Shaandar update rohnny bhai par adhura sa lagaसुगंधा अपनी ही हरकत की वजह से काफी उत्तेजना महसूस कर रही थी जिंदगी में पहली बार में किसी जवान लड़कों के सामने अपने अंगों का प्रदर्शन की थी,,,, और वह भी पेशाब करते हुए,,,,,, सुगंधा कभी सोचा नहीं थी कि उसके ही क्लास के लड़के उसके बारे में गंदे ख्यालात रखते हैं,,,, लड़कों की बातों को सुनकर तो खुद उसकी बुर उत्तेजना के मारे कचोरी की तरह फूल गई थी उसे एहसास हो गया कि दुनिया में सारे मर्द चाहे किसी भी उम्र के हो औरतों के बारे में हमेशा गंदे ख्याल ही रखते हैं,,, लेकिन फिर भी बाथरूम के अंदर जो कुछ भी हुआ था बेहद अद्भुत था उसे अनुभव को महसूस करके सुगंधा अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,,।
Ankit or uski me ki kalpna
इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि एक औरत को पेशाब करते हुए देखने में मर्द को कितना आनंद आता है क्योंकि वह इस अनुभव से गुजर चुकी थी जिसका ताजा उदाहरण था खुद उसका लड़का जो उसे पेशाब करते हुए बड़े प्यासी नजरों से देखा था उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर नजर टीकाए हुए ना जाने कैसे-कैसे ख्यालात अपने मन में लाता था,,,,, सुगंधा को पूरा यकीन था कि उसका बेटा भी उसके बारे में गांधी कल्पना करके अपने हाथ से ही अपना लंड हिलाकर अपनी गर्मी शांत करता होगा,,, क्योंकि एक औरत को नग्न अवस्था में अर्धनग्न अवस्था में देखने के बाद एक मर्द के मन में किस तरह की हलचल होती है वह अच्छी तरह से जानती थी वह जानती थी कि उसे समय मर्द औरत को चोने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाता है और योग्य रूप से जुगाड़ ना मिलने पर बस एक ही सहारा रहता है अपने हाथ से हिला कर अपनी गर्मी को शांत करना,,,।
Sugandha or uska beta
क्योंकि ऐसे ही ख्यालात बाथरूम के दरवाजे के पीछे छुपकर उसे पेशाब करते हुए देख रहे दोनों लड़कों के मन में भी आ रहा था,,,, लेकिन वह दोनों ऐसा नहीं कर पाए थे,,, क्योंकि मुठ मारने की वह योग्य जगह नहीं थी,,, लेकिन फिर भी उन दोनों की मंशा जानकर ही सुगंधा की बुर से मदन रस टपकने लगा था और वह अपने मन में सोचने लगी थी कि उसके बेटे को छोड़कर बाकी सभी लड़के मौका मिलने पर औरत की चुदाई करने से पीछे नहीं आते लेकिन उसका बेटा इतना मौका मिलने के बावजूद भी अभी तक आगे नहीं बढ़ पाया था लेकिन इस कारण को भी अच्छी तरह से समझ रही थी वह जानती थी कि,,, अगर उसके लड़के के सामने उसकी जगह कोई और होती तो शायद उसका बेटा भी दूसरे लड़कों की तरह ही अपने कदम आगे बढ़ाने में बिल्कुल भी नहीं कतराता ,,,, लेकिन एक मां होने के नाते उसका बेटा इस रिश्ते के लिए आज से आगे बढ़ने से कतरा रहा था झिझक रहा था और यही चीज उसकी दूर करनी थी,,,।
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फिर भी बाथरुम के अंदर उसे बहुत ही अद्भुत आनंद की प्राप्ति हुई थी,,, गैर लड़कों के सामने और वह भी अपने ही विद्यार्थियों की आंखों के सामने अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी नंगी गांड दिखाते हुए पेशाब करने के लिए बैठ जाना यह भी काफी हिम्मत की बात है और शायद सुगंधा खुले तौर पर अपने विद्यार्थियों के सामने ऐसा नहीं कर पाती लेकिन उसके और उसके विद्यार्थियों के बीच एक लकड़ी का दरवाजा था और इसीलिए वह आराम से अपनी हरकत को अंजाम दे दी,,वरना वह ऐसा नहीं कर पाती भले ही अपने बेटे के सामने वह अपनी गांड दिखाते हुए पेशाब करने बैठ जाती थी लेकिन दूसरे लड़कों के सामने वह ऐसा कभी नहीं करती,,,। खैर इस बात से उसे इतना तो पता चल गया कि वह जिन लड़कों को पढ़ाती है वही लड़के उसे चोदने के लिए व्याकुल है,,,,।
Sugandha ki jabardast chudai
जैसे तैसे करके दो-तीन दिन गुजर गए,,, लेकिन अभी तक अंकित अपनी मां के लिए पैंटी नहीं खरीद कर लाया था,,, और वो भी इसलिए कि उसे समय नहीं मिल रहा था क्योंकि वह अपनी मां के लिए पेटी खरीदने के लिए पास के बाजार नहीं बल्कि दूर के मार्केट जाना चाहता था ताकि उसे कोई वहां पहचान वाला ना हो क्योंकि इस बात का डर उसे था कि कहीं बाजार में कोई उसे पेंटी खरीदना हुआ देख लेगा तो क्या सोचेगा,,, सुगंधा अपने बेटे से पेंटी के लिए पूछना चाहती थी लेकिन उसे योग्य समय नहीं मिल रहा था क्योंकि तृप्ति साथ में ही रहती थी और जब तृप्ति साथ में नहीं रहती थी तो अंकित नहीं रहता था,,, इसलिए वह अभी अपनी पेंटी के बारे में पूछ नहीं पाई थी लेकिन जब भी वह घर पर आती थी तो अपनी पेंटिं को निकाल कर ड्रोवर में रख देती थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका बेटा कभी भी उसकी पेंटिं के बारे में पूछ लेगा तो उसे साड़ी उठाकर दिखाना पड़ेगा और वह नहीं चाहती थी कि उसके बेटे को इस बात का पता चले कि उसके पास पहनने के लिए पर्याप्त मात्रा में पहनती है इसलिए तो वह अंकित की हाजिरी में अपनी पैंटी को हमेशा निकाल देती थी और जब बाहर जाती थी तब पैंटी पहन लेती थी,,,,।
रात के तकरीबन 10:00 बज रहे थे और टीवी पर कोई रोमांटिक फिल्म चल रही थी कमरे में दोनों भाई बहन और सुगंधा बैठी हुई थी तीनों फिल्म देख रहे थे,,,,,, एक तरफ सोफे पर मां बेटे दोनों बैठे हुए थे एक ही सोफे पर बैठे होने की वजह से सुगंधा के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, एक तो फिल्म भी बड़ी रोमांटिक थी इसलिए दोहरा सुरूर छा रहा था,,, सुगंधा के मन में हरकत करने को सुझ रही थी लेकिन,, तृप्ति भी वहीं पर मौजूद थी इसलिए वह ऐसा वैसा कुछ करने से डर रही थी लेकिन तभी थोड़ी देर बाद त्रप्ती यह कहकर वहां सेउठकर चली गई कि उसे बहुत नींद आ रही है उसके जाते ही सुगंधा का चेहरा खुशी के मारे खिलने लगा,,, यही हाल अंकित का भी था अंकित भी फिल्म में चल रहे गरमा गरम चुंबन दृश्य की वजह से गर्म हो चुका था,,,,।
