• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest मेरा बेटा मेरा यार (माँ बेटे की वासना )

Sur281

Well-Known Member
3,861
25,804
189
अचानक राज ने अपने होंठों में मेरा भग-शिश्न को भींच कर अपनी उंगली को तेजी से मेरी चूत की दीवार को रगड़ना शुरू

कर दिया। उसकी अभ्यस्त जीभ और उंगली ने मेरे शरीर को वासना के समुन्द्र में फैंक दिया।

मैं ज़ोर से सिसक उठी। मैं अब झड़ने के लिए व्याकुल थी। यदि राज मेरे क्लिटोरिस अपने दाँतों से चबा भी डालता तो मैं कोई शिकायत नहीं करती।

"आह...राज...आंह ...ऊम्म्म्म...हं..हं.. आ..आ...आह्ह्ह मेरी चू..ऊ..ऊ...त आह्ह.मैं आने वाली हूँ," मेरी सिस्कारियों ने राज को

मेरे सन्निकट रति-निष्पत्ति की घोषणा कर दी. राज ने मेरी चूत चूसना रोक दिया. राज ने मुझे मेरे यौन चरमोत्कर्ष के द्वार से पीछे

खींच कर मुझे आश्चर्यचकित कर दिया.

मैं वासना के अतिरेक से बिलबिला रही थी।

राज ने मेरी दोनों भरी-भरी गोल झांघें उठा कर फैला दीं.राजने अपना मूंह मेरी गांड के ऊपर रख उसको प्यार से

चूमा. मेरे मूंह से घुटी-घुटी सिसकारी निकल पड़ी. राज की जीभ शीघ्र ही मेरी गांड के छिद्र को तड़पाने तरसाने लगी.

मेरी गांड का छल्ला बारी-बारी से शिथिल और संकुचित होने लगा. राज ने मेरी गांड के मलद्वार को अपनी जीभ से चूम कर

मेरी वासना को और भी प्रज्ज्वलित कर दिया. राज की जीभ की नोक आखिरकार मेरी गांड के अंदर दाखिल हो गयी. मेरी

सिस्कारियों ने राज को मेरी गांड को और भी चूसने-चूमने का निमंत्रण भेजा.

मेरा कुछ देर पहले का सन्निकट चरम-आनंद मेरे शरीर को फिर से उमेठने लगा.

मेरी गांड स्वतः राज के मूंह से चुपकने का प्रयास करने लगी. राज ने पहले की तरह मेरे चूत को रति-निष्पत्ति होने से पहले

ही मेरी गांड से अपना मूंह हटा लिया. मेरी वासना के अनबुझी आग ने मेरे मस्तिष्क को पागल कर दिया. मैं राज के सामने गिड़गिड़ाने

लगी,"राज मुझे इतना क्यों तरसा रहा हैं? मेरी चूत झाड़ दे . प्लीज़."

मैं अपने चूतड़ पलंग से उठा कर अपनी गांड और चूत राज के मुंह के पास ले जाने का प्रयास कर रही थी।

राज ने अपने तने हुए लंड से मेरी चूत रगड़ और *मेरे ऊपर नीचे गिरते-उठते पेट पर को अपने हाथ से मसल कर बोले, "मॉम मुझे आपकी गांड मारनी है."

"राज, मुझे बहुत दर्द होगा?" राज ने गौर किया होगा िक मैंने मना नहीं किया. इस वक़्त मैं राज की हर शर्त मान लेती. मेरी

वासना की संतुष्टी की चाभी राज का महाकाय लंड था.

मेरी छोटी सी गांड के अंदर राज के विकराल लंड के जाने के विचार से ही मैं सिहर गयी।

राज ने आश्वासन दिया,"मॉम दर्द तो होगा. दर्द तो चूत मरवाने में भी हुआ था. पर अब आप चूत मरवाने से कितने खुश हैं."

