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थैंक यू दोस्त....O bhaii, kya amazing writer ho tum yaar, kya writing skills hai tumhare pass , waa.
आप पाठक ही तो मेरी प्रेरणा हो
आप है तो मै हू, मै हू तो अनुश्री है
सफर जारी रहेगा
थैंक यू दोस्त....O bhaii, kya amazing writer ho tum yaar, kya writing skills hai tumhare pass , waa.
Wah writer sahab wah Ky kahne shabd hi nahi hअपडेट -29
रात का सन्नाटा पसर गया था.
अनुश्री आज संतुष्ट थी,उसका बदन बिल्कुल हल्का हो गया,इतना कि वो किसी जादू के जोर से उड़ती हुई अपने कमरे मे पहुंची थी,डर लाज शर्म सब उस स्सखलन के साथ बह गए लगते थे
वही गाड़ा पदार्थ जिसे वो मिश्रा के मुँह पे पोत कर आई थी वो सिर्फ काम रस हि नहीं था उसमे बेहयाई, पतन, हवस,सुकून सब मिला हुआ था.
धममममम....से अनुश्री मंगेश के बगल मे जा लेटी उसकी आंखे भारी हो चली वो कब हसीन नींद के आगोश मे चली गई पता नहीं.
नीचे रसोई मे मिश्रा उस स्त्री के वीर्य रुपी काम शहद को चाट रहा था या यु कहिए मिश्रा अनुश्री कि लज्जा, हया, संस्कार को चटकारे के साथ चाट रहा था.
"मान गए मिश्रा तुम्हे, थोड़ा मुझे भी चखा " अब्दुल लार टपकता रसोई मे अंदर आ धमका
"ले तू भी क्या याद करेगा,ले सूंघ " मिश्रा ने अनुश्री कि गीली पैंटी अब्दुल कि ओर उछाल दि.
"ससससनणणनईईफ्फफ्फ्फ़.....आअह्ह्हह्ह्ह्ह....क्या खुसबू है यार इसकी चुत कि, चुत मे ऐसी महक है तो गांड कि तो बात कि क्या होंगी " अब्दुल मात्र उस सुगंध से नशे मे आ गया,तुरंत आँखों मे लाल डोरे तैर गए
"तूझे गांड मे ऐसा क्या आनद मिलता है बे " मिश्रा ने जेब से खैनी निकल ली
"तुझे क्या पता बे कभी मारी है क्या तूने,देखा नहीं मैडम कि गांड कितनी बड़ी है कैसे लहराती है,काश एक बार उसकी गांड चाटने को मिल जाये " अब्दुल ने अनुश्री कि कच्छी को आगे कर दिया
"तूने सही कहाँ था अब्दुल मैडम मना नहीं करेगी " मिश्रा ने खैनी बना के अनुश्री कि पैंटी पे रख दिया
"बस मे उसकी हालत देख क मुझे लगा हि था तभी तो तुझे बताया, मेरा लंड चूस हि लेती यदि उसका पति नहीं आया होता" अब्दुल ने पैंटी को वापस अपने मुँह पे खिंच लिया और जीभ निकाल के खैनी सहित पैंटी को भी चाट गया
"आआहहहह....मिश्रा क्या खैनी बनाई है वाह मजा आ गया हाहाहाहाहा....
अब्दुल और मिश्रा दोनों हॅस पड़े.
उन दोनों को अपनी किस्मत पे यकीन नहीं हो रहा था कि एक ट्रैन के सफर से यहाँ तक का सफर तय कर लिया उन लोगो ने
दोनों हि सुखद कामना लिये वही रसोई मे सो गए.
क्या पता कामदेव इन दो मुरादो कि इच्छा पूरी करने को मरा जा रहा हो.
सुबह हो चुकी थी,मौसम अभी भी ख़राब हि था रह रह क बारिश हो रही थी.
मंगेश आंख मीचमीचाता उठ बैठा,बगल मे हि हुस्न कि परी अनुश्री सोइ हुई थी.
मंगेश ने एक पल निहार के उसे देखा, जाँघ तक उठा हुआ गाउन,हाथ ऊपर किये अनुश्री के सुकून को बयान कर रहा था.
मंगेश ने उसे उठाने के लिए हाथ बढ़ाया हि था कि "चलो सोने दो कल दिन भर थक गई थी " मंगेश उठ कर बाथरूम चला गया
उसे क्या पता था ये थकान कैसी है?
कुछ हि समय मे मंगेश निपट कर बहार आ गया अनुश्री बेखबर अभी भी अपने खूबसूरत मादक जिस्म कि छटा बिखेर रही थी "उठो ना जान कितना सोऊगी?" मंगेश ने अनुश्री को झकझोर दिया
"उम्मम्मम...क्या है मंगेश सोने दो ना " अनुश्री करवट ले कर पलट गई
करवट लेने से अनुश्री कि बड़ी गांड का हिस्सा बहार को निकल आया,मंगेश ने अपनी बीवी को इस तरह से कभी नहीं देखा था वाकई उसकी बीवी आकर्षक थी.
मंगेश को रात कि बात याद आ गई,रात मे उसने काम अधूरा छोड़ दिया था.मंगेश तुरंत हि बिस्तर पे जा चढ़ा और अनुश्री के पीछे से जा चिपका "उठो ना जान " बोलते हुए मंगेश ने अपनी कमर को आगे को धक्का दे दिया एक छोटी सी सख्त चीज अनुश्री कि गांड कि दरार मे जा लगी
मंगेश को इतना तक पता नहीं चल पाया कि गाउन के अंदर कोई अबरोध नहीं है
गाउन का कपड़ा इस दबाव से बीच कि लकीर मे जा धसा....
"आउच.....मिस......रा....." अनुश्री कि आंखे खुल गई इस एक झटके से, तुरंत हि पीछे को पलटी "म....मिश्र...मंगेश."
अनुश्री कि सांसे फूल गई उसने अपने पीछे मंगेश को पाया उसकी जबान क्या बोल रही थी,ना जाने कैसे संभल गई
"हाँ मै ही हू जान " मंगेश अपनी बीवी कि सुंदरता देख खो गया रहा उसे ध्यान हू नहीं था कि अनुश्री बोली क्या.
"ममम....मंगेश " अनुश्री के जहन मे साय साय कर हवा चल रही थी,वो अभी रात क वाक्य से बहार ही नहीं आई थी "ये सुबह कब हो गई? मै कब आई यहाँ " जैसे अनुश्री रात किसी नशे मे थी
मंगेश ने उसे बाहों मे दबोच लिया "क्या मै मै...लगा रखा है
तुम्हारा ही पति हू कोई भूत नहीं " मंगेश ने कमर को ओर अंदर को दबा दिया
.
"आउच...क्या कर रहे हो मंगेश " अनुश्री वैसे ही लेटी रही वो खुद पे काबू पा चुकी थी नींद से बहार आ गई थी
मंगेश धीरे धीरे अपनी कमर चला रहा था,इन झटको से अनुश्री कि कल रात कि याददाश्त लौटने लगी,उसकी जांघो के बीच फिर से कुछ कुलबुलाने लगा.
मंगेश पीछे से हलचल तो कर ही रहा था परन्तु ये नाकाफी था,कुछ तो कमी थी इस अहसास मे ये वैसा नहीं था जब अब्दुल ने ट्रैन मे पीछे से छुवाया था.
अनुश्री कि काम इच्छा इस हद तक बढ़ गई कि वो बार बार अपने पति कि तुलना बाहरी मर्दो से कर बैठती.
अभी भी उसके जहन मे यही सब चल था....आआआआहहहहह......मंगेश
अनुश्री कि आह निकल तो गई लेकिन ये आह तड़प कि थी,और ज्यादा पाने कि चाहत कि थी.
अनुश्री सिर्फ इस बात से ख़ुश थी कि उसका पति आज उसकी तरफ आकर्षित तो हुआ,वो यह मौका नहीं खोना चाह रही थी इसी चाहत मे अनुश्री ने अपनी बड़ी से गांड को एक जोरदार धक्का दे दिया.
"आआआहहहहह....मेरी जान अनु क्या करती हो " मंगेश के मुँह से भैंसे कि तरह हुंकार निकल गई
उसकी पैंट मे बना छोटा सा उभार प्यूककककक....करता हुआ दो बड़ी चट्टान के बीच आ गया था.
गांड रुपी दो चट्टानों के बीच इतनी गर्मी थी कि मंगेश जैसे मामूली आदमी के बर्दाश्त के काबिल नहीं थी, नतीजा मंगेश का उभार गिला होता चला गया
सब कुछ अचानक शांत हो गया, अभी तो आग भड़की थी ये क्या हुआ?
