Blackserpant
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Kya मस्त gif
Superसुगंधा कभी सोची नहीं थी कि वह अपने बेटे के तरफ इस तरह आकर्षित होगी कि सपने में भी उसके दिलों दिमाग पर उसके बिस्तर पर उसका बेटा ही छाया रहेगा स्वप्न में ही सही सुगंधा ने अपने बेटे के साथ संभोग सुख का आनंद लूट चुकी थी और जिसके जरिए अपने बेटे से उसकी झिझक खत्म सी होने लगी थी वह अपने मन में कल्पना करती थी कि अगर जो सपने में हुआ वह वास्तविक जीवन में हो जाए तो कैसा हो,,,, उसका बेटा बिस्तर पर कैसा प्रदर्शन करेगा कहीं ऐसा तो नहीं उसकी भरी हुई जवान देखकर ही उसका पानी निकल जाएगा और ऐसा भी हो सकता है कि उसका पानी निकाले बिना वह खुद ना झड़े,,,, अपने बेटे की कायाकल्प को देखकर तो उसे ऐसा ही लगता था कि जैसे उसका बेटा बिस्तर पर उसे संपूर्ण रूप से संतुष्टि प्रदान करेगा,,,,।
इन सब के बारे में सोचकर जहां एक तरफ उसका मन उत्तेजित हो जाता तो वहीं दूसरी तरफ उसका मन भरी भी हो जाता था क्योंकि वह ऐसा ख्वाब की दुनिया ढूंढ रही थी जिसमें उसका हम बिस्तर उसका ही बेटा था जो की दुनिया की नजर में गलत था और इन सब के बारे में सोच कर उसे दुख भी होता था लेकिन इस बात से उसे इनकार भी नहीं था कि अपने बेटे की कल्पना करके इस अत्यधिक आनंद की प्राप्ति भी होती थी,,,, कभी-कभी तो वह इस तरह के खयालात के बारे में सोच कर दुखी भी हो जाती थी और अपने आप को कसम देकर इस तरह की कल्पना में ना खोने का वादा भी करती थी लेकिन दूसरे दिन फिर शुरू हो जाती थी ऐसा हुआ कई बार कर चुकी थी लेकिन उसका खुद के मन पर बिल्कुल भी काबू नहीं था जिसकी वजह से उसके ख्याल आते और उसकी जवानी पूरी तरह से बेलगांव होती जा रही थी उसकी जवानी में खूबसूरती में और ज्यादा निखार आते जा रहा था जिसका घर में जवान बेटे को तो बिल्कुल भी पता नहीं चलता था लेकिन घर के बाहर सभी लोग की नजरे सुगंधा पर ही टिकी रहती थी सुगंधा के आते-जाते हंसने बोलने सब पर कई लोगों की नजर रहती थी,,, लोग सुगंधा के बारे में अपने मन में ही अत्यधिक मादकता भरे कल्पना में खुद को उसकी दोनों टांगों के बीच कल्पना करके आनंद लिया करते थे,,, लोगों को सुगंधा की भारी छातिया और गद्देदार गांड कुछ ज्यादा ही उत्तेजित कर जाती थी,,,, लेकिन इन सबसे अनजान था तो वह था सुगंधा का खुद का जवान बेटा अंकित क्योंकि आज तक कुछ नहीं अपनी मां को किसी गलत नजरिए से देखा ही नहीं था अपनी मां को क्या हुआ किसी भी औरत को कभी भी गलत नजरिए से देखता ही नहीं था,,,, इसीलिए मां बेटे दोनों के बीच जैसा सुगंधा के विचार थे उसे तरह से अंकित के विचार मिलते ही नहीं थे वरना जो कुछ भी स्वप्न में हुआ था उसे हकीकत की शक्ल देने में देर ना लगती,,,।
समय के साथ धीरे-धीरे सब कुछ आगे बढ़ता चला जा रहा था सुगंधा अपने मन में यही सोचती थी कि वह किस तरह से अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करें क्योंकि कई बार सोने के बाद उसने अपने मन में फैसला कर दी थी कि अगर उसे शारीरिक संबंध बनाना ही पड़ा तो वह अपने बेटे के साथ बनाएगी क्योंकि इसमें बदनामी का डर बिल्कुल भी नहीं था,,, और ना ही किसी के द्वारा बदनाम करने के दर से बार-बार शोषण करने का डर था घर की बात घर में ही रह जाती और मजा का मजा मिल जाता लेकिन अपने बेटे के चाल चलन और उसके संस्कार देखकर सुगंधा को लगता नहीं था कि उसका बेटा किसी भी तरह से उसके तरफ आकर्षित होगा,,, लेकिन एक औरत होने के नाते उसे अपने आप पर विश्वास था,,, कि वह अपनी नशीली जवानी के चलते अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने में कामयाब हो जाएगी क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि एक स्वर्ग की अप्सरा ने एक संत की तपस्या को भंग कर दी थी और इस समय वह संत था उसका बेटा और अप्सरा थी वह खुद,,,, बस उसे मौका नहीं मिल रहा था अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए हालांकि वह अपने मन में ठान चुकी थी कि अब वह अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करके अपनी मनमानी करके रहेगी लेकिन इसकी शुरुआत करने में उसके मन में भी झिझक हो रही थी क्योंकि उसे इसह बात का डर था कि अगर उसका बेटा बुरा मान गया तब क्या होगा उसकी नजर में तो वह बदनाम हो जाएगी और उसका बेटा फिर कभी उसकी इज्जत भी नहीं करेगा यह ख्याल मन में आता था तो वह थोड़ा डगम जाती थी लेकिन फिर उसे वही सपना याद आने लगता था जब वह सपने में उसका बेटा उसके साथ जबरदस्त संभोग कर रहा था और फिर इस कल्पना के जरिए वह अपने आप को आगे बढ़ने का दृढ़ विश्वास कराती थी,,,।
धीरे-धीरे सुगंधा अपने जीवन में आगे बढ़ रही थी वह रोज सही समय पर स्कूल पहुंच जाती है और सही समय पर घर पर भी आ जाती थी,, घर के बाहर अगर कोई उसकी सहेली थी तो वह थी नूपुर जिससे वह ज्यादा बातचीत भी नहीं करती थी लेकिन उसे लगता था कि एक वही है जो उसकी सही मायने में सहेली है क्योंकि वह रोज रिशेष पडते ही अपना लंच बॉक्स लेकर उसके पास पहुंच जाती थी और दोनों आपस में मिलकर एक दूसरे का लंच बॉक्स खत्म करते थे,,,, वैसे तो सुगंध को नूपुर के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन धीरे-धीरे सुगंधा को उसी के द्वारा पता चला कि वह शादीशुदा और दो बच्चों की मां ठीक उसकी ही तरह लेकिन उसके दोनों बच्चे अंकित और तृप्ति की तरह जवान नहीं थे,,,,।
सुगंधा वैसे तो खास कुछ अपने बारे में नूपुर को बताती नहीं थी लेकिन उसके बारे में जानने की उत्सुकता उसकी हमेशा बढ़ती ही रहती थी नूपुर सुगंधा जितनी खूबसूरत तो नहीं लेकिन सुगंधा से काम भी नहीं थी दो बच्चों की मां भाभी थी और अपने बदन की देखरेख अच्छी तरह से रख कर वहां भी पूरी तरह से जवान बनी हुई थी पूरी तरह से गदराई जवानी की मालकिन थी नुपुर,,,,,,, वह भी स्कूल अक्सर रिक्शा से या बस तो कभी उसके घर से कोई छोड़ने आ जाता था अधिकतर सुगंधा ने तो एक उम्र दराज आदमी को ही देखी थी जिसकी तोंद कुछ ज्यादा ही निकली हुई थी और देखने में कुछ खास नहीं था स्कूटर पर उसके पीछे बैठकर वह कभी-कभी स्कूल आतीनथी स्कूटर वाले आदमी को देखकर उसके बारे में जानने की उत्सुकता कुछ ज्यादा ही थी सुगंध को बचाना चाहती थी कि नूपुर जिसके साथ बैठकर आती है वह है कौन उसका पति है या कोई और या घर का कोई सदस्य,,,,,,।
और ऐसे ही एक दिन दोनों विशेष के समय लंच कर रहे थे तो बात ही बात में सुगंधा नूपुर से बोली,,।
नूपुर वह स्कूटर पर तुम जिसके साथ बैठ कर आती हो कौन है वो,,,,(नूपुर की तरफ देखे बिना ही सुगंधा उससे बोली,,, लेकिन नजर नीचे किए हुए भी वह नूपुर की तरफ कर नजरों से देख रही थी वह एक तरह से नूपुर के चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रही थी कि नूपुर क्या जवाब देती है,,,, सुगंधा के मुंह से इस बारे में बात की जिक्र छिड़ते ही नूपुर एकदम से शक पका गई नूपुर के चेहरे को देखकर ही लग रहा था कि वह जवाब देना नहीं चाह रही थी और उसके चेहरे पर आया यह भाव सुगंधा को अच्छी तरह से समझ में आ रहा था,,,, नूपुर यह सवाल सुनकर खामोश रही और लंच करने में ही अपने आप को व्यस्त करने की कोशिश में लगी रही तो सुगंधा अपने सवाल का जवाब न पाकर एक बार फिर से बोली,,,)
क्या हुआ,,, तुम बताई नहीं कौन है वो,,,,
वह मेरे पति हैं,,,( अपनी नजरों को नीचे करके अगल-बगल देखते हुए नूपुर ने यह जवाब दी और ऐसा लग रहा था कि जैसे नूपुर सुगंधा के सवाल का जवाब नहीं देना चाहती थी या अपने और उसके बीच के रिश्ते को बताना नहीं चाहती थी लेकिन एक बार तो सुगंधा को झटका सा लगा नूपुर के मुंह से यह सुनकर कि वह इंसान उसका पति है,,, जवाब देने के बाद अनूपपुर अपने आप को लंच करने में व्यस्त कर दी लेकिन पल भर में ही सुगंधा नूपुर के दर्द को अच्छी तरह से समझ गई,,, सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी कि नूपुर बहुत खूबसूरत औरत है कदकाठी और रंग रखाव में भी एकदम गोरी चिट्टी,,, बदन का भराव एकदम मादकता लिए हुए था,,, और ऐसे खूबसूरत बदन की मालकिन होने के नाते किसी भी सूरत में वह उस इंसान की बीवी नहीं लगती थी,,, इसीलिए तो सुगंध अपने मन में ही सोचने लगी कि कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली यह तो लंगूर के हाथ में अंगूर लग जाने जैसी बात थी लेकिन यह बात सुगंधा इस समय कहना नहीं चाहती थी लेकिन पल भर में ही भानपुर के दर्द को समझ गई थी कितनी खूबसूरत औरत भला उसे इंसान के साथ कैसी रहती होगी जो की उम्र में भी उससे बड़ा था और लगभग उसके ससुर की उम्र जैसा ही लगता था दोनों साथ में चलते समय किसी भी सूरत में पति-पत्नी लगते ही नहीं थे और यही प्रश्न सुगंधा के मन में भी था इसीलिए वह अपने मन की उत्सुकता को खत्म कर लेना चाहती थी इसीलिए सुगंधा ने नूपुर से यह सवाल पूछी थी,,,, सवाल जवाब के बाद कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही इस खामोशी को सुगंधा ही खत्म करते हुए बोली,,,)
नूपुर बुरा ना मानना लेकिन तुम्हें देखने के बाद किसी को यकीन ही नहीं होगा कि वह तुम्हारा पति है मुझे माफ करना मैं यह बात कहना नहीं चाहती थी लेकिन मुझे कहना पड़ रहा है क्योंकि तुम बहुत खूबसूरत हो मुझे लग रहा था कि शायद तुम्हारा पति तुम्हारी तरह ही होगा लेकिन सब किस्मत की बात है लेकिन यह सब हुआ कैसे वह तो उम्र में तुमसे भी ज्यादा बड़े हैं,,,,
मजबूरी,,,(कुछ देर खामोश रहने के बाद नूपुर बोली)
मजबूरी,,,, कैसी मजबूरी (आश्चर्य जताते हुए सुगंधा बोली,,)
गरीबों की और कैसी,,,(नूपुर थोड़ा सा चिढ़ते हुए बोली,,, उसकी बात से लग रहा था कि जैसे वह जवाब देना नहीं चाहती थी लेकिन फिर भी सुगंधा बोल पड़ी,,,)
गरीबी मैं कुछ समझी नहीं,,,
हम सात भाई बहन थे पांच बहन और दो भाई,,, मैं तीसरे नंबर की थी बहनों में दो बहनों की तो शादी जैसे तैसे करके मम्मी पापा ने कर दी है लेकिन उसके बाद पापा की नौकरी छूट गई कहीं नौकरी नहीं मिल रही थी पैसे का जुगाड़ नहीं हो रहा था और मेरी शादी की उम्र हो चुकी थी मेरे पिताजी और मेरी गरीबी का फायदा उठाकर मेरे पति के पिताजी मेरे पिताजी से मिलकर शादी में की कर दिए शादी का सहारा खर्चा गहना कपड़े लगते सब कुछ का खर्चा उन्हीं लोगों ने दिया,,, मेरे पिताजी मजबूर थे और शादी तय हो गई,,,,
क्या कह रही हो नूपुर इसमें तुम्हारी मर्जी थी,,,
तुम्हें क्या लगता है मेरी जैसी औरत की मर्जी होगी क्या भला लेकिन मैं मजबूर थी ना चाहते हुए पर मुझे हां कहना पड़ा और नतीजा तुम देख रही हो,,,,
(इतना कहते हुए उसकी आंखें छलक आई जिसे वह अपने रुमाल से पोछने की कोशिश कर रही थी,,, सुगंधा तुरंत हाथ बढ़ाकर उसकी हथेली को अपने हथेली में लेकर दबा दी यह एक तरह से उसकी तरफ सांत्वना का इशारा था उसे शांत कराते हुए सुगंधा बोली,,,)
इंसान अपने मन में तो बहुत कुछ सोच कर रखता है अपने सपनों की दुनिया अलग ही बसा कर रखता है लेकिन हकीकत कुछ और होती है क्योंकि किस्मत में जो कुछ भी लिखा होता है वह तो होना ही है तुम्हें देखकर कोई नहीं कहेगा कि तुम्हारी पसंद ही की शादी हुई है लेकिन कर भी क्या सकती है किस्मत को मंजूर भी यही था,,,,।,,,
मेरे बारे में तो जान गई लेकिन अपने बारे में कुछ तो बताओ,,,(नूपुर बहुत ही ज्यादा अपने आप को स्वस्थ करते हुए बोली,,,,, नूपुर की बात सुनकर सुगंधा के भी चेहरे पर उदासी छाने लगी,,, वह गहरी सांस लेते हुए बोली,,,)
अपनी तो जिंदगी एकदम खुली किताब की तरह है मेरे दो बच्चे हैं और पति का देहांत हुए बरसों गुजर गए,,,,।
क्या,,,,?(सुगंधा के मुंह से इतना सुनते ही एकदम से आश्चर्य में नूपुर बोली क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था की सुगंधा जो कुछ भी कह रही है वह सही है,,,)
हा नुपुर यह सच है मेरे पति का देहांत हुए लगभग लगभग सात आठ साल गुजर चुके हैं मेरे दो बच्चे हैं बड़ी लड़की है छोटा लड़का है ,,,,
मुझे माफ करना सुगंधा मुझे मालूम नहीं था लेकिन तुम्हें देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि तुम इतना बड़ा दुख हंसते-हंसते झेल रही हो,,,,
मैं तुमसे कहीं ना नुपुर कि इंसान सोचता कुछ और है होता कुछ और है,,,, मेरे पति भी इसी स्कूल में शिक्षक थे और यह अच्छा हुआ कि उन्होंने मुझे भी इस स्कूल में शिक्षिका के रूप में जोब दिल दिए थे वरना गुजारा करना मुश्किल हो जाता,,,
(सुगंधा के जीवन के बारे में सुनकर नूपुर को बहुत दुख हो रहा था क्योंकि नूपुर ने कभी सपने में नहीं सोची थी कि इतनी खूबसूरत और हंसते खेलते रहने वाली औरत इतना बड़ा दुख झेल रही है,,,, वह दोनों के बीच बातों का सिलसिला और बढ़ता इससे पहले ही रिशेष पूरी होने की घंटी बज गई और दोनों एक दूसरे की तरफ मुस्कुराते हुए देख कर अपना लंच बॉक्स बैग में रखकर अपनी अपनी क्लास की तरफ जाने लगी,,,,।)
रात को खाना खाने के बाद अपने कमरे में बिस्तर पर पडते ही फिर से वही सिलसिला शुरू हो गया,,,, बिस्तर पर जाते ही अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई फिर वही अपनी उंगलियों का सहारा लेकर अपने जवानी की प्यास को बुझाने की कोशिश करने लगी,,,, और फिर गहरी निंद्रा में सो गई सुबह-सुबह जब दरवाजे पर दस्तक होने लगी तो उसकी आंख खुली और अपने आप को बिस्तर पर संपूर्ण रूप से नंगी देखकर वह जल्दी से उठकर बैठ गई वह जानती थी कि दरवाजे पर दूध वाला आया था वह अपने सारे कपड़े पहनने में असमर्थ थी इसलिए गाउन को जैसे तैसे करके पहन ले और फिर अपने कमरे से निकलकर और किचन में गई और एक पतीला लेकर मुख्य दरवाजे पर पहुंच गई और दरवाजा खोलकर दूध लेने लगी दूध वाला सुगंधा को देखकर रोज की तरह ही मुस्कुराया और बोला,,,)
बीबी जी थोड़ा जल्दी उठ जाया करो मुझे देर हो जाती है,,,,
