• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica मेरी बीवी अनुश्री

आपकी पसंदीदा कौन है?

  • अनुश्री

    Votes: 190 71.7%
  • रेखा

    Votes: 44 16.6%
  • अंब्दुल

    Votes: 57 21.5%
  • मिश्रा

    Votes: 18 6.8%
  • चाटर्जी -मुख़र्जी

    Votes: 28 10.6%
  • फारुख

    Votes: 12 4.5%

  • Total voters
    265

andypndy

Active Member
702
2,904
139
अपडेट -8

ट्रैन जिस रफ़्तार से चल रही थी उसकी दुंगनी गति से अनुश्री कि दिल कि धड़कन दौड़ रही थी.
धाड़ धाड़....करती जैसे ट्रैन से कॉम्पीटिशन चल रहा हो,इस दौड़ते दिल कि वजह अब्दुल द्वारा काहे गए शब्द थे "मैडम आप अपनी गांड मेरे लंड पे घिस रही है "
सीधे सीधे बोले गए ये शब्द अनुश्री को पाताल तक घसीट लाये थे उसने ऐसी हरकत आज तक नहीं कि थी उसका बदन शर्म लज्जा हया से बिलकुल भीग गया था झुरझुरी सी आ गई थी.
उसे याद आया कि जब वो मंगेश के साथ सम्भोग करती थी तो सिर्फ लंड को अंदर डाल के धक्के मार दिया करता था,लेकिन ये...ये...क्या ऐसा लिंग जो पूरा का पूरा पीछे से आगे कि तरफ चुभ रहा था,नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता....अब्दुल झूठ बोल रहा है.
अनुश्री मन ही मन खुद से ही संघर्ष कर रही थी ये संघर्ष कब लंड कि लम्बाई तक आ गया उसे पता ही नहीं चला.
वो पराये मर्द के लंड पे अपनी गांड घिस रही थी ये मुद्दा नहीं था,मुद्दा तो ये था कि इतना बढ़ा कैसे, पल भर के लिए उसकी अंतरात्मा ने उसे झनझोड़ा जरूर था.
अब्दुल :- क्या हुआ मैडम डर गई क्या?
अनुश्री :- ककककक....क्या?
मिश्रा :- अरे अब्दुल ऐसा क्या कर दिया तूने देख मैडम कितनी डर गईं है कितना पसीना आ रहा है उनको,मिश्रा कि नजर साड़ी के अंदर बन रही स्तन के लकीर पे थी " देख पूरा ब्लाउज भीग गया है मैडम का "
images-1.jpg

अनुश्री मिश्रा कि बात सुन नीचे को झंका वही पाया जो सच था उसका पूरा ब्लाउज पसीने से तर बतर था इतना कि उसके स्तन के उभार साफ देखे जा सकते थे, निप्पल का आकर साफ जान पड़ता था और वो भाग्यशाली मिश्रा ही था जो ना जाने कुछ ढूंढ़ रहा था उस ब्लाउज मे,जैसे पता लगा रहा हो कि वो कामुक बिंदु कहाँ है स्तन का
नजर उठा के मिश्रा को तरफ देखा तो वो उसके स्तन को ही घूर रहा था.
अनुश्री जो पहले से ही काफ़ी सदमे मे थी उसकी हालात और ख़राब होने लगी "हे भगवान कहाँ फस गई मै " उसके मुँह से फुसफुसाहट निकली.
मिश्रा :- मैडम क्या करे गर्मी ही इतनी है हो जाता है अब देखो ना मुझे भी कितना पसीना आ रहा है ऐसा बोल उसने अपनी बालो से भरी छाती की तरफ ऊँगली दिखाई.
ना चाहते हुए भी अनुश्री कि नजर पड़ गई जहाँ मिश्रा के सीने पे पसीने से घने बाल आपस मे चिपके हुए थे.
मर्दाना छाती थी मिश्रा कि जिसमे से उठती पसीने कि मर्दना गंध अनुश्री ने साफ महसूसू कि.
मिश्रा :- हम तो फिर भी शर्ट खोल लिए है मैडम लेकिन आप लेडीज लोगो कि समस्या है आप खोल नहीं सकती ना ऐसा बोल मिश्रा ने बड़ी ही हसरत भरी निगाह से भीगे हुए स्तन कि और इशारा किया.
अनुश्री :- ये क्या बोल रहे हो...शर्म नहीं आती.
मिश्रा :- शर्म कैसी मैडम अब गर्मी का यही तो इलाज है ना कपडे खोल दो हवा लगने दो.
मिश्रा बार बार उसके स्तन कि ओर इशारा कर रहा था.
अनुश्री सब समझ रही थी कि तभी पीछे से अब्दुल कि आवाज़ ने ध्यान भंग किया
" मैडम बुरा ना मैने तो एक आईडिया दू आपको जिस से आपकी पसीने से होती खुजली भी मिट जयेगी और आपको अपनी गांड मेरे लंड पे रागडनी भी नहीं पड़ेगी" बोल के अब्दुल थोड़ा आगे को हो फिर से अपने लंड को उसकी गांड पे चिपका दिया.
फिर वही शब्द गांड लंड अनुश्री बार बार वहा से ध्यान हटा रही थी और अब्दुल बार बार उसे वही खिंच लाता.
"उम्मम्मम्म....गांड पे वापस से मुलयाम लम्बी चीज चिपकने से उसे वापस से वही राहत का अनुभव हुआ,परन्तु उसे इस बार पता था कि ये लम्बी सी चीज क्या है,अनुश्री धक्के से थोड़ा आगे को हुई तो मिश्रा पे गिरने लगी,अब इस गिरने से बचने का एक ही तरीका था अनुश्री ने वापस से अपना हाथ उठा मिश्रा के पीछे दिवार पे लगा दिया.
मिश्रा के पाजामे मे तो बाहर ही आ गई वापस से ये दृश्य देख के परन्तु इस बार कांख पहले से ज्यादा भीगी हुई थी,मिश्रा उस भीगी कांख से मदहोश हो रहा था.
images-2.jpg

"एक तो तुम ठीक से खड़े हो,बार बार वजन मत डालो मुझ पे " अनुश्री ने गर्दन घुमा के अब्दुल को घूरते हुए बोला.
20211223-155619.jpg

अब्दुल :- अब क्या करू मैडम भीड़ और ट्रैन कि धक्को कि वजह से ऐसा हो जा रहा है. बोल के अब्दुल ने एक बार नीचे से ऊपर कि तरफ अपने लंड को घिस के अलग हो गया.
"आअह्ह्ह....अनुश्री को आनंद कि अनुभूति हुई एक खास आनंद कि परन्तु होता है ना जब खुजली होती है तो उसे खुजने का ही मन करता है अच्छे से,खुजली भी अच्छी लगती है खुजलाने मे.
लेकिन ये क्या अब्दुल तो पीछे हट गया, अनुश्री के गुदा द्वारा मे पसीना अपना करतब बराबर दिखा रहा था.
उसे इस घिसाव से पल भर कि ही राहत मिली

