स्कूल जाने से पहले अंकित अपनी मां से मजा लेना चाहता था अपनी हरकतों से नहीं बल्कि अपनी बातों से बातें ही बात में दोनों के बीच चड्डी को लेकर बहस हो गई थी,,,, क्योंकि अंकित ने अपनी मां से वादा किया था कि वह उसके लिए चड्डी लेकर आएगा लेकिन अभी तक जल्दी लाया नहीं था और वैसे भी उसे समय नहीं मिला था चड्डी लाने का और ना ही ईस बारे में कुछ दिनों से कोई बात हुई थी क्योंकि तृप्ति के कॉलेज की छुट्टी थी और वही घर पर रहती थी अपनी मां के साथ इसलिए दोनों को बात करने का मौका भी नहीं मिला था,,, और इसीलिए सुगंधा को भी अपने बेटे से कहने का मौका मिल गया,,,।
Ankit or uski ma
लेकिन इस मौके का अंकित थोड़ा फायदा उठा लेना चाहता और इसीलिए दोनों के बीच चड्डी को लेकर बातचीत हो रही थी और बात ही बात में अंकित ने अपनी मां से पूछ लिया कि अगर तुम्हारे पास चड्डी नहीं है तो दिखाओ कि तुम पहनी हो कि नहीं यह तो अंकित के मन की शरारत थी क्योंकि वह अपनी मन में एक औरत देखा था खूबसूरत औरत प्यासी औरत और इसीलिए वह अपनी मां से बेटे की तरह नहीं बल्कि एक मर्द की तरह बातें करता था जिसमें उसे तो मजा आता ही था उसकी मां को भी बहुत मजा आता था अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा भी बिना पल गंवाए तुरंत अपनी साड़ी उठाकर अपनी नंगी गांड को अपने बेटे की आंखों के सामने कर दी ताकि वह जी भर कर उसकी नंगी जवानी को उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड को देख सके,,, और अंकित भी अपनी मां की नंगी गांड को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,,।
इस बेहतरीन खूबसूरत नजारे को देखकर अंकित के पेंट में तंबू बन चुका था,,, और जिस तरह से सुगंध अपनी साड़ी उठाकर अपने बेटे को अपनी नंगी गांड दिखाई थी अंकित को यकीन हो गया था कि उसकी मां के पास पहनने के लिए चड्डी नहीं है,,, इसलिए सुगंधा भी अपने बेटे से बोली,,,।
अब तो तुझे यकीन हो गया ना मेरे पास चड्डी नहीं है,,,।
हां मम्मी सच में तुम्हारे पास तो चड्डी नहीं है,,, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि इतनी खूबसूरत औरत जो इतनी खूबसूरत साड़ी पहनती है इतनी खूबसूरत सज धज कर रहती है और उसके पास पहनने के लिए चड्डी नहीं है मैं क्या कोई भी यकीन नहीं कर पाएगा,,,।
(अंकित एक तरह से अपनी मां की तारीफ कर रहा था और अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर सुगंधा गदगद हुए जा रही थी उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे,,, अपने बेटे से उसकी बातों से वह प्रभावित हुए जा रही थी वह फिर से खाना बनाने में लग गई थी क्योंकि अपने बेटे से नजर मिलाने में उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा उसके सामने आ जाता और वह नहीं चाहती थी कि उसके बेटे को ऐसा लगी कि उसकी बातें सुनकर उसे बहुत मजा आ रहा है इसलिए वह अपने बेटे की बात को नजर अंदाज करते हुए बोली,,,)
