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Incest मुझे प्यार करो,,,

Sanju@

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अंकित आज अद्भुत और अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त कर लिया था और इस तरह के अनुभव के बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था,,,, एक अतुलनीय अनुभव जो उसके कल्पना से भी परे था कल्पना में भी अंकित ने इस तरह का अनुभव के बारे में कभी सोचा भी नहीं था जिस तरह का अनुभव उसे आज प्राप्त हुआ था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अच्छा हुआ कि आज उसकी नींद समय से पहले खुल गई थी वरना इस तरह के अनुभव से वह पूरी तरह से अनजान रह जाता,,, वैसे तो वहां सुमन की बुर चटाई का अनुभव ले चुका थाऔर उसे सुमन की बुर चाटने में भी बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी।




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लेकिन अंकित को अपनी मां का अनुभव कुछ ज्यादा ही अद्भुत और मजेदार लग रहा था वह कभी सोचा भी नहीं था कि कमरे में जाने पर उसकी मां उसे बिस्तर पर नंगी मिलेगी,,, लेकिन अपने बिस्तर पर उसकी मां नंगी क्यों लेटी हुई थी इस बारे में इसका निष्कर्ष उसे ही कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जो अनुभव उसे मिला था वह बेहद यादगार था। जिसके आगे वह सब कुछ भूल चुका था,,, अंकित क्या उसकी जगह कोई और होता तो उसकी भी यही हालत होती क्योंकि नजर ही कुछ ऐसा था,,, किसी भी जवान लड़की की आंखों के सामने अगर उसकी मां संपूर्ण रूप से नग्नावस्था में बिस्तर पर गहरी नींद में सो रही हो तो वह नजारा ही उसके लिए बेहद खास हो जाता है,,,, अंकित तो कमरे में प्रवेश करते ही बस देखता ही रह गया था लेकिन फिर भी उसकी बहादुरी और हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी कि इस तरह के हालात में भी वह पूरी हिम्मत जताकर अपनी हरकत को अंजाम देने से नहीं चुका।




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क्योंकि एक तरफ उसके मन में इस बात का डर था कि उसकी मां अगर जाग गई तो उसे अपने कमरे में और खुद को ईस अवस्था में देखकर ना जाने क्या समझेगी यह सब ख्याल मन में आने के बावजूद भी,,, अंकित अपनी मां की उत्तेजना और वासना को दबा नहीं पाया था जिसके चलते वह अपनी मां की मदहोश कर देने वाली कचोरी जैसी पूरी हुई पर्व पर अपनी होठ रखकर चुंबन करने से अपने आप को रोक नहीं पाया,,, इन सबके बावजूद भी यह क्रिया करने के बाद उसकी हिम्मत और ज्यादा बढ़ने लगी जिसके चलते वह अपनी जीत से अपनी मां की बुर में से निकल रहे मदन रस को चाट कर एकदम मस्त हो गया,,,, अंकित अपने आप को एकदम धन्य समझ रहा था और वाकई में इस समय वह अपने आप को सबसे भाग्यशाली समझ रहा था।




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अपने बेटे की हिम्मत और उसकी हरकत को देखकर सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी उसके बेटे ने हरकत ही कुछ ऐसी करी थी,। उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी उसका बेटा इतनी हिम्मत दिखा पाएगा बरसों से प्यासी अपनी सूखी जमीन पर उसे अब लगने लगा था कि उसका बेटा हल चलाएगा जिससे उसकी भी जमीन एक बार फिर से उपजाऊ हो जाएगी,, सुगंधा बहुत खुश थी क्योंकि धीरे-धीरे ही सही उसके बेटे में हिम्मत बढ़ने लगी थी,,, और वह अपने मन में सोच रही थी कि अगर तृप्ति उठकर बाथरूम में ना गई होती तो शायद इससे भी ज्यादा उसका बेटा हरकत करता ,,, लेकिन आप उसके मन में यह निश्चित हो गया था कि उसका बेटा बुद्धू नहीं है अगर समय और हालात के मुताबिक चले तो वह भी एक अच्छा खासा मर्द बन सकता है जो उसकी प्यास बुझा सकता है बस उसे उकसाने की देरी है ऐसा मन में ख्याल आते ही सुगंधा के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,।





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ऐसे ही तीन-चार दिन गुजर गए मां बेटे दोनों एक दूसरे अनजान बनने का नाटक कर रहे हैं लेकिन दोनों अपनी अपनी कहानी को अच्छी तरह से जानते थे ऐसे ही एक दिन सुबह-सुबह मां बेटे और तृप्ति बैठकर चाय पी रहे थे तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,, सुगंधा को लगा कि उसकी पड़ोसन सुषमा होगी इसलिए अंकित से बोली,,,।

अंकित जाकर दरवाजा खोल दे तो बगल वाली सुषमा होंगी,,,।
(सुषमा का नाम सुनते ही अंकित की आंखों के सामने बाथरूम में नहा रही सुषमा आंटी का नंगा बदन दिखाई देने लगा हुआ एकदम से प्रसन्न हो क्या और उठकर दरवाजे की तरफ चला गया और जैसे ही दरवाजा खोला तो दरवाजे पर सुषमा आंटी नहीं बल्कि कोई और औरत थी जिसे पहचान में अंकित में बिल्कुल भी देर नहीं किया और एकदम से खुश होता हुआ बोला।)





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अरे नानी जी आप यहां,,,(इतना कहते ही अंकित एकदम से झुक गया और अपनी नानी का आशीर्वाद लेने लगा,,, उसकी नानी भी उसे आशीर्वाद देते हुए बोली।)

खुश रहो बेटा आपको तुम बड़े हो गए हो शादी लायक हो गए हो,,,।

(चाय पी रही सुगंधा और तृप्ति दोनों लगभग भागते हुए दरवाजे पर आए और एकदम से खुश होते हुए वह दोनों भी एकदम चरण स्पर्श करने लगे,,,, सुगंधा को नहीं मालूम था कि उसकी मां आने वाली है इसलिए वह हैरान होते हुए बोली,,,)

तुम यहां कैसे ना कोई चिट्ठी ना खबर,,,,।

अब बेटी के घर आने के लिए चिट्ठी और खबर देनी पड़ेगी,,,,।

नहीं मां ऐसी बात नहीं है,,,(अपनी मां के हाथ से थैला लेते हुए,, सुगंधा बोली और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) फिर भी कोई खबर भिजवा देता तो मैं अंकित को लेने भेज देती स्टेशन पर,,,,

कोई बात नहीं छोटा आया था लेने उसी के घर तो दो दिन रहकर आ रही हूं,,।

नई तुम मामा के वहां गई थी,,,।




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हां मैं पहले वही गई थी फिर बस पकड़ कर इधर आ रही हुं,,,,(अपनी नानी के मुंह से मां और बस का जिक्र होते ही अंकित की आंखों के सामने बस वाला नजारा घूमने लगा और यही ख्याल सुगंधा के मन में भी आने लगा था लेकिन फिर भी अपने आप को अास्वस्त करके सुगंधा बोली,,,)


चलो कोई बात नहीं आ तो गई,,,, मैं नहाने का पानी रख देता हूं नहा कर थोड़ा तरोताजा हो जाओ,,,।

ठीक है,,,,(इतना कहकर वह खुद ही कुर्सी लेकर बैठ गई और सुगंधा बाथरूम में पानी रखने लगी क्योंकि वह जानती थी कि 5 घंटे का सफर था तो नहाना जरूरी है,,,, थोड़ी देर इधर-उधर की बात करने के बाद वह बाथरूम में नहाने के लिए घुस गई अंकित अपनी नानी को बड़े गौर से देख रहा था और अपने मन में सोच रहा था कि उसकी मां बिल्कुल उसकी नानी की तरह दिखती है इतनी उम्र होने के बावजूद भी अभी भी गठीला बदन की मालकिन है,,, कोई कह नहीं सकता की इनकी उम्र निश्चित तौर पर कितनी है अपनी उम्र से 10 साल कमी लगती है और अगर एक साथ खड़ी कर दिया जाए तो मां बेटी दोनों बहन ही लगेगी।





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थोड़ी देर में अंकित की नई नहा कर बाथरूम से बाहर आ गई थी,,, तब तक तृप्ति ने फिर से चाय बना कर तैयार करती थी थोड़ा सा चाय नाश्ता करने के बाद अंकित की नानी आराम करने लगी,,,, दोपहर का समय था इसलिए इतनी कड़ी धूप में कहीं जाना उचित नहीं था जिसके चलते तृप्ति अंकित और सुगंधा भी अपने-अपने कमरे में आराम कर रहे थे,,, लेकिन अंकित की नई अंकित के कमरे में आराम कर रही थी अंकित भी कमरे में प्रवेश किया उसकी नानी गहरी नींद में सो रही थी वह भी नीचे बिस्तर लगाकर सोने की तैयारी करने लगा,,,, लेकिन उसके मन में न जाने क्या हुआ वह एक बार उठकर खड़ा हो गया और अपनी नानी की तरफ देखने लगा अंकित बड़े गौर से अपनी नानी को देख रहा था वह गहरी नींद में सो रही थी गोल चेहरा गोरा बदन पता ही नहीं चलता था कि उम्र कितनी है सोने की वजह से ब्लाउज में से झांकता बड़ी-बड़ी चूचियां अभी भी कठोरता लिए हुए थी,,,,, अपनी नानी को देखकर अंकित के मन में अजीब सी उलझन होने लगी।





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अंकित इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि वह उसकी नानी है और उम्र दराज है लेकिन अपनी नानी के बदन की बनावट और बदन की गठीलापन को देखकर अंकित को अपनी नानी में एक खूबसूरत औरत नजर आ रही थी जिसे देखकर वह उत्तेजना का अनुभव कर रहा था फिर भी जैसे तैसे करके वह नीचे चटाई पर लेट गया,,,, शाम को जब उसकी नानी की आंख खुली तो वह बिस्तर से उठकर बैठ गई और नीचे देखी तो अंकित सो रहा था वह एकदम से बोली,,,।

अरे अंकित बेटा यह क्या तू नीचे क्यों सो रहा है,,,?
(इतने में अंकित की आंख खुल गई थी वह देखा तो उसकी नानी बिस्तर पर बैठी हुई थी पैर नीचे जमीन पर थी लेकिन साड़ी उनके घुटनों में फंसी हुई थी और घुटनों के नीचे उनकी मांसल पिंडलियां दिख रही थी,,, जिसे देखकर एक बार फिर से अंकित के बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,, जब अंकित की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला तो एक बार फिर से उसकी नानी बोली,,,)

तुझे नीचे सोने की जरूरत नहीं थी मेरे पास में ही सो गया होता।


कोई बात नहीं नानी तुम गहरी नींद में सो रही थी इसलिए मैं उचित नहीं समझा,,।





अरे इसमें क्या हो गया मैं बिस्तर पर सोउं और तुम नीचे जमीन पर लेटो यह अच्छी बात नहीं है,,,।

कोई बात नहीं नानी आप खामखा परेशान हो रही है,,,।

खामखा परेशान नहीं हो रही है अच्छा बात नहीं है आइंदा से ऐसा मत करना और वैसे भी मैं यहां पर दो-तीन दिनों के लिए यहां ही हूं फिर गांव लौट जाऊंगी,,,।

क्या नानी से को दो-तीन दिनों के लिए मुझे तो लगा था कि आप 20-25 दिन रुकेंगी,,,


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नहीं नहीं इतना दिन रुक कर क्या करूंगी गांव में बहुत काम रहता है खेतों में काम रहता है।

तो क्या आप खेतों में कामकरती हैं,,,।

खेतों में काम नहीं करती हूं लेकिन काम करवाती हूं सब देखना पड़ता है मजदूर लोगों को जो खेतों में काम करते हैं,,,।

यह सब तो नानाजी करते होंगे ना,,,, और बड़े वाले मामा भी करते होंगे,,,,।

बड़े वाले मामा कुछ नहीं करते मुझे और तेरे नाना कोई करना पड़ता है। इस बार सोच रही हूं की तृप्ति को अपने साथ ले जाऊं वैसे भी कॉलेज की छुट्टियां पड़ गई है। एकाद महीना रहकर कुछ रीति रिवाज सीख जाएगी और वैसे भी शादी के बाद यही सब काम आने वाला है,,,,,।
(तृप्ति को साथ में ले जाने की बात से और वह भी एक महीने के लिए,,, इस बात को सुनकर ही अंकित के दिल की धड़कन बढ़ने लगी क्योंकि ऐसे में घर में केवल वह और उसकी मां ही रह जाती तब कितना मजा आता है यही सोच कर वह अंदर ही अंदर खुश हो रहा था और अपनी नानी की बात सुनकर बोला)




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आप सच कह रही हो नानी मैं तो कहता हूं ले जाना साथ में वह भी घूम लेगी,,,,।

चल कोई बात नहीं आज ही तेरी मां से बात करती हूं,,,।

(दोनों की बातचीत हो ही रही थी कि तभी दरवाजे पर तृप्ति आ गई और बोली)

नानी चाय नाश्ता तैयार हो गया है हाथ मुंह धो कर आ जाओ,,,,(इतना कहकर तृप्ति वहां से चली गई जिसे देखकर अंकित की नानी बोली,,)

शादी करने की उम्र तो हो गई है गांव में होती तो अब तक ईसके हाथ पीले हो गए होते,,,,। और शादी करने लायक तु भी हो गया है,,, हट्टा कट्टा नौजवान हो गया तू भी अगर गांव में होता तो अब तक तेरी भी शादी हो गई होती।

अपनी नानी के मुझे अपनी शादी की बात सुनकर वह शर्मा गया उसे शर्माते हुए देखकर उसकी नानी चुटकी लेते हुए बोली,,।

देखो तो सही कितना शर्मा रहा है,,,,,
(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित मुस्कुराने लगा और फिर अंकित की नई कमरे से बाहर निकल गई और हाथ मुंह धोकर फिर से तीनों साथ में बैठकर इधर-उधर की बातें करते हुए चाय पीने लगे शाम को जब भोजन कर रहे थे तब अंकित की नानी बोली,,,)




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सुगंधा मैं चाहती हूं कि मेरे साथ तो तृप्ति को भी गांव भेज दे और वैसे भी एक-दो साल में इसकी शादी करनी पड़ेगी गांव के रीति-रिवाज सीख जाएगी तो इसे भी आसानी होगी अपनी गृहस्ती बसाने में,,,,।

(तृप्ति अपनी नानी की बातें सुनकर बोली,,)

क्या नानी आप भी अभी तो मेरी पढ़ने की उम्र है,,,।

मैं जानती हूं लेकिन तेरी शादी की भी उम्र है,,,,,‌


कोई बात नहीं मां मैं तृप्ति को तुम्हारे साथ भेज दूंगी कुछ नहीं तो गांव घूम लेगी तो इसे भी अच्छा लगेगा,,,,,(सुगंधा यह बात बहुत सोच समझ कर बोली थी जो ख्याल कुछ देर पहले इस बात को सुनकर अंकित के मन में आई थी वही ख्याल सुगंधा के मन में भी चल रहा था वह भी घर में एकांत चाहती थी अपने बेटे के साथ ताकि उनका कार्यक्रम थोड़ा आगे बढ़ सके तृप्ति कुछ देर तक ना नुकुर करती रही और आखिरकार मान गई,,,,।





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कुछ देर टीवी देखने के बाद सुगंधा अपने कमरे में सोने के लिए चली गई वैसे तो वह अपनी मां को अपने कमरे में सोने के लिए बोल रही थी लेकिन वह इनकार कर दी और बोली कि मैं अंकित के कमरे में सो जाऊंगी,,, त्रप्ति अपने कमरे में चली गई और अंकित और उसकी नानी अंकित के कमरे में आ गए कुछ देर दोनों इधर-उधर की बातें करने के बाद एक ही बिस्तर पर सो गए,,,, तकरीबन 1:30 बजे अंकित की नानी को पेशाब लगी तो उसकी आंख खुल गई लेकिन जब आंख खुली और उसे अपनी स्थिति का भान हुआ तो उसका दिल जोरो से धड़कने लगा वह करवट लेकर दरवाजे की तरफ मुंह करके सो रही थी और उसके ठीक पीछे अंकित सो रहा था लेकिन वह भी दरवाजे की तरफ लिया हुआ था ऐसे में उसका पूरा बदन उसके बदन से सटा हुआ था और अंकित की नानी को बहुत अच्छे से एहसास हो रहा था कि उसकी बड़ी-बड़ी गांड के बीच में बीच कुछ चुभ रहा है,,,, अंकित की नई उम्र के इस दौर में पहुंच चुकी थी कि उन्हें समझते देर नहीं लगी कि उनकी गांड के बीचों बीच चुभने वाली चीज क्या है,,,,।




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उसे चीज के बारे में ख्याल आते हैं अंकित के नानी के भजन में अजीब सी हलचल होने लगी सरसराहट से बढ़ने लगी वह समझ गई थी कि उनकी गांड के पीछे-पीछे उसके नाती का लंड घुसा हुआ है अब यह समझ में नहीं आ रहा था कि यह हरकत उसने जानबूझकर किया था कि अनजाने में गहरी नींद की वजह से हो गया था वह देखना चाहती थी इसलिए उसे स्थिति में कुछ देर तक लेटी रही,,, वह जानती थी कि अगर वह जानबूझकर ऐसा कर रहा है तो उसकी हरकत और भी ज्यादा बढ़ेगी लेकिन कुछ देर तक किसी तरह से लेते रहने के बावजूद अंकित के बदन में बिल्कुल भी हलचल नहीं हुई तो वह समझ गई कि यहां अनजाने में हुआ है,,,, इसलिए वह धीरे से उठकर अंकित की तरफ देखिए वह वास्तव में गहरी नींद में सो रहा था उसे तो अपनी स्थिति का बहन भी नहीं था लेकिन कमरे में जल रहे लाल बल्ब की रोशनी में अंकित की नई एकदम साफ तौर पर देख पा रही थी कि अंकित के पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देखकर इस उम्र में भी अंकित की नानी की टांगों के बीच सुरसुराहट बढ़ने लगी थी,,,,।




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कुछ देर तक वह अंकित के पजामे में बने तंबू को देखते रही,,, और फिर धीरे से बिस्तर से उठकर खड़ी हो गई और दरवाजा खोलकर बाथरूम में चली गई पेशाब करने के बाद और फिर से अपने बिस्तर पर आई और इस स्थिति में लेट गई फिर से एक अनुभव की चाह में लेकिन अंकित तो गहरी नींद में सो रहा था उसके साथ जो कुछ भी हुआ था वहां जाने में हुआ था इसलिए ऐसा दोबारा नहीं हुआ और इस बात का मलाल अंकित की नानी को हो रहा था क्योंकि पल भर में ही सही अंकित ने उसके बदन में उत्तेजना की लहर को प्रज्वलित कर दिया था। और वैसे भी अंकित की नानी कोई सीधी साधी औरत नहीं थी गांव में अच्छा दबदबा था खेती-बाड़ी ज्यादा होने की वजह से दूर-दूर तक उसकी नानी और उसके नाना का नाम था,,, उम्र के ईस पड़ाव में पहुंच जाने के बाद भी खेतों में काम करके और हमेशा बदन में स्फूर्ति रहने की वजह से अपनी उम्र से 10 साल कम ही लगती थी,,,, और उसके पति की तबीयत और शेयर उम्र के पड़ाव में जवाब दे गई थी इसलिए अपनी बीवी को खुश करने की ताकत उनके बगल में नहीं बची थी जिसके चलते कभी कभार अंकित की नई अपनी बदन की प्यास बुझाने के लिए विश्वासु मजदूर के साथ शारीरिक संबंध बना लेती थी,,,, आज न जाने क्यों अपने बेटी के जवान लड़के की हरकत की वजह से उनके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी,,,।





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अनुभव से भरी हुई अंकित की नई अपनी गांड में चुदाई अपने ही नाती के लंड कि चुभन से उसकी मजबूती का अंदाजा लगा रही थी वह समझ गई थी कि उसकी टांगों के बीच मर्दाना ताकत से भरा हुआ मजबूत हथियार है जो किसी भी औरत की प्यास बुझाने में पूरी तरह से सक्षम है। अंकित की नई अपने आप को इस बात के लिए तैयार कर ली थी कि अगर अंकित अपनी हरकत को आगे बढ़ता है तो वह उसके साथ सारे संबंध बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी लेकिन जो कुछ भी हुआ था वह नींद की वजह से हुआ था और अनजाने में हुआ था इस बात का दुख अंकित की नानी के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था।






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दूसरे दिन अंकित नाश्ता करके घर से यूं ही इधर-उधर घूमने के लिए निकल गया था और घूमते घूमते बाजार पहुंच गया था,,, बाजार में उसने देखा तो राहुल अपने कुछ दोस्तों के साथ हाथ में बैंट लिए हुए क्रिकेट खेलने के लिए जा रहा था अंकित का मन किया कि उसे आवाज देकर बुलाए और उसके साथ ही चल दे लेकिन फिर उसके मन में ख्याल आया कि अगर राहुल क्रिकेट खेलने जा रहा है तो घर में उसकी मां अकेली होगी और वैसे भी उसकी मां के साथ जाने अनजाने में मस्ती भरे पल उसने गुजारे थे और काफी दिन हो गया था उससे मुलाकात की इसलिए वह इस आवाज नहीं दिया और चुपचाप उसके घर की तरफ निकल गया,,,, थोड़ी देर में वह पैदल चलते हुए राहुल के घर पहुंच गया था और दरवाजे पर पहुंच कर डोर बेल बजाने लगा,,,,।




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लेकिन पहली बार डोर बेल बजाने पर दरवाजा नहीं खुला दूसरी बार भी बजाने पर नहीं खुला तो अंकित निराश हो गया उसे लगा कि शायद,, राहुल की मां सो गई होगी लेकिन फिर भी एक बार आखिरी कोशिश करते हुए डोर बेल बजाय तो दरवाजा खुल गया और दरवाजे को खोलने वाली को देखकर अंकित उसे देखा ही रह गया पल भर में ही उसे एहसास हो गया कि राहुल की मां नहा रही थी और शायद इसीलिए दरवाजा नहीं खोल पाई थी और जल्दबाजी में वह अपने बदन पर केवल टावरक्षल लपेटकर ही दरवाजा खोलने के लिए आ गई थी। अंकित तो नूपुर को देखता ही रह गया,, नूपुर भी अंकित को देखकर मन ही मन खुश होने लगी और उसे इस बात की तसल्ली होने लगी कि चलो सही समय पर सही वस्त्र में वह अंकित के सामने आई है अंकित प्यासी नजरों से उसकी ऊभरी हुई छातियों को ही देख रहा था जो टावल में लिपटी हुई थी,,,।





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बाथरूम में नूपुर नहा रही थी इसलिए उसका भजन पूरी तरह से गिला था और टावल लपेटने की वजह से टावल भी गीला हो चुका था और गीले टावल में नूपुर की चूची की कड़ी निप्पल एकदम साफ झलक रही थी। जिसे अंकित प्यासी नजरों से देख रहा था अनुभव से भरी हुई नूपुर समझ गई कि अंकित क्या देख रहा है इसलिए मुस्कुराते हुए बोली।

राहुल तुम यहां,,,?

जी आंटी जी यहीं से गुजर रहा था तो सोचा राहुल से मिलता चलु राहुल है क्या,,,?

राहुल तो नहीं है राहुल क्रिकेट खेलने गया है।

ओहहह (सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनने का कोशिश करते हुए अंकित बोला) चलो कोई बात नहीं मैं फिर कभी मिल लुंगा,,,(इतना कहकर वह जाने ही वाला था कि नूपुर बोली,,)




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क्यों तुम्हें राहुल से ही काम है मुझसे काम नहीं है,,,

ऐसी बात नहीं है आंटी जी,,, राहुल से मिलता हूं तो तुमसे भी तो मिल लेता हूं,,, और वैसे भी मैं माफी चाहता हूं आपको तकलीफ देने के लिए,,,।

तकलीफ किस बात के लिए,,,।

मतलब आंटी जी आप नहा रही थी और खामखा में आ गया और दरवाजा खोलना पड़ा,,,।

तो इसमें क्या हो गया,,, वैसे सच-सच बताना तुम्हें मैं कैसी लगती हूं,,,।


जी,,,,,!(एकदम आश्चर्य से फटी आंखों से नूपुर की तरफ देखते हुए)

हां कैसी लगती हूं बताओ ना वैसे मैं तुम्हें देखती हूं तुम मुझे घूरते रहते हो,,,।

जी,,,,जी,,,,, ऐसी कोई बात नहीं है,,,!(अंकित एकदम से घबराते हुए बोला)







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नहीं ऐसी ही बात है अभी भी तुम मेरी चूचियों की तरफ देख रहे थे,,,,(नूपुर एकदम से बिंदास होते हुए बोल रही थी क्योंकि वह जानती थी लड़कों की आदत को उसका इस तरह से बिंदास बोलना ही लड़कों को पूरी तरह से गुलाम बनने पर मजबूर कर देता है और यही अंकित के साथ भी हो रहा था नूपुर किस तरह की बातें सुनकर तो उसके होश उड़ गए थे जिस तरह से उसने खोलकर चुची शब्द का प्रयोग की थी उसे सुनकर उसके तन बदन में आग लगने लगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके खाने में कोई मधुर रस घोल दिया हो,,,, नूपुर की बातें सुनकर अंकित एकदम से घबराते हुए बोला,,,)



क्या बात कर रही हो आंटी जी ऐसी कोई भी बात नहीं है यह तो अनजाने में मेरी नजर,,,(इससे आगे अंकित कुछ बोल नहीं पाया तो नूपुर मुस्कुराते हुए बोली,,,,)

मैं सब समझता हूं अंकित तुम्हारे जैसे नौजवान लड़कों की नजर इधर-उधर भटकती ही रहती है,,, आओ अंदर आ जाओ,,,, दरवाजे पर कब तक खड़े रहोगे,,,,।

नहीं मैं फिर कभी आ जाऊंगा,,,,।





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ऐसे कैसे,,,, आए हो तो चाय पानी पीकर जाओ,,,,(इतना कहते हुए नूपुर खुद उसका हाथ पकड़ कर उसे घर के अंदर ले आई और दरवाजा बंद कर दी दरवाजा बंद करते ही नूपुर के बदन में जैसे उत्तेजना और हवास दोनों उबाल मार रहे हो इस तरह से वह तुरंत अंकित को दीवार से सटाकर उसे अपनी बाहों में भरकर उसके होठों पर अपने होंठ रखकर चुंबन करने लगी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उत्तेजित हो चुकी थी,,,

अंकित को नूपुर की तरफ से इस तरह की किसी भी हरकत का अंदाजा नहीं था इसलिए वह एकदम से आश्चर्यचकित हो गया उसे तो कुछ समझ में नहीं आया लेकिन जब तक समझ में आता तब तक नूपुर पूरी तरह से उसे पर हावी हो चुकी थी वह अपनी जवानी का जलवा उसके ऊपर पूरी तरह से भी कर चुकी थी उसके लाल लाल होठों का चुंबन करते हुए उसका रसपान करते हुए उसे पूरी तरह से अपनी आंखों में ले ली थी आखिर अंकित भी कब तक अपने आप को संभाल पाता इन्हीं सब पल के लिए तो वह तड़प रहा था,,,, उसके भी हाथ खुद ब खुद नूपुर की पीठ पर घूमने लगे और वह भी चुंबन में उसका साथ देने लगा वैसे तो अंकित के जीवन का यह पहला चुंबन था जो उसे पागल बना रहा था उसे चुंबन का एहसास और कैसे किया जाता है नहीं मालूम था लेकिन नूपुर जिस तरह से उसके होठों का रसपान कर रही थी वह भी नूपुर के लाल लाल होठों को अपने मुंह में लेकर उसका रस पी रहा था और उत्तेजना के मारे अपनी हथेलियां को उसकी पीठ पर घूम रहा था जो कि टावल में लिपटी हुई थी,,,।



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पल भर में ही नूपुर को अपनी दोनों टांगों के बीच अंकित के लंड की चुभन महसूस होने लगी और उसे चुपन को अपने अंदर महसूस करके वह पूरी तरह से उत्तेजना से बिलबिलाने लगी,,,, इसी पल का फायदा उठाते हुए एक हाथ से वह अपनी टॉवल को खोलकर उसे नीचे गिरने पर मजबूर कर दी और पूरी तरह से अंकित की बाहों में एकदम नंगी हो गई हालांकि अंकित अभी तक उसके नंगे भजन को देख नहीं पाया था लेकिन अपनी हथेली पर उसकी नंगी चिकनी पीठ और कमर को महसूस करके इतना तो समझ गया था कि उसके भजन से टावर नीचे गिर गई है और यह एहसास उसे होते ही उसकी उत्तेजना भी चरम शिखर पर पहुंचने लगी वह पागल होने लगा।





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अंकित अपने बदन में अत्यधिक उत्तेजना का संचार होता हुआ महसूस कर रहा था,,, उसके लंड का कड़कपन एकदम बढ़ता जा रहा था जो कि सीधे-सीधे उसे नूपुर की दोनों टांगों के बीच ठोकर मार रहा था अपनी उत्तेजना पर काबू न कर पाने की वजह से अंकित की हथेलियां उसकी चिकनी कमर से फिसलती हुई उसके गोलाकार ने संभोग पर आते की और जैसे ही उसे एहसास हुआ कि उसकी दोनों हथेलियां में नूपुर की मदमस्त गांड आ चुकी है तो वहां उसे ज़ोर से अपनी हथेली में दबोच दिया और उसे जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया है,,,, अंकित के साथ यह सब पहली बार हो रहा था,,, वैसे तो सुमन के साथ इससे भी ज्यादा हो चुका था लेकिन ,,, आज की बात कुछ और थी क्योंकि आज उसकी बाहों में जवानी से गदराई हुई एक औरत थी,,,। आज एक नया अनुभव से मिल रहा था अंकित को लगने लगा था कि आज उसकी मनोकामना पूरी हो जाएगी भले उसकी मां से ना सही लेकिन नूपुर के साथ वह आज अपने मन की मुराद को पूरी कर सकता है,,,,।




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अभी वह यह सब सो ही रहा था कि तभी दरवाजे की घंटी बजने लगी और घंटे की आवाज सुनकर दोनों के होश उड़ गए,,,, दोनों के होठ एक दूसरे से अलग हो चुके थे,,,, दोनों एक दूसरे की तरफ तो कभी दरवाजे की तरफ देख रहे थे,,, हैरान होते हुए नूपुर बोली।

