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Erotica मेरी पत्नी .......

meripahchan

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ऐसा कुछ है अचेतन मन में जो पूरा होना चाहता है पर किसी मर्यादा और संकोच के होते उस पर लगाम लगनी पड़ती है ! उचित और अनुचित के दायरे में न बंध कर स्वछंद होकर उस हर एक क्षण को जी भरकर जी लेने का मन !
 
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meripahchan

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कुछ ऐसी ही एक इच्छा न जाने कहा से मेरे मन में शादी के चार साल बाद आई ! अचानक नहीं कह सकता पर कुछ कुछ सोचता था इस बारे में पढता रहता था, कभी नेट पर कभी किसी उपन्यास में कुछ एक फिल्मे भी देखि थी इतालियन पर तब तक वो सिर्फ कल्पना में था। हकीकत से कोसो दूर सिर्फ एक सपना जो नींद पूरी होने पर ख़त्म हो जाता था पर उसकी सुखद यादें रह रह कर चेहरे पर मुस्कान ला देती थी उत्तेजित कर देती थी
 

meripahchan

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और हाँ आपको बता देना चाहता हूँ ये फोटो सिर्फ एक रेफ़्रेन्स के लिए है , मेरी पत्नी का बदन इस से और काफी गदराया हुआ है। अगर किसी को इस पर कोई आपत्ति हो तो मुझे सूचित करे मैं इसे हटा दूंगा
 
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meripahchan

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बात शुरू होती है 2010 से, तब से आज तक का सफर कैसे कैसे अपनी ख्वाहिश को पूरा करते हुए बिताया ये सब लिखना चाहता हूँ और ये भी बताना चाह्हता हूँ की सब बिलकुल सच ही है। उम्मीद है आप लोग पसंद करेंगे

आज में 42 साल का हो चूका हूँ और मेरी पत्नी 36 की, शरीर का थोड़ा प्रभाव कम हुआ है पर मन आज भी उसी तरह जवान और उतावला है , पहले की तरह जल्दबाज़ी और कुछ बिना सोचे समझे वाली बातें कम हो चली है। अब थोड़ा सोच समझ कर परिपक्वता से सब करते है
 
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meripahchan

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मैं और वरुण बचपन के यारी थे, एक मोहल्ला एक बिल्डिंग। काफी गहरी थी दोस्ती, शादी के बाद थोड़ा बस मिलना कम हुआ पर फ़ोन पर बात लगातार होती थी, साथ में कभी कभी जाम भी टकरा लिया करते थे। एक दिन यूँ ही पीते पीते बातें हो रही थी। हम ज्यादातर गाड़ी में बैठ कर ही पिया करते थे , उस दिन भी बातें करते हुए लोगो को आते जाते देखते हुए हंसी मजाक चल रहा था, शराब का सुरूर भी चढ़ा हुआ था और वैसे भी हम काफी खुले हुए थे तो एडल्ट मजाक तो आम बात थी !
हम आते जाते हुए लोगो को खासकर औरतों को लेकर ज्यादा बातें करते थे। वजह एक तो वो अभी भी कुंवारा था और दूसरा एक नंबर का कामोत्तेजक इंसान था। ब्लू फिल्मो का शौक़ीन था वो। कोई शादीशुदा औरत उसे दिखती तो उस पर कमेंट जरूर करता।।।।। कमेंट का मतलब यहाँ ये नहीं की उस औरत को कुछ कहता था , बल्कि मुझे उसके बारे में कहता था ज्यादातर कमेंट औरत के बदन के बारे में होते
अमूनन शादी और बच्चा होने के बाद औरत के बदन में परिवर्तन तो होता ही है , औरत के शरीर पर खास खास जगह पर मांस बढ़ ही जाता है जिससे वो और भी आकर्षण लगने लगती है जोसे औरत की कमर, जांघें कूल्हे। और भी कहीं कही पर ज्यादा आकर्षित औरत की जांघें और कूल्हे करते है।
तो वही वरुण की बातों का पॉइंट होता था उसकी कामातुर आँखें कपड़ों के अंदर ही अंदर उसका शरीर का नाप ले लेती थी। और उसके बताने का तरीका भी इस तरह होता था की मैं भी मन ही मन इतना उत्तेजित हो जाता था की उस उत्तेजना को निकालने के लिए मुझे रात को अपनी पत्नी को दो या तीन बार उठा कर अपनी प्यास बुझानी होती थी।
 
