Manju143
Member
- 102
- 31
- 28
अपने छोटी देवरानी अंजली कोUpdate 7
जब भी संजना चाची मेरे पिताजी को स्तनपान करती थी तब तब मेरे दादाजी मेरे पिताजी को ताने मारने शुरू कर देते थे। पहले तो संजना चाची ये सब सहन कर लेती थी। पर कुछ दिन ऐसेही ताने सुनने के बाद उसने थान ली कि अपने ससुरजी को वो सबक सिखाके ही रहेगी।
एक दिन शाम को हम सब टीवी देख रहे थे। संजना चाची मेरे दादाजी के बाजू में जमीन पर बैठी हुई थी। और बाकी सब लोग अलग अलग सोफे पर बैठे थे। थोड़ी देर बार दादाजी ने मेरे पिताजी को ताना मारा,
"क्या हुआ समीर। आज दूदू नही पीना है क्या?"
मेरे पिताजी का चेहरा शरम से लाल हो गया। पर संजना चाची हँस रही थी। उसने एक हाथ से अपने ससुरजी को पकड़ लिया और जबरदस्ती से अपनी गोद मे उनको लिटा दिया।
"क्या कर रही हो बहु?"
"आपको सबक तो सिखाना ही पड़ेगा। दुसरो को ताने मारते हो ना?"
उसने अपने पल्लू के निचे हाथ डालकर ब्लाऊज के कुछ बटन खोल दिये। उसने पहले से ही एक हाथ से अपने ससुरजी का सर पकड़ कर रखा हुआ था। दादाजी झुंझने लगे पर उनकी उमर बहुत ज्यादा होने के कारण वो संजना चाची ईतने ताक़दवर नही थे। चाची ने हँसते हुए उनका सर पल्लू से ढक लिया और ब्लाऊज को एक साइड से ऊपर करते हुए उसने एक स्तन उनके मुँह में घुसा दिया। दादाजी अभी अभी झुँझ रहे थे पर चाची ने उनकी कोई बात नही सुनी। उसने जबरदस्ती से उनके मुँह में अपना स्तन पकड़ रखा था।
"नादान मस्त बनो ससुरजी। पी लो दूध।"
थोड़ी देर बाद दादाजी शांत हो गए और अपने बहु का दूध पीने लगे।
"अब कैसे पी रहे हो। अब मारोगे ताने किसीको?"
उसने अपनी पकड़ ढिली कर ली पर छोड़ नही दी। 10 मिनिट बाद एक स्तन खाली होने के बाद दादाजी फिरसे हलचल करने लगे पर चाची ने जल्दी से उनको दूसरा स्तन पीने दिया। कुछ देर बाद सारा दूध खाली होने के बाद चाची ने दादाजी पर से अपनी पकड़ हटा ली और अपने ब्लाऊज के बटन लगा लिए । अपना पल्लू ठीक कर लिया और दादाजी का मुँह पल्लू से पोछ लिया।
दादाजी गुस्से से बोले,
"ये तूने अच्छा नही किया बहु।"
चाची हँस पड़ी,
"तो क्या कर लोगे? अब तो आपने भी स्तनपान कर लिया। अब कैसे सबको मुँह दिखाओगे?"
इसपर दादाजी कोई जवाब नही दे पाए। वो शरमा रहे थे।
फिर संजना चाची उनको मुस्कुराते हुए बोली,
"आप ताने मार रहे थे ना इसलिए मुझे गुस्सा आ गया। पर वैसे भी दूध पीने से क्या आपका नुकसान हो गया अब?"
दादाजी उसे बोले,
"मुझे माफ़ कर दो बहु। "
"ठीक है ससुरजी। मैने आपको माफ कर दिया।"
अब दादाजी भी हलके से हँसने लगे।
संजना चाची फिर बोली,
"तो आप रोज पी लोगे मेरा दूध ?"
दादाजी शरमाते हुए बोले,
"पर वो तो बच्चों के लिए होता है।"
चाची हँस पडी,
"तो आप ही मेरे बच्चे बन जाओ ना। उसमे क्या नई बात है?"
