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Incest मुर्दों का जजी़रा

Naughtyrishabh

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12.....




इस वक़्त हम सब एक चबूतरे के इर्द गिर्द खड़े थे , ढोल नगाड़े अभी भी अपनी चरम ध्वनि से बज रहे थे... चबूतरे के बीचों बीच एक विशाल वृक्ष किसी देव वृक्ष की मानिंद विराजमान था....वृक्ष की ऊंचाई नापने की मेने काफी कोशशि करी लेकिन वृक्ष इतना ज्यादा घना था कि सूर्य की रोशनी भी उसमे से छन नही पा रही थी.... एक खास बात और थी इस वृक्ष की इस वृक्ष में एक भी पत्ता नहीं था बस गहरे रक्त रंग के पुष्पों से ही आच्छादित था वह...

अचानक ढोल नगाड़ों की ध्वनि शांत हो गयी....काबिले वाले हम सब को देख कर अभी भी खुसर फुसर कर रहे थे....नोखा मेरे साथ ही खड़ा था क्योंकी एक वही व्यक्ति था जो हमारी भाषा जानता था...

एक बुजुर्ग जिसने कमर में उसी पेड़ के पुष्पो से बनी झालर से अपना निचला हिस्सा छिपा रखा था, वह हाथ में एक मजबूत लाठी लिए भीड़ को चीरता हुआ चबूतरे की तरफ बढ़ा....

दिखने में शायद ये इस काबिले का मुखिया या यहां का मुख्य पुजारी था जिसे देख सभी जहां खड़े थे वहीं अपने घुटनों पर बैठ गए....

मुझे लगा शायद हमे भी अपने घुटनों के बल बैठना चाहिए लेकिन मेरी सोच को पढ़ते हुए नोखा बोला....

"" नही साहब....आपको बैठने की जरूरत नही हैं....ये वाकू के पुजारी हैं वह आप लोगो से कुछ बात करेंगे और उसके बाद आप अपने काम पर लग सकते हो....""




नोखा अपनी बात कह फिर से अपना ध्यान उस चबूतरे की तरफ कर देता हैं जहां से वह बुजुर्ग व्यक्ति कुछ कहने वाला था.....

अगले ही पल वो बुजुर्ग पुजारी अपनी बातें कहने लगता है जो कि हमारी समझ से बिल्कुल परे थी इसलिए मैं आस भरी नज़रो से नोखा को देखने लगता हूँ ताकि वो हमें बात सके कि आखिर वो पुजारी कह क्या रहा है....

पुजारी ने कुछ देर अपने कबीले के लोगों को निर्देश दिए उसके बाद उसने हमारी तरफ देखते हुए बोलना शुरू किया....


उनका भाषण खत्म होने के बाद नोखा अपनी जगह से खड़ा हुआ और पुजारी के पास जाकर उनके चरणों में मस्तक झुका दिया....पुजारी ने नोखा के सर पर स्नेह से हाथ फेरा और नोखा वहां से उठ कर मेरी तरफ चला आया....


नोखा - पुजारी जी कह रहें है कि आप सभी का इस कबीले में स्वागत हैं....उनका कहना हैं कि वह आप सब को अपना आशीष देना चाहते है ....उनका यह भी कहना है कि अगर आप किसी तरह की शारीरिक या मानसिक परेशानी में हो तो वह उसका निवारण भी आपके लिए कर देंगे....

राज - वाह ये तो अच्छी बात है....हम सब जरूर पुजारी जी का आशीर्वाद लेंगे....

इतना कह मेने मां और नेहा , प्रिया की तरफ देखा तो उन्होंने ने भी सहमति जाहिर कर दी....तद्पश्चात हम चारों ओर पीछे पीछे नोखा पुजारी जी की तरफ चल पड़े....


सबसे पहले मां ने पुजारी जी से आशीर्वाद लिया और उन्होंने मां के सर पर हाथ रखते हुए ये कहा....

"" राकू रा नअस अतु ""

पुजारी जी ने कहा और नोखा ने तुरंत अनुवाद भी कर दिया....
"" विरह की मारी मां ""
हम सभी जानते थे कि मां पिताजी से बेहद प्रेम करती थी और उनके जाने के बाद वह कैसे तिल तिल करके अंदर ही अंदर जलती हैं....


मां को पुजारी जी ने अपने झोले से निकाल कर एक फल दिया जो मां ने पुजारी जी का आशीर्वाद समझ कर रख लिया.....

अब बारी थी नेहा की....नेहा की आंख पर अभी भी पट्टी बंधी हुई थी और आंख के साइड से अभी भी काला पन नज़र आ रहा था....

नेहा ने पुजारी के कदमों मैं अपना सर झुकाया ओर पुजारी ने उसके सर पर हाथ रख ये कहा.....

"" एगो पानो संस्तल कतिबो ""

नोखा ने तुरंत अनुवाद किया....

"" अपने प्रेम के लिए कष्ट उठाने वाली ""


नोखा की बात सुनते ही प्रिया के चेहरे के भाव बड़ी तेजी से बदलने लगे....प्रिया को देख मुझे डर सा लगा इसलिए मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया....

लेकिन प्रिया ने बड़बड़ाते हुए अपने शब्द बोल ही दिए जो बस मुझे ही समझ आए....

प्रिया - अपने प्रेम के लिए नही अपनी हवस के लिए दूसरों को कष्ट देने वाली चुड़ैल है ये ....


नेहा अब वापस आकर हमारे साथ खड़ी हो गयी लेकिन जैसे ही मेने पुजारी का आशीर्वाद लेने जाने के लिए अपना कदम आगे बढ़ाया नोखा ने मुझे ये कहते हुए रोक लिया....

नोखा - साहब पहले हमारी बहनो को आशीर्वाद लेने दो उसके बाद पुजारी जी आपसे मिलेंगे....


नोखा की बात सुन मेने अपने कदम फिर से पीछे खींच लिए ओर प्रिया को जाने को कहा....


प्रिया ने पुजारी के चरण स्पर्श करें और पुजारी ने मुस्कुराते हुए प्रिया के सर पर हाथ फेरते हुए कहा....


"" क्रुनो तंमती ध्रुस्ता अष्टो परकीया ""


जिसका अनुवाद मेरे पास खड़े नोखा ने तुरतं कर दिया....

"" असंभव को संभव बनाने वाली , निर्मल हृदय वाली ""


नोखा के आखिरी शब्द सुन मेरे चेहरे पर हँसी आ गयी...."" निर्मल हृदय वाली :lol: ""

अभी तक पुजारी ने जो कुछ भी कहा था उसका अनुवाद नोखा ने सिर्फ मुझे बताया था ....इसलिए किस के लिए पुजारी जी ने अशीर्क़द देने के बाद क्या शब्द कहे थे वह बस मुझे ही पता था....

मेरा नंबर आ गया था इसलिए मैं आगे बढ़कर पुजारी जी का आशीर्वाद लेने के लिए जाने लगा....

मैने जैसे ही पुजारी के पैरों को छुआ ...पुजारी ने घबराते हुए अपने कदम पीछे खींच लिए और बस उनके मुह से बस यही शब्द निकले.....

"" करतप नाती कताबहु ""

नोखा के पास इस वक़्त मां खड़ी थी और नोखा ने जो अनुवाद मां को किया वह उन्हें बेहोश कर देने के लिए काफी था....

मां कटे वृक्ष की भांति जमीन पर गिर पड़ी ....मेरे साथ साथ कबीले वाले भी मां की ये दशा देख चिंतित हो उठे....मैने सर उठा के पुजारी की तरफ देखा लेकिन वो अब वहां नही थे इसलिए मैं तुरंत दौड़ता हुआ मां के पास पहुँचा ओर उनका सर अपनी गोद में लेकर उनके गालों पर थपकी मारने लगा....नेहा ओर प्रिया लगातार अपनी चुन्नी से मां को हवा देने लगती है....

में - मां क्या हुआ मां....ऐसे मत करो मां प्लीज उठ जाओ....उठो ना मां....

में बस यही सब लगातार दोहराए जा रहा था...तभी एक कबीले की स्त्री नारियल के खाली खोल में कुछ पेय पदार्थ ले कर आई....जिसे नोखा ने थोडा सा मां के चेहरे पर छिड़का और बाकी बचे पेय को मां के होंठों से लगा दिया.....

मां ने धीरे से अपनी आंखें खोली ओर जब उनकी नज़र मेरे चेहरे पर पड़ी तो उनकी आंखें ओर ज्यादा फैलने लगी.....

नोखा - मां जी ....

नोखा की आवाज सुन मां ने नोखा की तरफ देखा जो अपने दोनों हाथ जोड़े अपनी गर्दन हिलाए जा रहा था....


में ऐसा करते हुए नोखा को तो नही देख पाया लेकिन मां की व्यग्रता नोखा की आवाज सुनके काफी हद्द तक शांत हो चुकी थी....

मां अब होश मैं आ चुकी थी और खड़े होने की कोशिश करने लगी लेकिन जो स्त्री मां के लिए वह पेय पदार्थ लायी थी उसने मां को ऐसे ही लेटे रहने का इशारा कर दिया.....

मुझे अभी तक समझ नही आ रहा था कि एक दम से ऐसा क्या हुआ जो मां इस तरह मूर्छित हो गई....

नोखा ने एक क़बीले वाले को इशारा करके अपने पास बुलाया और नोखा उसे कुछ समझाने लगता है....फिर उसको विदा करने के बाद मुझ से कुछ कहने लगता है....

नोखा - मां को कुछ नही हुआ है साहब वह अब ठीक हैं.....मां को पालकी में बिठा कर आपके रहने की जगह ले चलते है ....आप लोगो के लिए खाना मेरे घर से आ जाएगा इसलिए अब हमें चलना चाहिए....