Ankit or uski ma ki masti
चल रहने दे कोई कुछ नहीं कहता और नहीं कुछ सोचेगा मेरे बारे में क्योंकि मैं इतनी कोई खास नहीं हूं,,,,,।
क्या बात कर रही हो मम्मी कौन कहता है कि तुम खास नहीं हो एकदम फिल्म की हीरोइन लगती हो,,,।
चल रहने दे चिकनी चुपड़ी बातें करने को तुझे भी बहुत बातें आने लगी है,,,।
मैं तो सच कह रहा हूं और तुम हो कि इसे सिर्फ बातें ही समझ रही हो,,,,। वैसे मम्मी तुम अंदर कुछ नहीं पहनी हो तो तुम्हें अजीब सा नहीं लगता होगा,,, मेरा मतलब है कि अगर मैं एक दिन अंडरवियर ना पहनू तो मुझे अजीब सा लगता है क्या तुम्हें भी ऐसा लगता है,,,।
वैसे तो कुछ खास नहीं लेकिन कुछ न पहनने की वजह से हवा लगती रहती है,,,,।
ओहहह यह तो जरूरी है मम्मी क्योंकि वहां तो कुछ ज्यादा ही गर्मीहोगी,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर एकदम से सुगंधा सन्न रह गई और आश्चर्य से अपने बेटे की तरफ देखने लगी क्योंकि बातों ही बातों में उसके बेटे ने हकीकत बयां कर दिया था और इस बात का एहसास अंकित को भी था लेकिन वहां इस बात पर बिल्कुल भी जोर देना नहीं चाहता था कि वह अनजाने में यह बात कह दिया है बल्कि वह ऐसा ही जताना चाहता था कि जो कुछ भी उसने बोला है वह एकदम सही बोला है,,, लेकिन अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी अपने बेटे की बात के मतलब को समझ कर उसके बदन में मदहोशी छाने लगी और वह फिर से अपने आप को खाना बनाने में व्यस्त करने का नाटक करते हुए अपने बेटे की तरफ मुंह किए बिना ही बोली,,,।)
तुझे कैसे मालूम कि दोनों टांगों के बीच गर्मी ज्यादा होती है,,,।
Ankit or uski ma
(अपनी मां का यह सवाल सुनकर खुद अंकित की हालत खराब होने लगी वह अपने मन में सोचने लगा कि उसकी मैया कौन सा सवाल पूछ बैठी है और फिर तभी उसे ख्याल आया कि उसकी मां भी यही चाहती है कि वह जवाब दे वरना इस सवाल पर वह खुद आंख दिखाने लगती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था उसकी मां खुद इसका जवाब पूछ रही थी,,, और अंकित सवाल का जवाब भी देना चाहता था लेकिन सीधे-सीधे नहीं बल्कि घुमा फिरा कर क्योंकि उसे इस बात का डर भी था कि अगर एकदम से खुलकर बोल दिया तो शायद उसकी मां गुस्सा करने लगेगी इसलिए वह बोला,,,।)
अरे मम्मी हम लड़कों को भी टांगों के बीच कुछ ज्यादा ही गर्मी लगती है तभी तो वहां पसीना निकलते रहता है इसलिए मैं बोला कि तुम्हारी टांगों के बीच भी ज्यादा ही गर्मी होगी क्यों ऐसा नहीं है क्या,,,?(अंकित अपने ही सवालों में चतुराई से अपनी मां को उलझा रहा था,,,, और इस समय जिस तरह के हालात है जिस तरह की बातचीत हो रही थी उसे देखते हुए सुगंधा भी अपने बेटे को जवाब देते हुए बोली,,,)
क्यों नहीं बिल्कुल ऐसा ही है लेकिन तुम लड़कों से ज्यादा गर्मी हम औरतों को दोनों टांगों के बीच लगती है,,,, क्योंकि वहां की रचना ही कुछ ऐसी है,,,,,.
