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Erotica मेरी बीवी अनुश्री

आपकी पसंदीदा कौन है?

  • अनुश्री

    Votes: 193 72.0%
  • रेखा

    Votes: 44 16.4%
  • अंब्दुल

    Votes: 57 21.3%
  • मिश्रा

    Votes: 18 6.7%
  • चाटर्जी -मुख़र्जी

    Votes: 28 10.4%
  • फारुख

    Votes: 12 4.5%

  • Total voters
    268

Jaqenhghar5

Harami_Rajesh
61
102
33
भाई अपडेट दे दो😌😌
 

Sanjay335

Member
250
312
78
Update plz
 

plsubhash

New Member
19
16
3
Waiting Bhai
 

malikarman

Well-Known Member
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2,514
158
Inteha ho gayi intezar ki..
Aayi na kuchh khabar mere yaar ki...
Bewafa wo nahi ye mujhe hai yakee...
Fir wajah kya hui intezar ki.....
Kab aayega update????
 

andypndy

Active Member
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139
दोस्तों जिंदगी मे गड़बड़ी कि वजह से अपडेट नहीं दे पाया.....
लेकिन कुछ दिनों मे एक दिलकश अपडेट देने का विचार है..
जैसा कि आप लोग जानते ही है अनुश्री गुदा सम्भोग का आनन्द भोग चुकी है, उसकी हसरते उसकी कामइच्छा बढ़ती ही चली जा रही है.
परन्तु इसी बीच पूरी मे ही एक यात्रा और प्रारम्भ हुई...
अब क्या कहे अनुश्री कि किस्मत उसे ऐसी किसी परिस्थिति मे ही फसा देती है.

Precape
"ऑफ़ ओह....ये गाड़ी भी अभी ही ख़राब होनी थी,मैंने पहले ही कहाँ था मौसम ठीक नहीं है,होटल मे ही रुकते है " अनुश्री और मंगेश सुनसान रोड पर अंधी तूफान से लड़ते हुए कार के साइड मे खड़े थे.
"लो अब तुम्हे ही तो बोर लग रहा था होटल मे," मंगेश झुमझूला गया.
मंगेश और अनुश्री बरसाती रात मे एक दूसरे के ऊपर दोष मंड रहे थे,होटल अभी भी लगभग 20 km दूर था..
गोल्डन बीच के पास कार जाम थी,रह रह के बारिश के थपड़े दोनों को चोट पंहुचा दे रहे थे

"कोई दिख भी तो नहीं रहा " मंगेश ने गार्डन इधर उधर उचकाई
"मेरी तरफ ऐसे मत देखो मेरे से धक्का नहीं लगाया जायेगा " अनुश्री ने दूसरी तरफ पीठ फेर ली

"मुझे उम्मीद भी नहीं है हुँह " मंगेश age रोड पे बढ़ चला.
कि तभी कड़काती बिजली कि रौशनी मे एक आकृति उसी रोड पे चली आ रही थी "हिचम....हीच.....हिचम.....मेरा जूता है जापानी...हीच.....पतलून...इंग्लिस्तानी..हीच...." वो आकृति लड़खड़ा रही थी.
"ऐ....हेलो....ओह भाई....सुनो....हाँ....यहाँ...इधर " मंगेश ने हाथ हिला के इशारा किया
वो लड़खड़ता आदमी पास आने लगा, जैसे जैसे पास आया साफ दिखने लगा कि नशे मे है,हाथ मे बोत्तल है,शरीर से हट्टा कट्टा बलशाली....
"भाईसाहब.....धक्का लगा देंगे क्या " मंगेश ने उस व्यक्ति से बोला
लड़खड़ाटे व्यक्ति ने सर उठा के ऊपर देखा एक सुन्दर नौजवान था,उसके पीछे एक औरत खड़ी थी.
मंगेश कि आवाज़ सुन अनुश्री पालट गई लेकिन जैसे ही पलटी....उसके चेहरे पे हवाइया उड़ने लगी,गला एकदम सुख गया, पिंडलिया कांप....गई.
"फ़फ़फ़फ़.फ़फ़......फ़क.....फारुख." लास्ट का शब्द उसके मुँह से हवा के तौर पे निकला
फारुख कि नजर भी अनुश्री पे पड़ गई...उसका सारा नशा काफूर हो गया,कैसे उसकी किस्मत ने एक बार फिर करवट ली थी.
"धक्का लगा दोगे ना " मंगेश ने फिर पूछा
"बिल्कुल लगा देंगे,कस के लगाएंगे ऐसा लगाएंगे कि आप भी याद रखोगे बाबूजी,कि किसी ने धक्का लगाया था हीच....हिचम...."
फारूक अनुश्री कि तरफ देख मुस्कुरा दिया, और कार के पीछे चल दिया
अनुश्री बूत बनी वही खड़ी थी,चेहरा सफ़ेद पड़ गया,खून सुख गया था.
कैसे आ गए मंगेश और अनुश्री यहाँ?

थोड़ा सा इंतज़ार कीजियेगा,हद से हद 2 दिन मे ये अपडेट आप लोगो को मिल जायेगा.
धन्यवाद
बने रहिये....कथा जारी है
 
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