फिल्म हॉरर फिल्म लेकिन हॉरर से ज्यादा उसमें उत्तेजक दिल से थे जिन्हें देखने में मां बेटे दोनों को आनंद आ रहा था,,, फिल्म के हीरो हीरोइन का चुंबन दृश्य उनका आलिंगन करना हीरो का पतली कमर पर हाथ रखकर उसे अपनी तरफ खींचना यह सब दोनों मां बेटे को मदहोश किए जा रहा था,,, इस तरह के दृश्य देखकर सुगंधा की तो सांसे ऊपर नीचे हो रही थी अंकित की भी हालत दयनीय होती जा रही थी उसके पेट में भी तंबू बन चुका था,,,, अरे लेकर दोनों मां बेटे एक दूसरे को देख ले रहे थे और वापस टीवी की तरफ देखने लग जाते थे,,,।
इसी बीच सुगंधा सामने पड़े टेबल पर अपनी एक टांग उठा कर रखी और फिर उसके ऊपर दूसरी टांग भी रख दी और इसी के साथ वह अपनी साड़ी को थोड़ा सा घुटनों तक खींच दी वह जान बुझकर इस तरह की हरकत कर रही थी वह अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी,,, और अपनी मां की हरकत पर अंकित की नजर अपनी मां पर गई थी,,, तो वह गहरी सांस लेते हुए फिर से टीवी की तरफ देखने लगा था,,, गर्मी का महीना पंखा तेजी से चल रहा था लेकिन फिर भी इतनी ठंडक नहीं थी और इसी का फायदा उठाते हुए सुगंधा फिर से अपने दोनों हाथों से अपनी साड़ी पड़कर उसे घुटनों के ऊपर तक खींच दी और उसकी मोटी ताजी जांघ एकदम से दिखने लगी,,, और ऐसा करते हुए सुगंधा बोली,,,।
पंखा इतनी तेज चल रहा है फिर भी कितनी गर्मी लग रही है,,,,।
तुम सही कह रही हो मम्मी मुझे भी बहुत गर्मी लग रही है,,,,( और ऐसा कहते हुए अंकित अपने मन में बोला कि अगर ज्यादा गर्मी लग रही है तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ,,,)
क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,(तभी फिल्म में फिर से चुंबन दृश्य शुरू होने लगा इस बार चुंबन दृश्य को देखकर सुगंधा के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,और वह अंकित से बोली,,,)
देख रहा है अंकित दोनों किस तरह से चुंबन चाटी कर रहे हैं,,,,,(सुगंधा जानती थी कि इस तरह की बात अपने बेटे से नहीं किया जाता लेकिन फिर भी वह अपने मां पर काबू नहीं कर पा रही थी इसलिए वह जानबूझकर अपने बेटे से इस तरह की बात की थी उसका बेटा भी अपनी मां की बात सुनकर बोला,,,)
तुम सही कह रही हो मम्मी जब से फिल्म शुरू हुई है तब से न जाने कितनी बार इस तरह का दृश्य आ चुका है कहानी से ज्यादा तो यही सब भरा हुआ है,,,, देखो देखो कैसे दोनों चुंबन कर रहे हैं मैं तो पहली बार इस तरह से देख रहा हूं,,,,(फिल्म में हीरो हीरोइन दोनों एक दूसरे के मुंह में मुंह डालकर एक दूसरे की जीभ को मुंह में डालकर चुंबन चाटी कर रहे थे,,,,)
मैं भी तो पहली बार देख रहीहूं,,,(ऐसा कहते हुए सुगंधा टेबल पर अपने दोनों टांगों को हल्के से खोल दी और उसकी साड़ी एकदम जांघों के ऊपर तक आ गई जहां से उसकी जांघों का कटाव तक दिखने लगा था,,, जिस पर अंकित की नजर बार-बार चली जा रही थी अब वहां फिल्म से ज्यादा अपनी मां की दोनों टांगों के बीच नजर गड़ाए हुए था लेकिन अभी उसे अपनी मां की बुर नजर नहीं आई थी लेकिन फिर भी वह इसी कोशिश में था की मां की दूर नजर आ जाती है क्योंकि फिल्म में बहुत कुछ था लेकिन हीरोइन के अंगों को खुलकर नहीं दिखाया था वह कपड़े में ही थी,,, इसीलिए फिल्मों के गरमा गरम दृश्य को देखकर उसे अपनी मां की बुर देखने की लालसा जाग गई,,,,।
अौर सुगंधा अपने बेटे की तड़प को समझ गई थी,,, लेकिन जानबूझकर साड़ी को अब थोड़ा सा और ऊपर नहीं ले रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका बेटा क्या देखना चाह रहा है और इसीलिए वह उसे तड़पाना चाहती थी उसके बदन में उत्तेजना की आग जलाना चाहती है उसे विवस करना चाहती थी,,, और इसीलिए वह अपनी दोनों जांघों पर अपनी हथेली रखकर हल्के से सहलाते हुए बोली ,,।)
मुझे नहीं लगता था की फिल्मों में इस तरह का भी नजर होता होगा आज तक तुम्हें साफ सुथरी फिल्म देखी आई हूं लेकिन पहली बार इस तरह की फिल्म देख रही हूं,,,(सुगंधा जानबूझकर अपनी बातों को आगे बढ़ा रही थी वह जानबूझकर अंकित से इस तरह की बातें कर रही थी वह चाहती तो अपने बेटे से यह बता सकती थी कि वह इस तरह की भी फिल्म देख चुकी है जिसमें मर्द और औरत दोनों नंगे होकर चुदाई का खेल खेलते हैं लेकिन वह इस तरह की बात अपने बेटे को नहीं बताना चाहती थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसके बेटे को पता चले कि उसकी मां गंदी फिल्म भी देख चुकी है,,,,और अपनी मां की बात सुनकर अंकित बोला,,)
मम्मी क्या ईन दोनों को खराब नहीं लगता होगा जिस तरह से चुंबन कर रहे हैं एक दूसरे की जीभ एक दूसरे के मुंह में डाल रहे हैं इससे तो एक दूसरे का थुक एक दूसरे के मुंह में चला जाता होगा,,,।
अरे मजा ही आता होगा तभी तो कर रहे हैं वरना ऐसा थोड़ी ना करते,,,,।
(दोनों के बीच बड़े आराम से इस तरह की बातें हो रही थी इसलिए मौका देखकर अंकित थोड़ा हिम्मत दिखा कर बोला)
अच्छा मम्मी बुरा ना मानो तो एक बात कहूं,,,।
बोल क्याबात है,,,।
क्या तुम भी इस तरह से चुंबन कभी की हो,,,।
(अंकित की बात सुनकर सुगंधा के तन बदन में हलचल होने लगी उसके मन में प्रसन्नता के भाव जगाने लगे क्योंकि उसका बेटा बड़ी अंदरूनी बात पूछ रहा था और उसकी हिम्मत के लिए सुगंधा मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और उसके सवाल का जवाब देते हुए बोली,,,)
नहीं ऐसा कभी कि नहीं हूं,,,, तेरे पापा कभी इस तरह से चुंबन किए ही नहीं,,,,
(अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था क्योंकि उसके सवाल का जवाब उसकी मां बढ़िया आराम से दे रही थी दोनों के बीच ऐसा लग रहा था की दूरियां खत्म होती जा रही है दोनों के बीच से पर्दे उतरते जा रहे हैं और ईसी बीच बार-बार सुगंधा अपनी दोनों जांघों पर अपनी हथेली को जोर से दबोच लेती थी तो कभी शपथ लगा देती थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई पहलवान इस तरह की हरकत करके दूसरे पहलवान को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है या उसे चुनौती दे रहा है और यह एक तरह से सुगंधा की तरफ से अपने बेटे के लिए आमंत्रण और चुनौती दोनों ही थी लेकिन फिर भी अंकित अपनी मां के सारे को समझ नहीं पा रहा था अगर उसकी जगह शायद कोई और होता राहुल ही होता तो शायद अब तक उसकी दोनों टांगों के बीच घुटनों के बल बैठकर उसकी बुर को चाट रहा होता,,,, अभी दोनों के बीच गरमा गरम बरता पी कोई और मोड लेकर इससे पहले ही घर के पीछे कुछ गिरने की आवाज आई और दोनों एकदम से चौक गए,,,,।
पल भर के लिए सुगंधा को लगा कि कहीं कोई चोर तो नहीं है क्योंकि पीछे एकदम खुली जगह है एकदम अंधेरा या अंधेरा इसलिए वह जल्दी से अपनी साड़ी को व्यवस्थित करके सोफे पर से उठकर खड़ी हो गई,,, अंकित भी थोड़ा चौकन्ना हो हो गया था क्योंकि उसे भी ऐसा लगा कि कहीं कोई आ तो नहीं रहा है इसलिए वह भी जल्दी से उठकर खड़ा हो गया था और अपनी मां से बोला,,,)
कहीं कोई है तो नहीं मम्मी,,,।
मुझे भी ऐसा लग रहा है चलकर देखना पड़ेगा,,,, तू यही रूक में देखती हूं,,,,
नहीं अकेले जाना ठीक नहीं है मैं भी चलता हूं,,,,,।
हाथ में वह कोने में पड़ा मोटा डंडा ले ले,,(उंगली से कोने में पड़े डंडे की तरफ इशारा करते हुए सुगंधा बोली,,, और इतना कहने के साथ ही टीवी को बंद कर दी,,,,
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shandar jabardast super hot updateसुगंधा अपनी ही हरकत की वजह से काफी उत्तेजना महसूस कर रही थी जिंदगी में पहली बार में किसी जवान लड़कों के सामने अपने अंगों का प्रदर्शन की थी,,,, और वह भी पेशाब करते हुए,,,,,, सुगंधा कभी सोचा नहीं थी कि उसके ही क्लास के लड़के उसके बारे में गंदे ख्यालात रखते हैं,,,, लड़कों की बातों को सुनकर तो खुद उसकी बुर उत्तेजना के मारे कचोरी की तरह फूल गई थी उसे एहसास हो गया कि दुनिया में सारे मर्द चाहे किसी भी उम्र के हो औरतों के बारे में हमेशा गंदे ख्याल ही रखते हैं,,, लेकिन फिर भी बाथरूम के अंदर जो कुछ भी हुआ था बेहद अद्भुत था उसे अनुभव को महसूस करके सुगंधा अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,,।
Ankit or uski me ki kalpna
इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि एक औरत को पेशाब करते हुए देखने में मर्द को कितना आनंद आता है क्योंकि वह इस अनुभव से गुजर चुकी थी जिसका ताजा उदाहरण था खुद उसका लड़का जो उसे पेशाब करते हुए बड़े प्यासी नजरों से देखा था उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर नजर टीकाए हुए ना जाने कैसे-कैसे ख्यालात अपने मन में लाता था,,,,, सुगंधा को पूरा यकीन था कि उसका बेटा भी उसके बारे में गांधी कल्पना करके अपने हाथ से ही अपना लंड हिलाकर अपनी गर्मी शांत करता होगा,,, क्योंकि एक औरत को नग्न अवस्था में अर्धनग्न अवस्था में देखने के बाद एक मर्द के मन में किस तरह की हलचल होती है वह अच्छी तरह से जानती थी वह जानती थी कि उसे समय मर्द औरत को चोने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाता है और योग्य रूप से जुगाड़ ना मिलने पर बस एक ही सहारा रहता है अपने हाथ से हिला कर अपनी गर्मी को शांत करना,,,।
Sugandha or uska beta
क्योंकि ऐसे ही ख्यालात बाथरूम के दरवाजे के पीछे छुपकर उसे पेशाब करते हुए देख रहे दोनों लड़कों के मन में भी आ रहा था,,,, लेकिन वह दोनों ऐसा नहीं कर पाए थे,,, क्योंकि मुठ मारने की वह योग्य जगह नहीं थी,,, लेकिन फिर भी उन दोनों की मंशा जानकर ही सुगंधा की बुर से मदन रस टपकने लगा था और वह अपने मन में सोचने लगी थी कि उसके बेटे को छोड़कर बाकी सभी लड़के मौका मिलने पर औरत की चुदाई करने से पीछे नहीं आते लेकिन उसका बेटा इतना मौका मिलने के बावजूद भी अभी तक आगे नहीं बढ़ पाया था लेकिन इस कारण को भी अच्छी तरह से समझ रही थी वह जानती थी कि,,, अगर उसके लड़के के सामने उसकी जगह कोई और होती तो शायद उसका बेटा भी दूसरे लड़कों की तरह ही अपने कदम आगे बढ़ाने में बिल्कुल भी नहीं कतराता ,,,, लेकिन एक मां होने के नाते उसका बेटा इस रिश्ते के लिए आज से आगे बढ़ने से कतरा रहा था झिझक रहा था और यही चीज उसकी दूर करनी थी,,,।
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फिर भी बाथरुम के अंदर उसे बहुत ही अद्भुत आनंद की प्राप्ति हुई थी,,, गैर लड़कों के सामने और वह भी अपने ही विद्यार्थियों की आंखों के सामने अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी नंगी गांड दिखाते हुए पेशाब करने के लिए बैठ जाना यह भी काफी हिम्मत की बात है और शायद सुगंधा खुले तौर पर अपने विद्यार्थियों के सामने ऐसा नहीं कर पाती लेकिन उसके और उसके विद्यार्थियों के बीच एक लकड़ी का दरवाजा था और इसीलिए वह आराम से अपनी हरकत को अंजाम दे दी,,वरना वह ऐसा नहीं कर पाती भले ही अपने बेटे के सामने वह अपनी गांड दिखाते हुए पेशाब करने बैठ जाती थी लेकिन दूसरे लड़कों के सामने वह ऐसा कभी नहीं करती,,,। खैर इस बात से उसे इतना तो पता चल गया कि वह जिन लड़कों को पढ़ाती है वही लड़के उसे चोदने के लिए व्याकुल है,,,,।
Sugandha ki jabardast chudai
जैसे तैसे करके दो-तीन दिन गुजर गए,,, लेकिन अभी तक अंकित अपनी मां के लिए पैंटी नहीं खरीद कर लाया था,,, और वो भी इसलिए कि उसे समय नहीं मिल रहा था क्योंकि वह अपनी मां के लिए पेटी खरीदने के लिए पास के बाजार नहीं बल्कि दूर के मार्केट जाना चाहता था ताकि उसे कोई वहां पहचान वाला ना हो क्योंकि इस बात का डर उसे था कि कहीं बाजार में कोई उसे पेंटी खरीदना हुआ देख लेगा तो क्या सोचेगा,,, सुगंधा अपने बेटे से पेंटी के लिए पूछना चाहती थी लेकिन उसे योग्य समय नहीं मिल रहा था क्योंकि तृप्ति साथ में ही रहती थी और जब तृप्ति साथ में नहीं रहती थी तो अंकित नहीं रहता था,,, इसलिए वह अभी अपनी पेंटी के बारे में पूछ नहीं पाई थी लेकिन जब भी वह घर पर आती थी तो अपनी पेंटिं को निकाल कर ड्रोवर में रख देती थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका बेटा कभी भी उसकी पेंटिं के बारे में पूछ लेगा तो उसे साड़ी उठाकर दिखाना पड़ेगा और वह नहीं चाहती थी कि उसके बेटे को इस बात का पता चले कि उसके पास पहनने के लिए पर्याप्त मात्रा में पहनती है इसलिए तो वह अंकित की हाजिरी में अपनी पैंटी को हमेशा निकाल देती थी और जब बाहर जाती थी तब पैंटी पहन लेती थी,,,,।