राज मेरे दोनों उरोज़ों को हलके हलके सहलाने लगा ।
मैंने अपना निचला होंठ वासना के उबलते ज्वार को नियंत्रित करने के प्रयास करते हुए अपने दांतों के बीच में भींच लिया।

राज ने अपने विशाल लंड को मोटे डंडे की तरह मेरी चूत के द्वार के उपर रगड़ने लगा । मेरा जलता हुआ शरीर चर्मॉनन्द की

खोज में भभक उठा। राज का रेशम जैसा चिकना पर लोहे जैसा सख्त वृहत लोडा मेरे भाग-शिश्न को रगड़ कर मेरी काम वासना की

प्रज्जवलित अग्नि को और भी भड़काने लगा।

"मॉम , जब तक आप स्वयं हमसे अपनी गांड मारने को नहीं कहेंगी में तब तक कुछ भी नहीं करूँगा ," राज के मर्दाने हाथ

मेरी चूचियों को प्यार भरा अमरदान कर रहे थे।

मेरा मस्तिष्क राज के विकराल लंड से गांड मरवाने के विचार से डर के मारे कांप रहा था। पर मेरा विश्वासघाती सम्भोग कामना

से कम्पित शरीर राज के अविश्वसनीय अमानवीय लंड से गांड मरवाने के लिए उत्सुक हो उठा था। मेरे शरीर में

जलती आग भुजाने का यंत्र राज की झांगों के बीच में मोटे खम्बे की तरह फड़क रहा था।

मेरे शरीर की वासना और उसकी संतुष्टि की कामना ने मेरे मस्तिष्क के भीतर भरे भय के उपर विजय पा ली।

मैंने कम्पित स्वर में राज की वासना भरे प्यार से चमकती हल्की भूरी आँखों में देख कर हलके से कहा, "राज मेरी गांड मार

ले । पर प्लीज़ मुझे बहुत दर्द नहीं करना ।"

राज ने निर्ममता से उत्तर दिया, "मॉम दर्द तो होगा और उसे आपको सेहना पड़ेगा। पर मुझसे जितना हो सकेगा उतना प्रयास मैं

ज़रूर करूंगा।"

मेरा भय और वासना से कम्पित शरीर अब राज की कृपा के उपर निर्भर था।
राज ने अपना लंड को मेरे गीली चूत में डाल कर मेरे यौन-रस से लेप लिया. राज ने अपना मुंह को थूक से भर मेरी गांड पर

रख कर अपनी लार गांड पर डाल दी.

राज ने अपना विशाल लंड को मेरी गांड के छोटे तंग छल्ले के ऊपर रख कर दबाया,"मॉम , अपनी गांड पूरी ढीली छोड़ दो. जब

मैं अपना लंड अंदर की तरफ डालूँ तो आप अपनी गांड को मेरे लंड के ऊपर नीचे की तरफ ज़ोर लगायें.

मैंने वासना में जलते अपने शरीर से परेशान हो कर राज के सुझाव को ठीक से समझे बिना अपना सर हिला कर समर्थन

दे दिया. राज ने मुझे अपने बड़े हाथों से जकड़ कर मुझे बिस्तर पर दबा दिया. राज ने अपने विशाल लंड के विकराल सुपाड़े को

मेरी नन्ही सी गांड के छिद्र पर दबाना शुरू कर दिया।

मेरी तंग कसी गांड का छल्ला राज के लंड के प्रविष्टी के रास्ते में था। मेरी गांड की कसी हुई वलय ने राज के भीमकाय लिंग के

आक्रमण को पीछे धकेलने का निरर्थक प्रयास किया।

राज के विशाल लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के छोटे से छेद को खोलने के लिए बेचैन था.

राज ने हचक कर एक ज़ोर से धक्का लगाया. राज के, छोटे सेब जितने बड़े लंड के सुपाड़े ने मेरी गांड के छिद्र को बेदर्दी से

चौड़ा कर दिया. मेरे गले से निकली दर्द भरी चीख से कमरा गूँज उठा.

राज ने मौका देख कर अपने लोहे जैसे सख्त मोटे लंड की तीन इंच मेरी गांड में बलपूर्वक ठूंस दीं. मैं दर्द से बिलबिला कर

चीख पड़ी.
मेरे नाखून राज की बाँहों में गड़ गए. मैंने राज की बाँहों की खाल से अपने नाखूनों से खरोंच कर खून निकाल दिया. राज ने एक बार भी उफ तक नहीं की.

मेरी चीख रोने में बदल गयी.मेरी आँखों से आंसूं बहने लगे. मुझे ऐसा लगा जैसे किसीने मेरी गांड के ऊपर चाक़ू चला दिया हो. मैं

सुबक-सुबक कर रो रही थी. राज बेदर्दी से मेरी गांड में अपने अमानवीय विशाल लंड की एक इंच के बाद दूसरी इंच मेरी दर्द से

बिलखती गांड की गहराइयों में डालते रहे जब तक उसका पेड़ के तने जितना मोटा लंड जड़ तक मेरी गांड में नहीं समा गया
मेरी गांड में उठे भयंकर दर्द से से बिलबिला उठी. मेरा शरीर पानी से बाहर फिकी मछली के समान तड़प रहा था. राज के

विशाल शरीर ने मेरे थरथराते हुए शरीर को अपने नीचे कस दबा लिया. मैं सुबकियां और हिचकी मार मार कर रो रही

थी.

