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Incest मेरी भाभी सँग अन्तर्वाशना..

Chutphar

Mahesh Kumar
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अब मेरे बार-बार भाभी का दरवाजा बजाने की आवाज सुनकर मेरे पापा भी अपने कमरे से बाहर आ गये जिससे भाभी तो दरवाजे के पीछे छुप गयी मगर पापा मुझ पर बरस पङे..

" क्या है.. क्यों बार बार दरवाजा बजा रहा है..? पापा ने डाटते हुवे कहा।

"व्.व्. वो मैं तो बस पढ़ने आया था..!" मैने हकलाते हुवे बताया।

"सारा दिन तो टीवी देखते रहते हो और अब रात को तुम्हे पढना है, बार-बार दरवाजा बजाकर परेशान क्यों कर रहा है इसे, एक बार ही आराम‌ से बैठकर पढ‌ ले...."पापा ने उसी टोन मे डाटते हुवे कहा।

"वो सवाल पूछने के लिए आना पड़ता है..!" मैने कहा तो..

"तुम‌ इधर ही क्यो‌ नही‌ सो‌ जाते..?" पापा की ये बात सुनकर तो जैसे मुझे कोई मुँह माँगी ही मुराद ही मिल गयी थी इसलिये पापा‌ अब मुझे डाटते रहे और मै चुपचाप सुनता रहा...

"वहाँ सारा दिन टीवी देखते रहते हो, यहाँ पायल (मेरी भाभी‌ का नाम) तुम्हारी खबर भी लेती रहेगी और तुम्हें पढ़ा भी देगी.. " इतना कह कर पापा अब वापस अपने कमरे में चले गये.. मगर मेरी तो जैसे बाँछे ही खिल गयी, क्योंकि भाभी के कमरे में बिस्तर लगाने का मतलब दिन रात अब भाभी‌ के साथ ही रहना था।

पापा के जाते ही मैं अब अपनी किताबे व सारा सामान तुरन्त भाभी के कमरे में लाने लगा मगर मेरी ये जल्दबाजी देख भाभी अब जोरो से हँशने लगी और..
"अरे..अरे..अभी रात को रहने दो.. मैं कल तुम्हारा सामान यहाँ रख लुँगी.. अभी तो ये बताओ तुम्हें पूछना क्या है..?" भाभी ने हँसते हुए कहा।

अब भाभी ने ही मना कर दिया तो मै भी कुछ नही‌ कर सकता था। मै अपना मन मसोस कर रह गया और एक नया सवाल भाभी के सामने रख दिया..

"तुम्हें पहले वाला समझ आ गया..? भाभी ने अब हँशते हुवे पुछा।

"हाँ हाँ.आ्.आ्..." मैने भी अब जल्दबाजी मे ‘हाँ’ कह दिया जिससे..

"ठीक है तो जरा मुझे पहले ये वाला करके दिखाओ..?" भाभी को पता था कि मुझे वो प्रशन‌ नही आयेगा, और मैं बार-बार उनके पास किसलिए आ रहा हूँ..इसलिए उन्होंने अब जान-बूझकर मेरी खिंचाई करने‌ के लिये पुछा।

मैं अब कर भी क्या सकता था, मै उस सवाल को हल तो करने तो बैठ गया.. मगर मुझे वो आ नहीं रहा था, और आता भी तो कहाँ से..? भाभी जब उसे हल‌ करके दिखा रही थी तो मैंने उसे ठीक से देखा ही कहाँ था। मै तो बस भाभी को ही देख रहा था।

मेरी हालत तो अब पतली हो गयी थी जिसे देख‌ भाभी अब फिर से हँसने लगीं और..."अभी सो जाओ.. बाकी कल पढ़ लेना..! भाभी ने हँशते हुवे कहा।
शरम के मारे मेरी हालत पतली हो गयी थी इसलिये मै अब चुपचाप भाभी के कमरे से निकलकर बाहर आ गया और ड्राईँगरुम मे अपने बिस्तर पर आकर लेट गया। मै सोने की‌ कोशिश तो कर रहा था मगर मुझे अब नीँद नही आ रही थी।

मेरे दिल दिमाग मे तो बस भाभी ही भाभी घुम रही थी, पर शायद भाभी मुझे अब अपने कमरे मे कभी‌ नही सुलायेगी, इस बात की उधेङबुन के साथ साथ डर भी‌ लग रहा था की कही भाभी मेरे मम्मी पापा से मेरी शिकायत ना कर दे...
 
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Anuj.Sharma

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Mahesh bhai story bahut mazedar hai.. bus updates thode jyada hee chote hai ..

💐💐💐
 
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Chutphar

Mahesh Kumar
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खैर जैसे तैसे उस रात मै सो गया और सुबह भी जल्दी ही उठकर स्कूल चला गया। मेरी भाभी से अब बात तक करने की हिम्मत नहीं हो रही थी इसलिये मैने उस दिन‌ सुबह नाश्ता भी नही किया। मै ऐसे ही स्कुल‌ चला गया था, मगर जब मै स्कूल से वापस घर आया तो देखा मेरा सामान ड्राईंग रूम से गायब था..?

