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Erotica मेरी बीवी अनुश्री

आपकी पसंदीदा कौन है?

  • अनुश्री

    Votes: 193 72.0%
  • रेखा

    Votes: 44 16.4%
  • अंब्दुल

    Votes: 57 21.3%
  • मिश्रा

    Votes: 18 6.7%
  • चाटर्जी -मुख़र्जी

    Votes: 28 10.4%
  • फारुख

    Votes: 12 4.5%

  • Total voters
    268

Yash420

👉 कुछ तुम कहो कुछ हम कहें 👈
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Absolutely Mind-blowing update
But isbaar update chota ho gaya Bhai😭
 
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macssm

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सॉरी दोस्तों इस अपडेट मे इंग्लिश हिंदी दो तरह के फॉन्ट हो गए.
वैसे मेरी चाहत यहीं रहती है कि हमेशा हिंदी मे ही टाइप करू.
🙏🏼
उम्मीद है आप लोगो को तकलीफ नहीं होंगी 😍
कोई बात नहीं कैसे भी सही पाठक हिंग्लिश समझोता सरकते है।

आप बस ठिक समय पर अपडेट देते रहना
 
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Tarahb

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Wahhh kya story likhi hai khub madmast kr dene wali...aage dekhte hein kya hoga tab tk apne virya ke lawa ko or bhdkne dete hein
 
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andypndy

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अपडेट -43

अंदर अनुश्री चादर को अपने जिस्म से अच्छी तरह से लपेट चुकी थी,उसकी पूरी कोशिश थी कि उसका कोई भी अंग उजागर ना हो.परन्तु चादर का ज्यादा तर हिस्सा उसके बढ़े भारी स्तन को ढकने मे ही खर्च हुआ जा रहा था परिणाम कि घुटनो के नीचे गोरी चिकनी टांगे साफ झलक रही थी.
उसके बावजूद भी अनुश्री के स्तन कि झलक साफ महसूस कि जा सकती थी, अब भला हिरे कि चमक भी कहीं छुपती है.
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"मंगेश.....मंगेश......अनुश्री कि एक आवाज़ कमरे तक आई " फारुख कि नजरें तो पर्दे पे ही टिकी हुई थी.
जवाब मे एक हलके खर्राटे कि आवाज़ उसके कानो मे पड़ी " लगता है सो गया शराबी " अनुश्री के चेहरे पे एक कामुक और चंचल मुस्कान आ गई.
उसने जैसा सोचा था वही हुआ,रोमांच से उसके बदन ने एक झटका खाया, अब वो मंगेश के सामने इस तरह बेहिचक जा सकती थी....
सररर.........मंगेश.......ममममममम...मन....मन.....मंगेश.....एकदम से पर्दा हटा सामने अनुश्री का चमकता गोरा बदन कमरे कि रौशनी से नहा गया.
लेकीन सामने ही फारुख मूसतेद हाथ मे शराब का जाम पकड़े बैठा था,उसके हाथ कांप रहे थे, शरीर का एक एक रोया खड़ा था,जैसे कोई सपना देख रहा हो.
अनुश्री के हाथ तुरंत ही अपने चादर के जोड़ पे जमा हो गए, जैसे कहीं गांठ खुल ना जाये फारुख कि नजरो से ही.
अभी अभी मंगेश को रिझाने का सोच के गरमाया बदन ठंडा होने लगा.
"ततततत्तत्तत्तत्त.....तुम सोये नहीं,मंगेश को क्या हुआ " अचानक ही मंगेश को खर्राटे भरता देख अनुश्री के होश उड़ गए,उसके हाथ खुद बा खुद मंगेश के चेहरे पे पड़ने लगे....
"मंगेश....मंगेशम....क्या हुआ.....उठो.....सो क्यों रहे हो मंगेश....." अनुश्री ने मंगेश के
गाल को थपथपाया.
असर भी हुआ मंगेश को होश आया "हिचहह......हिचहहह......अरे अनु जान आ गई तुम खूबसूरत लग रही हो हिचहब्ब....हीच......अरे फारुख क्या करता है बना एक पैग और हीच....हुचम......खर....खररररर......मंगेश पल भर के लिए ही होश मे आया था कि फिर लुढ़क गया.
अनुश्री को माजरा समझते देर ना लगी,.उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया
"तुम.....तुम.....तुमने ये जानबूझ के किया,मुझे शुरू से पता है तुम्हारी नियत का " अनुश्री गुस्से मे पैर पटक रही थी.
मैडम मेरी गलती नहीं है साहेब ने ही कहाँ था कि सर्दी लग रही है एक पैग हो जाये तो मैंने दें दिया मुझे क्या पता था साब कच्चे खिलाडी है " फारुख ने सफाई दि.
"हर कोई तुम जैसा शराबी नहीं होता idiot " अनुश्री झल्ला गई, उसके अरमानो पे पानी फिर गया था कहाँ उसे ये रात रोमांटिक लग रही थी.
कमरे मे सन्नाटा छा गया....घुप ख़ामोशी.....कभी कभी बादल गरज उठते साथ ही मंगेश कि खर...खरररर....
"मै.....मै......मै.....शराबी नहीं हूँ, ना मेरी नियत ख़राब है "
फारुख कि भरभारती आवाज़ ने उस सन्नाटे को तोड़ा..
मंगेश के सोफे के हत्थे पे बैठी अनुश्री ने नजर उठा के देखा फारुख का सर झुका हुआ था,आँखों मे आँसू थे.....वो बड़बड़ा रहा था "मै.....शराबी नहीं...हूँ.....नहीं हूँ मै शराबी "


