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Incest मेरा परिवार सुखी संसार

Lusty Star

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नमस्कार दोस्तों,
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद,
कहानी लम्बी है, आशा है आपको पसन्द आएगी,

कई किरदार आएंगे,
कई मौके आएंगे

सम्भव है कि कहानी में कुछ ऐसे से भी संवाद और परिस्थिती आएंगी जो आपको लगे कि कही पर ये पढ़ा है,

और भी बहुत कुछ होगा, कहानी को मजेदार बनाने के लिए आप सभी के द्वारा दिए गए सुझावों को समिल्लित करे जाने का पूरा प्रयास करूंगा,
 
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Lusty Star

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Very Nice and erotic description
Bahot hi HOT
jis tarah vistaar se aapne pure chitra ko ubhara hai wo bahot hi lajawaab hai , adbhut shaili hai aapki likhne ki
aurr aap devnagri me likhte hai to usse aur bhi maza badh jata hai
par ek guzarish hai ki koi bhi sex scene ho to usko ek lamba update deke ek hi update me pura likh dijiye
varna aise bich me chor dete hain aap aur fir ek din ke intazaar ke baad bhi bas Blowjob padhne ko mila .... to thodhi frustration ho jati
isliye request hai ki thodhe badhe update post kiye jayeen
: aur kripya font size thodha badha de , Desktop me bahot chota dikhta hai
aasha hai aap meri baat ko smjhenge
dhanyawaad

--Keep up the Good work & keep updating--
इतना लंबा कथानक लिखने के लिए समय भी तो चाहिए भाई, फिर भी प्रयत्न अवश्य करूँगा
 

Lusty Star

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अध्याय 12


उर्मी का पूरा बदन बियर और रमेश की लार से चिपचिपा हो गया था।

रमेश ने एक झटके में उर्मी को अपनी बाँहों में उठा लिया और अपनी बाँहों में उठाये हुए बाथरूम में ले गया

इतनी देर तक रिझाने के कारण हुई उत्तेजना की वजह से उर्मी को उठाकर बाथरूम ले जाते वक्त एक बार भी रमेश की साँस नहीं फ़ूली।



बाथरूम में बाथ-टब में दोनों घुस गये और एक दूसरे को मसल-मसल कर नहलाने लगे।

नहाते वक्त भी उर्मी के पैरों में सैंडल मौजूद थे। नहाने के साथ-साथ वो एक दूसरे को छेड़ते जा रहे थे।

इस तरह की चुदाई के स्वरूप उर्मी ने सिर्फ कल्पना में ही सोचे थे।

वहीं पर बाथ-टब में बैठे-बैठे रमेश ने उर्मी को टब का सहारा लेकर घुटने के बल झुकाया और पीछे की तरफ़ से उर्मी की चूत और गाँड के छेद पर अपनी जीभ फिराने लगा

उर्मी - “ऊऊऊऽऽऽ…हहहऽऽऽ… ! जाआऽऽऽन… ये क्या कर रहे हो? नऽऽऽहींऽऽऽ… हाँऽऽऽऽ और अंदर… और अंदर ”

रमेश ने उर्मी की गाँड के छेद को अपनी उँगलियों से फैला कर उसके अंदर भी एक बार जीभ डाल दी।

उर्मी की चूत में आग लगी हुई थी। उर्मी उत्तेजना और नशे में अपने ही हाथों से अपने मम्मों को बुरी तरह मसल रही थी।

उर्मी - “बस-बस ! और नहीं.. अब मेरी प्यास बुझा दो। मेरी की चूत जल रही है… इसे अपने लंड से ठंडा कर दो। अब मुझे अपने लंड से चोद दो। अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती। ये आपने क्या कर डाला… मेरे पूरे जिस्म में आग जल रही है। प्लीऽऽऽऽज़ और नहीं… ”


रमेश ने वापस टब से बाहर निकल कर उर्मी को अपनी बाँहों में उठाया और गीले बदन को कमरे में वापस आये।

रमेश ने उर्मी को उसी हालत में बिस्तर पेर लिटा दिया।

रमेश उर्मी को लिटा कर उठने को हुए तो उर्मी ने झट से रमेश की गर्दन में अपनी बांहें डाल दीं जिससे वो उसस दूर नहीं जा सकें।

अब इंच भर की दूरी भी बर्दाश्त से बाहर हो रही थी।

रमेश ने मुस्कुराते हुए उर्मी की बाँहों को अपनी गर्दन से अलग किया और अपने लंड पर केन में बची हुई बियर से कुछ बूँद डाल कर

रमेश - , “अब इसे चूसो !”