अनुश्री ने पीछे पलट के देखा मंगेश हांफ रहा था,सांस खिंच रहा था
अनुश्री को समझते देर ना लगी कि क्या हुआ है इतना काम ज्ञान तो वो अर्जित कर ही चुकी थी.
जैसे ही मंगेश के हवाई गुब्बारे कि गर्म हवा निकली सारा आकर्षण, सारा प्यार एक पल मे उड़ गया " मै कुछ नाश्ता ले के आता हू अनु जब तक तुम फ्रेश हो लो "
हर नार्मल आदमी कि तरह मंगेश ने भी वही किया वीर्य निकलते ही सब कुछ समाप्त.
अनुश्री हक्की बक्की रह गई " अभी तो बड़ा प्यार आ रहा था "
मंगेश बिस्तर से उठ खड़ा हुआ,एक बार भी पीछे देखे बिना बहार निकल गया,
मंगेश तो चला गया लेकिन सुबह सुबह अनुश्री कि कामज्वाला भड़का गया.
"ऐसे क्या करते हो मंगेश? क्यों हर बार अकेले ही छोड़ देते हो " अनुश्री को शिकायत थी वो संभल गई थी उसका मन और जिस्म कल रात से ही हल्का था लेकिन मंगेश फिर चिंगारी लगा गया.
अनुश्री के तन और मन मे ज्वालामुखी फुट रहे थे,इसी कसमकास मे डूबी अनुश्री बाथरूम मे आ गई जहाँ अदामकद शीशे मे अपने अक्ष को देख के दंग रह गई उसका चेहरा लाल था एक दम लाल.
"आज मंगेश ने पहली बार पहल कि थी " अनुश्री दैनिक कार्य के लिए बैठ गई लेकिन दिमाग़ मे विचारों कि आंधी बरकरार थी.
"मगेश को अभी भी मुझमे इंट्रेस्ट है,ऐसा ना होता तो वो पीछे आ के ना चिपकता " अनुश्री फ्लश चला खड़ी हो गई
सामने खुद को देख ख़ुश हो रही थी
"क्या चुत है मैडम आपकी " मिश्रा के शब्द उसके कान मे गूंजने लगे
अनुश्री को रात वाले सुखद अहसास ने घेर लिया.
ना जाने कैसे उसके हाथ अपने गाउन के निचले हिस्से को पकड़ ऊपर को खींचने लगे, खिंचते रहे गाउन पूरा कमर तक चढ़ गया.
सामने अनुश्री कि फूली हुई, साफ चिकनी चुत जगमगा रही थी.
अनुश्री कुदरत कि दि हुई इस अनमोल वस्तु को देख खुद ही मन्त्रमुग्ध हुए जा रही थी.
"इससससस......मिश्रा सच बोल रहा था " अनुश्री ने आखिर मान ही लिया जो सच था.
कामविभोर अनुश्री के हाथ ने जाँघ के बीच गीली लकीर को छू ही दिया "इययययआआ......" एक अजीब से किलकारी फुट पड़ी.
"मंगेश ये सिर्फ तुम्हारी है,मै जानती हू तुम नामर्द नहीं हो बस जोश कि कमी है " अनुश्री के मन मे ना जाने क्या विचार उत्पन्न होने लगे.
वो हल्का सा पीछे को घूमी ही थी कि शीशे मे उसकी बड़ी सी गांड का अक्ष उभर आया " इसे ही देख के तुम पागल हुए थे ना मंगेश,अब बताती हू तुम्हे " अनुश्री के चेहरे पे कातिल मुस्कान थी,
वो अपने बदन के आकर्षण का इस्तेमाल करना सीख गई थी.
तुरंत ही बाथरूम से बहार निकल आई,सामने ही उसका मोबाइल पड़ा था.
चेहरे पे मुस्कान लिए नंबर डायल करने लगी....ट्रिन...ट्रिन....टट्रिन....
"हनन....हाँ....जान हेलो क्या हुआ " उधर से मंगेश कि आवाज़ थी.
"देखो ना मंगेश मै नहाने गई और पानी चला गया,एक बून्द पानी नहीं है जल्दी आ के देखो ना क्या हुआ " अनुश्री कि चेहरे कि कातिल मुस्कान बता रही थी कि उसके आईडिया बड़ा ही धाँसू और कामुक होने वाला है.
"लो अभी तो मै नहा के निकला फिर अचानक पानी कहाँ गया " मंगेश थोड़ा झुंझुला गया.
"मुझे नहीं पता तुम अभी आ के ठीक करो " टक....से अनुश्री ने फ़ोन काट दिया
"अब देखती हू बच्चू कैसे भागते हो मुझसे " अनुश्री खुद के आईडिया पे इतरा रही थी.
"इसे देख के ही पागल हुए थे ना आओ अच्छे से दिखाती हू " अनुश्री अपनी मदमस्त गांड को इठला इठला के बाथरूम कि और चल पड़ी गाउन के अंदर कोई सपोर्ट नहीं था
उसकी गांड एक दूसरे से टकरा के वापस दूर हो जाती,फिर वापस आपस मे झगड़ पड़ती
वाकई आज मंगेश कि खाट खड़ी होने वाली थी.
होटल के नीचे मंगेश
"क्या यार ये पानी को भी अभी ही जाना था " मंगेश तेज़ कदमो से वापस होटल के अंदर चले जा रहा था.
"क्या हुआ सर इतना तेज़ कहाँ चले जा रहे है " पीछे से आती आवाज़ ने मंगेश को टोक दिया
मंगेश पलटा ही कि "क्या बताऊ अब्दुल मियाँ "
बोलिये भी साहब कोई भी परेशानी हो सबका हल है मेरे पास.
"अरे कुछ नहीं रूम मे पानी नहीं आ रहा है तो वही देखने जा रहा हू" मंगेश मे मुँह बनाते हुए बोला जैसे होटल कि बुराई कर रहा हो
"अरे ऐसे कैसे आज सुबह ही तो मैंने पानी चढ़ाया था टंकी मे " अब्दुल ने होटल कि लाज रखने को बोला
"फिर क्यों नहीं आ रहा?" मंगेश थोड़ा सा झुंझुला गया
"साहेब गुस्सा क्यों होते है मै हू ना यहाँ का आलराउंडर 5मिनट मे ठीक कर दूंगा " अब्दुल ऐसा सुनहरा मौका खोना नहीं चाहता था.
"गुस्सा नहीं कर रहा हू वो नाश्ता पानी लेने निकला था कि पानी कि समस्या आ गई "
"कोई नहीं साहब आप जाओ मै अभी ठीक कर आता हू " अब्दुल ऐसे निकला जैसे कोई कुत्ता उसके पीछे पड़ा हो
"अरे सुन तो " मंगेश कुछ बोलता ही कि अब्दुल तो गायब हो चला था.
वो ज्यादा देर मंगेश के पास रुकना भी नहीं चाहता था" कही साहब का मन ना बदल जाये "
लेकिन मगेश भी उलटे पैर होटल के बहार निकल गया "चलो बला टली,अब्दुल देख लेगा पानी का आराम से सैर करते हुए आता हू"
मंगेश बिल्कुल चिंता मुक्त वहा से निकल गया ना जाने कितनी बड़ी बला टाली हो उसने.
इधर अब्दुल मात्र कुछ सेकंड मे ही मंगेश के रूम के बहार खड़ा था, परन्तु जैसे ही उसकी नजर दरवाजे पे लगी कुण्डी पे पड़ी उसके सारे अरमान,सारे इरादे सब धाराशाई हो गए.
"ये क्या कुण्डी लगी है यहाँ तो? मुझे साहब कि पूरी बात सुन लेनी थी " अब्दुल खुद को कोसे जा रहा था
"चररररर.....करती कुण्डी खुल गई, लगता है मैडम के दर्शन नहीं हो पाएंगे " अब्दुल निराश हो चला
उसके कदम कमरे मे अंदर को चल पडे.
अंदर बाथरूम मे...
"खट....चरररर.....दरवाजा खुलने कि आवाज़ जैसे ही अनुश्री के कानो मे पड़ी उसकी चुत ने रस कि पहली धार बहा दि,मन मयूर नाच उठा "लगता है मंगेश आ गया...अब आएगा मजा "
अनुश्री ने कांच मे देखते हुए खुद को ही आंख मार दि जैसे कोई बहुत भारी षड़यंत्र रचा हो और उसने पहली सफलता प्राप्त भी कर ली हो.
"जवानी का मजा लूटना ही चाहिए " बूढ़ो कि सीख आज अनुश्री के बहुत काम आ रही थी.