मैंने बाहर जाकर देखा तो भाभी किचन में कुछ काम कर रही थीं। मेरी भाभी से तो पुछने कुछ की हिम्मत नही हुई मगर मैने जब भाभी के कमरे में जाकर देखा तो मेरा सारा सामान भाभी ने अपने कमरे में लगा रखा था।

मेरी बुक्स से लेकर कुर्सी-टेबल, यहाँ तक की मेरे कपङे भी भाभी ने अपनी अलमारी मे रखे हुवे थे, मगर जो मै चाहता था बस वो ही सामान वहाँ नही था और वो था मेरा बिस्तर..?

भाभी ने मेरा सारा सामान तो अपने कमरे मे रख लिया था मगर उन्होने मेरा बिस्तर अपने कमरे मे नही लगाया था, मुझे ये अच्छा भी लग रहा था और बुरा भी। मेरी भाभी से बात करने कि हिम्मत तो नहीं हो रही थी.. मगर फ़िर भी मैं ये पूछने के लिए भाभी के पास किचन में चला गया....

भाभी मुझे देखते ही अब एक बार तो मुस्कुराई फिर..
"तुमने सुबह नाश्ता क्यो नही‌ किया..?" भाभी ने हल्का गुस्सा सा दिखते हुवे पुछा।

"व्.वो् मुझे भुख नही थी, पर मेरा सामान..!" मैने अब भाभी की बात का जवाब‌ देने के साथ साथ ही पुछ लिया...

"हाँ.हाँ.. रख लिया है तुम्हारा सामान मैने अपने कमरे मे.., सुबह भी कुछ नही खाके गये, चलो अब खाना खा लो.." भाभी ने कहा।

"पर वो मेरा बिस्तर..? " मैने मायुस सा होते हुवे पुछा।

"इतना सामान कमरे में नहीं आएगा.. तुम मेरे साथ बिस्तर पर ही सो जाना और वैसे भी डबलबेड है.. हम दोनों आराम से सो सकते हैं.." भाभी ने अबकी बार मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुस्कुराते हुवे कहा।

अब भाभी की ये बात सुनकर तो मानो जैसे एक पल के लिये मेरी धङकन ही थम गयी, मै इतना खुश हो गया जैसे कि मुझे कोई खजाना ही मिल गया हो, मगर मैंने वो जाहिर नहीं किया। मैने चुपचाप अब खाना खाया और रात होने का इंतजार करने लगा...
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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भाभी ने दिन से ही सलवार कमीज पहन रखा था और रात को भी उसे ही पहनकर सो गईं.. इसलिए उस रात मुझे कुछ देखने को तो नहीं मिला। ऊपर से भाभी के इतना नजदीक होने के कारण मेरा लण्ड रात भर ही उत्तेजित रहा जिस कारण मुझे ठीक से नींद भी नहीं आ सकी।

अगले दिन भाभी ने साड़ी पहनी थी इसलिए मैं दिन भर यह सोच कर खुश होता रहा कि शायद भाभी आज रात को सोते समय वो ही वाली नाईटी पहनेंगी और मुझे कुछ देखने को मिल जायेगा.. मगर रात को भी भाभी ने कपड़े नहीं बदले बस उन्होने अपनी साड़ी को ही उतारा..

साड़ी को तो उतार कर उन्होंने अलबारी मे रख दिया और मात्र पेटीकोट व ब्लाउज मे मुझे अब पढ़ाने बैठ गयी। भाभी ने नीचे काले रंग का पेटीकोट पहन रखा था तो ऊपर भी‌ काले रंग का ही ब्लाउज पहना हुवा था, जिनके बीच से उनका गोरा चिकना पेट अलग ही चमकता दिखाई दे रहा था।

भाभी को इस तरह देखकर मजा तो बहुत आ रहा था मगर मेरा लण्ड अब अपने आप ही उत्तेजित होता जा रहा था जिससे मुझे डर लगने लगा की कहीं ये भाभी को दिखाई ना दे जाए इसलिये...

"मुझे कुछ पूछना होगा तो मैं आपको बता दूँगा.. भाभी आप सो जाओ..!" मैंने भाभी को पढाने से मना करते हुवे कहा।

भाभी ने भी अब कुछ कहा नही बस.. "ठीक है तो, वैसे भी‌ मै थक गयी हुँ इसलिये नीँद आ रही है..!, सोते समय‌ लाईट बन्द कर देना " कहा और मेरे पास से उठकर बिस्तर पर एक तरफ होकर सो गईं, मगर अब सोते भाभी का पेटीकोट घुटनो तक उठ गया जिससे भाभी की दूधिया सफेद पैरो की पिण्डलियाँ दिखने लगीं...
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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मैं अब फिर से पढ़ाई करने लगा.. मगर मेरा ध्यान पढ़ाई में कम और भाभी पर ज्यादा था। भाभी दिवार की तरफ मुँह करके सोई थी। उन्होंने अपना एक पैर तो सीधा किया हुवा था और दुसरे को घुटने से मोङ लिया था जिससे उनका पेटीकोट उपर हो गया और सीधे वाला पैर घुटने से उपर तक नँगा हो गया था।

