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Adultery मेरी पतिव्रता पत्नी और दुकानवाला

Arjun007

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कहानी का अगला अपडेट देने से पहले आप लोग मेरे को कमेन्ट करके बताइये कि ये पहले पार्ट जैसा है या कुछ अलग है।
 
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SKYESH

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प्रिय दोस्तों मुझे बनारसी पानवाला की यह कहानी बहुत अच्छी लगी। इस अद्भुत कथानक का श्रेय मूल लेखक को जाता है लेकिन उनके पास कहानी को अपडेट करने के लिए ज्यादा समय नहीं था लेकिन मैं इस कहानी को अपने अंदाज में शानदार तरीके से बढ़ा रहा हुँ। मैं उसके कहानी को फिर से शुरू कर रहा हुँ।
हालांकि मैं इस कहानी को बहुत आगे तक ले जाने का वादा नहीं कर सकता। लेकिन फिर भी मैं अपना खुद का संस्करण शुरू करना चाहता हूं। जहां से यह कहानी समाप्त किया था यानि नेहा के छेदी लाल द्वारा चुदाई के बाद और फिर नेहा को अपने गाँव चलने के लिये कहता है। गाँव जाने के बाद नेहा के साथ क्या-क्या होता है आगे इस कहानी में आप पढ़ेगे।
अब मैं कुछ एपिसोड पोस्ट कर रहा हूं और अगर आप लोगों को यह पसंद आया तो मैं आगे भी जारी रखने की कोशिश करूंगा।


sir ji....

Main Story ka LINK de do ....

aur kahani ko HINDI Font main hi likho .........:happy:
 
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Arjun007

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sir ji....

Main Story ka LINK de do ....

aur kahani ko HINDI Font main hi likho .........:happy:
पहले भाग का और ये अग्रेजीहिन्दी मे है भाई।
हिन्दी फाण्ट में ज्यादा समय लगता है इसकी अपेक्षा। पर देखता हुँ अगले भाग को हिन्दी में ही प्रस्तुत करता हुँ।
 
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SKYESH

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पहले भाग का और ये अग्रेजीहिन्दी मे है भाई।
हिन्दी फाण्ट में ज्यादा समय लगता है इसकी अपेक्षा। पर देखता हुँ अगले भाग को हिन्दी में ही प्रस्तुत करता हुँ।

thanks dear


FIRST PART ka link de do
 

Arjun007

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आज शाम को अगला भाग हिन्दी भाषा (देवनागरी लिपि) में पोस्ट करुँगा।
 
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Arjun007

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thanks dear


FIRST PART ka link de do
भाई इस साइट पे नहीं है। एक लेखक महोदय पहला भाग को लिखे भी है तो 3 से 4 कहानी को मिलाकर लिखे है फिर पता नहीं कहा लापता हो गये। उसको अधुरा छोड़ कर।
उनके चक्कर में मेरी कहानी को ब्लाक कर दिया गया था। कड़ी मशक्कत के बाद तो आज खुला है।
 

SKYESH

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भाई इस साइट पे नहीं है। एक लेखक महोदय पहला भाग को लिखे भी है तो 3 से 4 कहानी को मिलाकर लिखे है फिर पता नहीं कहा लापता हो गये। उसको अधुरा छोड़ कर।
उनके चक्कर में मेरी कहानी को ब्लाक कर दिया गया था। कड़ी मशक्कत के बाद तो आज खुला है।

ok sir ji
 

Arjun007

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भाग- 3
पिछले भाग आप लोगों ने पढ़ा था कि छेदी सावी को अपने गाँव ले गया उसकी चुदाई की नेहा को याद करके। मेरे घर पे छोटु के रुची को चोदा। नेहा जब जग्या का‌ सपना देख के खुब गर्म हो गयी थी।