अनुश्री ने जानबूझ के गाउन ऊपर चढ़ा लिया और वाश बेसिन पे झुक के खड़ी हो गई,झुकने से उसकी गांड कि गौलाईया उभर के बहार को निकल आई.
गोरी नंगी चिकनी गांड चमक रही थी,कोई सपोर्ट ना होने से दोनों हिस्से एक दूसरे से अलग हो चले.
दोनों पाटो के बीच एक खाई नजर आने लगी काम रुपी सुन्दर महकती खाई, इसी खाई मे तो खुशियाँ भरी पड़ी थी अनुश्री कि, बस कोई खोदने वाला चाहिए था.
अनुश्री वाश बेसिन पे सर ऐसे झुकाये खड़ी थी जैसे कुछ चेक कर रही हो.
परन्तु उसके कान बहार से आती कदमो कि सरसराहट पे ही टिके हुए थे, ऐसा खुला कामुक कदम उसने जीवन मे पहली बार उठाया था, क्या करती अपने पति को अपनी खूबसूरती तो दिखानी ही थी,मंगेश को वो खाजाना दिखाना था जो बहार के लोग लूटने को तैयार बैठे थे परन्तु मंगेश देखता तक नहीं थी.
"लेकिन अब ठान ही लिया है तो पीछे नहीं हटना " अनुश्री मन मजबूत किये झुक गई जीतना हो सकता था उतनी टांगे फैला ली गांड बाहर को निकाल ली.
जैसे जैसे बहार से कदमो कि आवाज़ नजदीक आती जाती अनुश्री के दिल कि धड़कन बढ़ती जा रही थी
एक पल को लगा अंदर से कुण्डी लगा ले "नहीं....नहीं आखिर मेरा पति है उसका हक़ है मुझपे,वो नहीं देखेगा तो कौन देखेगा "
अनुश्री ने खुद को समझा लिया था वो इस खेल मे निपुण होती चली जा रही थी
थक....ठाक...ठाक.....कदमो कि आवाज़ बाथरूम के दरवाजे पे आ के ठिठक गई.
अनुश्री कि दिल कि धड़कन बेकाबू हो चली, गला सूखने लगा बस एक दरवाजे का ही फासला था. मंगेश उसे पहली बार इस अवस्था मे देखता. मंगेश देखो ना....पानी कब से नहीं आ रहा है,मै परेशान हो गई हू अभी नहाई भी नहीं "
अंदर से आई मधुर आवाज़ जैसे ही अब्दुल के कानो मे पड़ी उसके रोंगटे खड़े हो गए,उसे तो लग था अंदर कोई नहीं है
"लललल.....लेकिन अंदर तो मैडम है " अब्दुल के पैर वही जम गए एक बार को उसकी हिम्मत जवाब दे गई.
"क्या हुआ मंगेश अंदर आ के देखो ना क्या हुआ है " अनुश्री कि आग्रह भरी आवाज़ फिर से अब्दुल के कानो को चिरती चली गई
अब्दुल ने आज तक जो किया सीना ठोंक के सामने से किया, परन्तु आज उसे ये चोरी लग रही थी उसके पैर कांप उठे.
अनुश्री मंगेश को आवाज़ दे रही थी,लेकिन अब्दुल जनता था वो मंगेश नहीं है ये चोरी है"मैडम.मुझे नहीं बुला रही "
"जल्दी आओ ना " इस बार अनुश्री कि तीखी आवाज़ ने अब्दुल को धरातल पे पटक दिया
अब्दुल कि सोच समझ ने दगा दे दिया उसके हाथ बाथरूम के दरवाजे पे जा लगे और एक ही झटके मे अंदर को धकेल दिया.
दरवाजा खुलते ही एक ठंडी हवा का झोंका अनुश्री कि नंगी खूबसूरत गांड से जा टकराया "इस्स्स्स....मंगेश " मुस्कान के साथ एक धीमी सी सिसकारी अनुश्री ने छोड़ दि.
वही अब्दुल सामने का नजारा देख फ़ना हो गया, उसे खुद कि किस्मत पे यकीन ही नहीं हो रहा था कि वो क्या देख रहा है
आज तक जिस गांड को नंगा देखने के सपने देखे थे वो सामने थी एक दम सामने,,बिल्कुल नंगी फैली हुई
"अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान " इस कहावत का जीता जागता सबूत अब्दुल था.
"क्या हुआ मंगेश देखो ना " अनुश्री सर झुकाये ही बोल पड़ी साथ ही अपना पिछला हिस्सा हिला दिया
अब्दुल का तो गला ही सुख गया इस अद्भुत नज़ारे को देख के,उसके मुँह से बोल नहीं फुट रहे थे.
वही अनुश्री मंद मंद मुस्कुरा रही थी,उसे अच्छे से पता था पीछे का नजारा कितना कामुक है मंगेश कि क्या हालत हुई है,लेकिन वो बराबर अनजान बनी हुई थी.
वो मंगेश को ओर रिझना चाहती थी,उसे पागल कर देना चाहती थी इतना कि वो खुद उस पर टूट पडे, इसी चाहत मे उसके अपनी कमर को एक हल्का सा झटका दे दिया इस हलके से झटके से गांड के दोनों पाट आपस मे भीड़ गए थाड....थाड...थाड....कि एक मधुर संगीत ने दोनों के जिस्म मे हलचल मचा दि.
अब्दुल तो दुनिया का सबसे बेहतरीन अजूबा देख रहा था, उसके कमर के निचले हिस्से मे उभार बनता जा रहा था,एकदम टाइट उभार कसा हुआ.
अनुश्री कि इस हरकत के बाद भी दरवाजे पे शांति छाई थी " आओ ना मंगेश देखो कितना जाम है नल, बिल्कुल पानी नहीं आ रहा है " अनुश्री आज पहली बार डबल मीनिंग बात कर रही थी और इसका कारण कही ना कही वो बंगाली बूढ़े ही थे.
अब्दुल से अब ये दृश्य सहन करना मुश्किल था, थोड़ा भी कंट्रोल करता तो प्राण त्याग देता उसे इस अनमोल खजाने को पा लेना था.
उसके कदम आगे को बढ़ गए, बढ़ते कदमो कि आहट से अनुश्री कि चुत और गांड के छेद सिकुड़ गए
जैसे उन्हें आने वाले पल का अहसास हो गया हो.
अनुश्री सर झुकाये आंख बंद किये हुई थी उसे भी आने वाले पल का इंतज़ार था उसे पता था मंगेश खुद को रोक नहीं पायेगा उसे जानना था मंगेश क्या करता है,
उसकी दिली इच्छा थी मंगेश उसकी चुत को चाटे जैसा मिश्रा ने कल रात किया था इसी अहसास का तो उसे इंतज़ार था.
अब्दुल बिल्कुल नजदीक पहुंच गया था.....उसके हाथ उस अनमोल खजाने को टटोलने के लिए उठ गए थे.
"क्या हुआ मंगेश....."अनुश्री कि आवाज़ ने उसे फिर दहला दिया
"मममम....मै तो मंगेश नहीं हू मैंने हाथ रखा तो मैडम समझ जाएगी " अब्दुल सही समय पे सचेत हो गया था परन्तु उसे ये खजाना लूटना ही था.
उसके घुटने मुड़ते चले गए....और गीले फर्श पे जा टिके....
"आआआहहहहहहहह....नहीं...घुटने टिकते ही अनुश्री के मुँह से तेज़ सिसकारी निकल पड़ी.
एक गर्म जलती गीली जीभ सीधा अनुश्री के गुदा द्वारा पे जा टिकी.
अनुश्री का सर और नीचे को जा लटका, लगभग वाश बेसिन मे ही जा टिका,आंखे ऊपर को चढ़ गई,
"आअह्ह्ह......मंगेश " अनुश्री को मंगेश से ये उम्मीद कतई नहीं थी,उम्मीद क्या मंगेश तो ऐसा कर ही नहीं सकता था.
अभी अनुश्री अपने विचार मे ही थी कि "सुड़प....सुड़प.....सुड़प....करती जीभ गांड कि दरार मे रेंगने लगी
जीभ कि छुवन ने उसके विचारों को धूमिल कर दिया.
"आआहहहहह....ाआहे...आउच मममम....मंगेश " अनुश्री चित्कार रही थी उसे ये अहसास अलग लग रहा था कल रात से भी अलग.
मंगेश का ये रूप देख अनुश्री चकित रह गई, साथ कि कुछ अजीब सी हलचल भी मच रही थी.
वो अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपर करती ताकि जीभ के निशाने को सही जगह ले सके,वही चाटवाना चाहती थी जहाँ मिश्रा ने चाटा था.