रात के तकरीबन 10:00 बज रहे थे और टीवी पर कोई रोमांटिक फिल्म चल रही थी कमरे में दोनों भाई बहन और सुगंधा बैठी हुई थी तीनों फिल्म देख रहे थे,,,,,, एक तरफ सोफे पर मां बेटे दोनों बैठे हुए थे एक ही सोफे पर बैठे होने की वजह से सुगंधा के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, एक तो फिल्म भी बड़ी रोमांटिक थी इसलिए दोहरा सुरूर छा रहा था,,, सुगंधा के मन में हरकत करने को सुझ रही थी लेकिन,, तृप्ति भी वहीं पर मौजूद थी इसलिए वह ऐसा वैसा कुछ करने से डर रही थी लेकिन तभी थोड़ी देर बाद त्रप्ती यह कहकर वहां सेउठकर चली गई कि उसे बहुत नींद आ रही है उसके जाते ही सुगंधा का चेहरा खुशी के मारे खिलने लगा,,, यही हाल अंकित का भी था अंकित भी फिल्म में चल रहे गरमा गरम चुंबन दृश्य की वजह से गर्म हो चुका था,,,,।
फिल्म हॉरर फिल्म लेकिन हॉरर से ज्यादा उसमें उत्तेजक दिल से थे जिन्हें देखने में मां बेटे दोनों को आनंद आ रहा था,,, फिल्म के हीरो हीरोइन का चुंबन दृश्य उनका आलिंगन करना हीरो का पतली कमर पर हाथ रखकर उसे अपनी तरफ खींचना यह सब दोनों मां बेटे को मदहोश किए जा रहा था,,, इस तरह के दृश्य देखकर सुगंधा की तो सांसे ऊपर नीचे हो रही थी अंकित की भी हालत दयनीय होती जा रही थी उसके पेट में भी तंबू बन चुका था,,,, अरे लेकर दोनों मां बेटे एक दूसरे को देख ले रहे थे और वापस टीवी की तरफ देखने लग जाते थे,,,।
इसी बीच सुगंधा सामने पड़े टेबल पर अपनी एक टांग उठा कर रखी और फिर उसके ऊपर दूसरी टांग भी रख दी और इसी के साथ वह अपनी साड़ी को थोड़ा सा घुटनों तक खींच दी वह जान बुझकर इस तरह की हरकत कर रही थी वह अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी,,, और अपनी मां की हरकत पर अंकित की नजर अपनी मां पर गई थी,,, तो वह गहरी सांस लेते हुए फिर से टीवी की तरफ देखने लगा था,,, गर्मी का महीना पंखा तेजी से चल रहा था लेकिन फिर भी इतनी ठंडक नहीं थी और इसी का फायदा उठाते हुए सुगंधा फिर से अपने दोनों हाथों से अपनी साड़ी पड़कर उसे घुटनों के ऊपर तक खींच दी और उसकी मोटी ताजी जांघ एकदम से दिखने लगी,,, और ऐसा करते हुए सुगंधा बोली,,,।
पंखा इतनी तेज चल रहा है फिर भी कितनी गर्मी लग रही है,,,,।
तुम सही कह रही हो मम्मी मुझे भी बहुत गर्मी लग रही है,,,,( और ऐसा कहते हुए अंकित अपने मन में बोला कि अगर ज्यादा गर्मी लग रही है तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ,,,)
क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,(तभी फिल्म में फिर से चुंबन दृश्य शुरू होने लगा इस बार चुंबन दृश्य को देखकर सुगंधा के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,और वह अंकित से बोली,,,)
देख रहा है अंकित दोनों किस तरह से चुंबन चाटी कर रहे हैं,,,,,(सुगंधा जानती थी कि इस तरह की बात अपने बेटे से नहीं किया जाता लेकिन फिर भी वह अपने मां पर काबू नहीं कर पा रही थी इसलिए वह जानबूझकर अपने बेटे से इस तरह की बात की थी उसका बेटा भी अपनी मां की बात सुनकर बोला,,,)
तुम सही कह रही हो मम्मी जब से फिल्म शुरू हुई है तब से न जाने कितनी बार इस तरह का दृश्य आ चुका है कहानी से ज्यादा तो यही सब भरा हुआ है,,,, देखो देखो कैसे दोनों चुंबन कर रहे हैं मैं तो पहली बार इस तरह से देख रहा हूं,,,,(फिल्म में हीरो हीरोइन दोनों एक दूसरे के मुंह में मुंह डालकर एक दूसरे की जीभ को मुंह में डालकर चुंबन चाटी कर रहे थे,,,,)
मैं भी तो पहली बार देख रहीहूं,,,(ऐसा कहते हुए सुगंधा टेबल पर अपने दोनों टांगों को हल्के से खोल दी और उसकी साड़ी एकदम जांघों के ऊपर तक आ गई जहां से उसकी जांघों का कटाव तक दिखने लगा था,,, जिस पर अंकित की नजर बार-बार चली जा रही थी अब वहां फिल्म से ज्यादा अपनी मां की दोनों टांगों के बीच नजर गड़ाए हुए था लेकिन अभी उसे अपनी मां की बुर नजर नहीं आई थी लेकिन फिर भी वह इसी कोशिश में था की मां की दूर नजर आ जाती है क्योंकि फिल्म में बहुत कुछ था लेकिन हीरोइन के अंगों को खुलकर नहीं दिखाया था वह कपड़े में ही थी,,, इसीलिए फिल्मों के गरमा गरम दृश्य को देखकर उसे अपनी मां की बुर देखने की लालसा जाग गई,,,,।
अौर सुगंधा अपने बेटे की तड़प को समझ गई थी,,, लेकिन जानबूझकर साड़ी को अब थोड़ा सा और ऊपर नहीं ले रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका बेटा क्या देखना चाह रहा है और इसीलिए वह उसे तड़पाना चाहती थी उसके बदन में उत्तेजना की आग जलाना चाहती है उसे विवस करना चाहती थी,,, और इसीलिए वह अपनी दोनों जांघों पर अपनी हथेली रखकर हल्के से सहलाते हुए बोली ,,।)
मुझे नहीं लगता था की फिल्मों में इस तरह का भी नजर होता होगा आज तक तुम्हें साफ सुथरी फिल्म देखी आई हूं लेकिन पहली बार इस तरह की फिल्म देख रही हूं,,,(सुगंधा जानबूझकर अपनी बातों को आगे बढ़ा रही थी वह जानबूझकर अंकित से इस तरह की बातें कर रही थी वह चाहती तो अपने बेटे से यह बता सकती थी कि वह इस तरह की भी फिल्म देख चुकी है जिसमें मर्द और औरत दोनों नंगे होकर चुदाई का खेल खेलते हैं लेकिन वह इस तरह की बात अपने बेटे को नहीं बताना चाहती थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसके बेटे को पता चले कि उसकी मां गंदी फिल्म भी देख चुकी है,,,,और अपनी मां की बात सुनकर अंकित बोला,,)