रचना,,,, कैसी रचना,,,,?(अंकित जानबूझकर इस तरह का सवाल पूछ रहा था वह देखना चाहता था कि उसकी मां इस सवाल का जवाब किस तरह से देती है,,,, अपनै बेटे का सवाल सुनकर एक पल के लिए सुगंध को लगा कि इस सवाल का जवाब एकदम सीधे-सीधे दे दे लेकिन फिर बहुत सोच समझ कर वह बोली,,,)
रचना बहुत ही ज्यादा रचनात्मक लेकिन अभी समय नहीं है तुझे समझने का जब तू समझदार हो जाएगा तो अपने आप औरतों के टांगों के बीच की रचना को समझ जाएगा,,,,,(इस तरह की बातें करके सुगंधा के तन बदन में आग लग रही थी और जानती थी कि योग्य शब्दों से वह सीधे-सीधे अपनी बुर के बारे में बात कर रही है अब वह अपने बेटे के सामने,,, रचना की जगह बुर तो नहीं कह सकती थी क्योंकि इस तरह के सभी का प्रयोग करने में उसे अभी अपने बेटे के सामने बहुत शर्म महसूस होती थी,,, लेकिन वह जानती थी कि उसके कहने के मतलब को उसका बेटा अच्छी तरह से समझ गया होगा इसलिए उसका बेटा अपनी मां का यह जवाब सुनकर कोई और सवाल पूछता है इससे पहले ही वह बात करो को एकदम से बदलते हुए बोली क्योंकि इस समय उसके पास समय का बहुत अभाव था उसे जल्दी से तैयार होकर स्कूल भी जाना था,,,)
Ankit apni ma k sath
अच्छा यह सब छोड़ तू सही-सही बता मेरे लिए पेंटी खरीद कर लाएगा कि नहीं,,,।
क्यों नहीं लाऊंगा जरूर लाऊंगा लेकिन,,,,,,(इतना कहकर चुप हो गया,,)
लेकिन क्या,,,?(अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली)
मेरे पास तुम्हारा नाप नहीं है,,, और पहले में ऐसा कुछ खरीदा भी नहीं हुं,,,, बिना नापके में खरीदुंगा कैसे,,,?(अपनी मां की तरफ आश्चर्य से देखते हुए बोला और उसकी मां अपने बेटे की बात सुनकर मंद मंद मुस्कुराने लगी और बोली,,,)
तू सच में अभी बच्चा ही है भले ताड़ के पेड़ की तरह लंबा हो गया है,,, रुक में अभी नाप पट्टी लाती हूं,,,।
(इतना कह कर हुआ तुरंत किचेन में से निकली और अपने कमरे में चली गई सुगंधा के मन में भी कुछ और चल रहा था क्योंकि वह जानती थी कि औरतों की पेटी का नाम उनके घेराव के हिसाब से एक नंबर होता है जिससे बड़े आराम से खरीदा जा सकता है लेकिन फिर भी वह अपने बेटे की बातें सुनकर खुद शरारती होना चाहती थी इसलिए जल्दी से अपने कमरे में गई और अलमारी में से नाप पट्टी लेकर वापस किचन में आ गई,,,,.। अंकित वहीं खड़ा था और सुगंध उसके सामने हाथ बढ़ाकर नाप पट्टी उसे थमाते हुए बोली,,,)
अब तो नाप ले लेगा ना तु,,,।
Ankit or sugandha
हां हां जरूर,,,,, इतना तो मुझे आता ही है भले ही औरतों का नाप नहीं लिया हूं लेकिन,,, इधर-उधर तो सीख ही लिया हूं,,,।
चल इतना तो तुझे आता ही है इस बात की खुशी है मुझे चल अब जल्दी से नाप ले ले बहुत देर हो रही है ,,,,(इतना कह कर वह वापस अपने बेटे की तरह पीठ करके खड़ी हो गई,,,, अपनी मां की तैयारी को देखकर अंकित बोला,,,)
ठीक है मम्मी,,,(और इतना कहने के साथ ही हुआ है अपने हाथ में लिए हुए नाप पट्टी को लेकर अपनी मां की तरफ आगे बढ़ा उसका दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था और उसके लंड की अंगड़ाई बढ़ती जा रही थी उसके पेंट में तंबू बना हुआ था,,, वह धीरे से अपनी मां के करीब पहुंच गया और फिर उसे पट्टी को अपनी मां की कमर पर ना रख कर उसे कमर के बीचों बीच उसके नितंबों की ऊपरी हिस्से पर रख दिया उसकी मां समझ गई थी नाप लेने का यह तरीका गलत है इसलिए वह बोली,,,,)
Ankit apni ma k sath
