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Incest मेरी बीवियां, परिवार..…और बहुत लोग…

parkas

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दीपू: तूने ही तो दिनेश का नंबर माँगा था न… तो ये ले और उसे दिनेश का नंबर दे देती है. निशा खुश हो जाती है और फिर से दीपू के गाल पे किस कर के उसे थैंक्स बोल के अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.

अब आगे...

माँ और बेटे में पनपता प्यार

एक दिन जब सब घर में होते है तो दीपू निशा को चिढ़ाने के बहाने से कहता है

दीपू: तू बहुत मोटी होती जा रही है (जो की सच नहीं था ) ..( वो मोटी नहीं थी लेकिन उसका बदन गदराया हुआ ज़रूर था ).
निशा उसकी इस बात से चिड़ जाती है और दीपू को मारने के लिए बढ़ती है. तभी वहां उनकी मा वसु आ जाती है और उन्हें डाट ते हुए कहती है की क्या बचपना कर रहे हो तुम दोनों. जब निशा उसे मारने आती है तो दीपू देखता है की उसकी चूचियां उसके टी शर्ट में मस्त उछाल रहे है और ये दृश्य उसके लिए बहुत कामुक नज़र आता है. दीपू दौड़ कर वसु के पीच छुप जाता है और अनजाने में अपना हाथ वसु की कमर पे रख देता है और वसु को थोड़ा आगे सरकाता है और पीछे से निशा को चिढ़ाते रहता है. ऐसा करते वक़्त दीपू अनजाने में वसु की कमर पे हाथ ज़ोर से दबाता है तो वसु को चिमटी जैसे लगता है. वसु को इसका एहसास होता है और आह्हः कर के दीपू से कहती है की वो क्या कर रहा है और उसके क्यों चिमटी काट रहा है. दीपू सॉरी कहता है और उसका ध्यान निशा के तरफ कर देता है.
वसु भी प्यार से दोनों को अलग करती है और दोनों को अपने पास बुला कर दोनों को गले लगा लेती है और कहती है तुम दोनों में और घर में ऐसे ही प्यार रहे. दोनों भी वसु को गाला लगा लेते है और दोनों भी वसु के गाल को प्यार से चूम कर ऐसे ही छेड़खानी करते हुए निकल जाते है. उन दोनों को देख कर वसु को भी बहुत ख़ुशी होती है और फिर उसका ध्यान अपनी कमर पे जाता है जहाँ दीपू ने उसे चिमटी काटा था.

वसु अपने कमरे में जाती है क्यूंकि उसके कमर में थोड़ा दर्द हो रहा था.

वसु: (दीपू के बारे में) ये भी ना..इतना बड़ा हो गया है लेकिन बचपना नहीं गया है. वसु कमरे में आईने के सामने जा कर अपनी साडी को कमर से अलग कर के देखना चाहती है की उसे कहाँ दर्द हो रहा है. अपनी साडी को थोड़ा नीचे कर के अपनी नज़र कमर पे डालती है. वहां पे एक छोटा सा निशान बन जाता है. वो फिर वहां पे झंडू बाम लगा लेती है और अपनी साडी को ठीक करने लगती है. तभी उसे अपनी कमर पे नाभि के पास एक तिल नज़र आता है. वो तिल को देखती रह जाती है और उसे बाबा की बात याद आती है की दीपू के ज़िन्दगी में बहुत लोग आएंगे और उसकी शादी ऐसे लोगों से होगी जिनकी कमर पे तिल की निशानी है.

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वसु इस बात का ध्यान आते ही अपने आप को झंझोर लेती है और उसे लगता है शायद वो एक वेहम है और दीपू उससे कैसे शादी कर सकता है.

वसु जब ये बात सोचती है तो वो अपने आप को फिर से एक बार आईने में देखती है तो पाती है की वो अभी भी बहुत सुन्दर दिखती है. चेहरा एकदम खिला हुआ सा. अपने बदन को देखती है तो पाती है की उसका बदन अभी भी एकदम सुडौल है. मस्त हसमुख चेहरा, भरी हुई चूचियां, एकदम पतली कमर.. उस पर गहरी नाभि और नाभि के बगल में तिल, और एकदम बहार को निकली हुई गांड.. इस रूप में वो एकदम कोई अप्सरा जैसे लगती है ..

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वसु अपने आप को देख कर मुस्कुरा देती है और वहां से चले जाती है.

ऐसे ही एक दिन रात को जब सब खाना खा कार सो जाते है तो करीब १२ बजे दीपू को प्यास लगती है तो वो पानी पीने के लिए किचन में जाता है. पानी पी कार जब वो अपने कमरे में जा रहा होता है तो उसे वसु के कमरे में थोड़ी रौशनी नज़र आती है. दीपू सोचता है की आदी रात को माँ कमरे में क्या कार रही है जो की वहां से रौशनी आ रहा है तो वो चुपके से बिना कोई आवाज़ किये दरवाज़े पे जाता है और धीरे से खोलता है तो दरवाज़ा खुल जाता है. वो माँ को कुछ कहने ही वाला था की अंदर का नज़ारा देख कर उसकी आँखें बड़ी हो जाती है और उसके पाजामे में तम्बू बन जाता है क्यूंकि अंदर का नज़ारा ही कुछ ऐसा था. उसकी माँ वसु अपनी नाइटी को अपनी जाँघों तक उठा कर अपनी पैंटी को सरका कर अपनी चूत में ऊँगली करते हुए धीरे से बड़बड़ाती रहती है.

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वो अपने पति को याद करते हुए एक हाथ से अपनी चूत को ऊँगली करते हुए दुसरे हाथ से अपनी एक चूची दबाती रहती है. वहीँ बगल में उसकी बेहन दिव्या मस्त घोड़े बेच कर सो रही होती है. वसु को पता नहीं चलता और ये पूरा नज़ारा दीपू देख कर एकदम उत्तेजित हो जाता है. वो वहां पर तब तक रहता है जब तक वसु ऊँगली कर के झड़ नहीं जाती.

वसु अपना पानी निकल कर एकदम सुकून पाती है और बडबाति है की ये निगोड़ी चूत भी ठीक से सोने नहीं देती और हर वक़्त लंड चाहती है. कमरे में एकदम सन्नाटा रहने की वजह से दीपू को ये बात सुनाई देती है. वसु उठ कर अपने कमरे में बाथरूम में चली जाती है और दीपू भी दरवाज़ा बंद कर के वो भी दुसरे बाथरूम में जाता है और अपनी माँ को याद करते हुए मूठ मार के वो भी हल्का हो जाता है और फिर वो भी कमरे में आ कर सो जाता है.

अगली सुबह दीपू उठ कर फ्रेश हो कर रात की बात याद करते हुए किचन में जाता है तो वहां वसु सब के लिए चाय बना रही होती है. दीपू वहां दरवाज़े पे खड़े हो कर अपनी माँ को निहारता रहता है. वो अब उसकी माँ को एक माँ नहीं बल्कि एक औरत के रूप में देख रहा था और पाता है की उसकी माँ कितनी गदरायी हुई है. मैक्सी में भी उसके बदन के कटाव एकदम सही में नज़र आते है. ठोस बहार को निकली हुई चूचियां एकदम तने हुए निप्पल बहार को निकली गांड. ये देख कर उसका लंड भी खड़ा हो जाता है और वो जा कर पीछे से अपनी माँ को गले लगा लेता है और उसके गाल और गर्दन पे चुम्मा देते हुए गुड मॉर्निंग कहता है.

वसु को दीपू का खड़ा लंड अपनी गांड पे महसूस होता है लेकिन वो अनजान रहती है.

वसु: क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है अपनी माँ पे.

दीपू: क्यों प्यार नहीं आएगा क्या? तुमको याद है मैंने पिताजी से क्या कहा था... की मैं तुम सब को प्यार दूँ. उसके पती की बात सुनकर वसु थोड़ा भावुक हो जाती है और पलट कर दीपू को देख कर आंसू निकल जाते है तो दीपू उसकी आँखों में देखते हुए.. क्या हुआ माँ? मैं हूँ ना.... तुम सब की देखभाल करने के लिए और उसके आंसू पोछ कर उसके माथे को प्यार से चूमता है. वसु भी दीपू को गाला लगा कर प्यार से उसे भी चूमती है.

दीपू भी अब मन बना लेता है की वो माँ को खूब प्यार देगा और उसके बाप की कमी नहीं महसूस होने देगा उसको.

दिन ऐसे ही गुज़रते रहते है. दोनों कॉलेज जा कर और घर आ कर अपनी पढाई पे ध्यान देते है और रात को कभी कबार मस्ती भी कर लेते है और वहीँ दीपू भी अपनी माँ को प्यार देते रहता है और जब ही मौका मिलता है तो उसे चूमते भी रहता है. दिव्या भी ये सब देखती रहती है और एक दिन जब दोनों ( दीपू और निशा) कॉलेज जाते है तो दिव्या वसु को छेड़ी है.

घर में Sexy घटनाएं

एक दिन दीपू रोज़ की तरह सुबह नहाने के बाद टॉवल बाँध कर अपने कमरे में बाल बना रहा होता है तो उस वक़्त वसु दीपू को पुकारते हुए उसके कमरे में आती है. दीपू अपनी धुन में बाल बनाते हुए अपनी माँ की आवाज़ सुनता है तो आईने में उसे कमरे में देख कर पलट जाता है (बात करने के लिए). लेकिन ठीक उसी वक़्त दीपू का टॉवल निकल कर गिर जाता है और नंगा हो कर ऐसे ही वसु को देखता है. वसु की नज़र भी ठीक उसी वक़्त उसके झूलते हुए लंड पे जाती है जो नार्मल होने पर भी बहुत मोटा और लम्बा लग रहा था. वो वैसे ही उसके लंड को देख रही होती है और दीपू को जब ये एहसास होता है तो जल्दी से अपना टॉवल उठा कर अपने आप को धक लेता है. वसु भी बिना कुछ कहे वहां से चली जाती है.

उस दिन रात को सोते वक़्त वसु को सुबह का वाक्या को याद करते हुए अपने मन में सोचती है.. कितना बड़ा लंड है मेरे बेटे का. इसीलिए उस दिन उसका लंड मेरी गांड पे छु रहा था. अगर नार्मल ही ऐसा है तो फिर जब वो पूरा खड़ा होगा तो और कितना बड़ा होगा. और मन में सोचती है की जो भी उसके नीचे आएगी वो उसे मस्त संतुष्ट कर देगा. वो भी वासना की आग में जल रही थी और ना जाने क्या क्या सोच रही थी. थोड़ी देर बाद जब उसे होश आता है तो उसे थोड़ा ग्लानि होता है और सोचती है की वो अपने बेटे के बारे में ऐसा कैसा सोच सकती है.

जब से ये हादसा होता है तब से दीपू के मन में भी वसु को लेकर सोच बदल जाती है. एक दिन जब सब घर में ही रहते है तो बहार बारिश हो रही होती है. वसु दीपू को आवाज़ लगा कर कहती है की बालकनी में कपडे सुखाने के लिए डाले है तो उन्हें वहां से निकल ले वरना वो कपडे फिर से भीग जाएंगे और वो उन कपड़ों को उसके कमरे में रख दे. दीपू भी भाग कर बालकनी से पूरे कपडे निकल कर वसु के कमरे रखता है. वो पलट कर जाने ही वाला होता है तो वो देखता है की कपड़ों के ढेर में २- ३ छोटी और पारदर्शी पैंटी पड़ी हुई है. वो फिर से एक नज़र दरवाज़े पे डाल कर देखता है की कोई नहीं है तो वो दो पैंटी को उठा कर फिर से अपनी नाक के पास ले जाकर उनको फिर से सूंघता है और अपना एक हाथ से अपने लंड को निकल कर वो पैंटी को सूंघते हुए अपना लंड हिलाते रहता है. वो जानता था की इस वक़्त मूठ मारना ठीक नहीं होगा.. इसीलिए सिर्फ हिलाते रहता है लेकिन फिर भी उसका लंड एकदम तन जाता है और पूरा खड़ा हो जाता है.

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उसे भी खूब मजा आता है. वो अपने एक अलग ही दुनिया में खो जाता है. उसे पता भी नहीं चलता जब उसकी बेहन और माँ दोनों कमरे में कपडे ठीक करने के लिए आते है. दोनों जब दीपू को ऐसा करते हुए देखते है तो वसु कहती है..

वसु: क्या कर रहा है तू इनके साथ?

दीपू उसकी बात सुन कर एकदम चकरा जाता है और हड़बड़ी में पैंटी गिराते हुए अपने लंड को अंदर करते हुए कुछ नहीं कहता और बिना कुछ कहे वहां से निकल जाता है. निशा ये सब देख कर मन में मुस्कुराती है और अपनी माँ से कहती है..

निशा: लगता है दीपू की शादी जल्दी ही करनी पड़ेगी.

वसु: चुप कर.. क्या कह रही है? देखा नहीं वो अभी क्या कर रहा था? वैसे भी उसके पहले तेरी शादी करनी है. ठीक है? तू उससे बड़ी है और मैं पहले तेरी शादी करवाउंगी.

