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Incest मेरी बीवियां, परिवार..…और बहुत लोग…

Mass

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वसु भी आखिर में मान जाती है और दिव्या भी उनके साथ रहने लगती है.

दिव्या भी इसी तरह से इस परिवार में जुड़ जाती है.

अब आगे ….


वक़्त गुज़रता है. .. वसु जिसकी उम्र अभी ३५ + थी. .. अपने जवानी के आग में जलती रहती है. .. क्यूंकि वो अपने जवानी के शिकार पे थी और उसकी आग बुझाने के लिए उसका पती नहीं था. लेकिन वो अपनी जवानी को बरकारार रखती है और अपने आपको अच्छे से संभालती है. .. मोटी नहीं लेकिन एकदम गदराया हुआ बदन..बच्चे भी बड़े होने लगते है और वो भी होनहार साबित होते है. वसु की बेटी निशा भी एकदम अपनी माँ पर जाती है और वो भी एकदम सुन्दर और अच्छे बदन की मालिक बन जाती है. उसका बेटा दीपू भी बहुत स्मार्ट और हैंडसम नज़र आता है. ..

वक़्त के साथ साथ अब दोनों कॉलेज जाने लगते है अपनी पढाई के लिए (दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ने जाते है) .. और साथ ही घर का माहौल भी थोड़ा बदल जाता है और सब एक दुसरे के साथ थोड़ा फ्री और प्यार से रहते है.

दोनों पढाई में बहुत अच्छे थे, होशियार थे और हर बार अव्वल नंबर से पास होते थे.

घर में सभी में हसीं मजाक भी चलता है और कभी कभी एक दुसरे को प्यार से छेड़ते भी है.

देखते देखते दिव्या भी अब उस घर में सब से खुल कर रहने लगती है और उसका बदन भी गदरा जाता है. वो भी एक मस्त माल के रूप में निखार जाती है.

दीपू कॉलेज में अपने दोस्तों के साथ मस्ती में रहता है और उनकी सांगत में रहते हुए उसे भी अब चुदाई का ज्ञान आ जाता है. .... दोस्तों से लड़कियों के बारे में बातें करना.. कभी कभी दोस्तों के घर जाकर उनके साथ मौज मस्ती करना और ब्लू फिल्म्स भी देखना जो हर लड़का उस उम्र में करता है.. दीपू भी वही सब करता है लेकिन वो हमेशा अपने limit में रहता है.

वो हैंडसम था तो उस पर कॉलेज की कई लडकियां भी लाइन मारती है लेकिन फिलहाल वो उनपर ज़्यादा ध्यान नहीं देता.. इसी प्रकार से निशा भी खूबसूरत थी तों उसपर भी कॉलेज के काफी लड़के उसपे मरते है लेकिन वो किसी को घास नहीं देती..

एक दिन कॉलेज में कुछ लड़के निशा को ताड़ते हुए गंदे सा कमैंट्स करते है और उससे छेड़खानी करने लगता है. दीपू और उसका एक अच्छा दोस्त देखते है और उन्हें कहते है की वो निशा से दूर ही रहे. .. उन्ही में उनकी भलाई है. एक लड़का कुछ ऐसे ही गंदे कमैंट्स फिर से करता है तो दीपू को बहुत गुस्सा आता है और उसे पकड़ कर 2-4 मुक्के मार के उसकी हालत ख़राब कर देता है. ये सब निशा के सामने ही होता है.

दोनों फिर कॉलेज से घर आ जाते है और दोनों भी नार्मल तरीके से ही घर में रहता है

Btw, वसु का पति अच्छे से मेहनत कर के १ बडा घर लिया था. .. सभी उसी में रहते है. एक कमरे में वसु और दिव्या और दोनों भाई बेहन अलग कमरे में रहते थे.

रात को निशा सोते वक़्त आज की घटनाओं के बारे में सोचती है. उसे अब धीरे से दीपू के दोस्त के ऊपर ध्यान देती है. वो भी निशा को भाने लगता है. वो भी दीपू की तरह एकदम गोरा अच्छे कद काठी का लड़का था और वो भी दीपू की तरह एकदम स्मार्ट और हैंडसम… नीली आँखे. .. एकदम फुर्तीला बदन और एकदम आकर्षक चेहरा.

दीपू के दोस्त का नाम दिनेश है. उसके परिवार का परिचय बाद में होगा.

निशा भी दिनेश को याद कर के थोड़ा चहल उठती है और वो ना चाहते हुए भी अपना हाथ पाजामे में दाल कर पैंटी के ऊपर से ही अपनी चूत रगड़ने लगती है और बड़बड़ाती है

दो मिनट बाद जब निशा अपना हाथ निकलती है तो देखती है की उसका हाथ उसके चूत रस से एकदम भीगा हुआ है.. अपना हाथ अपने नाक के पास लाकर सूंघते हुए शर्मा जाती है.. और ऐसे ही ख्यालों में रहते हुए सो जाती है

वहीँ दीपू अपने कमरे में बेखबर हुए अपने पढाई के बारे में सोच कर सो जाता है.

ऐसे ही एक दिन दोनों नाश्ता कर रहे थे तो दीपू निशा को छेड़ता है और चिढ़ाता है तो निशा अपने मौसी ( दिव्या) से कहती है..

देखो ना मौसी कैसे दीपू मुझे चिढ़ा रहा है आप कुछ कहती क्यों नहीं

दिव्या: बेटा मैं क्यों उसे कुछ कहूँ. .. तुम्हे लगता है की वो तुम्हे चिढ़ा रहा है लेकिन मैं तो ये देख रही हूँ की तुम दोनों एक दुसरे को कितना प्यार करते हो

उसकी छेड़खानी में भी प्यार झलक रहा है और ऐसा कहते हुए दिव्या हस देती है और दोनों को नाश्ता परोस देती है.

नाश्ता करने के बाद दीपू दिव्या को गले लगा लेता है तो दिव्या भी उससे गले लग जाती है. गले लगते वक़्त दिव्या की ठोस चूची दीपू के सीने में दब जाती है और जिसका एहसास दीपू को भी होता है. आज ये पहली बार था जब दीपू को भी एहसास होता है की उकसी मौसी कितनी कड़क माल है. लेकिन दीपू सामान्य रहता है और दिव्या को गले लगाते हुए उसे धन्यवाद देता है की उसने दीपू और निशा की छेड़खानी में प्यार देखा है.

दोनों नास्ता कर के कॉलेज के लिए निकल जाते है

दिव्या वसु से कहती है..वसु मैं कितनी खुश हूँ की तुम लोगों के प्यार ने मुझे मेरे ग़म को भुला दिया है

वसु भी प्यार से दिव्या का गाल सहलाते हुए..तू चिंता क्यों करती है दिव्या.. देखना एक दिन तुझे भी ऐसा पति मिलेगा जो तुम्हे जी जान से प्यार करेगा

वसु थोड़ा पीछे हैट के दिव्या को देखती है और कहती है.. कोई नपुंसक ही होगा जो तुझे देखे और अपना लंड ना हिलाये.. अगर मैं तेरा पति होती तो अब तक तुझे ढेर सारे बच्चों की माँ बना देती और उसे आँख मार देती है.