अब्दुल :- बोलो ना मैडम आईडिया दू क्या?
अनुश्री जो कि उनके खेल का हिस्सा बन चुकी थी लेकिन वो खिलाडी नहीं थी वो तो बॉल थी कभी इस पाले कभी उस पाले.
"बबबब.....बोलिये?"
अब्दुल :- जैसे मिश्रा ने अपनी शर्ट के बटन खोल दिए है वैसे आप भी अपनी पसीने से भीगी कच्छी को उतर दीजिये हवा लगेगी तो राहत मिलेगी.
अनुश्री को तो काटो तो खून नहीं उसे एक अजनबी आदमी पैंटी उतारने को बोल रहा था वो भी ट्रैन मे,भीड़ मे सबके सामने "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा बोलने कि " इस बार वाकई उस कि आँखों मे गुस्सा था.
अब्दुल :- अरे...अरे...मैडम बात तो पूरी सुना करो आप बात बात पे गुस्सा करती है जब कि हम आप का भला चाह रहे है,
अब हम हमसफर है.
"अब हम हमसफ़र है " अब्दुल कि ये बात ना जाने क्यों अनुश्री के दिल मे उतर गई.
अनुश्री :- लेकिन....लेकिन....नहीं नहीं...ऐसा कैसे?
अब्दुल ने अनुश्री के कंधे पे हाथ रख दिया और हल्का सा सहला दिया जैसे कुछ समझाना चाह रहा हो जैसे हमदर्दी जता रहा हो "मै समझ सकता हूँ मैडम आप औरतों कि हज़ारो समस्या होती है हम मर्दो कि तरह थोड़ी ना कि कही भी कपडे खोल दिये,अब देखिये ना आपकी कच्छी पूरी आपकी गांड से चिपक गई है आपके छेद मे खुजली हो रही है इसलिए आप बात बात पे झुंझला भी रही है "
अब्दुल कि एक एक बात उसके कान से होती दिल मे धस्ती जा रही थी,कैसे कोई अनजान व्यक्ति उसकी समस्या को इतने अच्छे से समझ रहा है,बाकि का काम उसके खुर्दरे हाथ कर रहे थे जो कि लगातार अनुश्री के कंधे पे चल रहे थे.
अनुश्री को ये स्पर्श और उसकी बाते अच्छी लग रही थी जैसे कोई दिव्य ज्ञान हो,आज तक इतने प्यार से किसी ने नहीं सहलाया था उसे.
मिश्रा :- सही तो कह रहा है मैडम अब्दुल कच्छी उतार देंगी तो हवा लगेगी वहा,वरना गर्मी से आप बीमार पड़ जाएंगी.
गजब के हमदर्द लोग मिले थे अनुश्री को

अनुश्री :- पर...पर.....यहाँ?
अब्दुल और मिश्रा के चेहरे पे एक कातिल मुस्कान आ गई अनुश्री ने विरोध नहीं किया था सिर्फ भीड़ कि वजह से डर रही थी.
अब्दुल :- मैडम यहाँ भीड़ मे कौन देख रहा है वैसे भी आप मेरे आगे है किसी को कुछ नहीं दिख रहा है,हम सबसे कोने मे खड़े है

अनुश्री ने अब्दुल कि बात मान आस पास का जायजा लिया तो अब्दुल को ठीक ही पाया किसी का ध्यान इधर नहीं था अपितु भीड़ ऐसी थी कि अनुश्री लम्बे चोड़े अब्दुल के आगे दिख ही नहीं रही थी
उसके जहन मे ये बात वाजिब लगी थी क्यूंकि आज उसकी सबसे बड़ी दुश्मन उसकी पैंटी ही बन गई थी वो उसकी चुत और गांड कि दरार मे एक दम घुस चुकी थी.
लेकिन क्या करे कि उसके संस्कार, दिल तो इस बात को मान गया था परन्तु उसका दिमाग़ अभी भी लड़ रहा था.
अब्दुल :- सोचिये मत मैडम अभी अगला स्टेशन आने मे बहुत टाइम है तब तक तो ना जाने क्या हाल होगा आपका खुजली से.
खुजली शब्द सुनते ही अनुश्री का ध्यान वापस से अपनी जांघो के बीच चला गया जहाँ अब बर्दाश्त करना मुश्किल था अब्दुल भी पीछे हट गया था.खुजली कि याद आते हूँ उसे मिटाने कि चाहत मे उसने अपनी गांड को हल्का सा पीछे किया परन्तु इस बार अब्दुल भी तैयार था जैसे ही अनुश्री को पीछे होता देख खुद भी पीछे हो गया,अनुश्री को नाकामी ही हाथ लगी
अब्दुल और मिश्रा उसके मनोस्थिति से खूब खेल रहे थे.
मिश्रा :- सोचिये मत मैडम हाथ अंदर डाल के नीचे कर के निकाल लीजिये कौन देख रहा है यहाँ.
अनुश्री का दिल धाड़ धाड़ चल रहा था वो एक ऐसा कदम उठाने का मन बना चुकी थी उसे नहीं करना चाहिए था, लेकिन क्या करे कि उसका बदन और कामवासना कि हलकी सी चिंगारी ने उसे मजबूर कर दिया था.
उसे आज इन दोनों को सलाह एक दम उपयुक्त लग रही थी,अनुश्री ने एक जोर कि सांस अंदर खींची और बाहर छोड़ दी हवा का गुब्बारा मिश्रा के चेहरे से टकराया.
मिश्रा तो वैसे ही मदहोश था वो तो कब से अनुश्री के मस्त पसीने से भीगी कांख के दर्शन कर रहा था.
अनुश्री :- ये पर्स पकड़ना तो,अनुश्री ने अपना पर्स सामने मिश्रा को थमा दिया.
उसे ये पल मजबूर नहीं अपितु रोमांचित कर रहा था,जो वो करने जा रही थी ऐसा करने का माद्दा हर किसी मे नहीं होता लेकिन जो रोमांच होता है उसे अनुभव करना था, वो पूरी भीड़ के सामने अपनी पैंटी उतारने जा रही थी पसीने से भीगी पैंटी.
अनुश्री हल्का सा झुक गई, अब्दुल और मिश्रा कि सांसे थम गई थी जैसे कि क्रिकेट मैच मे लास्ट बोल पे छक्का लगाना हो.
अनुश्री ने अपनी साड़ी को पकड़ हल्का सा ऊपर उठा दिया,घुटने तक जिसे सिर्फ मिश्रा ही देख पाया,
मिश्रा :- क्या गोरी अप्सरा है घुटने ही ऐसे गोरे है तो चुत कैसी होंगी? मिश्रा का मन बावला हो गया था क्यूंकि उसके ऊपर आज कामदेव मेहरबान था.
अनुश्री पल भर के लिए रुकी परन्तु उसके दिल मे जी रोमांच उठा था उसने उसके हाथ आगे बड़ा दिए,साड़ी हलकी से और ऊपर हुई,थोड़ी सी और ऊपर....कि अनुश्री के हाथ मे पैंटी का निचला भाग आ गया,
इस क्रिया मे अनुश्री अनजाने ही ज्यादा झुक गई जिस वजह से उसके बड़े और कैसे हुए कुले पुरे बाहर को आ गए,
अब्दुल ये नजारा देख के बर्दाश्त ना कर सका,उसने अपना कमर का हिस्सा थोड़ा आगे कर अनुश्री कि नितम्भो मे घुसा दिया.
ये टकराव सीधा अनुश्री के गुदा चिद्र पे हुआ था.
"आआकहहहहहह....आउच....ये क्या कर रहे हो " अनुश्री वापस से सीधी खड़ी हो गई. उसने अनजानी सी चाह मे अपने गुदा द्वारा को अंदर कि तरफ भींच लिया.
मिश्रा कि आँखों मे तो जैसे खून ही उतर आया हो.
उसने खा जाने वाली नजरों से अब्दुल कि ओर देखा.
अब्दुल :- माफ़ करना मैडम आप कि सुंदरता देख मै खुद को रोक नहीं पाया
अब्दुल ने इस बार साफ अपनी गलती स्वीकार कर ली थी,
अब्दुल के मुँह से अपनी सुंदरता कि तारीफ सुन अनुश्री का दिल झूम उठा उसे अब इस खेल मे आनंद मिल रहा था, उसने आज तक अपने पति के मुँह से भी ऐसी बाते नहीं सुनी थी.
अनुश्री थोड़ा रिलैक्स हुई और अपने गुदा द्वारा को वापस छोड़ दिया,परन्तु उस खिचाव मे जो मजा वो महसूस कर रही थी वो अलग था,इस दुनिया से परे कि बात थी.
उसे साफ पता था कि जो अभी चुभा वो क्या था परन्तु इस कदर मोटा कि पुरे नितम्भ पे ही उसका दबाव महसूस हुआ.
अब उसके दिल मे जिज्ञासा उठने लगी थी कि ये चीज वाकई वही है जो वो सोच रही है

