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Incest मुझे प्यार करो,,,

Satyaultime123

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अंकित के तन बदन में आग लगी हुई थी,,, किचन के अंदर जो कुछ भी हुआ उसके बारे में सोचकर उसकी हालत खराब हुई जा रही थी आज पूरी तरह से एकदम नजदीक से एक खूबसूरत औरत की नंगी गांड को महसूस किया था और वह भी अपने चेहरे को उस पर रगड़ कर उसकी गांड की फांकों की गहरी दरार के अंदर अपनी नाक को डालकर उसकी मादक खुशबू को महसूस किया था,,, यह अनुभव अंकित के लिए बिल्कुल नया था मादकता से भरा हुआ जिसके अंदर वह पूरी तरह से नूपुर की जवानी में सरोबोर हो चुका था,,,। वह कभी सोचा नहीं था कि राहुल के घर आने पर उसे इस तरह का अनुभव होगा जो कि उसके जीवन का यादगार पल बनकर रह जाएगा,,,।


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अंकित इस तरह से पहली बार किसी औरत को अपनी भुजाओं के बल पर उठाया था,,, पहले तो उसे यकीन नहीं था कि वह नूपुर को उठाकर चाय का डब्बा उतरवा लेगा ,,, लेकिन एक औरत के सामने वह किसी भी तरह से असफल नहीं होना चाहता था खास करके नूपुर के सामने इसलिए वह इनकार भी नहीं कर पाया था लेकिन नूपुर की जवानी का जोश उसके तन बदन में मर्दाना ताकत भर दी थी जिसके चलते हैं उसने नूपुर को बड़े आराम से उठाकर एक अद्भुत आनंद प्राप्त किया था,,,,। और इसके साथ ही उसे नीचे उतारते समय एक और अनुभव उसे पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डुबो दिया था उसके पेट में बना हुआ तंबू उसकी गांड की दरार के बीच होता होगा उसकी बुर पर दस्तक देने लगा था जिसका एहसास अंकित के साथ-साथ‌ नुपुर को भी बड़ी अच्छी तरह से हुआ था जिसके चलते वह पानी पानी हो गई थी,,,,।



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अपने बेटे की गैर हाजिरी में वह अंकित के साथ ऐसा चक्कर चलना चाहती थी ताकि उसका जुगाड़ बन सके जब राहुल बाहर पढ़ने के लिए चला जाए और इसीलिए वह अंकित के साथ खुलने चाहती थी और धीरे-धीरे वह अपने इरादे में कामयाब भी हो रही थी चाय बना कर दो कप ट्रे में लेकर वह किचन से बाहर निकलने वाली थी की डोर बेल बजने लगी थी और डोर बेल के बजाने की आवाज सुनते ही उसका दिमाग एकदम से खराब हो गया था,,,। क्योंकि वहां नहीं चाहती थी कि इस समय कोई भी घर में आए और जबकि उसे पूरा विश्वास था कि समय घर पर कोई आएगा भी नहीं क्योंकि राहुल कुछ देर पहले ही घर से निकला था और वह तीन-चार घंटे बाद ही आने वाला था और उसके पति तो ऑफिस का काम खत्म करके शाम को ही लौटते थे लेकिन आज ऐसा लग रहा था कि उसकी किस्मत ही खराब है,,,।


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हाथ में चाय का ट्रे लेकर वह अंकित के सामने टेबल पर ट्रे रखते हुए बोली,,,‌

इस समय पता नहीं कौन आ गया,,,,, तुम चाय पियो में आती हुं,,,,(इतना कहकर वह दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ गई ऐसा नहीं था की डोर बेल बजाने की वजह से नूपुर का ही दिमाग खराब हुआ था अंकित भी अंदर ही अंदर बहुत गुस्सा हो रहा था ,, क्योंकि वह नहीं चाहता था कि कोई कबाब में हड्डी बने क्योंकि इस समय उसे बहुत मजा आ रहा था आनंद आ रहा था नूपुर की जवानी के साथ खेलकर उसका मन बहक रहा था,,। और उसके मन में उसकी भावनाएं पूरी तरह से जोर पकड़ रही थी क्योंकि उसे ऐसा लग रहा था किसी तरह की हरकत नूपुर उसके साथ कर रही है कहीं ऐसा ना हो जाए कि आज नूपुर की चुदाई करने को उसे मिल जाए लेकिन इस बात को सोचकर उसके मन में इस बात का डर भी था कि आज तक उसने चुदाई तो किया नहीं है है इतना जरुर जानता है की बुर में लंड डाला जाता है लेकिन कैसा अनुभव होता है कैसा लगता है यह उसे नहीं मालूम था क्योंकि वह इस अनुभव से नहीं गुजरा था लेकिन फिर भी तैयार था अगर किसी भी तरह से राहुल की मां उससे चुदवाने के लिए तैयार होती है तो वह उसे जरूर चोदेगा,,,,,, चाय का कप टेबल पर रखा हुआ था लेकिन चाय से ज्यादा मजा राहुल की मां दे रही थी इसलिए वह राहुल की मां की तरफ देख रहा था जो की गांड मटकाते हुए दरवाजे की तरफ जा रही थी,,, और वह भी यही देखना चाहता था कि इस समय कौन आया है कहीं राहुल तो नहीं आ गया अगर वह आ गया होगा तो क्या सोचेगा,,,,।


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अंकित अपने मन में यही सब सो रहा था कि तभी दरवाजा खुला और सामने अपने पति को देखकर मन ही मां नूपुर उसे गाली देते हुए सहज होने का नाटक करते हुए बोली,,,,।

अरे आप इतनी जल्दी आ गए,,,।

हां वह क्या है ना कि आज थोड़ा सर दर्द हो रहा था इसलिए आधे दिन की छुट्टी लेकर आ गया,,,,(हाथ में लिया हुआ देख नूपुर को थमाते हुए नूपुर का पति बोला,,,० और धीरे से कमरे में प्रवेश किया नूपुर दरवाजा बंद कर दी ,,, नूपुर के पति की नजर जैसे ही अंकित पर पड़ी वह एकदम से थोड़ा सा चौंकते हुए बोला,,,)

तुम,,,,, तुम्हें शायद मैं नहीं जानता कौन हो तुम,,,,?.

(नूपुर के पति की बात सुनकर अंकित कुछ बोलता है इससे पहले ही नूपुर बोली,,,)

मेरे साथ ही पढ़ती हैं उनका लड़का है अंकित और यह अपने राहुल का बहुत अच्छा दोस्त है राहुल से मिलने आया था लेकिन राहुल घर पर नहीं है,,,।



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ओहहह,,, तो तुम राहुल के दोस्त हो,,,,।

नमस्ते,,,(अपनी जगह से खड़े होते हुए) जी अंकल,,,

बैठ जाओ बैठ जाओ,,,,,,(नूपुर के पति की बात सुनकर अंकित फिर से अपनी जगह पर बैठ गया लेकिन मन ही मन राहुल के पापा को बहुत गाली दे रहा था क्योंकि इस समय वह ख्वाब में हड्डी बन चुके थे,,, टेबल पर रखी चाय का कप देखकर राहुल के पापा भी पास ही पड़ी कुर्सी को खींचकर टेबल के पास बैठ गए और बिना कुछ बोल ही चाय का कप लेकर चुस्की लेने लगी और साथ ही अंकित को बोले,,,,)