परन्तु जैसे ही कमर ऊपर करती पीछे अब्दुल का सर भी ऊपर हो जाता,लगता था जैसे अब्दुल कि जीभ अनुश्री के गुदा छिद्र से चिपक गई है.. सुड़प....सुड़प...कि आवाज़ से बाथरूम गूंज उठा.
"ममममम....मंगेश ये क्या कर रहे हो...आअह्ह्ह....." अब्दुल कि इस हरकत ने अनुश्री के दिल मे शक का बीज बो दिया था
"मंगेश ने आज तक ऐसा नहीं किया,उसे तो ये जगह गन्दी लगती है" अनुश्री के मन मे हज़ारो विचार कोंध रहे थे फिर भी उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि पीछे पलट के देख ले.
अनुश्री इस अहसास मे खो जाना चाहती थी,उसे धीरे धीरे समझ आ रहा था कि काम क्रीड़ा मे कुछ गन्दा नहीं होता,या फिर जीतना गन्दा उतना ही मजा.
अब्दुल पूरी सिद्दत के साथ अनुश्री कि गांड मे मुँह घुसाए उसे चाटे जा रहा था, उसकी जीभ का खुर्दरापन अनुश्री को नये नये काम आयाम कि सैर करवा रहा था.
"आआहहहहह..........आउच....उफ्फ्फ्फ़....." अब अनुश्री के मुँह से सिर्फ सिस्करीया निकल रही थी मंगेश का नाम नहीं था
ना जाने क्यों उसका सक गहराता जा रहा था अभी वो वासना और शक के बीच घूम ही रही थी कि....अब्दुल ने उसके गुदा द्वारा को पूरा मुँह मे भर के बहार को खिंच लिया
"आआआहहहहब....नहीं......आउच..." अनुश्री को अब पक्का यकीन हो चला था ये मगेश नहीं है,मंगेश को ये सब आता ही नहीं है,
अनुश्री ने बार बार कोशिश कि अपनी कमर उठा के चुत को पीछे बैठे शख्स के मुँह पे रख दे अपनी चुत चाटवाये,परन्तु वो आदमी गांड छोड़ने को तैयार ही नहीं था.
अनुश्री का कलेजा कांप उठा,उसे पक्का यकीन हो चला पीछे मंगेश नहीं है परन्तु अब कुछ नहीं किया जा सकता था अब तीर निकल चूका था.
अनुश्री के पैर डर और काम वासना से कांप रहे थे,ऐसा सुकून गांड मे भी मिल सकता है उसे इस बात का कोई अंदाजा नहीं था.
इन सब के बावजूद वो पीछे मुड़ के नहीं देखना चाहती थी,इंसानी फितरत होती है ना कि शक यकीन मे बदल जाये फिर भी वो उसे शक ही रहने देना चाहता है क्यूंकि सच से अच्छा झूठ ही होता है..वही हाल अनुश्री का भी था वो काम तालाब मे इतना अंदर जा चुकी थी कि अब उसे कोई मतलब नहीं था कि उसकी गांड कौन चाट रहा है.
अब्दुल ने अनुश्री कि गांड को चाट चाट के लाल कर दिया था,इतना कि अंदर का कुछ हिस्सा निकल के बहार को आ गया, अब्दुल से रहा नहीं जा रहा था उसे और ज्यादा चाहिए था उसे मजबूत हाथो ने अनुश्री कि गांड के दोनों चट्टानों को पकड़ के अलग अलग दिशा मे खिंच दिया
"आआआहहहहहह....... एक जोड़ी मजबूत खुर्दरे हाथ अपनी गांड पे पा के अनुश्री कांप उठी उसका बदन बगावत पे उतर गया.
"वाह....मैडम क्या गांड है आपकी " आखिर अब्दुल से रहा नहीं गया वो तारीफ किये बिना रह नहीं सका.
अनुश्री इस आवाज़ से सिहर उठी उसका यकीन सच साबित हुआ...उसके पैर कंपने लगे, क्यूंकि जब से वो यहाँ आई है ये आवाज़ हर वक़्त उसके पीछे ही होती है.
"अअअअअ.....अअअअअ....अब्दुल....आआहब्बब...." अनुश्री आगे नहीं बोल पाई, अब्दुल ने उसकी गांड को फैला के पूरा गुदा द्वारा मुँह मे भर लिया, मुँह मे भर उसे चूसने लगा,जीभ से कुरेदने लगा,दांतो से कुतरने लगा.
अनुश्री को ये अनुभूति ये दर्द,ये सुख, वासना सब एक साथ मिल रही थी.
"आआहहहह......अब्दुल.....नहीं.....और नहीं...." अनुश्री ने सर उठा दिया, समने शीशे मे वो झुकी खड़ी थी पीछे कोई आदमी उसकी गाड़ मे घुसा उसकी गांड चाट रहा था,खा जाना चाहता था, उसकी नाभि के नीचे हलचल शुरू हो गई थी.
अनुश्री ने कामवसान मे भर के वो हरकत कर दि जो उसे कभी शोभा नहीं देती. अनुश्री ने दोनों हाथ पीछे ले जा के अपनी गांड को खोल दिया जैसे बुलावा दे रही हो खाओ चाटो इसे
इस समय अनुश्री कि हालत कोई देख लेता तो उसे यही लगता जैसे उसके प्राण निकल रहे है.
"आअह्ह्ह.....अब्दुल.....जोर से....अंदर...." अनुश्री आखिर बोल ही पड़ी जो उसे चाहिए था,उसे आज कामकला का नया अध्यय पढ़ने को जो मिल था.उसकी टांगे फैलती जा रही थी,गांड नीचे को झुकती चली जा रही थी उसके पैरो से ताकत खत्म हो रही थी
अब्दुल उसकी बेचैनी को देख समझ गया, उसने अनुश्री के गुदा द्वारा को आज़ाद कर दिया
अनुश्री अभी कुछ समझती ही कि एक ऊँगली सरसराती गांड के अंदर प्रवेश कर गई "आआआहहहहहह.....अब्दुल.....वहाँ नहीं "
लेकिन अब्दुल माने तब तो "फच...फच...फच....करती अब्दुल कि ऊँगली अनुश्री के गुदा द्वारा मे अंदर बहार सफर करने लगी.
अनुश्री तो जैसे जन्नत मे थी,उसका सब्र जवाब दे रहा था,सामने शीशे मे खुद कि हालत देख और भी ज्यादा काम विभोर हो उठी.
अभी ये कम ही था कि अब्दुल ने अपना सर वापस से दे मारा उसकी जबान गुदा द्वारा को चाटने लगी,ऊँगली भोगने लगी.
लगता था जैसे ऊँगली घुसाने से जो दर्द हुआ है उसे जीभ से मरहम लगाया जा रहा है
"आआआहहहह...उफ्फफ्फ्फ़......आउच....अब्दुललललल....."
ससससररररर......फच...फाचक....पिस्स्स्स.......कर ती अनुश्री कि चुत से पेशाब और वीर्य कि मिली जुली धारा बह निकली.
"आआआह्हहह.....हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....हमफ्फग...
अब नहीं अब्दुल....बस...मै.मर जाउंगी...."
अनुश्री लगातर मुते जा रही थी, अब्दुल गांड चाटे जा रहा था,
"हुम्म्मफ्फग.....हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....अनुश्री आगे को गिर पड़ी...जैसे कोई काटा हुआ पेड़ आंधी मे गिरा हो"
अनुश्री के आगे को गिरने से.....पुकककम.....से अब्दुल कि ऊँगली बहार को निकल गई.
"लो मैडम आ गया पानी " अब्दुल उठ खड़ा हुआ.
अनुश्री सामने एक टक शीशे मे खुद को और अपने पीछे खड़े अब्दुल को देखे जा रही थी,उसका दिल धाड़ धाड़ कर चल रहा था.
अनुश्री देख ही रही थी कि अब्दुल ने अपनी ऊँगली दिखाते हुए अपने मुँह मे भर के चाट लिया
"आआआआहहहहहह......अब्दुल.....अनुश्री कि आंखे बंद होती चली गई,मात्र अब्दुल कि इस कमुक हरकत से वो एक बार फिर झड़ गई.
धप्पपप.....से बाथरूम का दरवाजा बंद हो गया,अनुश्री जाते हुए कदमो कि आवाज़ सुनती रही.
आज अनुश्री ने काम कला का नया अध्याय पढ़ा था.
अब और क्या गुल खिलाएगी अनुश्री?
बने रहिये कथा जारी है
Batao kaise kaise log h yaha apni bahno ko bhi nahi bakshaIs story ki heroine meri Rupali didi ko hona chahiye yar
Waaah..maza aa gyaअपडेट -29
रात का सन्नाटा पसर गया था.
