हमारे घर में उस समय बस दो ही कमरे थे जिसमें से एक कमरे में मम्मी-पापा रहते थे और दूसरे कमरा भाभी का था। मैंने अपना बिस्तर ड्राईंग रूम में ही लगा रखा है और वहीं पर अपनी पढ़ाई भी करता था।
अब ऐसे ही एक बार रात को पढ़ते समय गणित का एक प्रश्न मुझसे हल नहीं हो रहा था। मैने उसे अपनी भाभी से पूछने की सोची..! और उमके कमरे का दरवाजा बजा कर बताया..
मगर मेरे अब भाभी को बताने पर भी भाभी ने दरवाजा नहीं खोला, उन्होंने अन्दर से ही आवाज देकर बताया की वो - "अभी वो सो रही है, इसलिये कल बता देगी.."
मैं भी अब वापस ड्राईँगरुम मे आ गया और फिर से अपनी पढ़ाई करने लगा.. मगर फिर कुछ देर बाद ही भाभी ने पता नहीं क्या सोचा और क्या नही..? की उन्होने कमरे का दरवाजा खोल दिया और कमरे से ही आवाज देकर मुझे अपने कमरे मे बुलाया...
मै भी अपनी किताबे लेकर भाभी के कमरे मे पहुँच गया, मगर अब भाभी के कमरे में गया तो देखा भाभी ने काले रंग की एक पतली व झीनी सी एक नाईटी पहनी हुई है.. जिसमें से उनका पुरे का पुरा दुधिया गोरा बदन, यहाँ तक की काले रंग के ब्रा व पैन्टी भी स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।
"शायद इसलिये ही भाभी दरवाजा नही खोल रही थी" मैने मन मे ही सोचा मगर भाभी का यह उत्तेजक रूप देख मेरी हालत अब खराब हो गयी। मेरे लण्ड ने तो उत्तेजित होकर मेरी हाफ़ पैंट में ही बङा सा उभार बना लिया था जिसे शायद मेरी भाभी ने भी देख लिया था..!
मगर मुझे तो अब होश ही कहाँ था। भाभी क्या सोचेगी और क्या नही..? इस बात से बेखबर मै तो बस उस पारदर्शी नाईटी मे से दिखाई देते भाभी के गोरे चिकने बदन को ही देखे जा रहा था...
मेरे अन्दर आते ही भाभी ने अब कमरे का दरवाजा बन्द कर लिया और बिस्तर पर जाकर बैठ गयी, मगर मैं अभी भी उपर से नीचे तक भाभी को ही देखे जा रहा था..
भाभी को भी मेरी इस हालत का अहसास हो गया था इसलिये उन्होने बिस्तर पर बैठ कर अब एक नजर तो मेरी हाफ़ पैंट मे बने लण्ड के उभार पर डाली, फिर मेरे चेहरे की तरफ देखते हुवे..
"बोलो क्या पूछना है..?" भाभी ने मुस्कुराते हुए पुछा।
वैसे उस समय मुझे सैक्स का या फिर औरत के बदन के बारे मे इतना कुछ ज्ञान नही था मगर जिस तरह की नाईटी भाभी ने पहनी थी, मैने बस इस तरह की तस्वीरे ही देखी थी। असलियत मे किसी औरत या लङकी को मै पहली बार देख रहा था और भी अपनी ही भाभी को..?
अब मेरे लिये तो बस इतना देखना ही काफी था, जैसे किसी बहुत दिनो से भुखे प्यासे को खाने की बस एक झलक भी दिख जाये तो जो हालत उस भुखे की हो जाती है भाभी के बदन को देखकर बस वही हालत उस समय मेरी हो रही थी।
शरम व उत्तेजना से मेरा चेहरा लाल हो आया था तो गला भी जैसे सुख सा गया था। मेरे गले से आवाज नहीं निकल रही थी इसलिए भाभी के पास अपनी बुक्स ले जाकर मैंने बस हाथ के इशारे से उनको किताब में वो प्रशन दिखा दिया...
भाभी ने अब भी कुछ कहा नही, उन्होने मुस्कुराते हुवे बस एक नजर तो मेरे चेहरे को देखा, फिर चुपचाप मुझे वो गणित का प्रशन समझाने लगी। भाभी मुझे वो प्रशन समझा रही थी मगर मेरा ध्यान अब पढ़ने में कहाँ था.. मैं तो बस भाभी को ही देखे जा रहा था...
अब कुछ देर में ही भाभी ने वो प्रशन हल भी करके दिखा दिया और...
" समझ गये..?" भाभी ने मेरे चेहरे की ओर देखते हुवे पुछा।
"ह्.ह्.आ्.आ्..आ..." मैंने अब झूठ-मूठ में ही ‘हाँ’ कह दिया जबकि मैंने ठीक से किताब की तरफ देखा भी नहीं था.. मैं तो बस भाभी के के गोरे चकने बदन को ही देखे जा रहा था।
"तो फिर चलो अब, मुझे सोना है.." भाभी ने किताबे मुझे देते हुवे कहा। भाभी के कमरे से आने को मेरा दिल तो नहीं हो रहा था.. मगर फिर भी मैं वहाँ से आ गया और भाभी ने फिर से दरवाजा बन्द कर लिया।