मुझे लगता है रोनी भाई को कहानी में ये सिचुएशन पैदा होने ही नहीं देनी चाहिए थी, पहले ही दोनों सुगंधा और अंकित कुछ नहीं कर पा रहे हैं और फिर दोनों के बीच ऐसी वार्तालाप कहानी की लय को बिल्कुल खराब कर देती है, पहले ही कहानी की रफ्तार बहुत स्लो है ऊपर से अपडेट भी देर से मिलने की वजह से तालमेल नहीं बैठ पा रहा है, अंकित को अपने ऐसा बना रखा है जैसे उसे उसे संस्कारों का मेडल दिलाना हो, अभी तक उसकी तरफ से एक भी कामुक पहल नहीं हुई है उल्टा सुगंधा को भी अपने सेल्फ रिस्पेक्ट और आदर्श की बात कहलवा कर कहानी को रोक दिया है, ना ऐसा पढ़ने में अच्छा लगता है, बेहतर होगा कि अब अंकित अपना रोल आगे बढ़ कर निभाए और ऐसी ऐसी हरकत करे कि उसकी मां सुगंधा अपने संस्कारों को छोड़ कर उसकी वासनामई हरकतों से अंकित के लिए समर्पित होने लगे, बजाए सुगंधा को अपने मुंह से संस्कारों की बात कहला कर उसका सेल्फ रिस्पेक्ट को गिराया जाए।
सच पूछो तो रोनी भाई दोनों ही कहानियां लय से भटक रही है, आपके चाहने वाले पाठक जो हमेशा आपकी कहानी का इंतजार करते हैं ऐसे वार्तालाप की आशा नहीं करते, ना ही मा बेटे के बीच गंदी कहानी को इतनी बेशर्मी से पढ़ने का और उसके बाद अच्छे बनने का ढोंग बचकाना लगता है।
कहानी के प्लाट को एक बार रीसेट कर लो तो कहानी को एक प्रॉपर रास्ता मिलेगा, नहीं तो कहानी बिना रोमांस बिना रोमांच और कामुकता के सेक्सी सीन होते हुए भी पटरी से उतरती हुई नजर आ रही है कृपया एक बार सोच ले कि कहानी को जल्दी से जल्दी कैसे अपने रस्ते पर लाए और जो गांठ आपने दोनों के बीच लगा दी है उसे इतनी आसानी से खोलना मुश्किल है, कई अपडेट्स पर इस वार्तालाप का असर रहने वाला है।