Bhai story achi jaa rahi hai , but plz jara lambe update dedo yaar 
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Supperub update.....अपडेट -17
अनुश्री बेपरवाह उस नज़ारे का लुत्फ़ ले रही थी जहाँ उसके बदन पे समुद्र से आती पानी के छींटे उसे भीगा रही थी.
उसकी साड़ी पूरी तरह गीली हो चुकी थी वो भूल ही गई थी कि वो अब्दुल के साथ आई थी,
साड़ी गीली होने से उसके स्तन और नितम्भ कि साफ झलक अब्दुल को मिल रही थू उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि मैडम को क्या हुआ है.
अब्दुल वही रेत पे बैठ गया,उसका एक हाथ अपने पाजामे के अंदर था उसे तो बिन मांगे ही शानदार नजारा देखने को मिल गया था.
अनुश्री थोड़ा आगे गई तो समुद्र का पानी उसके पैरो को भीगा के लौट चला.
"आअह्ह्ह....वाओ.....कितना अच्छा लग रहा है ये " अनुश्री खुद से ही बात कर रही थी वो इस पल को खोना नहीं चाहती थी
ठंडी हवा और रेत के कण उसके बदन से टकरा रहे थे, पानी कि लहर उसके पैरो को भीगा रुमानी अहसास करती.
पीछे बैठा अब्दुल उस हुश्न परी को खेलता देख रहा था बिन पलके झपकाये.
अनुश्री जब भागती तो उसके नितम्भ आपस मे ही एक दूसरे से टकरा जाते जैसे उनमे लड़ाई छिड़ गई हो कि मै बड़ा मै बड़ा.
इस नितम्भ कि लड़ाई मे फायदा अब्दुल को मिल रहा था ऐसा कामुक नजारा देख वो अपने लंड को घिसे जा रहा था,जैसे कोई चिराग है घिस घिस के वीर्य रुपी जिन्न बहार निकाल देगा
"आअह्ह्ह.....ये मैडम भी बात बात पे जान लेने पे उतारू रहती है,क्या गांड है इसकी अल्लाह कसम एक बार मिल जाये तो गांड से ले के मुँह टक रास्ता बना दू "
अब्दुल अभी सोच ही रहा था कि एक तेज़ लहर आ के अनुश्री से टकरा गई देखते ही देखते अनुश्री का बैलेंस बिगाड़ गया वो लहर के झटके से गिर पड़ी,पूरी लहर उसके ऊपर से हो के चली गई,
अनुश्री रेत मे पूरी तरह सन्न गई उसे जैसे होश आया हो एक दम से चौक के खड़ी हुई तो पाया कि उसकी पूरी साड़ी लहर के झटके से खुल चुकी है.
वो सिर्फ स्लीवलेस बलौउस और पेटीकोट मे खड़ी है,बाल रेत और पानी से सने चेहरे पे गिरे पड़े थे.
उसने जैसे ही अपने बालो को हटाया उसके होश फकता हो गए, सामने बैठा अब्दुल उसे ही घूर रहा था एक टक बिना पलके झपकाये.
अब्दुल के सामने एक गोरा बदन रात ही हलकी रौशनी मे चमक रहा था.
"कितनी खूबसूरत है मैडम आप,आपका फेवरेट रंग काला ही है " अब्दुल ने अपने पाजामे मे अपने लंड को इधर उधर कही आराम दिया और उठ खड़ा हुआ.
अब्दुल कि बात सुनते ही अनुश्री का ध्यान अपने जिस्म कि और गया उसके तन पे साड़ी नहीं थी रेत और पानी से भीगी उसकी ब्लाउज बुरी तरह से उसके स्तन पे कसी हुई थी.
इतनी कि देखने वाले को साफ अंदाजा हो जाता कि इसके निप्पल कहाँ है और शायद ये अहसास सामने खड़े अब्दुल को हो भी गया था.
"त...त...तुम यहाँ कब आये " अनुश्री ने खुद के स्तन को अपने दोनों हाथो से क्रॉस कर ढक लिया.
"लो मैडम जी आप ही तो आई थी मेरे साथ अपने पति को ढूंढने " अब्दुल के ये शब्द किसी बिजली कि तरह अनुश्री के ऊपर गिरे
उसे ध्यान आया कि वो मंगेश को ढूंढने ही अब्दुल के पीछे पीछे आई थी परन्तु यहाँ वो लहरों मे अठखेलिया करने लगी.
अनुश्री का सर शर्म और लज्जात से झुक गया,शायद अब्दुल ने ये भाम्प लिया था.
"शर्माइये मत मैडम,मैंने तो देख ही लिया है अब कैसा शर्माना?" अब्दुल नजदीक आ चूका था.
"कककक.....क्या बोल रहे हो तुम?" अनुश्री कांप रही थी उसके भीगे अर्धनग्न बदन मे समुन्दरी हवा अपना असर दिखा रही थी.
वही अनुश्री जो अभी तक पानी मे अठखेलिया कर रही थी अचानक से शर्म और ठण्ड से कांप रही थी.
"हे भगवान ये क्या किया मैंने, मै इस कदर कैसे बेवकूफ हो सकती हूँ " वो आस पास नजारा घूमने लगी शायद उसकी साड़ी दिख जाये.
"नहीं मिलेगी मैडम " अब्दुल ने जैसे मन कि बात पढ़ ली हो
"कककक......क्या " अनुश्री बुरी तह चौकि वो अनजान मर्द के सामने खड़ी थी भीगी सुन्दर उसकी हालात पल प्रतिपल ख़राब होती चली जा रही थी.
"वही आपकी साड़ी....तेज़ लहर मे निकल गई अब कोई फायदा नहीं आपको ऐसे ही जाना पड़ेगा " अब्दुल ने साफ उसकी आवेलना कर दी
"अनुश्री को काटो तो खून नहीं,अब्दुल कि ये बात सुनते सुनते उसका पेशाब निकलने से राह गया था बस, भरे होटल मे वो कैसे इस तरह जाएगी? मंगेश कमरे मे हुआ तो क्या जवाब देगी, हे भगवान कहाँ फस गई " अनुश्री का चेहरा रूआसा सा हो गया था ऊपर से नाभि के नीचे डर के मारे पेशाब का दबाव महसूस करने लगी थी
अब्दुल जो अच्छे से अनुश्री कि मनोस्थिति समझ रहा था " अच्छा मैडम मै चलता हूँ आपके पति तो नहीं है यहाँ,आ जाना आप भी नहा के " अब्दुल के चेहरे पे कुटिल मुस्कान थी वो पलट के चल दिया
"रु...रुक...रुको अब्दुल " प्लीज रुक जाओ आज पहली बार अनुश्री ने अब्दुल का नाम अपने जबान पे लिया था
अब्दुल के कान मे तो जैसे किसी ने शहद घोल दिया हो उसके कदम जहाँ थे वही थम गए.
