• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica मेरी बीवी अनुश्री

आपकी पसंदीदा कौन है?

  • अनुश्री

    Votes: 193 72.0%
  • रेखा

    Votes: 44 16.4%
  • अंब्दुल

    Votes: 57 21.3%
  • मिश्रा

    Votes: 18 6.7%
  • चाटर्जी -मुख़र्जी

    Votes: 28 10.4%
  • फारुख

    Votes: 12 4.5%

  • Total voters
    268

Yampag

New Member
20
21
3
क्या मस्त अपडेट.. बढ़िया.. अनुश्री मार्केट से कहा पहुंच गई.. और वहा पर गांड़ खुल गई.. शराब डल गई.. और एक नए पात्र की जीभ ने चाटा और पिया भी फिर लात भी खाई.. और ऐसे हुई एंट्री अब्दुल की जिसे सबसे ज्यादा इंटरेस्ट वो गांड़ उसकी नजरों के सामने नंगी पड़ी है.. और जगह भी अनुकूल है और अनुश्री भी लगभग गर्म हो ही रही है.. तो अब अब्दुल सफल हो पाएगा क्या.. देखते है..
इधर मांगीलाल तो पहेचनवाला निकला.. मिश्रा ने बुला भी लिया.. तो वो भी होटल पर आया ही समझो..
मेरी बीवी अनुश्री के साथ बहते बहते.. मेरी मां रेखा के भी कारनामे हो तो रहे है.. अन्ना और बहादुर कुछ तो पेल रहे है.. देखते है उस पर कब आप प्रकाश डालोगे..
पर उसके बेटे से कुछ मत करवाना अपनी मां के साथ.. अभी जितना करवा रहे हो वहा तक ठीक है..
और बेहतरीन रंगतरंग अध्याय का इंतजार।।
 
  • Love
Reactions: andypndy

Yash420

👉 कुछ तुम कहो कुछ हम कहें 👈
2,325
6,801
144
Bhai waiting for next
 

Nasn

Well-Known Member
2,905
4,779
158
अपडेट -39

"वो देखो मेमसाब सामने ही मार्किट है " बहादुर रास्ते भर कमेंट्री करता हुआ आया था जैसे आज एक ही दिन पूरा शहर दिखा देगा.
रेखा और अनुश्री उसकी मासूमियत के देखते रह जाते.
"मैडम रिक्शा आगे नहीं जायेगा, भीड़ है बहुत चालान बन जायेगा " ऑटो ड्राइवर ने मार्किट से पहले ही रिक्शा रोक दिया.
"कोई बात नहीं " रेखा अनुश्री और बहादुर रिक्शा से उतर बाजार कि ओर चल पड़े.
आज बाजार कि रौनक बढ़ गई लगती थी, जवान क्या बूढ़े दुकानदार,ठेले वाले भी घूम घूम के अनुश्री कि मटकती मादक गांड को देख ले रहे थे.
images-11.jpg

लेकिन सिर्फ आह भर के ही रह जाते.
बहादुर आगे आगे चल रहा था जैसे रास्ता दिखा रहा हो उन्हें.
आज अनुश्री कि चाल मे लचक कुछ ज्यादा ही थी, एक भीना भीना सा दर्द रह रह के जांघो के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करा देता.
"आइये...आइये....मैडम क्या लेगी., साड़ी...,सलवार....दुपट्टा...."
"आइये मेमसाहब इधर देख लीजिये अच्छी कलाकारी,शंख, पुष्पा, डिजाइनर ज्वेलरी ले जाइये "
तरह तरह के दुकानदारों कि आवाज़ उन्हें पुकार रही थी, आंखे अनुश्री कि लचकती कमर को निहार लेती.
हालांकि अनुश्री को भी पता था कि कई प्यासी निगाहेँ उसी के पीछे चिपकी हुई है,परन्तु ना जाने क्यों आज उसे कोई समस्या नहीं थी "जवान जिस्म है लोग तो देखेंगे ही ना " अनुश्री के मन मे खुद ही ख्याल पनप आया.
images.jpg

ये ख्याल आना था कि उसकी कमर खुद से और ज्यादा लहराने लगी.
शर्तिया कई मर्दो ने वीर्य त्याग दिया होगा.
"कितनी गर्मी है ना आंटी यहाँ " अनुश्री ने माथे ले आये पसीने को पोछते हुए कहाँ.
" वो...मेमसाब बोज़ार है ना " रेखा के बदले जवाब बहादुर ने दिया वैसे भी बहादुर के रहते कहाँ किसी को बोलने का मौका मिलना था.