निशा: देखा है. वैसे भी लड़के इस उम्र में ये सब करना नार्मल है माँ.

वसु: थोड़ा छिड़ कर.. तू उसकी तरफदारी क्यों कर रही है? वो गलत कर रहा था.

निशा: शायद हां या शायद ना.

वसु: मतलब?

निशा: मतलब ये की जैसे मैंने कहा था ये सब नार्मल है.और वैसे माँ.. एक बात बताओं.. कॉलेज में बहुत सारी लडकियां इसपर मरती है. मेरे ही कुछ दोस्त इस पर एकदम लट्टू है.. कहती है क्या हैंडसम है तेरा भाई. अगर मेरा ऐसा कोई भाई होता तो कितना अच्छा होता.

वसु: वो तो ठीक है लेकिन अब जो हुआ गलत हुआ.

निशा: तुम समझी नहीं माँ.. मैंने अभी जो बात बतायी है तुझे सेंसर कर के बताया है और उसे आँख मार देती है.
वसु: तू कहना क्या चाहती है?

निशा: येही की मेरे दोस्त कह रहे थे की दीपू जैसा कोई उनका भाई होता तो कब तक वो सब उनके नीचे आ जाती. तू तो जानती है.. आजकल ऐसी बातें सब करते है.

वसु: चल जल्दी काम कर.. और हाँ.. दीपू से पहले तेरी शादी करनी है. निशा ये बात सुनकर मना कर देतीं है और ना में सर हिला देतीं है

उस दिन रात को निशा दीपू के कमरे में आती है और पूछती है की वो सुबह क्या कर रहा था. दीपू उसे देख कर कुछ नहीं कहता तो निशा माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए दीपू से कहती है की आजकल तो लड़के ऐसे ही करते है और कोई शर्माने की बात नहीं है.

दीपू उसकी बात सुन कर उसे देख कर कहता है तुझे बुरा नहीं लगा क्या?

निशा: हाँ थोड़ा लगा लेकिन फिर मुझे भी पता है की तुम्हारी उम्र के लड़कों में शायद ऐसा ही होगा. दीपू उसकी तरफ नज़र उठा कर देखता है तो निशा भी आँख मार देती है और फिर धीरे से उसकी गोद में बैठ कर उसको गले लगा कर उसके माथे पर किस देती है और शरारती अंदाज़ में पूछती है की तूने वो पैंटी तो सूंघे है लेकिन वो किसके है तुझे पता क्या?
दीपू भी... क्या यार तू भी कैसे बात करती है... मुझे कैसे पता चलेगा?

तो चल पता कर और मुझे बता.. और ऐसा कहते हुए वो अपनी पाजामे की जेब से एक पैंटी निकल कर उसके सामने लहराती है. दीपू उसे देखते ही रह जाता है और झट से वो पैंटी पकड़ने की कोशिश करता है.

निशा: जनाब को बहुत जल्दी है.. दीपू भी हस देता है और फिर से वो पैंटी लेने की कोशिश करता है.

दीपू वो पैंटी को देख कर कहता है की वो बहुत सेक्सी जालीदार और छोटी है.

निशा: नहीं इतनी जल्दी तुझे मिलने वाली है. दीपू उसे आस भरी नज़र से देखता है तो निशा को उस पर दया आ जाती है और उसके बालों में अपना हाथ घुमा कर वो पैंटी उसे दे देती है और कहती है की कल तक तुम्हे पता करना है की ये किसकी है और अगर सही पता किया तो फिर एक इनाम तुझे... ऐसा कहते हुए निशा फिर से उसको आँख मार देती है और दीपू से अलग होकर अपनी गांड मटकाते हुए वो अपने कमरे में चली जाती है.

निशा के जाने के बाद दीपू फिर से उस पैंटी को अपनी नाक के पास रख कर उसे फिर से सूंघता है और मन में सोचता है की किसकी है जो इतनी अच्छी खुशबू आ रही है. वो इसी ख्यालों में रहते हुए अपना लंड निकल कर फिर से हिलाने लगता है और जब उसे महसूस होता है की उसका माल गिरने वाला है तो वो झट से बाथरूम में जा कर अपना माल निकल लेता है और देखता है की उसका माल एकदम गाढ़ा और बहुत सारा निकला है.

और फिर अपने बिस्तर पे आकर गहरी नींद में सो जाता है.

अगले दिन सुबह जब दीपू उठ कर फ्रेश हो कर किचन में जाता है तो देखता है की उसकी माँ चाय बना रही है. वो दरवाज़े पे खड़े हो कर उसकी माँ को निहार रहा था. उसकी उठी हुई चूचियां गोरा बदन और बहार को निकली गांड को देखता रहता है. वसु उसको देख लेती है लेकिन कल के हुए हादसे को लेकर कर अभी भी थोड़ा गुस्से में थी और उसी अंदाज़ में दीपू से कहती है वो वहां क्या कर रहा है और उसे क्यों घूर रहा है.

दीपू: मैं तो चाय के लिए आया था. आपने क्या सोचा?

वसु: तू हॉल में बैठ जा.. मैं चाय लेकर आती हूँ.

थोड़ी देर बाद वसु चाय लेकर आती है तो उतने में बाकी दोनों (निशा और दिव्या) भी आ जाते है और सब मिलकर चाय पीते है. निशा देखती है की उसकी माँ अभी भी रूठी है और उसके चेहरे पे गुस्सा अभी भी नज़र आ रहा है. निशा धीरे से दीपू को इशारा कर के उसे उसके कमरे में भेज देती है और निशा उसकी मम्मी के पास जा कर उससे पूछती है की गुस्सा क्यों कर रही हो?

वसु: तू ना अपने भाई की तरफदारी मत कर. तूने देखा नहीं कल क्या किया था उसने? उसकी बात सुनकर दिव्या पूछती है की क्या बात हुई है जो उसे पता नहीं.

निशा उसे बता देतीं है की कल क्या हुआ है. दिव्या भी थोड़ा आश्चर्य से उन दोनों को देखती रह जाती है.

वसु: (दिव्या से) और ये उसके लाडले भाई की तरफदारी कर रही है.

निशा: तो उसमें गलत क्या है? उसके बाद सब अपने काम में लग जाते है और दीपू और निशा कॉलेज निकल जाते है.

उनके जाने के बाद घर में जब सिर्फ वसु और दिव्या रह जाते है तो वसु का उखड़ा मूड देख कर दिव्या कहती है की जो हुआ उसे भूल जाओ. दीपू का बचपना मान कर उसे माफ़ कर दे.

वसु: बचपना कहाँ दिव्या.. २१ साल का हो गया है और तू उसे बच्चा कह रही है. सुन कल मैं उसके कमरे में गयी थी और वो नहा कर एक टॉवल में था. मैं जब उसके कमरे में गयी और उसे पुकारा तो उसका टॉवल खुल गया और मैं उसके लंड को देख कर दांग रह गयी.

दिव्या: क्यों ऐसा क्या देख लिया.

वसु: उसका मुरझाया हुआ लंड भी बहुत बड़ा लग रहा था और तू उसे बच्चे कहती है.

दिव्या: क्या? तूने उसका लंड भी देखा और मुझे तूने बताया भी नहीं (उन दोनों में बहुत करीब रिश्ता था और दोनों एक दुसरे को सब बाते share करते है )और ऐसा कहते हुए दिव्या वसु को आँख मार देती है. वसु भी थोड़ा हल्का सा हस्ते हुए... चुप कर और फिर दोनों अपना काम करने में लग जाते है.

आगे क्या होता है जल्दी ही आगे रोमांचकारी अपडेट के साथ..
Bahut hi shaandar update diya hai Mass bhai....
Nice and lovely update....
 
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Rajizexy

❣️and let ❣️
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दीपू: तूने ही तो दिनेश का नंबर माँगा था न… तो ये ले और उसे दिनेश का नंबर दे देती है. निशा खुश हो जाती है और फिर से दीपू के गाल पे किस कर के उसे थैंक्स बोल के अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.

अब आगे...

माँ और बेटे में पनपता प्यार

एक दिन जब सब घर में होते है तो दीपू निशा को चिढ़ाने के बहाने से कहता है

दीपू: तू बहुत मोटी होती जा रही है (जो की सच नहीं था ) ..( वो मोटी नहीं थी लेकिन उसका बदन गदराया हुआ ज़रूर था ).
निशा उसकी इस बात से चिड़ जाती है और दीपू को मारने के लिए बढ़ती है. तभी वहां उनकी मा वसु आ जाती है और उन्हें डाट ते हुए कहती है की क्या बचपना कर रहे हो तुम दोनों. जब निशा उसे मारने आती है तो दीपू देखता है की उसकी चूचियां उसके टी शर्ट में मस्त उछाल रहे है और ये दृश्य उसके लिए बहुत कामुक नज़र आता है. दीपू दौड़ कर वसु के पीच छुप जाता है और अनजाने में अपना हाथ वसु की कमर पे रख देता है और वसु को थोड़ा आगे सरकाता है और पीछे से निशा को चिढ़ाते रहता है. ऐसा करते वक़्त दीपू अनजाने में वसु की कमर पे हाथ ज़ोर से दबाता है तो वसु को चिमटी जैसे लगता है. वसु को इसका एहसास होता है और आह्हः कर के दीपू से कहती है की वो क्या कर रहा है और उसके क्यों चिमटी काट रहा है. दीपू सॉरी कहता है और उसका ध्यान निशा के तरफ कर देता है.
वसु भी प्यार से दोनों को अलग करती है और दोनों को अपने पास बुला कर दोनों को गले लगा लेती है और कहती है तुम दोनों में और घर में ऐसे ही प्यार रहे. दोनों भी वसु को गाला लगा लेते है और दोनों भी वसु के गाल को प्यार से चूम कर ऐसे ही छेड़खानी करते हुए निकल जाते है. उन दोनों को देख कर वसु को भी बहुत ख़ुशी होती है और फिर उसका ध्यान अपनी कमर पे जाता है जहाँ दीपू ने उसे चिमटी काटा था.

वसु अपने कमरे में जाती है क्यूंकि उसके कमर में थोड़ा दर्द हो रहा था.

वसु: (दीपू के बारे में) ये भी ना..इतना बड़ा हो गया है लेकिन बचपना नहीं गया है. वसु कमरे में आईने के सामने जा कर अपनी साडी को कमर से अलग कर के देखना चाहती है की उसे कहाँ दर्द हो रहा है. अपनी साडी को थोड़ा नीचे कर के अपनी नज़र कमर पे डालती है. वहां पे एक छोटा सा निशान बन जाता है. वो फिर वहां पे झंडू बाम लगा लेती है और अपनी साडी को ठीक करने लगती है. तभी उसे अपनी कमर पे नाभि के पास एक तिल नज़र आता है. वो तिल को देखती रह जाती है और उसे बाबा की बात याद आती है की दीपू के ज़िन्दगी में बहुत लोग आएंगे और उसकी शादी ऐसे लोगों से होगी जिनकी कमर पे तिल की निशानी है.

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वसु इस बात का ध्यान आते ही अपने आप को झंझोर लेती है और उसे लगता है शायद वो एक वेहम है और दीपू उससे कैसे शादी कर सकता है.

वसु जब ये बात सोचती है तो वो अपने आप को फिर से एक बार आईने में देखती है तो पाती है की वो अभी भी बहुत सुन्दर दिखती है. चेहरा एकदम खिला हुआ सा. अपने बदन को देखती है तो पाती है की उसका बदन अभी भी एकदम सुडौल है. मस्त हसमुख चेहरा, भरी हुई चूचियां, एकदम पतली कमर.. उस पर गहरी नाभि और नाभि के बगल में तिल, और एकदम बहार को निकली हुई गांड.. इस रूप में वो एकदम कोई अप्सरा जैसे लगती है ..

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वसु अपने आप को देख कर मुस्कुरा देती है और वहां से चले जाती है.

ऐसे ही एक दिन रात को जब सब खाना खा कार सो जाते है तो करीब १२ बजे दीपू को प्यास लगती है तो वो पानी पीने के लिए किचन में जाता है. पानी पी कार जब वो अपने कमरे में जा रहा होता है तो उसे वसु के कमरे में थोड़ी रौशनी नज़र आती है. दीपू सोचता है की आदी रात को माँ कमरे में क्या कार रही है जो की वहां से रौशनी आ रहा है तो वो चुपके से बिना कोई आवाज़ किये दरवाज़े पे जाता है और धीरे से खोलता है तो दरवाज़ा खुल जाता है. वो माँ को कुछ कहने ही वाला था की अंदर का नज़ारा देख कर उसकी आँखें बड़ी हो जाती है और उसके पाजामे में तम्बू बन जाता है क्यूंकि अंदर का नज़ारा ही कुछ ऐसा था. उसकी माँ वसु अपनी नाइटी को अपनी जाँघों तक उठा कर अपनी पैंटी को सरका कर अपनी चूत में ऊँगली करते हुए धीरे से बड़बड़ाती रहती है.