अब्दुल :- मैडम आपकी कसी गांड देख के आपकी खुजली मिटाने को आतुर हो गया था मेरा लंड.
अनुश्री जो कि अभी सोच मे ही थी उसे अब्दुल कि बात ने गहरा धक्का दिया,अब्दुल एक के बाद एक प्रहार कर रहा था.
"क्या मै वाकई इतनी सुन्दर हूँ,मेरा बदन इतना कसा हुआ है कि एक मर्द खुद को रोक ही नहीं पाया " सोचते हुए अनुश्री बोली "तुम सीधे खड़े रहो वैसे ही गर्मी बहुत है और झूठ कम बोला करो इतनी भी सुन्दर नहीं हूँ मै, ये बात बोल के पीछे कि तरफ देख इस बार हलकी सी मुस्करा दी अनुश्री.
अब्दुल तो घायल ही हो गया इस मुश्कुराहट मे "सच कह रहे है मैडम "
अनुश्री :- लेकिन ये कैसी गन्दी भाषा बोलते हो तुम लोग.
"अब आपका बदन कसा हुआ है तो का करे मैडम "इस बार मिश्रा ने जवाब दिया जिसके चेहरे पे गुस्सा दिख रहा था क्यूंकि इसे वो अनमोल खजाना दिखने वाला था जो कभी सपने मे भी नहीं सोचा था
परन्तु अब्दुल ने जल्दबाज़ी मे काम ख़राब कर दिया.
मिश्रा :- आपकी खुजली मिटी क्या मैडम? कच्छी उतार दीजिये ना

मिश्रा कि आवाज़ मे एक याचना थी,जैसे कि अनुश्री ने बात नहीं मानी तो रो पड़ेगा अभी.
अनुश्री को मिश्रा कि मासूम बाते और चेहरा काफ़ी पसंद आता था,बोलता ही इतने प्यार से था

उसे याद ही नहीं था कि शादी के बाद उस से इतने प्यार से कोई बात कि हो,कोई विनती कि हो.
अनुश्री अब दोनों के सतब सहज़ हो गई थी "हाँ....हान...गर्मी तो लग रही है खुजली भी है "
इस बार बिना अटके बिना शर्म के अपनी गुदा द्वारा कि खुजली के बारे मे उसने बोला था,वाह क्या आनंद था क्या रोमांच था जिसे अनुश्री खूब महसूस कर रही थी.
इस रोमांच मे उसकी पैंटी और भी ज्यादा गीली हो गई थी उसकी छोटी सी चुत से एक दो बून्द कामरस जो टपक गया था.
अब्दुल :- तो उतार दीजिये ना मैडम,अब्दुल कि आवाज़ मे मदहोशी थी जो कि अनुश्री के कान मे किसी शहद कि तरह घुल गई.
अब अनुश्री भी सारी लाज हया छोड़ इन दोनो के रंग मे रंग गई थी उसे अपने नीरस वैवाहिक जीवन मे रोमांच दिख रहा था

अनुश्री हल्का सा झुक गई, साड़ी पहले कि भांति घुटनो तक ऊपर कि और अंदर हाथ डाल के उस मुसीबत को पकड़ लिया जो इन सब कि जिम्मेदार थी,अपनी पैंटी का निचला हिस्सा पकड़ उसने नीचे को सरका दिया, पैंटी का कसाव हटना था कि पैंटी खुद बात खुद पैरो मे सैंडल पे आ गिरी.
images-4.jpg


आगे यहाँ पढ़े.

सफर जारी है
 
Last edited by a moderator:

Sabi

New Member
33
38
33
अपडेट -8

ट्रैन जिस रफ़्तार से चल रही थी उसकी दुंगनी गति से अनुश्री कि दिल कि धड़कन दौड़ रही थी.
धाड़ धाड़....करती जैसे ट्रैन से कॉम्पीटिशन चल रहा हो,इस दौड़ते दिल कि वजह अब्दुल द्वारा काहे गए शब्द थे "मैडम आप अपनी गांड मेरे लंड पे घिस रही है "
सीधे सीधे बोले गए ये शब्द अनुश्री को पाताल तक घसीट लाये थे उसने ऐसी हरकत आज तक नहीं कि थी उसका बदन शर्म लज्जा हया से बिलकुल भीग गया था झुरझुरी सी आ गई थी.
उसे याद आया कि जब वो मंगेश के साथ सम्भोग करती थी तो सिर्फ लंड को अंदर डाल के धक्के मार दिया करता था,लेकिन ये...ये...क्या ऐसा लिंग जो पूरा का पूरा पीछे से आगे कि तरफ चुभ रहा था,नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता....अब्दुल झूठ बोल रहा है.
अनुश्री मन ही मन खुद से ही संघर्ष कर रही थी ये संघर्ष कब लंड कि लम्बाई तक आ गया उसे पता ही नहीं चला.
वो पराये मर्द के लंड पे अपनी गांड घिस रही थी ये मुद्दा नहीं था,मुद्दा तो ये था कि इतना बढ़ा कैसे, पल भर के लिए उसकी अंतरात्मा ने उसे झनझोड़ा जरूर था.
अब्दुल :- क्या हुआ मैडम डर गई क्या?
अनुश्री :- ककककक....क्या?
मिश्रा :- अरे अब्दुल ऐसा क्या कर दिया तूने देख मैडम कितनी डर गईं है कितना पसीना आ रहा है उनको,मिश्रा कि नजर साड़ी के अंदर बन रही स्तन के लकीर पे थी " देख पूरा ब्लाउज भीग गया है मैडम का "
images-1.jpg

