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Erotica मेरी बीवी अनुश्री

आपकी पसंदीदा कौन है?

  • अनुश्री

    Votes: 193 72.0%
  • रेखा

    Votes: 44 16.4%
  • अंब्दुल

    Votes: 57 21.3%
  • मिश्रा

    Votes: 18 6.7%
  • चाटर्जी -मुख़र्जी

    Votes: 28 10.4%
  • फारुख

    Votes: 12 4.5%

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andypndy

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Writer sahab Ye hi to ek mahila ki bidmna hoti h pal me Sola or pal me savnam hoti h jis hisab se story bd rhi jisko dekh ke aisa lg rha h ki anushre pyar to mangesh se kregi lekin jism ki pyas bahar bujhaygi phir dekhte h aage kya hota h
मैंने तो पहले ही कहा है अनुश्री गलत नहीं है बस हालत और समय कि मांग ही यही है.
क्या करे स्त्री है बहक जाती है 😉😍
 

andypndy

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Wah wah wah....sir kya likha
Hai bas ab chatarjee aur mukhrjee K sath vapas Rang jma do.
Anushri ko aisa nichodo ki Sab kuch nikal jaye.
Agle update ka besabri se intezar Rahega
Aap sach me maar daloge 🥴
बस अब चाटर्जी और मुखर्जी कि ही वापसी है.
वही तो है जो अनुश्री को वो ज्ञान देंगे जो एक स्त्री को मिल जॉब तो जीवन खुशियों से भर जाता है.
आखिर बुजुर्गो के अनुभव का कुछ तो फायदा मिलना चाहिए ना 😝😉
 
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अपडेट -30

अब्दुल पल भर भी वहाँ नहीं रुका तुरंत ही कमरे से बाहर निकल चला
आज उसे दुनिया कि सारी ख़ुशी मिल गई थी उसके पैर जमीन पे ठीक ही नहीं रहे थे, जिस चीज के वो खुवाब देखा करता था मन्नत मांगता था आज उस अजूबे को जी भर के चाट के आ रहा था,उसके मुँह अभी भी अनुश्री के कमरस से गिला था जैसे कोई बिल्ला मलाई खा के भागा हो...
अभी सीढ़ी उतरने को ही था कि....धडाम..धापप्प.....किसी से जा टकराया हाथ मे थमा सामान खानननन.....छन्नन्न....से बिखर गया...
"अरे....अरे....अब्दुल मियाँ क्या करते हो?हर वक़्त जल्दी मे ही रहते हो क्या?" सामने मंगेश था इस टक्कर से उसके हाथ से भी नाश्ते कि थैली छूट गई थी.
"वो.....ववव....वो.....सर माफ़ करना " अब्दुल एक दम से सकपका गया
जैसे मालिक ने बिल्ले को मलाई खा के भागते धार दबोच हो, अब्दुल कि जबान हकला गई