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वो अपने पति को याद करते हुए एक हाथ से अपनी चूत को ऊँगली करते हुए दुसरे हाथ से अपनी एक चूची दबाती रहती है. वहीँ बगल में उसकी बेहन दिव्या मस्त घोड़े बेच कर सो रही होती है. वसु को पता नहीं चलता और ये पूरा नज़ारा दीपू देख कर एकदम उत्तेजित हो जाता है. वो वहां पर तब तक रहता है जब तक वसु ऊँगली कर के झड़ नहीं जाती.

वसु अपना पानी निकल कर एकदम सुकून पाती है और बडबाति है की ये निगोड़ी चूत भी ठीक से सोने नहीं देती और हर वक़्त लंड चाहती है. कमरे में एकदम सन्नाटा रहने की वजह से दीपू को ये बात सुनाई देती है. वसु उठ कर अपने कमरे में बाथरूम में चली जाती है और दीपू भी दरवाज़ा बंद कर के वो भी दुसरे बाथरूम में जाता है और अपनी माँ को याद करते हुए मूठ मार के वो भी हल्का हो जाता है और फिर वो भी कमरे में आ कर सो जाता है.

अगली सुबह दीपू उठ कर फ्रेश हो कर रात की बात याद करते हुए किचन में जाता है तो वहां वसु सब के लिए चाय बना रही होती है. दीपू वहां दरवाज़े पे खड़े हो कर अपनी माँ को निहारता रहता है. वो अब उसकी माँ को एक माँ नहीं बल्कि एक औरत के रूप में देख रहा था और पाता है की उसकी माँ कितनी गदरायी हुई है. मैक्सी में भी उसके बदन के कटाव एकदम सही में नज़र आते है. ठोस बहार को निकली हुई चूचियां एकदम तने हुए निप्पल बहार को निकली गांड. ये देख कर उसका लंड भी खड़ा हो जाता है और वो जा कर पीछे से अपनी माँ को गले लगा लेता है और उसके गाल और गर्दन पे चुम्मा देते हुए गुड मॉर्निंग कहता है.

वसु को दीपू का खड़ा लंड अपनी गांड पे महसूस होता है लेकिन वो अनजान रहती है.

वसु: क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है अपनी माँ पे.

दीपू: क्यों प्यार नहीं आएगा क्या? तुमको याद है मैंने पिताजी से क्या कहा था... की मैं तुम सब को प्यार दूँ. उसके पती की बात सुनकर वसु थोड़ा भावुक हो जाती है और पलट कर दीपू को देख कर आंसू निकल जाते है तो दीपू उसकी आँखों में देखते हुए.. क्या हुआ माँ? मैं हूँ ना.... तुम सब की देखभाल करने के लिए और उसके आंसू पोछ कर उसके माथे को प्यार से चूमता है. वसु भी दीपू को गाला लगा कर प्यार से उसे भी चूमती है.

दीपू भी अब मन बना लेता है की वो माँ को खूब प्यार देगा और उसके बाप की कमी नहीं महसूस होने देगा उसको.

दिन ऐसे ही गुज़रते रहते है. दोनों कॉलेज जा कर और घर आ कर अपनी पढाई पे ध्यान देते है और रात को कभी कबार मस्ती भी कर लेते है और वहीँ दीपू भी अपनी माँ को प्यार देते रहता है और जब ही मौका मिलता है तो उसे चूमते भी रहता है. दिव्या भी ये सब देखती रहती है और एक दिन जब दोनों ( दीपू और निशा) कॉलेज जाते है तो दिव्या वसु को छेड़ी है.

घर में Sexy घटनाएं

एक दिन दीपू रोज़ की तरह सुबह नहाने के बाद टॉवल बाँध कर अपने कमरे में बाल बना रहा होता है तो उस वक़्त वसु दीपू को पुकारते हुए उसके कमरे में आती है. दीपू अपनी धुन में बाल बनाते हुए अपनी माँ की आवाज़ सुनता है तो आईने में उसे कमरे में देख कर पलट जाता है (बात करने के लिए). लेकिन ठीक उसी वक़्त दीपू का टॉवल निकल कर गिर जाता है और नंगा हो कर ऐसे ही वसु को देखता है. वसु की नज़र भी ठीक उसी वक़्त उसके झूलते हुए लंड पे जाती है जो नार्मल होने पर भी बहुत मोटा और लम्बा लग रहा था. वो वैसे ही उसके लंड को देख रही होती है और दीपू को जब ये एहसास होता है तो जल्दी से अपना टॉवल उठा कर अपने आप को धक लेता है. वसु भी बिना कुछ कहे वहां से चली जाती है.

उस दिन रात को सोते वक़्त वसु को सुबह का वाक्या को याद करते हुए अपने मन में सोचती है.. कितना बड़ा लंड है मेरे बेटे का. इसीलिए उस दिन उसका लंड मेरी गांड पे छु रहा था. अगर नार्मल ही ऐसा है तो फिर जब वो पूरा खड़ा होगा तो और कितना बड़ा होगा. और मन में सोचती है की जो भी उसके नीचे आएगी वो उसे मस्त संतुष्ट कर देगा. वो भी वासना की आग में जल रही थी और ना जाने क्या क्या सोच रही थी. थोड़ी देर बाद जब उसे होश आता है तो उसे थोड़ा ग्लानि होता है और सोचती है की वो अपने बेटे के बारे में ऐसा कैसा सोच सकती है.

जब से ये हादसा होता है तब से दीपू के मन में भी वसु को लेकर सोच बदल जाती है. एक दिन जब सब घर में ही रहते है तो बहार बारिश हो रही होती है. वसु दीपू को आवाज़ लगा कर कहती है की बालकनी में कपडे सुखाने के लिए डाले है तो उन्हें वहां से निकल ले वरना वो कपडे फिर से भीग जाएंगे और वो उन कपड़ों को उसके कमरे में रख दे. दीपू भी भाग कर बालकनी से पूरे कपडे निकल कर वसु के कमरे रखता है. वो पलट कर जाने ही वाला होता है तो वो देखता है की कपड़ों के ढेर में २- ३ छोटी और पारदर्शी पैंटी पड़ी हुई है. वो फिर से एक नज़र दरवाज़े पे डाल कर देखता है की कोई नहीं है तो वो दो पैंटी को उठा कर फिर से अपनी नाक के पास ले जाकर उनको फिर से सूंघता है और अपना एक हाथ से अपने लंड को निकल कर वो पैंटी को सूंघते हुए अपना लंड हिलाते रहता है. वो जानता था की इस वक़्त मूठ मारना ठीक नहीं होगा.. इसीलिए सिर्फ हिलाते रहता है लेकिन फिर भी उसका लंड एकदम तन जाता है और पूरा खड़ा हो जाता है.

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उसे भी खूब मजा आता है. वो अपने एक अलग ही दुनिया में खो जाता है. उसे पता भी नहीं चलता जब उसकी बेहन और माँ दोनों कमरे में कपडे ठीक करने के लिए आते है. दोनों जब दीपू को ऐसा करते हुए देखते है तो वसु कहती है..

वसु: क्या कर रहा है तू इनके साथ?

दीपू उसकी बात सुन कर एकदम चकरा जाता है और हड़बड़ी में पैंटी गिराते हुए अपने लंड को अंदर करते हुए कुछ नहीं कहता और बिना कुछ कहे वहां से निकल जाता है. निशा ये सब देख कर मन में मुस्कुराती है और अपनी माँ से कहती है..

निशा: लगता है दीपू की शादी जल्दी ही करनी पड़ेगी.

वसु: चुप कर.. क्या कह रही है? देखा नहीं वो अभी क्या कर रहा था? वैसे भी उसके पहले तेरी शादी करनी है. ठीक है? तू उससे बड़ी है और मैं पहले तेरी शादी करवाउंगी.

निशा: देखा है. वैसे भी लड़के इस उम्र में ये सब करना नार्मल है माँ.

वसु: थोड़ा छिड़ कर.. तू उसकी तरफदारी क्यों कर रही है? वो गलत कर रहा था.

निशा: शायद हां या शायद ना.

वसु: मतलब?

निशा: मतलब ये की जैसे मैंने कहा था ये सब नार्मल है.और वैसे माँ.. एक बात बताओं.. कॉलेज में बहुत सारी लडकियां इसपर मरती है. मेरे ही कुछ दोस्त इस पर एकदम लट्टू है.. कहती है क्या हैंडसम है तेरा भाई. अगर मेरा ऐसा कोई भाई होता तो कितना अच्छा होता.

वसु: वो तो ठीक है लेकिन अब जो हुआ गलत हुआ.

निशा: तुम समझी नहीं माँ.. मैंने अभी जो बात बतायी है तुझे सेंसर कर के बताया है और उसे आँख मार देती है.
वसु: तू कहना क्या चाहती है?

निशा: येही की मेरे दोस्त कह रहे थे की दीपू जैसा कोई उनका भाई होता तो कब तक वो सब उनके नीचे आ जाती. तू तो जानती है.. आजकल ऐसी बातें सब करते है.

वसु: चल जल्दी काम कर.. और हाँ.. दीपू से पहले तेरी शादी करनी है. निशा ये बात सुनकर मना कर देतीं है और ना में सर हिला देतीं है

उस दिन रात को निशा दीपू के कमरे में आती है और पूछती है की वो सुबह क्या कर रहा था. दीपू उसे देख कर कुछ नहीं कहता तो निशा माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए दीपू से कहती है की आजकल तो लड़के ऐसे ही करते है और कोई शर्माने की बात नहीं है.

दीपू उसकी बात सुन कर उसे देख कर कहता है तुझे बुरा नहीं लगा क्या?

निशा: हाँ थोड़ा लगा लेकिन फिर मुझे भी पता है की तुम्हारी उम्र के लड़कों में शायद ऐसा ही होगा. दीपू उसकी तरफ नज़र उठा कर देखता है तो निशा भी आँख मार देती है और फिर धीरे से उसकी गोद में बैठ कर उसको गले लगा कर उसके माथे पर किस देती है और शरारती अंदाज़ में पूछती है की तूने वो पैंटी तो सूंघे है लेकिन वो किसके है तुझे पता क्या?
दीपू भी... क्या यार तू भी कैसे बात करती है... मुझे कैसे पता चलेगा?

तो चल पता कर और मुझे बता.. और ऐसा कहते हुए वो अपनी पाजामे की जेब से एक पैंटी निकल कर उसके सामने लहराती है. दीपू उसे देखते ही रह जाता है और झट से वो पैंटी पकड़ने की कोशिश करता है.

निशा: जनाब को बहुत जल्दी है.. दीपू भी हस देता है और फिर से वो पैंटी लेने की कोशिश करता है.

दीपू वो पैंटी को देख कर कहता है की वो बहुत सेक्सी जालीदार और छोटी है.

निशा: नहीं इतनी जल्दी तुझे मिलने वाली है. दीपू उसे आस भरी नज़र से देखता है तो निशा को उस पर दया आ जाती है और उसके बालों में अपना हाथ घुमा कर वो पैंटी उसे दे देती है और कहती है की कल तक तुम्हे पता करना है की ये किसकी है और अगर सही पता किया तो फिर एक इनाम तुझे... ऐसा कहते हुए निशा फिर से उसको आँख मार देती है और दीपू से अलग होकर अपनी गांड मटकाते हुए वो अपने कमरे में चली जाती है.

निशा के जाने के बाद दीपू फिर से उस पैंटी को अपनी नाक के पास रख कर उसे फिर से सूंघता है और मन में सोचता है की किसकी है जो इतनी अच्छी खुशबू आ रही है. वो इसी ख्यालों में रहते हुए अपना लंड निकल कर फिर से हिलाने लगता है और जब उसे महसूस होता है की उसका माल गिरने वाला है तो वो झट से बाथरूम में जा कर अपना माल निकल लेता है और देखता है की उसका माल एकदम गाढ़ा और बहुत सारा निकला है.

और फिर अपने बिस्तर पे आकर गहरी नींद में सो जाता है.

अगले दिन सुबह जब दीपू उठ कर फ्रेश हो कर किचन में जाता है तो देखता है की उसकी माँ चाय बना रही है. वो दरवाज़े पे खड़े हो कर उसकी माँ को निहार रहा था. उसकी उठी हुई चूचियां गोरा बदन और बहार को निकली गांड को देखता रहता है. वसु उसको देख लेती है लेकिन कल के हुए हादसे को लेकर कर अभी भी थोड़ा गुस्से में थी और उसी अंदाज़ में दीपू से कहती है वो वहां क्या कर रहा है और उसे क्यों घूर रहा है.

दीपू: मैं तो चाय के लिए आया था. आपने क्या सोचा?

वसु: तू हॉल में बैठ जा.. मैं चाय लेकर आती हूँ.

थोड़ी देर बाद वसु चाय लेकर आती है तो उतने में बाकी दोनों (निशा और दिव्या) भी आ जाते है और सब मिलकर चाय पीते है. निशा देखती है की उसकी माँ अभी भी रूठी है और उसके चेहरे पे गुस्सा अभी भी नज़र आ रहा है. निशा धीरे से दीपू को इशारा कर के उसे उसके कमरे में भेज देती है और निशा उसकी मम्मी के पास जा कर उससे पूछती है की गुस्सा क्यों कर रही हो?