अनुश्री ये नजारा देख एकदम से चौंक गई, फारुख उसे ज़ालिम मर्द,बदमिज़ाज़ इंसान,शराबी बिगड़ैल नजर आता था लेकीन उसे किसी बच्चे कि तरह आँसू बहाता देख दिल पसिज गया,शायद वो ज्यादा ही जोर से चिल्ला गई " फारुख कि क्या गलती,वो तो है ही शराबी लेकीन इस मंगेश को क्या पड़ी थी पीने कि जब सहन नहीं होती तो पिता क्यों है" अनुश्री का गुस्सा मंगेश पे था उसने गलती कि.
"सो....सो....सो.....सोरी फारुख....मैंने ज्यादा बोल दिया जबकि तुमने हम लोगो का भला ही चाहा था " स्त्री सुलभ दिल था अनुश्री का पल मे गुस्सा पल मे प्यार.
"मममम....मै....सो...सो....सोरी मैडम मैंने उस दिन भी गलत किया आपके साथ " फारुख गर्दन झुकाये ही बोला.
"ककककक.....किस दिन?" अनुश्री कि आवाज़ कांप गई शायद वो जानती थी कि फारुख किस दिन कि बात कर रहा है
"उस दिन मैडम..शारब कि दुकान पे, मैंने जबरजस्ती कि आपकी गांड मे दारू कि बोत्तल घुसा दि थी "फारुख साफ साफ बोल गया