मम्मी क्या ईन दोनों को खराब नहीं लगता होगा जिस तरह से चुंबन कर रहे हैं एक दूसरे की जीभ एक दूसरे के मुंह में डाल रहे हैं इससे तो एक दूसरे का थुक एक दूसरे के मुंह में चला जाता होगा,,,।
अरे मजा ही आता होगा तभी तो कर रहे हैं वरना ऐसा थोड़ी ना करते,,,,।
(दोनों के बीच बड़े आराम से इस तरह की बातें हो रही थी इसलिए मौका देखकर अंकित थोड़ा हिम्मत दिखा कर बोला)
अच्छा मम्मी बुरा ना मानो तो एक बात कहूं,,,।
बोल क्याबात है,,,।
क्या तुम भी इस तरह से चुंबन कभी की हो,,,।
(अंकित की बात सुनकर सुगंधा के तन बदन में हलचल होने लगी उसके मन में प्रसन्नता के भाव जगाने लगे क्योंकि उसका बेटा बड़ी अंदरूनी बात पूछ रहा था और उसकी हिम्मत के लिए सुगंधा मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और उसके सवाल का जवाब देते हुए बोली,,,)
नहीं ऐसा कभी कि नहीं हूं,,,, तेरे पापा कभी इस तरह से चुंबन किए ही नहीं,,,,
(अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था क्योंकि उसके सवाल का जवाब उसकी मां बढ़िया आराम से दे रही थी दोनों के बीच ऐसा लग रहा था की दूरियां खत्म होती जा रही है दोनों के बीच से पर्दे उतरते जा रहे हैं और ईसी बीच बार-बार सुगंधा अपनी दोनों जांघों पर अपनी हथेली को जोर से दबोच लेती थी तो कभी शपथ लगा देती थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई पहलवान इस तरह की हरकत करके दूसरे पहलवान को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है या उसे चुनौती दे रहा है और यह एक तरह से सुगंधा की तरफ से अपने बेटे के लिए आमंत्रण और चुनौती दोनों ही थी लेकिन फिर भी अंकित अपनी मां के सारे को समझ नहीं पा रहा था अगर उसकी जगह शायद कोई और होता राहुल ही होता तो शायद अब तक उसकी दोनों टांगों के बीच घुटनों के बल बैठकर उसकी बुर को चाट रहा होता,,,, अभी दोनों के बीच गरमा गरम बरता पी कोई और मोड लेकर इससे पहले ही घर के पीछे कुछ गिरने की आवाज आई और दोनों एकदम से चौक गए,,,,।
पल भर के लिए सुगंधा को लगा कि कहीं कोई चोर तो नहीं है क्योंकि पीछे एकदम खुली जगह है एकदम अंधेरा या अंधेरा इसलिए वह जल्दी से अपनी साड़ी को व्यवस्थित करके सोफे पर से उठकर खड़ी हो गई,,, अंकित भी थोड़ा चौकन्ना हो हो गया था क्योंकि उसे भी ऐसा लगा कि कहीं कोई आ तो नहीं रहा है इसलिए वह भी जल्दी से उठकर खड़ा हो गया था और अपनी मां से बोला,,,)
कहीं कोई है तो नहीं मम्मी,,,।
मुझे भी ऐसा लग रहा है चलकर देखना पड़ेगा,,,, तू यही रूक में देखती हूं,,,,
नहीं अकेले जाना ठीक नहीं है मैं भी चलता हूं,,,,,।
हाथ में वह कोने में पड़ा मोटा डंडा ले ले,,(उंगली से कोने में पड़े डंडे की तरफ इशारा करते हुए सुगंधा बोली,,, और इतना कहने के साथ ही टीवी को बंद कर दी,,,,
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4some ready ho raha hai,,,,,,,,,,,,
सुगंधा अपने बेटे को राहुल के पास उसके संगत का असर देखने के लिए भेज रही थी क्योंकि वह जानती थी की संगत में ही लड़के अक्सर बिगड़ जाते हैं और जिस तरह का राहुल था सुगंधा अंकित को भी उसी की तरह बनना चाहती थी ताकि वह उसके सहयोग से अपनी जवानी की प्यास बुझा सके,,,, सुगंधा तो राहुल की संगत में आने के बाद अंकित को लेकर कल्पना भी करने लगी थी,,, पर उसकी कल्पना में वही दृश्य सामने उभर कर आता था वही मार्केट वाला जहां पर वह अब खुद नूपुर की जगह सब्जी के ठेले पर खड़ी होकर सब्जी खरीद रही होती है और उसका लड़का उसके अंगों से छेड़खानी कर रहा होता है उसके लिए तंबू पर हाथ रख दे रहा होता है और अपने हाथों को नीचे की तरफ से ही उसकी बुर वाली जगह पर दबा दे रहा होता है इस तरह की कल्पना करके उसकी बर पानी छोड़ देती थी,,,, और अपनी कल्पना को हकीकत में बदलने के लिए वह बेहद उत्सुक और बेताब नजर आ रहीथी,,,।
देखते ही देखते रविवार का दिन आ गया था और अपनी मां से इजाजत लेने के बाद दोबारा है राहुल के साथ क्रिकेट खेलने के लिए उसके घर की तरफ निकल गया था जो कि कुछ ही दूरी पर था,,,, थोड़ी ही देर में अंकित उसे जगह पर पहुंच गया था जहां पर राहुल ने उसे बुलाया था यह भी एक मैदान था जहां पर लोग क्रिकेट खेल रहे थे पहले तो अंकित वहीं बड़े से पेड़ के नीचे खड़ा होकर ईधर उधर राहुल को ढूंढने लगा,,,, लेकिन राहुल उसे कहीं नजर नहीं आ रहा था उसे लग रहा था कि शायद राहुल उसे बुलाकर ना आया हो उसे कोई काम पड़ गया हो लेकिन तभी उसके कंधे पर किसी का स्पर्श महसूस हुआ और वह पीछे मुड़कर देखा तो राहुल खड़ा था उसे देखते ही अंकित मुस्कुरा दिया जवाब में राहुल भी मुस्कुराने लगा और बोला,,,।
तेरा ही इंतजार कर रहे थे,,, चल आजा क्रिकेट खेलते हैं,,,।
(दो टीम खेलने के लिए तैयार हो चुकी थी उनमें से अंकित राहुल की टीम में था और वाकई में राहुल का इंतजार हो रहा था उसके आते हैं क्रिकेट का खेल शुरू हो गया था पहले बल्लेबाजी विरोधी टीम की थी और उन लोगों ने 10 ओवर में 80 रन बना चुके थे,,, अब बारी राहुल की टीम की थी,,,,)
यार राहुल सामने वालों ने तो जबरदस्त खेल है 10 ओवर में 80 रन,,,,
हां तु ठीक कह रहा है अंकित,,,रन कुछ ज्यादा ही लग गया है,,,, अपनी बोलींग भी ठीक नहीं थी,,,।,, पता नहीं कैसे बन पाएगा,,,,
कुछ चिंता मत कर बन जाएगा बस आराम से और ध्यान से खेलना है,,,(इतना कहने के साथ यही दोनों एक जगह पर बैठ गए थे क्योंकि ओपनिंग जोड़ी किसी और किसी और दोनों 15 रन बनाने के बाद ही आउट हो गए और उसके बाद तो लगातार तीन विकेट और गई मतलब पांच ओवर में 35 रन और 5 विकेट इसके बाद,,,, राहुल और अंकित दोनों की जोड़ी मैदान में जम चुकी थी दोनों तरफ से रन बनाए जा रहे थे हर एक रन पर हर एक चोके पर राहुल की टीम जोरों से शोर मचा रही थी,, राहुल और अंकित की जोड़ी में हारी हुई बाजी को जीत में बदलने जा रहे थे और आखरी बोलकर तीन रन चाहिए था और बेटिंग में था अंकित,,,, राहुल उसके पास आया और बोला,,,।)
