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Incest मेरी भाभी सँग अन्तर्वाशना..

Chutphar

Mahesh Kumar
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नमस्कार दोस्तो, मै महेश कुमार, एक‌ बार फिर आप लोगो के लिये अपनी एक नयी कहानी लेकर आ रहा हुँ, जोकी मेरी और मेरी प्यारी भाभी पायल की कहानी है...!

जैसा की आप मेरी पहले की हर एक‌ कहानी मे मेरी भाभी का जिक्र सुनते आ रहे हो... मगर उनके साथ मेरे इस‌ सफर की सुरुवात कैसे हुई..? ये मेरे जो xosip के पुराने पाठक है उन्हे तो शायद पता होगा, मगर जो नये पाठक है, जिन्होने वो कहानी नही‌ पढी उनके‌ लिये एक‌ बार फिर से मै ये कहानी लिखने की कोशिश कर रहा हुँ, उम्मीद ये आपको पसन्द आयेगी....
 

kingkhankar

Multiverse is real!
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Please start the story. Congratulations and all the best.
 
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Chutphar

Mahesh Kumar
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यह कहानी मेरे पहले सेक्स अनुभव की है। यह मेरी और मेरी प्यारी पायल भाभी की कहानी है, जिसका जिक्र आप मेरी हर एक‌ कहानी सुनते आ रहे हो। मेरी सैक्स लाईफ की शुरुआत उनसे ही हुई थी। मेरी भाभी ने ही मुझे ये सब सिखाया है‌ या फिर ये कहुँ की‌ मेरी सैक्स गुरु वो है तो‌ इसमे कोई गलत नही है।

तो दोस्तो अब ज्यादा समय ना लेते हुवे मै अब सीधा कहानी‌ पर आता हुँ,पर कहानी शुरु करने से पहले एक बार फिर मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं.. ये बस मात्र मनोरँजन‌ के लिये है जिनका किसी से भी कोई सम्बन्ध नहीं है। अगर होता भी है.. तो यह मात्र संयोग ही होगा।
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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वो दुल्हन के लिबास में स्वर्ग की किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं.. बिल्कुल दूध जैसा सफेद रंग, गोल चेहरा, सुर्ख गुलाबी पतले पतले होंठ, बड़ी-बड़ी काली आँखें.. पतली और लम्बी सुराहीदार गर्दन.. काले घने लम्बे बाल.. बङी-बङी सख्त चुँचियाँ.. पतली बलखाती कमर.. गहरी नाभि.. पुष्ट और भरे हुए बड़े-बड़े कुल्हे...

हालांकि उस समय मुझे सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं पता था.. मगर फ़िर भी भाभी मुझे बहुत ही अच्छी लगीं थी। सैक्स की नजर से नही, सैक्स का तो उस समय मुझे सैक्स "एस" भी नही पता था। बस उनकी सुन्दरता की वजह से वो दिल को भा गयी थी। वैसे भी‌ उस समय मैं बहुत डरपोक व शर्मीला सा लड़का हुवा करता था।

भाभी ने आते ही सारे घर की जिम्मेदारी सम्भाल ली थी। वो सारा दिन घर के कामों में व्यस्त रहती और जब कभी समय मिलता तो मेरी भी पढ़ने में मदत कर देती थी। भाभी ने बी.एससी. कि हुई थी इसलिए पढ़ाई में कोई दिक्कत आने पर मै भाभी से ही पूछ लेता था और उसके बदले कभी कभी मै भी भाभी का घर के कामों में हाथ बंटा देता।

शुरु शुरु मे तो मै अपने शरमीलेपन के कारण भाभी से कम ही बात करता था मगर फिर समय के साथ-साथ मैं और भाभी एक-दूसरे से खुलते चले गये, भाभी ने जहाँ मुझसे हँशी मझाक कर‌ना शुरु कर दिया तो मै भी उनके साथ शरारते करने लगा.. मगर मैंने भाभी के बारे में कभी गलत नहीं सोचा था।

मेरे दिन अब ऐसे ही गुजर रहे थे की एक बार स्कूल से आते समय मेरे कुछ दोस्त थे जो की‌ सैक्स के बारे मे‌ काफी कुछ जानते थे। उनमे से एक दो तो यहाँ तक कहते थे की वो सैक्स भी कर चुके है।