अनुश्री को इस बात कि कतई उम्मीद नहीं थी,उसके कान गरम हो गए थे,उस दिन का वाक्य सुनते ही सोफे के हत्थे पे बैठी अनुश्री ने अपनी गांड को सिकोड लिया जैसे कि अभी ही कुछ घुस रहा हो और वो उस चीज को अंदर जाने से रोक रही हो "ईईस्स्स......उफ्फ्फ....." ना चाहते हुए भी अनुश्री का मुँह खुल गया.
अनुश्री कि कामुक घबराई आवाज़ से फारुख कि नजर अनुश्री कि तरफ गई, अनुश्री के चेहरे पे दर्द साफ झलक रहा था.
"ममम.....मैडम....लेकीन मै क्या करता आपने मेरी शराब छीनने कि कोशिश कि थी,मेरा ऐसा इरादा नहीं था,जाने अनजाने ऐसा हो गया, ऊपर से आप गिरी भी ऐसे कि आपकी खूबसूरत गोरी गांड मेरी आँखों के सामने आ गई,मुझे कुछ सुझा नहीं तो मैंने बोत्तल उठा के अंदर डाल दि "
फारुख एक ही सांस मे कह गया जैसे प्रयाश्चित कर रहा हो
"लेकीन मेरी नियत बुरी नहीं थी,बस मै वो शराब पीना चाहता था,बरसो से अंग्रेजी दारू नहीं पी थी मैंने "
"ममममम.....मै....कककम.....क्या.......हहहहम........वो....वो......" अनुश्री को समझ ही नहीं आ रहा था कि बोले क्या?
इतना साफ साफ कोई कैसे बोल सकता है..
उस दिन कि याद ने अनुश्री के रोंगटे खड़े कर दिये,अभी कल रात कि अब्दुल कि चुदाई से उभरी भी नहीं थी कि वापस से उसकी गांड कि तारीफ सुन रही थी..
"लेकीन सच कहता हूँ मैडम आपकी जैसी गांड दुनिया मे किसी औरत कि नहीं है...गुटूक....गुलुप....फारुख ने ये पैग भी ख़त्म कर दिया..
अनुश्री का ठंडा बदन और भी ठंडा हो गया,उसे जांघो के बीच तेज़ प्रेशर कि अनुभूति होने लगी,लेकीन क्या करे कैसे कहे.....उसने अपनी जांघो को आपस मे कस के भींच लिया.
"लेकीन मैडम मै ऐसा नहीं था,इस शहर का सबसे बड़ा आदमी था, होटल मयूर कभी मेरी मालिकाना हैसियत थी "
ना जाने क्यों फारुख बके जा रहा था,वो अनुश्री कि तरफ देखता तो कभी दारू कि बोत्तल कि तरफ.
अनुश्री असमंजस मे सुने जा रही थी अपनी जांघो को भींचे.
हालंकि अनुश्री हैरान जरूर थी फारुख कि बातो से.
"तो....तो....ऐसा क्या हुआ...कि......कि....."
"औरत मैडम औरत.....मै उस वक़्त 30 साल का था,मेरे पिताजी मुझे ये होटल विरासत मे दें गए थे इसके अलावा दो होटल और भी थे मेरे पास,रुखसाना नाम कि एक औरत मेरे होटल मे ही काम करती थी,हालांकि मैंने ही उसे उसकी हालत देख के काम पे रखा था "
फारुख ने एक पैग और बना लिया.
अनुश्री भी अब थोड़ा रिलैक्स हो गई थी,खर....खररर.....मंगेश के खर्राटे चालू ही थे.
"रुखसाना को जिस दिन मैंने पहली बार देखा था उस दिन से ही मै उसकी खूबसूरती का कायल हो गया था, उसका व्यवहार,उसकी अदा,उसकी मुस्कान सब मुझे पसंद थी... वक़्त बिता मुझे उस से प्यार हो गया हमारा प्यार जल्द ही निकाह मे तब्दील हो गया"
गुटूक.....गुटूक......फारुख ने एक घुट भर ली.
अनुश्री अब हत्थे से उतर के बाजु के सोफे पे टिक गई थी,उसने जो सोचा था फारुख वाकई उसके विपरीत निकला, उसे फारुख कि कहानी मे इंट्रेस्ट आने लगा था.
"फ़फ़फ़फ़.....फिर....."
"मैंने उस से निकाह कर लिया.....निकाह के बाद मै अपने जीवन के सबसे हसीन पलो को जी रहा था, क्या बदन था रुखसाना का आपकी तरह ही उसके स्तन,उसके लम्बे बाल, उसकी गांड आपकी ही तरह गद्दाराई हुई मदमस्त थी "
फारुख बेधड़क बोले जा रहा था.
रुखसाना से अपनी तुलना सुन अनुश्री थोड़ी असहज हो गई, उसने हल्की से करवट ले ली अपनी एक टांग को दूसरी टांग पे रख दिया ऐसा करने से उसके मोटी जाँघ सफ़ेद चादर मे उजागर होने लगी,जो कि फारुख कि नजर से बच नहीं पाई.
"उसकी जाँघे भी आपकी ही तरह मोटी गोरी थी "
अनुश्री ने जैसे ही ये सुना उसकी सिटी बज गई उसने वापस से अपने पैरो को ठीक किया.

"मै रुखसाना को खूब चोदता,कभी गांड तो कभी चुत,लेकीन उसे गांड मरवाने मे ही ज्यादा मजा आता था,मुझे तो ऐसा ही लगता था "
गांड मरवाने कि बात सुनते ही अनुश्री कि गांड का छेद अपने आप ही खुल के बंद हो गया उसका दिल जोर जोर से चलने लगा,माथे पे एक पसीने कि लकीर तैर गई,एक हलके से दर्द कि लहर रीढ़ कि हड्डी से होते हुए सीधा गांड के छेद मे जा घुसी,आखिर अभी कल रात ही अब्दुल का लंड उसकी गांड कि सेर कर रहा था..