वसु: तू ना अपने भाई की तरफदारी मत कर. तूने देखा नहीं कल क्या किया था उसने? उसकी बात सुनकर दिव्या पूछती है की क्या बात हुई है जो उसे पता नहीं.

निशा उसे बता देतीं है की कल क्या हुआ है. दिव्या भी थोड़ा आश्चर्य से उन दोनों को देखती रह जाती है.

वसु: (दिव्या से) और ये उसके लाडले भाई की तरफदारी कर रही है.

निशा: तो उसमें गलत क्या है? उसके बाद सब अपने काम में लग जाते है और दीपू और निशा कॉलेज निकल जाते है.

उनके जाने के बाद घर में जब सिर्फ वसु और दिव्या रह जाते है तो वसु का उखड़ा मूड देख कर दिव्या कहती है की जो हुआ उसे भूल जाओ. दीपू का बचपना मान कर उसे माफ़ कर दे.

वसु: बचपना कहाँ दिव्या.. २१ साल का हो गया है और तू उसे बच्चा कह रही है. सुन कल मैं उसके कमरे में गयी थी और वो नहा कर एक टॉवल में था. मैं जब उसके कमरे में गयी और उसे पुकारा तो उसका टॉवल खुल गया और मैं उसके लंड को देख कर दांग रह गयी.

दिव्या: क्यों ऐसा क्या देख लिया.

वसु: उसका मुरझाया हुआ लंड भी बहुत बड़ा लग रहा था और तू उसे बच्चे कहती है.

दिव्या: क्या? तूने उसका लंड भी देखा और मुझे तूने बताया भी नहीं (उन दोनों में बहुत करीब रिश्ता था और दोनों एक दुसरे को सब बाते share करते है )और ऐसा कहते हुए दिव्या वसु को आँख मार देती है. वसु भी थोड़ा हल्का सा हस्ते हुए... चुप कर और फिर दोनों अपना काम करने में लग जाते है.

आगे क्या होता है जल्दी ही आगे रोमांचकारी अपडेट के साथ..
Nice, erotic update, 👌👌👌
Kuch nonveg batein shuru ho gyi hain
 
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ayush01111

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दीपू: तूने ही तो दिनेश का नंबर माँगा था न… तो ये ले और उसे दिनेश का नंबर दे देती है. निशा खुश हो जाती है और फिर से दीपू के गाल पे किस कर के उसे थैंक्स बोल के अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.

अब आगे...

माँ और बेटे में पनपता प्यार

एक दिन जब सब घर में होते है तो दीपू निशा को चिढ़ाने के बहाने से कहता है

दीपू: तू बहुत मोटी होती जा रही है (जो की सच नहीं था ) ..( वो मोटी नहीं थी लेकिन उसका बदन गदराया हुआ ज़रूर था ).
निशा उसकी इस बात से चिड़ जाती है और दीपू को मारने के लिए बढ़ती है. तभी वहां उनकी मा वसु आ जाती है और उन्हें डाट ते हुए कहती है की क्या बचपना कर रहे हो तुम दोनों. जब निशा उसे मारने आती है तो दीपू देखता है की उसकी चूचियां उसके टी शर्ट में मस्त उछाल रहे है और ये दृश्य उसके लिए बहुत कामुक नज़र आता है. दीपू दौड़ कर वसु के पीच छुप जाता है और अनजाने में अपना हाथ वसु की कमर पे रख देता है और वसु को थोड़ा आगे सरकाता है और पीछे से निशा को चिढ़ाते रहता है. ऐसा करते वक़्त दीपू अनजाने में वसु की कमर पे हाथ ज़ोर से दबाता है तो वसु को चिमटी जैसे लगता है. वसु को इसका एहसास होता है और आह्हः कर के दीपू से कहती है की वो क्या कर रहा है और उसके क्यों चिमटी काट रहा है. दीपू सॉरी कहता है और उसका ध्यान निशा के तरफ कर देता है.
वसु भी प्यार से दोनों को अलग करती है और दोनों को अपने पास बुला कर दोनों को गले लगा लेती है और कहती है तुम दोनों में और घर में ऐसे ही प्यार रहे. दोनों भी वसु को गाला लगा लेते है और दोनों भी वसु के गाल को प्यार से चूम कर ऐसे ही छेड़खानी करते हुए निकल जाते है. उन दोनों को देख कर वसु को भी बहुत ख़ुशी होती है और फिर उसका ध्यान अपनी कमर पे जाता है जहाँ दीपू ने उसे चिमटी काटा था.

वसु अपने कमरे में जाती है क्यूंकि उसके कमर में थोड़ा दर्द हो रहा था.

वसु: (दीपू के बारे में) ये भी ना..इतना बड़ा हो गया है लेकिन बचपना नहीं गया है. वसु कमरे में आईने के सामने जा कर अपनी साडी को कमर से अलग कर के देखना चाहती है की उसे कहाँ दर्द हो रहा है. अपनी साडी को थोड़ा नीचे कर के अपनी नज़र कमर पे डालती है. वहां पे एक छोटा सा निशान बन जाता है. वो फिर वहां पे झंडू बाम लगा लेती है और अपनी साडी को ठीक करने लगती है. तभी उसे अपनी कमर पे नाभि के पास एक तिल नज़र आता है. वो तिल को देखती रह जाती है और उसे बाबा की बात याद आती है की दीपू के ज़िन्दगी में बहुत लोग आएंगे और उसकी शादी ऐसे लोगों से होगी जिनकी कमर पे तिल की निशानी है.

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वसु इस बात का ध्यान आते ही अपने आप को झंझोर लेती है और उसे लगता है शायद वो एक वेहम है और दीपू उससे कैसे शादी कर सकता है.

वसु जब ये बात सोचती है तो वो अपने आप को फिर से एक बार आईने में देखती है तो पाती है की वो अभी भी बहुत सुन्दर दिखती है. चेहरा एकदम खिला हुआ सा. अपने बदन को देखती है तो पाती है की उसका बदन अभी भी एकदम सुडौल है. मस्त हसमुख चेहरा, भरी हुई चूचियां, एकदम पतली कमर.. उस पर गहरी नाभि और नाभि के बगल में तिल, और एकदम बहार को निकली हुई गांड.. इस रूप में वो एकदम कोई अप्सरा जैसे लगती है ..

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वसु अपने आप को देख कर मुस्कुरा देती है और वहां से चले जाती है.

ऐसे ही एक दिन रात को जब सब खाना खा कार सो जाते है तो करीब १२ बजे दीपू को प्यास लगती है तो वो पानी पीने के लिए किचन में जाता है. पानी पी कार जब वो अपने कमरे में जा रहा होता है तो उसे वसु के कमरे में थोड़ी रौशनी नज़र आती है. दीपू सोचता है की आदी रात को माँ कमरे में क्या कार रही है जो की वहां से रौशनी आ रहा है तो वो चुपके से बिना कोई आवाज़ किये दरवाज़े पे जाता है और धीरे से खोलता है तो दरवाज़ा खुल जाता है. वो माँ को कुछ कहने ही वाला था की अंदर का नज़ारा देख कर उसकी आँखें बड़ी हो जाती है और उसके पाजामे में तम्बू बन जाता है क्यूंकि अंदर का नज़ारा ही कुछ ऐसा था. उसकी माँ वसु अपनी नाइटी को अपनी जाँघों तक उठा कर अपनी पैंटी को सरका कर अपनी चूत में ऊँगली करते हुए धीरे से बड़बड़ाती रहती है.

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वो अपने पति को याद करते हुए एक हाथ से अपनी चूत को ऊँगली करते हुए दुसरे हाथ से अपनी एक चूची दबाती रहती है. वहीँ बगल में उसकी बेहन दिव्या मस्त घोड़े बेच कर सो रही होती है. वसु को पता नहीं चलता और ये पूरा नज़ारा दीपू देख कर एकदम उत्तेजित हो जाता है. वो वहां पर तब तक रहता है जब तक वसु ऊँगली कर के झड़ नहीं जाती.

वसु अपना पानी निकल कर एकदम सुकून पाती है और बडबाति है की ये निगोड़ी चूत भी ठीक से सोने नहीं देती और हर वक़्त लंड चाहती है. कमरे में एकदम सन्नाटा रहने की वजह से दीपू को ये बात सुनाई देती है. वसु उठ कर अपने कमरे में बाथरूम में चली जाती है और दीपू भी दरवाज़ा बंद कर के वो भी दुसरे बाथरूम में जाता है और अपनी माँ को याद करते हुए मूठ मार के वो भी हल्का हो जाता है और फिर वो भी कमरे में आ कर सो जाता है.

अगली सुबह दीपू उठ कर फ्रेश हो कर रात की बात याद करते हुए किचन में जाता है तो वहां वसु सब के लिए चाय बना रही होती है. दीपू वहां दरवाज़े पे खड़े हो कर अपनी माँ को निहारता रहता है. वो अब उसकी माँ को एक माँ नहीं बल्कि एक औरत के रूप में देख रहा था और पाता है की उसकी माँ कितनी गदरायी हुई है. मैक्सी में भी उसके बदन के कटाव एकदम सही में नज़र आते है. ठोस बहार को निकली हुई चूचियां एकदम तने हुए निप्पल बहार को निकली गांड. ये देख कर उसका लंड भी खड़ा हो जाता है और वो जा कर पीछे से अपनी माँ को गले लगा लेता है और उसके गाल और गर्दन पे चुम्मा देते हुए गुड मॉर्निंग कहता है.

वसु को दीपू का खड़ा लंड अपनी गांड पे महसूस होता है लेकिन वो अनजान रहती है.

वसु: क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है अपनी माँ पे.

दीपू: क्यों प्यार नहीं आएगा क्या? तुमको याद है मैंने पिताजी से क्या कहा था... की मैं तुम सब को प्यार दूँ. उसके पती की बात सुनकर वसु थोड़ा भावुक हो जाती है और पलट कर दीपू को देख कर आंसू निकल जाते है तो दीपू उसकी आँखों में देखते हुए.. क्या हुआ माँ? मैं हूँ ना.... तुम सब की देखभाल करने के लिए और उसके आंसू पोछ कर उसके माथे को प्यार से चूमता है. वसु भी दीपू को गाला लगा कर प्यार से उसे भी चूमती है.

दीपू भी अब मन बना लेता है की वो माँ को खूब प्यार देगा और उसके बाप की कमी नहीं महसूस होने देगा उसको.

दिन ऐसे ही गुज़रते रहते है. दोनों कॉलेज जा कर और घर आ कर अपनी पढाई पे ध्यान देते है और रात को कभी कबार मस्ती भी कर लेते है और वहीँ दीपू भी अपनी माँ को प्यार देते रहता है और जब ही मौका मिलता है तो उसे चूमते भी रहता है. दिव्या भी ये सब देखती रहती है और एक दिन जब दोनों ( दीपू और निशा) कॉलेज जाते है तो दिव्या वसु को छेड़ी है.

घर में Sexy घटनाएं

एक दिन दीपू रोज़ की तरह सुबह नहाने के बाद टॉवल बाँध कर अपने कमरे में बाल बना रहा होता है तो उस वक़्त वसु दीपू को पुकारते हुए उसके कमरे में आती है. दीपू अपनी धुन में बाल बनाते हुए अपनी माँ की आवाज़ सुनता है तो आईने में उसे कमरे में देख कर पलट जाता है (बात करने के लिए). लेकिन ठीक उसी वक़्त दीपू का टॉवल निकल कर गिर जाता है और नंगा हो कर ऐसे ही वसु को देखता है. वसु की नज़र भी ठीक उसी वक़्त उसके झूलते हुए लंड पे जाती है जो नार्मल होने पर भी बहुत मोटा और लम्बा लग रहा था. वो वैसे ही उसके लंड को देख रही होती है और दीपू को जब ये एहसास होता है तो जल्दी से अपना टॉवल उठा कर अपने आप को धक लेता है. वसु भी बिना कुछ कहे वहां से चली जाती है.

उस दिन रात को सोते वक़्त वसु को सुबह का वाक्या को याद करते हुए अपने मन में सोचती है.. कितना बड़ा लंड है मेरे बेटे का. इसीलिए उस दिन उसका लंड मेरी गांड पे छु रहा था. अगर नार्मल ही ऐसा है तो फिर जब वो पूरा खड़ा होगा तो और कितना बड़ा होगा. और मन में सोचती है की जो भी उसके नीचे आएगी वो उसे मस्त संतुष्ट कर देगा. वो भी वासना की आग में जल रही थी और ना जाने क्या क्या सोच रही थी. थोड़ी देर बाद जब उसे होश आता है तो उसे थोड़ा ग्लानि होता है और सोचती है की वो अपने बेटे के बारे में ऐसा कैसा सोच सकती है.