"क्या यार अब्दुल थोड़ा देख के चला करो,उस रात को भी ऐसे ही टकरा गए थे, खुद का जिस्म देखो किसी दिन दूसरे कि शामत खड़ी कर दोगे " मंगेश ने नाश्ते के पैकेट को उठा लिया
अब्दुल भी जल्दी जल्दी सामान समेट के भागने के चक्कर मे ही था कि " कहाँ भागे जा रहे को चोरी कि है क्या?"
मंगेश ने अनजाने मे ही सही लेकिन एकदम सही बात कह दि थी.
"नननन .....नहीं...तो मै चोरी नहीं करता " अब्दुल झिझकता हुआ बोला
"तो फिर जल्दी किस बात कि भाई,पानी आ गया?"
मंगेश कि तरफ से कोई शक ना पा के अब्दुल मे हिम्मत आई हालांकि वो चोरी ही तो कर के आया था वासना कि चोरी,मंगेश के नाम पे खुद अनुश्री कि गांड चाट के आया था
"हनन....हाँ...आ गया पानी, ठण्ड कि वजह से जाम था,लेकिन मैंने गरम कर के सारा पानी निकाल दिया " अब्दुल इस बार मुस्कुरा दिया
इस मुस्कान का अर्थ दुनिया मे दो ही लोग समझ सकते थे एक अब्दुल और दूसरी अनुश्री
"अच्छा चलो ठीक है जाओ फिर "
दोनों ही विपरीत दिशा मे बढ़ गए, मंगेश कमरे मे पहुंच चूका था " जान.....अनु....क्या कर रही हो?"
अंदर बाथरूम मे जैसे ही अनुश्री के का मे मंगेश कि आवाज़ पड़ी उसकी तो जान ही हलक मे आ गई,
"कही कही....मंगेश ने कुछ देख तो नहीं लिया अब्दुल अभी ही तो निकला था" अनुश्री बुरी तरह सकपका गई वो अभी भी वैसे ही बाथरूम के गीले फर्श पे ओंधे मुँह लेटी थी
उसके जिस्म मे जैसे जान ही नहीं बची थी इस कदर अब्दुल उसे निचोड़ के गया था.
अनुश्री के कानो मे कदमो कि आहट पड़ी जो लगातार बाथरूम कि ओर ही बढ़ रहे थे
"हे भगवान मंगेश तो इधर ही आ रहा है " अनुश्री ने उठने कि कोशिश कि परन्तु उसके पैर कांप रहे थे.
कहाँ अभी वो खुद मंगेश को अपनी सुरमई गद्दाराई गांड के दर्शन करवाना चाहती थी परन्तु जैसे ही कामरस उसके जिस्म से बहार निकला उसकी हिम्मत भी जवाब दे गई.
पूरा बदन ढीला पड़ गया था उसमे इतनी भी ताकत नहीं थी कि उठ के बाथरूम के दरवाजे कि कुण्डी लगा दे.
मंगेश के बढ़ते कदम उसे हार्ट अटैक कि तरफ धकेल रहे थे, जैसे कोई चोर चोरी करता हुआ बस पकड़ा ही जाने वाल हो ऐसी हालत हो गई अनुश्री कि,थोड़ी देर पहले ये बढ़ते कदम उसके दिल मे रोमांच पैदा कर रहे थे और अब यही कदम उसके प्राणो कि आहुति मांग रहे थे.
अनुश्री ने खुद को इतना बेबस कभी नहीं पाया था, उसने जोर से आंखे भींच वो और ज्यादा देर खुद को इस तरह नहीं देख पाई उसका पूरा बदन सफ़ेद पड़ गया,
"अनु....अंदर हो क्या " मंगेश के कदम ठीक बाथरूम के दरवाजे के सामने थे उसके हाथो ने दरवाजे के हैंडल को जकड़ लिया..
"बस खेल खत्म....मुझे माफ कर दो मंगेश,मैंने कुछ नहीं किया " अनुश्री मन ही मन बुदबूदाने लगी.
"मै बहक गई थी मंगेश "
चकररररर..... दरवाजे के हिलने कि आवाज़ जैसे ही अनुश्री के कानो मे पड़ी कि...
"भैया......मंगेश भैया कहाँ है आप?" बहार से आई आवाज़ ने मंगेश का ध्यान बहार दरवाजे कि ओर आकर्षित कर दिया
"धप्पप्प....से बाथरूम का दरवाजा खुलता चला गया
"क्या कर रहे हो भैया आओ ना बहार " राजेश रूम के दरवाजे पे खड़ा बोल रहा था
"ओह...राजेश आया " मंगेश के हाथ से दरवाजे का हैंडल छूटता चला गया, हैंडल छूटते है चरररररर.....करता हुआ पूरा खुलता चला गया.
अनुश्री को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था वो आंख बंद किये बुडबड़ाई जा रही थी "मै बहक गई...थी मंगेश मेरी गलती नहीं है मुझे माफ़ कर दो "
तभी पीछे से एक ठंडी हवा का झोंका उसकी नंगी मखमली गांड से जा टकराया, सब कुछ शांत हो गया
अनुश्री कि हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो आंख खोल के देखे,
अनुश्री कि हालत उस कबूतर कि तरह थी जो बिल्ली को देख अपना सर छुपा लेता है.
हवा का आना बदस्तूर जारी था, कि तभी..ठाक....कि आवाज़ ने अनुश्री का कलेजा हिला दिया.
अनुश्री ने एक आंख खोल दि,सामने शीशे मे वो नीचे से नंगी लेटी हुई थी, पीछे बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था जहाँ कोई नहीं था....अनुश्री कि दूसरी आंख भी झट से खुल गई वो गीले फर्श पे उठ बैठी.
कभी शीशे मे देखती तो कभी बाथरूम के खुले दरवाजे को,आंख मसल मसल के उसने देखा लेकिन कोई नहीं था.
"कहाँ गया मंगेश?" अनुश्री झट से खड़ी हुई उसी अवस्था मे बहार आ गई रूम खाली था,दरवाजा लगा हुआ था
अनुश्री हैरान थी,उसके आश्चर्य कि कोई सीमा ही नहीं थी उसे यकीन ही नहीं हो रहा था ये क्या हुआ, मंगेश ने दरवाजा खोल दिया था,वो कामरस बिखेरे बाथरूम पे निर्जीव पड़ी हुई थी.
"सुबह से कहाँ थे मंगेश भैया " बहार से आती आवाज़ अनुश्री के कान पे पड़ी
"उफ्फ्फ्फ़ग......हे भगवान " अनुश्री को माजरा समझते देर नहीं लगी
उसका धाड़ धाड़ करता दिल शांत हो गया
चोर एक बार फिर बाल बाल बच निकला था.
अनुश्री चोर थी, वो वासना कि चोर थी "हे भगवान ये क्या हो रहा है मुझे? मै क्यों बहक जाती हू? मैंने ये सब मंगेश के लिए किया था, मैंने मंगेश को बुलाया था फिर अब्दुल कहाँ से आ टपका?"
अनुश्री होश मे आने लगी थी,होश मे आते ही उसे सब ध्यान आने लगा "मंगेश कि जगह अब्दुल कैसे आया "
अब्दुल का विचार आते ही उसकी गांड कि दरार मे कुलबुलाहत सी होने लगी.
"नहीं...नहीं....ये ठीक नहीं है,मै जब तक यहाँ रहूंगी तब तक मेरे साथ यही होता रहेगा,सब मंगेश कि गलती है"
अनुश्री ने कितनी आसानी से सारी गलती मंगेश पे डाल दि.
"मै कल ही यहाँ से जाउंगी,मंगेश माने या नहीं मै नहीं रुकूंगी अब, नहीं मनाना मुझे कोई हनीमून " अनुश्री कि आँखों मे गुस्सा और दृढ़निश्चय साफ दिख रहा था.
"ऐसा भी क्या हनीमून जो मुझे मंगेश से दूर कर दे"
अनुश्री वापस से बाथरूम मे चल दि,तुरंत ही पानी गिरने कि आवाज़ आने लगी.

