Jassybabra
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Very good update.Very beautiful and blissful update too.I personally salute sanjanaa chaachi for her dynamically sacred n blissfully useful adult breastfeeding service.Her logical expressions n Iles r indeed fantastic n exciting too.On the whole I very much feel like reading this sixth update very often for my satisfaction,best of luck,good wishes,in the lord.omUpdate 6
शाम को हम सब हॉल में टीवी देख रहे थे। संजय चाचा भी काम से वापस आ गए थे। चाचा और दादाजी सोफे पर बैठे थे। संजना चाची जमीन पर बैठी थी और उसने मेरे पिताजी को अपनी गोद मे लिटा दिया था। मेरे पिताजी का सर अब संजना चाची के मुम्मो के काफी करीब था। संजना चाची का पल्लू उसके एक मुम्मे से थोड़ा हट गया था। अब ये चाची ने जानबूझकर किया था या फिर उसकी ये हर दिन की आदत थी ये मुझे पता नही। पर उसका वो भरा हुआ मुम्मा देखकर किसी के भी मुह से पानी आना शुरू होता। मेरे तो आ रहा था। मेरे पिताजी के तो पूरे चेहरे से पसीना छूट रहा था। चाची ने वो अपने पल्लू से पोछ दिया। थोड़ी देर बाद मेरे पिताजी ने संजना चाची को हलकी आवाज में पूछा,
"मुझे दूध पिलाओ ना।"
यह सुनकर संजना चाची हँस पड़ी,
"इतनी ही बात है ना जेठ जी। तो इसमें शरमाने की क्या बात? मैं आपको मना थोड़ी ही करने वाली हूँ।"
मेरे पिताजी खुश हो गए। संजना चाची ने अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाउज के निचले कुछ हुक खोल दिये। फिर वो हमारे सब के ही सामने मेरे पिताजी का सर पल्लू से ढकते हुए उनको स्तनपान करने लगी। मेरे पिताजी को ऐसे दूध पीते देख मुझे बहुत जलन हो रही थी। मैं उनको ऐसे ही देख रहा था। चाची ने मुझे देखा और वो मुझे बोली,
"माफ करना राजू। तेरे पिताजी बीमार रहेंगे तब तक तो मुझे सिर्फ उनको ही दूध पिलाना पड़ेगा। मैंने उसे कहा,
"कोई बात नही चाची। कुछ ही दिन में वो ठीक हो जाएंगे।"
पर दादाजी ने ऐसेही ताना मारा,
"हा । इसकी क्या ग्यारंटी है कि वो ठीक होने के बाद भी तुजसे दूध पिलाने की जिद नही करेगा?"
संजना चाची ने उनको बोला,
"अब वो ठीक होने के बाद ही देखना पड़ेगा ससुरजी।"
चाची मेरे पिताजी को करीब करीब आधे घंटे तक पीला रही थी।
रात को खाना खाने के बाद चाचा ने सबको बिस्तर फेर दिया। वो तो अब ऊपर खटाई पर ही सोता है। दादाजी बिस्तर पर एक कोने में सोते है। फिर उनके बाजू में मैं सोता हूँ। फिर चाची और मेरे पिताजी। संजय चाचा ने लाइट बंद कर दी और सब सोने लगे। मैं चाची के बगल में ही था। पर लाइट बंद होते ही वो मेरे पिताजी की तरफ पलट गई और उनको सुलाने लगी। उसने मेरे पिताजी को अपने करीब लिया था और उनके पीठ पर हाथ फिरा कर उनको वो सुलाने की कोशिश कर रही थी। मुझे पिताजी का सर नही दिख रहा था। इसलिए मैं सिर्फ अंदाजा ही कर सकता था कि वो क्या कर रहे है। उनके कंधे की हलचल से लग रहा था कि उन्हें ठीक से नींद नही आ रही थी। थोड़ी देर बाद चाची उनको बोली,
"आप को भी न जेठ जी जल्दी नींद ही आती नही है।"
चाची में उसके एक हाथ से कुछ किया । मुझे लगा कि उसने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिए होंगे। फिर उसने मेरे पिताजी को अपना दूध पिलाना शुरू किया होगा। कियूंकि थोड़ी ही देर बाद उनकी हलचल कम हो गई। मैं तो सिर्फ कल्पना ही कर सकता था कि क्या हो रहा है। मुझे उस वक्त लगा की कब मेरे पिताजी ठीक हो जाएंगे और मुझे भी ऐसे दूध पीने मिलेगा। अफसोस तब तक तो सिर्फ दिन में सपने ही देखने पड़ेंगे। मुझे नींद आ रही थी इसलिए मैंने आँखे बंद कर ली।
सुबह सब नाश्ता कर रहे थे। मेरे पिताजी ने बहुत आज थोड़ा ज्यादा खाना खाया। लगता है संजना चाची के दूध से वो ठीक हो रहे है। चाची में आज पिंक साड़ी और सफेद ब्लाउज पहना था। संजय चाचा जल्दी नाश्ता खतम करके काम पर चला गया। दादाजी नाश्ता करके हॉल में टीवी देखने चले गए। मेरा और पिताजी का भी खा कर हो गया था। चाची ने अपनी प्लेट बाजू में रख दी और मेरे पिताजी को अपने पास बुलाया। मेरे पिताजी उसकी गोद मे सर रखकर लेट गए अजर बोले,
"जल्दी पिलाओ ना। बहुत प्यास लगी है।"
संजना चाची हँस के बोली,
"क्यू जेठ जी। अब मेरा दूध अच्छा लगने लगा आपको?"
