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Incest मुर्दों का जजी़रा

aman rathore

Enigma ke pankhe
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13.......



सारा सामान रख कर नोखा लिफ्ट से वापस जा चुका था जबकि में उस ट्री हॉउस की मैन एंट्रेस की तरफ बढ़ गया.....दरवाजे के ठीक ऊपर की तरफ एक हाई डेफिनेशन क्लोज सर्किट कैमरा मुझे दिखाई दे गया......

वो कैमरा लगातार मूव हो रहा था इस से पता पड़ रहा था कि हम सब यहां अकेले नही रहने वाले .....कोई और भी है जो यहां की सुरक्षा व्यवस्था का ध्यान रखता है.....


मैंने दरवाजा को धक्का देके खोलने की कोशिश करी लेकिन दरवाजा टस से मस नही हुआ....तभी मेरी नज़र दरवाजे के पास बनी एक खाली जगह पर पड़ी जहां फिंगर प्रिंट सेंसर लगा हुआ था.....

मेने उस सेंसर पर अपनी पूरी हथेली रख दी और मेरी हथेली उस सेंसर पाए पड़ते ही वो प्रकाश से जगमगा उठा.....

अभी मुझे एक पल ही बीता होगा सेंसर पर हाथ रखे हुए तभी जहां सेंसर लगा हुआ था वहां से ठीक एक फ़ीट ऊपर एक छिद्र प्रकट हो गया.....उस छिद्र में से लगातार रोशनी निकल रही थी जो कि ठीक मेरी दोनों आंखों पर पड़ने लगी थी.....

कुछ दो सेकंड ही लगे होंगे उस रोशनी को मेरा रेटिना स्कैन करने मे की तभी दरवाजा अपने आप खुलता चला गया और एक मधुर आवाज भी उसी के साथ गूंज उठी.....

"" आपका स्वागत है मिस्टर राज ....मेरा नाम रुचि हैं और मैं अब से आपके प्रोजेक्ट में हर तरह की मदद करूँगी....""

ये आवाज सुनते ही में आश्चर्यचकित होते हुए इधर उधर देखने लगता हूँ लेकिन मुझे वहां कोई भी दिखाई नही दे रहा था , में अभी परेशान होता हुआ इधर उधर देख ही रहा था कि एक खनकती हँसी के साथ वह आवाज पुनः मेरे कानों में पड़ी.....


"" किसे ढूंढ रहे है आप...? में तो इस घर मैं हर जगह पर हु....चलिये अब आपको ज्यादा तंग न करते हुए में अपने बारे मै आपको परिचित करती हूं.....में एक सिक्स जनरेशन ऐ आई ( आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ) प्रोग्राम हूं.... मुझे इस लिए बनाया गया ताकि आपको कुछ भी करने के लिए कंप्यूटर से कुश्ती नही करनी पड़े.....मुझ मैं सोचने समझने की काबिलियत डाली गई है जिस वजह से मुझे किसी भी तरह का फैसला लेने के लिए किसी की कमांड की आवश्यकता नही है.....वैसे तो मैं अभी सिर्फ इस घर और लेब तक सीमित हु लेकिन जब आप चाहेंगे तब मैं हर वक़्त भी आपके साथ हो सकती हूं....""


रुचि की बात सुनकर मेरे आश्चर्य का ठिकाना ना रहा...आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काबिले तारीफ होती है लेकिन इतनी भी कारगर नही होती कि आपके सारे सवालों के जवाब उसके पास हो और जब ऐसे किसी प्रोग्राम में सोचने समझने की काबिलियत आ जाये तो सोने पे सुहागा....

अभी में उस से कुछ कहने ही वाला था कि प्रिया मेरे साथ आकर खड़ी हो गई और कहने लगी....

प्रिया - अरे वाह रुचि जी....आप तो बड़ी कमाल की हो....अब तो मुझे पढ़ाई करने के लिए किताब उठाने की भी जरूरत नही है मुझे पढ़ाने की जिम्मेदारी आज से आपकी....।

प्रिया कि बात खत्म ही हुई थी कि रुचि बोल पड़ी....


"" क्यों नही प्रिया....आप तो मेरी बहन जैसी हो....और आपका नाम भी कितना प्यारा है....प्रिया.....जो सबकी लाडली हो भला मुझे उसे पढ़ाने में क्यों जोर आएगा.....प्रिया अगर तुम्हें बुरा न लगे तो क्या मैं तुम्हे स्कैन कर सकती हूँ...??""


एक प्रोग्राम के मुहँ से अपना नाम सुनना प्रिया को आश्चर्य के सागर में गोते लगवा देने के लिए काफी था....लेकिन रुचि के दुबारा वही बात पूछने पर प्रिया जैसे नींद से जागी....

प्रिया - हां हां क्यों नही रुचि....तुम मुझे स्कैन भी कर सकती हो और अगर तुम्हारे मन मे कोई सवाल भी हो तो वह भी मुझ से पूछ सकती हो....।

"" हां जरूर पूछूंगी पहले एक बार आपको स्कैन तो कर लेने दो.....""

अभी रुचि ने अपनी बात खत्म करी ही थी कि ऊपर लगा हुआ क्लोज सर्किट कैमरे से नीले रंग की रोशनी निकल कर प्रिया को नहलाने लगी....कोई दस सेकण्ड ही लगे होंगे कि रुचि बोल उठी.....

"" क्या बात है प्रिया ....तुम तो छुपी रुस्तम निकली....चलिए आप पहले घर के अंदर आइये उसके बाद आपसे अकेले में बात करूँगी....""

रुचि कि बात खत्म होते ही प्रिया ने उछलते हुए मेरे एक गाल पर किस करी और भागते हुए घर के अंदर चली गयी.....

मां और नेहा अभी भी नीचे ही खड़े थे....नेहा लिफ्ट के पास खड़ी थी जबकि मां नोखा से कुछ बात करने में व्यस्त प्रतीत हो रही थी....


मेने ऊपर से ही मां को आवाज लगाई तो उन्होने एक बार मेरी तरफ देखा और नोखा को कुछ समझाते हुए नेहा के पास चली आई.....


में भी थोड़ा आगे चलकर लिफ्ट के दरवाजे के पास मां और नेहा का इंतजार करने लगता हूँ.....एक हल्के कम्पन्न के साथ लिफ्ट ऊपर उठ कर बॉलकोनी तक पहुँच जाती है और फिर में मां और नेहा के साथ घर के दरवाजे की तरफ बढ़ जाता हूं.....

