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Incest मुझे प्यार करो,,,

Blackserpant

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टीवी पर रोमांटिक फिल्म का रोमांटिक फिर से देखकर जिस तरह से सुगंधा गर्म हो चुकी थी,,, उसे देखकर ऐसा ही लग रहा था की सुगंधा जरूर कुछ ना कुछ हरकत करेगी,,, क्योंकि टीवी के रोमांटिक दृश्य को देखकर उसका बेटा भी मदहोश हो चुका था उसके भी पेट में तंबू बन चुका था,,,, और इसी के चलते सुगंधा अपनी दोनों टांगों को उठाकर सामने पड़े टेबल पर रख दिया और साड़ी को धीरे-धीरे अपनी जांघों के ऊपर तक खींच दी,,, ऐसा हुआ जानबूझकर कर रही थी अपने बेटे को अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित करने के लिए और उसका बेटा ठीक उसके बगल में बैठा था और अपनी मां की हरकत देखकर पूरी तरह से मत हुआ जा रहा था,,,।

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अंकित अपनी मां की मदहोश कर देने वाली हरकत देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था और वह अपनी आंखों को टीवी की जगह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच दिखाया हुआ था वह अपनी मां की गुलाबी बुर को देखना चाहता था उसके दर्शन करना चाहता था लेकिन सुगंधा जानबूझकर इतना ही साड़ी कमर तक उठाई थी ताकि सब कुछ तो देखा जा सके लेकिन उसकी बुर दिखाई ना दे और यही तड़प वह अपने बेटे के चेहरे पर देख रही थी,, मोटी मोटी जांघो से सुशोभित सुगंधा की जवानी ट्यूबलाइट की रोशनी में अपनी अलग आभा बिखेर रही थी,,, तृप्ति वहां से उठकर कब का अपने कमरे में सोने के लिए जा चुकी थी और इसी मौके का फायदा सुगंधा उठाना चाहती थी और इसी के चलते वह अपनी जवानी का प्रदर्शन कर रही थी,,,।




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जिस तरह की हालत और तड़प सुगंधा अपने अंदर महसूस कर रही थी उसी तरह की तड़प उसका बेटा भी महसूस कर रहा था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपनी मां की बर देखने के लिए तड़प रहा हो और कभी देखा ना हो वह अपनी मां की बुर को देख चुका था उसके दर्शन कर चुका था,,, लेकिन यह भी सही था कि बहुत बार देखने के बावजूद भी वह नजर भर कर अपनी मां की बुर को देख नहीं पाया था उसके भूगोल को समझ नहीं पाया था इसलिए तो इस समय भी उसकी तरफ बढ़ती जा रही थी और सुगंधा थी कि अपने बेटे को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी,,,।

लेकिन सुगंधा की कामुकता भारी क्रियाकलाप आगे बढ़ती इससे पहले ही घर के पीछे किसी चीज के गिरने की बड़ी तेजी से आवाज आई और दोनों एकदम से चौंक गए,,, सुगंधा जल्दी से अपने कपड़े को व्यवस्थित करके अपनी जगह से उठकर खड़ी हो चुकी थी,,,,, और अंकित भी अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया था दोनों मां बेटे एक दूसरे को सवालिया नजरों से देख रहे थे,,,,,। दोनों के मन में यही शंका थी कि हो सकता है कोई चोर घर में घुस आया हो इसीलिए तो सुगंधा अपने बेटे को बड़ा सा डंडा लेने के लिए बोली थी जो की कोने में पड़ा था और अंकित भी आगे बढ़ाकर उसे डंडे को अपने हाथ में ले लिया था,,,।
Ankit apni ma k sath

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सुगंधा जल्दी से टीवी बंद कर दी थी,,,,, और वह भी एक बड़ा सा डंडा अपने हाथ में ले ली और अंकित की तरफ देखने लगी,,,,‌

क्या गिरा होगा,,,!(आश्चर्य से अपनी मां की तरफ देखते हुए अंकित बोला,,,)

मालूम नहीं चल कर देखना पड़ेगा,,,,

मैं भी साथ चलूंगा,,,,।

लेकिन चौकन्ना रहना पड़ेगा हो सकता है कोई चोर हो,,,,

तब तो मैं आगे रहूंगा मम्मी,,,,।

नहीं अंकित तू पीछे रहना तू अभी इतना बड़ा नहीं हो गया है,,,।

क्या बात करती हो मम्मी मैं एकदम जवान हो गया हूं मुझे आगे रहने दो अगर कर हुआ तो दो ही डंडे में उसकी हड्डी तोड़ दूंगा,,,।
(अपने बेटे का जोश और हिम्मत देखकर सुगंधा मन ही मन खुश होने लगी और अपने बेटे की जवानी पर गर्व करने लगी लेकिन फिर भी वह जानती थी कि वह अपने बेटे को इस तरह से आगे नहीं रख सकती थी ,,इसलिए बोली,,,)
Ankit apni ma ko nangi karta hua

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तू चाहे कितना भी बड़ा हो जा अंकित मां की नजरों में तू अभी बच्चा ही रहेगा इसलिए मैं आगे रहती हूं और तू पीछे पीछे,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुगंधा धीरे-धीरे कदम आगे बढ़ाने लगी,,, पीछे पीछे अंकित चलने लगा सुगंधा के हाथ में भी मोटा और लंबा डंडा था जिसे वह कस के पकड़ी हुई थी और अपने आप को तैयार कर रही थी कि अगर कोई चोर हुआ तो वह कस के वार करेगी,,,,, और यही सोचकर वह धीरे-धीरे अपना कदम आगे बढ़ा रही थी और पीछे से अंकित धीरे से बोला,,)

मम्मी संभाल कर,,,,,।

तू चिंता मत कर,,,,





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(दोनों मां बेटे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे कुछ देर के लिए दोनों के मन से वासना और मदहोशी का तूफान गुजर चुका था दोनों एकदम सामान्य हो चुके थे मां और बेटा दोनों के अंदर एक बार फिर से चरित्र का बदलाव हो चुका था दोनों अपने मूल रूप में आ चुके थे,,, अपने कमरे से निकल कर दोनों पीछे की तरफ जा रहे थे,, दोनों के मन में इस बात का डर भी था कि कहीं कर हुए तो क्या होगा अगर एक हुआ तो फिर भी ठीक अगर एक से ज्यादा हुए तो क्या होगा,,,,। अगर उनके पास हथियार हुआ मतलब की चाकु हॉकी स्टिक या फिर रिवोल्वर हुई तो,,,, क्यों नहीं हो सकती कर के पास तो सारे हथियार होते हैं और उन्हें चलाने से भी वह बिल्कुल भी नहीं कतराते,,,, इस बारे में सोचते ही सुगंधा के बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी ,, उसके पसीने छूटने लगे,,,,। और वह अपने बेटे को एकदम से सचेत करते हुए बोली,,,)

एकदम चौकन्ना रहना अंकित कुछ भी हो सकता है,,,।

मै एकदम चौकन्ना हुं मम्मी,,,, बस तुम अपने आप को संभालना,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा को हिम्मत मिल रही थी,,,, और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी पीछे से एक बार गिरने के बाद किसी तरह की आवाज नहीं आ रही थी बिल्कुल सन्नाटा छाया हुआ था,,,, सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी कि पीछे एकदम अंधेरा होगा लेकिन फिर भी चांदनी रात होने की वजह से साफ दिखाई दे रहा होगा अभी तक दोनों पीछे नहीं पहुंचे थे दोनों के हाथ में अपनी रक्षा के लिए हथियार के नाम पर केवल डंडा ही था पर उसे भी दोनों बड़ी सिद्धत से पकड़े हुए थे,,,।

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धीरे-धीरे करके दोनों मां बेटे घर के पीछे की तरफ पहुंच गए थे,,,,,,, घर के पीछे भी एक बल्ब लगा हुआ था लेकिन इस समय वह जल नहीं रहा था क्योंकि वह स्विच ऑफ था और उसकी बटन दीवार पर ही थी और वह धीरे से अपने बेटे से बोली,,,,।

अंकित में बटन दबाने जा रही हूं एकदम ध्यान देना कौन है कहां है,,,,, हो सकता है यही छुपा हुआ हो,,,,।

तुम चिंता मत करो मम्मी मैं एकदम तैयार हूं,,,,(अंकित अपने मन में ठान लिया था कि अगर सच में कोई चोर हुआ तो आज वह इस डंडे से मार मार कर उसकी हड्डियां तोड़ देगा उसे जरा भी डर नहीं लग रहा था जवान कौन था जो से भरा हुआ और इस बात से उसके मन में गुस्सा भी था कि वह कोई भी हो उसके घर में घुस आया था,,,,, इस बात का गुस्सा तो उसके मन में था ही वह इस बात से और ज्यादा क्रोधित था कि कमरे के अंदर रोमांटिक फिल्म देखते हुए इतना अच्छा दृश्य उसकी मां दिखा रही थी जिस पर पर्दा पड़ गया था,,,,।
Ankit or uski ma

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दोनों का दिल बड़ी जोरों से धड़क रहा था क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ था जब दोनों के मन में इस तरह का डर था कि उनके घर में चोर घुस आया है और वह दोनों उसे चोर का मुकाबला करने के लिए हाथ में डंडा लिए घर के पीछे पहुंच चुके थे सिकंदर धीरे से अपना हाथ बटन पर रखी और उसे एकदम से दबा दी और पीछे एकदम से बल्ब जल उठा और उसकी रोशनी चारों तरफ फैल गई,,,, तभी सामने उन दोनों की नजर गई तो वहां पर एक गमला गिरा हुआ था और उसे टूटे हुए गमले की तरफ देखकर जैसे ही सुगंधा बोली ,,,)

कौन है वहां,,,?
(उसका इतना कहना था कि तभी गमले के पीछे बिल्ली निकाली और म्याऊं बोलते हुए जल्दी से दीवार खुद कर भाग गई,,,, और उस बिल्ली को देखकर सुगंधा राहत की सांस लेते हुए बोली,,,)

अच्छा तो यह बिल्ली का काम था,,,,।

हां मम्मी और हम तो कुछ और ही समझ रहे थे,,,।

चलो अच्छा ही हुआ कि बिल्ली थी वरना चोर होता तो गड़बड़ हो जाती,,,।


Ankit or uski ma ki kalpna

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कुछ गड़बड़ नहीं होती मम्मी देख रही हो ना या डंडा मार मार कर उसका कचुमर बना देता,,,,।

हां देख तो रही हूं वैसे तो है बहुत बड़ा हिम्मतवाला तेरी जगह कोई और होता तो शायद वह डर जाता,,,।

तभी तो कहता हूं मम्मी की मैं बड़ा हो गया हूं तुम रहती हो कि अभी भी बच्चा हो,,,,।

हां बाबा तु बड़ा हो गया है बस,,,,।

खामखा बिल्ली ने सारा खेल बिगाड दी इतनी अच्छी फिल्म चल रही थी,,,,,,।

वह चुम्मा चाटी वाली फिल्म तुझे अच्छी लग रही थी,,,(सुगंधा जानबूझकर इस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हुए बोली क्योंकि वह जिस तरह से गर्म होकर अपने अंगों का प्रदर्शन कर रही थी चोर की आशंका होते ही उसकी उत्तेजना हवा में फूर्ररर हो गई थी और इस समय घर के पीछे एकांत बातें ही वह फिर से मदहोश होना चाहती इसलिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हुए बोली अपनी मां की बात सुनकर अंकित थोड़ा शरमाते हुए बोला,,,)
Sugandha apne bete se chudwane kia khwab dekhti he

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नहीं ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन कहानी अच्छी थी,,,।

लेकिन गर्मी भी तो बहुत थी और यहां देख कितनी अच्छी हवा चल रही है,,,,।

तुम सच कह रही हो मम्मी तुमको कुछ ज्यादा ही गर्मी लग रही थी मैं तुम्हारी हालत देखा था,,,।

क्या देखा था,,,?(जानबूझकर मदहोश होते हुए सुगंधा बोली,,,)

यही देखा था कि तुमसे गर्मी बरसात नहीं हो रही थी और तुम साड़ी अपनी कमर तक उठा दी थी,,,।



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ओहहह ,,,,, तो क्या हो गया अंकित सच में मुझे बहुत गर्मी लग रही थी इसलिए मैं सारी कमर तक उठा दी थी ताकि थोड़ी हवा लग सके और वैसे भी तेरी जानकारी के लिए बता दूं कि हमेशा औरतों की टांगों के बीच कुछ ज्यादा ही गर्मी लगती है तुझे मैं यह पहले भी बता चुकी हूं इसलिए तो मुझसे गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,,।

मुझे भी ऐसा लगने लगा है कि वास्तव में औरतों की टांगों के बीच ज्यादा ही गर्मी रहती है,,,,।

तुझे कैसे मालूम,,,!(आश्चर्य जताते हुए सुगंधा बोली)

अरे मम्मी तुम ही ने तो बताई हो तुम्हारी हालत देखकर मैं समझ गया,,,

और तेरी हालत देखकर,,,(एकदम से अंकित के पेंट में बने तंबू की तरफ देखते हुए) मुझे कैसा लग रहा है कि तेरी भी टांगों के बीच ज्यादा गर्मी लग रही है,,,।
(अपनी मां की बात सुनते ही उसे अपनी स्थिति का भान हुआ लेकिन वह यहां पर थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए हल्का सा मुस्कुराया और अपने हाथ को अपने तंबू पर रखकर उसे हल्के से दबा दिया ऐसा वह जानबूझकर कर रहा था और ऐसा करते हुए धीरे से बोला,,)



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हां मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा है,,,,।

(जिस तरह से अंकित में जवाब दिया था उसका जवाब सुनकर उसकी हिम्मत देखकर सुगंधा की दोनों टांगों के बीच हलचल मचने लगी वह समझ गई कि यही वह मर्द है जो उसकी जवानी की प्यास बुझा सकता है इसलिए मुस्कुराते हुए वह बोली,,)

अंकित कमरे में कितनी गर्मी लग रही थी लेकिन देख घर के पीछे कितनी ठंडी हवा चल रही है कितना अच्छा लग रहा है मन कर रहा है यहीं पर कुछ देर बैठ जाऊं,,,।

मेरा भी यही मन कर रहा है मम्मी,,,,।


तो ठीक है चल कुछ देर यहीं बैठ कर हवा लेते हैं,,,।
(इतना कहने के साथ ही एक कोने में पड़ी दो कुर्सी को खींचकर पास में ले आई और एक कुर्सी पर अंकित को बैठने का इशारा करते हुए बोली,,,)


Sugandha or uska beta
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तू बैठ में बल्ब बुझा देती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही सुगंधा बल्ब बुझाने के लिए आगे बढी और बटन समाधि और अगले ही पल जलता हुआ बल्ब एकदम से बुझ गया और घर के पीछे फैली हुई रोशनी एकदम सीमित हो गई अब कृत्रिम बल्ब की रोशनी नहीं बल्कि आसमान की चांदनी से फैली हुई कुदरत रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था लेकिन जिस तरह से उसकी मां बल्ब बुझाने के लिए बोली थी यह बात सुनकर अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,, क्योंकि उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मानो उसकी मां उसके साथ चुदवाने के लिए कमरे के अंदर की लाइट बंद करने के लिए जा रही हो,,, ताकि वह अंधेरे में उसे आराम से और बेझिझक चुदाई का आनंद लूट सके,,,, लाइट बंद करने के बाद वह भी कुर्सी पर आकर बैठ गई औरबोली,,,)

रात काफी हो चुकी है इसलिए बल्ब जलना उचित नहीं है,,,, वैसे भी चांदनी रात में सब कुछ साफ दिखाई दे रहा है,,,,,,(घर के पीछे पहले चांदनी रात के उजाले को देखकर मन ही मन प्रसन्न होते हुए सुगंधा बोली क्योंकि वह जानती थी की चांदनी रात होने की वजह से बल्ब का जालना उचित नहीं है क्योंकि वैसे भी सब कुछ साफ दिखाई दे रहा है,,,, बातों ही बातों में सुगंधा अपने बेटे से बोली,,,)
Sugandha a0ne bete se chudwati huyi

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अच्छा यह बात तो मुझे बेवकूफ बना रहा है ना,,,।

किस बात के लिए,,,!

अच्छा ऐसे बोल रहा है जैसे तुझे कुछ मालूम ही नहीं,,,,।

अरे सच में मुझे नहीं मालूम तुम क्या कह रही हो किस बारे में कह रही हो,,,,।

धत्,,,, तेरी कि मुझे तो लगा कि मेरा बेटा बड़ा हो गया है जवान हो गया है लेकिन पहला ही वादा तोड़ दिया,,,,।


वादा कैसा वादा,,,,!