"पर तुम मुझे बिलकुल किसी बच्चे की तरह पिलाओगी ना?"
"हा हा क्यू नही ससुरजी।"
"अच्छा तो ठीक है फिर।"
रात को डिनर के बाद चाची ने सबके लिए बिस्तर लगा दिया। मैं , दादाजी , चाची और मेरे पिताजी जमीन पर फैलाये हुए बिस्तर पर सो गए और चाचा लाइट डिम करके खटाई पर सो गया। दादाजी और मैं एक साइड में थे और चाची ने मेरे पिताजी को अपने साथ दूसरी बाजू सोने को कहा था । इसकी वजह से चाची मेरी तरफ पीठ करके सोती थी तब मुझे उसके दूसरी तरफ का कुछ दिखाई नही दे रहा था। चाची अब मेरे पिताजी को सुलाने लगी। पर उनको हमेशा की तरह नींद नही आ रही थी। संजना चाची हँसते हुए बोली,
"मुझे पता है आपको क्या चाहिए जेठ जी।"
थोड़ी ही देर में चाची अपने ब्लाऊज के बटन खोलकर मेरे पिताजी को स्तनपान करने लगी। उनको दूध पिलाते वक्त वो उनकी पीठ भी थपथपा रही थी।
सुबह हम सबने नाश्ता किया। नाश्ता करते वक्त दादाजी संजना चाची के स्तनों को घूर कर देख रहे थे। नाश्ता होते ही संजना चाची ने दादाजी को कहा,
"चलो ससुरजी मैं आपको दूध पिला देती हूँ।"
उस उक्त चाचा भी मौजूद था। दादाजी का चेहरा लाल हो गया। संजना चाची हँसते हुए बोली,
"क्यू शरमा रहे हो ससुरजी ? दूध पीने में क्या बुराई है अब ? चलो आओ। "
दादाजी शरमाते हुए उसके पास खिसक गए । संजना चाची ने उनको अपनी गोद मे लिटा दिया। उसने आज ब्लैक ब्लाऊज और पर्पल कलर की साड़ी पहनी थी। चाची ने अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर ब्लाऊज के निचले बटन खोल दिये। उसने मुस्कुराते हुए दादाजी को कहा,
"पूरा दूध पी जाना ठीक है ससुरजी।"
फिर वो दादाजी का सार पल्लू से ढकते हुए उनको किसी बच्चे की तरह स्तनपान करने लगी।
चाचा संजना चाची को हँसते हुए बोला,
"तुने तो अपने ससुरजी को भी बच्चा बना दिया।"
चाची मुस्कुराई पर उसने कुछ कहा नही। थोड़ी देर बाद मैं, चाचा और मेरे पिताजी हॉल में चले आए। चाची रसोईघर में ही अपने ससुरजी को दूध पिलाती राह गयी।
दोपहर को चाचा घर नही था। खाना होने के बाद हम सब हॉल में ही लेट गए। चाची ने घर का दरवाजा बंद कर दिया था। दादाजी खटाई पर सो गए थे और चाची जमीन पर बिस्तर फेर कर सो गई थी। मेरे पिताजी उसके बाजू में लेट गए थे। मैं भी पास में ही सोया था। थोड़ी देर बाद मेरे पिताजी ने संजना चाची को अपनी तरफ पलट लिया और उसे कहा,
"दूदू पिलाओ ना ।"
चाची हँसते हुए बोली,
"बहुत नादान हो आप जेठ जी।"
फिर उसने अपने ब्लाऊज के कुछ बटन खोल दिये और मेरे पिताजी का सर ढककर वो उनको अपना दूध पिलाने लगी।
मेरे पिताजी बहुत ही धीरे धीरे दूध पीते रहते है। इसलिए चाची ने अपनी आँखें बंद कर ली।
अपनी छोटी देवरानी अंजलि को बुला लो वह भी अपनी बुड्ढे ससुर और देवर को स्तनपान कर पाएगीUpdate 7
जब भी संजना चाची मेरे पिताजी को स्तनपान करती थी तब तब मेरे दादाजी मेरे पिताजी को ताने मारने शुरू कर देते थे। पहले तो संजना चाची ये सब सहन कर लेती थी। पर कुछ दिन ऐसेही ताने सुनने के बाद उसने थान ली कि अपने ससुरजी को वो सबक सिखाके ही रहेगी।
एक दिन शाम को हम सब टीवी देख रहे थे। संजना चाची मेरे दादाजी के बाजू में जमीन पर बैठी हुई थी। और बाकी सब लोग अलग अलग सोफे पर बैठे थे। थोड़ी देर बार दादाजी ने मेरे पिताजी को ताना मारा,
"क्या हुआ समीर। आज दूदू नही पीना है क्या?"
