सुमन के घर पर अंकित को बेहद उत्तेजित कर देने वाला अनुभव प्राप्त हुआ था धीरे-धीरे वह अनुभव और समाज से बहुत कुछ सीखना जा रहा था वह कभी सोचा भी नहीं था कि सुमन के घर पर उसे इस तरह का सुख प्राप्त होगा वैसे तो वह ताक झांक के लिए ही पढ़ाई के बहाने उसके घर गया था लेकिन वहां पर उसे उम्मीद से दुगना प्राप्त हुआ था जिसके लिए वह अपनी किस्मत पर बार-बार गर्व कर रहा था वह कभी सोचा भी नहीं था की इस तरह का अनुभव एक बेहद खूबसूरत लड़की उसे देगी।
उसके घर पर पहुंचने पर शुरुआत में ही जो नजर उसने देखा था उसे देखकर उसे उसकी आंखों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं हो रहा था सर्वप्रथम ही बाथरूम में सुमन की मां को पूरी तरह से नंगी होकर नहाते हुए देख कर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी। वह कभी सोचा नहीं था कि सुषमा आंटी इतनी खूबसूरत दिखती होंगी उनका मोटा तगड़ा शरीर बिना कपड़ों के और भी ज्यादा आकर्षक और उत्तेजक नजर आता होगा पहली बार सुषमा आंटी को नंगी देखकर पल भर में उसका लंड अपनी औकात में आ गया था। और हैरानी की बात यह थी कि इस अवस्था में देखने के बावजूद भी सूचना आंटी उसे बिल्कुल भी भला बुरा आया उसे डांट फटकार ने लगाई थी वह बिल्कुल साहस थी बस अपनी आंखों के सामने उसे देखकर शर्मा गई थी और अपने अंगों को छुपाने की कोशिश की थी।
और पहली बार अंकित ने यह देखा था की औरतों की दोनों टांगों के बीच की पतली तरह के ऊपर ढेर सारे बाल होते हैं पहली बार हुआ औरत की बुर को झांटों से गिरी हुई देखा था,,, और झांटों के बीच सुषमा आंटी की बुर बेहद आकर्षक लग रही थी अब तक उसने अपनी मां की ही बुर के दर्शन किए थे,, जो कि एकदम चिकनी और मखमली नजर आती थी इसलिए उसे अंदाजा भी नहीं था की औरतों की बुर पर भी ढेर सारे बाल होते हैं,,, सुमन की मां की बुर को देखने के बाद अंकित इतना तो समझ गया था कि उसकी मां क्रीम लगाकर अपनी बुर को साफ करती थी तभी ईतनी चिकनी थी,,, लेकिन फिर भी सुषमा आंटी की बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी गोल-गोल गांड और उसकी मोती जांघों के बीच की पतली दरार और वह भी बालों से घिरी हुई बेहद जाकर सकती जिसके बारे में सोते हुए वह अपने कमरे में काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसकी मां ने भी उसे शख्त हिदायत दी थी कि,, परीक्षा में अच्छे नंबर लाना है तब तक एकदम पढ़ाई पर ध्यान देना है अगर कम नंबर आए तो उससे बुरा कोई नहीं होगा।
वैसे तो पढ़ने लिखने में अंकित कमजोर बिल्कुल भी नहीं था लेकिन उसकी मां अच्छी तरह से जानती थी कि और तो का आकर्षण इस उम्र में लड़कों पर क्या असर करता है इसलिए वह इन सब चीजों से परीक्षा के दौरान अंकित को दूर रखना चाहती थी इसलिए वह एकदम सख्त थी,,, और उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसका बेटा अब तक अच्छे ही नंबरों से पास हो रहा था तो इस बार भी अच्छे नंबर से पास होगा लेकिन वह इस बात से भी इनकार नहीं कर सकती थी कि इस बीच उसका बेटा काफी बदल गया था उसका आकर्षण औरतों के बदन पर कुछ काफी हद तक बढ़ने लगा था और वह औरत कोई और नहीं थी बल्कि वह खुद ही थी जो कि वह जानबूझकर ही अपने हमको का प्रदर्शन अपने बेटे के सामने करती थी।