माफ करना आंख लग गई थी,,,,(और इतना कहते हुए बात पतीला लेकर थोड़ा सा झुक गई दूधवाला साइकिल को स्टैंड पर लगाकर,,, दूध के कान में से नाप भरकर दूध निकाला और पतीला में डालने लगा,,, अभी तक तो वह केवल दूध की धार देख रहा था लेकिन उसकी नजर जैसे ही धार के ठीक सामने गई तो उसके होश उड़ गए,,, क्योंकि दूध लेने के लिए सुगंध झुकी हुई थी और झुकाने की वजह से उसके गांव में से उसकी मदमस्त कर देने वाली खरबूजे जैसी च एकदम साफ दिख रही थी और साथ ही उस चुचियों की शोभा बढ़ा रही उसकी कड़क निप्पल भी एकदम तनी हुई साफ दिख रही थी,,,, यह नजारा देख कर तो दूध वाले की हालत खराब हो गई और उसके पेट में तंबू बनना शुरू हो गया,,,। और इस बात से सुगंधा बिलकुल बेखबर थी क्योंकि अभी भी हल्की-हल्की नींद में ही थी ,, दूध वाला तो पहला नाप भरकर दूध पतीला में डाला,,, और उसके बाद उसे आधा ही नाप डालना था लेकिन इस बार भी वह पूरा नाप भर लिया था दूध से और पतीला में डालते हुए वह सुगंधा की गाउन में उसकी चूचियों को देखता रहा उसकी कड़क निप्पल को देखकर उसका लंड कड़क हो गया था,,, सुगंधा को अभी तक इस बात का अहसास तक नहीं हुआ था कि वह दूध वाला उसकी चूचियों को देख रहा था जो कि एकदम साफ नजर आ रही थी,,,,, उसका ध्यान तब गया जब पतीले में से दूध नीचे गिरने लगा हुआ एकदम से दूध वाले को बोली,,,।
अरे अरे भैया यह क्या कर रहे हो,,,,(इतना कहते हुए वह दूध वाले की तरफ देखी तो उसकी निगाहों की सिधान पर जब उसका ध्यान गया और वह नजर झुका कर अपनी छातियों की तरफ देखने लगी तो उसके होश उड़ गए वाकई में उसकी चूची एकदम साफ नजर आ रही थी उसे इस बात का एहसास हुआ कि उस गलती हो गई थी रात को वह नंगी ही सो गई थी वह सुबह उठते ही वह जल्दबाजी में केवल गाउन पहनकर बाहर आ गई थी जिसमें से उसका पूरा बदन एकदम साफ झलक रहा था,,,, अपनी गलती का अहसास होते ही सुगंधा तुरंत अपना एक हाथ अपने गाऊन के उपर सतह पर रखकर अपनी चूचियों के नजारे को छुपाने की कोशिश करने लगी,,,, सुगंधा की हरकत को देखकर दूध वाले को समझ में आ गया कि वह जान गई है इसलिए वह तुरंत बिना कुछ बोले साइकिल को स्टैंड पर से उतरा और तुरंत वहां से रवाना हो गया सुगंध को अपनी गलती का एहसास हो रहा था वह तुरंत दरवाजा बंद करके कमरे में आ गई और फिर रसोई घर में प्रवेश करते ही वह ट्यूबलाइट की स्वीच ऑन करके दूध के पतीले को किचन पर रखकर गहरी गहरी सांस लेने लगी शुरू शुरू में तो उसे एकदम से घबराहट महसूस होने लगी लेकिन जिस तरह से वह दूध वाला उसकी चूचियों को देख रहा था सुगंधा के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, वैसे तो सड़क पर आते जाते हर कोई उसके बदन को अपनी आंखों से नजर भर कर देखता ही रहता था लेकिन आज पहली बार था जब उसकी आंखों के सामने एक दूध वाला उसकी नंगी चूचियों को जी भर कर देख रहा था इस बात का एहसास उसके बदन में उत्तेजना की लहर पैदा कर रहा था वह दूध वाले के बारे में सोचने लगी तभी उसके मन में युक्ति सोचने लगी वह अपने मन में सोचने लगी कि जब दूध वाला उसकी चूची की झलक भर देख कर इस कदर पागल हो सकता है तो उसका बेटा क्यों नहीं,,,, और यही सोचकर उसके होठों पर मादक मुस्कान नाचने लगी,,,,।
Kya बात haiअश्लील उपन्यास को पढ़कर और वह भी एक मां बेटे वाली कहानी को पढ़कर तो मानो जैसे सुगंधा का दिमाग एकदम से बदल गया था,,,, वह अपने आप को कहानी वाली मां की जगह रखकर और उसके लड़के की जगह अपने बेटे को रखकर वह मन में कल्पना करने लगी और उसे ऐसा करने में बहुत ज्यादा आनंद की प्राप्ति होने लगी वह पूरी तरह से पहन चुकी थी वह अपने बेटे के साथ संबंध बनाने के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी बस शुरुआत करने की देरी थी,,,, अब धीरे-धीरे सुगंधा अपने बेटे के सामने अश्लील हरकत करने की शुरुआत कर दी थी,,,, उसे पूरा विश्वास था कि एक न एक दिन उसकी गर्म जवानी के संपर्क में जाकर उसके बेटे का गरम लावा जरूर पिघलेगा,,,, और उम्मीद पर तो दुनिया कायम थी,,,।
ऐसे ही एक दिन वह किचन में सब्जी काट रही थी,,,,,, और सब्जी काटते काटते उसका कामुक दिमाग बड़ी तेजी से चलने लगा घर में उसे वक्त तृप्ति और अंकित दोनों मौजूद थे तृप्ति पढ़ाई कर रही थी और अंकित यूं ही किचन के सामने ही बैठा हुआ था,,,,,, वह अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहती थी इसलिए बार-बार सब्जी काटते हुए अपनी कलाइयों की चूड़ियों को बचा रही थी ताकि उसका बेटा उसकी तरफ देखे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था रह रहा कर सुगंधा को अपने बेटे पर गुस्सा भी आ रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि अगर उसकी जगह कोई और जवान लड़का होता तो जरूर उसकी तरफ देखकर मुस्कुराता उसकी हरकतों से उत्तेजित होता और उसकी तरफ आकर्षित होकर खुद भी उसके साथ गंदी हरकत करता लेकिन ऐसा कुछ भी ना होता देखकर सुगंध मन ही मां अपने बेटे को ही भला बुरा कहने लगी,,, लेकिन वह अपनी हरकत को जारी रखते हुए अपने मन में कुछ सोचने लगी और फिर उसके बाद,,,,।
बड़े से बर्तन में आटा लेकर उसमें पानी डालकर आंटा को गुंथने लगी,,,,,,,,, और फिर धीरे से अपने ब्लाउज के ऊपर के दो बटन जल्दी-जल्दी खोल दी और अपनी चूची को नीचे से पकड़ कर उसे ऊपर की तरफ थोड़ा सा उठा देता कि वह काफी अच्छे आकार में उसके बेटे को दिखाई दे और फिर अपने खुले बालों को दोनों तरफ से अपने गले से नीचे की तरफ लटका दी और कुछ बालों को अपनी आंखों की तरफ कर दी और फिर अपनी साड़ी के पल्लू को एकदम से नीचे गिरा दी,,,, ऐसा करते हुए वह अपने बेटे की तरफ देख रही थी लेकिन उसका बेटा था कि अपने में ही मस्त था वह जवानी से भरी हुई अपनी मां की तरफ देख ही नहीं रहा था,,, और उसी बात का तो उसे मलाल था,,,, और अपने इसी मलाल को वह काम करना चाहती थी इसलिए अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर चुकी थी,,, वह वापस आटे को गुंथने लगी,,, देखते ही देखते सुगंध अपने दोनों हाथों में आंटा चुपड ली,,,,।
वह पूरी तैयारी कर चुकी थी उसका दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह अपनी कामुक हरकत को अंजाम देने जा रही थी एक बार वह अपनी छातियों की तरफ देखने लगी जो की अच्छी खासी उभरी हुई नजर आ रही थी,,,, वह अपने बेटे की तरफ देखी और उसे आवाज लगाते हुए बोली,,,।
अंकित ,,,,ओ,,, अंकित,,,
क्या हुआ ,,,?(वह एकदम से अपनी मां की तरफ देखते हुए बोला,,,)
जरा इधर आना तो,,,,
क्या हो गया,,,(ऐसा कहते हुए वह अपनी जगह पर खड़ा हो गया और रसोइ की तरफ आने लगा,,,, और और अपनी मां के पास पहुंचकर वह बोला,,,)
क्या हुआ मम्मी,,,,?(अंकित अपनी मां की बेहद करीब था ठीक आमने-सामने अगर उसकी जगह कोई और लड़का होता तो उसकी नजर सीधे सुगंधा की भारी भरकर छतिया पर जाती उसकी अस्त व्यस्त हालत पर जाती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ,,,, वह पूरी तरह से सहज था और इसी बात का गुस्सा सुगंधा के मन में भी था क्योंकि उसका बेटा ठीक उसकी आंखों के सामने खड़ा था और जो चीज जवानी की उम्र में देखना चाहिए वह उसे दिखाई नहीं दे रही थी इसलिए वह थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,)
अरे हुआ कुछ नहीं बस मेरे चेहरे पर से बाल तो हटा दे,,,,
ओहहहह,,,(अपनी मां के कहने पर उसकी नजर उसके चेहरे पर उड़ रहे उसकी बालों की लातों पर गई तब उसे पता चला कि मामला क्या है और अपना हाथ आगे बढ़ाकर वह अपनी मां के गाल पर से बालों की लटो को हटाने लगा,,,,, अपने बेटे की उंगलियों को अपने गालों पर उसके स्पर्श का अनुभव होते ही सुगंधा उत्तेजना के मारे एकदम से सिहर उठी उसके बदन में झुनझुनी सी फैलने लगी,,,, और वह उत्तेजित होते हुए अपनी छाती के उभार को कुछ ज्यादा ही आगे तरफ बढ़ा दी और इसका एहसास अंकित को भी अच्छी तरह से हुआ अपनी मां की हरकत पर अंकित की नजर सीधे उसकी चूचियों पर चली गई और अपनी मां के ब्लाउज की ऊपर के दो बटन को खुला हुआ देखकर वह हैरान हो क्या क्योंकि उसमें से उसकी आधी चूचियां एकदम बाहर की तरफ झांक रही थी मानो की कैद में पड़े कबूतर बाहर आने के लिए फड़फड़ा रहे हैं यह पहला मौका था जब अंकित अपनी मां की चूचियों की तरफ इस तरह से देख रहा था आखिरकार अंकित पूरी तरह से जवान था औरत को देखकर आकर्षण पैदा होना लाजिमी था ऐसा तो वह पहले कभी अनुभव नहीं किया था लेकिन आज इतने करीब से अपनी मां की मदद कर देने वाली चूचियों को देखकर वह हैरान हो गया,,,, और ऊपर के दो बटन खुले होने की वजह से उसकी मां की आधे से ज्यादा चूचियां एकदम साफ नजर आ रही थी और उसे देखकर ना जाने क्यों अंकित के मुंह में पानी आने लगा ऐसा उसके साथ पहली बार हो रहा था वह अपनी मां के बाल के लटो को उसकी खूबसूरत चेहरे से दूर करते हुए अपनी निगाह को वह अपनी मां की छातियों पर ही टिकाया रह गया,,,,।
अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, अपने बेटे को इस तरह से देखा हुआ प्रकार सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी वह मदहोश होने लगी उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी बुर से नमकीन पानी बहने लगा क्योंकि वह अपनी युक्ति में अपनी इरादे में कुछ हद तक कामयाब होती नजर आ रही थी,,,, और इस बार सुगंधा एक कदम धीरे से आगे बढ़ाई और अपनी छतिया को गहरी सांस लेते हुए ऊपर की तरफ कुछ ज्यादा ही उठा दी और उसके ऐसा करने से अंकित के चेहरे की टोढी सीधे सुगंधा की चूचियों पर स्पर्श हो गई और तब जाकर अंकित को होश आया वह एकदम से हड़बड़ा गया,,,, और अपने आप को एकदम से पीछे ले लिया मानो कि जैसे बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो,,,, यह देख कर सुगंधा अपने बेटे को सहज करते हुए बोली,,,
क्या हुआ,,, ऐसे क्यों हड बढ़ा रहा है,,,,(और तुरंत अंकित के ध्यान को दूसरी तरफ घूमाते हुए बोली,,) मेरे साड़ी का पल्लू तो ठीक से कर दे,,,,
ओहहह ,, हां,,,,,,(अपनी मां की बात सुनकर जैसे उसे एकदम से होश आया हो वह तुरंत एक बार फिर से अपनी मां की खूबसूरत बदन की तरफ देखा और उसे इस बात का एहसास सुबह की उसके साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर गया था जिसकी वजह से उसकी छाती का उभार एकदम साफ नजर आ रहा था,,,,, वह धीरे से अपनी मां के साड़ी के पल्लू को पकड़ा और उसे ठीक करते हुए उसकी मद-मस्त जानलेवा छातियों को साड़ी के पल्लू से ढंकते हुए,,,) क्या मम्मी तुम भी साड़ी के पल्लू को नहीं संभाल पा रही हो,,,,,
(अपने बेटे किस तरह की बात को सुनकर सुगंधा अपने मन में ही बोली,,, सही कह रहा है बेटा तू अब मुझसे मेरी साड़ी का पल्लू संभाला नहीं जा रहा मेरी जवानी मुझसे संभाली नहीं जा रही है मेरी जवानी बेलगाम हो चुकी है इसे अपने लगाम से कस दे मेरे राजा,,,,, और अपने आप को संभालते हुए वह बोली,,,)
क्या करूं बेटा खाना बनाते समय अक्सर ऐसा हो जाता है और हाथ में मेरे आटा लगा हुआ था वरना मैं खुद ही ठीक कर लेती,,,,((मन में तो आ रहा था कि वह अपने बेटे को ब्लाउज का बटन बंद करने के लिए भी बोलते लेकिन न जाने क्यों इस समय वह शर्म महसूस करने लगी थी और वह ऐसा नहीं बोल पाई,,, लेकिन सुगंधा अपनी नजरों को अपने बेटे की दोनों टांगों के बीच ले जाने से रोक नहीं पाई और जैसे ही उसकी नज़रें अपने बेटे के दोनों टांगों के बीच पहुंची तो वह देखकर हैरान रह गई क्योंकि उसके बेटे की पेंट में आगे वाले भाग में तंबू बना हुआ था और वह तंबू सामान्य बिल्कुल भी नहीं था उसे तंबू का तनाव कुछ ज्यादा ही बड़ा था जिसे देखते ही सुगंधा की बुर उत्तेजना के मारे फुलने पिचकने लगी थी,,,, कुछ पल के लिए तो सुगंधा को लगा कि यह पल यही थम जाए तो कितना अच्छा हो,,,, लेकिन ऐसा संभव नहीं था अंकित अपनी मां की साड़ी के पल्लू को ठीक करके वहां से जल्द से जल्द हट गया और वापस अपनी जगह पर आकर बैठ गया,,,,।
वैसे तो वह अपने आप को हमेशा सामान्य ही रखता था लेकिन आज उसकी मां की ऊभरी हुई छतियो को देखकर उसके होश उड़ गए थे,,, सामान्य तौर पर कभी भी उसकी नजर औरतों की छातियों पर या उनके नितंबों पर पड़ भी जाती थी तो भी वह उस नजारे को गलत नजरिए से नहीं देखता था,,,, लेकिन आज पहली बार वह अपनी मां की खुली चाहती हो और ब्लाउज के खुले हुए बटन को देखकर पूरी तरह से मंत्र मुग्ध हो गया था,,,, पहली बार उसे एहसास हुआ कि औरतों की छातियों में कितना आकर्षण होता है,,,, वह अपनी जगह पर बैठ कर उसी दृश्य के बारे में सोच रहा था और न जाने क्यों उस द्शय के बारे में सोच कर उसके तन-बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, तभी अचानक उसे इस बात का एहसास हुआ कि पेंट के अंदर उसका लंड एकदम से तन गया है,,,, और इस एहसास से उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ने लगी तरफ देखा तो उसमें अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देखकर वह हैरान हो गया था हैरानी उसे इस बात की नहीं थी कि उसका लंड इस समय खड़ा हो गया था हैरानी तो उसे इस बात की थी कि अपनी मां की छातियों को देखकर उसकी हालत हुई थी,,,, इसीलिए उसे बड़ा अजीब लग रहा था क्योंकि उसने आज तक अपनी मां को गलत नजरिए से नहीं देखा था अपनी मां को क्या वह किसी भी औरत और लड़कियों को गलत नजरिए से देखता ही नहीं था,,,। लेकिन आज न जाने उसे क्या हो गया था उसे ऐसा लग रहा था कि उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई है वह तुरंत अपनी जगह से उठकर खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ चला गया बाथरूम में जाकर वह बाथरूम का दरवाजा बंद करके अपनी पेंट का बटन खोलकर उसे घुटनों तक खींच दिया और फिर अपने अंडर बियर को दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे की तरफ सरकाते हुए खड़े लंड की वजह से ऐसा करने में उसे दिक्कत महसूस हो रही थी,,,, लेकिन फिर भी वह जबरदस्ती करता हुआ अपनी अंडरवियर को नीचे की तरफ खींच दिया और जैसे ही अंडर बियर नीचे गई वैसे ही उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड एकदम से स्प्रिंग की तरह उछल पड़ा,,, और तीन चार बार ऊपर नीचे करके होने लगा यह देखकर खुद अंकित भी हैरान हो गया सही मायने में वह अपने खड़े लंड को पहली बार अपनी आंखों से देख रहा था,,,