अनुश्री आज संतुष्ट थी,उसका बदन बिल्कुल हल्का हो गया,इतना कि वो किसी जादू के जोर से उड़ती हुई अपने कमरे मे पहुंची थी,डर लाज शर्म सब उस स्सखलन के साथ बह गए लगते थे
वही गाड़ा पदार्थ जिसे वो मिश्रा के मुँह पे पोत कर आई थी वो सिर्फ काम रस हि नहीं था उसमे बेहयाई, पतन, हवस,सुकून सब मिला हुआ था.
धममममम....से अनुश्री मंगेश के बगल मे जा लेटी उसकी आंखे भारी हो चली वो कब हसीन नींद के आगोश मे चली गई पता नहीं.
नीचे रसोई मे मिश्रा उस स्त्री के वीर्य रुपी काम शहद को चाट रहा था या यु कहिए मिश्रा अनुश्री कि लज्जा, हया, संस्कार को चटकारे के साथ चाट रहा था.
"मान गए मिश्रा तुम्हे, थोड़ा मुझे भी चखा " अब्दुल लार टपकता रसोई मे अंदर आ धमका
"ले तू भी क्या याद करेगा,ले सूंघ " मिश्रा ने अनुश्री कि गीली पैंटी अब्दुल कि ओर उछाल दि.
"ससससनणणनईईफ्फफ्फ्फ़.....आअह्ह्हह्ह्ह्ह....क्या खुसबू है यार इसकी चुत कि, चुत मे ऐसी महक है तो गांड कि तो बात कि क्या होंगी " अब्दुल मात्र उस सुगंध से नशे मे आ गया,तुरंत आँखों मे लाल डोरे तैर गए
"तूझे गांड मे ऐसा क्या आनद मिलता है बे " मिश्रा ने जेब से खैनी निकल ली
"तुझे क्या पता बे कभी मारी है क्या तूने,देखा नहीं मैडम कि गांड कितनी बड़ी है कैसे लहराती है,काश एक बार उसकी गांड चाटने को मिल जाये " अब्दुल ने अनुश्री कि कच्छी को आगे कर दिया
"तूने सही कहाँ था अब्दुल मैडम मना नहीं करेगी " मिश्रा ने खैनी बना के अनुश्री कि पैंटी पे रख दिया
"बस मे उसकी हालत देख क मुझे लगा हि था तभी तो तुझे बताया, मेरा लंड चूस हि लेती यदि उसका पति नहीं आया होता" अब्दुल ने पैंटी को वापस अपने मुँह पे खिंच लिया और जीभ निकाल के खैनी सहित पैंटी को भी चाट गया
"आआहहहह....मिश्रा क्या खैनी बनाई है वाह मजा आ गया हाहाहाहाहा....
अब्दुल और मिश्रा दोनों हॅस पड़े.
उन दोनों को अपनी किस्मत पे यकीन नहीं हो रहा था कि एक ट्रैन के सफर से यहाँ तक का सफर तय कर लिया उन लोगो ने
दोनों हि सुखद कामना लिये वही रसोई मे सो गए.
क्या पता कामदेव इन दो मुरादो कि इच्छा पूरी करने को मरा जा रहा हो.
सुबह हो चुकी थी,मौसम अभी भी ख़राब हि था रह रह क बारिश हो रही थी.
मंगेश आंख मीचमीचाता उठ बैठा,बगल मे हि हुस्न कि परी अनुश्री सोइ हुई थी.
मंगेश ने एक पल निहार के उसे देखा, जाँघ तक उठा हुआ गाउन,हाथ ऊपर किये अनुश्री के सुकून को बयान कर रहा था.
मंगेश ने उसे उठाने के लिए हाथ बढ़ाया हि था कि "चलो सोने दो कल दिन भर थक गई थी " मंगेश उठ कर बाथरूम चला गया
उसे क्या पता था ये थकान कैसी है?
कुछ हि समय मे मंगेश निपट कर बहार आ गया अनुश्री बेखबर अभी भी अपने खूबसूरत मादक जिस्म कि छटा बिखेर रही थी "उठो ना जान कितना सोऊगी?" मंगेश ने अनुश्री को झकझोर दिया
"उम्मम्मम...क्या है मंगेश सोने दो ना " अनुश्री करवट ले कर पलट गई
करवट लेने से अनुश्री कि बड़ी गांड का हिस्सा बहार को निकल आया,मंगेश ने अपनी बीवी को इस तरह से कभी नहीं देखा था वाकई उसकी बीवी आकर्षक थी.
मंगेश को रात कि बात याद आ गई,रात मे उसने काम अधूरा छोड़ दिया था.मंगेश तुरंत हि बिस्तर पे जा चढ़ा और अनुश्री के पीछे से जा चिपका "उठो ना जान " बोलते हुए मंगेश ने अपनी कमर को आगे को धक्का दे दिया एक छोटी सी सख्त चीज अनुश्री कि गांड कि दरार मे जा लगी
मंगेश को इतना तक पता नहीं चल पाया कि गाउन के अंदर कोई अबरोध नहीं है
गाउन का कपड़ा इस दबाव से बीच कि लकीर मे जा धसा....
"आउच.....मिस......रा....." अनुश्री कि आंखे खुल गई इस एक झटके से, तुरंत हि पीछे को पलटी "म....मिश्र...मंगेश."
अनुश्री कि सांसे फूल गई उसने अपने पीछे मंगेश को पाया उसकी जबान क्या बोल रही थी,ना जाने कैसे संभल गई
"हाँ मै ही हू जान " मंगेश अपनी बीवी कि सुंदरता देख खो गया रहा उसे ध्यान हू नहीं था कि अनुश्री बोली क्या.
"ममम....मंगेश " अनुश्री के जहन मे साय साय कर हवा चल रही थी,वो अभी रात क वाक्य से बहार ही नहीं आई थी "ये सुबह कब हो गई? मै कब आई यहाँ " जैसे अनुश्री रात किसी नशे मे थी
मंगेश ने उसे बाहों मे दबोच लिया "क्या मै मै...लगा रखा है
तुम्हारा ही पति हू कोई भूत नहीं " मंगेश ने कमर को ओर अंदर को दबा दिया
.
"आउच...क्या कर रहे हो मंगेश " अनुश्री वैसे ही लेटी रही वो खुद पे काबू पा चुकी थी नींद से बहार आ गई थी
मंगेश धीरे धीरे अपनी कमर चला रहा था,इन झटको से अनुश्री कि कल रात कि याददाश्त लौटने लगी,उसकी जांघो के बीच फिर से कुछ कुलबुलाने लगा.
मंगेश पीछे से हलचल तो कर ही रहा था परन्तु ये नाकाफी था,कुछ तो कमी थी इस अहसास मे ये वैसा नहीं था जब अब्दुल ने ट्रैन मे पीछे से छुवाया था.
अनुश्री कि काम इच्छा इस हद तक बढ़ गई कि वो बार बार अपने पति कि तुलना बाहरी मर्दो से कर बैठती.
अभी भी उसके जहन मे यही सब चल था....आआआआहहहहह......मंगेश
अनुश्री कि आह निकल तो गई लेकिन ये आह तड़प कि थी,और ज्यादा पाने कि चाहत कि थी.
अनुश्री सिर्फ इस बात से ख़ुश थी कि उसका पति आज उसकी तरफ आकर्षित तो हुआ,वो यह मौका नहीं खोना चाह रही थी इसी चाहत मे अनुश्री ने अपनी बड़ी से गांड को एक जोरदार धक्का दे दिया.
"आआआहहहहह....मेरी जान अनु क्या करती हो " मंगेश के मुँह से भैंसे कि तरह हुंकार निकल गई
उसकी पैंट मे बना छोटा सा उभार प्यूककककक....करता हुआ दो बड़ी चट्टान के बीच आ गया था.
गांड रुपी दो चट्टानों के बीच इतनी गर्मी थी कि मंगेश जैसे मामूली आदमी के बर्दाश्त के काबिल नहीं थी, नतीजा मंगेश का उभार गिला होता चला गया
सब कुछ अचानक शांत हो गया, अभी तो आग भड़की थी ये क्या हुआ?
अनुश्री ने पीछे पलट के देखा मंगेश हांफ रहा था,सांस खिंच रहा था
अनुश्री को समझते देर ना लगी कि क्या हुआ है इतना काम ज्ञान तो वो अर्जित कर ही चुकी थी.
जैसे ही मंगेश के हवाई गुब्बारे कि गर्म हवा निकली सारा आकर्षण, सारा प्यार एक पल मे उड़ गया " मै कुछ नाश्ता ले के आता हू अनु जब तक तुम फ्रेश हो लो "
हर नार्मल आदमी कि तरह मंगेश ने भी वही किया वीर्य निकलते ही सब कुछ समाप्त.