"अच्छा आंटी आप शॉपिंग करो मै अभी आई " अनुश्री कि नजर कही और टिकी हुई थी.
images-1.jpg

सड़क के पार वाइन शॉप दिख गई थी " आंटी को कैसे बोलू कि व्हिस्की लेनी है,क्या सोचेंगी मेरे बारे मे" अनुश्री सोच मे डूबी थी उसके लिए ये नया अनुभव था.
"कोई बात नहीं बेटा तुम काम कर आओ अपना " रेखा बिल्कुल आसानी से मान गई ना जाने क्यों,शायद उसे बहादुर के साथ अकेले वक़्त बिताना हो.
अनुश्री भी आश्चर्य चकित थी "रेखा आंटी कितनी समझदार है "
"आंटी थोड़ी देर मे इसी सर्किल पे मिलती हूँ आपको "
"कोई नी बेटा आराम से आओ " रेखा और बहादुर अंदर मार्किट मे चल दिये,तंग गलियों मे था मार्किट.
"उफ्फ्फ.....मंगेश भी ना कहाँ कहाँ फसा देता है " अनुश्री चल पड़ी अपनी मंजिल कि ओर सामने ही एक सड़क के पार बड़ा सा बोर्ड था.
देशी व अंग्रेजी शराब कि दुकान.
तेज़ कदमो से चलती अनुश्री का दिल अचानक से कांप उठा, ये वही अनुभव था जब अक्सर कुछ गड़बड़ होने वाली होती थी.
अनुश्री के कदम स्वम धीमे हो चले "ये...ये..मुझे कुछ अनहोनी कि आशंका क्यों हो रही है " अनुश्री ने आसपास गर्दन घुमा के देखा कोई नहीं था सड़क लगभग खाली ही थी.
"फिर....फिर....ऐसा क्यों लगा?" अनुश्री का सवाल खुद से ही था.
"यहाँ क्या होना है शायद पहली बार किसी शराब कि दुकान पे जा रही हूँ इसलिए ऐसा लग रहा है " अनुश्री ने बहुत चतुराई से आने वाली मुसीबत को नकार दिया था.
तेज़ कदमो से चलती अनुश्री वाइन शॉप कि दहलीज पे पहुंच गई,आस पास एक्का दुक्का लोग थे जिन्होंने एक नजर अनुश्री कि खूबसूरती को निहारा लेकिन किसी ने ताज्जुब नहीं किया.
टूरिस्ट प्लेस कि यही खासियत होती है,यहाँ सब सामान्य होता है कोई माइंड नहीं करता.
"मंगेश सही ही कहता था यहाँ किसी को कोई मतलब नहीं है " अनुश्री दहलीज चढ़ चुकी थी.
दारू का ठेका जालिनुमा फेन्स से कैद था, जिसमे एक छोटी सी खिड़की थी.
"भैया एक रेड नाईट का हाफ देना " अनुश्री ने 2000rs का note उसके खिड़की मे अंदर बढ़ा दिया.
पैसा देने के लिए अनुश्री थोड़ी झुक गई जिस वजह से उसकी कामुक मदमस्त गांड निकल के बहार को आ गई थी.
कि तभी...."आउच.....उफ्फ्फग...."अनुश्री के हलक से एक सुगबुगाहत निकल गई.
एक हाथ उसकी गद्दाराई गांड को छूटा हुआ आगे बढ़ गया.
अनुश्री अभी कुछ समझती ही कि एक गन्दा सा काला हाथ उसी खिड़की मे अनुश्री के कोमल,गोरे हाथ को छूता हुआ अंदर जा धसा.
"हिचहहह.....हिचहहम....भैया एक नीबू पव्वा देना " अनुश्री ने बगल मे देखा तो पाया कि एक हट्टा कट्टा जवान लड़का,धुप मे कला कलूटा पसीने से भीगा गन्दा मैला सा खड़ा था,
जैसे उसे कोई मतलब ही नहीं था उसने अनुश्री के ऊपर ध्यान तक नहीं दिया,शायद अनजाने ही उसका हाथ अनुश्री के कामुक अंग को सहला गया था.
"अबे जल्दी दे ना टाइम नहीं है मेरे पास " गंदे आदमी ने घुड़की दि.
"ले ना साले फटीचर " अंदर से आवाज़ आई
और अंदर से एक हाथ ने एक बोत्तल उसे थमा दि और साथ ही कुछ और भी बोत्तल के साथ ही था.
अनुश्री का हाथ भी अंदर ही था उसके हाथ मे भी एक बोत्तल थमा दि गई..
दोनों ने एक साथ ही हाथ बहार खिंच लिया....
हाथ का बहार आना था कि दोनों के चेहरे पे हवाइया उड़ गई..
"अरे...ये....ये...." वो गन्दा आदमी खुशी से चहक उठा उसके हाथ मे एक महंगी बोत्तल थी साथ थी 500rs के दो नोट,
अनुश्री के हाथ मे एक नीबू का देसी पव्वा था "ये....ये....क्या...?" अनुश्री हैरान परेशान थी.
"अरे भैया....मैंने रेड नाईट मांगी थी " अनुश्री ने जल्दी से वापस अंदर हाथ दाल दिया.
"दे तो दि और पैसे भी दे दिये " अंदर से आवाज़ आई.
अनुश्री को कुछ समझ नहीं आ रहा था,उसके तो जोश उड़ गए थे इस ग़फ़लत मे..तुरंत अनुश्री ने हाथ बहार निकाला...
"देखो भैया वो मेरी है और ये...अअअअअ अआप......" अनुश्री के शब्द मुँह मे ही रह गए
वो गन्दा सा आदमी वहाँ नहीं था..
अनुश्री बोखला चुकी थी," ये क्या गड़बड़ हो गई " उसने आस पास नजर दौडाई
वो आदमी दूर तेज़ कदमो से चला जा रहा रहा.
"आइ.....ऐ......ऐ....रुको...मेरे पैसे....वो तुम्हारा नहीं है " अनुश्री चिल्ला उठी लेकिन उसके आदमी पे कोई फर्क नहीं पडा
वो ओर भी तेज़ कदमो से चलने लगा.
"ऐ...रुको...." अनुश्री भी बिना सोचे तेज़ कदमो से उसके के पीछे चल दि
"अरे वाह आज तो भगवान मेहरबान है इंग्लिश दारू के साथ साथ पैसे भी हाथ लग गए,आज तो मुर्गा भी खाऊंगा " गन्दा आदमी बड़बड़ाए जा रहा था.
उसे कोई आवाज़ नहीं सुनाई पड़ रही थी ना सुनना चाहता था.
अनुश्री तो जैसे सकपका गई थी उसे इस बात कि कतई उम्मीद नहीं थी.
हाई हील पहने अनुश्री जैसे तैसे उस रास्ते पे चली जा रही थी, हील कि वजह से उसका बैलेंस कई बार खो जाता लेकिंन उसे मंजूर नहीं था कि उसकी नाक के नीचे से कोई उसके पैसे ले जाये..