अब आगे------

अगले दिन छोटू और रुची ने एक बार फिर एक दूसरे का जमकर चुदाई के मजे लिए और बाद में दोनों ने नेहा को धन्यवाद बोल कर चले गए। उनके उस सेक्स के दृश्य ने नेहा की सेक्स की भुख को और भड़का दिया था। शाम को निशित आया और नेहा से बचते बचाते उसे अपने कैमरा फिटिंग ठिक कर लिया। अब वो इंतजार कर रहा था कि कब छेदी वापस आएगा और वो ऑफिस में बैठे-बैठे लाइव पोर्न देखेंगा जिसकी नायिका होगी खुद की बीवी। सोमवार को निशित ने ऑफिस पहुँचते ही पहले अपना लैपटॉप ऑन कर लिया था। उसने दो-दो हिडेन कैमरा किचन और बैठक वाले कमरे में फिट किया था और बेडरूम में से चारो कॉर्नर में कैमरे फिट कर दिया था। इस बार उसने साउंण्ड के लिए भी अच्छे इंतजाम किए थे।
कोई 11 बजे दरवाजे की घंटी बजी तो निशित को भी लैपटॉप में फीड कैमरे में आवाज सुनायी देने लगी। उसने देखा सावी अन्दर आई है। नेहा ने सवी को देखा तो मुस्कारा कर बोली
"अअआ गई महारानी।"
सावी-"जी मेमसाब सॉरी अगर आपको तकलीफ हुई हो तो।"
नेहा-"तकलीफ क्यो होगी तुम्हारी बेटी थी ना यहां।"
सावी-"हां वो तो थी।"
नेहा- "और बता कैसी रही तेरी ये यात्रा?"
सावी-"क्या बताऊ मेमसाब इस बार तो बहुत मजा आया।"
नेहा-"अच्छा ऐसा क्या हुआ?" नेहा को उसकी खुशी से साफ साफ जलन हो रही थी।
सावी-“अरे मेमसाहब इस बार छेदी तो जैसा पागल हो गया था। बस मुझे उसने नेहा ही बना रखा था और फिर घर से लेकर खेत में, नदी में, जंगल में, ऐसी ऐसी जगह जहां सोच भी नहीं सकते उसने ऐसी जगह उसने मेरी चुदाई की। मेमसाब इस बार उसके मुह को खून लग गया है अब वो आपको चोदे बगैर नहीं रह सकता।
सावी-"अरे ये छेदी जैसे आदमी किसी एक के नहीं हो सकते।"
“वो तो है एक सांड जहाँ मस्त माल दिखे वही चढ़ जाए। पर इस वक्त तो उसके सामने सबसे बढ़ियाँ माल तो आप ही है ना।” कहते ही सावी ने नेहा के गाल पर चिकोटी काटी।
नेहा-"पता नहीं सावी पर ये सब करके निशित के साथ धोखा हो रहा है जो मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।"
सवी और नेहा का एक अजीब आना रिश्ता था वो दो ऐसी औरतें थी जो तीन एक समान लंड को अपनी चुत में ले चुकी थी। जग्या, छेदी और निशित।
जग्या के बारे में सवी को नहीं पता था और निशित के बारे में नेहा को।
सावी- "मैडम चिंता मत करो और जिंदगी के बड़े लो, और निशित बाबू की चिंता छोड़ो अगर उन्हे भी कोई अच्छी चुत मिलेगी तो वो भी पीछे नहीं हटेंगे।"
नेहा- "छी कैसी बात करती है?... नहीं निशित ऐसा नहीं है।"
सवी-"आपको क्या पता? मैमसाहब मैंने देखा है उनकी नजरों को इसलिय बोल शक्ति हूं।"
नेहा-"क्या कह रही है क्या निशित ने तेरे साथ कुछ किया।"
सवी-"नहीं पर अगर मैं थोड़ा लिफ्ट दूं तो कर सकते हैं।"
नेहा-"अरे नहीं ऐसा नहीं है।"
सवी-"और अगर मैंने उन्हे पटा लिया तो।"
नेहा-"तो फिर जो तू कहेगी मैं करूंगी।"
सवी-"मुझे कुछ नहीं करना है बस तुम जो ये परेशान हो रही हो उसे छोड़ो और जिंदगी के मजे लो।"
निशित ने जब वीडियो पर देखा तो उसे सवी का आइडिया अच्छा लगा। नेहा को गिल्ट से हटाने का ये भी एक तारिका था पर इसमे प्रॉब्लम ये थी की कही नेहा उससे नफरत ना करने लगे।
तभी नेहा के मोबाइल पर रिंग बाजी। नेहा ने छेदी का नाम देखा तो न चाहते हुए भी उसके चेहरे पर ललिमा आ गई। उसे सावी की ओर देखा तो वो कुछ काम कर रही थी।
नेहा-"अच्छा तू काम कर मैं आती हूं।"
उसे सावी को नहीं बताया की छेदी का फोन था। वो बेडरूम में चली गई।
नेहा- हैल्लो
छेदी-"हैल्लो मेरी बुलबुल कैसी है?"
नेहा-"तुमसे कितनी बार कहा है की मुझे ऐसे न बोला करो, कोई सुन लेगा तो क्या सोचेगा।"
छेदी-"और कौन सुनेगा मेरी बुलबुल के अलावा।"
नेहा-"तुम भी ना.. नहीं सुधारोगे... बोलो किस लिए फोन किया?"
उधर निशित को ये तो नहीं पता चल रहा था की छेदी क्या बोल रहा है? पर नेहा के इस तरह इठला कर छेदी से बात करते हुए सुनने मात्र से हैं उसके लुड में हलचल मचाने लगी थी।
छेदी-"अरे जान तुझे ये बताने के लिए मैं वापस आ गया हूं अभी फ्री हो तो आ जाऊं, एक-एक राउंड हो जाए।"
नेहा-"तुम्हे बस एक ही धुन रहती है क्या????अभी सावी के साथ खूब मजे लेकर नहीं आए तुम।"
नेहा के चेहरे पर जालान के भाव साफ साफ नजर आ रहे थे।
छेदि-“अरे बुलबुल ले कर तो तुझे जाना चाहता हूं अगर तू आये तो। कसम से अगली बार तू आना मेरे साथ।तुझे जन्नत के मजे दूंगा ये वादा है।"
नेहा-"ख्वाब ही देखते रहो तुम..ऐसा नहीं हो सकता।"
छेदी-"पहले भी तू यही कहता है मेरी जान पर मेरा एक ख़्वाब सच हुआ की नहीं?"
छेदी ने पूछा तो नेहा का चेहरा फिर लाल हो गया और अपनी और छेदी की चुदाई याद आ गई।
छेदी-"तुम बाते बनाने में बहुत माहिर हो।"
छेदी-"अरे बुलबुल देर ना कर बोल एक क्या अभी?"
नेहा-"नहीं अभी नहीं सावी काम कर रही है।"
छेदी-"फिर कब चुदवायेगी तू।"
नेहा-"कभी नहीं... चलो मैं फोन रखती हूं।"
नेहा ने देखा की छेदी की गंदी बातें बड़ी जा रही है तो उसे कहा।