अनुश्री हक्की बक्की रह गई " अभी तो बड़ा प्यार आ रहा था "
मंगेश बिस्तर से उठ खड़ा हुआ,एक बार भी पीछे देखे बिना बहार निकल गया,
मंगेश तो चला गया लेकिन सुबह सुबह अनुश्री कि कामज्वाला भड़का गया.
"ऐसे क्या करते हो मंगेश? क्यों हर बार अकेले ही छोड़ देते हो " अनुश्री को शिकायत थी वो संभल गई थी उसका मन और जिस्म कल रात से ही हल्का था लेकिन मंगेश फिर चिंगारी लगा गया.
अनुश्री के तन और मन मे ज्वालामुखी फुट रहे थे,इसी कसमकास मे डूबी अनुश्री बाथरूम मे आ गई जहाँ अदामकद शीशे मे अपने अक्ष को देख के दंग रह गई उसका चेहरा लाल था एक दम लाल.
"आज मंगेश ने पहली बार पहल कि थी " अनुश्री दैनिक कार्य के लिए बैठ गई लेकिन दिमाग़ मे विचारों कि आंधी बरकरार थी.
"मगेश को अभी भी मुझमे इंट्रेस्ट है,ऐसा ना होता तो वो पीछे आ के ना चिपकता " अनुश्री फ्लश चला खड़ी हो गई
सामने खुद को देख ख़ुश हो रही थी
"क्या चुत है मैडम आपकी " मिश्रा के शब्द उसके कान मे गूंजने लगे
अनुश्री को रात वाले सुखद अहसास ने घेर लिया.
ना जाने कैसे उसके हाथ अपने गाउन के निचले हिस्से को पकड़ ऊपर को खींचने लगे, खिंचते रहे गाउन पूरा कमर तक चढ़ गया.
सामने अनुश्री कि फूली हुई, साफ चिकनी चुत जगमगा रही थी.
अनुश्री कुदरत कि दि हुई इस अनमोल वस्तु को देख खुद ही मन्त्रमुग्ध हुए जा रही थी.
"इससससस......मिश्रा सच बोल रहा था " अनुश्री ने आखिर मान ही लिया जो सच था.
कामविभोर अनुश्री के हाथ ने जाँघ के बीच गीली लकीर को छू ही दिया "इययययआआ......" एक अजीब से किलकारी फुट पड़ी.
"मंगेश ये सिर्फ तुम्हारी है,मै जानती हू तुम नामर्द नहीं हो बस जोश कि कमी है " अनुश्री के मन मे ना जाने क्या विचार उत्पन्न होने लगे.
वो हल्का सा पीछे को घूमी ही थी कि शीशे मे उसकी बड़ी सी गांड का अक्ष उभर आया " इसे ही देख के तुम पागल हुए थे ना मंगेश,अब बताती हू तुम्हे " अनुश्री के चेहरे पे कातिल मुस्कान थी,
वो अपने बदन के आकर्षण का इस्तेमाल करना सीख गई थी.
तुरंत ही बाथरूम से बहार निकल आई,सामने ही उसका मोबाइल पड़ा था.
चेहरे पे मुस्कान लिए नंबर डायल करने लगी....ट्रिन...ट्रिन....टट्रिन....
"हनन....हाँ....जान हेलो क्या हुआ " उधर से मंगेश कि आवाज़ थी.
"देखो ना मंगेश मै नहाने गई और पानी चला गया,एक बून्द पानी नहीं है जल्दी आ के देखो ना क्या हुआ " अनुश्री कि चेहरे कि कातिल मुस्कान बता रही थी कि उसके आईडिया बड़ा ही धाँसू और कामुक होने वाला है.
"लो अभी तो मै नहा के निकला फिर अचानक पानी कहाँ गया " मंगेश थोड़ा झुंझुला गया.
"मुझे नहीं पता तुम अभी आ के ठीक करो " टक....से अनुश्री ने फ़ोन काट दिया
"अब देखती हू बच्चू कैसे भागते हो मुझसे " अनुश्री खुद के आईडिया पे इतरा रही थी.
"इसे देख के ही पागल हुए थे ना आओ अच्छे से दिखाती हू " अनुश्री अपनी मदमस्त गांड को इठला इठला के बाथरूम कि और चल पड़ी गाउन के अंदर कोई सपोर्ट नहीं था
उसकी गांड एक दूसरे से टकरा के वापस दूर हो जाती,फिर वापस आपस मे झगड़ पड़ती
वाकई आज मंगेश कि खाट खड़ी होने वाली थी.
होटल के नीचे मंगेश
"क्या यार ये पानी को भी अभी ही जाना था " मंगेश तेज़ कदमो से वापस होटल के अंदर चले जा रहा था.
"क्या हुआ सर इतना तेज़ कहाँ चले जा रहे है " पीछे से आती आवाज़ ने मंगेश को टोक दिया
मंगेश पलटा ही कि "क्या बताऊ अब्दुल मियाँ "
बोलिये भी साहब कोई भी परेशानी हो सबका हल है मेरे पास.
"अरे कुछ नहीं रूम मे पानी नहीं आ रहा है तो वही देखने जा रहा हू" मंगेश मे मुँह बनाते हुए बोला जैसे होटल कि बुराई कर रहा हो
"अरे ऐसे कैसे आज सुबह ही तो मैंने पानी चढ़ाया था टंकी मे " अब्दुल ने होटल कि लाज रखने को बोला
"फिर क्यों नहीं आ रहा?" मंगेश थोड़ा सा झुंझुला गया
"साहेब गुस्सा क्यों होते है मै हू ना यहाँ का आलराउंडर 5मिनट मे ठीक कर दूंगा " अब्दुल ऐसा सुनहरा मौका खोना नहीं चाहता था.
"गुस्सा नहीं कर रहा हू वो नाश्ता पानी लेने निकला था कि पानी कि समस्या आ गई "
"कोई नहीं साहब आप जाओ मै अभी ठीक कर आता हू " अब्दुल ऐसे निकला जैसे कोई कुत्ता उसके पीछे पड़ा हो
"अरे सुन तो " मंगेश कुछ बोलता ही कि अब्दुल तो गायब हो चला था.
वो ज्यादा देर मंगेश के पास रुकना भी नहीं चाहता था" कही साहब का मन ना बदल जाये "
लेकिन मगेश भी उलटे पैर होटल के बहार निकल गया "चलो बला टली,अब्दुल देख लेगा पानी का आराम से सैर करते हुए आता हू"
मंगेश बिल्कुल चिंता मुक्त वहा से निकल गया ना जाने कितनी बड़ी बला टाली हो उसने.
इधर अब्दुल मात्र कुछ सेकंड मे ही मंगेश के रूम के बहार खड़ा था, परन्तु जैसे ही उसकी नजर दरवाजे पे लगी कुण्डी पे पड़ी उसके सारे अरमान,सारे इरादे सब धाराशाई हो गए.
"ये क्या कुण्डी लगी है यहाँ तो? मुझे साहब कि पूरी बात सुन लेनी थी " अब्दुल खुद को कोसे जा रहा था
"चररररर.....करती कुण्डी खुल गई, लगता है मैडम के दर्शन नहीं हो पाएंगे " अब्दुल निराश हो चला
उसके कदम कमरे मे अंदर को चल पडे.
अंदर बाथरूम मे...
"खट....चरररर.....दरवाजा खुलने कि आवाज़ जैसे ही अनुश्री के कानो मे पड़ी उसकी चुत ने रस कि पहली धार बहा दि,मन मयूर नाच उठा "लगता है मंगेश आ गया...अब आएगा मजा "
अनुश्री ने कांच मे देखते हुए खुद को ही आंख मार दि जैसे कोई बहुत भारी षड़यंत्र रचा हो और उसने पहली सफलता प्राप्त भी कर ली हो.
"जवानी का मजा लूटना ही चाहिए " बूढ़ो कि सीख आज अनुश्री के बहुत काम आ रही थी.
अनुश्री ने जानबूझ के गाउन ऊपर चढ़ा लिया और वाश बेसिन पे झुक के खड़ी हो गई,झुकने से उसकी गांड कि गौलाईया उभर के बहार को निकल आई.
गोरी नंगी चिकनी गांड चमक रही थी,कोई सपोर्ट ना होने से दोनों हिस्से एक दूसरे से अलग हो चले.
दोनों पाटो के बीच एक खाई नजर आने लगी काम रुपी सुन्दर महकती खाई, इसी खाई मे तो खुशियाँ भरी पड़ी थी अनुश्री कि, बस कोई खोदने वाला चाहिए था.
अनुश्री वाश बेसिन पे सर ऐसे झुकाये खड़ी थी जैसे कुछ चेक कर रही हो.