अंकित अपने कमरे में बैठा था घर के सभी लोग खाना खा चुके थे वह अपने कमरे में बैठकर परीक्षा की तैयारी कर रहा था वैसे तो उसे सब कुछ आता था लेकिन फिर भी एक नजर में अपनी किताब पर डाल रहा था ताकि कुछ प्रश्न छूट न जाए और जो सवाल वहां सुमन के घर पहुंचने गया था वह सवाल उसे आता ही था बस केवल एक बहाने से उसके घर गयात था लेकिन यह बहाना उसके लिए बेहद कारगर साबित हुआ था सुमन ने जो अपनी जवानी का जलवा उसे दिखाया था वह जिंदगी भर नहीं भूल सकता था। अपने दोस्तों के मुंह से सुमन के बारे में सुनी बातें एकदम सच साबित होने लगी थी वह समझ गया था कि उसके दोस्त झूठ नहीं बोल रहे थे सच बोल रहे थे वाकई में सुमन दूसरी लड़कियों की तरह थी एकदम गंदी विचारों वाली लेकिन अपने विचारों से अपनी हरकतों से मस्त कर देने वाली थी।
वैसे तो अंकित सुमन के घर पर इस लालच से गया था कि पिछली बार सुमन ने उसे अपनी कुर्ती उठाकर उसे अपनी चूचियों के दर्शन कराई थी और उसे स्तन मर्दन का सुख दी थी और इसीलिए उसे यही था कि आज भी वह इसी तरह का सुख देगी लेकिन आज तो उसने अपनी जवानी का केंद्र बिंदु ही उसे दिखा दी थी,,, जिस अंग को मर्दों के सामने उजागर करने में औरतें श्रम का अनुभव करती हैं इस अंग को सुमन बेझिझक उसकी आंखों के सामने उजागर कर दी थी अपनी स्कर्ट उठाकर,,, और सोने पर सुहागा यह था कि इस केंद्र बिंदु को वह बेझिझक उसके होठों से लगती थी और उसे चाटने के लिए बोली थी यह अनुभव अंकित के लिए बेहद नया था एकदम अद्भुत और श्रृंगार रस से भरा हुआ वह बात नहीं सकता था कि इस क्रिया को करने में उसे कितना आनंद की प्राप्ति हुई थी।
शुरू शुरू में गुलाबी बुर से निकलने वाले मदन रस का स्वाद उसे कुछ अजीब लगा था लेकिन,,, सुमन जिस तरह से उत्तेजित हो बड़े प्यार से अपनी प्यासी बुर को उसके होठों पर लगाई थी यह एहसास उसके लिए बेहद अद्भुत और अनमोल था इस एहसास को वह अपने से अलग नहीं होने देना चाहता था इसीलिए उसके स्वाद की परवाह किए बिना वह जीभ से उसकी बुर को चाटता रहा उसकी मदन रस को अपने गले के नीचे उतरता रहा उसे वह मदन रस अमृत के समान लगने लगा था,,, वैसे भी मर्दों को औरत की बुर चाटने में कुछ ज्यादा ही आनंद आता है और औरतों को चटवाने में ज्यादा आनंद की अनुभूति होती है इसीलिए तो इस क्रिया को करते हुए सुमन की हालत एकदम खराब होती जा रही थी।
अंकित अब तक केवल अपनी मां की बुर के दर्शन नहीं किया था उसे स्पर्श करने का खुला छोटू से अभी प्राप्त नहीं हुआ था अनजाने में पेटी बदलते समय वह अपनी मां को संभालने के चक्कर में अपनी हथेली को अपनी मां की गरम बुर पर रख जरूर दिया था लेकिन उसे जी भर कर दबाया नहीं था दबोचा नहीं था ना हीं उसे अपनी जीभ लगाकर चाटा था,,, लेकिन सुमन उसकी मां से एक कदम आगे थी वह बिना संकोच किए बिना शर्माए उसे अद्भुत सुख प्रदान की थी बस एक मलाल रह गया था कि अगर उसकी मां कुछ देर बाद और आती तो शायद उसकी बुर में अपना लंड डालने का सौभाग्य अंकित को प्राप्त हो जाता है और एक नए सुख और एक अनुभव को लेकर वह उसके घर से लौटता।