छेदी“अरे जान इतनी जल्दी क्या है? वैसा तुझे बता दूं की कल IPL मैच देखने के लिए आज निशित बाबू ने मुझे घर पर बुलाया है। आज शाम को ही दे अपनी मखमली चुत।”
नेहा- "इतनी गंदी बात कैसे कर लेते हो तुम।"
छेदी-"अरे तुझे भी सीखा दुगाँ जल्दी ही। सच में बहुत आता है जब सेक्स के दौरान गन्दी बातें करते है तो।"
नेहा-"तुम सेक्स के आवला कुछ नहीं सोचते ना।"
छेदी-"नहीं सब कुछ सोचता हूं...दुकान चलता हूं, मां की तबियत खराब होती है तो वहा जाता हूं। हां पर जब तेरे बारे में सोचता हुँ और बात करता हूं तो सिर्फ एक ही ख्याल आता है।"
नेहा फिर शर्मा गई। वो जनता थी वो ख्याल क्या है फिर भी इठला कर पुछती है।
नेहा-"क्या ख्याल आता है?"
छेदी-"चुदाई, सिर्फ चुदाई, जमकर चुदाई हर पोज में चुदाई हर लोकेशन पर चुदाई सिर्फ चुदाई मेरी जान, सिर्फ चुदाई।"
नेहा के कान और तन बदन में आग लग गई इतनी चुदाई सुन कर। उसे हाफ्ते हुए बिना कुछ कहे फोन कट कर दिया। फोन कट करने के बाद भी उसे सांस बहुत तेज चल रही थी। वो शीशे में अपने आप को निहारने लगी और निशित उसको निहारते हुए निहारने लगा।