अनुश्री मिश्रा कि बात सुन नीचे को झंका वही पाया जो सच था उसका पूरा ब्लाउज पसीने से तर बतर था इतना कि उसके स्तन के उभार साफ देखे जा सकते थे, निप्पल का आकर साफ जान पड़ता था और वो भाग्यशाली मिश्रा ही था जो ना जाने कुछ ढूंढ़ रहा था उस ब्लाउज मे,जैसे पता लगा रहा हो कि वो कामुक बिंदु कहाँ है स्तन का
नजर उठा के मिश्रा को तरफ देखा तो वो उसके स्तन को ही घूर रहा था.
अनुश्री जो पहले से ही काफ़ी सदमे मे थी उसकी हालात और ख़राब होने लगी "हे भगवान कहाँ फस गई मै " उसके मुँह से फुसफुसाहट निकली.
मिश्रा :- मैडम क्या करे गर्मी ही इतनी है हो जाता है अब देखो ना मुझे भी कितना पसीना आ रहा है ऐसा बोल उसने अपनी बालो से भरी छाती की तरफ ऊँगली दिखाई.
ना चाहते हुए भी अनुश्री कि नजर पड़ गई जहाँ मिश्रा के सीने पे पसीने से घने बाल आपस मे चिपके हुए थे.
मर्दाना छाती थी मिश्रा कि जिसमे से उठती पसीने कि मर्दना गंध अनुश्री ने साफ महसूसू कि.
मिश्रा :- हम तो फिर भी शर्ट खोल लिए है मैडम लेकिन आप लेडीज लोगो कि समस्या है आप खोल नहीं सकती ना ऐसा बोल मिश्रा ने बड़ी ही हसरत भरी निगाह से भीगे हुए स्तन कि और इशारा किया.
अनुश्री :- ये क्या बोल रहे हो...शर्म नहीं आती.
मिश्रा :- शर्म कैसी मैडम अब गर्मी का यही तो इलाज है ना कपडे खोल दो हवा लगने दो.
मिश्रा बार बार उसके स्तन कि ओर इशारा कर रहा था.
अनुश्री सब समझ रही थी कि तभी पीछे से अब्दुल कि आवाज़ ने ध्यान भंग किया
" मैडम बुरा ना मैने तो एक आईडिया दू आपको जिस से आपकी पसीने से होती खुजली भी मिट जयेगी और आपको अपनी गांड मेरे लंड पे रागडनी भी नहीं पड़ेगी" बोल के अब्दुल थोड़ा आगे को हो फिर से अपने लंड को उसकी गांड पे चिपका दिया.
फिर वही शब्द गांड लंड अनुश्री बार बार वहा से ध्यान हटा रही थी और अब्दुल बार बार उसे वही खिंच लाता.
"उम्मम्मम्म....गांड पे वापस से मुलयाम लम्बी चीज चिपकने से उसे वापस से वही राहत का अनुभव हुआ,परन्तु उसे इस बार पता था कि ये लम्बी सी चीज क्या है,अनुश्री धक्के से थोड़ा आगे को हुई तो मिश्रा पे गिरने लगी,अब इस गिरने से बचने का एक ही तरीका था अनुश्री ने वापस से अपना हाथ उठा मिश्रा के पीछे दिवार पे लगा दिया.
मिश्रा के पाजामे मे तो बाहर ही आ गई वापस से ये दृश्य देख के परन्तु इस बार कांख पहले से ज्यादा भीगी हुई थी,मिश्रा उस भीगी कांख से मदहोश हो रहा था.
images-2.jpg

"एक तो तुम ठीक से खड़े हो,बार बार वजन मत डालो मुझ पे " अनुश्री ने गर्दन घुमा के अब्दुल को घूरते हुए बोला.
20211223-155619.jpg

अब्दुल :- अब क्या करू मैडम भीड़ और ट्रैन कि धक्को कि वजह से ऐसा हो जा रहा है. बोल के अब्दुल ने एक बार नीचे से ऊपर कि तरफ अपने लंड को घिस के अलग हो गया.
"आअह्ह्ह....अनुश्री को आनंद कि अनुभूति हुई एक खास आनंद कि परन्तु होता है ना जब खुजली होती है तो उसे खुजने का ही मन करता है अच्छे से,खुजली भी अच्छी लगती है खुजलाने मे.
लेकिन ये क्या अब्दुल तो पीछे हट गया, अनुश्री के गुदा द्वारा मे पसीना अपना करतब बराबर दिखा रहा था.
उसे इस घिसाव से पल भर कि ही राहत मिली

अब्दुल :- बोलो ना मैडम आईडिया दू क्या?
अनुश्री जो कि उनके खेल का हिस्सा बन चुकी थी लेकिन वो खिलाडी नहीं थी वो तो बॉल थी कभी इस पाले कभी उस पाले.
"बबबब.....बोलिये?"
अब्दुल :- जैसे मिश्रा ने अपनी शर्ट के बटन खोल दिए है वैसे आप भी अपनी पसीने से भीगी कच्छी को उतर दीजिये हवा लगेगी तो राहत मिलेगी.
अनुश्री को तो काटो तो खून नहीं उसे एक अजनबी आदमी पैंटी उतारने को बोल रहा था वो भी ट्रैन मे,भीड़ मे सबके सामने "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा बोलने कि " इस बार वाकई उस कि आँखों मे गुस्सा था.
अब्दुल :- अरे...अरे...मैडम बात तो पूरी सुना करो आप बात बात पे गुस्सा करती है जब कि हम आप का भला चाह रहे है,
अब हम हमसफर है.
"अब हम हमसफ़र है " अब्दुल कि ये बात ना जाने क्यों अनुश्री के दिल मे उतर गई.
अनुश्री :- लेकिन....लेकिन....नहीं नहीं...ऐसा कैसे?
अब्दुल ने अनुश्री के कंधे पे हाथ रख दिया और हल्का सा सहला दिया जैसे कुछ समझाना चाह रहा हो जैसे हमदर्दी जता रहा हो "मै समझ सकता हूँ मैडम आप औरतों कि हज़ारो समस्या होती है हम मर्दो कि तरह थोड़ी ना कि कही भी कपडे खोल दिये,अब देखिये ना आपकी कच्छी पूरी आपकी गांड से चिपक गई है आपके छेद मे खुजली हो रही है इसलिए आप बात बात पे झुंझला भी रही है "
अब्दुल कि एक एक बात उसके कान से होती दिल मे धस्ती जा रही थी,कैसे कोई अनजान व्यक्ति उसकी समस्या को इतने अच्छे से समझ रहा है,बाकि का काम उसके खुर्दरे हाथ कर रहे थे जो कि लगातार अनुश्री के कंधे पे चल रहे थे.
अनुश्री को ये स्पर्श और उसकी बाते अच्छी लग रही थी जैसे कोई दिव्य ज्ञान हो,आज तक इतने प्यार से किसी ने नहीं सहलाया था उसे.
मिश्रा :- सही तो कह रहा है मैडम अब्दुल कच्छी उतार देंगी तो हवा लगेगी वहा,वरना गर्मी से आप बीमार पड़ जाएंगी.
गजब के हमदर्द लोग मिले थे अनुश्री को