मेरे पिताजी का चेहरा शरम से लाल हो गया। पर संजना चाची हँस रही थी। उसने एक हाथ से अपने ससुरजी को पकड़ लिया और जबरदस्ती से अपनी गोद मे उनको लिटा दिया।
"क्या कर रही हो बहु?"
"आपको सबक तो सिखाना ही पड़ेगा। दुसरो को ताने मारते हो ना?"
उसने अपने पल्लू के निचे हाथ डालकर ब्लाऊज के कुछ बटन खोल दिये। उसने पहले से ही एक हाथ से अपने ससुरजी का सर पकड़ कर रखा हुआ था। दादाजी झुंझने लगे पर उनकी उमर बहुत ज्यादा होने के कारण वो संजना चाची ईतने ताक़दवर नही थे। चाची ने हँसते हुए उनका सर पल्लू से ढक लिया और ब्लाऊज को एक साइड से ऊपर करते हुए उसने एक स्तन उनके मुँह में घुसा दिया। दादाजी अभी अभी झुँझ रहे थे पर चाची ने उनकी कोई बात नही सुनी। उसने जबरदस्ती से उनके मुँह में अपना स्तन पकड़ रखा था।
"नादान मस्त बनो ससुरजी। पी लो दूध।"
थोड़ी देर बाद दादाजी शांत हो गए और अपने बहु का दूध पीने लगे।
"अब कैसे पी रहे हो। अब मारोगे ताने किसीको?"
उसने अपनी पकड़ ढिली कर ली पर छोड़ नही दी। 10 मिनिट बाद एक स्तन खाली होने के बाद दादाजी फिरसे हलचल करने लगे पर चाची ने जल्दी से उनको दूसरा स्तन पीने दिया। कुछ देर बाद सारा दूध खाली होने के बाद चाची ने दादाजी पर से अपनी पकड़ हटा ली और अपने ब्लाऊज के बटन लगा लिए । अपना पल्लू ठीक कर लिया और दादाजी का मुँह पल्लू से पोछ लिया।
दादाजी गुस्से से बोले,
"ये तूने अच्छा नही किया बहु।"
चाची हँस पड़ी,
"तो क्या कर लोगे? अब तो आपने भी स्तनपान कर लिया। अब कैसे सबको मुँह दिखाओगे?"
इसपर दादाजी कोई जवाब नही दे पाए। वो शरमा रहे थे।
फिर संजना चाची उनको मुस्कुराते हुए बोली,
"आप ताने मार रहे थे ना इसलिए मुझे गुस्सा आ गया। पर वैसे भी दूध पीने से क्या आपका नुकसान हो गया अब?"
दादाजी उसे बोले,
"मुझे माफ़ कर दो बहु। "
"ठीक है ससुरजी। मैने आपको माफ कर दिया।"
अब दादाजी भी हलके से हँसने लगे।
संजना चाची फिर बोली,
"तो आप रोज पी लोगे मेरा दूध ?"
दादाजी शरमाते हुए बोले,
"पर वो तो बच्चों के लिए होता है।"
चाची हँस पडी,
"तो आप ही मेरे बच्चे बन जाओ ना। उसमे क्या नई बात है?"
"पर तुम मुझे बिलकुल किसी बच्चे की तरह पिलाओगी ना?"