अंकित का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था उत्तेजना के मारे उसके लंड की नशे एकदम फुल चुकी थी जॉकी लंड के उपर उभरी हुई नजर आ रही थी,,,, अपने लंड की हालत को देखकर खुद अंकित हैरान हो गया था,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह धड़कते दिल के साथ अपने खड़े और मोटे लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और न जाने क्यों इस समय अपने लंड को पकड़ने में उसे कुछ ज्यादा ही आनंद की अनुभूति हो रही थी और वह एक बार लंड की चमड़ी को पीछे की तरफ खींचा तो उसका सुपाड़ा एकदम से आलू बुखारे की तरह खिल उठा,,,, जोकि रक्त के बहाव के कारण एकदम लाल हो चुका था,,, और फिर उसके लंड से पेशाब की धार फूट पड़ी जो कि सामने की दीवार से टकरा रही थी,,,, अनायास ही पेशाब करते समय लंड की चमड़ी को आगे पीछे वह दो-चार बार खींच दिया,,,, और ऐसा करने पर उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसे नहीं मालूम था कि उसके बदन में यह बदलाव किस लिए हो रहा था उसे आनंद किस लिए आ रहा है अगर तीन चार बार वह और अपने लंड की चमड़ी को आगे पीछे करके खींच देता तो उसके लंड से वीर्य का फवारा फुट पड़ता,,,, लेकिन वह अपने बदन में जिस तरह की हलचल हो रही थी उसे देखते हुए उसके मन में थोड़ी घबराहट भी थी और वह तुरंत पेशाब करने के बाद अपने लंड को अपने हाथ से छोड़ दिया,,,,और फिर वह अपनी पेंट को पहनकर बाथरूम से बाहर आ गया,,, लेकिन इस बार वह किचन के सामने नहीं बल्कि अपने मन को शांत करने के लिए घर से बाहर टहलने के लिए निकल गया,,,।
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है सुगंधा अंकित से पैंटी खरीदने के लिए बोलती है तो अंकित उससे नाप नही होने की बात बोलता है सुगंधा उससे नाप लेने के लिए बोलती है नाप लेते टाइम दोनो ही उत्तेजित हो जाते हैं सुगंधा की बुर तो पूरी पानी पानी हो गई हैस्कूल जाने से पहले अंकित अपनी मां से मजा लेना चाहता था अपनी हरकतों से नहीं बल्कि अपनी बातों से बातें ही बात में दोनों के बीच चड्डी को लेकर बहस हो गई थी,,,, क्योंकि अंकित ने अपनी मां से वादा किया था कि वह उसके लिए चड्डी लेकर आएगा लेकिन अभी तक जल्दी लाया नहीं था और वैसे भी उसे समय नहीं मिला था चड्डी लाने का और ना ही ईस बारे में कुछ दिनों से कोई बात हुई थी क्योंकि तृप्ति के कॉलेज की छुट्टी थी और वही घर पर रहती थी अपनी मां के साथ इसलिए दोनों को बात करने का मौका भी नहीं मिला था,,, और इसीलिए सुगंधा को भी अपने बेटे से कहने का मौका मिल गया,,,।
Ankit or uski ma
लेकिन इस मौके का अंकित थोड़ा फायदा उठा लेना चाहता और इसीलिए दोनों के बीच चड्डी को लेकर बातचीत हो रही थी और बात ही बात में अंकित ने अपनी मां से पूछ लिया कि अगर तुम्हारे पास चड्डी नहीं है तो दिखाओ कि तुम पहनी हो कि नहीं यह तो अंकित के मन की शरारत थी क्योंकि वह अपनी मन में एक औरत देखा था खूबसूरत औरत प्यासी औरत और इसीलिए वह अपनी मां से बेटे की तरह नहीं बल्कि एक मर्द की तरह बातें करता था जिसमें उसे तो मजा आता ही था उसकी मां को भी बहुत मजा आता था अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा भी बिना पल गंवाए तुरंत अपनी साड़ी उठाकर अपनी नंगी गांड को अपने बेटे की आंखों के सामने कर दी ताकि वह जी भर कर उसकी नंगी जवानी को उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड को देख सके,,, और अंकित भी अपनी मां की नंगी गांड को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,,।
इस बेहतरीन खूबसूरत नजारे को देखकर अंकित के पेंट में तंबू बन चुका था,,, और जिस तरह से सुगंध अपनी साड़ी उठाकर अपने बेटे को अपनी नंगी गांड दिखाई थी अंकित को यकीन हो गया था कि उसकी मां के पास पहनने के लिए चड्डी नहीं है,,, इसलिए सुगंधा भी अपने बेटे से बोली,,,।
अब तो तुझे यकीन हो गया ना मेरे पास चड्डी नहीं है,,,।
हां मम्मी सच में तुम्हारे पास तो चड्डी नहीं है,,, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि इतनी खूबसूरत औरत जो इतनी खूबसूरत साड़ी पहनती है इतनी खूबसूरत सज धज कर रहती है और उसके पास पहनने के लिए चड्डी नहीं है मैं क्या कोई भी यकीन नहीं कर पाएगा,,,।
(अंकित एक तरह से अपनी मां की तारीफ कर रहा था और अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर सुगंधा गदगद हुए जा रही थी उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे,,, अपने बेटे से उसकी बातों से वह प्रभावित हुए जा रही थी वह फिर से खाना बनाने में लग गई थी क्योंकि अपने बेटे से नजर मिलाने में उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा उसके सामने आ जाता और वह नहीं चाहती थी कि उसके बेटे को ऐसा लगी कि उसकी बातें सुनकर उसे बहुत मजा आ रहा है इसलिए वह अपने बेटे की बात को नजर अंदाज करते हुए बोली,,,)
Ankit or uski ma ki masti
चल रहने दे कोई कुछ नहीं कहता और नहीं कुछ सोचेगा मेरे बारे में क्योंकि मैं इतनी कोई खास नहीं हूं,,,,,।
क्या बात कर रही हो मम्मी कौन कहता है कि तुम खास नहीं हो एकदम फिल्म की हीरोइन लगती हो,,,।
चल रहने दे चिकनी चुपड़ी बातें करने को तुझे भी बहुत बातें आने लगी है,,,।
मैं तो सच कह रहा हूं और तुम हो कि इसे सिर्फ बातें ही समझ रही हो,,,,। वैसे मम्मी तुम अंदर कुछ नहीं पहनी हो तो तुम्हें अजीब सा नहीं लगता होगा,,, मेरा मतलब है कि अगर मैं एक दिन अंडरवियर ना पहनू तो मुझे अजीब सा लगता है क्या तुम्हें भी ऐसा लगता है,,,।
वैसे तो कुछ खास नहीं लेकिन कुछ न पहनने की वजह से हवा लगती रहती है,,,,।
ओहहह यह तो जरूरी है मम्मी क्योंकि वहां तो कुछ ज्यादा ही गर्मीहोगी,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर एकदम से सुगंधा सन्न रह गई और आश्चर्य से अपने बेटे की तरफ देखने लगी क्योंकि बातों ही बातों में उसके बेटे ने हकीकत बयां कर दिया था और इस बात का एहसास अंकित को भी था लेकिन वहां इस बात पर बिल्कुल भी जोर देना नहीं चाहता था कि वह अनजाने में यह बात कह दिया है बल्कि वह ऐसा ही जताना चाहता था कि जो कुछ भी उसने बोला है वह एकदम सही बोला है,,, लेकिन अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी अपने बेटे की बात के मतलब को समझ कर उसके बदन में मदहोशी छाने लगी और वह फिर से अपने आप को खाना बनाने में व्यस्त करने का नाटक करते हुए अपने बेटे की तरफ मुंह किए बिना ही बोली,,,।)
तुझे कैसे मालूम कि दोनों टांगों के बीच गर्मी ज्यादा होती है,,,।
Ankit or uski ma
(अपनी मां का यह सवाल सुनकर खुद अंकित की हालत खराब होने लगी वह अपने मन में सोचने लगा कि उसकी मैया कौन सा सवाल पूछ बैठी है और फिर तभी उसे ख्याल आया कि उसकी मां भी यही चाहती है कि वह जवाब दे वरना इस सवाल पर वह खुद आंख दिखाने लगती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था उसकी मां खुद इसका जवाब पूछ रही थी,,, और अंकित सवाल का जवाब भी देना चाहता था लेकिन सीधे-सीधे नहीं बल्कि घुमा फिरा कर क्योंकि उसे इस बात का डर भी था कि अगर एकदम से खुलकर बोल दिया तो शायद उसकी मां गुस्सा करने लगेगी इसलिए वह बोला,,,।)
अरे मम्मी हम लड़कों को भी टांगों के बीच कुछ ज्यादा ही गर्मी लगती है तभी तो वहां पसीना निकलते रहता है इसलिए मैं बोला कि तुम्हारी टांगों के बीच भी ज्यादा ही गर्मी होगी क्यों ऐसा नहीं है क्या,,,?(अंकित अपने ही सवालों में चतुराई से अपनी मां को उलझा रहा था,,,, और इस समय जिस तरह के हालात है जिस तरह की बातचीत हो रही थी उसे देखते हुए सुगंधा भी अपने बेटे को जवाब देते हुए बोली,,,)
क्यों नहीं बिल्कुल ऐसा ही है लेकिन तुम लड़कों से ज्यादा गर्मी हम औरतों को दोनों टांगों के बीच लगती है,,,, क्योंकि वहां की रचना ही कुछ ऐसी है,,,,,.
रचना,,,, कैसी रचना,,,,?(अंकित जानबूझकर इस तरह का सवाल पूछ रहा था वह देखना चाहता था कि उसकी मां इस सवाल का जवाब किस तरह से देती है,,,, अपनै बेटे का सवाल सुनकर एक पल के लिए सुगंध को लगा कि इस सवाल का जवाब एकदम सीधे-सीधे दे दे लेकिन फिर बहुत सोच समझ कर वह बोली,,,)
रचना बहुत ही ज्यादा रचनात्मक लेकिन अभी समय नहीं है तुझे समझने का जब तू समझदार हो जाएगा तो अपने आप औरतों के टांगों के बीच की रचना को समझ जाएगा,,,,,(इस तरह की बातें करके सुगंधा के तन बदन में आग लग रही थी और जानती थी कि योग्य शब्दों से वह सीधे-सीधे अपनी बुर के बारे में बात कर रही है अब वह अपने बेटे के सामने,,, रचना की जगह बुर तो नहीं कह सकती थी क्योंकि इस तरह के सभी का प्रयोग करने में उसे अभी अपने बेटे के सामने बहुत शर्म महसूस होती थी,,, लेकिन वह जानती थी कि उसके कहने के मतलब को उसका बेटा अच्छी तरह से समझ गया होगा इसलिए उसका बेटा अपनी मां का यह जवाब सुनकर कोई और सवाल पूछता है इससे पहले ही वह बात करो को एकदम से बदलते हुए बोली क्योंकि इस समय उसके पास समय का बहुत अभाव था उसे जल्दी से तैयार होकर स्कूल भी जाना था,,,)
Ankit apni ma k sath
अच्छा यह सब छोड़ तू सही-सही बता मेरे लिए पेंटी खरीद कर लाएगा कि नहीं,,,।
क्यों नहीं लाऊंगा जरूर लाऊंगा लेकिन,,,,,,(इतना कहकर चुप हो गया,,)
लेकिन क्या,,,?(अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली)
मेरे पास तुम्हारा नाप नहीं है,,, और पहले में ऐसा कुछ खरीदा भी नहीं हुं,,,, बिना नापके में खरीदुंगा कैसे,,,?(अपनी मां की तरफ आश्चर्य से देखते हुए बोला और उसकी मां अपने बेटे की बात सुनकर मंद मंद मुस्कुराने लगी और बोली,,,)
तू सच में अभी बच्चा ही है भले ताड़ के पेड़ की तरह लंबा हो गया है,,, रुक में अभी नाप पट्टी लाती हूं,,,।
(इतना कह कर हुआ तुरंत किचेन में से निकली और अपने कमरे में चली गई सुगंधा के मन में भी कुछ और चल रहा था क्योंकि वह जानती थी कि औरतों की पेटी का नाम उनके घेराव के हिसाब से एक नंबर होता है जिससे बड़े आराम से खरीदा जा सकता है लेकिन फिर भी वह अपने बेटे की बातें सुनकर खुद शरारती होना चाहती थी इसलिए जल्दी से अपने कमरे में गई और अलमारी में से नाप पट्टी लेकर वापस किचन में आ गई,,,,.। अंकित वहीं खड़ा था और सुगंध उसके सामने हाथ बढ़ाकर नाप पट्टी उसे थमाते हुए बोली,,,)
अब तो नाप ले लेगा ना तु,,,।
Ankit or sugandha
हां हां जरूर,,,,, इतना तो मुझे आता ही है भले ही औरतों का नाप नहीं लिया हूं लेकिन,,, इधर-उधर तो सीख ही लिया हूं,,,।
चल इतना तो तुझे आता ही है इस बात की खुशी है मुझे चल अब जल्दी से नाप ले ले बहुत देर हो रही है ,,,,(इतना कह कर वह वापस अपने बेटे की तरह पीठ करके खड़ी हो गई,,,, अपनी मां की तैयारी को देखकर अंकित बोला,,,)
ठीक है मम्मी,,,(और इतना कहने के साथ ही हुआ है अपने हाथ में लिए हुए नाप पट्टी को लेकर अपनी मां की तरफ आगे बढ़ा उसका दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था और उसके लंड की अंगड़ाई बढ़ती जा रही थी उसके पेंट में तंबू बना हुआ था,,, वह धीरे से अपनी मां के करीब पहुंच गया और फिर उसे पट्टी को अपनी मां की कमर पर ना रख कर उसे कमर के बीचों बीच उसके नितंबों की ऊपरी हिस्से पर रख दिया उसकी मां समझ गई थी नाप लेने का यह तरीका गलत है इसलिए वह बोली,,,,)
Ankit apni ma k sath
अरे वाह रे मेरे शेर,,,, ऐसे नाप लिया जाता है,,,।
तब कैसे लिया जाता है तुम ही बताओ ना मम्मी,,,,
अच्छा रुक,,, मैं बताती हूं,,,(इतना कहकर वहां अपने बेटे का हाथ पकड़ कर और साथ में उसे पट्टी को पड़कर उसे अपनी कमर की एक तरफ रख दी और अंकित भी उसकी नरम नरम चिकनी कमर पर अपना हाथ रखकर उसे पट्टी को पकड़ लिया ऐसा करने में उसे अत्यधिक उत्तेजना का एहसास हो रहा था वह थोड़ा सा झुका हुआ था अपनी मां के नितंबों के बीचो बीच गहरी लकीर क्यों नितंबों से ऊपरी हिस्से पर थी वहीं पर अंकित का पूरा ध्यान लगा हुआ था क्योंकि वह लकीर कुछ ज्यादा ही गहराई लिए हुए था अगर उसे पर पानी गिर जाए तो पानी की बूंद उस पर बड़े आराम से टिक जाती और मोती का दाना बन जाती,,, सुगंधा दिशा निर्देश करते हुए आगे बोली,,,)
Apne bete ko khus karti huyi sugandha
अब इस पट्टी को पूरी तरह से मेरी कमर पर गोल घुमा कर वापस जहां पर पट्टी की शुरुआत है वहीं पर लेजा और देख कितना इंच है,,,, समझ गया ना,,,।
हां मम्मी समझ गया,,,,(अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था उसकी मां की भी हालत खराब थी एक तरफ अंकित का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था दूसरी तरफ उसकी मां की बुर लगातार पानी छोड़ रही थी,,, दोनों मां बेटे पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगा रहे थे,,, दोनों की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, मां बेटे दोनों में से सिर्फ एक को हिम्मत दिखा कर आगे बढ़ाने की देरी थी उसके बाद दोनों संभोग रथ हो जाते लेकिन किसी की भी हिम्मत नहीं थी कि आगे बढ़कर जवानी का मजा लिया जाए लेकिन जो कुछ भी हो रहा था इतना भी दोनों के लिए बेहद उन्माद और एक अलग ही नशा से भरा हुआ था,,,, अंकित अपनी मां के बताएं अनुसार एक हाथ उसकी कमर पर रखकर साथ में उसे पर पट्टी दबाए हुए पट्टी को अपनी मां की कमर से घूमता हुआ उसे वापस इस छोर पर ले आया और बोला,,,,।)
लो मम्मी आ गया,,,,।
देर आए दुरुस्त आए अब जितना इंच आ रहा है उतना अपनी कॉपी पर या अपने दिमाग में बैठा ले,,,,।
एकदम बराबर मम्मी,,,।
याद तो रहेगा ना भूल तो नहीं जाएगा,,,।
बिल्कुल भी नहीं एकदम छप गया है,,,, अबहो गया,,,!
अरे बुद्धू यह तो कमर का नाप था अभी घेराव बाकी है,,,।
तो अब,,,!