जब से ये हादसा होता है तब से दीपू के मन में भी वसु को लेकर सोच बदल जाती है. एक दिन जब सब घर में ही रहते है तो बहार बारिश हो रही होती है. वसु दीपू को आवाज़ लगा कर कहती है की बालकनी में कपडे सुखाने के लिए डाले है तो उन्हें वहां से निकल ले वरना वो कपडे फिर से भीग जाएंगे और वो उन कपड़ों को उसके कमरे में रख दे. दीपू भी भाग कर बालकनी से पूरे कपडे निकल कर वसु के कमरे रखता है. वो पलट कर जाने ही वाला होता है तो वो देखता है की कपड़ों के ढेर में २- ३ छोटी और पारदर्शी पैंटी पड़ी हुई है. वो फिर से एक नज़र दरवाज़े पे डाल कर देखता है की कोई नहीं है तो वो दो पैंटी को उठा कर फिर से अपनी नाक के पास ले जाकर उनको फिर से सूंघता है और अपना एक हाथ से अपने लंड को निकल कर वो पैंटी को सूंघते हुए अपना लंड हिलाते रहता है. वो जानता था की इस वक़्त मूठ मारना ठीक नहीं होगा.. इसीलिए सिर्फ हिलाते रहता है लेकिन फिर भी उसका लंड एकदम तन जाता है और पूरा खड़ा हो जाता है.

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उसे भी खूब मजा आता है. वो अपने एक अलग ही दुनिया में खो जाता है. उसे पता भी नहीं चलता जब उसकी बेहन और माँ दोनों कमरे में कपडे ठीक करने के लिए आते है. दोनों जब दीपू को ऐसा करते हुए देखते है तो वसु कहती है..

वसु: क्या कर रहा है तू इनके साथ?

दीपू उसकी बात सुन कर एकदम चकरा जाता है और हड़बड़ी में पैंटी गिराते हुए अपने लंड को अंदर करते हुए कुछ नहीं कहता और बिना कुछ कहे वहां से निकल जाता है. निशा ये सब देख कर मन में मुस्कुराती है और अपनी माँ से कहती है..

निशा: लगता है दीपू की शादी जल्दी ही करनी पड़ेगी.

वसु: चुप कर.. क्या कह रही है? देखा नहीं वो अभी क्या कर रहा था? वैसे भी उसके पहले तेरी शादी करनी है. ठीक है? तू उससे बड़ी है और मैं पहले तेरी शादी करवाउंगी.

निशा: देखा है. वैसे भी लड़के इस उम्र में ये सब करना नार्मल है माँ.

वसु: थोड़ा छिड़ कर.. तू उसकी तरफदारी क्यों कर रही है? वो गलत कर रहा था.

निशा: शायद हां या शायद ना.

वसु: मतलब?

निशा: मतलब ये की जैसे मैंने कहा था ये सब नार्मल है.और वैसे माँ.. एक बात बताओं.. कॉलेज में बहुत सारी लडकियां इसपर मरती है. मेरे ही कुछ दोस्त इस पर एकदम लट्टू है.. कहती है क्या हैंडसम है तेरा भाई. अगर मेरा ऐसा कोई भाई होता तो कितना अच्छा होता.

वसु: वो तो ठीक है लेकिन अब जो हुआ गलत हुआ.

निशा: तुम समझी नहीं माँ.. मैंने अभी जो बात बतायी है तुझे सेंसर कर के बताया है और उसे आँख मार देती है.
वसु: तू कहना क्या चाहती है?

निशा: येही की मेरे दोस्त कह रहे थे की दीपू जैसा कोई उनका भाई होता तो कब तक वो सब उनके नीचे आ जाती. तू तो जानती है.. आजकल ऐसी बातें सब करते है.

वसु: चल जल्दी काम कर.. और हाँ.. दीपू से पहले तेरी शादी करनी है. निशा ये बात सुनकर मना कर देतीं है और ना में सर हिला देतीं है

उस दिन रात को निशा दीपू के कमरे में आती है और पूछती है की वो सुबह क्या कर रहा था. दीपू उसे देख कर कुछ नहीं कहता तो निशा माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए दीपू से कहती है की आजकल तो लड़के ऐसे ही करते है और कोई शर्माने की बात नहीं है.

दीपू उसकी बात सुन कर उसे देख कर कहता है तुझे बुरा नहीं लगा क्या?

निशा: हाँ थोड़ा लगा लेकिन फिर मुझे भी पता है की तुम्हारी उम्र के लड़कों में शायद ऐसा ही होगा. दीपू उसकी तरफ नज़र उठा कर देखता है तो निशा भी आँख मार देती है और फिर धीरे से उसकी गोद में बैठ कर उसको गले लगा कर उसके माथे पर किस देती है और शरारती अंदाज़ में पूछती है की तूने वो पैंटी तो सूंघे है लेकिन वो किसके है तुझे पता क्या?
दीपू भी... क्या यार तू भी कैसे बात करती है... मुझे कैसे पता चलेगा?

तो चल पता कर और मुझे बता.. और ऐसा कहते हुए वो अपनी पाजामे की जेब से एक पैंटी निकल कर उसके सामने लहराती है. दीपू उसे देखते ही रह जाता है और झट से वो पैंटी पकड़ने की कोशिश करता है.

निशा: जनाब को बहुत जल्दी है.. दीपू भी हस देता है और फिर से वो पैंटी लेने की कोशिश करता है.

दीपू वो पैंटी को देख कर कहता है की वो बहुत सेक्सी जालीदार और छोटी है.

निशा: नहीं इतनी जल्दी तुझे मिलने वाली है. दीपू उसे आस भरी नज़र से देखता है तो निशा को उस पर दया आ जाती है और उसके बालों में अपना हाथ घुमा कर वो पैंटी उसे दे देती है और कहती है की कल तक तुम्हे पता करना है की ये किसकी है और अगर सही पता किया तो फिर एक इनाम तुझे... ऐसा कहते हुए निशा फिर से उसको आँख मार देती है और दीपू से अलग होकर अपनी गांड मटकाते हुए वो अपने कमरे में चली जाती है.

निशा के जाने के बाद दीपू फिर से उस पैंटी को अपनी नाक के पास रख कर उसे फिर से सूंघता है और मन में सोचता है की किसकी है जो इतनी अच्छी खुशबू आ रही है. वो इसी ख्यालों में रहते हुए अपना लंड निकल कर फिर से हिलाने लगता है और जब उसे महसूस होता है की उसका माल गिरने वाला है तो वो झट से बाथरूम में जा कर अपना माल निकल लेता है और देखता है की उसका माल एकदम गाढ़ा और बहुत सारा निकला है.

और फिर अपने बिस्तर पे आकर गहरी नींद में सो जाता है.

अगले दिन सुबह जब दीपू उठ कर फ्रेश हो कर किचन में जाता है तो देखता है की उसकी माँ चाय बना रही है. वो दरवाज़े पे खड़े हो कर उसकी माँ को निहार रहा था. उसकी उठी हुई चूचियां गोरा बदन और बहार को निकली गांड को देखता रहता है. वसु उसको देख लेती है लेकिन कल के हुए हादसे को लेकर कर अभी भी थोड़ा गुस्से में थी और उसी अंदाज़ में दीपू से कहती है वो वहां क्या कर रहा है और उसे क्यों घूर रहा है.

दीपू: मैं तो चाय के लिए आया था. आपने क्या सोचा?

वसु: तू हॉल में बैठ जा.. मैं चाय लेकर आती हूँ.

थोड़ी देर बाद वसु चाय लेकर आती है तो उतने में बाकी दोनों (निशा और दिव्या) भी आ जाते है और सब मिलकर चाय पीते है. निशा देखती है की उसकी माँ अभी भी रूठी है और उसके चेहरे पे गुस्सा अभी भी नज़र आ रहा है. निशा धीरे से दीपू को इशारा कर के उसे उसके कमरे में भेज देती है और निशा उसकी मम्मी के पास जा कर उससे पूछती है की गुस्सा क्यों कर रही हो?

वसु: तू ना अपने भाई की तरफदारी मत कर. तूने देखा नहीं कल क्या किया था उसने? उसकी बात सुनकर दिव्या पूछती है की क्या बात हुई है जो उसे पता नहीं.

निशा उसे बता देतीं है की कल क्या हुआ है. दिव्या भी थोड़ा आश्चर्य से उन दोनों को देखती रह जाती है.

वसु: (दिव्या से) और ये उसके लाडले भाई की तरफदारी कर रही है.

निशा: तो उसमें गलत क्या है? उसके बाद सब अपने काम में लग जाते है और दीपू और निशा कॉलेज निकल जाते है.

उनके जाने के बाद घर में जब सिर्फ वसु और दिव्या रह जाते है तो वसु का उखड़ा मूड देख कर दिव्या कहती है की जो हुआ उसे भूल जाओ. दीपू का बचपना मान कर उसे माफ़ कर दे.

वसु: बचपना कहाँ दिव्या.. २१ साल का हो गया है और तू उसे बच्चा कह रही है. सुन कल मैं उसके कमरे में गयी थी और वो नहा कर एक टॉवल में था. मैं जब उसके कमरे में गयी और उसे पुकारा तो उसका टॉवल खुल गया और मैं उसके लंड को देख कर दांग रह गयी.

दिव्या: क्यों ऐसा क्या देख लिया.

वसु: उसका मुरझाया हुआ लंड भी बहुत बड़ा लग रहा था और तू उसे बच्चे कहती है.

दिव्या: क्या? तूने उसका लंड भी देखा और मुझे तूने बताया भी नहीं (उन दोनों में बहुत करीब रिश्ता था और दोनों एक दुसरे को सब बाते share करते है )और ऐसा कहते हुए दिव्या वसु को आँख मार देती है. वसु भी थोड़ा हल्का सा हस्ते हुए... चुप कर और फिर दोनों अपना काम करने में लग जाते है.

आगे क्या होता है जल्दी ही आगे रोमांचकारी अपडेट के साथ..

Vasu accept nahi kar pa rahi sachai par mijhe lagta hai divya hi sab se pahle ab dipu ka shikar karegi dekhna hai kon shikar hota hai par jo bhi ho maza aya bhai .
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Dear Friends,
My last story "
Raju – Sab kaa Rakhwala aur Khushiyaan dene waala", you all gave lots of support and love for it.
I am starting a new story and hope to receive similar support, comments and encouragement from all of you.
This is my 2nd attempt and as usual taking inspiration from my friends Rajizexy, komaalrani vakharia Pitaji, dhalchandarun etc..(sorry not mentioning many others whose stories I follow). All their stories have gained immense popularity and some are masterpieces.

I may not replicate their success but just an honest attempt. And last but not the least...
इस बार मैं कहानी हिंदी में लिखूंगा. होप आप सब का भरपूर प्यार मिलेगा मेरी इस कहानी पर...

1st Update evening तक पोस्ट करूंगा.

I am creating an index sort of thing which will have the update no and the story no for the convenience of readers.

Index:

Update No# - Page No#

Update 1 - Pg 3
Update 2 - Pg 9
Update 3 - Pg 18
Update 4 - Pg 26
Congratulations for new story man:congrats:
 
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Vishalji1

भोसड़ा का दीवाना मूत पसीने का चटोरा💦🤤🍑
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दीपू: तूने ही तो दिनेश का नंबर माँगा था न… तो ये ले और उसे दिनेश का नंबर दे देती है. निशा खुश हो जाती है और फिर से दीपू के गाल पे किस कर के उसे थैंक्स बोल के अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.

अब आगे...

माँ और बेटे में पनपता प्यार

एक दिन जब सब घर में होते है तो दीपू निशा को चिढ़ाने के बहाने से कहता है

दीपू: तू बहुत मोटी होती जा रही है (जो की सच नहीं था ) ..( वो मोटी नहीं थी लेकिन उसका बदन गदराया हुआ ज़रूर था ).
निशा उसकी इस बात से चिड़ जाती है और दीपू को मारने के लिए बढ़ती है. तभी वहां उनकी मा वसु आ जाती है और उन्हें डाट ते हुए कहती है की क्या बचपना कर रहे हो तुम दोनों. जब निशा उसे मारने आती है तो दीपू देखता है की उसकी चूचियां उसके टी शर्ट में मस्त उछाल रहे है और ये दृश्य उसके लिए बहुत कामुक नज़र आता है. दीपू दौड़ कर वसु के पीच छुप जाता है और अनजाने में अपना हाथ वसु की कमर पे रख देता है और वसु को थोड़ा आगे सरकाता है और पीछे से निशा को चिढ़ाते रहता है. ऐसा करते वक़्त दीपू अनजाने में वसु की कमर पे हाथ ज़ोर से दबाता है तो वसु को चिमटी जैसे लगता है. वसु को इसका एहसास होता है और आह्हः कर के दीपू से कहती है की वो क्या कर रहा है और उसके क्यों चिमटी काट रहा है. दीपू सॉरी कहता है और उसका ध्यान निशा के तरफ कर देता है.
वसु भी प्यार से दोनों को अलग करती है और दोनों को अपने पास बुला कर दोनों को गले लगा लेती है और कहती है तुम दोनों में और घर में ऐसे ही प्यार रहे. दोनों भी वसु को गाला लगा लेते है और दोनों भी वसु के गाल को प्यार से चूम कर ऐसे ही छेड़खानी करते हुए निकल जाते है. उन दोनों को देख कर वसु को भी बहुत ख़ुशी होती है और फिर उसका ध्यान अपनी कमर पे जाता है जहाँ दीपू ने उसे चिमटी काटा था.

