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Erotica मेरी बीवी अनुश्री

आपकी पसंदीदा कौन है?

  • अनुश्री

    Votes: 193 72.0%
  • रेखा

    Votes: 44 16.4%
  • अंब्दुल

    Votes: 57 21.3%
  • मिश्रा

    Votes: 18 6.7%
  • चाटर्जी -मुख़र्जी

    Votes: 28 10.4%
  • फारुख

    Votes: 12 4.5%

  • Total voters
    268

jpjindal

New Member
63
50
18
awesome
 

Rakhi 123

Member
205
260
44
Nice update
 

macssm

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737
550
93
Where is update
 

andypndy

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710
2,942
139
दोस्तों आज से new अपडेट स्टार्ट हो रहे है.
जिन्हे आप मेरे ब्लॉग और यहाँ दोनों जगह पढ़ सकते है.
लेकीन पहला अपडेट ब्लॉग पे ही आएगा उसके बाद यहाँ.


सेव कर लीजिये ब्लॉग आपकी अनुश्री वापस आ रही है आज 👍
 

andypndy

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Bhagwan aap ka bhala kare !!
हाहाहाहा....पगले
 

andypndy

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अपडेट -44

फारुख दरवाजा बंद करके पलटा ही था कि उसकी सांसे थमने को हुई, उसने जो नजारा थोड़ी देर पहले बाहर देखा था वो कुछ भी नहीं था अंदर अनुश्री बिस्तर पे बैठी हांफ रही थी ना जाने किस शून्य मे खोई हुई थी,पानी कि बुँदे उसके बाल और गालो से होती हुई उस महीन लेकीन गद्देदार दरार मे कहीं जा के गायब हो जा रही थी,अनुश्री के स्तन ना जाने किस आवेश मे उठ उठ के गिर रहे थे जैसे तो मिलो कि मेराथन दौड़ आई हो,

सफ़ेद रौशनी मे बुँदे किसी मोती कि तरह उसके कामुक जिस्म का श्रृंगार कर रही हो, सुडोल गोरे पेट पे बुँदे हलचल कर रही थी,मंगेश कि तरफ मुँह किये अनुश्री ना जाने क्या देख रही थी परन्तु फारुख जिस नज़ारे का लुत्फ़ ले रहा था वो जन्नत मे भी नहीं मिलता.
सालो बाद उसके जिस्म ने, उसकी भावनाओं ने हरकत कि थी.
साइड से अनुश्री कि चादर भीग के इकट्ठा हो गई,साइड से मोटे स्तन अपनी खूबसूरती बिखेर रहे थे..फारुख के पैर उसी दिशा मे चल पड़े जैसे वो उस खूबसूरती को छू के देखना चाह रहा हो.

धीरे धीरे फारुख कि परछाई ने अनुश्री के जिस्म को ढक लिया.
रौशनी बंद होते ही जैसे अनुश्री को झटका सा लगा,सर उठाया तो सामने ही फारुख किसी राक्षस कि तरह बलिष्ट काला पानी से भीगा जिस्म लिए खड़ा था,

"फ्फ्फ्फफ्फ्फ़....फ़फ़फ़कककक....फारुख "
इस से आगे ना बोल सकी अनुश्री, वो उस मर्दाने जिस्म को ही देखती रह गई जो पीछे से आती tubelight कि सफ़ेद रौशनी मे चमक रहा था, क्या गठिला बदन था फारुख का, सीने पे बेसुमार बाल उसकी मर्दानगी को परिभाषित कर रहे थे.

"आआआ......अआप....ठीक तो है ना मैडम अच्छे से मूता ना " फारुख के सीधे बोल अनुश्री के कान मे जा धसे.
इस से ज्यादा फारुख कुछ ना बोल सका, मन्त्रमुग्ध बैठी अनुश्री अपने भीगे यौवन का नजारा पेश कर रही थी उसे इस बात कि खबर भी नहीं थी कि फारुख जन्नत के दरवाजे को देख रहा है.

फारुख के कथन से अनुश्री को कुछ देर पहले हुआ वाक्या याद आ गया, बिजली के डर से वो आधे मे ही उठ के भाग खड़ी हुई थी, कुछ....पेशाब कि बूंदो ने उसकी जांघो और चादर को भी गिला कर दिया था.

"हहहब्ब......हाँ....हाँ.....ननणणन......ना...नहीं....." अनुश्री हाँ ही बोलना चाहती थी लेकीन पेशाब अभी भी उसकी योनि मे एकत्रित था.
"तो......वापस जाना है?"

"नननन.....नहीं...नहीं ठीक है अब " अनुश्री वापस जाने के नाम से ही घबरा गई.
क्रमशः...


आगे पढ़ने के लिए लिंक पे जाये.
शाम तक और भी अपडेट आपकी प्रतीक्षा मे है 👍
 
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