"" मां जी प्रणाम.....""

सुमन और नेहा ये आवाज सुन चारों तरफ देखने लगती है लेकिन में उन्हें ज्यादा परेशान ना होने देकर रुचि के बारे में सब कुछ बता देता हूं.....आश्चर्य की बात थी कि रुचि मां , नेहा और प्रिया का नाम कैसे जान गई....

"" मां जी....अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं आपको स्कैन कर सकती हूं...""

मां - तुझे जो करना है गुड़िया कर ले.....बस जल्दी कर मुझे अभी खाना भी बनाना हैं...

इतना कह कर मां चुप हो गयी जबकि रुचि मां को स्कैन करते करते अपनी बात कहने लगी....

"" आज इस घर में आपका पहला दिन हैं....भला आज मैं कैसे आपको कोई काम करने दूंगी....मैं भी आपकी बेटी जैसी हु....आज आप सबको खाना मैं बना कर खिलाऊंगी...""

रुचि की बात सुनकर मां खिल खिला कर हस पड़ी....आज काफी दिनों बाद मां को इस तरह हँसते हुए देख रहा था मैं....लेकिन तभी अचानक क्या हुआ मां हँसते हंसते रुक गयी और तेज़ी से घर के अंदर बढ़ गयी.....

""बेचारी मां....अपने बेटे के लिए कितना दर्द झेल रही है....""

रुचि ने ये बात काफी लौ वोल्युम पर कही जिसे कम से कम मे और नेहा सुन नहीं पाए.....

नेहा - रुचि जी आपकी आज्ञा हो तो क्या में घर के अंदर जा सकती हूं.....??

"" अरे अरे रुकिए भी.....थोड़ा स्वागत तो करने दिजीये घर की बहू का......नेहा जी अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं आपको स्कैन कर सकती हूं....??""

नेहा ने ज्यादा कुछ नही कहा और बस अपनी मुंडी हिला दी.....

कैमरे से निकलती नीली रौशनी से नेहा स्कैन होने लगी लेकिन तभी रुचि ने कुछ कहा....

"" नेहा जी आपकी आंख अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी है....आप चाहे तो ये पट्टी हटा सकती है....""

नेहा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया.....

नेहा - आप कहती हो तो मैं जरूर ये पट्टी हटा दूंगी वेसे अगर आप बुरा ना माने तो क्या मै आपसे एक सवाल पूछ सकती हूं.....?? आपने हम सब को स्कैन किया ....क्या किसी तरह की बीमारी का पता लगाने के लिए आप ऐसा करती है....??

नेहा का रुचि से सवाल पूछना हुआ और रुचि के मुह पर जवाब जैसे पहले से रखा हुआ हो.....

"" मुझे प्लीज रुचि जी मत कहिये.....में तो प्रिया से भी छोटी हु....इसलिए मुझे बस रुचि नाम से ही बुलाइये.....में आप लोगो को स्कैन सिर्फ इस लिए नही कर रहीं की कोई बीमारी है या नही.... में स्कैन कर रही हूं आपकी सोच आपके जज्बात और आपके दिल में छुपी हुई बातों को.....आप चिंता मत करो आपका राज अबसे मेरा भी राज रहेगा नेहा जी""

रुचि की बात सुनकर नेहा का मुंह खुला का खुला रह गया.....वह ये कल्पना भी नही कर पा रही थी कि एक प्रोग्राम ने उसके दिल की सारी जानकारी निकाल ली.....वह अपने खुले मुह पे बस हाथ ही रख पाई और घर के अंदर की तरफ बढ़ गयी.....

"" आपको क्या अब अलग से इनविटेशन देना पड़ेगा क्या राज सर घर के अंदर आने के लिए....?? राज सर क्या मैं आपको स्कैन कर सकती हूं....??""

में समझ चुका था कि रुचि किसी भी व्यक्ति को स्कैन करके उसके जहन के सारे राज जान सकती है इसलिए मैंने उस से कहा....


राज - रुचि सब से पहले तो तुम मुझे सर बुलाना बन्द करो.....और दूसरा तुम मुझे कभी भी मेरी परमिशन के बिना स्कैन नही करोगी.....हम इंसानो के पास बस हमारे जज्बात ही होते हैं जो हम किसी के साथ नही बांट सकते....इसलिए नो स्कैन""


अपनी बात कह कर में तेजी से घर के अंदर बढ़ गया जबकि मेरा रूखा सा जवाब सुनकर रुचि की बोलती बंद हो चुकी थी.....

घर अंदर से काफी बड़ा था.....अंदर घुसते ही एक बड़ा सा हाल फिर हाल को लगाकर डाइनिंग रूम जहां सारा फर्नीचर पूरी तरह करीने से रखा हुआ था.....सीढियां चढ़ कर 5 क्वीन साइज बैडरूम बने हुए थे जो कि किसी फाइव स्टार होटेल रूम से कहीं से भी कम नही था........मैंने पूरे घर का चक्कर लगा लिया था लेकिन मुझे अभी तक लेब कहीं पर भी नज़र नहो आई.....रुचि से में लेब के बारे में पूछना चाहता था लेकिन वह अभी मां और प्रिया के साथ किचन में खाना बनाने में उन दोनों की हेल्प कर रही थी.....

आज का सारा दिन थका देने के लिए काफी था और वेसे भी इस द्वीप पर अंधेरा जल्दी हो जाता है इसलिए आज आराम करने में ही सबकी भलाई है......



तो दोस्तो कैसी लगी आपको आपकी नई दोस्त रुचि..... रुचि ने राज को छोड़ कर सबके दिल की बात जान ली है क्या नेहा और प्रिया का राज रुचि संभाल कर रख पाएगी......सुमन क्यों बेहोश हो गयी थी.....नोखा से अकेले में सुमन क्या बात कर रही थी.....इन्हि सारे सवालों का जवाब जानने के लिए साथ में बने रहें ....।
:superb: :good: :perfect: awesome update hai bhai,
Behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai
 

Naughtyrishabh

Well-Known Member
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सारा सामान रख कर नोखा लिफ्ट से वापस जा चुका था जबकि में उस ट्री हॉउस की मैन एंट्रेस की तरफ बढ़ गया.....दरवाजे के ठीक ऊपर की तरफ एक हाई डेफिनेशन क्लोज सर्किट कैमरा मुझे दिखाई दे गया......

