अपनी बड़ी बहन के कॉलेज जाने के बाद अंकित नहा धोकर तैयार हो गया था और अपनी मां को चाय नाश्ता के साथ दवा भी दे दिया था तभी वह बार-बार अपनी मां को रिपोर्ट के बारे में याद दिला रहा था कि उसकी मां को सैंपल वाली बात याद आ जाए और ऐसा ही हुआ सुगंधा को सैंपल वाली बात याद आ गई थी,,,, और वह जिद करने लगी थी की दवा खाने में क्या-क्या हुआ था उसे बताएं क्योंकि उसे कुछ भी याद नहीं है,,, और ऐसा अंकित खुद चाहता था वह अपनी मां को क्लिनिक वाली बात नमक मिर्च लगाकर बताना चाहता था और वह भी तड़प रहा था अपनी मां को सब कुछ बताने के लिए उसके भी अरमान मचल रहे थे आज उसके पास बहुत ही बेहतरीन मौका था,,, एक औरत के साथ गुफ्तगु को करने का,,,,,, मां के साथ नहीं बल्कि एक औरत के साथ क्योंकि वह अपनी मां मैं मां नहीं बल्कि एक प्यासी औरत को देख रहा था,,,।
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मम्मी तुम नहा धोकर तैयार हो जाओ फिर मैं बाद में बताता हूं,,,।
नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं वैसे भी मुझे अभी नहाने का मन नहीं कर रहा है तो मुझे पता क्या-क्या हुआ था मैं जाने के लिए बेकरार हूं क्योंकि मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि तू मुझे कब दवा खाने लेकर गया कब सैंपल दिया कुछ भी मुझे याद नहीं है,,,, ऐसा मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ था,,,।
अरे मम्मी में भागा थोड़ी जा रहा हूं,,, मैं सब कुछ बता दूंगा लेकिन पहले ना धोकर फ्रेश तो हो जाओ,,,।
और मैं भी तुझे बता दी हूं की अभी मैं नहीं नहाउंगी तुझे मेरी कसम सब कुछ सच-सच बता,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर और उसकी दी हुई कम को सुनकर अंकित एकदम शांत हो गया कुछ देर के लिए कमरे में खामोशी छाई रही तो इस खामोशी को खुद सुगंध तोड़ते हुए बोली,,)
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क्या हुआ तु चुप क्यों हो गया बताता क्यों नहीं,,,!
अब क्या बताऊं मम्मी मैं तुमको नहीं बताना चाह रहा हूं और तुम मुझे कसम दे रही हो सब कुछ सुनाने के लिए मैं नहीं चाहता कि क्लीनिक में जो कुछ भी हुआ मैं तुम्हें बताऊं वह सब तुम्हारा बुखार करना चाहता तुम्हें कुछ भी याद नहीं है और सही है की याद नहीं है वरना तुम ना जाने क्या सोचोगी,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा को बिल्कुल शक होने लगा कि जरूर क्लीनिक में कुछ ना कुछ हुआ है और इसीलिए अंकित बात नहीं रहा है इसलिए वह पूरी तरह से अंकित को विश्वास में लेते हुए बोली,,,)
देख अंकित अगर मेरे मन में कुछ होता तो मैं तुझे बताने के लिए बोलती ही नहीं लेकिन मैं जानना चाहती हूं कि वहां पर क्या हुआ है इसलिए तो मैं तुझसे पूछ रही हूं और बिल्कुल भी चिंता मत करना कुछ बोलने वाली नहीं हूं,,,।
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मम्मी तुम मुझे कसम देकर मजबूर कर रही हो,,,, मैं तुम्हें बताना नहीं चाहता हूं लेकिन अगर तुम मुझे मजबूर कर रही हो तो मैं भी तुम्हें बताने के लिए तैयार हूं लेकिन इससे पहले तुम्हें मेरी कसम खानी होगी,,,।
(ऐसा कहकर अंकित पूरी तरह से अपनी मां को अपनी कसम के दायरे में बांध लेना चाहता था ताकि वह जो कुछ भी बोले,,, उसे पर उसकी मां को विश्वास करने के सिवा और कोई रास्ता ना हो और उसकी बातों को सुनकर वह नाराज ना हो,,,,)
तेरी कसम,,,।
हां मम्मी मेरी कसम ताकि तुम मेरे बारे में कुछ उल्टा सीधा ना सोचो,,,,,।
Sugandha ki kalpna apne bete k sath