अब क्या,,,, जिस तरह से पट्टी मेरी कमर पर लगाया था इस तरह मेरी कमर में मेरी जांघों के बीच रखकर फिर से उसी तरह से नाप ले,,,,।
ठीक है,,, मम्मी,,,,
Apni ma ki saree kholta hua ankit
(इतना कहकर वह अपने घुटनों के बल बैठ गया,,, और इस अवस्था में उसकी मां की बड़ी-बड़ी गाडरी गांव ठीक उसकी आंखों के सामने थी उसके चेहरे उसकी मां की गांड के बीच केवल चार अंगुल की दूरी थी और इतनी कम दूरी में अंकित को अपनी मां की गांड की गर्मी एकदम साफ महसूस हो रही थी सुगंधा भी गहरी सांस लेते हुए अपनी नजर को पीछे की तरफ करके अपने बेटे की तरफ देखने लगी कि अब वह क्या करता है,,,,।
अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था स्कूल जाने की चिंता आप उसके मन में बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि इस समय उसकी मां ने उसे बहुत बड़ी जिम्मेदारी दे दी थी जिसे निभाना उसका पहला फर्ज बनता था,,,, कसी हुई साड़ी में सुगंधा की गांड को ज्यादा ही उभरी हुई और बड़ी-बड़ी नजर आ रही थी जिसे देखकर अंकित के मन में अजीब हलचल हो रही थी अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड देखकर उसके मन में हो रहा था कि दोनों हाथों से अपनी मां की बड़ी गांड को थाम कर उसे जोर-जोर से दबा दे मसल दे,,, लेकिन ऐसा करने की उसमें हिम्मत नहीं थी,,,।
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देखते ही देखते अंकित अपनी मां की कमर के नीचे नाप पट्टी को लगा दिया तो उसकी मां जो उसे ही देख रही थी वह बोली,,,,।
थोड़ा और नीचे,,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही अंकित अपनी मां की तरफ देखने लगा दोनों की नजरे आपस में टकराई दोनों के तन बदन में एक अजीब सी हलचल हुई लेकिन इस समय सुगंधा अपनी नजरों को बिल्कुल भी अपने बेटे से नहीं चुराई और अंकित भी अपनी मां की बात मानते हुए थोड़ा सा नीचे नाप पट्टी को लगा दिया तो उसकी मां फिर से बोली,,,)
Apne bete k liye chaddhi nikalti huyi
दो अंगुल नीचे तब सही नाप मिलेगा,,,।
(अपनी मां की बात मानते हुए दो अंगुल और नीचे नाक पट्टी को लगा दिया और बोला,,,)
अब ठीक है ना मम्मी,,,।
हां बिल्कुल ठीक है अब जिस तरह से कमर का नाप लिया इस तरह से नीचे का भी नाप ले ले,,,,(अपने बेटे के सामने गांड शब्द बोलने में उसे शर्म आ रही थी और अपनी मां की बात सुनते ही उसके वचनों पर खरा उतरते हुए वह तुरंत पट्टी को दूसरे हाथ से घूमाकर दूसरी ओर ले जाने लगा लेकिन थोड़ी उसे दिक्कत आने लगी क्योंकि कमर का भाग थोड़ा काम था तो बड़े आराम से पट्टी घूम गई थी लेकिन गांड का घेराव कुछ ज्यादा ही था,,, इसलिए आराम से अंकित पट्टी को दूसरी तरफ नहीं ले जा पा रहा था,,, और यह देखकर सुगंध मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि यह किस वजह से हो रहा है वह अपनी बेटी की तरफ मंद मंद देखकर मुस्कुरा रही थी लेकिन उसका बेटा अपनी मां की तरफ नहीं देख रहा था बल्कि अपनी मां की गांड की तरफ देख रहा था इस बात का एहसास अंकित को भी हो गया था कि उसकी मां की गांड कुछ ज्यादा ही बड़ी थी इसलिए पट्टी घूमाने में दिक्कत आ रही है,,,।
इसलिए वह घुटनों के बाल ही थोड़ा सा आगे बढ़ा और पट्टी को घुमाने लगा वह पूरा हाथ दूसरी तरफ घुमा दिया था लेकिन ऐसा करने में,,, वह एकदम से अपनी मां की गांड से लिपट सा गया था और जब उसके चेहरे का एहसास सुगंधा को अपनी गांड पर हुआ तो वह एकदम से गड़बड़ हो गई और उसकी बुर से पानी की बौछार होने लगी,,,, अपनी मां की गांड का स्पर्श अपने चेहरे पर पाकर अंकित भी उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुका था उसकी सांसे बड़ी गहरी चल रही थी और उसकी सांसों की गर्मी सुगंधा को अपनी नितंबों पर एकदम साफ महसूस हो रही थी,,,।
इसलिए तो उसके बदन में और भी ज्यादा हलचल हो रही थी,,,।
फिर भी जैसे तैसे करके अंकित पट्टी को दूसरी तरफ पहुंच ही दिया और गहरी सांस लेते हुए बोला,,,।
बाप रे,,,, कितनी बड़ी गांड है तुम्हारी,,,(यह शब्द अंकित जानबूझकर बोला था और अपनी मां से नजरे मिलाई भी ना बोला था ताकि उसकी मां को लगे कि उसके मुंह से अनायास ही यह शब्द निकल गया,,,, वैसे भी अपने बेटे के मुंह से बड़ी-बड़ी गांड सबसे सुनकर उसका दिल गड़बड़ हो गया क्योंकि उसका बेटा सीधे उसकी गांड की तारीफ कर दिया था,,,, और सुगंधा भी अपने बेटे के इस शब्द पर इस तरह से जताने लगी कि मानो जैसे उसने कुछ सुना ही ना हो,,,, नाप लेकर धीरे से अंकित खड़ा हुआ और बोला,,,)
चलो नाप का काम तो हो गया अब जल्दी से मैं तुम्हारे लिए चड्डी लेकर आ जाऊंगा,,,।
तूने ठीक से नाप लिया तो है ना,,।
हां हां क्यों नहीं देखा,,,(नाप पट्टी में जहां तक माप हुआ था वहां पर अपनी उंगली रखकर अपनी मां को दिखाते हुए बोला)
अरे जरा सा भी 19। 20 हो गया था पहनने में अच्छा नहीं लगेगा,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर अंकित भी सच में पड़ गया लेकिन अपनी मां की बात सुनकर तुरंत इसके दिमाग में घंटी बजने लगी और वह तुरंत बोला,,)
मम्मी हो सकता है नाप में इधर-उधर हो जाए,,,।
अरे ऐसे कैसे नाप में इधर-उधर हो जाएगा तूने ठीक से तो लिया है ना,,,।
हां मम्मी मैं तो ठीक से ही लिया हूं लेकिन तुम्हारी साड़ी और पेटिकोट का कपड़ा भी तो है एक डेढ़ इंच का फर्क पड़ जाएगा तो गड़बड़ हो जाएगा,,,,।
(मन ही मन सुगंध अपने बेटे की बात सुनकर रोमांचित होने लगी क्योंकि उसे भी अपने बेटे के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ आ गया था इसलिए वह अपने बेटे की बात सुनकर बोली,,,)
तो अब,,,,(आश्चर्य से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,, अंकित ठीक अपनी मां के पीछे और जिस तरह से बात करते हुए इधर-उधर हो रहा था उसके पेट में बना तंबू बड़े आराम से सुगंधा को अपने निकम्भों पर रगड़ हुआ महसूस हो रहा था और उसकी रगड़ सेवा पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी और इस बात का एहसास अंकीत को भी था लेकिन वह जरा भी अपने कम को पीछे लेने की शुध नहीं ले रहा था,,, अंकित अपनी हरकत से अपनी मां की बुर को पानी पानी कर दिया था,,, सुगंधा भी मदहोश होते हैं पीछे की तरफ देखकर अपने बेटे की आंखों में आंखें डाल कर बोली थी और उसकी बातें सुनकर अंकित भी अपनी मां की आंख में आंख डालकर बोला,,,)
तो अबक्या,,,, धीरे से अपनी साड़ी कमर तक उठाओ ताकि आराम से सही नाप लिया जा सके,,,,।
(अपने बेटे की हिम्मत और उसकी बात को सुनकर सुगंधा का दिल जोरो से धड़कने लगा वह अपने बेटे की हिम्मत पर गदगद हुए जा रही थी,,,, और अपने बेटे की बात सुनकर वह किसी बहस पर उतरे बिना ही अपनी साड़ी को धीरे से ऊपर की तरफ उठने लगी और लगातार अपने बेटे की आंखों में आंखें डाल कर उसके जोश को बढ़ाते हुए धीरे-धीरे अपनी कमर तक साड़ी उठा ली और बोली,,,।)
चल अब ठीक से नाप ले ले,,,,।
(अपनी मां की हरकत देखकर अंकित की हालत एकदम से खराब हो गई थी उसकी सांसे गहरी चल रही थी और उसकी हालत ऐसी हो गई थी मानो जैसे काटो तो खून नहीं वह एकदम जम सा गया था,,, इस समय उसकी मां अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी नंगी गांड को अपने बेटे की आंखों के सामने करती थी लेकिन फिर भी अंकित अपनी मां की नंगी गांड नहीं बल्कि अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को ही देख रहा था उसकी आंखों में डूबता चला जा रहा था,,,० तभी उसकी मां दुबारा बोली,,,)
ले ले नाप साड़ी उठा दि हुं,,,,।
(इस बार अपनी मां की आवाज सुनकर जैसे वह होश में आया हो और एकदम से हडबडाते हुए बोला,,)
हां,,, मम्मी,,,,।
(और इतना कहने के साथ फिर से हुआ घुटनों के बल बैठ गया उसकी आंखों के सामने उसकी मां की नंगी गांड थी एकदम मदहोश कर देने वाली गोरी गोरी उसे पर बिल्कुल भी दाग धब्बे नहीं थे एकदम मक्खन मुलायम की तरह चिकनी,,अंकीत का मन तो कर रहा था कि,,, इसी समय अपनी मां की नंगी गांड की फांकों के बीच अपनी नाक डालकर रगड़ दे फिर भी अपने आप को संभालते हुए गहरी सांस लेते हुए वह नाप पट्टी को उसके जांघों के बीचो-बीच रखते हुए वापस पट्टी को दूसरी तरफ घूमाने लगा,,, सुगंधा अपने बेटे की तरफ नजर घुमा कर उसे देख रही थी और अंदर ही अंदर खुश हो रही थी,,,,, लेकिन अंकित अपनी मां की तरफ नहीं देख रहा था उसका पूरा ध्यान अपनी मां की नंगी गोरी गांड पर ही था,,,, अंकित पट्टी को दूसरी तरफ घूमाने लगा और पहले की तरह इस बार भी पट्टी को दूसरी तरफ ले जाते हुए अंकित अपनी मां की गांड से एकदम से फट गया इस बार उसकी गांड नंगी थी बेपर्दा थी बिना साड़ी के थी,,, और जैसे ही सुगंध को एहसास हुआ किसका बेटा उसकी गांड से एकदम लिपट सा गया है उसकी बुर उत्तेजना के मारे फूलने पिचकने लगी,,।
अंकित की बाहों में तो मानो सारे जहां की खुशी आ गई हो तो पूरी तरह से मदहोश हो क्या और अपनी मां की गांड के बीचों बीच अपनी नाक रखकर गहरी सांस लिया मानो के जैसे अपनी मां की जवानी को उसके बदन से जवानी की खुशबू को निचोड़ कर वह इत्र की तरह अपने अंदर बसा लेना चाहता हो,,, अंकित कि इस हरकत को सुगंधा अपनी आंखों से देख रही थी और गदगद हुए जा रही थी,,,। अंकित की हरकत से उसके बदन में कसमाशाहट हो रही थी क्योंकि वह अपने चेहरे को पूरी तरह से उसकी नंगी गांड पर सटाया हुआ था सुगंधा भी उसी तरह से अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी,,, और देखते ही देखते अपनी मां के नितंबों का आनंद लेते हुए अंकित अपनी मां का नाप ले ही लिया,,,,, और इस बार बिना कुछ बोले उठकर खड़ा हो गया लेकिन सुगंधा एक अजीब से एहसास में पूरी तरह से डूबी हुई थी अपने बेटे का खड़े होने का एहसास उसे हुआ ही नहीं,,,, ।
अंकित अपनी मां के चेहरे की तरफ देख रहा था उसकी आंखें बंद थी एक अजीब से ख्याल में डूबी हुई थी अभी भी वह कमर तक साड़ी उठाए हुए खड़ी थी उसकी नंगी गांड देखकर करो अपने पेट में बने हुए तंबू को देखकर अंकित से रहने दिया और भाई कदम आगे होगा और उसका तंबू सीधे जाकर उसकी मां की नंगी गांड से टकरा गया रगड़ खाने लगा एकदम से सुगंधा की आंखें खुली और गहरी सांस लेते हुए एकदम से मदहोश हो गई अपने बेटे के तंबू को अपनी गांड पर रगड़ हुआ महसूस करके वह एक बार फिर से झड़ गई उसकी बुर से मदन रस की बौछार होने लगी और गहरी सांस लेते हुए वह अपनी साड़ी को ऐसे छोड़ दी मानो जैसे खूबसूरत नाटक पर पर्दा गिर गया हो,,,, पर एकदम से मदहोशी भरे स्वर में बोली,,,।
ले लिया नाप,,,,।
हांमम्मी,,,,(और पट्टी में योग्य अंक पर अपना हाथ रखे हुए अपनी मां की तरफ दिखाते हुए बोला)
अब तो तुझे दिक्कत नहीं आएगी ना खरीदने में,,,।
बिल्कुलभी नहीं,,,,।
Apni ma ki chudai karta hua ankit
चलो जल्दी से ज्यादा देर हो रही है तु 5 मिनट लेट हो चुका है,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर दीवार में टंगी हुई घड़ी की तरफ देखकर वह भी बोला,,,)
सच में मैं तो लेट हो गया,,,,,।
(इतना कहकर वह भी अपना बैग उठाकर घर से बाहर निकल गया वैसे तो अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवान देखकर उसका जाने का मन नहीं कर रहा था लेकिन फिर भी जाना जरूरी था,,,, और जैसे ही अंकित घर से निकला सुगंधा अपनी साड़ी उठाकर अपनी बुर की हालत को देखने लगी जो की पूरी तरह से पानी मे डूब चुकी थी जल्दी से एक रुमाल से सुगंधा अपनी बुर साफ की और उसे धोकर सूखने के लिए टांग फिर जल्दी से अलमारी में से अपनी एक पेंटिं निकाली और उसे पहन कर स्कूल की तरफ चल दी,,,।
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है सुगंधा अपने घर में अंकित को अपनी गांड़ दिखाई ही तब से गरम हो रही है स्कूल में भी उसका मन नहीं लग रहा है टॉयलेट के बाहर जब लड़के उसकी गांड़ देखकर उसे चोदने की बात करते हैं तो वह उत्तेजित हो जाती है और दोनो लडको को अपनी गांड़ के दर्शन करा देती हैनाप लेना और सुना दोनों बेहद उत्तेजनात्मक था सुगंधा के लिए नाप देना और अंकित के लिए नाप लेना दोनों ही दोनों के मन पर गहरी छाप छोड़ गए थे,,, मां बेटे दोनों ही इस पल को कभी नहीं भूलने वाले थे,,, वैसे भी नाप लेने और देने में मां बेटे दोनों की तरफ से एक अच्छी पहल थी एक दूसरे के प्रति आकर्षण और आमंत्रण का लेकिन फिर भी दोनों आगे बढ़ने से कतरा रहे थे,,,।
जिस तरह से सुगंधा अंकीत के कहने पर बिना देर किए अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी नंगी गांड उसे दिखा दी थी,,,, अपने इस हरकत का सुगंधा को जहां एक तरफ गर्व का अनुभव हो रहा था वहीं दूसरी तरफ अपनी हरकत का मलाल भी था और मलाल इसलिए की सुगंधा अपनी सारी कमर तक उठाकर अपने बेटे को अपनी नंगी गांड के दर्शन करा दी थी लेकिन उसका बेटा मुक दर्शक बना सिर्फ देख रहा था और मन ही मन उत्तेजित हो रहा था,, सुगंधा इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि अगर उसके बेटे की जगह कोई और होता तो शायद इस समय उसे पीछे से बाहों में भर लेता और अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी प्यासी बुर में डालकर उसकी प्यास बुझा देता,,, लेकिन उसके बेटे ने ऐसा कुछ भी नहीं किया,,, लेकिन इसके पीछे के कारण को भी सुगंधा अच्छी तरह से समझ रही थी क्योंकि वह जानती थी कि जिसके लिए उसने अपनी सारी कमर तक उठाकर अपनी नंगी गांड के दर्शन कराई थी वह कोई गैर मर्द नहीं बल्कि उसका शक बेटा था और शायद मां बेटे के बीच का यही पवित्र रिश्ता दोनों को एक होने से अभी तक रोक रहा था वरना जिस तरह से दोनों के बीच आकर्षण की मुठभेड़ हो रही थी अगर दोनों मां बेटे ना होते तो कब से चुदाई का खेल खेल चुके होते,,,।
वैसे भी सुगंधा को इस बात की खुशी थी कि किसी न किसी बहाने से उसका बेटा उसके बदन का कोई ना कोई अंग देख ही ले रहा है और उसे अंग को देखने के बाद उसके बाद में जिस तरह की प्रतिक्रिया नजर आती है वह काफी काबिले तारीफ कर देने वाली होती है,,, क्योंकि उसके खूबसूरत अंग को देखते ही उसके झलक भर को देखते ही उसके पेट में तंबू सा बन जाता है उसके चेहरे का रंग लाल पड़ने लगता है जो कि इस बात को साबित करता है कि वह भी अपनी मां को चोदना चाहता है बस रिश्ते के नाते झिझक रहा है,,,।
