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जैसे ही डोर बेल बजी तो मैं दरवाजा खोलने को उठा. अचानक माँ बेड से उठी और बाथरूम में चली गयी. जब वेटर डिनर देकर चला गया तो मैंने माँ को आवाज़ दी. जब माँ बाथरूम से बाहर आई तो मुझे एहसास हुआ की माँ वेटर के सामने रूम में क्यूँ नही रही.
उसने जो नाइटी पहनी थी वो उसके घुटनो से कुछ ही इंच नीचे तक थी और बड़े गोल गले वाली स्लीवलेस थी. उसने ब्रा पहनी हुई थी और उस बड़े गोल गले से क्लीवेज दिख रही थी. नये जमाने की औरतों के लिए तो ये कुछ भी नही था पर अम्मा शायद दूसरे आदमियों के सामने इस नाइटी में असहज महसूस कर रही थी. तभी वो वेटर के अंदर आने से पहले बाथरूम चली गयी.
अम्मा ने बाथरूम से आकर मुझे अपनी नाइटी को देखते हुए पाया तो वो बोली,” बाकी सब गंदी हो गयी हैं , यही बची है. कल लांड्री के लिए कपड़े देने होंगे.”
मैंने कहा,” कोई बात नही अम्मा. ठीक तो है.”
डिनर करने के बाद मैंने बाथरूम जाकर बेड में लेटने के लिए बरमूडा पहन लिया. बाथरूम से आकर मैंने देखा माँ ने ब्रा उतार दी है और धोने के कपड़ो के ढेर में उसे रख रही है. मैं जब उसके पास खड़ा हुआ तो उसके बड़े गले के अंदर झाँकने पर चूचियां साफ दिख रही थी. वास्तव में अम्मा के लिए वो नाइटी सही नही थी.
तभी अम्मा बोली,” चिनू तुम्हारे पास कोई पेनकिलर है तो दो, एयरपोर्ट में दिन भर कुर्सी में बैठने से मेरी कमर दर्द कर रही है.”
मैंने दिक्लोफ़ेनाक और त्रिका पानी के साथ अम्मा को दी. फिर मैंने पूछा,” अम्मा चाय पियोगी ?”
उसने मना कर दिया तो मैंने अपने लिए चाय ली और बेड में बैठकर पीने लगा और फिर हम सो गये.
लगभग 10 मिनिट बाद वो बोली,” चिनू बेटा, कमर दर्द से मुझे नींद नही आ रही है. मेरी कमर और पैरो में मालिश कर दोगे ?”
मैंने कहा,” ठीक है अम्मा.”
फिर मैंने बेड लैंप को स्विच ऑन कर दिया और माँ के पैरों के पास आ गया. माँ बायीं करवट लेकर मेरी बेड की तरफ लेटी हुई थी. उसकी छोटी नाइटी घुटनो तक खिसक गयी थी और बड़े गले से चूचियों का ऊपरी भाग बाहर निकला हुआ था. बेड लैंप की रोशनी अम्मा के ऊपर पड़ रही थी और फिर से मुझे अम्मा के साथ संभोग की इच्छा होने लगी.
जब मैं उसके पैरों के पास बैठा तो वो पीठ के बल सीधी होकर लेट गयी. मैंने उसका पैर अपनी गोद में रख लिया और उसकी मालिश करने लगा.
थोड़ी देर ऐसे ही पैरों की मालिश के बाद अम्मा को आराम महसूस हुआ. वो बोली, “चिनू बेटा, भगवान तुमको मेरी बाकी बची उमर दे दे. तुम्हारे जैसा सेवा करने वाला बेटा मिला है , मैं और तुम्हारे पिताजी भाग्यशाली हैं.”
कोई और समय होता तो माँ का आशीर्वाद सुनकर मैं भावुक हो जाता. पर इस समय वासना मुझ पर हावी थी. मैं कुछ नही बोला. चुपचाप पैरों की मालिश करता रहा.
कुछ देर बाद मैंने अम्मा से घुटने मोड़ने को कहा. अम्मा ने जब घुटने मोड़े तो अब उसके पैर उल्टा V की शेप में थे. जिससे नाइटी घुटनो से नीचे को जांघों की तरफ खिसक गयी थी. ये नज़ारा देखकर मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. मैं उसकी टाँगों के पिछले भाग की मालिश करने लगा.