बाजार से होता रास्ता आगे जा के सुनसान हो चला,बाजार पीछे छूट गया था

"अरे कहाँ गया वो आदमी " अनुश्री एक रास्ते पे खड़ी थी जहाँ एक्का दुक्का गाड़ी निकल जाती फिर सन्नाटा छा जाता

अब अनुश्री के मन मे थोड़ी घबराहट होने लगी थी "ये...ये....कौनसी जगह है " पीछा करने मे अनुश्री ने रास्ते का भी ध्यान नहीं रखा..
वो बार बार गर्दन घुमाये आगे पीछे,इधर उधर देखती लेकिन नतीजा वही.
एक मन तो किया वापस चल दू,लेकिन....लेकिन....ये कौनसी जगह है? कहाँ से आई थी मै.
अनुश्री का दिल धाड़ धाड़ कर बज उठा,उसकी शंका गलत नहीं थी.
"रेखा आंटी को फ़ोन करती हूँ बहादुर यहाँ के बारे मे जानता होगा " अनुश्री ने मोबाइल निकाल लिए
पिक....पिक....पिक....कोई रेस्पोंस नहीं,अनुश्री ने मोबाइल मे देखा एक भी नेटवर्क नहीं था.
"हे भगवान ये कहाँ फस गई मै?...उफ्फ्फग..." गर्मी से पसीना पोछती अनुश्री अभी भगवान को दोष दे ही रही थी कि सामने उसे कुछ नजर आया.
"ये ये....झड़ी के पीछे कौन है?" ऐसा कपड़ा तो उसने ही पहना था " सामने एक छोटा सा जंगलनुमा पार्क था,वही एक झड़ी के पीछे अनुश्री को लुंगी का कपड़ा दिखाई दिया..ये वही लुंगी थी जो उसके आदमी ने पहनी थी.

अनुश्री का दिल धाड़ धाड़ कर बज उठा.."मुझे उस से अपने पैसे लेने चाहिए "
"लेकिन....लेकिन.....अनुश्री के मन मे शंका थी " उसने आस पास देखा कोई नहीं था..
"उसे उसकी बोत्तल दे के अपनी ले लुंगी" अनुश्री कल रात से आत्मविश्वास मे थी लेकिन ये अतिआत्मविश्वास साबित होगा उसे पता नहीं था.
अनुश्री के कदम उस झाड़ी कि ओर बढ़ चले
अनुश्री अतिआत्मविश्वास से भरी पड़ी थी.
झाड़ियों मे बैठा वो गन्दा आदमी आज अपनी किस्मत पे गर्व कर रहा था" आज तो क्या किस्मत पाई है मैंने " बोत्तल का ढक्क्न खोल वो अभी मुँह को लगाने को ही था कि.
"ऐ....ऐ......रुको ये मेरी है " सामने अनुश्री आ धमकी
उसके आदमी कि तो एक दम घिघी ही बंध गई, सामने जैसे कोई अप्सरा खड़ी थी और दारू के बोत्तल पे अपना हक़ जमा रही थी

वो आदमी जैसे दारू पीना ही भूल गया हो,अभी बोत्तल उसके काले होंठ से लगी ही थी कि वैसी कि वैसी ही रह गई,उसकी आंखे पत्थरा गई.
"ऐ....ये मेरी बोत्तल है और पैसे भी मेरे है ये रही तुम्हारी " अनुश्री ने निम्बू पव्वा आगे बढ़ा दिया.
उस आदमी को तो जैसे होश ही नहीं था,उसे तो अपनी किस्मत पे ही विश्वास नहीं हो रहा था, महंगी दारू के साथ साथ सामने एक हुस्न कि परी खड़ी थी एकदम सुडोल जिस्म,कसी हुई काया.
20220126-061521.jpg