अरे बेवकूफ मेरे लिए चड्डी खरीदने का,,,,।



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(अपनी मां की बात सुनते हैं एकदम से अंकित के बदन में सिहरन सी दौड़ गई और वह एकदम से मुस्कुराते हुए बोला,,,)

अरे चड्डी के बारे में बात कर रही हो वह तो मैं कल लेकर आऊंगा,,,,।

फिर से बेवकूफ बना रहा है अगर तेरे पास पैसे नहीं है तो बोल दे मैं तुझसे नहीं मांगूंगी और वैसे भी अपने पास से तुझे चड्डी खरीदने के लिए मैं पैसे नहीं दूंगी यह क्या बात हो गई मुझसे ही पैसा लेकर मुझे ही गिफ्ट करेगा,,,।

नहीं नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है मैं तो सही समय देख रहा था ताकि मैं तुम्हारे लिए अच्छी सी चड्डी खरे सकूं और कल छुट्टी का दिन है इसलिए मैं बड़ी आराम से तुम्हारे लिए खरीद सकता हूं और वैसे भी मुझे पैसे नहीं चाहिए जो तुम मुझे जेब खर्च कर देती हो उसमें से मैं काफी पैसा बचा चुका हूं और उसी पैसे का लाकर दूंगा,,,,।



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तब तो ठीक है तब तो सच में मेरा बेटा बड़ा हो गया मैं तो समझी कि भूल ही गया है,,,,।

मैं भला कैसे भूल सकता हूं पहली बार तो तुम्हारे लिए कुछ लाने का वादा किया हूं,,,,।

(चड्डी का जिक्र सुगंधा जानबूझकर की थी,,, क्योंकि वह माहौल को फिर से गर्म करना चाहती थी और ऐसा ही हो रहा था कुछ देर पहले जिस तरह का तंबू अंकित के पेट में बना हुआ था वह शांत हो चुका था लेकिन चड्डी का जिक्र होते ही एक बार फिर से उसके पेंट में तंबू बन चुका था। ,,,,। और एक बार फिर से सुगंधा की बुर पानी छोड़ रही थी,,,, घर के पीछे बैठे-बैठे काफी समय हो चुका था,,,,और सुगंधा के मन में कुछ और चल रहा था,,, इसलिए वह बोली,,,)

बहुत देर हो गई है सुबह उठना भी है,,,।

हां मम्मी देर तो काफी हो चुकी है लेकिन यहां इतनी अच्छी हवा चल रही है कि उठकर जाने का मन ही नहीं कर रहा है,,,,,।


Ankit or uski ma

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मेरा भी लेकिन क्या करें जाना तो पड़ेगा ही नींद नहीं पूरी होगी तो सुबह नींद नहीं खुलेगी,,,,(इतना कहने के साथ सुगंध अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और अंगड़ाई देने लगी उसकी भारी भरकम गांड अंगड़ाई लेते समय कुछ ज्यादा बाहर निकाल कर नजर आने लगी जिसे देखकर अंकित का लंड अंगड़ाई लेने लगा,,, और वह अपनी मां की गांड देखकर पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को दबा दिया,,, उसकी हरकत तिरछी नजर से उसकी मां ने देख ली और मन ही मन मुस्कुराने लगी वह समझ गई कि उसके बेटे के भी बदन में आग लगी हुई है उसे पाने के लिए,,,, अपनी मां की मदहोश कर देने वाली अंगड़ाई देखकर अंकित बोला,,)

क्या अभी भी अंदर चड्डी नहीं पहनी हो,,,।
(इतना सुनते ही सुगंध अपने बेटे की तरफ देखकर मुस्कुरा दी और बोली)

ले देख ले,,, तुझे तो जैसे विश्वास ही नहीं होता,,,,(और इतना कहने के साथ ही कदम आगे बढ़कर वह दीवार के कोने पर पहुंच गई जहां पर बैठ कर वह अक्सर पैसाब किया करती थी,,,, यह देखकर अंकित का दिल जोरों से धड़कने लगा वह समझ गया कि कुछ गजब का होने वाला है और देखते ही देखते उसकी मां अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,, अंकित की हालत खराब होने लगी क्योंकि जो वह सोच रहा था उसकी मां वही करने जा रही थी,,,,, इस दृश्य को देख देख कर ऐसा लग रहा था कि अंकित पूरी तरह से मर्द बन जाएगा,,,,,।
Sugandha apne bete k sath

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देखते ही देखते सुगंधा अपनी साड़ी को धीरे-धीरे करके कमर तक उठाती और वास्तव में वह साड़ी के नीचे कुछ नहीं पहनी थी वह एकदम नंगी थी और जैसे ही वह कमर तक साड़ी उठाई सुगंधा अपने दोनों हथेलियां को अपनी नंगी गांड पर रखकर उसे सहलाते हुए पीछे की तरफ नजर घूमाकर अंकित से नजरे मिलाते हुए बोली,,,)

देख लिया ना मैं कुछ नहीं पहनी हूं पर तुझे ऐसा लगता है कि मैं तुझसे झूठ बोल रही हूं,,,।

नहीं मम्मी ऐसा नहीं है मुझे इस बात से अच्छी लगता है कि बिना चड्डी पहने तुम कैसे पढ़ाने के लिए चली जाती हो कैसे बाहर निकल जाती हो,,,।




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क्या करूं मजबूरी है अगर होती तो पहन कर जाती पर वैसे भी अंदर पहनी हो कि नहीं पहनी हो किसको पता चलने वाला है तेरी तरह मैं किसी के सामने उठा कर दिखाती थोड़ी हूं,,,,।

(सुगंधा अपने बेटे के सामने धीरे-धीरे पुरी तरह से खुलने लगी थी और काफी हद तक खुल चुकी थी यह देखकर अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था क्योंकि उसकी मां के बढ़ता और उसकी हरकत को देखकर अंकित के जीवन में बहार आ गई थी,,, वैसे भी एक जवान लड़के को क्या चाहिए एक खूबसूरत औरत उसकी कामुकता भरी हरकत अच्छी से महसूस करके वह बार-बार उत्तेजित होता रहे,,,)

अच्छा करती हो मम्मी लोगों को क्या पता कि आसमान की परी जैसी दिखने वाली खूबसूरत औरत साड़ी के अंदर चड्डी नहीं पहनती,,,।

अच्छा तो मैं तुझे परी की तरह दिखती हूं,,,।

उससे भी ज्यादा खूबसूरत और सच कहूं तो मैं तुम्हारी तरह आज तक इतनी खूबसूरत औरत नहीं देखा,,,,।

अच्छा,,,,।


हां मम्मी में सच कह रहा हूं,,,,।



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चल अब रहने दे बातें बनाने को तेरी ईस तरह की बातें सुनकर कहीं मेरी पेशाब न छूट जाए,,,,(सुगंधा एकदम बेशर्मी भरी बातें अपने बेटे से करने लगी थी और उसकी यह बात सुनकर तो अंकित को ऐसा महसूस होने लगा कि कहीं उत्तेजना के मारे उसका लंड फट न जाए,,,, अपनी मां की बेशर्म भरी बातें सुनकर थोड़ा सा बेशर्म होने का हिम्मत करते हुए अंकित भी बोला,,,)

रहने तुम अभी तुम्हारी बात सुनकर तो मुझे पेशाब लगने लगी है,,,।
(अंकित की बात सुनकर सुगंध का मन प्रसन्नता से भर गया उसके चेहरे पर एकदम से नूर झलकने लगा और वह उत्साहित होते हुए बोली,,,)



Sugandha maja leti huyi
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तो देर किस बात की है आजा तू भी पेशाब कर ले,,,,(इतना कहने के साथ ही सुगंधा धीरे से बैठ गई और पेशाब करने लगी उसकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम से बाहर निकल गई चांदनी रात में उसकी गांड एकदम से मस्त चमक रही थी जिसे देखकर अंकित का मन कर रहा था कि उसकी गांड को जीभ लगाकर चाट जाए,,,, अंकित की हालत खराब होने लगी थी वह इतना तो समझ किया था कि उसके सामने उसकी मां एकदम बेशर्म बन चुकी है तो उसे भी शर्म करने की कोई जरूरत नहीं है और उसका भी मन करने लगा कि अपनी मां के साथ वह भी पेशाब करें आखिरकार ऐसा मौका मर्द की जिंदगी में बहुत ही काम आता है जब वह एक साथ एक औरत के साथ पेशाब करता हूं औरत की बुर से पेशाब की धार निकलती है और दूसरी तरफ मर्द के लंड से पेशाब की धार निकलती है ऐसा नजारा कमी देखने को मिलता है आज अच्छा मौका था जिसके बारे में कभी अंकित सोचा नहीं था आज वही अद्भुत क्रीड़ा करने का अच्छा मौका आ चुका था और इस मौके को अंकित गवाना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी वह शर्मा रहा था इसलिए सुगंधा एक बार फिर से अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)


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अाजा शर्मा मत पेशाब कर ले,,,, मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है,,,, याद है ना क्लीनिक में तू ही बाथरूम के अंदर परख नदी में मेरे पेशाब का सैंपल लिया था और कैसे लिया था यह तुझे बताने की जरूरत नहीं है तब मुझसे क्यों शर्मा रहा है,,,,। चल आजा,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर अंकित के बदन में जोश बढ़ने लगा उसकी हिम्मत बढ़ने लगी वह भी हिम्मत दिखाना चाहता था और मौका भी सही था इसलिए वह भी धीरे से आगे बड़ा और अपनी मां के बगल में जाकर खड़ा हो गया उसकी मां पेशाब कर रही थी और नजर उठा कर अपने बेटे की तरफ मुस्कुरा कर देखने लगी और बोली,,,)




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चल जल्दी से पेशाब कर ले,,,,।
(अंकित अपनी मां को देख रहा था और उसकी दोनों टांगों के बीच निकलती हुई पेशाब की धार को देख रहा था अंकित जानता था कि यह धार उसकी बुर से निकल रही है उसकी गुलाबी छेद से निकल रही है,,, लेकिन यहां से सिर्फ उसे पेशाब की धार दिखाई दे रही थी उसकी मां की गुलाबी बुरे नहीं दिखाई दे रही थी उसे देखने की तड़प उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी लेकिन फिर भी इतना भी उसके लिए बहुत काफी था,,,,।

मदहोशी की पराकाष्ठा कमरे के पीछे दर्शाई जा रही थी,,, मां बेटे दोनों मदहोश हो चुके थे सुगंधा की तरफ से यह खुला आमंत्रण था अंकित के लिए लेकिन अंकित इसे साफ तौर पर स्वीकार करने से घबरा रहा था डर रहा था उसकी जगह कोई और होता तो शायद इसी समय उसकी बुर में अपना लंड डालकर उद्घाटन कर चुका होता है लेकिन फिर भी एक झिझक उसके मन में थी जो उसे रोक रही थी,,,,।

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अपनी मां की तरफ देखते हुए अंकित अपने पेट का बटन खोलने लगा यह देखकर सुगंधा का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि सुगंधा अब तक अपने बेटे के लंड को बस एक ही बार देखी पाई है और वो भी जब उसके कमरे में उसे जगाने के लिए गई थी और अगर इस समय सब कुछ सही हुआ तो वह दूसरा मौका होगा जब वह अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड के दर्शन करेगी,,,,, अपनी मां की तरह अंकित भी बेशर्म बनते हुए धीरे-धीरे अपने पेंट की बटन खोलकर उसकी चेन को नीचे सरकार कर अपने पेंट को एकदम से घुटनों तक खींच दिया,,,, घुटनों तक पेट आते ही उसके अंदर बियर में बना अद्भुत खूंटा नजर आने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी बैल को बांधने के लिए खूंटा गाडा गया हो,,,, सुगंधा का दील जोरों से धड़क रहा था इस तरह का अद्भुत नजारा देखकर सुगंधा का मन कर रहा था कि अपने हाथों से अपने बेटे का अंडरवियर निकाल कर उसके लंड को अपने हाथ में पकड़कर उसे पेशाब करवाए,,, ।

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लेकिन ऐसा करने में उसे न जाने क्यों अजीब लग रहा था लेकिन यह काम अंकित बड़े अच्छे से करते हैं अपने अंदर बियर को दोनों तरफ से पकड़ कर उसे आगे की तरफ खींचकर एक अच्छी खासी दूरी बनाकर अपने लंड से बाहर की तरफ करके उसे नीचे कर दिया ऐसा अंकित ने इसलिए किया था ताकि बड़े आराम से उसके अंदर किया नीचे सड़क सके क्योंकि उसका लंड एकदम से लोहे के रोड की तरह तन कर खड़ा था और ऐसे में सीधे-सीधे अंडरवियर नीचे खींचना उचित नहीं था,,, क्योंकि सीधे-सीधे अंडरवियर नीचे आता ही नहीं और यही अदा सुगंधा के तन बदन में आग लगा गई ,,।

बेहद अद्भुत नजारा घर के पीछे दर्शाया जा रहा था मन बैठकर पेशाब कर रही थी और उसके बगल में बेटा पेशाब करने के लिए अपने अंडरवियर को उतर चुका था और अंडरवियर के उतरते ही उसका मतवाला लंड एकदम से हवा में लहराने लगा जिसे देखकर सुगंधा के मुंह के साथ-साथ उसके बुर में भी पानी आ गया,,, सुगंधा इस तरह की अद्भुत नवरी को कभी नहीं देखी थी पड़ोसन के द्वारा दिखाई गई गंदी फिल्म में भी इस तरह का नजारा उसे देखने को नहीं मिला था,,, इसलिए तो उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चलने लगी थी और अंकित की भी हालत खराब थी अंकित जानता था कि उसकी मां उसके लंड को ही देख रही है और यह देखकर अंकित केतन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी उसका मन कर रहा था कि ईसी समय अपनी मां की चुदाई कर दे ,,, लेकिन वह जानता था की चुदाई करने का अनुभव उसे बिल्कुल भी नहीं है अगर वह ऐसा कर भी देता तो निश्चित तौर पर वह सफल हो जाता इस बात को अच्छी तरह से जानता था अगर एक बार भी उसे चुदाई का अनुभव होता तो वह अपने आप को बिल्कुल भी नहीं रोकता,,।

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सुगंधा की आंखों में प्यास नजर आ रही थी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने की प्यास,,, वह अंदर ही अंदर तड़प रही थी उसकी दोनों टांगों के बीच भूचाल आ रहा था वह मदहोश हो रही थी उत्तेजना से उसका बदन कंपकंपा रहा था,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें मन तो उसका कर रहा था किसी समय अपना हाथ आगे बढ़कर अपने बेटे के लंड को थाम ले और उसे अपने मुंह में भरकर जी भर कर चूसे,,, लेकिन न जाने कौन सी झिझक उसे आगे बढ़ने से रोक रही थी,,, लेकिन फिर भी जो नजर उसकी आंखों के सामने था वह अद्भुत था जिसकी तुलना करना नामुमकिन था सुगंधा के लिए क्योंकि उसने आज तक इस तरह का मोटा तगड़ा लंबा लंड देखी ही नहीं थी,,, सुगंधा की बुर से छुलक छुलक कर पेशाब की धार निकल रही थी,,,,।



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अंकित अपनी मां की उत्तेजना को और बढ़ाते हुए अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ लिया और उसे ऊपर नीचे करके हिलाते हुए,,, पेशाब करने लगा सुगंधा के मुंह से एक भी शब्द नहीं टूट रहे थे वह मुक दर्शक बनकर अपने बेटे की हरकत को देख रही थी,,, अंकित के पेशाब की धार बड़ी तेजी से सामने की दीवार पर गिर रही थी और दूसरी तरफ सुगंधा की बुर से पेशाब कि धार कमजोर पड़ रही थी,,,। मां बेटे दोनों मदहोशी के आलम में पूरी तरह से डूब चुके थे इस तरह का एहसास उन दोनों को कभी नहीं हुआ था यह पल यह क्षण पूरी तरह से आंतरिक हो चुका था इस पल में दोनों डूब चुके थे खो चुके थे,,, अगर इस समय दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन जाता तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं थी लेकिन फिर भी संभोग और उसके क्रिया का लाभ के बीच बस एक ही कदम की दूरी रह गई थी,,, लेकिन इस दूरी को खत्म करने के लिए एक कदम बढ़ाने में दोनों की हिम्मत नहीं हो रही थी,,,।


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जैसे तैसे करके पैसाब वाला कार्यक्रम खत्म हो चुका था,,,, दोनों अपने कपड़ों को व्यवस्थित कर चुके थे लेकिन जिस तरह के हालात दोनों के बीच बन चुके थे दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर पा रहे थे दोनों सीधे अपने कमरे में चले गए और अपने वस्त्र को उतार कर अपने हाथों से अपनी जवानी की गर्मी को शांत करने की पूरी कोशिश करने लगे।
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Blackserpant

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सुगंधा एक अद्भुत स्नान का प्रदर्शन करते हुए अपने बेटे की आंखों के सामने और उसका सहयोग प्रकार नहा चुकी थी लेकिन इस स्थान में इतनी मादकता इतनी उत्तेजना थी कि,, अगर मां बेटे दोनों मेंसे किसी को भी इस बात का एहसास होता कि दोनों एक दूसरे का साथ चाहते हैं दोनों संभोग सुख प्राप्त करना चाहते हैं तो नल से गिरने वाला पानी अंकित के मोटे तगड़े लंड से फुआरा बनके गिरता और बरसों से सुखी बंजर जमीन को हरी भरी कर देता,,,,।



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लेकिन अफसोस इस बात का था कि दोनों मां बेटे भले ही एक दूसरे का सहयोग कर रहे थे एक दूसरे के अंगों को देख रहे थे लेकिन दोनों में से कोई भी एक दूसरे के मन की बात को मन की हालत को नहीं जानता था,, हालांकि ईस स्नान क्रिया में जितना दोनों बाहर के पानी से नहीं भेजे थे उतना अंदरूनी पानी से गीले हो चुके थे सुगंध तो बार-बार अपनी बुर से मदन रस बहा रही थी और अंकित भी मुंह के साथ-साथ लंड से भी लार टपका रहा था,,, वह इतना ज्यादा अत्यधिक उत्तेजना से सरोबोर था कि कभी-कभी तो उसे लगने लगता था कि कहीं उसके लंड की नशे ना फट जाए,,, लोहे के रोड से भी ज्यादा कड़कपन का एहसास उसे अपने लंड में हो रहा था,,,।




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और सुगंधा अपने बेटे के पेट में बने तंबू को देखकर मन ही मन उत्तेजित हो जा रही थी इतना तो वह जानते ही थी कि उसके बेटे का लंड वाकई में कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा था जिसे वह अपनी आंखों से ही देख चुकी थी और उसे पर अपनी उंगली का स्पर्श भी करा चुकी थी,,, लेकिन अभी तक उसने खुलकर अपने बेटे के लंड के दर्शन नहीं किए थे इसलिए उसके मन में यह अभिलाषा पूरी तरह से जागरूक होती जा रही थी कि ना जाने कब उसे अपने बेटे के लंड के दर्शन करने को मिलेंगे,,, और इसी चाह में बार-बार उसकी बुर गीली हो जा रही थी,,,,। सुगंधा भी जीवन में पहली बार अद्भुत स्नान का आनंद ले चुकी थी आज तक उसने कभी भी अंकित के सामने इस तरह से स्नान नहीं की थी,,, हमेशा अंकित की नजरों से बचकर या यूं कहना कि अपनी खूबसूरत बदन को अपने जवान बेटे की नजरों से बचकर ही स्नान की थी नहीं उसके सामने कभी कपड़े भी बदली थी लेकिन आज हालात इस तरह से हो गए थे कि आज खुद अपने हाथों से अपने कपड़े उतार कर और अपने बेटे के सहयोग से वस्त्र को उतार कर उसके ही सहयोग से स्नान कर रही थी,,,।



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एक तरफ जहां आनंद की अनुभूति में वह पूरी तरह से डूबती जा रही थी वहीं दूसरी तरफ उसे अपने बेटे पर गुस्सा भी आ रहा था,,, क्योंकि स्नान करते समय अपने बेटे को सहयोग के बहाने पूरी तरह से इशारा कर चुकी थी कि वह किसी भी तरह से उसके बदन से खेल सकता है उसे सहला सकता है दबा सकता है,,, लेकिन उसका बेटा बुद्धू की तरह कुछ ज्यादा उपभोग नहीं कर पाया था,,, लेकिन हां जिस तरह से साबुन लेने के लिए वह पेटीकोट में हाथ डालते हुए सीधा नीचे दोनों टांगों के बीच अपनी हथेली जमा दिया था उससे अभी भी सुगंधा के तन बदन में आग लग जा रही थी,,,, उसे अभी भी अपने बेटे की हथेली अपनी बुर के ऊपर महसूस हो रही थी,,, उसे पल को याद करके सुगंधा का मन एकदम गदगद हुआ जा रहा था,,, क्योंकि इस बात को सुगंध समझ नहीं पा रही थी उसका बेटा अनजाने भी उसकी बुर को साबुन के साथ तब उसे लिया था या जानबूझकर उसकी बुर को अपनी हथेली से दबोचा था,,,,।उफ्फ,,, अद्भुत एहसास,,,, काश अंकित उसके इशारों को समझ पाता,,,,, अपने मन में ही इस तरह की आशा जगाते हुए सुगंधा बोली,,,।

बाथरूम मे सुगंधा की मादक अदा

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बाथरूम में अर्धनग्न अवस्था में सुगंधा नहा कर खड़ी थी उसके पतन से पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह उसके खूबसूरत मखमली बदन से फिसल कर नीचे बाथरूम के फर्श पर गिर रहे थे,,, इस समय सुगंधा किसी चित्रकार के उन्मादकता भरे चित्र की तरह लग रही थी,,, किसी कलाकार की मूरत की तरह लग रही थी उसका गिला पेटिकोट उसके बदन से इस कदर चिपका हुआ था कि उसके अंग अंग को उजागर कर रहा था,,, इस अवस्था में कोई अगर उसे देख ले तो शायद उसके लंड का पानी अपने आप ही छूट जाए लेकिन न जाने कैसे अंकित अपने आप को संभाले हुए था अपनी मर्दानगी को काबू में किए हुए था वरना अंकित की जगह कोई और होता तो शायद बाथरूम के अंदर ही सुगंधा की चुदाई कर दिया होता और सुगंधा को तृप्त कर देता,,, और यही तो फर्क था दूसरे मर्द में और अंकित में,,,,।