रूम के बहार
"भैया मौसम सुहाना हो रहा है,आज चिलिका लेक घूम आते है "
"बिल्कुल भाई दिन भर होटल मे करेंगे भी क्या? " मंगेश ने हाँ मे हाँ मिलाई.
"तो एक घंटे मे मिलते है फिर " राजेश अपने कमरे कि ओर बढ़ गया
मंगेश जैसे ही अपने रूम का दरवाजा खोल के अंदर आया....धड़ाम से अनुश्री उसके गले जा लगी
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"मंगेश मुझे नहीं रहना यहाँ,घर चलते है " अनुश्री गले लगी हुई रूआसी आवाज़ मे बोली
"क्या हुआ जान...कल तक तो तुम मस्ती मे थी " मंगेश ने अनुश्री को अलग करते हुए बिस्तर पे बैठा दिया.
"कुछ नहीं..सुबुक..बस मुझे तुम्हारा साथ चाहिए,मुझे नहीं रहना यहाँ गैरों के बीच " अनुश्री सुकबुकाये जा रही थी जी मन मे आ रहा था बोल रही थी
आज उसका दिल भर आया था,उसके अंदर का नारित्व जाग गया,वो अपने पति के साथ धोखा नहीं कर सकती, कभी नहीं
"क्या हुआ अनु क्यों बहकी बहकी बात कर रही हो? कुछ हुआ है क्या?"मंगेश का सर भी भन भनाने लगा "किसी ने कुछ किया क्या?"
"मैंने नल ठीक करने तुम्हे बुलाया था वो अब्दुल कैसे आ गया?" अनुश्री ने आखिर मन कि बात कह ही दि
"अरे जान बस इतनी सी बात, मुझे कहाँ नल ठीक करना आता है वो अब्दुल रास्ते मे मिल.गया तो बोल दिया,ऐसी कौन सी बड़ी बात हो गई?"
अनुश्री चुपचाप सुन रही थी सर झुकाये "हाँ मंगेश क्या बड़ी बात हो गई,जिस जगह तुम्हारा हक़ था उसे कोई और मार ले गया, जिस जगह तुम्हारा मुँह होना था वहाँ किसी और का था,जो सुख तुम्हे देना था वो किसी और से मिला और तुम बोलते हो क्या बड़ी बात हो गई"
"ठीक से बोलो अनु कुछ समझ नहीं आ रहा " मंगेश ने अनुश्री को झकझोड़ दिया
अनुश्री एकदम से होश मे आई वो क्या बोल रही थी,क्या करने जा रही थी अपने हस्ते खेलते जीवन को बर्बाद करने जा रही थी.
"ककककक.....कुछ नहीं मंगेश बस हम कल यहाँ से चले जायेंगे मुझे अच्छा नहीं लग रहा " अनुश्री अपने वैवाहिक जीवन के नाते चुप रही बोल के भी कुछ नहीं बोली.
"ठीक है ठीक है.... कल चलेंगे ना आज का टाइम क्यों ख़राब करना,आज हम लोग चिलिका लेक चलते है,देखो मौसम कितना सुहाना है "
अनुश्री को अब काफ़ी हल्का महसूस ही रहा था, उसे अपने पति का साथ ही तो चाहिए था
कितनी ही बड़ी गलती कर दो कोई अपना गले लगा ले तो सब माफ़ है.
अनुश्री भी खुद के किये गए कृत्य को माफ़ ही समझ रही थी,उसके चेहरे पे मुस्कान तैर गई.
उसके चेहरे पे एक तेज़ दिख रहा था पतीव्रता नारी होने का तेज़,
वो कल यहाँ से चली जाएगी, बस आज कि बात है
अब और चरित्र पतन नहीं,
भारतीय नारी भी क्या कमाल होती है, सब कुछ ऐसे संभाल लेटी है जैसे कुछ हुआ हू नहीं.
"मै आता हू अनु डार्लिंग जब तक तुम तैयार हो जाओ "
मंगेश कमरे से बहार निकाल नीचे रिसेप्शन पे अन्ना से मिलने चला गया
रेंटल कार कि बात फाइनल हो गई.
वापस लौटा तो रूम का दरवाजा खोलते ही हैरान रह गया,मुँह खुला का खुला रह गया.
"कैसी लग रही हू मै मंगेश "
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अनुश्री ने बालो को पीछे बांधते हुए पूछा.
"ककककक....खूबसूरत " बस इतना ही बोल पाया मंगेश
"आज आखरी दिन है हमारा पूरी मे " बोलते हुए अनुश्री ने आंख मार दि