बैठे-बैठे निशित के मन में प्लान आया और उसे तुरंत सावी को फोन लगाया।
सावी-"नमस्कार साब"
निशित-"अरे सावी सुन आज तू रात का खाना बनाने और बरतन धोने आ जाएगी क्या?"
सावी केवल दिन में ही आती थी वो भी बरतन कपड़े और झाडू फोछा करने। खाना केवल नेहा ही बनाती थी।
सावी-"अरे साब उसके लिए तो रात में काफ़ी डेर हो जाएगी।"
निशित-"हाँ तो क्या हुआ? तो घर पर बोल देना अगर ज्यादा देर हुई तो नेहा के साथ ही सो जाना।"
सावी-"क्या बात है? साहब आपके इरादे तो ठीक है ना।"
निशित-"अरे कुछ नहीं वो छेदी को भी मैंने मैच देखने के लिए बुलाया है तो फिर मैं चाहता हूं की नेहा भी हमारे साथ मैच देखे.. खाने बनाने के चक्कर में ना पाड़े।"
सावी-"अरे वाह साब ... ठीक है मैं जगया को बता कर आ जाऊंगी।" निशित खुश हो गया
निशित- "अब सुनो अब यही बात नेहा तुमसे कहेगी...मैं बोलता हूं उसको तुमको बताने को।"
और उसे नेहा को फोन करके बोला की वो रात के खाने के लिए सावी को बुला ले। नेहा ने हल्का न नुकुर की फिर मान गई और सावी को बोले किचन में आई।
नेहा- "सावी वो आज रात का खाना और बरतन के लिए आ जाना।" सावी सब कुछ जानते हुए भी अंजान बनकर बोली
सावी-"क्यों मेमसाब कोई महमान आने वाला है।"
नेहा हँसी और बोली-"अरे नहीं वो तेरा यार छेदी आ रहा है निशित के साथ मैच देखने।"
सावी-"क्या वो सिर्फ मेरा यार है या आपका भी कुछ नहीं।"
नेहा-"चुप कर मेरा वो कुछ नहीं।"
सावी उसके पास आ कर और उसकी ठोड़ी पकड़ कर उसके चेहरे को ऊपर उठते हुए बोली।
सावी-"मेरी आंखों में देख कर बोलिए मेमसाब।"
नेहा नजरें चुराते हुए बोली-"चल तू अपना काम कर।"
सावी को नेहा का ये शरमाता रूप बहुत अच्छा लगा और उसने आगे बड़ कर उसको अपने बाहों में ले कर भींच लिया और जब नेहा चौंक के कर सावी की ओर देखा तो सावी ने अपने होठ को उसके तड़पते होठों पर रख दिया और थोड़ी देर किस करने के बाद बोली-"मेमसाब जब आपके रूप यौवन को देख मेरा मन बार-बार मचाल जाता है तो वो छेदी एक बार आपका स्वाद लेने के बाद पागल नहीं होगा तो क्या होगा?"

नेहा अब सामान्य होते हुए मुस्कराई और फिर उसने खुद से आगे होकर सावी के होठों पर हल्का सा किस किया और बोली-
"पर तेरा स्वाद तो तीन बार लेने के बाद भी वो पागल है।"
सावी- "अरे मेमसाब आजकल तो वो मुझे भी समझकर ही चोदता है।" ये कहते हुये उसने नेहा के एक चुची को जोर से दबा दिया जिससे नेहा की सिसकी निकल गई।
"इस्स्स्स क्या करती है कमिनी।"-नेहा बोली।
सावी-"आपको अभ्यास करा रही हूं छेदी की।" नेहा ने भी इसके चुची को जोर से दबने की कोशिश की पर पर सावी खिलखिला कर हस पड़ी है।

शाम ढालते सबके दिल की धड़कने बढ़ने लगी। निशित, सावी, छेदी और नेहा सभी आने वाली रात का इंतजार कर रहे थे। निशित ऑफिस से घर आया तो बाजार से बढ़िया शराब की बोतल के साथ गीन भी महिलाओं के लिए लाया और नमकीन काजू मूंगफली बहुत कुछ रात को एन्जॉय करने के लिए लाया। वैसा तो दिन सोमवार था पर मंगलवार को राष्ट्रीय अवकाश होने के कारण उसे पार्टी का मूड बनाया था।