मैंने मां को अपनी गोद मे उठाना चाहा पर मां ने ये कह कर इनकार कर दिया कि वह अब ठीक है और खड़ी हो सकती है....इसलिए मैने मां को सहारा देकर खड़ा किया और पालकी की तरफ ले जाने लगा....

मां , नेहा और प्रिया अपनी अपनी पालकी में बैठ चुकी थी जिसे कबीले के मर्द उठाये हुए थे.......जबकि मैं और नोखा भैंसा गाड़ी जिस पर हमारा समान भी लदा हुआ था पालकीयो के आगे आगे चल रहे थे...


घने जंगल से गुजरती हमारी गाड़ी तकरीबन आधे घंटे तक जंगल के ऊबड़ खाबड़ रास्तों पर चलते हुए अपनी मंजिल तक पहुची....


लकड़ी का बना एक महल नुमा घर जोकि जंगल के भीतर ही था अब मेरी आँखों के सामने था.....उस घर को कुछ इस तरह बनाया गया था कि वहां लगे एक भी पेड़ को नुकसान न होने पाए.....पिल्लर की जगह विशाल पेड़ों के जीवित तने थे यानी कि वह घर जमीन से तकरीबन सात फ़ीट ऊंचा बना हुआ था और उसे किसी भी लिहाज से एक ट्री हॉउस कहना गलत नही होगा....

सबसे पहले नोखा अपनी गाड़ी से नीचे उतरा और एक की कार्ड मेरे हाथों में सौंपते हुए कहने लगा.....

नोखा - साहब ये आपके घर की चाबी ...में सामान ऊपर तक रख देता हु क्योंकि इस से आगे जाने की इजाजत मुझे नही है....आप ये चाबी उस पेड़ पर बने बक्से में लगा दो उसके बाद आप खुद समझ जाओगे की आगे क्या करना है....


राज वह की कार्ड अपने हाथ में थामे उस घर के सामने लगे एक पेड़ की तरफ बढ़ जाता हैं जहां वह बॉक्स लगा हुआ था.....

बॉक्स को खोल कर जब राज अंदर झांकता है तो वहां एक मशीन लगी हुई थी जिसमे कार्ड स्वेप करना होता है..
.


मां नेहा और पायल भी अब अपनी अपनी पालकियों से नीचे उतर चुकी थी इसलिए मैंने एक बार उनकी तरफ मुस्कुरा कर देखा और हाथ में पकड़ा वो की कार्ड स्वाइप कर दिया....

कार्ड स्वाइप करते ही एक दम से घर की सारी लाइट्स जल उठी....कोई ये उम्मीद भी नही कर सकता कि इस बियाबान में इतना आलीशान महल टाइप घर किसी ने बनाया होगा.....

लाइट्स ऑन होते ही एक हल्की सी आवाज के साथ एक लिफ्ट ऊपर से नीचे आई जिसे देख मैने कुछ राहत की सांस ली क्योकि मैं अभी तक यही सोच रहा था कि इतना ऊपर तक हम लोग आखिर चढ़ेंगे कैसे.....लेकिन लिफ्ट ने मेरे इस सवाल का जवाब बड़ी आसानी से दे दिया....


जैसे ही ऊपर जाकर लिफ्ट रुकी हम घर की गैलरी में आ गए थे ....नोखा ने दीवार पर लगा एक बटन पुश किया तो वहां दो मशीने चलने लगी जैसा कि हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन पर लगेज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए मशीन होती है....

एक मशीन का रंग नीला था जबकि एक मशीन का रंग लाल....मैने जब उस से इन मशीनों के बारे में पूछा तो उसने बस इतना कहा....

"" साहब नीले रंग वाली मशीन आप लोगो का सामान स्टोर रूम मैं पहुंचा देगी और लाल वाली मशीन लेब का सामान लेब तक....""

नोखा कि बात सुनकर मैंने उस से कहा....

"" नोखा तुमने कभी अंदर जाकर लेब को देखा है....??""

मेरे सवाल का नोखा ने बड़ा सधा हुआ जवाब दिया....

"" नहीं साहब.....मुझे बस यही तक आने की इजाजत है पुजारी जी द्वारा....उन्होंने कहा है कि अगर कोई चीज छुपी हुई है तो बिना वजह उसके बारे में जानना उचित नही होता है ""

यहां छुपी हुई चीज का मतलब टॉप सिक्रेट से था जो कि नोखा के कहने का मतलब बनता था...इसलिए मैंने भी ज्यादा बात को नही बढ़ाया और नोखा की सामान डालने में मदद करने लगा.....


घर वास्तव में बाहर से काफी सुंदर दिखाई दे रहा था....लेकिन इतने बडे घर की देखभाल के लिए भी तो कोई होगा....या फिर लेब के सारे रख रखाव करने वाला कोई खेर जो भी है इन सब का जवाब आपको अगले अपडेट में मिल जाएगा तब तक के लिए अपने सुझाव और शिकायतें आप मुझे कमैंट्स के माध्यम से दे सकते है...
Behad hi shandar or jabardast update bhai.
Bahut khoob superb.

Nokha to ek achha anuvadak ki bhoomika nibha raha h lekin n jane aisa kya kahi diya usne ya yun kah le ki pujari ji ki baton ka n jane kya anuvad kiya ki ma hi behosh ho gayi.
To is dweep par aadhunik suvidhaye bhi uplabdh h.
Kya hota h aage aage dekhne wali baat hogi.
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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इस वक़्त हम सब एक चबूतरे के इर्द गिर्द खड़े थे , ढोल नगाड़े अभी भी अपनी चरम ध्वनि से बज रहे थे... चबूतरे के बीचों बीच एक विशाल वृक्ष किसी देव वृक्ष की मानिंद विराजमान था....वृक्ष की ऊंचाई नापने की मेने काफी कोशशि करी लेकिन वृक्ष इतना ज्यादा घना था कि सूर्य की रोशनी भी उसमे से छन नही पा रही थी.... एक खास बात और थी इस वृक्ष की इस वृक्ष में एक भी पत्ता नहीं था बस गहरे रक्त रंग के पुष्पों से ही आच्छादित था वह...

अचानक ढोल नगाड़ों की ध्वनि शांत हो गयी....काबिले वाले हम सब को देख कर अभी भी खुसर फुसर कर रहे थे....नोखा मेरे साथ ही खड़ा था क्योंकी एक वही व्यक्ति था जो हमारी भाषा जानता था...

एक बुजुर्ग जिसने कमर में उसी पेड़ के पुष्पो से बनी झालर से अपना निचला हिस्सा छिपा रखा था, वह हाथ में एक मजबूत लाठी लिए भीड़ को चीरता हुआ चबूतरे की तरफ बढ़ा....

दिखने में शायद ये इस काबिले का मुखिया या यहां का मुख्य पुजारी था जिसे देख सभी जहां खड़े थे वहीं अपने घुटनों पर बैठ गए....

मुझे लगा शायद हमे भी अपने घुटनों के बल बैठना चाहिए लेकिन मेरी सोच को पढ़ते हुए नोखा बोला....

"" नही साहब....आपको बैठने की जरूरत नही हैं....ये वाकू के पुजारी हैं वह आप लोगो से कुछ बात करेंगे और उसके बाद आप अपने काम पर लग सकते हो....""




नोखा अपनी बात कह फिर से अपना ध्यान उस चबूतरे की तरफ कर देता हैं जहां से वह बुजुर्ग व्यक्ति कुछ कहने वाला था.....

अगले ही पल वो बुजुर्ग पुजारी अपनी बातें कहने लगता है जो कि हमारी समझ से बिल्कुल परे थी इसलिए मैं आस भरी नज़रो से नोखा को देखने लगता हूँ ताकि वो हमें बात सके कि आखिर वो पुजारी कह क्या रहा है....

पुजारी ने कुछ देर अपने कबीले के लोगों को निर्देश दिए उसके बाद उसने हमारी तरफ देखते हुए बोलना शुरू किया....


उनका भाषण खत्म होने के बाद नोखा अपनी जगह से खड़ा हुआ और पुजारी के पास जाकर उनके चरणों में मस्तक झुका दिया....पुजारी ने नोखा के सर पर स्नेह से हाथ फेरा और नोखा वहां से उठ कर मेरी तरफ चला आया....


नोखा - पुजारी जी कह रहें है कि आप सभी का इस कबीले में स्वागत हैं....उनका कहना हैं कि वह आप सब को अपना आशीष देना चाहते है ....उनका यह भी कहना है कि अगर आप किसी तरह की शारीरिक या मानसिक परेशानी में हो तो वह उसका निवारण भी आपके लिए कर देंगे....

राज - वाह ये तो अच्छी बात है....हम सब जरूर पुजारी जी का आशीर्वाद लेंगे....

इतना कह मेने मां और नेहा , प्रिया की तरफ देखा तो उन्होंने ने भी सहमति जाहिर कर दी....तद्पश्चात हम चारों ओर पीछे पीछे नोखा पुजारी जी की तरफ चल पड़े....


सबसे पहले मां ने पुजारी जी से आशीर्वाद लिया और उन्होंने मां के सर पर हाथ रखते हुए ये कहा....

"" राकू रा नअस अतु ""

पुजारी जी ने कहा और नोखा ने तुरंत अनुवाद भी कर दिया....
"" विरह की मारी मां ""
हम सभी जानते थे कि मां पिताजी से बेहद प्रेम करती थी और उनके जाने के बाद वह कैसे तिल तिल करके अंदर ही अंदर जलती हैं....


मां को पुजारी जी ने अपने झोले से निकाल कर एक फल दिया जो मां ने पुजारी जी का आशीर्वाद समझ कर रख लिया.....

अब बारी थी नेहा की....नेहा की आंख पर अभी भी पट्टी बंधी हुई थी और आंख के साइड से अभी भी काला पन नज़र आ रहा था....