"मै...मै.....मेरी है ये " वो आदमी आपे से बहार आया
"औकात है तुम्हारी ये पीने कि " अनुश्री तो जैसे किसी गुरुर मे थी
हाथ मे थमा पव्वा उसने उस आदमी कि ओर बढ़ा दिया और खुद कि बोत्तल लेने को झुकी ही थी उसका पल्लू सरसराता नीचे गिर पड़ा.
सब कुछ अचानक हुआ अनुश्री के बस के बहार था,उसका ध्यान सिर्फ अपनी बोत्तल और पैसे छीनने मे था,
सरसराता पल्लू नीचे पसरे गंदे व्यक्ति कि जांघो पे जा गिरा.
20220510-080429.jpg

उसके आदमी को तो जैसे आज स्वर्ग ही दिख गया था,उसकी आंखे कटोरे से बहार निकलने को आतुर हो चली,
एक टक वो अनुश्री के ब्लाउज मे उतपन्न खाई को घूरे जा रहा था जैसे तो उसी मे गिर के मर जायेगा
"ऐ....दो इधर मेरी बोत्तल " अनुश्री का चेहरा गुस्से मे लाल था.
उसकी बात का कोई असर नहीं हो रहा था ऊपर से उसके व्यक्ति ने बोत्तल खींच के अपनी कमर के पीछे दबोच ली थी.
अनुश्री तो गुस्से और घमंड मे इस कदर बौराई कि उसे अपनी स्थति का अंदाजा ही नहीं था.
"अभी बताती हूँ रुको अनुश्री अपनी बोत्तल और पैसे छुड़ाने के लिये और भी आगे को झुक गई,
उसके अर्ध नग्न स्तन उसके गंदे आदमी के मुँह के करीब जा पहुचे, एक भीनी भीनी सी खुसबू उसकी नाक मे घुल गई.
"हहहममममममममम.....आअह्ह्ह....." आदमी कि आंखे और मुँह खुल गया,ना जाने किस का मुँह देख के उठा था आज वो जो उसे अपने नरक जैसे जीवन मे साक्षात् स्वर्ग कि अप्सरा के दर्शन हो गए थे.
इधर अनुश्री इन सब से अनजान कोशिश मे थी,उसकी कोशिश सफल भी हुई,उसका गोरा मुलायम हाथ उसके आदमी के गंदे हाथ से रगड़ खाता हुआ अपनी बोत्तल तक जा पंहुचा "छोड़ इसे...." अनुश्री ने फिर से धमकी दि और जोर लगा के बोत्तल खींचने लगी.
इस मेहनत मे अनुश्री के स्तन बुरी तरह से हिलोरे भर रहे थे,खुली हवा मे विचरण करने लगे.
और ये नजारा जिसे नसीब था वो अपनी किस्मत ोे गर्व किये नहीं ठाक रहा था.
दो गोरे कामुक भारी स्तन लगभग अर्धनग्न नाच रहे थे.
सब कुछ स्लो मोशन हो गया लगता था.
अनुश्री कि ताकत नाकाफी थी,कि तभी....."आअह्ह्हह्.....साली " वो आदमी जोर से चिल्लाया
अनुश्री के बड़े बड़े नाख़ून उसके आदमी के हाथ को खरोच चुके थे.
आदमी का ध्यान भंग हुआ,उसे तत्काल होश आया,
"ये ये...ये.....साली रुक बताता हूँ." उस खूबसूरत स्वप्न से बहार आते ही आदमी का गुस्सा तमतमा उठा.
एक बार को अनुश्री भी उसकी खौफनाक आवाज़ से कांप गई,लेकिन तब टक देर हो चुकी थी.
उसके आदमी ने बोत्तल वाले हाथ को झटके से पीछे खिंच लिया.
"हट साली.....कहाँ ना मेरी दारू है " आदमी का झटका लगना ही था कि नाजुक अनुश्री भरभराती सी ओंधे मुँह उसके आदमी कि जांघो पे जा गिरी.
20220519-073738.jpg

अनुश्री का मुँह घास भरी जमीन पे जा धसा,सपात पेट उसके आदमी कि जाँघ और घुटनो पे ओर भी सपाट होता चला गया.
लेकिन जो दृश्य आदमी के सामने था उसने उसके होश उड़ा दिये, शारबी ना होता तो पक्का प्राण त्याग देता.
झटके से गिरने से अनुश्री कि साड़ी कमर तक जा चढ़ी.
एक छोटी सी पैंटी उसकी गांड कि दरार मे धसी हुई थी काली पैंटी.
डिजाइनर काली पैंटी,उस पैंटी से बहार छलकती मोटी गद्दाराई कामुक गांड थारथरा गई.
"हायययययय....हे भगवान आज मार ही देगा " आदमी के मुँह से तारीफ मे कुछ शब्द निकल ही गए.
उसने तो सपने मे भी ऐसा कुछ नहीं सोचा था एक घरेलु,कामुक स्त्री उसकी जांघो ओंधे मुँह लेती हुई थी वो भी अपनी सबसे हसीन चीज को बेपर्दा किये हुए.