पिछली बार नेहा के लिए ड्रेस निशित ने ही सेलेक्ट की थी इसलिये शाम को नहने के बाद नेहा ने निशित से पूछा तो उसे फ्रॉक पहनने के लिए जो वो नेहा के लिए गोवा ट्रिप के लिए लाया था और नेहा ने उस ट्रिप के बाद उसे कभी नहीं पहना था क्योंकि वो फ्राक उसके गुटनो से भी कुछ इंच ऊंची थी जिसमे उसकी गोरी जाघे तो दिखायी देती ही थी पर जब वो बैठती थी तो उसकी चुत के दरार की नुमाइश हो जाती थी। घर में नाइट ड्रेस के रूप में वो पहन शक्ती थी पर वो इसलिय नहीं पहचान थी की वो काफ़ी मँहगी डिज़ाइनर ड्रेस थी वो उसको पहनकर, सो कर उसे ख़राब नहीं करना चाहती थी। जब निशित ने उसे उस ड्रेस के बारे में कहा तो नेहा बोली- "पागल हो गए हो क्या? आप उस गवाँर पानवाले के सामने मुझे ये ड्रेस पहनना होगा।"

निशित-“अरे डार्लिंग गनवार है तो क्या हुआ है तो अपना दोस्त ही। और बिलकुल देसी आदमी है ऐसे आदमी को कभी ऐसी अप्सराओं के दीदार भी होने चाहिए। हमें भी ऐसा लगेगा की एक चीयर गर्ल हमें भी मिल गई है मैच देखने के लिए।”
"तुम्हे भी पता नहीं क्या-क्या करने का मन करता है अभी चीयर गर्ल बना रहे हैं फिर ना जाने क्या बनायोगे अपने मजे के लिए।"
निशित-"अरे डार्लिंग रहोगी तो तुम मेरी प्यारी बीवी ही पर गवाँर लोगो को थोड़ा छेड़ोगी तो देखना मेरे साथ साथ तुम्हारे भी बड़ा मजा आएगा।"
"गवाँर" नेहा ने मन ही मन सोचा, जिस निशित गवाँर सोच रहा है वो मेरे साथ क्या-क्या कर चुका है? वो सपने में भी नहीं सोच सकता।
सावी ने जब जग्या को बताया की नेहा के घर डिनर के लिए जाना है तो तुरंत बोला-"ठीक है अगर रात को तुझे देरी हो जाएगी तो मैं तुझे लेने आ जाऊंगा।"
सावी-"खबरदार तू दारू पीकर अगर मेरे पास आया तो मेरा भी धंदा खराब करेगा।"
जग्या-" मैं दारू नहीं पीऊगा।"
सावी-"नहीं अगर मुझे जरूर होगी तो मैं छोटू को फोन कर दूंगा।"
जग्या-"अरे हमें मुसल्ले को तुम मां बेटी क्यों मुह लगते हो।"
सावी-"भूल गया उस दिन घर में अकेला जब मर रहा था तब यही मुसल्ला तुझे डॉक्टर के पास ना ले जाता तो आज मैं विधवा की साड़ी पहचान कर काम पर जा रही होती।" जग्या चुप हो गया क्योंकी वो जनता था की सावी सच कह रही है छोटू ने ही उसमें एक दिन जान बचाई थी। वैसा भी सावी जब भी ताव में आती थी जग्या चुप रहना ही बेहतर समझता था। वो तो बस एक बार नेहा मैडम के दीदार की खातिर ही उसे घर लेने जाने की बात कर रहा था वैसा ही उसमें कोई जरूरत नहीं थी।