नेहा ने पुजारी के कदमों मैं अपना सर झुकाया ओर पुजारी ने उसके सर पर हाथ रख ये कहा.....

"" एगो पानो संस्तल कतिबो ""

नोखा ने तुरंत अनुवाद किया....

"" अपने प्रेम के लिए कष्ट उठाने वाली ""


नोखा की बात सुनते ही प्रिया के चेहरे के भाव बड़ी तेजी से बदलने लगे....प्रिया को देख मुझे डर सा लगा इसलिए मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया....

लेकिन प्रिया ने बड़बड़ाते हुए अपने शब्द बोल ही दिए जो बस मुझे ही समझ आए....

प्रिया - अपने प्रेम के लिए नही अपनी हवस के लिए दूसरों को कष्ट देने वाली चुड़ैल है ये ....


नेहा अब वापस आकर हमारे साथ खड़ी हो गयी लेकिन जैसे ही मेने पुजारी का आशीर्वाद लेने जाने के लिए अपना कदम आगे बढ़ाया नोखा ने मुझे ये कहते हुए रोक लिया....

नोखा - साहब पहले हमारी बहनो को आशीर्वाद लेने दो उसके बाद पुजारी जी आपसे मिलेंगे....


नोखा की बात सुन मेने अपने कदम फिर से पीछे खींच लिए ओर प्रिया को जाने को कहा....


प्रिया ने पुजारी के चरण स्पर्श करें और पुजारी ने मुस्कुराते हुए प्रिया के सर पर हाथ फेरते हुए कहा....


"" क्रुनो तंमती ध्रुस्ता अष्टो परकीया ""


जिसका अनुवाद मेरे पास खड़े नोखा ने तुरतं कर दिया....

"" असंभव को संभव बनाने वाली , निर्मल हृदय वाली ""


नोखा के आखिरी शब्द सुन मेरे चेहरे पर हँसी आ गयी...."" निर्मल हृदय वाली :lol: ""

अभी तक पुजारी ने जो कुछ भी कहा था उसका अनुवाद नोखा ने सिर्फ मुझे बताया था ....इसलिए किस के लिए पुजारी जी ने अशीर्क़द देने के बाद क्या शब्द कहे थे वह बस मुझे ही पता था....

मेरा नंबर आ गया था इसलिए मैं आगे बढ़कर पुजारी जी का आशीर्वाद लेने के लिए जाने लगा....

मैने जैसे ही पुजारी के पैरों को छुआ ...पुजारी ने घबराते हुए अपने कदम पीछे खींच लिए और बस उनके मुह से बस यही शब्द निकले.....

"" करतप नाती कताबहु ""

नोखा के पास इस वक़्त मां खड़ी थी और नोखा ने जो अनुवाद मां को किया वह उन्हें बेहोश कर देने के लिए काफी था....

मां कटे वृक्ष की भांति जमीन पर गिर पड़ी ....मेरे साथ साथ कबीले वाले भी मां की ये दशा देख चिंतित हो उठे....मैने सर उठा के पुजारी की तरफ देखा लेकिन वो अब वहां नही थे इसलिए मैं तुरंत दौड़ता हुआ मां के पास पहुँचा ओर उनका सर अपनी गोद में लेकर उनके गालों पर थपकी मारने लगा....नेहा ओर प्रिया लगातार अपनी चुन्नी से मां को हवा देने लगती है....

में - मां क्या हुआ मां....ऐसे मत करो मां प्लीज उठ जाओ....उठो ना मां....

में बस यही सब लगातार दोहराए जा रहा था...तभी एक कबीले की स्त्री नारियल के खाली खोल में कुछ पेय पदार्थ ले कर आई....जिसे नोखा ने थोडा सा मां के चेहरे पर छिड़का और बाकी बचे पेय को मां के होंठों से लगा दिया.....

मां ने धीरे से अपनी आंखें खोली ओर जब उनकी नज़र मेरे चेहरे पर पड़ी तो उनकी आंखें ओर ज्यादा फैलने लगी.....

नोखा - मां जी ....

नोखा की आवाज सुन मां ने नोखा की तरफ देखा जो अपने दोनों हाथ जोड़े अपनी गर्दन हिलाए जा रहा था....


में ऐसा करते हुए नोखा को तो नही देख पाया लेकिन मां की व्यग्रता नोखा की आवाज सुनके काफी हद्द तक शांत हो चुकी थी....

मां अब होश मैं आ चुकी थी और खड़े होने की कोशिश करने लगी लेकिन जो स्त्री मां के लिए वह पेय पदार्थ लायी थी उसने मां को ऐसे ही लेटे रहने का इशारा कर दिया.....

मुझे अभी तक समझ नही आ रहा था कि एक दम से ऐसा क्या हुआ जो मां इस तरह मूर्छित हो गई....

नोखा ने एक क़बीले वाले को इशारा करके अपने पास बुलाया और नोखा उसे कुछ समझाने लगता है....फिर उसको विदा करने के बाद मुझ से कुछ कहने लगता है....

नोखा - मां को कुछ नही हुआ है साहब वह अब ठीक हैं.....मां को पालकी में बिठा कर आपके रहने की जगह ले चलते है ....आप लोगो के लिए खाना मेरे घर से आ जाएगा इसलिए अब हमें चलना चाहिए....


मैंने मां को अपनी गोद मे उठाना चाहा पर मां ने ये कह कर इनकार कर दिया कि वह अब ठीक है और खड़ी हो सकती है....इसलिए मैने मां को सहारा देकर खड़ा किया और पालकी की तरफ ले जाने लगा....

मां , नेहा और प्रिया अपनी अपनी पालकी में बैठ चुकी थी जिसे कबीले के मर्द उठाये हुए थे.......जबकि मैं और नोखा भैंसा गाड़ी जिस पर हमारा समान भी लदा हुआ था पालकीयो के आगे आगे चल रहे थे...


घने जंगल से गुजरती हमारी गाड़ी तकरीबन आधे घंटे तक जंगल के ऊबड़ खाबड़ रास्तों पर चलते हुए अपनी मंजिल तक पहुची....


लकड़ी का बना एक महल नुमा घर जोकि जंगल के भीतर ही था अब मेरी आँखों के सामने था.....उस घर को कुछ इस तरह बनाया गया था कि वहां लगे एक भी पेड़ को नुकसान न होने पाए.....पिल्लर की जगह विशाल पेड़ों के जीवित तने थे यानी कि वह घर जमीन से तकरीबन सात फ़ीट ऊंचा बना हुआ था और उसे किसी भी लिहाज से एक ट्री हॉउस कहना गलत नही होगा....

सबसे पहले नोखा अपनी गाड़ी से नीचे उतरा और एक की कार्ड मेरे हाथों में सौंपते हुए कहने लगा.....

नोखा - साहब ये आपके घर की चाबी ...में सामान ऊपर तक रख देता हु क्योंकि इस से आगे जाने की इजाजत मुझे नही है....आप ये चाबी उस पेड़ पर बने बक्से में लगा दो उसके बाद आप खुद समझ जाओगे की आगे क्या करना है....


राज वह की कार्ड अपने हाथ में थामे उस घर के सामने लगे एक पेड़ की तरफ बढ़ जाता हैं जहां वह बॉक्स लगा हुआ था.....

बॉक्स को खोल कर जब राज अंदर झांकता है तो वहां एक मशीन लगी हुई थी जिसमे कार्ड स्वेप करना होता है..
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मां नेहा और पायल भी अब अपनी अपनी पालकियों से नीचे उतर चुकी थी इसलिए मैंने एक बार उनकी तरफ मुस्कुरा कर देखा और हाथ में पकड़ा वो की कार्ड स्वाइप कर दिया....

कार्ड स्वाइप करते ही एक दम से घर की सारी लाइट्स जल उठी....कोई ये उम्मीद भी नही कर सकता कि इस बियाबान में इतना आलीशान महल टाइप घर किसी ने बनाया होगा.....

लाइट्स ऑन होते ही एक हल्की सी आवाज के साथ एक लिफ्ट ऊपर से नीचे आई जिसे देख मैने कुछ राहत की सांस ली क्योकि मैं अभी तक यही सोच रहा था कि इतना ऊपर तक हम लोग आखिर चढ़ेंगे कैसे.....लेकिन लिफ्ट ने मेरे इस सवाल का जवाब बड़ी आसानी से दे दिया....


जैसे ही ऊपर जाकर लिफ्ट रुकी हम घर की गैलरी में आ गए थे ....नोखा ने दीवार पर लगा एक बटन पुश किया तो वहां दो मशीने चलने लगी जैसा कि हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन पर लगेज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए मशीन होती है....

एक मशीन का रंग नीला था जबकि एक मशीन का रंग लाल....मैने जब उस से इन मशीनों के बारे में पूछा तो उसने बस इतना कहा....

"" साहब नीले रंग वाली मशीन आप लोगो का सामान स्टोर रूम मैं पहुंचा देगी और लाल वाली मशीन लेब का सामान लेब तक....""

नोखा कि बात सुनकर मैंने उस से कहा....

"" नोखा तुमने कभी अंदर जाकर लेब को देखा है....??""

मेरे सवाल का नोखा ने बड़ा सधा हुआ जवाब दिया....

"" नहीं साहब.....मुझे बस यही तक आने की इजाजत है पुजारी जी द्वारा....उन्होंने कहा है कि अगर कोई चीज छुपी हुई है तो बिना वजह उसके बारे में जानना उचित नही होता है ""

यहां छुपी हुई चीज का मतलब टॉप सिक्रेट से था जो कि नोखा के कहने का मतलब बनता था...इसलिए मैंने भी ज्यादा बात को नही बढ़ाया और नोखा की सामान डालने में मदद करने लगा.....