"हा हा क्यू नही ससुरजी।"
"अच्छा तो ठीक है फिर।"
रात को डिनर के बाद चाची ने सबके लिए बिस्तर लगा दिया। मैं , दादाजी , चाची और मेरे पिताजी जमीन पर फैलाये हुए बिस्तर पर सो गए और चाचा लाइट डिम करके खटाई पर सो गया। दादाजी और मैं एक साइड में थे और चाची ने मेरे पिताजी को अपने साथ दूसरी बाजू सोने को कहा था । इसकी वजह से चाची मेरी तरफ पीठ करके सोती थी तब मुझे उसके दूसरी तरफ का कुछ दिखाई नही दे रहा था। चाची अब मेरे पिताजी को सुलाने लगी। पर उनको हमेशा की तरह नींद नही आ रही थी। संजना चाची हँसते हुए बोली,
"मुझे पता है आपको क्या चाहिए जेठ जी।"
थोड़ी ही देर में चाची अपने ब्लाऊज के बटन खोलकर मेरे पिताजी को स्तनपान करने लगी। उनको दूध पिलाते वक्त वो उनकी पीठ भी थपथपा रही थी।
सुबह हम सबने नाश्ता किया। नाश्ता करते वक्त दादाजी संजना चाची के स्तनों को घूर कर देख रहे थे। नाश्ता होते ही संजना चाची ने दादाजी को कहा,
"चलो ससुरजी मैं आपको दूध पिला देती हूँ।"
उस उक्त चाचा भी मौजूद था। दादाजी का चेहरा लाल हो गया। संजना चाची हँसते हुए बोली,
"क्यू शरमा रहे हो ससुरजी ? दूध पीने में क्या बुराई है अब ? चलो आओ। "
दादाजी शरमाते हुए उसके पास खिसक गए । संजना चाची ने उनको अपनी गोद मे लिटा दिया। उसने आज ब्लैक ब्लाऊज और पर्पल कलर की साड़ी पहनी थी। चाची ने अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर ब्लाऊज के निचले बटन खोल दिये। उसने मुस्कुराते हुए दादाजी को कहा,
"पूरा दूध पी जाना ठीक है ससुरजी।"
फिर वो दादाजी का सार पल्लू से ढकते हुए उनको किसी बच्चे की तरह स्तनपान करने लगी।
चाचा संजना चाची को हँसते हुए बोला,
"तुने तो अपने ससुरजी को भी बच्चा बना दिया।"
चाची मुस्कुराई पर उसने कुछ कहा नही। थोड़ी देर बाद मैं, चाचा और मेरे पिताजी हॉल में चले आए। चाची रसोईघर में ही अपने ससुरजी को दूध पिलाती राह गयी।
दोपहर को चाचा घर नही था। खाना होने के बाद हम सब हॉल में ही लेट गए। चाची ने घर का दरवाजा बंद कर दिया था। दादाजी खटाई पर सो गए थे और चाची जमीन पर बिस्तर फेर कर सो गई थी। मेरे पिताजी उसके बाजू में लेट गए थे। मैं भी पास में ही सोया था। थोड़ी देर बाद मेरे पिताजी ने संजना चाची को अपनी तरफ पलट लिया और उसे कहा,
"दूदू पिलाओ ना ।"
चाची हँसते हुए बोली,
"बहुत नादान हो आप जेठ जी।"
फिर उसने अपने ब्लाऊज के कुछ बटन खोल दिये और मेरे पिताजी का सर ढककर वो उनको अपना दूध पिलाने लगी।
मेरे पिताजी बहुत ही धीरे धीरे दूध पीते रहते है। इसलिए चाची ने अपनी आँखें बंद कर ली।
संजना और अंजलि घर के बाकी सदस्यों को भी अपना दूध पिला कर तंदुरुस्त रखेंगे और वह दोनों भी एक दूसरे का दूध पीकर तंदुरुस्त रहेंगे..
मैंने टिप्पणियों में जो सुझाव दिया है उसका आठवां भाग पढ़ना चाहूंगा