अपनी नितंबों का नाप देते हुए सुगंधा भी काफी औरतेजना का अनुभव कर रही थी जिसके चलते उसकी बुर बार-बार मदन रस बहा रही थी,,,,,, और स्कूल जाने से पहले वह अलमारी में से एक साफ सुथरी पेंटी पहनकर स्कूल के लिए निकल गई थी,,,। रास्ते भर वह अपने बेटे के बारे में सोचती नहीं वह इस बारे में सोच कर परेशान तो हो रही थी लेकिन उत्साहीत भी थी कि उसका बेटा उसके लिए पेंटिं कैसे खरीदना है क्योंकि इस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा आज तक उसके लिए कुछ भी नहीं खरीदा था राशन खरीदने की और छोटे-मोटे जरूरत के सामान खरीदने की बात कुछ और थी लेकिन औरत के पहनने का अंग वस्त्र अभी तक उसने नहीं खरीदा था इसीलिए वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा उसके लिए पेंटी खरीद पाता है या सिर्फ ऐसे ही बातें बना रहा है,,,।
यही सब सोचते हुए वह स्कूल पहुंच गई थी,,, स्कूल में भी उसका मन नहीं लग रहा था बार-बार रसोई घर में जिस तरह से उसका बेटा नाप पट्टी से उसकी गांड का नाप लिया था वही दृश्य उसकी आंखों के सामने घूम रहा था,,, जैसे तैसे करके रिशेष की घंटी बज गई,,, वह अपना लंच बॉक्स लेकर नूपुर के पास पहुंच गई नूपुर वहां पहले से ही मौजूद थी और सुगंधा को देखते ही मुस्कुरा कर उसका अभिवादन की,,, नूपुर के चेहरे की लाली साफ बता रही थी कि अपने बेटे के आ जाने से वह कितनी खुश है और इस खुशी के राज को सुगंध भी अच्छी तरह से समझती थी इसीलिए तो अपने बेटे को भी कुछ सीखने के लिए वह राहुल के पास दोस्ती करने के लिए भेजी थी और राहुल के साथ एक ही मुलाकात में उसका बेटा बहुत खुशी किया था उसके अंदर भी बहुत कुछ बदलाव आ गया था जिसका एहसास सुगंध को अच्छी तरह से हो रहा था और उस एहसास का वह पल-पल आनंद ले रही थी,,,।
कुर्सी को ठीक से करके उसके ऊपर बैठते हुए सुगंधा बोली,,,।
क्या बात है नुपुर आजकल बहुत खुश नजर आती हो,,,,।
नहीं तो मैं तो पहले से ही ऐसी थी,,,।
चलो अब रहने दो पहले तो हमेशा तुम्हारा मुंह बना रहता था चेहरा उतरा हुआ रहता था और मैं तुम्हें देखकर यही सोचती थी कि पता नहीं कौन सा दुख तुम्हें खाए जा रहा है और अब तो तुम बहुत खुश नजर आती हो और इस बात की खुशी मुझे भी है,,,।
शुक्रिया,,,, वैसे सच कहूं तो जब से राहुल घर पर आया है तब से मुझे बहुत खुशी है क्योंकि जब वह घर पर रहता है तो ऐसा लगता है कि पूरा परिवार इकट्ठा है और वह जब चला जाता है तो एकदम उदासी सी छा जाती है पूरे घर में,,,।
ऐसा क्या जादू कर देता है राहुल कि उसके जाने से तुम एकदम दुखी हो जाती हो,,,।(अपना टिफिन खोलते हुए वह बोली,, और सुगंधा के सवाल पर नूपुर थोड़ा सा झेंप सी गई लेकिन फिर अपने आप को स्वस्थ करतेहुए बोली,,,)
क्यों नहीं आखिर कर वह मेरा बेटा है खुशी तो रहेगी ही घर पर रहने से और ऐसा सबके साथ होता होगा,,,,।
अरे इसीलिए तो कहती हूं हमेशा खुश रहा करो राहुल तो पढ़ने जाता है कुछ बनने जाता है तुम उदास रहोगी तो उसका भी मन वहां नहीं लगेगा,,,,(सुगंधा जानबूझकर बात को घुमाते हुए बोली और अच्छी तरह से जानती थी कि राहुल के रहने पर उसका मन क्यों लगता है क्यों उसकी खुशी बढ़ जाती है यह मां बेटी का प्यार नहीं बल्कि मां बेटे के अंदर एक औरत और मर्द का प्यार है जो नूपुर को ज्यादा खुशी देता है,,,, और यही प्यार वह भी अंकित से चाहती है,,, बांदा की बात सुनकर नूपुर मुस्कुराते हुए बोली,,,)
तभी तो मैं भी दिल पर पत्थर रखकर उसे दूर पढ़ने के लिए भेज देती हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही नूपुर भी अपना टिफिन खोल दी और दोनों एक दूसरे के टिफिन में से सब्जियों का आदान-प्रदान करते हुए लंच का आनंद लेने लगे लेकिन इस बीच लगातार सुगंधा नूपुर के चेहरे की चमक को देख रही थी क्योंकि वह चेहरे की चमक के पीछे के राज को अच्छी तरह से जानती थी और यही चमक वह अपने चेहरे पर देखना चाहती थी लंच के दौरान वह लगातार नूपुर के बारे में सोचती रही कि घर पर जाते ही वह अपने बेटे के साथ कैसा बर्ताव करती होगी उसका बेटा उसके साथ क्या करता होगा,,,,।
Ankit ki ma kapde badalti huyi
वह अपने मन में कल्पना कर रही थी कि राहुल अंकित की तरह बिल्कुल भी नहीं होगा अपनी मां को एकांत में पाए हैं उसे तुरंत अपनी बाहों में भर लेता होगा और अपने होठों को उसके लाल-लाल होठों पर रखकर उसका रसपान करता होगा और इसे अपने दोनों हाथों को उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर रखकर जोर-जोर से दबाता होगा मसलते होगा और नूपुर भी अपने बेटे की हरकत से मस्त होकर सीधा उसके पेट पर अपना हाथ रख देती होगी और उसके तंबू को जोर से अपनी हथेली में रखकर दबाती होगी दोनों का चुंबन और भी ज्यादा गहरा होता जाताहोगा,,,।
और राहुल मौके की नजाकत के देखते हुए अपनी मां की साड़ी को धीरे-धीरे कमर तक उठा देता होगा और उसकी गांड पर जोर-जोर से चपत लगाता हुआ उसको मसलता होगा,,,,,, नूपुर एकदम मस्त हो चाहती होगी और जोर-जोर से उसके लंड को दबाती होगी,,, जब से रहने ज्यादा होगा तो वहां धीरे से अपने बेटे के पेट का बटन खोलकर उसे घुटनों तक खींच देती होगी और तुरंत घुटनों के बल बैठ जाती होगी,,, और अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर मस्ती के साथ चुस्ती होगी उसका बेटा भी पागलों की तरह अपनी मां का कर पकड़ कर अपनी कमर को आगे पीछे करके ही लता होगा बहुत मजा आता होगा उसे और फिर वह अपनी मर्दाना ताकत दिखा दो अपनी मां को गोद में उठा लेता होगा फिर उसके कमरे में जाकर उसके ही बिस्तर पर उसे पटक देता होगा,,,,।
अपने हाथों से अपनी मां की चड्डी उतारता होगा उसे नंगी करके उसकी दोनों टांगें फैला कर उसकी गुलाबी बुर को अपने होठों पर लगाकर चाटता होगा उसके रस को पीता होगा,,, यह ख्याल मन में आते ही वह अपने मन में सोचने लगी कि क्या उसका बेटा भी अगर उसके साथ इस हद तक पहुंच जाएगा तो क्या उसकी दोनों टांगे फैला कर क्या वह भी उसकी बुर को चाटेगा अपनी होठ लगाकर,,,, अगर वह ऐसा नहीं किया तो,,,, लेकिन क्यों नहीं करेगी सारे मर्द तो एक जैसे होते हैं कहीं उसे बुर चाटना अच्छा ना लगता हो तो तब तो वह एक अद्भुत आनंद से हाथ धो बैठेगी,,, नहीं नहीं ऐसा वह नहीं होने देगी अगर उसका बेटा नहीं चाहेगा तो भी वह जबरदस्ती उसे अपनी बुर चटाएगी ,, यह सोचते हुए, उसकी बुर पानी छोड़ रही थी उसकी पेंटिं गिली हो रही थी,,,।
फिर उसकी कल्पनाओं का घोड़ा और आगे ले जाते हुए सुगंधा को और मदहोश करने लगा वह अपने मन में सोचने लगी कि इसके बाद फिर उसका बेटा घुटनों के बल बैठकर अपनी मां को अपनी जांघों पर चढ़ा लेता होगा,,, और फिर अपने मोटे तगड़े लःड को अपनी मां की बुर में डालकर हुमच हुमच कर चोदता होगा,,,, यह सब सो कर एक तरफ उसकी बुर गीली हुई जा रही थी एक तरफ वह धीरे-धीरे खाना भी खा रही थी लेकिन तभी उसे उसकी कल्पनाओं की दुनिया से बाहर लाते हुए नूपुर उसका हाथ पकड़ कर उसे खिलाते हुए जैसे उसे नींद से जाग रही हो इस तरह से बोली,,,।
अरे क्या हुआ कहां खो गई,,,,, चलो जल्दी हाथ धो लेते हैं,,,,।
हं ,,,,,, तुम चलो मैं आती हूं,,,।
ठीक है,,,(इतना कहकर नूपुर अपना टिफिन लेकर चल दी,,, सुगंधा को भी हाथ धोना था लेकिन जिस तरह की कल्पना उसके दिलों दिमाग पर छाया हुआ था उसके चलते उसकी बर पानी छोड़ रही थी और जिसके चलते उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और उसे बड़े जोरों की पेशाब भी लग चुकी थी इसलिए वह धीरे से अपनी जगह से उठी और पहले बाथरूम की तरफ जाने लगी,,,, और देखते ही देखते वह बाथरूम के पास पहुंच गई बाथरूम के पास कोई भी नहीं था क्योंकि रिशेष पूरी होने की तैयारी थी और सब धीरे-धीरे अपनी क्लास में जा चुके थे,,, सुगंधा जल्दी से बाथरूम का दरवाजा खोली और बाथरूम में प्रवेश कर गई,,,,,।
बाथरूम काफी बड़ा था,,, सुगंधा धीरे से आगे बढ़ी तो तभी उसे बाथरूम के दरवाजे के बाहर कुछ कदमों की आवाज सुनाई दी वह एकदम से रुक गई वह अपने मन में सोचने लगी कितने समय कौन होगा,,, तो फिर उसके मन में ख्याल आया कि कोई होगी उसे भी पेशाब लगी होगी,,,, और वह धीरे से अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,, लेकिन तभी किसी के बाहर होने का भ्रम एकदम से टूट गया जब उसके कानों में आवाज सुनाई दी,,,।
Kapde badalti huyi sugandha
रुक जा एकदम शांत रहे मैडम साड़ी ऊपर उठाने वाली है,,,,।
(इतना सुनते ही सुगंधा के तो होश उड़ गए और उसका हाथ खुद उसकी साड़ी से अलग हो गए वह समझ गई की बाथरूम के बाहर कोई लेडिस नहीं बल्कि स्कूल का कोई मनचला लड़का है,,,,, कुछ देर तक सुगंधा को तो समझ में नहीं आया कि वह क्या करें उसका दिल जोरो से धड़कता हुआ जानती थी कि लकड़ी के दरवाजे में दरार बनी हुई थी और उसमें से अंदर बड़े अच्छे से देखा जा सकता था,,,, लेकिन किसी लड़के का दरवाजे के बाहर खड़े होकर उसकी तरफ देखने का एहसास उसके बदन में उत्तेजना का रंग भर रहा था वह मदहोश हो रही थी फिर अपने मन में सोची की चलो वह जो देखना चाहता है उसे दिखा ही दो ताकि वह हिला कर अपना काम चला सके,,, सुगंधा अपने मन को तैयार कर चुकी थी अपनी साड़ी ऊपर उठने के लिए और दरवाजे के बाहर खड़े लड़के को अपनी नंगी गांड दिखाने के लिए लेकिन तभी उसके कानों में फिर से आवाज सुनाई दी,,,,।)
Ankit ki uttejna
यार मैडम पता नहीं क्या सोच रही है देख नहीं रहा कितनी बड़ी-बड़ी गांड है जब साड़ी ऊपर उठाएगी तो नंगी गांड देखकर तो मेरा लंड खड़ा हो जाएगा,, (तभी दूसरा लड़का बोला)
यार मेरा तो अभी से लंड खड़ा हो गया है,,,।
(उन दोनों की बातें सुनकर तो सुगंधा की हालत और ज्यादा खराब होने लगी उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और जिस तरह से दोनों लंड खड़ा होने की बात कर रहे थे उस बारे में सोच कर तो खुद सुगंधा की बुर उत्तेजना के मारे फुलने पीचकने लगी,,,, अब तो सुगंधा खुद अपने आप को रोक नहीं सकती थी उन दोनों लड़कों को अपनी नंगी गांड के दर्शन कराने से,,, दोनों लड़कों की बातें सुनकर सुगंधा का भी जोश बढ़ने लगा और समय भी बहुत कम था इसलिए जो कुछ करना था जल्दी करना था और वैसे ही सुगंधा का कौन सा कुछ बिगड़ जाने वाला था उसे तो ऐसा ही करके आगे बढ़ना था कि वह बाथरूम के अंदर अकेली है और कोई उसे देख नहीं रहा है,,,।
इसलिए फिर से सुगंधा अपनी साड़ी को पकड़ ली और उसे धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी,,, यह देखकर बाथरूम के बाहर खड़ा लड़का बोला,,,।
मैडम उठा रही है,,,, बस बस दिखाने वाला है,,,।
(उसे लड़के की बात सुनकर सुगंधा मुस्कुराने लगी और साड़ी को और ऊपर की तरफ उठाने लगी धीरे-धीरे करके उसकी साड़ी उसकी जांघों तक आ गई ,, सुगंधा की मोटी मोटी केले की तरह चिकनी जांघें बाहर खड़े लड़कों की उत्तेजना को अत्यधिक बढ़ाने के लिए काफी थी वह दोनों लड़के एकदम से मदहोश हो गए और वह पेंट के ऊपर से ही कसके अपने लंड को दबाना शुरू कर दिए,,, और उन दोनों में से एक लड़का बोला,,,)
सहहहहहह ,,,,,, देख रहा है मैडम की जांघ मुझे मिल जाए तो मैं रात भर सिर्फ अपनी जीभ से चाटता ही रहूं,,,,।
सच कह रहा है यार तू मुझे मिल जाए तुम्हें बिना बुर में लंड डालें जांघों पर ही अपने लंड को रगड़ता रहूं,,,(दूसरा लड़का बोला,,,,)
और उन दोनों की बात सुनकर सुगंधा की मदहोशी और ज्यादा बढ़ने लगी,,,, और अपने मन में सोचने लगी कि यह दोनों लड़के उसके लड़के से 10 कदम आगे हैं अगर वह दरवाजा खोलकर दोनों को इशारा कर दे तो बस इसी बाथरूम में दोनों रगड़ रगड़ कर उसकी चुदाई कर दे,,,,,, और यही सोच कर वह अपनी साड़ी को एक ऊपर उठाने लगी और देखते देखते वह अपनी साड़ी को अपनी कमर तक उठा दी,,,,,, कमर तक साड़ी के उठते ही उसकी पैंटी और अद्भुत गोलाई लिए हुए उसकी गांड नजर आने लगी,,,, यह देखकर तो उन दोनों लड़कों की हालत और ज्यादा खराब होने लगी,,,, सुगंधा की पेटी और उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर,,, उन दोनों की हालत और ज्यादा खराब होने लगी उन दोनों की उत्तेजना एकदम परम शिखर पर पहुंच गई और उनमें से एक लड़का बोला,,,।
हाय क्या मस्त गांड है मेरा तो मन कर रहा हूं किसी समय बाथरूम में घुस जाऊ और मैडम को पकड़ कर चोद दूं,,,।
(बाहर खड़े उस लड़के की बात सुनकर तो सुगंधा की बिहट खराब होने लगी वह अपने मन में सोचने लगी थी उसके बेटे से ज्यादा तेज तर्रार तो यह दोनों लड़के हैं जो इसी समय चोदने की बात कर रहे हैं,,,, सुगंध को इस तरह से अपने अंगों का प्रदर्शन करना बहुत अच्छा लग रहा था अपने बेटे के सामने तो वह किसी न किसी बहाने से इस तरह की हरकत करती ही थी लेकिन अनजान लड़कों के सामने पहली बार इस तरह की हरकत कर रही थी लेकिन समय का अभाव होने की वजह से बहुत जल्द से जल्द इस खेल को खत्म करना चाहती थी इसलिए एक झटके से अपनी पेंटि पकड़कर उसे एकदम से नीचे कर दी और उसकी गोरी गोरी गांड एकदम से बेलिबास हो गई,,,, और वह नीचे बैठकर पेशाब करने लगी,,,,।
यह अद्भुत नजारा उन दोनों लड़कों के लिए बेहद खास था क्योंकि आज वह पहली बार अपनी स्कूल की मैडम को पेशाब करते हुए देख रहे थे और वह भी बेहद खूबसूरत मैडम इसके बारे में वह लोग ना जाने कितनी बार गंदी गंदी बातें सोच कर अपना हीलाकर मुठ मारते थे,,, आज वही उनके सपनों की रानी उनकी आंखों के सामने साड़ी उठाकर पेशाब कर रही थी उनकी नंगी नंगी गांड को देखकर दोनों मदहोश में जा रहे थे यह नजारा सुगंधा की मदहोश कर देने वाली कर दोनों के मन में हाहाकार मचा रही थी,,,,, दोनों पागल हुए जा रहे थे दोनों मूठ मारना चाहते थे लेकिन वह जानते थे कि वह दोनों कहां पर है यहां पर कोई भी आ सकता था,,,।
सुगंधा के बदन में भी मदहोशी जा रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि वह दोनों लड़के उसे पेशाब करते हुए देख रहे होंगे जैसे की उसका बेटा चोरी चुपके देखा करता था और एकदम उत्तेजित हो जाया करता था सुगंधा को भी मजा आ रहा था,,,, और इसीलिए सुगंध दोनों की उत्तेजनक और ज्यादा बढ़ाते हुए अपने दोनों हथेलियों को अपनी नंगी गांड पर रखकर उसे हल्के हल्के से सहलाने लगी,,, सुगंधा की यह हरकत दोनों के दिलों दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ रही थी दोनों मदहोश हुए जा रहे थे,,,, सुगंधा अपना कार्यक्रम और ज्यादा आगे बढ़ती और वह दोनों लड़की और ज्यादा मदहोश होते इससे पहले ही रीशेष पूरी होने की घंटी बज गई और घंटी की आवाज सुनकर सुगंध भी धीरे से उठकर खड़ी हो गई और अपने कपड़ों को व्यवस्थित करने लगी क्योंकि वह जानती थी कि अब खेल आगे नहीं बढ़ाया जा सकता लेकिन वह जल्दी से उन लड़कों का चेहरा देखना चाहती थी कि आखिरकार वह दोनों दीवाने हैं कौन इसलिए वह जल्दी से हाथ धोकर बाथरूम के दरवाजे के पास आए तब तक वह दोनों लड़के तुरंत वहां से जा चुके थे दरवाजा खोलकर देखी तो वहा कोई नहीं था,,, सुगंधा भी मुस्कुराते हुए धीरे से अपनी क्लास की ओर चल दी ,,।