वो कैमरा लगातार मूव हो रहा था इस से पता पड़ रहा था कि हम सब यहां अकेले नही रहने वाले .....कोई और भी है जो यहां की सुरक्षा व्यवस्था का ध्यान रखता है.....


मैंने दरवाजा को धक्का देके खोलने की कोशिश करी लेकिन दरवाजा टस से मस नही हुआ....तभी मेरी नज़र दरवाजे के पास बनी एक खाली जगह पर पड़ी जहां फिंगर प्रिंट सेंसर लगा हुआ था.....

मेने उस सेंसर पर अपनी पूरी हथेली रख दी और मेरी हथेली उस सेंसर पाए पड़ते ही वो प्रकाश से जगमगा उठा.....

अभी मुझे एक पल ही बीता होगा सेंसर पर हाथ रखे हुए तभी जहां सेंसर लगा हुआ था वहां से ठीक एक फ़ीट ऊपर एक छिद्र प्रकट हो गया.....उस छिद्र में से लगातार रोशनी निकल रही थी जो कि ठीक मेरी दोनों आंखों पर पड़ने लगी थी.....

कुछ दो सेकंड ही लगे होंगे उस रोशनी को मेरा रेटिना स्कैन करने मे की तभी दरवाजा अपने आप खुलता चला गया और एक मधुर आवाज भी उसी के साथ गूंज उठी.....

"" आपका स्वागत है मिस्टर राज ....मेरा नाम रुचि हैं और मैं अब से आपके प्रोजेक्ट में हर तरह की मदद करूँगी....""

ये आवाज सुनते ही में आश्चर्यचकित होते हुए इधर उधर देखने लगता हूँ लेकिन मुझे वहां कोई भी दिखाई नही दे रहा था , में अभी परेशान होता हुआ इधर उधर देख ही रहा था कि एक खनकती हँसी के साथ वह आवाज पुनः मेरे कानों में पड़ी.....


"" किसे ढूंढ रहे है आप...? में तो इस घर मैं हर जगह पर हु....चलिये अब आपको ज्यादा तंग न करते हुए में अपने बारे मै आपको परिचित करती हूं.....में एक सिक्स जनरेशन ऐ आई ( आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ) प्रोग्राम हूं.... मुझे इस लिए बनाया गया ताकि आपको कुछ भी करने के लिए कंप्यूटर से कुश्ती नही करनी पड़े.....मुझ मैं सोचने समझने की काबिलियत डाली गई है जिस वजह से मुझे किसी भी तरह का फैसला लेने के लिए किसी की कमांड की आवश्यकता नही है.....वैसे तो मैं अभी सिर्फ इस घर और लेब तक सीमित हु लेकिन जब आप चाहेंगे तब मैं हर वक़्त भी आपके साथ हो सकती हूं....""


रुचि की बात सुनकर मेरे आश्चर्य का ठिकाना ना रहा...आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काबिले तारीफ होती है लेकिन इतनी भी कारगर नही होती कि आपके सारे सवालों के जवाब उसके पास हो और जब ऐसे किसी प्रोग्राम में सोचने समझने की काबिलियत आ जाये तो सोने पे सुहागा....

अभी में उस से कुछ कहने ही वाला था कि प्रिया मेरे साथ आकर खड़ी हो गई और कहने लगी....

प्रिया - अरे वाह रुचि जी....आप तो बड़ी कमाल की हो....अब तो मुझे पढ़ाई करने के लिए किताब उठाने की भी जरूरत नही है मुझे पढ़ाने की जिम्मेदारी आज से आपकी....।

प्रिया कि बात खत्म ही हुई थी कि रुचि बोल पड़ी....


"" क्यों नही प्रिया....आप तो मेरी बहन जैसी हो....और आपका नाम भी कितना प्यारा है....प्रिया.....जो सबकी लाडली हो भला मुझे उसे पढ़ाने में क्यों जोर आएगा.....प्रिया अगर तुम्हें बुरा न लगे तो क्या मैं तुम्हे स्कैन कर सकती हूँ...??""


एक प्रोग्राम के मुहँ से अपना नाम सुनना प्रिया को आश्चर्य के सागर में गोते लगवा देने के लिए काफी था....लेकिन रुचि के दुबारा वही बात पूछने पर प्रिया जैसे नींद से जागी....

प्रिया - हां हां क्यों नही रुचि....तुम मुझे स्कैन भी कर सकती हो और अगर तुम्हारे मन मे कोई सवाल भी हो तो वह भी मुझ से पूछ सकती हो....।

"" हां जरूर पूछूंगी पहले एक बार आपको स्कैन तो कर लेने दो.....""

अभी रुचि ने अपनी बात खत्म करी ही थी कि ऊपर लगा हुआ क्लोज सर्किट कैमरे से नीले रंग की रोशनी निकल कर प्रिया को नहलाने लगी....कोई दस सेकण्ड ही लगे होंगे कि रुचि बोल उठी.....

"" क्या बात है प्रिया ....तुम तो छुपी रुस्तम निकली....चलिए आप पहले घर के अंदर आइये उसके बाद आपसे अकेले में बात करूँगी....""

रुचि कि बात खत्म होते ही प्रिया ने उछलते हुए मेरे एक गाल पर किस करी और भागते हुए घर के अंदर चली गयी.....

मां और नेहा अभी भी नीचे ही खड़े थे....नेहा लिफ्ट के पास खड़ी थी जबकि मां नोखा से कुछ बात करने में व्यस्त प्रतीत हो रही थी....


मेने ऊपर से ही मां को आवाज लगाई तो उन्होने एक बार मेरी तरफ देखा और नोखा को कुछ समझाते हुए नेहा के पास चली आई.....


में भी थोड़ा आगे चलकर लिफ्ट के दरवाजे के पास मां और नेहा का इंतजार करने लगता हूँ.....एक हल्के कम्पन्न के साथ लिफ्ट ऊपर उठ कर बॉलकोनी तक पहुँच जाती है और फिर में मां और नेहा के साथ घर के दरवाजे की तरफ बढ़ जाता हूं.....

"" मां जी प्रणाम.....""

