अध्याय 12
उर्मी का पूरा बदन बियर और रमेश की लार से चिपचिपा हो गया था।
रमेश ने एक झटके में उर्मी को अपनी बाँहों में उठा लिया और अपनी बाँहों में उठाये हुए बाथरूम में ले गया
इतनी देर तक रिझाने के कारण हुई उत्तेजना की वजह से उर्मी को उठाकर बाथरूम ले जाते वक्त एक बार भी रमेश की साँस नहीं फ़ूली।
बाथरूम में बाथ-टब में दोनों घुस गये और एक दूसरे को मसल-मसल कर नहलाने लगे।
नहाते वक्त भी उर्मी के पैरों में सैंडल मौजूद थे। नहाने के साथ-साथ वो एक दूसरे को छेड़ते जा रहे थे।
इस तरह की चुदाई के स्वरूप उर्मी ने सिर्फ कल्पना में ही सोचे थे।
वहीं पर बाथ-टब में बैठे-बैठे रमेश ने उर्मी को टब का सहारा लेकर घुटने के बल झुकाया और पीछे की तरफ़ से उर्मी की चूत और गाँड के छेद पर अपनी जीभ फिराने लगा
उर्मी - “ऊऊऊऽऽऽ…हहहऽऽऽ… ! जाआऽऽऽन… ये क्या कर रहे हो? नऽऽऽहींऽऽऽ… हाँऽऽऽऽ और अंदर… और अंदर ”
रमेश ने उर्मी की गाँड के छेद को अपनी उँगलियों से फैला कर उसके अंदर भी एक बार जीभ डाल दी।
उर्मी की चूत में आग लगी हुई थी। उर्मी उत्तेजना और नशे में अपने ही हाथों से अपने मम्मों को बुरी तरह मसल रही थी।
उर्मी - “बस-बस ! और नहीं.. अब मेरी प्यास बुझा दो। मेरी की चूत जल रही है… इसे अपने लंड से ठंडा कर दो। अब मुझे अपने लंड से चोद दो। अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती। ये आपने क्या कर डाला… मेरे पूरे जिस्म में आग जल रही है। प्लीऽऽऽऽज़ और नहीं… ”
रमेश ने वापस टब से बाहर निकल कर उर्मी को अपनी बाँहों में उठाया और गीले बदन को कमरे में वापस आये।
रमेश ने उर्मी को उसी हालत में बिस्तर पेर लिटा दिया।
रमेश उर्मी को लिटा कर उठने को हुए तो उर्मी ने झट से रमेश की गर्दन में अपनी बांहें डाल दीं जिससे वो उसस दूर नहीं जा सकें।
अब इंच भर की दूरी भी बर्दाश्त से बाहर हो रही थी।
रमेश ने मुस्कुराते हुए उर्मी की बाँहों को अपनी गर्दन से अलग किया और अपने लंड पर केन में बची हुई बियर से कुछ बूँद डाल कर
रमेश - , “अब इसे चूसो !”
उर्मी ने वैसा ही किया। उर्मी को बियर से भीगा उसका लंड बहुत ही स्वदिष्ट लगा।
उर्मी वापस रमेश के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
रमेश ने अब उस केन से बची हुई बियर धीरे-धीरे अपने लंड पर उड़ेलनी शुरू की।
उर्मी रमेश के लंड और अंडकोषों पर गिरती हुई वाईन को पी रही थी।
कुछ देर बाद जब उर्मी पूरी बियर पी चुकी तो रमेश ने उसे लिटा दिया और उर्मी की टांगें अपने कंधों पर रख दीं।
फिर रमेश ने उर्मी की कमर के नीचे एक तकिया लगा कर उर्मी की चूत की फाँकों को अलग किया।
उधर राजेश सिंह अभी भी कविता के सामने मोर्चा संभाल हुवा था, और घमासान चुदाई हो रही थी,
कविता राजेश सिंह के लन्ड पर उछल उछल कर चुदाई कर रही थी, और पूरे कमरे में गच्च गच्च और फच्च फच्च की आवाज गूंज रही थी,
थोड़ी देर ऐसे ही चुदने के बाद वो पलट कर निचे आ गयी और राजेश सिंह ऊपर और चुदाई वैसे ही घमासान चल रही थी,
कविता की चुदने की शक्ति देख कर खिड़की से देख रही उस दर्शक की जान सूख गई थी, उसकी चूत लगातार बहे जा रही थी,
कविता - आज कितना मस्त चोद रहे हो,
राजेश सिंह - कविता जिसकी तेरे जैसी गर्म बीवी हो … उसको कोई कैसे ना छोड़े फुल जोश में,
कविता (राजेश सिंह को थोड़ा और जोश दिलाने के लिए) - मुझे एक बात समझ नहीं आती कि जब तुम
दिल्ली या और कही व्यवसाय के सिलसिले में अकेले जाते हो, तो कैसे रह पाते होगे? कहीं ऐसा तो नहीं कि उस समय अपनी सेक्रेटरी को ही पेल देते होओ?
राजेश सिंह (और जोर से धक्के मारते हुवे) - तुम्हें ऐसा क्यों लगता है?
कविता (मुस्कुराते हुए)- देखो एक तो उसके कपड़े मुझे पता है, वो स्कर्ट के नीचे पैंटी नहीं पहनती. दूसरा तुम मुझे बिना चोदे एक दिन नहीं रहते.