यार टीम की इज्जत तेरे हाथ में है तुझे ही टीम को जिताना है,,,,,।
देख राहुल में पूरी कोशिश करूंगा,,,,,।
(इतना कहने के साथ ही ,,, अंकित क्रीज पर खड़ा हो गया और चारों तरफ देखकर मुआयना करने लगा कि कौन सा खिलाड़ी कहां खड़ा है,,,, और फिर तैयार हो गया बल्लेबाजी के लिए और जैसे ही अगली गेंद उसके करीब आई वह आगे बढ़कर ऐसा जोरदार शॉट मारा की गेंद हवा में बाउंड्री पर हो गई अंकित छक्का जड़ दिया था और इसी के साथ उसकी पूरी टीम एकदम से उत्साहित होकर दौड़ते हुए उसके पास आई और उसे उठा ली,,,, राहुल बहुत खुश था क्योंकि उसने भरोसा करके अंकित को अपनी टीम में शामिल किया था और अंकित ने विजय दिलाया था,,,।
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जीतने के बाद राहुल की टीम नाश्ता पानी करने के लिए चाय की दुकान पर गई और वहां पर बैठकर सभी लोग समोसे खा रहे थे तभी राहुल अपने ही साथी खिलाड़ी को बोला,,,,)
मैं तुझे हमेशा कहता हूं कि चौथे नंबर पर मर जाया कर चौथे नंबर पर मुझे आने दिया कर तु हमेशा अपनी मां चुदवा लेता है,,,,।
चल रहने दे पिछली मैच में तुझे ही चौथे नंबर पर भेजा गया था वहां क्या किया अपनी मां की तरह टांग खोल दिया और बोल जैसे लंड बुर में घुसती है इस तरह स्टंप में घुस गई याद है की याद दिलाऊं,,,।
चल रहने दे पीच भी तो तेरी मां की भोसड़े की तरह एकदम चिकनी थी समझ में नहीं आया,,,(चाय की चुस्की लेते हुए बेहद सहज भाव से राहुल बोला राहुल के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर अंकित एकदम हैरान हो गया था क्योंकि राहुल एक शिक्षिका का लड़का था और एक शिक्षिका का लड़का होने के बावजूद भी उसकी बोली भाषा एकदम निम्न स्तर की थी और वह एक दूसरे की मां के बारे में गंदे गंदे शब्द का प्रयोग कर रहे थे हालांकि अंकित को थोड़ा अजीब तो लग रहा था लेकिन उसके बदन में अजीब से सियाराम सी दौड़ने लग रही थी क्योंकि जिस तरह से राहुल का दोस्त राहुल की मां के बारे में बातें कर रहा था यह सुनकर अंकित की आंखों के सामने राहुल की मां का खूबसूरत चेहरा और उसका गदराया बदन नजर आने लगा और अभी कुछ दिन ही हुए थे उसे अपनी मां की बुर का दीदार किए हुए इसलिए अंकित तुरंत राहुल की मां की बुर के बारे में कल्पना करने लगा और यह सब करते हुए वह बेहद उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,।)
अब चल रहने दे तेरी मां की बुर की तरह तो चिकनी बिल्कुल भी नहीं थी जो संभाल नहीं पाया और फिसल गया,,,,, जितने नंबर पर तु उतरता है उतने ही नंबर पर उतरेगा,,,,।
देख ऐसा नहीं है कभी-कभी हो जाता है चौथे नंबर पर उतरता हूं तो मुझे गेंद तेरी मां की चूची की तरह बड़ी-बड़ी दिखती है,,,,
मुझे भी चौथे नंबर पर गेंद तेरी मां की चुची की तरह नजर आती है,,,,
और चुची नजर आती है तभी तो खेल नहीं पता है ना,,,।
यार राहुल क्या बताऊं तेरी मां की चूची के बारे में सोच कर ही दिमाग फेल हो जाता है,,,।
चल अब रहने दे,,, तेरी मां इतनी कसी हुई साड़ी पहनती है कि उसकी गांड ऐसा लगता है कि बाहर निकल जाएगी और जब भी मैं देखता हूं उसी समय मेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,,।
बस देख कर ही मन बहला लेना अगर कभी उल्टा सीधा करने की सोच भी तो मेरी मां तेरा लंड काट देंगी,,, बहुत गुस्से वाली है,,,।
तेरी मां का गुस्सा शांत करना मुझे आता है देखना किसी दिन मौका मिलेगा ना उसे अपना लंड दिखा दूंगा फिर देखना तेरी मां को उसके ही कमरे में पटक कर चोदुंगा और तू देखते ही रह जाएगा,,,,।
(दोनों जिस तरह से आपस में बातें कर रहे थे बाकी के लोग सुनकर मजा ले रहे थे और वह लोग भी आपस में मां बहन की गाली देते हुए ही बात कर रहे थे आज पहली बार अंकित ऐसे लोगों से मिल रहा था जो भेज दीजिए एक दूसरे को मां बहन की गाली देकर बात कर रहे थे और किसी को भी बुरा नहीं लग रहा था,,,, अंकित चाय की चुस्की लेते हुए सब लोगों के बारे में सोच रहा था खास करके राहुल के बारे में राहुल अपनी मां के बारे में इतनी गंदी बातें बडे आराम से सुन ले रहा था,,, और अगर इस तरह की बातें कोई उससे करता तो शायद वह झगड़ा कर लेता ,, अभी अंकित यह सब बातें सोच ही रहा था कि तभी उनकी टीम का कप्तान उसके पास आया और हाथ मिलाने के लिए अपने हाथ को आगे बढ़ा दिया अंकित भी अपना हाथ आगे बढ़ाकर मुस्कुरा कर हाथ मिलाने लगा और वह बोला,,,)
यार तूने तो सभी बोलरो की मां चोद दिया,,, क्या छक्का चौका लगाया है,,,, वैसे नाम क्या है तेरा,,,,।
अंकित नाम है इसका,,,,(अंकित से पहले राहुल उसका परिचय देते हुए बोला और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) इसकी मां भी स्कूल में पढाती है मेरी मां के साथ,,,
अरे वाह,,, उसकी मां भी तेरी मां की तरह एकदम चिकनी होगी,,,,
बहुत जोरदार मेरी मां से भी जबरदस्त है,,,,।
(उसकी बात सुनकर अंकित तो दोनों को देखा ही रह गया अंकित को यकीन नहीं हो रहा था कि यह दोनों इतने सहज रूप से पहली मुलाकात में ही उससे इस तरह की बातें करेंगे,,, अंकित कुछ बोल नहीं पाया और वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
चल कोई बात नहीं आते रहना अगली बार तुझसे ओपनिंग करवाएंगे,,,,
(इतना कहकर वह और उसके साथी धीरे-धीरे वहां से जाने लगे राहुल अभी भी उसके साथ बैठा हुआ था,,,, सबके चले जाने के बाद अंकित बोला,,)
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यार तुम लोग आपस में इतनी गंदी गंदी बातें करते हुए दूसरे की मां के बारे में तुम लोगों को बुरा नहीं लगता,,,।
नहीं तो इसमें क्या हो गया भले एक दूसरे की मां के बारे में गंदी बातें करते हैं लेकिन इससे पता तो चलता है कि किसकी मां सबसे ज्यादा सेक्सी और गर्म है,,,।
क्या,,,,!(अंकित आश्चर्य जताते हुए बोला,,)