"आअह्ह्हब्ब....इसससससस......फिर....."
अनुश्री ना जाने कब उस कहानी मे बह गई उसे ही पता नहीं चला,उसे कल रात के दर्द और मजे का अहसास होने लगा.. एक हल्की सी सिकुड़न गांड के छेद मे होने लगी,या फिर पसीने कि बून्द ने रीढ़ कि हड्डी से सरकतें हुए उस कामुक घायल छेद को छेड़ दिया लगता था.
अनुश्री कुछ बैचैन सी हो उठ के वापस बैठ गई.

"कुछ ही महीने बीते थे कि मुझे होटल के काम से शहर के बाहर जाना पड़ा कुछ 15 दिन मै वापस लौटा तो पाया कि मेरा होटल बिक चूका था, मेरा घर होटल जमीन सब बिक गया था, मै सड़क पे आ गया, मेरे होश उड़ गए थे कि ये क्या हुआ कैसे हुआ कुछ समझ नहीं आ रहा था,
पुलिस कम्प्लेन हुई लेकीन मेरी सुनने वाला कोई नहीं था,मैंने खुद ही अपने हाथो से सब लूटा दिया था,
मै रुखसाना के प्यार मे इस कद्र पागल था कि उसने कब सब कुछ अपने नाम करवा लिया रहा मुझे अहसास भी नहीं हुआ,मुझे यकीन नहीं आ रहा था कि रुखसाना का धंधा ही यहीं था अमीर आदमियों को फसा के लूटने का "
"सुबुक.....सुबुक.....सुबुक......गुटूक....गुटूक......फारुख कि आँखों से आँसू छलक आये, उसका कलेजा दुख से भर आया,और इसका इलाज सिर्फ एक ही था वो सामने पड़ी शराब कि बोत्तल, फारुख ने बोत्तल ही उठा है गट गट 2,3 घुट कस के मार लिए.
"मेरे पास सिर्फ एक यहीं घर बच गया,क्यूंकि इसकी जानकारी रुखसाना को भी नहीं थी,लेकीन ये घर भी आज मेरी तरह खंडर हो चूका है "

अनुश्री उसकी व्यथा सुन स्तभ थी,उसका दिल भी कहीं ना कहीं फारुख के दुख मे भीग गया था.
"फिर उस दिन जब आप मेरे पीछे पार्क तक आ गई और बोत्तल छीनने के चक्कर मे गिर पड़ी, आपकी नंगी गांड देख के मै बेकाबू हो गया मुझे साली उस कुतिया कि गांड याद आ गई,ऐसे ही मुझे दिखा के ललचाती थी, मैंने आपकी गांड मे बोत्तल ठेल दि "
फारुख कि आँखों मे खून उतार आया था, चेहरा गुस्से मे लाल हो चला,हाथ मे बोतल उठा वो अनुश्री कि तरफ आगे सरका ही था कि.....
"फ्फ्फ्फफ्फ्फ़.......फारुख......फारुख......होश मे आओ मै वो नहीं हूँ " अनुश्री जोर से चीख पड़ी.
फारुख एकदम से होश मे आया धम्म....से वापस सोफे पे जा धसा.
एक अजीब लेकीन भारी सन्नाटा छा गया.....
अनुश्री का दिल धाड़ धाड़ चल रहा था.
खर....खरररर.....खर्राटे.....कि आवाज़ गूंज रही थी.


"मैडम......मै अअअअअ.....आता हूँ अभी " फारुख कि आवाज़ ने उस सन्नाटे को भंग किया

उसने अनुश्री कि तरफ देखा,अनुश्री के चेहरे पे हैरानी थी जैसे पूछ रही हो कहाँ जा रहे हो?
"वो...वो....मैडम.....कानि ऊँगली से इशारा कर फारुख ने दिखा दिया
इशारा समझते ही अनुश्री कि दिमाग़ मे भी कोंधा कि कब से वो भी तो पेशाब रोक के बैठी है,पहले ये मंगेश लुढ़क गया बाद मे फारुख कि दुखभरी कहानी मे पता ही नहीं चला.