चाय पियो बेटा ठंडी हो जाएगी,,,,।

जी अंकल,,,,,(अंकित तुरंत हाथ बढ़ाकर चाय का कप हाथ में ले लिया और अपने मन में ही बोला आप चाय पीने से क्या फायदा चाय के साथ-साथ अरमान भी ठंडा पड़ गया,,,, और फिर चुस्की लेने लगा,,,, नूपुर पास में ही खड़ी होकर गुस्से से अपने पति की तरफ देख रही थी आज उसके पूरे अरमान पर उसके पति ने ठंडा पानी जो डाल दिया था पूरी तरह से अंकित का साथ पाकर वह गर्म हो चुकी थी और उसे पूरा यकीन था कि कुछ ही देर में वह जरूर अंकित के लंड को अपनी बुर में ले लेगी क्योंकि इसके लिए वह पूरी तरह से तैयार भी हो चुकी थी,,,।



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अंकित चाय पी चुका था आपको जानता था कि उसका वहां रहना आप उचित नहीं था और कोई मायने भी नहीं रखता था क्योंकि उसके पति के लिए हाजरी में कुछ भी होने वाला नहीं था इसलिए वह धीरे से अपनी जगह से उठ गया और नूपुर की तरफ देखते हुए बोला,,,।

अच्छा आंटी मैं चलता हूं मुझे देर हो रही है,,,,।

ठीक है बेटा,,,,,

नमस्तेअंकल,,,

खुश रहो,,,,।

(राहुल के पापा के मुंह से यह सुनकर अंकित अपने मन में बोला खुश रहने दोगे तब ना इतना अच्छा मौका मिला था बेवजह चले आए,,, और इतना कहने के साथ ही वह दरवाजे की तरफ जाने लगा तो नौकरी उसके पीछे-पीछे जाने लगी,,, दोनों दरवाजे पर पहुंच गए अंकित दरवाजा खोलकर घर से बाहर निकाल कर एक बार फिर से नूपुर की तरफ देखा तो नुपुर उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोली,,, )



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चले आया करो अंकित,,,, इसे अपना ही घर समझना,,,,(ऐसा कहते हुए नूपुर जानबूझकर दरवाजे के दोनों तरफ दोनों हाथ रखकर अपनी छाती को बाहर की तरफ निकली हुई थी या यूं कह लो की एक तरह से वह अंकित को अपनी चूचियों की गोलाइ दिखा रही थी और अंकित उसकी छाती की तरफ देख भी रहा था,,,,)

जी आंटी जरूर आऊंगा,,,,।

वैसे चाय बनाने में जिस तरह से तुमने मेरी मदद किए हो अगर खाना बनाने में मेरी मदद करते तो मजा आ जाता,.

कोई बात नहीं आंटी अगर मौका मिलेगा तो खाना बनाने में भी मदद करूंगा,,,,।

और हां यह पूछना तो भूल ही गई सुगंधा स्कूल क्यों नहीं आ रही,,,।



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अरे हां आंटी में भी बताना भूल गया मम्मी की तबीयत खराब है इसलिए दो-तीन दिन तक और नहीं आ पाएंगी,,,।

अरे ऐसा क्या हो गया जो दो-तीन दिन तक नहीं आ पाएंगी,,,(नूपुर एकदम हैरान होते हुए बोली,,,)

वह क्या है ना मम्मी को थोड़ा मलेरिया का असर हो गया था इसलिए डॉक्टर दो-तीन दिन आराम करने के लिए बोला है वैसे तो अभी आराम है लेकिन दो-तीन दिन और आराम कर लेंगी तो अच्छा रहेगा,,,।

वैसे कोई दिक्कत वाली बात तो नहीं है ना,,,।

नहीं नहीं आंटी ऐसी कोई भी बात नहीं है सब एकदम नॉर्मल बस दो-तीन दिन औपचारिकता बस आराम करना है,,,।



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चलो कोई बात नहीं,,,, और तुम भूलना नहीं आते रहना,,,,,।

जी आंटी आते रहूंगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही अंकित थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए अपने पेट में बने तंबू को हाथ से पकड़ कर उसे नीचे दबने की जानबूझकर कोशिश करने लगा वह नूपुर का ध्यान अपनी पेंट के ऊपर लाना चाहता था और ऐसा ही हुआ ,,, अंकित की हरकत को देखकर नूपुर का ध्यान अपने आप ही उसके पेंट में बने तंबू पर गया जो की अभी-अभी बना था पर उसे देखकर मुस्कुरा दी और अंकित भी मुस्कुराकर अपने घर की तरफ चलने लगा,,,,।

उसके पेंट में बना तंबू देखकर नुपुर का मुस्कुराना अंकित को पूरी तरह से मदहोश कर गया था और अंकित जिस तरह से मुस्कुराया था उसे देखकर नूपुर समझ गई थी कि उसकी युक्ति कम कर गई है आपको समझ गई थी कि उसकी जवानी का कायल हो चुका है अंकित,,, अब उसके पास आए बिना वह भी नहीं रह पाएगा,,,




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इधर-उधर टहलता हुआ अंकित शाम को अपने घर पर पहुंचा घर पर पहुंचने पर देखा कि उसकी बहन तृप्ति की मां के साथ ही है इसलिए निराश हो गया और अपने कमरे में चला गया,,, ऐसा तीन-चार दिन तक चला वह मौका खोजता रहा लेकिन अपनी मां से अकेले में मिल नहीं पाया और ऐसा सुगंधा भी चाहती थी लेकिन तृप्ति के होते हुए ऐसा हो नहीं पाया,,, मां बेटे दोनों निराश थे ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि दोनों के मन की बात है दोनों जानते थे लेकिन दोनों के बीच इस तरह की हरकत हो चुकी थी जिस तरह से अंकित ने बीमार होने पर उसकी मदद किया था उसे देखते हुए दोनों के बीच आकर्षण बन गया था दोनों एक दूसरे के आकर्षण में पूरी तरह से मजबूर हो चुके थे,,,, और घर के पीछे जिस तरह से उसकी मां बैठकर पेशाब कर रही थी और पीछे मुड़कर अंकित कोई देख रही थी यह सब दोनों मां बेटे के बीच शारीरिक आकर्षण को और भी ज्यादा गहरा बना दिया था,,,,।




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सुगंधा बिल्कुल ठीक हो चुकी थी और वह स्कूल जाने के लिए तैयार थी और वह रसोईघर में खाना बना रही थी तृतीय तैयार होकर कॉलेज जा चुकी थी,,,, अंकित भी तैयार था लेकिन उसने अभी नाश्ता नहीं किया था इसलिए रसोई घर में आया और दरवाजे पर खड़े होकर अपनी मां को देखने लगा,,, रोटी बेलती हुई उसकी मां बेहद खूबसूरत और कामुक लग रही थी क्योंकि जिस तरह से वह हाथ चल रही थी उसके नितंबों में थिरकन हो रही थी और उसकी बड़ी-बड़ी गांड थरथरा रही थी जिसे देखकर उसका लंड अंगड़ाई ले रहा था,,,,, अंकित को इस तरह से अपनी तरफ देखता हुआ पाकर सुगंधा मुस्कुराते हुए बोली,,,,।

क्या हुआ ऐसे क्यों देख रहा है ऐसा लग रहा है कि जैसे बरसों से देखा ही नहीं है,,,,।

सच में मम्मी ऐसा ही लग रहा है तुमसे बात किए तीन दिन हो गए हैं पर ऐसा लग रहा है जैसे 3 साल गुजर गए हो,,,।

Sugandha or ankit kuch is tarah se

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मुझे भी ऐसा हीं लग रहा है,,,,,, तुझसे बात किए बिना अच्छा नहीं लगता,,,,।