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दोपहर की इन सब बातों को याद करके इस समय अंकित का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,, जिसे वह पेंट में से बाहर निकाल कर उसे हिलाना शुरू कर दिया था,,, अपनी आंखों से वह मां बेटे की चुदाई को देख चुका था उन दोनों के बीच के रिश्ते को देख चुका था वह समझ गया था कि एक मर्द की जरूरत एक औरत की पूरी कर सकती है और एक औरत की जरूरत ही पूरी कर सकता है दोनों के बीच किसी तरह का रिश्ता मायने नहीं रखना या उसने राहुल और उसकी मां के बीच के रिश्ते को देखकर अंदाजा लगा लिया था और अपने मन में ही सोच रहा था कि इस तरह का रिश्ता अब उसकी मां और उसके बीच जल्द ही पनपने वाला है।
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क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां उससे अब कुछ ज्यादा पर्दा नहीं करती है,, आए दिन उसकी आंखों के सामने अपनी आंखों का प्रदर्शन किसी ने किसी बहाने करती रहती है उसके सामने बैठकर पेशाब करना अपनी बड़ी-बड़ी गांड दिखाना और इधर-उधर की बातें करना,,, और तो और बेझिझक उसकी आंखों के सामने अपनी ब्रा पेंटी पहन कर उसका नाप देखना,,, यह सब क्रियाकलाप वह जानबूझकर कर रही थी इसका एहसास अंकित को होने लगा था और इसमें अंकित को बिल्कुल भी बुरा नहीं लगता था बल्कि आनंद की प्राप्ति होती थी। और इसी आनंद को अंकित बरकरार रखना चाहता था लेकिन इस समय उसकी हालत खराब थी। इस समय वह उत्तेजना के सागर में डूबता चला जा रहा था।
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उसका खड़ा लंड उसके हाथ में था और उसके विचारों की धारा बहती चली जा रही थी,, उसकी आंखों के सामने वासना से भरे ढेर सारे चित्र किसी फिल्म की भांति गुजर रही थी वह राहुल और उसकी मां के बीच के संभोग के दृश्य को याद कर रहा था दोनों मां बेटे बेझिझक संभोग का आनंद ले रहे थे,,, वह चाहता था कि जिस तरह राहुल और उसकी मां के बीच संबंध स्थापित हो गया है वही संबंध उसके और उसकी मां के बीच भी स्थापित हो जाए ताकि वह जीवन का आनंद लूट सके,,,। और जिस तरह की हालात दोनों के बीच उत्पन्न हो रहे थे उसे देखते हुए वह दिन ज्यादा दूर नहीं था जब अंकित भी अपनी मां के साथ राहुल की तरह मजा ले सकता था।
इस समय उसे तरह के दृश्य को याद करके वह जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा था और अपने मन में यही सोच रहा था की खास सुमन की तरह उसकी मां भी उसे मजा लेने की छूट देती तो कितना मजा आता,, वह अपनी आंखों को बंद करके कल्पना के सागर में देखने लगा था और कल्पना कर रहा था किसी से सुमन की जगह उसकी मां अपनी साड़ी उठाकर अपनी मोटी मोटी जांघों के बीच उसका सर पकड़ कर अपनी बुर से चिपका दी थी,, और वह पागलों की तरह अजीब से अपनी मां की बुर चाट रहा था और उसकी मां एकदम मदहोश होकर अपनी गांड को गोल-गोल घूमते हुए उसके चेहरे पर अपनी बुर रगड़ रही थी जो कि एकदम गरम थी और उसमें से गरम लावा निकल रहा था।