"रुकिए ना अब्दुल मै ऐसे कैसे जाउंगी " अनुश्री को आवाज़ मे विनती थी
अब्दुल पलट गया "तो आप ही बताओ ना क्या करू आपको ही तो मस्ती छाई थी,क्या जरुरत थी समुन्द्र मे गोते लगाने कि हम आपके पति को ढूंढने आये थे " अब्दुल बार बार अनुश्री के पति कि बात बोल रहा था उसने बड़ी ही खूबसूरती से गेंद अनुश्री के पाले मे डाल दी थी
"मै ही तो आई थी,मै ही तो बहक गई थी इस खूबसूरत नज़ारे मे,सब गलती मंगेश कि है उसे मेरे साथ होना चाहिए था " अनुश्री खुद को कोष रही उसके हाथ अभी भी अपने बड़े भारी स्तन को धके हुए थे
लेकिन फिर भी उसकी झलक अब्दुल को दिख जा रही थी हलकी रौशनी मे भी गीले स्तन अपने आकर को साफ बता रहे थे.
अब्दुल तो पहले से इस नज़ारे को देख लंड मसल रहा था.
" बताइये मे क्या करू?" अपने लंड को अनुश्री के सामने ही मसल दिया और नजदीक आ गया
अनुश्री को खुद समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे वो सिर्फ अब्दुल को देखे जा रही थी उम्मीद कि नजर से.
"हाथ हटा लीजिये ना मैडम " अब्दुल ने आग्रह किया
"कक्क...क्या?" अनुश्री को जैसे किसी चींटी ने काटा हो
"आप इतनी सुन्दर है अपनी सुंदरता छुपाती क्यों है?" अब्दुल अनुश्री कि मज़बूरी का भरपूर फायदा उठा रहा था
रात के 10 बजे थे कोई भी बीच पे नहीं था सिर्फ अब्दुल और उसके सामने भीगे ब्लाउज पेटीकोट मे खड़ी अनुश्री
"ननणणन.....नहीं....क्या बोल रहे हो अब्दुल " अनुश्री ने खुद को इस मुसीबत से बहार निकलने कि ठान कि थी वो विरोध कर रही थी अब्दुल का
"यहाँ कौन है मैडम सिर्फ मै ही तो मैंने तो आपके दूध देख ही लिए है, मुझसे क्या शर्ममना अब भला ऐसे दूध कोई छुपाता है " अब्दुल ने गन्दी लेकिन तारीफ तो कि
अनुश्री का माँ दुविधा मे था क्या करे,अब्दुल का कहना भी ठीक है यहाँ है ही कौन, ऊपर से उसे इस माहौल मे ना जाने क्यों गुदगुदी सी हो रही थी बाकि अब्दुल कि तारीफ से ना जाने क्यों उसके स्तन के निप्पल उभार आये थे एक दम कड़क किसी तीर कि तरह जिसे अनुश्री ने अपनी हथेली पे साफ महसूस किया.
"सोच लो मैडम यहाँ सिर्फ मै ही हूँ ऐसे ही नंगी होटल मे जाओगी तो लोग क्या सोचेंगे " अब्दुल ने एक चोट और कर दी
अनुश्री का रुआसा मन और भी गहरा हो गया लेकिन उसका बदन उसका क्या,,वो अब्दुल कि बात को पसंद कर रहा था.
उसने धीरे से अपने हाथ नीचे को कर दिए,ना जाने क्यों मज़बूरी थी या कुछ और नहीं पता.
अब्दुल कि आंखे तो चोघिया गई,ट्रैन मे उसने सिर्फ पीछे से ही अनुभव किया था, परन्तु अब्दुल ने आज जाना कि अनुश्री पीछे से जितनी खूबसूरत है उस से कही ज्यादा खूबसूरती आगे से दी है भगवान ने उसे
बड़े बड़े एक दम सुडोल स्तन कसे हुए ब्लाउज मे कैद थे जिनके बीच कि गहरी खाई मे अब्दुल डूब गया था.
रेत और पानी से भीगी हुई स्तन कि महीन दरारा
"अब्दुल......अब्दुल...." अनुश्री ने पुकारा
उसकी आवाज़ का कोई जवाब नहीं था.
अनुश्री को सिर्फ अब्दुल के हाथ मे हरकत महसूस हुई,उसने उस हरकत का पीछा किया तो देखा कि अब्दुल का हाथ उसके पाजामे मे उभरे हुए स्थान पे था.
अनुश्री ने अचानक ही अपने बदन मे एक गर्मी का अनुभव किया अब्दुल कि इस हरकत से, दृश्य ही ऐसा था
अनुश्री को अब ठण्ड नहीं लग रही थी बल्कि ये हवा उसके बदन को सूखा रही रही उत्तेजित कर रही थी
"अब्दुल.....मदद कीजिये...अब्दुल " इस बार अनुश्री तेज़ बोल पड़ी उसने फिर से अपने स्तन को अपने हाथो से ढक लिया.
अब्दुल जैसे नींद से जगा हो या यूँ कहिये उसकी पसंदीदा फ़िल्म चल रही हो एयर किसी ने अचानक पर्दा गिरा दिया हो उसकी आँखों के सामने ऐ हसीन नजारा हट गया
" कितनी सुन्दर लग रही है मैडम आप,आपके पति कितने खुशकिस्मत है " अब्दुल ने आज दिल कि बात कह ही दी
"खुसनसीब और मेरा पति,उसकी बीवी अनजान आदमी के सामने होने बदन को धके खड़ी है और वो ना जाने कहाँ है " अनुश्री ने खुद से ही बात कि लेकिन ना जाने क्यों ये विचार आते ही उसके चेहरे पे एक मुस्कान भी आ गई.
ना जाने क्यों उसे अपनी तारीफ अच्छी लगी थी वो भी एक अनजान आदमी से,अनुश्री ने कोई जवाब नहीं दिया बस वापस से अपने हाथो को नीचे कर दिया
अब्दुल कि आँखों मे उसकी चेहती चीज कि चमक फिर से जगमगाने लगी.