"नहीं...नहीं...राज..मेरी गांड फट गयी..ई...अपना लंड बाहर निका..आ..ल.. ..आ..आ..ये. मैं मर जाऊंगी ,

राज,” मैं सुबक सुबक कर हिचकियों के बीच में से बड़ी मुश्किल से बोल पा रही थी, “मुझे हुंह ....नहीं आन्नंह ....मरवानी

....अपनी गांड।”

राज ने अपने मुंह से मेरा मुंह दबोच लिया. राज ने बेदर्दी से मेरे रोने की उपेक्षा कर मेरी गांड अपने लंड से मारने लगा .

मेरी घुटी-घुटी चीखों और सिस्कारियों कमरे की दीवारों से टकरा कर मेरे कानों में गूँज रहीं थी. राज ने अपने विशाल लंड की आधी

लम्बाई अंदर बाहर कर मेरी गांड की चुदाई शुरू कर दी.

राज की बेरहमी ने मुझे दर्द से व्याकुल कर दिया। मेरे आंसूओं ने मेरे चेहरे को बिलकुल भिगो दिया।

मुझे पता नहीं की कितनी देर तक मैं रो रो कर अपनी गांड फटने की दुहाई देती रही पर राज का विशाल लंड मेरी मेरी गांड को

निरंतर चोदता रहा.

मेरे आंसूओं ने मेरा चेहरा गीला कर दिया. थोड़ी देर में मेरी नाक बहने लगी. मेरी सुबकिया मेरे दर्द की कहानी सुना रहीं थीं।राज ने

मेरा मुंह अभी भी अपने मुंह से दबा रखा था.

राज ने मेरी गांड मारना एक क्षण के लिए भी बंद नहीं किया. मैं न जाने कितनी देर तक दर्द से बिलबिलाती हुई राज के

विशाल शरीर के नीचे दबी सुबकती रही।
 

Sur281

Well-Known Member
3,861
25,804
189
मुझे लगा कि एक जनम जितने समय के बाद मेरी सुबकियां थोड़ी हल्की होने लगीं। मुझे बड़ी देर लगी समझने में कि मैंने

रोना बंद कर दिया था। मेरा हिचकियाँ ले कर सुबकना भी बंद हो गया था।

जब राज को लगा िक मैंने रोना बंद कर दिया था तो उसने मेरा मुंह मुक्त कर मेरे आंसू और नाक से गंदे चेहरे को चाट

कर साफ़ करने लगा . राज की जीभ मेरी नाक के अंदर समा गयी. राज का लंड अभी भी मेरी गांड के अंदर-बाहर जा रहा था.

मुझे विश्वास नहीं हुआ कि मेरी गांड अबराज के लंड को बिना तीव्र पीढ़ा के संभाल रही थी. राज ने मेरी नाक को अपने मूंह

में भर कर ज़ोर से चूसा.

राज ने मेरे दोनों नथुनों में अपने जीभ अंदर डाल कर मुझे हंसा दिया.

"मॉम , अब कितना दर्द हो रहा है?"राज के चेहरे पर शैतानी भरी मुस्कान थी.

मैं शर्मा गयी, "राज मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा था. तू कितना बेदर्द हैं. एक क्षण भी तू ने अपना लंड को मेरी गांड मारने से

नहीं रोका."

"मॉम , ऐसा दर्द तो सिर्फ पहली बार ही होता है. मुझे लगा कि जितनी जल्दी आपकी गांड मेरे लंड की आदी हो जाये आपका दर्द

उतनी ही जल्दी कम हो जाएगा." राज ने प्यार से मेरी नाक की नोक को अपने दाँतों से काटा.

मैंने राज की बाँहों पर गहरे खरोंचो को प्यार से चूम कर खून चाट लिया, "सॉरी राज, मैंने बाहें खरोंच डाली." राज ने मुस्कुरा कर मुझे प्यार से चूम लिया।
"मॉम , ऐसा दर्द तो सिर्फ पहली बार ही होता है. मुझे लगा कि जितनी जल्दी आपकी गांड मेरे लंड की आदी हो जाये आपका दर्द

उतनी ही जल्दी कम हो जाएगा." राज ने प्यार से मेरी नाक की नोक को अपने दाँतों से काटा.

