Update ४ :
कुछ दिन बाद मेरे पिताजी बहुत बीमार पड़ गए। डॉक्टर ने उनको हल्का फुल्का भोजन खाने को कहा और कुछ दवाई भी दी । पर दो तीन दिन दवाई लेने के बाद भी उनकी तबीयत में सुधार नहीं आया। संजना चाची परेशान हो गई थी। मेरे पिताजी अब कुछ खा भी नहीं रहे थे। मुझे एक विचार आया। मैंने संजना चाची को पूछा ,"चाची, क्या तुम मेरे पिताजी को स्तनपान कर सकती हूं। शायद दूध पीने से उनकी तबीयत सुधर जाएगी। " वो बोली ,"पर उनको कैसे बोलु ? " मैंने उनको मेरी कल्पना बता दी। शाम को सब रसोईघर में नाश्ता कर रहे थे । चाचीने मेरे पिताजी के लिए चावल का सूप बनाया और वो सूप लेके मेरे पिताजी के पास बैठ गईं। सूप जमीन पर रखते हुए वो मेरे पिताजी को बोली,"आ जाओ जेठ जी, आपको गोद में सुलाकर सूप पिलाती हू।" मेरे पिताजी उसके गोद में सो गए। संजना चाची के स्तन अब मेरे पिताजी के मुंह के काफी करीब थे और उसका एक स्तन तो पल्लू के बाहर ही था पिताजी के मुंह में तो पानी आ गया। चाची सूप उठाने के लिए थोड़ी झुक गई तो वो स्तन मेरे पिताजी के मुंह में चला गया। संजना चाची सीधी बैठ गई और पिताजी को बोली ,"माफ करना जेठ जी । मुझे ध्यान ही नहीं रहा। राजू रोज पीला पीला कर मेरे स्तन में दूध बढ़ गया है। " पिताजी बोले ,"कोई बात नहीं। " चाची उनको चमच से सूप पिलाने लगी । मेरे पिताजी तो उसके स्तन देखने में ही व्यस्त थे। सूप ख़तम होने के बाद मेरे पिताजी बाजु में बैठ गए। संजना चाची ने मुझे कहा ,"दूध नहीं पीना तुझे । आ जाओ पास में। " में उसके पास जाकर उसके गोद में सो गया। मेरे पिताजी नजदीक से ये सब देख रहे थे। फिर संजना चाची सबके सामने ही मेरा सर पल्लू से ढकते हुए मुझे अपना दूध पिलाने लगी। में चाची का स्तन चूसते वक्त जानबूझकर चूसने की आवाज करने लगा। वो सबको सुनाई जा रही थी । दादाजी हस पड़े ,"लगता है राजू को बहुत भुख लगी है। " चाचा और चाची भी हसने लगी। मेरे पिताजी के मुंह में से तो लाल टपकने लगी थी। तकरीबन 15 मिनट तक चाची मुझे दूध पिला रही थी।