अध्याय 11
दूसरी तरफ राजेश सिंह भी बड़े जबरदस्त तरीके से कविता की चुदाई कर रहे थे, कविता की सिसकारियां दरवाजे के बाहर तक सुनी जा सकती थी,
मन ही मन कविता अपनी बेटी राजश्री को धन्यवाद दे रही थी कि उसके उस छिनारपने की वजह से आज उसको कई बरसो के बाद चुदाई का ये असीम सुख मिल रहा, राजेश सिंह की हालत कुछ कुछ ऐसी ही थी,
लेकिन इनकी चुदाई में जोश था होश नही, और दूसरी तरफ उसके बेटे बहु की चुदाई में जोश और होश दोनों थे,
सास बहू जब साथ चुदेगी,
अनचुदी चूत नही मिलेगी,
राजेश सिंह आज भी जोश में था, शक्तिवर्धक दवा का सेवन करके कविता की बूर का भोसड़ा बना रहे थे,
इधर भी एक दर्शक था जो कि AC की खिड़की के पास से सीधा प्रसारण देख रही था, यहाँ की दर्शक एक स्त्रीलिंग है, जो दिन में कविता द्वारा सुनाई गई चुदाई की कहानी की सत्यता जाचने आई थी और वही पर चूत में उंगली करने लगी,
उधर उर्मी और रमेश
रमेश का लंड उर्मी के थूक से गीला हो गया था और चमक रहा था। रमेश के उठते ही उर्मी भी उठ बैठी।
रमेश ने उर्मी को बिस्तर से उतार कर वापस अपने आगोश में ले लिया।
उर्मी ने रमेश के सिर को अपने हाथों से थाम कर रमेश के होंठों पर अपने होंठ सख्ती से दाब दिये। मेरी जीभ रमेश के मुँह में घुस कर रमेश की जीभ से खेलने लगी। साढ़े-चार इंच ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने होने के बावजूद उर्मी को अपनी ऐड़ियों को और ऊपर करना पड़ा, जिससे मेरा कद रमेश के कद के कुछ हद तक बराबर हो जाये।
उर्मी के सैंडलों के ऐड़ियाँ अब ज़मीन से ऊपर उठी हुई थी और उर्मी के पंजे मुड़े हुए थे।
फिर उर्मी ने अपने दोनों मम्मों को हाथों से उठा कर रमेश के सीने पर इस तरह रखा कि रमेश के निप्पलों को उर्मी के निप्पल छूने लगे
रमेश के निप्पल भी मेरी हरकत से एकदम कड़े हो गये थे। उर्मी के निप्पल तो पहले से ही उत्तेजना में तन चुके थे।
उर्मी ने अपने निप्पल से रमेश के निप्पल को सहलाना शुरू किया।
रमेश ने उर्मी के चूतड़ों को सख्ती से पकड़ कर अपने लौड़े पर खींचा,
रमेश - “मम्मऽऽऽ.. उर्मी मीऽऽ.. ऊँमऽऽ.. तुम बहुत सैक्सी हो। अब अफ़सोस हो रहा है कि तुम्हारी ये कल्पना इतने दिनों तक पूरी क्यों नही की । ओफ.. ओह..हऽऽऽ तुम तो मुझ पागल कर डालोगी। आ..आआऽऽऽ..हहहऽऽऽ.. हाँऽऽऽ ऐसे हीऽऽऽ..”
रमेश अपने लंड को उर्मी की चूत के ऊपर रगड़ रहे था,
दरवाजे के बाहर भी आह उन्ह की आवाज आने लगीं जिसने उर्मी का ध्यान दरवाजे की तरफ खींचा
कुछ देर तक एक दूसरे के बदन को रगड़ने के बाद रमेश ने उर्मी को बिस्तर के पास ले जाकर उर्मी के एक पैर को उठा कर बिस्तर के ऊपर रख दिया।
अब घुटनों के बल बैठने की रमेश की बारी थी। वो उर्मी की टाँगों के पास बैठ कर बिस्तर पर रखे उर्मी के पैर और उसके सैंडल की पट्टियों पर अपनी जीभ फिराने लगा,
फिर रमेश की जीभ उर्मी की टाँगों और जाँघों से होती हुई उर्मी की टाँगों के जोड़ पर घूमने लगी।
रमेश ने अपनी जीभ से उर्मी की चिकनी चूत को ऊपर से चाटना शुरू किया। वो अपने हाथों से उर्मी की चूत की फाँकों को अलग करके उसकी चूत के भीतर अपनी जीभ डालना चाहते थे।
उर्मी - “नहीं ! ऐसे नहीं !”
कहकर उर्मी ने रमेश के हाथों को अपने बदन से हटा दिया और उर्मी ने खुद एक हाथ की उँगलियाँ से अपनी चूत को खोल कर दूसरे हाथ से रमेश के सिर को थाम कर अपनी चूत से सटा दिया,
उर्मी - “लो अब चाटो इसे !”