"होटल से जा के मेरे कपडे ले आइये ना प्लीज " अनुश्री ने पानी कि जद से खुद को बहार लाते हुए बोला
वो अब्दुल के नजदीक आ रही थी,पेटीकोट भीगा होने से उसकी जांघो से चिपका हुआ था,दोनों जांघो के बीच के उभार को साफ दिखा रहा था.
अब्दुल तो प्राण ही त्याग देता इस दिलकश नज़ारे को देखने के लिए.
पेटीकोट साफ साफ अनुश्री कि मोटी गोरी जांघो को दिखा रहा था, जांघो के ठीक ऊपर त्रिभुज कि आकृति मे पेटीकोट अंदाफ कि तरफ चिपका हुआ था.
जो चलने कि वजह से और भी ज्यादा चिपक गया, एक फूली हुई आकृति बहार को निकली त्रिभुज कि आकृति साफ अंधरे मे भी अपना अहसास करवा रही थी.
अब्दुल गणित मे फ़ैल था परन्तु आज उसे त्रिभुज के क्षेत्रफल और उसकी परिभाषा का हो गया था.
" जिसकी सभी तीनो भुजाये सामान होती है, बस वही समकोण त्रिभुज अनुश्री कि जांघो के बीच बन गया था.
अब्दुल तो एक के बाद एक झटके खा रहा था उसे डर था कही यही दिल का दौरा ना पड़ जाये उसे
"कककक.....क्या मैडम?" अब्दुल ने अपने सूखे गले से प्रश्न किया
अनुश्री को आज पहली बार किसी मर्द कि ऐसी हालात पे मजा आ रहा था वो अपनी शर्माहत से बहार निकल चुकी थी, इतना कि उसे अब अपने बदन को छुपाने कि आवश्यकता महसूस नहीं हो रही थ.
वो पूरी तरह से किनारे पे आ रेत पे अब्दुल.के सामने खड़ी थी
"अब्दुल को तो जैसे अपनी आँखों पे विश्वस ही नहीं हो रहा था सामने जन्नत कि परी थी भीगी हुई परी ब्लाउज से झाकते निप्पल, जांघो के बीच उभरा हुआ चुत का निशान
अब्दुल के पाजामे मे जोरदार हलचल मची हुई थी.
" मेरे कपडेे ले आइये ना होटल मे मेरे कमरे से जा के " अनुश्री ने सहज़ अंदाज मे बोला
वो कितना जल्दी सिख गई थी कि कैसे मर्दो से काम निकलवाते है.
हालांकि अब्दुल कि नजरों को वो होने भीगे बदन पे चुभता महसूस कर रही थी और यही नजारा उसके बदन का तापमान बड़ा रही थी.
अनुश्री पूरी तरह से सुख चुकी थी सिर्फ कपडे और बाल ही गीले थे जिस पे रेत के कण चिपके थे
"आआ.....अच्छा मैडम लाता हूँ " आज अब्दुल पहली बार किसी लड़की म सामने हकलाया था बोलते वक़्त उसके मुँह से थूक रुपी लार टपक गई.
अनुसही सिर्फ हॅस के राह गई उसे अब्दुल कि स्थति पे हसीं आ रही थी, यहाँ कोई नहीं था देखने वाला इस बात ने उसके बदन मे नयी ऊर्जा भर दी थी.
"मुझे घूरते ही रहोगे या जाओगे भी,कभी औरत नहीं देखि क्या?" अनुश्री ने हस्ते हुए पूछा दाँव उल्टा पड़ गया था कहाँ अब्दुल उसको बेबस समझ रहा था अब अनुश्री उसके मजे ले रही थी
हाय रे नारी कब किस करवट बैठ जाये भगवान भी ना जान पाया ये तो अब्दुल था.
अब्दुल जैसे सपने से बहार आया "जज.....जी मैडम औरते तो देखि है लेकिन आप जैसी क़यामत कभी नहीं देखि " अब्दुल भी अब खुद को संभाल चूका था जी भर के अनुश्री के कामुक बदन को देखने के बाद.
अनुश्री खुद कि तारीफ से गद गद हो गई,उसके बदन ने एक झुरझुरी सी ली.
"मै यही रूकती हूँ तुम कपडेे ले आओ मेरे " अनुश्री ने बड़ी अदा से कहा.
"यहाँ और अकेले.....मैडम कोई आ इधर आपको अकेला देख के तो खुद को रोक नहीं पायेगा " अब्दुल ने वापस से अपने पाजामे मे बने उभार को सहला दिया इस बार जरा जोर से
"कककक......क्यों नहीं छोड़ेगा?" अनुश्री कि नजरें भी अब्दुल के पाजामे कि ओर चली गई जहाँ का उभार देख उसका सीना धक सा रह गया,मन मे कोतुहाल मच उठा, उस चीज को देखने कि तमन्ना जाग उठी ना जाने क्यों
"अब आप जैसी सुन्दर लड़की वो भी नंगी भीगी हुई खड़ी हो तो कोई नामर्द ही होगा जो आपको छोड़ दे " अब्दुल ने उसे जानबूझ के नंगा कहा,
नंगा शब्द सुनते है एक पल को जहन मे लगा कि वो वाकई नंगी है अनुश्री ने होने भीगे पेटीकोट कि तरफ देखा जो कि बिल्कुल दोनों जांघो के बिछा धसा हुआ था.
जांघो से ऐसे चिपका था जैसे हो ही नहीं अनुश्री नंगी ही तो खड़ी थी.
"फ़फ़....फिर क्या करू ऐसे जा भी तो नहीं सकती " अनुश्री ने शर्मिंड़ा होते हुए कहा
अभी शेरनी बन रही थी पल भर मे ढेर हो गई मात्र "नंगा " शब्द सुन के.
"आइये मेरर साथ, गेट के पास ही एक बाथरूम है गेस्ट लोग बीच मे नहा है वही अपने कपड़ो और शरीर से रेत निकालते है फिर अंदर होटल मे जाते है, आप वही रुकना मै कपडे ले आऊंगा "
अब्दुल ने ऊँगली से बाथरूम कि और इशारा किया.
अनुश्री इसी गेट से बीच पे आई थी, उसे अब्दुल का आईडिया पसंद आया उसे अपने भीगे जिस्म को छुपाने कि जगह मिल गई थी.