उर्मी ने वैसा ही किया। उर्मी को बियर से भीगा उसका लंड बहुत ही स्वदिष्ट लगा।

उर्मी वापस रमेश के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।

रमेश ने अब उस केन से बची हुई बियर धीरे-धीरे अपने लंड पर उड़ेलनी शुरू की।

उर्मी रमेश के लंड और अंडकोषों पर गिरती हुई वाईन को पी रही थी।

कुछ देर बाद जब उर्मी पूरी बियर पी चुकी तो रमेश ने उसे लिटा दिया और उर्मी की टांगें अपने कंधों पर रख दीं।

फिर रमेश ने उर्मी की कमर के नीचे एक तकिया लगा कर उर्मी की चूत की फाँकों को अलग किया।







उधर राजेश सिंह अभी भी कविता के सामने मोर्चा संभाल हुवा था, और घमासान चुदाई हो रही थी,

कविता राजेश सिंह के लन्ड पर उछल उछल कर चुदाई कर रही थी, और पूरे कमरे में गच्च गच्च और फच्च फच्च की आवाज गूंज रही थी,

थोड़ी देर ऐसे ही चुदने के बाद वो पलट कर निचे आ गयी और राजेश सिंह ऊपर और चुदाई वैसे ही घमासान चल रही थी,

कविता की चुदने की शक्ति देख कर खिड़की से देख रही उस दर्शक की जान सूख गई थी, उसकी चूत लगातार बहे जा रही थी,

कविता - आज कितना मस्त चोद रहे हो,

राजेश सिंह - कविता जिसकी तेरे जैसी गर्म बीवी हो … उसको कोई कैसे ना छोड़े फुल जोश में,

कविता (राजेश सिंह को थोड़ा और जोश दिलाने के लिए) - मुझे एक बात समझ नहीं आती कि जब तुम
दिल्ली या और कही व्यवसाय के सिलसिले में अकेले जाते हो, तो कैसे रह पाते होगे? कहीं ऐसा तो नहीं कि उस समय अपनी सेक्रेटरी को ही पेल देते होओ?

राजेश सिंह (और जोर से धक्के मारते हुवे) - तुम्हें ऐसा क्यों लगता है?

कविता (मुस्कुराते हुए)- देखो एक तो उसके कपड़े मुझे पता है, वो स्कर्ट के नीचे पैंटी नहीं पहनती. दूसरा तुम मुझे बिना चोदे एक दिन नहीं रहते.

राजेश सिंह (पूरे जोश में झटके देते हुवे) - है तो सच में वो एक नंबर की रांड, साली. लेकिन राजू की चूत की कसम मैंने उसे आज तक नही चोदा, रमेश का मैं बोल नही सकता,


राजेश सिंह ने कविता के मम्मो को का दूध दुहते हुए कहा- तुमने राजू की गांड देखी, कितनी बड़ी हो
गई, मुझे तो लगता है, वो कही किसी से


कविता - पता नही साली छिनाल का, और एक बात हैं मैं समझ गई . कि आपका मन कर रहा राजू की गांड मारने का?

राजेश सिंह राजश्री की मटकती चाल और उछलते कूल्हे को याद करके कविता की चूत में भयंकर रूप से धक्के मारने लगा, जिससे कविता की चीखें निकलने लगी,

राजेश सिंह - तुम गांड की बात कर रही हो, मैं तो सोच रहा तेरे बगल में राजू को पटक कर नंगी करके चोद ही दूं साली को.