घर वास्तव में बाहर से काफी सुंदर दिखाई दे रहा था....लेकिन इतने बडे घर की देखभाल के लिए भी तो कोई होगा....या फिर लेब के सारे रख रखाव करने वाला कोई खेर जो भी है इन सब का जवाब आपको अगले अपडेट में मिल जाएगा तब तक के लिए अपने सुझाव और शिकायतें आप मुझे कमैंट्स के माध्यम से दे सकते है...
:superb: :good: amazing update hai vijay bhai
 

Mr. Perfect

"Perfect Man"
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:congrats: For new story bhai_______
Shandar story hai. Maine sare update padh daale iske aur ab man me ye janne ki jigyasa hai ki is jajire par in logo ko kaise kaise romanch aur muskilo se gujarna hoga. Nokha ka character badhiya laga. Pujari ne sabko asirwad diya. Priya neha aur raj ki maa ko bhi lekin maa ko aisa kya sunne ko mil gaya ki wo achanak hi behosh ho gai thi_______
Raj ka bhai to gandu ban chuka hai jo ki uski biwi ne hi use apni hi banai hui dawa se bana diya tha. Aise aadmi ke sath yahi hona chahiye tha. Priya to aaj bhi raj se pyar hi karti hai aur ab ki situation ke hisaab se lagta hai raj use mil hi jayega lekin neha ka reaction dekhne layak hoga kyo ki wo priya ko like nahi karti hai balki uske dil me uska bhai hai jisse wo pyar karti hai. Aise me wo kabhi nahi chahegi ki priya uske bhai aur pyar ko usse chheen le. Maa ko bhi abhi nahi pata hai ki priya ke man me kya hai apne bhai ke liye lekin ek din to pata chalega hi kyo ki mujhe lagta hai ki situation jaldi hi badalne wali hai________
Jajire me jo prakrati ne apna rahasya bana rakha hai uske bare me raj kya aur kaise pata lagata hai ye bhi dekhne layak hoga. Yaha se story aur bhi jyada maja aane wala hai. Bas ek hi request hai bhai ki update dene me jyada late lapaat na karna baaki story kafi shandar hai________


सभी दोस्तों को तहे दिल से नमस्कार.... वैसे तो मुझे पता है कि आपमें से अधिकतर लोग मुझ से नाराज होंगे क्योंकि मैंने इस फोरम पर एक भी स्टोरी कंप्लीट नहीं करी , दोस्तों मैं अपना रोना आप सब के सामने ना रो कर बस इतना कहना चाहता हूं कि जीवन में कुछ परेशानियां ऐसी होती है जो ना सिर्फ आपको तोड़ कर चूर चूर कर देती है बल्कि कहीं ना कहीं वो आपका पूरा जीवन भी उजाड़ कर देती हैं.....बस सोच लीजिए ऐसी ही कुछ परेशानियों से मजबूती से मुकाबला कर रहा था आपका दोस्त....

अब आते है इस कहानी के उपर.....xp के मेरे कई दोस्त डैथ आइलैंड के बारे में जानते है जो कि एक एडल्ट थ्रिलर कॉमेडी स्टोरी थी....मेरे पास उस स्टोरी का पीडीएफ नहीं है वरना आप समझ जाते की वह स्टोरी किस तरह की थी.....लेकिन उस कहानी के बिल्कुल उलट ये एक इंसेस्ट थ्रिलर स्टोरी है जो कि मुसीबतों में भी रोमांस और भावनाओं को उभार कर प्रस्तुत करेगी.....उम्मीद है ये स्टोरी आपको पसंद आएगी और हमेशा की तरह इस बार भी आप मेरा साथ जरूर देंगे....एक बार फिर से आप सभी का आभार
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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सातवां टोना....



ट्रेन अभी ठीक से रुकी भी नहीं थी कि मुझे बाहर से किसी ने आवाज लगाई ।

" साहब ये किताब ले लो साहब ,सिर्फ 10 रुपए की ही तो है साहब ।"
मैंने एक बार किताब बेचने वाले की तरफ देखा कोई 36 या फिर 37 साल का अधेड़ युवा, जिसकी दाढ़ी भी अब धीरे धीरे सफेद सी होने लगी थी।
मैंने विनम्र हो कर कहा..
"दोस्त मुझे इस तरह की किताब पढ़ने में कोई रुचि नहीं है,तुम मुझ पर अपना समय व्यर्थ ना करो !"
" साब सातवां टोना है इसमें, एक बार पढ़के तो देखिए मैं शर्त लगा के कह सकता हूं कि आप मुझ से 8 वें टोने के बारे में पूछने जरूर आओगे ।"
मैंने एक ठंडी सांस ली और कहा ।
"देखो दोस्त वैसे मुझे जरूरत नहीं है , लेकिन तुम्हारी कोशिश के आगे दस रुपए का कोई मूल्य नहीं है ,में इस किताब का मुखपृष्ठ पढूंगा , और में थोड़ा सा भी प्रभावित हुआ तो तुमसे में ये किताब ले लूंगा ।"
मेरी बात सुन कर उसके चेहरे पर सूरज कि तरह चमक आ गई , उसने सहर्ष अपनी मुंडी हिला दी ।
मैंने अब पहला पन्ना पढ़ना शुरू कर दिया।

"आप सभी ने अक्सर टोने टोटके का जिक्र सुना होगा।
टोटका कभी भी दुख या बाधा का प्रतीक नहीं रहा है,टोटका हमेशा लाभ अर्जित करने या परिवार को सुरक्षित रखने की आस्था का प्रतिरूप है, या कुछ इस तरह से कहे की ये एक कवच का भी काम करता है,खेर हम टोटके रूपी बहस को ज्यादा महत्व ना ही दे तो ये ज्यादा अच्छा है।
अभी मेंने इतना ही पढ़ा था कि ट्रेन का कान फाड़ू हॉर्न बज उठा,मैने उस लड़के की तरफ देखा जो हॉर्न की आवाज सुनकर घबरा सा गया था,शायद उसे लगा होगा कि अब मैं ये किताब उस से नहीं लूंगा लेकिन किसी का दिल तोड़ना मेरे उसूलों के खिलाफ है, इसलिए फुर्ती दिखाते हुए मैंने जेब से 20 का नोट निकाला और उसे दे दिया उस लड़के ने मुझे बचे हुए पैसे वापस देने चाहे लेकिन मैंने लेने से मना कर दिया..,ट्रेन अब चल पड़ी थी और भीड़ की रेलमपेल में वो व्यक्ति मेरी आंखो से ओझल हो गया।
गंतव्य तक पहुंचने में मुझे अभी और तीन घंटे लगने वाले थे इसलिए एक लम्बी सांस लेकर मैने वो किताब पढ़नी शुरू करी ।