मैंने राज की बाँहों पर गहरे खरोंचो को प्यार से चूम कर खून चाट लिया, "सॉरी राज, मैंने बाहें खरोंच डाली." राज ने मुस्कुरा कर मुझे प्यार से चूम लिया।

राज ने मुझे चूम कर मेरी गांड मारनी शुरू कर दी. मेरी गांड अब राज के विशाल लंड के अनुकूल रूप से चौड़ गयी थी.

उसका अमानवीय लंड मेरी गांड के छेड़ को रगड़ कर अंडर बाहर जा रहा था। मेरे गांड मानों सुन्न हो चुकी थी। मेरी गांड का दर्द पूरा तो ठीक नहीं हुआ पर मुझे अब उस दर्द से कोई बहुत परेशानी नहीं हो रही थी। राज अपने भीमाकार लंड को अविरत मेरी गांड के भीतर-बाहर करता रहा । राज मेरी गांड को अपने लंड से बहुत जल्दी परिचित कराने के लिये उत्सुक था ।

राज ने अपने आकर्षक कसे हुए कूल्हों का इस्तमाल कर अपनी मॉम की गांड का मरदन निर्ममता से करना शुरू कर दिया। राज अपने वृहत्काय लंड के सुपाड़े को छोड़ कर पूरा बाहर निकालने के बाद एक भीषण धक्के से उसे वापस मेरी गांड में ठूंस रहा था । उसके जोरदार धक्कों से मेरी पूरा शरीर हिल रहा था। मेरी सिसकियाँ उनके मुंह में संगीत सा बजा रहीं थी।

मैं अपनी गांड में राज के लंड के हर धक्के को अपनी सिसकारी से स्वागत कर रही थी. राज ने मेरी गांड की चुदाई के गति बड़ा दी. राज अपना लंड सिवाय मोटे सुपाड़े को छोड़ कर पूरा बाहर निकाल कर एक भयंकर ठोकर से मेरी गांडकी भीतरी गहराइयों में ठूंस रहा था . कमरे की हवा मेरी गांड की मधहोश सुगंध से भर गयी. राज का लंड मेरी गांड को चौड़ा करआराम से अंदर बाहर जा रहा था.राज ने मेरे दोनों चूचियों को मसलना शुरू कर दिया.

मेरी सिस्कारियां अब अविरत मेरे मूंह से उबल रहीं थीं.राज का लंड डेढ़ घंटे से मेरी गांड मार रहा था. अचानक मेरी सिसकारी मेरे दर्द भरे यौन चरमोत्कर्ष के तूफ़ान से और भी ऊंची हो गयी. राज का वृहत्काय लंड अब मेरी गांड में रेल के इंजन की गति से अंदर बाहर हो रहा था. राज ने मेरे दोनों उरोज़ों को बेदर्दी से मसल कर अपना लंड मेरी गांड में जड़ तक अंदर दबा कर मेरे ऊपर लेट गया . मैंने अपनी गुदाज़ गोल जांघें राज की कमर इर्दगिर्द डाल कर अपनी एड़ियांराज के विशाल कूल्हों पर कस कर दबा दीं.
राज ने मेरे मुंह को चूमते हुए मेरी गांड मारना फिर से शुरू कर दिया. राज का लंड ने मेरी गांड को फिर से मथ कर मेरे दुसरे कामोन्माद को परवान चड़ा दिया. राज और मैं एक साथ अपने आनंद की पराकाष्ठा पर पहुँच गए.

मेरा सारा शरीर कामुकता की मदहोशी में अकड़ गया. राज का लंड मेरी गांड में झटके मार-मार कर स्खलित होने लगा. मेरी आँखे मादक चरम-आनंद की उन्मत्तता से बंद हो गयीं. राज और मैं बड़ी देर तक अपने यौन स्खलन के आनंद से एक दुसरे की बाँहों में लेटे रहे.

आखिरकार राज ने अपना मुश्किल से थोड़ा नरम हुए लंड को मेरी अत्यंत चौड़ी हुई गांड में से निकाल कर मेरी गांड चाटने लगे. मेरे नथुने मेरी गांड की खुशबू से भर गए.राज ने प्यार मेरी सूजी गांड को चाट कर साफ़ किया.

राज की जीभ मेरी बेदर्दी से चुदी थोड़ी ढीली खुली गांड में आसानी से अंदर चली गयी. मेरी गांड साफ़ कर राज बोला

मॉम , ", अब हम आपकी गांड पीछे से मारूंगा ." मैं अब गांड मारने के आनंद की कामुकता से प्रभावित हो गयी थी.