दिव्या.. छी.. ऐसी भी कोई बातें करता है क्या..तू कब से ऐसी बातें करने लग गयी है.
वसु: क्या करून.. मैं भी तो तेरी तरह ही थोड़ी जल रही हूँ और वैसे भी मैंने क्या गलत कहा है. देख तू इतनी गदरायी हुई है और ऐसा कहते हुए वसु दिव्या की चूचि को पकड़ कर दबा देती है.. जिससे दिव्या के मुँह से आह्हः की सिसक निकलती है

वसु: देखा एक बार चूचि मसली तो तेरी ये हालत है. जब कोई तुझ पर चढ़ेगा तो तेरी क्या हालत होगी. ये बात सुन कर दिव्या शर्मा जाती है और दोनों ही ऐसी कामुक बातें करते हुए अपना समय निकल लेते है..

जवानी के पहली झलक

एक दिन दीपू नहाने के लिए बाथरूम जाता है तो वहां पर एक बाल्टी में कपडे रखे हुए थे. वो ज़्यादा ध्यान नहीं देता और अपने कपडे निकल कर उस बाल्टी में डाल देता है. तब उसकी नज़र बाल्टी में पड़े एक पैंटी पे नज़र आती है. पैंटी एकदम छोटी और थोड़ा ट्रांसपेरेंट था. ये पहली बार था की उसने कोई पैंटी देखी थी. उस को देख कर एकदम मंत्रमुग्ध हो जाता है और उसे उठाते हुए वो गौर से उसे देखता है. उसे देखते हुए उसके लंड में हलचल होती है और लंड खड़ा होने लगता है और देखते ही देखते लंड एकदम तन कर पूरे फॉर्म में आ जाता है और पूरा तन जाता है. वो पैंटी को अपनी नाक के पास लाता है और उसे सूंघने लगता है. पैंटी थोड़ी गीली और लसदार लगती है उसे और उसे सूंघते हुए अपने लंड को हिलाते हुए मूठ मारने लगता है और सोचता है की ये पैंटी किसकी होगी जिसकी मेहक उसे पागल और दीवाना बना रही थी.

ये उसके जीवन में पहली बार था जब वो एक पैंटी को देख कर मूठ मार रहा था. उसे बहुत मजा आता है और करीब २ मिनट में ही झड जाता है (क्यूंकि ये उसका ऐसा पहला मौका था की उसने किसीकी पैंटी देखी थी इसीलिए जल्दी ही झड़ जाता है) और देखता है की वो काफी वीर्य निकलता है और वो वीर्य एकदम गाड़ा था.

उसके चेहरे पे हसीं आती है और वो वीर्य को साफ़ करते हुए नहा कर बाहर आता है. आज वो पहली बार तीनो को देखता है तो उसके देखने का नजरिया बदल जाता है. वो देखता है की तीनो एकदम कड़क माल है ..तीनो की उठी हुई चूचियाँ , गदराया हुआ बदन और सब से एहम बात उनकी उठी हुई गांड.

दीपू अपने ज़ज़्बातों को अपने पे काबू रख कर अपना काम करता है और वो भी कॉलेज के लिए निकल जाता है.

कुछ दिन बाद फिर से कॉलेज में कुछ लड़के निशा से बतमीज़ी करते है तो इस बार दीपू का दोस्त दिनेश उनको चेतावनी देता है और उन्हें छोड़ देता है. निशा ये सब देख कर दिनेश को मन ही मन चाहने लगती है. उसे लगता है की दिनेश उसी के लिए बना है भले ही वो उस के भाई का दोस्त था.

लेकिन उसे अब ये पता नहीं था की दिनेश उसके बारे में क्या सोचता है.

उस दिन रात को खाना खाने के बाद जब वसु और दिव्या सो जाते है तो निशा धीरे से दीपू के कमरे में जाती है तो इस वक़्त अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था.

निशा इस वक़्त एक लूज़ टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन कर रूम में आती है. दीपू उसे देखता है तो देखता ही रह जाता है क्यूंकि उस टी शर्ट में उसके मम्मे एकदम साफ़ झलक रहे थे ख़ास कर के उसके निप्पल्स जो एकदम तने हुए थे और वो शॉर्ट्स में उसकी चिकनी जांघें एकदम सेक्सी लग रही थी और उसे देख कर धीरे से सीटी मारते हुए कहता है…

क्या बात है. आज इस कमरे में कैसे आना हुआ? दीपू उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहता है.. क्या बात है? तू तो बहुत सेक्सी लग रही है

निशा दीपू के बात से थोड़ा शर्मा जाती है और दीपू के पास आकर उससे कहती है

निशा: मेरी एक मदत करेगा?

दीपू: तू बोल तो सही.

निशा: थोड़ा हड़बड़ाते हुए.. कहती है की उसे उसके दोस्त दिनेश का नंबर चाहिए

दीपू: क्यों?

निशा: अरे यार एक बार देना... मैं उससे बात करती हूँ. दीपू जब ये बात निशा से सुनता है तो थोड़ा निराश हो जाता है लेकिन वो निराश अपनी चेहरे पे नहीं लाता. .. क्यूंकि निशा को उन कपड़ों में देख कर दीपू का भी मन ललचा जाता है.

दीपू: ठीक है मैं उससे एक बार पूछ कर तुझे देता हूँ. ठीक है?

निशा: हाँ ठीक है.

दीपू: वैसे क्या बात है जो तुझे उसका नंबर चाहिए.. कहीं प्यार व्यार का लफड़ा तो नहीं है?

निशा: तू भी ना... फ़ालतू की बात मत कर. जितना तुझसे मदत मांगी हूँ उतना करना यार. आज तू नहीं था तो कुछ लड़के फिर से मुझे छेड़ रहे थे तो दिनेश ने उन सब को फिर से धमकाया और अपनी हद में उनको रहने को कहा. तो एक बार तो उससे बात करना बनता है ना.

दीपू: ठीक है. निशा फिर उसपर झुक कर उसके गाल पे एक प्यार से चुम्मा देती है और कहती है ये मेरी मदत करने के लिए और वहां से अपनी गांड मटकाते हुए अपने कमरे में चली जाती है.

दीपू उसकी मटकती हुई गांड को देख कर आहें भरता है लेकिन कुछ नहीं कर पाता. उसे भी लगता है की वो उसकी बेहन है तो ऐसे ख़याल उसके मन में नहीं आना चाहिए. लेकिन जब उसे वो बाथरूम में पैंटी और मूठ मारने की बात याद आती है तो हस देता है और सोचता है की उसकी मटकती गांड को देख कर ऐसे ख्याल तो आएंगे ही.

अगली सुबह जब दोनों नाश्ता कर रहे होते है तो दीपू निशा से कहता है की वो उसे आज दिनेश का नंबर दे देगा.

इतने में उनकी माँ नाश्ता देकर किचन में जाती है. दीपू अपनी नज़र उठाये वसु को देखता रह जाता है क्यूंकि वो भी अपनी बड़ी गांड मटकाते हुए किचन में चली जाती है. उसके चूतड़ काफी मस्त और भरे थे, जिसकी वजह से काफी थिरकन होती थी। निशा जब ये देखती है तो अपनी कोहनी से दीपू को हल्का सा मारते हुए कहती है..कहाँ देख रहा है तू? दीपू भी अपने आपे से बहार आता है और कुछ नहीं कहते हुए अपना नाश्ता करने लग जाता है.

उस दिन कॉलेज में निशा अपने सहेलियों के साथ गप्पे मार रही थी और तभी वहां दीपू और दिनेश भी आ जाते है लेकिन थोड़ा दूर बैठते है. ये पहली बार था जब दिनेश और निशा की आँख मिलती है.