अम्मा अभी भी हल्की आवाज़ में आशीर्वाद देती जा रही थी. हालाँकि उसकी आवाज़ इतनी धीमी थी की शब्द सुनाई नही दे रहे थे. शायद मेडिसिन और मालिश के असर से वो मुँह ही मुँह में बुदबुदा रही थी. फिर मैं थोड़ा सा खिसका और घुटने से नीचे को उसकी दायीं जाँघ की मालिश करने लगा. जब मेरा हाथ उसकी नाइटी तक पहुँचा तो मैं रुक गया. मैं नाइटी को ऊपर करके और ऊपर तक जाँघ की मालिश करना चाह रहा था पर इतनी हिम्मत मुझमे नही थी की उसकी नाइटी ऊपर कर दूं. तो मैं घुटने से आधी जाँघ तक मालिश करने लगा. कुछ देर तक मैं ऐसे ही पंजो से घुटने तक और घुटने से आधी जाँघ तक मालिश करते रहा.
फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी मुझे उम्मीद नही थी. अम्मा ने कहा,” भगवान सबको तुम्हारे जैसा बेटा दे.” और अपना बायां पैर सीधा कर दिया. अब उसका बायां पैर सीधा था और दायां पैर घुटने से मुड़ा हुआ खड़ा था. इससे मुझे उसकी जांघों के जोड़ तक दिखने लगा. अब मेरी धड़कने बहुत बढ़ गयी.
मैंने जांघों के बिल्कुल ऊपरी हिस्से तक मालिश करना शुरू कर दिया. जिससे नाइटी और ऊपर खिसक गयी. मैं मालिश करते हुए अम्मा की मांसल जांघों पर ऊपर तक हाथ फिराने लगा. फिर ऐसे ही मैंने बायीं जाँघ की भी मालिश की.
लगभग 15 मिनिट बाद अम्मा बोली,” चिनू अब मेरी कमर की मालिश कर दो.”
और वो घूमकर पेट के बल लेट गयी.
अब जो नज़ारा मेरे सामने था उसे देखकर मैं दंग रह गया. जब अम्मा उल्टा लेटी तो उसकी नाइटी उसके और ऊपर खिसक गयी. उसके पैर पूरे नंगे थे और जहाँ से नितंब शुरू होते हैं , उससे थोड़ा ऊपर तक सब खुला था. अब मैं अम्मा के ऊपर से आँखे हटा ही नही पा रहा था. उसकी गोरी जांघें और नितंबों का निचला हिस्सा मेरी आँखों के सामने था. नितंबों के बीच की दरार के निचले हिस्से से अम्मा की चूत का कुछ भाग भी दिख रहा था. थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही देखता रहा.
फिर मुझे होश आया. मैंने सोचा खाली देखने से क्या होगा. मुझे कुछ करना होगा. लेकिन किस्मत कितनी देर तक मेरा साथ देगी. 33 वर्ष की उमर में अम्मा के साथ एक ग़लत हरकत और जिंदगी भर के लिए मैं श्रापित हो जाता. मेरी जिंदगी दांव पर लगी थी. लेकिन मैं उस मोड़ पर पहुच चुका था जहाँ पर मेरी इच्छाओं ने मुझे वश में कर लिया और मैंने अपने को दांव पर लगा दिया.
बिना ज़्यादा सोचते हुए मैं अम्मा की जांघों के दोनो तरफ पैर रखकर उसकी कमर और पीठ को उंगलियों से दबाने लगा. अंगूठे और उंगलियों से कमर को दबाकर मालिश करने से उसकी नाइटी थोड़ा थोड़ा करके और ऊपर होने लगी और कुछ देर बाद अम्मा के बड़े बड़े गोरे नितंब आधे नंगे हो गये.
मैं उसकी पीठ और कमर को उंगलियों और अंगूठे से दबाकर मालिश करता रहा पर मैंने उसके खुले हुए नितंबों को नही छुआ. अब मेरा लंड पूरा मस्त होकर तन चुका था और बरमूडा के कोने से सुपाड़ा बाहर झाँक रहा था. मैं अम्मा के नितंबों की तरफ थोड़ा ऊपर खिसकर पीठ की मालिश करने लगा.
मैं अपनी तरफ से पूरी सावधानी बरत रहा था और अच्छी मालिश कर रहा था ताकि अम्मा को आराम महसूस हो. क्या पता आगे क्या होने वाला था ?