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अच्छा बाबा तेरी कसम खाती हूं मैं तुझे गलत नहीं समझुंगी,,,(कसम खाते हुए सुगंधा का अधिक जोरों से धड़क रहा था वह जल्द से जल्द अंकित के मुंह से सब कुछ सुनना चाहती थी और अंकित अपनी कसम दिल कर अपनी मां को पूरी तरह से अपनी विश्वास में लेकर अपनी बातों को नमक मिर्च लगाकर बताने के लिए अपने लिए अपने आपको तैयार कर चुका था,,, जैसे ही उसकी मां ने उसकी कसम खाई अंकित मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,,, और अपनी बात की शुरुआत करते हुए बोला,,,,)
अब जब तुम मेरी कसम खा ही गई हो तो मैं तुम्हें सब कुछ बता देता हूं,,, , देखो दोपहर को जब मैं घर पर लौटा दो बाहर ताला नहीं लगा था तो मैं समझ गया घर पर कोई ना कोई तो आ ही गया है लेकिन यह नहीं मालूम था कि घर पर कौन है,,,,, मैं दरवाजे पर 10 तक दे नहीं बना था कि दरवाजे पर हाथ रखते ही दरवाजा अपने आप खुल गया और मैं धीरे से अंदर प्रवेश किया,,,,,।
(सुगंधा अपने बेटे की बात को बड़ी गौर से सुन रही थी)
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ऐसा पहले कभी हुआ नहीं था कि दरवाजा खुला छोड़ा हो इसलिए मुझे थोड़ा अजीब लगा मैं घर में प्रवेश करके इधर-उधर देखने लगा लेकिन कोई नजर नहीं आया तो मैं दीदी के कमरे के पास गया कि दीदी का कमरा भी बंद था,,,,, और जब तुम्हारे कमरे के पास पहुंचा तो तुम्हारे कमरे का दरवाजा खुला हुआ था,,,, मुझे थोड़ा अजीब लगा मैं धीरे से तुम्हारे कमरे में प्रवेश किया तो तुम अपनी बिस्तर पर सो रही थी,,,, सो क्या रही थी मम्मी तुम दर्द से कंहर रही थी,,, मुझे तो कुछ समझ में नहीं आया कि क्या हुआ जब मैं तुम्हारे करीब पहुंचा तो देखा तुम बिस्तर पर बसु धोकर सो रही थी तुम्हारी साड़ी का पल्लू बिस्तर के नीचे लटक रहा था,,,,(अंकित ने जैसे ही साड़ी का पल्लू बिस्तर के नीचे लटक रहा था यह बात किया सुगंधा के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी और वह अपने मन में सोचने लगी की साड़ी का पल्लू जब नीचे लटक रहा था तो इसका मतलब है कि उसकी छाती एकदम साफ दिखाई दे रही होगी उसकी चूचियां उसकी सांसों की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही होगी और यह सब अंकित अपनी आंखों से देख लिया होगा,,,, यह ख्याल उसके मन में आता है उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी,,,,, अंकित की बात सुनकर सुगंधा बोली,,,)
तब तूनेक्या किया,,,,?
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करना क्या था मेरे तो होश उड़ गए तुम्हारी हालत खराब थी तुम्हें बहुत दर्द हो रहा था और तुम दर्द से कहर रही थी,,, मुझे कुछ समझ में नहीं आया तो अपना हाथ तुम्हारे माथे पर रखकर देखने लगा तुम्हारा माथा तुम्हारा बदन बुरी तरह से गर्म था तुम्हें बड़े जोरों का बुखार था,,, तुम्हारी आदत देखकर मैं समझ गया की हालत गंभीर है मैं तुम्हें उठाने लगा लेकिन तुम अपने होश में नहीं थी,,,, मैं तुमसे बोला भी कितने बड़ी जोरों की बुखार है तुम्हें दवा खाने ले जाना पड़ेगा लेकिन तुम क्या बोली तुम्हें मालूम है,,,।
नहीं मुझे तो कुछ भी नहीं मालूम,,,,।
तुम मुझे बोली कि जाकर मेडिकल से गोली ला दे आराम हो जाएगा,,,,।
फिर तूने क्या किया,,,,?
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करना क्या था मैं समझ गया था कि मेडिकल से दवा लाने से काम बनने वाला नहीं है इसलिए मैं तुम्हारा हाथ पकड़ कर उठाने लगा और बोला की दवा खाने चलना होगा,,,, लेकिन तुम तो उठने को तैयार ही नहीं थी तुम जाने को भी तैयार नहीं थी लेकिन मैं जानता था कि अगर इस तरह तुम्हें छोड़ दिया गया तो मामला ज्यादा बिगड़ जाता तुम्हारी तबीयत और ज्यादा खराब हो जाती और तुम्हें दवा खाने में एडमिट करना पड़ता,,,,।