अरे वाह रे मेरे शेर,,,, ऐसे नाप लिया जाता है,,,।
तब कैसे लिया जाता है तुम ही बताओ ना मम्मी,,,,
अच्छा रुक,,, मैं बताती हूं,,,(इतना कहकर वहां अपने बेटे का हाथ पकड़ कर और साथ में उसे पट्टी को पड़कर उसे अपनी कमर की एक तरफ रख दी और अंकित भी उसकी नरम नरम चिकनी कमर पर अपना हाथ रखकर उसे पट्टी को पकड़ लिया ऐसा करने में उसे अत्यधिक उत्तेजना का एहसास हो रहा था वह थोड़ा सा झुका हुआ था अपनी मां के नितंबों के बीचो बीच गहरी लकीर क्यों नितंबों से ऊपरी हिस्से पर थी वहीं पर अंकित का पूरा ध्यान लगा हुआ था क्योंकि वह लकीर कुछ ज्यादा ही गहराई लिए हुए था अगर उसे पर पानी गिर जाए तो पानी की बूंद उस पर बड़े आराम से टिक जाती और मोती का दाना बन जाती,,, सुगंधा दिशा निर्देश करते हुए आगे बोली,,,)
Apne bete ko khus karti huyi sugandha
अब इस पट्टी को पूरी तरह से मेरी कमर पर गोल घुमा कर वापस जहां पर पट्टी की शुरुआत है वहीं पर लेजा और देख कितना इंच है,,,, समझ गया ना,,,।
हां मम्मी समझ गया,,,,(अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था उसकी मां की भी हालत खराब थी एक तरफ अंकित का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था दूसरी तरफ उसकी मां की बुर लगातार पानी छोड़ रही थी,,, दोनों मां बेटे पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगा रहे थे,,, दोनों की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, मां बेटे दोनों में से सिर्फ एक को हिम्मत दिखा कर आगे बढ़ाने की देरी थी उसके बाद दोनों संभोग रथ हो जाते लेकिन किसी की भी हिम्मत नहीं थी कि आगे बढ़कर जवानी का मजा लिया जाए लेकिन जो कुछ भी हो रहा था इतना भी दोनों के लिए बेहद उन्माद और एक अलग ही नशा से भरा हुआ था,,,, अंकित अपनी मां के बताएं अनुसार एक हाथ उसकी कमर पर रखकर साथ में उसे पर पट्टी दबाए हुए पट्टी को अपनी मां की कमर से घूमता हुआ उसे वापस इस छोर पर ले आया और बोला,,,,।)
लो मम्मी आ गया,,,,।
देर आए दुरुस्त आए अब जितना इंच आ रहा है उतना अपनी कॉपी पर या अपने दिमाग में बैठा ले,,,,।
एकदम बराबर मम्मी,,,।
याद तो रहेगा ना भूल तो नहीं जाएगा,,,।
बिल्कुल भी नहीं एकदम छप गया है,,,, अबहो गया,,,!
अरे बुद्धू यह तो कमर का नाप था अभी घेराव बाकी है,,,।
तो अब,,,!
अब क्या,,,, जिस तरह से पट्टी मेरी कमर पर लगाया था इस तरह मेरी कमर में मेरी जांघों के बीच रखकर फिर से उसी तरह से नाप ले,,,,।
ठीक है,,, मम्मी,,,,
Apni ma ki saree kholta hua ankit
(इतना कहकर वह अपने घुटनों के बल बैठ गया,,, और इस अवस्था में उसकी मां की बड़ी-बड़ी गाडरी गांव ठीक उसकी आंखों के सामने थी उसके चेहरे उसकी मां की गांड के बीच केवल चार अंगुल की दूरी थी और इतनी कम दूरी में अंकित को अपनी मां की गांड की गर्मी एकदम साफ महसूस हो रही थी सुगंधा भी गहरी सांस लेते हुए अपनी नजर को पीछे की तरफ करके अपने बेटे की तरफ देखने लगी कि अब वह क्या करता है,,,,।
अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था स्कूल जाने की चिंता आप उसके मन में बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि इस समय उसकी मां ने उसे बहुत बड़ी जिम्मेदारी दे दी थी जिसे निभाना उसका पहला फर्ज बनता था,,,, कसी हुई साड़ी में सुगंधा की गांड को ज्यादा ही उभरी हुई और बड़ी-बड़ी नजर आ रही थी जिसे देखकर अंकित के मन में अजीब हलचल हो रही थी अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड देखकर उसके मन में हो रहा था कि दोनों हाथों से अपनी मां की बड़ी गांड को थाम कर उसे जोर-जोर से दबा दे मसल दे,,, लेकिन ऐसा करने की उसमें हिम्मत नहीं थी,,,।