सुमन और नेहा ये आवाज सुन चारों तरफ देखने लगती है लेकिन में उन्हें ज्यादा परेशान ना होने देकर रुचि के बारे में सब कुछ बता देता हूं.....आश्चर्य की बात थी कि रुचि मां , नेहा और प्रिया का नाम कैसे जान गई....

"" मां जी....अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं आपको स्कैन कर सकती हूं...""

मां - तुझे जो करना है गुड़िया कर ले.....बस जल्दी कर मुझे अभी खाना भी बनाना हैं...

इतना कह कर मां चुप हो गयी जबकि रुचि मां को स्कैन करते करते अपनी बात कहने लगी....

"" आज इस घर में आपका पहला दिन हैं....भला आज मैं कैसे आपको कोई काम करने दूंगी....मैं भी आपकी बेटी जैसी हु....आज आप सबको खाना मैं बना कर खिलाऊंगी...""

रुचि की बात सुनकर मां खिल खिला कर हस पड़ी....आज काफी दिनों बाद मां को इस तरह हँसते हुए देख रहा था मैं....लेकिन तभी अचानक क्या हुआ मां हँसते हंसते रुक गयी और तेज़ी से घर के अंदर बढ़ गयी.....

""बेचारी मां....अपने बेटे के लिए कितना दर्द झेल रही है....""

रुचि ने ये बात काफी लौ वोल्युम पर कही जिसे कम से कम मे और नेहा सुन नहीं पाए.....

नेहा - रुचि जी आपकी आज्ञा हो तो क्या में घर के अंदर जा सकती हूं.....??

"" अरे अरे रुकिए भी.....थोड़ा स्वागत तो करने दिजीये घर की बहू का......नेहा जी अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं आपको स्कैन कर सकती हूं....??""

नेहा ने ज्यादा कुछ नही कहा और बस अपनी मुंडी हिला दी.....

कैमरे से निकलती नीली रौशनी से नेहा स्कैन होने लगी लेकिन तभी रुचि ने कुछ कहा....

"" नेहा जी आपकी आंख अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी है....आप चाहे तो ये पट्टी हटा सकती है....""

नेहा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया.....

नेहा - आप कहती हो तो मैं जरूर ये पट्टी हटा दूंगी वेसे अगर आप बुरा ना माने तो क्या मै आपसे एक सवाल पूछ सकती हूं.....?? आपने हम सब को स्कैन किया ....क्या किसी तरह की बीमारी का पता लगाने के लिए आप ऐसा करती है....??

नेहा का रुचि से सवाल पूछना हुआ और रुचि के मुह पर जवाब जैसे पहले से रखा हुआ हो.....

"" मुझे प्लीज रुचि जी मत कहिये.....में तो प्रिया से भी छोटी हु....इसलिए मुझे बस रुचि नाम से ही बुलाइये.....में आप लोगो को स्कैन सिर्फ इस लिए नही कर रहीं की कोई बीमारी है या नही.... में स्कैन कर रही हूं आपकी सोच आपके जज्बात और आपके दिल में छुपी हुई बातों को.....आप चिंता मत करो आपका राज अबसे मेरा भी राज रहेगा नेहा जी""

रुचि की बात सुनकर नेहा का मुंह खुला का खुला रह गया.....वह ये कल्पना भी नही कर पा रही थी कि एक प्रोग्राम ने उसके दिल की सारी जानकारी निकाल ली.....वह अपने खुले मुह पे बस हाथ ही रख पाई और घर के अंदर की तरफ बढ़ गयी.....

"" आपको क्या अब अलग से इनविटेशन देना पड़ेगा क्या राज सर घर के अंदर आने के लिए....?? राज सर क्या मैं आपको स्कैन कर सकती हूं....??""

में समझ चुका था कि रुचि किसी भी व्यक्ति को स्कैन करके उसके जहन के सारे राज जान सकती है इसलिए मैंने उस से कहा....


राज - रुचि सब से पहले तो तुम मुझे सर बुलाना बन्द करो.....और दूसरा तुम मुझे कभी भी मेरी परमिशन के बिना स्कैन नही करोगी.....हम इंसानो के पास बस हमारे जज्बात ही होते हैं जो हम किसी के साथ नही बांट सकते....इसलिए नो स्कैन""


अपनी बात कह कर में तेजी से घर के अंदर बढ़ गया जबकि मेरा रूखा सा जवाब सुनकर रुचि की बोलती बंद हो चुकी थी.....

घर अंदर से काफी बड़ा था.....अंदर घुसते ही एक बड़ा सा हाल फिर हाल को लगाकर डाइनिंग रूम जहां सारा फर्नीचर पूरी तरह करीने से रखा हुआ था.....सीढियां चढ़ कर 5 क्वीन साइज बैडरूम बने हुए थे जो कि किसी फाइव स्टार होटेल रूम से कहीं से भी कम नही था........मैंने पूरे घर का चक्कर लगा लिया था लेकिन मुझे अभी तक लेब कहीं पर भी नज़र नहो आई.....रुचि से में लेब के बारे में पूछना चाहता था लेकिन वह अभी मां और प्रिया के साथ किचन में खाना बनाने में उन दोनों की हेल्प कर रही थी.....

आज का सारा दिन थका देने के लिए काफी था और वेसे भी इस द्वीप पर अंधेरा जल्दी हो जाता है इसलिए आज आराम करने में ही सबकी भलाई है......



तो दोस्तो कैसी लगी आपको आपकी नई दोस्त रुचि..... रुचि ने राज को छोड़ कर सबके दिल की बात जान ली है क्या नेहा और प्रिया का राज रुचि संभाल कर रख पाएगी......सुमन क्यों बेहोश हो गयी थी.....नोखा से अकेले में सुमन क्या बात कर रही थी.....इन्हि सारे सवालों का जवाब जानने के लिए साथ में बने रहें ....।
Badka balandar h e to jiska naam h ruchi...
Khatarnaak kiNTU dilchasp update bhai.

Ruchi ne sabke man ki baat jaan li keval Raj ko chodakar.
Bahut hi behtareen update bhai
 

Ajay

Well-Known Member
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सारा सामान रख कर नोखा लिफ्ट से वापस जा चुका था जबकि में उस ट्री हॉउस की मैन एंट्रेस की तरफ बढ़ गया.....दरवाजे के ठीक ऊपर की तरफ एक हाई डेफिनेशन क्लोज सर्किट कैमरा मुझे दिखाई दे गया......