मैं पलट कर घोड़ी की तरह अपने हाथों और घुटनों पर हो गयी. राज का तना हुआ लंड मेरी गांड के मल के लेप से भूरे रंग का हो गया था. मैंने जल्दी से राज के लंड तो अपने मूंह और जीभ से चाट कर साफ़ किया. मुझे अपनी गांड और राज के वीर्य का मिला-जुला का स्वाद अत्यंत अच्छा लगा.

राज ने अपना लंड मेरी गांड में पीछे से हौले-हौले अंदर डाल दिया. मेरी गांड इतनी देर में फिर से तंग हो गयी थी.

पर मुझे इस बार बहुत थोड़ा दर्द हुआ. राज ने मेरी गांड शीघ्र तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया. हमारा कमरा माँ बेटे के बीच अवैध अगम्यागमन गांड-चुदाई से उपजी मेरी सिस्कारियों से भर गया.

राज के हर भीषण धक्के से मेरा शरीर फिर से कांप उठा। उसकी बलवान मांसल झांगें हर धक्के के अंत में मेरे कोमल

मुलायम भरे भरे चूतड़ों से टकरा रहीं थीं। हमारे शरीर के टकराने की आवाज़ कमरे में ' थप्पड़ ' की तरह गूँज रही थी।
राज के हर भीषण धक्के से मेरा शरीर फिर से कांप उठा। उसकी बलवान मांसल झांगें हर धक्के के अंत में मेरे कोमल

मुलायम भरे भरे चूतड़ों से टकरा रहीं थीं। हमारे शरीर के टकराने की आवाज़ कमरे में ' थप्पड़ ' की तरह गूँज रही थी।

राज ने मेरी गांड की चुदाई पहली बार की तरह बेदर्दी से की. मुझे पांच बार झाड़ कर राज दूसरी बार मेरी गांड में स्खलित हो गया राज का गरम गाड़ा वीर्य मेरी गांड की नाज़ुक दीवारों से टकरा कर मेरी गांड में मथे हुए मल के साथ मिल गया.

राज मेरी गांड से अभी भी संतुष्ट नहीं हुआ था .

और एक बार फिर मेरी गांड के मंथन के लिए तैयार हो गया . उस रात राज के विशाल लंड ने मेरी गांड तीन बार

और मारी. मैं राज के साथ लम्बी रतिक्रिया में बार बार झड़ने की मदहोशी से बेहोशी की अवस्था में पहुँच गयी.

मैं अपने निरंतर रति-निष्पत्ति की गिनती भी नहीं रख पाई.राज ने मेरी गांड पांचवी बार अपने जनन-क्षम वीर्य से भर

दी. मैं बिकुल थक कर चूर हो गयी थी.राज मेरी गांड चार घंटों से मथ रहा था। .

मैंने राज के मुंह और गालों को प्यार से चूम चूम कर गीला कर दिया. राज ने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाल लिया. ."
मैने अभी भी कुतिया की तरह अपनी चूत बाहर निकाले खड़ी थी राज ने अपने दोनो हाथो से मेरी चुचियों को पकड़ा और प्यार से उन्हे मसलने लगा

उसके झुकते ही मुझे मेरे चूतड़ों के बीच कुछ गर्म कठोर चीज महसूस हुआ कि ये उसके सुपारे का स्पर्श था. उसने मेरे कंधों को पीछे से पकड़ा और अपनी कमर नीचे कर लिंग से मेरी योनि टटोलने लगा. वो कभी लिंग दाएं, तो कभी बांए, तो कभी ऊपर, तो कभी नीचे करके मेरे योनि द्वार को ढूंढने लगा.

इधर मेरी व्याकुलता बढ़ती ही जा रही थी सो मैं बोल पड़ी- लंड को हाथ से पकड़ कर चुत में घुसाओ न.

इस पर उसने उत्तर दिया- ऐसे ही घुस जाएगा माँ.
वो पुनः प्रयास करने लगा.

काफी देर प्रयास करने के बाद भी लिंग योनि का मुख स्पर्श करके इधर उधर चला जाता. तब मैंने कहा- देरी मत करो, थूक लगा कर जल्दी घुसा ओ.
उसने मेरी बात मानी और लिंग पर थूक मल कर चिकना किया और फिर पहले की भांति लिंग घुसाने का प्रयास करने लगा.

