चड्डी के मामले में जैसे ही होते हैं औरतों की चड्डी देखकर उनकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच जाती है औरतों के बदन से चड्डी उतारने में मर्दों को इतना आनंद आता है कि वह बार-बार इस क्रिया को दोहराते रहते हैं,,, यहां तक की लंड की सुसुप्तावस्था मैं जैसे ही औरतों की चड्डी के उतारने का कार्य करते हैं वैसे ही उनका लंड एकदम से टनटना कर खड़ा हो जाता है,,,, और इसीलिए इस समय अंकित की भी उत्तेजना अद्भुत तरीके से बढ़ती चली जा रही थी क्योंकि उसकी नजर में भी हुई उसकी मां की चड्डी दिखाई देने लगी थी वह जिस तरह से बैठी थी कमर और जानू के बीच की जोड़ होती है उसमें एक पतली सी हल्की सी दरार मांसलता लिए पेट से दोनों टांगों के बीच की तरफ जा रही थी जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था लेकिन वह कुछ भी कर सकते की स्थिति में नहीं था बस बार-बार अपनी मां को देखकर अपने लंड को दबा दे रहा था,,,,,।
सुगंधा अपने बेटे के साथ बाथरुम में
वह अभी यह सब सोच ही रहा था कि,,, तभी उसकी मां बोली,,,,।
बेटा जरा मुझे साबुन लगा देना तो पीछे मेरा हाथ नहीं पहुंच रहा है,,,,।(सुगंधा अपने बदन के साथ-साथ अपने चेहरे पर भी साबुन लगा लेती जिसकी वजह से झाग उसकी आंखों तक पहुंच रही थी और अपनी आंखों को बंद की हुई थी वह जानबूझकर ऐसा कर रही थी,,,,, अंकित को तो अपने कानों पर भरोसा ही नहीं हुआ उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां वाकई में उसे साबुन लगाने के लिए बोली है या उसके कान बज रहे हैं इसलिए वह कुछ देर तक अपनी जगह पर ही बैठा रह गया और जब अंकित की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई तो सुगंध फिर से बोली,,,,)
सुगंधा की मचलती जवानी
अरे सुन रहा है कि नहीं,,,,, मेरा हाथ पीछे नहीं पहुंच रहा है जरा साबुन लगा देना तो,,,,,।
(इस बार उसे यकीन हो गया कि उसकी मां वाकई में से साबुन लगाने के लिए बोल रही है उसकी मां के मुंह से कह गए एक-एक शब्द उसके कानों में मिश्री खोल रहे थे वह तुरंत किताब को एक तरफ रखकर कुर्सी पर से उठकर खड़ा हो गया और तुरंत अपनी मां के पास पहुंच गया उसके हाथ में साबुन था जो कि वह अंकित की तरफ हाथ करके उसे दे रही थी हालांकि वह उसे देख नहीं रही थी क्योंकि उसकी आंखों में साबुन लगा रहा था इसलिए अपनी आंखों को बंद की हुई थी जो कि यह औपचारिकता नहीं थी वह जानबूझकर ऐसी कर रही थी वह देखना चाहती थी महसूस करना चाहती थी कि उसका बेटा उसके साथ क्या-क्या हरकत करता है अंकित तुरंत अपनी मां के हाथ में से साबुन ले लिया और साबुन लगाने से पहले बोला,,,,)
कहां लगाना है मम्मी पीठ में,,,,
सुगंधा मदहोश होती हुई
हां पीछे मेरा हाथ नहीं पहुंच रहा है गरदन से लेकर के नीचे तक साबुन लगा दे,,,,(ऐसा कहते हुए सुगंधा लकड़ी के पाटी पर ही दीवार की तरफ मुंह करके घूम गई क्योंकि जिस तरह से वह बैठी थी उसके पीछे खड़े होकर साबुन लगाने में दिक्कत आ सकती थी क्योंकि चौड़ाई बाथरूम की कम थी,,,,,,,, और जैसे ही वह दीवार की तरफ मुंह करके घूमी अंकित की नजर सीधे उसकी मां के नितंबों पर गई जो की पाटी पर एकदम दबी हुई थी एकदम जवानी से लदी हुई अपने विस्तार से बाहर निकलने के लिए तड़प रही थी,,,,, पेटिकोट पानी में भीग कर ऊपर हो जाने की वजह से उसके नीचे का अंग एकदम साफ दिखाई दे रहा था हालांकि चड्डी पहनी होने की वजह से ज्यादा तो नहीं लेकिन फिर भी नितम्बो के ऊपरी लकीर एकदम साफ दिखाई दे रही थी,, अंकित के लिए तो इतना भी बहुत था,,,