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देखते ही देखते अंकित अपनी मां की कमर के नीचे नाप पट्टी को लगा दिया तो उसकी मां जो उसे ही देख रही थी वह बोली,,,,।
थोड़ा और नीचे,,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही अंकित अपनी मां की तरफ देखने लगा दोनों की नजरे आपस में टकराई दोनों के तन बदन में एक अजीब सी हलचल हुई लेकिन इस समय सुगंधा अपनी नजरों को बिल्कुल भी अपने बेटे से नहीं चुराई और अंकित भी अपनी मां की बात मानते हुए थोड़ा सा नीचे नाप पट्टी को लगा दिया तो उसकी मां फिर से बोली,,,)
Apne bete k liye chaddhi nikalti huyi
दो अंगुल नीचे तब सही नाप मिलेगा,,,।
(अपनी मां की बात मानते हुए दो अंगुल और नीचे नाक पट्टी को लगा दिया और बोला,,,)
अब ठीक है ना मम्मी,,,।
हां बिल्कुल ठीक है अब जिस तरह से कमर का नाप लिया इस तरह से नीचे का भी नाप ले ले,,,,(अपने बेटे के सामने गांड शब्द बोलने में उसे शर्म आ रही थी और अपनी मां की बात सुनते ही उसके वचनों पर खरा उतरते हुए वह तुरंत पट्टी को दूसरे हाथ से घूमाकर दूसरी ओर ले जाने लगा लेकिन थोड़ी उसे दिक्कत आने लगी क्योंकि कमर का भाग थोड़ा काम था तो बड़े आराम से पट्टी घूम गई थी लेकिन गांड का घेराव कुछ ज्यादा ही था,,, इसलिए आराम से अंकित पट्टी को दूसरी तरफ नहीं ले जा पा रहा था,,, और यह देखकर सुगंध मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि यह किस वजह से हो रहा है वह अपनी बेटी की तरफ मंद मंद देखकर मुस्कुरा रही थी लेकिन उसका बेटा अपनी मां की तरफ नहीं देख रहा था बल्कि अपनी मां की गांड की तरफ देख रहा था इस बात का एहसास अंकित को भी हो गया था कि उसकी मां की गांड कुछ ज्यादा ही बड़ी थी इसलिए पट्टी घूमाने में दिक्कत आ रही है,,,।
इसलिए वह घुटनों के बाल ही थोड़ा सा आगे बढ़ा और पट्टी को घुमाने लगा वह पूरा हाथ दूसरी तरफ घुमा दिया था लेकिन ऐसा करने में,,, वह एकदम से अपनी मां की गांड से लिपट सा गया था और जब उसके चेहरे का एहसास सुगंधा को अपनी गांड पर हुआ तो वह एकदम से गड़बड़ हो गई और उसकी बुर से पानी की बौछार होने लगी,,,, अपनी मां की गांड का स्पर्श अपने चेहरे पर पाकर अंकित भी उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुका था उसकी सांसे बड़ी गहरी चल रही थी और उसकी सांसों की गर्मी सुगंधा को अपनी नितंबों पर एकदम साफ महसूस हो रही थी,,,।
इसलिए तो उसके बदन में और भी ज्यादा हलचल हो रही थी,,,।
फिर भी जैसे तैसे करके अंकित पट्टी को दूसरी तरफ पहुंच ही दिया और गहरी सांस लेते हुए बोला,,,।
बाप रे,,,, कितनी बड़ी गांड है तुम्हारी,,,(यह शब्द अंकित जानबूझकर बोला था और अपनी मां से नजरे मिलाई भी ना बोला था ताकि उसकी मां को लगे कि उसके मुंह से अनायास ही यह शब्द निकल गया,,,, वैसे भी अपने बेटे के मुंह से बड़ी-बड़ी गांड सबसे सुनकर उसका दिल गड़बड़ हो गया क्योंकि उसका बेटा सीधे उसकी गांड की तारीफ कर दिया था,,,, और सुगंधा भी अपने बेटे के इस शब्द पर इस तरह से जताने लगी कि मानो जैसे उसने कुछ सुना ही ना हो,,,, नाप लेकर धीरे से अंकित खड़ा हुआ और बोला,,,)
चलो नाप का काम तो हो गया अब जल्दी से मैं तुम्हारे लिए चड्डी लेकर आ जाऊंगा,,,।