परन्तु जैसे ही पेशाब का जिक्र आया अनुश्री को लगा उसका पेट भारी हो रहा है,जांघो के बीच कुछ फटने को है बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था.
"ररर.....रुको....फारुख...मममम...मुझे भी जाना है " मजबूरी मे अनुश्री बोल गई
"कहाँ जाना है हिचम....हिचम......"
अनुश्री ने भी कानि ऊँगली उठा दि,फारुख उसकी मासूमियत देखता ही रह गया.
आ जाओ पीछे, फारुख ने अपना कुर्ता उतार दिया, एक भयानक काला लेकीन कसा हुआ बदन अनुश्री के सामने उजागर हो गया.
अनुश्री के चेहरे पे हवाइया उड़ गई फारुख कि इस हरकत से.
"अरे मैडम बाहर जाना है मूतने और बाहर बारिश हो रही है " फारुख जैसे उसकी मन कि व्यथा भाँप गया हो.
फारुख चल दिया,पीछे अनुश्री.....
फारुख ने कमरे का दरवाजा खोला एक तूफानी भीगी ठंडी हवा का झोका जोर से दोनों के बदन से जा टकराया, अनुश्री कि चादर लगभग उड़ने को ही थी कि उसने जैसे तैसे संभाला.
फारुख उस बरसात मे ही दहलीज लाँघ गया, बारिश उसे भिगोने लगी थोड़ी ही दूर जा के फारुख खड़ा हो गया,उसे पता भी नहीं था कि अनुश्री अभी वही दरवाजे पे खड़ी है.
अनुश्री सोच मे थी अभी तो गीले कपड़े सुखाए है,ये भी भीग गया तो क्या होगा,अनुश्री अभी उधेड़बुन मे ही थी कि सऊऊऊरररररर.......ससससररर...।करती एक आवाज़ उसके कानो से टकराई,अनुश्री ने सर उठा के देखा तो उसका कलेजा ही मुँह को आ गया,
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सामने ही फारुख अपनी धुन मे आंख बंद किया ऊपर मुँह किये मूत रहा था.
अनुश्री के आश्चर्य का विषय फारुख का लंड था,भयानक काला सा जो कि पैंट के बाहर झूल रहा था,एक पिली सफ़ेद धार उसके भारी भरकम लंड से बाहर निकल के बारिश के पानी मे मिल जा रही थी.
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ये दृश्य ही अनुश्री के होश उड़ा देने के लिए काफ़ी था, अभी तक जितने भी लंड देखे थे ये उन सब मे कुछ ज्यादा ही भयानक था,इतने बड़े लंड कि कल्पना भी उसने कभी नहीं कि थी,बिजली कि चमक काले लंड कि नसों को उजागर कर दें रही थी.
ना जाने क्यों अनुश्री उस मधुर संगीत और मनोरम दृश्य मे खो गई थी,वो भूल ही गईं कि उसे भी पेशाब करना है.उसकी नजर फारुख के लंड पे तब तक बनी रही जब तक कि वहाँ से अंतिम बून्द तक नहीं टपक गई.
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"मैडम.......मैडम......आपको नहीं मूतना क्या " फारुख कि आवाज़ से अनुश्री एकदम से चौंक गई,नजारा बदल गया था.
फारुख वापस से अनुश्री के बाजु मे खड़ा था.
"वो...वो....हाँ....हहहहम्म्म्म...हाँ....करना है ना ललललल...लेकीन....लेकीन....."
"अरे मैडम वो पास मे पेड़ दिख रहा है वहाँ कर के जल्दी से भाग आओ,कुछ नहीं दिखेगा मै हु ना यहाँ "
फारुख जैसे अनुश्री कि मन कि व्यथा समझ गया था.
अनुश्री खुद को ही कोसे जा रही थी वही अच्छा वक़्त था जब फारुख कर रहा था वो भी जल्दी से कर आती..