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अंकित टावल लेने के लिए अपनी मां के कमरे में आ गया था लेकिन इस बीच वहां जो कुछ भी बाथरुम में हुआ था उसके बारे में ही सोच कर मदहोश हुआ जा रहा था वह मन ही मन बहुत प्रसन्न था क्योंकि आज उसे अपनी मां को नहलाने के बहाने उसके खूबसूरत अंग पर अपने हाथ रखने का मौका जो मिला था उसे स्पर्श करने का एहसास ही कुछ और था,,,, अपनी मां की ब्रा की पट्टी खोलने में जिस तरह का उसे अद्भुत उत्तेजना का एहसास हुआ था उसने आज तक महसूस नहीं किया था और उसके खूबसूरत बदन पर साबुन लगाना सब कुछ अद्भुत था,,,, और जैसे ही अंकित को साबुन वाली बात याद आई तो वह एकदम से उत्तेजना के सागर में डूबने लगा क्योंकि उसे याद आ गया कि वह किस तरह से साबुन उठाते हुए अपनी मां की बुर को अपनी हथेली में दबोच लिया था पानी में डूबी होने के बावजूद भी उसकी मां की बुर कितनी गर्म थी इसका एहसास उसे अभी भी अपनी हथेली में हो रहा था,,,,। पेट में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था लेकिन उसे छुपाने की दरकार अंकित बिल्कुल भी नहीं दे रहा था न जाने क्यों उसके मन में हो रहा था कि उसकी मां भी उसके पेंट में बना तंबू देखें ताकि कुछ बात आगे बढ़े जबकि उसे नहीं मालूम था कि उसकी मां तिरछी नजर से उसके पेंट में बने तंबू को ही देखकर मन ही मन उत्तेजित हुए जा रही थी,,। दोनों मां बेटे का अगर जान जाते की दोनों की मंजिल एक ही है तो शायद इस सफर का मजा और भी ज्यादा बढ़ जाता ,,, अंकित को टावल मिल चुकी थी क्योंकि उसकी मां की बिस्तर पर हुई थी वह जल्दी से टावर लेकर अपनी मां के कमरे से बाहर निकल गया,,,।


बाथरुम मे जवानी का जलवा दीखाती सुगंधा

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टावल लेकर जैसे ही वह अपनी मां के करीब पहुंचा तो उसकी नजर अपनी मां की भारी भरकम गोलाई लिए हुए छाती पर पडी ,,,, और उसकी पेटीकोट से उसकी भारी भरकम खरबूजा जैसी चूजियां एकदम से उजागर हो रही थी उनका जाकर उनके क्षेत्रफल सब कुछ एकदम साफ नजर आ रहा था यहां तक की चूचियों के बीच की शोभा बढ़ा रही उसकी किशमिश के दाने की तरह निप्पल कैडबरी चॉकलेट की तरह एकदम से बाहर आने को अातुर नजर आ रही थी,,, अंकित देखा तो देखा ही रह गया और साथ ही उसकी नजर जैसे ही अपनी मां की दोनों टांगों के बीच गई तो देखा की गली पेटिकोट उसकी मां की दोनों टांगों के बीच ऐसी चिपकी थी कि जानवर और कमर के बीच त्रिकोण आकार एकदम साफ नजर आ रहा था और उसे यह भी दिखाई दे रहा था कि उसकी मां की बुर कौन सी जगह पर है क्योंकि वह भी कचोरी की तरह फुल कर एकदम से उजागर हो रही थी,,,।




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अंकित अपनी मां को टॉवल देना ही भूल गया था वह अपनी मां की खूबसूरती में पूरी तरह से डूब चुका था उसकी मां भी यह देख रही थी और मन ही मन प्रसन्न हो रही थी वह जानती थी कि उसका बेटा क्या देख रहा है इसलिए अपने बेटे की तड़प और ज्यादा बढ़ाते हुए सुगंधा पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी बुर को खुजलाने का नाटक करते हुए बोली,,,।

अरे क्या देख रहा है देना टावल,,,,

(अपनी मां की बात सुनकर जैसे कोई नींद से उसे एकदम से झकझोर कर जगा दिया हो वह ऐसे हड़बड़ाहट भरे स्वर में बोला,,,)

ओ,,,,, हां,,,,,,, ये लो टॉवल,,,(अपनी मां की तरफ टॉवल बढ़ाते हुए बोला और उसकी मां मुस्कुराते हुए अपने बेटे के हाथ से टॉवल को ले ली और उसे अपनी खूबसूरत बदन पर लपेटने लगी वह अपने बदन पर टॉवल को लपेटकर टावर को एक हाथ से पकड़ कर अपनी पेटी कोट को नीचे की तरफ खींच रही थी,,, यह नजारा देखकर अंकित की तो सांसे ऊपर नीचे होने लगी एक पल को ऐसा लगा कि अपनी मां की आंखों के सामने अपने लंड को बाहर निकाल कर मुठ मार ले क्योंकि उसे इस उत्तेजना की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी वह पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था इतना अद्भुत नजारा इतना कामुकता भरा दृश्य तो उसने गंदी किताब में भी नहीं देखा था,,, अंकित की हालत बद्तर हुए जा रही थी,,, अंकित अपनी मां की खूबसूरत बदन पर से बिल्कुल भी नजर नहीं जाता रहा था वह अपनी मां को ही देख रहा था और सुगंधा भी उसकी हरकत पर उसे बिल्कुल भी टॉप नहीं रही थी क्योंकि उसे भी बहुत मजा आ रहा था अपने जवान बेटे के सामने कपड़े बदलने में कैसा अनुभव होता है कैसा एहसास होता है आज उसे अच्छी तरह से मालूम हो रहा था,,, देखते ही देखते सुगंधा अपनी पेटीकोट को उतारकर कपड़े के देर में रखती और टावर को अच्छी तरह से अपनी चूचियों के आधे भाग पर लाकर उसे लपेट दी आधा भाग अभी भी उसकी नजर आ रहा था और इस अवस्था में उसकी चूची एकदम पपाया की तरह नजर आ रही थी यह देखकर अंकित मन ही मन सोच रहा था कि काश इतनी बड़ी-बड़ी चूचियां उसे पकड़ने को मिल जाती तो कितना मजा आता,,,,।

सुगंधा का जलवा

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अपने बदन पर टावल लगाकर,,, सुगंधा सामने की दीवार की तरह मुंह करके खड़ी हो गई और कपड़े धोने के लिए नीचे बैठ गई और उसके नीचे बैठते ही उसके नितंबों का आकार एकदम से उजागर हो गया टॉवल उसकी गांड को छुपाने में छोटी पड़ गई और अपनी मां की नंगी गांड और उसकी गांड की गहरी दरार को देखकर अंकित से रहा नहीं गया और वह अपने लंड पर हाथ रखकर उसे दबा दिया,,, और अपनी मां के खूबसूरत जवानी को निहारने के चक्कर में वह यह भूल गया कि उसकी मां कपड़े धोने जा रही थी,,, और वह ऐसा नहीं चाहता था क्योंकि वह जानता था किसकी मां की तबीयत खराब है इसलिए वह तुरंत आगे बढा और अपनी मां को रोकते हुए बोला,,,।



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अरे अरे क्या कर रही हो मम्मी मैं धो दूंगा,,, तुम्हें कपड़े धोने की जरूरत नहीं है जाकर आराम करो,,,।

अरे नहीं रे मुझे धोने दे अच्छा थोड़ी लगता है कि मेरे कपड़े तु धोए,,,,(ऐसा कहकर वह अपनी साड़ी को अपने पास खींच कर उसे पर साबुन लगाने ही वाली थी कि अंकित अपना हाथ बढ़ाकर अपनी मां की बांह पकड़ लिया और उसे रोकते हुए बोला,,,)

नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं मैं हमेशा के लिए थोड़ी कह रहा हूं अभी तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए कह रहा हूं मैं तुम्हें कपड़े नहीं धोने दूंगा तुम चलो कमरे में आराम करो,,,,।
(अंकित का इस तरह से उसे कपड़े धोते हुए रोकना उसे बहुत अच्छा लग रहा था वह मन ही मन बहुत खुश हो रही थी लेकिन तभी उसकी नजर अपनी उतरी हुई चड्डी पर पड़ी तो वहां हाथ आगे बढ़कर अपनी चड्डी को अपने हाथ में ले ली और उसे धोने के लिए जैसे ही साबुन हाथ में उठाई फिर से उसे अंकित रोकने लगा,,,,)




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नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं तुम अपने कमरे में चलो आराम करो मैं कपड़े धो दूंगा,,,,।

अरे हाथ धो देना लेकिन इसे तो धोने दे,,,(पेंटी की तरफ हाथ आगे बढ़ाकर वह बोली वह जानबूझकर अंकित का ध्यान अपनी पैंटी पर ले जा रही थी और अंकित भी अपनी मां के हाथ में उसकी चड्डी देखकर मदहोश होने लगा था और उसे धोने का सुख प्राप्त करना चाहता था इसलिए बोला,,,)

कोई बात नहीं मैं धो दूंगा तुम चलो अपने कमरे में,,,,।

अरे बेटा इसे तो धोने दे,,,,।

नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं तुम अपने कमरे में चलो बस,,,(इतना कहते हुए वह अपनी मां का हाथ पकड़ कर उसे खड़ी कर दिया उसकी जीत देखकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न भी हो रही थी और उत्तेजित भी हो रही थी,,, लेकिन फिर भी आशंका जताते हुए बोली,,,)



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अरे बेटा समझने की कोशिश कर अगर किसी को पता चल गया कि तू मेरे कपड़े धोया है तो लोग क्या समझेंगे,,,,।

अरे वाह लोग क्या समझेंगे,,, इसमें क्या लोग समझेंगे,,,, और वैसे भी लोगों को कहां पता चलेगा कि कपड़े कौन धोया है,,,।


लेकिन अगर तृप्ति को पता चल गया तो की मेरे कपड़े तूने धोया है और साथ मेंमेरी चड्डी भी तो वह क्या समझेगी,,,,(सुगंधा जानबूझकर इस बार खुले सकते हैं अपने अंतर्वस्त्र का नाम ली थी और वाकई में इसका असर अंकित के मन पर बहुत ही गहरा पड़ा था अपनी मां के मुंह से चड्डी शब्द सुनकर उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी थी,,, हालांकि इस दौरान सुगंधा की नजर बराबर अपने बेटे की पेंट के ऊपर थी जिसमें अच्छा खासा तंबू बना हुआ था और उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में उसके बेटे के पेट में लंड नहीं बैल को काबू करने वाला खुंटा छुपा हुआ है,,, अपनी मां की बात सुनकर अंकित बोला,,,)



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दीदी को बताना ही नहीं ना,,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि इस बात की तसल्ली ठीक है उसके बेटे को इतना तो पता था कि कौन सी बात बतानी चाहिए कौन सी बात छुपानी चाहिए,,,,,,, वह इस बात से खुशी की उसका बेटा यह बात जानता है की औरतों के अंग वस्त्र को धोना उनकी पेंटिं धोना उनकी ब्रा धोना,, कुछ हद तक उचित तो है लेकिन उसे किसी को बताना उचित नहीं है और इस बात से सुगंधा भी खुश थी कि बाथरूम में जो कुछ भी हो रहा है वह किसी को पता नहीं चलेगा,,, अपने बेटे की बात सुनकर मुस्कुराते हुए सुगंधा बोली,,,)

चल कोई बात नहीं किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा बस,,,,, अच्छा मैं अपने कमरे में जाती हूं,,,,(इतना कहकर वह अपने कमरे की तरफ जाने लगी लेकिन उसके मन में युक्ति चल रही थी वह जानती थी कि उसे क्या करना है और जैसे ही तो कदम आगे बढ़ी थी कि उसके बदन से टावल एकदम से खुलकर उसके पैरों में जा गिरी और वह एकदम से नंगी हो गई,,,। पल भर में ही नजारा पूरी तरह से बदल गया,,, अंकित की तो हालत एकदम से खराब हो गई उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसकी आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी खड़ी थी उसका टावल उसके बदन से सरक कर नीचे गिर गया था,,, जो कि यह सब सुगंधा की ही चाल थी सुगंधा जानबूझकर अपनी टावेल खोल दी थी जानबूझकर अपने बेटे के सामने संपूर्ण रूप से नंगी हो गई थी,,, अंकित की नजर अपनी मां के नंगे बदन से हटा ही नहीं रही थी वह आश्चर्य से मुंह खोल अपनी मां की नंगी जवानी कोई देख रहा था एकदम गदराया बदन,,, गोरी गोरी काया ,,मांसल देह,,, बदन के हर कोने से जवानी का रस टपक रहा था,,, अपनी मां की नंगी बड़ी-बड़ी गांड को देखकर अंकित की हालत और ज्यादा खराब हो गई बहुत पूरी तरह से पागल होने लगा,,,।

अंकीत की ख्वाहिश

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अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें बस वह अपनी मां को देखे जा रहा था,,, और सुगंध भी अपने बेटे की तरफ इस तरह से आश्चर्य से देख रही थी कि मानो यह क्या हो गया कह रही हो,,,, कुछ क्षण तक वह जानबूझकर अपने बेटे की आंखों के सामने एकदम नग्नवस्था में खड़ी रही और फिर जैसे उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसके बेटे ने उसकी नंगी जवानी के दर्शन कर ली है वह तुरंत नीचे झुक गई और नीचे झुकता ही उसकी गोल-गोल गाने एकदम से उभर कर चांद की तरह नजर आने लगी जिसे देखकर अंकित कहां अपने आप उसके लंड पर आ गया और उसके हरकत नीचे झुकने पर चोर नजरों से सुगंधा ने देख ली थी और उसके बेटे की हरकत उसके बदन में मदहोशी भर गया वह समझ गई कि उसका बेटा उसको देखकर अपने लंड पर हाथ क्यों रख रहा है,,,, वह तुरंत टावल को उठाई और फिर अपने नंगे बदन पर लपेटकर अपने कमरे की ओर चली गई,,,,।


सुगंधा और अंकित
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लेकिन जाते-जाते अपने बेटे की हालात पूरी तरह से खराब कर गई थी कुछ देर तक अंकित अपनी मां के कमरे की तरफ देखता रह गया दरवाजा बंद हो चुका था पहचानता था कि उसकी मां अपने कपड़े बदल रही होगी लेकिन उसे कपड़े धोना था गहरी सांस लेकर वह बाथरूम में बैठकर अपनी मां के कपड़े धोने के लिए या उसका पहला अनुभव था जब वह अपनी मां के कपड़े धो रहा था एक औरत के कपड़े धो रहा था,,,, औरत के कपड़े धोने में कैसा अनुभव होता है आज से पहली बार एहसास हो रहा था उसे उत्तेजना का अनुभव रहा था वह अपनी मां की साड़ी पेटिकोट धोने के बाद अपनी मां की ब्रा हाथ में ले लिया वह अपनी मां की ब्रा को हाथ में लेकर पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंचने लगा,,,,



सुगंधा की साड़ी उठाता हुआ अंकित

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अंकित के दिल और दिमाग पर वासना पूरी तरह से घर कर गया था वह अपनी मां की ब्रा को अपनी नाक से लगाकर सुंघ रहा था,,, ब्रा के कप को दोनों हाथों में लेकर इस तरह से दबा रहा था कि मानो जैसे उसके हाथ में उसकी मां की ब्रा नहीं बल्कि उसकी मां की चूचियां आ गई हो इस हरकत से वह मदहोश हुआ जा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था और फिर उसे धोने के बाद वह अपनी मां की पेंटिं को अपने हाथ में ले लिया और पेंटी के हाथ में आते हैं उसके लंड में हरकत बढ़ने लगी,,, उसका लंड ऊपर नीचे होने लगा ऐसा लग रहा था कि मानो उसका लंड उसकी मां की पेटी को सलामी भर रहा हो,,,, अंकित अच्छी तरह से जानता था कि उसके हाथ में उसकी मां के अंग का कौन सा वस्त्र है इसलिए उसकी उत्तेजना और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,,।


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वह अपनी मां की चड्डी को दोनों हाथों में लेकर इधर-उधर घूम कर देख रहा था कि तभी उसकी नजर उसकी मां की चड्डी के छोटे से छेद पर गई और उस छेंद को देखते ही उसके लंड की अकड़ एकदम से बढ़ गई मानो कि जैसे उसने अपनी मां की चड्डी में छेद नहीं बल्कि अपनी मां का गुलाबी छेद देख लिया हो,,,,
अपनी मम्मी की चड्डी को हाथ में लिए हुए वह बार-बार बाहर की तरफ देख ले रहा था कि तुम उसकी मां तो नहीं आ रही है,,,, वह अच्छी तरह से जानता था कि इस चड्डी में उसकी मां का सबसे बेश कीमती खजाना छुपा हुआहोता है,,, उसकी बुर और गांड जो मर्दों की उत्तेजना को हमेशा बढ़ा देती है,,,। अंकित अपना होश खो रहा था,,, उसके हाथ में उसकी मां की पेटी थी लेकिन उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे दुनिया का सबसे बेश कीमती खजाना उसके हाथ लग गया हो,,,




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अपनी मां की चड्डी को हाथ में लेकर हुआ बार-बार अपने लंड को दबा दे रहा था उसके मन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह कुछ कर गुजरना चाहता था बार-बार वह अपनी मां की पेटी के छेद में अपनी उंगली डालकर उसे अंदर बाहर कर रहा था और ऐसा एहसास कर रहा था कि मानो जैसे वह अपनी उंगली को चड्डी के छेंद में नहीं अपनी मां के गुलाबी छेद में अंतर बाहर कर रहा हो,,, वह बार-बार दरवाजे की तरफ देख ले रहा था उसे डरता कि कहीं उसकी मां आ जाए,,, और उसे अपनी पेंटी के साथ इस तरह की हरकत करता हुआ देखकर पकड़ ना ले नहीं तो क्या समझेगी,,, लेकिन उसकी उत्तेजना कम नहीं हो रही थी जो कुछ भी उसने बाथरूम में देखा था जिस तरह का सहयोग उसने अपनी मां को दिया था उसे देखते हुए और अभी-अभी कुछ देर पहले टावल के गिर जाने से अपनी मां के नंगे बदन के दर्शन करके जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसे शांत करना उसके लिए बहुत जरूरी हो गया था,,,,


अंकित पेटीकोट खोलता हुआ

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इसलिए वह कुछ करना चाहता था और वह धीरे से उठकर खड़ा हूं क्या उसके एक हाथ में में उसकी मां की चड्डी थी पर दूसरे हाथ से वह अपने पेट को खोलकर नीचे कर दिया और उसका लंड एकदम से आजाद हो गया अपने लंड को देखकर अंकित को लग रहा था कि जैसे आज कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा हो गया है,,,, एक नजर दरवाजे पर रखकर वह अपनी मां की चड्डी को अपने लंड पर लपेटने लगा,,,,, यह क्रिया उसके लिए बेहद अद्भुत थी ,,,और वह पहली बार इस तरह की क्रिया अपनी मां की पेंटिं लेकर कर रहा था,,,, वह उसे पूरी तरह से लपेटकर उसे मुट्टी में भरकर मुठिया रहा था,,, उसे बहुत मजा आ रहा है आनंद की पराकाष्ठा उसे महसूस हो रही थी वह परम आनंद में खोने लगा था,,, कुछ देर तक कोई इसी तरह से अपने लंड पर पेंटिं लपेटे मुठीयाता रहा,,,,।