राजेश सिंह की इससे बात ने कविता और राजेश सिंह दोनो के बदन में वो आग लगाई कि पूछो ही मत,

खिड़की के दर्शक ने मन मे सोचा - हाय क्या लंड है राजेश सिंह का और उसका स्टेमिना भी कितना दमदार है.

कविता - मेरे सामने मेरी इसी चूत से निकली हुई छिनाल बेटी को चोदने की बात कर रहे हो, साले बेटीचोद पहले उसकी माँ की चूत को चोद,

बात करता है बेटी को चोदेगा, अब उसकी मां चुद रही है उसको तो देख,

राजेश सिंह - अगर राजू अपने से राजी नहीं हुई तो, किसी दिन उस रंडी को मैं पटक कर चोद दूंगा.

राजश्री की चुदाई की कल्पना दोनों लोग लुगाई की चुदाई की आग में घी का काम कर रही थी,



दूसरी तरफ



उधर दरवाजे के दर्शक की हालत कुछ ज्यादा अच्छी नही थी,


उर्मी रमेश के लंड के दाखिल होने का इंतज़ार करने लगी। रमेश के लंड को उर्मी अपनी चूत के ऊपर सटे हुए महसूस कर रही थी।

अब तो उर्मी हवस के इतने नशे में थी कि उर्मी ने आँखें बंद करके अपने आप को इस दुनिया से काट लिया था।

वासना में चूर उर्मी दुनिया के सारे रिश्तों को और सारी मर्यादाओं को भूल कर बस अपने जानू के लंड को अपनी चूत में घुसते हुए महसूस करना चाहती थी।

चुदाई का बुखार कुछ इस कदर था कि उनसे बस एक ही रिश्ता था; जो रिश्ता किसी मर्द और औरत के बीच जिस्मों के मिलन से बनता है।

उर्मी रमेश के लंड से अपनी चूत की दीवारों को रगड़ना चाहती थी। सब कुछ स्वर्ग का अनुभव दे रहा था।

रमेश ने उर्मी की चूत की फाँकों को अलग करके अपने लंड को उर्मी की चूत के छेद पर रखा।

रमेश (लंड को चूत के ऊपर रगड़ते हुए) - “अब बता मेरी जान… कितनी प्यास है तेरे अंदर? मेरे लंड को कितना चाहती है?”

उर्मी (अपने सूखे होंठों पर जीभ फेरते हुवे) ।“आआऽऽऽ…हहऽऽऽ… क्या करते हो… ऊँममऽऽऽ… अंदर घुसा दो इसे !”

रमेश (आग में घी डालने के लिए - रोलेप्ले करने का सोचते हुवे) - उर्मी अगर मैं अब तुम्हारा ससुर बन जाऊ तो … क्या ये संभव है?”

उर्मी (फटाफट उसका रमेश का प्लान समझते हुवे) - “ऊऊऽऽ…हहऽऽऽ राऽऽ…!!… उर्मी की जाऽऽऽन… उर्मी काऽऽ इम्तिहान मत लोऽऽऽ… ऊँम्म डाल दो इसे… अपने बेटे की बीवी की चूत फाड़ दो अपने लंड से… कब से प्यासी हूँ तुम्हारे इस लंड के लिये… ओओहहह कितने दिनों से ये आग जल रही थी। उर्मी तो शुरू से तुम्हारी बनना चाहती थी। ओऽऽऽहहऽऽऽ तुम कितने पत्थर दिल होऽऽऽऽ! कितना तरसाया मुझे… आज भी तरसा रहे हो !”