नेहा जब फ्रॉक पहन कर बहार आई तो निशित की सीटी निकल गई और अपनी ही बीवी की देख कर उसका लंड हिलोरे मारने लगा। ब्लैक ड्रेस पर व्हाइट पोल्का डॉट्स वाली ड्रेस स्लीवलेस थी जिसमें से नेहा की गाण बेहद शानदार लग रही थी। ड्रेस का गाला इतना डीप और बूब्स पर फिटिंग ऐसी थी की नेहा के एक चौथाई बूब्स प्यारी सी क्लीवेज के साथ दर्शन दे रहे थे। फ्रॉक घुटनों से लगभाग 4 इंच ऊंची थी जिसमे नेहा की बेदाग गोरी टागे सुंदर लग रही थी। नेहा एक ऐसी अप्सरा लग रही थी जिसका जन्म सिर्फ चुदने के लिए ही हुआ था। निशित उसे देख कर बोला-
" ओह माई गॉड नेहा इस ड्रेस में वाकई बहुत हॉट लग रही हैं।"
नेहा-"चुप करो बदमाश ऐसी ड्रेस में तुम मुझे सबके सामने पेश कर रहे हो।"
निशित-"अरे नहीं उनको जला रहा हूं की ऐसी खूबसूरत और सेक्सी पत्नी सिर्फ और सिर्फ मेरी है।"---निशित आगे बोला
निशित-"एक और बात है डार्लिंग.. आज हमारे साथ थोड़ी थोड़ी गीन ले लेना।"
नेहा-"शराब नहीं निशित।"
निशित-"क्या शराब नहीं गीन है महिलाएं लोग बड़े आराम से लेती हैं आजकल।"


नेहा- "तुम मुझे बिगाड़ रहे हो निशित फिर ना कहना की मेरी बीवी दारुबाज हो गई है।"
निशित-"अरे यार आजकल सोशली सब लोग लेते हैं।"
नेहा-"वो देखेंगे बात में, मैं वादा नहीं करता।"
तभी बेल बजी और जब निशित ने दरवाजा खोला तो सावी थी। सावी जब और आई तो उसे भी निशित की ही तरह सीटी बजा दी देख कर निशित और नेहा दो मुस्कार दिया। निशित बेडरूम में जा कर अपने सारे सिस्टम की रिकॉर्डिंग ऑन करना लगता है। नेहा सावी को लेकर किचन में जाती है ताकी उसे क्या कैसे बनाना है समझा सके पर सावी जो की खुद साड़ी पहन कड आयी थी नेहा को पीछे से बाहाओ में भर लेती है।
सावी-"क्या बात है मेमसाब छेदी का कत्ल करने का इरादा है क्या?"
नेहा-“मरता है तो मर जाए, बहुत परशान कर रखा है तेरे यार ने मुझे।"
सावी पीछे से हाथ लेकर उसके दोनो चुची को थाम लेटी है और हल्के से दबते हुए कहते हैं-
"कार्यक्रम तो आपका वैसा ही उसे मारने का नहीं लग रहा" और फिर अपना एक हा उसकी फ्रॉक के ऊपर से ही उसकी चुत पर रख कर धीरे से एक बार दबाते हुए कहती है
सावी-"बल्की इसे मारवाने का लग रहा है।"
नेहा-"चल हट निशित घर पर है फिर भी ये सब सोच रही है।"
सावी-"हां यही एक गड़बड़ है... आप कहे तो निशित बाबू को मैं ले जाऊ आपके बेडरूम में फिर आप मजे करना टीवी के सामने।"
नेहा-"हे हे हे तुझे बड़ा तारस आ रहा है अपने छेदी पर, वो अगर मेरा आशिक बनेगा तो तुझे जलन नहीं होगा।"
“मैडम यही तो फरक है सेक्स में और प्यार में। सेक्स में एक दूसरे से जलन नहीं होती बल्की एक दूसरे के आदमी से भी प्यार कर लेते हैं उसमें भी अलग ही मजा है।"
कहते हैं सावी ने नेहा की गांड़ पर हाथ फिरा दिया जिससे की नेहा के रोंगटे खड़े हो गए।

उधार छेदी छोटू को दुकान बंद करने के निर्देश दे रहा था और ऊपर चौबारे पर जा कर वो अपने कपड़े चेंज करके नीचे आ गया तो छोटू हँसा-
"उस्ताद इतने साफ सुथरे कपड़े, किसी की शादी में जा रहे हो क्या?"
छेदी ने सिर्फ एक सफेद कुर्ता और धोती पहनी थी। ना कुर्ते के नीच कोई बनियां थी और न धोती के नीचे कोई अंडरवियर। पहनते हुए वो सोच रहा था की निशित के होते हुए अगर जरा सा भी मौका बना तो काम से कम नेहा के मुह में तो लंड पेल दूंगा। सोच कर ही उसका लंड खड़ा हो गया और वो सहला कर पुचकारने लगा।
"अबे साले तेरी मैया की शादी में जा रहा हूं, तेरे को हर वक्त पूछताछ करनी होती है।" छेदी बोला लेकिन छोटू जनता था की उस्ताद आज अच्छे मूड में है। छोटू को ये भी भनक लग गया था की उस्ताद का अच्छा मूड सिर्फ चुदाई के कारण हो सकता है और आजकल सावी के उस्ताद की एक और छमिया है और वो है नेहा।