सुगंधा का मचलता हुस्न
अब ऐसा लग रहा था कि अपनी मां को नहलाने की जिम्मेदारी अंकित ने अपने हाथों में ले लिया था अपने हाथ में साबुन लेकर वह अपनी मां की गर्दन पर साबुन लगाना शुरू कर दिया लेकिन पानी कम होने की वजह से चिकनाहट कम थी और वह मग जो कि उसके पास में ही पड़ा था और वहां पानी से भरा हुआ था उसे लेकर एक बार फिर से अपनी मां के गर्दन पर डालकर उसकी पीठ तक को भिगोने की कोशिश करने लगा और फिर साबुन लगाने लगा,,,,, यह उसका पहला अवसर था जब वह अपनी मां को अपने हाथों से नहला रहा था,,, इस बहाने उसे अपनी मां का खूबसूरत बदन स्पर्श करने का मौका मिल रहा था और वहां पर है तो भेजने का अनुभव कर रहा था उसके पेंट में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था एकदम भाले की नौक की तरह,,,।
धीरे-धीरे अंकित अद्भुत सुख भोग रहा था औरत की दोनों टांगों के बीच उसके कोमल अंक में अपना कड़क अंग डालकर उसके साथ संभोग करना ही औरतों के साथ सुख भोगने नहीं होता उसके साथ अनेक क्रिया करके भी उसके साथ सुख भोगने का सौभाग्य प्राप्त किया जा सकता है ऐसा अंकित अपने मन में सोच रहा था क्योंकि इस समय उसे चुदाई से भी अधिक अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,, अंकित अपनी मां की पीठ पर साबुन लगाते लगाते हैं नीचे की तरफ बढ़ रहा था और देखते ही देखते हो एकदम कमर तक उसके साबुन लगाना शुरू कर दिया और वह अपने मन में सोच रहा था क्या करें उसकी मां खड़ी होती तो कितना मजा आता है वैसी बहाने अपनी मां की चड्डी में हाथ डालकर उसे साबुन लगाता,,, लेकिन फिर भी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,, लेकिन साबुन लगाने के दौरान वहां अपनी मां की छतिया की तरफ देख रहा था जो कि उसकी आधी चूची पर पेटिकोट की डोरी बंधी हुई थी,,, और आधी एकदम साफ दिखाई दे रही थी जिसे देखकर अंकित को पपाया का फल याद आ गया जो कि इसी आकार में होता है,,,,, अपनी मां की चूची देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और अपने मन में सोच रहा था कि काश चूचियों पर साबुन लगाने का मौका मिल जाता तो कितना मजा आता है,,,,,, यही सब सोचते हुए वह गर्दन पर साबुन लगाने लगा लेकिन तब तक साबुन का झाग सूख चुका था इसलिए वह फिर से अपनी मां के बदन पर पानी डालने की सोचने लगा,,, और पानी का टब ठीक उसकी मां के सामने रखा हुआ था,,,, और वह हाथ में मग लेकर आगे की तरफ झुककर तब में से पानी लेने लगा लेकिन उसकी हरकत की वजह से उसके पेट में बना तंबू सीधे-सीधे उसकी मां की गर्दन हो के ऊपर से उसकी मां की गाल पर रगड़ खाने लगा और यह रगड़ महसूस करते ही सुगंधा की तो हालत खराब हो गई सुगंधा की आंखें एकदम से खुल गई वह इतना तो समझ गई थी कि उसके गाल पर और गर्दन पर रगड़ खाने वाली चीज और कुछ नहीं उसके बेटे का लंड है,,,।