रमेश एकदम हक्का बक्का रह गया उर्मी की इन बातो से,

उर्मी हवस और उत्तेजना के कारण चुदाई के सिवा और कुछ भी न देख पा रही थी और न ही कुछ सोच पा रही थी,

उर्मी ने रमेश के लंड को अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूत की ओर ठेला मगर रमेश ने उर्मी की कोशिश को नाकाम कर दिया।

उर्मी की चूत का मुँह लंड की रगडने से लाल हो कर खुल गया था जिससे रमेश के लंड को किसी तरह की परेशानी ना हो।

उर्मी की चूत से काम-रस झाग बनके निकल कर उसके चूतड़ों के कटाव के बीच से बहता हुआ बिस्तर की ओर जा रहा था।

उर्मी की चूत का मुँह पानी से उफ़न रहा था।
 

AssNova

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इतना लंबा कथानक लिखने के लिए समय भी तो चाहिए भाई, फिर भी प्रयत्न अवश्य करूँगा
bhai 3-3 update deke aapne dil khush kar diya aur saari bharpaai kar di
aise hi likhte rahe
aur jis tarah likh rhe hain aap wo to bahot hi kamukh hai
lagta nhi ki ye raat jaldi kahtam hogi
vaise sasur bahu ka to kaam ho rha hai lekin rakesh kaha hain? uska hi intazaar hai
keep up
 
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Lusty Star

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अध्याय 13


रमेश - “अंदर कर दूँ???”

उर्मी (अनोखे से नशे में) “हाँ ऊऊहह हाँऽऽऽ !”

रमेश - “मेरे लंड पर किसी तरह का कोई कंडोम नहीं है। मेरा वीर्य अपनी कोख में लेने की इच्छा है क्या?”

उर्मी - “हाँऽऽ ऊऊहह माँ… हाँऽऽ उर्मी की चूत को भर दो अपने वीर्य सेऽऽऽ! डाल दो अपना बीज उर्मी की कोख में !”

पूरा शरीर पसीने से तरबतर हो रहा था,

उर्मी की आँखें उत्तेजना से उलट गई थीं और होंठ खुल गये थे,

उर्मी अपने सूखे होंठों पर अपनी जीभ चला कर गीला कर रही थी।

रमेश - “फिर तुम्हारी कोख में मेरा बच्चा आ जायेगा !!”

उर्मी - “हाँऽऽ हाँऽऽऽ मुझे बना दो प्रेगनेंट ! अब बस… करोऽऽऽ… तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ… और मत सताओ ! मत तड़पाओ मुझे !”

उर्मी ने अपनी दोनों टाँगें बिस्तर पर जितना हो सकता था फैला लीं, “देखो तुम्हारी दुल्हन तुम्हारे सामने अपनी चूत खोल कर लेटी तुमसे गिड़गिड़ा रही है कि उसकी चूत को फाड़ डालो। रगड़ दो उसके नाज़ुक शरीर को। मसल डालो मेरे इन मम्मों को… जिन पर मुझे नाज़ है ! ये सब तुम्हारे छूने…तुम्हारी मुहब्बत के लिये तड़प रहे हैं।”

रमेश का दिल उर्मी की बात पर पसीज गया और अपनी उँगलियाँ से उर्मी की भगनासा को मसलते हुए अपने लंड को अंदर करने लगा।

उर्मी अपने हाथों से रमेश की छातियों को मसल रही थी और रमेश के लंड को अपने चूत की दीवारों को रगड़ते हुए अंदर प्रवेश होते महसूस कर रही थी।

उर्मी - “हाँऽऽ मेरे पिया ! इस सूख और आनंद का मुझे जन्मों से इंतज़ार था। तुम इतने नासमझ क्यों हो ! मेरे दिल को समझने में इतनी देर क्यों कर दी?”

रमेश ने वापस उर्मी की टाँगें अपने कंधों पर रख लीं।

रमेश के दोनों हाथ उर्मी के मम्मो पर थे, दोनों हाथो से उर्मी की छातियों को जोर-जोर से मसल रहा था,,

उर्मी की चूत बुरी तरह से गीली हो रही थी इसलिये रमेश के लंड को अंदर प्रविष्ट होने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई। उनका लंड पूरी तरह उर्मी की चूत में समा गया था।

फिर रमेश ने धीरे-धीरे अपने लंड को पूरी तरह से बाहर खींच कर वापस एक धक्के में अंदर कर दिया।