आप कौन आ गया राहुल के पापा से ऑफिस के लिए निकल गए थे और राहुल क्रिकेट खेलने के लिए गया था इतनी जल्दी तो आ नहीं सकता,,,,।

फिर भी दरवाजा तो खोलना पड़ेगा आंटी जी,,,।

रुक में कपड़े पहन लुं,,,(इतना कहकर नूपुर नीचे गीरी टावल को लेने के लिए झुकी,,, तब जाकर अंकित की नजर नूपुर पर गई और उसे एहसास हुआ कि बिना कपड़ों के राहुल की मां कितनी खूबसूरत लगती है उसके नंगे बदन को देखकर अंकित की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी उसका झुकना उसके बदन की लचक उसकी गांड का घेराव सबकुछ बेहद अद्भुत था और देखते ही देखते टावल को बाथरूम में रखकर नूपुर जल्दी से एक गाउन अपने बदन पर डाल दी जो कि उसके घुटनों तक ही आ रही थी,,, और अंकित से बोली,,,)




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तुम कुर्सी पर बैठ जाओ,,,,।
(इतना क्या करवा दरवाजा खोलने लगी लेकिन अंकित ना जाने क्यों एकदम घबरा गया था और घबराहट में वह डाइनिंग टेबल के नीचे छूप गया था,,,, उसके मन में एक बात और चल रही थी कि उसे लगा था कि शायद दरवाजे पर राहुल होगा अगर राहुल इस समय कमरे में आएगा तो जरूर उसकी मां के साथ कुछ ना कुछ करेगा और यही अंकित देखना भी चाहता था,,,, लेकिन जैसे ही दरवाजा खुला सामने राहुल के पिताजी थे और वह एकदम उदास होते हुए कमरे में दाखिल हुए और बोले,,,)

आज बस छूट गई आज काम किसी जिले में कहीं और जाना था लेकिन कैंसिल हो गया तो मैं ऑफिस से सीधा यही आ गया हूं,,,,।




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मतलब आज तुम्हारी छुट्टी है,,,।

फिर क्या आज तो दिमाग खराब हो गया इतनी जल्दी बिना चाय नाश्ता किए निकला था फिर भी यही हाल हो गया,,,, तुम चाय नाश्ता लगाओ में हाथ धोकर आता हूं,,,,,।

ठीक है,,,,।
(इतना कहकर नूपुर रसोई घर की तरफ जाने लगे लेकिन उसकी नजर डाइनिंग टेबल के नीचे पड़ी तो देखी थी अंकित डाइनिंग टेबल के नीचे छुपा हुआ है,,, यह देखकर करवा हैरान हो गई लेकिन उसे कुछ बोल पाती इससे पहले ही उसके पति बाथरूम से बाहर आ गए थे और वह चाय गरम करने के लिए चली गई थी जब चाय लेकर वह किचन से बाहर आई को अच्छी डाइनिंग टेबल के नीचे अभी भी अंकित चुप कर बैठा हुआ था और कुर्सी पर उसके पति बैठकर अखबार पढ़ रहे थे,,, नूपुर कुछ बोल नहीं पाई उसे बात का डर था कि कहीं उसके पति डाइनिंग टेबल के नीचे बैठे अंकित को देखना है अगर ऐसा हो गया तो गजब हो जाएगा उन्हें शक हो जाएगा कि जरूर दाल में कुछ काला है,,,।




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नूपुर अपने पति की तरफ चाय का कब आगे बढ़कर बिस्किट रखती और खुद भी ठीक उसके सामने कुर्सी पर बैठ गई नूपुर का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके मन में यह चल रहा था कि उसके पति को कहीं शक ना हो जाए कहीं वह देखना ले,,,, और डाइनिंग टेबल के नीचे छिपे अंकित की नजर नूपुर की दोनों चिकनी टांगों पर गई जो की घुटनों के नीचे पूरी तरह से नंगी थी और जिस तरह का गाउन पहनी हुई थी वह घुटनों के ऊपर तक आ रहा था और वह कुर्सी पर बैठी हुई थी ठीक उसकी आंखों के सामने,,, वैसे तो अपनी तरफ से कुछ भी करने की हिम्मत अंकित मैं बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन जिस तरह की हरकत करके सुगंधा ने उसका हौसला बढ़ाई थी उसे देखते हुए उसकी हिम्मत बढने लगी थी,,,।





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अपनी आंखों के सामने नूपुर की नंगी जवान टांगे देखकर अंकित की उत्तेजना बढ़ने लगी और वहां अपनी हथेली को उसकी नंगी चिकनी टांग पर रखकर हल्के-हल्के सहलाने लगा पहले तो डर के मारे नुपुर अपना हाथ उसके हाथ पैर रखकर उसे हटाने की कोशिश कर रही थी,,, लेकिन बार-बार अंकित अपनी हरकत को दोहरा रहा था और अखबार पढ़ते हुए उसके पति चाय की चुस्की ले रहे थे दोनों के बीच किसी भी तरह की बातचीत नहीं हो रही थी और बार-बार अंकित की हरकत से नूपुर के बदन में भी फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, अंकित नंगी टांगों को सहलाने के बाद दोनों टांगों को अपने हाथों से पकड़ कर उसे खोलने की कोशिश करने लगा यह देखकर नूपुर की सांस ऊपर नीचे होने लगी उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंचने लगी,,,,।




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नूपुर भी समझ गई थी कि अंकित ऐसी हरकत किसने कर रहा है और उसकी हरकत के बारे में एहसास होते ही नूपुर की बुर पानी छोड़ने लगी थी,,,, अंकित के दोनों हाथ उसके घुटनों पर थी और वह उसे खोलने की कोशिश कर रहा था और मौके का फायदा उठाते हुए नूपुर धीरे से कुर्सी की ओर किनारे पर आ गई और अपनी टांगों को खोल दी लेकिन फिर भी गाउन की वजह से उसकी दोनों टांगों के बीच अंधेरा छाया हुआ था,,,,, फिर भी अंकित अपनी हथेली को उसकी जांघों पर रखते हुए उसे अंदर की तरफ ले जा रहा था अंकित के लिए यह बेहद अद्भुत और नया अनुभव था और नूपुर के लिए भी ,,भले ही वह अपने बेटे के साथ पूरी मर्यादा को लांघ चुकी थी लेकिन फिर भी इसके बावजूद भी है उसके लिए पहला अनुभव था जब कोई डाइनिंग टेबल के नीचे बैठकर उसके बदन से छेड़खानी कर रहा था।

अंकित की हालत पाल-पाल खराब होती जा रही थी उसकी हथेली नूपुर की गर्म जवानी की वजह से तप रही थी और देखते ही देखते अंकित अपनी हथेली को सीधा ले जाकर के नुपुर की नंगी बुर पर रख दिया जो की गरम तवे की तरह दहक रही थी,,,, अंकित की हरकत से उसकी सांस उपर नीचे होने लगी,,,।






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राहुल कहां गया घर पर ही है क्या,,,?(अखबार को पढ़ाते हुए राहुल के पिताजी बोले)

नहीं वह तो कब से क्रिकेट खेलने के लिए चला गया मैं नहा रही थी तभी दरवाजे की घंटी बजने लगी मुझे क्या मालूम आप आए हैं,,,, नहाते नहाते बाहर आना पड़ा।

अब कर भी क्या सकता था सारा प्लान चौपट हो गया,,,,।

(दोनों की बातचीत जा रही थी और अंकित की हरकत बढ़ती जा रही थी वह अपनी हथेली में नूपुर की बुर को दबोच रहा था उसे मजा आ रहा था,,,, इतनी हिम्मत तो अपनी मां के साथ नहीं दिखा पाया था शायद इस वजह से क्योंकि वह उसकी मां थी उसके साथ मां बेटे का पवित्र रिश्ता था लेकिन नूपुर के साथ ऐसा कोई रिश्ता नहीं था अंकित के लिए वह अनजान औरत थी इसलिए उसके साथ भाग खुली छूट ले रहा था और वैसे भी इस छूट को लेने के लिए बढ़ावा उसने ही दी थी लेकिन फिर भी नूपुर को अंकित की हरकत से मजा आ रहा था,,,, एक तरफ पति पत्नी आपस में बातचीत कर रहे थे और दूसरी तरफ़ अंकित अपनी मनमानी कर रहा था अंकित की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।





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तभी अचानक अपने पति से नजर बचाकर नूपुर अपनी कुर्सी पर से हल्के से अपनी गांड को ऊपर उठा दिया अपनी गाउन को पूरी तरह से कमर के ऊपर कर दी कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो गई,,,, राहुल की मां कि ईस तरह की हरकत को देखकर अंकित की हालत खराब होने लगी वह पागल होने लगा कमर के नीचे उसके नंगे बदन को देखकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी वासना उसकी आंखों में नाचने लगी,,,, वैसे भी राहुल की मां ने जिस तरह से हरकत की थी उसे देखकर उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी अगर राहुल के पिताजी ना आ गए होते तो शायद दोनों के बीच इस समय शारीरिक संबंध स्थापित हो रहा होता और एक नए अनुभव से अंकित परिपूर्ण हो जाता लेकिन उसका नया अनुभव राहुल के पिताजी रोक दिए थे। लेकिन उसकी आंखों के सामने जो नजारा दिखाई दे रहा था अब वह अपने आप को रोक नहीं सकता था।

कमर के नीचे नंगी हो जाने के बाद अंकित खुद उसकी दोनों टांगों को खोलकर उसकी गुलाबी बर को देख रहा था जो कि इस समय कचौड़ी की तरह खुली हुई थी और उसे पर मदन रस की बूंदे ओश की बूंद की तरह चमक रही थी। जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था वैसे भी वह दो बार बुर चाट चुका था एक बार कुसुम की और एक बार खुद की अपनी मां की इसलिए उसे थोड़ा बहुत तो अनुभव था इसलिए वह अपने हाथों से नूपुर की दोनों टांगों को खोल दिया नूपुर खुद कुर्सी के किनारे बैठ चुकी थी ताकि इस नजारे को अंकित एकदम साफ तौर पर देख सके। अंकित खातिर जोरों से धड़क रहा था और यही हालत नूपुर का भी था वह इस अद्भुत अनुभव को लेते हुए अपने पति से बातचीत भी कर रही थी जो की बहुत ही सब्र और अपने आप को नियंत्रण में रखने वाली बात थी और इस पर नूपुर एकदम खरी उतर रही थी।





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अगले ही पर अंकित अपनी उत्तेजना के चलते अपनी हरकत को बढ़ाते हुए अपने प्यासे होठों को राहुल की मां की दोनों टांगों के बीच ले गया और उसे उसकी बुर पर रख दिया पल भर के लिए तो नूपुर को कुछ समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है बस उसे दोनों टांगों के बीच अंकित का सर नजर आ रहा था लेकिन जैसे ही उसे एहसास हुआ कि अंकित उसे पागल बना रहा है तो एकदम से मदहोश होने लगे अपनी मदहोशी पर वह काबू नहीं कर पा रही थी लेकिन फिर भी जैसे तैसे करके वह अपने पति से बात जीत जारी रखते हुए अपने चेहरे के हाव-भाव को छुपाने में कामयाब होरही थी।

एक बार फिर से वही मादक जानी पहचानी सी खुशबू अंकित के नथुनों से उसके छाती में पहुंचने लगा जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ने लगी अंकित पागलों की तरह अपनी जीभ से राहुल की मां की बुर चाट रहा था उसे उसकी मां की बुर चाटने में बहुत मजा आ रहा था नूपुर की कसम आ रही थी कुर्सी पर बैठे-बैठे अपनी टांगों को कभी खोल दे रही थी तो कभी आपस में कस ले रही थी,,, आज कुछ देर ज्यादा तक अंकित को औरत की बुर चाटने को मिल रही थी वह पागलों की तरह राहुल की मां की बुर को चाट रहा था अपनी जीभ को उसके अंदर तक प्रवेश कर दे रहा था,,,, अपनी उत्तेजना पर काबू न कर सकने की स्थिति में राहुल की मां अपने एक हाथ को अंकित के सर पर कब से जोर-जोर से अपनी बुर पर दबा रही थी,,,, वैसे तो जिस तरह के हालात थे राहुल की मां के मुंह से गरमा गरम शिसकारी की आवाज किसी भी समय निकाल सकती थी,,, लेकिन बड़ी मुसीबत से राहुल की मां अपनी उत्तेजना को काबू में किए हुए थी,,,, राहुल के पिताजी अभी भी अखबार पढ़ने में व्यस्त थे उन्हें इस बात का एहसास तक नहीं था कि उनकी आंखों के सामने डाइनिंग टेबल के नीचे एक जवान लड़का उनकी ही बीवी की बुर को चाट रहा है।




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देखते ही देखते राहुल की मां अपने चरम सुख की ओर अग्रसर होने लगी और तभी अंकित भी अपनी एक उंगली को बड़ी चालाकी से राहुल की मां की बुर में डालकर सुंदर बाहर करते हुए उसकी बुर की चटाई करने लगा,,, इस बार राहुल की मां से बिल्कुल भी अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं हो पाया और वह एकदम से भलभला कर झड़ने लगी,,, लेकिन झड़ने समय उसके मुंह से आखिरकार निकल ही गया।
ओहहहहहबह,,,,,।

(यह आवाज सुनकर अखबार पढ़ते-पढ़ते राहुल के पिताजी का ध्यान इस आवाज पर गया और वह बोले।)

क्या हुआ,,,?

अरे कुछ नहीं मुझे याद आया कि मुझे तो कपड़े धोने हैं और वाशिंग मशीन में रखकर आई हूं,,,,।

तो जाओ धो डालो,,,,।

आप सो जाइए कमरे में जाकर तब में जाती हुं,,,।

अरे भाग्यवान यह कोई सोने का समय है,,,।

अरे सोने का समय नहीं है लेकिन जाकर आराम तो करिए अपने कमरे में अभी मुझे यहां पर झाड़ू पोछा लगाना पड़ेगा सफाई करनी पड़ेगी और अगर एक बार आपकी आंख लग गई तो फिर आपको उठाना मुश्किल हो जाएगा,,,।






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हां यह बात तो तुम ठीक कह रही हो मुझे कमरे में ही जाना चाहिए,,,,
(अपने पति की बात सुनकर नूपुर को थोड़ा राहत महसूस हुआ और उसके पति अपनी जगह से उठकर अपने कमरे की तरफ जाने लगे और जैसे ही वह कमरे में जाकर दरवाजा बंद किया हमने पूरी एकदम से उठकर खड़ी हो गई अपने कपड़ों को व्यवस्थित करने लगी और इशारे से अंकित को बाहर निकलने के बोली और वह तुरंत बाहर निकल गया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी लेकिन उसका चेहरा उसके मदन रस से पूरी तरह से भीगा हुआ था यह देखकर नूपुर शर्म के मारे मुस्कुराने लगी,,,, और उसका हाथ पकड़ कर दरवाजे तक ले आई लेकिन जाते-जाते वह एक बार फिर से उसे अपनी बाहों में भरकर उसके होठों का चुंबन करने लगी जिस पर उसके बुर से निकला हुआ उसका मदन रस लगा हुआ था और इस एहसास से वह पूरी तरह से मदहोश हो गई और प्रसन्नता के साथ अंकित नूपुर के घर से चला गया)
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है अंकित को जो नया अनुभव मिला वह अदभुत था सुगंधा भी बहुत खुश थी लेकिन उसे अफसोस था कि जैसा सोचा था वैसा हुआ नहीं अंकित कि नानी आ गई है अंकित की नानी की भी उत्तेजना बढ़ गई है अपने नाती के लन्ड का स्पर्श पाकर देखते हैं क्या नानी अंकित का लन्ड ले पाएगी??
 

Sanju@

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अंकित नूपुर के घर से उसकी रसेदार मलाई चाट कर आया था,,, एक अद्भुत आनंद की प्राप्ति के साथ वह नूपुर के घर से बाहर निकला था,, आज अपने आप पर बहुत खुश था क्योंकि आज उसने बहुत हिम्मत दिखाई थी और उसे आगे बढ़ाने में और बढ़ावा देने में राहुल की मां का ही हाथ था,, नूपुर जिस तरह की हरकत उसके साथ कर रही थी उसे देखकर अंकित समझ गया था कि वह क्या चाहती है इसीलिए तो वह डाइनिंग टेबल के नीचे छिपकर उसके पति की मौजूदगी में उसकी दोनों टांगों के बीच से टपकती हुई रस से अपनी प्यास बुझाया था,,,,,,,,,, एक प्यासी औरत के हवा कैसे होते हैं कैसी क्रियाएं होती हैं धीरे-धीरे अंकित समझने लगा था अगर वाकई में आज उसके पति घर वापस ना आ गए होते तो शायद आज वह एक औरत के अद्भुत सुख को प्राप्त कर लेता जिसे पाने के लिए वह दिन-रात लगा हुआ था।





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रास्ते में अंकित अपने मन में सोच रहा था मनो मंथन कर रहा था कि राहुल की मां की हरकतों को वह पहचान गया था वह क्या चाहती है लेकिन इस तरह की हरकत उसकी मां उसके साथ कर रही थी तो उसके साथ वह क्यों इतनी हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है,,,, अंकित अपने मन में बहुत गहराई में उतर कर सो रहा था कि उसकी मां तो इससे भी ज्यादा उसकी आंखों के सामने पेशाब करने लग जाती है अपनी गांड दिखती है अपने खूबसूरत अंगों की नुमाइश करती है फिर क्यों सब कुछ जानकार भी हुआ आगे क्यों नहीं बढ़ रहा है क्यों हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है,,,, अंकित अपने मन में यह सोचकर हैरान था कि जिस तरह की हिम्मत दिखाकर एक अद्भुत सुख को अभी-अभी प्राप्त करके वह वापस लौट रहा है अगर वह अपने घर में इतनी हिम्मत दिखा दे तो शायद इससे भी ज्यादा आनंद के सागर में से डुबकी लगाने को मिल जाए,,, यही सब अपने मन में सोचता हुआ वह अपने घर पर पहुंच चुका था,,,,।




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अपने घर पर पहुंच कर बस सीधी अपनी मां के कमरे में प्रवेश कर गया जहां पर उसकी नानी और उसकी मां मौजूद थे नई बिस्तर पर बैठी हुई थी और उसकी मां कपड़े बदल रही थी वह अपनी साड़ी को कमर से लपेट रही थी उसके बदन पर ब्लाउज था और उसकी चूचियों के बीच की गहरी लकीर एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,,, वाकई में यह नजारा बेहद खूबसूरत था लेकिन कमरे में उसकी नानी भी मौजूद थी इसलिए वह एकदम सहज होता हुआ बोला,,,,।

मम्मी आज नानी के आने की खुशी में शाम को पूरी सब्जी खीर बना देना,,,
(अंकित की बात सुनकर उसकी नानी बोली)

नहीं नहीं इसकी कोई जरूरत नहीं सादा भोजन बना देना चलेगा,,,।

नहीं नहीं नानी ऐसा कैसे हो सकता है आपके आने की खुशी में मुंह मीठा तो करना ही होगा,,,,





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चल कोई बात नहीं शाम को बना दूंगी,,,,( अपनी साड़ी को ठीक से अपनी कमर पर लपेटते हुए सुगंधा बोली,,,, अगर कोई और समय होता अगर उसकी मां घर में मौजूद न होती तो शायद वह इस मौके का अच्छी तरह से फायदा उठाकर अपने अंको का प्रदर्शन अपने बेटे के सामने जरूर करती लेकिन अपनी मां की मौजूदगी में वह एकदम सहज बनने का नाटक कर रही थी,,,, अपनी मां की बातें सुनकर अंकित संतुष्ट नजर आ रहा था उसका तो कमरे में रुकने का बहुत मन था लेकिन अपनी नानी की मौजूदगी में वह इस समय कमरे में ज्यादा देर तक रुक नहीं सकता था क्योंकि वह जानता था की उसकी मां कपड़े बदल रही है,,,, इसलिए वहां धीरे से वहां से चलतआ बना और अपने कमरे में जाने वाला था कि वह अपनी मां के कमरे से निकाल कर दीवार की ओट के पीछे खड़ा हो गया वह सुनना चाहता था कि उसकी नानी कुछ बोलती है कि नहीं,,, जब उसकी नानी को भी लगा कि अंकित अपने कमरे में चला गया है तो वह धीरे से अपनी बेटी सुगंधा को बोली।)

सुगंधा आप तुझे थोड़ा सहूलियत से रहना चाहिए,,,।





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सहूलियत से मैं कुछ समझी नहीं,,,,(साड़ी को ठीक तरह से अपनी कमर में खोंसते हुए बोली,,)

सहुलियत से मतलब की अब तेरा बेटा बड़ा हो गया है जवान हो गया है ऐसे में उसकी आंखों के सामने कपड़े बदलने कपड़े उतारना अच्छी बात नहीं है तू नहीं जानती लेकिन इस उम्र के लड़के औरतों के प्रति आकर्षण होने लगते हैं,,,,।

अरे मां वो मेरा बेटा है,,,, भला वह ऐसा कैसे कर सकता है,,,(अपने बेटे के बारे में सब कुछ जानने के बावजूद भी सुगंधा जानबूझकर अपनी मां से इस तरह की बातें कर रही थी ताकि उसकी मां को बिल्कुल भी शक ना हो कि उसका बेटा भी दूसरे लड़कों की तरह है,,, सुगंधा की बात सुनकर उसकी मां बोली,,)

तू नहीं जानते तेरा बेटा तो है लेकिन इससे पहले वह एक मर्द है और मर्द को हर एक रिश्ते में सिर्फ एक औरत ही नजर आती है,,,,,,,।
(दीवार के पीछे छुपकर अंकित अपनी नानी की बातें सुनकर एकदम सन्न रह गया,,,, क्योंकि जो कुछ भी उसकी नानी कह रही थी उसमें सत प्रतिशत सच्चाई थी,,,,, वह कान लगाकर और भी बातें सुनने लगा अपनी मां की बात सुनकर सुगंध बोली,,,)




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अंकित ऐसा नहीं है मां,,,।

तू पागल है सुगंधा तू दुनिया नहीं देखी है इसलिए ऐसा कह रही है,,, अब तुझे क्या बताऊं अपने गांव की ही बात है तेरे जैसे ही एक औरत अपने बेटे के सामने इस तरह से कपड़े पहनती थी उतारती थी नहाती थी और यह सब अपने बेटे के सामने करती थी बेटा धीरे-धीरे जवान होने लगा और उसे इतनी मां की इस तरह की हरकत उसकी तरफ उसे आकर्षित करने लगी उसे यह सब देखने में मजा आने लगा अपनी मां के अंगों को देखने में मजा आने लगा,,,,।

तो इससे क्या हो गया अपनी मर्यादा में तो था ना वो अब किसके मन में क्या चल रहा है कैसे पता चलेगा,,(अपनी मां की बात सुनकर सफाई देते हुए सुगंधा बोली)

अरे बुद्धू असली खेल तो उसके बाद ही शुरू हुआ एक दिन उसकी मां नहा कर कमरे में आई और एकदम नंगी अपने कपड़े ढूंढ रही थी कमरे में उसका बेटा मौजूद था इस बात से वह अनजान थी,,,, ।




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तो क्या हुआ अपनी बेटे के सामने नंगी हो जाती थी,,,,।(सुगंधा हैरान होते हुए अपनी मां से बोली)

नहीं पूरी तरह से नंगी तो नहीं हो जाती थी बस कपड़े बदलने ना आना इतना ही चलता था लेकिन वह अनजान थी कि उसका बेटा कमरे में मौजूद है।

फिर क्या हुआ,,,?

(अपनी मां और अपनी नानी की बातें सुनकर दीवार के पीछे खड़ा अंकित पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,)

फिर क्या था उसका लड़का पूरी तरह से जवान हो चुका था अपनी मां के खूबसूरत अंगों को देखकर उसके अंगो में भी बढ़ोतरी हो जाती थी,,,,,,,।

अंगो में बढ़ोतरी,,, मतलब मैं कुछ समझी नहीं,,,।

अरे बुद्धू अब मैं तुझे कैसे समझाऊं,,,, मतलब कि उसका खड़ा हो जाता है,,,।

ओहहहहह,,,,,

तू भी ना कुछ भी नहीं समझती,,,,।





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अच्छा ठीक है फिर क्या हुआ,,,,?

फिर क्या था वह लड़का एकदम से अपनी मां को बाहों में भर लिया उसकी मां कुछ समझ पाती से पहले ही उसे पीछे से अपनी बाहों में भरे हुए उसके गर्दन पर चुंबनों की बौछार करने लगा,,,, और जब तक उसे एहसास होता कि उसे बाहों में भरने वाला कोई और नहीं उसका जवाब देता है और वह कुछ कर पाती है उससे अलग हो पाती इससे पहले ही उसका लड़का अपने पजामे को नीचे कर दिया था और अपने लंड को अपनी मां की गांड से रगडना शुरू कर दिया था,,, अब तो उसके बेटे की हरकत उसे भी पागल बनाने लगी,,,, वह मदहोश होने लगी और फिर दोनों के बीच वही हुआ जो नहीं होना चाहिए था,,,।

लेकिन यह सब तुम्हें कैसे मालूम,,,!(आश्चर्यजताते हुए सुगंधा बोली)

यह सब मुझे मालिश करने वाली औरत बताइए जो मेरी मालिश करती है और दोपहर में हुआ उसके घर गई थी उसकी मालिश करने के लिए और उसने खिड़की से यह सब कुछ देख ली और मुझे बताइ,,,।

ओहहह यह बात है,,,, लेकिन मन इसमें उस लड़के की तो गलती है ही लेकिन उसकी मां की भी गलती है,, अपने बेटे की हरकत पर दो तमाचा लगा दी होती तो उसका दीवानापन उतर जाता,,,।





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अरे बुद्धु वह भी ऐसा कर सकती थी लेकिन महीनो से वह अपने पति से दूर थी और ऐसे में उसके बेटे के बदन की गर्मी उसे एकदम से पिघला दी,,,, वह अपने बेटे की बाहों में और उसकी हरकत की वजह से मजबूर हो गई,,,,, और उसके बाद जब एक बार इस तरह के हालात पैदा हो जाते हैं तो फिर कदम पीछे नहीं हटते,,,,।

क्या मैं तुम्हें लगता है कि मैं ऐसा कुछ करूंगी,,,।

नहीं बेटी मैं जानती हूं तु ऐसा नहीं करेगी,,, लेकिन भूख मजबूर कर देती है चाहे पेट की हो या बदन की,,,,।

नहीं ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला आप खामखा कुछ ज्यादा ही सोच रहीं है,,,।

चल कोई बात नहीं जैसा तु कह रही है वैसा ही हो,,,, मैं तो अंकित की उम्र देख कर कह रही थी अब वह पूरी तरह से जवान हो चुका है,,, ऐसे में कुछ भी हो सकता है,,।

कुछ भी नहीं होने वाला आप भी कर रहे हैं मुझे अपने बेटे पर पूरा भरोसा है,,,।

(अंकित अपनी मां और अपनी नानी की बातें सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था वह समझ रहा था कि उसकी नानी को ऐसा ही लग रहा था कि दोनों के बीच ऐसा ही चला रहा तो कुछ ना कुछ हो जाएगा वह तो पहली बार में ही समझ गई थी एक जवान लड़के के मन को इसका मतलब साफ था कि वह पूरी तरह से अनुभव से भरी हुई थी,,, अंकित की नानी सुगंधा से इस तरह की बातें इसलिए कह रही थी क्योंकि वह रात को ही अंकित के मर्दाना अंग को अनुभव करचुकी थी,,, भले ही वह पूरी तरह से नींद में था,,, लेकिन नींद में भी वह पूरी तरह से उत्तेजित था,,, उसके लंड को अपनी गांड के बीचों बीच महसूस करके उसकी नानी पूरी तरह से दंग हो गई थी इसलिए वह अपनी बेटी सुगंधा से अपना अनुभव बता रही थी,,,।




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सुगंधा भी अपनी मां के कहने का मतलब कौन अच्छी तरह से समझती थी वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी खुद की हालत उसकी मां ने जिस औरत के बारे में बताया खुद वैसे ही है सुगंध को अच्छी तरह से मालूम था कि उसके और उसके बेटे के बीच की मर्यादा की दीवार किसी भी दिन गिर कर टूट सकती है वह तो अपनी मां को केवल दिलासा देने के लिए कह रही थी बाकी उसके भी मन में वही सब चल रहा था वह भी अपने बेटे के साथ हम बिस्तर होना चाहती थी,,,, लेकिन अपनी मां को बिल्कुल भी शक होने देना नहीं चाहती थी अपनी मां के सामने वह अपने चरित्रवान होने का बखान कर रही थी,,,। अंकित की नानी को अपनी बेटी पर भरोसा था लेकिन वह ईस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी कि आप और की एक साथ नहीं रह सकती उनका मिलना तय रहता है। थोड़ी देर और खड़ा रहने के बाद अंकित अपने कमरे में चला गया।

रात को अंकित के खाने के मुताबिक ही भोजन बनाया गया और घर के सभी सदस्य भोजन करके अपने-अपना काम निपटाकर अपनी-अपने कमरे में सोने के लिए चाहिए अंकित की नानी अंकित के साथ उसके कमरे में सोने के लिए आ गई,,, अंकित की नई पलंग पर बैठी हुई थी और अंकित अपने लिए नीचे चटाई बिछाने लगा तो उसे देखकर उसकी नानी बोली।




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यह क्या कर रहा है बेटा,,, जब तक मैं हूं इस घर में तो मेरे साथ ही सोना जैसा कि कल सोया था।

नहीं नानी मुझे लग रहा है कि आपको दिक्कत होती होगी,,,।

मुझे बिल्कुल भी दिक्कत नहीं होती चल छोड़ चटाई,,,(इतना कहकर खुद उसके हाथ से चटाई लेकर एक तरफ राखी और उसका हाथ पकड़ कर पलंग पर अपने पास बिठा दी,,,, रात की यादें उसके जेहन में पूरी तरह से ताजा थी,,,, अंकित के लंड की चुभन उसे अपनी गांड के बीचों बीच अभी भी महसूस हो रही थी,,,,,, वह बड़े प्यार से अंकित थी मासूम चेहरे की तरफ देखते हुए बोली,,,)

तेरे लिए तो मैं ही दुल्हन तोड़ कर लाऊंगी और वह अभी गांव की एकदम मजबूत जो तेरी अच्छे से सेवा कर सके,,,।

क्या नानी आप भी अभी मेरी कोई उम्र थोड़ी है,,,।

अरे बुद्धु अब तेरी उम्र हो गई है,,,, पूरा जवान हो गया है गांव में होता तो अब तक तेरी शादी हो गई होती,,,,।

नहीं नानी अभी मुझे शादी नहीं करनी है अभी तो मुझे पढ़ना है,,,( अंकित एकदम शरमाता हुआ बोला उसकी बात सुनकर उसकी नानी मुस्कुराते हुए बोली ...)