यह एहसास सुगंधा को पूरी तरह से मदहोश कर गया,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसका बेटा आगे की तरफ झुक कर प्लास्टिक के टब में से पानी लेने की कोशिश कर रहा था,,,, और लगभग वह पानी के पास पहुंच भी गया था,,,, और अंकित को इसका अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था कि पानी लेते समय उसके पेंट में बना तंबू उसकी मां की गर्दन के साथ-साथ उसकी गालों पर भी रगड़ खाएगा लेकिन जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ पूरी तरह से मस्त हो गया,,,, उसे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वहां अपने लंड को अपनी मां के मुंह में डालने के लिए आगे बढ़ रहा है,,,,, सुगंधा की खुद की हालत खराब होती जा रही थी पल भर के लिए उसे लगा कि अपना हाथ अपने बेटे के लंड पर रखकर उसे ज़ोर से दबा दे और कह दे कि मुझे तुझसे प्यार चाहिए मुझे जी भर कर प्यार कर मुझे प्यार कर,,, मुझे प्यार करो बेटा,,,आहहहहहहहह,,,,, ऐसा सोचकर सुगंधा अंदर ही अंदर तड़प रही थी बरसों की प्यास का जुगाड़ उसके गालों पर रगड़ खा रहा था लेकिन वह उसे अपनी प्यास बुझाने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थी क्योंकि वहां उसका सगा बेटा था अगर इस वक्त ऐसे माहौल में अंकित की जगह कोई और होता है तो शायद सुगंधा अपना काबू खो बैठती,,, लेकिन अपने बेटे के साथ ऐसा करने में उसे डर लग रहा था घबराहट हो रही थी,,,,।
ज्यादा देर तक अंकित इस अवस्था में नहीं रह सकता था इसलिए पानी लेकर वह फिर से अपनी स्थिति में आ गया और फिर अपनी मां के गर्दन पर पानी डालने लगा और उसे पर साबुन लगाने लगा साबुन के छाव की वजह से उसके हाथ से साबुन एकदम से फिसल गया और सीधे जाकर उसकी मां की चूचियों के बीच जहां पर उसकी मां ने पेटिकोट की डोरी बांधी थी उसी में जाकर फंस गया,,,, यह देखकर अंकित के दिल की धड़कन बढ़ने लगी और सुगंधा के भी बदन में मदहोशी छाने लगी,,, क्योंकि उसके मन में एहसास होने लगा कि उसकी चूचियों के बीच से साबुन उसका बेटा अपने हाथों से निकालेगा,,,, इसलिए वह तुरंत दोनों हाथों से अपनी आंखों को मारने लगी यह जताने के लिए की साबुन का झाग उसकी आंखों में लग रहा है,,,, अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें तभी उसकी मां अपनी आंखों को मलते हुए बोली,,,)
सुगंधा और अंकित बाथरूम में
अरे अंकित क्या किया जल्दी से साबुन लगाकर पानी डाल मेरी आंखों में जलन हो रहा है,,,,।
लेकिन मम्मी साबुन तो तुम्हारे,,,,,,(इतना कहकर आगे बोलने की उसकी हिम्मत नहीं हुई तो सुगंधा ही एकदम से बोली,,,)
जल्दी से साबुन ले लै मुझे बहुत जलन हो रही है,,,,।
ठीक हैमम्मी,,,,(अपनी मां की तरफ से इजाजत मिलते ही अंकित अपना हाथ आगे बढ़कर अपनी मां की चूचियों के बीच लेकर गया जहां पर पेटिकोट की डोरी बंधी हुई थी और साबुन लेने के चक्कर में उसके हाथ से साबुन पर थोड़ा सा दबाव पड़ा तो साबुन और नीचे से रखें उसकी दोनों चूचियों के एकदम बीचों बीच आ गया,,,,,, यह एहसास करके सुगंधा के तन बदन में आग लगने लगी उसे बहुत मजा आ रहा था आनंद आ रहा था वह फिर भी सहज होते हुए बोली ,)
अरे क्या कर रहा है अंकित तुझसे साबुन नहीं पकड़ा जा रहा है,,,
मम्मी साबुन छटक गया,,,,
अब जल्दी से साबुन ले मुझे बहुत जलन हो रही है,,,,,।
सुगंधा और उसका बेटा,,,,