अंकित आज तक ऐसी हरकत नहीं किया था हालांकि मुठ तो मरने लगा था लेकिन अपनी मां के अंतर्वस्त्र को लेकर कभी इस तरह की क्रिया किया नहीं आज पहली बार वह अपनी मां की उपयोग में ली हुई पेटी से हस्तमैथुन कर रहा था और उसे बेहद मेहनत की प्राप्ति हो रही थी लेकिन तभी उसे याद आया कि उसकी मां की पेंटिं में छोटा सा छेद है,,,, और उसका दिमाग बड़ी तेजी से दौड़ने लगा,,,, उसने तुरंत अपने लैंड पर से अपनी मां की चड्डी को हटाया और उसे दोनों हाथों से खोलकर उसके छेद को देखने लगे और उस छेंद को देखकर उसके चेहरे पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,, इस समय अपनी मां की चड्डी का छोटा सा छेंद उसे छेंद नहीं बल्कि अपनी मां का गुलाबी छेद नजर आ रहा था,,, अब उसका धैर्य जवाब देने लगा,,, उसके कल्पनाओं का घोड़ा बड़ी तेजी से दौड़ने लगा चड्डी के अंदर का छोटा सा छेद उसे अपनी मां की बुर का छेद नजर आ रहा था जो उसकी आंखों के सामने थी अब वह अपने आप को रोक नहीं सकता था,,,, आज वह अलग तरीके से मुठ मारना चाहता था।

अंकित बार-बार दरवाजे की तरफ देख ले रहा था लेकिन पूरी तरह से जगह पर सन्नाटा छाया हुआ,, था,,, इसलिए उसकी हिम्मत बढ़ने लगी थी लेकिन वह यह भी जानता था की चड्डी का छोटा सा छेद उसके लंड के सुपाड़े से बहुत छोटा था,,, अगर वह उसमें अपना लंड प्रवेश कराएगा तो उसका छेद और ज्यादा बढ़ जाएगा,,,, इस बात को अच्छी तरह से समझना लेकिन वासना का भूत उसके दिलों दिमाग पर पूरी तरह से हावी हो चुका था,,, इसलिए अपनी चड्डी में हुए छोटे से छेद को जब एकदम बड़ा हुआ छेंद देखेगी तो उसकी मां क्या सोचेगी,,, अब इसकी फिकर उसे बिल्कुल भी नहीं थी,,, उसे तो बहुत जल्दबाजी थी छोटे से छेद में अपने लंड को डालने में क्योंकि इस समय उसकी मां की चड्डी का छोटा सा छेंद उसके लिए उसकी मां की बुर से कम नहीं था,,,।

अंकित तैयार हो चुका था एक नए अनुभव के लिए,,, इसलिए वह दोनों हाथ से अपनी मां की चड्डी पकड़ कर उसमें अपना लंड प्रवेश कराने लगा,,, सूपाड़ा के प्रवेश करते ही छोटा सा छेद बड़ा होने लगा,,, और अंकित अपने मन में कल्पना करने लगा कि उसकी मां की बुर उसके लंड डालने से फैलती चली जा रही है,,, धीरे-धीरे करके वह अपना समुचा लंड अपनी मां की चड्डी के छोटे से सुराख में डालकर उसे फैलाता चला गया,,,, इस क्रिया को करने में अंकित पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था उसकी कोई आनंद की पराकाष्ठा नहीं थी वह मदहोश चुका था पागल हो चुका था उसके दिलों दिमाग पर वासना पूरी तरह से सवार हो चुकी थी और देखते ही देखते वह अपनी मां की बुर समझ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,, और उसकी उत्तेजना इतनी अत्यधिक थी बहुत ही जल्द उसके अंदर से वीर्य पात हो गया,,,।

जैसे ही उसकी दिलो दिमाग से वासना का भी कितना बड़ा कर चुका था अब उसे थोड़ा डर लगने लगा क्योंकि उसकी मां क्या सोचेगी,,, लेकिन इसके लिए भी वह अपने मन में उपाय सोच लिया था और वह कपड़े धोकर छत पर सूखाने के लिए चला गया,,,।
Aag barabar lagi hai dono taraf
 

Ajju Landwalia

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टीवी पर रोमांटिक फिल्म का रोमांटिक फिर से देखकर जिस तरह से सुगंधा गर्म हो चुकी थी,,, उसे देखकर ऐसा ही लग रहा था की सुगंधा जरूर कुछ ना कुछ हरकत करेगी,,, क्योंकि टीवी के रोमांटिक दृश्य को देखकर उसका बेटा भी मदहोश हो चुका था उसके भी पेट में तंबू बन चुका था,,,, और इसी के चलते सुगंधा अपनी दोनों टांगों को उठाकर सामने पड़े टेबल पर रख दिया और साड़ी को धीरे-धीरे अपनी जांघों के ऊपर तक खींच दी,,, ऐसा हुआ जानबूझकर कर रही थी अपने बेटे को अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित करने के लिए और उसका बेटा ठीक उसके बगल में बैठा था और अपनी मां की हरकत देखकर पूरी तरह से मत हुआ जा रहा था,,,।

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अंकित अपनी मां की मदहोश कर देने वाली हरकत देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था और वह अपनी आंखों को टीवी की जगह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच दिखाया हुआ था वह अपनी मां की गुलाबी बुर को देखना चाहता था उसके दर्शन करना चाहता था लेकिन सुगंधा जानबूझकर इतना ही साड़ी कमर तक उठाई थी ताकि सब कुछ तो देखा जा सके लेकिन उसकी बुर दिखाई ना दे और यही तड़प वह अपने बेटे के चेहरे पर देख रही थी,, मोटी मोटी जांघो से सुशोभित सुगंधा की जवानी ट्यूबलाइट की रोशनी में अपनी अलग आभा बिखेर रही थी,,, तृप्ति वहां से उठकर कब का अपने कमरे में सोने के लिए जा चुकी थी और इसी मौके का फायदा सुगंधा उठाना चाहती थी और इसी के चलते वह अपनी जवानी का प्रदर्शन कर रही थी,,,।




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जिस तरह की हालत और तड़प सुगंधा अपने अंदर महसूस कर रही थी उसी तरह की तड़प उसका बेटा भी महसूस कर रहा था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपनी मां की बर देखने के लिए तड़प रहा हो और कभी देखा ना हो वह अपनी मां की बुर को देख चुका था उसके दर्शन कर चुका था,,, लेकिन यह भी सही था कि बहुत बार देखने के बावजूद भी वह नजर भर कर अपनी मां की बुर को देख नहीं पाया था उसके भूगोल को समझ नहीं पाया था इसलिए तो इस समय भी उसकी तरफ बढ़ती जा रही थी और सुगंधा थी कि अपने बेटे को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी,,,।

लेकिन सुगंधा की कामुकता भारी क्रियाकलाप आगे बढ़ती इससे पहले ही घर के पीछे किसी चीज के गिरने की बड़ी तेजी से आवाज आई और दोनों एकदम से चौंक गए,,, सुगंधा जल्दी से अपने कपड़े को व्यवस्थित करके अपनी जगह से उठकर खड़ी हो चुकी थी,,,,, और अंकित भी अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया था दोनों मां बेटे एक दूसरे को सवालिया नजरों से देख रहे थे,,,,,। दोनों के मन में यही शंका थी कि हो सकता है कोई चोर घर में घुस आया हो इसीलिए तो सुगंधा अपने बेटे को बड़ा सा डंडा लेने के लिए बोली थी जो की कोने में पड़ा था और अंकित भी आगे बढ़ाकर उसे डंडे को अपने हाथ में ले लिया था,,,।
Ankit apni ma k sath

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सुगंधा जल्दी से टीवी बंद कर दी थी,,,,, और वह भी एक बड़ा सा डंडा अपने हाथ में ले ली और अंकित की तरफ देखने लगी,,,,‌

क्या गिरा होगा,,,!(आश्चर्य से अपनी मां की तरफ देखते हुए अंकित बोला,,,)

मालूम नहीं चल कर देखना पड़ेगा,,,,

मैं भी साथ चलूंगा,,,,।

लेकिन चौकन्ना रहना पड़ेगा हो सकता है कोई चोर हो,,,,

तब तो मैं आगे रहूंगा मम्मी,,,,।

नहीं अंकित तू पीछे रहना तू अभी इतना बड़ा नहीं हो गया है,,,।

क्या बात करती हो मम्मी मैं एकदम जवान हो गया हूं मुझे आगे रहने दो अगर कर हुआ तो दो ही डंडे में उसकी हड्डी तोड़ दूंगा,,,।
(अपने बेटे का जोश और हिम्मत देखकर सुगंधा मन ही मन खुश होने लगी और अपने बेटे की जवानी पर गर्व करने लगी लेकिन फिर भी वह जानती थी कि वह अपने बेटे को इस तरह से आगे नहीं रख सकती थी ,,इसलिए बोली,,,)
Ankit apni ma ko nangi karta hua

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तू चाहे कितना भी बड़ा हो जा अंकित मां की नजरों में तू अभी बच्चा ही रहेगा इसलिए मैं आगे रहती हूं और तू पीछे पीछे,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुगंधा धीरे-धीरे कदम आगे बढ़ाने लगी,,, पीछे पीछे अंकित चलने लगा सुगंधा के हाथ में भी मोटा और लंबा डंडा था जिसे वह कस के पकड़ी हुई थी और अपने आप को तैयार कर रही थी कि अगर कोई चोर हुआ तो वह कस के वार करेगी,,,,, और यही सोचकर वह धीरे-धीरे अपना कदम आगे बढ़ा रही थी और पीछे से अंकित धीरे से बोला,,)

मम्मी संभाल कर,,,,,।

तू चिंता मत कर,,,,





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(दोनों मां बेटे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे कुछ देर के लिए दोनों के मन से वासना और मदहोशी का तूफान गुजर चुका था दोनों एकदम सामान्य हो चुके थे मां और बेटा दोनों के अंदर एक बार फिर से चरित्र का बदलाव हो चुका था दोनों अपने मूल रूप में आ चुके थे,,, अपने कमरे से निकल कर दोनों पीछे की तरफ जा रहे थे,, दोनों के मन में इस बात का डर भी था कि कहीं कर हुए तो क्या होगा अगर एक हुआ तो फिर भी ठीक अगर एक से ज्यादा हुए तो क्या होगा,,,,। अगर उनके पास हथियार हुआ मतलब की चाकु हॉकी स्टिक या फिर रिवोल्वर हुई तो,,,, क्यों नहीं हो सकती कर के पास तो सारे हथियार होते हैं और उन्हें चलाने से भी वह बिल्कुल भी नहीं कतराते,,,, इस बारे में सोचते ही सुगंधा के बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी ,, उसके पसीने छूटने लगे,,,,। और वह अपने बेटे को एकदम से सचेत करते हुए बोली,,,)

एकदम चौकन्ना रहना अंकित कुछ भी हो सकता है,,,।

मै एकदम चौकन्ना हुं मम्मी,,,, बस तुम अपने आप को संभालना,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा को हिम्मत मिल रही थी,,,, और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी पीछे से एक बार गिरने के बाद किसी तरह की आवाज नहीं आ रही थी बिल्कुल सन्नाटा छाया हुआ था,,,, सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी कि पीछे एकदम अंधेरा होगा लेकिन फिर भी चांदनी रात होने की वजह से साफ दिखाई दे रहा होगा अभी तक दोनों पीछे नहीं पहुंचे थे दोनों के हाथ में अपनी रक्षा के लिए हथियार के नाम पर केवल डंडा ही था पर उसे भी दोनों बड़ी सिद्धत से पकड़े हुए थे,,,।

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धीरे-धीरे करके दोनों मां बेटे घर के पीछे की तरफ पहुंच गए थे,,,,,,, घर के पीछे भी एक बल्ब लगा हुआ था लेकिन इस समय वह जल नहीं रहा था क्योंकि वह स्विच ऑफ था और उसकी बटन दीवार पर ही थी और वह धीरे से अपने बेटे से बोली,,,,।

अंकित में बटन दबाने जा रही हूं एकदम ध्यान देना कौन है कहां है,,,,, हो सकता है यही छुपा हुआ हो,,,,।

तुम चिंता मत करो मम्मी मैं एकदम तैयार हूं,,,,(अंकित अपने मन में ठान लिया था कि अगर सच में कोई चोर हुआ तो आज वह इस डंडे से मार मार कर उसकी हड्डियां तोड़ देगा उसे जरा भी डर नहीं लग रहा था जवान कौन था जो से भरा हुआ और इस बात से उसके मन में गुस्सा भी था कि वह कोई भी हो उसके घर में घुस आया था,,,,, इस बात का गुस्सा तो उसके मन में था ही वह इस बात से और ज्यादा क्रोधित था कि कमरे के अंदर रोमांटिक फिल्म देखते हुए इतना अच्छा दृश्य उसकी मां दिखा रही थी जिस पर पर्दा पड़ गया था,,,,।
Ankit or uski ma

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दोनों का दिल बड़ी जोरों से धड़क रहा था क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ था जब दोनों के मन में इस तरह का डर था कि उनके घर में चोर घुस आया है और वह दोनों उसे चोर का मुकाबला करने के लिए हाथ में डंडा लिए घर के पीछे पहुंच चुके थे सिकंदर धीरे से अपना हाथ बटन पर रखी और उसे एकदम से दबा दी और पीछे एकदम से बल्ब जल उठा और उसकी रोशनी चारों तरफ फैल गई,,,, तभी सामने उन दोनों की नजर गई तो वहां पर एक गमला गिरा हुआ था और उसे टूटे हुए गमले की तरफ देखकर जैसे ही सुगंधा बोली ,,,)

कौन है वहां,,,?
(उसका इतना कहना था कि तभी गमले के पीछे बिल्ली निकाली और म्याऊं बोलते हुए जल्दी से दीवार खुद कर भाग गई,,,, और उस बिल्ली को देखकर सुगंधा राहत की सांस लेते हुए बोली,,,)

अच्छा तो यह बिल्ली का काम था,,,,।

हां मम्मी और हम तो कुछ और ही समझ रहे थे,,,।

चलो अच्छा ही हुआ कि बिल्ली थी वरना चोर होता तो गड़बड़ हो जाती,,,।


Ankit or uski ma ki kalpna

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कुछ गड़बड़ नहीं होती मम्मी देख रही हो ना या डंडा मार मार कर उसका कचुमर बना देता,,,,।

हां देख तो रही हूं वैसे तो है बहुत बड़ा हिम्मतवाला तेरी जगह कोई और होता तो शायद वह डर जाता,,,।

तभी तो कहता हूं मम्मी की मैं बड़ा हो गया हूं तुम रहती हो कि अभी भी बच्चा हो,,,,।

हां बाबा तु बड़ा हो गया है बस,,,,।

खामखा बिल्ली ने सारा खेल बिगाड दी इतनी अच्छी फिल्म चल रही थी,,,,,,।

वह चुम्मा चाटी वाली फिल्म तुझे अच्छी लग रही थी,,,(सुगंधा जानबूझकर इस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हुए बोली क्योंकि वह जिस तरह से गर्म होकर अपने अंगों का प्रदर्शन कर रही थी चोर की आशंका होते ही उसकी उत्तेजना हवा में फूर्ररर हो गई थी और इस समय घर के पीछे एकांत बातें ही वह फिर से मदहोश होना चाहती इसलिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हुए बोली अपनी मां की बात सुनकर अंकित थोड़ा शरमाते हुए बोला,,,)
Sugandha apne bete se chudwane kia khwab dekhti he

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नहीं ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन कहानी अच्छी थी,,,।

लेकिन गर्मी भी तो बहुत थी और यहां देख कितनी अच्छी हवा चल रही है,,,,।

तुम सच कह रही हो मम्मी तुमको कुछ ज्यादा ही गर्मी लग रही थी मैं तुम्हारी हालत देखा था,,,।

क्या देखा था,,,?(जानबूझकर मदहोश होते हुए सुगंधा बोली,,,)

यही देखा था कि तुमसे गर्मी बरसात नहीं हो रही थी और तुम साड़ी अपनी कमर तक उठा दी थी,,,।



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ओहहह ,,,,, तो क्या हो गया अंकित सच में मुझे बहुत गर्मी लग रही थी इसलिए मैं सारी कमर तक उठा दी थी ताकि थोड़ी हवा लग सके और वैसे भी तेरी जानकारी के लिए बता दूं कि हमेशा औरतों की टांगों के बीच कुछ ज्यादा ही गर्मी लगती है तुझे मैं यह पहले भी बता चुकी हूं इसलिए तो मुझसे गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,,।

मुझे भी ऐसा लगने लगा है कि वास्तव में औरतों की टांगों के बीच ज्यादा ही गर्मी रहती है,,,,।

तुझे कैसे मालूम,,,!(आश्चर्य जताते हुए सुगंधा बोली)

अरे मम्मी तुम ही ने तो बताई हो तुम्हारी हालत देखकर मैं समझ गया,,,

और तेरी हालत देखकर,,,(एकदम से अंकित के पेंट में बने तंबू की तरफ देखते हुए) मुझे कैसा लग रहा है कि तेरी भी टांगों के बीच ज्यादा गर्मी लग रही है,,,।
(अपनी मां की बात सुनते ही उसे अपनी स्थिति का भान हुआ लेकिन वह यहां पर थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए हल्का सा मुस्कुराया और अपने हाथ को अपने तंबू पर रखकर उसे हल्के से दबा दिया ऐसा वह जानबूझकर कर रहा था और ऐसा करते हुए धीरे से बोला,,)



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हां मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा है,,,,।

(जिस तरह से अंकित में जवाब दिया था उसका जवाब सुनकर उसकी हिम्मत देखकर सुगंधा की दोनों टांगों के बीच हलचल मचने लगी वह समझ गई कि यही वह मर्द है जो उसकी जवानी की प्यास बुझा सकता है इसलिए मुस्कुराते हुए वह बोली,,)

अंकित कमरे में कितनी गर्मी लग रही थी लेकिन देख घर के पीछे कितनी ठंडी हवा चल रही है कितना अच्छा लग रहा है मन कर रहा है यहीं पर कुछ देर बैठ जाऊं,,,।

मेरा भी यही मन कर रहा है मम्मी,,,,।


तो ठीक है चल कुछ देर यहीं बैठ कर हवा लेते हैं,,,।
(इतना कहने के साथ ही एक कोने में पड़ी दो कुर्सी को खींचकर पास में ले आई और एक कुर्सी पर अंकित को बैठने का इशारा करते हुए बोली,,,)


Sugandha or uska beta
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तू बैठ में बल्ब बुझा देती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही सुगंधा बल्ब बुझाने के लिए आगे बढी और बटन समाधि और अगले ही पल जलता हुआ बल्ब एकदम से बुझ गया और घर के पीछे फैली हुई रोशनी एकदम सीमित हो गई अब कृत्रिम बल्ब की रोशनी नहीं बल्कि आसमान की चांदनी से फैली हुई कुदरत रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था लेकिन जिस तरह से उसकी मां बल्ब बुझाने के लिए बोली थी यह बात सुनकर अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,, क्योंकि उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मानो उसकी मां उसके साथ चुदवाने के लिए कमरे के अंदर की लाइट बंद करने के लिए जा रही हो,,, ताकि वह अंधेरे में उसे आराम से और बेझिझक चुदाई का आनंद लूट सके,,,, लाइट बंद करने के बाद वह भी कुर्सी पर आकर बैठ गई औरबोली,,,)

रात काफी हो चुकी है इसलिए बल्ब जलना उचित नहीं है,,,, वैसे भी चांदनी रात में सब कुछ साफ दिखाई दे रहा है,,,,,,(घर के पीछे पहले चांदनी रात के उजाले को देखकर मन ही मन प्रसन्न होते हुए सुगंधा बोली क्योंकि वह जानती थी की चांदनी रात होने की वजह से बल्ब का जालना उचित नहीं है क्योंकि वैसे भी सब कुछ साफ दिखाई दे रहा है,,,, बातों ही बातों में सुगंधा अपने बेटे से बोली,,,)
Sugandha a0ne bete se chudwati huyi

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अच्छा यह बात तो मुझे बेवकूफ बना रहा है ना,,,।

किस बात के लिए,,,!