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क्यों तुझे लगता है कि तू औरत को संभाल नहीं पाएगा इसलिए ऐसा बोल रहा है ना,,,।

नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है संभालने में क्या है,,,!

तुम्हारी बात समझ नहीं रहा है,,, यहां संभालने का मतलब बहुत बड़ा है शायद तो समझ नहीं पा रहा है।

आपकी बात मुझे समझ में नहीं आ रही नई जरा खुल कर बताओ,,,,।

चल रहने दे जब समय आएगा तो समझ जाएगा,,,,,,,( अच्छी तरह से जानते थे कि वह अपने नाती से इस समय खुलकर नहीं बता सकती इसलिए वह जानबूझकर बहाना बनाते हुए बोली,,,) अच्छा थोड़ा सा सरसों का तेल मिलेगा,,,,।

हां क्यों नहीं,,, लेकिन करोगी क्या,,,?

मुझे पैरों में थोड़ा दर्द होता है मालिश करनी पड़ती है तब जाकरनींद आती है,,,।

तो कोई बात नहीं नई आज मैं तुम्हारी मालिश कर दूंगा,,,,।

तब तो बहुत अच्छा रहेगा,,,, जा जल्दी लेकर आ,,,,।




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(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित तुरंत अपने कमरे से निकाला और रसोई घर में चला गया और उसे जाता हुआ देख कर उसकी नानी के चेहरे पर वासना भरी मुस्कान तैरने लगी,,,,, यह सब उसकी नानी जान बुझकर कर रही थी,,,, थोड़ी देर में कटोरी में थोड़ा सा सरसों का तेल लेकर अंकित अपने कमरे में दाखिल हुआ और दरवाजा बंद कर दिया,,,, वह बिना कुछ बोले दिल की कटोरी लेकर घुटनों के बल बैठ गया और बोला,,,)

लाओ में मालिश कर देता हूं,,,,।

अरे ऐसे नहीं मैं लेट जाती हूं तब तु मालिश कर,,,

ठीक है नानी,,,,

,(अंकित की नई तुरंत पीठ के बल लेट गई लेकिन वह जानबूझकर अपनी साड़ी को बिल्कुल भी ऊपर नहीं उठाई क्योंकि वह यह कार्य अंकित को करने देना चाहती थी अंकित भी ठीक तरह से बिस्तर पर बैठ गया था और बिस्तर पर सरसों के तेल की कटोरी रख दिया था यह देखकर उसकी नानी बोली,,,,)

तुझे मालिश करना तो आता है ना,,,।

बिल्कुल नई इसमें क्या हुआ मालिश करने में कौन सी बड़ी बात है,,,।




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चल ठीक है मैं भी देखती हूं तो अच्छी तरह से मालिश कर पता है कि नहीं,,,,,, चल अब शुरू हो जा,,,,,।

(इतना कहकर वह अंकित की तरफ देखने लगी,,, अंकित भी कभी उसकी तरफ तो कभी उसके पैरों की तरफ देख रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था की मालिश कहां करना है फिर वह अपने आप ही हाथ में सरसों का तेल लगाकर उसके तलवों में बारिश करने लगा तो यह देखकर उसकी नानी एकदम से बोली,,,)

अरे अरे वहां नहीं साड़ी घुटनों तक ऊपर उठा फिर मालिश कर,,,,,।
(अपनी नानी की बातें सुनकर अंकित नहीं लगा और वह अपने मन में सोचने लगा कि वह तो खुद की बेटी को उससे दूर रहने को कह रही थी और खुद उसके सामने अपनी साड़ी उठाने के लिए बोल रही है,,,,, फिर भी अंकित अपनी नानी की बात मानते हुए उसकी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़ कर धीरे-धीरे उसे घुटनों की तरफ उठाने लगा,,, और ऐसा करने में उसे अद्भुत उत्तेजना का एहसास हो रहा था वाकई में यह काम उसके लिए मदहोशी से भर देने वाला था क्योंकि पहली बार वह अपने हाथों से किसी औरत की साड़ी ऊपर की तरफ उठा रहा था वैसे तो अपनी मां के कपड़ों को अपने हाथों से बदल चुका था लेकिन साड़ी को ऊपर की तरफ उठाना उसके लिए यह एक अद्भुत अनुभव था जिससे गुजरते हुए वह पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था और अनुभव से भरी हुई उसकी नानी उसके चेहरे के हाव-भाव को देख रही थी।



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साड़ी को उठाते समय अंकित के चेहरे के बदलते हवाओं को देखकर अंकित की नानी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि उसे लगने लगा था कि उसकी युक्ति कम कर रही है,,,,, और देखते ही देखते अंकित उसकी सारी घुटनों तक ऊपर उठा दिया था घुटनों के नीचे उसकी नंगी चिकनी टांग को देखकर अंकित के बदन में उत्तेजना के लहर रखने लगी थी वह जैसे तैसे करके अपनी उत्तेजना को दबा रहा था उसे काबू में कर रहा था,,,, अंकित सरसों के तेल को उसके पैरों पर गिराता इससे पहले उसकी नानी बोली,,,)

पूरे पैरों में मालिश करना बहुत दर्द करता है मालिश करने के बाद ही मुझे नींद आती है खासकर के पिंडलियों में,,,,,।(अंकित अपनी नानी की पिंडलियों की आकर्षक को पहले भी देख चुका था और खेली खाई अनुभव से भरी हुई उसकी कहानी अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द के लिए औरत की मांसल पिंडलियां भी उत्तेजना का काम करती है,, अपनी नानी की बातें सुनकर अंकित बोल,,,)





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ठीक है नानी तुम बेफिक्र कर रहो,,,,(इतना क्या करवा सरसों के तेल की कटोरी अपने हाथ में ले लिया और उसकी धार को उसके पैरों पर गिरने लगा दोनों पैरों पर तेल की धार को गिरकर वहां कटोरी को एक तरफ रखकर अपने दोनों हाथों से उसकी मालिश करना शुरू कर दिया,,,, एक औरत की टांग को मालिश करते हैं उसके बदन में मदहोशी छाने लगी थी,,,, और मालिश करते हुए अंकित अपने मन में सोच रहा था कि उसकी नानी तो पूरी तरह से अनुभव से भरी हुई है तो उसे इतना भी तो पता होगा कि एक मर्द की हालत इस समय क्या हो रही होगी उसके मन में क्या चल रहा होगा यह सोचकर वह उत्तेजना से गनगनाने लगा,,,, अंकित बड़े अच्छे से अपनी नानी के पैरों की मालिश कर रहा था लेकिन वह पेर को एकदम बिस्तर से सटाए हुए थी इसलिए वह ठीक तरह से मालिश नहीं कर पा रहा था,,,,, इसलिए वह अपनी नानी से बोला,,,)

नई थोड़ा पैरों को मोड लो तो अच्छी तरह से मालिश हो जाएगी,,,।
(अंकित की बातें सुनकर वह मुस्कुरा दी और बोली,,,)






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ठीक है,,,(और इतना कह कर अपने पैरों को घुटनों से थोड़े से मुरली जिसकी वजह से उसकी साड़ी अपनी आंख थोड़ा सा और नीचे सरक गई और उसकी मोटी मोटी जांघें एकदम से उजागर हो गई पल भर के लिए अंकित की नजरे उसकी नानी की मोटी मोटी जांघों पर टिक गई,,,,, कमरे में अभी भी ट्यूब लाइट जल रही थी जिसके दुधिया रोशनी में उसका गोरा बदन और भी ज्यादा दूधिया लग रहा था,, अंकित जिस तरह से उसकी मोती मोती जैंगो की तरफ देख रहा था यह देखकर उसकी रानी एकदम प्रसन्न हो गई थी क्योंकि वह समझ गई थी कि उसकी जवानी का आकर्षण अभी भी बरकरार था भले ही वह उम्र के इस दौर में पहुंच चुकी थी लेकिन उसके बदन का भरावपन किसी भी मर्द का पानी निकालने में अभी भी पूरी तरह से सच में था और इसका ताजा उदाहरण था उसका नाती अंकित जो की पूरी तरह से जवान हो चुका था और उसे प्यासी नजरों से देख रहा था,,।




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उसकी नानी बोली कुछ नहीं और अंकित फिर से उसके पैरों पर मालिश करने लगा,,,, अपनी नानी के बदन की गर्मी उसे अपनी हथेली में महसूस हो रही थी वह पागल हुआ जा रहा था उत्तेजित हुआ जा रहा था और लंड उसके पेट में पूरी तरह से तंबू बनाया हुआ था जिसे वह बार-बार अपने हाथों से व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था और उसकी यह हरकत उसकी नानी की नजर में आ चुकी थी यह देखकर तो उसकी नानी मदहोश होने लगी थी क्योंकि उसके लंड की चुभन अपनी गांड पर उसे अभी भी अच्छी तरह से महसूस हो रही थी,,,,, कुछ देर तक अंकित इसी तरह से सिर्फ पैरों पर मालिश करता रहा और उसकी नानी चाहती थी कि आप उसकी हथेली ऊपर की तरफ आगे बढ़े लेकिन वह जानती थी कि उसका नाती शायद अभी कच्चा खिलाड़ी है वरना अगर वह औरतों के बारे में अच्छी तरह से जानता था शायद उसकी दोनों हथेलियां इस समय उसकी साड़ी के अंदर होती,,,,, इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली।

बस अब थोड़ा ऊपर की तरफ कर दे जांघों पर भी बहुत दर्द होता है तेरे हाथों में तो जादू है मुझे आराम लगने लगा है लेकिन जांघों में दर्द हो रहा है,,,,,।




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ठीक है नानी मैं अभी मालिश करदेता हूं,,,,(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था, उत्तेजना के मारे उसका दिल जोरो से धड़कता है अपनी नानी की मोटी मोटी जांघो को देखकर वह पहले ही उत्तेजित हो चुका था अब उस पर हथेली रखकर कर मालिश करना था एक तरह से एक बहाने से उसे स्पर्श करना था इसलिए उसकी हालत खराब हो रही थी,,,, वह धीरे से फिर से सरसों की कटोरी उठाया और उसकी धार अपनी नानी की मोटी जांघों पर ना गिराते हुए उसे अपनी हथेली पर गिराने लगा,, और फिर कटोरी को एक तरफ रखकर वापस अपनी नानी की मोटी मोटी जांघो पर अपनी हथेली से मालिश करने लगा,,, वास्तव में यह उसके जीवन का पहला मालिश था जब वह किसी औरत की मालिश कर रहा था और वह भी अपनी ही नानी की उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघों पर मालिश करते हुए वह अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,, अंकित की नानी मुस्कुराते हुए बोली,,,,।)




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अपनी नानी की जांघों को मालिश करते हुए कैसा लग रहा है तुझे,,,।

बहुत अच्छा लग रहा है,,,इसी बहाने आपकी सेवा करने का मौका तो मिल रहा है,,,,,,।

तू मेरे साथ नहीं रहता वरना सेवा करने का मौका तुझे बहुत मिले,,,,(अंकित की नानी अंकित से इशारे में बहुत बड़ी बात बोल रही थी लेकिन अंकित समझ नहीं पा रहा था,,,, बस वह मुस्कुराए जा रहा था लेकिन उसे अपनी नानी की मालिश करने में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था उसकी नानी भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी मोटी मोटी जांघों को स्पर्श करके उसके नाती का लंड खड़ा हो चुका है,,, इस बात के एहसास से ही वह पानी पानी हुए जा रही थी उसकी बुर हल्का-हल्का पानी छोड़ रही थी,,,, फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उसकी नानी बोली,,,,)




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अच्छा यह बात कभी इस तरह से अपनी मां की मालिश कीया है कि नहीं,,,,,,(इस तरह का सवाल करके अंकित की रानी अपनी ही बेटी के चरित्र के बारे में जांच पड़ताल कर रही थी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका नाती भोला भाला है,,, अगर वह अपनी मां की मालिश करता होगा तो जरूर बताएगा और इस बात को भी अच्छी तरह से जानते थे कि अगर अंकित अपनी मां की माली से इस तरह से करता होगा तो जरूर दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण बढ़ गया होगा और इसके चलते होना हो दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया होगा क्योंकि वह एक औरत के मन को अच्छी तरह से समझती थी वह अपनी बेटी के हालात के बारे में अच्छी तरह से जानती थी,,,, लेकिन तभी अपने नाती का जवाब सुनकर उसे संतुष्टि प्राप्त हुआ जब उसने कहा,,,)


नहीं,,,, बिल्कुल भी नहीं सच कहूं तो आज यह पहली बार में मालिश कर रहा हूं,,,,।




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ओहहहहह,,, पहली बार कर रहा है फिर भी इतने अच्छे से मालिश कर लेता है,,,,।

तो इसमें कौन सी बड़ी बात है यह तो कोई भी कर लेगा,,,।

फिर भी तेरे हाथों में जादू है,,,।

चलो अच्छा ही है इसी बहाने आपको आराम तो मिला,,,,(अपनी नानी की जांघों पर मालिश करते हुए वह बोला,,,, लेकिन इस दौरान उसकी नानी शरारत करते हुए अपने घुटनों को हल्का सा और मारते हुए थोड़ा ऊपर की तरफ उठा दी और अंकित के हाथों से उसकी साड़ी भी हल्के से और नीचे की तरफ खिसक गई,,,और जैसे ही साड़ी हल्के से थोड़ा और नीचे सरकी अंकित को ऐसा नजारा दिखाई दिया कि उसके होश उड़ गए।)
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है अंकित ने नूपुर की बुर का स्वाद उसके पति के होते हुए चख लिया है अंकित का डर और झिझक धीरे धीरे खत्म हो रहा है अंकित ने जो हरकत सुगंधा के साथ और आज नूपुर के साथ की है वह पहले वाला अंकित कभी नहीं कर पाता अंकित की नानी सुगंधा को सीख देती है कि बेटे से दूर रहे अपने बेटे के सामने कोई हरकत ना करे लेकिन खुद अपनी वासना की आग को नहीं रोक पाई और अंकित से अपनी प्यास बुझाने के लिए अपने खजाने के दर्शन करा दिए हैं
 

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अंकित की नानी के द्वारा हल्के से घुटना मोड़ने और हल्के से साड़ी नीचे सरकने की वजह से जो नजर अंकित को दिखाई दिया उसे देखकर अंकित की आंखें फटी की फटी रह गई थी उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था,,, वह पलक झपकाए बिना ही अपनी नानी की साड़ी के अंदर देखे जा रहा था और यह देखकर उसकी नानी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि उसकी नानी जानबूझकर अपनी साड़ी को थोड़ा और नीचे की तरफ सरकाई थी जिससे वह जो दिखाना चाहती है उसका नाती वही देखें,,, अंकित की नई का काम बन चुका था अंकित की रानी एक मर्द को काबू में करना अच्छी तरह से जानती थी,,, वह अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द किस तरह से औरत के आगे घुटने टेक देता है और अंकित की हालत को देखकर वह समझ गई थी कि यह बहुत जल्दी उसके काबू में आ जाएगा,,,,।,




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अंकित अपने आप पर अपनी उत्तेजना पर काबू करके फिर से सरसों का तेल अपनी हथेली पर गिरने लगा लेकिन इस दौरान उसकी नजर उसकी नानी की साड़ी के अंदर ही थी उसकी दोनों टांगों के बीच अद्भुत नजारा दिखाई दे रहा था जिसे देखकर वह पागल हुआ जा रहा था वह अपनी मम्मी सो रहा था कि उसकी मां की बुर में और उसकी नानी की बुर में बिल्कुल भी फर्क नहीं था और वैसे भी मां बेटी में कुछ ज्यादा फर्क नहीं था बस थोड़ा सा उम्र का ही फर्क था,,, लेकिन यहां पर अंकित को एक बात हैरान कर रही थी कि उसकी नानी की बुर पर बिल्कुल भी बाल नहीं था उसकी नानी भी उसकी मां की तरह ही अपनी बर को एकदम चिकनी सपाट रखती थी और ऐसा क्यों करती थी यह अंकित को समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि वह तो उसकी मां की भी मां थी,,,, अपने मन में इस तरह के ख्याल को वह एक तरफ रखकर जो कुछ भी आंखों के सामने था उसका रसपान वह अपनी आंखों से कर लेना चाहता था इसलिए सरसों के तेल को हाथ में लेकर मालिश करना शुरू कर दिया,,,,, लेकिन अपनी नजरों से अपनी नानी की बुर पर से हटा नहीं रहा था।,,,, अंकित सभी सपने में नहीं सोचा था कि जो एक उसकी मुलाकात अपनी नानी से हो जाएगी और उसकी इस तरह से सेवा करने का मौका मिलेगा,,,,।




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अंकित की नानी मन ही मन मुस्कुरा रही थी वह प्रसन्नता से और भी ज्यादा व्याकुल और उत्सुक हुए जा रही थी क्योंकि वह एक खेली खाई औरत थी अनुभव से भरी हुई मर्दों को काबू करने का उसके पास ढेर सारा तरीका था यह तो सिर्फ पहले ही तरीका था जिसमें उसका नाती पूरी तरह से ढेर होता हुआ दिखाई दे रहा था। कुछ देर के लिए उसकी नानी कुछ नहीं बोली वह देखना चाहती कि उसका नाती क्या करता है अपनी हरकत को बढ़ाता है या सिर्फ नजरों से ही सारा खेल खेलेगा,,, कुछ देर तक अंकित सहज रूप से उसकी जांघों की मालिश करता रहा उसकी मोटी मोटी चिकनी गोरी जांघों को अपने दोनों हथेलियां में देखकर मालिश करने में उसे पर अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी जिसे वह बयान नहीं कर सकता था इस उम्र में भी औरत का बदन इस तरह से आकर्षक और मदहोश कर देने वाला होता है आज उसे पहली बार पता चल रहा था,,, वरना उसे अपनी मां की उम्र की औरतों में ही ज्यादा आकर्षण था और वैसे भी उसका अनुभव धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा था और उसके मामले में अपनी मां से जितना नहीं सिखाता था उतना बाहर की औरतों से सीख रही थी सुमन और राहुल की मां शामिल थी।




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राहुल की मां तुमसे एक अद्भुत अनुभव देखकर अपने घर से भेजी थी जिसे पाकर वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुका था और उसे इतना आत्मविश्वास होने लगा था कि वह किसी औरत को भी अपनी जीभ से संतुष्ट कर सकता है,,,, अंकित लगातार अपनी नानी की कचोरी जैसी फुली हुई बुर को अपनी नजरों से ही भेद रहा था,,, और इसमें भी उसे अद्भुत आनंद प्राप्त हो रहा था,,,, अंकित की नानी के मन में बहुत कुछ चल रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब आगे क्या किया जाए वैसे तो उसे मस्जिद तक पहुंचाने के सारे रास्ते मालूम थे लेकिन सफर का साथी कोई और नहीं उसका अपना ही नाती था इसलिए थोड़ा हिचकीचा रही थी,,, अंकित के नानी के मन में बहुत सारे सवाल उठ रहे थे जिसका जवाब हो खुद ही अपने मन में दे रही थी,,,, और यह सच ही है कि अगर रात को सोते समय उसे अपनी गांड के बीचों बीच अपने नाती के लंड की चुभन महसुस ना होती तो शायद वह यह सब करने पर मजबूर ना होती,,,।




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अंकित के लंड को तो वह अपनी नजरों से तो नहीं देखी थी,,, लेकिन उसका एहसास वह अपने बदन में अभी तक महसूस कर रही थी उसकी चुभन बार-बार उसे याद आ रही थी जिसके चलते उसे इस बात का अंदाजा लग गया था कि उसके नाती के टांगों के बीच मर्दाना अंग नहीं बल्कि हथियार है जो किसी भी औरत को संतुष्ट करने में सक्षम है,,,, ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में उसकी मोटी मोटी जांघें एकदम नग्न थी,,, जिसे देखकर अंकित के बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी,,, अंकित की नजर उसकी नानी की बुर पर से है नहीं रही थी जिसमें से उत्तेजना के मारे मदन रस की बूंद और उसकी बूंद की तरह ऊपरी सतह पर आकर चमक रही थी जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था वह उसे बूंद को अपने होठों से लगा लेना चाहता था क्योंकि सुमन और नूपुर ने उस बूंद को चाटने का उसे एक अलग ही अनुभूति कराई थी,,, इसलिए अंकित को पूरा विश्वास था कि अगर उसकी नानी उसे मौका देगी तो वह भी पूरी तरह से उसे मस्त कर देगा,,,,।




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अपनी नानी के इस व्यवहार को देखकर उसे राहुल की बातें याद आने लगी थी उसे याद आने लगा था कि राहुल ने बताया था कि घर की औरतें इसी तरह से अपने अंगों का प्रदर्शन करके घर के मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं और फिर उनसे अपनी प्यास बुझाती हैं, यह ख्याल मन में आते ही वह सच में पड़ गया कि क्या उसकी नानी भी यही चाहती है,,, अगर उसके मन में ऐसा कुछ नहीं होता तो वह अपनी साड़ी को भी इस कदर उपर ना उठाती कि उसका नाती सब कुछ देख ले,,,, अंकित को धीरे-धीरे समझ में आ रहा था कि उसकी नानी यह सब जानबूझकर कर रही है उसके मन में भी बहुत कुछ चल रहा है क्योंकि आज कमरे के बाहर खड़े होकर अंकित ने अपनी नानी की बात को सुना था,,, और उसकी नानी किसी गांव की औरत का उदाहरण देकर यही सब बता रही थी कि कैसे एक मर्द और औरत करीब आते हैं।



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इन सब बातों को सोते हुए भी अंकित की नजर में अपनी नानी की बुर से हट नहीं रही थी वह अपनी नानी की बुर के बारे में ही सोच रहा था,,,, अंकित को इस बात का एहसास हो रहा था कि उसकी नानी की बुर पर उसकी उम्र का बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ा था। यही तो अंकित के लिए आश्चर्य की बात थी क्योंकि उसे साफ तौर पर दिखाई दे रहा था कि उसकी नानी की बुर में उसकी मां की बुर में रत्ती भर भी फर्क नहीं थी बिल्कुल सपाट और चिकनी बस इतना ही फर्क था कि उसकी मां की गुलाबी पर एकदम पतली दरार नुमा थी और उसकी नानी की बुर के बीचों बीच हल्की सी गुलाबी पट्टी बाहर को झांक रही थी,,,, जिससे उसकी खूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ जा रही थी,,,, यह सब देखकर अंकित का लंड गदर मचाने को पूरी तरह से तैयार हो चुका था,,, वह इस कदर पेट के अंदर बलखा रहा था कि मानो पेट फाड़ कर बाहर आ जाएगा जिसे बार-बार वह अपना हाथ लगाकर व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था और यह सब उसकी नानी अपनी आंखों से देख कर मन ही मन उत्तेजित भी हो रही थी और प्रसन्न भी हो रही थी क्योंकि उसकी जवानी का जादू चल चुका था इस उम्र में भी उसकी जवानी बरकरार थी यही बहुत बड़ी बात थी जिसका श्रेय वह हमेशा खेतों में काम करने और इधर-उधर घूम कर अपने बदन की चर्बी को कम करने में लगा दी थी,,,।



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सरसों के तेल की कटोरी में सरसों का तेल बहुत ही काम बचा था सारा तेल आज उसने अपनी नानी की जांघों और टांगों पर लगाकर उसकी मालिश करने में खत्म कर दिया था और अंकित बड़े अच्छे से उसकी मालिश भी कर रहा था,,, तकरीबन 1 घंटा जैसा हो गया था अंकित लगातार अपनी नानी की मालिश कर रहा था वह थक जाता अगर उसकी आंखों के सामने उसकी गुलाबी बुर दिखाई ना देती तो उसे देखकर ही वह मालिश करने में बिल्कुल भी थकान महसूस नहीं कर रहा था,,,, लेकिन अब लगने लगा था अंकित की नानी को की आगे बढ़ना चाहिए नहीं तो सारी रात ऐसे ही मालिश करने और करवाने में ही गुजर जाएगी इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली,,,। और सीधा तीर निशाने पर लगाते हुए पहला ही प्रश्न एकदम से दाग दी,,,।





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मैं कब से देख रही हूं एक टक तु साड़ी के अंदर क्या देख रहा है,,,?(ऐसा कहते हुए वह हल्के से उठ कर बैठने लगी लेकिन अपनी नानी के इस सवाल पर अंकित एकदम से घबरा गया था और वह अपनी नानी की तरफ देखने लगा था उसकी नानी अंकित की हालत को समझ गई थी अंकित कुछ बोल नहीं पा रहा था इसलिए वह खुद ही अपनी दोनों टांगों के बीच झांकने लगी और अपनी बुर को देखकर एकदम से मुस्कुराते हुए बोली,,,)

ओहहह यह बात है तो तू यह देख रहा है कब से तभी मैं सोचूं कि इतनी ध्यान से तो क्या देख रहा है,,, मुझे क्या मालूम कि मेरी बुर दिखाई दे रही है,,,(अंकित ने कभी कल्पना नहीं किया था कि उसकी नानी अपने अंग का नाम इस तरह से खुल कर लेंगी और वह भी उसके सामने अपनी नानी के मुंह से बुर शब्द सुनकर उसके लंड की अकड़ बढ़ने लगी,,, वह आश्चार्य से अपनी नानी की तरफ देखने लगा,,,, और उसकी नानी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,) वह क्या है ना कि मेरी आदत है रात को सोते समय में चड्डी नहीं पहनती,,,,।




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(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित थोड़ा घबरा गया था इसलिए वह बोला)

अनजाने में मैंने देख लिया मुझे मालूम नहीं था मुझे यह दिखाई देगा,,,।

क्या दिखाई देगा तुझे इसका नाम नहीं मालूम,,,(एकदम साफ शब्दों में वह बोली,,, अंकित अपनी नानी का सवाल सुनकर झेंप गया,,,, लेकिन धीरे से बोला,,,)

मालूम तो है लेकिन इसका नाम लेने में शर्म आती है,,,।

अरे एकदम बुद्धू है क्या शादी की उम्र हो गई और औरत की इस अंग का नाम लेने में तुझे शर्म आती है पता नहीं शादी के बाद क्या करेगा कहीं ऐसा ना हो कि तेरी बीवी किसी और के पास चली जाए,,,।

मेरी बीवी किसी और के पास में कुछ समझा नहीं,,,(अंकित को अपनी नानी की कहानी बात समझ में आ रही थी लेकिन फिर भी वह अनजान बनने का नाटक करते हुए बोला,,, उसकी बात सुनकर उसकी नानी मुस्कुराते हुए बोली)

अरे बुद्धु इतना भी नहीं समझता,,,, पता नहीं तेरा क्या होगा अच्छा यह बात इससे पहले तूने किसी औरत की नहीं देखी है क्या,,,,?