बाप रे मेरी तबीयत इतनी ज्यादा खराब हो गई थी,,,(सुगंधा आश्चर्य जताते हुए बोली,,)
तो क्या मम्मी तुम्हारी तबीयत बहुत खराब थी तुम दवा खाने को जाने को तैयार नहीं घर में कोई था भी नहीं दीदी अगर होती तो शायद मुझे इतनी दिक्कत नहीं होती लेकिन वह भी नहीं थी और तुम्हें दवा खाने ले जाना बहुत जरूरी था मैं जबर्दस्ती तुम्हें उठाकर बिस्तर पर बिठाया,,,,एक तो तुम्हारे में बिल्कुल भी ताकत नहीं थी,,, बिस्तर पर बैठने के बावजूद तुम इधर-उधर लुढ़क जा रही थी तुम्हें संभालना मुश्किल हुआ जा रहा था,,,,, जैसे तैसे करके मैं तुम्हें सहारा देकर खड़ी किया,,,,,,।
(सुगंधा बड़ी गौर से अपने बेटे की बात सुन रही थी उसकी उत्सुकता और ज्यादा बढ़ती जा रही थी कि आगे क्या-क्या हुआ होगा,,, तभी अंकित ने ऐसी बात कह दी सुगंधा की तो बुर से पानीबहने लगा,,,,)
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तुम्हें मैं कमरे से जैसे तैसे करके बाहर लेकर आया मैं अपना हाथ तुम्हारी बाहों में डालकर तुम्हें पकड़े हुए था ताकि तुम गिर ना जाओ लेकिन सबसे ज्यादा परेशान कर रहा था तुम्हारे साड़ी का पल्लू जो बार-बार तुम्हारे कंधे से नीचे गिर जा रहा था और सब कुछ दीख जा रहा था,,,,।
(
(सब कुछ दिख जाने वाली बात सुनकर सुगंधा के तन बदन में एकदम से आग लग गई सब कुछ दिख जाने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए बोली।।)
सबकुछ दिख जा रहा था मतलब,,,,।
मतलब की मम्मी साड़ी का पल्लू नीचे गिर जाने से तुम्हारी छाती एकदम से दिखने लगती थी,,,,,, मुझे तो समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करु,,,,।
इसमें समझने वाली कौन सी बात थी साड़ी का पल्लू ठीक कर देता,,,।
ऐसा तो मैं बार-बार किया था लेकिन जब तक घर में थी तब तक तो ठीक था मैं सोच रहा था कि अगर बाहर तुम्हारे साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया तो गजब हो जाएगा,,,,।
Ankit apni ma ki boor chat ta hua
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कैसा गजब हो जाएगा मैं कुछ समझी नहीं,,,।
तेरी मम्मी तुम तो एकदम पूरी हो तुम नहीं जानती बाहर मर्दों की नजर कैसी रहती है एक खूबसूरत औरत की साड़ी का पल्लू अगर कंधे पर से नीचे गिर जाए तो आने जाने वाले सब की नजर औरतों की छाती पर ही गड़ी रह जाए देखकर पागल हो जाए,,,,।
(अंकित बड़ी हिम्मत करके इतना कुछ भूल गया था और अपनी मम्मी का चेहरा देख रहा था उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी कई बातों को सुनकर उसकी मम्मी का चेहरा शर्म के मारे सुर्ख लाल होने लगा है,,,, और सुगंधा भी अपने बेटे की बात सुनकर अंदर ही अंदर उत्तेजना से भर जा रही थी,,,, वह अपने बेटे के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी वह यह भी जानती थी कि उसके खुद की बेटी की नजर उसकी छाती पर घूमती रहती है,,,,, अभी कुछ देर पहले ही उसने यह एहसास भी किया था जब वह सो रही थी और उसके साड़ी का पल्लू एकदम से अस्त्र-शस्त्र था और उसकी छाती एकदम से उजागर हुई नजर आ रही थी,,,,)
बाप रे क्या सच में मर्दों की नजर ऐसी होती है,,,।
(सुगंधा एकदम से अनजान बनते हुए बोली लेकिन अपनी मम्मी की बात से अंकित बिल्कुल भी सहमत नहीं था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मम्मी भी बाहर मर्दों की नजर से अच्छी तरह से वाकिफ है लेकिन ऐसा जानबूझकर बोल रही है फिर भी वह अपनी मां की बात सुनकर बोला)
तो क्या मम्मी सबकी नजर ऐसी ही होती है,,,।
लेकिन तुझे कैसे मालूम,,,,?
अरे यह सब मालूम हो जाता है मेरे कुछ दोस्त हैं जब भी उनके साथ इधर-उधर घूमने जाओ तो वह लोग औरतो को ही देखते रहते हैं,,,।
क्या कहते हैं तेरे दोस्त,,,,?