परन्तु उसके कान बहार से आती कदमो कि सरसराहट पे ही टिके हुए थे, ऐसा खुला कामुक कदम उसने जीवन मे पहली बार उठाया था, क्या करती अपने पति को अपनी खूबसूरती तो दिखानी ही थी,मंगेश को वो खाजाना दिखाना था जो बहार के लोग लूटने को तैयार बैठे थे परन्तु मंगेश देखता तक नहीं थी.
"लेकिन अब ठान ही लिया है तो पीछे नहीं हटना " अनुश्री मन मजबूत किये झुक गई जीतना हो सकता था उतनी टांगे फैला ली गांड बाहर को निकाल ली.
जैसे जैसे बहार से कदमो कि आवाज़ नजदीक आती जाती अनुश्री के दिल कि धड़कन बढ़ती जा रही थी
एक पल को लगा अंदर से कुण्डी लगा ले "नहीं....नहीं आखिर मेरा पति है उसका हक़ है मुझपे,वो नहीं देखेगा तो कौन देखेगा "
अनुश्री ने खुद को समझा लिया था वो इस खेल मे निपुण होती चली जा रही थी
थक....ठाक...ठाक.....कदमो कि आवाज़ बाथरूम के दरवाजे पे आ के ठिठक गई.
अनुश्री कि दिल कि धड़कन बेकाबू हो चली, गला सूखने लगा बस एक दरवाजे का ही फासला था. मंगेश उसे पहली बार इस अवस्था मे देखता. मंगेश देखो ना....पानी कब से नहीं आ रहा है,मै परेशान हो गई हू अभी नहाई भी नहीं "
अंदर से आई मधुर आवाज़ जैसे ही अब्दुल के कानो मे पड़ी उसके रोंगटे खड़े हो गए,उसे तो लग था अंदर कोई नहीं है
"लललल.....लेकिन अंदर तो मैडम है " अब्दुल के पैर वही जम गए एक बार को उसकी हिम्मत जवाब दे गई.
"क्या हुआ मंगेश अंदर आ के देखो ना क्या हुआ है " अनुश्री कि आग्रह भरी आवाज़ फिर से अब्दुल के कानो को चिरती चली गई
अब्दुल ने आज तक जो किया सीना ठोंक के सामने से किया, परन्तु आज उसे ये चोरी लग रही थी उसके पैर कांप उठे.
अनुश्री मंगेश को आवाज़ दे रही थी,लेकिन अब्दुल जनता था वो मंगेश नहीं है ये चोरी है"मैडम.मुझे नहीं बुला रही "
"जल्दी आओ ना " इस बार अनुश्री कि तीखी आवाज़ ने अब्दुल को धरातल पे पटक दिया
अब्दुल कि सोच समझ ने दगा दे दिया उसके हाथ बाथरूम के दरवाजे पे जा लगे और एक ही झटके मे अंदर को धकेल दिया.
दरवाजा खुलते ही एक ठंडी हवा का झोंका अनुश्री कि नंगी खूबसूरत गांड से जा टकराया "इस्स्स्स....मंगेश " मुस्कान के साथ एक धीमी सी सिसकारी अनुश्री ने छोड़ दि.
वही अब्दुल सामने का नजारा देख फ़ना हो गया, उसे खुद कि किस्मत पे यकीन ही नहीं हो रहा था कि वो क्या देख रहा है
आज तक जिस गांड को नंगा देखने के सपने देखे थे वो सामने थी एक दम सामने,,बिल्कुल नंगी फैली हुई
"अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान " इस कहावत का जीता जागता सबूत अब्दुल था.
"क्या हुआ मंगेश देखो ना " अनुश्री सर झुकाये ही बोल पड़ी साथ ही अपना पिछला हिस्सा हिला दिया
अब्दुल का तो गला ही सुख गया इस अद्भुत नज़ारे को देख के,उसके मुँह से बोल नहीं फुट रहे थे.
वही अनुश्री मंद मंद मुस्कुरा रही थी,उसे अच्छे से पता था पीछे का नजारा कितना कामुक है मंगेश कि क्या हालत हुई है,लेकिन वो बराबर अनजान बनी हुई थी.
वो मंगेश को ओर रिझना चाहती थी,उसे पागल कर देना चाहती थी इतना कि वो खुद उस पर टूट पडे, इसी चाहत मे उसके अपनी कमर को एक हल्का सा झटका दे दिया इस हलके से झटके से गांड के दोनों पाट आपस मे भीड़ गए थाड....थाड...थाड....कि एक मधुर संगीत ने दोनों के जिस्म मे हलचल मचा दि.
अब्दुल तो दुनिया का सबसे बेहतरीन अजूबा देख रहा था, उसके कमर के निचले हिस्से मे उभार बनता जा रहा था,एकदम टाइट उभार कसा हुआ.
अनुश्री कि इस हरकत के बाद भी दरवाजे पे शांति छाई थी " आओ ना मंगेश देखो कितना जाम है नल, बिल्कुल पानी नहीं आ रहा है " अनुश्री आज पहली बार डबल मीनिंग बात कर रही थी और इसका कारण कही ना कही वो बंगाली बूढ़े ही थे.
अब्दुल से अब ये दृश्य सहन करना मुश्किल था, थोड़ा भी कंट्रोल करता तो प्राण त्याग देता उसे इस अनमोल खजाने को पा लेना था.
उसके कदम आगे को बढ़ गए, बढ़ते कदमो कि आहट से अनुश्री कि चुत और गांड के छेद सिकुड़ गए
जैसे उन्हें आने वाले पल का अहसास हो गया हो.
अनुश्री सर झुकाये आंख बंद किये हुई थी उसे भी आने वाले पल का इंतज़ार था उसे पता था मंगेश खुद को रोक नहीं पायेगा उसे जानना था मंगेश क्या करता है,
उसकी दिली इच्छा थी मंगेश उसकी चुत को चाटे जैसा मिश्रा ने कल रात किया था इसी अहसास का तो उसे इंतज़ार था.
अब्दुल बिल्कुल नजदीक पहुंच गया था.....उसके हाथ उस अनमोल खजाने को टटोलने के लिए उठ गए थे.
"क्या हुआ मंगेश....."अनुश्री कि आवाज़ ने उसे फिर दहला दिया
"मममम....मै तो मंगेश नहीं हू मैंने हाथ रखा तो मैडम समझ जाएगी " अब्दुल सही समय पे सचेत हो गया था परन्तु उसे ये खजाना लूटना ही था.
उसके घुटने मुड़ते चले गए....और गीले फर्श पे जा टिके....
"आआआहहहहहहहह....नहीं...घुटने टिकते ही अनुश्री के मुँह से तेज़ सिसकारी निकल पड़ी.
एक गर्म जलती गीली जीभ सीधा अनुश्री के गुदा द्वारा पे जा टिकी.
अनुश्री का सर और नीचे को जा लटका, लगभग वाश बेसिन मे ही जा टिका,आंखे ऊपर को चढ़ गई,
"आअह्ह्ह......मंगेश " अनुश्री को मंगेश से ये उम्मीद कतई नहीं थी,उम्मीद क्या मंगेश तो ऐसा कर ही नहीं सकता था.
अभी अनुश्री अपने विचार मे ही थी कि "सुड़प....सुड़प.....सुड़प....करती जीभ गांड कि दरार मे रेंगने लगी
जीभ कि छुवन ने उसके विचारों को धूमिल कर दिया.
"आआहहहहह....ाआहे...आउच मममम....मंगेश " अनुश्री चित्कार रही थी उसे ये अहसास अलग लग रहा था कल रात से भी अलग.
मंगेश का ये रूप देख अनुश्री चकित रह गई, साथ कि कुछ अजीब सी हलचल भी मच रही थी.
वो अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपर करती ताकि जीभ के निशाने को सही जगह ले सके,वही चाटवाना चाहती थी जहाँ मिश्रा ने चाटा था.
परन्तु जैसे ही कमर ऊपर करती पीछे अब्दुल का सर भी ऊपर हो जाता,लगता था जैसे अब्दुल कि जीभ अनुश्री के गुदा छिद्र से चिपक गई है.. सुड़प....सुड़प...कि आवाज़ से बाथरूम गूंज उठा.
"ममममम....मंगेश ये क्या कर रहे हो...आअह्ह्ह....." अब्दुल कि इस हरकत ने अनुश्री के दिल मे शक का बीज बो दिया था
"मंगेश ने आज तक ऐसा नहीं किया,उसे तो ये जगह गन्दी लगती है" अनुश्री के मन मे हज़ारो विचार कोंध रहे थे फिर भी उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि पीछे पलट के देख ले.