(दोनों की तड़प एक जैसी ही थी,,,, दोनों एक दूसरे से बात किए बिना परेशान थी और अभी मौका मिलते ही दोनों आपस में बात करना शुरू कर दिए थे और आपस में बात करते हुए दोनों के बदन में अजीब के हलचल हो रही थी दोनों का मन और तन दोनों उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,। अंकित धीरे से रसोई घर में प्रवेश किया वह अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को देख रहा था उसके पिछवाड़े को देख रहा था और उसका मन कर रहा था कि पीछे से जाकर अपनी मां को बाहों में भर ले और उसे जी भर कर प्यार करें और अपने तंबू को उसकी गांड पर जोर-जोर से रगड़े लेकिन इतनी हिम्मत अभी उसमें नहीं थी बस सोचकर ही अपने मन को बहला रहा था,,,,)

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जल्दी से नाश्ता कर ले मुझे भी स्कूल जाने के लिए तैयार होना है समय भी हो रहा है,,,।

ठीक है जल्दी से दो,,,,(इतना कहने के साथ ही वह रसोई घर में ही नीचे जमीन पर पलाथी मार कर बैठ गया यह देखकर सुगंधा बोली,,)

अरे रे,,, यह कहां बैठ गया तू बाहर जाकर कुर्सी पर बैठ में लेकर आती हूं,,,,।

नहीं नहीं मैं यहीं बैठकर खाऊंगा तुम्हारे पास तुम्हें देखते हुए,,,,।
(अंकित की यह बात सुनकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न होने लगे और उसके चेहरे पर शर्म के भाव नजर आने लगे,,, और वह धीरे से बोली,,,)

अरे वाह तू तो फिल्मी डायलॉग मारने लगा है,,,, ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई हीरो अपनी हीरोइन से बातें ही कर रहा हो,,,,।


इसमें क्या हो गया मम्मी तुम किसी हीरोइन से कम हो क्या कितनी खूबसूरत लगती हो,,,,,।

(अंकित की बात सुनकर सुगंधा के गाल शर्म से लाल होने लगे वह खाना बनाते हुए शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी और मदहोश में जा रही थी अपने बेटे की बात सुनकर अंदर ही अंदर खुश होते हुए बोली)

चल रहने दे बातें बनाने को मस्का लगा रहा है खाली,,,।

नहीं मम्मी में मस्का नहीं लगा रहा हूं मैं सही कह रहा हूं,,,, तुम बहुत खूबसूरतहो,,,।

यह तू कह रहा है ना ऐसा तो मुझे कभी नहीं लगा,,,।


Sugandha or ankit

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खूबसूरती का पता खुद को थोड़ी चलता है दूसरों को ही पता चलता है कि सामने वाला कितना खूबसूरत है,,,,।
(अंकित की बातें सुगंधा को मदहोश कर रही थी अंकित के मुंह से निकला है एक-एक शब्द ऐसा लग रहा था की सुगंध के कानों में रस घोल रहा हो जिसे सुनने में सुगंध को भी बहुत मजा आ रहा था लेकिन वह जानती थी कि स्कूल जाने के लिए उसके पास समय बहुत कम है उसे जल्दी तैयार भी होना है इसलिए वह जल्दी से नाश्ता प्लेट में निकाल कर और चाय का कप अपने हाथ में लेकर अंकित के सामने जमीन पर रखती हुई बोली,,,)

अच्छा फिल्मी हीरो डायलॉग मारना बंद करो और जल्दी से नाश्ता कर लो,,, बहुत देर हो रही है,,,।

(अंकित का मन अपनी जगह से हटने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था वह अपने मन में सोच रहा था कि काश दिनभर इसी तरह से बैठकर अपनी मां के पिछवाड़े को देखता तो कितना मजा आता ,,, लेकिन वह भी जानता था कि वाकई में समय काम था इसलिए अभी नाश्ता करने लगा और साथ ही अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को हिलते हुए देखने लगा कसी हुई साड़ी में उसकी गांड और भी ज्यादा खूबसूरत और बड़ी-बड़ी लग रही थी,,,,,।


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सुगंधा अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा कुछ बोले उसकी खूबसूरती की तारीफ करें लेकिन वह नष्ट करने लगा था इसलिए सुगंधा भी खामोशी लेकिन तभी उसे कुछ याद आया हो इस तरह से चहकते हुए बोली,,,)


अरे हां मुझे याद आया उसे दिन तो तू बहुत बड़ा बन रहा था और बोल रहा था कि मैं तुम्हारे लिए यह खरीद दूंगा वह खरीद दूंगा,,,,।

(अपनी मां की बात सुनते ही अंकित को एकदम से याद आ गया कि वाकई में वहा अपनी मां के लिए चड्डी खरीदना चाहता था और इसके लिए उसकी मां उसे इजाजत भी दे दी थी लेकिन फिर भी जिस तरह से उसकी मां बोल रही थी वह जानबूझकर अनजान बनते हुए बोला,,,)

क्या खरीदना कुछ खुलकर बताओ ऐसे कहां पता चलेगा कि क्या खरीदने के लिए बोला था,,,,।

चल रहने दे तुझे सब मालूम है सिर्फ बातें बना रहा है,,,।

नहीं मम्मी सच में मुझे नहीं मालूम क्या खरीदने के लिए बोला था,,,।

अरे वही चड्डी खरीदने के लिए बोला था ना,,,

अरे हां मुझे याद आया,,,, तो क्या तुम अभी भी बिना चड्डी के खड़ी हो अंदर कुछ नहीं पहनी हो,,,,।

मेरे पास है कहां जो पहनू एक थी तो तू भी उसे न जाने कैसे फाड़ दिया एकदम गोल गोल उंगली से फाडा की पता नहीं क्या डालकर फाड़ा है,,,।
(इतना सुनते ही अंकित का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो गया क्योंकि जिस तरह से उसकी मां बोल रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे शक हो गया हो कि उसकी चड्डी का छेद बड़ा कैसे हो गया,,,, फिर भी अपनी मां की बात सुनकर वह बोला,,,)

Sugandha or ankit

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क्या मम्मी तुम भी मुझे अच्छी नहीं लगी तो उंगली से मैंने उस छेंद को फैला दिया उसमें कुछ डाला थोड़ी ना हूं तुम्हें क्या लगता है कि उसमें मैंने कुछ और डाला हूं,,,,,।

चड्डी की हालत देखकर लगता नहीं की तेरी उंगली से वह छेद बड़ा हुआ है,,,, उसमें कुछ और डाला गया है तभी उसकी चौड़ाई एकदम से बढ़ गई,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर अंकित एकदम हैरान हो गया,,, ईस बात का डर था कि कहीं उसकी मां को पता तो नहीं चल गया कि उसकी चड्डी का छेद बड़ा कैसे हो गया है,,।)

क्या मम्मी तुम्हें तो लगता है कि जैसे मैं उंगली नहीं अपना वो,,,,(इतना क्या करवा एकदम से रुक गया लेकिन सुगंध अपने बेटे के कहने का मतलब का अच्छी तरह से समझ गई थी और अंकित अपनी बात का रुख बदलते हुए बोला,,,) अच्छा छोड़ो क्या तुम सच में अभी भी कुछ भी नहीं पहनी हो मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तुम्हारे पास एक ही चड्डी है,,,।


Nupur or ankit

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हारे में सच कह रही हूं अंदर कुछ नहीं पहनी हूं,,, अब क्या तुझे अपनी साड़ी उठाकर दिखाओ,,,।

दिखा दो इसमें क्या हुआ,,,,।

(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि उसका बेटा सीधे-सीधे उसे अपनी साड़ी उठाने को कह रहा था ताकि वह यह देख सके कि वह चड्डी पहनी है कि नहीं और सुगंधा यह भी जानती थी की साड़ी कमर तक उठा देने पर उसका बेटा सिर्फ यही नहीं देखेगा कि वह चड्डी पहनी है कि नहीं बल्कि उसकी बुर के दर्शन करके धन्य हो जाएगा,,,, और इस बात का डर नहीं बल्कि सुगंधा के मन में उत्सुकता थी क्योंकि उसकी बात सुनकर वह अभी अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी नंगी जवान को उजागर करने के लिए तड़प रही थी लेकिन फिर भी इस समय न जाने क्यों उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,। फिर भी वह जानबूझकर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