मेरे पिताजी बोले ,
"हा तो। तुम्हारा दूध तो अमृत जैसा ही है।"
"बस बस जेठ जी। नादान मत बनो अब। पिला रही हूँ।"
चाची ने अपने ब्लाउज के निचले बटन खोल दिये। फिर वो मेरे पिताजी का सर ढकते हुए उनको किसी बच्चे जैसा दूध पिलाने लगी।
"अच्छा है कि मैंने आज ढीला ब्लाउज पहना है। कल का तो बहुत टाइट था। तुम्हारे पिताजी को पिलाने में दिक्कत आ रही थी।"
फिर चाची ने अपना पूरा ध्यान अपने जेठ जी को स्तनपान करने में लगा दिया। लगभग वो उनको 30 मिनिट तक पिला रही थी।
दोपहर को हम सब आराम करने के लिए हॉल में सो जाते है। दादाजी और चाची के बीच मे मेरे पिताजी सो रहे थे। मैं सोफे पर लेट गया था। दादाजी को दोपहर को नींद नही आती थी। संजना चाची मेरे पिताजी को अपने करीब लेकर उनको सुला रही थी। मेरे पिताजी को भी नींद नही आ रही थी। फिर संजना चाची ने उनका सर ढक दिया और उनको दादाजी के सामने ही अपना दूध पिलाने लगी।
दादाजी बोले,
"शरम भी नही आती इस उमर में स्तनपान कर रहा है।"
संजना चाची ने कहा,
"क्या ससुरजी। बचपन मे तो सब दूध पीते थे। तो अब पीने में क्या दिक्कत है? दूध तो दूध होता है।"
"ठीक है बहु। मैं हार गया।"
यह कह कर वो आँखे बंद कर के सो गए।
संजना चाची मुस्कुरा गयी और मेरे पिताजी को दूध पिलाती रही।
I with Vivek daware in this matter,pl do the same n thus fulfil our encouraging request you know.omआपकी स्टोरी मे बुढा आदमी दूध पिता हैं.... ये सब हमने पढा हैं.... किसी बुढी औरत को दूध पिला दो....
बुजुर्ग औरत को स्तनपान करणे का अनुभव नये स्टोरी मे जजुर बताना..
You ask Seemachachi .. tell me exactly what they sayI with Vivek daware in this matter,pl do the same n thus fulfil our encouraging request you know.om
kya bat hai seemachachi ji ek naya concept ek nayi soch aur ek naya messageUpdate 5
मेरे पिताजी की तबियत अब बहुत ही बिगड़ गयी थी। रात को संजय चाचा ने संजना चाची को मेरे पिताजी के बगल में सोने को कहा ताकि वो मेरे पिताजी को सुला सके। चाचा ने लाइट बंद कर दी और वो खटाई पर सो गया। संजना चाची मेरे पिताजी की बगल में सो गई फिर उनकी तरफ मुँह करके वो उनको सुलाने लगी। उसने मेरे पिताजी को करीब अपने लिया और उनके पीठ पर हाथ थपथपाने लगी। पर मेरे पिताजी को नींद ही नही आ रही थी। उन्होंने खाना भी कम खाया था। बहुत देर बाद मेरे पिताजी की अवस्था देखकर संजना चाची ने मन मे तय कर लिया। उसने अपना पल्लू थोड़ा हटा दिया और अपने ब्लाउज के कुछ हूक खोल दिये। मेरे पिताजी ने उसे इस हरकत के बारे में पूछा,
"क्या कर रही हो संजना?"
संजना चाची ने जवाब दिया,
"आपने आज खाना बहुत ही काम खाया है ना इसलिए आपको नींद नही आ रही. इसलिए आपको दूध पिला रही हूँ।"
मेरे पिताजी दर गए,
"क्या कर रही हो। संजय को क्या लगेगा?"
"वो क्या बोलने वाले है। आप उनके बड़े भाई हो।"
"पर..."