उन्होने कभी सैक्स ‌किया या नही‌ किया ये तो मुझे नही पता मगर हाँ पहली बार औरत कि अश्लील और नंगी तस्वीरे मुझे उन्होने ही दिखाई थी, यहाँ तक की वो तो मुझे हस्तमैथुन भी करने को भी बोलते थे मगर मै ही उनकी बातो पर कम ध्यान देता था।

उस दिन वो सारे ऐसे ही हँशी मजाक मे सेक्स के बारे में बातें कर रहे थे कि तभी...
"इसको देखो ऐसे ही घुम रहा है जबकी इसके तो घर मे ही जबरदस्त माल है..!"मेरे एक दोस्त ने मजाक करते हुवे कहा।


"क्या मतलब..?" मैंने पुछा तो वो कहने‌ लगा की.. "तेरी भाभी है ना.. तेरे भैया तो आर्मी मे‌ है, वो तेरी भाभी के पास तो रहते‌ नही, और तेरे भैया के जाने के बाद तेरी भाभी का भी दिल तो सेक्स के लिए करता होगा..?" इस पर मेरे सारे दोस्त जोरो से हँसने लगे।

उस समय तो मैंने उनकी बातों को मजाक में उड़ा दिया.. मगर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरा भी भाभी के प्रति नजरिया ही बदल गया...
 
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Chutphar

Mahesh Kumar
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उस दिन मैं और भाभी ऐसे ही बातें कर रहे थे और बीच-बीच में एक-दूसरे से मजाक भी कर रहे थे, तभी भाभी ने मेरी बगल में गुदगुदी कर दी...अब मैं भी भाभी को गुदगुदी करना चाहता था.. इसलिए भाभी को पकङकर मैंने उन्हे बिस्तर पर गिरा लिया और दोनों हाथों से उनकी कमर में जोरो जोर से गुदगुदी करने लगा...

मेरे गुदगुदी करने से भाभी हँस-हँस कर दोहरी हो गयी थी इसलिये अपने आपको बचाने के‌ चक्कर मे उन्होने अपने दोनो पैर घुटनो को मोड़कर उपर कर लिया..भाभी ने साङी व ब्लाउज पहन रखा था अब जैसे ही उन्होंने अपने घुटनो को मोङकर उपर किया उनकी साड़ी व पेटीकोट भी उनकी कमर तक उलट गये...

भाभी की दूध सी गोरी चिकनी जाँघें व जाँघो के बीच काली पैन्टी मे फुली हुई चुत तक अब मुझे साफ दिख गयी थी, जिसे देख मेरे रोम-रोम में एक तूफ़ान सा उठा और उसका असर सीधा मेरी जाँघो के बीच हुवा, पर ये नजारा मुझे ज्यादा देर तक‌ देखने को‌ नही मिला‌...!

ये नजारा बस कुछ पल ही रहा, क्योंकि भाभी ने तुरन्त ही अपने कपङो को ठीक कर लिया और..
"हटो बहुत शरारती हो गए हो तुम..!" भाभी ने हँसते हुवे कहा और उठ कर कमरे से बाहर चली गईं।

भाभी जा चुकी थीं.. मगर मुझे तो जैसे सांप सा सूँघ गया था। मेरे सामने तो अब भी भाभी की गोरी चिकनी जांघें व काली पैन्टी मे उनकी फुली हुई चुत ही घूम रही थी। इस तरह की मैने बस तस्वीरे ही देखी थी। उस दिन‌ से पहले‌ मैने‌ कभी भी किसी लङकी या औरत को ऐसे नही देखा था।

मै अभी भी वैसे ही बैठा रहा मगर कुछ देर बाद ही भाभी खाने की प्लेट लेकर कमरे में फिर से आ गईं और मुस्कुराते हुए...
"चलो खाना खा लो..!" भाभी ने खाने की प्लेट को बिस्तर पर रखते हुवे कहा और मेरी बगल‌ मे ही बैठ गयी।

मैं चुपचाप उठ कर खाना खाने लगा.. मगर मेरा लण्ड अब भी उत्तेजित था जो कि मेरी हाफ़ पैंट में उभरा हुआ स्पष्ट दिखाई दे रहा था। मैं उसे बार-बार दबा कर भाभी से छुपाने की कोशिश कर रहा था जिससे शायद भाभी को भी मेरी हालत का अहसास हो गया...