धीरे धीरे मैंने अम्मा की नाइटी कमर तक खिसका दी. अब अम्मा के विशाल नितंब पूरे नंगे थे. फिर मैंने हिम्मत करके नाइटी के अंदर हाथ डालकर उसकी कमर और पीठ के निचले हिस्से पर हाथ फिराते हुए मालिश शुरू कर दी. मैं आगे झुक के मालिश कर रहा था और मेरा लंड अम्मा के नंगे नितंबों पर फिसल रहा था. अब मैं बहुत उत्तेजित हो गया था. संभोग की मेरी इच्छा तीव्र हो चुकी थी. अब मेरा धैर्य जवाब देने लगा था. मैंने हाथ कमर से नीचे उसके नितंबों पर भी फेरने शुरू कर दिए.
फिर मैं रीड की हड्डी पर मालिश करते हुए अम्मा के कंधों की मालिश करने लगा. अम्मा की बड़ी चूचियां उसके शरीर से दबी हुई थी और साइड्स से कुछ हिस्सा दोनो तरफ निकला हुआ था. साइड्स पर हाथ फिराते हुए मैंने उन पर भी हाथ फेर दिया. अम्मा ने हल्के से ऊऊऊओ…ह की आवाज़ निकाली. मैं घबरा गया और जल्दी से हाथ हटाकर उसके कंधों की मालिश करने लगा. तभी मेरा लंड फिसलकर अम्मा के नितंबों के बीच दरार में चला गया. लंड से प्री-कम निकल रहा था और वो अम्मा के विशाल नितंबों के बीच घुस गया. मुझे बहुत उत्तेजना हो रही थी और मेरे लंड के अम्मा के नितंबों के बीच घुसने से बहुत आनंद महसूस हो रहा था.
दवाई और मालिश का असर उस पर हुआ था लेकिन मेरे ख़याल से अब अम्मा को भी पता चल चुका था. लेकिन शायद वो शॉक और ऐम्बर्रेसमेंट से कुछ बोल नही पाई. अपने नितंबों के बीच अपने बेटे का लंड महसूस करके वो अवाक रह गयी होगी.
लेकिन मैं अब सारी सीमाएँ लाँघ चुका था. मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था. मैं अपने लंड को अम्मा के नितंबों के अंदर रगड़ने लगा. मुझे लगा अब मेरा वीर्य निकल जाएगा.
वासना पूरी तरह मुझ पर हावी हो चुकी थी. मेरा पूरा ध्यान सिर्फ़ अम्मा के साथ संभोग पर था. मैंने अपना बरमूडा नीचे खिसका दिया और अम्मा की नाइटी उसकी गर्दन तक ऊपर खींच दी. अब अम्मा पीछे से पूरी नंगी थी. मैं अम्मा के ऊपर लेट गया.
मैं अम्मा की गर्दन को चूमने लगा , उसकी बाँहों को चूमा और साइड्स से उसकी चूचियों को मलने लगा. मैंने अपने लंड को पकड़ा और नितंबों के बीच और अंदर घुसाने की कोशिश की. मुझे एक छेद में अपना लंड घुसता महसूस हुआ. मैंने थोड़ा और ज़ोर लगाया. लेकिन फिर मुझे महसूस हुआ वो अम्मा की चूत का छेद नही बल्कि उसकी गांड का छेद था. लेकिन मैं कोई परवाह ना करते हुए अंदर घुसाने को ज़ोर लगाने लगा.
तभी अम्मा का बदन काँपा और वो आश्चर्य भरे स्वर में चिल्लाई,” आइईई…माँ, चिनुउऊउउ…ये क्या .“
अम्मा पलटने की कोशिश करने लगी. मैं अपने हाथों पर उठ गया और उसे मेरे नीचे सीधा हो जाने दिया. जैसे ही वो सीधी हुई , मैं फिर से उसके ऊपर लेट गया. अम्मा ने मुझे देखा , उसकी आँखो में अविश्वास और शॉक के भाव थे.
मेरे हाथ अम्मा की चूचियों पर थे और मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर था. मैं अम्मा की चूचियां दबाने लगा और मुझे लगा की मेरा वीर्य निकलने वाला है तो मैं उसकी चूचियों को पकड़े हुए , अपने नितंब उठाकर अम्मा के ऊपर धक्के मारने लगा. लंड चूत के अंदर नही गया था, मैं खाली ड्राइ हमपिंग कर रहा था, कुछ ही धक्कों में मेरे लंड से इतने दिनों का जमा किया हुआ वीर्य निकलकर अम्मा की नाभि के पास पेट में गिरने लगा.