अच्छा ऐसे बोल रहा है जैसे तुझे कुछ मालूम ही नहीं,,,,।

अरे सच में मुझे नहीं मालूम तुम क्या कह रही हो किस बारे में कह रही हो,,,,।

धत्,,,, तेरी कि मुझे तो लगा कि मेरा बेटा बड़ा हो गया है जवान हो गया है लेकिन पहला ही वादा तोड़ दिया,,,,।


वादा कैसा वादा,,,,!


अरे बेवकूफ मेरे लिए चड्डी खरीदने का,,,,।



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(अपनी मां की बात सुनते हैं एकदम से अंकित के बदन में सिहरन सी दौड़ गई और वह एकदम से मुस्कुराते हुए बोला,,,)

अरे चड्डी के बारे में बात कर रही हो वह तो मैं कल लेकर आऊंगा,,,,।

फिर से बेवकूफ बना रहा है अगर तेरे पास पैसे नहीं है तो बोल दे मैं तुझसे नहीं मांगूंगी और वैसे भी अपने पास से तुझे चड्डी खरीदने के लिए मैं पैसे नहीं दूंगी यह क्या बात हो गई मुझसे ही पैसा लेकर मुझे ही गिफ्ट करेगा,,,।

नहीं नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है मैं तो सही समय देख रहा था ताकि मैं तुम्हारे लिए अच्छी सी चड्डी खरे सकूं और कल छुट्टी का दिन है इसलिए मैं बड़ी आराम से तुम्हारे लिए खरीद सकता हूं और वैसे भी मुझे पैसे नहीं चाहिए जो तुम मुझे जेब खर्च कर देती हो उसमें से मैं काफी पैसा बचा चुका हूं और उसी पैसे का लाकर दूंगा,,,,।



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तब तो ठीक है तब तो सच में मेरा बेटा बड़ा हो गया मैं तो समझी कि भूल ही गया है,,,,।

मैं भला कैसे भूल सकता हूं पहली बार तो तुम्हारे लिए कुछ लाने का वादा किया हूं,,,,।

(चड्डी का जिक्र सुगंधा जानबूझकर की थी,,, क्योंकि वह माहौल को फिर से गर्म करना चाहती थी और ऐसा ही हो रहा था कुछ देर पहले जिस तरह का तंबू अंकित के पेट में बना हुआ था वह शांत हो चुका था लेकिन चड्डी का जिक्र होते ही एक बार फिर से उसके पेंट में तंबू बन चुका था। ,,,,। और एक बार फिर से सुगंधा की बुर पानी छोड़ रही थी,,,, घर के पीछे बैठे-बैठे काफी समय हो चुका था,,,,और सुगंधा के मन में कुछ और चल रहा था,,, इसलिए वह बोली,,,)

बहुत देर हो गई है सुबह उठना भी है,,,।

हां मम्मी देर तो काफी हो चुकी है लेकिन यहां इतनी अच्छी हवा चल रही है कि उठकर जाने का मन ही नहीं कर रहा है,,,,,।


Ankit or uski ma

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मेरा भी लेकिन क्या करें जाना तो पड़ेगा ही नींद नहीं पूरी होगी तो सुबह नींद नहीं खुलेगी,,,,(इतना कहने के साथ सुगंध अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और अंगड़ाई देने लगी उसकी भारी भरकम गांड अंगड़ाई लेते समय कुछ ज्यादा बाहर निकाल कर नजर आने लगी जिसे देखकर अंकित का लंड अंगड़ाई लेने लगा,,, और वह अपनी मां की गांड देखकर पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को दबा दिया,,, उसकी हरकत तिरछी नजर से उसकी मां ने देख ली और मन ही मन मुस्कुराने लगी वह समझ गई कि उसके बेटे के भी बदन में आग लगी हुई है उसे पाने के लिए,,,, अपनी मां की मदहोश कर देने वाली अंगड़ाई देखकर अंकित बोला,,)

क्या अभी भी अंदर चड्डी नहीं पहनी हो,,,।
(इतना सुनते ही सुगंध अपने बेटे की तरफ देखकर मुस्कुरा दी और बोली)

ले देख ले,,, तुझे तो जैसे विश्वास ही नहीं होता,,,,(और इतना कहने के साथ ही कदम आगे बढ़कर वह दीवार के कोने पर पहुंच गई जहां पर बैठ कर वह अक्सर पैसाब किया करती थी,,,, यह देखकर अंकित का दिल जोरों से धड़कने लगा वह समझ गया कि कुछ गजब का होने वाला है और देखते ही देखते उसकी मां अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,, अंकित की हालत खराब होने लगी क्योंकि जो वह सोच रहा था उसकी मां वही करने जा रही थी,,,,, इस दृश्य को देख देख कर ऐसा लग रहा था कि अंकित पूरी तरह से मर्द बन जाएगा,,,,,।
Sugandha apne bete k sath

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देखते ही देखते सुगंधा अपनी साड़ी को धीरे-धीरे करके कमर तक उठाती और वास्तव में वह साड़ी के नीचे कुछ नहीं पहनी थी वह एकदम नंगी थी और जैसे ही वह कमर तक साड़ी उठाई सुगंधा अपने दोनों हथेलियां को अपनी नंगी गांड पर रखकर उसे सहलाते हुए पीछे की तरफ नजर घूमाकर अंकित से नजरे मिलाते हुए बोली,,,)

देख लिया ना मैं कुछ नहीं पहनी हूं पर तुझे ऐसा लगता है कि मैं तुझसे झूठ बोल रही हूं,,,।

नहीं मम्मी ऐसा नहीं है मुझे इस बात से अच्छी लगता है कि बिना चड्डी पहने तुम कैसे पढ़ाने के लिए चली जाती हो कैसे बाहर निकल जाती हो,,,।




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क्या करूं मजबूरी है अगर होती तो पहन कर जाती पर वैसे भी अंदर पहनी हो कि नहीं पहनी हो किसको पता चलने वाला है तेरी तरह मैं किसी के सामने उठा कर दिखाती थोड़ी हूं,,,,।

(सुगंधा अपने बेटे के सामने धीरे-धीरे पुरी तरह से खुलने लगी थी और काफी हद तक खुल चुकी थी यह देखकर अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था क्योंकि उसकी मां के बढ़ता और उसकी हरकत को देखकर अंकित के जीवन में बहार आ गई थी,,, वैसे भी एक जवान लड़के को क्या चाहिए एक खूबसूरत औरत उसकी कामुकता भरी हरकत अच्छी से महसूस करके वह बार-बार उत्तेजित होता रहे,,,)

अच्छा करती हो मम्मी लोगों को क्या पता कि आसमान की परी जैसी दिखने वाली खूबसूरत औरत साड़ी के अंदर चड्डी नहीं पहनती,,,।

अच्छा तो मैं तुझे परी की तरह दिखती हूं,,,।

उससे भी ज्यादा खूबसूरत और सच कहूं तो मैं तुम्हारी तरह आज तक इतनी खूबसूरत औरत नहीं देखा,,,,।

अच्छा,,,,।


हां मम्मी में सच कह रहा हूं,,,,।



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चल अब रहने दे बातें बनाने को तेरी ईस तरह की बातें सुनकर कहीं मेरी पेशाब न छूट जाए,,,,(सुगंधा एकदम बेशर्मी भरी बातें अपने बेटे से करने लगी थी और उसकी यह बात सुनकर तो अंकित को ऐसा महसूस होने लगा कि कहीं उत्तेजना के मारे उसका लंड फट न जाए,,,, अपनी मां की बेशर्म भरी बातें सुनकर थोड़ा सा बेशर्म होने का हिम्मत करते हुए अंकित भी बोला,,,)

रहने तुम अभी तुम्हारी बात सुनकर तो मुझे पेशाब लगने लगी है,,,।
(अंकित की बात सुनकर सुगंध का मन प्रसन्नता से भर गया उसके चेहरे पर एकदम से नूर झलकने लगा और वह उत्साहित होते हुए बोली,,,)



Sugandha maja leti huyi
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तो देर किस बात की है आजा तू भी पेशाब कर ले,,,,(इतना कहने के साथ ही सुगंधा धीरे से बैठ गई और पेशाब करने लगी उसकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम से बाहर निकल गई चांदनी रात में उसकी गांड एकदम से मस्त चमक रही थी जिसे देखकर अंकित का मन कर रहा था कि उसकी गांड को जीभ लगाकर चाट जाए,,,, अंकित की हालत खराब होने लगी थी वह इतना तो समझ किया था कि उसके सामने उसकी मां एकदम बेशर्म बन चुकी है तो उसे भी शर्म करने की कोई जरूरत नहीं है और उसका भी मन करने लगा कि अपनी मां के साथ वह भी पेशाब करें आखिरकार ऐसा मौका मर्द की जिंदगी में बहुत ही काम आता है जब वह एक साथ एक औरत के साथ पेशाब करता हूं औरत की बुर से पेशाब की धार निकलती है और दूसरी तरफ मर्द के लंड से पेशाब की धार निकलती है ऐसा नजारा कमी देखने को मिलता है आज अच्छा मौका था जिसके बारे में कभी अंकित सोचा नहीं था आज वही अद्भुत क्रीड़ा करने का अच्छा मौका आ चुका था और इस मौके को अंकित गवाना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी वह शर्मा रहा था इसलिए सुगंधा एक बार फिर से अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)


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अाजा शर्मा मत पेशाब कर ले,,,, मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है,,,, याद है ना क्लीनिक में तू ही बाथरूम के अंदर परख नदी में मेरे पेशाब का सैंपल लिया था और कैसे लिया था यह तुझे बताने की जरूरत नहीं है तब मुझसे क्यों शर्मा रहा है,,,,। चल आजा,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर अंकित के बदन में जोश बढ़ने लगा उसकी हिम्मत बढ़ने लगी वह भी हिम्मत दिखाना चाहता था और मौका भी सही था इसलिए वह भी धीरे से आगे बड़ा और अपनी मां के बगल में जाकर खड़ा हो गया उसकी मां पेशाब कर रही थी और नजर उठा कर अपने बेटे की तरफ मुस्कुरा कर देखने लगी और बोली,,,)




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चल जल्दी से पेशाब कर ले,,,,।
(अंकित अपनी मां को देख रहा था और उसकी दोनों टांगों के बीच निकलती हुई पेशाब की धार को देख रहा था अंकित जानता था कि यह धार उसकी बुर से निकल रही है उसकी गुलाबी छेद से निकल रही है,,, लेकिन यहां से सिर्फ उसे पेशाब की धार दिखाई दे रही थी उसकी मां की गुलाबी बुरे नहीं दिखाई दे रही थी उसे देखने की तड़प उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी लेकिन फिर भी इतना भी उसके लिए बहुत काफी था,,,,।

मदहोशी की पराकाष्ठा कमरे के पीछे दर्शाई जा रही थी,,, मां बेटे दोनों मदहोश हो चुके थे सुगंधा की तरफ से यह खुला आमंत्रण था अंकित के लिए लेकिन अंकित इसे साफ तौर पर स्वीकार करने से घबरा रहा था डर रहा था उसकी जगह कोई और होता तो शायद इसी समय उसकी बुर में अपना लंड डालकर उद्घाटन कर चुका होता है लेकिन फिर भी एक झिझक उसके मन में थी जो उसे रोक रही थी,,,,।

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अपनी मां की तरफ देखते हुए अंकित अपने पेट का बटन खोलने लगा यह देखकर सुगंधा का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि सुगंधा अब तक अपने बेटे के लंड को बस एक ही बार देखी पाई है और वो भी जब उसके कमरे में उसे जगाने के लिए गई थी और अगर इस समय सब कुछ सही हुआ तो वह दूसरा मौका होगा जब वह अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड के दर्शन करेगी,,,,, अपनी मां की तरह अंकित भी बेशर्म बनते हुए धीरे-धीरे अपने पेंट की बटन खोलकर उसकी चेन को नीचे सरकार कर अपने पेंट को एकदम से घुटनों तक खींच दिया,,,, घुटनों तक पेट आते ही उसके अंदर बियर में बना अद्भुत खूंटा नजर आने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी बैल को बांधने के लिए खूंटा गाडा गया हो,,,, सुगंधा का दील जोरों से धड़क रहा था इस तरह का अद्भुत नजारा देखकर सुगंधा का मन कर रहा था कि अपने हाथों से अपने बेटे का अंडरवियर निकाल कर उसके लंड को अपने हाथ में पकड़कर उसे पेशाब करवाए,,, ।

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लेकिन ऐसा करने में उसे न जाने क्यों अजीब लग रहा था लेकिन यह काम अंकित बड़े अच्छे से करते हैं अपने अंदर बियर को दोनों तरफ से पकड़ कर उसे आगे की तरफ खींचकर एक अच्छी खासी दूरी बनाकर अपने लंड से बाहर की तरफ करके उसे नीचे कर दिया ऐसा अंकित ने इसलिए किया था ताकि बड़े आराम से उसके अंदर किया नीचे सड़क सके क्योंकि उसका लंड एकदम से लोहे के रोड की तरह तन कर खड़ा था और ऐसे में सीधे-सीधे अंडरवियर नीचे खींचना उचित नहीं था,,, क्योंकि सीधे-सीधे अंडरवियर नीचे आता ही नहीं और यही अदा सुगंधा के तन बदन में आग लगा गई ,,।

बेहद अद्भुत नजारा घर के पीछे दर्शाया जा रहा था मन बैठकर पेशाब कर रही थी और उसके बगल में बेटा पेशाब करने के लिए अपने अंडरवियर को उतर चुका था और अंडरवियर के उतरते ही उसका मतवाला लंड एकदम से हवा में लहराने लगा जिसे देखकर सुगंधा के मुंह के साथ-साथ उसके बुर में भी पानी आ गया,,, सुगंधा इस तरह की अद्भुत नवरी को कभी नहीं देखी थी पड़ोसन के द्वारा दिखाई गई गंदी फिल्म में भी इस तरह का नजारा उसे देखने को नहीं मिला था,,, इसलिए तो उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चलने लगी थी और अंकित की भी हालत खराब थी अंकित जानता था कि उसकी मां उसके लंड को ही देख रही है और यह देखकर अंकित केतन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी उसका मन कर रहा था कि ईसी समय अपनी मां की चुदाई कर दे ,,, लेकिन वह जानता था की चुदाई करने का अनुभव उसे बिल्कुल भी नहीं है अगर वह ऐसा कर भी देता तो निश्चित तौर पर वह सफल हो जाता इस बात को अच्छी तरह से जानता था अगर एक बार भी उसे चुदाई का अनुभव होता तो वह अपने आप को बिल्कुल भी नहीं रोकता,,।

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सुगंधा की आंखों में प्यास नजर आ रही थी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने की प्यास,,, वह अंदर ही अंदर तड़प रही थी उसकी दोनों टांगों के बीच भूचाल आ रहा था वह मदहोश हो रही थी उत्तेजना से उसका बदन कंपकंपा रहा था,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें मन तो उसका कर रहा था किसी समय अपना हाथ आगे बढ़कर अपने बेटे के लंड को थाम ले और उसे अपने मुंह में भरकर जी भर कर चूसे,,, लेकिन न जाने कौन सी झिझक उसे आगे बढ़ने से रोक रही थी,,, लेकिन फिर भी जो नजर उसकी आंखों के सामने था वह अद्भुत था जिसकी तुलना करना नामुमकिन था सुगंधा के लिए क्योंकि उसने आज तक इस तरह का मोटा तगड़ा लंबा लंड देखी ही नहीं थी,,, सुगंधा की बुर से छुलक छुलक कर पेशाब की धार निकल रही थी,,,,।



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अंकित अपनी मां की उत्तेजना को और बढ़ाते हुए अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ लिया और उसे ऊपर नीचे करके हिलाते हुए,,, पेशाब करने लगा सुगंधा के मुंह से एक भी शब्द नहीं टूट रहे थे वह मुक दर्शक बनकर अपने बेटे की हरकत को देख रही थी,,, अंकित के पेशाब की धार बड़ी तेजी से सामने की दीवार पर गिर रही थी और दूसरी तरफ सुगंधा की बुर से पेशाब कि धार कमजोर पड़ रही थी,,,। मां बेटे दोनों मदहोशी के आलम में पूरी तरह से डूब चुके थे इस तरह का एहसास उन दोनों को कभी नहीं हुआ था यह पल यह क्षण पूरी तरह से आंतरिक हो चुका था इस पल में दोनों डूब चुके थे खो चुके थे,,, अगर इस समय दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन जाता तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं थी लेकिन फिर भी संभोग और उसके क्रिया का लाभ के बीच बस एक ही कदम की दूरी रह गई थी,,, लेकिन इस दूरी को खत्म करने के लिए एक कदम बढ़ाने में दोनों की हिम्मत नहीं हो रही थी,,,।


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जैसे तैसे करके पैसाब वाला कार्यक्रम खत्म हो चुका था,,,, दोनों अपने कपड़ों को व्यवस्थित कर चुके थे लेकिन जिस तरह के हालात दोनों के बीच बन चुके थे दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर पा रहे थे दोनों सीधे अपने कमरे में चले गए और अपने वस्त्र को उतार कर अपने हाथों से अपनी जवानी की गर्मी को शांत करने की पूरी कोशिश करने लगे।

Wah rohnny4545 Bhai,

Kya madmast update post ki aapne............