अनुश्री :- पर...पर.....यहाँ?
अब्दुल और मिश्रा के चेहरे पे एक कातिल मुस्कान आ गई अनुश्री ने विरोध नहीं किया था सिर्फ भीड़ कि वजह से डर रही थी.
अब्दुल :- मैडम यहाँ भीड़ मे कौन देख रहा है वैसे भी आप मेरे आगे है किसी को कुछ नहीं दिख रहा है,हम सबसे कोने मे खड़े है

अनुश्री ने अब्दुल कि बात मान आस पास का जायजा लिया तो अब्दुल को ठीक ही पाया किसी का ध्यान इधर नहीं था अपितु भीड़ ऐसी थी कि अनुश्री लम्बे चोड़े अब्दुल के आगे दिख ही नहीं रही थी
उसके जहन मे ये बात वाजिब लगी थी क्यूंकि आज उसकी सबसे बड़ी दुश्मन उसकी पैंटी ही बन गई थी वो उसकी चुत और गांड कि दरार मे एक दम घुस चुकी थी.
लेकिन क्या करे कि उसके संस्कार, दिल तो इस बात को मान गया था परन्तु उसका दिमाग़ अभी भी लड़ रहा था.
अब्दुल :- सोचिये मत मैडम अभी अगला स्टेशन आने मे बहुत टाइम है तब तक तो ना जाने क्या हाल होगा आपका खुजली से.
खुजली शब्द सुनते ही अनुश्री का ध्यान वापस से अपनी जांघो के बीच चला गया जहाँ अब बर्दाश्त करना मुश्किल था अब्दुल भी पीछे हट गया था.खुजली कि याद आते हूँ उसे मिटाने कि चाहत मे उसने अपनी गांड को हल्का सा पीछे किया परन्तु इस बार अब्दुल भी तैयार था जैसे ही अनुश्री को पीछे होता देख खुद भी पीछे हो गया,अनुश्री को नाकामी ही हाथ लगी
अब्दुल और मिश्रा उसके मनोस्थिति से खूब खेल रहे थे.
मिश्रा :- सोचिये मत मैडम हाथ अंदर डाल के नीचे कर के निकाल लीजिये कौन देख रहा है यहाँ.
अनुश्री का दिल धाड़ धाड़ चल रहा था वो एक ऐसा कदम उठाने का मन बना चुकी थी उसे नहीं करना चाहिए था, लेकिन क्या करे कि उसका बदन और कामवासना कि हलकी सी चिंगारी ने उसे मजबूर कर दिया था.
उसे आज इन दोनों को सलाह एक दम उपयुक्त लग रही थी,अनुश्री ने एक जोर कि सांस अंदर खींची और बाहर छोड़ दी हवा का गुब्बारा मिश्रा के चेहरे से टकराया.
मिश्रा तो वैसे ही मदहोश था वो तो कब से अनुश्री के मस्त पसीने से भीगी कांख के दर्शन कर रहा था.
अनुश्री :- ये पर्स पकड़ना तो,अनुश्री ने अपना पर्स सामने मिश्रा को थमा दिया.
उसे ये पल मजबूर नहीं अपितु रोमांचित कर रहा था,जो वो करने जा रही थी ऐसा करने का माद्दा हर किसी मे नहीं होता लेकिन जो रोमांच होता है उसे अनुभव करना था, वो पूरी भीड़ के सामने अपनी पैंटी उतारने जा रही थी पसीने से भीगी पैंटी.
अनुश्री हल्का सा झुक गई, अब्दुल और मिश्रा कि सांसे थम गई थी जैसे कि क्रिकेट मैच मे लास्ट बोल पे छक्का लगाना हो.
अनुश्री ने अपनी साड़ी को पकड़ हल्का सा ऊपर उठा दिया,घुटने तक जिसे सिर्फ मिश्रा ही देख पाया,
मिश्रा :- क्या गोरी अप्सरा है घुटने ही ऐसे गोरे है तो चुत कैसी होंगी? मिश्रा का मन बावला हो गया था क्यूंकि उसके ऊपर आज कामदेव मेहरबान था.
अनुश्री पल भर के लिए रुकी परन्तु उसके दिल मे जी रोमांच उठा था उसने उसके हाथ आगे बड़ा दिए,साड़ी हलकी से और ऊपर हुई,थोड़ी सी और ऊपर....कि अनुश्री के हाथ मे पैंटी का निचला भाग आ गया,
इस क्रिया मे अनुश्री अनजाने ही ज्यादा झुक गई जिस वजह से उसके बड़े और कैसे हुए कुले पुरे बाहर को आ गए,
अब्दुल ये नजारा देख के बर्दाश्त ना कर सका,उसने अपना कमर का हिस्सा थोड़ा आगे कर अनुश्री कि नितम्भो मे घुसा दिया.
ये टकराव सीधा अनुश्री के गुदा चिद्र पे हुआ था.
"आआकहहहहहह....आउच....ये क्या कर रहे हो " अनुश्री वापस से सीधी खड़ी हो गई. उसने अनजानी सी चाह मे अपने गुदा द्वारा को अंदर कि तरफ भींच लिया.
मिश्रा कि आँखों मे तो जैसे खून ही उतर आया हो.
उसने खा जाने वाली नजरों से अब्दुल कि ओर देखा.
अब्दुल :- माफ़ करना मैडम आप कि सुंदरता देख मै खुद को रोक नहीं पाया
अब्दुल ने इस बार साफ अपनी गलती स्वीकार कर ली थी,
अब्दुल के मुँह से अपनी सुंदरता कि तारीफ सुन अनुश्री का दिल झूम उठा उसे अब इस खेल मे आनंद मिल रहा था, उसने आज तक अपने पति के मुँह से भी ऐसी बाते नहीं सुनी थी.
अनुश्री थोड़ा रिलैक्स हुई और अपने गुदा द्वारा को वापस छोड़ दिया,परन्तु उस खिचाव मे जो मजा वो महसूस कर रही थी वो अलग था,इस दुनिया से परे कि बात थी.
उसे साफ पता था कि जो अभी चुभा वो क्या था परन्तु इस कदर मोटा कि पुरे नितम्भ पे ही उसका दबाव महसूस हुआ.
अब उसके दिल मे जिज्ञासा उठने लगी थी कि ये चीज वाकई वही है जो वो सोच रही है