"" दुश्मन से अगर पीछा छुड़ाना हो तो उबले हुए चावल की पांच पिंडी , मुर्गे के ताज़ा खून मैं डूबा कर दुश्मन के घर में फेंक दो ,दुश्मन का सर्वनाश हो जाएगा।""
ये पढ़ते ही अचानक मेरे मुंह से निकल गया
"" कटवा लिया खुद का चुतिआ और करो भलाई ।""
खुद को कोसते हुए मैने वो किताब अपनी बगल में लुढ़का दी और बाहर के नज़ारे देखने लगा।
पिछले 8 घंटे से में सफर कर रहा था , और बोरियत मुझ पे इतनी हावी हो चुकी थी कि सामने बैठे हुए बुजुर्ग का मर्डर कैसे किया जाए में उसका प्लान बनाने से भी नहीं चुका ,में अपना माथा झटक के खड़ा हुआ और ट्रेन में बने शौचालय कि तरफ बढ़ गया ,और वहां से निवृत हो कर फिर से में अपनी सीट पे जा बैठा ,और फिर से वह किताब उठा के पढ़ने लगा ।
"" रूठी मेहबूबा या रूठे मेहबूब को मानने के लिए तिल्ली के तेल में मछली फ्राई करके खिलाओ वो हमेशा के लिए आपकी/आपका हो जाएगा..""
मेंने अब अपना सिर पीट लिया....क्या बकवास किताब थी ये एक बार तो मन किया की इसको खिड़की से बाहर फेंक दूं लेकिन अभी काफी लंबा सफर था इसलिए मैंने अपने सीने पे पत्थर रखते हुए उसे फिर से पढ़ना शुरू किया...अगला पन्ना पलटते ही मुझे कुछ अलग लिखा हुआ नजर आया जो कि एक कहानी की तरह लिखा गया था..मैने उसे पढ़ना शुरू किया।
""अगर ऐसे ही इस घर में चलता रहा तो में जरूर पागल हो जाऊंगा,तुम में से कोई भी घर में शांति से नहीं रह सकता क्या,हर समय बस चीख चिलाहट,अम्मा कुछ तो लिहाज करो अपनी उम्र का इस उम्र में इतना झगड़ा करोगी तो स्वर्ग के दरवाजे भी नहीं खुलेंगे तुम्हारे लिए और एक ये तेरा पोता सारा दिन रोता रहता है ...कभी कभी तो ऐसा लगता है कि खुद को खत्म कर दू या तुम सब को।""
बरामदे के कोने में सहमी सी खड़ी कविता अपने पति गुस्सा देख थर थर कांपे जा रही थी, और इसी कंपकपाहट मैं पानी से भरा स्टील का ग्लास उसके हाथ से फिसल जाता है।
"टनन्न टनन टन न न न"
ग्लास के गिरने की आवाज़ सुन के राहुल और बुरी तरह भन्ना जाता है ,और अपने परिवार को कोसते हुए घर से बाहर बढ़ जाता है ।
पनवाड़ी की दुकान से सिगरेट अभी राहुल जला ही पाया था कि उसके कानों में एक आवाज पड़ी।
" रमेश तुझे पता है अपने नदी वाले श्मशान में एक पहुंचे हुए तांत्रिक आए हुए है , लेकिन उन से मिलने में बस एक समस्या है ...उन से मिलने के लिए आप के साथ एक स्त्री का होना आवश्यक है।
मेरे कान ये बात सुनकर खड़े हो गए , में तुरंत वहां से निकला और घर पहुंच कर कविता को बताया और अपने साथ ले कर सीधा श्मशान का रुख कर लिया ।
हमारा नंबर आते आते रात के 8 बज चुके थे और अब हम आखिरी दुखियारे ही थे, जो उस तांत्रिक के सम्मुख विराजमान थे ।
"" बाबा में परेशान हो चुका हूं अपने परिवार से , हर समय बस चीख चिल्लाहटे ही घर में रहती है , कृपा करके कोई समाधान करें ।""
बाबा ने एक भरपूर नजर हम दोनों मिया बीवी पे डाली और अपने सामने रखे पात्र से कुछ उठा के हम दोनों को खाने के लिए दिया ।
बिना सोचे समझे कविता और मैने वो बाबा का प्रशाद समझ के खा लिया,और थोड़ी ही देर बाद मुझे एक तेज़ झटका लगा ।
कविता अपनी जगह से खड़ी हो कर अपने कपड़े उतारना शुरू कर चुकी थी, और ना जाने में भी कब खड़ा हुआ और पूरी तरह निर्वस्त्र हो गया ।
"" मुझे तुम दोनों का काम रस इस पात्र में एक साथ चाहिए, इसलिए समय व्यर्थ ना करो और काम क्रीड़ा शुरू करो ।""
हम दोनों एक दूसरे से आलिंगन बद्घ हो कर जुड़ गए और फिर उसे अपने घुटनों के बल बिठा के पीछे से धक्के लगाने लगा तकरीबन पंद्रह मिनट तक धक्के लगाने के बाद मैंने अपना सिर उठाया और तभी मैने देखा बाबा अपनी जगह से उठे और अपनी धोती निकाल कर कविता के मुख के सामने खड़े हो गए , उनके भीषण विशाल लिंग को देखते ही मैं थरथराने लगा और जोर जोर से सांस लेते हुए झडने लगा , कविता अभी भी झड़ी नहीं थी इसलिए उसने अपनी योनि बाबा को समर्पित कर दी , लगभग 35 मिनट बाबा और कविता की काम क्रीड़ा देखते रहने के बाद मैंने बाबा के मुंह से एक हुंकार सुनी और कविता भी अपने चरम पे पहुंच के थरथराने लगी...
किताब में कहानी पढ़ते पढ़ते मैंने अपने बुरी तरह से कसमसाते हुए लिंग को एडजस्ट किया और आगे पढ़ने लगा...
बाबा ने एक पात्र कविता की योनि के नीचे रख दिया जिस से टपकता हुआ काम रस उस पात्र में एकत्रित होने लगा , जल्दी ही पात्र में काफी ज्यादा मात्रा में काम रस इकट्ठा हो चुका था , बाबा ने दो चार चीज़ें उस पात्र में और मिलाई और अपने समीप शांति से बैठे मुर्गे की गरदन एक झटके में उड़ा दी , अब बाबा उस मुर्गे का खून भी उस पात्र में भरने लगे और पूरी तरह पात्र भरने के बाद उसे अपने सामने जल रहे हवन कुंड की लकड़ियों के उपर रख सब्जी की तरह चलाने लगे.....
सेक्स सीन जल्दी खत्म होने का मुझे जरा भी अंदाजा नहीं था...अभी मेंने सोचा ही था कि शौचालय में जाकर लिंग की अकड़ निकली जाए लेकिन यहां तो सेक्स सीन ही ख़तम हो गया...इसलिए मैंने नाराजगी में अपनी मुंडी हिलाते हुए आगे पढ़ना शुरू किया...
तकरीबन दस मिनट बाद चिमटे की मदद से बाबा ने वो पात्र आग से बाहर निकाला और उसमे बने गाढ़े द्रव्य को एक बोतल में भर दिया....

बाबा ने मुझ बोतल देते हुए कहा
""ये सातवां टोना है , इसे अपने घर के कोने मै रखना और अब तुम लोग अपने वस्त्र पहन के घर जा सकतें हो ..कोई परेशानी हो तो सुबह यही चले आना ""
हम लोग खुशी खुशी बाबा से आज्ञा लेकर घर की तरफ बढ़ गए और वह बोतल घर के एक कोने में रख शांति से नींद के आगोश में खो गए...
सुबह मुझे अहसास हुआ कि कोई मुझे जोर जोर से हिला रहा है मैंने आंखे खोल के देखा तो सामने कविता अपने मुंह से ना जाने क्या कहने का प्रयास कर रही थी , मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था..पूरे घर में शांति फेली हुई थी ना मुझे अम्मा की चिक चिक सुनाई दे रही थी और ना ही मुन्ने का रोना....मुझे कुछ भी समझ नहीं आया कि आखिर ये हो क्या रहा है....मै कुछ बोलने की कोशिश भी करता तो मुझे मेरी खुद की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी...
मेरा सिर भन्नाने लगा था अब...कविता के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे मैंने अम्मा की तरफ देखा तो वो भी कुछ कह रही थी लेकिन मुझे सुनाई कुछ नहीं दे रहा था....मैंने अपनी आंखे बंद कर ली और कल की सभी बातें मुझे एक एक करके याद आने लगी...
""नहीं नहीं ये मैंने क्या कर डाला""
मन मै सोचते हुए मैंने शमशान की तरफ दौड़ लगा दी जहां वह बाबा अभी भी विराजित थे
मुझे देखते ही बाबा मुस्कुरा उठे...और यहां आनें का कारण पूछने लगे...
आश्चर्य की बात थी ये क्योंकि इस वक़्त बाबा ने जो कहा मुझे सुनाई दे गया...
मेंने रोते रोते बाबा को अपना हाल सुनाया और मेरी बात सुन कर बाबा बोले...
"" ये सातवा टोना है इसे वापस नहीं लिया जा सकता लेकिन एक रास्ता और भी है , तुम्हे एक कहानी लिखनी होगी जिसमें कल से आज तक का सारा वृत्तांत हो...और उस किताब को तुम्हे किसी ऐसे व्यक्ति को बेचना होगा जो तुम्हारी किताब देखकर तुमसे वह खरीद ले... बेचने से मिली रकम तुम्हे अपनी प्रिय चीज या खाने पीने की कोई भी चीज में खर्चनी होगी....तुम्हारे ऊपर से टोना उतर जाएगा.. लेकिन किताब के आखिर में तुम्हे कुछ और भी लिखना होगा जिसे पढ़ने पर खरीदने वाले के उपर ये टोना हावी हो जाए""
मैंने झट से बाबा से पूछा
" क्या बाबा ?"
और उन्होंने कहा
"" किया कराया अब सब मुझ पर ""

तभी एक झटके से ट्रेन रुकी...मेरा ध्यान अब किताब से बाहर था लेकिन मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था...मेरे सामने बैठे हुए बुजुर्ग मुझे बड़ी अजीब नज़रों से देख रहे थे...में चिल्लाने की कोशिश करने लगा लेकिन तब भी मुझे कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा था....मुझे जोर जोर से चिल्लाता देख उस बुजुर्ग व्यक्ति ने इसका कारण जानने के लिए मेरा हाथ पकड़ा और अपने होंठ हिलाने लगे ....मुझे अब कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था...मुझे घबराया देख उस बुजुर्ग ने मुझे पीने के लिए पानी दिया...मैंने वो सारा पानी अपनी एक सांस मै ही खाली कर दिया जैसे मैं जन्मों से प्यासा हूं...शायद मेरे चीखने की आवाजे सुनकर हर कोई वाहा पहुंच गया था....
मैंने अपनी हाथ में पकड़ी उस किताब को देखा और फुट फुट के रोने लगा....लेकिन जल्दी ही खुद को संभालते हुए मैंने वो किताब फिर से खोली और उसका आखिरी पन्ना फिर से पढ़ने लगा...
"" ये सातवा टोना है इसे वापस नहीं लिया जा सकता लेकिन एक रास्ता और भी है , तुम्हे एक कहानी लिखनी होगी जिसमें कल से आज तक का सारा वृत्तांत हो...और उस किताब को तुम्हे किसी ऐसे व्यक्ति को बेचना होगा जो तुम्हारी किताब देखकर तुमसे वह खरीद ले... बेचने से मिली रकम तुम्हे अपनी प्रिय चीज या खाने पीने की कोई भी चीज में खर्चनी होगी....तुम्हारे ऊपर से टोना उतर जाएगा.. लेकिन किताब के आखिर में तुम्हे कुछ और भी लिखना होगा जिसे पढ़ने पर खरीदने वाले के उपर ये टोना हावी हो जाए"
" क्या बाबा ?"
और उन्होंने कहा
"" किया कराया अब सब मुझ पर """