राजेश सिंह (पूरे जोश में झटके देते हुवे) - है तो सच में वो एक नंबर की रांड, साली. लेकिन राजू की चूत की कसम मैंने उसे आज तक नही चोदा, रमेश का मैं बोल नही सकता,
राजेश सिंह ने कविता के मम्मो को का दूध दुहते हुए कहा- तुमने राजू की गांड देखी, कितनी बड़ी हो
गई, मुझे तो लगता है, वो कही किसी से
कविता - पता नही साली छिनाल का, और एक बात हैं मैं समझ गई . कि आपका मन कर रहा राजू की गांड मारने का?
राजेश सिंह राजश्री की मटकती चाल और उछलते कूल्हे को याद करके कविता की चूत में भयंकर रूप से धक्के मारने लगा, जिससे कविता की चीखें निकलने लगी,
राजेश सिंह - तुम गांड की बात कर रही हो, मैं तो सोच रहा तेरे बगल में राजू को पटक कर नंगी करके चोद ही दूं साली को.
राजेश सिंह की इससे बात ने कविता और राजेश सिंह दोनो के बदन में वो आग लगाई कि पूछो ही मत,
खिड़की के दर्शक ने मन मे सोचा - हाय क्या लंड है राजेश सिंह का और उसका स्टेमिना भी कितना दमदार है.
कविता - मेरे सामने मेरी इसी चूत से निकली हुई छिनाल बेटी को चोदने की बात कर रहे हो, साले बेटीचोद पहले उसकी माँ की चूत को चोद,
बात करता है बेटी को चोदेगा, अब उसकी मां चुद रही है उसको तो देख,
राजेश सिंह - अगर राजू अपने से राजी नहीं हुई तो, किसी दिन उस रंडी को मैं पटक कर चोद दूंगा.
राजश्री की चुदाई की कल्पना दोनों लोग लुगाई की चुदाई की आग में घी का काम कर रही थी,
दूसरी तरफ
उधर दरवाजे के दर्शक की हालत कुछ ज्यादा अच्छी नही थी,
उर्मी रमेश के लंड के दाखिल होने का इंतज़ार करने लगी। रमेश के लंड को उर्मी अपनी चूत के ऊपर सटे हुए महसूस कर रही थी।
अब तो उर्मी हवस के इतने नशे में थी कि उर्मी ने आँखें बंद करके अपने आप को इस दुनिया से काट लिया था।
वासना में चूर उर्मी दुनिया के सारे रिश्तों को और सारी मर्यादाओं को भूल कर बस अपने जानू के लंड को अपनी चूत में घुसते हुए महसूस करना चाहती थी।
चुदाई का बुखार कुछ इस कदर था कि उनसे बस एक ही रिश्ता था; जो रिश्ता किसी मर्द और औरत के बीच जिस्मों के मिलन से बनता है।
उर्मी रमेश के लंड से अपनी चूत की दीवारों को रगड़ना चाहती थी। सब कुछ स्वर्ग का अनुभव दे रहा था।
रमेश ने उर्मी की चूत की फाँकों को अलग करके अपने लंड को उर्मी की चूत के छेद पर रखा।
रमेश (लंड को चूत के ऊपर रगड़ते हुए) - “अब बता मेरी जान… कितनी प्यास है तेरे अंदर? मेरे लंड को कितना चाहती है?”
उर्मी (अपने सूखे होंठों पर जीभ फेरते हुवे) ।“आआऽऽऽ…हहऽऽऽ… क्या करते हो… ऊँममऽऽऽ… अंदर घुसा दो इसे !”
रमेश (आग में घी डालने के लिए - रोलेप्ले करने का सोचते हुवे) - उर्मी अगर मैं अब तुम्हारा ससुर बन जाऊ तो … क्या ये संभव है?”
उर्मी (फटाफट उसका रमेश का प्लान समझते हुवे) - “ऊऊऽऽ…हहऽऽऽ राऽऽ…!!… उर्मी की जाऽऽऽन… उर्मी काऽऽ इम्तिहान मत लोऽऽऽ… ऊँम्म डाल दो इसे… अपने बेटे की बीवी की चूत फाड़ दो अपने लंड से… कब से प्यासी हूँ तुम्हारे इस लंड के लिये… ओओहहह कितने दिनों से ये आग जल रही थी। उर्मी तो शुरू से तुम्हारी बनना चाहती थी। ओऽऽऽहहऽऽऽ तुम कितने पत्थर दिल होऽऽऽऽ! कितना तरसाया मुझे… आज भी तरसा रहे हो !”
रमेश एकदम हक्का बक्का रह गया उर्मी की इन बातो से,
उर्मी हवस और उत्तेजना के कारण चुदाई के सिवा और कुछ भी न देख पा रही थी और न ही कुछ सोच पा रही थी,
उर्मी ने रमेश के लंड को अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूत की ओर ठेला मगर रमेश ने उर्मी की कोशिश को नाकाम कर दिया।
उर्मी की चूत का मुँह लंड की रगडने से लाल हो कर खुल गया था जिससे रमेश के लंड को किसी तरह की परेशानी ना हो।
उर्मी की चूत से काम-रस झाग बनके निकल कर उसके चूतड़ों के कटाव के बीच से बहता हुआ बिस्तर की ओर जा रहा था।
उर्मी की चूत का मुँह पानी से उफ़न रहा था।