तूने ठीक से नाप लिया तो है ना,,।
हां हां क्यों नहीं देखा,,,(नाप पट्टी में जहां तक माप हुआ था वहां पर अपनी उंगली रखकर अपनी मां को दिखाते हुए बोला)
अरे जरा सा भी 19। 20 हो गया था पहनने में अच्छा नहीं लगेगा,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर अंकित भी सच में पड़ गया लेकिन अपनी मां की बात सुनकर तुरंत इसके दिमाग में घंटी बजने लगी और वह तुरंत बोला,,)
मम्मी हो सकता है नाप में इधर-उधर हो जाए,,,।
अरे ऐसे कैसे नाप में इधर-उधर हो जाएगा तूने ठीक से तो लिया है ना,,,।
हां मम्मी मैं तो ठीक से ही लिया हूं लेकिन तुम्हारी साड़ी और पेटिकोट का कपड़ा भी तो है एक डेढ़ इंच का फर्क पड़ जाएगा तो गड़बड़ हो जाएगा,,,,।
(मन ही मन सुगंध अपने बेटे की बात सुनकर रोमांचित होने लगी क्योंकि उसे भी अपने बेटे के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ आ गया था इसलिए वह अपने बेटे की बात सुनकर बोली,,,)
तो अब,,,,(आश्चर्य से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,, अंकित ठीक अपनी मां के पीछे और जिस तरह से बात करते हुए इधर-उधर हो रहा था उसके पेट में बना तंबू बड़े आराम से सुगंधा को अपने निकम्भों पर रगड़ हुआ महसूस हो रहा था और उसकी रगड़ सेवा पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी और इस बात का एहसास अंकीत को भी था लेकिन वह जरा भी अपने कम को पीछे लेने की शुध नहीं ले रहा था,,, अंकित अपनी हरकत से अपनी मां की बुर को पानी पानी कर दिया था,,, सुगंधा भी मदहोश होते हैं पीछे की तरफ देखकर अपने बेटे की आंखों में आंखें डाल कर बोली थी और उसकी बातें सुनकर अंकित भी अपनी मां की आंख में आंख डालकर बोला,,,)
तो अबक्या,,,, धीरे से अपनी साड़ी कमर तक उठाओ ताकि आराम से सही नाप लिया जा सके,,,,।
(अपने बेटे की हिम्मत और उसकी बात को सुनकर सुगंधा का दिल जोरो से धड़कने लगा वह अपने बेटे की हिम्मत पर गदगद हुए जा रही थी,,,, और अपने बेटे की बात सुनकर वह किसी बहस पर उतरे बिना ही अपनी साड़ी को धीरे से ऊपर की तरफ उठने लगी और लगातार अपने बेटे की आंखों में आंखें डाल कर उसके जोश को बढ़ाते हुए धीरे-धीरे अपनी कमर तक साड़ी उठा ली और बोली,,,।)
चल अब ठीक से नाप ले ले,,,,।
(अपनी मां की हरकत देखकर अंकित की हालत एकदम से खराब हो गई थी उसकी सांसे गहरी चल रही थी और उसकी हालत ऐसी हो गई थी मानो जैसे काटो तो खून नहीं वह एकदम जम सा गया था,,, इस समय उसकी मां अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी नंगी गांड को अपने बेटे की आंखों के सामने करती थी लेकिन फिर भी अंकित अपनी मां की नंगी गांड नहीं बल्कि अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को ही देख रहा था उसकी आंखों में डूबता चला जा रहा था,,,० तभी उसकी मां दुबारा बोली,,,)
ले ले नाप साड़ी उठा दि हुं,,,,।
(इस बार अपनी मां की आवाज सुनकर जैसे वह होश में आया हो और एकदम से हडबडाते हुए बोला,,)
हां,,, मम्मी,,,,।