अब रमेश ने उर्मी की टाँगें अपने कंधों से उतार दीं और उर्मी के ऊपर लेट गया और अपनी बाँहों में भर कर उसके होंठों को चूमने लगा,

सिर्फ उसकी कमर ऊपर-नीचे हो रही थी, उर्मी की टाँगें दोनों ओर फ़ैली हुई थीं,

कुछ ही देर में उर्मी ने उत्तेजित होकर रमेश के हर धक्के का अपनी कमर को उसकी तरफ़ उठा कर और उछाल कर स्वागत करने लगी।

उर्मी भी नीचे की ओर से पूरे जोश में धक्के लगा रही थी। एयर कंडिशनर की ठंडक में भी दोनों पसीने-पसीने हो रहे थे।

कमरे में सिर्फ एयर कंडिशनर की हमिंग के अलावा उन दोनों की आवाज ‘ऊऊऽऽ…हहऽऽ… ओओऽऽ…हहऽऽ…’ गूँज रही थी।

साथ में हर धक्के पर ‘फ़च फ़च’ की आवाज आती थी।

दोनो के होंठ एक दूसरे से सिले हुए थे, उनकी जीभ एक दूसरे के मुँह में घूम रही थी,

उर्मी ने अपने पाँव उठा कर उनकी कमर को चारों ओर से जकड़ लिया।

काफी देर तक इसी तरह चोदने के बाद रमेश उठा और उर्मी को बिस्तर के किनारे खींच कर आधी-लेटी हालत में लिटा कर उर्मी की टाँगों के बीच खड़े होकर चोदने लगा।

रमेश के हर धक्के के साथ पूरा बिस्तर हिलने लगता था। उर्मी की चूत से दो बार पानी की बौछार हो चुकी थी।

कुछ देर तक और चोदने के बाद रमेश ने अपने लंड को पूरी जड़ तक उर्मी की चूत के अंदर डाल कर मेरे दोनों मम्मों को अपनी मुठ्ठी में भर कर इतनी बुरी तरह मसला कि उर्मी की तो जान ही निकल गई।

रमेश - “ले ! ले मेरा माल… मेरा वीर्य अपने पेट में भर ले। ले-ले मेरे बच्चे को अपने पेट में ! अब नौ महीने बाद मुझसे शिकायत नहीं करना।”

रमेश ने उर्मी के होंठों के पास बड़बड़ाते हुए उर्मी की चूत में अपना वीर्य डाल दिया।

उर्मी ने रमेश के चुत्तडों में अपने नाखून गड़ा कर अपनी चूत को जितना हो सकता ऊपर उठा दिया और उर्मी की चूत का रस भी रमेश के लंड को भिगोते हुए निकल पड़ा।

दोनों निढाल होकर एक दूसरे की बगल में लेट गये। कुछ देर तक यूँ ही लंबी-लंबी साँसें लेते रहे।

फिर रमेश ने करवट लेकर अपना एक पैर उसके बदन के ऊपर चढ़ा दिया और उर्मी के मम्मों से खेलते हुए बोला

रमेश - “ओओऽऽ…फफऽऽ… उर्मी तुम भी गजब हो। तुम्हारी कल्पना की उड़ान ने मुझे पूरी तरह थका दिया"

उर्मी - मुझे नही पता था कि इस तरफ की कल्पनाओ में इतना सुख मिलता है,

और दोनों एक दुसरे की बांहो में सो गए,

उस समय तक राजेश सिंह और कविता भी सो चुके थे,

लेकिन सब से ज्यादा बुरा हाल तो उन दोनों दर्शको का था,



आज प्रेषित किये गए अध्याय जल्दी जल्दी में किये गए है अगर कोई त्रुटि हो तो क्षमा करें
 

Lusty Star

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bhai 3-3 update deke aapne dil khush kar diya aur saari bharpaai kar di
aise hi likhte rahe
aur jis tarah likh rhe hain aap wo to bahot hi kamukh hai
lagta nhi ki ye raat jaldi kahtam hogi
keep up
धन्यवाद, अब सुबह क्या होगा, वो तो तीन चार बाद पता चलेगा,
 
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