ये सब पढ़ने के बाद मुझे समझ आ चुका था कि सातवां टोना मुझ पे चढ़ाया जा चुका है...तभी तो वो आदमी जिसने मुझे ये किताब बेची उसने कहा था कि आठवां टोना जानने आप मुझे ढूंढ़ते हुए आओगे...शायद आठवां टोना ही सातवें टोने की काट है...मैंने ट्रेन के डिब्बे में एक दो लोगो को वो किताब हवा में लहराकर दिखाई लेकिन शायद उन लोगो को मेरे हाथ में वो किताब दिख ही नहीं रहीं थीं...में बुरी तरह से अब इस मुसीबत में फस चुका था...मैंने अपने दिमाग के घोड़े हर तरफ दौड़ाने शुरू किए और जल्दी ही मुझे समझ आ गया कि आठवां टोना क्या है....कैसे अब मुझे इस मुसीबत से बाहर निकलना है अब में ये भी समझ चुका था...
मैंने अपना लैपटॉप उठाया और आज पूरे दिन से जो भी मेरे साथ हुआ उसको एक कहानी का रूप दे दिया...और कहानी के आखिर में ये लिखना बिल्कुल भी नहीं भुला...
"" किया कराया अब सब मुझ पर ""
मैंने पूरी कहानी पीडीएफ मै उतारी और कहानी के टाइटल पे 50 रुपए का टैग लगा कर एक ऑनलाइन बुक साइट पे बिकने के लिए छोड़ दी...
तकरीबन एक घंटे तक वेबसाइट में सिर खपाते रहने के बाद भी मेरी बुक अभी तक नहीं बिकी थी इसलिए मैंने उस साइट पे 500 रुपए की एक बुक के लिए 450 रुपए एडवांस ट्रांसफर किए और जैसे ही मेरे वॉलेट में 50 रुपए और आएंगे 500 रूप्ए वाली बुक मेरी हो जाएगी...
यही सब करते करते मेरी आंख लग गई और जब जागा तो अपने सामने मौजूद वृद व्यक्ति को मुस्कुराते देखा...मै उनसे कुछ कहने ही वाला था कि उनकी आवाज मेरे कानो में पड़ी...
"" अब तबीयत कैसी है तुम्हारी....मेरे हिसाब से अब तुम ठीक लग रहे हो...""
मेंने मुस्कुरा कर उनको धन्यवाद कहा और लैपटॉप ओपन कर के उस वेबसाइट को खोल के देखने लगा....
700 लोग सातवां टोना खरीद चुके थे लेकिन मैंने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि मेरी पसंद की बुक का पीडीएफ मेरी मेल आईडी पे पहुंच चुका था...

घर पहुंच चुका था में अब और न्यूज चैनल जैसे ही मैंने चलाया मेरे पैरों के नीचे से धरती खिसक चुकी थी...

"" दुनिया पे आज एक बहुत बड़ा आतंकी हमला हुआ है ... दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी ना जाने कैसे बहरी हो गई....किस तरह के हथियार का उपयोग हुआ है , और ये हमला किसने करवाया इसका अभी तक कोई जवाब नहीं मिल पाया है , जिन लोगो के साथ ये दुखद घटना हुई है उन लोगों में से कुछ ने हमें बताया कि ये सब कुछ किसी सातवां टोना नामक किताब की वजह से उनके साथ हुआ है....जब हमारी तकनीकी टीम ने इस बारे में जानकारी निकालनी चाही तो सातवां टोना नामक पुस्तक हर भाषा में उपलब्ध है....एक पेनी से लेकर एक रुपए तक इसकी कीमत बताई जा रही है हर बुक वेबसाइट पर...ये बुक सब से पहले किसने पोस्ट करी इसके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं है....""

"" किया कराया अब सब मुझ पर ""



**दुनिया में फ़ैल रहा ध्वनि प्रदूषण भी किसी सातवें टोने से कम नहीं है**
सातवां टोना.... ये कहानी यहा कैसे आ गई...:slap:
 

Nevil singh

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पूरे द्वीप का चक्कर लगाने के बाद हेलीकॉप्टर एक जगह स्थिर हो कर उतरने लगता है....

वैसे तो इस द्वीप पर काफी सारी जगह ऐसी थी जहां हेलीपैड बनाया जा सकता था लेकिन यहां कोई भी स्थाई हेलीपैड ना होने
की वजह सिर्फ इतनी थी कि ये एक टॉप सीक्रेट द्वीप था....

हेलीपैड या किसी भी प्रकार का निर्माण इस द्वीप को दुनिया के सामने ला सकता था जो कि गवर्मेंट कभी नहीं चाहेगी.....

एक समतल जगह पर हेलीकॉप्टर लेंड हो चुका था जिसमे से सबसे पहले प्रिया बाहर निकली...अपना सर नीचे किए प्रिया तेज़ी से हेलीकॉप्टर के पंखों की सीमा से बाहर निकल गई.... और उसकी देखा देखी सभी बारी बारी से बाहर निकल कर आ गए ....

कुछ ही क्षणों बाद पायलेट भी हेलीकॉप्टर का इंजन बंद करके राज के परिवार के साथ में ही खड़ा था....

राज - मुझे यहां कोई लेब दिखाई नहीं दे रही...?? और ना ही हमारे यहां रुकने का कोई इंतजाम...

पायलेट ने राज की तरफ मुस्कुरा कर देखा और कहा....


"" सर थोड़ा इंतजार करें , वह आता ही होगा...""


अभी राज पायलेट से "" वह "" का मतलब पूछ पाता उस से पहले ही एक भैसा गाड़ी पेड़ों के झुरमुट से बाहर आती नजर आईं....

काले रंग का विशालकाय भेंसा इस वक्त ऐसा प्रतीत हो रहा है था जैसे कोई बॉडी बिल्डर अपना वर्क आउट संपन्न कर इठला रहा हो... और भैंसे को हांकने वाला व्यक्ति भी उस भैंसे से कम प्रतीत नहीं हो रहा था.....
गाड़ी उन सब के सामने आ कर रूकी और गाड़ी हांकने वाला बंदा गाड़ी पर से उतर कर राज के सामने खड़ा था....


तकरीबन साढ़े छह फीट का वह मुसंड बिल्कुल गंजा था... कमर के नीचे उसने रिबॉक का शॉर्ट जरूर पहन रखा था लेकिन ऊपर से बिल्कुल नंगा था वह.....बलिष्ट शरीर का स्वामी वो व्यक्ति उन लोगो के सामने इस तरह से खड़ा था जैसे कि कोई पहाड़ हो....

पायलेट - सर ये हैं नोखा.....इस जजीरे पर एकमात्र ऐसा व्यक्ति जो हमारी भाषा समझता है और अच्छे से बोल भी लेता है...

पायलेट - नोखा ये राज सर और उनका परिवार है.....अब से कुछ महीने ये इस द्वीप पर ही रहेंगे .....अपने काबिले वालों से भी इनकी मुलाकात करवा देना ताकि इन्हे यहां किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो....


पायलट की बात सुन नोखा खुशी के मारे उछलने लगा और अपनी ही भाषा में कोई लोक गीत गाता हुआ वहीं सबके सामने नाचने लगा....

नोखा को इस तरह मदमस्त होकर नाचता देख सभी के चेहरों पर मुस्कान आ गई....

सुमन - वाह ....जितना सुंदर ये द्वीप उतने ही अच्छे यहां के लोग.....उधर शहर में तो किसी को किसी से कोई मतलब ही नहीं और यहां देखो हम अजनबियों के यहां रहने की खुशी में ये कैसे मतवाला हो रहा है....


सुमन की बात सुन नोखा ने कहा

""हमारे लिये यहाँ आने वाले सभी लोग वाकू ( उनके ईश्वर का नाम ) के बराबर हैं...अब देखना यहां के लोग जब आपसे मिलेंगे तो आपका स्वागत कैसे करेंगे.....""

इतना कह नोखा ने पायलेट की तरफ रुख किया और पायलट उसे कुछ समझाने लगा....

राज और उसका परिवार समंदर की आती जाती लहरों को देखने लगे थे जबकि नोखा हेलीकॉप्टर से सामान उतार कर अपनी भैंसा गाड़ी पर चढ़ाने लगता है.....

प्रिय - कितना सुकून हैं ना मां यहां....दिल करता है हमेशा के लिए यहीं बस जाए...

सुमन - तू सच कह रही है प्रिया....इतना सुकून अगर किसी इंसान को मिले तो वो ऐसी जगह से कभी कहीं नही जाए...

अभी कुछ मिनट ही बीते थे कि जंगल के अंदर से ढोल नगाड़ों की ध्वनि सुनाई देने लगी....

ढोल नगाड़ों की आती ध्वनि ने सबका ध्यान जंगल की तरफ कर दिया जबकि नोखा ओर पायलट के चेहरे पर मुस्कान उमड़ पड़ी....

राज - ये शोर कैसा है नोखा....??

राज के सवाल का उत्तर नोखा ने हंस कर दिया....

"" आप बस देखते जाइये हमारा काबिला मेहमानों का स्वागत किस तरह से करता है ..।""

इतना कह नोखा भी ढोल नगाड़ों की आती आवाज की तरफ तेज़ी से दौड़ पड़ा...राज ओर उसका परिवार और भागते हुए नोखा को बस आश्चर्य से ही देखते रह गए...

तकरीबन एक मिनट ही बीता था कि पेड़ों के झुरमुटों से सजी धजी दो भैंसा गाड़ी और निकल आई....गाड़ियों के पीछे नाचते गाते काबिले के लोग किसी उत्सव की तरह उल्लसित हो रहे थे....

जब प्रिया की नज़र उन नाचते हुए काबिले वालों पर पड़ी तो शर्म के मारे उसकी निगाहें जमीन में गड गयी....

सभी काबिले वालों ने अपना तन ढकने के लिए नीचे के हिस्से पर बस जानवरो की खाल पहन रखी थी बाकी ऊपर से पूरी तरह से नग्न....

राज - अरे बाप रे....इस सब की तो मैंने उम्मीद ही नहीं करी थी.... ये तो सारे के सारे ऐसे ही नंगे नाच रहे हैं...यहां तक कि महिलाएं भी ऊपर से पूरी तरह नंगी हैं...

पायलट - ये सब बड़े सीधे लोग हैं सर....बाहर की दुनियां से इनका कोई लेना देना नही हैं....और ना ही बाहर की दुनिया की परंपरा को ये मानते हैं.... इनके अपने नियम हैं अपना कानून है जो इस वक़्त आप लोगो पर भी लागू होगा , यही एक शर्त इनकी है कि इनके साथ कोई जबरदस्ती ना करी जाए....इन्हे अपने कानून और सभ्यता के साथ रहने दिया जाए बस यही इनकी पहली और आखिरी मांग थी इस द्वीप पर लेब बनाने को लेकर....