Uttejna aur Kamukta se bharpur..............maja aa gaya Bhai

Keep rocking Bro
 

Blackserpant

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अंकित कपड़े धोते समय अपनी मां की चड्डी को देखकर अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करने लगा था और वह अपनी मां की चड्डी के साथ मनमानी कर चुका था उसके छोटे से छेद को अपने लंड की मोटाई की रगड़ से उसे और भी बड़ा बना दिया था,,,, और इस समय सुगंधा की चड्डी उसे कुंवारी लड़की की बुर तरह हो गई थी जो सुहागरात से पहले एकदम कसी हुई होती है लेकिन सुहागरात की रात के बाद से ही ढीली हो जाती है,,,, अंकित इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसकी चड्डी के छोटे से खेत को बड़ा छेद हुआ देखकर जरूर उससे पूछे कि यह क्या हुआ है और इसके लिए उसने अपने मन में जवाब भी ढूंढ लिया था,,,।


Sugandha ki kalpna

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सुगंधा अपने कमरे में ही थी जिस तरह का नजारा उसने अपने बेटे को दिखाई थी वह जानती थी कि उसकी जवानी का जलवा देखकर उसका बेटा चारों खाने चित हो गया है,, वह अपने मन में बहुत खुश थी क्योंकि आज के दिन वह कुछ ज्यादा ही अपने बेटे से खुल गई थी,,, बातचीत में अभी इतना नहीं खुली थी लेकिन अपने बेटे के सामने कपड़े उतारना बदलना नहाना इन सब में वह धीरे-धीरे खुलती चली जा रही थी,,, और उसे पूरा यकीन था कि एक दिन जिस तरह से वह अपने बेटे के सामने खुलती चली जा रही है एक दिन जरूर उसका बेटा अपने हाथों से उसकी दोनों टांगें खोलेगा और उस दिन का उसे बेसब्री से इंतजार भी था,,,,,, सुगंधा अपने बदन में उत्तेजना का संचार होता हुआ महसूस कर रही थी आज बाथरूम के अंदर जो कुछ भी हुआ वह उसकी सोच से बिल्कुल पड़े था वह कभी सोची भी नहीं थी कि हालात इस कदर से उसके पक्ष में आ जाएंगे कि जो वह चाहती है वह खुद अपने बेटे की आंखों के सामने करेगी वह कभी सोची नहीं थी कि बाथरूम के अंदर वह अपने बेटे की आंखों के सामने ही अपने बदन से धीरे-धीरे अपने कपड़े उतरेगी नहाएगी उसके सामने अपनी चड्डी उतारेगी यह सब सो कर ही उसके बदन में गर्मी छा रही थी,,,।



Sugandha ki kalpna apne bete k sath

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upload high quality photos on facebook
अपने बेटे के सामने संपूर्ण रूप से नंगी हो जाने का ख्याल उसके मन में बिल्कुल भी नहीं था वह सिर्फ इतना चाहती थी कि उसके बेटे के सामने वह नहाएगी,,, उसकी सोने से तो सब कुछ सामान्य लग रहा था लेकिन जैसे-जैसे वहां अपने बदन से कपड़े उतारती गई वैसे-वैसे उसकी टांगों के बीच की गली गीली होती चली गई,,, अपने बेटे की आंखों के सामने अपनी चड्डी उतरना उसे और भी ज्यादा मदहोशी से भरता चला गया था,,, और अपने बदन से अपने बेटे की आंखों के सामने चड्डी उतारते हुए उसके मन में यही ख्याल आ रहा था कि क्यों ना वह अपने बेटे के सामने पूरी तरह से नंगी हो जाए लेकिन इस समय तो वह ऐसा कर नहीं सकती थी क्योंकि वह अपनी पेटीकोट को अपने बदन के नंगेपन को ढकने का सहारा जो बना रखी थी अगर वह उसी समय अपनी बदन पर से पेटीकोट भी उतार कर फेंक देती तो उसका बेटा क्या समझता है वह यही समझता कि फिर उसे अब तक बदन पर चढ़ाई रहने का क्या फायदा है उतार कर ही नहरी होती जब उतारने का ही था तो,,,, वह किसी और बहाने से अपनी बेटी के सामने नंगी हो जाना चाहती थी अपनी खूबसूरत बदन के हर एक हिस्से को दिखा देना चाहती इसलिए टॉवल से अच्छा कारण उसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था,,,।


Kalpna me chudai karta hua ankit

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इसलिए कपड़े उतार कर टावल को लपेटकर,, वह अपने मन में दृढ़ निश्चय कर ली थी कि आज वह अपने बेटे की आंखों के सामने पूरी तरह से नंगी हो जाएगी ऐसा नहीं था कि वह अपने बेटे के सामने पहली बार नंगी हो रही थी ऐसा वह बाथरूम के अंदर पहले भी कर चुकी थी लेकिन उसे समय उसकी जवानी का जलवा उसका एक खूबसूरत हमको का नजारा उसका बेटा बाथरूम के दरवाजे के छोटे से छेद से देख रहा था लेकिन वह अपने बेटे के सामने बिना किसी रूकावट के नंगी हो जाना चाहती थी ताकि उसके बेटे की आंखों में पूरी तरह से वासना उतर जाए वह उसे देखा ही रह जाए उसकी जवानी का रस अपनी आंखों से पीने के लिए मजबूर हो जाए,,, इसलिए टावल लपेटकर जैसे ही अपने कमरे की तरफ आगे बढ़ने लगी वह बड़ी सफाई से अपने बदन पर से टावल को एकदम से ढीला कर दी और टॉवल भी उसकी बात मानते हुए एकदम से उसके बदन से भर भरा कर नीचे उसके कदमों में जा गिरा और उसके खूबसूरत बदन को उजागर कर दिया,,, उस समय सुगंधा भी पूरी तरह से उत्तेजना और मदहोशी में डूब चुकी थी वह प्यासी आंखों से अंकित की तरफ देखने लगी अंकित उसे ही देख रहा था,,,। सुगंधा को अपने बेटे की आंखों में अपनी जवानी के लिए वासना एकदम साफ नजर आ रही थी और यह देखकर सुगंधा अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी,,,। सुगंधा को इस बात का एहसास बड़े अच्छे से हो रहा था, वह जानती थी कि जिस तरह की वासना उसे अपने बेटे की आंखों में दिखाई दे रही है अगर वह उसे इशारा करके अपने कमरे में बुला ले तो उसका बेटा खुशी-खुशी उसके कमरे में आ जाएगा और उस पर चढ़े बिना नहीं रह पाएगा,,, लेकिन अभी इतनी जल्दी वह ऐसा करना नहीं चाहती,,,।


Sugandha or ankit

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ऐसा लग रहा था की सुगंधा के जीवन में यह बुखार बहुत बड़ा बदलाव लेकर आई थी ना तो इससे पहले कभी सुगंध इस तरह से बीमार पड़ी थी और ना ही उसे मौका मिला था अपने बेटे के सामने इस तरह से खुलने का,,, और उसका बेटा भी इस मौके का बहुत अच्छे से फायदा ले रहा था,,,, इस बात को सोचकर उसके तन-बदन में अजीब सी हलचल मच जाती थी की दवा खाने के बाथरूम में उसका बेटा उसकी चड्डी उतारते समय क्या-क्या सोच रहा होगा,,, भले ही उसे समय वह ज्यादा बीमार थी उसे कुछ होश नहीं था लेकिन उसका बेटा तो पूरे हो तो हवास में था वह तो अपने होश में ही उसकी चड्डी अपने हाथों से उतार रहा था चड्डी उतारने में एक मर्द को कितना आनंद आता है इस बात को सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी,,, भले ही इस सुख को उसके पति ने ना भोगा हो लेकिन मर्दों की फितरत से वह धीरे-धीरे अच्छी तरह से वाकिफ हो गई थी,,,।




sugandha ki chudai

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छत पर कपड़े सूखने के लिए डालने के बाद अंकित अपनी मां के कमरे में नहीं गया था,,,, वह कुछ हद तक शर्मिंदा भी था इसलिए अपनी मां से नजर मिलाने से कतरा रहा था और इस समय वह क्यों शर्मा महसूस कर रहा है इस बात को वह भी नहीं जानता क्योंकि उसके और उसकी मां के बीच बहुत कुछ हो चुका था कपड़ों का उतारना,, उसको नहीं लाना,,, उसके कपड़े धोना उसे नग्न अवस्था में देखना सब कुछ लेकिन फिर भी वासना का बहुत सर से उतर जाने के बाद उसे थोड़ी बहुत शर्मिंदगी का एहसास हो रहा था क्योंकि वह जानता था कि जो कुछ भी वह अपनी मां के बारे में सोच रहा है या उसके बारे में उसके मन में गलत भावना जाग रही है यह सब कहीं ना कहीं गलत है ऐसा मां बेटे के बीच बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए लेकिन फिर भी यह सब करने में उसे बहुत मजा आ रहा था आनंद आ रहा था और इसीलिए वह इस बारे में घर के बाहर इधर-उधर घूमते हुए सोच रहा था,,,।


Sugandha ki adhbhut kalpna

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वह यह सोचकर हैरान हो रहा था कि क्या मां बेटे के बीच जिस्मानी ताल्लुकात सही है या गलत,, क्या बेटे को चाहिए कि वह अपनी मां के साथ संभोग करे उसके साथ शरीर संबंध बनाए ,,, यह सब किस हद तक सही है,,,, क्या कोई मां होगी जो अपने बेटे के साथ चुदवाना चाहेगी,,,,,, बरसों से अपनी प्यासी जवानी की प्यास बुझाना चाहेगी,,,,, राहुल और उसकी मां के बीच उन्हें देखकर तो ऐसा ही लगता है कि उन दोनों के बीच ऐसा ही संबंध है राहुल की बातें सुनकर ऐसा ही लगता है कि वह अपनी मां को जरूर चोदता होगा उसकी मां भी तो उससे बहुत खुश रहती है,,, यह सब सो कर उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना चाहिए,,,,, अपने ही सवाल का जवाब अपने मन में ही देते हुए वह बोला अगर चार दिवारी के अंदर मां बेटे के बीच इस तरह का रिश्ता कायम हो जाता है तो भला किसे पता चलने वाला है ऐसा तो है नहीं की औरतों को मर्द की जरूरत नहीं होती,, मां को भी एक मर्द की जरूरत है और वह जरूरत वह पूरी कर सकता है,,,,,, लेकिन क्या इसके लिए मन तैयार होगी,,,,? जरूर होगी क्यों नहीं होगी,,,, यही सब सो कर उसका दिमाग खराब हुआ जा रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि भले वह कुछ भी सोच लेकिन हालात तो दोनों के बीच इस तरह से बनते चले जा रहे हैं कि एक नई दिन जरूर दोनों के सब्र का हाथ टूट जाएगा और दोनों एक हो जाएंगे और उसे दिन का उसे भी बड़ी बेसब्री से इंतजार था लेकिन जिस तरह का सफर जारी था उसका आनंद वह पूरी तरह से लेना चाहता था इसीलिए इधर-उधर टहलते हुए जब शाम ढलने लगी तो वह घर पहुंच गया,,,,।


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घर पर पहुंच कर देखा तो उसकी मां कुर्सी पर बैठकर आराम कर रही थी,,,, अपनी मां को देखते ही अंकित के चेहरे पर प्रश्ननता के भाव नजर आने लगे और वह एकदम से उसके पास जाकर उसके माथे पर अपना हाथ रखकर बोला,,,।

आप कैसी तबीयत है तुम्हारी मम्मी,,,।

ठीक है इसलिए तो यहां पर बैठी हूं नहीं तो बिस्तर पर पड़ी रहती,,,।

चलो अच्छा है कि आराम हो गया बिस्तर पर बीमार होकर पड़े रहने से अच्छा है कि इधर-उधर घूमते रहो,,,, अच्छा तुम यहीं बैठो तब तक में कपड़े उतार कर लाता हूं,,,।

रुक मैं भी चलती हूं थोड़ा सा हवा भी लग जाएगा छत पर,,,,।

चलो ठीक है,,,, सहारा देना पड़ेगा,,,,

नहीं नहीं अब आराम है मैं चल लूंगी,,,



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ठीक है,,, लेकिन तुम आगे आगे चलो मैं पीछे-पीछे चलता हूं,,,, कहीं चक्कर आ गया तो संभाल लूंगा,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी और वह मुस्कुराते हुए बोली,,)

तू मेरा कितना ख्याल रख रहा है,,, तू सच में बहुत बड़ा हो गया है मुझे तुझे कर सके एकदम बच्चा ही समझती थी लेकिन जिस तरह से तूने मुझे संभाला है,,,, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है,,,।

यह तो मेरा फर्ज है मम्मी,,,,

तेरा फर्ज तो बहुत कुछ बनता है अभी तो बहुत फर्ज निभाना बाकी है,,,,(इतना कह कर वह सीढ़ियां चढ़ने लगी,,, और अंकित उसके पीछे-पीछे सीढियां चढ़ता हुआ आश्चर्य जताते हुए बोला,,,)

कौन सा फर्ज मम्मी,,,,।
Sugandha ki tadap

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अरे बहुत सब फर्ज है बेटा यह तो बीमार होने पर का फर्ज निभाया है तुने ,,, ऐसे छोटे-बड़े बहुत से फर्ज हैं जो समय आने पर तुझे खुद ही पता चल जाएगा,,,।
(सुगंधा बातों ही बातों में अंकित को इशारा दे रही थी लेकिन की समझ नहीं पा रहा था वह सीढ़ियां चढ़ती हुई अपनी मां के गोलाकार नितंबों की खूबसूरती में और फर्ज निभाने के उलझन में उलझ कर रह गया था और अपनी मां के कहने के असली मकसद को समझ नहीं पा रहा था,,,, सीढ़ीया चढ़ती हुई उसकी मां इस समय बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही थी उत्तेजक बदन की महिला होने के साथ-साथ बड़ी गांड वाली औरत की थी और सीढ़ियां चढ़ते समय उसकी गांड की दोनों फाके आपस में इस कदर ऊपर नीचे होकर रगड़ खा रही थी कि कसी हुई साड़ी में उसके उभार एकदम साफ नजर आ रहे थे,,, अभी कुछ घंटे पहले वह अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख चुका था लेकिन फिर उसकी प्यास थी कि खत्म नहीं हो रही थी की साड़ी में भी अपनी मां के नितंबों को देखकर वह उत्तेजित हुआ जा रहा था,,, देखते ही देखते दोनों छत पर पहुंच गए,,,।

Ankit apni ma k sath

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छत पर पहुंच कर सुगंधा देखी कि उसके बेटे ने धुले हुए कपड़ों को बड़े अच्छे से रस्सी पर डाल कर रखा था ऐसा लगी नहीं रहा था कि जैसे वह पहली बार रस्सी पर कपड़े सुखाने के लिए डाला हो,,, कैसा लग रहा था कि मानो जैसे यह उसका रोज का काम है लेकिन हकीकत यही था कि वह पहली बार कपड़ों को रस्सी पर सूखने के लिए डाला था,,,, यह देखकर सुगंधा खुश होते हुए बोली।

बहुत अच्छे चलो एक काम से तो मुझे छुटकारा मिल जाएगा,,,।

कौन से काम से मम्मी,, (ऐसा कहते हुए वह दूसरे छोर पर पहुंचकर वहां से धीरे-धीरे कपड़े उतारने लगा और उसकी मां एक किनारे से कपड़े को उतारने लगी)

यही कपड़े सुखाने के काम से,,,।


Ankit apni ma k sath

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कोई बात नहीं मुझे तो अच्छा लगता है तुम्हारे काम में हाथ बंटाना,,,।

तो पहले क्यों नहीं बंटाता था,,,।

पहले कभी मौका ही नहीं मिला वैसे भी दीदी सारा काम कर देती थी तो मुझे कुछ करने को रहता ही नहीं था,,,,.।

चल अब तो करेगा ना,,,(धीरे-धीरे रस्सी पर से कपड़े उतारते हुए सुगंधा बोली धीरे-धीरे दोनों करीब आते जा रहे थे दोनों के बीच के दूरी तकरीबन डेढ़ मीटर जितनी ही रह गई थी मौसम सुहावना होता जा रहा था सूरज धीरे-धीरे ढल रहा था और दूर पंछियों का झुंड अपने घर की तरफ लौट रहा था यह सब देखना बहुत ही अच्छा लग रहा था,,,, और कपड़े उतारते समय अंकित मौसम के इससे खूबसूरत वातावरण का आनंद भी ले रहा था लेकिन इस समय उसके मन में कुछ और चल रहा था वह अपनी मां की तरफ पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था.. इसलिए हाथ बंटाने वाली बात पर अंकित बोला,,)


Apni ma k sath ankit


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जरूर मम्मी,,,,(इतना कहता कि दोनों बेहद करीब आ गए थे कि दोनों के बीच केवल दो फीट की ही दूरी रह गई थी और तभी सुगंधा के हाथ में उसकी चड्डी लग गई और उसकी नजर चड्डी में बने बड़े से छेद पर चली गई यह देखकर तो अंकित के होश उड़ गए क्योंकि वह भूल चुका था कि उसकी मां की चड्डी उसने ही बड़ा किया है और इस समय वह चड्डी उसकी मां के हाथ में आ चुकी है,,,,।

मादकता भरे वातावरण और एक दूसरे के प्रति आकर्षण के पहले सुगंधा कभी भी अपने बेटे की नजर में अपनी पहनी हुई चड्डी या साफ सुथरी चड्डी आने नहीं देती थी कपड़े सुखाने के लिए डालती भी थी तो साड़ी के नीचे छुपा कर रखती थी,,, लेकिन 2 दिन में जिस तरह की हालात दोनों के बीच बदले थे उसे देखते हुए सुगंधा अपने बेटे की आंख के सामने से अपनी चड्डी को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी क्योंकि इस बात को वह भी अच्छी तरह से जानती थी की चड्डी को धोया भी उसके बेटे नहीं है और सूखने के लिए डाला भी उसी में इसलिए अब उसकी आंख के सामने से अपने अंतर्वस्त्र को छुपाना बिल्कुल भी ठीक नहीं था,,,।


Ankit or sugandha

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सुगंधा अपनी चड्डी को इधर-उधर घूमा कर उसे बड़े से छेद को देख रही थी उसकी चड्डी में छोटा सा छेद था इस बात को अच्छी तरह से जानती थी लेकिन इतना बड़ा कैसे हो गया उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था और अंकित यह देखकर लेकिन फिर भी जिस तरह का आकर उसने अपनी मां की चड्डी में बनाया था उसे देखकर उसके होश उड़ गए थे,, चड्डी में वह छेद एकदम गोलाकार आकार में तब्दील हो चुका था अच्छा खासा गोलाकार जिसमें से अंकित का लंड बड़े आराम से गुजर चुका था,,,, अपनी चड्डी के उसे छोटे से छेद को जो किया बड़ा हो चुका था उसे अंकित की तरफ आगे बढ़ाकर उसे दिखाते हुए बोली,,,,।

अंकित यह कैसे हो गया यह तो बहुत छोटा था,,,,।



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हां मम्मी छोटा तो था लेकिन मुझे अच्छा नहीं लग रहा था क्या तुम्हारे पास नई चड्डी नहीं है पहनने को जो इस तरह की फटी हुई चड्डी पहनती हो,,,,(अंकित अपनी मां के सवाल के घेरे में आता है इससे पहले ही वह अपनी मां को ही घेरे में लेते हुए बोला,,,, अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा की शर्म के मारे हालत खराब हो रही थी वह सर में से पानी पानी में जा रही थी और उसकी दोनों टांगों के बीच की दरार में से वह शर्म का पानी बहने लगा था,,,, अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,,)

तुझे क्या लगता है,,,?