(और इतना कहने के साथ फिर से हुआ घुटनों के बल बैठ गया उसकी आंखों के सामने उसकी मां की नंगी गांड थी एकदम मदहोश कर देने वाली गोरी गोरी उसे पर बिल्कुल भी दाग धब्बे नहीं थे एकदम मक्खन मुलायम की तरह चिकनी,,अंकीत का मन तो कर रहा था कि,,, इसी समय अपनी मां की नंगी गांड की फांकों के बीच अपनी नाक डालकर रगड़ दे फिर भी अपने आप को संभालते हुए गहरी सांस लेते हुए वह नाप पट्टी को उसके जांघों के बीचो-बीच रखते हुए वापस पट्टी को दूसरी तरफ घूमाने लगा,,, सुगंधा अपने बेटे की तरफ नजर घुमा कर उसे देख रही थी और अंदर ही अंदर खुश हो रही थी,,,,, लेकिन अंकित अपनी मां की तरफ नहीं देख रहा था उसका पूरा ध्यान अपनी मां की नंगी गोरी गांड पर ही था,,,, अंकित पट्टी को दूसरी तरफ घूमाने लगा और पहले की तरह इस बार भी पट्टी को दूसरी तरफ ले जाते हुए अंकित अपनी मां की गांड से एकदम से फट गया इस बार उसकी गांड नंगी थी बेपर्दा थी बिना साड़ी के थी,,, और जैसे ही सुगंध को एहसास हुआ किसका बेटा उसकी गांड से एकदम लिपट सा गया है उसकी बुर उत्तेजना के मारे फूलने पिचकने लगी,,।
अंकित की बाहों में तो मानो सारे जहां की खुशी आ गई हो तो पूरी तरह से मदहोश हो क्या और अपनी मां की गांड के बीचों बीच अपनी नाक रखकर गहरी सांस लिया मानो के जैसे अपनी मां की जवानी को उसके बदन से जवानी की खुशबू को निचोड़ कर वह इत्र की तरह अपने अंदर बसा लेना चाहता हो,,, अंकित कि इस हरकत को सुगंधा अपनी आंखों से देख रही थी और गदगद हुए जा रही थी,,,। अंकित की हरकत से उसके बदन में कसमाशाहट हो रही थी क्योंकि वह अपने चेहरे को पूरी तरह से उसकी नंगी गांड पर सटाया हुआ था सुगंधा भी उसी तरह से अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी,,, और देखते ही देखते अपनी मां के नितंबों का आनंद लेते हुए अंकित अपनी मां का नाप ले ही लिया,,,,, और इस बार बिना कुछ बोले उठकर खड़ा हो गया लेकिन सुगंधा एक अजीब से एहसास में पूरी तरह से डूबी हुई थी अपने बेटे का खड़े होने का एहसास उसे हुआ ही नहीं,,,, ।
अंकित अपनी मां के चेहरे की तरफ देख रहा था उसकी आंखें बंद थी एक अजीब से ख्याल में डूबी हुई थी अभी भी वह कमर तक साड़ी उठाए हुए खड़ी थी उसकी नंगी गांड देखकर करो अपने पेट में बने हुए तंबू को देखकर अंकित से रहने दिया और भाई कदम आगे होगा और उसका तंबू सीधे जाकर उसकी मां की नंगी गांड से टकरा गया रगड़ खाने लगा एकदम से सुगंधा की आंखें खुली और गहरी सांस लेते हुए एकदम से मदहोश हो गई अपने बेटे के तंबू को अपनी गांड पर रगड़ हुआ महसूस करके वह एक बार फिर से झड़ गई उसकी बुर से मदन रस की बौछार होने लगी और गहरी सांस लेते हुए वह अपनी साड़ी को ऐसे छोड़ दी मानो जैसे खूबसूरत नाटक पर पर्दा गिर गया हो,,,, पर एकदम से मदहोशी भरे स्वर में बोली,,,।
ले लिया नाप,,,,।
हांमम्मी,,,,(और पट्टी में योग्य अंक पर अपना हाथ रखे हुए अपनी मां की तरफ दिखाते हुए बोला)
अब तो तुझे दिक्कत नहीं आएगी ना खरीदने में,,,।
बिल्कुलभी नहीं,,,,।
Apni ma ki chudai karta hua ankit
चलो जल्दी से ज्यादा देर हो रही है तु 5 मिनट लेट हो चुका है,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर दीवार में टंगी हुई घड़ी की तरफ देखकर वह भी बोला,,,)
सच में मैं तो लेट हो गया,,,,,।
(इतना कहकर वह भी अपना बैग उठाकर घर से बाहर निकल गया वैसे तो अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवान देखकर उसका जाने का मन नहीं कर रहा था लेकिन फिर भी जाना जरूरी था,,,, और जैसे ही अंकित घर से निकला सुगंधा अपनी साड़ी उठाकर अपनी बुर की हालत को देखने लगी जो की पूरी तरह से पानी मे डूब चुकी थी जल्दी से एक रुमाल से सुगंधा अपनी बुर साफ की और उसे धोकर सूखने के लिए टांग फिर जल्दी से अलमारी में से अपनी एक पेंटिं निकाली और उसे पहन कर स्कूल की तरफ चल दी,,,।