थोड़ा प्रयास करने के बाद आखिरकार उसके लिंग के सुपारे ने मेरी योनि का द्वार भेद ही दिया.
मैं बोल पड़ी- हाँ राज, घुस गया, जल्दी करो.

मेरी बात सुनते ही वो भी बोल दिया- हाँ माँ, अब हो जाएगा, आप तैयार रहो.

उसने बात खत्म करते ही जोर से धक्का मारा और लिंग मेरी योनि की दीवार फैलता हुआ भीतर चला गया. इस धक्के से जहां उसके लिंग ने मेरी योनि की दीवारें फैला दीं, वहीं मेरी योनि की मांसपेशियों के विरुद्ध उसके लिंग की ऊपर की चमड़ी पीछे की ओर खिंचती चली गई जिससे उसका सुपारे से लेकर लिंग का कुछ हिस्सा खुल गया था और मैं उसकी नसों को अपनी योनि के भीतर महसूस करने लगी थी.
मैं उस धक्के से जोर से कराह उठी और बोल पड़ी- ओह माँ … राज इतनी जोर न मारो … बच्चेदानी तक जा रहा है.

मेरी बात सुन कर शायद उसे ख़ुशी हुई और उसे भी अपनी मर्दानगी पर गर्व हुआ, वो बोल पड़ा- मजा गया माँ,
उसने कुछ देर अपने लिंग को मेरी योनि में टिकाए हुए हल्के हल्के हिलाता रहा और फिर धीरे धीरे उसने धक्के मारने शुरू किए. अब जाकर मेरी जलन शांत होने लगी थी पर अभी तो वासना की आग ने जलना शुरू ही किया था और हम दोनों मध्य तक आ गए थे.

राज के धक्कों से मैं यह तो समझ गयी थी कि उसे बहुत मजा आ रहा और उसका जोश साफ झलक रहा था. जिस प्रकार से वो ताकत लगा रहा था.
पर उसके मन में मेरा खौफ़ भी था और इस वजह से वो एक आज्ञाकारी दास की भांति संभोग कर रहा था. वो मेरे डर से अपनी मन की नहीं कर पा रहा था, वरना मर्दों के जोश के आगे तो हर औरत झुक जाती है.
मुझे उसका लिंग बहुत सुखदायी लग रहा था और मुझे भीतर से लग रहा था कि उसे अपनी योनि से कस के जकड़ लूँ. मेरी योनि धक्कों के बढ़ते रफ्तार से और अधिक गीली होती जा रही थी. अब तो फच फच जैसी आवाजें मेरी योनि से निकलनी शुरू हो गयी थीं. जैसे जैसे संभोग और धक्कों की अवधि बढ़ती जा रही थी, वैसे वैसे हम दोनों की सांसें तेज़ और जोश आक्रामक रूप लेती जा रही थीं. मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे वो मुझे ऐसे ही धक्के मारता रहे, कभी न रुके.
वो भी शायद यही चाह रहा था कि मैं उसका किसी तरह से कोई विरोध न करूं. उस ठंड में भी अब हम दोनों के पसीने छूटने लगे थे. मुझे उसका लिंग मेरी योनि के भीतर तपता हुआ लोहा महसूस हो रहा था. जिस प्रकार मैं झुकी हुई थी और वो मुझ पर दोनों टांगें फैला कर चढ़ा हुआ था, उससे धक्के बहुत मजेदार लग रहे थे.
जैसे जैसे मेरी चरम सुख की लालसा बढ़ती जा रही थी, वैसे वैसे मैं अपने चूतड़ ऊपर करती जा रही थी. मेरे चूतड़ पीछे से पूरी तरह से उठ जाने की वजह से उसका लिंग अब हर धक्के पे मेरे गर्भाशय तक जाने लगा. मेरी कामोतेजना का अब ठिकाना ही नहीं रहा और मैं कराहने और सिसकने लगी. उत्तेजना में मैंने किसी तरह एक हाथ पीछे ले जाकर उसके चूतड़ को पकड़ना चाहा, पर वहाँ तक मेरा हाथ नहीं पहुंचा. तब भी उसकी जांघ को पकड़ कर मैंने अपने नाखून गड़ा दिए. इससे राज और उत्तेजित हो उठा और एक जोर का झटका दे मारा.. फिर गुर्राते हुए मुझे पेलने लगे.
मुझे ऐसा लगा जैसे उसके लिंग का सुपारा मेरी बच्चेदानी के मुँह से चिपक गया हो. मैं उस दर्द में भी आनन्द महसूस करते हुए और जोर से चिहुँक उठी और नाखून और चुभा दिया.