(फिर से प्रयास करते हुए अंकित धीरे से अपने हाथ को अपनी मां की चूचियों की तरफ लेकर और अपनी उंगली से साबुन को दोनों चूचियों के बीच से निकलने की कोशिश करने लगा लेकिन फिर भी फिसलते हुए साबुन अंदर की तरफ जाने लगा,,,,,, वजह से जैसे चुचियों के बीच से अंदर की तरफ फिसल रहा था वैसे-वैसे सुगंधा के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी और अंकित भी मदहोश होता चला जा रहा था,,,,, और अंकित धीरे-धीरे अपनी उंगली के साथ-साथ अपना आदि कलाई को अपनी मां की चूचियों के बीच डाल दिया था लेकिन साबुन फिर भी उसके हाथ में नहीं आया तो साबुन एकदम से फिसल कर उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी पेंटिं के ऊपर जा गिरा,,,,, यह देखकर धड़कते दिल के साथ अंकित बोला,,,)
मम्मी यह तो नीचे फिसल गया,,,,।
अंकित की कल्पना,,,, अपनी मां के साथ
तू सच में बुद्धू है अंकित एक साबुन तो उसे संभाल नहीं जाता जल्दी से निकाल साबुन मुझे रहा नहीं जा रहा है आंखों में जलन हो रही है,,,,।
(इतना सुनते ही अंकित इस बार हिम्मत दिखा कर अपनी मां की पेटिकोट के अंदर उसकी चूचियों के बीच एकदम से हाथ डाल दिया और उसे साबुन को टटोलने लगा,,,, साबुन को टटोलने के चक्कर में अंकित का हाथ उसकी मां के पेट के नीचे की तरफ आने लगा और एकदम से पूरा हाथ पेटिकोट की डोरी के अंदर डालते हुए वह एकदम जमीन पर अपने हाथ को स्पर्श करने लगा तभी उसे एहसास हुआ कि उसकी मां की दोनों टांगों के बीच साबुन चिपका हुआ है अब उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ने लगी और सुगंध की भी हालत खराब होने लगी क्योंकि सुगंध को मालूम था कि उसका गिरा हुआ साबुन उसकी पेंटिं पर चिपका हुआ है,,, अब वह देखना चाह रही थी किसका बेटा क्या करता है हालांकि देखते ही देखते उसके बेटे ने उसकी दोनों चूचियों के बीच से होते हुए अपने हाथ को उसकी पेंटि के इर्द-गिर्द पहुंचा दिया था,,, जिसकी वजह से सुगंधा अंदर ही अंदर एकदम खुश हो रही थी,,,,,।
सुगंध और अंकित
अंकित समझ गया था कि साबुन उसकी मां की पेंटी के ऊपर ही है,,, अंकित करती जोरों से ढक रहा था और यही मौका था उसे अपनी मां की पेटी पर हाथ रखने का अपनी मां की बुर को अपनी हथेली में पहुंचने का और इसीलिए वह साबुन पकड़ने का बहाना करके एकदम से अपनी हथेली को अपनी मां की पेंटिंग पर रखकर साबुन पकड़ने के बहाने अपनी मां की बुर को दबोच दिया ऐसा करने में उसे अद्भुत उत्तेजना और मदहोशी का एहसास होने लगा और यही हरकत सुगंधा के तन बदन में मदहोशी का रस घोलने लगी,,,, जिस तरह से उसके बेटे ने साबुन पकड़ने के बहाने उसकी बुर को अपनी हथेली में दबोचा था सुगंधा एकदम से चौंक गई थी और एकदम से मदहोश हो गई थी,,, और यह एहसास एकदम पल भर के लिए था ऐसा करते ही अंकित ने तुरंत साबुन पड़कर उसे वापस से अपनी मां की पेटीकोट से ही बाहर निकाल दिया और जल्दी-जल्दी साबुन लगाने लगा था कि इस बारे में उसकी मां उससे कोई शिकायत ना कर पाए,,,,,।
सुगंधा की चुदाई
शिकायत करने की बात तो दूर उसकी मां अपने मन में यही सोच रही थी कि कुछ देर तक और उसका बेटा अपनी हथेली में उसकी बुर को दबोच कर रखा है तो शायद उसका पानी निकल जाता उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो जाती,,,, बुर को दबोचने की शिकायत नहीं बल्कि वह तो अपने बेटे से इस बात की शिकायत करने वाली थी कि ज्यादा देर तक वह क्यों दबोच कर नहीं रखा,,,, अंकित जल्दी-जल्दी अपनी मां के बदन पर पानी डालने लगा था,,, आया था तो अंकित अपनी मां के बदन पर केवल साबुन लगाने के लिए लेकिन अब वह उसे नहला रहा था और सुगंध भी अपने बेटे के हाथों से नहाने में आनंद लूट रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था उसकी पेटिकोट आगे से पूरी तरह से भेज चुकी थी जिसकी वजह से गिरी बेटी को उसकी चूचियों से चिपक गई थी और उसकी निप्पल कैडबरी चॉकलेट की तरह एकदम तनकर पेटीकोट से बाहर झांक रही थी,,,,।