अनुश्री तेज़ कदमो से उस तरफ चल पड़ी,अनुश्री को अपना जिस्म छुपने कि इतनी जल्दी थी कि अब्दुल से आगे निकल गई
अब्दुल कि तो सांसे ही थम गई थी, पीछे से अनुश्री कि बड़ी गांड पे पेटीकोट बुरी तरह से चिपका हुआ था उसकी ब्लैक पैंटी साफ दिख रही थी, जिसे देख के अंदाजा लगाया जा सकता था कि वो पैंटी उस बड़ी गांड का भर सँभालने मे पूरी तरह असमर्थ है.
"वाह.....मैडम इतनी छोटी कच्छी " अब्दुल के मुँह से निकल गया
"कककक....क्या...." अनुश्री एक पल को जहाँ थी वही थम गई
उसकी सांसे ऊपर को चढ़ गई
जैसे तैसे खुद को संभाल अनुश्री एक दम से पलट गई उसे ख्याल आया कि वो कितनी बड़ी गलती कर गई थी
"इतनी बड़ी गांड पे इतनी छोटी कच्छी " अब्दुल ने सीधा शब्द ही बोल दिया था.
"उम्म्म्म....." अनुश्री के मुँह से हलकी सी आह निकल गई उसके बदन मे चिंगारी सी दौड़ गई
उसने अपनी गांड को जोर से भींच लिया जैसे कोई उसने कुछ घुसा ना दे एक अजीब सी लहर उसने अपनी गांड कि दरार मे महसूस कि.
अब उस से खड़ा नहीं जा रहा था वो पलटी भाग खड़ी हुई बाथरूम कि ओर " मेरे कपडे ले आना अब्दुल " उसके चेहरे मे एक मुस्कान सी थी गुस्सा या शर्म का कोई नामोनिशान नहीं था.
अब्दुल तो अनुश्री को भीगी हिलती गांड को देखता ही रह गया,उसका लंड बगावत पे आ चूका था.
"ढाड़.......हमफ....हमफ़्फ़्फ़....हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़......" अनुश्री बाथरूम का दरवाजा भिड़ा अपनी पीठ दरवाजे से चिपका ली
उसकी सांसे जोर जोर से चल रही थी
पल भर मे ही सारा नजरा उसकी आँखों के सामने घूम गया, क्या वाकई मेरे नितम्भ इतने सुन्दर है.
ये क्या आज अनुश्री पहली बार खुद कि गांड के बारे मे सोच रही थी, उसे अब्दुल कि नजरें अभी भी चुभती महसूस हो रही थी
अनुश्री कि सांसे नार्मल हुई तो उसे अपनी जांघो के बीच भरिपान महसूस होने लगा उसे पेशाब आया था ना जाने कब से वो रोक के बैठी थी.
उसने जल्दी से अपना पेटीकोट उठाया,भीगी पैंटी घुटनो ले आ टिकी "सूररररररर......कि आवाज़ म साथ अमृत धारा फुट पड़ी "
अब्दुल कि हालात कुछ ठीक नहीं थी उसकी नजरों मे सिर्फ अनुश्री कि हिलती गांड ही नाच रही थी. खोया सा गेट कि तरफ चला जा रहा था कि "सससससरररररर......कि आवाज़ उसके कानो मे पड़ी
हलकी सी आवाज़ ने ही उसका ध्यान भंग कर दिया था.उसने बाथरूम कि तरफ देखा तो उसके होश उड़ गए उसे तो अपनी तकदीर पे विश्वास ही नहीं ही रहा था.
बाथरूम का दरवाजा हल्का सा खुला था जिसमे से सफ़ेद लाइट कि रौशनी मे अनुश्री नीचे पंजो के बल बैठी मूत रही थी.
अनुश्री कि गांड का हल्का सा हिस्सा उस गेट कि दरार से इस बात कि चुगली कर रहा था.
अब्दुल तो ये देख के बेकाबू हो गया, उसे जो सुन्दर नजारा दिख रहा था वो उसे पूरी तरह से देखना चाहता था.
अब्दुल धीरे से बाथरूम के नजदीक जा कर गेट को हल्का सा खोल दिया.
"आआआहहहहहह.......क्या गांड है एक दम गोरी " अब्दुल तारीफ करने स्वागत खुद को रोक नहीं पाया
अनुश्री को जैसे ही अब्दुल कि आवाज़ सुनाई थी वो चौंक पड़ी, पेशाब बीच मे ही रुक गया.
"तततत तत.....तुम?" अनुश्री तुरंत खड़ी हो के पलट गई उसकी गांड पीछे से नंगी ही थी काली कच्छी घुटनो पे ही अटकी हुई थी, जांघो पे पेटीकोट उसकी रक्षा कर रहा था. अनुश्री पीछे दिवार से जा चिपकी.
"आउच...."अनुश्री ने जैसे ही पलट के अपनी गांड पीछे दिवार पे टिकाई उसकी निताम्बो कि दरारा मे नल कि टोटी जा धसी.
"वो...वो....मैडम मै तो आपसे पूछने आया था कि कौनसे कपडे लाउ? साड़ी या कुर्ता? लेकिन यहाँ आया तो आ मूत रही थी दरवाजा खोल के "
अब्दुल ने फिर से अपने लंड को मसल दिया जैसे उसकी जान ही निकाल देगा आज
अनुश्री हक्की बक्की दिवार से चिपकी खड़ी थी उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या बोले
"कक....कुर्ता ले आना " अनुश्री बोल पड़ी
"और कच्छी किस कलर कि ले आउ?" अब्दुल ने उसके घुटनो पर टिकी काली पैंटी को देखते हुए पूछा
"ननन....नहीं रहने दो " अनुश्री बुरी तरह से झेम्प गई थी
जब भी उसकी पैंटी कि बात होती उसके बदन को एक झटका सा लगता
"बिन कच्छी के तो आपकी मदमस्त गांड क़यामत लगेगी मैडम " अब्दुल खुल के बोल रहा था बेशर्म हो गया था.
अनुश्री को गांड शब्द सुनाई देते है उसका ध्यान अपनी गांड पे गया जहाँ उसे कुछ ठंडा ठंडा सा चुभ रहा था.
उसने हलके से अपनी गांड को हिलाया तो महसूस किया कि नल है जो कि सीधा उसके गांड के छेद पे ही लगा था.
अनुश्री को ये अहसास सुकून दे रहा था,
"वैसे एक बात बोलू मैडम जी " अब्दुल अब बुना किसी शर्म के अपने लंड को मसल रहा था.