एक पल राज ने लिंग वहीं चिपकाए रखा और फिर से लिंग थोड़ा बाहर खींच कर धक्के मारने लगा. अब राज हाँफने लगा था और उसने रुक रुक के धक्के देने शुरू कर दिए थे.
कोई 20 मिनट के संभोग के बाद राज ने मुझसे पूछा- माँ क्या आप झड़ने वाली हैं, अगर हों, तो मुझे बता देना.

मैंने भी उत्तर दिया- हाँ तेज़ी से धक्के मारते रहो, रुकना मत.

तब उसने कहा- माँ क्या आप ऊपर आकर धक्के मारोगी? मैं अब थकने लगा हूँ प्लीज.
राज मेरे पीछे से उठा और बिस्तर पर चित लेट गया. मैंने देखा वो ऊपर से नीचे तक पसीने पसीने था, यहाँ तक कि उसकी पगड़ी सिर के पास पूरी भीग चुकी थी.
मैं उठकर दोनों टांगें फैला कर राज के लिंग के ऊपर चढ़ गयी. उसका लिंग एकदम तना हुआ ऊपर की ओर मुँह उठाए हुए था. मैं अपने दोनों हाथ राज के सीने पर रख घुटने बिस्तर पर टिका लिंग के ऊपर बैठने लगी. मेरी योनि इतनी चिकनाई से भर गई थी कि जैसे ही लिंग का सुपारा मेरी योनि की छेद पर पड़ा, मेरे हल्के से कमर दबाते ही उसका पूरा लिंग सरसराता हुआ मेरे भीतर घुस गया.
एक बार बाहर निकल कर, फिर से लिंग घुसाने का भी अलग आनन्द आता है. यह मुझे महसूस हुआ. इसी वजह से शायद मर्द बार बार उत्तेजना में लिंग बाहर निकाल कर अन्दर घुसाते हैं.
 

Sur281

Well-Known Member
3,861
25,804
189
खैर जैसे ही मेरी योनि लाइन में लिंग प्रवेश हुआ, मैंने खुद को संतुलित कर हल्के हल्के कमर हिलाते हुए धक्के देने लगी.

बस 10-12 धक्के लगाने के बाद राज का चेहरा देखने लायक था, वो पूरे जोश से भर गया था और उसे बहुत मजा आ रहा था. उसकी आँखों में उम्मीद सी थी कि उसे मनचाहे तरीके से संभोग सुख मिल रहा.
उसने लंबी लंबी सांस छोड़नी शुरू कर दी और बीच बीच में सिसकारियाँ भी लेने लगा. थोड़ी देर में उसने अपने हाथों से मेरे स्तनों तथा चूतड़ों को बारी बारी से दबाना, सहलाना और मसलना शुरू कर दिया. उसकी हरकतों से मैं और जोश में आने लगी और आह ऊह उम्म की आवाजें निकालते हुए तेज़ी से धक्के मारने लगी.
हम दोनों मस्ती में पूरी तरह खो चुके थे और हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था. जैसे जैसे संभोग की अवधि बढ़ती गयी, वैसे वैसे मैं थकती जा रही थी. मगर वही राज की मस्ती चरम पर पहुंचने को थी. थकान की वजह से अब मेरे मन में ख्याल आने लगा कि या तो अब वो झड़ जाए या मैं झड़ जाऊं. इसलिए मैं इस हाल में भी अपने जोश और दम को कम नहीं होने दे रही थी और लगातार उसी ताकत और गति से धक्के मार रही थी.
अब तो मेरे पसीने छूटने लगे थे, तभी जोश से भरा राज उठ बैठा और मुझे चूतड़ से पकड़ लिया. उसने हाथों से मेरे चूतड़ पकड़ कर हवा में उछालना शुरू कर दिया वो मेरे स्तनों को मुँह में भर कर मेरा दूध पीने लगा और चूतड़ पकड़ कर मुझे उछालते हुए संभोग में सहारा देने लगा.
अब मैं थक चुकी थी और मुझसे दम नहीं लग रहा था. तब मैं बोली- राज, अब ऊपर आकर करो और जल्दी झड़ जाओ, सुबह होने को है.

तब उसने मुझे छोड़ा और और मैंने बिस्तर पर लेट कर आसन ले लिया.