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इस तरह की अद्भुत कल्पना करते हुए वह पुरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था और उसका हाथ उसके लंड पर बड़ी तेजी से चल रहे थे जो कि देखते ही देखते वह मदहोशी के आलम में अपनी कमर को ऊपर की तरफ जोर-जोर से उठाना शुरू कर दिया और देखते-देखते उसके लंड से तेज पिचकारी की धार निकली जोकी उसके ऊपर ही गिरने लगी,,,।
दूसरे दिन वह सहज रूप से तैयार होकर परीक्षा देने के लिए चला गया,,,,,, और थोड़े दिन बाद ही उसकी परीक्षा समाप्त हो चुकी थी वह बेहद खुश था क्योंकि उसकी परीक्षा पूरी हो चुकी थी और अब एक नए अध्याय का शुरुआत होने वाली थी,,,, परीक्षा खत्म होने के बाद वह उसी नुक्कड़ पर गया जहां पर उसके दोस्त इकट्ठा होते थे,,, लेकिन आज उसके दोस्त वहां पर नहीं थे बल्कि उसका दोस्त राहुल वहां पर बैठकर चाय पी रहा था और राहुल को देखते ही वह बोला,,
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अरे राहुल तु यहां,,,, बहुत दिनों से दिखाई नहीं दिया, ।
मैं तो रोज ही दिखाई देता हूं तू ही दिखाई नहीं देता
क्या करूं यार परीक्षा शुरू हो चुकी थी इसलिए सारा ध्यान पढ़ाई में लगा हुआ था इसलिए मैं कहीं निकल नहीं पाया था लेकिन अब फुर्सत ही फुर्सत है परीक्षा खत्म हो चुकी है,,,।(अंकित एकदम खुश होता हुआ बोला लेकिन राहुल को देखकर उसकी आंखों के सामने सर्वप्रथम वही तिरछी नजर आने लगा जिसे वह खिड़की से देखा था वह और उसकी मां पूरी तरह से नग्न अवस्था में एक दूसरे में समाकर आनंद ले रहे थे राहुल को देखकर लगता ही नहीं था कि वह चार दिवारी के अंदर अपनी मां के साथ ही मजे लेता होगा और उसकी मां भी उसे पूरी तरह से मस्त कर देती होगी,,, अंकित की बात सुनकर राहुल खुश होताहुआ बोला,,)
चल तब तो अच्छा है,, अब फिर से क्रिकेट खेलेंगे,,,,।
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सही कहा यार राहुल बहुत दिनों से क्रिकेट नहीं खेला हूं,,,,(उसके पास में ही बैठते हुए अंकित बोला और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) आंटी कैसी है,,,,.
मम्मी तो एकदम मस्त है,,, मेरा मतलब एकदम ठीक-ठाक है,,,(आखिरकार उसके होठों पर उसके मन की बात आ ही गई थी वरना वह मस्त शब्द का प्रयोग नहीं करता,,, उसके इस शब्द से ही अंकित समझ गया,,,, राहुल ने दो कप चाय का आर्डर कर दिया था और इधर-उधर की बातें कर रहा था कि तभी सामने की सड़क से एक खूबसूरत औरत तकरीबन 40 या 45 साल की होगी उसका बदन एकदम भरा हुआ था उसे देखकर अंकित को नूपुर की याद आ गई उसका भी बजन इसी तरह से भरा हुआ और मस्त कर देने वाला था,, उसे देखकर राहुल एकदम से बोला)
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देख रहा है अंकित उसे औरत को कैसे मटक कर चल रही है उसके बदन में सबसे ज्यादा हिस्सा कौन सा हिल रहा है बता मुझे,,,,.।
(राहुल के कहने पर अंकित भी गौर से उसे औरत को देखने लगा और अपने चारों तरफ भी नजर दौड़ा कर यह तसल्ली कर लिया कि कहीं कोई उन दोनों की बात हो तो नहीं सुन रहा है,,, अंकित जानता था कि उसके भजन का कौन सा हिस्सा सबसे ज्यादा हिल रहा है लेकिन फिर भी बात को घुमाते हुए वह बोला,)
उसके पैर और हाथ,,,