"हहहममम्म...बोलो " अनुश्री भी लगातार उसके हाथ को देखे जा रही थी बहुत बड़ा उभार था वो, उसे रसोई घर का दृश्य याद आने लगा जब मिश्रा ने पाजामे का नाड़ा खोल अपने लंड को निकाल दिया था
"कही अब्दुल ने भी अपना पजामा खोल दिया तो" अनुश्री के मन मे विचार कोंध गया " नहीं नहीं...ये क्या सोच रही हूँ मै " अनुश्री ने अपने ही विचार को नकार दिया.
"आपकी गांड बहुत सुन्दर है, आपके जिस्म का सबसे सुन्दर हिस्सा है "
"ससससस.....अनुश्री के मुँह से हलकी सी सिसकारी उठ गई उसका बदन गर्म हो रहा था पीछे से गांड मे चुभता नल आगे अब्दुल लगातार अपने लंड को मसले जा रहा था.
अब्दुल भी समझ रहा था कि अनुश्री कि नजर कहाँ है "देखोगी मैडम जी "
"कककक....क्या...नहीं " अनुश्री बुरी तरह से झेम्प गई उठने तुरंत नजर फैर ली.
" मेरा लंड..... देखोगी, कभी नहीं देखा होगा ऐसा " अब्दुल ने अपने पाजामे के नाड़े को थाम लिया.
"नहीं....नहीं.....हे भगवान जिसका डर था वही हुआ " अनुश्री कि हालात पतली हो चली थी
लेकिन अब्दुल कि बाते उसे लगातर झकझोड़ रही थी उसे मिश्रा का लंड याद आने लगा जिसे देख के वो झड़ गई थी.
कि तभी "सससससररररर.....करता हुआ अब्दुल का पजामा पैरो मे जमा हो गया.
अनुश्री जो कि नजरें नजरें नीची कर खड़ी थी उसके सामने अब्दुल का पजामा गिरता हुआ दिखा उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि वो गर्दन उठा पाती.
"देखिये ना मैडम " अब्दुल ने अपने लंड को अपने मजबूत हाथो मे थाम लिया
"नहीं....नहीं....तुम मेरे कपडे ले आओ प्लीज " अनुश्री ने अपनी गार्डन ना मे हिला दी परन्तु एक अजीब से गंध जरूर उसे महसूस हुई एक कैसेली मर्दाना गंध.
"पहले देखिये...फिर लाऊंगा,क्या करू आपकी खूबसूरत गांड देख के ये अकड़ गया है सब आपकी ही गलती है.
अनुश्री बुरी तरह से फ़स गई थी,उसके पास और कोई रास्ता भी नहीं था, वो भी कही ना कही इस उभार को देखना चाह रही थी उसके मन मे जिज्ञासा थी
उसने हलकी से गार्डन ऊँची कर नजरें उठा ली "ओ....माय...अनुश्री का मुँह खुला का खुला रह गया.
उसके सामने अब्दुल का मोटा काला लंड था,एक दम कड़क
बालो से भरी जांघो के बीच,नीचे दो बड़े बड़े काले टट्टे झूल रहे रहे जिनपे बालो का झुरमुट था.
अनुश्री कि सांसे ही थम गई थी ये भयानक नजारा देख के
उसकी नजरें वही जम गई थी,अब्दुल के लंड के अगले हिस्से पे चमड़ी नहीं थी गुलाबी सा टोपा नंगा ही था,"मिश्रा का तो ऐसा नहीं था " अनुश्री के बदन मे हलचल मच उठी उसे अपनी जांघो के बीच गुदगुदी सी महसूस हुई.
अब्दुल का लंड झटके मार रहा था,अनुश्री कि सुंदरता कि तारीफ कर रहा हो जैसे.
ना चाहते हुए भी उसने अपनी गांड को पीछे कि तरफ दबा दिया और हलके से आगे को झुक गई.
नल पूरी तरह से उसकी बड़ी सी गांड कि दरार मे समा गया था.
तेज़ रौशनी मे दोनों के जिस्म नहा गए थे, अब्दुल का लंड साफ साफ देख पा रही थी
अब्दुल ने अपने लंड को घिसना शुरू कर दिया, पीछे से आगे कि अपनी हथेली चलाने लगा
अनुश्री कुछ बोल नहीं रही ना पलके झपका रही थी बस एकटक अब्दुल के बड़े काले लंड को निहारे जा रही थी
परन्तु उसका जिस्म हरकत कर रहा था,अनुश्री ने हलके से पंजे उठा के अपनी गांड को फिर से नल पे घिस दिया.
उसे सुकून मिल रहा था असीम सुकून
"क्या हुआ मैडम लंड देखते ही गांड मे खुजली होने लगी "
इस बार अब्दुल ने अपने हाथ मे थूक के लंड पे घिस दिया
अनुश्री हैरान रह गई इस दृश्य को देख के अब्दुल का लंड चमक रहा था और अनुश्री का जिस्म मचल रहा था
उसके पुरे बदन ले चीटिया चलने लगी थी, सांसे भारी हो चली थी स्लीवलेस ब्लाउज से निप्पल उभार के स्तन कि शोभा बड़ा रहे थे.
अब्दुल तो ये कामुक नजारा देख म पागल हुआ जा रहा था अपने लंड को जोर जोर से घिस रहा था.
"आआआहहहह.....मैडम क्या सुन्दर दूध है अपके "
"सससससससस.......अनुश्री तो मरी ही जा रही थी अपने स्तन कि तारीफ सुन स्तन और भी ज्यादा अकड़ गए
अनुश्री अपने स्तन को और भी ज़्यादा भारी महसूस कर रही थी.
उसकी जांघो के बीच जबरजस्त तूफान मचा था, वो खुद ही अपनी गांड को नल पे घिसे जा रही थी.
जब भी नल का अगला हिस्सा उसके गुदाछिद्र पे आ के लगता उसकी सांसे और भी तेज़ हो जाती.
क्या सुकून था इस छुवन मे वो इस छुवन को बार बार महसूस करना चाहती थी,बार बार अनुश्री अपनी गांड के छेद पे नल ोे घिस दे रही थी.
"हाँ खुजली तो हो रही है " अनुश्री ने खुद से ही कहा.
"आआहहहह.....मैडम आपकी बड़ी गांड कि खुजली सिर्फ ये लंड ही मिटा सकता है " अब्दुल ने जैसे उसकी मन कि बात पढ़ ली हो
अनुश्री लगातार अब्दुल को अपना लंड घिसते देख रही थी, इस बार जोश मे आ कर उसने जोर से अपनी गांड को पीछे दे मारा
"आआआहहहह......आउच अब्दुल " अनुश्री कि गांड के छोटे से छेद मे नल का आगे का हिस्सा घुस गया था.