निशा उसको देख कर Hi बोलती है. दीपू ये सब देख और सुन रहा था.

दिनेश भी Hi बोलता है लेकिन वो ज़्यादा ध्यान नहीं देता.

दीपू को देख कर निशा की दोस्त धीरे से कहती है की दीपू कितना स्मार्ट और हैंडसम है. अगर वो उसका बॉयफ्रेंड होता तो उसे ले कर कहीं भाग जाती और खूब मस्ती करती.

निशा: सिर्फ मस्ती ही करती? उसकी एक और दोस्त: नहीं रे मस्ती नहीं मैं तो उस पे चढ़ जाती और अपनी जवानी उसपे लुटाती.

निशा:क्यों तूने अब तक कितने से चुदवा लिया है?

दोस्त: नहीं रे मैं तो अब तक कुंवारी हूँ और अपने हाथों से ही काम चला रही हूँ.

उस दिन कॉलेज में और कुछ नहीं होता और रात को खाने के बाद दीपू निशा को इशारा करता है की वो उसके कमरे में आये. निशा है देती है. दिव्या उन्दोनो को धीरे से बात करते हुए देख कर कहती है की क्या खुसुर फुसुर हो रही है दोनों के बीच में. दोनों इस बात को टाल देते है और कहते है की कॉलेज की कुछ बातें कर रहे है.

रात को निशा फिर से दीपू के कमरे में ऐसे ही सेक्सी कपड़ों में आती है तो फिर से दीपू की जान हतेली पे आ जाती है लेकिन वो फिलहाल कुछ नहीं करता.

निशा: हाँ बोल किस लिए बुलाया है.

दीपू: तूने ही तो दिनेश का नंबर माँगा था न… तो ये ले और उसे दिनेश का नंबर दे देती है. निशा खुश हो जाती है और फिर से दीपू के गाल पे किस कर के उसे थैंक्स बोल के अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.
आगे देखते है उन सब का क्या हाल होने वाला है...
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
इस अपडेट ने आगे क्या क्या होने वाला हैं कहानी में उसकी नींव रख दी हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
 
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Dhakad boy

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दीपू: तूने ही तो दिनेश का नंबर माँगा था न… तो ये ले और उसे दिनेश का नंबर दे देती है. निशा खुश हो जाती है और फिर से दीपू के गाल पे किस कर के उसे थैंक्स बोल के अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.

अब आगे...

माँ और बेटे में पनपता प्यार

एक दिन जब सब घर में होते है तो दीपू निशा को चिढ़ाने के बहाने से कहता है

दीपू: तू बहुत मोटी होती जा रही है (जो की सच नहीं था ) ..( वो मोटी नहीं थी लेकिन उसका बदन गदराया हुआ ज़रूर था ).
निशा उसकी इस बात से चिड़ जाती है और दीपू को मारने के लिए बढ़ती है. तभी वहां उनकी मा वसु आ जाती है और उन्हें डाट ते हुए कहती है की क्या बचपना कर रहे हो तुम दोनों. जब निशा उसे मारने आती है तो दीपू देखता है की उसकी चूचियां उसके टी शर्ट में मस्त उछाल रहे है और ये दृश्य उसके लिए बहुत कामुक नज़र आता है. दीपू दौड़ कर वसु के पीच छुप जाता है और अनजाने में अपना हाथ वसु की कमर पे रख देता है और वसु को थोड़ा आगे सरकाता है और पीछे से निशा को चिढ़ाते रहता है. ऐसा करते वक़्त दीपू अनजाने में वसु की कमर पे हाथ ज़ोर से दबाता है तो वसु को चिमटी जैसे लगता है. वसु को इसका एहसास होता है और आह्हः कर के दीपू से कहती है की वो क्या कर रहा है और उसके क्यों चिमटी काट रहा है. दीपू सॉरी कहता है और उसका ध्यान निशा के तरफ कर देता है.
वसु भी प्यार से दोनों को अलग करती है और दोनों को अपने पास बुला कर दोनों को गले लगा लेती है और कहती है तुम दोनों में और घर में ऐसे ही प्यार रहे. दोनों भी वसु को गाला लगा लेते है और दोनों भी वसु के गाल को प्यार से चूम कर ऐसे ही छेड़खानी करते हुए निकल जाते है. उन दोनों को देख कर वसु को भी बहुत ख़ुशी होती है और फिर उसका ध्यान अपनी कमर पे जाता है जहाँ दीपू ने उसे चिमटी काटा था.

वसु अपने कमरे में जाती है क्यूंकि उसके कमर में थोड़ा दर्द हो रहा था.

वसु: (दीपू के बारे में) ये भी ना..इतना बड़ा हो गया है लेकिन बचपना नहीं गया है. वसु कमरे में आईने के सामने जा कर अपनी साडी को कमर से अलग कर के देखना चाहती है की उसे कहाँ दर्द हो रहा है. अपनी साडी को थोड़ा नीचे कर के अपनी नज़र कमर पे डालती है. वहां पे एक छोटा सा निशान बन जाता है. वो फिर वहां पे झंडू बाम लगा लेती है और अपनी साडी को ठीक करने लगती है. तभी उसे अपनी कमर पे नाभि के पास एक तिल नज़र आता है. वो तिल को देखती रह जाती है और उसे बाबा की बात याद आती है की दीपू के ज़िन्दगी में बहुत लोग आएंगे और उसकी शादी ऐसे लोगों से होगी जिनकी कमर पे तिल की निशानी है.

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वसु इस बात का ध्यान आते ही अपने आप को झंझोर लेती है और उसे लगता है शायद वो एक वेहम है और दीपू उससे कैसे शादी कर सकता है.

वसु जब ये बात सोचती है तो वो अपने आप को फिर से एक बार आईने में देखती है तो पाती है की वो अभी भी बहुत सुन्दर दिखती है. चेहरा एकदम खिला हुआ सा. अपने बदन को देखती है तो पाती है की उसका बदन अभी भी एकदम सुडौल है. मस्त हसमुख चेहरा, भरी हुई चूचियां, एकदम पतली कमर.. उस पर गहरी नाभि और नाभि के बगल में तिल, और एकदम बहार को निकली हुई गांड.. इस रूप में वो एकदम कोई अप्सरा जैसे लगती है ..

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वसु अपने आप को देख कर मुस्कुरा देती है और वहां से चले जाती है.

ऐसे ही एक दिन रात को जब सब खाना खा कार सो जाते है तो करीब १२ बजे दीपू को प्यास लगती है तो वो पानी पीने के लिए किचन में जाता है. पानी पी कार जब वो अपने कमरे में जा रहा होता है तो उसे वसु के कमरे में थोड़ी रौशनी नज़र आती है. दीपू सोचता है की आदी रात को माँ कमरे में क्या कार रही है जो की वहां से रौशनी आ रहा है तो वो चुपके से बिना कोई आवाज़ किये दरवाज़े पे जाता है और धीरे से खोलता है तो दरवाज़ा खुल जाता है. वो माँ को कुछ कहने ही वाला था की अंदर का नज़ारा देख कर उसकी आँखें बड़ी हो जाती है और उसके पाजामे में तम्बू बन जाता है क्यूंकि अंदर का नज़ारा ही कुछ ऐसा था. उसकी माँ वसु अपनी नाइटी को अपनी जाँघों तक उठा कर अपनी पैंटी को सरका कर अपनी चूत में ऊँगली करते हुए धीरे से बड़बड़ाती रहती है.