नहीं नई बिल्कुल भी नहीं मैं तो पहली बार देख रहा हूं और देख कर ही हैरान होगया था,,,, कि तुम औरतों के पास ऐसाहोता है,,,,(एकदम नादान बनने की कोशिश करते हुए अंकित बोला उसकी बात सुनकर उसकी नानी हंसने लगी और हंसते हुए बोली)

अरे हम औरतों के पास ऐसा ही होता है मेरे पास भी ऐसा है तेरी मां के पास भी ऐसा है,,, क्या सच में तूने कभी ऐसा किसी औरत की नहीं देखा,,,।

नहीं नानी में सच कह रहा हूं मैं किसी की नहीं देखा हूं,,,,।

अपनी मां को तो कपड़े बदलते हुए देखा है ना नहाते हुए देखा है तो क्या उसके ईस अंग को नहीं देख पाया,,,,(अंकित की नानी अपने इस सवाल से एक बार फिर से मां बेटे की हकीकत जानने की कोशिश कर रही थी लेकिन अंकित भी चालाक था वह पूरी तरह से अपने नानी के सामने नादान बनने की कोशिश कर रहा था उसे बार-बार राहुल की कही गई बातें याद आ रही थी और सब कुछ उसके साथ वैसा ही हो रहा था जैसा राहुल बताता है कि हर घर में औरतें किस तरह से मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं अंकित समझ गया था कि उसकी नानी के मन में क्या चल रहा है अगर आज सबको ठीक होगा तो आज हुआ एक नया सुख अनुभव करेगा इसलिए अपनी नानी की बात सुनकर वह बोला,,,,)

कैसी बातें करती हो नानी,,,छी,,,, मैं कभी इस बारे में सोच भी नहीं सकता देखने की तो बात ही दूर है वह तो आज अनजाने में तुम्हारी देख लिया,,,,।

(जिस तरह से हम कितने बोला था उसकी बात सुनकर उसकी नानी को पूरा विश्वास हो गया की मां बेटे के बीच ऐसा कुछ भी नहीं है वह एकदम प्रसन्न होते हुए बोली)

चल कोई बात नहीं नहीं देखा तो ना सही आज देख लिया एक न एक दिन तो तुझे देखा नहीं था आखिरकार मर्द जो है औरत का तो हर एक अंग तुझे देखना ही होगा उसे खुश जो करना है,,,।

देख कर खुश करना है मे कुछ समझा नहीं नानी,,,।


लगता है तुझे सब कुछ बताना ही होगा तेरे हाथों में जादू है कि मेरा दर्द काम हो गया है लेकिन अब सोचती हूं की कमर पर भी मालिश करवा लुं,,,, लेकिन इसके लिए मुझे अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे,,,,।

नहीं नहीं नानी ऐसा मत करना मुझे शर्म आती है,,,।

अरे बुद्धू शर्मा ना तो मुझे चाहिए और शर्म तुझे आती है और वैसे भी अब शर्म जैसी कोई बात नहीं हम दोनों में जो नहीं देखना था वह तो तुने देख ही लिया है अब छुपाने लायक कुछ बचा ही नहीं है,,, अच्छा एक काम कर मैं घूम जाती हूं तो मेरी कमर की मालिश कर,,,,।

लेकिन ऐसा करने में तो साड़ी,,,,(इतना कहकर अंकित चुप हो गया उसकी नानी समझ गई की वह क्या बोलना चाहता है,,, इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली,,,,)


मैं जानती हूं लेकिन तू साड़ी ऊपर कर देना तब तू आराम से मालिश कर पाएगा,,,।

लेकिन ऐसे में तो,,,(फिर से चुप हो गया इससे आगे नहीं बोल पाया उसकी नानी जानती थी कि वह क्या कहना चाहता है इसलिए फिर से मुस्कुराते हुए बोली,,,)

हां मैं जानती हूं साड़ी ऊपर करने से मेरी गांड नंगी हो जाएगी ना तो इसमें क्या हो गया अब तेरे सामने मुझे शर्म नहीं आती क्योंकि तूने मेरा अनमोल खजाना तो देख ही लिया है अब छुपाने लायक कुछ बचा ही नहीं है और वैसे भी तेरे हाथों का जादू मैं अपने पूरे बदन पर महसूस करना चाहती हूं ताकि यहां से जाते-जाते मेरे बदन का दर्द पूरी तरह से दूर हो जाए,,,,(इतना कहने के साथ ही अंकित का जवाब जाने बिना ही वह घूम गई और पेट के बल लेट गई उसके इस तरह से लेटने पर उसकी साड़ी उसकी जांघों के ऊपरी सतह तक चढ़ी हुई थी जिससे उसके नितंबों के निचले स्तर का कटाव दिखाई दे रहा था जहां से उसका उभार शुरू होता है,,,, यह देखकर कर अंकित की उत्तेजना बढ़ने लगी उसके लंड की अकड़ बढ़ने लगी,,,, वह समझ गया था किसकी नानी क्या चाहती है बस खुले शब्दों में बोल नहीं पा रही है और इस बात को समझ कर अंकित मन ही मन प्रसन्न हो रहा था,,, घड़ी की तरफ देखा तो 12:00 रहे थे अभी तो पूरी रात बाकी थी काफी समय था दोनों के पास अंकित को एहसास होने लगा था कि दोनों के बीच आज कुछ ना कुछ जरूर हो जाएगा यह सोचकर वह मुस्कुराते हुए,,,, अपनी नानी की साड़ी को दोनों हाथों से पकड़ कर उसकी कमर की तरफ उठाने लगा,,,,।

ऐसा करने में अंकित का दिल बड़े जोरों से ढक रहा था आज उसकी आंखों के सामने उसकी मां की भी मन थी जो जवानी में भी उसे एक कदम बढ़ाकर आगे थी उसका चरित्र भी उसकी मां से बेहद अद्भुत था जहां एक तरफ उसकी मां शर्म और मर्यादा में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी वही उसकी नानी पूरी तरह से खुलकर मजा लूटना चाहती थी जो की एक ही रात में ईतना आगे बढ़ चुकी थी,,,, साड़ी को ऊपर करने में उसकी नानी का खुद का जांघों का दबाव साड़ी को ऊपर करने में बाधा रूप बन रहा था जिसे खुद उसकी नानी अपने बदन को हल्का सा ऊपर उठकर दूर कर दी थी अपनी कमर को हल्का सा ऊपर उठने के साथ ही अंकित अपने दोनों हाथों से फुर्ति दिखाता हुआ तुरंत अपनी नानी की साड़ी को एकदम कमर तक उठा दिया और कमर तक साड़ी उठाते ही,,, उसकी नानी की भरपूर जवानी से भरी हुई बड़ी-बड़ी कांड एकदम से उजागर हो गई जो ट्यूबलाइट की दुधिया रोशनी में और ज्यादा चमक रही थी,,,, अपनी नानी की गांड को नजदीक से देखने के बाद उसे बात का एहसास हो रहा था किसकी नानी की गांड उसकी मां की गांड से थोड़ी सी ज्यादा बड़ी थी इसके लिए और भी ज्यादा आकर्षक और मदहोश कर देने वाली दिखाई दे रही थी।

अंकित अपनी नानी की गांड को देखकर एकदम उत्तेजित हुआ जा रहा था उसका लंड पेट फाड़ कर बाहर आने के लिए व्याकुल हो रहा था वहां कुछ देर तक अपनी नानी की गांड को देखता ही रहा,,, उसकी नानी तिरछी नजर से उसकी हरकत को देख रही थी वह जानती थी कि उसका नाती उसकी गांड को प्यासी नजरों से देख रहा है इसलिए वह कुछ देर तक खामोश रही और फिर बोली ,,,,


अब मालिश भी करेगा कि सिर्फ देखता ही रहेगा लगता है कि यह सब पहली बार देख रहा है,,,।
(अंकित के नई जानबूझकर उसे से ऐसा कह रही थी और अपनी नानी की बात सुनकर अंकित कुछ बोल नहीं पाया वाकई में वह अपनी नानी की मदमस्त भरी हुई गांड देखकर स्तब्ध रह गया था। अपनी नानी की बात सुनकर वह धीरे से बोला,,)

सच कह रही हो नानी यह सब में पहली बार देख रहा हूं,,,,,।

चल अच्छा यह सब तो बहुत बार देखने को मिलेगा आप जल्दी से मालिश कर दे,,,।
(इतना सुनकर अंकित फिर से सरसों के तेल को हथेली में लेकर अपनी नानी की गांड को दोनों हाथों में भर भर कर मालिश करना शुरू कर दिया वाकई में उसे बहुत मजा आ रहा था अपनी नानी की गांड की मालिश करने में,,,, वह कभी सोचा नहीं था कि उसे अपनी नानी की मालिश करना पड़ेगा और वह भी ऐसे हालत में,,, अंकित हैरान था,,,, और उसके हैरानी की वजह थी उसकी नानी की गांड वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था की उम्र दराज औरत की कहानी इतनी मदमस्त और मांसल होगी बिल्कुल उसकी मां की गांड की तरह बस उसकी मां की गांड की तुलना में उसकी नानी की गांड थोड़ी सी बड़ी थी,,,, अंकित दोनों हाथों का उपयोग करके अपनी नानी की गांड की मालिश करके उत्तेजितहुआ जा रहा था।

सच में वह अपने आप को किस्मत का धनी समझ रहा था वरना ऐसा मौका किसे मिलता है,,,, लंड की अकड़ पूरी तरह से उफान पर थी जिसे वह बार-बार अपने हाथ से व्यवस्थित कर रहा,,,, कुछ देर तक मालिश करने के बाद उसकी नानी बोली,,,.


अब थोड़ा सा तेल की धार गांड के बीचों बीच गिरा,,, और दरार के अंदर उंगली डालकर मालिश कर तब ज्यादा आराम मिलेगा,,,।

(अपनी नानी की बात सुनकर उत्तेजना से अंकित गनगना वह समझ गया था किसकी नानी क्या चाहती है और इस बात की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी कि उसकी नानी उसकी मां से एक कदम आगे थी उसकी मां तो केवल अपने अंगों का प्रदर्शन करती थी लेकिन कुछ करने को का नहीं पाती थी लेकिन उसकी नानी तो लगता है कि आज ही रात में सारा सुख उसे दे देगी अपनी नानी की बात सुनते ही वह सरसों के तेल की कटोरी फिर से अपने हाथ में ले लिया,,, और अपनी नानी के कहे अनुसार ही तेल की धार को उसकी गांड की दरार के अंदर गिराने लगा,,, और जैसे-जैसे सरसों के तेल की धार गांड की गहराई में उतर रही थी वैसे-वैसे अंकित की नानी का बदन कसमसा रहा था,,,, उसे एक अद्भुत आनंद की अनुभूति हो रही थी जिसकी वजह से उसकी बुर से मदन रस टपक रहा था।


उम्र के ईस पड़ाव पर बुर से मदन रस झरना यह भी बड़ी बात थी,,, क्योंकि इस उम्र में कभी कभार ही औरत की बुर गीली होती है,,, लेकिन अंकित की नानी की बुर ऐसे मौके पर बार-बार पानी छोड़ती थी जिसकी एक खास वजह थी की उम्र के इस दौर पर भी पहुंचकर अंकित की नानी मजा लेना नहीं छोड़ी थी उसके बदन से वासना बिल्कुल भी काम नहीं हुई थी और यही कारण था कि ऐसे हालात में बार-बार उसकी बुर पानी छोड़ती थी। देखते देखते अंकित कटोरी का सारा तेल अपनी नानी की गांड में उडेल दिया था,,, यहां पर अब वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अब उसे भी यहां पर हिम्मत दिखाने की जरूरत है जैसा कि वह राहुल की मां के साथ हिम्मत दिखाया था। क्योंकि यह सब जो भी हो रहा है या उसकी नानी की तरफ से एक इशारा एक आमंत्रण है अगर आज वह इस इशारे को आमंत्रण को ठुकरा देता है तो उससे बड़ा बेवकूफ कोई नहीं होगा,,, इस बात का अहसास होते ही अंकित अपने मन को एकदम मजबूत कर लिया था।

अंकित फिर से अपनी नानी की गांड की मालिश करना शुरू कर दिया था। लेकिन एक बार फिर से अपनी नानी की इजाजत चाहता था अपनी उंगलियों को गांड की दरार के अंदर ले जाने के लिए और जल्द ही उसे अपनी नानी की तरफ से इजाजत भी मिल गई,,, उसकी नानी उसे इजाजत देते हुए बोली,,,।

अरे अंदर उंगली डालकरमालिश कर,,,।

जी नानी,,,,,।

(अंकित को इस बात पर एहसास होने लगा था कि उसकी नानी गांड की दरार में उंगली डालकर मालिश करने के लिए क्यों बोलरही है,,, इसलिए वह भी उत्साहित हुआ जा रहा था,,,, वह अपनी नानी की बात मानते हुए अपनी उंगली को अपनी नानी की गांड की दरार की अंदर तक डालकर उसकी मालिश करने लगा लेकिन जल्दी उसे एहसास हो गया कि उसकी उंगली उसकी नानी की बुर तक पहुंच रही थी,, उसकी गर्माहट उसका स्पर्श उसका गीलापन उसे अच्छी तरह से एहसास करा रहा था उसकी हालत खराब होती जा रही है,,,, उसकी नानी भी अपने नाती की उंगली को अपनी बुर पर महसूस करके मदहोश हुए जा रही थी,,, अंकित बिल्कुल भी घबरा नहीं रहा था ट्यूबलाइट की रोशनी में उसकी नानी की गोरी गोरी गांड एकदम साफ दिखाई दे रही थी जो कि उसके उत्तेजना को पल-पल बढ़ा रही थी,,,, अपनी नानी की बुर पर अच्छे से उंगली को रगड़ते हुए वह बोला।)

कैसा लग रहा है नानी,,,,।

सहहहहह,,,आहहहहहह,,,, बहुत अच्छा लग रहा है रे,,,, तेरी उंगली जब जब मेरी बुर पर छुआ रही है अजीब सा हो रहा है बहुत अच्छा लग रहा है,,,।

(अपनी नानी की बातें सुनकर अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर का तूफान उठने लगा क्योंकि उसे नहीं मालूम था कि उसकी नानी इतनी खुले शब्दों में एकदम से उसके सामने बोल देगी,,,, फिर भी अपनी नानी की बात सुनकर अंकित नादान बनता हुआ बोला,,,)

बुर पर लेकिन मेरी उंगली तो वहां तक नहीं जा रही है,,,।

अरे बुद्धू तेरी उंगली बड़ी आराम से मेरी बुर पर जा रही है देखना चाहता है,,,, रुक मैं तुझे दिखाती हूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही उसकी नानी पेट के बल लेट-लेटे ही अपनी जांघों को खोल दी,,,, और उसके ऐसा करते ही एक बार फिर से अंकित को उसकी नानी की गुलाबी बर नजर आने लगी जो की सरसों के तेल में पूरी तरह से डूबी हुई थी और उसका खुद का मदन रस छल छलआ रहा था,,, जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था,,,, अंकित की नई अच्छी तरह से जानती थी कि इतनी मात्रा से ही उसके नाती को उसका गुलाबी छेद बडे आराम से दिखाई दे रहा होगा,,, इसलिए वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,, फिर भी वह अंकित से बोली,,,।)

देख तुझे मेरी बुर दिखाई दे रही है ना,,,(अंकित की नई एकदम बेशर्मी भरे शब्दों का प्रयोग करते हुए बोली जिसका असर अंकित पर बेहद गहरा पड़ रहा था अपनी नानी के मुंह से इस तरह से बुर शब्द सुनकर उसके लंड की अकड़ बढने लगी थी,,,, अंकित पागलों की तरह अपनी नानी की बुर को देख रहा था अपनी नानी की बात सुनकर वह धीरे से बोला,,,)

हां नानी एकदम साफ दिखाई दे रही है,,,,,,,।

अब जैसे पहले मालिश कर रहा था उसी तरह से कर और देख तेरी उंगली वहां पहुंचती है कि नहीं,,,।
(अंकित अच्छी तरह से समझ गया था उसकी नानी क्या चाहती है,,,, इसलिए मन ही मन प्रसन्नता के साथ उत्तेजित भी हुआ जा रहा था,,,,)
नानी तो बहुत तेज निकली सुगंधा इतने दिनों से जो काम नहीं कर पाई उसकी मां ने वो काम दूसरी ही रात में कर दिया नानी ने अपनी प्यास बुझाने के लिए अपना जलवा दिखाकर अंकित को अपने काबू में कर लिया है जल्दी ही नानी के खेत में अंकित का हल चलने वाला है
 

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अंकित की नानी अपनी दोनों टांगे खोलकर उसे अपनी गुलाबी बुर दिखा दी थी,,, जिसे देखकर अंकित पागल हो गया था और यह सब उसकी नानी जानबूझकर कर रही थी इतना उसे अच्छी तरह से मालूम हो गया था,,,, पहले के ही तरह अंकित को उसने मालिश करने को बोली और यह देखने के लिए बोली कि तेरी उंगली वहां तक पहुंचती है कि नहीं,,,, यह सुनकर अंकित की हालत और भी ज्यादा खराब होने लगी लेकिन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी यह सब अंकित के लिए पहली बार था लेकिन जो कुछ भी हो रहा था उसमें अंकित को अपना ही भला होता दिखाई दे रहा था,,। इस समय भला अंकित अपनी नानी की बात कैसे टाल सकता था उसके ना खाने के बावजूद भी वह खुद अपनी उंगली को उसकी पुस्तक पहुंचने के लिए आतुर नजर आ रहा था।



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कटोरी में सरसों का तेल खत्म हो चुका था लेकिन फिर भी अंकित कटोरी में अपनी उंगली डालकर उसे अच्छे से तेल अपनी उंगली पर लगने लगा और फिर एक बार फिर अपनी नानी की मालिश करना शुरू कर दिया,,, अपनी नानी की बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों में लेकर मालिश करने का जो आनंद अंकित को प्राप्त हो रहा था उसे अंकित बयान नहीं कर सकता था वाकई में आज उसके हाथों में आसमान का चांद लग गया था और उसकी खूबसूरत नंगी गांड आसमान के खूबसूरत चांद की तरह ही होती है जिस पाकर मर्द अपने आप को दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान समझता है,,, अंकित अपने मन में सोच भी रहा था कि अगर इस समय उसकी नानी अपने मुंह से पूछ लेती उसके दोनों हाथों में क्या है तो वह यह कहते बिल्कुल भी नहीं इसकी चाहेगा कि उसके हाथ में चांद आ गया है,,,। अपनी नानी की गांड की मालिश करते हुए अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था उत्तेजना परम शिखर पर थी ऐसा लग रहा था कि लंड पैंट फाड़कर बाहर आ जाएगा,,, जिसे बार-बार अंकित अपने हाथों से व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था।






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इस पल का आनंद अंकित की नानी भी बराबर ले रही थी,,, यहां आने से पहले उसे बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था कि अपने नाती के साथ ही उसे ऐसा कुछ करना पड़ जाएगा ऐसा हुआ करती भी नहीं लेकिन सोते समय उसके लंड की चुभन अपनी गांड पर महसूस करके वह मदहोश हो चुकी थी और अपनी जवानी पर काबू नहीं कर पाई थी जिसके चलते पूरी तरह से बेशर्मी का प्रदर्शन दिखाते हुए वह अपने नाती से अपनी गांड की मालिश करवा रही थी। अंकित की नई की सांसे भी ऊपर नीचे हो रही थी,,, बादल में उत्तेजना की लहर उठ रही थी और गुलाबी दरार से मदन रस का बहाव लगातार हो रहा था,,, अंकित को गांड के ऊपर ही सदा पर मालिश करते हुए देखकर अंकित की नानी बोली,,,।

पहले की तरह मालिश कर अंदर तक उंगली लेजा,,,,




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(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित समझ गया कि यह पूरी तरह से रंडी है काश उसकी मां भी इतने खुले विचारों वाली होती तो इतने पापड़ ना बेलने पड़ते,,, फिर भी अपने मन में यह सोचकर अपने मन को तसल्ली देने लगा कि चलो मा नहीं मा की मां ही सही,,,,, अपने मन में ऐसा सोचते हुए वह भी थोड़ा शरारत करने की सोच औरबोला,,,)

अंदर ज्यादा दर्द कर रहा है क्या नानी,,,,।

अरे बहुत दर्द कर रहा है पूछ मत कितने अंदर तक दर्द कर रहा है तू अंदर के दर्द को दूर नहीं कर पाएगा,,,,।

बोलो तो सही में सर दर्द ठीक करने के लिए तैयार हूं मुझ पर भरोसा रखो लेकिन सही-सही बताओ दर्द कहां हो रहा है,,,।
(अंकित अपनी नानी से उसकी ही भाषा में बोल रहा था लेकिन अपनी नानी को बिल्कुल भी एहसास नहीं होने दे रहा था कि वह यह सब जानबूझकर बोल रहा है उसकी नानी को ऐसा ही लग रहा था कि वह नादानी पन में ऐसा बोल रहा है और उसकी बातें सुनकर उसकी नानी मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रही थी उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि आज की रात उसके लिए भी बहुत आनंददायक बीतने वाली है,,, फिर भी वह देखना चाहती थी कि उसका नाती बिना कुछ बोले कितना कुछ कर दिखाता है इसलिए वह बोली,,,)




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अभी तो तू सिर्फ मालिश कर दे फिर देखती हूं कि कितना तू कर सकता है,,,,।

ठीक है नानी,,,(और इतना कहने के साथ वह फिर से अपनी उंगलियों को गांड की दरार के बीच ले जाने लगा जैसे-जैसे उसकी उंगली गांड की तरह के नीचे की तरफ जा रही थी वैसे-वैसे उसकी नानी के बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,,, उसकी हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, गांव में उसने एक औरत थी जिसे वह मालिश करवाती थी लेकिन वह अभी इतना आनंददायक और उसके जनात्मक मालिश एक औरत होने के बावजूद भी नहीं कर पाती थी शायद इसलिए कि वह एक औरत थी और इस समय वह एक मर्द से मालिश करवा रही थी,,,, औरत के बदन पर मर्द की हथेली और उसके स्पर्श का मजा ही कुछ और होता है जो एक औरत ही समझ सकती है,,,, देखते ही देखते अंकित की उंगलियां उसकी नानी की बुर तक पहुंचने लगी थी जिसकी गर्मी उसे अपनी उंगली के पोर पोर में महसूस हो रही थी,,, मुझे गर्मी सीधा उसकी दोनों टांगों के बीच के हथियार पर दस्तक दे रही थी। मालिश करते हुए अपनी नानी की बुर का स्पर्श अंकित को आनंदित कर दे रही थी,,, बेहद अद्भुत और अतुलिनिय एहसास अंकित को महसूस हो रहा था वाकई में इस उम्र में भी उसकी नानी की बुर तरो ताजा दिखाई दे रही थी कि पूछो मत,,,।




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तीन चार बार मालिश करते हुए अंकित अपनी नानी के बुर को स्पर्श किया तो उसकी नानी एकदम से मदहोश होते हुए बोली।।

सससहहह,,,,, कितना मजा आ रहा है तेरी मालिश का कसम से तेरी उंगलियों में जादू है,,,,,आहहहहहहह,,,, बहुत अच्छा लग रहा है ऐसे ही मालिश कर,।

चिंता मत करो नई आज तुम्हारे बदन से दर्द एकदम दूर हो जाएगा,,,(अपनी नानी की बातें सुनकर उत्साहित होता हुआ अंकित बोला)

मैं भी यही चाहती हूं,,,(ऐसा कहते हुए उसकी नानी थोड़ा सा और अपनी जांघों को खोल दी जिससे उसकी नानी की गुलाबी बुर हल्के से खुल गई उसमें से लबालब मदन रस बाहर टपक रहा था जिससे बिस्तर पर बिछी चादर गीली हो रही थी ,,यह देखकर अंकित बोला,,,)

यह क्या नानी तुम्हारी तो सुसु निकल रही है,,,,।

(यह सुनकर उसकी नानी समझ गई कि अंकित किस बारे में बात कर रहा है इसलिए बहुत जोर-जोर से हंसने लगी,,,, और अंकित से बोली)






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तू सच में एकदम बुद्धू है अरे वह सु सु नहीं है तुझे नहीं मालूम ,,, जब औरत को एकदम आराम मिलने लगता है तो ईसी तरह से उसकी बुर से निकलता हैं पानी की तरह,,,।

क्या कह रही हो नानी कितनाअजीब है,,,(अंकित सच में सोच में पड़ गया था क्योंकि उसे सच में नहीं मालूम था कि ऐसा कुछ भी होता है,,, इसलिए अपनी नानी की बात सुनकर वह सोच में पड़ गया था वह तो यही सोच रहा था कि शायद उसकी नानी की बुर से पेशाब टपक रहा था,,,, कुछ देर खामोश रहने के बाद अपनी नानी की टांगों के बीच में देखते हुए वह बोला,,,,)


तो क्या अब आपको आराम मिल रहा है,,,,।

हां सच में बहुत आराम मिल रहा है इतना आराम मिल रहा है कि तू पूछ मत मैं बता नहीं सकती,,,।

तो क्या अभी कुछ देर पहले जो बोल रही थी की गहराई में दर्द होता है क्या उसमें भी आराम मिलने लगा है,,,,।




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नहीं रे उसमें तो अभी भी दर्द हो रहा है बस वही एक दर्द है जो नहीं जा पाता,,,,,,,,,, अच्छा एक बात सुन ,,,क्या तू मेरे पूरे बदन की मालिश कर देगा,,,,।

हां नानी इसमें क्या हुआ मैं तुम्हारे पूरे बदन की मालिश कर दूंगा,,,(अंकित अपने मन में सोच रहा था कि आज उसकी नई उस पर पूरी तरह से कृपा बरसाने वाली है,,, अंकित की बात सुनकर उसकी नानी उत्साहित होते हुए बोली)

तब तु बिल्कुल भी देर मत कर,,,( सरसों के तेल की कटोरी की तरफ देखते हुए) जा जाकर रसोई घर से थोड़ा सरसों का तेल और लेकर आना ,, सरसों का ,,, तेल खत्म हो गया है,,,,

जी नानी,,, अभी लेकर आया,,,(ईतना कहते हुए अंकीत बिस्तर पर से नीचे उतर गया,,, और सीधा दरवाजे तक पहुंच गया और जैसे ही दरवाजा खोल वैसे उसकी नानी पीछे से आवाज लगाते हुए बोली,,,,)



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बिल्कुल भी आवाज मत करना कहीं कोई जग ना जाए एकदम संभाल कर जाना,,,,


जी नानी चिंता मत करो मैं एकदम संभाल कर जाऊंगा,,,,( अंकित अपनी नानी के कहने का मतलब खुल जाएगी तो हो सकता है कार्यक्रम को रद्द करना पड़ जाए और उसकी नानी नहीं चाहती थी कि इस कार्यक्रम को आधे पर रोकना पड़ जाए वह अपनी नानी की बातें सुनकर एकदम प्रसन्न था और जल्दी से रसोई घर की तरफ चल दिया,,, थोड़ी देर में वह कटोरी में सरसों का तेल लेकर अपने कमरे में प्रवेश करने लगा और जैसे ही कमरे में प्रवेश करने लगा उसकी नजर सामने बिस्तर पर पड़ी और सामने बिस्तर पर नजर पडते ही उसके होश उड़ गए,,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,, उसने कभी सोचा नहीं था कि उसे अपने कमरे में अपने बिस्तर पर इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा,,,,, उसकी जगह कोई और होता तो शायद उसकी भी यही हालत होती,,,,,।





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सामने बिस्तर पर उसके गाने बिना कपड़ों से एकदम नंगी पेट केवल लेटी हुई थी उसके सरसों के तेल लेने जाने में वह इस बीच में अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई थी,,,, और अपनी नंगी नानी को अंकित फटी आंखों से देख रहा था अनुभव से भरी हुई उसकी नई मर्द को अपनी मुट्ठी में करने का हुनर अच्छी तरह से जानती थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि इस समय अंकित की हालत क्या हो रही होगी उसे नंगी देखकर वह मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देख रही थी,,,, अंकित को तो अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था ट्यूबलाइट की रोशनी में उसकी बड़ी-बड़ी उभारदार गांड और ज्यादा चमक रही थी जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और उसके पेंट में उसका तंबू पूरे उफान पर था,,, जिस पर उसकी नानी की नजर बराबर जा रही थी और उसके पेंट में बना तंबू देख कर वह भी मदहोश हुए जा रही थी,,, उसकी नानी उसके पेंट में बने तंबु पर जानबूझकर उसका ध्यान नहीं ले जाना चाहती थी उसे किसी भी तरह से लज्जित नहीं करना चाहती थी लेकिन समय आने पर उसके पेंट में बने तंबू का पूरा उपभोग करने के लिए वह भी काफी उत्सुक थी वह मुस्कुराते हुए अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)



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क्या हुआ ऐसे क्यों देख रहा है,,,,?

नई तुम तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई हो,,,,(अपनी नानी के विषय में देख कर अंकित को थोड़ा हिम्मत दिखाते हुए नंगी शब्द का प्रयोग करते हुए बोला)

तो क्या हुआ पूरे बदन में मालिश करवाने के लिए कपड़े उतारना भी तो जरूरी था क्या बिना कपड़े उतारे थे तो मालिश कर देता,,।

नहीं ऐसा तो नहीं हो पाता लेकिन मेरे सामने तुम सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,,,(फटी आंखों से अपनी नानी की नंगी गांड की तरफ देखते हुए बोला)

तो इसमें क्या हो गया और वैसे भी तो तू मेरी बुर देख चुका है,,,, मैं तुझे मालूम नहीं की औरत गैर मर्दों से अपनी बुर छुपा कर ही रखती है कपड़ों के अंदर रखती है उसे दिखाती नहीं है,,,, लेकिन तूने तो मेरी बुर देख लिया है इसलिए अब तुझसे शर्म कैसी,,,,।


क्या मैं गैर मर्द नहीं हूं मैं भी तो गैर मर्द हूं,,,,।

अरे बुद्धु तु गैर मर्द कहां से हुआ तू तो मेरा नाती है,,,। अच्छा सब छोड़ दरवाजा खुला है उससे पहले बंद कर दे और जल्दी से आकर मालिश कर,,,।





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अपनी नानी की बातें सुनकर अंकित को भी इस बात का एहसास हुआ कि दरवाजा खुला है इसलिए वह तुरंत एक हाथ से दरवाजा बंद किया और उसकी कड़ी लगाकर अपने बिस्तर के करीब आ गया,,, अंकित की हालत पाल-पाल खराब होती जा रही थी उसके भजन में उत्तेजना का रस किसी नशे की तरह खेल रहा था वह अपने नानी की जवानी की मदहोशी में पूरी तरह से डूबता चला जा रहा था,,,, अंकित को मालूम था कि अह क्या करना है वह जल्दी से बिस्तर के ऊपर चढ़ गया और सरसों के तेल की धार अपनी नानी की मखमली चिकनी पीठ और उसके नितंबों के उभार पर गिराने लगा और कटोरी को एक तरफ रखकर मालिश करना शुरू कर दिया,,, अंकित अपने आप को बेहद खुश नसीब समझ रहा था और वाकई में वह खुशनसीब था अभी क्योंकि उम्र के जिस दौर पर वह गुजर रहा था एेसे में उसकी उम्र के लड़के केवल खूबसूरत लड़की हो और औरतों की कल्पना करके अपनी जवानी के गर्मी को शांत करते थे लेकिन उसके बिस्तर पर तो उसकी उम्र में भी जवानी से भरी हुई थी वह पूरी तरह से नंगी होकर उससे मालिश करवा रही थी ।




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अपनी नानी के बेशर्मी देख कर अंकित की भी हिम्मत खुलने लगी थी और वह अपनी नानी की बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हथेलियां में लेकर उसकी मालिश नहीं बल्कि उसे दबोच रहा था मसल रहा था रगड़ रहा था ऐसा करने में उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी वाकई में एक जवान लड़के के लिए इससे बड़ी बात क्या हो सकती है कि उसके हाथों में एक मदमस्त जवानी से भारी औरत की नंगी गांड हो,,,, अंकित की सांस ऊपर नीचे हो रही थी वह बार-बार अपने पेंट में बने तंबू को अपने हाथ से व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था,, वैसे तो उसका मन कर रहा था किसी समय अपने लंड को बाहर निकाल कर अपने लंड को अपनी नानी की गांड पर जोर-जोर से रगड़ना शुरू कर दे लेकिन ऐसा करना अंकित के लिए उचित नहीं था ऐसा हुआ समझना था अगर वह कहीं नहीं वह अपनी हिम्मत को आगे बढ़कर इसकी क्रिया को कर देता तो शायद उसकी नानी बिल्कुल भी इनकार नहीं करती बल्कि उसे अपने हाथ से पकड़ कर अपनी गुलाबी छेद में डलवा लेती,,,,,,।








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अंकित की नानी को भी इस तरह से मालिश करवाने में मजा आ रहा था अंकित की नानी को भी इस बात का एहसास हो रहा था कि उसका नाती उसकी मालिश नहीं कर रहा है बल्कि उसके बदन से खेल रहा है,,,,,, कुछ देर तक आपकी इसी तरह से अपनी नानी की गांड क्यों परेशान था पर मालिश करता रहा शायद इतने में उसे आनंद की अनुपाती हो रही थी उसे मजा आ रहा था लेकिन अंकित की नानी कुछ और चाहती थी इसलिए उसे याद दिलाते हुए बोली,,,,)




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जैसे पहले कर रहा था वैसे कर अंदर तक उंगलियां ले जा,,,,(और ऐसा कहने के साथ ही लड़की की रानी पहले की तरह अपनी दोनों जनों को खोल दी जिससे उसका गुलाबी छेद एक बार फिर से नजर आने लगा जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आने लगा और वह पहले की तरह अपनी उंगलियों को अंदर की तरफ ले जाते हुए उसकी मालिश करने लगा और देखते ही देखते अपनी उंगलियों का स्पर्श अपनी नानी के गुलाबी बुर की पत्तियों पर करने लगा जिससे अंकित की नानी की हालत खराब होने लगी वह मदहोशी के आलम में डूबने लगी,,,, अंकित की हिम्मत बढ़ रही थी क्योंकि उसकी नानी इस समय बिल्कुल भी दिशा निर्देश नहीं दे रही थी वह इस पल का मजा ले रही थी और अंकित अपनी उंगलियों को हल्के हल्के अपनी नानी की बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ना शुरू कर दिया था ऐसा करने से जो आनंद की प्राप्ति उसे हो रही थी वह शायद वह बयान नहीं कर पाता वह पागल हुआ जा रहा था उसके लंड की अकड़ बढ़ रही थी उसकी उतेजना बढ रही थी,,,,। और अपनी नानी की बुर में से निकल रहा है मदन रस की बूंद को देखकर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,, वह उस पर होठ लगाकर उसके मदन रस को चाटना चाहता था जैसा कि वह अपनी मां की गहरी नींद का फायदा उठाते हुए उसके गुलाबी बुर पर अपने होठ रखकर उसके मदन रस का पान किया था,,,,, बाहर के हल्के गुलाबी पत्तियों पर उंगली रगड़ते हुए अपनी नानी से बोला,,,)




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अब कैसा लग रहा है नानी अब तो आराम है ना,,,,

आराम तो होने लगा है लेकिन अंदर का दर्द अभी भी कायम है वह नहीं जाता,,,,।

लेकिन वह कैसे जाता है नानी,,,,,(अंदर के दर्द के मतलब को अंकित अच्छी तरह समझ रहा था,, इतने महीनों से अपनी मां के पीछे यूं ही पापड़ नहीं बेला था,,, वह औरतों के इशारे को अच्छी तरह से समझने लगा था उसे अब यह भी समझ में आने लगा था कि उसकी मां का उसके सामने नग्न अवस्था में अर्धनग्न अवस्था में उसे अपनी तरफ आकर्षित करना आगे बढ़ने का इशारा था लेकिन वह सारे को अच्छी तरह से समझ नहीं पाता था लेकिन वह अब सबकुछ समझने लगा था,,,, इसका ताजा उदाहरण थी राहुल की मां उसके इशारे को अंकित अच्छी तरह से समझ गया था और हिम्मत दिखा कर उसकी दोनों टांगों के बीच अपने होठों को रखकर उसके बुर का रसपान किया था,,,। इस समय उसे लगने लगा था की हिम्मत दिखाने की जरूरत है और फिर उसे भी जीत हासिल हो जाएगी इसलिए वह अपनी नानी से इस तरह का सवाल पूछ रहा था अंकित का सवाल सुनकर उसकी नानी मुस्कुराते हुए बोली,,,)





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क्या सच में तू मेरा दर्द दूर करना चाहता है,,,।

हां नानी बिल्कुल,,, मैं आज पूरी तरह से तुम्हारा दर्द दूर कर देना चाहता हूं इसी बहाने मुझे तुम्हारा सेवा करने का मौका तो मिला,,,।

तू तो बहुत अच्छा है रे,,, मेरे बारे में इतना तो सोचता है लेकिन,,,,(इतना कहकर वह खामोश हो गई तो उसकी ख़ामोशी देखकर अंकित उसकी गांड की मालिश करते हुए और अपनी उंगलियों को उसकी बुर तक पहुंचाते हुए बोला)


लेकिन क्या नानी,,,,?