अब्दुल :- हाँ मैडम बोलिये आआहहहहह......आपकी गांड चाटने को मिल जाती.
"आअह्ह्ह.....अब्दुल " अनुश्री को हल्का सा दर्द हुआ लेकिन असीम आनंद कि भी अनुभूति हुई वो अपनी गांड को नल पे ही चलाने लगी.
छोटा सा नल कभी अंदर जाता तो कभी बहार.
अनुश्री को पता ही नहीं चला कि कब वो नल से सम्भोग करने लगी,उसे तो सिर्फ अब्दुल का मोटा काला लंड नजर आ रहा था.
"ससससससस.........अब्दुल चाट लेना "उसके मुँह से अब्दुल अब्दुल निकल रहा था,
अब्दुल कि गांड चाटने कि बात ने उसे उत्तेजना के सागर मे डुबो दिया था.
वो भूल गई थी कि वो पतीव्रता नारी है,संस्कारी औरत है.
अनुश्री पे हवस सवार थी उसका गला सूखता जा रहा था.
"आआआहहहह.......मैडम ऐसे ही घिसो अपनी गांड मेरे लंड पे " अब्दुल अनुश्री कि भावना से खेल रहा था.
अनुश्री को अहसास करवाना चाहता था कि लंड उसकी गांड मे है.
"उफ्फ्फ्फ़....आआ.....ससससस.......अब्दुल " अनुश्री को अब सहन करना मुश्किल हो रहा था वो जोर जोर से अपनी गांड चला रही थी.
"पच पच पच......थूक से भीगा अब्दुल का लंड आवाज़ कर रहा था.
"आआहहहह.....फट...फट...फट....करती अनुश्री अपनी गांड को नल पे दे मरती.
आलम ये था कि जैसे ही अब्दुल अपने लंड पे हाथ पीछे खींचता अनुश्री अपनी गांड नल पे दे मरती और जैसे ही अब्दुल लंड पे हाथ आगे करता अनुश्री भी गांड आगे खिंच लेती
दोनों कि जुगलबंदी जम गई थी.
"आअह्ह्ह....मैडम मेरा आने वाला है आआहहहह...." अब्दुल का हत्ब तेज़ी से चलने लगा
"आअह्ह्ह.....अब्दुल " अनुश्री ने भी अपनी गांड को तेज़ तेज़ पटकने लगी.
दोनों मे प्रतियोगिता शुरू हो चुकी थी
उसे अपनी नाभि के नीचे एक दबाव सा महसूस हो रहा था जिस्म पसीने से भीग गया था
"आअह्ह्ह......अब्दुल"
आअह्ह्हब......मैडम
ससससस.......फच फच फच.....फट....फट फट...
अनुश्री कि सांसे उखड़ने लगी थी,उसे होनी चुत मे ज्वालामुखी फटता महसूस हो रहा था.
चुत खुद से ही अपना मुँह खोल रही थी, बदन पूरी तरह से अकड़ गया था जाँघे कंपने लगी थी.
पसीना इस कदर बह रहा था कि स्तन के उभार साफ साफ दिख रहे थे.
कि तभी अनुश्री कि चीख निकाल गई.."आअह्ह्ह.....आअह्ह्ह........अब्दुल "
अनुश्री ससखलित हो गई थी उसकी चुत ने ढेर सारा पेशाब छोड़ दिया था जो बाकि रह गया था अब्दुल के आने से.
अनुश्री कि दिल धाड़ धाड़ कर चल रहा था उसकी टांगे जवाब दे गई थी अब खड़े रह पाना मुश्किल था.
धमममम से अनुश्री गीले फर्श पे ही बैठ गई,जो कि अनुश्री के पेशाब से गिला था.
पुककककककक....कि आवाज़ के साथ नल अनुश्री कि गांड से बहार आ गया.
नीचे बैठी अनुश्री बुरी तरह हांफ रही थी. कि तभी उसके स्तन कि घाटियों पे कोई गर्म सी चीज आ के टकराई
अनुश्री ने जैसे ही सर उठाया
"आअह्ह्हब...मैडम आया मै." पच पच पाचक....कि आवाज़ के साथ अब्दुल के लंड से वीर्य कि पिचकारी निकल पड़ी
जो सीधा अनुश्री के ब्लाउज से जा टकराई.
गाड़ा चिपचिपा वीर्य से अनुश्री के स्तन सन गए थे.
अब्दुल पूरी तरह झड़ चूका था, अनुश्री अभी भी हैरानी से अब्दुल के लंड को देखे जा रही थी.
अब्दुल हफ्ता हुआ पजामा चढ़ा लिया " मै आपके कपडे लाता हुआ मैडम जी "
अब्दुल पलट के च दिया पीछे अनुश्री अभी भी पेशाब से गीले फर्श पे अब्दुल के वीर्य से भीगी बैठी थी.
उसकी आँखों मे शून्य था,दिल मे असीम शांति का अहसास था.
अनुश्री अपनी सांसे दुरुस्त करती अब्दुल को जाते देखती रही.
बने रहिये कथा जारी है....
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बहार मौसम ख़राब हो चला था,आसमान मे बादल छाने लगे थे.
अंदर अनुश्री बाथरूम मे अभी भी फर्श पे ही बैठी थी उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि अभी क्या हुआ है उसके साथ.
जैसे तो सुध बुध खो चुकी थी अपनी, आँखों के आगे शून्य था उसे जरा भी अंदाजा नहीं था को इस अवस्था मे उसे उसके पति या कोई और देख लेता तो क्या होता.
आंखे पथरा गई थी, उसके दिल मे भावनाओं का तूफान उठ रहा था "सॉरी मंगेश मै बहक गई थी,लेकिन....लेकिन क्यों?
मुझे तुम्हारे साथ होना चाहिए था"
यहाँ अनुश्री के दिल मे ज्वार भाटा उठ रहा था वही अब्दुल रूम नंबर 102 से जल्दी मे जो भी हाथ लगा उठा लिया था उसे डर था कि इतनी रात को किसी ने उसे इस तरह देख लिया तो नौकरी पे बन आएगी.
जल्दी से भागता अब्दुल जैसे ही सीढ़ी उतरने के लिए रूम से निकल के आगे बढ़ा ही था कि "भद्देड़ाकककककक....से किसी से टकरा गया.