"बटाओ ना उस्ताद, नेहा भाभी ने बुलाया है क्या।" सुनकर छेदी के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गई।
छेदी-"नहीं हो लोडू, मुझे निशित बाबू ने बुलाया है।"
छोटु-"ओह वही तो..फिर आज नेहा भाभी के मजे लोगे।"
छेदी-"अबे साले कुछ भी सोचा है, मैं वही मैच देखने जा रहा हूं।"
छोटु-"अब उस्ताद मैच देखेंगे या खेलोगे तो वक्त ही बताएगा..पर एक बाद है ये निशित बाबू है एकदम चोदु।"
छेदी-"चुप कर भाड़वे नहीं तो पहले तेरी गाण मार कर जाउंगा।"
छोटु-"वाह उस्ताद आपको इतनी बड़ी आइटम मिली है मारने को जाके उसकी मारना।"
छेदी-"वो तो है यार इतनी मख्खन जैसी माल है पर साला मौका नहीं मिलता।"
छोटु-"उस्ताद उसका पति खुद से बुला-बुला कर मौका दे तो रहा है आपको।"
छेदी-"साले तू हमेशा उसके सामने छिछोरी हरकाते करता है तुझे से बहुत गुस्सा रहती है वो।"
छोटु-"अरे उस्ताद चिंता मत करो आपका नंबर नहीं कटने दूंगा मैं वो तो मेरी आदत ही ऐसी है की लार टपक ही जाता है।"
छेदी- "कंट्रोल में कर अपनी लार को साले, जब तेरा उस्ताद मजे करेगा तो तुझे भी कभी ना कभी कुछ स्वाद मिल ही जाएगा।" कहकर छेदी ने आंख मार दी।
छोटु-"वाह उस्ताद इसीलिए तो मैं आपका चेला हूं।"
छेदी-“पर अभी तो मेरा ही नंबर ठीक से नहीं लगा है। चल मैं निकलता हूं। दुकान को ठीक से बंद करके घर को निकल जाना।”
छोटु- "ठीक है उस्ताद जाओ मजे करो।"
छेदी-"क्या बोला"
छोटु-"आपकी कामयाबी की दुआ दे रहा हूं।"

धोती के अंदर अपने फड़कते लुंड को किसी तरह संभालते हुए छेदी निशित और नेहा के घर पांच गया।
"आओ छेदी और आओ।"-- कहते हैं निशित ने छेदी को ले जा कर लिविंग रूम में बिठाया। अभी शाम के 7.30 बजे थे और मैच का प्रीव्यू ही चल रहा था। तभी किचन से सावी ग्लास में पानी ले कर आई जिस से छेदी का मूड ही ऑफ हो गया। पर फिर भी वो सावी को देख कर मुस्कराया।
छेदी-"अरे सावी तू भी मैच देखने आई है क्या।"
सावी-"अरे पागल मैडम ने मुझे खाना बनाने के लिए बुलाया है ताकी तुम लोग आराम से मैच देख सको।" छेदी ने सर हिलाया और पानी पीने लगा। उसकी आंखें बार बार किचन की तरफ उठ रही थी जो की नेहा का दीदार करने के लिये बेताब हो रही थी। निशित भी उसकी बेचैनी को देख कर मुस्कराया और जान बूझकर उससे मैच के बारे में बात करने लगा। छेदी पहले थोड़ा अनमने भाव से फिर मजा लेकर बात करने लगा क्योंकि सेक्स के बाद उसका दूसरा पसंदीदा विषय क्रिकेट ही था। निशित भी उसकी क्रिकेट की जानकारी को देखकर बहुत प्रभावित हुआ।



क्या है छेदी नेहा को चोद पायेगा?
क्या निशित की प्लान पुरा होगा?
क्या छेदी नेहा को अपने गाँव जाने के लिये मना लेगा?
गाँव में नेहा के साथ क्या-क्या होगा?
ये सब जानने के‌ लिये आगले भाग का इन्तजार किजिये ????????????
 
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