वसु अपने कमरे में जाती है क्यूंकि उसके कमर में थोड़ा दर्द हो रहा था.

वसु: (दीपू के बारे में) ये भी ना..इतना बड़ा हो गया है लेकिन बचपना नहीं गया है. वसु कमरे में आईने के सामने जा कर अपनी साडी को कमर से अलग कर के देखना चाहती है की उसे कहाँ दर्द हो रहा है. अपनी साडी को थोड़ा नीचे कर के अपनी नज़र कमर पे डालती है. वहां पे एक छोटा सा निशान बन जाता है. वो फिर वहां पे झंडू बाम लगा लेती है और अपनी साडी को ठीक करने लगती है. तभी उसे अपनी कमर पे नाभि के पास एक तिल नज़र आता है. वो तिल को देखती रह जाती है और उसे बाबा की बात याद आती है की दीपू के ज़िन्दगी में बहुत लोग आएंगे और उसकी शादी ऐसे लोगों से होगी जिनकी कमर पे तिल की निशानी है.

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वसु इस बात का ध्यान आते ही अपने आप को झंझोर लेती है और उसे लगता है शायद वो एक वेहम है और दीपू उससे कैसे शादी कर सकता है.

वसु जब ये बात सोचती है तो वो अपने आप को फिर से एक बार आईने में देखती है तो पाती है की वो अभी भी बहुत सुन्दर दिखती है. चेहरा एकदम खिला हुआ सा. अपने बदन को देखती है तो पाती है की उसका बदन अभी भी एकदम सुडौल है. मस्त हसमुख चेहरा, भरी हुई चूचियां, एकदम पतली कमर.. उस पर गहरी नाभि और नाभि के बगल में तिल, और एकदम बहार को निकली हुई गांड.. इस रूप में वो एकदम कोई अप्सरा जैसे लगती है ..

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वसु अपने आप को देख कर मुस्कुरा देती है और वहां से चले जाती है.

ऐसे ही एक दिन रात को जब सब खाना खा कार सो जाते है तो करीब १२ बजे दीपू को प्यास लगती है तो वो पानी पीने के लिए किचन में जाता है. पानी पी कार जब वो अपने कमरे में जा रहा होता है तो उसे वसु के कमरे में थोड़ी रौशनी नज़र आती है. दीपू सोचता है की आदी रात को माँ कमरे में क्या कार रही है जो की वहां से रौशनी आ रहा है तो वो चुपके से बिना कोई आवाज़ किये दरवाज़े पे जाता है और धीरे से खोलता है तो दरवाज़ा खुल जाता है. वो माँ को कुछ कहने ही वाला था की अंदर का नज़ारा देख कर उसकी आँखें बड़ी हो जाती है और उसके पाजामे में तम्बू बन जाता है क्यूंकि अंदर का नज़ारा ही कुछ ऐसा था. उसकी माँ वसु अपनी नाइटी को अपनी जाँघों तक उठा कर अपनी पैंटी को सरका कर अपनी चूत में ऊँगली करते हुए धीरे से बड़बड़ाती रहती है.

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वो अपने पति को याद करते हुए एक हाथ से अपनी चूत को ऊँगली करते हुए दुसरे हाथ से अपनी एक चूची दबाती रहती है. वहीँ बगल में उसकी बेहन दिव्या मस्त घोड़े बेच कर सो रही होती है. वसु को पता नहीं चलता और ये पूरा नज़ारा दीपू देख कर एकदम उत्तेजित हो जाता है. वो वहां पर तब तक रहता है जब तक वसु ऊँगली कर के झड़ नहीं जाती.

वसु अपना पानी निकल कर एकदम सुकून पाती है और बडबाति है की ये निगोड़ी चूत भी ठीक से सोने नहीं देती और हर वक़्त लंड चाहती है. कमरे में एकदम सन्नाटा रहने की वजह से दीपू को ये बात सुनाई देती है. वसु उठ कर अपने कमरे में बाथरूम में चली जाती है और दीपू भी दरवाज़ा बंद कर के वो भी दुसरे बाथरूम में जाता है और अपनी माँ को याद करते हुए मूठ मार के वो भी हल्का हो जाता है और फिर वो भी कमरे में आ कर सो जाता है.

अगली सुबह दीपू उठ कर फ्रेश हो कर रात की बात याद करते हुए किचन में जाता है तो वहां वसु सब के लिए चाय बना रही होती है. दीपू वहां दरवाज़े पे खड़े हो कर अपनी माँ को निहारता रहता है. वो अब उसकी माँ को एक माँ नहीं बल्कि एक औरत के रूप में देख रहा था और पाता है की उसकी माँ कितनी गदरायी हुई है. मैक्सी में भी उसके बदन के कटाव एकदम सही में नज़र आते है. ठोस बहार को निकली हुई चूचियां एकदम तने हुए निप्पल बहार को निकली गांड. ये देख कर उसका लंड भी खड़ा हो जाता है और वो जा कर पीछे से अपनी माँ को गले लगा लेता है और उसके गाल और गर्दन पे चुम्मा देते हुए गुड मॉर्निंग कहता है.

वसु को दीपू का खड़ा लंड अपनी गांड पे महसूस होता है लेकिन वो अनजान रहती है.

वसु: क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है अपनी माँ पे.

दीपू: क्यों प्यार नहीं आएगा क्या? तुमको याद है मैंने पिताजी से क्या कहा था... की मैं तुम सब को प्यार दूँ. उसके पती की बात सुनकर वसु थोड़ा भावुक हो जाती है और पलट कर दीपू को देख कर आंसू निकल जाते है तो दीपू उसकी आँखों में देखते हुए.. क्या हुआ माँ? मैं हूँ ना.... तुम सब की देखभाल करने के लिए और उसके आंसू पोछ कर उसके माथे को प्यार से चूमता है. वसु भी दीपू को गाला लगा कर प्यार से उसे भी चूमती है.

दीपू भी अब मन बना लेता है की वो माँ को खूब प्यार देगा और उसके बाप की कमी नहीं महसूस होने देगा उसको.

दिन ऐसे ही गुज़रते रहते है. दोनों कॉलेज जा कर और घर आ कर अपनी पढाई पे ध्यान देते है और रात को कभी कबार मस्ती भी कर लेते है और वहीँ दीपू भी अपनी माँ को प्यार देते रहता है और जब ही मौका मिलता है तो उसे चूमते भी रहता है. दिव्या भी ये सब देखती रहती है और एक दिन जब दोनों ( दीपू और निशा) कॉलेज जाते है तो दिव्या वसु को छेड़ी है.

घर में Sexy घटनाएं

एक दिन दीपू रोज़ की तरह सुबह नहाने के बाद टॉवल बाँध कर अपने कमरे में बाल बना रहा होता है तो उस वक़्त वसु दीपू को पुकारते हुए उसके कमरे में आती है. दीपू अपनी धुन में बाल बनाते हुए अपनी माँ की आवाज़ सुनता है तो आईने में उसे कमरे में देख कर पलट जाता है (बात करने के लिए). लेकिन ठीक उसी वक़्त दीपू का टॉवल निकल कर गिर जाता है और नंगा हो कर ऐसे ही वसु को देखता है. वसु की नज़र भी ठीक उसी वक़्त उसके झूलते हुए लंड पे जाती है जो नार्मल होने पर भी बहुत मोटा और लम्बा लग रहा था. वो वैसे ही उसके लंड को देख रही होती है और दीपू को जब ये एहसास होता है तो जल्दी से अपना टॉवल उठा कर अपने आप को धक लेता है. वसु भी बिना कुछ कहे वहां से चली जाती है.

उस दिन रात को सोते वक़्त वसु को सुबह का वाक्या को याद करते हुए अपने मन में सोचती है.. कितना बड़ा लंड है मेरे बेटे का. इसीलिए उस दिन उसका लंड मेरी गांड पे छु रहा था. अगर नार्मल ही ऐसा है तो फिर जब वो पूरा खड़ा होगा तो और कितना बड़ा होगा. और मन में सोचती है की जो भी उसके नीचे आएगी वो उसे मस्त संतुष्ट कर देगा. वो भी वासना की आग में जल रही थी और ना जाने क्या क्या सोच रही थी. थोड़ी देर बाद जब उसे होश आता है तो उसे थोड़ा ग्लानि होता है और सोचती है की वो अपने बेटे के बारे में ऐसा कैसा सोच सकती है.

जब से ये हादसा होता है तब से दीपू के मन में भी वसु को लेकर सोच बदल जाती है. एक दिन जब सब घर में ही रहते है तो बहार बारिश हो रही होती है. वसु दीपू को आवाज़ लगा कर कहती है की बालकनी में कपडे सुखाने के लिए डाले है तो उन्हें वहां से निकल ले वरना वो कपडे फिर से भीग जाएंगे और वो उन कपड़ों को उसके कमरे में रख दे. दीपू भी भाग कर बालकनी से पूरे कपडे निकल कर वसु के कमरे रखता है. वो पलट कर जाने ही वाला होता है तो वो देखता है की कपड़ों के ढेर में २- ३ छोटी और पारदर्शी पैंटी पड़ी हुई है. वो फिर से एक नज़र दरवाज़े पे डाल कर देखता है की कोई नहीं है तो वो दो पैंटी को उठा कर फिर से अपनी नाक के पास ले जाकर उनको फिर से सूंघता है और अपना एक हाथ से अपने लंड को निकल कर वो पैंटी को सूंघते हुए अपना लंड हिलाते रहता है. वो जानता था की इस वक़्त मूठ मारना ठीक नहीं होगा.. इसीलिए सिर्फ हिलाते रहता है लेकिन फिर भी उसका लंड एकदम तन जाता है और पूरा खड़ा हो जाता है.

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उसे भी खूब मजा आता है. वो अपने एक अलग ही दुनिया में खो जाता है. उसे पता भी नहीं चलता जब उसकी बेहन और माँ दोनों कमरे में कपडे ठीक करने के लिए आते है. दोनों जब दीपू को ऐसा करते हुए देखते है तो वसु कहती है..

वसु: क्या कर रहा है तू इनके साथ?

दीपू उसकी बात सुन कर एकदम चकरा जाता है और हड़बड़ी में पैंटी गिराते हुए अपने लंड को अंदर करते हुए कुछ नहीं कहता और बिना कुछ कहे वहां से निकल जाता है. निशा ये सब देख कर मन में मुस्कुराती है और अपनी माँ से कहती है..

निशा: लगता है दीपू की शादी जल्दी ही करनी पड़ेगी.

वसु: चुप कर.. क्या कह रही है? देखा नहीं वो अभी क्या कर रहा था? वैसे भी उसके पहले तेरी शादी करनी है. ठीक है? तू उससे बड़ी है और मैं पहले तेरी शादी करवाउंगी.

निशा: देखा है. वैसे भी लड़के इस उम्र में ये सब करना नार्मल है माँ.

वसु: थोड़ा छिड़ कर.. तू उसकी तरफदारी क्यों कर रही है? वो गलत कर रहा था.

निशा: शायद हां या शायद ना.

वसु: मतलब?

निशा: मतलब ये की जैसे मैंने कहा था ये सब नार्मल है.और वैसे माँ.. एक बात बताओं.. कॉलेज में बहुत सारी लडकियां इसपर मरती है. मेरे ही कुछ दोस्त इस पर एकदम लट्टू है.. कहती है क्या हैंडसम है तेरा भाई. अगर मेरा ऐसा कोई भाई होता तो कितना अच्छा होता.

वसु: वो तो ठीक है लेकिन अब जो हुआ गलत हुआ.

निशा: तुम समझी नहीं माँ.. मैंने अभी जो बात बतायी है तुझे सेंसर कर के बताया है और उसे आँख मार देती है.
वसु: तू कहना क्या चाहती है?

निशा: येही की मेरे दोस्त कह रहे थे की दीपू जैसा कोई उनका भाई होता तो कब तक वो सब उनके नीचे आ जाती. तू तो जानती है.. आजकल ऐसी बातें सब करते है.

वसु: चल जल्दी काम कर.. और हाँ.. दीपू से पहले तेरी शादी करनी है. निशा ये बात सुनकर मना कर देतीं है और ना में सर हिला देतीं है

उस दिन रात को निशा दीपू के कमरे में आती है और पूछती है की वो सुबह क्या कर रहा था. दीपू उसे देख कर कुछ नहीं कहता तो निशा माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए दीपू से कहती है की आजकल तो लड़के ऐसे ही करते है और कोई शर्माने की बात नहीं है.

दीपू उसकी बात सुन कर उसे देख कर कहता है तुझे बुरा नहीं लगा क्या?

निशा: हाँ थोड़ा लगा लेकिन फिर मुझे भी पता है की तुम्हारी उम्र के लड़कों में शायद ऐसा ही होगा. दीपू उसकी तरफ नज़र उठा कर देखता है तो निशा भी आँख मार देती है और फिर धीरे से उसकी गोद में बैठ कर उसको गले लगा कर उसके माथे पर किस देती है और शरारती अंदाज़ में पूछती है की तूने वो पैंटी तो सूंघे है लेकिन वो किसके है तुझे पता क्या?
दीपू भी... क्या यार तू भी कैसे बात करती है... मुझे कैसे पता चलेगा?