किसी बातें कर रहा है तू अपने तुझे साड़ी उठाकर दिखा दुं,,।

तो इसमें क्या हो गया मम्मी दिखा दो ना,,,,।

इसका मतलब है कि तुझे मेरी बातों पर विश्वास नहीं है तुझे लगता है कि मैं अंदर चड्डी पहनी हूं,,,।

इसलिए तो देखने को बोल रहा हूं देख लूंगा तो मुझे भी यकिन हो जाएगा कि वाकई में तुम्हारे पास चड्डी नहीं है,,,।

Nupur ki chudai

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(जिस तरह से अंकित जिद कर रहा था उसकी जीद देखकर सुगंधा की बुर पानी छोड़ रही थी वह मदहोश हो रही थी उसे अच्छा लग रहा था अंकित का इस तरह से जिद करना,,,, और मौके की नजाकत और समय का अभाव देखकर ज्यादा न होकर करना सुगंधा को भी ठीक नहीं लग रहा था इसलिए वह बोली,,,)

चल फिर तेरी शंका को दूर कर देते हैं नहीं तो तू हमेशा मुझे झूठी समझना रहेगा कि मेरे पास पेंटिं है और मैं जानबूझकर तुझे ना कह रही हूं,,,।

(और इतना कहने के साथ ही सुगंधा अंकित की तरह पीठ करके खड़ी हो गई और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को उठाने लगी है देखकर अंकित का दिल जोरों से धड़कने लगा और उसे इस बात की खुशी होने लगी थी उसकी मां इतनी जल्दी उसकी बात मान गई और देखते-देखते उसकी मां धीरे-धीरे अपनी साड़ी को घुटनों तक उठा दी थी और उसके बाद एक झटके से साड़ी को अपनी कमर तक उठाकर अपनी नंगी गांड को दिखाते हुए वह बोली,,,)

Sugandha kapde pahanti huyi

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ले देख ले अच्छे से मैं क्या चड्डी पहनी हूं,,,।

(अंकित क्या कहता अपनी मां की जवानी देख कर तो उसकी बोलती बंद हो गई थी वह तो आंख फाड़े अपनी मां की नंगी गांड को देख रहा था,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी ,,, और सुगंधा भी जानबूझकर अपनी साड़ी कमर तक उठाया अपने बेटे को अपनी नंगी गांड दिख रही थी वह जानती थी की औरतों का कौन सा अंग देखकर मर्द ज्यादा उत्तेजित और विवस हो जाते हैं उसे पाने के लिए,,,, सुगंधा जानबूझकर अंकित की तरफ अपनी पीठ करके खड़ी थी ताकि वह उसे अपनी गांड दिखा सके वह चाहती तो इसी समय अपने बेटे को अपनी बुरे भी दिखा सकती थी लेकिन वह जानती थी कि अपनी जवानी के बेस कीमती खजाने को मर्द के सामने कब उजागर करना है वह अपने बेटे को थोड़ा और तड़पाना चाहती थी और कुछ सेकेंड तक खड़े रहने के बाद अपने बेटे का जवाब सुने बिना ही सुगंधा अपनी साड़ी को वापस नीचे कर दी और अंकित की तरफ देखकर कर बोली,,,,।


Chuchiyo par peticoat ki dori kasti huyi sugandha

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देख लिया ना तुझे तसल्ली हुई कि मैं अंदर कुछ पहनी हूं कि नहीं पहनी हूं,,,,।

(अंकित क्या बोलता उसकी तो वह खुद बोलती बंद कर दी थी अपनी जवानी दिखाकर फिर भी अपने आप को सहज करता हुआ वह धीरे से बोला,,,)

वाकई में मम्मी तुम तो अंदर कुछ नहीं पहनी हो इसका मतलब सच में तुम्हारे पास चड्डी नहीं है,,,।

तो क्या और तुझे लग रहा था कि मैं झूठ बोल रही हूं,,,,। अब बोल खरीदेगाकि नहीं,,,,।

खरीद तो लाऊंगा ,,, लेकिन मेरे पास तुम्हारा नाप नहीं है,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा मुस्कुराने लगी)

..bathroom me chudwati huyi nupur

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Bahut hi shandar update please keep updating
 

rohnny4545

Well-Known Member
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Ab toh naaptol ke bahane manmani hogi kyunki naapne ke liye inch tape nahin hoga, ek toh naapte waqt manmani karega aur ek napwaane ke dukaan mana maani karweygi bas ab dekhna kitna khulkar dono shabdo aur haathi ke khel se naaptol hota hain...

Ankit bahut saare Bra aur Panty ka set laage, aur pooch ne pey ki inke liye itne paisey kahan se aaye to Ankit kahein ki woh side business bhi karta hain aur woh ussi paisey kharid kar laya hain jisse Sugandha ko bahut harsh aur garv hota aur apni khushi vyakt karte huey Ankit ko swikriti bhi deri hain aur kehati hain ek Mard ke taur pe Ankit ney ek jimmedari uttah li hain, lekin ek Mard ke taur pe apni kamai apni Aurat ko deni hoti hain, jisper Ankit Note ka bundle Sugandha ke noobs ke beech mein rakh deta hain jisse Sugandha muskarkar aur yeh Kaha kar swikriti deti hain ussey yeh Andaaz pasand saaya. Ankit ne kriya janbujh ke kiya hain taaki woh Sugandha ka man parakh lekin aage basne se pehle. ..

Looking for spider update
Dhanyawad dost
Bahut hi shandar update please keep updating
Sugandha or ankit bathroom me

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Blackserpant

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मां बेटे दोनों सुखी हुए कपड़े लेकर नीचे आ चुके थे और थोड़ी ही देर में तृप्ति भी आ गई थी,,, लेकिन जिस तरह की बातें हो रही थी दोनों मां बेटे के बीच उत्तेजनात्मक मदहोशी भारी उसके चलते इस समय तृप्ति का घर आना मां बेटे दोनों को भी अच्छा नहीं लग रहा था उन दोनों को ऐसा ही लग रहा था जैसे मानो कबाब में हड्डी,,, क्योंकि दोनों जिस तरह से बातें कर रहे थे वह मां बेटे के बीच नहीं बल्कि एक मर्द और औरत के बीच बातें हो रही थी,,,,।







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अंकित तो खुशी से फुल नहीं समा नहीं रहा था क्योंकि उसकी मां ने उसे अपने लिए पेंटिं खरीदने के लिए जो बोल दी थी,,, यह उसके लिए पहला अनुभव होगा जब वह अपनी मां के लिए चड्डी खरीदने बाजार जाएगा आज तक अंकित ने औरतों के अंतर्वस्त्र को खरीद नहीं था और ना ही कुछ अनुभव था उनके साइज के बारे में,,,,, अंकित इसलिए हैरान था कि उसकी मां उससे कितना ज्यादा खुलती चली जा रही थी जो अपने अंतर्वस्त्र को हमेशा कपड़े के नीचे ढक कर रखती थी उसे सूखाती थी,, आज खुद ही उसे धोने के लिए दी थी उसे सूखाने के लिए दी थी,,, अंकित को इस बात का एहसास हो रहा था कि जिस तरह की बातें उन दोनों के बीच हो रही थी उसकी मां बिल्कुल भी हिचकिचा नहीं रही थी एकदम सहज होकर बातें कर रही थी,,,, खास करके अपनी ही चड्डी के छोटे से छेद को बड़ा हुआ देखकर उसमें उंगली डालकर अंदर बाहर करना यह इशारा बहुत ही खास था जो ठीक तरह से अंकित समझ नहीं पाया था लेकिन अब उसे थोड़ा-थोड़ा एहसास हो रहा था कि उसकी मां इस तरह की हरकत करके क्या जताना चाह रही थी इसलिए अपनी मां की उस हरकत के बारे में सोच कर इस समय उसका लंड खड़ा हो चुका था,,,,।