क्या तू सच में मेरा दर्द दूर कर पाएगा,,,,।

हां बिल्कुल तुम बताओ तो सही दर्द कहां हो रहा है,,,,

अच्छा रुक मैं तुझे बताती हूं कि दर्द कहां हो रहा है,,,,,(इतना कहते हैं उसके गाने एकदम से फुर्ती दिखाते हुए करवट लेकर पीठ के बल लेट गई,,,, और इस अवस्था में देख कर तो अंकित की आंखें फटी के फटी रह गई उसकी हालत और ज्यादा खराब होने लगी क्योंकि इस समय उसकी नानी के खूबसूरत बदन के खूबसूरत अंग उसे खुले तौर पर दिखाई दे रहे थे,,,, अपनी नानी की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर उसके मुंह में पानी आ रहा था अभी तक अंकित का ध्यान अपनी नानी की चूची पर बिल्कुल भी नहीं गया था लेकिन इस समय अपनी नानी की नंगी चूची देखकर उसकी बोलती है तुमसे बंद हो गई थी और वह अपनी नानी से च कोई देख रहा था जो कि इस समय पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी छाती पर लहरा रही थी।





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अंकित कि नानी समय-समय पर अपनी जवानी का गोला अंकित के ऊपर दाग रही थी जिससे वह एकदम से ध्वस्त होता चला जा रहा था,,,, अंकित की रानी मां ही मन मुस्कुरा रही थी और अपनी दोनों टांगों को हल्के से खोलकर अपनी गुलाबी बुर को अच्छी तरह से अपने नाती की आंखों के सामने करते हुए बोली,,,,।

इसके अंदर दर्द हो रहा है क्या तू इसके अंदर का दर्द है मीटा पाएगा,,,,।

(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित अपनी नानी की तरफ देखा और फिर अपनी नजरों को अपनी नानी की गुलाबी बुर की तरफ करते हुए बोला,,,)

इसके अंदर,,,(उंगली से अपनी नानी की बुर की तरफ इशारा करते हुए बोला)

हां इसके अंदर दर्द हो रहा है खुजली हो रही है क्या तू दूर कर पाएगा,,,,,,।


बिल्कुल नानी,,,(गहरी सांस लेते हुए) लेकिन इसके अंदर हाथ कैसे जाएगा यह तो बहुत छोटा सा छेद है,,,,(अंकित अपनी नानी की बातों को उसकी इशारों को अच्छी तरह से समझ रहा था और समझ गया था कि उसकी नानी इसके अंदर लंड डालने की बात कर रही है लेकिन अपने मुंह से कह नहीं पा रही है और अंकित जानबूझकर नादान बनने की कोशिश कर रहा था उसकी बातें सुनकर उसकी नानी मुस्कुराते हुए बोली)

भले ही है छोटा सा छेद है लेकिन इसमें बहुत मोटा मोटा और लंबा-लंबा चीज चला जाता है,,,।






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क्या बात कर रही हो नानी ऐसा कैसे हो सकता है,,,,(अंकित जानबूझकर हैरान होने का नाटक करते हुए बोला,,,)

बिल्कुल ऐसा ही होता है लेकिन तू अभी नहीं समझ पाएगा क्योंकि तू इन सब चीजों से अभी गुजरा नहीं है,,,,,, इसलिए तू सिर्फ इसके अंदर अपनी उंगली डालकर उसे गोल-गोल घूमाकर मालिश कर दे,,,, अपनी उंगली को सरसों के तेल में डूबा कर मालिश करना,,,।

ठीक है नानी,,,,,(इतना कहकर अंकित अपनी नानी के दिशा निर्देश पर आगे बढ़ना चाहता था लेकिन तभी उसकी नानी कुछ और चाहती थी वह अपनी जवानी का जलवा पूरी तरह से अंकित के मन पर अंकित कर देना चाहती थी इसलिए अपने दोनों हाथों से अपनी चूची पकड़ कर वह उसे हल्के से दबाते हुए बोली)


अच्छा पहले मेरी चूचियों की मालिश कर दे,,,,।
(इतना सुनकर अंकित एक तक अपनी नानी की चूचियों की तरफ देखने लगा,,,
बहुत ही कामुक गरमागरम और लाज़वाब अपडेट है नानी ने तो अपना जलवा शुरू कर दिया है
 

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अंकित की नानी बिस्तर पर सीधी घूम गई थी और उसके इस तरह से घूमने पर इसका बेहतरीन खूबसूरत तराशा हुआ जिसमें के साथ-साथ उसका खूबसूरत और आकर्षक अंग एकदम से अंकित की आंखों के सामने नजर आने लगा था। यह देखकर अंकित की तो सिट्टी पट्टी गुम हो गई,,, अभी तक वेक बस अपनी नानी के भारी भरकम ने संभोग को देखा था और उसकी गुलाबी छेद की हल्की झलक भर लिया था लेकिन इस तरह से पीठ के बल लेटने की वजह से उसकी नानी का सब कुछ अंकित को दिखाई दे रहा था अंकित के मुंह में पानी आ रहा था वाकई में इस उम्र में भी उसकी नानी का बदन बेहद आकर्षक और भरा हुआ था यही अंकित के लिए बेहद आश्चर्य की बात थी,,,।





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अंकित की नई एक बार फिर से अंकित के ऊपर अपनी जवानी का गोला दाग दी थी वैसे तो,,, उसकी नानी चाहती तो इसी समय अपनी बुर में उसकी उंगली डलवा देता लेकिन वह जानती थी कि उसकी कई बार अंकित बिल्कुल भी टाल नहीं पाएगा,,, इसलिए अपनी युक्ति को कुछ क्षण के लिए वह रोक दी थी क्योंकि अभी बहुत कुछ बाकी था वह अंकित को पूरी तरह से अपनी जवानी का गुलाम बना देना चाहती थी इसीलिए वह अपने बदन के बाकी हिस्सों में तेल की मालिश करवाना चाहती थी,,,,, अंकित फिर से फटी आंखों से अपनी नानी के संपूर्ण मदहोश कर देने वाले बदन को प्यासी नजरों से देख रहा था,,,, अपनी मां की नंगी चूचियों को वह देख चुका था इसलिए अपनी मां की और अपनी नानी की चुचियों में उसे तुलनात्मक स्थिति में बिल्कुल भी अलग नजर नहीं आ रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी नानी के नहीं बल्कि अपनी मां की चूचियों को देख रहा था दोनों के बदन में कोई खास फर्क नहीं था,,, सिर्फ नितंबों के घेराव में ही हल्का सा फर्क नजर आ रहा था अंकित को इस तरह से अपनी चूची और अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को देखता हुआ पाकर उसकी नानी मुस्कुराते हुए बोली,,।




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क्या हुआ आप क्या देख रहा है अभी भी कोई कमी रह गई है क्या इतना तो देखा है फिर भी तेरा मन नहीं भर रहा है,,,,।

क्या करूं नानी कुछ समझ में नहीं आ रहा है पहली बार किसी नंगी औरत को देख रहा हूं क्या सच में सभी औरतें ऐसे ही दिखाई देती है तुम्हारी तरह,,।(अंकित मदहोश होता हुआ अपना नादानी पन जानबूझकर दिखाते हुए बोला,,,)

हां सब औरतें नंगी होने के बाद मेरी तरह ही दिखती है बस पर कितना होता है कि अंगों का उभार चढ़ाव कटाव अलग-अलग होता है,,।

मैं कुछ समझ नहीं,,,।

धीरे-धीरे सब समझ जाएगा बस अब तू जल्दी से मालिश करना शुरू कर दे और हां इस बारे में किसी को कुछ भी मत बताना वह तो तू मेरा नाती है इसलिए तेरे सामने बिना कपड़ों के लेती हूं कोई और होता तो ऐसी हरकत में बिल्कुल भी नहीं करती लेकिन फिर भी यह बात बताने वाली नहीं है,,,, समझ गया ना,,,।






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समझ गया नानी,,,,(और इतना कहने के साथ ही एक बार फिर से वह तेल की कटोरी को अपने हाथ में ले लिया और उसकी धार को सीधा अपनी नानी की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियो पर गिराने लगा,,,, यह देखकर और तेल की धार को अपनी चूची पर महसूस करके उसकी नानी मदहोश होते हुए बोली,,,)

मुझे यकीन नहीं हो रहा है कितना हट्टा कट्टा जवान लड़का पहली बार किसी नंगी औरत को देख रहा है मैं तो समझी थी कि तू इस तरह का नजारा बहुत बार देख चुका होगा,,,।

नहीं नानी सच में मैं पहली बार देख रहा हूं तभी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,(तेल की कटोरी को एक तरफ रखते हुए अंकित बोला,,,)

इसलिए तो कह रही हूं शादी कर ले,,,, एक बार शादी हो गई तो रोज इसी तरह का नजारा देखने को मिलेगा,,,,।

सच नानी,,,,।

तो क्या,,,? तुझे भी अच्छा लग रहा है ना इस हालत में मुझे देखने में,,.

सच कहूं तो बहुत अच्छा लग रहा है नजर हटाने का मन नहीं कर रहा है,,,,,(ऐसा कहते हुए अंकित एक साथ अपने दोनों हथेलियां को अपनी नानी की दोनों चूचियों पर रख दिया वाकई चूचियों को पकड़ने में उसे पर हाथ रखने में इतना अत्यधिक आनंद की प्राप्ति होती है यह बता पाना अंकित के लिए मुश्किल हुआ जा रहा था पहली बार वह अपनी मां की चूचियों पर हाथ रखकर उसे हल्के से दबाने की कोशिश किया था तब उसके बाद में अद्भुत उत्तेजना का संचार हुआ था वह तो पल भर के लिए ही था लेकिन यहां तो उसे पर मालिश करना था और एकदम नंगी चूचियों पर वाकई में यहां पर अंकित के लिए अद्भुत और अतुलनीय था जिसे भूल पाना बहुत मुश्किल था अंकित अपनी नानी की दोनों चीजों को अपनी दोनों हथेलियां में ले लिया था मानों जैसे जंगली कबूतर उसके हाथ लग गए हो,,,, और उसकी हथेली में फड़फड़ा रहे हो आजाद होने के लिए,,, लेकिन अंकित इस जंगली कबूतर को अपनी हथेली से आजाद होने नहीं देना चाहता था,,,।




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अंकित मालिश के बहाने अपनी नानी की चूचियों को जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया वाकई में चुचीया इतना नरम नरम होती है इसका एहसास बहुत कम बार ही उसे हुआ था यह एहसास सुषमा आंटी की लड़की सुमन ने भी उसे अच्छी तरह से कर चुकी थी लेकिन आज की बात कुछ और थी सुमन की तो चुचीया नारंगी जैसी थी लेकिन उसकी नानी की चीटियां खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी थी जो की ठीक तरह से उसकी हथेली में भी नहीं आ रही थी,,,, देखते ही देखते अंकित अपनी नानी की चूची को दबा दबाकर टमाटर की तरह लाल कर दिया था जिसका एहसास उसकी नानी को भी हो रहा था और उसकी नानी अपनी नजर को नीचे करके अपनी चूचियों की तरफ देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी उसे इस तरह से अपने नाती के द्वारा अपनी चुचीयों का दबाना मसलना बहुत अच्छा लग रहा था और उसकी उत्तेजना को भी बढ़ा रहा था,,,,, रह रहकर अंकित की नानी के मुंह से सिसकारी की आवाज निकल जा रही थी जिस पर अब उसका बिल्कुल भी काबू नहीं था,,,,,। अंकित अच्छी तरह से जानता था कि औरत के मुंह से इस तरह की आवाज कब निकलती है इसलिए वह भी अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था।




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कुछ देर तक दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी अंकित पूरा ध्यान अपनी नानी की चूचियों पर लगाया हुआ था उसे चूची दबाने में उसे मसलने में और उसकी मालिश करने में इतना मजा आ रहा था कि पूछो मत,,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे आज अंकित दबा दबा कर अपनी नानी की चूची से सारा दूध बाहर निकाल देगा,,,,, अंकित की हरकतों का असर उसकी नानी की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में बहुत अच्छी तरह से हो रही थी बार-बार उसमें से मदन रस टपक रहा था जिससे पलंग पर बिछी चादर गीली लिए होती चली जा रही थी,,,, अंकित की हरकतें उसकी नानी के लिए असहनीय होती जा रही थी वैसे तो उसकी नानी अनुभव से भरी हुई थी और खेली खाई थी अपनी उत्तेजना पर काबू करना हुआ अच्छी तरह से जानते थे लेकिन काफी देर से हो अंकित के हाथ की कठपुतली बन चुकी थी उसके मर्दाना हथेलियां में जो जोश और दम था उसे अपने बदन पर महसूस करके उसका पानी छूट जा रहा था। अंकित की नानी से अब बिल्कुल भी सहन नहीं हो रहा था उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,, इसलिए वह बोली।




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लगता है तुझे मेरी चूची दबाने में मजा आ रहा है,,,,,।
(अपनी नानी की यह बात सुनकर अंकित एकदम से झेप गया और घबराहट भरे स्वर में बोला,,,,)

नननन,,, नहीं नानी ऐसी कोई बात नहीं बस में मालिश कर रहा था,,,।

मालिश नहीं कर रहा था तो जोर-जोर से लग रहा था मैं मर्दों की हरकत से अच्छी तरह से बाकी अच्छी तरह से जानती हूं कि तुझे दबाने में मजा आ रहा था सच सच बताना अब मुझसे झूठ बोलने की कोशिश बिल्कुल मत करना,,,, तुझे मेरी चूची दबाने मजा आ रहा था ना,,,।

(अंकित भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी नानी क्या चाहती है इसलिए घबराने की उसे बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी लेकिन फिर भी वह घबराने का सिर्फ नाटक कर रहा था और अपनी नानी के बाद सुनकर वह अपने मुंह से झूठ नहीं बोलना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि जिस तरह का माहौल चल रहा है जिस तरह की हरकत से वह दोनों गुजर रहे हैं आगे क्या होने वाला है इसलिए वह बोला)





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पता नहीं क्यों नहीं लेकिन मालिश करते-करते ना जाने कि मुझे अच्छा लगने लगा,,,,,।

(अंकित की बात सुनकर उसकी नानी मादक मुस्कान बिखेरने लगी,,, और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

इसमें तेरी कोई गलती नहीं है इस तरह की हरकत करने पर मर्द को मजा मिलता ही है,,,,, चल अब चूचियों को छोड़ नीचे की तरफ जा,,,,।

ठीक है नानी,,,,(इतना कहकर वह चूचियों के नीचे की तरफ ध्यान केंद्रित करने लगा और अपनी चूचियो की तरफ देखकर उसकी नानी बोली,,,)

दबा दबा कर एकदम टमाटर की तरह लाल कर दिया हरामी,,,,, इस तरह से अपनी औरत की दबाना उसे बहुत मजा आएगा,,,,।

तो क्या नानी तुम्हें भी मजा आया,,,,।

अरे बुद्धु इस तरह से दबाएगा तो मैं क्या किसी भी औरत को मजा आ जाएगा (बुर की तरफ उंगली से ईसारा करते हुए) देख रहा है कितना पानी निकल रहा है जब औरत को मजा आता है तब इसी तरह से इस जगह से पानी निकलता है देख कितना सारा निकला है पूरी चादर गीली हो गई है..,




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इसका मतलब नानी तुम्हें बहुत मजा आया,,,,।

बहुत,,,,,,,, तेरे हाथों में जादू है अब देखती हूं कि तेरी उंगलियों में कितना जादू है,,,,।

उंगलियों में में कुछ समझा नहीं,,,,।(सब कुछ जानते हुए भी नादान बनने की कोशिश करते हुए अंकित बोला,,,)


अरे अभी तो कुछ देर पहले समझाई थी कि मेरी बुर के अंदर दर्द होता है तुझे उंगली डालकर उसकी मालिश करनी होगी,,,।

ओहहहहह ,,,हां,,,, याद आया नानी मैं तो भूल ही गया था,,,,,।

चल अब जल्दी कर दर्द मुझसे सहन नहीं हो रहा है,,,,।


ठीक है नानी अभी डाल देता हूं ऊंगली,,,,।
(अंकित की बात सुनकर उसकी नानी अपने मन में ही कहने लगी,,, बस थोड़ी देर और तो उसमें उंगली की जगह अपना लंड डालेगा,,,,.

अंकित अपनी उंगली को अपनी नानी की बुर की तरफ ले जाने लगा तो उसकी नानी उसे रोकते हुए बोली,,,,।




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अरे पहले सरसों का तेल तो लगा ले उस पर,,,।

ओहहह मैं तो भूल ही गया,,(अंकित अपने मन में बहुत खुश हो रहा था उसे लगने लगा था कि आज उसकी मन की मूराद पूरी होने वाली है ,,,, अंकित अपने मन में सोच रहा था कि उसकी मां तो उसके मन की मुराद को पूरी करने से रही लेकिन उसकी मुराद उसकी नानी जरूर पूरी कर देगी पहली रात में ही इतना बड़ा तोहफा जो उसे सौंप दी थी अंकित प्यासी नजरों से अपनी नानी की बुर को देख रहा था जो की उत्तेजना के मारे कचोरी की तरह फुल गई थी,,, जिसमें से उसका मदन रस टपक रहा था,,,, अब अंकित बिल्कुल भी तेरी नहीं करना चाहता था वह तुरंत सरसों की कटोरी में अपनी उंगली को डूबोने लगा उसे गीला करने लगा,,,, उसका दिल जोरो से धड़क रहा था क्योंकि वह जानता था कि जो क्रिया अब वह करने जा रहा है वह वाकई में अद्भुत और उत्तेजना से भरी हुई थी,,,, इस तरह कि वह केवल सिर्फ कल्पना ही करता था लेकिन आज उसे हकीकत करने को मिलने वाला था बुर के इतने करीब और रूबरू वह पहली बार हो रहा था आज जी भर कर उसे स्पर्श करने का छूने का मौका जो उसे मिल रहा था,,,




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पेंट में लंड कि अकड पूरी तरह से अंकित को मदहोश बना रही थी मन तो उसका कर रहा था कि अपनी नानी की आंखों के सामने अपने लंड को बाहर निकाल ले लेकिन वह अभी पूरी तरह से अपनी नानी से खुला नहीं था क्योंकि वह अपनी नानी के सामने एक नादान लड़का था,,,, अपनी नानी की बात मानकर वह अपनी उंगली को सरसों का तेल में डुबोकर अपनी नानी की बुर पर हल्के से रख दिया,,,,,, ऐसा करने पर उसके बदन में उत्तेजना की झनझनाहट होने लगी उसके बदन में कंपन होने लगा वह अपनी नानी की जवानी के तरंगों पर जो अपना हाथ रख दिया था उसकी नानी भी एकदम मदहोश हो चुकी थी,,,,, वह भी कभी सोची नहीं थी कि अपनी बेटी के घर आने पर उसे इस तरह का कार्य करना होगा इस तरह का सुख प्राप्त करना होगा और वह भी अपने ही नाती के द्वारा।

ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था कमरे में पूरी तरह से रोशनी फैली हुई थी और यह रोशनी कमरे में लाजमी भी थी बिना रोशनी के इतना खूबसूरत दृश्य अनदेखा सा हो जाता और इस बात के लिए अंकित अपनी नानी को धन्यवाद दे रहा था कि उसकी नानी ने अच्छा हुआ ट्यूबलाइट बंद करने के लिए नहीं बोली थी वरना वह इतना खूबसूरत नजारा अपनी आंखों से देखा नहीं पता इतनी खूबसूरत हमको कोई इतने करीब से महसूस नहीं कर पता ना उन्हें देख पाता अंकित को इस बात का एहसास होने लगा था कि इस तरह का मजा रात के अंधेरे में तो जरूर आता है लेकिन ट्यूबलाइट की रोशनी में इसका मजा दुगना हो जाता है।




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अंकित की सांस ऊपर नीचे हो रही थी वह अपनी उंगली को अपनी नानी की बुर के ऊपरी सतह पर रखकर गोल-गोल घूम रहा था जिससे उसकी नानी की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी उसकी नानी के चेहरे का रंग उड़ता चला जा रहा था,,, अंकित की हरकतों से उसकी नानी के चेहरे का हाव-भाव पल-पल बदल रहा था उसकी सांसे गहरी चल रही थी जिसकी वजह से उसकी खरबूजे जैसी चूचियां उसकी छाती पर पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा रही थी जिस पर रह-रेकर अंकित की नजर चली जा रही थी वैसे तो अपनी नानी की बलखाती चूचियों को देखकर उसका मन उसे फिर से लपकने को कर रहा था लेकिन जी भर कर उससे से वह अभी-अभी खेल चुका था और अब उसका पूरा ध्यान और उसकी उंगली उसकी नानी की जवानी की केंद्रीय बिंदु पर था और इस समय उसकी जवानी के केंद्रीय बिंदु पर से अपने नजर हटाने का मतलब था की पूरी तरह से बेवकूफी दिखाना और इस तरह की बेवकूफी अंकित दिखाना नहीं चाहता था।







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वह जानता था कि उसकी हरकत की वजह से उसकी नानी पागल हुई जा रही थी लेकिन वह अपनी हरकत को जारी रखा था वह भी एक औरत की तड़प को अच्छी तरह से समझने लगा था वह अपनी मां को देखकर और राहुल की मां को देखकर अच्छी तरह से समझता था कि एक औरत की तड़प क्या होती है,,,,, और फिर धीरे से वहां अपनी उंगली को अपनी नानी के गुलाबी छेद पर रखकर उसे हल्के हल्के सेहलाना शुरू कर दिया उसकी गुलाबी पत्तियां बार-बार पानी से भीग जा रही थी,,, और अंकित की इस हरकत की वजह से उसकी जाने की हालत खराब होती चली जा रही थी उसे अपनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,,, इसलिए वह अंकित से बोली।


सहहहह आहहहहहहह,,,,,ऐसै क्यों कर रहा है रे मुझे तड़पा रहा है ना,,,।

दही बनाने ऐसा कुछ भी नहीं है मैं तो मालिश कर रहा हूं,,,,।

मैं ऊपर मालिश करने के लिए नहीं बोली थी,,अंदर उंगली डालकर मालिश करने के लिए बोली थी,,,,।

जानता हूं नानी लेकिन मैं सोच रहा था क्या सच में ईसमे मेरी उंगली चली जाएगी,,,।

अरे बेवकूफ इसमें तेरी उंगली क्या तेरा लंड चला जाएगा,,,।

(उत्सुकता और उत्तेजना में अंकित की नानी के मन की बात उसके होठों पर आ गई थी और इस बात को सुनकर अंकित पूरी तरह से सन्न रह गया था वह एक टक अपनी नानी की तरफ देखता रह गया था,,,,, और उसकी बातें उसे भी बेहद उत्तेजित कर गई थी जिसके चलते हुए अपनी नानी की तरफ देखते हैं अपनी उंगली को अपनी नानी की बुर में धीरे-धीरे प्रवेश करना शुरू कर दिया था ऐसा करने में उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी इस कार्य को वह राहुल की मां के साथ कर चुका था वह जानता था कि यह कार्य कैसे करना है लेकिन उसकी नानी की बातों ने जो उसके बाद में उत्तेजना का तूफान जगाया था वह बेहद अद्भुत था मन तो उसका कर रहा था कि वाकई में उसकी नानी की बात को इसी समय सच कर दे लेकिन ऐसा करने से उसकी नानी समझ जाएगी की वह उसके सामने जानबूझकर नादान बनने की कोशिश कर रहा है वह सब कुछ जानता है इसलिए वह धीरे-धीरे अपनी पूरी उंगली को अपनी नानी की बुर में उतार दिया था और उसे हल्के हल्के गोल-गोल घूमना शुरू कर दिया था उसकी हरकत से उसकी नानी के बदन में मदहोशी का रस घुलने लगा,,, वह मदहोश होने लगी उसका बदन कसमसाने लगा,,,,




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हालात पूरी तरह से बेकाबू पता चला जा रहा था अंकित को अच्छी तरह से अपनी नानी की बुर के अंदर की गर्मी महसूस हो रही थी अंदर का तापमान पूरी तरह से पिघला देने वाला था उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि इतनी गरम तो राहुल की मां की बुर भी नहीं थी जितनी गर्म उसकी नानी की बुर है,,,, अंकित के लिए पीछे हटना नामुमकिन था वह अपनी नानी की मोटी जांघ पर हाथ रखकर अपनी उंगली को गोल-गोल घूमा रहा था,,,, मदहोशी के चलते उसकी बुर से मदन रस बार-बार बाहर निकल रहा था जिसे अंकित का चाटने का मन कर रहा था,,,, अंकित की हरकत की वजह से अंकित की नानी के मुंह से गरमा गरम शिसकारी की आवाज पूरी तरह से बेकाबू होकर निकलने लगी,,,,,।

सहहहहह आहहहहहह,,,,,,ऊमममममममम,,,,,ओहहहहहबबब ,,, अंकित,,,,,आहहहहहहहबह,,, बहुत अच्छा लग रहा है रे,,,,आहहहहहहहबह,,,,,ऊममममममम तेरी उंगलियों में तो जादू है,,,,उफफफ,,,,,ऊममममममम,,,,(मदहोशी में इस तरह किसी शिसकारी की आवाज निकालते हुए अंकित की नई की आंखें मुंदने लगी वह पूरी तरह से उत्तेजित होने लगी,,, अपनी नानी के मुंह से इस तरह की आवाज सुनकर अंकित की भी हालत खराब होती जा रही थी उसकी उंगलियां जोर-जोर से बुर की गहराई नाप रही थी,,, कचोरी जैसी फूली हुई बुर देखकर उस पर अपने होंठ रखकर उसका रस चाटने का अंकित का मन कर रहा था,,,, लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को संभाला हुआ था पेंट में बना तंबू सब कुछ फाड़ कर बाहर आने पर उतारू था,,,,। अंकित जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर और गोल-गोल घूमाते हुए बोला,,,,,)




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तुम्हारी बुर तो अंदर से बहुत गर्म है नानी,,,,,,।


ओहहहहह मेरे बेटे बुर अंदर से गर्म ही होती है,,,,।

सच में नानी,,,।


हां,,,रे,,,,,,।

लेकिन पानी भी बहुत छोड़ रही है,,,,।

बोली थी ना जितना मजा ज्यादा आएगा उतना ज्यादा पानी निकलेगा,,,,।

क्या सच में तुम्हें ज्यादा मजा आ रहा है,,,,।

पूछ मत तुझे भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा होगा,,,,।

आ तो रहा है लेकिन,, ज्यादा आ रहा है कि कम यह कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,।


मैं जानती हूं तुझे भी बहुत मजा आ रहा है,,,(धीरे से अपनी आंखों को खोलते हुए वह बोली. और अपनी नानी की बात सुनकर उसकी तरह देखते हुए बोला)