अब्दुल :- मैडम आपकी कसी गांड देख के आपकी खुजली मिटाने को आतुर हो गया था मेरा लंड.
अनुश्री जो कि अभी सोच मे ही थी उसे अब्दुल कि बात ने गहरा धक्का दिया,अब्दुल एक के बाद एक प्रहार कर रहा था.
"क्या मै वाकई इतनी सुन्दर हूँ,मेरा बदन इतना कसा हुआ है कि एक मर्द खुद को रोक ही नहीं पाया " सोचते हुए अनुश्री बोली "तुम सीधे खड़े रहो वैसे ही गर्मी बहुत है और झूठ कम बोला करो इतनी भी सुन्दर नहीं हूँ मै, ये बात बोल के पीछे कि तरफ देख इस बार हलकी सी मुस्करा दी अनुश्री.
अब्दुल तो घायल ही हो गया इस मुश्कुराहट मे "सच कह रहे है मैडम "
अनुश्री :- लेकिन ये कैसी गन्दी भाषा बोलते हो तुम लोग.
"अब आपका बदन कसा हुआ है तो का करे मैडम "इस बार मिश्रा ने जवाब दिया जिसके चेहरे पे गुस्सा दिख रहा था क्यूंकि इसे वो अनमोल खजाना दिखने वाला था जो कभी सपने मे भी नहीं सोचा था
परन्तु अब्दुल ने जल्दबाज़ी मे काम ख़राब कर दिया.
मिश्रा :- आपकी खुजली मिटी क्या मैडम? कच्छी उतार दीजिये ना

मिश्रा कि आवाज़ मे एक याचना थी,जैसे कि अनुश्री ने बात नहीं मानी तो रो पड़ेगा अभी.
अनुश्री को मिश्रा कि मासूम बाते और चेहरा काफ़ी पसंद आता था,बोलता ही इतने प्यार से था

उसे याद ही नहीं था कि शादी के बाद उस से इतने प्यार से कोई बात कि हो,कोई विनती कि हो.
अनुश्री अब दोनों के सतब सहज़ हो गई थी "हाँ....हान...गर्मी तो लग रही है खुजली भी है "
इस बार बिना अटके बिना शर्म के अपनी गुदा द्वारा कि खुजली के बारे मे उसने बोला था,वाह क्या आनंद था क्या रोमांच था जिसे अनुश्री खूब महसूस कर रही थी.
इस रोमांच मे उसकी पैंटी और भी ज्यादा गीली हो गई थी उसकी छोटी सी चुत से एक दो बून्द कामरस जो टपक गया था.
अब्दुल :- तो उतार दीजिये ना मैडम,अब्दुल कि आवाज़ मे मदहोशी थी जो कि अनुश्री के कान मे किसी शहद कि तरह घुल गई.
अब अनुश्री भी सारी लाज हया छोड़ इन दोनो के रंग मे रंग गई थी उसे अपने नीरस वैवाहिक जीवन मे रोमांच दिख रहा था

अनुश्री हल्का सा झुक गई, साड़ी पहले कि भांति घुटनो तक ऊपर कि और अंदर हाथ डाल के उस मुसीबत को पकड़ लिया जो इन सब कि जिम्मेदार थी,अपनी पैंटी का निचला हिस्सा पकड़ उसने नीचे को सरका दिया, पैंटी का कसाव हटना था कि पैंटी खुद बात खुद पैरो मे सैंडल पे आ गिरी.
images-4.jpg

"आआहहहह......उफ्फ्फफ्फ्फ़..... अनुश्री सीधी खड़ी हो गई " उसके चेहरे पे जो सुकून था जो राहत थी वो शब्दों मे बयान नहीं कि जा सकती थी,
आज उसके बदन का सबसे भारी हिस्सा अलग कर दिया हो उसने ऐसा सुकून था.
मिश्रा के पीछे हाथ रखे अनुश्री ने आंख बंद कर एक राहत कि सांस छोडी.
मिश्रा :- मैडम एक पैर उठाइये ना?
अनुश्री को कोई आभास नहीं था कि मिश्रा क्या बोल रहा है बस उसने जो सुना वो कर दिया.
लेकिन जैसे ही अनुश्री ने आंखे खोली भोचक्की रह गई सामने मिश्रा के हाथो मे उसकी छोटी सी काली पैंटी थी जो पसीने और चुत रस से पूरी तरह भीगी हुई थी.
images-2.jpg

"ये.....ये.....क्या कर रहे हो तुम,मुझे दो वापस " अनुश्री जैसे धरातल पे वापस आई हो.
मिश्रा अनुश्री कि पैंटी को अपनी नाक से लगाए सूंघ रहा था वो भी उसी के सामने "क्या खुसबू है मैडम आपकी कच्छी कि,आपकी कांख से ज्यादा मोहक है "
अनुश्री कि हालात बिन पानी मछली कि तरह हो गई थी पूरा बदन जलने लगा था आंखे लाल थी, कैसे कोई आदमी उसकी पैंटी को सूंघ सकता है.
मिश्रा :- इतनी छोटी कच्छी कैसे पहन लेती हो मैडम आप,देखिये ना किस कदर भीग गई है. अब ऐसी छोटी कच्छी पहनेगी तो गांड मे घुसेगी ही ना

ऐसा बोल मिश्रा ने अनुश्री कि पैंटी को उसके सामने उजागर कर दिया.
अनुश्री कामवासना और लज्जात से मरी जा रही थी.
अभी ये कम ही था कि मिश्रा ने अनुश्री कि पैंटी को मुँह मे भर के जबरजस्त तरीके से चूस लिया.
मिश्रा का चूसना इस कदर हैवानियत भरा था कि अनुश्री को वो चूसन साफ अपनी चुत पे महसूस हुई,उसके पति ने एक दो बार उसकी चुत को अपनी जीभ से सहलाया था परन्तु यहाँ तो मिश्रा पूरी पैंटी का निचला हिस्सा ही मुँह मे घुसाए चूसने मे लगा था.
अनुश्री :- छी ये क्या कर रहे हो गन्दा......मेरी पैंटी मुझे दो. अनुश्री साफ देख रही थी कि उसकि पैंटी मे सफ़ेद सफ़ेद कुछ लगा है जिसे मिश्रा बड़े मजे से चूस रहा था.
अनुश्री इस दृश्य को देख एक दम काम विभोर हो गई इस कदर दृश्य क्या रोमांच पैदा करते है उससे आज परिचित हुई थी, एक तर उसका मन इस दृश्य को दिल्ली हिकारात भर रहा था वही दूसरी तरफ उसकी चुत को फिर से भिगोये जा रहा था.