Sugandha apne bete k sath

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तृप्ति आते ही चाय बनाना शुरु करती थी क्योंकि वह जानती थी कि उसकी मां की तबीयत ठीक नहीं है इसलिए घर का सारा काम सही करना था और वह किसी भी तरह से अपनी मां को परेशान नहीं होने देना चाहती थी इसलिए जल्दी से चाय बनाकर अपनी मां के कमरे में पहुंच गई जहां पर वह लेटी हुई थी,,,, वैसे तो दवा अपना असर कर रही थी और सुगंधा अच्छा खासा अनुभव कर रही थी,,, उसे जल्द ही आराम हो गया था,,,, लेकिन फिर भी न जाने क्यों सुगंधा अपनी बेटी को यह दिखाना चाहती थी कि उसे अभी ठीक से आराम नहीं हुआ है इसका कारण एक ही था कि दूसरे दिन भी अंकित स्कूल न जाए और उसकी देखभाल करें,,।



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एक ही कमरे में तीनों बैठकर चाय की चुस्की ले रहे थे,,, और चाय की चुस्की लेते हुए तृप्ति बोली,,,।

हां मैं यह बताना तो भूल ही गई हमारे कॉलेज में तीन-चार दिनों की छुट्टी है,,,,,, चलो अच्छा ही हुआ तीन-चार दिन में ही तुम्हारा ख्याल रखूंगी,,,, अंकित परेशान हो गया होगा,,,,।
(कॉलेज की छुट्टी के बारे में सुनते हैं मां बेटे दोनों एकदम से सन्न रह गए दोनों के चाय के कप उनके होठों तक आकर एकदम से रुक गए थे,, और अनजाने में ही दोनों एक दूसरे के सामने देखने लगे थे क्योंकि वह दोनों जानते थे कि तृप्ति के घर पर न होने की वजह से दोनों आपस में कितना खुल रहे थे और उसकी हाजिरी में ऐसा कुछ भी नहीं हो पाएगा इसलिए दोनों अंदर से दुखी हो गए थे लेकिन फिर भी अंकित सहज होता हुआ बोला,,,)


Sugandha or ankit ki masti

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इसमें परेशानी की कौन सी बात है दीदी,,, यह तो हमारा फर्ज है ना अगर मैं बीमार पड़ता तो मम्मी दिन-रात मेरी सेवा करती रहती अगर आज वह बीमार है तो सेवा तो करना ही पड़ेगा ताकि जल्दी ठीक हो जाए,,,।

वैसे मम्मी तुम नही थी,,,।

हां,,,, बिना नहाए अच्छा नहीं लग रहा था,,,,।

कपड़े तो रखी हो ना मैं धो देती हूं,,,।

अरे नहीं नहीं कपड़े तो मैं धो दी,,,

क्या करती होमम्मी,,,,(एकदम गुस्से से अंकित की तरफ देखते हुए अपनी मां से बोली) तुम्हारी तबीयत खराब थी ना तुम्हें सब नहीं करना चाहिए था पर तुम्हारी देखभाल करने के लिए मैं अंकित को तो घर पर छोड़कर गई थी और अंकित क्या तू एक दिन मम्मी के कपड़े नहीं धो सकता,,,,।



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अरेलेकिन,,,(अपनी बड़ी बहन की बात सुनकर अंकित बोल तो उसकी बात को बीच में ही काटते हुए सुगंधा झट से बोली)

अरे तो क्या हो गया तृप्ति मुझे आराम लग रहा था तो मैं धो दी वैसे अंकित मुझे धोने नहीं दे रहा था लेकिन फिर भी मैं धो डाली,,,,।
(सुगंधा अंकित की तरफ देखते हुए बोली अंकित अपने मन में ही बोल रहा था तुम क्या जानो दीदी तुम्हारे जाने के बाद घर में क्या-क्या हुआ है आज जो नजर मैंने देखा हूं वैसा नजारा मैंने कभी नहीं देखा और पहली बार मम्मी के कपड़े धोने में मुझे इतना मजा आया कि पूछो मत खासकर की मम्मी की ब्रा और चड्डी,,,,, अपनी मां की बात सुनकर तृप्ति बोली,,,)

चलो आज जो हुआ सो हुआ अब दो-तीन दिन बिल्कुल भी नहीं काम करना,,,, ठीक है ना,,,।


Sugandha or ankit

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हां बाबा बिल्कुल ठीक है बस,,,,

अब मैं जल्दी से खाना बना देती हूं,,,,।

ठीक है जाकर बना दे,,,,।

वैसे तुम क्या खाओगी मम्मी,,,,।

मम्मी को तो डॉक्टर ने हल्का खाना खाने को बोला है ऐसा करो,, तुम खिचड़ी ही बना दो,,,(अंकित समझदारी दिखाते हुए बोला और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) जल्दी से बन भी जाएगा,,,,

हां यह तो ठीक कह रहा है एक ही दिन में समझदार हो गया है,,,,।




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(तृप्ति की बात सुनकर सुगंधा अपने मन में बोली एक ही दिन में समझदार और मर्द दोनों बन गया है,,,
तृप्ति खाना बनाने के लिए चली गई और अंकित घर से बाहर थोड़ा टहलने के लिए निकल गया और टहलते हुए वह अपनी मां के बारे में ही सोच रहा था दिन भर जो कुछ भी हुआ उसके बारे में सोच रहा था,,,, उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि एक औरत का साथ मर्द को कितना आनंदित कर देता है,, औरत की हर एक अदा मर्दों के लिए कितनी कामुकता भरी होती है आज ईसका एहसास हो रहा है,,, औरतों का नहाना कपड़े बदलना कपड़े उतारना बातें करना सब कुछ तो उत्तेजित कर जाता है,,, आज कितना अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था इसका एहसास उसे अभी तक हो रहा था,,,।

अंकित अपनी मां के बारे में सोच कर मदहोश हो रहा था कि तभी उसके कानों में आवाज आई,,,।




Sugandha or ankit

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अंकित,,,ओ अंकित,,,,,।
(अपना नाम सुनाई देते हैं अंकित पीछे मुड़कर देखा तो ठीक उसके पीछे सुमन खड़ी थी उसे देखते ही उसकी आंखों की चमक एकदम से बढ़ गई और वह एकदम से हडबढ़ाते हुए बोला,,)



कककक,,, क्या हुआ दीदी,,,?