मुझे तो लगता है कि सच में तुम्हारे पास पहनने को चड्डी नहीं है,,,,(अंकित अब तक के हालात को देखते हुए हिम्मत जुटाकर बोला,,,)

ऐसा क्यों कह रहा है तु,,,(चड्डी के छेद में जानबूझकर उंगली डालकर उसे अंदर बाहर करते हुए बोली यह देखकर अंकित के पेट में तंबू बनने लगा,,,, क्योंकि जिस तरह से उसकी मां चड्डी के छेद में उंगली बाहर कर रही थी कुछ घंटे पहले वहां उंगली की जगह अपने लंड को अंदर बाहर कर चुका था और सुगंध भी जानबूझकर अपनी हरकत को अंजाम दे रही थी वह अपने बेटे को उकसाना चाहती थी वह इसके मतलब को बताना चाहती थी,,,,, अपनी मां की बात सुनकर उसकी हरकत को देखकर अंकित बोला,,,)
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क्योंकि मैं पहले भी देख चुका हूं,,(गहरी सांस लेते हुए अंकित बोला)

पहले भी देख चुका है क्या देखचुका है,,,!(सुगंधा आश्चर्य जताते हुए बोली)

उसे दिन मार्केट में जब मार्केट से वापस लौट रहे थे शाम हो चुकी थी और तुम्हें बड़े जोर की पेशाब लगी थी यादहै तुम्हें,,,,(पेशाब वाली बात एकदम से अंकित भूल गया था और उसके मुंह से पेशाब वाली बात सुनकर सुगंधा को सब कुछ याद आ गया था और उसका भी जोरों से धड़कने लगा था अंकित का जवाब देते हुए वह हां में सिर हिला दी,,,)


तुम पेशाब करने के लिए बैठ रही थी कि अचानक मेरी नजर तुम पर चली गई थी और मैं देखा था तुम चड्डी नहीं पहनी थी बस साड़ी उठाकर बैठ गई थी पेशाब करने के लिए,,,,(अंकित पर सुरूर जा रहा था वह मदहोश हुआ जा रहा था वह अपनी मां से इस तरह की बातें करना नहीं चाहता था लेकिन वक्त और हालात को देखकर अपने आप ही उसके मुंह से इस तरह की गंदी बातें निकल रही थी और सुगंधा तो अपने बेटे के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर एकदम से मदहोश हो जा रही थी उत्तेजित हुए जा रही थी उसे अच्छा लग रहा था अंकित के मुंह से इस तरह की बातें सुनने में,,,,, अंकित की बात को सुनकर सुगंधा को सब कुछ याद आ गया था,,, उसे अच्छे से याद था,,वह जानबूझकर चड्डी नहीं पहनी थी,, क्योंकि मार्केट में पेशाब करने के लिए वह पहले से ही सोच कर रखी थी यह उसके प्लान का ही भाग था चक्की ना पहनना क्योंकि वहां जानबूझकर अपने बेटे को यह दिखाना चाहती थी अपने आप को पेशाब करते हुए दिखाना चाहती थी और उसके बेटे ने देखा भी था और यह वह जानबूझकर बोल रहा था कि वह अनजाने में देख लिया था,,, फिर भी अपने बेटे की बात सुनकर आश्चर्यजताते हुएबोली,,,)

बाप रे तू मुझे देख रहा था,,,।

Sugandha

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नहीं नहीं देखा नहीं रहा था बस अनजाने में मेरी नजर पहुंच गई थी,,,।

लेकिन तू कितना समझदार है देख कर भी तुझे मेरी तकलीफ के बारे में पता चल गया,,, सच में मेरे पास चड्डी नहीं है,,,,। तु खरीद कर लाएगा,,,,!

(इतना सुनते ही ऐसा लग रहा था जैसे अंकित के कानों में कोई रस घोल रहा हो वह मदहोश हुआ जा रहा था,,,, उसे बहुत अच्छा लग रहा था उसकी मां उसे अपने इसलिए चड्डी खरीदने के लिए बोल रही थी लेकिन फिर भी वह औपचारिकता निभाते हुए बोला,,)

मम्मी में कैसे लाऊंगा मुझे तो इसका अनुभव भी नहीं है दीदी को बोल देना ना,,,,।

नहीं दीदी को नहीं मैं भी तो देखूं तु मेरी कितनी फिक्र करता है,,,(सुगंधा जानबूझकर अपनी बेटी से नहीं मांगना चाहती थी क्योंकि महीना पहले ही वह अपनी बेटी से अपने लिए चार पेटी मंगवाई थी इसलिए अगर वह अपनी बेटी से कहती तो वह क्या कहती कि अभी-अभी तो चार पेंटी खरीद कर दी थी वह कहां गई और अंकित तो इस बारे में कुछ जानता भी नहीं है,,, अंकित अपनी मां की बात सुनकर बोला,,,)

लेकिन मुझे तो कुछ पता ही नहीं है कि कैसे खरीदी जाती है,,,।

अरे इसमें क्या हुआ बड़ा तो तू हो ही गया है इतना तो तुझे समझ में आ जाना चाहिए की औरतों की पेंटिं कैसे खरीदी जाती है,,, बोल खरीदेगा ना,,,,।


अगर रहती हो तो जरूर खरीद दूंगा मुझे अच्छा नहीं लगता है तुम इस तरह की फटी चड्डी पहनती हो,,,।

ठीक है तो खरीद कर देगा तो नहीं पहनूंगी फटी चड्डी,,,,,। लेकिन हां अपनी बहन को कुछ भी मत बताना नहीं तो वह क्या समझेगी,,,।

बिल्कुल नहीं बताऊंगा,,,,।

(पेंटिं खरीदवाने के चक्कर में सुगंधा वह छोटा सा छेद बड़ा कैसे हो गया इस बारे में पूछना भूल ही गई थी,,, और दोनों सूखे हुए कपड़े उतार कर नीचे आ गए थे तब तक तृप्ति भी घर पर आ चुकी थी,,,,)
Chaddi puran chalu ho gaya hai.
 

liverpool244

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Bahut mast update....bas ek request hai bhai....chahe kitna bhi time lag jaye sugandha aur Ankit ke milan ko par jab bhi ho ekdum kadak, dhamakedar,kamuk..aur dono maa bete ke beech chudai ke waqt kub asleel aur gandi batein ho...aur Ankit dominate karein sugandha ko aur usko kub galiyan de kar chode aur sugandha bhi iska kub Anand le...kyunki bhai aapki pichli stories majburi ya jarurat aur barsaat ki raat mein ye sab missing tha...aur ye kahani ka plot sabse alag hai aur mast hai...to chudai bhi ekdum kadak aur mast honi chahiye bhai
 

Dkp

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Bahut mast update....bas ek request hai bhai....chahe kitna bhi time lag jaye sugandha aur Ankit ke milan ko par jab bhi ho ekdum kadak, dhamakedar,kamuk..aur dono maa bete ke beech chudai ke waqt kub asleel aur gandi batein ho...aur Ankit dominate karein sugandha ko aur usko kub galiyan de kar chode aur sugandha bhi iska kub Anand le...kyunki bhai aapki pichli stories majburi ya jarurat aur barsaat ki raat mein ye sab missing tha...aur ye kahani ka plot sabse alag hai aur mast hai...to chudai bhi ekdum kadak aur mast honi chahiye bhai
Story acchi hai sir ji par gaali nahi
 

MotaLund21

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टीवी पर रोमांटिक फिल्म का रोमांटिक फिर से देखकर जिस तरह से सुगंधा गर्म हो चुकी थी,,, उसे देखकर ऐसा ही लग रहा था की सुगंधा जरूर कुछ ना कुछ हरकत करेगी,,, क्योंकि टीवी के रोमांटिक दृश्य को देखकर उसका बेटा भी मदहोश हो चुका था उसके भी पेट में तंबू बन चुका था,,,, और इसी के चलते सुगंधा अपनी दोनों टांगों को उठाकर सामने पड़े टेबल पर रख दिया और साड़ी को धीरे-धीरे अपनी जांघों के ऊपर तक खींच दी,,, ऐसा हुआ जानबूझकर कर रही थी अपने बेटे को अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित करने के लिए और उसका बेटा ठीक उसके बगल में बैठा था और अपनी मां की हरकत देखकर पूरी तरह से मत हुआ जा रहा था,,,।

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अंकित अपनी मां की मदहोश कर देने वाली हरकत देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था और वह अपनी आंखों को टीवी की जगह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच दिखाया हुआ था वह अपनी मां की गुलाबी बुर को देखना चाहता था उसके दर्शन करना चाहता था लेकिन सुगंधा जानबूझकर इतना ही साड़ी कमर तक उठाई थी ताकि सब कुछ तो देखा जा सके लेकिन उसकी बुर दिखाई ना दे और यही तड़प वह अपने बेटे के चेहरे पर देख रही थी,, मोटी मोटी जांघो से सुशोभित सुगंधा की जवानी ट्यूबलाइट की रोशनी में अपनी अलग आभा बिखेर रही थी,,, तृप्ति वहां से उठकर कब का अपने कमरे में सोने के लिए जा चुकी थी और इसी मौके का फायदा सुगंधा उठाना चाहती थी और इसी के चलते वह अपनी जवानी का प्रदर्शन कर रही थी,,,।




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जिस तरह की हालत और तड़प सुगंधा अपने अंदर महसूस कर रही थी उसी तरह की तड़प उसका बेटा भी महसूस कर रहा था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपनी मां की बर देखने के लिए तड़प रहा हो और कभी देखा ना हो वह अपनी मां की बुर को देख चुका था उसके दर्शन कर चुका था,,, लेकिन यह भी सही था कि बहुत बार देखने के बावजूद भी वह नजर भर कर अपनी मां की बुर को देख नहीं पाया था उसके भूगोल को समझ नहीं पाया था इसलिए तो इस समय भी उसकी तरफ बढ़ती जा रही थी और सुगंधा थी कि अपने बेटे को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी,,,।

लेकिन सुगंधा की कामुकता भारी क्रियाकलाप आगे बढ़ती इससे पहले ही घर के पीछे किसी चीज के गिरने की बड़ी तेजी से आवाज आई और दोनों एकदम से चौंक गए,,, सुगंधा जल्दी से अपने कपड़े को व्यवस्थित करके अपनी जगह से उठकर खड़ी हो चुकी थी,,,,, और अंकित भी अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया था दोनों मां बेटे एक दूसरे को सवालिया नजरों से देख रहे थे,,,,,। दोनों के मन में यही शंका थी कि हो सकता है कोई चोर घर में घुस आया हो इसीलिए तो सुगंधा अपने बेटे को बड़ा सा डंडा लेने के लिए बोली थी जो की कोने में पड़ा था और अंकित भी आगे बढ़ाकर उसे डंडे को अपने हाथ में ले लिया था,,,।
Ankit apni ma k sath

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सुगंधा जल्दी से टीवी बंद कर दी थी,,,,, और वह भी एक बड़ा सा डंडा अपने हाथ में ले ली और अंकित की तरफ देखने लगी,,,,‌

क्या गिरा होगा,,,!(आश्चर्य से अपनी मां की तरफ देखते हुए अंकित बोला,,,)

मालूम नहीं चल कर देखना पड़ेगा,,,,

मैं भी साथ चलूंगा,,,,।

लेकिन चौकन्ना रहना पड़ेगा हो सकता है कोई चोर हो,,,,

तब तो मैं आगे रहूंगा मम्मी,,,,।

नहीं अंकित तू पीछे रहना तू अभी इतना बड़ा नहीं हो गया है,,,।

क्या बात करती हो मम्मी मैं एकदम जवान हो गया हूं मुझे आगे रहने दो अगर कर हुआ तो दो ही डंडे में उसकी हड्डी तोड़ दूंगा,,,।
(अपने बेटे का जोश और हिम्मत देखकर सुगंधा मन ही मन खुश होने लगी और अपने बेटे की जवानी पर गर्व करने लगी लेकिन फिर भी वह जानती थी कि वह अपने बेटे को इस तरह से आगे नहीं रख सकती थी ,,इसलिए बोली,,,)
Ankit apni ma ko nangi karta hua

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तू चाहे कितना भी बड़ा हो जा अंकित मां की नजरों में तू अभी बच्चा ही रहेगा इसलिए मैं आगे रहती हूं और तू पीछे पीछे,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुगंधा धीरे-धीरे कदम आगे बढ़ाने लगी,,, पीछे पीछे अंकित चलने लगा सुगंधा के हाथ में भी मोटा और लंबा डंडा था जिसे वह कस के पकड़ी हुई थी और अपने आप को तैयार कर रही थी कि अगर कोई चोर हुआ तो वह कस के वार करेगी,,,,, और यही सोचकर वह धीरे-धीरे अपना कदम आगे बढ़ा रही थी और पीछे से अंकित धीरे से बोला,,)

मम्मी संभाल कर,,,,,।

तू चिंता मत कर,,,,





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(दोनों मां बेटे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे कुछ देर के लिए दोनों के मन से वासना और मदहोशी का तूफान गुजर चुका था दोनों एकदम सामान्य हो चुके थे मां और बेटा दोनों के अंदर एक बार फिर से चरित्र का बदलाव हो चुका था दोनों अपने मूल रूप में आ चुके थे,,, अपने कमरे से निकल कर दोनों पीछे की तरफ जा रहे थे,, दोनों के मन में इस बात का डर भी था कि कहीं कर हुए तो क्या होगा अगर एक हुआ तो फिर भी ठीक अगर एक से ज्यादा हुए तो क्या होगा,,,,। अगर उनके पास हथियार हुआ मतलब की चाकु हॉकी स्टिक या फिर रिवोल्वर हुई तो,,,, क्यों नहीं हो सकती कर के पास तो सारे हथियार होते हैं और उन्हें चलाने से भी वह बिल्कुल भी नहीं कतराते,,,, इस बारे में सोचते ही सुगंधा के बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी ,, उसके पसीने छूटने लगे,,,,। और वह अपने बेटे को एकदम से सचेत करते हुए बोली,,,)

एकदम चौकन्ना रहना अंकित कुछ भी हो सकता है,,,।

मै एकदम चौकन्ना हुं मम्मी,,,, बस तुम अपने आप को संभालना,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा को हिम्मत मिल रही थी,,,, और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी पीछे से एक बार गिरने के बाद किसी तरह की आवाज नहीं आ रही थी बिल्कुल सन्नाटा छाया हुआ था,,,, सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी कि पीछे एकदम अंधेरा होगा लेकिन फिर भी चांदनी रात होने की वजह से साफ दिखाई दे रहा होगा अभी तक दोनों पीछे नहीं पहुंचे थे दोनों के हाथ में अपनी रक्षा के लिए हथियार के नाम पर केवल डंडा ही था पर उसे भी दोनों बड़ी सिद्धत से पकड़े हुए थे,,,।

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धीरे-धीरे करके दोनों मां बेटे घर के पीछे की तरफ पहुंच गए थे,,,,,,, घर के पीछे भी एक बल्ब लगा हुआ था लेकिन इस समय वह जल नहीं रहा था क्योंकि वह स्विच ऑफ था और उसकी बटन दीवार पर ही थी और वह धीरे से अपने बेटे से बोली,,,,।

अंकित में बटन दबाने जा रही हूं एकदम ध्यान देना कौन है कहां है,,,,, हो सकता है यही छुपा हुआ हो,,,,।

तुम चिंता मत करो मम्मी मैं एकदम तैयार हूं,,,,(अंकित अपने मन में ठान लिया था कि अगर सच में कोई चोर हुआ तो आज वह इस डंडे से मार मार कर उसकी हड्डियां तोड़ देगा उसे जरा भी डर नहीं लग रहा था जवान कौन था जो से भरा हुआ और इस बात से उसके मन में गुस्सा भी था कि वह कोई भी हो उसके घर में घुस आया था,,,,, इस बात का गुस्सा तो उसके मन में था ही वह इस बात से और ज्यादा क्रोधित था कि कमरे के अंदर रोमांटिक फिल्म देखते हुए इतना अच्छा दृश्य उसकी मां दिखा रही थी जिस पर पर्दा पड़ गया था,,,,।
Ankit or uski ma

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दोनों का दिल बड़ी जोरों से धड़क रहा था क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ था जब दोनों के मन में इस तरह का डर था कि उनके घर में चोर घुस आया है और वह दोनों उसे चोर का मुकाबला करने के लिए हाथ में डंडा लिए घर के पीछे पहुंच चुके थे सिकंदर धीरे से अपना हाथ बटन पर रखी और उसे एकदम से दबा दी और पीछे एकदम से बल्ब जल उठा और उसकी रोशनी चारों तरफ फैल गई,,,, तभी सामने उन दोनों की नजर गई तो वहां पर एक गमला गिरा हुआ था और उसे टूटे हुए गमले की तरफ देखकर जैसे ही सुगंधा बोली ,,,)

कौन है वहां,,,?
(उसका इतना कहना था कि तभी गमले के पीछे बिल्ली निकाली और म्याऊं बोलते हुए जल्दी से दीवार खुद कर भाग गई,,,, और उस बिल्ली को देखकर सुगंधा राहत की सांस लेते हुए बोली,,,)

अच्छा तो यह बिल्ली का काम था,,,,।

हां मम्मी और हम तो कुछ और ही समझ रहे थे,,,।

चलो अच्छा ही हुआ कि बिल्ली थी वरना चोर होता तो गड़बड़ हो जाती,,,।


Ankit or uski ma ki kalpna

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कुछ गड़बड़ नहीं होती मम्मी देख रही हो ना या डंडा मार मार कर उसका कचुमर बना देता,,,,।

हां देख तो रही हूं वैसे तो है बहुत बड़ा हिम्मतवाला तेरी जगह कोई और होता तो शायद वह डर जाता,,,।

तभी तो कहता हूं मम्मी की मैं बड़ा हो गया हूं तुम रहती हो कि अभी भी बच्चा हो,,,,।

हां बाबा तु बड़ा हो गया है बस,,,,।

खामखा बिल्ली ने सारा खेल बिगाड दी इतनी अच्छी फिल्म चल रही थी,,,,,,।

वह चुम्मा चाटी वाली फिल्म तुझे अच्छी लग रही थी,,,(सुगंधा जानबूझकर इस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हुए बोली क्योंकि वह जिस तरह से गर्म होकर अपने अंगों का प्रदर्शन कर रही थी चोर की आशंका होते ही उसकी उत्तेजना हवा में फूर्ररर हो गई थी और इस समय घर के पीछे एकांत बातें ही वह फिर से मदहोश होना चाहती इसलिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हुए बोली अपनी मां की बात सुनकर अंकित थोड़ा शरमाते हुए बोला,,,)
Sugandha apne bete se chudwane kia khwab dekhti he

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नहीं ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन कहानी अच्छी थी,,,।

लेकिन गर्मी भी तो बहुत थी और यहां देख कितनी अच्छी हवा चल रही है,,,,।

तुम सच कह रही हो मम्मी तुमको कुछ ज्यादा ही गर्मी लग रही थी मैं तुम्हारी हालत देखा था,,,।

क्या देखा था,,,?(जानबूझकर मदहोश होते हुए सुगंधा बोली,,,)

यही देखा था कि तुमसे गर्मी बरसात नहीं हो रही थी और तुम साड़ी अपनी कमर तक उठा दी थी,,,।



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ओहहह ,,,,, तो क्या हो गया अंकित सच में मुझे बहुत गर्मी लग रही थी इसलिए मैं सारी कमर तक उठा दी थी ताकि थोड़ी हवा लग सके और वैसे भी तेरी जानकारी के लिए बता दूं कि हमेशा औरतों की टांगों के बीच कुछ ज्यादा ही गर्मी लगती है तुझे मैं यह पहले भी बता चुकी हूं इसलिए तो मुझसे गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,,।

मुझे भी ऐसा लगने लगा है कि वास्तव में औरतों की टांगों के बीच ज्यादा ही गर्मी रहती है,,,,।

तुझे कैसे मालूम,,,!(आश्चर्य जताते हुए सुगंधा बोली)

अरे मम्मी तुम ही ने तो बताई हो तुम्हारी हालत देखकर मैं समझ गया,,,

और तेरी हालत देखकर,,,(एकदम से अंकित के पेंट में बने तंबू की तरफ देखते हुए) मुझे कैसा लग रहा है कि तेरी भी टांगों के बीच ज्यादा गर्मी लग रही है,,,।
(अपनी मां की बात सुनते ही उसे अपनी स्थिति का भान हुआ लेकिन वह यहां पर थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए हल्का सा मुस्कुराया और अपने हाथ को अपने तंबू पर रखकर उसे हल्के से दबा दिया ऐसा वह जानबूझकर कर रहा था और ऐसा करते हुए धीरे से बोला,,)



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हां मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा है,,,,।

(जिस तरह से अंकित में जवाब दिया था उसका जवाब सुनकर उसकी हिम्मत देखकर सुगंधा की दोनों टांगों के बीच हलचल मचने लगी वह समझ गई कि यही वह मर्द है जो उसकी जवानी की प्यास बुझा सकता है इसलिए मुस्कुराते हुए वह बोली,,)

अंकित कमरे में कितनी गर्मी लग रही थी लेकिन देख घर के पीछे कितनी ठंडी हवा चल रही है कितना अच्छा लग रहा है मन कर रहा है यहीं पर कुछ देर बैठ जाऊं,,,।

मेरा भी यही मन कर रहा है मम्मी,,,,।


तो ठीक है चल कुछ देर यहीं बैठ कर हवा लेते हैं,,,।
(इतना कहने के साथ ही एक कोने में पड़ी दो कुर्सी को खींचकर पास में ले आई और एक कुर्सी पर अंकित को बैठने का इशारा करते हुए बोली,,,)


Sugandha or uska beta
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तू बैठ में बल्ब बुझा देती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही सुगंधा बल्ब बुझाने के लिए आगे बढी और बटन समाधि और अगले ही पल जलता हुआ बल्ब एकदम से बुझ गया और घर के पीछे फैली हुई रोशनी एकदम सीमित हो गई अब कृत्रिम बल्ब की रोशनी नहीं बल्कि आसमान की चांदनी से फैली हुई कुदरत रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था लेकिन जिस तरह से उसकी मां बल्ब बुझाने के लिए बोली थी यह बात सुनकर अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,, क्योंकि उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मानो उसकी मां उसके साथ चुदवाने के लिए कमरे के अंदर की लाइट बंद करने के लिए जा रही हो,,, ताकि वह अंधेरे में उसे आराम से और बेझिझक चुदाई का आनंद लूट सके,,,, लाइट बंद करने के बाद वह भी कुर्सी पर आकर बैठ गई औरबोली,,,)

रात काफी हो चुकी है इसलिए बल्ब जलना उचित नहीं है,,,, वैसे भी चांदनी रात में सब कुछ साफ दिखाई दे रहा है,,,,,,(घर के पीछे पहले चांदनी रात के उजाले को देखकर मन ही मन प्रसन्न होते हुए सुगंधा बोली क्योंकि वह जानती थी की चांदनी रात होने की वजह से बल्ब का जालना उचित नहीं है क्योंकि वैसे भी सब कुछ साफ दिखाई दे रहा है,,,, बातों ही बातों में सुगंधा अपने बेटे से बोली,,,)
Sugandha a0ne bete se chudwati huyi

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अच्छा यह बात तो मुझे बेवकूफ बना रहा है ना,,,।

किस बात के लिए,,,!