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वो अपने पति को याद करते हुए एक हाथ से अपनी चूत को ऊँगली करते हुए दुसरे हाथ से अपनी एक चूची दबाती रहती है. वहीँ बगल में उसकी बेहन दिव्या मस्त घोड़े बेच कर सो रही होती है. वसु को पता नहीं चलता और ये पूरा नज़ारा दीपू देख कर एकदम उत्तेजित हो जाता है. वो वहां पर तब तक रहता है जब तक वसु ऊँगली कर के झड़ नहीं जाती.

वसु अपना पानी निकल कर एकदम सुकून पाती है और बडबाति है की ये निगोड़ी चूत भी ठीक से सोने नहीं देती और हर वक़्त लंड चाहती है. कमरे में एकदम सन्नाटा रहने की वजह से दीपू को ये बात सुनाई देती है. वसु उठ कर अपने कमरे में बाथरूम में चली जाती है और दीपू भी दरवाज़ा बंद कर के वो भी दुसरे बाथरूम में जाता है और अपनी माँ को याद करते हुए मूठ मार के वो भी हल्का हो जाता है और फिर वो भी कमरे में आ कर सो जाता है.

अगली सुबह दीपू उठ कर फ्रेश हो कर रात की बात याद करते हुए किचन में जाता है तो वहां वसु सब के लिए चाय बना रही होती है. दीपू वहां दरवाज़े पे खड़े हो कर अपनी माँ को निहारता रहता है. वो अब उसकी माँ को एक माँ नहीं बल्कि एक औरत के रूप में देख रहा था और पाता है की उसकी माँ कितनी गदरायी हुई है. मैक्सी में भी उसके बदन के कटाव एकदम सही में नज़र आते है. ठोस बहार को निकली हुई चूचियां एकदम तने हुए निप्पल बहार को निकली गांड. ये देख कर उसका लंड भी खड़ा हो जाता है और वो जा कर पीछे से अपनी माँ को गले लगा लेता है और उसके गाल और गर्दन पे चुम्मा देते हुए गुड मॉर्निंग कहता है.

वसु को दीपू का खड़ा लंड अपनी गांड पे महसूस होता है लेकिन वो अनजान रहती है.

वसु: क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है अपनी माँ पे.

दीपू: क्यों प्यार नहीं आएगा क्या? तुमको याद है मैंने पिताजी से क्या कहा था... की मैं तुम सब को प्यार दूँ. उसके पती की बात सुनकर वसु थोड़ा भावुक हो जाती है और पलट कर दीपू को देख कर आंसू निकल जाते है तो दीपू उसकी आँखों में देखते हुए.. क्या हुआ माँ? मैं हूँ ना.... तुम सब की देखभाल करने के लिए और उसके आंसू पोछ कर उसके माथे को प्यार से चूमता है. वसु भी दीपू को गाला लगा कर प्यार से उसे भी चूमती है.

दीपू भी अब मन बना लेता है की वो माँ को खूब प्यार देगा और उसके बाप की कमी नहीं महसूस होने देगा उसको.

दिन ऐसे ही गुज़रते रहते है. दोनों कॉलेज जा कर और घर आ कर अपनी पढाई पे ध्यान देते है और रात को कभी कबार मस्ती भी कर लेते है और वहीँ दीपू भी अपनी माँ को प्यार देते रहता है और जब ही मौका मिलता है तो उसे चूमते भी रहता है. दिव्या भी ये सब देखती रहती है और एक दिन जब दोनों ( दीपू और निशा) कॉलेज जाते है तो दिव्या वसु को छेड़ी है.

घर में Sexy घटनाएं

एक दिन दीपू रोज़ की तरह सुबह नहाने के बाद टॉवल बाँध कर अपने कमरे में बाल बना रहा होता है तो उस वक़्त वसु दीपू को पुकारते हुए उसके कमरे में आती है. दीपू अपनी धुन में बाल बनाते हुए अपनी माँ की आवाज़ सुनता है तो आईने में उसे कमरे में देख कर पलट जाता है (बात करने के लिए). लेकिन ठीक उसी वक़्त दीपू का टॉवल निकल कर गिर जाता है और नंगा हो कर ऐसे ही वसु को देखता है. वसु की नज़र भी ठीक उसी वक़्त उसके झूलते हुए लंड पे जाती है जो नार्मल होने पर भी बहुत मोटा और लम्बा लग रहा था. वो वैसे ही उसके लंड को देख रही होती है और दीपू को जब ये एहसास होता है तो जल्दी से अपना टॉवल उठा कर अपने आप को धक लेता है. वसु भी बिना कुछ कहे वहां से चली जाती है.

उस दिन रात को सोते वक़्त वसु को सुबह का वाक्या को याद करते हुए अपने मन में सोचती है.. कितना बड़ा लंड है मेरे बेटे का. इसीलिए उस दिन उसका लंड मेरी गांड पे छु रहा था. अगर नार्मल ही ऐसा है तो फिर जब वो पूरा खड़ा होगा तो और कितना बड़ा होगा. और मन में सोचती है की जो भी उसके नीचे आएगी वो उसे मस्त संतुष्ट कर देगा. वो भी वासना की आग में जल रही थी और ना जाने क्या क्या सोच रही थी. थोड़ी देर बाद जब उसे होश आता है तो उसे थोड़ा ग्लानि होता है और सोचती है की वो अपने बेटे के बारे में ऐसा कैसा सोच सकती है.

जब से ये हादसा होता है तब से दीपू के मन में भी वसु को लेकर सोच बदल जाती है. एक दिन जब सब घर में ही रहते है तो बहार बारिश हो रही होती है. वसु दीपू को आवाज़ लगा कर कहती है की बालकनी में कपडे सुखाने के लिए डाले है तो उन्हें वहां से निकल ले वरना वो कपडे फिर से भीग जाएंगे और वो उन कपड़ों को उसके कमरे में रख दे. दीपू भी भाग कर बालकनी से पूरे कपडे निकल कर वसु के कमरे रखता है. वो पलट कर जाने ही वाला होता है तो वो देखता है की कपड़ों के ढेर में २- ३ छोटी और पारदर्शी पैंटी पड़ी हुई है. वो फिर से एक नज़र दरवाज़े पे डाल कर देखता है की कोई नहीं है तो वो दो पैंटी को उठा कर फिर से अपनी नाक के पास ले जाकर उनको फिर से सूंघता है और अपना एक हाथ से अपने लंड को निकल कर वो पैंटी को सूंघते हुए अपना लंड हिलाते रहता है. वो जानता था की इस वक़्त मूठ मारना ठीक नहीं होगा.. इसीलिए सिर्फ हिलाते रहता है लेकिन फिर भी उसका लंड एकदम तन जाता है और पूरा खड़ा हो जाता है.

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उसे भी खूब मजा आता है. वो अपने एक अलग ही दुनिया में खो जाता है. उसे पता भी नहीं चलता जब उसकी बेहन और माँ दोनों कमरे में कपडे ठीक करने के लिए आते है. दोनों जब दीपू को ऐसा करते हुए देखते है तो वसु कहती है..

वसु: क्या कर रहा है तू इनके साथ?

दीपू उसकी बात सुन कर एकदम चकरा जाता है और हड़बड़ी में पैंटी गिराते हुए अपने लंड को अंदर करते हुए कुछ नहीं कहता और बिना कुछ कहे वहां से निकल जाता है. निशा ये सब देख कर मन में मुस्कुराती है और अपनी माँ से कहती है..