"आअह्ह्ह.....नहीं....आउच.." अनुश्री को भी अब तक समझ आ चूका था कि उसकी हरकत का क्या अंजाम हुआ है, उसका पूरा बदन कांप गया,नंगी गांड पे ताजी ताजी ठंडी हवा उसे महसूस हो रही थी.
अनुश्री ने गर्दन पीछे घुमा के देखना चाहा ही था कि "रुक साली....देता हूँ तुझे तेरी बोत्तल जब से पीछे पड़ी है " आदमी ने अपनी एक टांग बहार निकाल के अनुश्री कि गर्दन पे जमा दि.
अनुश्री किसी बकरी कि तरह शेर के चूंगल मे फस गई थी.
"आआहहहहह.....छोडो जाने दो " अनुश्री कि सारी बहादुरी एक ही पल मे निकल गई.
उसे अहसास हो चला था कि वो कितनी बड़ी गलती कर चुकी है.
लेकिन इस चीख पुकार को सुनने वाला कोई नहीं ना और ना ही उसके आदमी पे कोई फर्क पड़ रहा था शायद वो तो सुनने समझने कि शक्ति ही खो चूका मालूम पड़ता था.
" साली मेरा नाम भी फारुख है एक बार जिस चीज पे हक़ जमा दिया फिर उसे मुझसे कोई नहीं ले सकता,और तू मेरे पीछे पीछे आ गई "
चट....चटाक.....चट.....कि जोरदार आवाज़ के साथ फारूख का हाथ उठ के अनुश्री कि खूबसूरत गांड पे जा पड़ा.
f-f-hard-spanking-otk.gif

"आआहहहहह.......आउच.....नहीं....मार क्यों रहे हो आअह्ह्ह...." अनुश्री कसमसा के रह गई एक तीखे एज़ दर्द कि लहर उसके पुरे जिस्म को भिगो गई.
लेकिन थोड़ी सी भी गर्दन नहीं हिला पाई.
"छ...छ....छोड़ दो रख लो बोत्तल और पैसे भी " अनुश्री मिन्नत कर उठी
उसकी आँखों मे आँसू थे पहली बार इस तरह बड़ी मुसीबत मे फ़सी थी अनुश्री
अभी तक उसके साथ जो भी हुआ उसमे कही ना कही उसकी भी मर्ज़ी थी लेकिन...ये...ये....तो साफ साफ जबरजस्ती थी.
अनुश्री का कलेजा मुँह को आ गया था, उसे अपना भविष्य अंधकार मे दिख रहा था.
बेहद डर कि वजह से उसे अपनी नाभि के नीचे भयंकर प्रेशर महसूस होने लगा,लगता था जैसे पेशाब निकल जायेगा अभी.
"ताड़....ताड़......चट....चटाक....से दो थप्पड़ और जा पड़े, साली आज तो तेरी गांड से दारू पियूँगा,ऐसी गांड आजतक जीवन मे नहीं देखी मैंने.
फारुख बड़बड़ाए जा रहा था,उसके हर एक वाक्य के साथ अनुश्री का प्रेशर बढ़ता जा रहा था कलेजा मुँह से बहार निकलने को ही था..
"तुझे बोत्तल चाहिए ना.....यही बोत्तल....." फारुख ने उसकी आँखों के सामने दारू कि बोत्तल लहरा दि.
और उसके दूसरे हाथ ने अनुश्री कि गांड कि लकीर मे घुसी पैंटी को पकड़ के बहार खिंच दिया.
अनुश्री को कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या होने वाला है,उसके ोास समय ही नहीं था.
"ये ले साली अपनी बोत्तल......आआहहहहह........आउच....उफ्फ्फ्फ़ग्ग......नहीं......इससससससस.....".अनुश्री के हलक से दर्दभरी चीख निकल पड़ी..
अनुश्री के आंखे फटी कि फटी रह गई,मुँह खुला रह गया, गर्दन ऊपर को हो गई जैसे किसी सियार ने हुंकार भरी हो.
"ले ना साली तेरी दारू " फारूक ने बोत्तल के आगे का सिरा अनुश्री कि गांड कि लकीर मे जा धसाया था.
porn-gifs-porn-threesome-5495643.gif

इतने मे ही अनुश्री कि आंखे बहार को उबल आई थी.
बेसुमार दर्द और पीड़ा से हालत ख़राब थी, अभी तक इतनी बेरहमी से उसकी गांड मे कुछ नहीं गया था, हालांकि एक बार अब्दुल को लंड हिलाते देख जोश मे नल कि टोटी अपनी गांड मे ली थी,और एक बार चाटर्जी ने दो ऊँगली घुसाई थी लेकिन वो सब उसकी मर्ज़ी से था जब वो हवस के चरम पे थी.
लेकिन ये तो सरासर बेरहमी थी,पसीने से गीली गांड ने एक ही बार मे बोत्तल का ऊपरी हिस्सा बेबस अनुश्री कि गांड मे धसा हुआ था.
"और ले साली...." फारुख ने बोलते हुए एक झटका ओर दिया बोत्तल का ऊपरी पतला हिस्सा पूरा का पूरा अनुश्री कि गांड मे जा धसा.
"आआआहहहहहह......आउच....नहीं.....बस करो " अनुश्री कि आंख से आँसू छलछाला गए.
लगता था जैसे खून कि हर एक बून्द गांड के उसके नाजुक बारीक़ सुराख़ कि तरफ दौड़े जा रही है.
"किसी ने तेरी गांड नही मारी क्या आज तक जो इतना चिल्ला रही है " फारूक चिल्लाया