अच्छा ऐसे बोल रहा है जैसे तुझे कुछ मालूम ही नहीं,,,,।

अरे सच में मुझे नहीं मालूम तुम क्या कह रही हो किस बारे में कह रही हो,,,,।

धत्,,,, तेरी कि मुझे तो लगा कि मेरा बेटा बड़ा हो गया है जवान हो गया है लेकिन पहला ही वादा तोड़ दिया,,,,।


वादा कैसा वादा,,,,!


अरे बेवकूफ मेरे लिए चड्डी खरीदने का,,,,।



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(अपनी मां की बात सुनते हैं एकदम से अंकित के बदन में सिहरन सी दौड़ गई और वह एकदम से मुस्कुराते हुए बोला,,,)

अरे चड्डी के बारे में बात कर रही हो वह तो मैं कल लेकर आऊंगा,,,,।

फिर से बेवकूफ बना रहा है अगर तेरे पास पैसे नहीं है तो बोल दे मैं तुझसे नहीं मांगूंगी और वैसे भी अपने पास से तुझे चड्डी खरीदने के लिए मैं पैसे नहीं दूंगी यह क्या बात हो गई मुझसे ही पैसा लेकर मुझे ही गिफ्ट करेगा,,,।

नहीं नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है मैं तो सही समय देख रहा था ताकि मैं तुम्हारे लिए अच्छी सी चड्डी खरे सकूं और कल छुट्टी का दिन है इसलिए मैं बड़ी आराम से तुम्हारे लिए खरीद सकता हूं और वैसे भी मुझे पैसे नहीं चाहिए जो तुम मुझे जेब खर्च कर देती हो उसमें से मैं काफी पैसा बचा चुका हूं और उसी पैसे का लाकर दूंगा,,,,।



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तब तो ठीक है तब तो सच में मेरा बेटा बड़ा हो गया मैं तो समझी कि भूल ही गया है,,,,।

मैं भला कैसे भूल सकता हूं पहली बार तो तुम्हारे लिए कुछ लाने का वादा किया हूं,,,,।

(चड्डी का जिक्र सुगंधा जानबूझकर की थी,,, क्योंकि वह माहौल को फिर से गर्म करना चाहती थी और ऐसा ही हो रहा था कुछ देर पहले जिस तरह का तंबू अंकित के पेट में बना हुआ था वह शांत हो चुका था लेकिन चड्डी का जिक्र होते ही एक बार फिर से उसके पेंट में तंबू बन चुका था। ,,,,। और एक बार फिर से सुगंधा की बुर पानी छोड़ रही थी,,,, घर के पीछे बैठे-बैठे काफी समय हो चुका था,,,,और सुगंधा के मन में कुछ और चल रहा था,,, इसलिए वह बोली,,,)

बहुत देर हो गई है सुबह उठना भी है,,,।

हां मम्मी देर तो काफी हो चुकी है लेकिन यहां इतनी अच्छी हवा चल रही है कि उठकर जाने का मन ही नहीं कर रहा है,,,,,।


Ankit or uski ma

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मेरा भी लेकिन क्या करें जाना तो पड़ेगा ही नींद नहीं पूरी होगी तो सुबह नींद नहीं खुलेगी,,,,(इतना कहने के साथ सुगंध अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और अंगड़ाई देने लगी उसकी भारी भरकम गांड अंगड़ाई लेते समय कुछ ज्यादा बाहर निकाल कर नजर आने लगी जिसे देखकर अंकित का लंड अंगड़ाई लेने लगा,,, और वह अपनी मां की गांड देखकर पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को दबा दिया,,, उसकी हरकत तिरछी नजर से उसकी मां ने देख ली और मन ही मन मुस्कुराने लगी वह समझ गई कि उसके बेटे के भी बदन में आग लगी हुई है उसे पाने के लिए,,,, अपनी मां की मदहोश कर देने वाली अंगड़ाई देखकर अंकित बोला,,)

क्या अभी भी अंदर चड्डी नहीं पहनी हो,,,।
(इतना सुनते ही सुगंध अपने बेटे की तरफ देखकर मुस्कुरा दी और बोली)

ले देख ले,,, तुझे तो जैसे विश्वास ही नहीं होता,,,,(और इतना कहने के साथ ही कदम आगे बढ़कर वह दीवार के कोने पर पहुंच गई जहां पर बैठ कर वह अक्सर पैसाब किया करती थी,,,, यह देखकर अंकित का दिल जोरों से धड़कने लगा वह समझ गया कि कुछ गजब का होने वाला है और देखते ही देखते उसकी मां अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,, अंकित की हालत खराब होने लगी क्योंकि जो वह सोच रहा था उसकी मां वही करने जा रही थी,,,,, इस दृश्य को देख देख कर ऐसा लग रहा था कि अंकित पूरी तरह से मर्द बन जाएगा,,,,,।
Sugandha apne bete k sath

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देखते ही देखते सुगंधा अपनी साड़ी को धीरे-धीरे करके कमर तक उठाती और वास्तव में वह साड़ी के नीचे कुछ नहीं पहनी थी वह एकदम नंगी थी और जैसे ही वह कमर तक साड़ी उठाई सुगंधा अपने दोनों हथेलियां को अपनी नंगी गांड पर रखकर उसे सहलाते हुए पीछे की तरफ नजर घूमाकर अंकित से नजरे मिलाते हुए बोली,,,)

देख लिया ना मैं कुछ नहीं पहनी हूं पर तुझे ऐसा लगता है कि मैं तुझसे झूठ बोल रही हूं,,,।

नहीं मम्मी ऐसा नहीं है मुझे इस बात से अच्छी लगता है कि बिना चड्डी पहने तुम कैसे पढ़ाने के लिए चली जाती हो कैसे बाहर निकल जाती हो,,,।




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क्या करूं मजबूरी है अगर होती तो पहन कर जाती पर वैसे भी अंदर पहनी हो कि नहीं पहनी हो किसको पता चलने वाला है तेरी तरह मैं किसी के सामने उठा कर दिखाती थोड़ी हूं,,,,।

(सुगंधा अपने बेटे के सामने धीरे-धीरे पुरी तरह से खुलने लगी थी और काफी हद तक खुल चुकी थी यह देखकर अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था क्योंकि उसकी मां के बढ़ता और उसकी हरकत को देखकर अंकित के जीवन में बहार आ गई थी,,, वैसे भी एक जवान लड़के को क्या चाहिए एक खूबसूरत औरत उसकी कामुकता भरी हरकत अच्छी से महसूस करके वह बार-बार उत्तेजित होता रहे,,,)

अच्छा करती हो मम्मी लोगों को क्या पता कि आसमान की परी जैसी दिखने वाली खूबसूरत औरत साड़ी के अंदर चड्डी नहीं पहनती,,,।

अच्छा तो मैं तुझे परी की तरह दिखती हूं,,,।

उससे भी ज्यादा खूबसूरत और सच कहूं तो मैं तुम्हारी तरह आज तक इतनी खूबसूरत औरत नहीं देखा,,,,।

अच्छा,,,,।


हां मम्मी में सच कह रहा हूं,,,,।



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चल अब रहने दे बातें बनाने को तेरी ईस तरह की बातें सुनकर कहीं मेरी पेशाब न छूट जाए,,,,(सुगंधा एकदम बेशर्मी भरी बातें अपने बेटे से करने लगी थी और उसकी यह बात सुनकर तो अंकित को ऐसा महसूस होने लगा कि कहीं उत्तेजना के मारे उसका लंड फट न जाए,,,, अपनी मां की बेशर्म भरी बातें सुनकर थोड़ा सा बेशर्म होने का हिम्मत करते हुए अंकित भी बोला,,,)

रहने तुम अभी तुम्हारी बात सुनकर तो मुझे पेशाब लगने लगी है,,,।
(अंकित की बात सुनकर सुगंध का मन प्रसन्नता से भर गया उसके चेहरे पर एकदम से नूर झलकने लगा और वह उत्साहित होते हुए बोली,,,)



Sugandha maja leti huyi
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तो देर किस बात की है आजा तू भी पेशाब कर ले,,,,(इतना कहने के साथ ही सुगंधा धीरे से बैठ गई और पेशाब करने लगी उसकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम से बाहर निकल गई चांदनी रात में उसकी गांड एकदम से मस्त चमक रही थी जिसे देखकर अंकित का मन कर रहा था कि उसकी गांड को जीभ लगाकर चाट जाए,,,, अंकित की हालत खराब होने लगी थी वह इतना तो समझ किया था कि उसके सामने उसकी मां एकदम बेशर्म बन चुकी है तो उसे भी शर्म करने की कोई जरूरत नहीं है और उसका भी मन करने लगा कि अपनी मां के साथ वह भी पेशाब करें आखिरकार ऐसा मौका मर्द की जिंदगी में बहुत ही काम आता है जब वह एक साथ एक औरत के साथ पेशाब करता हूं औरत की बुर से पेशाब की धार निकलती है और दूसरी तरफ मर्द के लंड से पेशाब की धार निकलती है ऐसा नजारा कमी देखने को मिलता है आज अच्छा मौका था जिसके बारे में कभी अंकित सोचा नहीं था आज वही अद्भुत क्रीड़ा करने का अच्छा मौका आ चुका था और इस मौके को अंकित गवाना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी वह शर्मा रहा था इसलिए सुगंधा एक बार फिर से अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)


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अाजा शर्मा मत पेशाब कर ले,,,, मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है,,,, याद है ना क्लीनिक में तू ही बाथरूम के अंदर परख नदी में मेरे पेशाब का सैंपल लिया था और कैसे लिया था यह तुझे बताने की जरूरत नहीं है तब मुझसे क्यों शर्मा रहा है,,,,। चल आजा,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर अंकित के बदन में जोश बढ़ने लगा उसकी हिम्मत बढ़ने लगी वह भी हिम्मत दिखाना चाहता था और मौका भी सही था इसलिए वह भी धीरे से आगे बड़ा और अपनी मां के बगल में जाकर खड़ा हो गया उसकी मां पेशाब कर रही थी और नजर उठा कर अपने बेटे की तरफ मुस्कुरा कर देखने लगी और बोली,,,)




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चल जल्दी से पेशाब कर ले,,,,।
(अंकित अपनी मां को देख रहा था और उसकी दोनों टांगों के बीच निकलती हुई पेशाब की धार को देख रहा था अंकित जानता था कि यह धार उसकी बुर से निकल रही है उसकी गुलाबी छेद से निकल रही है,,, लेकिन यहां से सिर्फ उसे पेशाब की धार दिखाई दे रही थी उसकी मां की गुलाबी बुरे नहीं दिखाई दे रही थी उसे देखने की तड़प उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी लेकिन फिर भी इतना भी उसके लिए बहुत काफी था,,,,।

मदहोशी की पराकाष्ठा कमरे के पीछे दर्शाई जा रही थी,,, मां बेटे दोनों मदहोश हो चुके थे सुगंधा की तरफ से यह खुला आमंत्रण था अंकित के लिए लेकिन अंकित इसे साफ तौर पर स्वीकार करने से घबरा रहा था डर रहा था उसकी जगह कोई और होता तो शायद इसी समय उसकी बुर में अपना लंड डालकर उद्घाटन कर चुका होता है लेकिन फिर भी एक झिझक उसके मन में थी जो उसे रोक रही थी,,,,।

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अपनी मां की तरफ देखते हुए अंकित अपने पेट का बटन खोलने लगा यह देखकर सुगंधा का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि सुगंधा अब तक अपने बेटे के लंड को बस एक ही बार देखी पाई है और वो भी जब उसके कमरे में उसे जगाने के लिए गई थी और अगर इस समय सब कुछ सही हुआ तो वह दूसरा मौका होगा जब वह अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड के दर्शन करेगी,,,,, अपनी मां की तरह अंकित भी बेशर्म बनते हुए धीरे-धीरे अपने पेंट की बटन खोलकर उसकी चेन को नीचे सरकार कर अपने पेंट को एकदम से घुटनों तक खींच दिया,,,, घुटनों तक पेट आते ही उसके अंदर बियर में बना अद्भुत खूंटा नजर आने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी बैल को बांधने के लिए खूंटा गाडा गया हो,,,, सुगंधा का दील जोरों से धड़क रहा था इस तरह का अद्भुत नजारा देखकर सुगंधा का मन कर रहा था कि अपने हाथों से अपने बेटे का अंडरवियर निकाल कर उसके लंड को अपने हाथ में पकड़कर उसे पेशाब करवाए,,, ।

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लेकिन ऐसा करने में उसे न जाने क्यों अजीब लग रहा था लेकिन यह काम अंकित बड़े अच्छे से करते हैं अपने अंदर बियर को दोनों तरफ से पकड़ कर उसे आगे की तरफ खींचकर एक अच्छी खासी दूरी बनाकर अपने लंड से बाहर की तरफ करके उसे नीचे कर दिया ऐसा अंकित ने इसलिए किया था ताकि बड़े आराम से उसके अंदर किया नीचे सड़क सके क्योंकि उसका लंड एकदम से लोहे के रोड की तरह तन कर खड़ा था और ऐसे में सीधे-सीधे अंडरवियर नीचे खींचना उचित नहीं था,,, क्योंकि सीधे-सीधे अंडरवियर नीचे आता ही नहीं और यही अदा सुगंधा के तन बदन में आग लगा गई ,,।

बेहद अद्भुत नजारा घर के पीछे दर्शाया जा रहा था मन बैठकर पेशाब कर रही थी और उसके बगल में बेटा पेशाब करने के लिए अपने अंडरवियर को उतर चुका था और अंडरवियर के उतरते ही उसका मतवाला लंड एकदम से हवा में लहराने लगा जिसे देखकर सुगंधा के मुंह के साथ-साथ उसके बुर में भी पानी आ गया,,, सुगंधा इस तरह की अद्भुत नवरी को कभी नहीं देखी थी पड़ोसन के द्वारा दिखाई गई गंदी फिल्म में भी इस तरह का नजारा उसे देखने को नहीं मिला था,,, इसलिए तो उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चलने लगी थी और अंकित की भी हालत खराब थी अंकित जानता था कि उसकी मां उसके लंड को ही देख रही है और यह देखकर अंकित केतन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी उसका मन कर रहा था कि ईसी समय अपनी मां की चुदाई कर दे ,,, लेकिन वह जानता था की चुदाई करने का अनुभव उसे बिल्कुल भी नहीं है अगर वह ऐसा कर भी देता तो निश्चित तौर पर वह सफल हो जाता इस बात को अच्छी तरह से जानता था अगर एक बार भी उसे चुदाई का अनुभव होता तो वह अपने आप को बिल्कुल भी नहीं रोकता,,।

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सुगंधा की आंखों में प्यास नजर आ रही थी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने की प्यास,,, वह अंदर ही अंदर तड़प रही थी उसकी दोनों टांगों के बीच भूचाल आ रहा था वह मदहोश हो रही थी उत्तेजना से उसका बदन कंपकंपा रहा था,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें मन तो उसका कर रहा था किसी समय अपना हाथ आगे बढ़कर अपने बेटे के लंड को थाम ले और उसे अपने मुंह में भरकर जी भर कर चूसे,,, लेकिन न जाने कौन सी झिझक उसे आगे बढ़ने से रोक रही थी,,, लेकिन फिर भी जो नजर उसकी आंखों के सामने था वह अद्भुत था जिसकी तुलना करना नामुमकिन था सुगंधा के लिए क्योंकि उसने आज तक इस तरह का मोटा तगड़ा लंबा लंड देखी ही नहीं थी,,, सुगंधा की बुर से छुलक छुलक कर पेशाब की धार निकल रही थी,,,,।



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अंकित अपनी मां की उत्तेजना को और बढ़ाते हुए अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ लिया और उसे ऊपर नीचे करके हिलाते हुए,,, पेशाब करने लगा सुगंधा के मुंह से एक भी शब्द नहीं टूट रहे थे वह मुक दर्शक बनकर अपने बेटे की हरकत को देख रही थी,,, अंकित के पेशाब की धार बड़ी तेजी से सामने की दीवार पर गिर रही थी और दूसरी तरफ सुगंधा की बुर से पेशाब कि धार कमजोर पड़ रही थी,,,। मां बेटे दोनों मदहोशी के आलम में पूरी तरह से डूब चुके थे इस तरह का एहसास उन दोनों को कभी नहीं हुआ था यह पल यह क्षण पूरी तरह से आंतरिक हो चुका था इस पल में दोनों डूब चुके थे खो चुके थे,,, अगर इस समय दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन जाता तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं थी लेकिन फिर भी संभोग और उसके क्रिया का लाभ के बीच बस एक ही कदम की दूरी रह गई थी,,, लेकिन इस दूरी को खत्म करने के लिए एक कदम बढ़ाने में दोनों की हिम्मत नहीं हो रही थी,,,।


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जैसे तैसे करके पैसाब वाला कार्यक्रम खत्म हो चुका था,,,, दोनों अपने कपड़ों को व्यवस्थित कर चुके थे लेकिन जिस तरह के हालात दोनों के बीच बन चुके थे दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर पा रहे थे दोनों सीधे अपने कमरे में चले गए और अपने वस्त्र को उतार कर अपने हाथों से अपनी जवानी की गर्मी को शांत करने की पूरी कोशिश करने लगे।
Ab jaldi hi sugandha ke haath me bda lund hoga
 
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