अनुश्री इस अहसास मे खो जाना चाहती थी,उसे धीरे धीरे समझ आ रहा था कि काम क्रीड़ा मे कुछ गन्दा नहीं होता,या फिर जीतना गन्दा उतना ही मजा.
अब्दुल पूरी सिद्दत के साथ अनुश्री कि गांड मे मुँह घुसाए उसे चाटे जा रहा था, उसकी जीभ का खुर्दरापन अनुश्री को नये नये काम आयाम कि सैर करवा रहा था.
"आआहहहहह..........आउच....उफ्फ्फ्फ़....." अब अनुश्री के मुँह से सिर्फ सिस्करीया निकल रही थी मंगेश का नाम नहीं था
ना जाने क्यों उसका सक गहराता जा रहा था अभी वो वासना और शक के बीच घूम ही रही थी कि....अब्दुल ने उसके गुदा द्वारा को पूरा मुँह मे भर के बहार को खिंच लिया
"आआआहहहहब....नहीं......आउच..." अनुश्री को अब पक्का यकीन हो चला था ये मगेश नहीं है,मंगेश को ये सब आता ही नहीं है,
अनुश्री ने बार बार कोशिश कि अपनी कमर उठा के चुत को पीछे बैठे शख्स के मुँह पे रख दे अपनी चुत चाटवाये,परन्तु वो आदमी गांड छोड़ने को तैयार ही नहीं था.
अनुश्री का कलेजा कांप उठा,उसे पक्का यकीन हो चला पीछे मंगेश नहीं है परन्तु अब कुछ नहीं किया जा सकता था अब तीर निकल चूका था.
अनुश्री के पैर डर और काम वासना से कांप रहे थे,ऐसा सुकून गांड मे भी मिल सकता है उसे इस बात का कोई अंदाजा नहीं था.
इन सब के बावजूद वो पीछे मुड़ के नहीं देखना चाहती थी,इंसानी फितरत होती है ना कि शक यकीन मे बदल जाये फिर भी वो उसे शक ही रहने देना चाहता है क्यूंकि सच से अच्छा झूठ ही होता है..वही हाल अनुश्री का भी था वो काम तालाब मे इतना अंदर जा चुकी थी कि अब उसे कोई मतलब नहीं था कि उसकी गांड कौन चाट रहा है.
अब्दुल ने अनुश्री कि गांड को चाट चाट के लाल कर दिया था,इतना कि अंदर का कुछ हिस्सा निकल के बहार को आ गया, अब्दुल से रहा नहीं जा रहा था उसे और ज्यादा चाहिए था उसे मजबूत हाथो ने अनुश्री कि गांड के दोनों चट्टानों को पकड़ के अलग अलग दिशा मे खिंच दिया
"आआआहहहहहह....... एक जोड़ी मजबूत खुर्दरे हाथ अपनी गांड पे पा के अनुश्री कांप उठी उसका बदन बगावत पे उतर गया.
"वाह....मैडम क्या गांड है आपकी " आखिर अब्दुल से रहा नहीं गया वो तारीफ किये बिना रह नहीं सका.
अनुश्री इस आवाज़ से सिहर उठी उसका यकीन सच साबित हुआ...उसके पैर कंपने लगे, क्यूंकि जब से वो यहाँ आई है ये आवाज़ हर वक़्त उसके पीछे ही होती है.
"अअअअअ.....अअअअअ....अब्दुल....आआहब्बब...." अनुश्री आगे नहीं बोल पाई, अब्दुल ने उसकी गांड को फैला के पूरा गुदा द्वारा मुँह मे भर लिया, मुँह मे भर उसे चूसने लगा,जीभ से कुरेदने लगा,दांतो से कुतरने लगा.
अनुश्री को ये अनुभूति ये दर्द,ये सुख, वासना सब एक साथ मिल रही थी.
"आआहहहह......अब्दुल.....नहीं.....और नहीं...." अनुश्री ने सर उठा दिया, समने शीशे मे वो झुकी खड़ी थी पीछे कोई आदमी उसकी गाड़ मे घुसा उसकी गांड चाट रहा था,खा जाना चाहता था, उसकी नाभि के नीचे हलचल शुरू हो गई थी.
अनुश्री ने कामवसान मे भर के वो हरकत कर दि जो उसे कभी शोभा नहीं देती. अनुश्री ने दोनों हाथ पीछे ले जा के अपनी गांड को खोल दिया जैसे बुलावा दे रही हो खाओ चाटो इसे
इस समय अनुश्री कि हालत कोई देख लेता तो उसे यही लगता जैसे उसके प्राण निकल रहे है.
"आअह्ह्ह.....अब्दुल.....जोर से....अंदर...." अनुश्री आखिर बोल ही पड़ी जो उसे चाहिए था,उसे आज कामकला का नया अध्यय पढ़ने को जो मिल था.उसकी टांगे फैलती जा रही थी,गांड नीचे को झुकती चली जा रही थी उसके पैरो से ताकत खत्म हो रही थी
अब्दुल उसकी बेचैनी को देख समझ गया, उसने अनुश्री के गुदा द्वारा को आज़ाद कर दिया
अनुश्री अभी कुछ समझती ही कि एक ऊँगली सरसराती गांड के अंदर प्रवेश कर गई "आआआहहहहहह.....अब्दुल.....वहाँ नहीं "
लेकिन अब्दुल माने तब तो "फच...फच...फच....करती अब्दुल कि ऊँगली अनुश्री के गुदा द्वारा मे अंदर बहार सफर करने लगी.
अनुश्री तो जैसे जन्नत मे थी,उसका सब्र जवाब दे रहा था,सामने शीशे मे खुद कि हालत देख और भी ज्यादा काम विभोर हो उठी.
अभी ये कम ही था कि अब्दुल ने अपना सर वापस से दे मारा उसकी जबान गुदा द्वारा को चाटने लगी,ऊँगली भोगने लगी.
लगता था जैसे ऊँगली घुसाने से जो दर्द हुआ है उसे जीभ से मरहम लगाया जा रहा है
"आआआहहहह...उफ्फफ्फ्फ़......आउच....अब्दुललललल....."
ससससररररर......फच...फाचक....पिस्स्स्स.......कर ती अनुश्री कि चुत से पेशाब और वीर्य कि मिली जुली धारा बह निकली.
"आआआह्हहह.....हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....हमफ्फग...
अब नहीं अब्दुल....बस...मै.मर जाउंगी...."
अनुश्री लगातर मुते जा रही थी, अब्दुल गांड चाटे जा रहा था,
"हुम्म्मफ्फग.....हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....अनुश्री आगे को गिर पड़ी...जैसे कोई काटा हुआ पेड़ आंधी मे गिरा हो"
अनुश्री के आगे को गिरने से.....पुकककम.....से अब्दुल कि ऊँगली बहार को निकल गई.
"लो मैडम आ गया पानी " अब्दुल उठ खड़ा हुआ.
अनुश्री सामने एक टक शीशे मे खुद को और अपने पीछे खड़े अब्दुल को देखे जा रही थी,उसका दिल धाड़ धाड़ कर चल रहा था.
अनुश्री देख ही रही थी कि अब्दुल ने अपनी ऊँगली दिखाते हुए अपने मुँह मे भर के चाट लिया
"आआआआहहहहहह......अब्दुल.....अनुश्री कि आंखे बंद होती चली गई,मात्र अब्दुल कि इस कमुक हरकत से वो एक बार फिर झड़ गई.
धप्पपप.....से बाथरूम का दरवाजा बंद हो गया,अनुश्री जाते हुए कदमो कि आवाज़ सुनती रही.
आज अनुश्री ने काम कला का नया अध्याय पढ़ा था.
अब और क्या गुल खिलाएगी अनुश्री?
बने रहिये कथा जारी है
Arey jab story achi ja rhi h to kyu bich me adanga daal rhe ho.anushree sirf mangesh ki hai..woh kabhi dhoka nahi degi mangesh ko..anishree ko apne pati ko seduce karna hoga..woh kabhi dusre se nahi chudwa sakti..bhai yeh jo seduction hai aap mangesh aur anushree ke bich dikhao..yeh abdul aur mishra ke sath nahi..!!
anushree sirf mangesh ki hai..woh kabhi dhoka nahi degi mangesh ko..anishree ko apne pati ko seduce karna hoga..woh kabhi dusre se nahi chudwa sakti..bhai yeh jo seduction hai aap mangesh aur anushree ke bich dikhao..yeh abdul aur mishra ke sath nahi..!!
आएगा दोस्त वो पल भी आएगा जब अनुश्री सम्भोग सुख को भोगेगी.Waaah..maza aa gya
Anushri ki chudai kab hogi