सुगंधा नहा चुकी थी और अंकित बाथरूम से बाहर आकर खड़ा हो गया था सुगंध उठकर खड़ी हुई और अपनी पेटिकोट की डोरी को खोलकर पेटीकोट को दिल्ली करने लगी और एक हाथ आगे की तरफ डालकर अपनी चड्डी को बाहर निकलने लगी लेकिन जल्दी पानी में पूरी तरह से भी होने की वजह से उसकी कमर से नीचे की तरफ सरक नहीं पा रही थी,,, यह देखकर अंकित का दिल जोरो से धड़कने लगा उसे उम्मीद नजर आने लगी और वह अपनी मां से बोला,,,।
सुगंधा
मैं निकाल दुं,,,,,।
(इतना सुनकर सुगंधा अपने बेटे की तरफ मुस्कुराते हुए देखने लगी और बोली,,,)
बिल्कुल नहीं,,,, आज मैं होश में हूं,,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुगंध अपने बेटे की आंखों के सामने ही अपनी चड्डी को उतारने लगी और जैसे ही चड्डी उसके घुटनों के नीचे तक आई उसे पर नजर पड़ते अंकित के लंड की अकड़ बढ़ने लगी,,,, वह मस्त हो जा रहा था उसकी मां अपने पैरों के सहारे से घुटनों के नीचे से अपने चड्डी को अपने पैरों से बाहर कर रही थी यह नजारा बेहद देखने लायक था और अगले ही पल हुआ अपनी चड्डी को अपने बदन से दूर कर चुकी थी उसके बदन पर केवल उसका गिला पेटिकोट था जो उसके बदन से एकदम चिपका हुआ था और पेटिकोट की चुपके होने की वजह से उसकी चुचियों का आकार के साथ-साथ जांघों के ऊपरी हिस्से का त्रिकोण वाला जाकर एकदम साफ नजर आ रहा था,,, और उसकी बुर वाला हिस्सा कचोरी की तरह फुला हुआ नजर आ रहा था यह सब नजारा पूरी तरह से मादकता से भरा हुआ था इस नजारे को देखने पर से ही किसी भी मर्द का पानी छुट जाए लेकिन न जाने कैसे अंकित अपने आप पर काबू रखा हुआ था,,,,।
अब बारी थी पेटिकोट उतारते की अंकित अपने मन में सोच रहा था कि उसकी आंखों के सामने उसकी मां अगर पेटीकोट भी उतार देती तो कितना मजा आता है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था हालांकि सुगंधा भी यही चाहती थी लेकिन वह अभी इतना नहीं खुली थी कि अपने बेटे के सामने सारी हदें पार कर देती,,, क्योंकि यह सब तो अंकित की जानकारी में हो रहा था अगर उसकी जानकारी में ना होता केवल सुगंध ही जानती तो शायद वह अपने बेटे के सामने नंगी होने में बिल्कुल भी देर ना करती क्योंकि ऐसा हुआ पहले भी कर चुकी थी लेकिन इस समय वह अपने बेटे की निगरानी में थी कुछ भी छुपा हुआ नहीं था उसका इस तरह से अपना पेटिकोट उतार कर नंगी हो जाना उसे भी दूसरी औरतों की श्रेणी में ला सकता था,,,,।
जरा टावल ला देना मैं भूल गई,,,,।
अभी लाया मम्मी,,,,(इतना कहने के साथ ही अंकित अपनी मां के कमरे की तरफ जाने लगा और सुगंध उसे जाते हुए देखने लगी हालांकि स्पीच वह अपने बेटे के पेट में बने तंबू को भी बड़े अच्छे से देख रही थी और मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका लैंड किस लिए खाना है एक मर्द का लैंड किस वजह से खड़ा होता है यह वह अच्छी तरह से जानती थी वह समझ रही थी कि इस समय उसका बेटा उसमें एक मन नहीं बल्कि एक औरत के दर्शन कर रहा है इसलिए उत्तेजित हुआ जा रहा हैं और यही तो वह चाहती थी,,,,।