देख जिसे मैं चौथे नंबर पर खेलने के लिए बोल रहा था उसकी मां की गांड के लिए जबरदस्त है कि जब भी वह साड़ी पहनती है तो ऐसा लगता है कि उसकी बड़ी-बड़ी गांड बाहर निकल आएगी और उसकी गांड देखकर लंड खड़ा हो जाता है,,,, और जो हमारी टीम का कप्तान है उसकी मां एकदम लंबी चौड़ी कद काठी की है उसकी चूचियां बहुत ज्यादा बड़ी है उसकी गांड भी इतनी ज्यादा बड़ी है कि पूछो मत इतना समझ लो कि अगर उसे चोदने का मौका मिले,,, तो तुम पीछे से उसकी ले ही नहीं पाओगे,,,।
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मतलब ,,,,!(एक बार फिर से अंकित आश्चर्य जताते हुए बोला,,,)
मतलब किसकी गांड इतनी बड़ी-बड़ी है कि पीछे से तुम्हारा लंड उसकी बुर तक पहुंच ही नहीं पाएगा अगर उसकी लेना है तो उसे बिस्तर पर लेटा कर उसकी टांगें खोल कर लेना होगा,,, यह बात मैंने कई बार अपने कप्तान से कह चुका हूं,,,
क्या कह रहे हो यार और वह कुछ बोला नहीं,,,।
वह क्या बोलेगा वह तो हंसते रहता है पर मेरी बात सुनकर वह भी यही बोलता है कि तू सच कह रहा है,,,
बाप रे मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है,,,,
अच्छा एक बात बात कभी किसी को चोदने का मौका मिला है,,,
नहीं,,,,(शब्दों के साथ-साथ इशारे से सर को भी ना है हिलाते हुए अंकित बोला ,, और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) और तू,,,,
मुझे तो कई बार मौका मिल चुका है,,,, और हां जिससे मैं चौथे नंबर पर खेलने के लिए बोल रहा था ना उसकी मां की चुदाई में कर चुका हूं लेकिन यह बात उसे मालूम नहीं है,,,,
क्या कह रहे हो यार,,,,
हां तभी तो मैं जानता हूं उसकी मां के बारे में इतना कुछ यह खुद अपनी मां को अभी तक साड़ी में देखा होगा लेकिन मैं उसकी मां की साड़ी को अपने हाथों से उतार कर नंगी कर चुका हूं,,,,।
(राहुल की बातों को सुनकर अंकित का दिल जोरो से धडक रहा था,,,। भले ही टीम का कप्तान उसकी मां के बारे में गंदी बात कह कर गया था लेकिन न जाने क्यों पहली बार उसे दूसरे के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर बहुत अच्छा लग रहा था और से इस बात का एहसास भी हो रहा था कि वाकई में उसकी मां बहुत खूबसूरत है क्योंकि राहुल ने भी यही कहा था कि उसकी मां से भी ज्यादा चिकनी उसकी मां है,,,,और राहुल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
यार अंकित सच में वैसे तो सब कुछ ठीक है लेकिन उसकी मा बुर एकदम साफ रखती है एकदम चिकनी और मुझे बालों वाली बुर ज्यादा पसंद है,,,,( राहुल की यह बात सुनते ही अंकित के मन में उभरने लगा जब वह अपनी मां के कमरे में उसे जगाने के लिए गया था और पहली बार जिंदगी में अपनी मां की बुर के दर्शन किया था और उसे समय उसकी मां की पूरी एकदम चिकनी थी लेकिन चिकनी बुर अंकित को बहुत अच्छी लग रही थी खूबसूरत लग रही थी,,,)
तुझे कैसी बुर पसंद है,,,?(एकदम से राहुल ने अंकित से पूछ लिया और उसका यह सवाल सुनकर अंकित एकदम से हड़बड़ा गया,,,,, और कुछ बोल नहीं पाया तो राहुल फिर बोला,,,)
अरे बोलना शरमाता क्यों है,,,.
(उसके इतना कहने पर अंकित धीरे से शरमाते हुए बोला)
अब मैं क्या बताऊं मैं तो कभी देखा ही नहीं हूं,,,,।
(इतना सुनते ही राहुल हंसने लगा और हंसते हुए बोला)
यार सच में तू कमाल का लड़का है,,,, मेरी और तेरी उम्र में कोई फर्क नहीं है,,, लेकिन फिर भी तो इस उम्र में भी बहुत पीछे है मुझको ही देखले ना जाने कितनी औरतें की बुर देख चुका हूं और चोद भी चुका हूं,,, यहां पर नहीं जहां रहकर पढ़ाई करता हूं वहां पर यहां पर तो सिर्फ एक ही औरत की चुदाई किया हूं जो मैं तुझे बता रहा था और वहां तो इसके घर में किराए पर रहता हूं उसे और उसकी लड़की दोनों के साथ मेरा चक्कर है,,,,।
(यह सब सुनकर अंकित को अपने ऊपर गुस्सा आने लगा क्योंकि उसके उम्र का ही राहुल जवानी का मजा लूट रहा था और वह भी बहुत सी औरतों को लड़कियों के साथ और वह था कि अभी तक सिर्फ ताका झांकी में लगा हुआ था,,,,)
तू भी कोई चक्कर चला ले और जवानी का मजा लूट और तो इतना मजा देती है कि पूछो मत स्वर्ग का सुख मिलेगा अगर बाहर कहीं जुगाड़ नहीं हो पा रहा है तो घर में ही जुगाड़ बना ले मजा ही मजा लूटेगा,,,।
(इतना कहने के साथ ही राहुल अपनी जगह से खड़ा हो गया और अंकित से बोला)
चल मेरे घर,,,, थोड़ी बातें करेंगे और तू मेरा घर भी देख लेगा,,,,(उसकी बात सुनकर अंकित अपनी जगह से खड़ा हो गया वैसे तो अपने घर जाने की सोच रहा था लेकिन जिस तरह की बातें राहुल कर रहा था उसे सुनकर उसका मन नहीं कर रहा था घर जाने को वह इस तरह की बातें सुनने में आनंदित हो रहा था और खड़े होकर उसके साथ उसके घर की तरफ जाने लगा लेकिन उसके मन में असमंजस बढ़ रहा था क्योंकि अभी-अभी राहुल ने घर में ही जुगाड़ वाली बात कहा था जो कि उसे समझ में नहीं आ रहा था इसलिए वह चलते-चलते ही राहुल से बोला,,,)
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तो घर में ही जुगाड़ वाली बात कर रहा था मैं तेरी बात नहीं समझा,,,,
अरे यार तू सच में बहुत भोला है घर में जुगाड़ का मतलब है कि घर में ही किसी स्त्री से संबंध बना ले जो कि बिलकुल सेफ रहता है जिसमें पकड़े जाने का डर भी नहीं रहता,,,,
घर की स्त्री से संबंध मतलब,,,
यार तुझे तो सब कुछ समझाना पड़ता है,,,, देख मेरी बात ध्यान से सन और गुस्सा मत होना बस मेरी बात पर गौर करना जिन लड़कों का बाहर जुगाड़ नहीं होता चोदने का वह लड़के घर में ही संबंध बना लेते हैं,,,,
लेकिन किससे,,,(अंकित को भी थोड़ा-थोड़ा समझ में आ रहा था लेकिन फिर भी वह बोला)
किसी से भी घर में कोई भी स्त्री हो जो एकदम गजब की लगती हो जैसे की चाची हो भाभी हो मामी हो या फिर अपनी खुद की बहन या मां हो,,,,।
(राहुल की बातें सुनकर अंकित एकदम हैरान हुआ जा रहा था क्योंकि राहुल घर के ही औरतों के साथ संबंध बनाने के लिए बोल रहा था जिनमे मां और बहन दोनों शामिल थी ,, इसलिए वह हैरान होते हुए बोला,,,)
की औरतें मां और बहन के साथ भी,,, पागल हो गया है क्या,,,!