"कुछ चाहिए.. तो आवाज दे देना.. मैं रसोई में जा रही हूँ..!" भाभी ने अब हँसते हुए कहा और उठकर बाहर चली गयी।

अब खाना खाते हुवे भी मेरे जहन मे तो बस भाभी ही भाभी घुम‌ रही थी और मुझे रह-रह कर उस दिन वाली मेरे दोस्तों की बातें याद आ रही थी, जोकी शायद सही भी थी। क्योंकि मेरे भैया भाभी के पास रहे ही कितना थे, शादी के बाद से मुश्किल से तीन या फिर चार महिना...

इस घटना ने मेरा अब सब कुछ बदल कर रख दिया था, क्योंकि मैं अपनी भाभी को अब वासना की नजरों से देखने लगा तो अधिक से अधिक उनके पास भी रहने की कोशिश करना लगा था। इस बात का अहसास शायद अब भाभी को भी हो गया था.. मगर वो कुछ कहती नहीं थीं।
 

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Well-Known Member
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बहुत ही सुंदर और जबरदस्त प्रारंभ हैं भाई
लगातार अपडेट मिले तो मजा आ जायेगा
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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हमारे घर में उस समय बस दो ही कमरे थे जिसमें से एक कमरे में मम्मी-पापा रहते थे और दूसरे कमरा भाभी का था। मैंने अपना बिस्तर‌ ड्राईंग रूम में ही लगा रखा है और वहीं पर अपनी पढ़ाई भी करता था।

अब ऐसे ही एक बार रात को पढ़ते समय गणित का एक प्रश्न मुझसे हल नहीं हो रहा था। मैने उसे अपनी भाभी से पूछने की सोची..! और उमके कमरे का दरवाजा बजा कर बताया..

मगर मेरे अब भाभी को बताने पर भी भाभी ने दरवाजा नहीं खोला, उन्होंने अन्दर से ही आवाज देकर बताया की वो - "अभी वो सो रही है, इसलिये कल बता देगी.."

मैं भी अब वापस ड्राईँगरुम मे आ गया और फिर से अपनी पढ़ाई करने लगा.. मगर फिर कुछ देर बाद ही भाभी ने पता नहीं क्या सोचा और क्या नही..? की उन्होने कमरे का दरवाजा खोल दिया और कमरे से ही आवाज देकर मुझे अपने‌ कमरे‌ मे बुलाया...

मै भी अपनी किताबे लेकर भाभी के कमरे मे पहुँच गया, मगर अब भाभी के कमरे में गया तो देखा भाभी ने काले रंग की एक पतली व झीनी सी एक नाईटी पहनी हुई है.. जिसमें से उनका पुरे का‌ पुरा दुधिया गोरा बदन, यहाँ तक की काले रंग के ब्रा व पैन्टी भी स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।

"शायद इसलिये ही भाभी दरवाजा नही‌ खोल‌ रही थी" मैने मन मे ही सोचा मगर भाभी का यह उत्तेजक रूप देख मेरी हालत अब खराब हो गयी। मेरे लण्ड ने तो उत्तेजित होकर मेरी हाफ़ पैंट में ही बङा सा उभार बना लिया था जिसे शायद मेरी भाभी ने भी देख लिया था..!

मगर मुझे तो अब होश ही कहाँ था। भाभी क्या सोचेगी और क्या नही..? इस बात से बेखबर मै तो बस उस पारदर्शी नाईटी मे से दिखाई देते भाभी के गोरे चिकने बदन को ही देखे जा रहा था...

मेरे अन्दर आते ही भाभी ने अब कमरे का दरवाजा बन्द कर‌ लिया और बिस्तर पर जाकर बैठ गयी, मगर मैं अभी भी उपर से नीचे तक भाभी को ही देखे जा रहा था..

भाभी को भी मेरी इस हालत का अहसास हो गया था इसलिये उन्होने बिस्तर पर बैठ कर अब एक नजर तो मेरी हाफ़ पैंट मे‌ बने‌ लण्ड के‌ उभार पर डाली, फिर मेरे चेहरे की तरफ देखते हुवे..

"बोलो क्या पूछना है..?" भाभी ने मुस्कुराते हुए पुछा।

वैसे उस समय मुझे सैक्स का या फिर औरत के बदन के बारे मे इतना कुछ ज्ञान नही था मगर जिस तरह की नाईटी भाभी ने पहनी थी, मैने बस इस तरह की तस्वीरे ही देखी थी। असलियत मे किसी औरत या लङकी को मै पहली बार देख रहा था और भी अपनी ही भाभी को..?