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पूछो मत मम्मी बहुत खराब खराब बोलते हैं मुझे तो बताने में भी शर्म आ रही है,,,,,।
अरे बता भी दे मुझसे कैसा शर्माना,,,, वैसे भी मैं तेरी कसम खाई हूं तुझे कुछ बोलेगी नहीं,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर और उसकी उत्सुकता देखकर अंकित का लैंड खड़ा होने लगा था उसी तरह की बातें करने में बहुत मजा आ रहा था और वह भी अपनी मां से पहली बार अपनी मां से इस तरह की बातें कर रहा था इसलिए वह भी थोड़ा खुल जाना चाहता था इसी बहाने वह भी एक औरत से किस तरह से अश्लील बातें की जाती है वह एहसास महसूस करना चाहता था,, इसलिए बोला,,,)
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ठीक है तुम रहती हो तो बता देता हूं वैसे बताने लायक बात नहीं थी मेरे दोस्त हमेशा औरतों को देखकर वैसे तो कोई औरत आगे से आती रहती है तो उन लोगों की नजर औरतों की छाती पर ही जाती है और अगर पीछे से देखते हैं तो औरतों की गांड पर ही उनकी नजर जाती है,,,,,(अपने मुंह से औरतों की गांड शब्द का प्रयोग करके और अभी अपनी मां के सामने वह पूरी तरह से मदहोश होने लगा था,,, सुगंधा भी अपने बेटे के मुंह से औरत की गांड शब्द सुनकर मस्त हुए जा रही थी,,, कोई और समय होता तो शायद उसका बेटा इस तरह की बात नहीं करता लेकिन हालात और मौका दोनों बदल चुके थे सुगंध भी अपने बेटे को इस तरह से बात करने नहीं देती अगर कोई और समय होता तो लेकिन इस समय वह भी मजबूर थी अपनी बेटी के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर वह भी मस्त हो जा रही थी इसलिए वह उसे रोकी नहीं,,, और अंकित अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
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मैं तो यह सब सुनकर उन लोगों से दूर हो जाता हूं,,,।
औरतों की गांड और छाती देखकर ऐसा क्या कहते हैं तेरे दोस्त जो तू एकदम से उन लोगों से दूर हो जाता है,,,,।
(सुगंधा भी गांड और छाती का प्रयोग बड़े खुलकर अपने बेटे के सामने कर रही थी,,, जिसे सुनकर अंकित का लंड हलचल महसूस कर रहा था,,,)
अरे मम्मी वह लोग बहुत गंदा गंदा बोलते हैं,,, वह लोग इतने हारामी है कि कुछ भी बोल देते हैं बोलते हैं है इसकी चूचियां कितनी बड़ी-बड़ी है मेरे हाथ में आ जाए तो दबा दबा कर इसका दूध पी जाऊं,,,,।
हाय दैया ऐसा बोलते हैं,,,,(सुगंधा भी जानबूझकर हैरान होने का नाटक करते हुए बोली,,,)
तो क्या मम्मी और फिर किसी औरत की गांड देख लेते हैं बड़ी-बड़ी है तो बोलेंगे इसका आदमी कितना खुश नसीब होगा जो ऐसी औरत पाया है इतनी बड़ी-बड़ी गांड पाकर ना सोता होगा ना सोने देता होगा,,,,,,,।
(हाय दइया तेरे दोस्त इतने बेशर्म है,,,,)
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तो क्या मम्मी मेरी तो हाथ खराब हो जाती है उन लोगों की इस तरह की बातें सुनकर ऐसे मम्मी मुझे समझ में नहीं आया कि वह लोग कहते हैं कि ना खुद सोते हैं ना सोने देते इसका मतलब क्या हुआ,,,,!(अंकित जानबूझकर अनजान बनते हुए अपनी मां से पूछ रहा था वह जानना चाहता था इसके मतलब को अपनी मां के मुंह से और यह बात सुनकर सुगंधा के चेहरे पर एकदम से हवाइयां उड़ने लगी और उसका चेहरा शर्म के मरे टमाटर की तरह लाल हो गया वह अपने बेटे की बात सुनकर गोल-गोल जवाब देते हुए बोली,,,)
अरे,,, कोई खूबसूरत औरत को देखकर किसी की नींद उड़ जाती होगी इसी बारे में बोल रहे होंगे,,,,।
हां यह भी हो सकता है,,,,,
अच्छा यह बता फिर तु कैसे ले गया मुझे,,,,(एक पल के लिए सुगंधा का मन कह रहा था कि अपने बेटे से सब कुछ बता डाले औरत और मर्दों के बीच के संबंध को लेकर वह बता दे की मर्द कब सोता नहीं और नहीं औरत को सोने देता है वह चुदाई के बारे में खुलकर अपने बेटे से बात करें लेकिन ऐसा करने से उसे अजीब सा लग रहा था वैसे तो वह अपने बेटे से एकदम से खुल जाना चाहती थी लेकिन न जाने क्यों वह इस तरह की बातें करने से और वह भी खुलकर थोड़ा घबरा रही थी,,,, इसलिए बात को एकदम से घूमाते हुए बोली,,,)
फिर क्या मम्मी जैसे तैसे करके मैं तुम्हारी साड़ी के पल्लू को फिर से ठीक किया और तुम्हें सहारा देकर धीरे-धीरे घर से बाहर लेकर आया तभी ओटो को आवाज देकर बुलाया और उसमें,,, तुम्हें बिठाकर जैसे तैसे करके दवा खाने पहुंचा,,,,।
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(जिस तरह की बातें मां बेटे के बीच हो रही थी अंकित की हालात पूरी तरह से खराब हो गई थी उसका लंड अपनी औकात में आकर खड़ा था और पेट में तंबू बनाया हुआ था और वह उसे छुपाने की कोशिश करते हुए बार-बार अपने हाथ से अपने लंड को दबा दे रहा था और उसकी यह हरकत उसकी मां से बिल्कुल भी छुपी नहीं होती सुगंधा भी अपने बेटे की हरकत को देखकर अंदर ही अंदर गर्म हो रही थी,,,,। वैसे उसकी खुद की बुर पानी छोड़ रही थी,,, फिर भी गहरी सांस लेते हुए वह बोली,,,)
फिर क्या हुआ,,,? दवा खाने में तो भीड़ होगी,,,!