नाहहहह,,,, अरे बेवकूफ सबसे ज्यादा उसकी गांड हिल रही है और यह चुदवाना चाहती है तड़प रही है लंड लेने के लिए,,,,(लंबी आह लेते हुए राहुल बोला तो उसकी बात का विरोध करते हुए अंकित बोला,,)
चल रहने दे कुछ भी,,, ऐसा कैसे हो सकता है वैसे भी इस अवस्था में चलते समय औरतों का कोई ना कोई अंग तो हिलता ही है,,,,।
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तू सच में बेवकूफ है कभी अपनी मां को सड़क पर चलते हुए देखा है मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि तेरी मां की गांड कुछ ज्यादा ही हीलती होगी,,,,।
(राहुल की बात को सुनकर पल भर के लिए अंकित को बहुत गुस्सा आया और मन कर रहा था कि उसके गाल पर एक तमाचा जड़ दे लेकिन वह ऐसा करने से अपने आप को रोक रहा था क्योंकि जहां एक तरफ उसकी बातें गंदी लग रही थी वही उसकी बातें उत्तेजित कर देने वाली भी लग रही थी और उसकी बात को सुनकर अंकित भी छूट लेटा हुआ बोला,,)
तब तो इस तरह से तेरी मां की गांड मिलती है मैं अपनी आंखों से देखा हूं तो इसका मतलब थोड़ी की वह चुदवाना चाहती है,,,।
(वैसे तो इस तरह की बातें राहुल से वह करना नहीं चाहता था लेकिन राहुल नहीं उसे उकसाया था इस तरह की बातें करने के लिए लेकिन इस तरह की बातें करने में उसे उत्तेजना का अनुभव हो रहा था लेकिन उसकी बात सुनकर उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं रहा क्योंकि उसकी बात सुनकर राहुल बिल्कुल सहज बना रहा और उत्साहित होता हुआ बोला,,)
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अरे यही तो मैं बताना चाहता हूं,,, जानता हूं कि कौन सी औरत चुदवाना चाहती है कौन सी औरत सीधी सादी है,,,,।
तुझे यह सब कैसे पता चलता है,,,?(आश्चर्य से अंकित बोला,,)
अनुभव मुझे ज्यादा अनुभव है तुझे कुछ पता नहीं देखा नहीं औरत कितनी कसी हुई साड़ी पहनी थी उसकी गांड कैसी हुई थी औरतें इस तरह की साड़ी इसलिए पहनती है ताकि लोग उन्हें देखें,,,।
तब तो कसी हुई साड़ी,,,,,(सोचते हुए अंकित बोल ही था कि उसकी बात को पूरी करते हुए उत्साहित स्वर में राहुल बोला।)
तेरी मां भी पहनती है मेरी मां भी पहनती है दोनों चुदवासी है,,,।
(राहुल की बात सुनकर अंकित को मजा आने लगा था,,, तब तक चाय वाले ने दो कप चाय लेकर आ गया अब दोनों चाय लेकर फिर से इधर-उधर देखकर बात करना शुरू कर दिए राहुल की बात सुनकर अंकित धीरे से बोला,,)
क्या घर में भी औरतें इस तरह की हरकत करती हैं घर के सदस्य के सामने,,,।(चाय की चुस्की लेते हुए अंकित बोला,,)
तो क्या घर में तो इस तरह की हरकतें और भी ज्यादा बढ़ जाती है अगर औरत सच में चुदवासी है और घर में जवान लड़का है और उसके बदन की प्यास बुझ नहीं पा रही है, तब तो औरत की हरकतें एकदम मदहोश कर देने वाली होती है।
जैसे,,,?(फिर से चाय की चुस्की लेते हुए अंकित बोला)
जैसे जिसे रीझाना हो उसकी आंखों के सामने ही जानबूझकर कपड़े बदलने किसी ने किसी बहाने उन्हें अपना अंग दिखाना जैसे कि अपनी ब्रा अपनी पेंटिं और कभी-कभी तो अपने नंगे अंगों को दिखा देना और ऐसा जताना की मानो के जैसे कुछ हुआ ही ना हो जैसे उन्हें कुछ पता ही ना हो,,,।
यह बात है,,,और ,,,