अम्मा ने मेरा वीर्य अपने पेट पर गिरते महसूस किया. उसने अपनी आँखे बंद करके , एक गहरी सांस ली और बोली,” ये क्या किया तुमने.”
मुझे इतना तेज ओर्गास्म आया की कुछ पल के लिए मुझे होश ही नही रहा. मैं अम्मा की चूचियों के बीच मुँह घुसाए लेटा रहा. जब मुझे होश आया तो मैं ऐम्बर्रेसेड और घबराया हुआ था. मुझे समझ नही आया अब कैसे रियेक्ट करूँ.
मेरी दुनिया अब बदल चुकी थी. अम्मा के साथ मेरा संबंध अब बदल चुका था. क्या अम्मा के साथ पवित्र रिश्ता नष्ट हो जाएगा या फिर ये और भी मजबूत रिश्ते की शुरुआत थी ?
धीरे धीरे मुझे अपनी स्थिति का आभास हुआ. मैं अम्मा के ऊपर लेटा हुआ था और अम्मा के पेट में गिरा हुआ वीर्य गोंद की तरह से हमारे बदन को आपस में चिपकाए हुए था. मेरे लंड उसके पेट के निचले हिस्से में दबा हुआ था. अम्मा की छोटी छोटी झाँटे मुझे लंड के आख़िरी सिरे पर चुभ रही थी. अब फिर से मेरा लंड खड़ा होने लगा. मेरे दिमाग़ से उलझने निकल गयी और अम्मा के साथ संभोग करने की इच्छा ज़ोर मारने लगी.
मैंने सर उठाकर देखा , अम्मा की नाइटी उसके गले तक ऊपर थी. उसने अपना मुँह बायीं तरफ को मोड़ा हुआ था और उसकी आँखे बंद थी. बायां हाथ उसने अपनी चूचियों के ऊपर रखा था और दायां हाथ उसके कंधे से पीछे था और उसकी अंगुलियां मेरी अंगुलियों से मिली हुई थी. मुझे ध्यान ही नही था की मैंने अम्मा का दायां हाथ ऐसे पकड़ रखा है. मैंने उसका हाथ छोड़ दिया और उसके बायीं तरफ बेड पर खिसक गया और सर उठाकर अम्मा को देखने लगा.
बेड लैंप की धीमी रोशनी में मैंने देखा अम्मा उठने की कोशिश कर रही थी. वो अपनी कोहनियों के सहारे थोड़ा उठी और सीधे मेरी आँखों में झाँका.
उसकी बड़ी बड़ी आँखें मुझे किसी सागर के जैसे लगी. मैं उन्हे चूमने को बढ़ा. उसने अपना चेहरा घुमा लिया. मैंने उसका चेहरा पकड़ा और थोड़ा ज़ोर लगाकर अपनी तरफ घुमाया. फिर मैंने अपनी आँखे बंद करके अम्मा की आँखे चूम ली.
तभी अम्मा बोली,” चिनू अब रहने दो, जो हुआ उसे भूल जाओ.”
फिर वो बेड से उतरने को हुई. मैंने अपने दाएं हाथ को उसकी छाती पर लपेटा और उसे उठने नही दिया. फिर मैंने उसकी कोहनिया सीधी कर दी और उसे फिर से लिटा दिया. अम्मा ने विरोध किया पर मैंने ज़ोर लगा के उसे लिटा दिया.
फिर मैं अम्मा के होठों को चूमने लगा. मैंने उसके होठों को अपनी जीभ से खोलने की कोशिश की लेकिन उसने अपने होंठ नही खोले. फिर मैं बारी बारी से उसके ऊपरी और निचले होंठ को चूमने लगा. मैंने अपना बायां हाथ अम्मा की गर्दन के नीचे डाला हुआ था और दाएं हाथ से मैं उसकी चूचियां दबाने लगा. इससे उसकी सिसकारी निकल गयी.
अम्मा ने बहुत ज़ोर लगाकर मुझे ऊपर हटाया और बोली,”ऊफ़ चिनू, कुछ शरम करो बेटा, मैं तुम्हारी माँ हूँ. यहीं रुक जाओ और आगे मत बढ़ो.”
फिर बोली,” शिवांगी (मेरी पत्नी) और बच्चे के बारे में सोचो बेटा. मैं क्या मुँह लेकर जाऊँगी उनके सामने. मान जाओ चिनू.”
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