राज - तो क्या मुझे भी इनकी तरह नंगा घूमना होगा सर....

राज की बात सुन पायलट मुस्कुरा उठा और मुस्कुराते हुए अपनी बात कहने लगा...

पायलट - नहीं सर ऐसा कुछ भी नहीं हैं....आप यहां जैसे चाहे रह सकते हैं आप पर कोई रोक टोक नहीं होगी बस एक बार आप काबिले के पुजारी से मिल लोगे तो वह आपको यहां के कुछ सामान्य नियम बता देंगे जिन्हें निभाना किसी के लिए भी बहुत आसान होगा....

पायलट की बात सुन राज ने राहत की सांस ली....उसने अपनी मां की तरफ देखा तो पाया कि सुमन और नेहा आपस में खुसर फुसर कर रही थी जबकि प्रिया शर्माते हुए लगातार मुस्कुराए जा रही थी....


इस वक़्त काबिले के सभी लोगो ने पायलट समेत सब को घेर रखा था....काबिले की लड़कियां नजरें चुरा चुरा कर कभी राज को देखती कभी प्रिया , सुमन और नेहा के यौवन पर मोहित हो जाती....राज को देख कुछ नावयोवनाएँ अपना सीना मसलने लगती....बड़ा ही अजीब माहौल हो गया था इस वक़्त....

अभी ये शोर शराबा थमा ही था कि नोखा ने सब को भैंसा गाड़ी मैं बैठने का निमंत्रण दिया जिसे पूरे परिवार ने स्वीकार कर लिया...लेकिन गाड़ी में बैठने से पहले राज पायलट से कुछ बात करना चाहता था इस लिए वह भीड़ से अलग एक शांत जगह ले गया....


राज - सर ये बली वली तो नही चढ़ा देंगे न हमारी..... क्योंकि मुझे अब कुछ भी समझ नही आ रहा है कि मैं क्या करूँ....

पायलट - आप चिंता मत कीजिये सर आपको यहां रत्ती भर भी तक़लीफ़ नही होगी...अब आप लोग इन सब के साथ जाइये और मुझे भी अब आज्ञा दें....एक बात और में आपसे कहना चाहता हूँ....

राज - कोनसी बात सर....?

पायलट - हमारे शहर और इस द्वीप के टाइम में काफी अंतर है....यहां सूर्य सिर्फ आठ घंटे ही दिखाई देता है ऒर बाकी समय यहां रात ही रहती है....अब आप सोच रहें होंगे कि अगर सूर्य इतने कम समय के लिए यहां रहता है तो यह जगह ठंडी या बर्फ से भरी हुई क्यो नही है....तो इसका बड़ा साधारण सा सवाल है अभी जो रास्ते में हमने तूफान देखा था उसी की वजह से यहां अंधेरा जल्दी हो जाता है अब इसे कुदरत का चमत्कार कहें या विज्ञान के लिए शोध का विषय लेकिन इस द्वीप पर सूर्य होते हुए भी सूर्य दिखाई नही देता....एक तरह से आप कह सकते है जैसे कुछ घण्टो के लिए यहां एक आर्टिफिशियल रूफ का निर्माण हो जाता है जो सूर्य की रोशनी भी द्वीप पर नही पड़ने देती....इसके अलावा और कोई बात नही है जिसके बारे में आपको जानना चाहिए....

राज पायलट की बात सुनकर चकरा सा गया था....वो बस मुह फाड़े पायलट की तरफ ही देखे जा रहा था....

तभी राज के कानो में प्रिया की आवाज सुनाई दी....एक क्षण नही लगाया राज ने उस दिशा में घूमने के लिए....

प्रिया इस वक़्त एक पालकी में मौजूद थी जिसे काबिले की कुछ औरतों ने उठा रखा था जबकि नेहा और राज की मां एक अलग पालकी में थी....प्रिया राज को देख मुस्कुरा उठी ....

पायलट - जाओ सर...अपने परिवार के साथ जाओ ....

राज ने एक बार मुड़ कर पायलट की तरफ देखा और उसे यहां तक लाने के लिए शुक्रिया अदा किया...

राज अब काबिले वालों कि तरफ चलना शुरू कर चुका था जबकि पायलट अपने हेलीकाप्टर की सीट पर बैठ इंजिन स्टार्ट करने लगता है.....

हेलीकॉप्टर तेज गड़गड़ाहट के साथ स्टार्ट होता है ,और फिर से मुंबई की तरफ बढ़ जाता है , जल्दी ही राज भी उस भैंसा गाड़ी पर सवार हो जाता है और गाड़ी उसे लेकर जंगल की तरफ बढ़ जाती है


दोस्तों मेरे मोबाइल में हिंदी टाइपिंग की पता नहीं क्या हुआ मेरे इसको अभी भी मैं जो अपडेट लिखा है मैंने वॉइस इंस्ट्रक्शन देखे लिखा है इसलिए काफी सारी गलतियां होंगी और अपडेट छोटा भी है कोशिश करूंगा कि जल्दी ही मेरे मोबाइल में आई समस्या दूर हो जाए
damdaar update bhai
 

Nevil singh

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इस वक़्त हम सब एक चबूतरे के इर्द गिर्द खड़े थे , ढोल नगाड़े अभी भी अपनी चरम ध्वनि से बज रहे थे... चबूतरे के बीचों बीच एक विशाल वृक्ष किसी देव वृक्ष की मानिंद विराजमान था....वृक्ष की ऊंचाई नापने की मेने काफी कोशशि करी लेकिन वृक्ष इतना ज्यादा घना था कि सूर्य की रोशनी भी उसमे से छन नही पा रही थी.... एक खास बात और थी इस वृक्ष की इस वृक्ष में एक भी पत्ता नहीं था बस गहरे रक्त रंग के पुष्पों से ही आच्छादित था वह...

अचानक ढोल नगाड़ों की ध्वनि शांत हो गयी....काबिले वाले हम सब को देख कर अभी भी खुसर फुसर कर रहे थे....नोखा मेरे साथ ही खड़ा था क्योंकी एक वही व्यक्ति था जो हमारी भाषा जानता था...

एक बुजुर्ग जिसने कमर में उसी पेड़ के पुष्पो से बनी झालर से अपना निचला हिस्सा छिपा रखा था, वह हाथ में एक मजबूत लाठी लिए भीड़ को चीरता हुआ चबूतरे की तरफ बढ़ा....

दिखने में शायद ये इस काबिले का मुखिया या यहां का मुख्य पुजारी था जिसे देख सभी जहां खड़े थे वहीं अपने घुटनों पर बैठ गए....

मुझे लगा शायद हमे भी अपने घुटनों के बल बैठना चाहिए लेकिन मेरी सोच को पढ़ते हुए नोखा बोला....

"" नही साहब....आपको बैठने की जरूरत नही हैं....ये वाकू के पुजारी हैं वह आप लोगो से कुछ बात करेंगे और उसके बाद आप अपने काम पर लग सकते हो....""




नोखा अपनी बात कह फिर से अपना ध्यान उस चबूतरे की तरफ कर देता हैं जहां से वह बुजुर्ग व्यक्ति कुछ कहने वाला था.....

अगले ही पल वो बुजुर्ग पुजारी अपनी बातें कहने लगता है जो कि हमारी समझ से बिल्कुल परे थी इसलिए मैं आस भरी नज़रो से नोखा को देखने लगता हूँ ताकि वो हमें बात सके कि आखिर वो पुजारी कह क्या रहा है....

पुजारी ने कुछ देर अपने कबीले के लोगों को निर्देश दिए उसके बाद उसने हमारी तरफ देखते हुए बोलना शुरू किया....


उनका भाषण खत्म होने के बाद नोखा अपनी जगह से खड़ा हुआ और पुजारी के पास जाकर उनके चरणों में मस्तक झुका दिया....पुजारी ने नोखा के सर पर स्नेह से हाथ फेरा और नोखा वहां से उठ कर मेरी तरफ चला आया....


नोखा - पुजारी जी कह रहें है कि आप सभी का इस कबीले में स्वागत हैं....उनका कहना हैं कि वह आप सब को अपना आशीष देना चाहते है ....उनका यह भी कहना है कि अगर आप किसी तरह की शारीरिक या मानसिक परेशानी में हो तो वह उसका निवारण भी आपके लिए कर देंगे....

राज - वाह ये तो अच्छी बात है....हम सब जरूर पुजारी जी का आशीर्वाद लेंगे....

इतना कह मेने मां और नेहा , प्रिया की तरफ देखा तो उन्होंने ने भी सहमति जाहिर कर दी....तद्पश्चात हम चारों ओर पीछे पीछे नोखा पुजारी जी की तरफ चल पड़े....


सबसे पहले मां ने पुजारी जी से आशीर्वाद लिया और उन्होंने मां के सर पर हाथ रखते हुए ये कहा....

"" राकू रा नअस अतु ""

पुजारी जी ने कहा और नोखा ने तुरंत अनुवाद भी कर दिया....
"" विरह की मारी मां ""
हम सभी जानते थे कि मां पिताजी से बेहद प्रेम करती थी और उनके जाने के बाद वह कैसे तिल तिल करके अंदर ही अंदर जलती हैं....


मां को पुजारी जी ने अपने झोले से निकाल कर एक फल दिया जो मां ने पुजारी जी का आशीर्वाद समझ कर रख लिया.....

अब बारी थी नेहा की....नेहा की आंख पर अभी भी पट्टी बंधी हुई थी और आंख के साइड से अभी भी काला पन नज़र आ रहा था....

नेहा ने पुजारी के कदमों मैं अपना सर झुकाया ओर पुजारी ने उसके सर पर हाथ रख ये कहा.....

"" एगो पानो संस्तल कतिबो ""

नोखा ने तुरंत अनुवाद किया....