नहीं मम्मी किस्मत अच्छी थी दवा खाने में उसमें कोई भी नहीं था और डॉक्टर का कंपाउंडर खाना खाने घर गया था,,।
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फिर,,,,(सुगंधा की भी पेंटि गीली रही थी इसलिए वह भी,,, ना चाहते हुए भी अपने हाथ से अपनी पैंटी को सही करते हुए बोली और उसकी यह हरकत को अंकित भी बड़ी गौर से देख रहा था और उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,)
फिर क्या फिर से तुम्हें सहारा देकर में जैसे तैसे करके डॉक्टर के केबिन में पहुंच डॉक्टर अकेले ही आराम कर रहा था,,,,, और फिर मैं तुम्हें डॉक्टर के सामने वाली कुर्सी पर बैठा दिया,,,,।
फिर क्याहुआ,,,?
फिर डॉक्टर तुम्हारा चेकअप करने लगा,,,, वैसे मम्मी जब कभी भी मैं तुम्हारे साथ गया हूं तो डॉक्टर अपना आला तुम्हारी पीठ पर लगाकर चेक करता था ना,,,,।
हां और ऐसे ही डॉक्टर को चेक भी करना चाहिए औरतों के मामले में,,,,,।
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हां मम्मी मैं भी तो यही सोच रहा था लेकिन डॉक्टर की आंखों के सामने तुम्हारी शाडी का पल्लू एकदम से नीचे गिर गया और साला डॉक्टर तो तुम्हारी छाती को देखता ही रह गया,,,,।
(जिस तरह से अंकित बता रहा था उसकी बात सुनकर सुगंध एकदम से हैरान हो गई और वह एकदम से हैरान होते हुए बोली)
क्या कह रहा है अंकित तु,,,
मैं सच कह रहा हूं मम्मी साड़ी का पल्लू गिरते ही डॉक्टर तुम्हारी छाती की तरफ देखने लगा उसकी तो आंखें फटी जा रही थी मुझे लगा शायद तुम्हारी तबीयत का कुछ जांच पड़ताल कर रहा है लेकिन जल्दी मुझे पता चल गया कि वह क्या देख रहा था,,,
क्या देख रहा था वह,,,,।
मम्मी मुझे तो बताते शर्म आ रही है,,, कोई और समय होता तो मैं उसका मुंह तोड़ देता लेकिन तुम्हारी तबीयत कुछ ज्यादा ही खराब थी इसलिए मैं कुछ बोल नहीं पाया,,,।
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लेकिन क्या देख रहा था वो,,,(एकदम से उत्सुकता दिखाते हुए सुगंधा बोली)
मम्मी अब मैं क्या कहूं तुम्हारी साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरते ही एक बार फिर से तुम्हारी छाती एकदम से उजागर हो गई और वह जो ब्लाउज के बीच में से लकीर दिखती ना गहरी गहरी,,,,,(हाथ की उंगली से अपनी मां के छाती की तरफ इशारा करते हुए और उसके इशारे को देखकर सुगंधा एकदम शर्म से पानी पानी हो गई उसके कहने के मतलब को सुगंधा अच्छी तरह से समझ गई,,, वह समझ गई कि उसका बेटा चूचियों के बीच की उभरी हुई लकीर के बारे में बात कर रहा है,,,,,)
हां,,,,, मैं समझ गई आगे बात,,,,।
हां मम्मी वहीं आंख फाड़े देख रहा था,,,, एक तो तुम इतनी बीमार थी कि अस्त-व्यस्त हालत में हो जा रही थी तुम्हारी साड़ी का पल्लू नीचे गिर जा रहा था कभी तुम्हारा सर इधर-उधर हो जा रहा था वह तो गनी मत था मम्मी के तुम्हारे ब्लाउज का बटन खुला हुआ नहीं था,,,।
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तो क्या हो जाता,,,,?(एकदम से तिरछी नजर से अंकित की तरफ देखते हुए बोली)
अरे फिर तो डॉक्टर किसी न किसी बहाने छु देता,, और दबा भी देता,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर तो सुगंधा के बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी वह अच्छी तरह से समझ रही थी कि उसका बेटा क्या कहना चाह रहा है लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए बोली,,,)
अरे किसको दबा देता छु देता,,,।
अरे मम्मी तुम्हारी चू,,,(हाथ का इशारा अपनी मां की छाती की तरफ और अधूरा शब्द बोलकर एकदम से खामोश हो गया और अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा की बुर पानी छोड़ने लगी,,,, उसकी सांसे एकदम से ऊपर नीचे होने लगी क्योंकि उसका बेटा चुची शब्द कहते-रहते रह गया था,,,, फिर भी अपने आप को सहज करते हुए वह बोली)
अरे अगर बटन खुला होता तो क्या तू बंद नहीं करता मुझे तो बिल्कुल भी होश नहीं था तुझे तो बंद कर देना चाहिए था ना,,,।
मुझे तो करना ही पड़ता मम्मी क्योंकि मैं नहीं चाहता कि किसी और की नजर तुम्हारे पर पड़े लेकिन उसे समय में खामोश रहे गया था तुम्हारी तबीयत का जो मामला था,,,,।
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इसके बाद तूनेक्या किया,,,?