"आअह्ह्ह...हाँ....आती हूँ मै " मरती क्या ना करती,पेट फटा जा रहा था
कहीं ना कहीं ये सब अनुश्री के जहन मे रोमांच पैदा कर रहा था.
फिलहाल पेट खाली करना जरुरी था.
अनुश्री ने दहलीज के बाहर कदम रख ही दिया उसके पास वक़्त नहीं था वरना शायद वो वही मूत देती.
"ज्यादा आगे मत जाना कहीं कोई सांप सूंघता हुआ ना आ जाये "
फारुख कि आवाज़ सुन उसने एक बार पीछे को देखा,फिर आगे को बढ़ चली ना जाने क्या था उसकी नजरो मे.
लेकीन फारुख इस नजर मे मर मिटा था आज.
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अनुश्री ने फारुख कि बात सुनी अनसुनी कर दि.
बाहर घुप अंधेरा था "चलो यहीं बैठ जाती हूँ " अनुश्री ने झट से अपनी चादर उठा ली और उकड़ू बैठ गई......सससससससस......ससससरररर......एक मधुर संगीत गूंज उठा
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इस संगीत ने सीधा फारुख के लंड पे ही हमला किया.
"उउउउफ्फ्फ्फ़.......आअह्ह्ह.....सससररर......अनुश्री के मुँह से एक आनंद कि सिसकारी निकल गई,उसके चेहरे पे सुकून कि एक लहर तैर गई,पल भर के लिए वो दिन दुनिया से बेखबर हो चली.
जोर से पेशाब लगा हो और वो निकल जाये तो जो सुकून मिलता है उस से बड़ा दुनिया मे कोई सुकून नहीं है शायद.

फारुख का लंड ये दृश्य देख अपनी औकात मे आना शुरू ही हुआ था कि एक बिजली कोंध उठी पल भर के लिए चारों तरफ उजाला छा गया..इस बार फारुख के छक्के छूटने कि बारी थी.
सामने ही एक खूबसूरत गद्दाराई हुई नवविवाहित लड़की गांड खोले मूत रही थी.
फारुख ने जैसे अपने लंड को सहारा दिया हो उसका हाथ तुरंत ही अपने पाजामे के आगे के हिस्से पे जा लगा,जैसे तो उसका लंड बगावत पे उतार आया हो.

बिजली का चमकना था कि अनुश्री तुरंत उठ खड़ी हुई और दौड़ पड़ी फारुख कि और जो दरवाजे पे ही खड़ा था.....
हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.....हमड़ड़ड़ड़....हुम्म्मफ़्फ़्फ़.....2 पल मे ही अनुश्री फारुख के बाजु मे थी, पता नहीं अच्छे से मूत भी पाई या नहीं.
दोनों कि हालत ऐसी थी जैसे कोई भूत देखा हो,दोनों के कपड़े भीगे हुए थे.
फारुख कि नजरें अनुश्री के स्तन पे ही टिकी हुई थी जो कि गीली सफ़ेद चादर से बाहर झाँक रहे थे, जांघो से चादर बुरी तरह चिपक गई थी, गोरा पेट तो साफ दिख रहा था,अनुश्री के भागने से वो कबकी वहाँ से हट चुकी थी.
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और अनुश्री सर झुकाये खड़ी थी उसकी नजर फारुख के गीले पाजामे से बाहर झाकते काले बड़े लंड पे टिकी हुई थी.
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दोनों कि सांसे तेज़ चल रही थी, बिजली कि गरज के बाद एक सन्नाटा छा गया..दोनों कहीं खोये हुए थे.


खरं....कहरररररर....खाहारररररर......खररररर.....खराटतट....अचानक एक खर्राटे कि आवाज़ ने दोनों का ध्यान भंग कर दिया.
अनुश्री और फारुख दोनों ने ही एक दूसरे से नजर चुरा ली.
अनुश्री झट से कमरे के अंदर दौड़ गई,पीछे फारुख दरवाजा बंद करने मे व्यस्त हो चला.

नियति पूरी तरह से फारुख के पाले मे है.
तो क्या अनुश्री फिर से बहक गई है?देखते है आज रात क्या गुल खिलता है?
बने रहिये कथा जारी है......
 
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andypndy

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Wahhh kya story likhi hai khub madmast kr dene wali...aage dekhte hein kya hoga tab tk apne virya ke lawa ko or bhdkne dete hein
आज का अपडेट भी आ गया है आप एन्जॉय कर सकते है
 

abcturbine

The Bull.........Female Orgasm Expert
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Densily erotic.....
Very well crafted....
Amazing....
 
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Bahot hi Bhari update hai...
Full excited hai emosexually...
 
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