तो चल पता कर और मुझे बता.. और ऐसा कहते हुए वो अपनी पाजामे की जेब से एक पैंटी निकल कर उसके सामने लहराती है. दीपू उसे देखते ही रह जाता है और झट से वो पैंटी पकड़ने की कोशिश करता है.

निशा: जनाब को बहुत जल्दी है.. दीपू भी हस देता है और फिर से वो पैंटी लेने की कोशिश करता है.

दीपू वो पैंटी को देख कर कहता है की वो बहुत सेक्सी जालीदार और छोटी है.

निशा: नहीं इतनी जल्दी तुझे मिलने वाली है. दीपू उसे आस भरी नज़र से देखता है तो निशा को उस पर दया आ जाती है और उसके बालों में अपना हाथ घुमा कर वो पैंटी उसे दे देती है और कहती है की कल तक तुम्हे पता करना है की ये किसकी है और अगर सही पता किया तो फिर एक इनाम तुझे... ऐसा कहते हुए निशा फिर से उसको आँख मार देती है और दीपू से अलग होकर अपनी गांड मटकाते हुए वो अपने कमरे में चली जाती है.

निशा के जाने के बाद दीपू फिर से उस पैंटी को अपनी नाक के पास रख कर उसे फिर से सूंघता है और मन में सोचता है की किसकी है जो इतनी अच्छी खुशबू आ रही है. वो इसी ख्यालों में रहते हुए अपना लंड निकल कर फिर से हिलाने लगता है और जब उसे महसूस होता है की उसका माल गिरने वाला है तो वो झट से बाथरूम में जा कर अपना माल निकल लेता है और देखता है की उसका माल एकदम गाढ़ा और बहुत सारा निकला है.

और फिर अपने बिस्तर पे आकर गहरी नींद में सो जाता है.

अगले दिन सुबह जब दीपू उठ कर फ्रेश हो कर किचन में जाता है तो देखता है की उसकी माँ चाय बना रही है. वो दरवाज़े पे खड़े हो कर उसकी माँ को निहार रहा था. उसकी उठी हुई चूचियां गोरा बदन और बहार को निकली गांड को देखता रहता है. वसु उसको देख लेती है लेकिन कल के हुए हादसे को लेकर कर अभी भी थोड़ा गुस्से में थी और उसी अंदाज़ में दीपू से कहती है वो वहां क्या कर रहा है और उसे क्यों घूर रहा है.

दीपू: मैं तो चाय के लिए आया था. आपने क्या सोचा?

वसु: तू हॉल में बैठ जा.. मैं चाय लेकर आती हूँ.

थोड़ी देर बाद वसु चाय लेकर आती है तो उतने में बाकी दोनों (निशा और दिव्या) भी आ जाते है और सब मिलकर चाय पीते है. निशा देखती है की उसकी माँ अभी भी रूठी है और उसके चेहरे पे गुस्सा अभी भी नज़र आ रहा है. निशा धीरे से दीपू को इशारा कर के उसे उसके कमरे में भेज देती है और निशा उसकी मम्मी के पास जा कर उससे पूछती है की गुस्सा क्यों कर रही हो?

वसु: तू ना अपने भाई की तरफदारी मत कर. तूने देखा नहीं कल क्या किया था उसने? उसकी बात सुनकर दिव्या पूछती है की क्या बात हुई है जो उसे पता नहीं.

निशा उसे बता देतीं है की कल क्या हुआ है. दिव्या भी थोड़ा आश्चर्य से उन दोनों को देखती रह जाती है.

वसु: (दिव्या से) और ये उसके लाडले भाई की तरफदारी कर रही है.

निशा: तो उसमें गलत क्या है? उसके बाद सब अपने काम में लग जाते है और दीपू और निशा कॉलेज निकल जाते है.

उनके जाने के बाद घर में जब सिर्फ वसु और दिव्या रह जाते है तो वसु का उखड़ा मूड देख कर दिव्या कहती है की जो हुआ उसे भूल जाओ. दीपू का बचपना मान कर उसे माफ़ कर दे.

वसु: बचपना कहाँ दिव्या.. २१ साल का हो गया है और तू उसे बच्चा कह रही है. सुन कल मैं उसके कमरे में गयी थी और वो नहा कर एक टॉवल में था. मैं जब उसके कमरे में गयी और उसे पुकारा तो उसका टॉवल खुल गया और मैं उसके लंड को देख कर दांग रह गयी.

दिव्या: क्यों ऐसा क्या देख लिया.

वसु: उसका मुरझाया हुआ लंड भी बहुत बड़ा लग रहा था और तू उसे बच्चे कहती है.

दिव्या: क्या? तूने उसका लंड भी देखा और मुझे तूने बताया भी नहीं (उन दोनों में बहुत करीब रिश्ता था और दोनों एक दुसरे को सब बाते share करते है )और ऐसा कहते हुए दिव्या वसु को आँख मार देती है. वसु भी थोड़ा हल्का सा हस्ते हुए... चुप कर और फिर दोनों अपना काम करने में लग जाते है.

आगे क्या होता है जल्दी ही आगे रोमांचकारी अपडेट के साथ..
Amazing wonderfull update
 
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komaalrani

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कहानी बहुत ही नेचुरल तरीके से आगे बढ़ रही है। सभी पात्रों का चरित्र बहुत ही ढंग से डेवलप हो रहा है और सेक्स की जल्दीबाजी नहीं दिख रही है। यह कहानी पिछली कहानी जो बहुत लोकप्रिय थी उससे भी आगे जायेगी



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pussylover1

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दीपू: तूने ही तो दिनेश का नंबर माँगा था न… तो ये ले और उसे दिनेश का नंबर दे देती है. निशा खुश हो जाती है और फिर से दीपू के गाल पे किस कर के उसे थैंक्स बोल के अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.

अब आगे...

माँ और बेटे में पनपता प्यार

एक दिन जब सब घर में होते है तो दीपू निशा को चिढ़ाने के बहाने से कहता है

दीपू: तू बहुत मोटी होती जा रही है (जो की सच नहीं था ) ..( वो मोटी नहीं थी लेकिन उसका बदन गदराया हुआ ज़रूर था ).
निशा उसकी इस बात से चिड़ जाती है और दीपू को मारने के लिए बढ़ती है. तभी वहां उनकी मा वसु आ जाती है और उन्हें डाट ते हुए कहती है की क्या बचपना कर रहे हो तुम दोनों. जब निशा उसे मारने आती है तो दीपू देखता है की उसकी चूचियां उसके टी शर्ट में मस्त उछाल रहे है और ये दृश्य उसके लिए बहुत कामुक नज़र आता है. दीपू दौड़ कर वसु के पीच छुप जाता है और अनजाने में अपना हाथ वसु की कमर पे रख देता है और वसु को थोड़ा आगे सरकाता है और पीछे से निशा को चिढ़ाते रहता है. ऐसा करते वक़्त दीपू अनजाने में वसु की कमर पे हाथ ज़ोर से दबाता है तो वसु को चिमटी जैसे लगता है. वसु को इसका एहसास होता है और आह्हः कर के दीपू से कहती है की वो क्या कर रहा है और उसके क्यों चिमटी काट रहा है. दीपू सॉरी कहता है और उसका ध्यान निशा के तरफ कर देता है.
वसु भी प्यार से दोनों को अलग करती है और दोनों को अपने पास बुला कर दोनों को गले लगा लेती है और कहती है तुम दोनों में और घर में ऐसे ही प्यार रहे. दोनों भी वसु को गाला लगा लेते है और दोनों भी वसु के गाल को प्यार से चूम कर ऐसे ही छेड़खानी करते हुए निकल जाते है. उन दोनों को देख कर वसु को भी बहुत ख़ुशी होती है और फिर उसका ध्यान अपनी कमर पे जाता है जहाँ दीपू ने उसे चिमटी काटा था.

वसु अपने कमरे में जाती है क्यूंकि उसके कमर में थोड़ा दर्द हो रहा था.

वसु: (दीपू के बारे में) ये भी ना..इतना बड़ा हो गया है लेकिन बचपना नहीं गया है. वसु कमरे में आईने के सामने जा कर अपनी साडी को कमर से अलग कर के देखना चाहती है की उसे कहाँ दर्द हो रहा है. अपनी साडी को थोड़ा नीचे कर के अपनी नज़र कमर पे डालती है. वहां पे एक छोटा सा निशान बन जाता है. वो फिर वहां पे झंडू बाम लगा लेती है और अपनी साडी को ठीक करने लगती है. तभी उसे अपनी कमर पे नाभि के पास एक तिल नज़र आता है. वो तिल को देखती रह जाती है और उसे बाबा की बात याद आती है की दीपू के ज़िन्दगी में बहुत लोग आएंगे और उसकी शादी ऐसे लोगों से होगी जिनकी कमर पे तिल की निशानी है.

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वसु इस बात का ध्यान आते ही अपने आप को झंझोर लेती है और उसे लगता है शायद वो एक वेहम है और दीपू उससे कैसे शादी कर सकता है.

वसु जब ये बात सोचती है तो वो अपने आप को फिर से एक बार आईने में देखती है तो पाती है की वो अभी भी बहुत सुन्दर दिखती है. चेहरा एकदम खिला हुआ सा. अपने बदन को देखती है तो पाती है की उसका बदन अभी भी एकदम सुडौल है. मस्त हसमुख चेहरा, भरी हुई चूचियां, एकदम पतली कमर.. उस पर गहरी नाभि और नाभि के बगल में तिल, और एकदम बहार को निकली हुई गांड.. इस रूप में वो एकदम कोई अप्सरा जैसे लगती है ..

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वसु अपने आप को देख कर मुस्कुरा देती है और वहां से चले जाती है.

ऐसे ही एक दिन रात को जब सब खाना खा कार सो जाते है तो करीब १२ बजे दीपू को प्यास लगती है तो वो पानी पीने के लिए किचन में जाता है. पानी पी कार जब वो अपने कमरे में जा रहा होता है तो उसे वसु के कमरे में थोड़ी रौशनी नज़र आती है. दीपू सोचता है की आदी रात को माँ कमरे में क्या कार रही है जो की वहां से रौशनी आ रहा है तो वो चुपके से बिना कोई आवाज़ किये दरवाज़े पे जाता है और धीरे से खोलता है तो दरवाज़ा खुल जाता है. वो माँ को कुछ कहने ही वाला था की अंदर का नज़ारा देख कर उसकी आँखें बड़ी हो जाती है और उसके पाजामे में तम्बू बन जाता है क्यूंकि अंदर का नज़ारा ही कुछ ऐसा था. उसकी माँ वसु अपनी नाइटी को अपनी जाँघों तक उठा कर अपनी पैंटी को सरका कर अपनी चूत में ऊँगली करते हुए धीरे से बड़बड़ाती रहती है.

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वो अपने पति को याद करते हुए एक हाथ से अपनी चूत को ऊँगली करते हुए दुसरे हाथ से अपनी एक चूची दबाती रहती है. वहीँ बगल में उसकी बेहन दिव्या मस्त घोड़े बेच कर सो रही होती है. वसु को पता नहीं चलता और ये पूरा नज़ारा दीपू देख कर एकदम उत्तेजित हो जाता है. वो वहां पर तब तक रहता है जब तक वसु ऊँगली कर के झड़ नहीं जाती.

वसु अपना पानी निकल कर एकदम सुकून पाती है और बडबाति है की ये निगोड़ी चूत भी ठीक से सोने नहीं देती और हर वक़्त लंड चाहती है. कमरे में एकदम सन्नाटा रहने की वजह से दीपू को ये बात सुनाई देती है. वसु उठ कर अपने कमरे में बाथरूम में चली जाती है और दीपू भी दरवाज़ा बंद कर के वो भी दुसरे बाथरूम में जाता है और अपनी माँ को याद करते हुए मूठ मार के वो भी हल्का हो जाता है और फिर वो भी कमरे में आ कर सो जाता है.

अगली सुबह दीपू उठ कर फ्रेश हो कर रात की बात याद करते हुए किचन में जाता है तो वहां वसु सब के लिए चाय बना रही होती है. दीपू वहां दरवाज़े पे खड़े हो कर अपनी माँ को निहारता रहता है. वो अब उसकी माँ को एक माँ नहीं बल्कि एक औरत के रूप में देख रहा था और पाता है की उसकी माँ कितनी गदरायी हुई है. मैक्सी में भी उसके बदन के कटाव एकदम सही में नज़र आते है. ठोस बहार को निकली हुई चूचियां एकदम तने हुए निप्पल बहार को निकली गांड. ये देख कर उसका लंड भी खड़ा हो जाता है और वो जा कर पीछे से अपनी माँ को गले लगा लेता है और उसके गाल और गर्दन पे चुम्मा देते हुए गुड मॉर्निंग कहता है.

वसु को दीपू का खड़ा लंड अपनी गांड पे महसूस होता है लेकिन वो अनजान रहती है.

वसु: क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है अपनी माँ पे.