अब मेरे लिये तो बस इतना देखना ही काफी था, जैसे किसी बहुत दिनो से भुखे प्यासे को खाने की बस एक झलक भी दिख जाये तो जो हालत उस भुखे की‌ हो जाती है भाभी के बदन को देखकर बस वही हालत उस समय मेरी हो रही थी।

शरम‌ व उत्तेजना से मेरा चेहरा लाल‌ हो आया था‌ तो गला भी जैसे सुख सा गया था। मेरे गले से आवाज नहीं निकल रही थी इसलिए भाभी के पास अपनी‌ बुक्स ले जाकर मैंने बस हाथ के इशारे से उनको किताब में वो प्रशन दिखा दिया...

भाभी ने अब भी कुछ कहा नही, उन्होने मुस्कुराते हुवे बस एक‌ नजर तो‌ मेरे चेहरे को देखा, फिर चुपचाप मुझे वो गणित का प्रशन समझाने लगी। भाभी‌ मुझे वो प्रशन समझा रही थी मगर मेरा ध्यान अब पढ़ने में कहाँ था.. मैं तो बस भाभी को ही देखे जा रहा था...

अब कुछ देर में ही भाभी ने वो प्रशन हल भी करके दिखा दिया और...
" समझ गये..?" भाभी ने मेरे चेहरे की ओर देखते हुवे पुछा।

"ह्.ह्.आ्.आ्..आ..." मैंने अब झूठ-मूठ में ही ‘हाँ’ कह दिया जबकि मैंने ठीक से किताब की तरफ देखा भी नहीं था.. मैं तो बस भाभी के के गोरे चकने बदन को ही देखे जा रहा था।

"तो फिर चलो अब, मुझे सोना है.." भाभी ने किताबे मुझे‌ देते हुवे कहा। भाभी के कमरे से आने को मेरा दिल तो नहीं हो रहा था.. मगर फिर भी मैं वहाँ से आ गया और भाभी ने फिर से दरवाजा बन्द कर लिया।
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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भाभी के गोरे चिकने बदन को देख कर मुझे मजा तो बहुत आ रहा था मगर अब कर भी तो क्या सकता था..? मै वापस ड्राईँगरुम मे आकर अपनी पढाई करने लगा, मगर अब पढने मे दिल कहाँ लगना था मेरे जहन मे तो बस भाभी ही भाभी घुम रही थी।

मै भाभी के बारे मे ही सोच रहा था की, तभी मुझे भाभी को फिर से देख‌ने एक तरीका सूझ गया। मै कुछ देर तो ऐसे ही बैठा रहा फिर भाभी के कमरे के पास जाकर फिर से उनका दरवाजा बजा दिया...

"अब क्या हुआ..?" भाभी ने दरवाजा खोल कर मुस्कुराते हुए पूछा।

"व्.व्. वो एक बार फिर से बता दो..!
मुझसे हो नही रहा.." भाभी‌ की नाईटी मे‌ से‌ दिखाई देते उनके गोरे चिकने‌ बदन को देखते हुवे कहा..

भाभी बस अब मुस्कुराकर रह गयी और मुझे अपने कमरे मे‌ ले जाकर एक बार फिर से वो सवाल समझाने लगीं.. मगर मेरा ध्यान तो भाभी पर ही रहा.. और वैसे भी मैं पढ़ने भी कहाँ आया था.. मैं तो भाभी की पारदर्शी नाईटी से दिखाई देते उनके गोरे चिकने बदन को देखने आया था।

कुछ देर में ही भाभी ने वो सवाल अब फिर से हल करके दिखा दिया, जिससे मुझे अब फिर से उनके कमरे से आना पड़ा। पर मै भी कम‌ नही था, कुछ देर रुकने के बाद ही मैंने एक नया सवाल लेकर फिर से भाभी के कमरे का दरवाजा बजा दिया...

इस बार भाभी दरवाजा खोलते ही हँसने लगी और.. "अब फिर से.."भाभी ने‌ हँसते हुए पुछा।

"न्.न्.नही् ..ये दुसरा है..!" इस बार मै‌ भी हकला गया था जिससे मेरी भाभी अब जोरो से हँशने लगी।

भाभी समझ तो रही थी की मैं बार-बार उ‌नके पास क्यों आ रहा हूँ, मगर उन्होंने कुछ कहा नही बस हँशकर रह गयी...
 
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