निशा: लगता है दीपू की शादी जल्दी ही करनी पड़ेगी.

वसु: चुप कर.. क्या कह रही है? देखा नहीं वो अभी क्या कर रहा था? वैसे भी उसके पहले तेरी शादी करनी है. ठीक है? तू उससे बड़ी है और मैं पहले तेरी शादी करवाउंगी.

निशा: देखा है. वैसे भी लड़के इस उम्र में ये सब करना नार्मल है माँ.

वसु: थोड़ा छिड़ कर.. तू उसकी तरफदारी क्यों कर रही है? वो गलत कर रहा था.

निशा: शायद हां या शायद ना.

वसु: मतलब?

निशा: मतलब ये की जैसे मैंने कहा था ये सब नार्मल है.और वैसे माँ.. एक बात बताओं.. कॉलेज में बहुत सारी लडकियां इसपर मरती है. मेरे ही कुछ दोस्त इस पर एकदम लट्टू है.. कहती है क्या हैंडसम है तेरा भाई. अगर मेरा ऐसा कोई भाई होता तो कितना अच्छा होता.

वसु: वो तो ठीक है लेकिन अब जो हुआ गलत हुआ.

निशा: तुम समझी नहीं माँ.. मैंने अभी जो बात बतायी है तुझे सेंसर कर के बताया है और उसे आँख मार देती है.
वसु: तू कहना क्या चाहती है?

निशा: येही की मेरे दोस्त कह रहे थे की दीपू जैसा कोई उनका भाई होता तो कब तक वो सब उनके नीचे आ जाती. तू तो जानती है.. आजकल ऐसी बातें सब करते है.

वसु: चल जल्दी काम कर.. और हाँ.. दीपू से पहले तेरी शादी करनी है. निशा ये बात सुनकर मना कर देतीं है और ना में सर हिला देतीं है

उस दिन रात को निशा दीपू के कमरे में आती है और पूछती है की वो सुबह क्या कर रहा था. दीपू उसे देख कर कुछ नहीं कहता तो निशा माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए दीपू से कहती है की आजकल तो लड़के ऐसे ही करते है और कोई शर्माने की बात नहीं है.

दीपू उसकी बात सुन कर उसे देख कर कहता है तुझे बुरा नहीं लगा क्या?

निशा: हाँ थोड़ा लगा लेकिन फिर मुझे भी पता है की तुम्हारी उम्र के लड़कों में शायद ऐसा ही होगा. दीपू उसकी तरफ नज़र उठा कर देखता है तो निशा भी आँख मार देती है और फिर धीरे से उसकी गोद में बैठ कर उसको गले लगा कर उसके माथे पर किस देती है और शरारती अंदाज़ में पूछती है की तूने वो पैंटी तो सूंघे है लेकिन वो किसके है तुझे पता क्या?
दीपू भी... क्या यार तू भी कैसे बात करती है... मुझे कैसे पता चलेगा?

तो चल पता कर और मुझे बता.. और ऐसा कहते हुए वो अपनी पाजामे की जेब से एक पैंटी निकल कर उसके सामने लहराती है. दीपू उसे देखते ही रह जाता है और झट से वो पैंटी पकड़ने की कोशिश करता है.

निशा: जनाब को बहुत जल्दी है.. दीपू भी हस देता है और फिर से वो पैंटी लेने की कोशिश करता है.

दीपू वो पैंटी को देख कर कहता है की वो बहुत सेक्सी जालीदार और छोटी है.

निशा: नहीं इतनी जल्दी तुझे मिलने वाली है. दीपू उसे आस भरी नज़र से देखता है तो निशा को उस पर दया आ जाती है और उसके बालों में अपना हाथ घुमा कर वो पैंटी उसे दे देती है और कहती है की कल तक तुम्हे पता करना है की ये किसकी है और अगर सही पता किया तो फिर एक इनाम तुझे... ऐसा कहते हुए निशा फिर से उसको आँख मार देती है और दीपू से अलग होकर अपनी गांड मटकाते हुए वो अपने कमरे में चली जाती है.

निशा के जाने के बाद दीपू फिर से उस पैंटी को अपनी नाक के पास रख कर उसे फिर से सूंघता है और मन में सोचता है की किसकी है जो इतनी अच्छी खुशबू आ रही है. वो इसी ख्यालों में रहते हुए अपना लंड निकल कर फिर से हिलाने लगता है और जब उसे महसूस होता है की उसका माल गिरने वाला है तो वो झट से बाथरूम में जा कर अपना माल निकल लेता है और देखता है की उसका माल एकदम गाढ़ा और बहुत सारा निकला है.

और फिर अपने बिस्तर पे आकर गहरी नींद में सो जाता है.

अगले दिन सुबह जब दीपू उठ कर फ्रेश हो कर किचन में जाता है तो देखता है की उसकी माँ चाय बना रही है. वो दरवाज़े पे खड़े हो कर उसकी माँ को निहार रहा था. उसकी उठी हुई चूचियां गोरा बदन और बहार को निकली गांड को देखता रहता है. वसु उसको देख लेती है लेकिन कल के हुए हादसे को लेकर कर अभी भी थोड़ा गुस्से में थी और उसी अंदाज़ में दीपू से कहती है वो वहां क्या कर रहा है और उसे क्यों घूर रहा है.

दीपू: मैं तो चाय के लिए आया था. आपने क्या सोचा?

वसु: तू हॉल में बैठ जा.. मैं चाय लेकर आती हूँ.

थोड़ी देर बाद वसु चाय लेकर आती है तो उतने में बाकी दोनों (निशा और दिव्या) भी आ जाते है और सब मिलकर चाय पीते है. निशा देखती है की उसकी माँ अभी भी रूठी है और उसके चेहरे पे गुस्सा अभी भी नज़र आ रहा है. निशा धीरे से दीपू को इशारा कर के उसे उसके कमरे में भेज देती है और निशा उसकी मम्मी के पास जा कर उससे पूछती है की गुस्सा क्यों कर रही हो?

वसु: तू ना अपने भाई की तरफदारी मत कर. तूने देखा नहीं कल क्या किया था उसने? उसकी बात सुनकर दिव्या पूछती है की क्या बात हुई है जो उसे पता नहीं.

निशा उसे बता देतीं है की कल क्या हुआ है. दिव्या भी थोड़ा आश्चर्य से उन दोनों को देखती रह जाती है.

वसु: (दिव्या से) और ये उसके लाडले भाई की तरफदारी कर रही है.

निशा: तो उसमें गलत क्या है? उसके बाद सब अपने काम में लग जाते है और दीपू और निशा कॉलेज निकल जाते है.

उनके जाने के बाद घर में जब सिर्फ वसु और दिव्या रह जाते है तो वसु का उखड़ा मूड देख कर दिव्या कहती है की जो हुआ उसे भूल जाओ. दीपू का बचपना मान कर उसे माफ़ कर दे.

वसु: बचपना कहाँ दिव्या.. २१ साल का हो गया है और तू उसे बच्चा कह रही है. सुन कल मैं उसके कमरे में गयी थी और वो नहा कर एक टॉवल में था. मैं जब उसके कमरे में गयी और उसे पुकारा तो उसका टॉवल खुल गया और मैं उसके लंड को देख कर दांग रह गयी.

दिव्या: क्यों ऐसा क्या देख लिया.