"अरे भेज हिचम.....देख के चलो कहाँ तूफान मचा रखा है " मंगेश राजेश नशे मे चूर सीढ़िया चढ़ रहे थे
दोनों के पैर लड़खड़ा रहे थे जो इस बात का सबूत थे कि अन्ना कि पार्टी जोरदार रही.
"माफ़..माफ़ करना साहेब " अब्दुल के हाथ से अनुश्री के कपडे कुर्ता और लेगी छूट के सीधा मंगेश के पैरो पे जा गिरी.
अब्दुल कि तो घिघी बंध गई उसे एक पल को अपनी मृत्यु ही नजर आ गई
"अरे अब्दुल मियां ये लड़कियों के कपड़े कब से पहनने लगे हाहाहाहाहा....." मंगेश ने झुक के अनुश्री के कपडे उठा लिए.
"साहेब वो...वो....तो बस " अब्दुल को समझ ही नहीं आया कि क्या बोले
राजेश :- जाने तो भैया हीच....हिचम्म....उसका परसनल मैटर है.
"सही कह रहा भाई....लो अब्दुल मियाँ अपने कपडे हाहाहा...." हाय रे शराब मंगेश अपनी ही बीवी के कपडे ना पहचान सका.
मंगेश ने खुद वो कपडे अब्दुल के हाथो मे थमा दिए और एक कुटिल मुस्कान के साथ दोनों ही अपने अपने रूम कि तरफ चल दिए.
अब्दुल हक्का बक्का खाडा था उसे अपनी किस्मत पे यकीन नहीं हो रहा था कितनी आसानी से बच निकला था.
ठाक कि आवाज़ के साथ ही जैसे ही कमरे का दरवाजा बंद हुआ अब्दुल किसी अंधी कि तरह वहा से उड़ चला सीधा पंहुचा बाथरूम के आगे जहाँ देखा तो हैरान राह गया अनुश्री अभी भी बाथरूम का दरवाजा खोली बैठी थी.
"मैडम....मैडम " कोई जवाब नहीं
अनुश्री सर झुकाये बैठी थी उसके कोई होश नहीं था.
"मैडम.... आपके पति आ गए है " अब्दुल ने जोर से कहाँ
अनुश्री एक दम से नींद से जागी,हड़बड़ा के खड़ी हो गई उसकी पैंटी अभी भी हसके घुटनो मे ही फांसी हुई थी
अनुश्री ने सर उठा के देखा सामने अब्दुल उसकी कुर्ती और लेगी लिए खड़ा था.
अनुश्री ने झट से अब्दुल के हाथ से अकने कपडे छीन लिए और भड़ाक से दरवाजा बंद हो गया.
अनुश्री होश मे आ चुकी थी सामने शीशे मे चमकते अपने अक्स को देखा तो उसके दिमाग़ मे अभी अभी बीती सभी यादें ताज़ा हो गई.
"मैडम जी जल्दी नहा लीजियेगा लगता है मौसम ख़राब होने वाला है " अब्दुल कि बहार से आती आवाज़ ने अनुश्री का ध्यान शीशे से हटाया.
बहार के तूफान का तो पता नहीं लेकिन अनुश्री के जीवन मे तूफान आ चूका था.
उसे याद आय कि अब्दुल कह रहा था कि उसका पति आ गया है
अनुश्री ने फटाफट खुद को साफ किया,वो इतना शर्मिंदा थी कि उसने शीशे कि तरफ से मुँह फैर लिया था वो खुद कक देखना भी नहीं चाहती थी,कैसे वक इतना गिर गई थी कि किसी अनजान मर्द के सामने वो अर्ध नग्न हालत मे सख्तलित हो गई थी.
अब्दुल वहा से जा चूका था करीबन 5मिनट के बाद ही अनुश्री बाथरूम से निकली चारो तरफ रात का सन्नाटा था हवाएं जोर से चल रही थी, ठंडी समुन्दरी हाये जो अनुश्री के टन बदन ले आ के लग रही थी.
उसके हाथ मे उसके गीले कपडे थे,सर झुकाये वो होने कमरे कि ओर चल पड़ी
वाकई बहार मौसम ने करवट बादल ली थी पानी से भीगी हुई अनुश्री को ठण्ड का अहसास हो रहा था.
उसके मन मे दुविधा था कि कैसे वो अपने पति से आंखे मिलाएगी, मंगेश पूछेगा कि ये गीले कपडे कैसे हुए तो क्या जवाब देगी, क्या वो सच सच बता दे कि उसने मंगेश को धोखा दिया है,
लेकिन कैसा धोखा उसने क्या किया है? वो तो अपने पति का साथ ही चाहती थी,उसका पति तो खुद उसे छोड़ के ना जने कहाँ चला गया था.
लेकिन मै बहक गई थी,मैंने धोखा दिया मंगेश को
"लेकिन अब्दुल ने तो हाथ भी नहीं लगाया मुझे " अनुश्री ने खुद के तर्क को ही काट दिया
तो क्या हुआ मै बहक तो गई थी मै अपनी गांड को घिस रही थी अब्दुल के लंड को देखते हुए "
जैसे ही अब्दुल के लंड का ख्याल अनुश्री के मन मे आया वही दृश्य दौड़ गया उसकी नजरों के समने जब अब्दुल थूक गिरा के लंड घिस रहा था.
एक अजीब सी ठंडी लहर अनुश्री के बदन से टकरा गई.
सामने ही रूम नंबर 102 था वो कब पहुंच गई पता ही नहीं चला
"नहीं...नहीं...आज मै सच बता दूंगी,मुझे नहीं रहना यहाँ " चकर्रर्रर्रफर........करता हुआ दरवाजा खोल दिया अनुश्री ने
"मंगेश......i am sorry " रूम मे अंधेरा था अनुश्री को सिर्फ एक आकृति पलंग पे पीठ दिखाए बैठी दिख रही थी.
अनुश्री ने गहरी सांस ली वो निश्चय कर चुकी थी की उसे क्या करना है.
"सॉरी मंगेश...सॉरी मै बहक गई थी तुम्हारी बीवी गैर मर्द के साथ बहक गई थी मुझे माफ़ कर दो " अनुश्री पलंग के पास आ खड़ी हुई
"खरररररर......खरररररर......."अनुश्री को कोई जवाब नहीं मिला उसके कानो मे खर्राटो कि आवाज़ पड़ी.
अनुश्री ने झट से पास ही टेबल लैंप को जाला दिया
रूम हल्की रौशनी से नहा उठा, सामने मंगेश पलंग के सिरहाने पीठ टिकाये लुड़का पड़ा था
खर्राटे भर रहा था.