अरे बुद्धू मैं जानता था तू ऐसा ही बोला क्योंकि तू इन सब के बारे में भी कुछ नहीं जानता,,,, जैसा लड़कों को हमेशा बुर की जरूरत पड़ती रहती है उस तरह से औरतों को भी हमेशा लंड की जरूरत पड़ती रहती है मोटा तगड़ा लंड जो उनके बुर में जाकर उनकी प्यास बुझा सके,,,, और तू नहीं जानता घर में अक्सर इस तरह के संबंध स्थापित हो ही जाते हैं क्योंकि घर की औरतों को ज्यादातर घर के लड़के ही हर हालत में देख लेते हैं कपड़े बदलते हुए नहाते हुए नंगी या फिर घर में चुदवाते हुए,,, अच्छा एक बात बात सच-सच बताना लंड खड़ा होता है कि नहीं,,,,
यार अब यह कैसा सवाल है,,,,
अरे जैसा भी है लेकिन सच-सच बताना खड़ा होता है कि नहीं,,,,
हां जरूर होता है,,,,
लड़की और औरतों के बारे में ख्याल आता है कि नहीं उनकी गांड देखकर उनकी चूची में देखकर मन में कल्पना होती है कि बिना कपड़ों की यह कैसी दिखती होगी,,,,
हां जरूर,,,,(अंकित भी धीरे-धीरे खुल के जवाब देने लगा,,,)
और फिर जब बिना कपड़ों की औरतों के बारे में सोचता है तो उनके अंगों के बारे में भी सोचता होगा उनकी बुर के बारे में उनकी चुची के बारे में,,,,
हां,,,,(कुछ देर सोचने के बाद चलते-चलते जवाब दिया,,,)
और फिर जब इतना कुछ खाया जाता है तो फिर बच्चे ख्याल आता होगा कि अगर मैं बुर में लंड डालकर चुदाई करूंगा तो कितना मजा आएगा और यही सोचकर हिलाता भी होगा आप सच सच बताना तुझे तेरी मां की कसम मुठ मारता है कि नहीं,,,।
(अंकित एकदम फस चुका था राहुल बहुत ही चालक लड़का था और वह अपनी चालाकी से अंकित के मुंह से सच बुलवाना चाहता था और अंकित को भी इन सब में मजा आ रहा था इसलिए वह कुछ देर खामोश रहने के बाद बोला)
यह तो सब करते हैं यार,,,,
सब तो करते हैं मुझे पता है मैं भी करता हूं लेकिन तू करता है कि नहीं,,,,
(अब अंकित को जवाब देने में कोई हर्ज नहीं था क्योंकि राहुल ने भी हम ही भर दिया था कि वह भी मुठ मारता है,,, इसलिए वह भी बोला।)
करता हूं,,,,
यह हुई ना बात,,,, देख दोस्त शर्माने का नहीं डरने का नहीं यह उम्र ही होती है मजा लेने के लिए अगर यह सब नहीं किया तो जिंदगी बेकार है,,,, अच्छा जब तुम मुठ मारता है तो तेरे मन में किसका ख्याल आता है,,,,(यह सवाल पूछ कर जवाब भी खुद देते हुए वह बोला) अपनी मां का या अपनी बहन का,,,
(इस बार राहुल का सवाल सुनकर वह थोड़ा झेंप गया ,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें क्या करें वैसे तो बात सच ही थी कि जब से हुआ मूठ मारना शुरू किया था उसके मन में उसकी कल्पना में केवल उसकी मां ही रहती थी हालांकि अभी तक वह अपनी बहन के बारे में गंदी विचार नहीं रखता था लेकिन अपनी मां को चोदने का उसके मन में ख्याल जरूर आता था,,,। लेकिन अब यह अपने मुंह से कैसे कह दे,,,, फिर भी वह अपने मन को मजबूत करके बोला,,,)
पागल हो गया क्या इस तरह के ख्याल मेरे मन में नहीं आते हां कल्पना करता हूं लेकिन मेरी पड़ोस की आंटी है उनके बारे में सोचकर,,,,(अंकित झूठ बोल रहा था और उसकी बात सुनकर राहुल बोला)
कोई बात नहीं जैसे बिस्तर पर चुदाई के लिए किसी स्त्री का होना जरूरी होता है इस तरह से मुथ मरने के लिए भी ख्यालों में किसी स्त्री की जरूरत पड़ती ही है,,,, और तुझे सच बताऊं,,, मुठ मारते समय मेरे मन में किसका ख्याल आता है,,,,।
किसका,,,,?(एकदम से अंकित बोल पड़ा)
मेरी मम्मी का,,,,(बड़े आराम से राहुल बोला,,, लेकिन जितना सहज होकर वह जवाब दिया उतना असहजता अंकित महसूस कर रहा था एकदम हैरान था और से भी ज्यादा हिरण करने वाली बात यह थी कि राहुल बेझिझक बता रहा था उसके चेहरे पर उसकी बातों में बिल्कुल भी शर्म का एहसास नहीं हो रहा था,,,,)
क्या बात कर रहा है राहुल तु तो एकदम बेशर्म है,,,
देख अंकित,,,, इस तरह के खेल में बेशर्म बनना पड़ता है बिस्तर में या बाथरूम में बेशर्म बनने के बाद ही ज्यादा मजा आता है और मैं सच कह रहा हूं तो भी अपनी मां और बहन के बारे में सोचकर कल्पना करना इतना मजा आएगा कि तू हिलता रह जाएगा और तेरे मुठ की धार बहुत दूर तक जाएगी,,,,
ना बाबा ना मुझे तो यह ना हो पाएगा,,,,
चल कोई बात नहीं लेकिन मेरी बात पर गौर जरूर करना ज्यादा नहीं तो एक बार जरूर अपनी मां का ख्याल अपने मन में लाकर हिलाना चोदने से भी ज्यादा मजा आएगा,,,,, ।
(अंकित हैरान था एक लड़का अपना अपनी मां के बारे में इतना खुलकर कैसे बोल सकता है लेकिन जो कुछ भी वह बोल रहा था उसमें अंकित को बहुत मजा आ रहा था और वह अपने मन में सोचने लगा कि राहुल भी अपनी मां के बारे में सोच कर मुठ मारता है इसका मतलब है कि ऐसे बहुत से लोग हैं जो घर में ही अपनी मां के बारे में सोच कर उत्तेजित होते हैं और मुठ मारते हैं,,,, अंकित यही सब सो रहा था कि राहुल का घर आ गया और राहुल ने दरवाजे पर पहुंचकर बेल बज दिया,,,, और थोड़ी ही देर में दरवाजा खुला तो सामने के दिल से कोई देख कर अंकित की आंखें फटी की फटी रह गई,,,,,
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