अरे हुआ कुछ नहीं है मैं घर का थोड़ा सामान लेने जा रही थी तुझे देखी तो रुक गई वैसे तुझे कोई काम है क्या,,,।

नहीं नहीं दीदी मैं तो ऐसे ही घूम रहा हूं,,,।

तो चल मेरे साथ थोड़ा सामान खरीद कर वापस आ जाते हैं,,,।



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हां,,, हां,,,,, चलो,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही दोनों पास ही नुक्कड़ के किराना की दुकान पर चल दिए चलते हुए सुमन अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)

वैसे लगता है कि पढ़ने में ध्यान नहीं दे रहे हो,,,।

नहीं नहीं दीदी ऐसी कोई भी बात नहीं है लेकिन ऐसा क्यों कह रही हो,,,,।

ऐसा इसलिए कह रही हूं कि तुम्हें मैं अपने घर बुलाई थी पढ़ने के लिए,,, कोई भी सब्जेक्ट में परेशानी हो तो मुझसे पूछ लेना ऐसा मैं बोली थी लेकिन तुम तो उस दिन से दिखाई ही नहीं दिए,,,।



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नहीं दीदी ऐसी कोई भी बात नहीं है,,,, जब जरूरत पड़ेगी तो बिना कहे तुम्हारे पास आ जाऊंगा पूछने के लिए,,, वैसे भी एग्जाम आने वाले हैं तब तुम्हारी जरूरत मुझे पड़ेगी,,,,।

ठीक है बेझिझक पूछ लेना,,,, तुम्हारे लिए मैं हमेशा तैयार हूं,,,,,, लो बातों ही बातों में दुकान भी आ गई,,, और दोनों दुकान की सीढ़ियां चढ़ने लगे लेकिन आगे आगे सुमन थी और पीछे अंकित था और ऐसे में अंकित की नजर अपने आप ही सुमन की गदराई गोल गोल गांड पर चली गई और इस समय वह पजामा और कुर्ती पहनी हुई थी,,, जिसकी वजह से उसका बदन और भी ज्यादा भरा हुआ लग रहा था ,, खास करके उसकी गांड को ज्यादा ही उभरी हुई नजर आ रही थी जिसे देखते ही अंकित की हालत खराब होने लगी उसके मुंह में पानी आने लगा,,,, दुकान पर अच्छी खासी भीड़ थी जिसकी वजह से सुमन आगे खड़ी थी और ठीक उसके पीछे अंकित खड़ा था,,,।


Ankit or uski ma

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इस तरह से दुकान पर खड़े होने की वजह से उसे बाजार वाली बात याद आ गई जब वह इसी तरह से अपनी मां के साथ घर का सामान खरीदने के लिए आया था और तभी एक औरत के हाथ से कुछ सामान गिर जाने की वजह से वह एकदम से नीचे चुका गई थी और उसके झुकने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी गांड ठीक उसके लंड पर आ लगी थी,,, जिसकी वजह से अंकित केतन बदन में अजीब सी हलचल महसूस हुई थी,,, और वह औरत भी जाते-जाते उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी,,,, उस पल अंकित पहली बार किसी औरत को टकटकी लगाए देख रहा था,, पहली बार उसे उत्तेजना का एहसास हुआ था क्योंकि उसे समय उसकी उत्तेजना के केंद्र बिंदु में औरत के आकर्षण का मुख्य जरिया जो आ लगा था,,,।




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दुकान पर अच्छी खासी फिर सब लोग अपना-अपना सामान ले रहे थे और दुकान पर दुकान के शेठ के साथ-साथ उसके दो मजदूर भी थे , जो जल्दी-जल्दी ग्राहकों को सामान दे रहे थे,,,, उस दिन वाली घटना को याद करके अंकित का लंड खड़ा हो चुका था,,, और उसे अपनी स्थिति पर शर्मिंदगी का भी एहसास हो रहा था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि किसी की भी नजर उसके पेंट के आगे वाले भाग पर पड़े,,,, इसलिए वह सुमन से भी तकरीबन चार पांच अंगुल की दूरी बनाए हुए था क्योंकि वह जानता था कि अगर वह थोड़ा सा भी आगे किया तो उसके पेट में बना तंबू सुमन की गांड पर रगड़ खाने लगेगा और वह न जाने क्या समझेगी लेकिन ऐसा एहसास उसे सुमन के घर में ही प्राप्त हो चुका था जब वह उसके घर गया था और उसे समय तो हुआ है उसके नितम्बो की रगड़ अपने लैंड पर महसूस करके उसकी कमर को भी दोनों हाथों से दबोच दिया था क्योंकि सब कुछ अपने आप ही हुआ था,,, और वह इस बात से अनजान था कि उसी दिन से सुमन उसके आकर्षण में बंध गई थी,, उसके मर्दाना अंग पर मोहित हो गई थी।



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सुमन के मन में भी कुछ और चल रहा था सुमन चाहती थी कि उसे दिन की तरह आज भी अंकित का मर्दन अंग उसकी गांड से रगड़ खाएं इसलिए वह अभी तक दुकानदार से सामान नहीं मांगी थी बस खड़ी होकर हल्के हल्के अपनी नितंबों को थिरकन दे रही थी और एक बहाने से,, अपनी गांड को पीछे की तरफ ढकेल के अंकित के लंड से अपनी गांड को स्पर्श करा रही थी लेकिन वह अपने इरादे में कामयाब नहीं हो पा रही थी क्योंकि अंकित थोड़ी सी उससे दूरी बनाकर खड़ा था,,,, अंकित देख रहा था कि सब लोग धीरे-धीरे अपना सामान लेकर जा रहे हैं लेकिन भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही थी और सुमन थी कि अभी तक कुछ बोल ही नहीं थी कि उसे क्या चाहिए इसलिए अंकित धीरे से उसके कान के पास अपने होठों को लाया और बोला,,,।




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दीदी कुछ बोलो तो सही वरना खड़े रह जाएंगे,,,,।
(अंकित उसके कान के इतने करीब अपने होठों को ले जाकर के बोला था कि उसकी गर्म सांसे उसे अपनी कानों पर महसूस हुई थी और वह इस एहसास से पूरी तरह से मत हो गई थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि मानो जैसे अंकित उसके गर्दन पर चुंबन करने जा रहा हो,,,,, फिर भी गहरी सांस लेते हुए वह बोली,,,)

हां,,,, बोल रही हूं,,,,,,(और इतना कहने के साथ है वह दुकानदार से सामान मांगना शुरू कर दी धीरे-धीरे उसके मजदूर सामान पैक करने लगे अंकित अच्छा खासा उत्तेजित हो चुका था बार-बार उसकी नजर पजामे में सुमन की गांड पर चली जा रही थी जिसकी वजह से उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर पेंट में खुंटा बनाया हुआ था अंकित इस बात से डर भी रहा था कि कहीं उसका खुंटा सुमन के छेद में न घुसने लगे इसलिए वह बहुत संभाल कर खड़ा था,,,।


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लेकिन तभी उसके पीछे दो-तीन लड़के आ गए जो आपस में मस्ती करते हुए अंकित से टकरा गए और अंकित अपने आप को पूरी तरह से बढ़ाने की कोशिश करते हुए भी नाकामयाब रहा और वास्तव में उसका खुंटा जाकर सुमन की गदराई गांड के बीचों बीच दस्तक देने लगा,,,, एक तरफ आश्चर्य से अंकित की आंखें फटी की फटी रह गई थी वहीं दूसरी तरफ सुमन पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,, उसे अपनी गांड के बीचों बीच अंकित का खुंटा धंसता हुआ महसूस हो रहा था,, वह पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी दुकान पर लगी थी इस बात से पूरी तरह से अनजान अच्छी दुकान पर ही एक जवान लड़की और एक जवान लड़का आपस में अपने अंगों को रगड़ रहे हैं,,,, अंकित की तो हालत खराब हुए जा रही थी,,, वह जल्द से जल्द अपने आप को पीछे लेना चाहता था लेकिन तभी फिर से वह लडके आपस में मस्ती करते हुए धक्का मुककी करने लगे और इस बार सुमन को ऐसा लग रहा था कि कहीं उसका पजामा फाड़ के अंकित का लंड उसकी गांड के छेद में ना घुस जाए,,,।



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अनुभव से भरी हुई सुमन अच्छी तरह से समझ गई थी कि वाकई में अंकित के पास दमदार लंड है उसकी तो बोलती बंद हो गई थी,,,, लेकिन अंकित एक तरफ उत्तेजना का अनुभव करता हूं दूसरी तरफ शर्मिंदा भी था इसलिए फिर से उसके कान के पास अपने होंठ को लाकरबोला,,,।