मिश्रा :- मैडम क्या स्वाद है आपकी चुत का आआहहहह....... ऐसी चुत चखने के लिए मरना भी पड़े तो मंजूर है.
अब बात सीधी अनुश्री कि चुत पे आ गई थी
अभी अनुश्री इस सदमे से बाहर ही आती कि
अब्दुल :- टांग फैलाइये ना मैडम
अनुश्री हक्की बक्की "का...का...क्या?"
अब्दुल :- टांग चौड़ी कीजिये मैडम हवा लगने दीजिये तभी तो आपकी गांड कि खुजली मिटेगी.
अनुश्री दो तरफ़ा हमला झेल रही थी सामने एक आदमी उसकी पैंटी चाट रहा था और पीछे से एक आदमी उसे टांग चौड़ी करने को बोल रहा था.
अनुश्री किसी मोहपाश मे फस गई थी जिस से चाह के भी आज़ाद नहीं हो सकती थी,ना चाहते हुए भी अपनी दोनों टांगे अलग अलग फैला ली,एक ठंडी हवा का झोका साड़ी के अंदर प्रवेश कर गया.
"आआहहहह.....उम्म्म्म.....एक असीम शांति के अहसास ने अनुश्री के बदन को घेर लिया.
अब्दुल जो कि इसी मौके कि तलाश मे था उसने झट से अपनी कमर को आगे कर दिया,उसका लंड लुंगी के ऊपर से ही सीधा उसकी साड़ी के बीच गुदा द्वारा तक जा धसा.
"अअअअअ.....आउच...." अनुश्री के मुख से हलकी सी आह फुट पड़ी.
अंदुल लगातार अपने लंड को अनुश्री कि गांड मे आगे पीछे कर रहा था हर प्रहार उसके गुदा द्वारा तक जता फिर वापस लौट आता,पैंटी का अवरोध ख़त्म हो चूका था.
अब्दुल के लंड कि घिसावट उसकी गांड मे होती खुजली को मिटा रही थी,सामने मिश्रा उसकी पैंटी को ऐसे चाट रहा था जैसे उसकी चुत ही हो.
अनुश्री को अपनी नाभि के नीचे कुछ फटता सा महसूस हो रहा था,जैसे कुछ बाहर निकलना चाहता हो.
नाभि का दबाव सीधा चुत पे पड़ रहा था यही वो रास्ता था जहाँ से उसे निकलना था,
आअह्ह्हह्म.....उम्मम्मम......करती अनुश्री मिश्रा के ऊपर हाथ टिकाये उसे एक टक देखे जा रही थी पीछे अब्दुल साड़ी के ऊपर से ही अपने लंड को उसकी गांड पे घिस रहा था.
उसे ऐसा मजा ऐसा सुकून पहली बार मिल रहा था,इसी जद्दोजहद मे उसने अपनी गांड को कब पीछे कर दिया और खुद से अब्दुल के लंड पे मरने लगी उसे खुद को पता नहीं पड़ा.
"आआहहहहहह......उम्मम्मम.... नहीं नहीं.....मुँह मे नहीं था लेकिन उसका बदन हाँ कि तरफ ही था उसका पूरा बदन पसीने से सरोबर हो चूका था.
एक पल को उसने सर घुमा के अब्दुल कि तरफ देखा जैसे उसका धन्यवाद करना चाह रही हो
20211223-155609.jpg

ट्रैन ने एक झटका खाया....चूरररररर.....चररररररर....करती रुकने लगी.
!आआआहहहहहहह.....कि एक लम्बी सिसकारी अनुश्री के मुँह से निकाल गई जो कि ट्रैन के ब्रेक कि आवाज़ मे कही दब गई"
उसकी कांख और चेहरे से पसीना टपक रहा था सांसे फूल रही थी, उसकी चुत से फचफच करता पानी निकलने लगा था,उसे आज बिना सम्भोग के ही स्सखालन हुआ था.
"आअह्ह्हह्म....हम्म्म्मफ़्फ़्फ़.....हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़......करती सांसे भर थी
ट्रैन रुक चुकी थी.....ट्रिन....त्रिईई.....ट्रिन......करती उसकी मोबाइल कि घंटी बजने लगी.
उतरो भाई उतरो.... स्टेशन आ गया है बाहर से होती धक्का मुक्की और आवाज़ से अनुश्री होश मे आ गई थी
उसकी जाँघ बुरी तरह भीगी हुई लस लसा रही थी.
"हेलो....हाँ....उम्म्मफ्फ्फ्फफ्फ्फ़......हाँ मंगेश उतर रही हूँ मै "

स्टेशन आ गया था,अनुश्री संभल गई थी.
परन्तु क्या अनुश्री यही रुक जाएगी,या उसका ये रोमांच उसे जिंदगी कि नयी परिभाषा सिखाएगा?
बने रहिये कथा जारी है......
Awesome hot and wet update
 

andypndy

Active Member
702
2,904
139
अपडेट -10 सफर का आगाज़

डिब्बा D-3
"ऐ भिखारी तू अभी तक यही बैठा है चल भाग यहाँ से " रेखा के सामने रखा बैग सवारी ले के उतर गई थी जिस वजह से राजेश अपनी माँ को देख पा रहा जो सर पीछे किये सांसे भर रही थी,बदन पसीने से भीगा हुआ था.
"ऐ भिखारी हट यहाँ से क्या हुआ माँ क्या हुआ...." राजेश ने अपनी माँ रेखा के करीब आ के पूछा ट्रैन रुक गई थी मंगेश अनुश्री को लेने डब्बे से बाहर उतर गया था.
"कककक....कककक......कुछ नहीं बेटा बस गर्मी कि वजह से " बडी सफाई से वो अपने बदन कि बात दबा गई थी.
कैसे कह सकती थी को जिस भिखारी को तू भगा रहा है उसने उसके जीवन को नयी राहा दिखाई है,स्त्री होने का अहसास दिलाया है जिसे वो जिम्मेदारियों के बोझ तले भूल गई थी.
रेखा नजर भिखारी पे पड़ी जो उसे ही देख रहा था जाते हुए उसकी आँखों मे चमक थी ख़ुशी थी जैसे मन कि मुराद पूरी हो गई हो,राजवंती को उस भिखारी मे साक्षात् कामदेव नजर आ रहे थे
कउउउउउउउउउ.....ट्रैन चलने का संकेत हो गया था,भिखारी नजरों से ओझल हो चूका था.
ट्रैन झटके से चल पड़ी....
"राजेश मिलो अपनी भाभी से " मंगेश अनुश्री के साथ D3 डब्बे मे राजेश और राजवंती के सामने खड़ा था.
"और ये राजेश कि माता जी है " मंगेश ने अनुश्री को नमस्ते करने का इशारा किया

"नमस्ते आंटी जी,नमस्ते भैया " अनुश्री ने दोनों का अभिवादन किया.
और उसने राजेश कि तरफ देखा तो पाया राजेश एक सुन्दर गोरा पतला दुबला किसी लड़की कि तरह लचीला किस्म का लड़का था.
"अरे वाह बेटा बड़ी सुन्दर पत्नी है तुम्हारी तो,आओ बेटी यहाँ बैठो " राजवंती ने अनुश्री को अपने पास बैठा लिया.
अचानक माहौल पारिवारिक हो गया था
"राजेश के लिए भी तेरी जैसी ही खूबसूरत दुल्हन मिल जाये तो जिम्मेदारी से मुक्त हो जाऊ मै, इसके पापा के जाने के बाद बस यही एक जिम्मेदारी बची है मेरी " रेखा ने अनुश्री कि तारीफ और अपनी जिम्मेदारी एक साथ बता दी