मैंने एक तकिया अपने चूतड़ के नीचे रख लिया ताकि ज्यादा आसानी हो और अपनी मांसल मोटी जाँघें फैला कर योनि को राज के सामने कर दिया.
राज भी बिना देरी के, मेरी जांघों के बीच आकर मेरे ऊपर झुक गया. उसका लिंग पूरे उफान पर था और किसी गुस्सैल नाग की भांति फनफना रहा था. उसने अपनी कमर नीचे की और मैंने अपनी चूतड़ थोड़े उठाए और जैसे ही राज को मेरी योनि की छेद का स्पर्श हुआ, उसने जोर से लिंग धकेल दिया. उसका लिंग बिना किसी प्रकार के मदद के.. सर्र से मेरी योनि की गहराई में उतरता चला गया.
फिर क्या था, राज तो वैसे ही बहुत गर्म था. उसने एक सांस में धक्के मारने शुरू कर दिया. मैं बस उसे पकड़ कर कसमसाती हुई अपनी टांगें ऊपर उठा कर कराहने लगी. मैं मस्ती के सागर में पूरी तरह डूब चुकी थी और अब किनारे तक जाना चाहती थी.

मैं बोली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह्ह राज और जोर से चोदो मुझे, मैं झड़ने वाली हूँ.

फिर क्या था, मेरी ऐसी बातें उसके कानों में किसी वियाग्रा की गोली की तरह काम कर गयी. उसने फिर जोरदार और अपनी पूरी ताकत से मुझे धक्के मारने शुरू किए. मैं भी धक्कों की मार से बकरी की तरह मिमियाने लगी और फिर मेरी नाभि में झनझनाहट सी शुरू हो गयी.

अभी 5-10 धक्के उसने और मारे कि उस झनझनाहट की लहर मेरी नाभि से उतरता हुआ योनि तक चला गया.
मैं और जोरों से सिसियाने और कराहते हुए अपनी चूतड़ उछालने लगी. मैंने उसे पूरी ताकत से पकड़ लिया और मेरे मुँह से ‘आह ओह्ह इह..’ जैसी आवाजें निकलने लगीं. मेरी योनि से मुझे लगा कुछ तेज़ पिचकारी सी छूटने को है और मेरा बदन मेरे बस में नहीं रहा.

मैं झड़ने लगी और मेरी योनि से पानी की धार तेज़ी से रिसने लगी. मुझे ऐसे देख और मेरी हरकतें और चरम सुख की प्राप्ति की कामुक आवाज सुन राज भी खुद को ज्यादा देर न रोक सका. वो भी गुर्राते और हाँफते हुए तेजी से चूत की झांटों पे झटके मारता हुआ एक के बाद एक पिचकारी मारने लगा, उसके लिंग से 4 बार तेज़ वीर्य की पिचकारी मैंने मेरी बच्चेदानी में महसूस की जो कि आग की तरह गर्म थी. उसके धक्कों के आगे मैं भी पूरी तरह झड़ कर शांत होने के लिए उसे कस कर पकड़ चिपकी रही.

पर राज तब तक नहीं रुका जब तक उसने वीर्य की आखिरी बूंद मेरी योनि की गहराई में न उतार दी. उस एक बूंद के गिरते ही वो मेरे स्तनों के ऊपर गिर पड़ा और हाँफते हुए सुस्ताने लगा.
उसने मेरी योनि को अपने वीर्य से लबालब भर दिया था.
.
.
.
.
.
.
.
.
तो फ्रेंड्स इस तरह हम माँ बेटा जिंदगी के शुरूर ओ मस्ती में डूब कर जिंदगी के हसीन लम्हों को अपने आगोश मे लेकर लज़्जतो के सफ़र पर चलते रहे
समाप्त
 

Sur281

Well-Known Member
3,861
25,804
189
bus ise padne me majha aaya tha to app logo se shair kar mene,,
agali kahani gaon par bais hai jo bohat pehle padi thi mene shayad jaha bi kisis ne padi hogi....


गन्ने की मिठास
 

Sur281

Well-Known Member
3,861
25,804
189
  • Like
Reactions: SmackiaRanjha

Aaryapatel

Well-Known Member
3,072
3,363
158
Super story bro...maza aagaya...aur mene padhi he "gaane ki mithas" badhiya story he aab story me kuch naya apni taraf se likho ge ya story ko aage badhao ge..pls Ripley
 
Last edited:

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
8,657
35,060
219
bus ise padne me majha aaya tha to app logo se shair kar mene,,
agali kahani gaon par bais hai jo bohat pehle padi thi mene shayad jaha bi kisis ne padi hogi....


गन्ने की मिठास
ye isi forum par juhi gupta ne sunaina title se post ki hui hai already
 
Top