"पर बीर कुछ नही जेठजी। आपको दूध पीना ही होगा। नही तो मैं आपको माफ नही करूँगी।"
मेरे पिताजी नही नही कह रहे थे। पर संजना चाची ने उनकी एक नही सुनी। उसने अपना ब्लाउज एक साइड से ऊपर किया और उसका एक भरा हुआ मुम्मा मेरे पिताजी के मुँह में जबरदस्ती घुसा दिया। मेरे पिताजी सुरुवात में पी नहीं रहे थे। पर चाची ने अपना मुम्मा उनके मुँह में जबरदस्ती पकड़ के रखा । फिर थोड़ी देर बाद मेरे पिताजी अपने आप दूध पीने लगे।
संजना चाचीने उनको प्रोत्साहित किया,
"अच्छा जेठजी। ऐसेही पीते रहो। हा ठीक कर रहे हो..."
संजना चाची इतने बड़े आदमी को पहलीबार ही स्तनपान कर रही थी। इसलिए उसको ये एक नया अनुभव था। मेरे पिताजी अब किसी बच्चे की तरह चुपचाप उसका दूध पी रहे थे। एक स्तन खाली होने के बाद चाची ने जल्द से उनको अपने दूसरे स्तन से पिलाना शुरू किया। अब मेरे पिताजी को चाची का दूध अच्छा लगने लगा होगा। कियूंकि इस वक्त उन्होंने संजना चाची को कोई परेशानी नही दी। चाची भी अब आराम से उनको पिला रही थी। लगभग 20 मिनट बाद पूरा दूध खाली हो गया और चाची ने अपने ब्लाऊज के हुक लगा लिए और पल्लू ठीक कर लिया। फिर वो मेरे पिताजी को करीब लेकर सो गई। मेरे पिताजी भी अब उसकी बाहों में जल्दी सो गए।
सुबह नाश्ता करने के लिए हम सब रसोइघर मे जमीन पर बैठे थे। संजना चाचीने आज ब्लैक साड़ी और ब्लाउज पहना हुआ था। मेरे पिताजी की तबियत अब थोड़ी अच्छी लग रही थी। संजय चाचा ने कहा,
"बड़े भैया। तू तो आज अच्छा लग रहा है।"
मेरे पिताजी शरमा गए। ये देखकर संजना चाची है पड़ी।
"जेठजी को अच्छा लगेगा ही ना। कल मैंने उनको स्तनपान जो किया था।"
यह सुनकर दादाजी और चाचा बहुत आश्चर्यचकित हो गए। संजय चाचा ने मेरे पिताजी को ताना मारा,
"अच्छा तो ये बात है बड़े भैया।"
दादाजी भी पीछे थोड़ी रहने वाले थे,
"वा। हमारे खानदान का नाम तो रौशन कर दिया तुमने।"
संजना चाचीने उन दोनो को डाटा,
"एक तो जेठजी बीमार है। उसपर उनको ऐसा शर्मिन्दा मत करो आप दोनों।"
संजय चाचाने सिरियस होके कहा,
"अच्छी बात है संजना जो तूने बड़े भैया को दूध पिया दिया। अब थोड़ा अच्छा लग रहा है। उनको ठीक होने तक ऐसेही दूध पिलाती रहो।"
संजना चाचीने हा कह दी। जब सबका चाय नाश्ता हो गया तब संजना चाची मेरे पिताजी को बोली,
"अब मेरे पास आओ जेठजी। आपको दूध पिला देती हूँ।"
"पर..."
"पर बीर कुछ नही । आपको जल्दी ठीक होना है ना?"
मेरे पिताजी ने चाची के मुम्मो को देखा और उनके मुँह में पानी आने लगा। चाची उनके पास ही बैठी हुई थी। उसने मेरे पिताजी को एक हाथ से पकड़कर अपनी गोद मे लिटा दिया। अब मेरे पिताजी का सर उसके स्तनों के काफी करीब था। संजना चाची में पल्लू के पीछे हाथ डालकर अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिये। फिर वो हम सब के सामने ही मेरे पिताजी का सर पल्लू से ढकते हुए उनको अपना दूध पिलाने लगी। मेरे पिताजी को ऐसे स्तनपान करते देख दादाजी बोले,
"क्या मजे है समीर के।"
संजना चाची ने उनको फिरसे दाट दिया,
"चुप रहो ना ससुरजी। जेठजी को आराम से दूध तो पीने दो।"
दादाजी चुप बैठकर मजा देखने लगे। चाची ने लगभग 20 मिनिट तक मेरे पिताजी को पिलाया। फिर उसने उनके सर से अपना पल्लू हटा दिया और ब्लाउज के हुक लगा लिए। फिर पल्लू ठीक करके उसने मेरे पिताजी को पूछा,
"कैसा लग रहा है जेठजी? दूध कैसा लगा?"
मेरे पिताजी शरमाते हुए बोले,
"बहुत मीठा था संजना।" इसपर संजना चाची हँस पड़ी।