Best incest story ever readसूरज ने अंकित को जो कुछ भी दिखाया था वह सब कुछ अंकित के लिए आप इस स्मरणीय था और अद्भुत था,,, इसके बारे में अंकित ने आज तक कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई इस तरह की भी किताब होती होगी जिसमें आदमी और औरत के संभोग के दृश्य एकदम साफ तौर पर चित्रित होंगे,,, अंकित के लिए वह रंगीन गंदी किताब भी पहली बार था,,और औरत और मर्दों के बीच क्या हुआ संबंध भी पहली बार था पहली बार अंकित इस तरह के दृश्य को देख रहा संभोग की दृष्टि को देख रहा था आम भाषा में कहें तो चुदाई को पहली बार अपनी आंखों से वह रंगीन पन्नों पर देख रहा था,,,, यह सब कुछ अंकित को अंदर तक हिला दिया था उसके कोमल मां पर जो की जवानी के दहलीज पर पहुंच चुके थे बहुत गहरा प्रभाव डाल रहे थे। वह कभी सोचा भी नहीं था कि वह इस तरह के दृश्य को इस तरह की रंगीन किताब को अपनी आंखों से देखेगा।
शाम को घर पहुंचने के बाद भी वह इस रंगीन किताब के ख्यालों में पूरी तरह से खोया रहा अपने कमरे में लेट कर वह उसी गंदे दृश्य के बारे में सोच रहा था जो की औरत और मर्द के बीच के रिश्ते को न जाने कितने आसन से चित्रित किया गया था औरत का मर्दों के लंड को मुंह में लेकर चूसना और वह भी पूरी मस्ती के साथ यह सब अंकित के लिए एक अद्भुत विषय था जो कि उसे बड़ी मुश्किल से यकीन हो पाया था क्योंकि इस बारे में सूरज ने उसे समझाया भी था और जैसा औरतें मर्दों के साथ क्रिया कर रही थी उसी तरह से मर्द भी औरत की बुर को अपने होठों से लगाकर चाट रहे थे,,, यह देख कर तो अंकित का दिमाग पूरी तरह से सन्न रह गया था,,,, वह पहली बार औरत के खूबसूरत अंग को इस रंगीन गंदी किताब में देख भी पाया था वरना औरत की दोनों टांगों के बीच के उसे खूबसूरत अंग के बारे में अंकित के लिए तो कल्पना करना भी मुश्किल था।
लेकिन सूरज के द्वारा लाई गई उस गंदी किताब में औरतों के बहुत से अंगो के बारे में पहली बार अंकित रूबरू हुआ था,,,। औरत की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को देखकर अंकित के मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे लेकिन वह उन सवालों का जवाब सूरज से नहीं चाहता था क्योंकि सूरज की नजर में वह एक सीधा-साधा लड़का था और वह अपनी सादगी को अपने दोस्तों के नजरिए में गंदा नहीं करना चाहता था। किताब में वह औरत की बुर को बड़ी गौर से देख रहा था वह एकदम मक्खन की तरह चिकनी थी जिसे देखकर उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ चुका था उसने बड़े करीब से गंदे किताब के उसे पढ़ने को देखा था जिसमें औरत की बुर में उसे अंग्रेज का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से घुसा हुआ था और जिसके घुसने की वजह से उसे औरत के चेहरे पर अजीब सी आभा नजर आ रही थी अंकित को उस औरत के चेहरे पर लंड प्रवेश के बाद दर्द और उन्माद दोनों का भाव एकदम साफ नजर आ रहा था लेकिन इतना तो अंकित समझ गया था कि दर्द से ज्यादा आनंद और उन्माद का असर कुछ ज्यादा ही होता है वरना औरतें इस तरह का काम क्यों करें,,,,।
तभी अपने कमरे में लेते-लेते उसे अपने दोस्त सूरज की बात याद आई जब वह करने किताब देखकर उसे अंग्रेज के लंड की तरफ उंगली रखकर कह रहा था कि काश उसका भी इतना बड़ा होता तो मजा आ जाता उसके कहने के मतलब को वह समझ नहीं पा रहा था क्योंकि अंकित इस बात को नहीं जानता था कि दुनिया में हर मर्दों के लंड का आकार और लंबाई अलग-अलग होती है,,, उसे ऐसा ही लगता था कि सभी मर्दों का लंड एक जैसा ही होता है,,, और इसीलिए उस गंदी किताब में उसे अंग्रेज के लंड को देखकर अंकित को बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं हुआ था क्योंकि उसका खुद का लंड अंग्रेज की तरह मोटा और लंबा था जो कि सूरज का बिल्कुल भी नहीं था इसीलिए सूरज ने यह बात कहा था लेकिन अंकित को कुछ समझ नहीं आया था।
खाना खाने के बाद तृप्ति संजू और सुगंधा टीवी देख रहे थे जिसमें धारावाहिक चल रही थी लेकिन तभी टीवी देखते देखते सुगंधा को जैसे कुछ ख्याल आया हो और वह अंकित से बोली,,,।
अरे अंकित टीवी बंद करने के बाद जरा पीछे वाला दरवाजा तो बंद कर देना खुला रह गया है वरना कुत्ते अंदर आ जाएंगे,,,
ठीक है मम्मी,,,,
(और इतना कहने के बाद दोनों फिर से टीवी देखने लगे ,,,, दोनों फिर से टीवी में मग्न हो चुके थे दोपहर वाली बात को बुलाकर अंकित भी टीवी में धारावाहिक देखने में मस्त हो चुका था,,, धारावाहिक के खत्म होने में 10 मिनट समय शेष रह गया था तभी सुगंधा को झपकी आने लगी,,, बहुत कम बार ही ऐसा होता था की सुगंधा को जल्दी नींद आ जाती थी वरना वह देर में ही सोती थी,,, लेकिन झपकी लगने की वजह से वह कुर्सी पर से उठकर खड़ी हो गई और अपने कमरे की तरफ जाने लगी और बोली,,,,।
तुम दोनों जल्दी से टीवी बंद करके सो जाना,,,
ठीक है मम्मी,,,(टीवी की तरफ देखते हुए तृप्ति बोली और सुगंधा अपने कमरे की तरफ जाने लगी लेकिन तभी उसे याद आया किपीछे वाला दरवाजा तो खुला हुआ है और वह बंद करने के लिए अंकित को बोली थी लेकिन सोची वह खुद ही जाकर बंद कर दे वरना वह भूल जाएगा तो रात भर दरवाजा खुला रह जाएगा इसीलिए वह घर के पीछे की तरफ जाने लगी जो की अंदर से ही जाना था,,,,।
घर के पीछे की तरफ आई तो सचमुच में दरवाजा खुला हुआ था। घर के पीछे कभी कबार जब ज्यादा कपड़े हो जाते थे तो सुगंधा यहीं पर कपड़े धोती थी। और यहां पर वह थोड़ी सी फुलवारी भी लगा कर रखी थी जिससे यहां का नजारा थोड़ा अच्छा लगता था,,, बाकी पीछे एकदम खुला मैदान था और चारों तरफ अंधेरा भी था लेकिन घर में जल रहे बल्ब की रोशनी वहां तक बड़े आराम से पहुंच रही थी। सुगंधा वहीं पर कुछ देर खड़ी होकर आसमान की तरफ देखने लगी आसमान में ढेर सारे तारे टिमटिमा रहे थे ,, वैसे भी सुगंधा को रात को बैठ कर आसमान में चांद और तारों को देखना बड़ा अच्छा लगता था। लेकिन कई वर्षों से उसकी यह आदत छूट सी गई थी। इसलिए आज आसमान पर नजर पड़ते ही पुरानी यादें उसकी ताजा हो गई थी उसे आज भी याद है कि इसी तरह से रात के 2:00 बजे वह और उसका पति चुदाई करने के बाद पेशाब करने के लिए दोनों इसी जगह पर आए थे और कुछ देर तक यही खड़े रहने के बाद आसमान की तरफ देखते हुए दोनों के तन बदन में एक बार फिर से कमाअग्नि भडक उठी और फिर वह दोनों इसी जगह पर खुले आसमान के नीचे चुदाई का अद्भुत सुख प्राप्त किए थे उसे पाल को याद करके अनायास ही सुगंधा की टांगों के बीच हलचल होने लगी,,, और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई लेकिन अपनी स्थिति का भान होते ही एक बार फिर से उसके चेहरे पर उदासी के बादल छाने लगे,,,,।
उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी और वह तुरंत निश्चिंत होकर अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर वहीं बैठ गई थी,,,, लेकिन आज अंकित भी धारावाहिक के बंद होने के पहले ही अपने कमरे में जाने की तैयारी करने लग गया था अपनी मां के कुर्सी पर से उठकर जाने की तकरीबन 5 मिनट बाद ही वह भी अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया था और तभी उसे भी याद आया था कि पीछे वाला दरवाजा बंद करना है,,, उसे यही लग रहा था कि उसकी मां अपने कमरे में सोने के लिए चली गई है और वह दरवाजा बंद करने के लिए घर के पीछे की तरफ आ गया लेकिन घर के पीछे वाले दरवाजे की दहलीज पर पहुंचते ही उसकी आंखों के सामने जो नजारा दिखाई दिया उसे देखकर उसके होश उड़ गए उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और उसके पेट में हरकत होना शुरू हो गया उसकी आंखों के सामने ही उसकी मां कुछ दूरी पर कोने में अपनी साड़ी कमर तक उठाए हुए नीचे बैठी हुई थी और पेशाब कर रही थी,,,।
इस नजारे को देखते ही अंकित के तन बदन में आग लग गई दोपहर में वह गांधी किताब के हर एक पन्ने पर नंगी औरतों को देखा था उनकी गांड को देखा था उनकी बड़ी-बड़ी चूचियों को देखा था और यहां तक कि उनके बुरे के भी दर्शन किया था लेकिन उसे नहीं मालूम था कि आज अपने ही घर में उसे अपनी मां की खूबसूरत गांड के दर्शन करने को मिलेंगे,, उसकी सांस पल भर में ही बड़ी तेजी से चलने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वहां से चला जाए वहां रुका रहे,,,।
कोने में से आ रही आवाज एकदम जानी पहचानी थी इसी तरह की आवाज अंकित को तब आती थी जब उसकी मां बाथरूम में पेशाब करने के लिए जाती थी और उसकी आवाज को सुनकर उसकी उत्तेजना एकदम से बढ़ने लगी थी उसे अपने पजामे के अंदर अपने लंड का आकार बढ़ता हुआ महसूस हो रहा था। सुगंधा पूरी तरह से अनजान थी उसे नहीं मालूम था कि उसका बेटा इस तरह से दरवाजे पर खड़ा होकर उसकी गांड देख रहा होगा उसे पेशाब करता हुआ देख रहा होगा वह तो अपनी ही धुन में थी उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी और उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद से पेशाब की धार बड़ी तेजी से निकलकर सामने की दीवार से टकरा रही थी,,,।
चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था,, आसमान में केवल तारे टिमटिमा रहे थे,,,, और ऐसे में सुगंधा घर के पीछे वाली जगह पर पेशाब करने के लिए बैठी हुई थी और वह भी एकदम बेखबर होकर एकदम अनजान बनकर उसे नहीं मालूम था कि इस जगह पर कोई भी आ सकता है,,,। और वाकई में इस जगह पर कोई आता भी नहीं था और वह भी रात के समय क्योंकि यहां कोई काम ही नहीं पड़ता था लेकिन इस बात को वह भूल चुकी थी कि कुछ देर पहले उसने अपने बेटे को ही पीछे वाला दरवाजा बंद करने की हिदायत देते हुए कैमरे से बाहर निकल गई थी,,,,। कोने में बैठकर पेशाब कर रहे सुगंधा को थोड़ी बहुत आहत महसूस होने लगी उसे ऐसा महसूस होने लगा कि उसके पीछे कोई खड़ा है,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा वह एकाएक पीछे मुड़कर देखने की गलती नहीं कर सकती थी क्योंकि जो कुछ भी वह करने जा रही थी पीछे खड़े शख्स को या वह कोई भी हो तृप्ति हो या अंकित उसे ऐसा ही लगना चाहिए कि सब कुछ अनजाने में हो रहा है इसलिए वह हल्का सा अपनी नजर को तिरछी करके देखी तो उसके होश उड़ गए।
सुगंधा को एहसास हो गया था कि ठीक उसके पीछे दरवाजे पर खड़ा होकर उसका बेटा उसी की तरफ देख रहा है वैसे तो यह सब उसके लिए सोने पर सुहागा था क्योंकि वैसे भी वह अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश करती ही थी लेकिन आज तो वह अपनी जवानी पर से पूरा पर्दा उठा दी थी और वह भी अनजाने में ही इसलिए उसका दिल बड़े जोरों से धड़कने लगा था,,, इस बात का अहसास होते हैं कि उसका जवान बेटा ठीक उसके पीछे खड़ा होकर उसे पेशाब करते हुए देख रहा है तो उसका दिल बड़े जोरों से धड़कने के साथ-साथ उसके बदन में उत्तेजना भारी कंपन भी होने लगी उसके पैरों में सुरसुराहट होने लगी खासकर के उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में से जिसमें से अभी भी नमकीन पानी की धार निकल रही थी,,,।
ऐसी हालत में सुगंधा की सिट्टी -पिट्टी गुम हो गई थी,,, वैसे तो वह अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करने के लिए तैयार थी लेकिन हम जाने में ही जो कुछ भी अपने आप हो रहा था उसे देखते हुए उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी वह एक तरफ शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी वहीं दूसरी तरफ वह काफी उत्तेजना का अनुभव भी कर रही थी,,, क्योंकि पहली बार उसने अपने बेटे की आंखों के सामने इस तरह की कामुक हरकत की थी और वह भी उसकी आंखों के सामने पेशाब करते हुए,,,, कंधे पर से साड़ी का पल्लू गिरा देना कोई और बात थी और उस हरकत करने में भी उसे एड़ी चोटी का जोर लगा देना पड़ता था,,,।
उत्तेजना और शर्म के मारे सुगंधा बहुत गहरी गहरी सांस ले रही थी जिसकी वजह से उसकी भारी भरकम छाती भी ऊपर नीचे हो रही थी,,, सुगंधा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें खड़ी हो जाए या पीछे मुड़कर अपने बेटे की तरफ देख ले और बोल दे कि यहां क्या कर रहा है लेकिन ऐसे करने में भी उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी,,, लेकिन वह ऐसा करना भी नहीं चाहती थी क्योंकि वह किसी भी तरह से अपने बेटे को इस तरह की हरकत उसे इस तरह से देखने में इस बात का एहसास नहीं कराना चाहती थी कि वह जो कुछ भी कर रहा है गलत है उसे अपमानित नहीं करना चाहती थी क्योंकि अगर वह ऐसा कह देती है उसे रोक देती है तो शायद उसे खुद ही अपने हाथों से अपने सपनों के पर को काटना पड़ जाए जो कि अभी-अभी लगे हुए थे जिससे वह अपनी जवानी के अरमान पूरा करना चाहती थी। और वह अपने मन में यही सोच भी रही थी कि यही सही मौका भी है यही सही अवसर है अपने बेटे को पूरी तरह से अपनी जवानी के जाल में फंसाने का,, क्योंकि वह जानती थी कि दुनिया में ऐसा कौन सा मर्द होगा जो औरत की नंगी गांड को देखकर उसकी तरफ पूरी तरह से आकर्षित न हो जाए उसे पाने के लिए बेकरार ना हो जाए,,,,। और वह अपने मन में यही सोच भी रही थी कि ईस समय उसके बेटे के मन में भी यही चल रहा होगा वरना वह इस तरह से,,, अपनी ही मन को पेशाब करते हुए उसकी नंगी गांड को किस तरह से रात के समय खड़े होकर घुर ना रहा होता,, अपने बेटे की हरकत पर वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी हालांकि अब उसके गुलाबी छेद में से पेशाब की धार एकदम कमजोर पड़ गई थी और उसमें से बूंद बूंद टपक रही थी लेकिन आज सुगंधा को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था की पेशाब करने में भी एक अलग मजा है जब कोई उसे इस क्रिया को करते हुए देखने वाला हो,,। और खास करके कोई अपना सगा बेटा तब तो यह क्रिया करने में आनंद ही आनंद है।