वसु: उसका मुरझाया हुआ लंड भी बहुत बड़ा लग रहा था और तू उसे बच्चे कहती है.

दिव्या: क्या? तूने उसका लंड भी देखा और मुझे तूने बताया भी नहीं (उन दोनों में बहुत करीब रिश्ता था और दोनों एक दुसरे को सब बाते share करते है )और ऐसा कहते हुए दिव्या वसु को आँख मार देती है. वसु भी थोड़ा हल्का सा हस्ते हुए... चुप कर और फिर दोनों अपना काम करने में लग जाते है.

आगे क्या होता है जल्दी ही आगे रोमांचकारी अपडेट के साथ..
Bhut hi badhiya update Bhai
 
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Mass

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माशूक का बुढ़ापा लज्ज़त दिला रहा है,
अंगूर का मज़ा अब किशमिश में आ रहा है 😉
बढ़िया भाई... लेकिन फिर भी अगर थोड़ा विस्तार से लिखते तो अच्छा रहता. पता है ये एक मुहावरा है लेकिन शायद सब को समझ में ना आये ..क्यूंकि मुझे भी समझने में थोड़ा टाइम लगा :)

Thanks much for your comment though..

rajeev13
 

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Thanks all for your support and encouragement...for 1 L Views....hopefully journey अभी ही स्टार्ट हुआ है. आगे बहुत जाना है :)

Thanks once again!!
 
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vineetksng

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दीपू: तूने ही तो दिनेश का नंबर माँगा था न… तो ये ले और उसे दिनेश का नंबर दे देती है. निशा खुश हो जाती है और फिर से दीपू के गाल पे किस कर के उसे थैंक्स बोल के अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.

अब आगे...

माँ और बेटे में पनपता प्यार

एक दिन जब सब घर में होते है तो दीपू निशा को चिढ़ाने के बहाने से कहता है

दीपू: तू बहुत मोटी होती जा रही है (जो की सच नहीं था ) ..( वो मोटी नहीं थी लेकिन उसका बदन गदराया हुआ ज़रूर था ).
निशा उसकी इस बात से चिड़ जाती है और दीपू को मारने के लिए बढ़ती है. तभी वहां उनकी मा वसु आ जाती है और उन्हें डाट ते हुए कहती है की क्या बचपना कर रहे हो तुम दोनों. जब निशा उसे मारने आती है तो दीपू देखता है की उसकी चूचियां उसके टी शर्ट में मस्त उछाल रहे है और ये दृश्य उसके लिए बहुत कामुक नज़र आता है. दीपू दौड़ कर वसु के पीच छुप जाता है और अनजाने में अपना हाथ वसु की कमर पे रख देता है और वसु को थोड़ा आगे सरकाता है और पीछे से निशा को चिढ़ाते रहता है. ऐसा करते वक़्त दीपू अनजाने में वसु की कमर पे हाथ ज़ोर से दबाता है तो वसु को चिमटी जैसे लगता है. वसु को इसका एहसास होता है और आह्हः कर के दीपू से कहती है की वो क्या कर रहा है और उसके क्यों चिमटी काट रहा है. दीपू सॉरी कहता है और उसका ध्यान निशा के तरफ कर देता है.
वसु भी प्यार से दोनों को अलग करती है और दोनों को अपने पास बुला कर दोनों को गले लगा लेती है और कहती है तुम दोनों में और घर में ऐसे ही प्यार रहे. दोनों भी वसु को गाला लगा लेते है और दोनों भी वसु के गाल को प्यार से चूम कर ऐसे ही छेड़खानी करते हुए निकल जाते है. उन दोनों को देख कर वसु को भी बहुत ख़ुशी होती है और फिर उसका ध्यान अपनी कमर पे जाता है जहाँ दीपू ने उसे चिमटी काटा था.

वसु अपने कमरे में जाती है क्यूंकि उसके कमर में थोड़ा दर्द हो रहा था.

वसु: (दीपू के बारे में) ये भी ना..इतना बड़ा हो गया है लेकिन बचपना नहीं गया है. वसु कमरे में आईने के सामने जा कर अपनी साडी को कमर से अलग कर के देखना चाहती है की उसे कहाँ दर्द हो रहा है. अपनी साडी को थोड़ा नीचे कर के अपनी नज़र कमर पे डालती है. वहां पे एक छोटा सा निशान बन जाता है. वो फिर वहां पे झंडू बाम लगा लेती है और अपनी साडी को ठीक करने लगती है. तभी उसे अपनी कमर पे नाभि के पास एक तिल नज़र आता है. वो तिल को देखती रह जाती है और उसे बाबा की बात याद आती है की दीपू के ज़िन्दगी में बहुत लोग आएंगे और उसकी शादी ऐसे लोगों से होगी जिनकी कमर पे तिल की निशानी है.

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वसु इस बात का ध्यान आते ही अपने आप को झंझोर लेती है और उसे लगता है शायद वो एक वेहम है और दीपू उससे कैसे शादी कर सकता है.

वसु जब ये बात सोचती है तो वो अपने आप को फिर से एक बार आईने में देखती है तो पाती है की वो अभी भी बहुत सुन्दर दिखती है. चेहरा एकदम खिला हुआ सा. अपने बदन को देखती है तो पाती है की उसका बदन अभी भी एकदम सुडौल है. मस्त हसमुख चेहरा, भरी हुई चूचियां, एकदम पतली कमर.. उस पर गहरी नाभि और नाभि के बगल में तिल, और एकदम बहार को निकली हुई गांड.. इस रूप में वो एकदम कोई अप्सरा जैसे लगती है ..

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वसु अपने आप को देख कर मुस्कुरा देती है और वहां से चले जाती है.

ऐसे ही एक दिन रात को जब सब खाना खा कार सो जाते है तो करीब १२ बजे दीपू को प्यास लगती है तो वो पानी पीने के लिए किचन में जाता है. पानी पी कार जब वो अपने कमरे में जा रहा होता है तो उसे वसु के कमरे में थोड़ी रौशनी नज़र आती है. दीपू सोचता है की आदी रात को माँ कमरे में क्या कार रही है जो की वहां से रौशनी आ रहा है तो वो चुपके से बिना कोई आवाज़ किये दरवाज़े पे जाता है और धीरे से खोलता है तो दरवाज़ा खुल जाता है. वो माँ को कुछ कहने ही वाला था की अंदर का नज़ारा देख कर उसकी आँखें बड़ी हो जाती है और उसके पाजामे में तम्बू बन जाता है क्यूंकि अंदर का नज़ारा ही कुछ ऐसा था. उसकी माँ वसु अपनी नाइटी को अपनी जाँघों तक उठा कर अपनी पैंटी को सरका कर अपनी चूत में ऊँगली करते हुए धीरे से बड़बड़ाती रहती है.

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वो अपने पति को याद करते हुए एक हाथ से अपनी चूत को ऊँगली करते हुए दुसरे हाथ से अपनी एक चूची दबाती रहती है. वहीँ बगल में उसकी बेहन दिव्या मस्त घोड़े बेच कर सो रही होती है. वसु को पता नहीं चलता और ये पूरा नज़ारा दीपू देख कर एकदम उत्तेजित हो जाता है. वो वहां पर तब तक रहता है जब तक वसु ऊँगली कर के झड़ नहीं जाती.