वो कैमरा लगातार मूव हो रहा था इस से पता पड़ रहा था कि हम सब यहां अकेले नही रहने वाले .....कोई और भी है जो यहां की सुरक्षा व्यवस्था का ध्यान रखता है.....


मैंने दरवाजा को धक्का देके खोलने की कोशिश करी लेकिन दरवाजा टस से मस नही हुआ....तभी मेरी नज़र दरवाजे के पास बनी एक खाली जगह पर पड़ी जहां फिंगर प्रिंट सेंसर लगा हुआ था.....

मेने उस सेंसर पर अपनी पूरी हथेली रख दी और मेरी हथेली उस सेंसर पाए पड़ते ही वो प्रकाश से जगमगा उठा.....

अभी मुझे एक पल ही बीता होगा सेंसर पर हाथ रखे हुए तभी जहां सेंसर लगा हुआ था वहां से ठीक एक फ़ीट ऊपर एक छिद्र प्रकट हो गया.....उस छिद्र में से लगातार रोशनी निकल रही थी जो कि ठीक मेरी दोनों आंखों पर पड़ने लगी थी.....

कुछ दो सेकंड ही लगे होंगे उस रोशनी को मेरा रेटिना स्कैन करने मे की तभी दरवाजा अपने आप खुलता चला गया और एक मधुर आवाज भी उसी के साथ गूंज उठी.....

"" आपका स्वागत है मिस्टर राज ....मेरा नाम रुचि हैं और मैं अब से आपके प्रोजेक्ट में हर तरह की मदद करूँगी....""

ये आवाज सुनते ही में आश्चर्यचकित होते हुए इधर उधर देखने लगता हूँ लेकिन मुझे वहां कोई भी दिखाई नही दे रहा था , में अभी परेशान होता हुआ इधर उधर देख ही रहा था कि एक खनकती हँसी के साथ वह आवाज पुनः मेरे कानों में पड़ी.....


"" किसे ढूंढ रहे है आप...? में तो इस घर मैं हर जगह पर हु....चलिये अब आपको ज्यादा तंग न करते हुए में अपने बारे मै आपको परिचित करती हूं.....में एक सिक्स जनरेशन ऐ आई ( आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ) प्रोग्राम हूं.... मुझे इस लिए बनाया गया ताकि आपको कुछ भी करने के लिए कंप्यूटर से कुश्ती नही करनी पड़े.....मुझ मैं सोचने समझने की काबिलियत डाली गई है जिस वजह से मुझे किसी भी तरह का फैसला लेने के लिए किसी की कमांड की आवश्यकता नही है.....वैसे तो मैं अभी सिर्फ इस घर और लेब तक सीमित हु लेकिन जब आप चाहेंगे तब मैं हर वक़्त भी आपके साथ हो सकती हूं....""


रुचि की बात सुनकर मेरे आश्चर्य का ठिकाना ना रहा...आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काबिले तारीफ होती है लेकिन इतनी भी कारगर नही होती कि आपके सारे सवालों के जवाब उसके पास हो और जब ऐसे किसी प्रोग्राम में सोचने समझने की काबिलियत आ जाये तो सोने पे सुहागा....

अभी में उस से कुछ कहने ही वाला था कि प्रिया मेरे साथ आकर खड़ी हो गई और कहने लगी....

प्रिया - अरे वाह रुचि जी....आप तो बड़ी कमाल की हो....अब तो मुझे पढ़ाई करने के लिए किताब उठाने की भी जरूरत नही है मुझे पढ़ाने की जिम्मेदारी आज से आपकी....।

प्रिया कि बात खत्म ही हुई थी कि रुचि बोल पड़ी....


"" क्यों नही प्रिया....आप तो मेरी बहन जैसी हो....और आपका नाम भी कितना प्यारा है....प्रिया.....जो सबकी लाडली हो भला मुझे उसे पढ़ाने में क्यों जोर आएगा.....प्रिया अगर तुम्हें बुरा न लगे तो क्या मैं तुम्हे स्कैन कर सकती हूँ...??""


एक प्रोग्राम के मुहँ से अपना नाम सुनना प्रिया को आश्चर्य के सागर में गोते लगवा देने के लिए काफी था....लेकिन रुचि के दुबारा वही बात पूछने पर प्रिया जैसे नींद से जागी....

प्रिया - हां हां क्यों नही रुचि....तुम मुझे स्कैन भी कर सकती हो और अगर तुम्हारे मन मे कोई सवाल भी हो तो वह भी मुझ से पूछ सकती हो....।

"" हां जरूर पूछूंगी पहले एक बार आपको स्कैन तो कर लेने दो.....""

अभी रुचि ने अपनी बात खत्म करी ही थी कि ऊपर लगा हुआ क्लोज सर्किट कैमरे से नीले रंग की रोशनी निकल कर प्रिया को नहलाने लगी....कोई दस सेकण्ड ही लगे होंगे कि रुचि बोल उठी.....

"" क्या बात है प्रिया ....तुम तो छुपी रुस्तम निकली....चलिए आप पहले घर के अंदर आइये उसके बाद आपसे अकेले में बात करूँगी....""

रुचि कि बात खत्म होते ही प्रिया ने उछलते हुए मेरे एक गाल पर किस करी और भागते हुए घर के अंदर चली गयी.....

मां और नेहा अभी भी नीचे ही खड़े थे....नेहा लिफ्ट के पास खड़ी थी जबकि मां नोखा से कुछ बात करने में व्यस्त प्रतीत हो रही थी....


मेने ऊपर से ही मां को आवाज लगाई तो उन्होने एक बार मेरी तरफ देखा और नोखा को कुछ समझाते हुए नेहा के पास चली आई.....


में भी थोड़ा आगे चलकर लिफ्ट के दरवाजे के पास मां और नेहा का इंतजार करने लगता हूँ.....एक हल्के कम्पन्न के साथ लिफ्ट ऊपर उठ कर बॉलकोनी तक पहुँच जाती है और फिर में मां और नेहा के साथ घर के दरवाजे की तरफ बढ़ जाता हूं.....

"" मां जी प्रणाम.....""