अंकित की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी यहां तक कि वह अपनी मां की गांड को देखते हुए अनजाने में ही उत्तेजना के चलते पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मुट्ठी में पकड़ कर दबा दिया था,, वह पूरी तरह से मदहोशी के आलम में डूब चुका था उसे इस बात का भी डर नहीं था कि अगर उसकी मां उसे देख लेगी तो क्या सोचेगी वह पूरी तरह से इस पल के एहसास में अपने आप को डुबो दिया था क्योंकि इससे बेहतरीन और मदहोश कर देने वाला नजारा उसने आज तक कभी भी नहीं देखा था इसलिए तो उसका हल बेहाल हो चुका था,,,। अंकित की सांस इतनी तेजी से और गहरी चल रही थी कि इस सुनसान वातावरण में उसकी सांसों की गति और आवाज सुगंध को एकदम साफ सुनाई दे रही थी और अपने बेटे की सांसों की गति को सुनकर हीवह एकदम मस्त हो चुकी थी क्योंकि वह समझ चुकी थी कि उसकी नंगी गांड को देखकर उसका बेटा मदहोश हो रहा है उसकी तरफ आकर्षित हो रहा है उसे पाने के लिए लड़ाई हो रहा है और ऐसा ही तो वह चाहती ही थी आज अनजाने में ही इस खेल में उसे बहुत मजा आ रहा था लेकिन देखते ही देखते पेशाब की बूंद भी गुलाबी छेद से टपकना बंद हो चुकी थी अब ज्यादा देर तक वहां बैठे रहने में भलाई बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि अंकित को शक हो सकता था कि वह जानबूझकर ऐसा कर रही है और वह नहीं चाहती थी कि उसके बेटे को उसकी हर एक हरकत जो उसे अपनी तरफ आकर्षित करने वाली लगती हो उसे ऐसा एहसास हो कि उसकी मां जानबूझकर ऐसा कर रही है।
अपनी जगह से उठाना आप बेहद जरूरी हो चुका था इसलिए वह अपने बेटे को वहां से हट जाने के लिए चेतावनी देने हेतु वाहन पास में ही पलटी में से मग भरकर पानी निकाल ली और उसे पानी की मार को अपनी बुर पर मारने लगी ताकि उसकी बुर पेशाब करने के बाद साफ हो जाए,,, लेकिन देखने वाली बात यह थी कि अभी भी उसका बेटा वही डटकर खड़ा था ऐसा लग रहा था कि जैसे आज वह अपनी आंखों से ही उसकी जवानी के रस को निचोड़ कर पी जाएगा एक तरह से सुगंध को अपने बेटे की यह हरकत मदहोश करने वाली लग रही थी वहीं दूसरी तरफ वह थोड़ा घबरा भी रही थी कि कहीं उसका बेटा उतेजित अवस्था में कुछ गलत ना कर दे जिसके लिए वह तैयार भी थी लेकिन वह नहीं चाहती थी कि जो कुछ भी हो वह उसके बेटे की तरफ से जोर जबरदस्ती में हो वह चाहती थी कि जो कुछ भी हो वह दोनों की सहमति से और वह भी एकदम रंगीन तरीके से हो,,, जो जिंदगी भर दोनों के जेहन में बसा रहे,,,।
अंकित अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से उसकी मां पानी डालकर अपनी बुर को साफ कर रही है वह थोड़ी देर में उठकर खड़ी हो जाएगी,,, और ऐसे में उसकी मां की नजर उसे पर पडना लाजमी है,,, लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह कुछ और देखना चाह रहा हो,,, इसलिए मंत्र मुग्ध दिशा वह अपनी नजर हटाए बिना ही कोने वाली जगह पर अपनी मां को देख रहा था,, उसकी मां के बदन में भी अजीब सी हलचल हो रही थी उठना जरूरी था इसलिए वह धीरे से अपनी जगह पर उठकर खड़ी हो गई अभी भी,,, उसकी साड़ी उसके दोनों हाथों में थी और वह कमर तक उठाकर खड़ी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अब अपने बेटे को पूरी तरह से अपनी आकर्षक की जाल में फसना चाहती हो इसलिए वहां अपने बेटे की हालत खराब करने के लिए वह एक हाथ पीछे की तरफ ले जाकर अपनी बड़ी-बड़ी गांड पर रखकर उसे धीरे-धीरे सहलाने लगी मानो की जैसे उसे खुजला रही हो,,, और अंकित को अपनी मां की यह हरकत बहुत अच्छी लग रही थी वह उत्तेजित हो जा रहा था और पेट के ऊपर से अपने लंड को जोर-जोर से दबा रहा था,,,, कुछ देर तक सुगंध इसी हरकत को अपने दोनों हाथों से बड़ी-बड़ी से करने लगी और फिर धीरे से एक खूबसूरत नाटक पर पर्दा गिरते हुए अपनी साड़ी को कमर से ही अपने दोनों हाथों से छोड़ दिया और उसकी साड़ी नाटक के परदे की तरह उसके कदमों में जाकर गिर गई और एक खूबसूरत नाटक पर पर्दा पड़ गया,,,,।
सुगंधा जो अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहती थी उसे अपने पास बुलाना चाहती थी किसी भी तरह से उसके साथ संबंध बनाना चाहती थी इस समय वह शर्म के मारे एकदम लाल हो चुकी थी,, और वह चाहती थी कि समय उसका बेटा वहां से चला जाए क्योंकि वह ऐसे हालात में अपनी बेटी से नजर नहीं मिलना चाहती थी और ना ही उसे सवाल जवाब करना चाहती थी कि वह दरवाजे पर क्यों खड़ा है क्या देख रहा है,,,,। लेकिन अपनी मां के खड़े होते ही और साड़ी को पैरों में गिराते ही अंकित समझ गया था कि अब उसका भी वहां देर तक खड़े रहना उचित नहीं है इसलिए वह पेट के ऊपर से ही अपने लंड को जोर से दबे हुए ही वहां से दबे कदमों से अपने कमरे की तरफ चला गया और उसके जाते ही सुगंध राहत की सांस लेने लगी और फिर धीरे से दरवाजे को बंद करके,,,अपने कमरे में आ गई आज उसकी हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी लेकिन उससे भी ज्यादा हालत खराब थी अंकित की क्योंकि दोपहर का नजारा और इस समय का नजारा भले ही अलग-अलग था लेकिन इस समय का नजारा उसकी जिंदगी में बदलाव लाने के लिए काफी था और गांधी किताब में देखे गए गंदे चित्र के मुताबिक इस समय का नजारा कुछ ज्यादा ही उत्तेजनात्मक और मदहोश कर देने वाला था जिसका असर उसे अपने पेंट में बराबर दिख रहा था,,,।
Adbhutअंकित अपनी मां को पेशाब करके खड़ी होता देखकर दबे कदमों से पीछे अपने कमरे में आ गया था,,,, उसके दिल की धड़कन उसका साथ नहीं दे रही थी वह बड़े जोरों से चल रही थी उसका दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे उसने कुछ अद्भुत और अविस्मरणीय चीज देख लिया हो,,, और अंकित के लिए तो ऐसा ही था,,, अपने कमरे में आकर वह तुरंत अपना दरवाजा बंद करके बिस्तर पर बैठ गया था लेकिन उसकी आंखें अभी भी फटी की फटी थी उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया था,,, उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि उसने जो कुछ भी देखा वह हकीकत था,,,।
बाथरूम में सुगंधा
और दूसरी तरफ सुगंधा मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,, वह पेशाब करके खड़ी हो चुकी थी और अपनी साड़ी को व्यवस्थित कर चुकी थी उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि आज वह अपने बेटे की आंखों के सामने बैठकर मुत रही थी,,,, इस बात से उसके तन बदन में अद्भुत एहसास हो रहा था उसके बाद में उत्तेजना की लहर उठ रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी,,, उसे अपने आप पर भरोसा नहीं हो रहा था की बेटे की उपस्थिति में ही उसने पेशाब कि है,,,,, और यह सब कुछ अनजाने में ही हुआ था वह जानबूझकर अपनी गांड का प्रदर्शन अपने बेटे के सामने नहीं की थी हालांकि वह बहुत दिनों से अपने बेटे की आंखों के सामने अपने अंगों का प्रदर्शन करती आ रही थी लेकिन इस हद तक वह नहीं गई थी कि अपने बेटे की आंखों के सामने ही साड़ी उठाकर पेशाब करने लगे,,,।
वह जानती थी कि जो कुछ भी हुआ था अनजाने में हुआ था लेकिन जो भी हुआ था वह उसके मन का हुआ था,,,, वैसे भी बड़े दिनों बाद वह घर के पीछे आई थी और वह भी खुला हुआ दरवाजा बंद करने के लिए जो कि वह खुद अंकित को बंद करने के लिए बोली थी लेकिन टीवी देख कर जल्दी आने की वजह से वह खुद ही दरवाजा बंद करने के लिए आ गई थी और ऐसे में उसे अपने जोरों की पेशाब लगी हुई थी और वह उसी जगह पर कोने में बैठकर पेशाब करने लगी उसे क्या मालूम था कि ठीक उसी समय उसका बेटा भी वहीं आ जाएगा,,,,।
Sugandha kapde utarti huyi
सुगंधा उसी जगह पर खड़े होकर मंद मंद मुस्कुराते हुए जो कुछ भी हो उसके बारे में सोच रही थी क्योंकि हर किसी आहट मिलने पर वह अपनी नजर को धीरे से पीछे घूम कर देखी थी और दरवाजे पर अंकित खड़ा होकर उसी की तरफ देख रहा था यह नजारा बेहद मदहोश कर देने वाला और उन मादक स्थिति पैदा कर देने वाला था अंकित ने तो कभी सोचा भी नहीं होगा कि दरवाजा बंद करने के लिए वह जाएगा और उसे एक अकल्पनीय और अतुलनीय दृश्य देखने को मिल जाएगा और वह भी अपनी मां की ही तरफ से,,, उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुकी सुगंधा,, मर्दों के नजरिए को अच्छी तरह से समझती थी और जानती भी थी जिस तरह से अंकित ठीक उसके पीछे खड़ा होकर उसकी नंगी बड़ी-बड़ी गांड को देख रहा था उसे देखकर सुगंध समझ गई थी कि उसके जवान बेटे में भी एक मर्द छुपा हुआ है जो किसी भी पर बाहर आ सकता है और इस समय वह वही देख रही थी क्योंकि अंकित उसका बेटा था और वह बेटा अपनी मां को पेशाब करते हुए प्यासी नजरों से देख रहा था उसकी नंगी गांड को देख रहा था उसकी बुर से निकलने वाली सिटी की आवाज को सुनकर मदहोश हो रहा था और यह सब सुगंधा को भी मदहोश कर रहा था,,,,।
सुगंधा की तरफ से अनजाने में ही अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए यह कदम उठ चुका था जिसका जादू अंकित पर पूरी तरह से छा गया था अब तक सुगंधा केवल अपनी छातियों और नितंबों के उभार को ही ऊपर से ही बस अपने बेटे को दिखाती थी,,, जिसे देखकर उसका बेटा भी मदहोश हो जाता था और इसका एहसास सुगंधा को भी था लेकिन आज ऊपर से नहीं बल्कि अंदर से अपनी जवानी के दर्शन करा कर वह अपने बेटे को मदहोश कर दी थी,,,,।
सुगंधा पीछे के दरवाजों को अच्छी तरह से बंद कर दी थी लेकिन फिर भी उसे एक बार फिर से व्यवस्थित चेक करके वह अपने कमरे की तरफ जाने लगी और मन ही मन पीछे के दरवाजे को धन्यवाद देने लगी क्योंकि आज खुले दरवाजे की बदौलत ही वह अपने बेटे को अपनी जवानी के दर्शन करवाने में सफल हो पाई थी,,,,, देखते देखते वह अपने कमरे में पहुंच चुकी थी और जो कुछ भी घर के पीछे वाले भाग में हुआ था उसे याद करके वह पूरी तरह से मदहोश हो गई थी तो गई थी और देखते ही देखते वह अपने बदन पर से सारे वस्त्र को उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई थी और फिर अपनी दोनों टांगों को खोलकर अपनी बेटी की कल्पना करते हुए अपनी बुर में दोनों की डालकर उसे अंदर बाहर करने लगी थी और अपनी आंखों को बंद करके उसे उंगली की जगह अपने बेटे के लंड की कल्पना करके मदहोश होने लगी थी,,,,।
सुगंधा नहाती हुई
दूसरी तरफ अभी भी अंकित का दिमाग पूरी तरह से काबू में नहीं था वह अपना होश खो बैठा था उसकी सांसे अभी भी बड़ी तेजी से चल रही थी अपने आप को दुरुस्त करने के लिए वह धीरे से उठा और टेबल पर पड़ा पानी का ग्लास को उठाया और उसे एक ही सांस में पी गया,,,, ठंडा पानी पीने से उसे बिल्कुल भी राहत नहीं मिल रही थी क्योंकि उसके तन बदन को उसकी मां की जवानी की गर्मी जो जला रही थी,,,।
उसका बदन पसीने से तर-बतर हो चुका था वह धीरे से अपने बिस्तर पर से उठा और,, सामने की दीवार की तरफ गया और पंखे की स्विच को ऑन कर दिया स्विच के ऑन होते ही पंख चलना शुरू हो गया,,,, अंकित अपनी जगह पर आकर बैठ गया और उसे दोपहर में देखी गई किताब के रंगीन पन्नों पर छपा हुआ रंगी में दृश्य नजर आने लगा बड़ी-बड़ी गांड बड़ी-बड़ी चूचियां लेकिन सब कुछ ऐसा लग रहा था कि उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड के आगे फीका पड़ गया था,,,, उन्हें रंगीन किताब के दृश्य को याद करके जितना मजा नहीं आ रहा था उससे ज्यादा मजा उसे अपनी मां की बड़ी गांड के बारे में सोच कर आ रहा था,,,,। गंदी रंगीन किताब के चित्र उसे बिल्कुल भी आनंद देने में समर्थ नहीं हो रहे थे क्योंकि इस समय उसकी जीवन में उसकी मां की नंगी गांड जो बस गई थी,,,,।
Ankit sabun lagate huye
उसे सब कुछ अच्छे से याद था वह दरवाजा बंद करने के लिए घर के पीछे गया था लेकिन उसे नहीं मालूम था कि उससे पहले उसकी मां वहां पहुंच चुकी थी और पेशाब कर रही थी,,, अंधेरी रात में वैसे तुम कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन कैमरे से आ रही रोशनी घर के पीछे के कोने में अच्छी तरह से पहुंच रही थी और इस कोने में वह अपनी मां को पेशाब करते हुए देखा था उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और वहां लेकिन निश्चिंत होकर बैठकर पेशाब कर रही थी उसकी बुर से पेशाब की धार गिर रही थी और उस धार से उसकी गुलाबी बुर से मधुर मदहोश कर देने वाली सिटी की आवाज निकल रही थी जोकि उसके कानों तक बड़े आराम से पहुंच रही थी,,, और उस मधुर संगीत में वह अपने अस्तित्व को पूरी तरह से डुबो दिया था उसे बिल्कुल भी भान नहीं था कि वह कहां पर खड़ा होकर क्या देख रहा है,,,।
पंखा चालू करने के बाद भी उसका बदन पसीने से तारबदर हो चुका था इसलिए वह अपनी कमीज़ उतार कर बिस्तर पर रख दिया और अपने पेट की तरफ देखा तो उसके होश उड़ गए उसके पेट के आगे वाले भाग पर एक अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे वह बड़े गौर से देख रहा था और अपनी मां की नंगी गांड को याद करके अनजाने में ही उसका हाथ पेंट के ऊपर से ही लंड पर चला गया और वह इतना मदहोश और उत्तेजित हुआ कि पेट के ऊपर से ही अपने लंड को दबा दिया,,,, उसे तुरंत अपने दोस्त की बात याद आ गई कि इतना बड़ा अगर उसका होता तो कितना मजा आता,,,, अंकित को कहां मालूम था कि वाकई में हर मर्द का लंड अलग आकार और साइज का होता है वह तो ऐसा ही सोचता था कि सबका एक जैसा ही होता है,,,, उसका तो खुद का लंड मोटा और लंबा तगड़ा था इसीलिए तो रंगीन किताब में देखने के बावजूद भी उसे बिल्कुल भी ताज्जुब नहीं हुआ था,,, और इस बात को याद करके उसके मन में उत्सुकता बढ़ने लगी अपने ही लंड को देखने की,,,।
Apni ma ko sabun lagata hua
यह बात थोड़ा ताज्जुब वाली थी लेकिन अंकित के मामले में बिल्कुल हकीकत थी वाकई में उसने अपने लंड को कभी दूसरे से देखा ही नहीं था उसे केवल वह पेशाब करने के लिए ही अपने पेट से बाहर निकालता था और उसके बारे में कभी भी सोचता ही नहीं था हालांकि कभी-कभी मन में अजीब सी हलचल होने पर उसमें तनाव होता था और वह इस महसूस भी होता था लेकिन आज की बात कुछ और थी वह अपने लंड को पूरी तरह से देखना चाहता था जी भर के वह देखना चाहता था कि वाकई में उसका लंड रंगीन किताब के मर्द के लंड की तरह मोटा और लंबा है अपनी इस लालच को अपनी उत्सुकता को वह दबाने में नाकामयाब साबित हो रहा था और धीरे से बिस्तर पर से उठा और पेट की बटन खोलने वाला और देखते ही देखते हो अपने पेट को उतार कर नीचे फेंक दिया और फिर केवल अंडरवियर में ही बिस्तर पर बैठ गया,,,
Apni ma k samne nanga hota hua Ankit
roll 2 dice online