राजेश :- क्या माँ आप भी जब देखो मेरी शादी
रेखा :- तो क्या जिंदगी भर मेरे पल्लू से ही बंधा रहेगा क्या?
इस बात पे सभी कि हसीं छूट गई, अनुश्री भी इस माहौल मे आ के पिछली घटना को भूल गई.
उसका दिल हल्का हो गया था.
रेखा अनुश्री आपस मे बाते कर रहे थे जहाँ मालूम हुआ कि शादी के 4 साल बाद भी अनुश्री गर्भवती नहीं हो पाई है
रेखा :- कोई ना बेटा होता है, भगवान जगन्नाथ के दरबार मे जो मांगो मिलता है
मेरा आशीर्वाद है कि तू यहाँ से खाली पेट ना जाये,ऐसा बोल के अनुश्री को आंख मार दी.
"क्या माँ जी आप भी ना शरारती है " अनुश्री ने शरमाते हुए कहा.
दोनों मे खूब जम गई थी जैसे कोई दोस्त हो रेखा कि बातो से लगता ही नहीं था कि वो इतने बड़े लड़के कि माँ है,इधर राजेश और मंगेश मे भी खूब छन रही थी.
बातो ही बातो मे रात के 8 बज गए पूरी स्टेशन आने ही वाला था,डब्बे मे गहमा गहमी शुरू हो गई थी.
मंगेश :- तो भई राजेश अब उतरते है कौनसा होटल बुक किया है तुमने?
राजेश :- अभी तो नहीं किया लेकिन पहुंच के देख लेंगे कोई छोटा मोटा होटल.
मंगेश :- तो हमारे साथ ही चलो 5स्टार होटल बुक किया है मैंने.
राजेश इस बात पे थोड़ा झेप गया "क्या भैया मै यहाँ हनीमून थोड़ी ना मनाने आया हूँ जो आपके साथ चल दू,2 दिन ही रुकना है हमें तो मंदिर दर्शन कर निकल जायेंगे वापस"
मंगेश :- अरे भई अब भैया भी बोलते हो बात भी काटते हो 2 दिन तो 2 दिन सही साथ रहो हमें भी अच्छा लगेगा क्यों अनुश्री? राजेश ने अनुश्री का भी समर्थन चाहा

अनुश्री :- तो और क्या माँ जी राजेश ठीक ही तो कह रहे है.
अनुश्री रेखा को आंटी से माँ जी बोल रही थी, उन दोनों मे खूब जम गई थी जैसे वाकई उसकी माँ हो बिलकुल दोस्त जैसी.
"अरे बेटा तुम लोग जवान हो कहाँ मुझ बुड्ढी पे टाइम वेस्ट कर रहे हो " रेखा ने दलील दी
अनुश्री :- ख़बरदार जो खुद को बुड्ढी बोला तो अभी भी कोई आदमी देख ले तो तुरंत शादी को राजी हो जाये अनुश्री मज़ाक मे बात कह गई.
लेकिन ये बात रेखा को बड़ी जोरदार लगी "क्या वो अभी भी इतनी जवान है,सुन्दर है?"
"धत पागल कुछ भी बोलती है " राजवंती ने बात काटी
सभी हॅस पड़े.
ट्रैन रूक गई थी फाइनल हुआ कि चारो एक ही होटल मे रुकेंगे.
चारो उतर अपनी मंजिल कि और बढ़ चले "होटल सी टॉप व्यू "

डिब्बा D1
"साले जल्दी उतर जल्दी होटल पहुंचना है वरना मालिक गुस्सा होगा " मिश्रा उतरते हुए अब्दुल को बोला
अब्दुल :- तू बेवजह ही डरता है मालिक खा थोड़ी ना जायेगा,उस मैडम कि कच्छी चूसते हुए तो डर नहीं लगा तुझे.
हेहेहेहेहेहे......दोनों हॅस पड़े.
मिश्रा :- ऐसी कच्छी नसीब वालो को ही मिलती है.
मिश्रा और अब्दुल पूरी के ही किसी होटल मे काम करते थे, जो कि आज ही छुट्टी से लौटे थे.
दोनों ने स्टेशन के बाहर से सवारी गाड़ी पकड़ी और चल पड़े अपने थर्ड क्लास "होटल मयूर " मे.
मिश्रा होटल मयूर का बावर्ची था और अब्दुल यहाँ का आलराउंडर मतलब कोई भी काम.कर लेता था प्लम्बर, इलेक्ट्रिसिन,गार्डनर,चौकीदारी सब कुछ.
दोनों ही अव्वल दर्जे के बदमाश थे,होटल मे महिला गेस्ट पे चांस मार लिया करते थे, सफलता तो कभी मिली नहीं परन्तु एक दो बार शिकायत जरूर होटल मालिक तक पहुंच गई थी,
मालिक कि और से सख्त हिदायत थी कि आगे से ऐसा हुआ तो नौकरी से जाओगे.
इन्हे सिर्फ मालिक का ही डर होता था बाकि तो राजा थे होटल मयूर के.
खेर दोनों अपनी मंजिल कि और बढ़ गए.

होटल सी टॉप व्यू
images-7.jpg

"कैसी बात कर रहे है आप?मैंने खुद बुकिंग कन्फर्म कि थी "
यहाँ मंगेश होटल के मैनेजर पे बरस रहा था.
मैनेजर :- आपकी बुकिंग कल को थी जो कि आप आये नहीं इसलिए रूम अलॉट नहीं हो सकता. और आज या कल के लिए कोई रूम खाली नहीं है बहुत भीड़ है भाईसाहब

मंगेश जलभून के रह गया क्या हो रहा है उसके साथ ऐसी गलती कैसे कर सकता है वो पहले टिकट कि तारीख गलत कर दी फिर होटल मे गलत बुकिंग का बोल दिया था
राजेश :- जाने दीजिये भैया बहुत होटल है हम कही और देख लेंगे
अनुश्री ने भी मंगेश को समझाया,लेकिन उसका दिल किसी अनजान सी आहट से कांप रहा था ना जाने क्या बात थी,उसे कुछ ठीक नहीं लग रहा था.
चारो जाने लगे कि तभी पीछे से "रुकिए सर....एक होटल है "
पीछे से मैनेजर ने आवाज़ दी.
"मेरे जानने वाले का ही होटल है जो इस वक़्त खाली भी मिल जायेगा, लेकिन 5स्टार नहीं है, मतलब AC वगैरह कि सुविधा नहीं है"
सभी कि बांन्छे खिल गई लेकिन अनुश्री के चेहरे पे चिंता कि लकीर थी.
मैनेजर :- सोचिये मत मैडम होटल आपको सस्ता भीं पड़ेगा और वैसे भी यहाँ कोई खास गर्मी पड़ती नहीं है,आपको कौनसा रूम मे रहना है दिन भर तो घूमते फिरते ही रहेंगे "
मैनेजर कि बात सभी को जच गई.
मैनेजर ने होटल का कार्ड मंगेश को थमा दिया,
मंगेश ने कार्ड ले के देखा "होटल मयूर "
चारो चल पड़े होटल मयूर कि ओर.
images-6.jpg


तो क्या अनुश्री कि घबराहट व्यर्थ नहीं थी?
ये कैसी नियति थी कि जहाँ से अनुश्री भाग रही है वापस वही पहुंच जा रही है?
बने रहिये कथा जारी है.....
 
Last edited:
Top