रमेश की जीभ किसी छोटे लंड की तरह उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगी। हवस के नशे में उर्मी बहुत उत्तेजित हो गई थी।
उर्मी रमेश के बालों को अपनी मुठ्ठी में पकड़ कर उन्हें खींच रही थी, मानो उन्हें उखाड़ ही देना चाहती थी।
दूसरे हाथ की उँगलियों से उर्मी ने अपनी चूत को फैला रखा था और साथ-साथ एक उँगली से अपनी क्लीटोरिस को सहला रही थी।
उर्मी ने सामने आईने में देखा तो उन दोनों की हालत को देख कर अपने ऊपर कंट्रोल नहीं कर पाई और उर्मी के चूत जवाब दे गई और लावा बह निकला।
उर्मी ने सख्ती से दूसरे हाथों की मुठ्ठी में रमेश के बालों को पकड़े हुए रमेश के सिर को अपनी चूत में दाब रखा था।
रमेश की जीभ उर्मी की चूत से बहती हुई रस धारा को पूरा चाट गई,।
काफी देर तक इसी तरह चुसवाते हुए जब उर्मी की बर्दाश्त से बाहर हो गया तो उर्मी ने रमेश के सिर को अपनी चूत से खींच कर अलग किया।
रमेश के सिर के कई बाल टूट कर उर्मी की मुठ्ठी में आ गये थे। रमेश के होंठ और ठुड्डी उर्मी के रस से चमक रहे थे।
उर्मी - “ऊऊहहऽऽ… मेरे कामदेव!”
अब उर्मी ने वासना और और कल्पना की उड़ान को आगे ले जाने के लिए रमेश को ऊपर अपनी ओर खींचा।
रमेश खड़ा होकर उर्मी लिपट गया, और उर्मी के होंठों पर अपने होंठ रख कर उर्मी के होंठों को अपने मुँह में खींच लिया और उन्हें बुरी तरह चूसने लगा
उर्मी नहीं जानती थी कि उधर भी इतनी ज्यादा आग लगी हुई है। रमेश ने अपनी जीभ उर्मी के मुँह में डाल दी।
मुँह में अजीब सा स्वाद समा गया, उर्मी ने ज़िंदगी में पहली बार अपनी चूत के रस का स्वाद चखा।
उर्मी ने रमेश के चेहरे पर लगे अपने रस को चाट कर साफ़ किया।
रमेश ने थिरकते हुए बिस्तर के साईड में रखी बियर की केन उठा ली।
उर्मी ये देख कर और भी ज्यादा उत्तेजित हो गई, उस घर और ससुराल मे मांसाहार और मदिरापान वर्जित था, फिर भी उसकी कल्पना को नया आयाम देने के लिए रमेश ने इतना बड़ा कदम उठाया,
इसे देख कर उर्मी की आँखों मे आंसू आ गए, जिसे देख रमेश ने उन आंसुओ को आंखों पर से ही चूम लिया
रमेश - आज इनकी क्या जरूरत,
उर्मी - आज से उर्मी पूरे तन मन से तुम्हारी है, हमेशा हमेशा के लिए, और सातो जन्म में मैं तुम्हे ही अपना जीवन साथी भगवान से मांगती हूँ
रमेश ने तुरन्त ही गाना बदल दिया और अब म्यूजिक सिस्टम में वो गाना बजने लगा,
"सातो जन्म में तेरे, मैं साथ रहूंगा यार"
उर्मी ने कॉलेज में बीयर भी पी थी, मदिरा भी, धूम्रपान भी,
आप समस्त पाठकगणों को बता दूँ, मैं मदिरापान और धूम्रपान के सख्त विरोध में हूँ, परन्तु कहानी को आगे बढ़ाने हेतु इन चीजों का समावेश किया गया है,
केन को खोल कर रमेश ने उसमें से एक घूँट लगाया और एक घूँट उर्मी ने भी लगाया और फिर रमेश ने उर्मी को अपने सामने खड़ा कर दिया।
फिर उस बोतल से उर्मी के एक मम्मे पर धीरे-धीरे बियर डालने लगा।
रमेश ने अपने होंठ उर्मी के निप्पल के ऊपर रख दिये,
बियर उर्मी के सीने से फ़िसलती हुई उर्मी के निप्पल के ऊपर से होती हुई रमेश के मुँह में जा रही थी।
बहुत ही एग्ज़ोटिक और रोमांटिक सीन था वो।
फिर वो उस उर्मी को ऊपर करके उर्मी के चेहरे पर वाईन उड़ेलने लगे। साथ-साथ उर्मी के चेहरे से टपकती हुई बियर को पीते जा रहे थे।
उर्मी बियर में नहा रही थी और रमेश की जीभ उर्मी के पूरे जिस्म पर दौड़ रही थी।
उर्मी रमेश की हरकतों से पागल हुई जा रही थी। इस तरह से उर्मी की कल्पना को रमेश इस तरह से पूरा करेगा ये उर्मी ने स्वप्न में भी नही सोचा था,
लेकिन आज की इस प्लानिंग को देख के इतना तो साफ़ दिख रहा था कि रमेश चुदाई का अच्छा खिलाड़ी है और अपनी पत्नी उर्मी से इतना प्यार करता है कि घर की एक पुरानी परम्परा को तोडने से भी पीछे नही हटा,
जब केन आधी से ज्यादा खाली हो गई तो रमेश ने केन उर्मी को पकड़ा दी और उर्मी के पूरे जिस्म को चाटने लगे। उर्मी केन से घूँट पीने लगी और वो उर्मी का बदन चाटने लगा