"ननणणन......नननन....नहींआअह्ह्ह....उफ्फ्फ्फ़.. " भीषण दर्द मे भी अनुश्री ने जवाब दिया
कि तभी अनुश्री को अपनी गांड मे कुछ गर्म गर्म सा गिरता महसूस हुआ
"आअह्ह्हह्ह्ह्ह.........ये....ये.....क्या?" अनुश्री ने दोनों मुट्ठी से फारूक कि गन्दी लुंगी को जकड़ लिया था.
उसके गर्म चीज से जैसे उसकई दर्द मे राहत मिली थी,कोई मरहम हो जो उसकी गांड को सेक रहा था.
"वाह..रे....देख साली तेरी गांड भी दारू पीती है " फारूक का हाथ बोत्तल कि पिछली साइड मे जमा हुआ था.
"गुलप....गुलुप.....गुलुप.....करती बोत्तल बुलबुले छोड़ने लगी,बोत्तल से निकल के दारू अनुश्री कि गांड मे समाती जा रही थी.
अनुश्री का बदन दारू कि गर्माहट से सकपका उठा, उसका बदन जल रहा था,उसके जलन का केंद्र उसकी कि गांड का सुराख़ था, वही से सारी गर्मी पुरे बदन मे फ़ैल रही थी.
आँखों मे आँसू सुख आगये थे,आंखे लाल हो चली. नाभि के नीचे जांघो के बीच पेशाब का प्रेशर बढ़ता ही जा रहा था.
जब भी अनुश्री डरती या उत्तेजित होती उसके साथ यही होता.
इधर फारुख तो जैसे किसी सपने को जी रहा था.
फारुख को सिर्फ दारू कि तलब लगी थी,लेकिन फारूक कि हरकतों ने अनुश्री के बदन मे एक लावा घोल दिया था,वो नीचे सर धसाये सिर्फ इस खोलते लावे को महसूस कर रही थी.
कि तभी......अनुश्री को अपने बदन का हर एक हिस्सा गांड के रास्ते बहार खींचता महसूस होने लगा.
"आआहहहह.....आउच....नहीं...." अनुश्री को ऐसा लगा जैसे उसकी गांड से कोई जबरजस्ती कोई चीज बहार खिंच रहा हो.
अनुश्री ने गर्दन पीछे कर देखना चाहा,फारुख दारू कि बोत्तल को बहार खिंच रहा रहा,लेकिन बोत्तल को जैसे किसी ने जकड़ लिया था.
अनुश्री डर और वासना मे झूलसी अपनी गांड को भींच लिया.
उसे डर था दर्द होगा, ऊपर से अंदर कोई तरल पदार्थ गरम पदार्थ हिलोरे मार रहा था.
"आअह्ह्ह.....आउच...नहीं.....फारुख " अनुश्री के मुँह से पहली बार उसके व्यक्ति का नाम निकला.
कि तभी......पुककककककक.......फच....फच.....कि आवाज़ के साथ बोत्तल बहार आ गई.
20220105-171037.jpg

बोत्तल का बहार आना ही था कि अनुश्री ने अपनी गांड को जबरजस्त तरीके से भींच लिया,कुछ बून्द शराब बोत्तल के साथ बहार आई लेकिन सारी कि सारी अंदर ही रह गई.
फारुख ने बोत्तल निकल के सामने हवा मे लहरा दि " साली...देख तेरी गांड तो आधी दारू पी गई "
अनुश्री ने गर्दन ऊँची कर के देखा वाकई आधी बोत्तल खाली थी,इस....इस...इसका मतलब अंदर जो गरम गरम लग रहा है वो दारू है.
अनुश्री का मन मस्तिष्क चकरा गया, ऐसा कामुक अनुभव उसने पहली बार ही लिया था.उसका चेहरा शर्म और उत्तेजना मे लाल हो चला.
काम कला के भी क्या क्या रूप होते है अनुश्री सीख और समझ रही थी.
फारुख ने बोत्तल निकल साइड मे रख दि, अनुश्री अभी भी वैसे ही अपनी गांड भींचे फारुख कि जांघो पे पड़ी थी,उसे कतई होश नहीं था कि उठ के भाग जाये.