एकदम संगमरमर से सफेद पैर थे भाभी‌ के। मै तो उनके नँगे पेट को ही देखकर उत्तेजित हो गया था जबकि अब तो मुझे भाभी के गोरे चिकने नँगे पैर के साथ साथ पेटिकोट के उपर से ही उनके बङे बङे व माँसल कुल्हो की बनावट तक‌ साफ‌ दिख रही थी।

भाभी भी बेसुध सोई थी, उनको सही‌ मे इतनी नीँद आ रही थी या नही, ये तो‌ मुझे नही पता, मगर हाँ उन्होंने अपने पेटिकोट को ठीक करने की बिल्कुल भी कोशिश नही‌ की, वो वैसे ही सोती रही.. जिसका फायदा मै भी अब अपनी आँखो को सेककर उठाने‌ लगा..

मैं चोर निगाहों से बार-बार भाभी को ही देख रहा था और उपर वाले से दुवा भी कर रहा था की भाभी‌ का ये पेटीकोट थोङा सा और उपर उठ जाये.. मगर हाय रे‌ मेरी किस्मत देखो..! तभी साली बिजली चली गई और कमरे में एकदम‌ घुप्प अंधेरा हो गया..

अब तो मैं भी कुछ नहीं कर सकता था.. इसलिए मै चुपचाप भाभी की बगल मे जाकर लेट गया। मै सोने की‌ कोशिश कर रहा था मगर मुझे अब नीँद नही आ रही थी‌, क्योंकि मैने अभी अभी एक‌ तो इतना शानदार नजार देखा था उपर से भाभी मेरी बगल मे ही लेट रही थी...

मेरा लण्ड अब भी उत्तेजित व तना खङा था जो कि मुझे सोने नहीं दे रहा था। जी कर रहा था एक बार भाभी के माँसल व बङे बङे कुल्हो को हाथ लगाकर देखुँ, उनके उस नँगे पैर को छुकर उसकी चिकनाई‌ को‌ महसुस करुँ, मगर डर लग रहा था...
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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मैं बार-बार करवट बदल रहा था मगर नींद नहीं आ रही थी.. तभी भाभी ने करवट बदली और पीठ‌‌ के बल सीधा होकर सो गयी। करवट बदलकर भाभी मेरे इतने पास आ गयी थी की उनका एक हाथ अब सीधा मेरे सीने पर आकर गीरा था।

अब तो मुझमे भी थोड़ी सी हिम्मत आ गयी। मैने‌ भी‌ भाभी‌ के जैसे नीँद के बहाने बाहने ही भाभी को‌ हाथ‌ लगाने की सोची..! और करवट बदल कर अपना मुँह भाभी की तरफ ही‌ कर लिया। भाभी के जैसे ही करवट बदलते समय मैने भी अपना एक हाथ भाभी के उपर रख दिया था जो की सीधा ही भाभी की नर्म‌नर्म चुँचियो पर रखा गया।

भाभी की चुँचियाँ नर्म‌ मुलायम व स्पँज के जैसे इतनी गुदाज थी की मानो जैसे मेरा हाथ किसी गद्देदार बोल पर रखा गया हो। मुझे डर लग रहा था कहीं भाभी जाग ना जाएं जिससे दिल जोरों से धक-धक कर रहा था.. मगर फ़िर भी मैं धीर-धीरे भाभी की चुँचियो को सहलाने..?

नही...नही... इसे मै सहलाना तो‌ नही कहुँगा,‌ बस उपर उपर से ही छुकर मै उनकी बनावट महसुस कर रहा था।‌‌ मै एक‌ हाथ‌ से भाभी‌ की‌ चुँचियो ‌को‌ महसूस कर रहा था तो‌ दुसरे हाथ से‌ अपने‌ लण्ड को भी मसल रहा था..‌

ऐसा नही था की मैने कभी मुठ नही‌ मारी थी, एक दो बार अपने दोस्तों के साथ मैने भी मुठ मारी थी मगर किसी की नर्म‌‌ मुलायम चुँचियो को मैं अपने जीवन मे पहली बार छू रहा था, और किसी‌ की भी क्या..? अपनी खुद की ही भाभी‌ की चुँचियो को छु रहा था..

इसलिये भाभी के नर्म मुलायम चुँचियो के अहसास ने मुझे इतना अधिक उत्तेजित कर दिया था की बस एक दो बार, और वो भी कपङो के उपर से ही लण्ड को मसलने से मै चर्म पर पहुँच गया, जिससे मेरा अण्डर वियर मेरे वीर्य से भरता चला चला गया..


अपना सारा कामरस कपङो मे ही उगलने के बाद मैने भाभी‌ की‌ चुँचियो पर से अपना हाथ हटा लिया और करवट बदल कर अपना मुँह दुसरी तरफ कर लिया। उत्तेजना का जो ज्वार मेरे अन्दर उठ रहा था वो अब शाँत हो गया था इसलिये कुछ देर बाद ही मुझे भी नींद आ गयी...
 
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