डॉक्टर की नजर को पहचान कर मैं जल्दी से तुम्हारी साड़ी के पल्लू को ठीक कर दिया लेकिन बुखार नापने के बहाने उस हरामी डॉक्टर ने क्या किया पता है,,,।
क्या किया,,,?
हारामी ने मुझसे बोला कि अपनी मां की साड़ी के पल्लू को थोड़ा हटाओ,,,
फिर,,,,(सुगंधा धड़कते दिल के साथ बोली,,, उसके बदन में भी हलचल होने लगी थी वह जानती थी कि इस तरह की हरकत डॉक्टर करते नहीं है लेकिन उसका बेटा बता रहा था तो हो सकता है डॉक्टर ने इस तरह की हरकत किया हो,,,)
फिर क्या मैं भी हाथ आगे बढ़कर तुम्हारी शादी के पल्लू को तुम्हारी छाती से थोड़ा सा हटा दिया,,,, और डॉक्टर अपने आला को तुम्हारी उस पर,,(एक बार फिर से उंगली से इशारा करते हुए,,,, अंकित अपनी मां की चूची दिखाने लगा सुगंधा के सांस ऊपर नीचे हो रही थी उसकी हालत खराब हो रही थी वह भी अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी उंगली से अपनी चूची की तरफ इशारा करते हुए इशारे में ही बात की तो अंकित अपनी मां का इशारा देखकर बोला,,,)
इससे थोड़ा ऊपर,,,,।(अंकित का भी दिल जोरो से धड़क रहा था वह अपनी मां से एक तरह से अश्लील बातें ही कर रहा था ऐसी बातें जो मर्द और औरत के बीच ही मुमकिन होती है एक मां और बेटे के बीच नहीं लेकिन एक मां और बेटे दोनों अपनी मर्यादा को पार कर रहे थे,,, सुगंधा भी अंकित की बात सुनकर थोड़ी बेशर्मी दिखाते हुए अपने हाथ से साड़ी के पल्लू को अपनी छाती से थोड़ा सा हटाते हुए अपनी उंगली को अपनी चूची की गोलाई के ऊपरी भाग पर जहां से गोलाई का शुरूआत होती है वहां पर रख दी,,, अपनी मां की इस अदा पर तो अंकित की हालात पूरी तरह से खराब हो गई वह एकदम से उत्तेजित हो गया उसकी लंड की नशे एकदम से उभर आई,,, और वह एकदम से उत्तेजित स्वर में बोला ,,,)
Apni ma ki chudai karta hua ankit
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बस बस मम्मी यहीं पर,,, यहीं पर वह डॉक्टर अपना आला,,, लगाकर तुम्हारा बुखार चेक करने लगा और एक बार नहीं बल्कि काफी बार उसने ऐसा किया,,,।
लगता है उसकी नियत खराब हो रही थी,,,,।
तो क्या मम्मी,,, क्योंकि मैं आज तक इस तरह से डॉक्टर को औरत का चेकअप करते नहीं देखा,,,,।
(अंकित की बातों को सुनकर दीवाल का सहारा लेकर वह ऊपर छत की तरफ देखने लगी और गहरी सांस लेने लगी उसका साड़ी का पल्लू अभी भी उसकी छाती से थोड़ा सा जाता हुआ था और वह जानबूझकर गहरी सांस ले रही थी ताकि सांसों के गति के साथ उसकी ऊपर नीचे हो रही छाती पर उसके बेटे की नजर जाए और ऐसा ही हुआ,,,, अंकित की नजर तुरंत अपनी मां की बड़ी-बड़ी छातियों पर चली गई,, और अपने बेटे की हरकत को,,, सुगंधा चोर नजरों से देख रही थी उसकी हरकत को देखकर मन ही मन उत्तेजित और प्रसन्न दोनों हो रही थी,,, कुछ देर की खामोशी के बाद वह फिर से अंकित की तरफ देखतेहुए बोली,,,।
इसके बाद क्या हुआ,,,,?
![1709575287-picsay 1709575287-picsay](https://i.ibb.co/gmsmgX7/1709575287-picsay.jpg)
(सुगंधा की बातें सुनकर अंकित समझ गया था कि उसकी मां सबसे ज्यादा उत्सुक सैंपल वाली बात जानने के लिए है,,, इसलिए वह भी बोला,,,)
फिर क्या मम्मी डॉक्टर ने दवाई दिया और बोला ब्लड और पेशाब का सैंपल देना पड़ेगा,,,,।
फिर मुझे तो कुछ मालूम ही नहीं था यह सब कैसे लिया गया,,,,,।
वही तो बता रहा हूं मम्मी,,,, मैं तुम्हें सहारा देकर वापस डॉक्टर के केबिन से बाहर लाया वही दवा खाने में ही बाथरूम है बाथरूम में ही सब कुछ मौजूद था,,,, मैं धीरे-धीरे तुम्हें बाथरूम के पास लाया और तुम्हें सब कुछ बता दिया अंदर ही परखनली भी थी,,,, लेकिन तुम्हारी हालत देखकर मुझे लग नहीं रहा था कि तुम बाथरुम में अकेले जा पाओगी,,,।
(अपने बेटे की बात सुनते ही सुगंध के दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गई उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में अजीब सी हलचल होने लगी उसे साफ महसूस हो रहा था कि अपने बेटे की बात सुनकर वह उत्तेजित हुए जा रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी बुर कचोरी की तरह फुल रही थी पंचक रही थी,,,, वह और भी ज्यादा उत्सुक हो गई थी आगे की बात जानने के लिए इसलिए बोली ,,,)
फिर तूने क्या किया,,,,?