और जब वाकई में औरत बहुत प्यासी होती है तो वह जानबूझकर मदहोश कर देने वाली हरकत करती है जैसे कि जानबूझकर उसकी आंखों के सामने बैठकर पेशाब करना अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बड़ी-बड़ी गांड दिखाकर पेशाब करना और जानबूझकर इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना जिससे लड़कों की हालत खराब हो जाती हो,,,।
(राहुल की बात सुनकर अंकित की आंखों के सामने उसकी मां का खूबसूरत बदन नाचने लगा था वाकई में राहुल जो कुछ भी बोल रहा था वह सब कुछ उसके साथ होता था उसकी मां जान बुझकर अपने अंगों को उसे दिखाती थी,,,, जानबूझकर उसके सामने इस तरह से पेशाब करने बैठी थी ताकि उसकी गांड उसे दिखाई दे यह सब के बारे में सोचकर उसे राहुल की बातें सही लगने लगी थी,,,, अब वह कैसे पता था राहुल को की यह सब उसके साथ होता है उसकी मां इस तरह की हरकत करती है इसलिए वह जानबूझकर बहाना बनाते हुए बोला,,,)
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लेकिन मेरे साथ तो ऐसा कुछ भी नहीं होता ,,, क्या तेरे साथ ऐसा हुआ है क्या,,,?(आश्चर्य जताते हुए अंकित बोला)
मेरे साथ हुआ है तभी तो मैं तुझे बता रहा हूं,,,(एकदम निडर होता हुआ राहुल बोला,,, उसके चेहरे पर बिल्कुल भी शर्मो हया नहीं थी वह बिल्कुल बेशर्म बन चुका था,,, उसकी बात सुनकर अंकित की भी हिम्मत खुलने लगी और वह बोला,,,)
क्या तेरी आंखों के सामने भी तेरी मां कपड़े बदलती है या तो कभी अपनी मां को पेशाब करते हुए देख चुका है या ऐसा जानबूझकर हुआ है,,,।
हुआ तो मेरे साथ बहुत कुछ तभी तो मैं यह सब कुछ जानता हूं,,,।
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तो क्या तेरी मां तुझसे,,च,,,,,(अंकित का इतना कहना था कि उसे बीच में रोकते हुए राहुल एकदम से बोला)
नहीं नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ है मैं सिर्फ हरकतों को जानता हूं,,,, और हां अब तो ध्यान देना अगर तेरी मां तेरी आंखों के सामने जानबूझकर पेशाब करें अपनी गांड दिखाएं तो समझ जाना तेरी मां को लंड, चाहिए,,,।
बक ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,।
अभी ऐसा नहीं है लेकिन में आगे की बात बता रहा हूं और अब में चलता हूं मुझे देर हो रही है,,,(ऐसा क्या कर राहुल चाय का कप वही बगल में रख दिया और पैसे देकर वहां से चलता बना,,, अंकित उसे तब तक देखता रह जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गया,,, राहुल की बातों को सुनकर अंकित अपने मन में यही सब सो रहा था कि भले ही समय राहुल इनकार कर गया कि वह अपनी मां को नहीं चोदता,, लेकिन जो कुछ भी उसने बताया ऐसा जरूर उसके साथ ऐसा हुआ होगा तभी तो वह अपनी मां के बारे में इतना कुछ जानता है ,,,।
उसकी मां उसकी आंखों के सामने उसके बताए अनुसार ही हरकत करती होगी तभी तो दोनों आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं,, और उसकी मां की तरह हरकत उसकी खुद की मां भी कर रही है इसका मतलब साफ है की वह भी वही चाहती है जैसा राहुल की मां चाहती थी,,, इस तरह के ख्याल अपने मन में आते हैं उसके चेहरे पर प्रश्ननता के भाव नजर आने लगे,,, और वह मुस्कुराता हुआ अपने घर की तरफ निकल गया,,।