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Incest मुझे प्यार करो,,,

rohnny4545

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भाई ये कहानी बेस्ट होती प्लॉट भी बहुत अच्छा था पर अब क्या ही बोलूं लोगों को सुझाव भी दो तो बुरा लग जाता हैं
Bus ISI tarah se padhte raho

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rohnny4545

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No comments!!! आप जैसा चाहते हैं राजीव भाई वहां तक के सफर में तो अभी कई महीने लग जाएंगे,
और कहानी में तृप्ति को गए हुए सिर्फ 3 दिन ही हुए है जबकि कहानी को तृप्ति के उसके नानी के साथ जाने के बाद लगभग 3 महीने हो गए है, ये बड़ा अटपटा सा लगता है जब रोनी भाई ने बोला कि तृप्ति को गए हुए 3 दिन हो चुके है, इस बात से साफ पता चल रहा है कि कहानी कल्पनाओं में ज्यादा समय बिता रही है हकीकत में दोनों के बीच उतना कुछ नहीं हुआ है और इतनी जल्दी हो भी नहीं सकता, रोनी भाई को पाठकों की रुचि, वक्त और अंकित की हरकतों में तेजी लानी चाहिए वो बिल्कुल जबकि वो 2 औरतों के साथ सब कुछ कर चुका है और बहुत हिम्मत के साथ, जबकि वो घर में इतना शरीफ बना हुआ है ना वो अपना हिलाता है ना खुद कुछ ऐसा करता है कि उसकी मां उसे देख कर कुछ प्लान कर पाए और दोनों की कहानी आगे बढ़े, कहानी में वक्त के साथ रोचकता बनी रहनी चाहिए, मैं नहीं कह रहा हूं कि दोनों अंतिम रेखा तक पहुंच जाए लेकिन, इतना कुछ हो गया है लेकिन आपने अंकित का रोल बिल्कुल साधारण सा बना दिया है जो बोर कर रहा है, बस वो दर्शक का काम कर रहा है खुद से कोई ना पहल कर रहा ना साथ दे रहा है, एक बेटे का अपनी मां के सामने गंदी कहानी बोल बोल कर पढ़ना बहुत ही अजीब था और इतनी आगे बात बढ़ने के बाद वापस अपने दिल की बात नहीं कह पाना कहानी का रोमांच और रोमांस दोनों को ही क्षति पहुंचाता है।
Kahani Ko aap logon ke sath ki bahut jarurat hai ISI tarah se pyar banae rahe

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rohnny4545

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मुझे लगता है रोनी भाई को कहानी में ये सिचुएशन पैदा होने ही नहीं देनी चाहिए थी, पहले ही दोनों सुगंधा और अंकित कुछ नहीं कर पा रहे हैं और फिर दोनों के बीच ऐसी वार्तालाप कहानी की लय को बिल्कुल खराब कर देती है, पहले ही कहानी की रफ्तार बहुत स्लो है ऊपर से अपडेट भी देर से मिलने की वजह से तालमेल नहीं बैठ पा रहा है, अंकित को अपने ऐसा बना रखा है जैसे उसे उसे संस्कारों का मेडल दिलाना हो, अभी तक उसकी तरफ से एक भी कामुक पहल नहीं हुई है उल्टा सुगंधा को भी अपने सेल्फ रिस्पेक्ट और आदर्श की बात कहलवा कर कहानी को रोक दिया है, ना ऐसा पढ़ने में अच्छा लगता है, बेहतर होगा कि अब अंकित अपना रोल आगे बढ़ कर निभाए और ऐसी ऐसी हरकत करे कि उसकी मां सुगंधा अपने संस्कारों को छोड़ कर उसकी वासनामई हरकतों से अंकित के लिए समर्पित होने लगे, बजाए सुगंधा को अपने मुंह से संस्कारों की बात कहला कर उसका सेल्फ रिस्पेक्ट को गिराया जाए।

सच पूछो तो रोनी भाई दोनों ही कहानियां लय से भटक रही है, आपके चाहने वाले पाठक जो हमेशा आपकी कहानी का इंतजार करते हैं ऐसे वार्तालाप की आशा नहीं करते, ना ही मा बेटे के बीच गंदी कहानी को इतनी बेशर्मी से पढ़ने का और उसके बाद अच्छे बनने का ढोंग बचकाना लगता है।


कहानी के प्लाट को एक बार रीसेट कर लो तो कहानी को एक प्रॉपर रास्ता मिलेगा, नहीं तो कहानी बिना रोमांस बिना रोमांच और कामुकता के सेक्सी सीन होते हुए भी पटरी से उतरती हुई नजर आ रही है कृपया एक बार सोच ले कि कहानी को जल्दी से जल्दी कैसे अपने रस्ते पर लाए और जो गांठ आपने दोनों के बीच लगा दी है उसे इतनी आसानी से खोलना मुश्किल है, कई अपडेट्स पर इस वार्तालाप का असर रहने वाला है।
Kahani patari per chadh chuki hai

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