"" अपने प्रेम के लिए कष्ट उठाने वाली ""


नोखा की बात सुनते ही प्रिया के चेहरे के भाव बड़ी तेजी से बदलने लगे....प्रिया को देख मुझे डर सा लगा इसलिए मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया....

लेकिन प्रिया ने बड़बड़ाते हुए अपने शब्द बोल ही दिए जो बस मुझे ही समझ आए....

प्रिया - अपने प्रेम के लिए नही अपनी हवस के लिए दूसरों को कष्ट देने वाली चुड़ैल है ये ....


नेहा अब वापस आकर हमारे साथ खड़ी हो गयी लेकिन जैसे ही मेने पुजारी का आशीर्वाद लेने जाने के लिए अपना कदम आगे बढ़ाया नोखा ने मुझे ये कहते हुए रोक लिया....

नोखा - साहब पहले हमारी बहनो को आशीर्वाद लेने दो उसके बाद पुजारी जी आपसे मिलेंगे....


नोखा की बात सुन मेने अपने कदम फिर से पीछे खींच लिए ओर प्रिया को जाने को कहा....


प्रिया ने पुजारी के चरण स्पर्श करें और पुजारी ने मुस्कुराते हुए प्रिया के सर पर हाथ फेरते हुए कहा....


"" क्रुनो तंमती ध्रुस्ता अष्टो परकीया ""


जिसका अनुवाद मेरे पास खड़े नोखा ने तुरतं कर दिया....

"" असंभव को संभव बनाने वाली , निर्मल हृदय वाली ""


नोखा के आखिरी शब्द सुन मेरे चेहरे पर हँसी आ गयी...."" निर्मल हृदय वाली :lol: ""

अभी तक पुजारी ने जो कुछ भी कहा था उसका अनुवाद नोखा ने सिर्फ मुझे बताया था ....इसलिए किस के लिए पुजारी जी ने अशीर्क़द देने के बाद क्या शब्द कहे थे वह बस मुझे ही पता था....

मेरा नंबर आ गया था इसलिए मैं आगे बढ़कर पुजारी जी का आशीर्वाद लेने के लिए जाने लगा....

मैने जैसे ही पुजारी के पैरों को छुआ ...पुजारी ने घबराते हुए अपने कदम पीछे खींच लिए और बस उनके मुह से बस यही शब्द निकले.....

"" करतप नाती कताबहु ""

नोखा के पास इस वक़्त मां खड़ी थी और नोखा ने जो अनुवाद मां को किया वह उन्हें बेहोश कर देने के लिए काफी था....

मां कटे वृक्ष की भांति जमीन पर गिर पड़ी ....मेरे साथ साथ कबीले वाले भी मां की ये दशा देख चिंतित हो उठे....मैने सर उठा के पुजारी की तरफ देखा लेकिन वो अब वहां नही थे इसलिए मैं तुरंत दौड़ता हुआ मां के पास पहुँचा ओर उनका सर अपनी गोद में लेकर उनके गालों पर थपकी मारने लगा....नेहा ओर प्रिया लगातार अपनी चुन्नी से मां को हवा देने लगती है....

में - मां क्या हुआ मां....ऐसे मत करो मां प्लीज उठ जाओ....उठो ना मां....

में बस यही सब लगातार दोहराए जा रहा था...तभी एक कबीले की स्त्री नारियल के खाली खोल में कुछ पेय पदार्थ ले कर आई....जिसे नोखा ने थोडा सा मां के चेहरे पर छिड़का और बाकी बचे पेय को मां के होंठों से लगा दिया.....

मां ने धीरे से अपनी आंखें खोली ओर जब उनकी नज़र मेरे चेहरे पर पड़ी तो उनकी आंखें ओर ज्यादा फैलने लगी.....

नोखा - मां जी ....

नोखा की आवाज सुन मां ने नोखा की तरफ देखा जो अपने दोनों हाथ जोड़े अपनी गर्दन हिलाए जा रहा था....


में ऐसा करते हुए नोखा को तो नही देख पाया लेकिन मां की व्यग्रता नोखा की आवाज सुनके काफी हद्द तक शांत हो चुकी थी....

मां अब होश मैं आ चुकी थी और खड़े होने की कोशिश करने लगी लेकिन जो स्त्री मां के लिए वह पेय पदार्थ लायी थी उसने मां को ऐसे ही लेटे रहने का इशारा कर दिया.....

मुझे अभी तक समझ नही आ रहा था कि एक दम से ऐसा क्या हुआ जो मां इस तरह मूर्छित हो गई....

नोखा ने एक क़बीले वाले को इशारा करके अपने पास बुलाया और नोखा उसे कुछ समझाने लगता है....फिर उसको विदा करने के बाद मुझ से कुछ कहने लगता है....

नोखा - मां को कुछ नही हुआ है साहब वह अब ठीक हैं.....मां को पालकी में बिठा कर आपके रहने की जगह ले चलते है ....आप लोगो के लिए खाना मेरे घर से आ जाएगा इसलिए अब हमें चलना चाहिए....


मैंने मां को अपनी गोद मे उठाना चाहा पर मां ने ये कह कर इनकार कर दिया कि वह अब ठीक है और खड़ी हो सकती है....इसलिए मैने मां को सहारा देकर खड़ा किया और पालकी की तरफ ले जाने लगा....

मां , नेहा और प्रिया अपनी अपनी पालकी में बैठ चुकी थी जिसे कबीले के मर्द उठाये हुए थे.......जबकि मैं और नोखा भैंसा गाड़ी जिस पर हमारा समान भी लदा हुआ था पालकीयो के आगे आगे चल रहे थे...


घने जंगल से गुजरती हमारी गाड़ी तकरीबन आधे घंटे तक जंगल के ऊबड़ खाबड़ रास्तों पर चलते हुए अपनी मंजिल तक पहुची....


लकड़ी का बना एक महल नुमा घर जोकि जंगल के भीतर ही था अब मेरी आँखों के सामने था.....उस घर को कुछ इस तरह बनाया गया था कि वहां लगे एक भी पेड़ को नुकसान न होने पाए.....पिल्लर की जगह विशाल पेड़ों के जीवित तने थे यानी कि वह घर जमीन से तकरीबन सात फ़ीट ऊंचा बना हुआ था और उसे किसी भी लिहाज से एक ट्री हॉउस कहना गलत नही होगा....

सबसे पहले नोखा अपनी गाड़ी से नीचे उतरा और एक की कार्ड मेरे हाथों में सौंपते हुए कहने लगा.....

नोखा - साहब ये आपके घर की चाबी ...में सामान ऊपर तक रख देता हु क्योंकि इस से आगे जाने की इजाजत मुझे नही है....आप ये चाबी उस पेड़ पर बने बक्से में लगा दो उसके बाद आप खुद समझ जाओगे की आगे क्या करना है....


राज वह की कार्ड अपने हाथ में थामे उस घर के सामने लगे एक पेड़ की तरफ बढ़ जाता हैं जहां वह बॉक्स लगा हुआ था.....

बॉक्स को खोल कर जब राज अंदर झांकता है तो वहां एक मशीन लगी हुई थी जिसमे कार्ड स्वेप करना होता है..
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मां नेहा और पायल भी अब अपनी अपनी पालकियों से नीचे उतर चुकी थी इसलिए मैंने एक बार उनकी तरफ मुस्कुरा कर देखा और हाथ में पकड़ा वो की कार्ड स्वाइप कर दिया....

कार्ड स्वाइप करते ही एक दम से घर की सारी लाइट्स जल उठी....कोई ये उम्मीद भी नही कर सकता कि इस बियाबान में इतना आलीशान महल टाइप घर किसी ने बनाया होगा.....

लाइट्स ऑन होते ही एक हल्की सी आवाज के साथ एक लिफ्ट ऊपर से नीचे आई जिसे देख मैने कुछ राहत की सांस ली क्योकि मैं अभी तक यही सोच रहा था कि इतना ऊपर तक हम लोग आखिर चढ़ेंगे कैसे.....लेकिन लिफ्ट ने मेरे इस सवाल का जवाब बड़ी आसानी से दे दिया....


जैसे ही ऊपर जाकर लिफ्ट रुकी हम घर की गैलरी में आ गए थे ....नोखा ने दीवार पर लगा एक बटन पुश किया तो वहां दो मशीने चलने लगी जैसा कि हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन पर लगेज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए मशीन होती है....

एक मशीन का रंग नीला था जबकि एक मशीन का रंग लाल....मैने जब उस से इन मशीनों के बारे में पूछा तो उसने बस इतना कहा....

"" साहब नीले रंग वाली मशीन आप लोगो का सामान स्टोर रूम मैं पहुंचा देगी और लाल वाली मशीन लेब का सामान लेब तक....""

नोखा कि बात सुनकर मैंने उस से कहा....

"" नोखा तुमने कभी अंदर जाकर लेब को देखा है....??""

मेरे सवाल का नोखा ने बड़ा सधा हुआ जवाब दिया....

"" नहीं साहब.....मुझे बस यही तक आने की इजाजत है पुजारी जी द्वारा....उन्होंने कहा है कि अगर कोई चीज छुपी हुई है तो बिना वजह उसके बारे में जानना उचित नही होता है ""

यहां छुपी हुई चीज का मतलब टॉप सिक्रेट से था जो कि नोखा के कहने का मतलब बनता था...इसलिए मैंने भी ज्यादा बात को नही बढ़ाया और नोखा की सामान डालने में मदद करने लगा.....


घर वास्तव में बाहर से काफी सुंदर दिखाई दे रहा था....लेकिन इतने बडे घर की देखभाल के लिए भी तो कोई होगा....या फिर लेब के सारे रख रखाव करने वाला कोई खेर जो भी है इन सब का जवाब आपको अगले अपडेट में मिल जाएगा तब तक के लिए अपने सुझाव और शिकायतें आप मुझे कमैंट्स के माध्यम से दे सकते है...
chitaakarshit update hai bhai
 
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