अंडरवियर के ऊपर से ही लंड पर हाथ पडते ही उसमें हलचल होने लगी,,, उसका दिन जोरों से धड़कने लगा उसकी उत्तेजना बिल्कुल भी काम नहीं हो रही थी क्योंकि उसके दिमाग के मानस पटल पर उसकी मां की गांड एक चलचित्र की तरह चल रही थी मानो कि जैसे वह टेलीविजन देख रहा हो,,,, अंडरवियर के ऊपर से ही उसे मजा आने लगा लेकिन वह इससे भी ज्यादा आगे बढ़ना चाहता था इसलिए अंडरवियर के छेद में से वह अपने मोटे-मोटे लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगा,,,, वह पहले की ही तरह जैसे पेशाब करने के लिए अपने अंडरवियर के छेद में अपनी दो उंगली डालकर अपने लंड को पकड़ कर बाहर निकलता था उसी तरह से आज भी कोशिश करने लगा लेकिन नाकाम साबित हो रहा था क्योंकि इस समय उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में था वह पूरा खड़ा था लोहे के रोड की तरह इसीलिए अंडरवियर की छेद में दो उंगली डालकर उसे केवल अपने लंड को पकड़ने भर का ही जगह मिल रहा था और वह उसमें से उस छेद में से अपने लंड को बाहर निकलने में असमर्थ साबित हो रहा था,,,,। उसे बड़ा ताज्जुब हो रहा था और वह अपने अंडरवियर को निकाल कर नंगा होने की सोचने लगा ऐसा वह नहीं करता लेकिन उसकी आंखों के सामने वही दिल से बार-बार नजर आ रहा था कोने में बैठी हुई उसकी मां बड़ी-बड़ी गांड दिखाते हुए पेशाब कर रही थी और इस दृश्य के बारे में सोचकर वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाए अगर धीरे से बिस्तर पर से उठकर खड़ा हो गया और अपने अंडरवियर को दोनों हाथों से पड़कर नीचे की तरफ सरकाना शुरू कर दिया उसका लंड इतना ज्यादा खड़ा था और मोटा और लंबा था की अंडरवियर सीधे से नीचे लाने में भी कठिनाई हो रही थी तो वहां अंडरवियर के आगे वाले भाग को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे आगे की तरफ खींचा और अपने खड़े लंड से मानो अंडरवियर का घूंघट उठा रहा हो,,, और इस तरह से वह अपने अंडरवियर को उतार कर एकदम नंगा हो गया वह बिस्तर के बगल में खड़ा था और अपने लंड की तरफ देख रहा था नजर नीचे झुकाकर,,,
Sugandha apne bete se maja leti huyi
अपनी जवानी की गर्मी को शांत करके सुगंधा तो चादर तानकर सो गई थी और वह आज बहुत खुश भी थी क्योंकि उसके मन की जो हो गई थी लेकिन दूसरी तरफ अंकित की आंखों से नींद कोसों दूर जा चुकी थी,,, उसे बिल्कुल भी नींद नहीं आ रही थी बल्कि उसकी तड़प बढ़ती जा रही थी वह अपने ही कमरे में एकदम नंगा खड़ा होकर बड़े गौर से अपने लंड को देख रहा था मानो कि उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसकी टांगों के बीच लटकाने वाला लंड उसी का है,,, क्योंकि आज उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि गंदी रंगीन किताब के नायक के लंड से भी मोटा और तगड़ा लंड उसका था,,, और वह गरम आह भरते हुए,,, अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया और अनायास ही उसके मन में यह ख्याल आ गया कि
अगर उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी मां की बुर में घुस गया तो उसकी मां की क्या हालत होगी क्योंकि वह रंगीन किताबों में देख चुका था कि जब भी नायक का मोटा लंड किसी हीरोइन की बुर में घुसा होता तो उसके चेहरे के हाफ-भाव पूरी तरह से बदला हुआ होता था,,,, और जैसे ही उसके मन में यह ख्याल आया वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया औरअपनी मुट्ठी में अपने मोटे तगड़े लंड को एकदम से कस लिया,,,और अपने लंड पर यह कसाव उसे और भी ज्यादा आनंददायक लगने लगा वह मदहोश होने लगा,,,।
Ma beta dono maja lete huye
अंकित के लिए यह पहला मौका था जब वह अपने ही लंज के साथ खेल रहा था और अपनी मन में गंदे ख्याल ला रहा था और वह भी अपनी मां के लिए,,, अभी तक वह अपने लंड को केवल दबा रहा था और इतनी सही उसे बहुत मजा आ रहा था लेकिन अनजाने में ही उसकी मुट्ठी आगे पीछे चलने लगी और उसके मोटे सुपाड़े पर लंड की चमड़ी जो पूरी तरह से ढकी हुई थी वह पीछे की तरफ खुलने लगी तो उसे और भी ज्यादा मजा आने लगा और वह इस क्रिया को दो-तीन बार करने लगा और ऐसा करते हुए उसे महसूस होने लगा कि जैसे वह आसमान में उड़ रहा हो,,,, और उसकी आंखें खुद ब खुद बंद हो गई और आंखें बंद होते ही उसकी कल्पनाओं का घोड़ा अपने आप ही तेज गति पकड़ लिया था कल्पना में वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था क्योंकि कल्पना में उसे सांप दिखाई दे रहा था कि मानव जैसी उसकी मां पूरी तरह से लगन अवस्था में बिस्तर पर बैठकर अपने दोनों टांगों को खोलकर उसे उंगली के सारे से अपने पास बुला रही हो और वह भी दरवाजे पर पहुंच कर अपने सारे कपड़े उतार कर तुरंत नंगा हो गया और,,,, धीरे-धीरे वह अपनी मां के पास जाने लगा दिन में देखी गई रंगीन किताब के नंगे नजारे उसके जीवन में पूरी तरह से फंसे हुए थे और वहां कल्पना हो में पूरी तरह से खोकर उन्हें दृश्य को तादृश्य कर रहा था,,
रंगीन किताबों का नायक जिस तरह से नायिका की बुर में अपना लंड डाल रहा था उसी की तरह हवा अपने आप को कल्पना करके अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाल रहा था और ऐसा करते हुए वह अपनी लंड को जोर-जोर से हिला रहा था।
Ankit or uski ma
अनजाने में ही वह हस्तमैथुन कर रहा था यह यू कह लो कि वह मुठिया मार रहा था,,, जैसा कि उसके दोस्त ने उसे बताया था कि यह सब तो सभी लोग करते हैं,,,, उसे मुठिया करने में मजा आ रहा था खास करके अपनी मां को कल्पनाओं की नायिका और अपने आप को नायक बन कर जिस तरह के दिल से कि वह कल्पना कर रहा था उसमें वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह बिस्तर पर पर के बाल आगे बढ़ता हुआ अपनी मां की दोनों टांगों को और ज्यादा खोलकर उसकी कमर को पकड़ कर अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी बुर में डाल दिया था और जोर-जोर से धक्का लगाना शुरू कर दिया था,,,,।
और इस तरह की क्रिया करते हुए वह कल्पना में भी अपनी मां के चेहरे के हाव-भाव को बड़ी अच्छी तरह से समझ रहा था उसके हाव-भाव बिल्कुल गंदी किताब की नायिका जैसे हो रहे थे,,,,, अंकित जोर-जोर से अपना हाथ चल रहा था और कल्पना में वह जोर-जोर से अपनी कमरिया रहा था और देखते ही देखते पहली मर्तबा बड़ी जल्दबाजी में उसके लंड से वीर्य का फवारा फूट पड़ा और सीधा जाकर फर्श पर गिरने लगा,,,,। वह बुरी तरह चौंक पड़ा था उसकी आंखें एकदम से खुल गई थी और वह अपने लंड की तरफ देखने लगा था जिसमें से गाढ़ा द्रव्य बड़ी तेजी से निकल रहा था,,, अपने लंड से वीर्य की गाढी पिचकारी निकलता हुआ देखकर वह एकदम से घबरा गया था लेकिन इस क्रिया के होते हुए उसके बाद में अजीब सी मदहोशी जा रही थी ऐसा लग रहा था जैसे उसे स्वर्ग का सुख मिल रहा हो वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था वह अनजाने में ही मुठिया मार दिया था,,, उसे बहुत मजा आया था लेकिन वह इस बात से घबराया हुआ था कि उसके लंड से आखिरकार निकाल क्या रहा था और उसे तभी याद आया कि दिन में वहां गांधी किताब में दो-तीन चित्र ऐसे भी देखा था जिसमें नायक अपना लंड पकड़कर नायिका की चूची पर अपना यही द्रव्य गिर रहा था,,,,
Apni ma ko mast karta hua
पूरी तरह से वीर्य निकलने के बाद वह बिस्तर पर गिर गया था और जोर-जोर से सांस ले रहा था,,, उसके बदन में थकान महसूस हो रही थी और वह पंखे की हवा खाते हुए वहीं बिस्तर पर उसी अवस्था में लेट गया था,,,। और थोड़ी ही देर में इस अवस्था में ही उसे नींद आ गई,,,।
दूसरे दिन वह अपने बदले में अजीब सा महसूस कर रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसकी नजर अपनी मां पर ही थी और उसकी मां भी ऐसा लग रहा था कि उसे अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी शर्मा रही थी और अपनी छातिया को उसकी आंखों के सामने उभार दे रही थी,,,, अपनी मां की कामुक अंदाज देखकर अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हो रहा था और वह अपनी मां के साथ एकाकर होने के लिए तैयार हो चुका था,,,
वह अपनी मां,,में पूरी तरह से बदलाव देख रहा था,,, उसे साफ महसूस हो रहा था कि जैसे उसके सामने उसकी मां नहीं बल्कि कोई दूसरी औरत है जो उसे अपनी तरफ आकर्षित करके अपने साथ एकाकार होने के लिए आमंत्रित कर रही है,,, अंकित अपनी मां को ही देख रहा था वह अपने कमरे में से अपने कपड़ों को लेकर बाहर निकली और उसकी तरफ मुस्कुराते हुए बोली,,,।
क्यों बेटा रात कैसी गुजरी,,,(सुगंधा एकदम मुस्कुराते हुए बोली अपनी मां की बात सुनते ही वह एकदम से चौंक गया उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां को पता तो नहीं चाहिए की रात को उसने क्या किया,,,, लेकिन फिर भी अपनी मां के सवाल का जवाब ना देते हुए अंकित बोला,,,,)
कहां जा रही हो मम्मी,,,?(अंकित के ही सवाल में भी एकदम शरारत छुपी हुई थी मदहोशी छुपी हुई थी जिसे सुगंध अच्छी तरह से समझ रही थी और वह भी अपने बेटे के सवाल पर मुस्कुराते हुए जवाब दी)
नहाने जा रही हूं चलेगा क्या साबुन लगाने के लिए,,,,
(और ऐसा कहते हुए मुस्कुरा कर वह बाथरूम के अंदर घुस गई लेकिन उनकी दिया देखकर हिरण था कि उसकी मां बाथरूम में घुसने के बावजूद भी बाथरुम का दरवाजा खुला छोड़ दी थी वह सिर्फ थोड़ा सा बंद कर दी थी लेकिन उसकी कड़ी नहीं लगाई थी और दरवाजा हल्का सा खुला हुआ दीख रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे सुगंधा उसे अंदर आने के लिए आमंत्रण दे रही हो,,,, अंकित का दील जोरो से धड़क रहा था उससे बिल्कुल भी नही रहा जा रहा था जिस तरह से उसकी मां अपनी गांड मटका कर बाथरूम में घुसी थी उसे देखकर वह पूरी तरह से अपनी मां पर मोहित हो चुका था कुछ देर बाथरूम के बाहर खड़े रहने के बाद वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाया और सीधे जाकर बाथरूम के पास पहुंच गया और धीरे से दरवाजा खोलकर अंदर का नजारा देखा तो उसकी होश उड़ गए उसकी मां पूरी तरह से अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर नहा रही थी और अपने बदन पर साबुन लगाने की कोशिश कर रही थी,,, अपनी मां को बाथरूम एकदम नंगी देख कर अंकित का दिमाग काम करना बंद कर दिया और उसकी आंखों में मदहोशी और वासना दोनों नजर आने लगी वह तुरंत बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया और पास में ही पड़ा साबुन लेकर वह अपनी मां की पीठ पर लगना शुरू कर दिया,,, अपनी पीठ पर दूसरे का स्पर्श महसूस करते ही वह समझ गई कि उसका बेटा बाथरूम में आ गया है और वह तुरंत घूम कर अपने बेटे की तरफ देखने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,।
मुझे पूरा यकीन था कि तू जरूर आएगा,,,
कैसे नहीं आता जब आंखों के सामने इतनी खूबसूरत औरत हो और बाथरूम में खुद आने के लिए आमंत्रण देती हो तो दुनिया का कौन सा मर्द होगा जो इनकार कर पाएगा,,,,
बस बेटा अब मुझे बिल्कुल गिरना नहीं चाहता बरसों से प्यासी हुं बुझा दे मेरी प्यास,,,(और इतना कहने के साथ ही उसका हाथ पकड़ कर थोड़ा अपने बदन से चिपका ली और उसे चुंबन करने लगी,,, अंकित भी पूरी तरह से मदहोश हो गया और तुरंत अपने कपड़े को उतारना शुरू कर दिया आज वह पहली बार अपनी मां को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख रहा था इसलिए वह प्रचंड उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,,।
वह अपनी मां को ऊपर से नीचे पूरी तरह से देख रहा था अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर उसके मुंह में पानी आ रहा था और वह तुरंत आगे बढ़ाओ अपनी मां की चूची को हाथ में पड़कर पीना शुरू कर दिया अंकित की हरकत पर उसकी मां पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसे अपने आप से एकदम से सटा ली और उसके लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू कर दी,,,,
देखते ही देखते अंकित अपने घुटनों के बल बैठकर और अपनी मां की बुर को चाटना शुरू कर दिया सुगंधा को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि अंकित इस तरह की हरकत करेगा इसलिए उसकी हरकत पर पूरी तरह से मदहोश हो गई और अपनी एक टांग उठा कर उसके कंधे पर रख दी और अपने दोनों हाथों से उसके सर को पकड़ कर अपनी बुर से सटा दी,,, यह सब अंकित के लिए बिल्कुल नया था लेकिन गंदी रंगीन किताब देखकर वहां बहुत कुछ सीख चुका था वह समझ चुका था की औरतों से कैसे खेला जाता है कैसे मजा लिया जाता है,,,।
Apni ma ki chudai karta Ankit
अंकित पागलों की तरह अपनी जेब लगाकर अपनी मां की बुर का रस चाट रहा था सुगंधा भी पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी अभी धीरे-धीरे अपनी कमर हिला कर अपनी बुर की ठोकर अपने बेटे के चेहरे पर मार रही थी और गोल-गोरे अपनी गांड घूमा कर अपनी बर को उसके चेहरे पर रगड़रही थी,,,, अंकित पूरी तरह से तैयार हो चुका था अपनी मां की बुर में लंड डालने के लिए इसलिए वह तुरंत खड़ा हुआ और उसकी मां भी बाथरुम के अंदर दीवार पकड़कर खड़ी हो गई और अपनी गांड अपने बेटे की तरफ परोस दी,, अंकित तुरंत अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी मां की गुलाबी छेद में लगा दिया और फिर एक ही धक्के में अपना पूरा लंड अपनी मां की बुर में डाल दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया उसे बहुत मजा आ रहा था आज उसकी अभिलाषा शांत हो रही थी जिस काम को करने के लिए वह कल्पना का सहारा लेता था आज हकीकत में वह अपनी मां को चोद रहा था और उसकी मां भी एकदम मजे लेकर चुदवा रही थी,,,,।
सुगंधा भी अपने बेटे का बड़े अच्छे से साथ दे रही थी वह अपनी अपनी गांड को पीछे की तरफ मार रही थी और उनकी अपनी मां की कमर पकड़ कर धक्के पर धक्का लगा रहा था वह दोनों चरम सुख के बेहद करीब पहुंच चुके थे वह दोनों की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक की आवाज होते ही अंकित की आंख खुल गई और वह देखा तो उसके होश उड़ गए वह सपना देख रहा था और बिस्तर में वह पूरी तरह से नंगा था,,,। और दरवाजे पर उसकी मां दस्तक देते हुए बोल रही थी।
घोड़ा बेचकर सो गया क्या,,,
ममम'म,,, मम्मी,,,,अभी आया,,,(एकदम से हकलाते हुए वह बोला)
जल्दी करो 7:00 बजने वाले हैं नहा कर तैयार हो जाओ,,,,
हां मम्मी आ रहा हूं,,,,(इतना कहते हुए दीवार पर टंगी खड़ी पर देखा तो 6:30 बज रहे थे तुरंत बिस्तर पर से नीचे उतरा और अपने कपड़े ढूंढ कर पहनना शुरू कर दिया)