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meripahchan

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समय ऐसे ही निकलता था , दिन काम से शुरू होकर रात को बिस्तर पर ख़तम होता था , कभी कभी वरुण के साथ हलके फुल्के पल और कभी अपनी जिंदगी की भागम दौड़ में उलझा हुआ मैं वक्त को जाते हुए देख रहा था , ऐसा नहीं था की मेरे कोई और दोस्त नहीं थे काफी खास दोस्त थे उनमे एक दो बिलकुल खास थे वरुण, दीपक , पुष्कर, सुनील बस वरुण कुंवारा था इसलिए उसका साथ ज्यादा मिल जाता था !
एक दिन ऐसे ही वरुण ने मेरे जन्मदिन की पार्टी की मांग कर दी कहा की काफी समय से हम दोस्त मिले नहीं है तो इस बहाने मिलना भी हो जायेगा और कुछ पुराणी यादें भी तजा हो जाएँगी। दूसरे दोस्तों से भी मिले हुए बहुत समय हो चला था। मुझे सही लगा तो मैंने हाँ कह दी , तुरंत हमने सब को फ़ोन किया और जन्मदिन वाले दिन के लिए जगह और समय तय कर दिया , सभी ने हाँ कर दी ,

जगह शहर के बहार एक शराब के ठेके पर थी जहाँ हम दोस्त पहले कभी मिला करते थे, चूँकि वहां पीना मन नहीं था तो हम दोस्त वही अपनी शाम और रातें बिताया करते थे , सब की हाँ थी तो अब मैंने भी घर पर बता दिया की मैं शायद इस जन्मदिन अपने दोस्तों के साथ जाऊंगा तो हम अपना पारिवारिक प्रोग्राम उसके अगले दिन बना सकते थे , घर पर भी कोई आपत्ति करने वाला नहीं था क्यूंकि मेरे परिवार में भी सिर्फ तीन ही लोग थे मैं मेरी पत्नी और मेरा 2 साल का बेटा।

जन्मदिन की तारीख अगले हफ्ते की थी जिसमे चार दिन थे। तैयारी कुछ खास करनी नहीं थी खाने पिने का सामान वही मिल जाता तो बस हमें वहाँ जाकर बैठना ही था !

परन्तु एक दिन पहले ही पुष्कर का फ़ोन आया की वो नहीं आ सकता। उसे किसी काम से बहार जाना था। अब हमें थोड़ा अजीब लगा क्यूंकि हम सब दोस्त शादी के बाद ऐसे पहली बार मिल रहे थे और एक के न होने से अधूरापन सा लगता , तब भी मैंने दीपक को पुष्कर को मानाने के लिए कहा की एक दिन का एडजस्टमेंट कर ले किसी तरह , अब हम तारीख भी चेंज नहीं कर सकते थे क्यूंकि सभी ने अपने अपने तरीके से समय निकाला था या तो हम इस पार्टी को पूरी तरह कैंसल करते या फिर पुष्कर के बगैर इसे साथ मनात। खैर दीपक ने पुष्कर को मनानेकी कोशिश की तो दीपक को एक नयी बात पता चली , सुन कर हमें भी हंसी आई और पुष्कर पर गुस्सा भी पर क्या करे दोस्त तो अपना ही था

दरअसल हुआ ये की पुष्कर की वाइफ ने भी जिद की कि वो भी उसके साथ हमारी पार्टी में चलेगी अब पुष्कर ने उसे ये बताया था कि वो मेरे घर पर पार्टी करेंगे तो उसकी वाइफ ने कहा कि वो भी साथ चलेगी और आपके दोस्तों और उनकी बीवियों से मिलेगी। बस यही वो फसं गया अब वो उसे ये बताता कि हम पार्टी कही बहार करेंगे तो उसे झूठा बनना पड़ेगा और सच बोलेगा तो बीवी को साथ लाना पड़ेगा। इसलिए उसने केंसल करने कि सोची
 
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meripahchan

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खैर हमने अब उसकी बात रखने के लिए और हमारी पार्टी भी केंसल न हो इसके लिए ये निर्णय लिया कि अब हम सब दोस्त मेरे घर पर ही मिलेंगे और जो दोस्त अपने परिवार को लाना चाहता है वो ला सकता है, अब हम निश्चिन्त थे कि अब और किसी को भी कोई झूठ नहीं बोलना पड़ेगा और अब हम जितनी देर तक चाहे अपनी पार्टी चालू रख सकते है क्यूंकि ज्यादा देर हो जाने पर मेरे दोस्त वही मेरे घर पर रुक सकते थे वैसे भी शराब पीकर तो मैं किसी को जाने भी नहीं देता खासकर परिवार के साथ
अब सब कार्यक्रम तयनुसार होना था , अगले दिन पार्टी थी तो मैं सब जरुरी खाने का और अपने पिने का सामान ले आय था सभी खुश थे चलो इस बहाने सब के परिवार एक दूसरे से अच्छे से मिल लेंगे।
 