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तुम्हें कैसे मालूम नहीं कि मुझे ज्यादा मजा आ रहा है या काम मजा आ रहा है,,,,( उसी तरह से अपनी नानी की आंखों के सामने अपनी उंगली को उसकी बुर में अंदर बाहर करती है बोला,,,,)

मुझे कैसे मालूम,,,,(इतना कहकर वहां धीरे से अपनी गर्दन को सीधी करके ऊपर उठने की कोशिश करने लगी और सीधा अपना हाथ आगे बढ़ाकर अंकित के पेंट में बने तंबू पर रखते हुए) ऐसे मालूम तेरा पूरा खड़ा हो चुका है,,, और मैं यह भी जानती हूं कि जब मर्द को ज्यादा मजा आता है तो इसी तरह से खड़ा हो जाता है,,,,।

(अपनी नानी की हरकत की वजह से अंकित पूरी तरह से झेंप गया था,,, आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था क्योंकि उसे उसकी नानी की तरफ से इस तरह की हरकत की कोई गुंजाइश नजर नहीं आ रही थी लेकिन जैसे ही अपने गाने का हाथ अपने पेट में बने तंबू पर महसूस की आवाज पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबने लगा,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी और गहरी सांस लेते हुए अपनी नानी से बोला,,,)





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यह क्या कर रही हो नानी मुझे शर्म आ रही है,,,।

अरे बुद्धू एक औरत होकर मैं तेरे सामने नहीं शर्मा रही हूं और तू शर्मा रहा है मर्द को तो कभी भी औरत से नहीं शर्माना चाहिए अब दिखा मुझे कि तेरा कैसा है मेरा तो सब कुछ देख लिया तूने,,,,।

(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित को अपने बदन में गुदगुदी होने लगी लेकिन शर्म के मारे वह अपनी नानी की बात मान नहीं पा रहा था,,,, इसलिए वह बोला,,,)

नहीं नानी रहने दो देखने जैसा कुछ भी नहीं है,,,।

अरे पागल हो गया क्या इसके अंदर मेरे देखने लायक ही चीज है,,,(तंबू को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर दबाते हुए वह बोली उसकी हरकत पर अंकित भी पानी पानी होने लगा उसकी हालत खराब होती चली जा रही थी वह भी अपने लंड को अपनी नानी की आंखों के सामने कर देना चाहता था लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी और यह बात उसकी रानी अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए खुदाई अपने हाथ से उसकी पेंट का बटन खोलने लगे यह देखकर अंकित की हालत और ज्यादा खराब होने लगी उसकी उंगली पागलों की तरह उसकी नानी की बुर के अंदर बाहर हो रही थी यह उसके उत्तेजना का असर था और उसकी ईस हरकत से उसकी नानी को भी मजा आ रहा था,,,,। अंकित की नानी जानती थी कि उसके नाती के पेंट के अंदर उसके आनंद की चीज थी,,,, देखते ही देखते अंकित की नानी अंकित के पेंट की बटन को खोल दि और चैन को नीचे करके पेंट को दोनों हाथों से पकडकर एक झटके उसे घुटनों से खींच दी अंकित खुद बिस्तर पर घुटनों के बाल बैठा हुआ था और पेंट के नीचे आते ही,, उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड एकदम से हवा में झूलने लगा जिसे देखकर उसकी नानी की आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह गई,,,




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अपने पूरे जीवन काल में उसने इस तरह का मोटा तगड़ा लंबा लंड नहीं देखी थी इसलिए अपने नाती का लंड देखकर वह आश्चर्यचकित हुए जा रही थी इसकी चुभन को अपनी गांड के बचों की अच्छी तरह से महसूस कर चुकी थी इसीलिए तो वह चुभन उसे यहां तक आने के लिए मजबूर कर दिया था,,, और नतीजन अंकित का लंड आज उसकी आंखों के सामने हवा में लहरा रहा था,,,, जिसे देखकर अंकित की नानी एकदम खुश होते हुए बोली,,,,,।


बाप रे इतना मोटा और लंबा मैं तो अपनी जिंदगी में पहली बार देख रही हूं सच में यह तो बहुत ही घातक हथियार है,,,,,(अंकित अपनी नानी की बातें सुनकर मन ही मन खुश हो रहा था क्योंकि एक औरत के मुंह से अपनी मर्दाना आगे की तारीफ सुनकर कोई भी मर्द और भी ज्यादा मतवाला हो जाता है और यही हालत अंकित की भी हो रही थी उसकी नानी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,) मैं बहुत देर से देख रही हूं मेरे नंगे बदन को देख तेरा लंड बहुत देर से खड़ा है मुझे अच्छी तरह से एहसास हो रहा है कि इसमें बहुत दर्द हो रहा होगा।




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सच कह रही हो नानी ईसमें बहुत दर्द हो रहा है,,,,(अंकित इस तरह से अपनी उंगली को बुर के अंदर बाहर करता हुआ बोला,,,, उसकी बात सुनकर उसकी नानी मुस्कुराते हुए बोली,,,)

तू बिल्कुल भी चिंता मत करो मेरी बारी है तूने मेरी बहुत सेवा कर ली अब मेरी बारी है तेरे दर्द को दूर करने के लिए,,,,,।

यह कैसे दूर होगा नानी मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं,,,,,।

अभी बताती हूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही हाथ का सहारा लेकर बाहर उठ कर बैठ गई इस हालत में भी अंकित की ऊंगली उसकी बुर में घुसी हुई थी और वह तुरंत आगे कुछ बताती इससे पहले ही अपने प्यासे होठों को खोलकर अंकित के लंड को अपने मुंह में भर ली,,,,,, इसी के साथ अंकित की हालत एकदम से जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी,,, अंकित कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी नानी उसे इस तरह का सुख देखें अंकित कुछ बोल नहीं पाया बस उत्तेजना और मदहोशी में उसकी आंखें अपने आप ही बंद हो गई इस दौरान भी उसकी उंगली उसकी नानी की बुर में घुसी हुई थी और वह धीरे-धीरे उसके दरबार कर रहा था,,,,, अंकित की नई पहली बार इतने मोटे और लंबे लंड को अपने मुंह में ले रही थी वह पागल हुई जा रही थी चूसने पर अंकित का लंड सीधा उसके गले की गहराई तक पहुंचा रहा था जिससे उसे सांस देने में थोड़ी तकलीफ हो जा रही थी लेकिन आनंद की कोई सीमा नहीं थी वह पागल हुए जा रही थी,,,, इतने अद्भुत मर्दन अंग को जिंदगी में पहली बार वह देख रही थी और उस आनंद ले रही थी उसकी बुर बार-बार पानी छोड़ रही थी,,,,




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अपनी नानी की हरकत की वजह से अंकित मदहोशी के सागर में डुबकी लगा रहा था उसकी मां अपनी कमर हिलाने को कर रहा था लेकिन वह ऐसा कर नहीं सकता था क्योंकि वह ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता था जिससे उसकी नानी को जरा भी शंका हो कि इस तरह का सुख हुआ पहले भी प्राप्त कर चुका है या उसे यह सब मालूम है इसलिए वह बहुत संभल कर आनंद ले रहा था,,,, अंकित की नानी अंकित के लंड को पूरा गले तक लेकर उसकी चुसाई कर रही थी,,,,,, इस कार्य को करने में वह पूरी तरह से माहिर थी,,, लेकिन अंकित के लंड की मोटाई और लंबाई उसकी कार्य क्षमता को और भी ज्यादा बढ़ा दे रहा था उसे कुछ ज्यादा ही मेहनत करनी पड़ रही थी अंकित के लंड को चूसने में,, वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जब अंकित का लंड बड़े आराम से उसके गले की गहराई तक चला जा रहा है तो उसकी बुर में जाकर तो उसके परखच्चे उड़ा देगा,, यह सोचकर ही उसकी बर पानी पानी हुई जा रही थी।

कुछ देर तक अंकित के लंड की चुदाई करने के बाद उसकी बुर फुदक रही थी उतेजना के मारे फुल रही थी और पीचक रही थी,,, यह देखकर उसके मन में भी यही चल रहा था कि उसकी अंकित अपनी जीभ लगाकर चाटे,,,, और इसलिए वह धीरे से अपने मुंह में से अंकित के लंड को बाहर निकल दी और उससे बोली,,,।



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अब मेरी तरह तू भी अपने सारे कपड़े उतार करने का मजा अब बहुत मजा आने वाला है,,,।

(अंकित तो पहले से ही अपनी नानी की तरह नंगा होने के लिए तड़प रहा था आज उसकी मनोकामना पूरी होने वाली थी आज उसकी नानी उसे संभोग की कला से परिचित कराने वाली थी इसलिए वह अपनी नानी की बात मानते हुए बिस्तर पर ही खड़ा होकर अपने कपड़े उतार कर एकदम से नंगा हो गया नंगा होने के बाद उसका गठीला बदन ओर भी ज्यादा आकर्षक लग रहा था जिसे देखकर उसकी नानी मंडप में मुस्कुरा रही थी,,,,, और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

अब तो मेरी तरह पीठ के बल लेट जा,,,,।

(अंकित को नहीं मालूम था कि उसकी नानी अब क्या करने वाली है लेकिन वह जानता था कि उसकी नानी जो भी करेगी इसमें उसका ही भला है इसलिए वह भी तुरंत अपनी नानी की बात मानते हुए बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया,,,, देखते ही देखते अंकित की नई उसकी तरफ पीठ करके घुटने के बाल हो गई और एक घटना उसके दाएं कंधे की और और दूसरा घटना पे कंधे की ओर रखकर उसके ऊपर एकदम से झुकने लगी और देखते ही देखते हैं वह उसके लंड के करीब पहुंच गए और एक बार फिर से उसके लंड को अपने हाथ में लेकर मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,, और अपनी भारी भरकम गांड को अपने नाती के चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दी,,,, यह अंकित के लिए बिल्कुल नया था अपनी नानी की भारी भरकम नंगी गांड को अपने चेहरे पर रगड़ हुआ देखकर उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंचने लगी वह पागल होने लगा वह नहीं जानता था कि एक औरत मर्द से इस तरह से भी खेल सकती है वह अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को पकड़ लिया था लेकिन,,,, क्या करना है उसे मालूम नहीं था उसके होठों से उसकी नानी की बुर केवल दो अंगुल की दूरी पर थी जिसमें से मदन रस टपक रहा था और उसके होंठों पर गिर रहा था,,, जिसे अपनी जीभ से चाट रहा था,,,,



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अंकित की नानी पूरी तरह से उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने का मजा लूट रही थी और उसका बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था अपने मुंह से लंड को बाहर निकालने के लिए इसलिए अंकित को क्या करना है वह इशारे से समझाते हुए अपनी गुलाबी बुर को उसके होठों पर रगड़ना शुरू कर दी थी जिससे उसके होठ उसके मदन रस में भीगना शुरू हो गए थे,,, अंकित से अब रहा नहीं जा रहा था वह जानता था किसकी नानी की तरफ से क्या है उसके लिए इशारा ही है बुर चाटने के लिए इसलिए वह अपने आप को रोक नहीं पाया और तुरंत अपने होठों को अपनी नानी की बुर से सटा दिया,,,, अंकित की ईस हरकत से उसकी नानी के बदन में झनझनाहट होने लगी वह मदहोश होने लगी,,, वह और जोर-जोर से उसके लंड को चूसना शुरू कर दी और अंकित अपनी नानी की भारी भरकम गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर उसकी बुर की चटाई करना शुरू कर दिया था,,,, बुर चटाई का उसका यह तीसरा अनुभव था,,, वैसे तो अपनी मां की बुर पर भी उसकी नींद में होने का फायदा उठाकर वह हल्के से अपने होठों को उस पर रखकर उसके मदन रस को चाट लिया था लेकिन खुलकर वह राहुल की मां, सुमन और आज अपनी नानी की बुर को चाट रहा था,,,, उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, घर में किसी को कानों कान खबर नहीं थी कि अंकित के कमरे में क्या चल रहा है अंकित आज पूरी तरह से अपनी नानी की जवानी का मजा लूट रहा है आज पहली बार उसे अपने मर्द होने का सुख प्राप्त हो रहा था,,,, देखते ही देखे अपनी नानी के मदन रस से उसका पूरा चेहरा देख चुका था,,,,।





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तकरीबन 20 मिनट तक अंकित की नानी उसे एक औरत का सुख देती रही लेकिन अब समय आ गया था असली सुख प्राप्त करने का,,,, इसलिए वह धीरे से अंकित के लंड को अपने मुंह से बाहर निकाली और अपनी भारी भरकम गांड को अंकित के चेहरे पर से हटाकर एक तरफ बैठ गई और मुस्कुराते हुए अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,।

कैसा लगा अंकित,,,,।

(जवाब में अंकित कुछ बोल नहीं रहा था बस उत्तेजना से गहरी गहरी सांस लेना था उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव नजर आ रहे थे उत्तेजना की भाव नजर आ रहे थे लेकिन अभी खेल बाकी था इसका एहसास उसके चेहरे को देखकर हो रहा था इसलिए अंकित की नानी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली) अब समय आ गया है मेरे दर्द को पूरी तरह से खत्म करने का तु जानता है ना यह दर्द कैसे खत्म होगा,,,,


कैसे,,,,,?(गहरी सांस लेते हुए अंकित बोला)

मेरी बुर में अपना लंड डाल कर मैं समझ गई हु ऊंगली से काम चलने वाला नहीं है,,,,।

लेकिन क्या इसमें जाएगा,,,(अपनी नानी की दोनों टांगों के बीच देखते हुए अंकित बोला)

क्यों नहीं ईसी के लिए तो मेरी बुर बनी है,,,, तुझे मालूम है औरत को चोदते कैसे हैं,,,,।

(अपनी नानी के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर वह उत्तेजना से मचलने लगा,,,, उसके मुंह से शब्द नहीं फुट पाए बस ना में सिर हिला दिया,,,, उसका जवाब सुनकर उसकी नानी मुस्कुराते हुए बोली,,)

चिंता मत कर आज तुझे सबकुछ सिखा दुंगी,,, बस जैसा-जैसे में बोलु वैसा वैसा करते जाना,,,,,।




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(इतना कहने के साथ ही वह बिस्तर पर पेट के बल लेट गई और अंकित से बोली,,,)

वह (उंगली के इशारे से) तकिया तू मेरी गांड के नीचे रख दे ताकि मेरी गांड थोड़ी ऊपर हो जाए,,

(अपनी नानी के इस तरह से खुली बातें सुनकर अंकित का जोश बढ़ता जा रहा था और वह तुरंत ही बिस्तर पर एक किनारे पर तकिया पड़ा था उसे लेकर अपनी नानी की गांड के नीचे लगाने लगा और उसका सहकार देते हुए उसकी नानी खुद अपनी भारी भरकम गांड को थोड़ा ऊपर की तरफ उठा दी और अंकित उसके नीचे तकिया रख दिया और वाकई में उसकी गांड थोड़ी ऊपर हो गई,,,,, यह देख कर अंकित के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी वह समझ गया कि उसकी नानी खेली खाई औरत है आज उसे जी भरकर मजा देगी गांड तकिया पर रखकर ऊपर होने के बाद अंकित अपनी नानी की तरफ सवालिया नजर से देखते हुए बोला,,,)

अब क्या करूं नानी,,,,?





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अब तु मेरी टांगों के बीच आजा घुटनों के बल,,,(ऐसा कहते हुए वह अपनी दोनों टांगों को खोलती और अच्छा खासा जगह अंकित के लिए बना दी अंकित भी अपनी नानी की बात मानते हो घुटनों के बाल अपनी नानी की दोनों टांगों के बीच आ गया इसके बाद उसकी नानी बोली)


बस अब अपनी जांघों को थोड़ा सा खोल,,,,(ऐसा कहते हुए उसकी नजर अंकित के लंड पर गई जो पूरी तरह से छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था यह देखकर वह मुस्कुराते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,) देख अंकित तेरा लंड कितना उतावला है मेरी बुर में घुसने के लिए,,,,,।

(अपनी नानी की बातें अंकित को बेहद उत्तेजनात्मक लग रही थी वह मदहोश हो जा रहा था उसकी एक-एक बातें उसके लंड की हालत को खराब करती चली जा रही थी,,,, अंकित वैसा ही किया जैसा उसकी नानी बोल रही थी अपनी जांघों को थोड़ा सा फैला लिया,,,, और फिर बोला,,,)

अब क्या करु नानी,,,?


अब तुम दोनों हाथों को मेरी गांड के नीचे की तरफ ले आ,,,,(ऐसा सुनते ही अंकित अपने दोनों हाथों को अपनी नानी की गांड के नीचे की तरफ ले जाने लगा,,,,)


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हां बस ऐसे ही अब मेरी कमर को दोनों हाथों से कस के पकड़ ले,,
(अपनी नानी की बात मानते हुए अंकित दोनों हाथों से अपनी नानी की कमर को अपनी हथेली में कस के पकड़ लिया अंकित कुछ पूछता इससे पहले ही उसकी नानी बोली,,,)

अब जोर से अपनी तरफ खींच अपनी जांघों पर चढ़ा ले मेरी जांघों को,,,,।

(अंकित ठीक वैसा ही किया जैसा उसकी नानी बता रही थी उसके दिशा निर्देश का पालन करते हुए अगले ही पल उसकी नानी की मोटी जांघें उसकी जांघों पर चढ़ी हुई थी,,,, यह देखकर उसकी नानी खुश होते हुए बोली)

एक औरत के वजन को एक मर्द चाहे जितना भी हो वह उठा ही लेता है,,,,


Ankit apni Nani ki chuchiyo se khelta hua

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अब क्या करना होगा नानी,,,(उत्तेजना भरी सांस लेते हुए अंकित बोला)

बस अब क्या मेरी बुर दिखाई दे रही है ना,,,, अब इसके छेद पर अपने लंड का सुपाड़ा रखकर धक्का मार,,,,,
(अपनी नानी का दिशा निर्देश और उसके शब्दों में खुलापन देखकर अंकित पूरी तरह से मचल उठा उसका दिल जोरो से धड़क रहा था क्योंकि अब वह जो काम करने जा रहा है था वह पूरी तरह से उसे कामुक बना दी थी,,, किसी का सपना तो वह दिन रात देखता था फर्क सिर्फ इतना था कि उसकी कल्पना और सपना में उसकी मां रहती थी लेकिन आज हकीकत में बिस्तर पर उसकी नानी थी। अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था उसकी आंखों के सामने उसकी नानी की कचोरी जैसी फूली हुई गुलाबी पर एकदम साफ दिखाई दे रही थी जिसमें से मदन रस टपक रहा था,,, और उसकी टपकती हुई मदन रस को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुर उसे अपने अंदर आने के लिए आमंत्रित कर रही हो अब अंकित से अपने आप को रोक पाना बहुत मुश्किल हो गया था क्योंकि वह पूरी तरह से संभोग आसन में आ चुका था उसकी नानी की मोटी मोटी चिकनी जांघें उसकी जांघों पर चढ़ी हुई थी,,,, यह एहसास ही उसे मस्त करने के लिए काफी था। जोर-जोर से धड़कते हुए अपनी धड़कनों पर काबू करते हुए अंकित अपने मोटे तगड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया था,,, और उत्तेजना से अपने सूखने हुए गले को अपने ही थूक से गिला करने की कोशिश करते हुए अपने लंड के मोटे सुपाड़े को अपनी नानी के गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों पर हल्के से रख दिया,,,, यह स्पर्श दोनों को एकदम से रोमांचित कर दिया दोनों एकदम से मदहोश हो गए अंकित की नई अपने दोनों हाथ की कोहनी का सहारा लेकर हल्के से अपनी गर्दन उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगी।




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वाकई में टांगों के बीच का नजारा बेहद खूबसूरत था,,, अंकित की नानी साफ तौर पर देख पा रही थी कि उसकी गुलाबी बुर पर उसके नाती का मोटा तगड़ा लंड रखा हुआ था,, जिसे देखकर वह खुद मदहोश हुए जा रही थी और धीरे से उत्तेजना भरे स्वर में बोली,,।

अभी इंतजार किस बात का कर रहा है रे धीरे-धीरे से अंदर डाल,,,,,

(अपनी नानी किस तरह की बातें सुनकर वह उत्तेजना से भरता चला जा रहा था उसे इतना तो मालूम था कि लंड को बुर में डाला जाता है,,, लेकिन उसका सही तरीका उसे नहीं मालूम था इसलिए इस बात को शायद अंकित की नानी अच्छी तरह से समझ गई थी,, इसलिए वह खुद ही अपना हाथ आगे बढ़कर अंकित के लंड को पकड़ ली और उसे योग्य दिशा दिखाते हुए अपने गुलाबी छेद पर रख दी और बोली,,)

बस बेटा अब धक्का मार,,,।




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(उसका इतना कहना था कि अंकित अपनी कमर को आगे की तरफ खेलने लगा उसका लंड कुछ ज्यादा ही मोटा था इस बात का एहसास अंकित की रानी को हो गया था वह जानती थी कि उसके लंड को अंदर घुसने में थोड़ी बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ेगा और ऐसा ही हो रहा था बुर के मदन रस की चिकनाहट पाने के बावजूद भी अंकित को ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा था,,,, तीन चार बार कोशिश करने के बाद बुर की चिकनाहट का सहारा लेकर उसके लंड का सिपारा हल्का-हल्का बुर के छेद द्वार को खोलता हुआ अंदर की तरफ बढ़ने लगा,,,, यह एहसास अंकित के लिए भी बहुत खास था और अनुभव से भरी हुई उसकी नानी के लिए भी यह पल बेहद कामुकता और उत्तेजना से भरा हुआ था क्योंकि उसने चुदाई का यह खेल जवानी के दिनों से खेलती आ रही थी लेकिन आज की तरह उसे पहले कभी भी ऐसा मर्द नहीं मिला था जो उसके चेहरे के हाव भाव को पूरी तरह से बदल दे,,, सुपाड़े को अंदर प्रवेश करते हुए देखकर अंकित की नई प्रसन्नता के साथ बोली,,,,)



Ankit apni Nani ko madhosh karta hua
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बस इसी तरहसे दम लगा,,,, देख कैसे धीरे-धीरे अंदर जा रहा है अभी देखना थोड़ी ही देर में तेरा पूरा लंड मेरी बुर की गहराई में खो जाएगा,,,,


सच नानी,,,,(अपनी नानी की तरफ देखते हुए बोला,,,,)

हा रे सब कुछ तेरे सामने है अभी सब कुछ साफ हो जाएगा बस तु इसी तरह से मेहनत कर,,,।

(अपनी नानी की तरफ से हरी झंडी का इशारा पाकर अंकित फिर से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलना शुरू कर दिया,,, उसे भी अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसकी नानी की बुर के अंदर उसका लंड रगड़ता हुआ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,,, चोदने का अनुभव उसमें बिल्कुल भी नहीं था,,,, धीरे-धीरे अंकित अपनी मनसा को पूरी करने में लगा हुआ था देखते ही देखे उसका पूरा सुपड़ा उसकी नानी की बुर की गहराई में डूब चुका था यह देखकर उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे उसकी नानी भी है देखकर खुश हो रही थी लेकिन वह बोली,,,,)





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बस ऐसे ही अभी पूरा जाना बाकी है,,,, एक बार घुस गया तब देखना कितना मजा आएगा,,,,

(इतनी सही अंकित की नानी के माथे पर पसीने की बूंदे उपसने लगी थी,,,, उसे भी अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि वाकई में अंकित का लंड ज्यादा ही दमदार है,,, और वास्तव में यह उसके लिए खुशी की बात थी क्योंकि औरत को और क्या चाहिए मर्द का मोटा तगड़ा और लंबा लंड जो उसकी बुर में जाकर पूरी तरह से उसके रस को नीचोड़ सके,,, और ऐसा ही लंड अंकित की नानी की बुर में घुसता चला जा रहा था,,,, अंकित गहरी गहरी सांस ले रहा था उसके हाथ में तो बेस कीमती खजाना लग गया था जिसका इस समय वह खुद मालिक था जैसे चाहे वैसे इसका उपयोग कर सकता था इसलिए उसकी खुशी छुपाए नहीं छुप रही थी,,,, अपनी नानी के बताएं अनुसार वह अपने कमर को जोर-जोर से आगे की तरफ करने लगा और देखते ही देखे उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी नानी की बुर की अंदरूनी सारी अडचनो को दूर करता हुआ आगे की तरफ बढ़ रहा था और यह क्रिया करने में अंकित को अद्भुत एहसास हो रहा था बुर की अंदरूनी दीवारें उसके लंड की रगड़ उसे पानी पानी हो रही थी और यह रगड़ उसे मदहोश कर रही थी,,,, देखते ही देखते अंकित का एक तिहाई लंड पूरी तरह से उसकी नानी की बुर में समा गया,,, यह देखकर उसकी नानी एकदम हैरान परेशान हो रही थी,,,।




Ankit ko khus karti huyi uski naani

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क्योंकि अंकित का लंड एक तिहाई घुसने के बाद उसके बच्चेदानी पर स्पर्श कर रहा था लेकिन इतना खुश जाने के बावजूद भी उसका एक चौथाई हिस्सा बचा हुआ था यह देखकर अंकित की नानी पानी पानी हो रही थी और थोड़ी बहुत घबराहट भी हो रही थी क्योंकि उसे मालूम था कि अभी तो अंकित नादान और अनजान है इसलिए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है,,, लेकिन जब उसे मजा आने लगेगा इस खेल को वह पूरी तरह से समझने लगेगा तब उसके धक्के तेज हो जाएंगे एकदम दमदार हो जाएंगे तब पता नहीं वह उसके धक्को को सह पाएगी कि नहीं,,,, यही सोचकर वह हैरान हो रही थी लेकिन आने वाले पाल को जीने के लिए वह काफी उत्सुक नजर आ रही थी।

लेकिन अब अंकित से भी रहा नहीं जा रहा था बुर की अंदरूनी रगड़ उसे मदहोश कर रही थी उसे पागल बना रही थी उसे ज़ोर दिखाने के लिए मजबूर कर रही थी और वह अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर लिया था क्योंकि इतना तो जानता ही था कि अब उसे क्या करना है,,,,, अंकित गंदी किताब के रंगीन पन्नों को अच्छी तरह से देख चुका था,,, उसमें छपे आसान उसे अच्छी तरह से आदत है इसलिए वह काश कि अपनी नानी की कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया था और फिर कच कचा के जोर से धक्का मारा,,,, इस बार उसके प्रहार से उसका बचा हुआ एक चौथाई लंड पुरे जोर के साथ उसके बच्चेदानी से जा टकराया,,, और उसके इस प्रहार से उसकी नानी एकदम से दर्द से बिलबिला उठी। उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई,,,,।



Nani ki chudai

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ऊईईईईई मां,,,,,,,,,,,।

क्या हुआ नानी,,,,,?(एकदम से अपने आपको रोकते हुए अंकित बोला अपनी नानी की चीख सुनकर वह भी एकदम से रुक गया,,,,)


तू तो मार ही डालेगा रे,,,,

क्यों क्या हुआ नानी,,,

अरे इतनी जोर से कोई पेलता है क्या,,,? इतनी जोर से मत धक्का मार धीरे-धीरे अंदर बाहर कर तब तुझे भी मजा आएगा और मुझे भी,,


ठीक है नानी,,,, मुझे नहीं मालूम था,,,,।

चल कोई बात नहीं अब धीरे से उसे बाहर का तरफ ले जाओ और अंदर की तरफ लिया लेकिन ध्यान रखना पूरा लंड बाहर मत निकालना,,,

ठीक है नानी,,,,(अंकित कुछ ज्यादा ही जोर से धक्का लगा दिया था क्योंकि उसे चोदने का कला नहीं मालूम था लेकिन अब अपनी नानी के बसाया अनुसार वह अपने लंड को धीरे से बाहर की तरफ खींचा और उसके सुपाड़े को अंदर ही रहने दिया,,, और फिर धीरे से अंदर की तरफ लेकर इस क्रिया को वह पहली बार कर रहा था और पहली बार मे हीं इतने आनंद की उसे अनुभुति हुई कि पूछो मत,, मस्ती में आकर उसने इस क्रिया को दोहराया उसे और भी ज्यादा मजा आने लगा और फिर धीरे-धीरे वह अपने आप ही,,, इस क्रिया को दोहराने लगा और अपनी नानी को चोदने लगा,,, उसकी नानी भी समझ गई कि अब ज्यादा मजा आने वाला है इसलिए उत्तेजित और प्रसन्न होते हुए बोली,,,।)

हां मेरे लाल बिल्कुल ऐसे ही,, चोद मुझे,,,,।




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अंकित को अपनी कमर हिलाने में मजा आ रहा था वह जानता था कि इस क्रिया को चुदाई कहते हैं और वह अपनी नानी को चोद रहा है,,, आज उसकी मनोकामना पूरी हो रही थी और उसे पूरी करने वाली उसकी मां नहीं बल्कि उसकी मां की भी मां थी,,,, अंकित मन ही मन अपनी नानी को धन्यवाद कर रहा था इस अनुभव की अनुभूति कराने के लिए वरना इस पल के लिए वह ना जाने कितने समय से तड़प रहा था,,,, अद्भुत अविस्मरणीय अतुलनीय पल था यह अंकित के लिए और उसकी नानी के लिए,,,,, उसकी नानी पहली बार अपनी बुर में इतना लंबा और मोटा लंड ले रही थी और अंकित पहली बार किसी औरत को चोदने का सुख प्राप्त कर रहा था,,,,वाकई चुदाई में इतना मजा आता है तभी तो दुनिया का हर मर्द औरत के पीछे पागल रहता है आज अंकित को इसका एहसास हो रहा था।,,,,