सुमन और नेहा ये आवाज सुन चारों तरफ देखने लगती है लेकिन में उन्हें ज्यादा परेशान ना होने देकर रुचि के बारे में सब कुछ बता देता हूं.....आश्चर्य की बात थी कि रुचि मां , नेहा और प्रिया का नाम कैसे जान गई....

"" मां जी....अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं आपको स्कैन कर सकती हूं...""

मां - तुझे जो करना है गुड़िया कर ले.....बस जल्दी कर मुझे अभी खाना भी बनाना हैं...

इतना कह कर मां चुप हो गयी जबकि रुचि मां को स्कैन करते करते अपनी बात कहने लगी....

"" आज इस घर में आपका पहला दिन हैं....भला आज मैं कैसे आपको कोई काम करने दूंगी....मैं भी आपकी बेटी जैसी हु....आज आप सबको खाना मैं बना कर खिलाऊंगी...""

रुचि की बात सुनकर मां खिल खिला कर हस पड़ी....आज काफी दिनों बाद मां को इस तरह हँसते हुए देख रहा था मैं....लेकिन तभी अचानक क्या हुआ मां हँसते हंसते रुक गयी और तेज़ी से घर के अंदर बढ़ गयी.....

""बेचारी मां....अपने बेटे के लिए कितना दर्द झेल रही है....""

रुचि ने ये बात काफी लौ वोल्युम पर कही जिसे कम से कम मे और नेहा सुन नहीं पाए.....

नेहा - रुचि जी आपकी आज्ञा हो तो क्या में घर के अंदर जा सकती हूं.....??

"" अरे अरे रुकिए भी.....थोड़ा स्वागत तो करने दिजीये घर की बहू का......नेहा जी अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं आपको स्कैन कर सकती हूं....??""

नेहा ने ज्यादा कुछ नही कहा और बस अपनी मुंडी हिला दी.....

कैमरे से निकलती नीली रौशनी से नेहा स्कैन होने लगी लेकिन तभी रुचि ने कुछ कहा....

"" नेहा जी आपकी आंख अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी है....आप चाहे तो ये पट्टी हटा सकती है....""

नेहा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया.....

नेहा - आप कहती हो तो मैं जरूर ये पट्टी हटा दूंगी वेसे अगर आप बुरा ना माने तो क्या मै आपसे एक सवाल पूछ सकती हूं.....?? आपने हम सब को स्कैन किया ....क्या किसी तरह की बीमारी का पता लगाने के लिए आप ऐसा करती है....??

नेहा का रुचि से सवाल पूछना हुआ और रुचि के मुह पर जवाब जैसे पहले से रखा हुआ हो.....

"" मुझे प्लीज रुचि जी मत कहिये.....में तो प्रिया से भी छोटी हु....इसलिए मुझे बस रुचि नाम से ही बुलाइये.....में आप लोगो को स्कैन सिर्फ इस लिए नही कर रहीं की कोई बीमारी है या नही.... में स्कैन कर रही हूं आपकी सोच आपके जज्बात और आपके दिल में छुपी हुई बातों को.....आप चिंता मत करो आपका राज अबसे मेरा भी राज रहेगा नेहा जी""

रुचि की बात सुनकर नेहा का मुंह खुला का खुला रह गया.....वह ये कल्पना भी नही कर पा रही थी कि एक प्रोग्राम ने उसके दिल की सारी जानकारी निकाल ली.....वह अपने खुले मुह पे बस हाथ ही रख पाई और घर के अंदर की तरफ बढ़ गयी.....

"" आपको क्या अब अलग से इनविटेशन देना पड़ेगा क्या राज सर घर के अंदर आने के लिए....?? राज सर क्या मैं आपको स्कैन कर सकती हूं....??""

में समझ चुका था कि रुचि किसी भी व्यक्ति को स्कैन करके उसके जहन के सारे राज जान सकती है इसलिए मैंने उस से कहा....


राज - रुचि सब से पहले तो तुम मुझे सर बुलाना बन्द करो.....और दूसरा तुम मुझे कभी भी मेरी परमिशन के बिना स्कैन नही करोगी.....हम इंसानो के पास बस हमारे जज्बात ही होते हैं जो हम किसी के साथ नही बांट सकते....इसलिए नो स्कैन""


अपनी बात कह कर में तेजी से घर के अंदर बढ़ गया जबकि मेरा रूखा सा जवाब सुनकर रुचि की बोलती बंद हो चुकी थी.....

घर अंदर से काफी बड़ा था.....अंदर घुसते ही एक बड़ा सा हाल फिर हाल को लगाकर डाइनिंग रूम जहां सारा फर्नीचर पूरी तरह करीने से रखा हुआ था.....सीढियां चढ़ कर 5 क्वीन साइज बैडरूम बने हुए थे जो कि किसी फाइव स्टार होटेल रूम से कहीं से भी कम नही था........मैंने पूरे घर का चक्कर लगा लिया था लेकिन मुझे अभी तक लेब कहीं पर भी नज़र नहो आई.....रुचि से में लेब के बारे में पूछना चाहता था लेकिन वह अभी मां और प्रिया के साथ किचन में खाना बनाने में उन दोनों की हेल्प कर रही थी.....

आज का सारा दिन थका देने के लिए काफी था और वेसे भी इस द्वीप पर अंधेरा जल्दी हो जाता है इसलिए आज आराम करने में ही सबकी भलाई है......



तो दोस्तो कैसी लगी आपको आपकी नई दोस्त रुचि..... रुचि ने राज को छोड़ कर सबके दिल की बात जान ली है क्या नेहा और प्रिया का राज रुचि संभाल कर रख पाएगी......सुमन क्यों बेहोश हो गयी थी.....नोखा से अकेले में सुमन क्या बात कर रही थी.....इन्हि सारे सवालों का जवाब जानने के लिए साथ में बने रहें ....।
Nice update bhai
 

Vijay2309

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घड़ी के हिसाब से अभी दिन के 3 ही बजे थे लेकिन द्वीप पर अंधेरा छा चुका था.....नेहा एक अलग रूम में आराम कर रही थी जबकि प्रिया एक अलग रूम में घोड़े बेच कर सो रही थी.... मैं काफी देर से बाहर हॉल में ही बैठा आज दिन में जो कुछ भी घटित हुआ लगातार उसी के बारे में सोचे जा रहा था.....मां के बेहोश होने के बाद से ही मन उद्विग्न हो उठा था.....