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मैंने क्या किया मैं बाहर ही खड़ा रहा और तुम्हें अंदर जाने के लिए बोला जैसे तैसे तुम दरवाजा खोलकर अंदर जाने को भी लेकिन दरवाजे पर ही खड़ी रह गई तुम्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना है मुझे भी घबराहट हो रही थी कि तुम भला कैसे पेशाब का सेंपल दे पाओगी तुम्हे तो खड़े रहने की भी ताकत नहीं थी,,,, कुछ देर तक मैं खड़ा रहा इधर-उधर देखता रहा लेकिन तुमसे कम भी आगे बढ़ने जा रहा था और तुमने खुद मेरी तरफ देखकर इशारा करते हुए मुझे भी अंदर आने के लिए बोली इतना सुनकर तो मेरी हालत खराब हो गई भला मैं कैसे एक औरत के साथ बाथरूम के अंदर जा सकता हूं अगर यह कोई देख लेता तो कितने शर्म की बात होती,,,,।
(अपने बेटे की बातों को सुनकर सुगंध का बदन उत्तेजना से कसमसा रहा था उसकी बुर लगातार पानी फेंक रही थी वह अपने बदन में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था और फिर कांपते हुए स्वर मेंबोली,,,)
फिर क्या हुआ,,,,?
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फिर क्या मम्मी मुझे ना चाहते हुए भी तुम्हारे साथ बाथरूम के अंदर जाना पड़ा तुम्हें सहारा देखकर मैं बाथरूम के अंदर लेकर और दरवाजा बंद कर दिया ताकि कोई देख ना ले और जल्दी से फर्क नाली को तुम्हारे हाथों में दे दिया और बोला कि तुम इसके अंदर पेशाब का सैंपल ले लेना,,,।
तू मेरे साथ बाथरुम मेंही था,,,,(एकदम से आश्चर्य जताते हुए सुगंधा बोली)
और क्या करता मम्मी मजबूरन मुझे भी अंदर रहना पड़ा तुम अपने हाथ से परखनली तो ले ली और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,।
(इतना सुनकर सुगंधा के बदन में उत्तेजना की चिंगारी फुट में रखें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसे अजीब सा एहसास हो रहा था उसके बदन में मदहोशी जा रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि इसी समय वह अपने बेटे के साथ कुछ कर बैठेगी,,, अपने बेटे की बात सुनकर सुगंध बोली,,,)
और तु मुझे ही देख रहा था,,,.
क्या करता मम्मी मजबूर था मुझे इस बात का डर था कि कहीं तुम बाथरुम में गिर ना जाओ तुम्हें चोट लगने का डर था इसलिए मुझे ना चाहते हुए भी तुम्हारी तरफ देखना पड़ा,,,
फिर मैंने क्या की,,?
तुम तो बुखार के नशे में थी तुम्हें तो बिल्कुल भी होश नहीं था जैसे तैसे करके तुम अपनी साड़ी को कमर तक उठा ली थी,,,।
(अपने बेटे की बातों में सुगंध को नशा महसूस हो रहा था वह उसकी बातों में पूरी तरह से खो चुकी थी और अपनी आंखों के सामने कल्पना करने लगी थी कि कैसा-कैसा बाथरूम में हुआ होगा वह मदहोश हो जा रही थी उत्तेजना उसके धीरे दिमाग पर पूरी तरह से हावी होती जा रही थी,,,,, और अंकित अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
तुम अपनी साड़ी कमर करके उठा लेती लेकिन तुम्हें समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना है तुम उसी तरह से ऐसा लग रहा था कि जैसे नशे में झूम रही हो मैं तुम्हें आवाज देते हुए बोला,,,,।
मम्मी पेशाब का सैंपल लेना है,,,,।
मेरी बात सुनकर ऐसा लगा कि जैसे फिर से तुम्हें होश आया हो और तुम मेरी तरफ देखने लगी और अपने एक हाथ से अपनी चड्डी को नीचे करने लगी लेकिन तुमसे हो नहीं रहा था तुमसे अपनी चड्डी ठीक से पकड़ी नहीं जा रही थी तुम अपनी चड्डी नहीं उतर पा रही थी,,,,(अंकित जानबूझकर अपनी मम्मी के सामने चड्डी वाली बात कर रहा था बार-बार अपनी मां के सामने इस तरह चड्डी का प्रयोग करके वह अपनी मां को उत्तेजित कर रहा था और उसकी मां बार-बार अपने बेटे के मुंह से अपनी चड्डी का जिक्र सुनकर मदहोश हुए जा रही थी पागल हुए जा रही थी,,, और वह धीरे से बोली,,,)
फिर मैंने क्या की,,,?