अनुश्री को रूम मे एक अजीब सी गंध महसूस हुई जिसे वो भली भांति पहचानती थी.
"शारब कि गंध?" अनुश्री ने मंगेश कि तरफ हताश भरी नजर से देखा और बाथरूम कि ओर चल दी.
उसके दिल मे अभी भी कोतुहाल मचा हुआ था "ये क्या करने जा रही थी तू इतनी सी बात के लिए अपना हसता खेलता जीवन बर्बाद कर रही थी, देख उसे तो कोई फ़िक्र ही नहीं है तेरी कैसे नही मे धुत पड़ा है और तूने थोड़ी मस्ती कर भी ली तो क्या बिगाड़ गया? मौज मस्ती के लीये ही तो आई है तू यहाँ"
अनुश्री के अन्तःमन ने उसे झकझोड़ के रख दिया. अनुश्री को अहसास हुआ कि वो सिर्फ पकडे जाने के डर से सच बताने चली थी.
और कहते है ना चोर तभी चोर है जब वो पकड़ा जाये.
उसने खुद को संभाल दिया था, बाथरूम से आते वक़्त उसके दिल से बोझ हल्का हो चूका था
दिल शांत था,उसने दरवाजा बंद किया और मंगेश के जूते उतारने लगी ताकि उसे अच्छे से सुला सके.
अनुश्री ने अंदर पैंटी ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए उसे अभी भी नंगे पान का अहसास हो रहा था, झुकने के वजह से टाइट लेगी उसके गांड पे कस गई थू एक दम टाइट.
"मैडम आपकी गांड कितनी खूबसूरत है " याकायाक उसके जहन मे अब्दुल के कहे शब्द गूंज उठे.
एक पल मे ही उसे याद आ गया कैसे अब्दुल बड़े मोटे लंड को सहला रहा था.
"उम्म्म........कितना मोटा था " अनुश्री के मुँह से हलकी सिसकारी के साथ निकल गया.
अनुश्री ने मंगेश के जूते उतार दिए थे उसका ध्यान मंगेश कि पैंट कि तरफ गया जहाँ सब कुछ सपाट था कोई हलचल नहीं, ना जाने क्यों अनुश्री वहा उभार देखना चाहती थी मोटा उभार.
अनुश्री ने धीरे से मंगेश कि पैंट का हुक खोल दिया ना जाने क्या था उसके दिल मे क्या देखना चाहती थी.
अनुश्री के सामने अब्दुल का काला मोटा भयानक लंड नाच रहा था,परन्तु वो उस लंड के मालिक के रूप मे अपने पति मंगेश को देखना चाहती थी.
हाय रे संस्कारी नारी
"टक....टक....कि आवाज़ के साथ अनुश्री पैंट के बटन खोल चुकी थी इस अदने से काम मे ही उसकी सांसे फूल गई थी उसकी दिल कि धड़कन रेज़ हो चली
उसे उम्मीद थी जो वो चाहती है वही देखेगा.
"सररररररररर......से अनुश्री ने जोर लगा के मंगेश कि पैंट को खिंच दिया,जोर कुछ ज्यादा ही लग गया था मंगेश कि पैंट के साथ साथ उसकी पैंटी भी खिंच के नीचे सरक गई. ऐसी हरकत आज से पहले उसने कभी नहीं कि थी
अनुश्री के सामने मंगेश का मुरझाया सूखा सा छोटा लंड लहरा गया
अनुश्री का दिल बैठ गया,एक पल मे ही शीशे के महल धाराशाई हो गए.
सामने बिल्कुल छोटा सा मुरझाया लंड लुड़का पड़ा था.
"ये तो अब्दुल मिश्रा जैसा नहीं है?" अनुश्री पति के लंड कि तुलना करने लगी थी..
"तो क्या आज तक मै इसी से...." अनुश्री आगे सोच भी ना पाई
उसके ख्याल उसके मन मे मजबूत मोटा भयानक काला लंड था.
अनुश्री ने कोतुहाल वंश अपने हाथ को आगे बढ़ा दिया.
आज से पहले उसने कभी मंगेश के लिंग को देखा तक नहीं था छूना तो दूर कि बात है
उसका दिल धाड़ धाड़ कर चल रहा था.
उसने झट से मंगेश के लंड को पकड़ लिया वो मंगेश के लंड को करीब से देखना चाह रही थी
दूर से शायदछोटा दिख रहा हो
" ये तो बिल्कुल भी वैसा नहीं है उनका कितना भयानक था " पूरा लंड मात्र दो उंगलियों मे समा गया था.
अनुश्री ने मंगेश के लंड कि चमड़ी को पकड़ नीचे कर दिया, चमड़ी नीचे होते ही एक छोटा सा मूंगफली के आकर का गुलाबी सी चीज बहार आ गई.
अनुश्री का दिल पूरी तरह से बैठ गया था.
वो चुपचाप उठ खड़ी हुई और मंगेश के बगल मे उसकी तरफ पीठ कर लेट गई.
उसके मन मस्तिक मे आज तूफान शांत होने का नाम ही नहीं के रहा था.
"तो क्या....तो क्या...मै आजतक इसी लिंग से सम्भोग करती रही? मै भी कैसी स्त्री हूँ मैंने कभी मंगेश का लिंग देखा ही नहीं" अनुश्री आज खुद को कोष रही थी
उसका दिल बार बार उस से सवाल पूछ रहा था " अब्दुल और मिश्रा का इतना मोटा क्यों है? अब्दुल के आगे का हिस्सा इतना फुला हुआ क्यों था? मुझे कभी ऐसा क्यों महसूस नहीं हुआ जो अब्दुल मिश्रा के साथ हुआ.
मंगेश का ऐसा क्यों नहीं है? उनके लंड देखते है क्यो मेरे पसीने छूट जाते है " अनुश्री आज एक नये अध्याय से परिचित हुई थी
लंड के प्रकार नामक अध्याय से, वासना के अध्याय से,चरम सुख के अध्याय से.
अनुश्री अपनी जांघो को दबाये प्रश्न लिए कब सो गई उसे पता ही नहीं चला.
मात्र इतने से अनुश्री कि हालात ख़राब थी.
तब क्या होगा जब अब्दुल और मिश्रा उसे सम्भोग का असली सुख देंगे.
बने रहिये....कथा जारी है
ठीक है भाई नहीं दूंगाBhai next update day do but lamba update dena varna mat dena
Yahi thik hai q ki chote update say raha nahi jaataठीक है भाई नहीं दूंगा![]()