दीपू: क्यों प्यार नहीं आएगा क्या? तुमको याद है मैंने पिताजी से क्या कहा था... की मैं तुम सब को प्यार दूँ. उसके पती की बात सुनकर वसु थोड़ा भावुक हो जाती है और पलट कर दीपू को देख कर आंसू निकल जाते है तो दीपू उसकी आँखों में देखते हुए.. क्या हुआ माँ? मैं हूँ ना.... तुम सब की देखभाल करने के लिए और उसके आंसू पोछ कर उसके माथे को प्यार से चूमता है. वसु भी दीपू को गाला लगा कर प्यार से उसे भी चूमती है.

दीपू भी अब मन बना लेता है की वो माँ को खूब प्यार देगा और उसके बाप की कमी नहीं महसूस होने देगा उसको.

दिन ऐसे ही गुज़रते रहते है. दोनों कॉलेज जा कर और घर आ कर अपनी पढाई पे ध्यान देते है और रात को कभी कबार मस्ती भी कर लेते है और वहीँ दीपू भी अपनी माँ को प्यार देते रहता है और जब ही मौका मिलता है तो उसे चूमते भी रहता है. दिव्या भी ये सब देखती रहती है और एक दिन जब दोनों ( दीपू और निशा) कॉलेज जाते है तो दिव्या वसु को छेड़ी है.

घर में Sexy घटनाएं

एक दिन दीपू रोज़ की तरह सुबह नहाने के बाद टॉवल बाँध कर अपने कमरे में बाल बना रहा होता है तो उस वक़्त वसु दीपू को पुकारते हुए उसके कमरे में आती है. दीपू अपनी धुन में बाल बनाते हुए अपनी माँ की आवाज़ सुनता है तो आईने में उसे कमरे में देख कर पलट जाता है (बात करने के लिए). लेकिन ठीक उसी वक़्त दीपू का टॉवल निकल कर गिर जाता है और नंगा हो कर ऐसे ही वसु को देखता है. वसु की नज़र भी ठीक उसी वक़्त उसके झूलते हुए लंड पे जाती है जो नार्मल होने पर भी बहुत मोटा और लम्बा लग रहा था. वो वैसे ही उसके लंड को देख रही होती है और दीपू को जब ये एहसास होता है तो जल्दी से अपना टॉवल उठा कर अपने आप को धक लेता है. वसु भी बिना कुछ कहे वहां से चली जाती है.

उस दिन रात को सोते वक़्त वसु को सुबह का वाक्या को याद करते हुए अपने मन में सोचती है.. कितना बड़ा लंड है मेरे बेटे का. इसीलिए उस दिन उसका लंड मेरी गांड पे छु रहा था. अगर नार्मल ही ऐसा है तो फिर जब वो पूरा खड़ा होगा तो और कितना बड़ा होगा. और मन में सोचती है की जो भी उसके नीचे आएगी वो उसे मस्त संतुष्ट कर देगा. वो भी वासना की आग में जल रही थी और ना जाने क्या क्या सोच रही थी. थोड़ी देर बाद जब उसे होश आता है तो उसे थोड़ा ग्लानि होता है और सोचती है की वो अपने बेटे के बारे में ऐसा कैसा सोच सकती है.

जब से ये हादसा होता है तब से दीपू के मन में भी वसु को लेकर सोच बदल जाती है. एक दिन जब सब घर में ही रहते है तो बहार बारिश हो रही होती है. वसु दीपू को आवाज़ लगा कर कहती है की बालकनी में कपडे सुखाने के लिए डाले है तो उन्हें वहां से निकल ले वरना वो कपडे फिर से भीग जाएंगे और वो उन कपड़ों को उसके कमरे में रख दे. दीपू भी भाग कर बालकनी से पूरे कपडे निकल कर वसु के कमरे रखता है. वो पलट कर जाने ही वाला होता है तो वो देखता है की कपड़ों के ढेर में २- ३ छोटी और पारदर्शी पैंटी पड़ी हुई है. वो फिर से एक नज़र दरवाज़े पे डाल कर देखता है की कोई नहीं है तो वो दो पैंटी को उठा कर फिर से अपनी नाक के पास ले जाकर उनको फिर से सूंघता है और अपना एक हाथ से अपने लंड को निकल कर वो पैंटी को सूंघते हुए अपना लंड हिलाते रहता है. वो जानता था की इस वक़्त मूठ मारना ठीक नहीं होगा.. इसीलिए सिर्फ हिलाते रहता है लेकिन फिर भी उसका लंड एकदम तन जाता है और पूरा खड़ा हो जाता है.

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उसे भी खूब मजा आता है. वो अपने एक अलग ही दुनिया में खो जाता है. उसे पता भी नहीं चलता जब उसकी बेहन और माँ दोनों कमरे में कपडे ठीक करने के लिए आते है. दोनों जब दीपू को ऐसा करते हुए देखते है तो वसु कहती है..

वसु: क्या कर रहा है तू इनके साथ?

दीपू उसकी बात सुन कर एकदम चकरा जाता है और हड़बड़ी में पैंटी गिराते हुए अपने लंड को अंदर करते हुए कुछ नहीं कहता और बिना कुछ कहे वहां से निकल जाता है. निशा ये सब देख कर मन में मुस्कुराती है और अपनी माँ से कहती है..

निशा: लगता है दीपू की शादी जल्दी ही करनी पड़ेगी.

वसु: चुप कर.. क्या कह रही है? देखा नहीं वो अभी क्या कर रहा था? वैसे भी उसके पहले तेरी शादी करनी है. ठीक है? तू उससे बड़ी है और मैं पहले तेरी शादी करवाउंगी.

निशा: देखा है. वैसे भी लड़के इस उम्र में ये सब करना नार्मल है माँ.

वसु: थोड़ा छिड़ कर.. तू उसकी तरफदारी क्यों कर रही है? वो गलत कर रहा था.

निशा: शायद हां या शायद ना.

वसु: मतलब?

निशा: मतलब ये की जैसे मैंने कहा था ये सब नार्मल है.और वैसे माँ.. एक बात बताओं.. कॉलेज में बहुत सारी लडकियां इसपर मरती है. मेरे ही कुछ दोस्त इस पर एकदम लट्टू है.. कहती है क्या हैंडसम है तेरा भाई. अगर मेरा ऐसा कोई भाई होता तो कितना अच्छा होता.

वसु: वो तो ठीक है लेकिन अब जो हुआ गलत हुआ.

निशा: तुम समझी नहीं माँ.. मैंने अभी जो बात बतायी है तुझे सेंसर कर के बताया है और उसे आँख मार देती है.
वसु: तू कहना क्या चाहती है?

निशा: येही की मेरे दोस्त कह रहे थे की दीपू जैसा कोई उनका भाई होता तो कब तक वो सब उनके नीचे आ जाती. तू तो जानती है.. आजकल ऐसी बातें सब करते है.

वसु: चल जल्दी काम कर.. और हाँ.. दीपू से पहले तेरी शादी करनी है. निशा ये बात सुनकर मना कर देतीं है और ना में सर हिला देतीं है

उस दिन रात को निशा दीपू के कमरे में आती है और पूछती है की वो सुबह क्या कर रहा था. दीपू उसे देख कर कुछ नहीं कहता तो निशा माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए दीपू से कहती है की आजकल तो लड़के ऐसे ही करते है और कोई शर्माने की बात नहीं है.

दीपू उसकी बात सुन कर उसे देख कर कहता है तुझे बुरा नहीं लगा क्या?

निशा: हाँ थोड़ा लगा लेकिन फिर मुझे भी पता है की तुम्हारी उम्र के लड़कों में शायद ऐसा ही होगा. दीपू उसकी तरफ नज़र उठा कर देखता है तो निशा भी आँख मार देती है और फिर धीरे से उसकी गोद में बैठ कर उसको गले लगा कर उसके माथे पर किस देती है और शरारती अंदाज़ में पूछती है की तूने वो पैंटी तो सूंघे है लेकिन वो किसके है तुझे पता क्या?
दीपू भी... क्या यार तू भी कैसे बात करती है... मुझे कैसे पता चलेगा?

तो चल पता कर और मुझे बता.. और ऐसा कहते हुए वो अपनी पाजामे की जेब से एक पैंटी निकल कर उसके सामने लहराती है. दीपू उसे देखते ही रह जाता है और झट से वो पैंटी पकड़ने की कोशिश करता है.

निशा: जनाब को बहुत जल्दी है.. दीपू भी हस देता है और फिर से वो पैंटी लेने की कोशिश करता है.

दीपू वो पैंटी को देख कर कहता है की वो बहुत सेक्सी जालीदार और छोटी है.

निशा: नहीं इतनी जल्दी तुझे मिलने वाली है. दीपू उसे आस भरी नज़र से देखता है तो निशा को उस पर दया आ जाती है और उसके बालों में अपना हाथ घुमा कर वो पैंटी उसे दे देती है और कहती है की कल तक तुम्हे पता करना है की ये किसकी है और अगर सही पता किया तो फिर एक इनाम तुझे... ऐसा कहते हुए निशा फिर से उसको आँख मार देती है और दीपू से अलग होकर अपनी गांड मटकाते हुए वो अपने कमरे में चली जाती है.

निशा के जाने के बाद दीपू फिर से उस पैंटी को अपनी नाक के पास रख कर उसे फिर से सूंघता है और मन में सोचता है की किसकी है जो इतनी अच्छी खुशबू आ रही है. वो इसी ख्यालों में रहते हुए अपना लंड निकल कर फिर से हिलाने लगता है और जब उसे महसूस होता है की उसका माल गिरने वाला है तो वो झट से बाथरूम में जा कर अपना माल निकल लेता है और देखता है की उसका माल एकदम गाढ़ा और बहुत सारा निकला है.

और फिर अपने बिस्तर पे आकर गहरी नींद में सो जाता है.

अगले दिन सुबह जब दीपू उठ कर फ्रेश हो कर किचन में जाता है तो देखता है की उसकी माँ चाय बना रही है. वो दरवाज़े पे खड़े हो कर उसकी माँ को निहार रहा था. उसकी उठी हुई चूचियां गोरा बदन और बहार को निकली गांड को देखता रहता है. वसु उसको देख लेती है लेकिन कल के हुए हादसे को लेकर कर अभी भी थोड़ा गुस्से में थी और उसी अंदाज़ में दीपू से कहती है वो वहां क्या कर रहा है और उसे क्यों घूर रहा है.

दीपू: मैं तो चाय के लिए आया था. आपने क्या सोचा?

वसु: तू हॉल में बैठ जा.. मैं चाय लेकर आती हूँ.

थोड़ी देर बाद वसु चाय लेकर आती है तो उतने में बाकी दोनों (निशा और दिव्या) भी आ जाते है और सब मिलकर चाय पीते है. निशा देखती है की उसकी माँ अभी भी रूठी है और उसके चेहरे पे गुस्सा अभी भी नज़र आ रहा है. निशा धीरे से दीपू को इशारा कर के उसे उसके कमरे में भेज देती है और निशा उसकी मम्मी के पास जा कर उससे पूछती है की गुस्सा क्यों कर रही हो?

वसु: तू ना अपने भाई की तरफदारी मत कर. तूने देखा नहीं कल क्या किया था उसने? उसकी बात सुनकर दिव्या पूछती है की क्या बात हुई है जो उसे पता नहीं.

निशा उसे बता देतीं है की कल क्या हुआ है. दिव्या भी थोड़ा आश्चर्य से उन दोनों को देखती रह जाती है.

वसु: (दिव्या से) और ये उसके लाडले भाई की तरफदारी कर रही है.

निशा: तो उसमें गलत क्या है? उसके बाद सब अपने काम में लग जाते है और दीपू और निशा कॉलेज निकल जाते है.

उनके जाने के बाद घर में जब सिर्फ वसु और दिव्या रह जाते है तो वसु का उखड़ा मूड देख कर दिव्या कहती है की जो हुआ उसे भूल जाओ. दीपू का बचपना मान कर उसे माफ़ कर दे.

वसु: बचपना कहाँ दिव्या.. २१ साल का हो गया है और तू उसे बच्चा कह रही है. सुन कल मैं उसके कमरे में गयी थी और वो नहा कर एक टॉवल में था. मैं जब उसके कमरे में गयी और उसे पुकारा तो उसका टॉवल खुल गया और मैं उसके लंड को देख कर दांग रह गयी.

दिव्या: क्यों ऐसा क्या देख लिया.

वसु: उसका मुरझाया हुआ लंड भी बहुत बड़ा लग रहा था और तू उसे बच्चे कहती है.

दिव्या: क्या? तूने उसका लंड भी देखा और मुझे तूने बताया भी नहीं (उन दोनों में बहुत करीब रिश्ता था और दोनों एक दुसरे को सब बाते share करते है )और ऐसा कहते हुए दिव्या वसु को आँख मार देती है. वसु भी थोड़ा हल्का सा हस्ते हुए... चुप कर और फिर दोनों अपना काम करने में लग जाते है.

आगे क्या होता है जल्दी ही आगे रोमांचकारी अपडेट के साथ..
Bahut hi dhamekedaar kahani
Waiting for next update bro
 
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