बेहद मदहोशी और काम उत्तेजना से भरा हुआ नजर अंकित के कमरे में दृश्य मान हो रहा था, अंकित के लिए यह खुशी की बातें थी कि उसकी नानी ने ट्यूबलाइट बंद करने के लिए नहीं पड़ी थी जो कुछ भी हो रहा था सब कुछ उजाले में हो रहा था और रात के 3:00 चुके थे लेकिन दोनों की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी,,,, क्योंकि दोनों पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डुबकी जो लगा रहे थे अंकित की नई इस उम्र में भी पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी मां और तुम दोनों की हवस भरी नहीं थी इसीलिए तो अपने नाती से ही दैहिक संबंध बना रही थी,,,, धीरे-धीरे अपने आप ही अंकित की कमर थोड़ी रफ्तार पकड़ रही थी क्योंकि यह सब अपने आप ही हो रहा था और वैसे भी चुदाई की मदहोशी में मर्द और भी ज्यादा ताकतवर हो जाता है,,,,, लेकिन अंकित की नानी उसे रोकने की कोशिश नहीं कर रही थी क्योंकि उसे भी तेज धक्के पसंद थे वह तो शुरुआती दौर पर ही अंकित के तेज धक्के को सह नहीं पाई थी क्योंकि वह सीधा जाकर उसके बच्चेदानी से टकरा गया था,, लेकिन अब सब कुछ उसके काबू में था मदहोशी की चरम सीमा पर पहुंचकर अंकित की नई गहरी गहरी सांस लेते हुए गरमा गरम सिसकारी की आवाज छोड़ रही थी,,,, लेकिन वॉइस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि वह कहां पर है इसलिए अपनी शिसकारी की आवाज पर भी उसका काबू था वह जानते थे कि कमरे से बाहर शिसकारी की आवाज जाना नहीं चाहिए वरना सब काम बिगड़ जाएगा,,,, इसलिए वह इस तरह से शिसकारी की आवाज में रही थी कि उसकी आवाज कमरे से बाहर न जाए अगर वह अपने गांव में होती है अपने घर में होती है खेत खलियान में होती तो खुलकर गरमा गरम शिकारी की आवाज लेते हुए चुदाई का आनंद लूटती,,,,।



Apni mani ki chudai karta hua ankit
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अंकित दोनों हाथ से अपनी नानी की कमर को मजबूती से पकड़ कर धक्के पर धक्के लगा रहा था,,,, उसका हर एक धक्का उसके बच्चेदानी तक पहुंच रहा था लेकिन उसे अब दर्द नहीं हो रहा था क्योंकि जितना तेज हो शुरू में धक्का मारा था उतना तेज वह अपनी कमर नहीं ला रहा था क्योंकि उसकी नानी ने उसे ऐसा न करने की हिदायत दी थी लेकिन अब उसकी नानी को भी लगने लगा था कि इस आनंद को और भी ज्यादा बढ़ना चाहिए उसके धक्के की गति को तेज करना चाहिए इसलिए उसकी नानी अपना हाथ आगे बढ़कर कमर पर रखे हुए हाथ को दोनों हाथों से पड़कर उसकी हथेलियां को अपनी चूची पर रख दे ताकि वह उसे पड़कर धक्का तेज कर सके इसलिए वह बोली,,,,,)


बस मेरे राजा अब जोर-जोर से धक्का लगा,,,।

लेकिन नानी,,,





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तो बिल्कुल भी चिंता मत कर मैं तेरा धक्का सहन कर लूंगी वह तो उस समय में तैयार नहीं थी,,,, अब शुरू हो जा जोर-जोर से चूची दबाते हुए,,,,,चोद मुझे,,,,ओहहहह मेरे राजा,,,,,।

(अब उसकी नानी उसे खुली छूट देती थी इस खुली छूट को पाकर वह भी मदहोश हो गया और अपनी नानी की चूचियों को दोनों हाथों से जोर से दबाते हुए अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया वाकई में अंकित के हर एक धक्के साथ अंकित की नई का वजूद हल जा रहा था वह पूरी तरह से बिस्तर पर ही लहरा जा रही थी अंकित पूरी ताकत से धक्का लगाना शुरू कर दिया था जो कि उसके बच्चे दानी से टकरा जा रहा था। लेकिन अब उसकी नानी उसे धक्के को सह ले रही थी उसे इतना मजा आ रहा था कि पूछो मत वह तो पागल हुई जा रही थी,,,,।

सहहहहह आहहहहहह ऊमममममममम ओहहहहह मेरे राजा,,,,आहहहहहहह और जोर से और जोर से धक्का लगा,,,,,ऊममममम फाड़ दे मेरी बुर को,,,,ओहहहहहबह बहुत मजा आ रहा है,,,,,आहहहहहहह ,,,घुस जा मेरी बुर में,,,,ओहहहहहबबब,,,,,,




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अपनी नानी के गरमा गरम सिसकारी की आवाज ओर उसकी मदहोशी देखकर,,,, अंकित का जोश बढ़ता जा रहा था,,,,,, वह बड़ी तेजी से अपनी कमर हिला रहा था,,, पूरे कमरे में फच्च फच्च की आवाज गूंज रही थी,,,, यह आवाज अंकित के जोश को और ज्यादा बढ़ा रहे थे अंकित पागलों की तरह अपनी नानी की दोनों चूचियों को दशहरी आम की तरह पकड़ कर दबा रहा था और धक्का लगा रहा था ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,,,। तकरीबन 25 से 30 मिनट की घमासान चुदाई के बाद अंकित की नई चरम सुख के करीब पहुंच गई थी और तुरंत अपना दोनों हाथ आगे बढ़कर अंकित को अपनी बाहों में भर ली थी अंकित की पूरी तरह से अपनी रानी को अपनी बाहों में दबोचते हुए अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,, और फिर देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ना शुरू कर दिए थे अंकित के जीवन का यह पहला स्खलन था।



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पहली बार अंकित किसी की बुर में जाना था वरना अपने हाथ से अपना पानी निकाल कर अपनी जवानी की गर्मी को शांत करने की कोशिश करता रहा था अगर आज उसके घर नानी ना आई होती तो वह शायद संभोग के सुख से न जाने कितने महीने अनजान रहता,,,, वह अपनी नानी की बाहों में पसर गया था गहरी गहरी सांस ले रहा था अंकित की नानी भी संपूर्ण संतुष्टि का एहसास लिए चेहरे पर मादक मुस्कान बिखेर रही थी और गहरी गहरी सांस ले रही थी उसकी गहरी चलती सांसों के साथ उसकी चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही थी जो कि अंकित की छाती पर अपनी चुभन का एहसास दिला रही थी,,,, दोनों एक दूसरे की बाहों में अपने-अपने अंगों से बदन रस की बूंदें टपका रहे थे,,, रह रह कर अंकित की कमर अभी भी ठोकर मार रही थी क्योंकि उसके लंड से रह रहकर अभी भी लावा बरस रहा था अंकित की नई संतुष्टि का एहसास लिए अंकित की पीठ को सहला रही थी मानो कि जैसे उसे शाबाशी दे रही हो इस अद्भुत कार्य को पूर्ण करने के लिए।



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कैसा लग रहा है अंकित,,,?(बालों में उंगली फिराते हुए,,,)

बहुत अच्छा लग रहा है नानी मैं तो कभी सोच भी नहीं सकता था की चुदाई में इतना मजा आता है सच में तुम्हारी बुर में मेरा पूरा लंड घुस गया था वरना मैं तो समझ रहा था की उंगली भी नहीं घुस पाएगी,,,,(अभी भी जानबूझकर अंकित अपना नादानी दिखाते हुए बोल रहा था)

इसीलिए कहती हूं मेरी हर एक बात माना कर,,,, और हां सच में तेरा लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है जिस किसी औरत को चोदेगा वह पूरी तरह से तेरी गुलाम बन जाएगी,,,,।

गुलाम बन जाएगी मैं कुछ समझा नहीं,,

अरे बेवकूफ एक बार तेरा लंड किसी भी औरत की बुर में घुस गया तो वह बार-बार तुझसे चुदवाएगी,,,,।



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क्या तुम भी नानी,,,,!(अपनी नानी की तरफ सवालिया नजरों से देखते हुए अंकित बोला उसकी बात सुनकर उसकी नानी मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

मैं भी तेरी गुलाम हो गई हूं सच में हम औरतों को क्या चाहिए तेरे जैसा मोटा और लंबा लंड जो बुर में घुस कर पानी पानी कर दे,,, और आज तुने वैसा ही किया है,,,,।

सच नानी,,,,

हां रे,,,,, तो पूरा मर्द बन चुका है,,,,, चल अब उठ मेरे ऊपर से मुझे बड़ी जोरों की पेशाब लगी है,,,,।
(इतना कहने के साथ है उसकी नानी उसके कंधे को पकड़ कर उसे अपने ऊपर से हटने लगी तो अंकित खुद ही अपनी नानी के ऊपर से हटने लगा लेकिन उसका लंड अभी भी उसकी नानी की बुर में घुसा हुआ था और पूरी तरह से खड़ा का खड़ा था बस हल्का सा ढीलापन उसमें आया था इसलिए वह धीरे से अपने लंड को अपनी नानी की बुर में से बाहर खींचा तो पक्क की आवाज के साथ बुर में से लंड बाहर निकल गया उसके खड़े लैंड को इस समय देखकर उसकी नानी बोली,,,)



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बाप रे देख तो सही एक बार झड़ चुका है लेकिन फिर भी खड़ा का खड़ा है,,,,,,।
(अंकित मुस्कुराता हुआ एक तरफ होकर बैठ गया था और उसकी कहानी उठकर पलंग के नीचे अपने पैर लटका कर बैठ गई थी और अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)

कितना समय हो रहा है,,?

(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ देखते हुए बोला,,,,)


3:00 बज गए नानी,,,,

बाप रे पहली बार इतना समय चुदाई में गुजरा है वरना 10-15 मिनट तो बहुत हो जाता है,,, सच में तुझ में बहुत दम है,,,(इतना कहने के साथ ही वह बिस्तर पर से उठकर खड़ी हो गई और नग्नवस्था में ही दरवाजे की तरफ जाने लगी उसे देखकर अंकित बोला ,,,,)

अरे नानी कपड़े तो पहन लो की नंगी ही बाहर जाओगी,,,,





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घड़ी में देख 3:00 बज रहा है ना अब इतनी रात को भला कौन उठने वाला है सब गहरी नींद में सो रहे होंगे और तुझे मैं बता दूं कमरे में नंगी होकर घूमने में मुझे बहुत अच्छा लगता है,,,।
(अपनी नानी की बात सुनकर उसका भी जोरों से धड़कने लगा अंकित को अपनी नानी की यह अदा बेहद लुभावनी लग रही थी लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं कोई देख लिया तो गजब हो जाएगा इसलिए वह भी धीरे से बिस्तर पर से नीचे उतर गया और अपनी नानी से बोला,,)

लेकिन नानी यहां पर इस तरह से घूमना ठीक नहीं है अगर कहीं दीदी ने या मम्मी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,।




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तुझे लगता है कि कोई देख लेगा मैं जानती हूं इस समय सब गहरी नींद नहीं सोते हैं इसलिए तो बिल्कुल भी चिंता मत कर बस ट्यूब लाइट बंद कर दे,,,।
(अपनी नानी की बात सुनकर आंखें तो तुरंत ट्यूबलाइट का स्विच दबा दिया और कमरे में अंधेरा छा गया और उसकी नानी धीरे से कमरे का दरवाजा खोली और कमरे से बाहर निकल गई,,,, उसे अपने अनुभव पर विश्वास था वह जानती थी कि इस पहर सब गहरी नींद मे हीं सोते हैं,,,, अंकित के बदन में भी गुडदगुदाहट हो रही थी,,,, कमरे में वह भी पूरी तरह से नंगा इधर से उधर घूम रहा था और दरवाजे पर खराब इसलिए उसके बदन में भी अपनी नानी की नंगी गांड देखकर एक बार फिर से उत्तेजना की लहर उठने लगी थी वैसे तो कमरे के बाहर भी पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था लेकिन कमरे के बाहर सड़क पर स्ट्रीट लैंप चल रहा था जिसकी रोशनी दरवाजे की दरार से अंदर की तरफ आ रही थी और इतना तो दिखाई दे ही रहा था कि वह अपनी नानी को देख सके उसके नंगे बदन को देख सके,,,,।





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अंकित इस बात से ही ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था कि वह खुद और उसकी नानी दोनों एकदम नग्न अवस्था में अपने कमरे के बाहर आ चुके थे अंकित का दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था वह बार-बार अपनी मां के कमरे की तरह पर अपनी बड़ी दीदी की कमरे की तरफ देख रहा था लेकिन दोनों कमरे में एकदम सन्नाटा छाया हुआ था इसलिए उसे थोड़ी राहत महसूस हो रही थी और उसकी नानी अपनी कमर पर दोनों हाथ रखकर इधर-उधर अपनी कमर हिला कर अपने बदन को खींच तान रही थी,,, क्योंकि अंकित ने बिस्तर पर कुछ ज्यादा ही कसरत करवा दिया था,,,,, अपनी नानी को इस तरह से कमरे के बाहर नंगी खड़े देख कर अंकित बोला,,,,।

क्या हुआ नानी जल्दी करो ना,,,,(अंकित दबे श्वर में बोला था कि उसकी आवाज कमरे के अंदर ना पहुंच सके,,,,)

तू घबरा क्यों रहा है चिंता मत कर कुछ नहीं होने वाला,,,,,,(इतना कहकर वह बाथरूम का दरवाजा खोलने ही वाली थी कि अंकित को लगा कि दरवाजा खोलने की आवाज से शायद किसी की नींद खुल जाए इसलिए वह धीरे से बोला,,,)



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बाथरूम में मत करो नानी,,, यहीं बैठ जाओ,,,।

यहीं पर,,,,(उसकी नानी सवालिया नजरों से अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)

हां नानी यहीं पर नाली बनी है निकल जाएगा बस थोड़ा पानी गिरा देना,,,,।

ठीक है,,,,(और इतना कहने के साथ है अंकित के गाने एकदम बेशर्मों की तरह बेशर्मी दिखाते हुए अंकित की आंखों के सामने ही बैठकर पेशाब करने के लिए और वैसे भी दोनों के बीच जिस तरह का रिश्ता बन चुका था उसे देखते हुए अंकित की नानी को अब अंकित से शर्म करने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं थी थोड़ी ही देर में अंकित के कानों में सिटी की आवाज गूंजी रही वह समझ गया की नई की बुर से पेशाब की धार निकल रही है और यह एहसास अंकित को फिर से उत्तेजित करने लगी और वह एक बार फिर से उत्तेजित होने लगा उसका लंड फिर से अपनी औकात में आने लगा,,,, अंकित की नानी अभी अपनी बुर से पेशाब कि धार मार ही रही थी कि अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)





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तू भी कर ले यही खड़े होकर तुझे भी लगी होगी,,,,,(अंकित की तरफ नजर उठा कर देखते हो वह बोली और उसके नीचे अंकित के लंड पर चली गई जो की दरवाजे की दरार में से आ रही रोशनी में साफ दिखाई दे रहा था,,,, अपने नाती के झड़ने के बावजूद भी एक बार फिर से टनटनाए हुए लंड को देखकर वह मुस्कुराते हुए बोली,)

हाय दैया यह तो अभी भी खड़ा है रे,,,(इतना कहने के साथ है वह अपना हाथ आगे बढ़कर अंकित के लंड को पकड़ ली और उसे अपनी तरफ खींचते हुए बोली,,)

चल अब मैं तुझे पेशाब करवाती हूं जल्दी से करना शुरू कर दे,,,,(अंकित के लंड को अपनी हथेली में भरे हुए वह बोली,,,, एक अद्भुत एहसास अंकित के बदन में खुल रहा था अपनी नानी के द्वारा पकड़े गए लंड की गर्मी से वह खुद पिघलने लगा था और अपनी नानी की बात मानते हुए वह भी पेशाब करना शुरू कर दिया जिंदगी में पहली बार वह इस तरह से पेशाब कर रहा था जब कोई औरत उसके लंड को पकड़ी हो,, अंकित अपने मन में ही बोल रहा था की कितनी बड़ी छिनार है,,,, लेकिन छिनार ना होती तो उसे इतना मजा ना देती यह सोचते हुए वह पेशाब कर रहा था थोड़ी ही देर में दोनों पेशाब कर चुके थे लेकिन पेशाब करने की क्रिया के दौरान दोनों अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहे थे अंकित एक बार फिर से चुदाई के लिए तैयार हो चुका था और उसकी नानी चुदवाने के लिए,,,,




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अंकित की नई अंकित के लंड को छोड़ना नहीं चाहती थी वह उसके लंड को पकड़े हुए भी उसे वापस कमरे के अंदर ले गई,,, और अपने हाथ से ही दरवाजा बंद कर दी और अंकित से बोली,,,,।

चल अब लाइट चालू कर दे तु फिर से तैयार हो चुका है और मुझे भी पानी पानी कर रहा है एक बार फिर तुझसे चुदवाना पड़ेगा,,,।
(अपनी नानी की बात सुनकर वह मन ही मन प्रसन्न होने लगा क्योंकि एक बार फिर से उसे चुदाई का सुख मिलने वाला था,,, अपनी नानी की बात मानते हुए वह फिर से ट्यूबलाइट चालू कर दिया और पूरे कमरे में रोशनी फैल गई,,,, अंकित की ढाणी मुस्कुराते हुए बिस्तर की तरफ गई और बिस्तर पर चढ़े बिना ही बिस्तर पर अपने हाथ की कोहनी रखकर घोड़ी बन गई,,,, इस तरह के आसान को भी अंकित गंदी किताब के रंगीन पन्नों पर देख चुका था,,, इसलिए वह समझ गया कि उसकी नानी पीछे से लेना चाहती है,,,, लेकिन फिर भी नादान बनते हुए वह बोला,,,)





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यह कैसे नानी,,,!

अरे बुद्धू, (अपनी दोनों टांगों को खोलते हुए) तुझे मेरी बुर दिखाई दे रही है ना,,,


हां नानी एकदम चमक रही है,,,,।

बस अब इसी के अंदर पीछे से लंड डालना है मेरी कमर पकड़ कर,,,, जैसा अभी लेटे-लेटे कर रहा था वैसे अब तुझे खड़े-खड़े करना है,,,, समझगया ना,,,।

हां नानी समझ गया,,,(इतना कहने के साथ ही उत्तेजित अवस्था में प्रसन्नता के साथ वह आगे बड़ा और अपनी नानी की गुलाबी बुर को देखकर अपने लंड को पड़कर उसे पर टिका दिया और फिर अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा,,, एक बार की घमासान चुदाई के बाद अंकित की नई की बुर में उसके लंड का सांचा बन चुका था इसलिए इस बार कोई भी दिक्कत पेश नहीं आई और बड़े आराम से देखते ही देखते अंकित का मोटा लंबा लंड पूरी तरह से उसकी नानी की बुर में घुस गया और वह अपनी नानी की कमर पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया। इस आसन में भी अंकित को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और उसकी नानी को भी और इस बार भी तकरीबन आधे घंटे की जबरदस्त चुदाई के बाद दोनों एक बार फिर से झड़ गए और नंगे ही एक दूसरे की बाहों में गहरी नींद में सो गए सुबह जब प्रीति दरवाजे पर दस्तक देने लगी तो उसकी नानी की नियत एकदम से खुल गई और जब अपने और अपने नाती की तरफ देखी तो दोनों बिना कपड़े के सो रहे थे,,,,, इसलिए वह थोड़ी समझदारी दिखाते हुए बिस्तर पर से ही बोली,,,)


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हां तृप्ति तू जा में आ रही हुं,,,(और उसके जाने के साथ ही अंकित की नानी अंकित को भी जगा दी दोनों जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहन कर व्यवस्थित हो गए और कमरे से बाहर आकर अपनी दिनचर्या में लग गए किसी को कानों कान खबर नहीं पड़ी की रात भर कमरे में अंकित और उसकी नानी के बीच काम लीला चल रही थी।)
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है आखिरकार अंकित की नानी अंकित से चूद कर वर्षों से दबी वासना को शांत कर लिया अंकित की नानी पहली बार इतने मोटे और लंबे लण्ङ से चुदी है अंकित ने सारी रात अपनी नानी के साथ मजे किए अंकित की नानी ने अंकित को चुदाई का पाठ पढ़ा दिया है अब सुगंधा के लिए आसान हो गया है जल्दी ही सुगंधा कि भी प्यास बुझने वाली है
 

lovlesh2002

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सुगंधा और अंकित दोनों मां बेटे मार्केट से वापस घर आ चुके थे,,,, मार्केट में जो कुछ भी हुआ था वह बेहद दिलचस्प था जिस मां बेटे दोनों आपस में कुछ ज्यादा ही खुलने लगे थे दुकान के अंदर जिस तरह से वह काउंटर वाली लेडी दोनों को प्रेमी प्रेमिका समझ रहे थे इस बात से सुगंधा पूरी तरह से हैरान थी,,, एहसास होने लगा था कि क्या वाकई में वह अपने बेटे की मन नहीं लगती क्या दोनों की उम्र में कुछ ज्यादा अंतर दिखाई नहीं देता ऐसा ही तो है तभी तो वह काउंटर वाली लेडी दोनों को प्रेमी प्रेमिका समझ रही थी एक बार भी उसने यह नहीं सोचा कि यह दोनों मां बेटे की हो सकते हैं ऐसा क्यों आखिरकार काउंटर वाली लेडी दोनों के बारे में ऐसा क्यों सोची,,,, घर आने पर सुगंधा को यही सब सवाल पूरी तरह से परेशानकर रहे थे,,, लेकिन इस परेशानी में भी राहत की बात यह थी कि उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बावजूद भी उसके बदन का रखरखाव पूरी तरह से संजोया हुआ था,,, बदन में अभी भी कसावट किसी जवान औरत की तरह ही थी। तनी हुई चूचियां किसी भी तरह से जरा सी भी लचकी हुई नहीं दिखाई देती थी,,, मानसर चिकनी कमर और कमर के दोनों तरफ हल्की सी कटी हुई लकीर जो सुगंधा की खूबसूरती में चार चांद लगा देते थे। नितंबों का उभार एक अद्भुत आकार लिया हुआ था,,, जोकि कई हुई साड़ी में पूरी तरह से आकर्षण का केंद्र बिंदु बन जाता था,,, और सबसे बड़ा कारण यह था कि आज तक पति के देहांत के बाद उसने अपने शरीर को किसी भी गैर मर्द को हाथ नहीं लगाने दी थी। और यही सबसे बड़ी वजह भी थी कि अभी तक वह पूरी तरह से जवान थी,,,,।




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घर का काम करते समय उसका दिल और दिमाग पूरी तरह से काबू में नहीं था वह अपने बेटे पर हैरान थी कि वह काउंटर वाली लेडी तो दोनों को प्रेमी प्रेमिका समझ रही थी लेकिन इस मौके का फायदा उसका बेटा पूरी तरह से उठा रहा था उसने एक बार भी उसे काउंटर वाली लाडी को यह नहीं बताया कि वह दोनों प्रेमी प्रेमिका नहीं बल्कि मां बेटे में बल्कि वह काउंटर वाली लेडी जो समझ रहा थीवउसे वही समझने भी दिया बार-बार उसे मैडम कहकर संबोधन कर रहा था जिससे सुगंधा की हालत और ज्यादा खराब हो रही थी। दुकान में बिताए हुए हर एक पल के बारे में हर एक बातों के बारे में सोचकर सुगंधा की सांसें ऊपर नीचे हो रही थी। कुर्ता पजामा खरीद लेने के बाद उसे काउंटर वाली दीदी ने उसके पास जो वस्त्र दिखाया था उसे देखकर तो सुगंधा के होश वाकई में एकदम उड़ गए थे और उसे वस्त्र के बारे में सोचकर इस समय सुगंधा पानी पानी हो रही थी। वह अपने मन में यही सोच रही थी कि उस छोटे से गाउन में वह सच में स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा नजर आती केवल प्रॉपर्टी और वह गाऊन,,,उफफफ,,,,, मजा आ जाता,,,,, लेकिन वह जानती थी कि उसे समय उसे खरीद पाना कितने शर्म वाली बात थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह काउंटर वाली लेडी दोनों को पहचानते नहीं से जानते नहीं तो फिर भी उसके सामने उसे न जाने क्यों शर्म महसूस हो रही थी,,, इस कारण को वह नहीं समझ पा रही थी लेकिन इसका मुख्य कारण नहीं था कि सुगंधा चाहे जो भी हो एक मां थी इसलिए एक मां होने के नाते मां का रिश्ता उसे रोक रहा था इसलिए वह अपने बेटे के सामने शर्म के मारे उस गाउन को नहीं खरीद पाई।





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पहले से ही तय था कि आज रात का खाना नहीं बनेगा इसलिए मार्केट से ही खाने के लिए नाश्ता लेकर आए थे जिस मां बेटे दोनों साथ मिलकर खाए खाना न बनने के कारण मांजने के लिए बर्तन भी नहीं था,,, इसलिए केवल झाड़ू लगाकर वह कमरे की सफाई कर दी,,, इस दौरान अंकित टीवी देख रहा था जिसमें एक रोमांटिक मूवी चल रही थी। आमिर खान और जूही चावला की कोई फिल्म थी जिसका नाम अंकित को नहीं मालूम था वह केवल देख रहा था थोड़ी ही देर में उसकी मां भी टीवी देखने के लिए वहां आ गई और वह भी बैठ कर देखने लगी,,,, इस दौरान फिल्म में एक दृश्य था जिसमें नायक नायिका के खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रखकर किस करता है और यह दृश्य देखकर मां बेटे दोनों एकदम से गनगना गए थे,,,, अंकित तो अपने मन में यही सोच रहा था कि अच्छा हुआ कि यह दृश्य उसकी मां के सामने आया और वह मन ही मन खुश हो रहा था उसे एहसास हो रहा था कि इस दृश्य को देखकर उसकी मां के मन में बहुत सी बातें चल रही होगी,,, और ऐसा ही था अपने बेटे के सामने हीरो हीरोइन के चुंबन वाले दृश्य को देखकर उसके बदन में भी कुछ-कुछ होने लगा था,,, वैसे तो अपने बेटे की मौजूदगी में यह दिल से देखने में उसे शर्म तो महसूस हो रही है कि लेकिन उसे भी अच्छा लग रहा था कि यह दिल से देखते हुए उसके साथ में उसका बेटा भी है। इस दृश्य को देखकर सुगंधा की भी हालत खराब हो रही थी वैसे तो इस विषय में कोई ऐसी ज्यादा विषय वस्तु नहीं थी जिसे देखते ही इंसान उत्तेजित हो जाए लेकिन इस समय मां बेटे दोनों एक अलग ही समय से गुजर रहे थे जिसमें इस तरह के दृश्य बदन में उत्तेजना और जवानी की गर्मी को कुछ ज्यादा ही बढ़ा देते थे और यही हाल इस समय दोनों मां बेटे का भी था,,, सुगंधा तिरछी नजर से अपनी बेटी की तरफ देख ले रही थी वह भले ही टीवी की तरफ देख रहा था लेकिन वह जानती थी कि उसका मन कहीं और भ्रमण कर रहा होगा,,,, और जरूर उसका बेटा उसकी दोनों टांगों के बीच की स्थिति का जायजा ले रहा होगा और यही देखने के लिए सुगंध भी अपने बेटे की दोनों टांगों के बीच देख रही थी तो पेंट में हल्का सा उभार बनता हुआ नजर आ रहा था जिसे देखकर सुगंधा के तन बदन में आग लगने लगी।





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सुगंधा को समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे आगे बढ़ा जाए,,, वैसे तो दोनों के बीच ऐसा बहुत कुछ हो चुका था जिससे आगे बढ़ा जा सकता था लेकिन मर्यादा की दीवार बीच में रोड़ा बनकर खड़ी थी इस समय अंकित खामोश था सुगंध को लगने लगा था कि बातचीत का दौर उसी को ही शुरू करना होगा इसलिए वह टीवी की तरफ देखते हुए बोली।


देखा हीरोइन की हालत कैसे खराब हो गई।
(जैसे ही यह शब्द अंकित के कानों में सुनाई दिए उसके तन बदन में भी अजीब सी हलचल होने लगी उसे समझ में आ गया कि उसकी मां भी वही सोच रही है जैसा कि वह सोच रहा है इसलिए वह भी एकदम से उत्साहित होता हुआ बोला)

लेकिन ऐसा क्यों हीरोइन की हालत खराब क्यों हो गई,,,, चुंबन करने में ऐसा क्या हो गया? (अंकित अच्छी तरह से जानता था चुंबन के अर्थ को चुंबन के महत्व का और उसकी परिभाषा को लेकिन फिर भी जानबूझकर अपनी मां के सामने नादान बनने की कोशिश कर रहा था जैसा कि वह अपनी नानी के सामने नादान बनाकर अपनी नानी की बुर पर पूरी तरह से झंडा गाड दिया था। अंकित यहां पर भी कुछ ऐसा ही चाहता था,,,, अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा बोली,,,)


अरे बेवकूफ चुंबन का भी अपना ही अलग महत्व है,,,, प्रेमी प्रेमिका के बारे में जानता है लेकिन चुंबन के बारे में नहीं जानता,,,, उसे काउंटर वाली लाडी को इतना नहीं बोल पाएगा कि वह मेरी प्रेमिका नहीं मेरी मम्मी है,,,।





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क्योंकि मुझे वहां अच्छा लग रहा था,,,, तुमको प्रेमिका के रूप में पाकर,,,,(टीवी की तरफ देखते हुए अंकित अपने मन की बात अपनी मां से बोल गया जिसे सुनकर,,, मन ही मन बहुत प्रसन्न हुई और वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)

तब तो आप तेरे साथ कहीं जाने में मुझे डर लगेगा,,,।

ऐसा क्यों,,,?