शायद भागना ही ना चाहती हो
"आज तो तेरी गांड से ही दारू पियूँगा,कितनी खूबसूरत है तेरी गांड " इस बार फारुख ने बड़े ही प्यार से अनुश्री कि गांड पे हाथ फेर दिया.
और दोनों टांगो को बहार निकाल दिया अनुश्री आज़ाद थी बिल्कुल आज़ाद....लेकिन...ये क्या अनुश्री हिली भी नहीं वो यूँ ही घाँस ने मुँह धसाये लम्बी लम्बी सांसे भर रही थी.
फारुख को अब सब्र नहीं था,तलब बढ़ती जा रही थी.
फारुख तुरंत ही अनुश्री के पीछे आ गया और उसकी कमर को पकड़ के ऊपर उठा दिया,शायद अनुश्री ने भी इसमें मदद कि थी वरना ऐसे कैसे उठा देता.
अनुश्री कि गांड ऊपर उठने से और भी ज्यादा उभर के सामने आ गई, एकदम गोरी,गद्दाराई कामुक हिलती हुई गांड..
20220510-203852.jpg

फारूक जैसो से ये सब देखा नहीं जा सकता था आव देखा ना ताव उसने अपना मुँह उसके कामुक पतली लकीर मे जा घुसाया.
"आआआहहहहहह......आउच....नहीं....उफ्फ्फ्फ़...." अनुश्री एक बार फिर चित्कार उठी लेकिन ये चित्कार दर्द कि नहीं थी सुकून कि थी,हवस और वासना से भरी थी.
अनुश्री किसी बिन पानी कि मछली कि तरह मचल उठी."उफ्फ्फ्फ़......आअह्ह्हह्ह्ह्ह.....आउच....
गर्दन पीछे घुमा क देखा तो फारुख का मुँह उसकी गांड कि दरार मे पूरा का पूरा धसा हुआ था.
km.gif

फारूक कि लापलापति गीली जीभ सीधा पसीने और दारू से भीगे अनुश्री के कामुक गांड के छेद पे जा टिकीअनुश्री तो इस अहसास से ही मरी जा रही थी,उसे ऐसा अनुभव कभी भी अनुभव नहीं हुआ था.
गांड के बहार गीली ठंडी जीभ और अंदर गरम उफान मारती दारू हिल रही थी.
ठन्डे गरम का ये अहसास अनुश्री को कामसुःख के सातवे आसमान पे ले गया.
अनुश्री कि आंखे ऊपर को चढ़ती जा रही थी..
F985C0D.gif

क्या वक़्त है,क्या स्थति है,कोई देख लेगा किसी बात कि फ़िक्र नहीं थी.
उसे फ़िक्र थी तो बस इस बात कि,कि जो उसकी जांघो के बीच लावा जमा हुआ है वो निकल जाये कैसे भी.
हाय रे ये वासना क्या रंग दिखाती है.
फारुख कि जीभ लगातार अनुश्री के गांड के छेद को कुरेदे जा रही थी, उसे वही दारू पीनी थी जो अनुश्री के गांड के अंदर थी
"आअह्ह्ह......उफ्फफ्फ्फ़....." अनुश्री मुँह नीचे किये सिर्फ आहे भरे जा रही थी.
कई बार मन करता कि गांड के छेद को ढीला छोड़ दे लेकिन जैसे ही फारुख कि जीभ वापस से गांड के छेद पे लपलापति अनुश्री उत्तेजना मे उसके छेद को सिकोड लेती.
नतीजा फारुख के हिस्से नाकामयाबी ही लगती..
"उफ्फ्फ्फ़.....आअह्ह्ह....आउच..." अनुश्री सिसकारे जा रही थी
"क्या गांड है तेरी,क्या पसीना है तेराा दारू पीला दे खोल अपना छेद " फारूक लगातार चाटे जा रहा था, हौसला भी बढ़ा रहा था.
अनुश्री कि गांड कि लकीर पूरी तरह से फारूख के थूक से सन गई थी.

"निकाल ना साली....." फारुख बेकाबू हुए जा रह था.
उसके दोनों हाथ अनुश्री कि गांड के दोनों पल्लो पे आ जमे और एक दूसरे को विपरीत दिशा मे खींचने लगे.
अनुश्री का छेद खुलने लगा,फारुख कि गन्दी जीभ उसके छेद मे घुसने कि नाकाम कोशिश कर रही थी.
"आअह्ह्ह.....फारुख....उफ्फ्फ्फ़...." अनुश्री इस हमले से सिसकर उठी.
फारुख को रास्ता नजर नहीं आ रहा था कि तभी धच.....से एक ऊँगली उठा के अनुश्री कि गीली कामुक चुत मे पेवास्त कर दि
"आआहहहह......पुररररर.....फट...फट.....फच...फच......पुरररर.......करता हुआ गांड का छेद खुल गया और फच से प्रेसर के साथ गरम गरम दारू कि फव्वारे दार बाढ़ सीधा फारुख के मुँह से टकरा गई.
फारुख को इसी बात का तो इंतज़ार था,फारुख मुँह खोले जीभ बहार निकाले उस दारू कि एक एक बून्द को पीने लगा
lusciousnet-ass-squirting-gif-377627584.gif

अभी ये कम ही था कि फारुख कि ऊँगली जो चुत मे घुसी हुई थी एक ही झटके से बहार को फिक गई....अनुश्री कि चुत से भरभरा के पेशाब भी छूट गया...
22919071.webp