वही दूर कही दूसरे होटल मे "उडी बाबा...चाटर्जी जल्दी करो भाई चिलिका लेक जाने को बोट छूट जाएगी "
"बस बोधु धोती बांध लू फिर चोलते है " चाटर्जी धोती बांधते हुए बोला
चाटर्जी मुखर्जी भी निकल चुके थे चिलिका लेक के लिए.
"मौसम सुहाना हो रहा है बोंधु "

तो क्या अनुश्री चली जाएगी?

या फिर कोई रोक पायेगा उसे?
बने रहिये....अनुश्री का सफर जारी है
Writer sahab update to bahut achchha tha lekin garmi nhi bda Paya ab dekhte h agla update garmi kb bdata h
 
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Writer sahab update to bahut achchha tha lekin garmi nhi bda Paya ab dekhte h agla update garmi kb bdata h
हर अपडेट गर्मी नहीं देंगे ना.
गर्मी बढ़ाने का समान इक्क्ठा करने मे कुछ अपडेट लग जाते है 😝😉
 

Kadak Londa Ravi

Roleplay Lover
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बस अब चाटर्जी और मुखर्जी कि ही वापसी है.
वही तो है जो अनुश्री को वो ज्ञान देंगे जो एक स्त्री को मिल जॉब तो जीवन खुशियों से भर जाता है.
आखिर बुजुर्गो के अनुभव का कुछ तो फायदा मिलना चाहिए ना 😝😉
सही है बुजरगो का अनुभब तो काम आएगा ही
 
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