रुचि - क्या हुआ सर आप कुछ परेशान नज़र आ रहे है.....कोई बात है तो प्लीज मुझे बताइये में आपकी कुछ न कुछ मदद जरूर कर पाऊंगी.....

रुचि का मधुर स्वर मुझे सवालों के द्वंद से बाहर ले आया और मैंने बात पलटते हुए रुचि से पूछा....

"" रुचि क्या तुम मुझे बता सकती हो कि यहां मैं जिस काम के लिए आया हूं उसकी तुम्हारे पास कोई जानकारी है और दूसरी बात जिस लेब में मुझे काम करना है वो आखिर हैं कहाँ....???"""

रुचि ने बिना एक पल गवाए मेरे सवालों का जवाब देना शुरू किया...

"" सॉरी सर मुझे अभी तक कोई जानकारी नही हैं कि आपको यहां किस प्रोजेक्ट पर काम करना है....शायद इस बारे में प्रोफेसर दास आप से जल्द ही कॉन्टेक्ट करेंगे.... और रही बात लेब की तो वो आपको ऐसे दिखाई नहीं देगी क्योकी वो लेब इस घर के ठीक नीचे ज़मीन की गहराइयों में है , यानी कि तकरीबन 70 मीटर अंडरग्राउंड ....आप अगर लेब देखना चाहते हैं तो मैं आपको लेब दिखा सकती हूं....""

रुचि की बात सुनते ही में आश्चर्य के सागर में गोते लगाने लगा .....ज़मीन के इतना नीचे लेब बनाने की आखिर जरूरत क्या थी ....वेसे भी ये द्वीप गुप्त है फिर लेब ज़मीन के नीचे क्यों है ...??

मुझे सवालों मैं घिरा देख रुचि ने फिर से अपना मुह खोल दिया....

"" दरअसल इस लेब में इतने ज्यादा महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम किया जाता है कि ज़मीन के ऊपर लेब बनाना खतरे से खालीं नही था.....कई देशों की सेटेलाइट इस द्वीप और आस पास के द्वीपों पर नज़र बनाए रखती है....इसी वजह से यहां कबीले के लोगो के अलावा ज्यादा लोग नही होते और ना ही कोई फिजिकल सुरक्षा व्यवस्था के लिए कोई सिपाही....दुनिया की नज़रों से इस लेब को बचाये रखने के लिए ही इसे इतना गहराई में बनाया गया है ।"""


रुचि की बात से सहमत होते हुए में सोफे से उठा और रुचि को निर्देश देते हुए कहने लगा .....


"" ओके रुचि ....चलो अब मुझे लेब भी दिखा दो ताकि मैं जान सकूँ की आखिर मुझे कैसी जगह पे काम करना हैं....""


"" ठीक है सर....आपके रूम मैं चलिये.... फिर में बताती हु की आगे का सफर कैसे होगा....""


मैं बिना देर किये अपने रूम मैं पहुंचा और इधर उधर देखने लगा....

"" सर आपके बेड के निचले हिस्से पर एक स्विच है उसे दो सेकंड तक दबा के रखे....""

बेड के नीचे मैं वह स्वीच देखने के लिए जैसे ही झुका मुझे वह स्विच नज़र आ गया.....रुचि के बताए अनुसार मैंने उस स्विच को दो सेकण्ड तक दबाये रखा और तभी एक हल्के वाइब्रेशन ने मुझे अपने कदम पीछे खीचने पर मजबूर कर दिया....


बेड अपनी जगह से उठकर दीवार से जा लगा और जहां कुछ देर पहले बेड था वहां मुझे एक बड़ा गड्ढा नज़र आने लगा.....


अभी मैं रुचि से इस गड्ढे के बारे में पूछ पाता उस से पहले ही एक गोलाकार कैप्सूल जो कि तकरीबन 8 फ़ीट ऊंचा ओर 3 फ़ीट गोलाकार जिसकी दीवारें मजबूत ग्लास की बनी प्रतीत हो रही थी वह मेरे सामने उभर आया....

"" ये लीजिये सर आपकी सवारी आ पहुँची है आपको लेब तक ले जाने के लिए...""

में जैसे ही कैप्सूल नुमा उस लिफ्ट के पास पहुंचा , उस लिफ्ट का दरवाजा स्वतः ही खुल गया....

मैं थोड़ा सा झिझकते हुए लिफ्ट में दाखिल हुआ लेकिन वहां पर कोई भी स्विच न देख मैंने रुचि से सवाल किया....

""रुचि यहां तो कोई स्विच है ही नही इस लिफ्ट को ऑपरेट करने के लिए.....?? ""


हमेशा की तरह मेरे सवाल का जवाब रुचि की जुबान पे था....


"" सर....मैने आपको पलंग के नीचे वाला स्विच भी इसीलिए बताया था ताकि आप पूरा सिस्टम समझ सके.....क्योंकि सिर्फ एक स्विच भर दबा देने से कोई भी व्यक्ति नीचे मौजूद लेब तक पहुँच जाए तो फिर मेरा यहां क्या काम......ये लिफ्ट मेरे इंस्ट्रक्शन पर काम करती है इसलिए कोई भी मेरी इजाजत के बिना लेब तक नही पहुच सकता.....लेकिन आपको मुझ से किसी भी तरह की इजाजत लेने की जरूरत नही है.....आपको बस मुझे आर्डर देना है और आपका वो काम चुटकी बजाते ही मैं पूरा कर दूंगी.....""


रुचि ने जो कुछ भी कहा था वह काफी हद्द तक सही भी था.....भला इतने एडवांस सिस्टम का फायदा ही क्या की कोई भी सिर्फ बटन दबा के टॉप सिक्रेट लेब तक पहुंच जाए....

"" ठीक है रुचि.....इसे शुरू करो ताकि में लेब तक जा सकूँ ""

मेरा इतना कहना था कि लिफ्ट का दरवाजा बंद हुआ और लिफ़्ट किसी बंदूक से निकली गोले की तरह उस गहरे कुएँ में समाती चली गयी.....


तकरीबन दस सेकंड का वक़्त ही लगा होगा और में इस वक़्त सतह से 70 मीटर नीचे पहुंच चुका था.....एक बार तो मुझे ऐसा लगा कि जैसे मुझे उल्टी आ जाएगी लेकिन लिफ्ट का दरवाजा खुलते ही स्वच्छ ऑक्सीजन झोंका मेरी नाक से टकराया.....