वसु अपना पानी निकल कर एकदम सुकून पाती है और बडबाति है की ये निगोड़ी चूत भी ठीक से सोने नहीं देती और हर वक़्त लंड चाहती है. कमरे में एकदम सन्नाटा रहने की वजह से दीपू को ये बात सुनाई देती है. वसु उठ कर अपने कमरे में बाथरूम में चली जाती है और दीपू भी दरवाज़ा बंद कर के वो भी दुसरे बाथरूम में जाता है और अपनी माँ को याद करते हुए मूठ मार के वो भी हल्का हो जाता है और फिर वो भी कमरे में आ कर सो जाता है.

अगली सुबह दीपू उठ कर फ्रेश हो कर रात की बात याद करते हुए किचन में जाता है तो वहां वसु सब के लिए चाय बना रही होती है. दीपू वहां दरवाज़े पे खड़े हो कर अपनी माँ को निहारता रहता है. वो अब उसकी माँ को एक माँ नहीं बल्कि एक औरत के रूप में देख रहा था और पाता है की उसकी माँ कितनी गदरायी हुई है. मैक्सी में भी उसके बदन के कटाव एकदम सही में नज़र आते है. ठोस बहार को निकली हुई चूचियां एकदम तने हुए निप्पल बहार को निकली गांड. ये देख कर उसका लंड भी खड़ा हो जाता है और वो जा कर पीछे से अपनी माँ को गले लगा लेता है और उसके गाल और गर्दन पे चुम्मा देते हुए गुड मॉर्निंग कहता है.

वसु को दीपू का खड़ा लंड अपनी गांड पे महसूस होता है लेकिन वो अनजान रहती है.

वसु: क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है अपनी माँ पे.

दीपू: क्यों प्यार नहीं आएगा क्या? तुमको याद है मैंने पिताजी से क्या कहा था... की मैं तुम सब को प्यार दूँ. उसके पती की बात सुनकर वसु थोड़ा भावुक हो जाती है और पलट कर दीपू को देख कर आंसू निकल जाते है तो दीपू उसकी आँखों में देखते हुए.. क्या हुआ माँ? मैं हूँ ना.... तुम सब की देखभाल करने के लिए और उसके आंसू पोछ कर उसके माथे को प्यार से चूमता है. वसु भी दीपू को गाला लगा कर प्यार से उसे भी चूमती है.

दीपू भी अब मन बना लेता है की वो माँ को खूब प्यार देगा और उसके बाप की कमी नहीं महसूस होने देगा उसको.

दिन ऐसे ही गुज़रते रहते है. दोनों कॉलेज जा कर और घर आ कर अपनी पढाई पे ध्यान देते है और रात को कभी कबार मस्ती भी कर लेते है और वहीँ दीपू भी अपनी माँ को प्यार देते रहता है और जब ही मौका मिलता है तो उसे चूमते भी रहता है. दिव्या भी ये सब देखती रहती है और एक दिन जब दोनों ( दीपू और निशा) कॉलेज जाते है तो दिव्या वसु को छेड़ी है.

घर में Sexy घटनाएं

एक दिन दीपू रोज़ की तरह सुबह नहाने के बाद टॉवल बाँध कर अपने कमरे में बाल बना रहा होता है तो उस वक़्त वसु दीपू को पुकारते हुए उसके कमरे में आती है. दीपू अपनी धुन में बाल बनाते हुए अपनी माँ की आवाज़ सुनता है तो आईने में उसे कमरे में देख कर पलट जाता है (बात करने के लिए). लेकिन ठीक उसी वक़्त दीपू का टॉवल निकल कर गिर जाता है और नंगा हो कर ऐसे ही वसु को देखता है. वसु की नज़र भी ठीक उसी वक़्त उसके झूलते हुए लंड पे जाती है जो नार्मल होने पर भी बहुत मोटा और लम्बा लग रहा था. वो वैसे ही उसके लंड को देख रही होती है और दीपू को जब ये एहसास होता है तो जल्दी से अपना टॉवल उठा कर अपने आप को धक लेता है. वसु भी बिना कुछ कहे वहां से चली जाती है.

उस दिन रात को सोते वक़्त वसु को सुबह का वाक्या को याद करते हुए अपने मन में सोचती है.. कितना बड़ा लंड है मेरे बेटे का. इसीलिए उस दिन उसका लंड मेरी गांड पे छु रहा था. अगर नार्मल ही ऐसा है तो फिर जब वो पूरा खड़ा होगा तो और कितना बड़ा होगा. और मन में सोचती है की जो भी उसके नीचे आएगी वो उसे मस्त संतुष्ट कर देगा. वो भी वासना की आग में जल रही थी और ना जाने क्या क्या सोच रही थी. थोड़ी देर बाद जब उसे होश आता है तो उसे थोड़ा ग्लानि होता है और सोचती है की वो अपने बेटे के बारे में ऐसा कैसा सोच सकती है.

जब से ये हादसा होता है तब से दीपू के मन में भी वसु को लेकर सोच बदल जाती है. एक दिन जब सब घर में ही रहते है तो बहार बारिश हो रही होती है. वसु दीपू को आवाज़ लगा कर कहती है की बालकनी में कपडे सुखाने के लिए डाले है तो उन्हें वहां से निकल ले वरना वो कपडे फिर से भीग जाएंगे और वो उन कपड़ों को उसके कमरे में रख दे. दीपू भी भाग कर बालकनी से पूरे कपडे निकल कर वसु के कमरे रखता है. वो पलट कर जाने ही वाला होता है तो वो देखता है की कपड़ों के ढेर में २- ३ छोटी और पारदर्शी पैंटी पड़ी हुई है. वो फिर से एक नज़र दरवाज़े पे डाल कर देखता है की कोई नहीं है तो वो दो पैंटी को उठा कर फिर से अपनी नाक के पास ले जाकर उनको फिर से सूंघता है और अपना एक हाथ से अपने लंड को निकल कर वो पैंटी को सूंघते हुए अपना लंड हिलाते रहता है. वो जानता था की इस वक़्त मूठ मारना ठीक नहीं होगा.. इसीलिए सिर्फ हिलाते रहता है लेकिन फिर भी उसका लंड एकदम तन जाता है और पूरा खड़ा हो जाता है.

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उसे भी खूब मजा आता है. वो अपने एक अलग ही दुनिया में खो जाता है. उसे पता भी नहीं चलता जब उसकी बेहन और माँ दोनों कमरे में कपडे ठीक करने के लिए आते है. दोनों जब दीपू को ऐसा करते हुए देखते है तो वसु कहती है..

वसु: क्या कर रहा है तू इनके साथ?

दीपू उसकी बात सुन कर एकदम चकरा जाता है और हड़बड़ी में पैंटी गिराते हुए अपने लंड को अंदर करते हुए कुछ नहीं कहता और बिना कुछ कहे वहां से निकल जाता है. निशा ये सब देख कर मन में मुस्कुराती है और अपनी माँ से कहती है..

निशा: लगता है दीपू की शादी जल्दी ही करनी पड़ेगी.

वसु: चुप कर.. क्या कह रही है? देखा नहीं वो अभी क्या कर रहा था? वैसे भी उसके पहले तेरी शादी करनी है. ठीक है? तू उससे बड़ी है और मैं पहले तेरी शादी करवाउंगी.

निशा: देखा है. वैसे भी लड़के इस उम्र में ये सब करना नार्मल है माँ.

वसु: थोड़ा छिड़ कर.. तू उसकी तरफदारी क्यों कर रही है? वो गलत कर रहा था.