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फिर कुछ देर तक तुम कोशिश करती रही लेकिन तुमसे हुआ नहीं तो तुम मेरी तरफ देखते हो मैं तुम्हारी तरफ देखने लगा मुझे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर सैंपल मिलेगा तो कैसे मिलेगा,,,, और तुम मुझसे बोली,,,,।
तू ही उतार दे मुझसे नहीं हो रहा है,,,।(ऐसा कहते हुए अंकीत का लंड अपनी औकात में आ गया था,,,,,, क्योंकि वह अपनी मां के सामने उसकी ही चड्डी उतारने वाली बात कर रहा था और जिस तरह का सुरूर अंकित के ऊपर छाया हुआ था वही खुमारी उसकी मां के ऊपर भी छाने लगी थी,,, वह अपने मन में कल्पना करने लगी की बाथरूम में कैसा-कैसा हुआ होगा वह कहते हुए कैसा महसुस कर रही होगी वह पूरी तरह से पागल हुए जा रही थी,,, उसकी चड्डी पूरी तरह से गीली हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी चड्डी पर कोई पानी डाल दिया हो,,,, अपने बेटे की बात सुनकर वह अपने बेटे से नजर मिलाए बिना ही बोली,,,।)
करना क्या था मम्मी तुम जैसा कहीं मुझे करना ही था क्योंकि मुझे डर कहीं डॉक्टर अगर बाहर आ गया और हम दोनों को बाथरूम में देखेगा तो वह क्या सोचेगा उसे तो खुला मौका मिल जाएगा,,,,, इसलिए तुम्हारी बात मानते हुए मैं अपना हाथ आगे बढ़ाकर,,,,, तुम्हारी चड्डी को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ खींचने लगा,,,, सच कहूं मम्मी तो मुझे बहुत खराब लग रहा था लेकिन मैं क्या करूं मैं मजबूर हो गया था तुम्हारे पेशाब का सैंपल जो लेना था और देखते ही देखते मैं तुम्हारी चड्डी को तुम्हारी घुटनों का खींच दिया था तुम अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी,,,।
फिर,,,,(गहरी सांस लेते हुए सुगंधा बोली, देखते ही देखते कमरे का वातावरण पूरी तरह से उत्तेजना से गर्म हो चुका था मां बेटे दोनों जवानी के नशे में चूर हो चुके थे बस एक कदम आगे बढ़ाने की देरी थी और दोनों एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश में जुट जाते,,, लेकिन फिर भी दोनों अपने आप पर बहुत ही काबू रखे हुए थे,,,,, अपनी मां की बात सुनकर अंकित बनी बनाई खिचड़ी पकाते हुए बोला,,,)
फिर क्या मैं कुछ देर तक फिर से इस तरह से खड़ा रहा,,,, तुम पेशाब करने के लिए बैठ नहीं पा रही थी,,,, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं तुम बार-बार बाथरूम की दीवार का सहारा लेकर खड़ी हो जा रही थी,,,, तुम्हारी हालत देखकर मैं समझ गया कि तुम बैठकर पेशाब नहीं कर पाओगी,,,।
(अंकित के एक-एक शब्द सुगंधा के कानों में नशा घोल रहा था,,, वह पूरी तरह से कामुकता के सागर में डूबती चली जा रही थी,,,,, अंकित जो कुछ भी कह रहा था सुगंधा अपने मन में उसकी कल्पना कर रही थी आज उसका पिता उसे बहुत खुलकर बातें कर रहा है,,, यही बदलाव तो वह अपने बेटे के अंदर चाहती थी,,,,,, यह बदलाव देखकर सुगंधा अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी क्योंकि जैसा अंकित वह चाहती थी धीरे-धीरे उसका बेटा वही अंकित बनता जा रहा था अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा बोली,,,)
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फिर तूने क्या किया,,,,?(गहरी सांस लेते हुए अंकित से बिना नजर मिलाए हुए सुगंधा बोली,,,)
फिर क्या मुझे मजबूरन वही करना पड़ा जो मैंने जिंदगी में नहीं सोचा था,,,।
क्या,,,?
मैंने परखनली तुम्हारे हाथ से ले लिया,,, और फिर मैं अपने मन को एकदम कठोर करके उस परखनली को तुम्हारी,,,(उंगली से अपनी मां की दोनों टांगों के बीच इशारा करते हुए) उस पर लगा दिया और तुम्हें मुतने के लिए बोला,,, और तुरंत तुम पेशाब करने लगी,,,।
खड़े-खड़े,,,,(एक दम हैरान होते हुए सुगंधा बोली,,)
तो क्या तुम बैठ नहीं पा रही थी इसलिए खड़े-खड़े करना पडा,, तब जाकर पेशाब का सैंपल मिला,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा एकदम स्तब्ध हो गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे से क्या बोले वह अपने बेटे से शर्म के मारे नजर तक नहीं मिल पा रही थी।।,)