सॉरी दीदी,,, बच्चे धक्का मुक्की कर रहे हैं,,,(उसका इतना कहना था कि तभी फिर से धक्का लगा और इस बार पजामा पहने होने के बावजूद भी सुमन को साफ-साफ महसूस होने लगा कि अंकित का लंड उसके बुर के मुख्य द्वार पर दस्तक दे रहा था,,, सुमन तो चारों खाने चित हो चुकी थी उसे अपनी बर से मदन रस बहता हुआ महसूस हो रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गई थी और वह कुछ बोल नहीं पा रही थी वह इसी तरह से खड़े रहना चाहती थी लेकिन दुकानदार बार-बार उससे पूछ कर उसका सारा सामान पैक कर दिया था इस बीच अंकित अपने आप को सुमन के बदन से अलग नहीं कर पाया था क्योंकि वह लड़के भी ठीक उसके पीछे खड़े होकर अपना नंबर का इंतजार कर रहे थे,,, इस पल का अंकित पूरी तरह से फायदा उठाना चाहता था वह चाहता था कि वह अपनी कमर को आगे पीछे करके इस तरह से जताए की मानों जैसे वह सुमन की चुदाई कर रहा हो और ऐसा करने में उसे आनंद भी आता लेकिन वह ऐसा करने से डर रहा था बस उसी तरह से,,, खड़े रह गया था सुमन की गांड में लंड धंसाए,,,,।

APni ma ki chudai karta hua ankit

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इस बीच सुमन पूरी तरह से पानी पानी हो गई थी उसकी पेंटि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी क्योंकि अंकित के मोटे-मोटे लंड को अपनी बर के द्वार पर महसूस करके वह झड़ चुकी थी ,, इस बात का दुकान पर खड़ी भीड़ को पता भी नहीं चला था कि एक लड़की एक लड़के के लंड को अपनी गांड पर महसूस करके पानी छोड़ दी थी,,, यह एहसास यह अनुभव अंकित के साथ-साथ सुमन के लिए भी बेहद अद्भुत था क्योंकि सुमन इस तरह का अनुभव कभी नहीं प्राप्त की थी हां कभी कबार भीड़ भाड़ में आते जाते बस में सफर करते हुए मनचले लड़के भीड़ का फायदा उठाते हुए उसकी गांड से अपने लंड को स्पर्श करा देते थे या तो फिर उसकी गांड पर अपना हाथ रख कर दबा देते थे बस इतना ही होता था,,, लेकिन आज पहली बार भीड़ में किसी का लंड उसकी बुर के मुख्य द्वार तक पहुंचा था जिसकी वजह से वह झड़ गई थी,,,,।




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ना चाहते हुए भी सुमन को अपना सामान थैली में रखकर वहां से हटना पड़ा,,, वापस लौटते समय शर्म के मारे अंकित कुछ बोल नहीं पा रहा था तो सुमन ही उसका हौसला बढ़ाते हुए बोली,,,।

क्या हुआ खामोश क्यों हो,,कुछ बोलते क्यों नहीं,,?

वो , दीदी,,,, मैं जानबूझकर नहीं,,,,

(उसकी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि वह उसे रोकते हुए बोली,,)

कोई बात नहीं अंकित भीड़ में तो यह सब होता ही रहता है मुझे मालूम है तुम्हारी गलती बिल्कुल भी नहीं है,,, तुम शर्मिंदा मत हो,,,।
(सुमन जानबूझकर उसे इस तरह से बोल रही थी ताकि आगे भी इस तरह की गलती करने में उसे बिल्कुल भी डर महसूस ना हो और वह उसके साथ एकदम से खुल जाए क्योंकि सुमन उसके साथ आनंद लेना चाहती थी ,, उसके कठोर लंड को अपनी बुर की गहराई में महसूस करना चाहती थी,,, देखते ही देखते दोनों घर आ चुके थे और सुमन उससे बोली,,,)


Sugandha ki chudai

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याद रखना अंकित पढ़ाई में किसी भी प्रकार की तकलीफ आए तो मुझसे मिल लेना मैं तुम्हारी मदद करूंगी,,,।

जी दीदी,,,,
(पर फिर सुमन अपने घर चली गई और एक नए अनुभव के साथ अंकित अपने घर में आ गया,,,, थोड़ी ही देर में खाना तैयार हो चुका था तीनों साथ में मिलकर खाना खाकर कुछ देर के लिए टीवी देख रहे थे और टीवी देखते देखते रात के 12:00 बज गए थे,,,, सुगंधा धीरे से उठी और अंकित से बोली,,,)

अब मैं जा रही हूं सोने और तु भी जाकर सो जा,,, और त्रप्ती तू भी सो जा,,,।

बस थोड़ी देर और मम्मी,,,, फिल्म खत्म होने वाली है,,,।

ठीक है इसके बाद टीवी बंद करके सो जाना,,,,।




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(इतना कहकर सुगंध कमरे से बाहर जाने लगी लेकिन अंकित की नजर अपनी मां पर ही टिकी हुई थी तभी उसने देखा कि उसकी मां ड्राइंग रूम से बाहर निकाल कर अपने कमरे की तरफ जाने के बजाय घर के पीछे की तरफ जा रही थी और जाते समय एक नजर उसके ऊपर भी डाल कर गई थी,,,, अंकित का दिल जोरों से धड़कने लगा था वह अपने मन में सोचने लगा कि उसकी मां अपने कमरे में जाने क्यों बजाई पीछे की तरफ क्यों जा रही है जरूरवह पेशाब करने जा रही है,,,, यह ख्याल उसके मन में आते ही वह भी अपने आप को रोक नहीं सका वह भी एक अद्भुत दृश्य को देखने की चाह में धीरे से उठा ओर ड्राइंग रूम से बाहर निकल कर घर के पीछे की तरफ जाने लगा,,,,,।

उसे डर भी लग रहा था कि कहीं उसकी मां उसे कुछ भला बुरा ना कह दे लेकिन फिर भी वह एक मनमोहक दृश्य को देखने की चाह में अपने मन से डर को निकाल दिया घर के पीछे के दरवाजे के पास पहुंच गया और वहां दीवार के पीछे खड़े होकर वह अपनी मां की तरफ देख चलेगा जो कि अभी भी सामने की तरफ मुंह करके खड़ी थी मानो की जैसे उसके ही आने का इंतजार कर रही हो,,,, डर और उत्तेजना के मारे अंकित गहरी गहरी सांस ले रहा था उसकी किस्मत अच्छी थी कि आज भी चांदनी रात थी और उसे सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था,,,,।



Sugandha ki chudai
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और यह हकीकत ही था की सुगंधा उसके आने का ही इंतजार कर रही थी,,, और जैसे ही उसे बात का एहसास हुआ कि अंकित ठीक उसके पीछे दरवाजे के पास खड़ा है तो वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठने लगी वह अपने बेटे को अद्भुत नजारे का दर्शन करना चाहती थी जो कि वह कर भी चुकी थी लेकिन वह जानती थी कि इस तरह का दृश्य मर्दों के लिए हमेशा नया अनुभव ही लेकर आता है हर बार नया ही लगता है वह जानती थी इस दृश्य को बार-बार देखने में भी उसके बेटे को बिल्कुल भी बुरा नहीं लगेगा बल्कि हर बार ही वह पहले की तरह ही उत्तेजना का अनुभव करेगा,,,।