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meripahchan

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जन्मदिन वाले दिन सब टाइम पर पहुंच चुके थे। पार्टी का दौर भी शुरू हो गया था , मिलना मिलाना चलता रहा सब एक दूसरे को जान गए , माहौल बहुत अच्छा बन पड़ा था। खासकर जब आप काफी दिनों से एक ही जिंदगी जी रहे हो कुछ बदलाव आपके मन को प्रस्सन कर ही देता है , जैसा मैं सोच रहा था वैसा ही उस जगह उपस्थित हर व्यक्ति सोच रहा था खाने पिने का समुचित व्यवस्था थी , सुमन ने काफी अच्छे से सब तैयारी कि थी ( सुमन मेरी पत्नी ) शराब कि कमी नहीं थी तो हम दोस्त ख़ुशी ख़ुशी में ज्यादा ही पी गए , सुमन भी उस दिन काफी खुश दिख रही थी शायद उसकी लाइफ भी एक ही रूटीन से बोर हो चली थी उस दिन उसने अपने को अच्छे से तैयार किया था एक सिंपल सी कुर्ती और उसके साथ लेग्गिंग , कसम से मैंने बहुत दिनों बाद उसे ऐसा देखा था। बाल अच्छे से बने हुए हल्का हल्का सा मेकअप , जबकि घर और परिवार कि देखबहाल में वो कभी अपने पर ध्यान ही नहीं दे पाती थी , पर उस दिन वो बहुत अच्छी दिख रही थी, अगर वरुण के शब्दों में कहु तो आज वो पूरा "भरा हुआ माल" लग रही थी। भरे बदन पर चिपका हुआ कुर्ता जिसकी साइड से उसकी लेगिंग उसकी जांघों का साइज बता रही थी ऊँची सेंडल से उसके पुरे पैरो कि शेप बहुत ही आकर्षित कर रही थी , चिपके हुए कुर्ते कि वजह से उसके कूल्हों कि गोलाईआं साफ़ साफ़ दिख रही थी, कुर्ती थोड़ी निचे गले वाली थी , झुकने पर थोड़ी स्तन कि लकीर दिखने लगती थी, आज उसकी चूचियों का भी साइज और दिनों से बड़ा और तना हुआ लग रह था। वो अपने काम में बिजी थी तो झुकना और सबके बिच चलना आम बात थी और वो भी स्वछंद तरीके से सबके बिच थी , इस बात से अनजान कि मैं उसे आज ध्यान से देख रहा हूँ।।।।।।।।। एक मिन।।।।।। मैं देख रहा हूँ ?

कोई और भी बिच बिच में उसे ध्यान से देख रहा था।।।।।।।।। वरुण।

हा हा हा हा हा हा।।।।।

हाँ वो वरुण था।। मैंने अचानक देखा जब मैं बहार से अंदर आ रहा था तब कि वो भी रह रह कर सुमन को देखे जा रहा है।। सुमन को क्या उसके बदन को , हाँ मैं जानता था कि वो कामुक है और उसका शौक है ऐसी भरे बदन कि औरतों को देख कर गंदे गंदे ख्याल बनाना

पर

मुझे क्यों बुरा नहीं लगा ?

हाँ मुझे बिलकुल बुरा नहीं लगा।

और सही बताऊँ तो एक शरीर में सिहरन सी दौड़ी जब वो उसे देख रह था। ध्यास से एकटक नजरे चुरा कर कही कोई और न देख ले
उसके बदन का नाप ले रहा होगा। अपने मन कि कपोल कल्पना में उसके एक एक अंग को देख रहा होगा।
और न जाने क्या क्या करने कि सोच रहा होगा मेरी सुमन के साथ। उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़

सोच कर मुझे अहसाह हुआ कि मेरी भी पैंट में हलचल हो रही है , ऐसा क्यों ऐसा कम होता है कि सब लोगो के बिच ऐसा हो मेरे साथ पर हुआ
 

vbhurke

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