निशा: शायद हां या शायद ना.

वसु: मतलब?

निशा: मतलब ये की जैसे मैंने कहा था ये सब नार्मल है.और वैसे माँ.. एक बात बताओं.. कॉलेज में बहुत सारी लडकियां इसपर मरती है. मेरे ही कुछ दोस्त इस पर एकदम लट्टू है.. कहती है क्या हैंडसम है तेरा भाई. अगर मेरा ऐसा कोई भाई होता तो कितना अच्छा होता.

वसु: वो तो ठीक है लेकिन अब जो हुआ गलत हुआ.

निशा: तुम समझी नहीं माँ.. मैंने अभी जो बात बतायी है तुझे सेंसर कर के बताया है और उसे आँख मार देती है.
वसु: तू कहना क्या चाहती है?

निशा: येही की मेरे दोस्त कह रहे थे की दीपू जैसा कोई उनका भाई होता तो कब तक वो सब उनके नीचे आ जाती. तू तो जानती है.. आजकल ऐसी बातें सब करते है.

वसु: चल जल्दी काम कर.. और हाँ.. दीपू से पहले तेरी शादी करनी है. निशा ये बात सुनकर मना कर देतीं है और ना में सर हिला देतीं है

उस दिन रात को निशा दीपू के कमरे में आती है और पूछती है की वो सुबह क्या कर रहा था. दीपू उसे देख कर कुछ नहीं कहता तो निशा माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए दीपू से कहती है की आजकल तो लड़के ऐसे ही करते है और कोई शर्माने की बात नहीं है.

दीपू उसकी बात सुन कर उसे देख कर कहता है तुझे बुरा नहीं लगा क्या?

निशा: हाँ थोड़ा लगा लेकिन फिर मुझे भी पता है की तुम्हारी उम्र के लड़कों में शायद ऐसा ही होगा. दीपू उसकी तरफ नज़र उठा कर देखता है तो निशा भी आँख मार देती है और फिर धीरे से उसकी गोद में बैठ कर उसको गले लगा कर उसके माथे पर किस देती है और शरारती अंदाज़ में पूछती है की तूने वो पैंटी तो सूंघे है लेकिन वो किसके है तुझे पता क्या?
दीपू भी... क्या यार तू भी कैसे बात करती है... मुझे कैसे पता चलेगा?

तो चल पता कर और मुझे बता.. और ऐसा कहते हुए वो अपनी पाजामे की जेब से एक पैंटी निकल कर उसके सामने लहराती है. दीपू उसे देखते ही रह जाता है और झट से वो पैंटी पकड़ने की कोशिश करता है.

निशा: जनाब को बहुत जल्दी है.. दीपू भी हस देता है और फिर से वो पैंटी लेने की कोशिश करता है.

दीपू वो पैंटी को देख कर कहता है की वो बहुत सेक्सी जालीदार और छोटी है.

निशा: नहीं इतनी जल्दी तुझे मिलने वाली है. दीपू उसे आस भरी नज़र से देखता है तो निशा को उस पर दया आ जाती है और उसके बालों में अपना हाथ घुमा कर वो पैंटी उसे दे देती है और कहती है की कल तक तुम्हे पता करना है की ये किसकी है और अगर सही पता किया तो फिर एक इनाम तुझे... ऐसा कहते हुए निशा फिर से उसको आँख मार देती है और दीपू से अलग होकर अपनी गांड मटकाते हुए वो अपने कमरे में चली जाती है.

निशा के जाने के बाद दीपू फिर से उस पैंटी को अपनी नाक के पास रख कर उसे फिर से सूंघता है और मन में सोचता है की किसकी है जो इतनी अच्छी खुशबू आ रही है. वो इसी ख्यालों में रहते हुए अपना लंड निकल कर फिर से हिलाने लगता है और जब उसे महसूस होता है की उसका माल गिरने वाला है तो वो झट से बाथरूम में जा कर अपना माल निकल लेता है और देखता है की उसका माल एकदम गाढ़ा और बहुत सारा निकला है.

और फिर अपने बिस्तर पे आकर गहरी नींद में सो जाता है.

अगले दिन सुबह जब दीपू उठ कर फ्रेश हो कर किचन में जाता है तो देखता है की उसकी माँ चाय बना रही है. वो दरवाज़े पे खड़े हो कर उसकी माँ को निहार रहा था. उसकी उठी हुई चूचियां गोरा बदन और बहार को निकली गांड को देखता रहता है. वसु उसको देख लेती है लेकिन कल के हुए हादसे को लेकर कर अभी भी थोड़ा गुस्से में थी और उसी अंदाज़ में दीपू से कहती है वो वहां क्या कर रहा है और उसे क्यों घूर रहा है.

दीपू: मैं तो चाय के लिए आया था. आपने क्या सोचा?

वसु: तू हॉल में बैठ जा.. मैं चाय लेकर आती हूँ.

थोड़ी देर बाद वसु चाय लेकर आती है तो उतने में बाकी दोनों (निशा और दिव्या) भी आ जाते है और सब मिलकर चाय पीते है. निशा देखती है की उसकी माँ अभी भी रूठी है और उसके चेहरे पे गुस्सा अभी भी नज़र आ रहा है. निशा धीरे से दीपू को इशारा कर के उसे उसके कमरे में भेज देती है और निशा उसकी मम्मी के पास जा कर उससे पूछती है की गुस्सा क्यों कर रही हो?

वसु: तू ना अपने भाई की तरफदारी मत कर. तूने देखा नहीं कल क्या किया था उसने? उसकी बात सुनकर दिव्या पूछती है की क्या बात हुई है जो उसे पता नहीं.

निशा उसे बता देतीं है की कल क्या हुआ है. दिव्या भी थोड़ा आश्चर्य से उन दोनों को देखती रह जाती है.

वसु: (दिव्या से) और ये उसके लाडले भाई की तरफदारी कर रही है.

निशा: तो उसमें गलत क्या है? उसके बाद सब अपने काम में लग जाते है और दीपू और निशा कॉलेज निकल जाते है.

उनके जाने के बाद घर में जब सिर्फ वसु और दिव्या रह जाते है तो वसु का उखड़ा मूड देख कर दिव्या कहती है की जो हुआ उसे भूल जाओ. दीपू का बचपना मान कर उसे माफ़ कर दे.

वसु: बचपना कहाँ दिव्या.. २१ साल का हो गया है और तू उसे बच्चा कह रही है. सुन कल मैं उसके कमरे में गयी थी और वो नहा कर एक टॉवल में था. मैं जब उसके कमरे में गयी और उसे पुकारा तो उसका टॉवल खुल गया और मैं उसके लंड को देख कर दांग रह गयी.

दिव्या: क्यों ऐसा क्या देख लिया.

वसु: उसका मुरझाया हुआ लंड भी बहुत बड़ा लग रहा था और तू उसे बच्चे कहती है.

दिव्या: क्या? तूने उसका लंड भी देखा और मुझे तूने बताया भी नहीं (उन दोनों में बहुत करीब रिश्ता था और दोनों एक दुसरे को सब बाते share करते है )और ऐसा कहते हुए दिव्या वसु को आँख मार देती है. वसु भी थोड़ा हल्का सा हस्ते हुए... चुप कर और फिर दोनों अपना काम करने में लग जाते है.

आगे क्या होता है जल्दी ही आगे रोमांचकारी अपडेट के साथ..
Nice Update…
 
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