ऑक्सीजन फेफड़ो तक पहुचते ही मेरा जी घबराना यकायक बंद हो गया और में अब नीचे के माहौल का अच्छे से जायजा लेने लगा....

इस वक़्त में 7 फ़ीट चौडी एक गैलरी में था जहां साइड में कुछ अजीब तरह की मशीनें पड़ी हुई थी....मैं उन सब मशीनों को नीहार ही रहा था कि रुचि की आवाज मेरे कानों मैं गुंजी....


""सर ये साफ सफाई करने वालीं मशीन है....दरअसल इन मशीनों को मैंने ही बनाया है ताकि ऊपर घर और लेब की अच्छे से साफ सफाई करी जा सके.....जब यहां कोई काम नही चल रहा होता तो घर का ओर लेब का ध्यान रखने की जिम्मेदारी भी मेरी ही होती है ......क्लीनिग से लेकर बेड शीट तक बदलने का काम मेरी बनाई ये सारी मशीने करती हैं.....अब आप खुद सोचिये अगर मैं ये सारा काम अकेले करती तो भरी जवानी में बुढापा न आ जाता मेरा....""


रुचि की आखिरी लाइन सुनकर मैं खुद को हँसने से नही रोक पाया इसलिए मैंने उस से हँसते हुए पूछा.....


"" अच्छा तो क्या उम्र हैं आपकी रुचि जी.....अब ये मत बोल देना की स्वीट सिक्सटीन हो....आवाज से तो मुझे आप शादी शुदा प्रतीत हो रही हो ""


"" हा हा हा .....बड़ा ही अच्छा मजाक था सर....वेसे में 18 की हो गयी हु इस साल.....और प्लीज मुझे सिर्फ रुचि कह कर बुलाए आप....मुझे अच्छा नही लगता कोई मुझे रुचि जी कह के बुलाए बुड्ढों जैसी फीलींग्स आती है ऐसा सुनती हूं तो....""


रुचि कि बात सुनकर मैंने अपने दोनों कान पकड़ लिए और उसे कहने लगा....

"" ओके रुचि आई एम सॉरी.....लेकिन तुम भी मुझे राज सर या सर कह कर नही पुकारोगी.....आज से हम अच्छे दोस्तो की तरह साथ काम करेंगे बोलो मंजूर...""


इतने समय में पहली बार ऐसा हुआ कि रुचि ने मेरी बात का तुरंत जवाब नहीं दिया.....अब या तो वो सच मे नाराज हो गयी या फिर उसके प्रोग्राम मैं कोई परेशानी आ गयी है....और इसी लिए मैंने रुचि से दुबारा अपनी बात कही....


"" क्या हुआ रुचि ....दोस्ती नही करोगी क्या मुझ से ...?""

अभी मेरी बात खत्म हुई थी कि रुचि की उदासी से भरी आवाज मुझे सुनाई दी....



"" दोस्ती..........मुझे कभी किसी ने अपना दोस्त नही बनाया.....मैंने इतनी देर आपको जवाब देने में इसी लिए कर दी क्योंकि मैं दोस्ती को समझना चाहती थी इसलिए पूरी दुनिया का डाटाबेस मैंने खंगाल लिया की आखिर दोस्ती होती क्या है और कैसे करी जाती है.....मैंने अभी तक जो समझा है उस हिसाब से दोस्ती का रिश्ता सभी रिश्तों से बढ़कर होता है.....क्योंकि जो काम कोई नही कर सकता वो एक दोस्त कर जाता है.....इसीलिए माता पिता अगर अपने बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखते है तो वह बच्चे अपने माता पिता के और भी ज्यादा करीब होते है....मैं आपसे दोत्ती करूँगी सर....आई मीन राज.....""



रुचि की बात सुनकर मुझे काफी आश्चर्य हुआ.....कैसे एक मशीनी दिमाग दोस्ती जैसे रिश्ते की गूढ़ता को पल भर मैं समझ गया.....

"" राज क्या हुआ इरादा बदल लिया क्या आपने मुझ से दोस्ती करने का....?""


"" नही नही रुचि.....में सच मे किस्मत वाला रहूंगा जो तुम्हारी जैसी विलक्षण बुध्दि वाली लड़की मेरी दोस्त बने ""


"" तो ठीक है राज अब जब हम दोनों दोस्त बन ही गए है तो क्या मैं तुन्हें स्कैन कर सकती हूं....मैं जानना चाहती हूं कि मेरा एकलौता दोस्त कैसा है.....आपके अनुभवों से काफी कुछ सीखने को मिल सकता है मुझे जो हमारी दोस्ती में आगे काम भी आ सकते हैं....""


रुचि की बात सुन में मन ही मन मुस्कुरा उठा....मैंने अपने सर को हिला कर रुचि को खुद को स्कैन करने की परमिशन दे दी.....



उधर ऊपर घर में सुमन एक सपने मैं खोई हुई थी..... और बार बार नींद में एक ही बात बोले जा रही थी....

"" ये मरेगा पंद्रह दिन में ""

ये वही शब्द थे जो नोखा ने सुमन से कहे थे जब राज पुजारी से आशीर्वाद ले रहा था.....


"" राज ।।।।।।।।।।""

एक तेज़ चीख के साथ सुमन उस सपने से बाहर निकल आई....जबकि नीचे राज का स्कैन हो चुका था और रुचि कुछ कहते कहते रुक गयी....


"" तुम तो बि...... ओह माई गॉड .....राज तुम्हारी माँ जोर जोर से चीख रही है जैसे कोई बुरा सपना देख लिया हो उन्होंने....""

रुचि की बात सुनते ही घबराहट के मारे मेरे माथे पर पसीना छलक आया में तुरंग उस कैप्सूल नुमा लिफ्ट की दिशा में भागा और लिफ्ट में सवार हो गया........

इस बार लिफ्ट बिना रुचि की आवाज के ही तेज़ी से ऊपर उठती चली गई.....





कौन मरने वाला था अगले 15 दिनों मैं.....रुचि ने क्या स्कैन किया था राज में जो वह कहते कहते अचानक चुप हो गई.....क्या असल कहानी शुरू होने का समय आ चुका है ....?? ऐसे ही सारे सवालों का जवाब जानने के लिए साथ बने रहें....।

 
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