"आआहहहह.....उफ्फ्फ्फ़क....फारुख...." अनुश्री लम्बी लम्बी सांसे भर रही थी सर जमीन मे धसाये,गांड हवा मे पूरी तरह से ऊपर उठी हुई थी, जो ना जाने क्यों कांप रही थी जैसे अनुश्री को कोई कर्रेंट लगा हो.
फारुख को तो जैसे जन्नत नसीब हो गई थी,उसे दारू के साथ साथ अनुश्री का कामुक कसैला पेशाब भी पीने को मिल रहा था.
फारुख जीभ निकाल निकाल....के शरबत का आनंद उठा ही रहा था कि
"धाजड़ड़ड़ड़ड़.......हट साले....गन्दी जात..." एक जबरजस्त ठोंकर फारुख कि कमर पे पड़ी.
अचानक हमले ऐसे अनुश्री और फारुख दोनों घबरा गये,फारुख तो ठोंकर से दूर जा गिरा..
"साले हमारी मैडम कि गांड चाटता है मदरचोद " एक लात और फारुख के मुँह पे जा पड़ी.
"साले मैडम कि गांड पे सिर्फ मेरा हक़ है " वो आदमी चिल्लाया.
अनुश्री जो इस ठोंकर से पीठ के बल चित्त लेट गई थी उसके तो आश्चर्य कि कोई सीमा ही नहीं थी.
"अअअअअ.....अअअअअ....अब्दुल तूम?" अनुश्री बुरी तरह बोखलाई हुई थी.
उसके दिल ने धड़कना ही छोड़ दिया था.
काश अभी जमीन फट जाये और वो उसमे समा जाये
अनुश्री कि यही आखिरी चाहत थी,उसकी सारी इज़्ज़त सारा सम्मान तार तार हो गया था.
चोर तभी तक चोर है जब तक पकड़ाई ना आये.
अनुश्री कि अभी यही हालत थी.
वो आंखे फाडे अब्दुल को देखे जा रही थी......रुक साले कहाँ जाता है रुक......फारुख बोत्तल उठाये भागा चला जा रह था
.
दूर बहुत दूर....
तो क्या होगा अब?
क्या सोचेगा अब्दुल?
बने रहिये कथा जारी
बेहतरीन,लाजबाब,बहुत बिंदास उम्दा
अपडेट
और क्या गज़ब एंट्री हुई है
फारुख की .........👌👌👌
 
  • Like
Reactions: andypndy

andypndy

Active Member
704
2,917
139

andypndy

Active Member
704
2,917
139
क्या मस्त अपडेट.. बढ़िया.. अनुश्री मार्केट से कहा पहुंच गई.. और वहा पर गांड़ खुल गई.. शराब डल गई.. और एक नए पात्र की जीभ ने चाटा और पिया भी फिर लात भी खाई.. और ऐसे हुई एंट्री अब्दुल की जिसे सबसे ज्यादा इंटरेस्ट वो गांड़ उसकी नजरों के सामने नंगी पड़ी है.. और जगह भी अनुकूल है और अनुश्री भी लगभग गर्म हो ही रही है.. तो अब अब्दुल सफल हो पाएगा क्या.. देखते है..
इधर मांगीलाल तो पहेचनवाला निकला.. मिश्रा ने बुला भी लिया.. तो वो भी होटल पर आया ही समझो..
मेरी बीवी अनुश्री के साथ बहते बहते.. मेरी मां रेखा के भी कारनामे हो तो रहे है.. अन्ना और बहादुर कुछ तो पेल रहे है.. देखते है उस पर कब आप प्रकाश डालोगे..
पर उसके बेटे से कुछ मत करवाना अपनी मां के साथ.. अभी जितना करवा रहे हो वहा तक ठीक है..
और बेहतरीन रंगतरंग अध्याय का इंतजार।।
रेखा कि जिंदगी अभी पर्दे के पीछे ही चलेगी,
लेकिन अनुश्री के बाद ये पर्दा उठ जायेगा.
रही बात अब्दुल कि तो वो ईमान वाला आदमी है......
देखते है अनुश्री कब तक बच पाती है 😁🤨
 
  • Like
Reactions: Yampag and Nasn

Thakur a

Member
391
206
58
Yes bro jarur dekhna chahenge Farooq ko aage
 
  • Like
Reactions: andypndy

Nasn

Well-Known Member
2,905
4,779
158
दोस्तों फारुख को आगे देखना चाहेंगे?
अपडेट आ शाम तक आ जायेगा.
देखना चाहेंगे फारुख के कारनामे
 
  • Like
Reactions: andypndy

Nasn

Well-Known Member
2,905
4,779
158
रेखा कि जिंदगी अभी पर्दे के पीछे ही चलेगी,
लेकिन अनुश्री के बाद ये पर्दा उठ जायेगा.
रही बात अब्दुल कि तो वो ईमान वाला आदमी है......
देखते है अनुश्री कब तक बच पाती है 😁🤨
अब्दुल बहुत ही पॉवरफुल करैक्टर है
आगे हम देखना चाहेंगे अनुश्री के ऊपर
साड़ी ब्लाउज पेटीकोट में कैसे चढ़ाई करेंगे अब्दुल जी.......👌
 
  • Like
Reactions: andypndy

Thakur a

Member
391
206
58
Update update update update
 
Top