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जैसे ही सुगंधा अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठने लगे वैसे ही अंकित की हालत खराब होने लगी,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा देखते ही देखते सुगंध अपनी साड़ी को अपनी जांघों तक उठा दी उसकी मोटी मोटी जांघ चांदनी रात में भी चमक रही थी एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,, जिसे देख कर अंकित का लंड खड़ा हो रहा था,,, और फिर एकदम से नाटक पर से पर्दा उठाते हुए सुगंधा अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और अपनी मां की नंगी गांड देखकर अंकित की हालत खराब हो गई और अपने आप ही उसका हाथ उसके लंड पर आ गया और वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबाना शुरू कर दिया,,, और उसे इस बात का भी एहसास हो रहा था कि उसकी मां चड्डी नहीं पहनी थी इसका मतलब साफ था कि उसकी मां के पास चड्डी नहीं था और उसे अपनी मां के लिए चड्डी खरीदना बेहद जरूरी हो गया था,,,,।


Suman or ankit
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लेकिन उसे अपनी मां के बदन पर चड्डी ना देखकर इस बात का संतोष भी रहता था कि उसका बेस कीमती हुस्न एकदम से उसके सामने आ जाता है चड्डी उतारने का झंझट ही नहीं रहता,,, लेकिन फिर भी उसकी मां के लिए चड्डी बेहद जरूरी था,,, उसकी मां कमर तक साड़ी उठाई कुछ देर तक ऐसे ही खड़ी रही और अपने दोनों हाथों को अपने नितम्बों पर लाकर हल्के हल्के सहला रही थी,,, यह देखकर अंकित अपने मन में ही बोला यह क्या कर रही हो मम्मी यह काम तो मुझ पर छोड़ दो मैं अच्छे से तुम्हारे पूरे बदन को सहला दूंगा बहुत प्यार करूंगा,,,, अभी वह अपने आप से इस तरह की बातें कर ही रहा था कि तुरंत उसकी मां पेशाब करने के लिए नीचे बैठ गई,,,,।



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भला हो चांदनी रात का की उसे रात में भी अपनी मां का बेस कीमती खूबसूरत अंग उसका बदन एकदम साफ दिखाई दे रहा था जिसे देखकर वह उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुका था,,, अगले ही पल उसके कानों में अपनी मां की गुलाबी बुर में से निकलने वाली सिटी की आवाज एकदम साफ सुनाई देने लगी यह सिटी की आवाज नहीं थी बल्कि मटकना से भरी हुई अद्भुत संगीत की अकल्पनीय और था जिसे सुनने के लिए दुनिया का हर मर्द तरसता है और वह सुर इस समय अंकित के कानों में बड़े अच्छे से सुनाई दे रहा था वह मदहोश हुआ जा रहा था वह पेट के ऊपर से अपने लंड को जोर-जोर से मसल रहा था उसकी तो इच्छा हो रही थी किसी समय अपने लंड को बाहर निकाल कर अपनी मां को पेशाब करता हुआ देखकर अपने लंड को मुठिया कर उसका पानी निकाल दे लेकिन ऐसा करने में उसे डर लग रहा था,,,,।


Ankit k sath kapde utarti huyi sugandha

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अंकित की आंखों के सामने बेहद अद्भूत नजारा था,,, उसकी मां अपनी गांड खोलकर पेशाब कर रही थी और वह छूकर अपनी मां को देख रहा था उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि उसकी मां जानती है कि उसका बेटा पीछे छुपकर उसे पेशाब करता हुआ देख रहा है और यही एहसास सुगंधा के तन बदन में आग लग रहा था वह मदहोश हो जा रहे थे वह अपने मन में सोच रही थी कि इतने करीब होते हुए भी वह अब तक अपने बेटे का सही उपयोग नहीं कर पाई है उसका उपभोग नहीं कर पाई है,,,,, उसकी बुर से लगातार पेशाब की धार बड़ी तेजी से निकल रही थी और इतने में वह तुरंत अपनी नजर घुमा कर अपने बेटे की तरफ देखने लगी अंकित को इस बात का अंदाजा नहीं था कि उसकी मां पीछे देख लेगी और दोनों की नजर आपस में टकरा गई दोनों एक दूसरे की आंखों में देखने लगे दोनों एकदम स्तब्ध थे,,,।

Sugandha ki raseeli boor or ankit

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दोनों की नजर आपस में टकरा जाने की वजह से दोनों के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी दोनों कुछ पल के लिए एक दूसरे को ही देखे जा रहे थे यह नजारा अभी क्या खूब था सुगंधा पेशाब करते हुए अपने बेटे को देख रही थी और अपनी मां को पेशाब करता हुआ अंकित देख रहा था दोनों केतन में आग लगी हुई थी दोनों उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुके थे,,, अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना है और सुगंधा पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डुबकी लगा रही थी उसकी आंखों में प्यास झलक रही थी उसके चेहरे पर वासना की खुमारी नजर आ रही थी वह अपने बेटे को अपने करीब आने देना चाहती थी लेकिन उसका बेटा उसके ईसारे को समझ नहीं पा रहा था,,, सुगंधा सोच रही थी कि यह पल है उसकी जिंदगी से कभी खत्म ना हो बस वो इसी तरह से बैठकर पेशाब करती रहे और उसका बेटा उसे जी भर कर देखता रहे ,,, लेकिन ऐसा संभव नहीं था क्योंकि कुछ ही देर में सुगंधा की गुलाबी छेंद से पेशाब के निकलने वाली धार कमजोर पड़ने लगी,,,




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वह ऐसा चाहते नहीं थी लेकिन ऐसा उसके बस में भी नहीं था वह पेशाब कर चुकी थी लेकिन फिर भी कुछ देर तक इस अवस्था में बैठे रह गई वह अपने बेटे को जी भर कर अपनी नंगी जवानी के दर्शन करा रही थी और अभी तक अपने बेटे को ही देख रही थी और यह भी देख रही थी कि उसका बेटा उसकी नंगी जवान को देखकर किस कदर उत्तेजित हो रहा था वह लगातार अपने लंड को पेट के ऊपर से ही दबा रहा था मसल रहा था उसकी यह उत्तेजना देखकर उसके तन बदन में आग लगने लगी,,,,,अंकित भी अपनी मां को ही देख रहा था दोनों एक दूसरे के ऊपर से अपनी नजर को हटा नहीं रही थी दोनों की नजर में वासना एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,,,, इसके पास धीरे से मुस्कुराते हुए सुगंधा अपनी साड़ी को इस तरह से उठाए हुए ही खड़ी हो गई अभी भी खड़ी होने के बावजूद भी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और वह एक बार फिर से अपने बेटे की तरफ देखकर अपनी साड़ी को ऐसे गिरा दी जैसे कि एक खूबसूरत नाटक पर पर्दा पड़ गया हो,,,,,।

Sugandha or ankit bathroom me
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अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि वह वहीं पर खड़ा रहेगा अपने कमरे में चला जाए लेकिन वह इस समय अपनी मां के आकर्षण में इस तरह से बंध गया था कि वह चाह कर भी वहां से हील नहीं पा रहा था और उसकी मां मुस्कुराते हुए उसकी तरफ आगे बढ़ने लगी और उसके पास से गुजरते हुए उसे मुस्कुरा कर देखी और आगे बढ़ गई अंकित तो पूरी तरह से अपनी मां की मदद कर देने वाली जवानी का गुलाम बन चुका था वह उसे जाते हुए देखने लगा और फिर उसके जाते ही वह जैसे होश में आया हो धीरे से वह भी अपने कमरे में गया लेकिन जिस तरह की उत्तेजना का वह अनुभव कर रहा था उसे अपनी गर्मी शांत करनी थी और वह अपने कमरे में जाते ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा होकर अपनी मां को याद करके मुठ मारने लगा,,,।


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Best m best story
 
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