क्योंकि अगर कोई पति-पत्नी समझ लिया तो।
(पति पत्नी वाली बात सुगंधा बहुत हिम्मत करके बोल गई थी,,,, और अपनी मां की यह बात सुनकर अंकित अच्छी तरह समझ रहा था कि उसकी मां को क्या चाहिए और उसकी बात से बहुत खुश भी हो रहा था और मुस्कुराते हुए बोला,,,)

अगर सच में कोई ऐसा समझेगा तो मैं अपने आप को बहुत खुश कीस्मत समझुंगा,,,,,।

खुशकिस्मत,,,,,!(आश्चर्य से अंकित की तरफ देखते हुए बोली)


तुम्हारी जैसी पत्नी मिलना सच में बहुत किस्मत की बात है और जिसकी ऐसी खूबसूरत बीवी हो वह इंसान तो दुनिया में सबसे ज्यादा किस्मत वाला होगा,,,,।


फिल्मी डायलॉग मार रहा है,,,, इसीलिए फिल्म देखता है,,,,।


यह कोई फिल्मी डायलॉग नहीं है मैं सच कह रहा हूं तुम खुद नहीं जानती कि तुम क्या हो,,,, अच्छा तुम बता रही थी ना चुंबन करने से ऐसा क्या हो गया कि वह घबरा गई,,,,(बातों का सिलसिला किसी और तरफ जा रहा था इसलिए अंकित एकदम से बातों के दौर को पटरी पर लाते हुए बोला,,,, जिसे सुनकर सुगंधा गहरी सांस लेकर आराम से सोफे पर बैठते हुए बोली,,,)






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हीरोइन की हालत को तूने शायद देखा नहीं वह कितनी घबरा गई थी उसके बदन में कंपन हो रहा था और यह शायद उसका जीवन का पहला चुंबन था तभी वह एकदम से शर्मा गई थी।


लेकिन उसके चेहरे से तो लग रहा था कि उसे अच्छा लगा मजा आया,,,,

ओहहहह मतलब औरतों के चेहरे के हाव-भाव को पढ़ना तु अच्छी तरह से जानता है,,,,।

ऐसा नहीं है फिल्म में भी देखो दोनों बहुत खुश दिखाई दे रहे हैं अगर ऐसा कुछ होता तो हीरोइन गुस्सा होकर चली जाती,,,,,।


बिल्कुल ठीक समझा,,,,(मुस्कुराते हुए) इसका मतलब तु सच में बड़ा हो गया है।

वह तो मैं हो ही गया हूं,,,, लेकिन एक बात मुझे समझ में नहीं आई की मर्द औरत को चुंबन क्यों करता है ऐसा क्या हो जाता है कि उसे चुंबन करना पड़ता है और वह भी होठों पर,,,,।

(अपने बेटे के इस प्रश्न पर सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी क्योंकि वह बेहद गहरी बातें पूछ रहा था,,, सुगंधा को भी ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा शायद चुंबन के बारे में ज्यादा कुछ जानता नहीं है,,,, इसलिए इस तरह का सवाल पूछ रहा है लेकिन उसके बेटे के इस तरह के सवाल में वह मदहोश हो रही थी उसके दोनों टांगों के बीच की पतली दरार मे रीसाव हो रहा था। लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी की मां बेटे के बीच की दूरी खत्म करने का बस यही एक जरिया है बातचीत ,,,इस तरह की बातें ही दोनों के बीच से मां बेटे वाली झिझक को दूर कर सकती थी। इसलिए वह अपने बेटे से बोली।)





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चुंबन प्यार दर्शाता है,,, मर्द और औरत के बीच का,,,, जब मरद बहुत खुश होता है तो औरत को चुंबन कर लेता है और चुंबन करने के स्थान भी अलग-अलग होते हैं कोई दुलार से चुंबन करता है तो माथे पर चुंबन करता है कोई गल पर करता है और जब आपस में बहुत गहरा रिश्ता हो तो वह उसके होठों पर चुंबन कर लेता है,,,, किसी को कोई जब अच्छा लगने लगता नहीं तो वह उसके होठों पर उसके गाल पर चुंबन करते हैं वैसे चुंबन के भी कई रूप होते हैं।

मैं कुछ समझा नहीं,,,,(वैसे तो अंकित सब कुछ समझ रहा था लेकिन जानबूझकर अपनी मां के सामने नाटक कर रहा था और अपनी मां किस तरह की बातें सुनकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी खास करके उसके दोनों टांगों के बीच का स्थान पूरी तरह से हलचल मचा रहा था)

सामान्य तौर पर मर्द औरत की गाल पर ही जमीन करता है लेकिन जब दोनों का रिश्ता कुछ ज्यादा ही गहरा हो या दोनों के बीच कुछ होने वाला हो तो मर्द औरत के होठो पर चुंबन करता है,,,,।
(अपने बेटे के साथ इस तरह की बातें करने में सुगंधा के माथे से पसीना टपक रहा था उसकी हालत खराब हो रही थी उसके मन में घबराहट की हो रही थी लेकिन उससे ज्यादा सुगंधा के मन पर उत्तेजना दबाव बना रही थी,,ईस तरह की बातें करने के लिए,,,, इसलिए वह चाहकर भी अपने आप को नहीं रोक पा रही थी। अपनी मां की बात को अंकित अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन फिर भी और फिर से अनजान बनने का नाटक करते हुए बोला,,,)


कुछ होने वाला हो,,, मेरे को समझा नहीं कुछ होने वाला हो इसका क्या मतलब है,,,!
(अंकित के सवाल को सुनकर सुगंधा मन ही मन मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,,)

मैं बात नहीं सकती लेकिन समय आने पर तु खुद ही समझ जाएगा।

क्या मम्मी कैसा समय मुझे कुछ तो बताओ,,,।

कहा ना मैं नहीं बता सकती समय आने पर तु खुद समझ जाएगा,,,, आज गर्मी थोड़ा ज्यादा है क्यों ना आज छत पर चलकर सोया जाए वहां पर बहुत ठंडी हवा चलती है,,,।


मैं भी यही सोच रहा था,,,, लेकिन इससे पहले तुम्हें कुछ और पैजामा पहनकर उसका नाप चेक करना है कुछ भी गड़बड़ हुआ तो वापस हो जाएगा,,,,।

अरे हां में तो भूल ही गई रुक अभी पहन कर देखती हूं,,,,।

कहां देखोगी,,,,?

अपने कमरे में और कहां,,,

यही पहन कर देख लो ना मैं भी देख लूंगा,,,,।

(अंकित की बात सुनकर सुगंधा शर्मा गई ओर शर्माते हुए बोली,,,,)

धत् मुझे तेरे सामने शर्म आती है,,,।

अरे सर मैं कैसी सी पहन कर देखना ही तो है और भूल गई मैं तुम्हारे लिए चड्डी और ब्रा लाया था मेरे सामने ही तो पहन कर नाप देखी थी।


तू सच में बहुत जिद्दी है,,,, अच्छा रुक मैं यहीं पर लेकर आती हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही सुगंधा सोफे पर से उठकर खड़ी हो गई,,, उसकी भारी भरकम गोलाकार गांड सोफे पर जिस जगह पर बैठी हुई थी वहां पर हल्का सा गड्ढा बन गया था जिसे देखकर अंकित मुस्कुराने लगा और अपने मन में ही बोला,,, मम्मी की गांड कितनी जानता है सोफे की तो किस्मत बन जाती होगी,,,, उसका यह सोचा था की सुगंधा उस कमरे से निकल कर अपने कमरे की तरफ जा चुकी थी। अंकित का दिल अब दोनों से धड़क रहा था क्योंकि उसे एहसास हो गया था कि उसकी मां उसकी आंखों के सामने कुर्ता और पैजामा पहनकर देखेगी और अपने मन नहीं सोच रहा था कि कुर्ता पजामा पहनने के लिए उसे अपने बदन के सारे कपड़े उतारने होंगे । केवल ब्रा और पैंटी को छोड़कर काश मम्मी साड़ी के अंदर पेंटि ना पहनी हो और अनजाने में उसके सामने पेटिकोट उतार दे तो कितना मजा आ जाए यही सब सोच कर अंकित मस्त हुआ जा रहा था। और दूसरी तरफ सुगंधा का भी बुरा हाल था,,,, अपने कमरे में पहुंच चुकी थी और अलमारी में से कुर्ता पजामा निकाल रही थी लेकिन कुर्ता पजामा निकलते हुए अपने मन में अगले पल के बारे में सोच रही थी,,, उसका दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था और मां उत्साहित था।

भले ही वह अपने बेटे के सामने कुछ भी बोल रही थी लेकिन उसका मन भी अपने बेटे के सामने कपड़े उतार कर कुर्ता और पजामा पहनने की इच्छा हो रही थी,,, अपने बेटे के सामने कपड़े बदलने का मजा ही कुछ और था इस बात का एहसास तुझे अच्छी तरह से हो गया था लेकिन इस बात का डर भी था कि कहीं उसका बेटा उसे दिन की तरह उसके बदन से छेड़खानी है ना करना शुरू कर दे क्योंकि उसे अच्छी तरह से याद था कि पेंटि का नाप लेते समय अपने बेटे को अपने पीछे महसूस करके उसके पैर लड़खड़ा गए थे और वह एकदम से गिरने को हुई थी लेकिन तभी उसका बेटा हाथ आगे बढ़ाकर उसे गिरने से तो बचा लिया था लेकिन इस मौके का फायदा उठाते हुए वह उसकी नंगी बुर पर अपनी हथेली रखकर उसे ज़ोर से मसल दिया था जिसका एहसास उसे अभी तक था,,,, उस पल को याद करके इस समय उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,, भले ही वह इस बात से घबरा रही थी कि उसका बेटा उसके बदन से छेड़खानी ना करते लेकिन मन ही मन हुआ यही चाह रही थी कि उसका बेटा थोड़ी छुट-छाट उसके बदन से ले ताकि दोनों आगे बढ़ सके,,,, अलमारी में से कुर्ता पजामा निकालकर वह ड्राइंग रूम में पहुंच गई जहां पर अंकित टीवी देख रहा था लेकिन अब वह टीवी बंद कर चुका था,,, और अपने बेटे की स्थिति को देखकर उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बड़ी बेसब्री से उसके आने का इंतजार कर रहा था तभी तो कमरे में दाखिल होते ही अंकित का चेहरा खिल उठा था।

रात के 11:30 बज रहे थे तृप्ति के घर पर न होने की वजह से दोनों पूरी तरह से निश्चित थे घर का मुख्य द्वार बंद था उसे पर कड़ी लगी हुई थी और घर में दोनों के सिवा तीसरा कोई नहीं था इस बात का एहसास दोनों के बाद में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का असर दिखा दे रहा था दोनों मदहोश हो रहे थे और कपड़े बदलने की बात से तो सुगंधा की मोटी मोटी जांघों में थरथराहट महसूस हो रही
थी,,,, अपनी मम्मी के हाथ में कुर्ता पजामा देखते ही वह अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और अपनी मां के हाथ से कुर्ता पजामा को ले लिया और उसपर अपनी हथेली को फिराता हुआ बोला,,,,।

वह कितना मुलायम कपड़ा है सच में तुम्हें ऐसा ही लगेगा कि तुमने कुछ नहीं पहनी हो आज देखना तुम्हारा रूप और ज्यादा निखर कर सामने आएगा अभी तक तुम साड़ी में ही खूबसूरत लगती थी लेकिन तुम नहीं जानती कि तुम किसी भी कपड़े में खूबसूरत लगोगी।(एक बार फिर से अंकित तारीफ के पुल बांध रहा था और जिसे सुनकर सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की फुहार उठ रही थी उसे अपने बेटे के मुंह से इस तरह की बातें बड़ी अच्छी लग रही थी वह मन ही मन मुस्कुरा रही थी लेकिन चेहरे पर थोड़ी घबराहट के भाव थे क्योंकि उसे अपनी बेटी के सामने अपनी साड़ी उतारना था लेकिन ऐसा करना जरूरी भी था मंजिल तक पहुंचने के लिए,,, कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही अंकित अपने हाथ में कुर्ता पजामा लेकर अपनी मां की तरफ देख रहा था और उसकी मां शर्म से अपनी नजर को नीचे झुकाए खड़ी थी,,,, यह देखकर चुप्पी तोड़ते हुए अंकित बोला,,,)

क्या हुआ साड़ी उतारो खड़ी क्यों हो फिर हमें छत पर भी तो चलना है सोने आज तुम यही पहन कर सोना देखना कितना अच्छा लगता है तुम्हें भी एकदम आराम दायक लगेगा,,,,।

(अंकित की बात सुनकर सुगंधा शर्मा से पानी पानी हो रही थी क्योंकि वह एकदम खुलकर उसे साड़ी उतारने के लिए बोल रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह उसे चोदने के लिए कपड़े उतारने को बोल रहा हो,,,, सुगंधा का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था वह अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)

शर्म आ रही है मुझे,,, तेरे सामने कैसे,,,,,(घबराहट भरे स्वर में सुगंधा बोली,,,, जिसे सुनकर अंकित उसे उत्साहित करता हुआ बोला)

क्या मम्मी तुम भी मेरे सामने पेंटी और ब्रा बदल सकती हो,,,, और कुर्ता पजामा पहनने में शर्म आ रही है और ऐसा तो तुम बंद कमरे में बहुत बार करती होगी कपड़े उतारना पहनना ऐसा समझ लो कि कमरे में कोई नहीं है,,,,, फिर आराम से हो जाएगा।

(अंकित की बात सुनकर सुगंधा अपने मन में ही बोली देखो कितना चालक है बिना कपड़ों के देखने के लिए कितना मस्का लगा रहा है,,,, लेकिन फिर भी जरूर उसके बदन में आकर्षण है कुछ ऐसी बातें तभी तो एक जवान लड़का उसे बिना कपड़ों के देखने के लिए तड़प रहा है इस बात को अपने मन में सोचकर उसका मन उत्साहित होने लगा और फिर वह धीरे से अपनी साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर से नीचे गिरा दी और साड़ी का पल्लू नीचे गिरते ही उसकी मदमस्त कर देने वाली चौड़ी छाती एकदम से उजागर हो गई,,,, जो की ठीक अंकित की आंखों के सामने थी और ट्यूबलाइट की दूरी और रोशनी में सब कुछ साथ दिखाई दे रहा था कपड़े उतारने से पहले सुगंधा अपने मन में सोच ली थी कि वह अपने बेटे के सामने कपड़े जरूर उतरेगी लेकिन उसकी तरफ देखेगी नहीं क्योंकि अगर वह उसकी तरफ देख लेगी तो उससे ऐसा नहीं हो पाएगा,,,, अंकित की हालात पूरी तरह से खराब होने लगी थी अपनी मां की भरी हुई छाती देखकर उसके टांगों के बीच की हलचल बढ़ने लगी थी ऊपरी हुई छाती उसके पेंट के आगे वाले भाग को उभार दे रहा था,,,, उसे इस बात की खुशी थी कि उसकी मां उसके सामने कपड़े उतारने के लिए तैयार हो गई थी,,, सुगंधा साड़ी के पल्लू को हाथ में लेकर उसे धीरे-धीरे अपनी कमर से खोल रही थी और उसकी चूड़ियों की खनक से पूरा कमरा मदहोश हुआ जा रहा था एक नशा सच्चा रहा था पूरे वातावरण में मदहोशी की रंगीनियत फैल रही थी जिसे महसूस करके मां बेटे दोनों उत्तेजित हुए जा रहे थे,,,,।

अपनी मां को कपड़े उतारते हुए देखने के लिए अंकित अपनी मां के ठीक सामने खड़ा था और उसे सब कुछ दिखाई दे रहा था इसलिए तो उसने टीवी भी बंद कर दिया था ताकि पूरा ध्यान उसकी मां पर ही रहे देखते-देखते सुगंधा शर्म से पानी होते हुए अपनी साड़ी को कमर से खोल चुकी थी और उसे सोफे पर फेंक दी थी इस समय वह अंकित की आंखों के सामने ब्लाउज और पेटीकोट में थी पेटिकोट इतना कसा हुआ था कि उसकी मां की गांड की दोनों आंखें पेटीकोट में भी एकदम उभरी हुई नजर आ रही थी और अपने आकार को अच्छी तरह से दर्शा रही थी कुछ देर पहले अंकित अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसकी मां साड़ी के नीचे पेंटिं ना पहनी हो तो कितना अच्छा हो लेकिन पेटीकोट में ही अपनी मां को देखकर उसे निराशा हाथ लगी थी क्योंकि कई हुई पेटीकोट में उसकी पैंटी की लाइन भी एकदम साफ झलक रही थी जिससे वह समझ गया था कि उसकी मां पेंटिं भी पहनी है। साड़ी का आखिरी छोर कमर से खोलते हुए सुगंधा घूम गई थी और उसकी पीठ अंकित की तरफ हो गई थी लेकिन वह ऐसा जानबूझकर की थी क्योंकि वह अपने नितंबों के आकर्षण को अच्छी तरह से जानती थी और समझती थी,,,। इसलिए वह जानबूझकर अपने बेटे की आंखों के सामने अपनी गांड परोस दी थी उसे अपनी गांड दिख रही थी कसी हुई पेटीकोट में उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसकी गांड की दोनों फांक एकदम साफ नजर आती थी। इसलिए वह चाहती थी कि उसका बेटा उसकी गांड को प्यासी नजरों से देखें,,,,।

और उसका सोचना सच साबित हो रहा था,,,, सुगंधा की हालत तो खराब हुई थी अंकित की भी हालात पूरी तरह से खराब हो चुकी थी वह प्यासी नजरों से अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को देख रहा था उसका मन तो कर रहा था कि आगे बढ़कर वह पीछे से अपनी मां को अपनी बाहों में भर ले और उसकी गांड पर अपने लंड को जोर-जोर से रगड़ कर अपना पानी निकाल दे लेकिन किसी तरह से वह अपने आप पर काबू किए हुए था,,,, सुगंधा वैसे तो साड़ी उतारते समय अपने बेटे की तरफ ना देखने का अपने आप से ही वादा की थी लेकिन जिस तरह से हालात बन रहे थे वह तिरछी नजर से पीछे की तरफ अपने बेटे की तरफ देखी तो उसका सोचा एकदम सच साबित हो रहा था और वह एकदम उत्साहित होने लगी थी क्योंकि इस समय उसके बेटे की नजर उसकी गांड पर ही टिकी हुई थी और वह जी भरकर अपने बेटे को अपनी गांड के दर्शन कर भी रही थी साड़ी को सोफे पर फेंकने के बाद वह अपने दोनों हाथ को कमर पर रखकर गहरी सांस लेते हुए अपने भजन को एकदम सीधा कर ली थी जिसे उसके नितंब्बों का उभार और ज्यादा बढ़ चुका था अपनी मां की हरकत को देखकर अंकित अपने मन में यही सोच रहा था कि कहीं उसकी मां उसे चोदने के लिए न बोल दे क्योंकि अंकित को भी एहसास हो रहा था कि उसकी मां के बदन में जवानी छा रही थी वह मदहोश हो रहे थे और वह अपने मन में अपने आप से ही बात कर रहा था कि अगर मन हो तो चुदवाने का बोल दो इस तरह से तड़पाने से तुम्हें क्या मिलेगा ,,,,।

सुगंधा अपनी गांड का भरपूर दर्शन करने के बाद और फिर से अपने बेटे की तरफ घूम गई और फिर,,,, बिना कुछ बोले अपना हाथ आगे बढ़कर कुर्ता मांगने लगी तो यह देखकर अंकित बोल पड़ा,,,।

अरे ऐसे कैसे इसका नाप समझ में आएगा ब्लाउज भी उतार दो तभी तो समझ में आएगा कि साइज कितना है ऐसे तो तुम्हें सही माप होने के बावजूद भी कसा हुआ लगेगा और मजा नहीं आएगा क्योंकि वह काउंटर वाली लेडी सोच समझ कर रही है यही नाप निकाली है,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर अपनी कमर पर दोनों हाथ रख कर आंखों को तैराते हुए वह थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,,)

अब तु मेरा ब्लाउज भी उतरवाएगा,,,,।

उतारना पड़ेगा अगर सही माप का अंदाजा लेना हो और उसे पहनने का असली सुख लेना हो तो पेटीकोट भी उतरना ही होगा,,,(इतना कहने के बाद अंकित अपने मन में ही बोला अगर मेरा बस चले तो तुम्हारी ब्रा और पैंटी भी उतरवा कर नंगी कर दुं,,,,,। अपने बेटे की बातें सुनकर वह थोड़ा ऊपरी मन से नाराजगी दिखाते हुए बोली,,,)

नहीं बेवकूफ थी जो तेरे बाद में आ गई मुझे कुर्ता पजामा लेना ही नहीं चाहिए था बेवजह तेरे सामने कपड़े उतारने पड़ रहे हैं।


ऐसा मत बोलो मैं तुम्हें और भी ज्यादा खूबसूरत बना रहा हूं इसे पहनने के बाद देखना तुम खुद समझ जाओगी कि तुम कितनी खूबसूरत हो।

चल बडा आया खूबसूरत बनाने,,,(और ऐसा कहते हुए अपने दोनों हाथ की नाजुक उंगलियों को अपने ब्लाउज के बटन में उलझा ली और फिर से नजर नीचे करके अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी अंकित अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी मां का गुस्सा झुठ मुठ का है,,, अंदर से वह भी अपने कपड़े उतारने के लिए ललाईत हो रही है,,,,, माहौल पूरी तरह से गर्म रहा था कमरे के अंदर मदहोश कर देने वाला दृश्य दिखाई दे रहा था ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में सुगंधा का खूबसूरत बदन चमक रहा था उसके चेहरे की चमक और ज्यादा बढ़ चुकी थी अंकित उत्साहित और प्यासी नजरों से अपनी मां की नाजुक उंगलियों को देख रहा था जो ब्लाउज के बटन में पूरी तरह से उलझ कर रही थी देखते-देखते उसकी मां ब्लाउज का एक बटन खोल चुकी थी और वह भी वह बहुत धीरे-धीरे बटन खोल रही थी ऐसा लग रहा था जैसे वह अपने बेटे को यह सब देखने का पूरा मौका दे रही है और शायद ऐसा था भी वरना अब तक तो ब्लाउज के सारे बटन खुल चुके होते लेकिन धीरे-धीरे सुगंधा इस पल में मदहोशी का रस घोल रही थी,,,, शायद इस तरह के पल में जल्दबाजी से नहीं बल्कि समझदारी से कम लिया जाता है और इस समय उसकी मां पूरी तरह से समझदारी दिखा रही थी अपने बेटे में पूरी तरह से जवानी का रस बोल रही थी उसे पूरी तरह से सक्षम कर रही थी या एक तरह से कह लो कि वह अपने बेटे को मर्द बना रही थी लेकिन यह कार्य तो सुगंधा की मां ही कर चुकी थी। आखिरकार सुगंधा थी भी तो उसका ही अंत थोड़ा बहुत असर तो सुगंधा में भी था इसीलिए तो वह आज इस मोड पर आ चुकी थी कि अपने बेटे के सामने उसे कपड़े उतार कर अपनी जवानी की नुमाइश करना पड़ रहा था जिसमें उसे बिल्कुल भी गलत नहीं लग रहा था क्योंकि मौके की नजाकत भी यही थी उसकी जरूरत भी यही थी जिसे पूरा करना भी जरूरी था।

अंकित की आंखों में मदहोशी जा रही थी चार बोतलों का नशा एकदम साफ दिखाई दे रहा था क्योंकि धीरे-धीरे सुगंधा अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी थी और अब आखरी बटन खोल रही थी लेकिन बाकी के बटन खुलने के बाद ही ब्लाउज का दोनों पट दोनों तरफ से नीचे की तरफ लुढ़क गया था जिससे लाल रंग की ब्रा दिखाई दे रही थी और उसमें छुपी हुई उसकी दोनों दशहरी आम खुलकर उजागर होने को तैयार थी अपनी मां की चूचियों के ऊपरी हिस्से पर नजर पड़ते ही अंकित का आगे वाला हिस्सा उठने लगा था जिस पर सुगंधा की चोर नजर बड़े आराम से पहुंच जा रही थी और वह अच्छी तरह से समझ रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है उसकी जवानी देखकर उसके बेटे का लंड खड़ा हो रहा था,,, और यह एक मां के लिए बेहद गर्व की बात थी जिससे वह भी उत्साहित हो रही थी देखते ही देखते हो अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल चुकी थी।


एक अद्भुत एहसास सुगंधा को अपने अंदर महसूस हो रहा था,,,, इस तरह के पल मां बेटे के बीच बहुत बार आए थे लेकिन आज का यह पल बेहद मदहोश कर देने वाला था दोनों को एकदम करीब ले आने वाला था अंकित प्यासी आंखों से एक तक अपनी मां की तरफ देख रहा था उसकी दोनों जवानी की तरफ देख रहा था और ब्लाउज के दोनों पट खुल जाने की वजह से लाल रंग की ब्रा एकदम साफ दिखाई दे रही थी उसमें कैद उसकी मां की दोनों चूचियां ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में एकदम साफ दिखाई दे रही थी। इस बार अंकित को कुछ बोलना नहीं पड़ा और उसकी मां खुद ही अपनी ब्लाउज के दोनों पट को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी बाहों से निकाल कर उसे भी सोफे के ऊपर फेंक दी थी और इस समय पेटिकोट और लाल रंग की ब्रा में तो कयामत लग रही थी जिसे देखकर अंकित पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था वह अपने आप को कैसे संभाले हुए था यह वही जानता था। अंकित की सांस ऊपर नीचे हो रही थी और अपनी मां की लाल रंग की ब्रा को देखकर वह एकदम से बोल पड़ा।

तुम्हारी साइज से ब्रा का साइज कुछ कम है,,, ऐसा नहीं लग रहा है।
(एकदम से अंकित बोल पड़ा और उसकी यह बात सुनकर खुद सुगंधा भी झेंप गई,,, और अंकित की तरफ आश्चर्य से देखते हुए बोली।)

तुझे ऐसा क्यों लग रहा है?

देखो एकदम साफ दिखाई देना है कि एकदम ठुंस कर भरा हुआ है,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा मुस्कुरा दी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

एकदम सही पकड़ा है तुझे यह सब समझ में आने लगा है,,,।

देख कर कोई भी समझ जाएगा देखो तो सही अगर ठोस के ना भरा होता तो दोनों आपस में एकदम सटी हुई ना होती और लकीर देखो कितनी गहरी है,,,,,,, ऐसा तभी होता है जब दोनों आपस में एकदम सटी हुई होती है,,,,(अंकित उंगली से ही इशारा करके सब कुछ बता रहा था और उसका यह सब इशारा देखकर सुगंधा की बुर पानी छोड़ रही थी,,, अपने बेटे की समझदारी पर वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,, लेकिन ऐसा लग रहा था कि अंकित की बात अभी खत्म नहीं हुई है इसलिए वह आगे बोला,,,)
मैंने तो तुम्हारे लिए तीन जोड़ी लेकर आया था वह क्यों नहीं पहनती,,,,।

अरे अभी यह सब है मेरे पास वह किसी शादी ब्याह त्यौहार के लिए रखी हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही इस बार बिना जीजा के वहां अपने दोनों हाथ को अपने पेटिकोट की डोरी की तरफ ले गई और दोनों हाथों की नाजुक उंगलियों से डोरी के दोनों छोर को पकड़ ली यह देखकर अंकित का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,, क्योंकि कुछ ही देर में उसकी आंखों के सामने उसकी मां केवल ब्रा और पैंटी में होने वाली थी उसकी मां अपने पेटिकोट को उतारने जा रही थी,,,, घर के अंदर हर एक बेटा कभी कबार अपनी मां को इस हालत में देखा ही है कपड़े बदलते हुए कपड़े पहनते हुए लेकिन अंकित अपनी आंखों के सामने अपनी मां को कपड़े उतारते हुए उसके ठीक सामने खड़े होकर देख रहा था यह पल शायद हर एक बेटे के जीवन में नहीं आता लेकिन इसलिए अंकित अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा था और अंदर ही अंदर बहुत खुश और उत्तेजित हो रहा था हालांकि इस दौरान उसके पेंट में पूरी तरह से तंबू बन चुका था,,, जिस पर सुगंधा की नजर बार-बार चली जा रही थी लेकिन वह इस बातसे हैरान थी कि उसका बेटा अपने पेट में बने तंबू को छुपाने की कोशिश क्यों नहीं कर रहा है क्या ऐसा तो नहीं कि वह जानबूझकर उसे अपने पेट में बना तंबू दिखाने की कोशिश कर रहा हूं और वह दिखाना चाह रहा हूं कि अब वह बड़ा हो चुका है किसी भी औरत को खुश करने की क्षमता रखता है या फिर उसे एहसास ही नहीं है कि उसके पेंट में तंबू बन गया है यही सब सोचते हुए सुगंधा अपने पेटिकोट की डोरी को एकदम से खींच दी और उसके पेटिकोट की गींठान एकदम से खुल गई,,,,।

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अंकित की हालत खराब हो रही थी उसकी आंखों के सामने उसकी मां अपनी पेटीकोट को उतार रही थी या एक तरह से कह दो नंगी होने जा रही थी। अगले ही पल सुगंधा अपने दोनों हाथों की उंगलियों को अपनी पेटीकोट में डालकर उसे चारों तरफ से ढीला करने लगेगा वैसे ही पेटिकोट कमर से ही उसे अपने हाथों से नीचे छोड़ दिया पेटिकोट तुरंत उसके कदमों में जा गिरा और वह अंकित की आंखों के सामने निर्वस्त्र हो गई,,,, केवल दो वस्त्र ही थे उसके नंगेपन को छुपाने के लिए यह किसकी तरह और दूसरी पेंटिं जिसमें उसके दोनों अनमोल खजाने छुपे हुए थे,, अंकित तो पागल ही हो गया उसकी आंखें फटी की फटी रह गई वह अपनी मां को देखता ही रह गया,,,, ब्रा पेंटी को छोड़कर उसके बदन पर कोई भी कपड़ा नहीं था। मर्द के सामने जब एक औरत अपने सारे कपड़े उतार कर केवल ब्रा पेंटी में ही खड़ी रहे तो अभी वह मर्द के सामने नंगी ही रहती है क्योंकि फिर यह दो वस्त्र का बदन पर होने का कोई मायने नहीं रखता। कमरे का वातावरण पूरी तरह से गर्म हो चुका था सुगंधा की नजरे शर्म के मारे नीचे झुक गई थी और अंकित अपनी मां के इस रूप को पागलों की तरह देख रहा था।
वाकई बहुत दिनों बाद एक रोमांचक और सच में एक कामुक अपडेट मिला है, सच पूछो तो जो मजा ऐसी कामुक शरारतों में है जिस से धीरे धीरे मदन रस छलकता रहता है। वो मजा चुदाई में नहीं वो तो इस खेल का अंतिम पड़ाव भर है, वरना हर पल मजा देने योग्य है।
 

lovlesh2002

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अगले अपडेट और सुगंधा और अंकित की कामुकता से भरी हुए पलों का इंतजार जो कहानी को आगे बढ़ाएंगे।
 
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rajeev13

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Baat to bilkul sahi he dost

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देखो आपकी जो समस्या थी मैंने उसके समाधान की पेशकश की, आपने कहा मोबाइल स्लो है मैंने नया फोन देने का प्रस्ताव रखा, फिर आपने कहा लिखने के पैसे नहीं मिलते है उस पर भी मैंने आपकी सहायता करनी चाही अब जो भी साफ साफ बता दो आप, लेना है या नहीं ?
 
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