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Incest मेरी भाभी सँग अन्तर्वाशना..

Sadhu baba

Member
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Yeh acha kiya aapne ab is kahani ke sare parts ek jagah ho jayenge ek toh woh site bina vpn ke khulti nahi jayse xforum bar bar vpn kholna parta is kahani ko waha padne ke liyea, or bhai agar pdf bana de toh or meherbani
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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जैसा की अभी तक‌ आपने‌ पढा मै अब अपनी‌ भाभी‌ के‌ कमरे मे ही सोने‌ लगा था, और पिछली रात मै बस भाभी‌ स्पर्श से ही रसखलित होकर सो गया था अब उसके‌ आगे..

अगले दिन हमारे पङोस मे‌ ही एक लङकी की शादी थी। भाभी सारा दिन शादी मे ही बीजी थी इसलिये दिन मे तो‌ मेरी उनसे बात नही हो सकी, मगर शादी से आने के बाद जब वो ग्यारह साढे ग्यारह बजे के करीब कमरे मे आई उस समय तक मै पढाई ही कर रहा था..

दरअसल पढाई तो क्या कर रहा था, बस भाभी के ही आने का इन्तजार कर रहा था इसलिये..
"अरे तुम‌‌ अभी तक सोये नही..." भाभी ने कमरे मे आते ही पुछा।

भाभी अभी अभी सीधा शादी से ही आ रही थी।उन्होंने शादी मे जाने के लिये एक तो मेकअप किया हुवा था उपर से लाल‌ कलर के लहँगे चोली मे वो किसी अप्सरा से कम‌ नही‌ लग रही थी इसलिये...

"नही वो बस पढ रहा था..!" मैने भाभी को उपर से नीचे तक देखते हुवे कहा। तब तक भाभी ने अलार्म घङी उठा ली और..

"तुम्हें पता है ना, कल पापा मम्मी को दवाई दिलाने ले जा रहे हैं.. उन्हे आते आते शाम हो जायेगी इसलिए तुम्हें कल स्कूल नहीं जाना ..!

भाभी ने घङी मे‌ अलार्म भरते हुवे कहा।
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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दरअसल मेरी मम्मी का इलाज हमारे पास के ही बङे शहर से चल रहा था। आपने मेरी पहले की‌ कहानियो पढा होगा की मेरी मम्मी की तबियत अधिकतर खराब ही रहती थी। इसलिये चैक-अप और दवाई लेने के लिये महिने‌ मे‌ एक‌ या दो बार तो उन्हे शहर ले जाना ही होता था...

और जब भी मेरे मम्मी पापा‌ बाहर जाते उस दिन मुझे घर पर ही रहना‌ पङता था क्योंकि उस समय हमारे शहर का‌ माहौल इतना अच्छा नही था। मेरी भाभी‌ घर मे अकेली ना हो इसलिये उस दिन‌ मुझे स्कुल‌ की छुट्टी करनी‌ पङती थी।

अगले दिन मेरे पापा मम्मी को चैक-अप और दवाई दिलाने के लिये शहर ले‌ जाने वाले थे‌ और मुझे घर पर ही रहना‌ था‌ इसलिये मैंने भी हामी भर दी।

चलो अब सो जाओ बहुत हो गयी पढाई,..!" भाभी ने घङी मे अलार्म भरकर उसे वापस टेबल पर रखते हुवे कहा।

"नही आप सो जाओ, मुझे अभी पढना है..!" मैने भाभी‌ को मना करते हुवे कहा। वैसे पढना तो कहाँ था दरअसल मै सोच रहा था की, हो सकता है आज भी पिछली रात के जैसे ही कुछ देखने को‌ मिल जाये इसलिये मैने बहाना बनाया था।

"ठीक है तो.. तुम एक बार बाहर जाओ मुझे कपड़े बदलने हैं..! भाभी ने अब फिर से मेरी तरफ देखते हुवे कहा।

"क्यो बदल रहे हो, ऐसे ही सो जाओ ना बहुत सुन्दर लग रहे है.." सही मे उन कपङो मे भाभी बला की खुबसूरत लग रही थी इसलिये मैने एक बार फिर से भाभी को उपर से नीचे तक देखते हुवे कहा‌ जिससे भाभी के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी।

"पहन कर सोउँगी तो खराब नही हो जायेँगे..?" भाभी ने हँशते हुवे कहा।

"ठीक है तो बदल लो.." मैने कहा।

"पहले तुम‌ बाहर तो निकलो.." भाभी ने थोङा खिजते हुवे कहा।

"ऐसे ही बदल लो, मै‌ आपको कहाँ कुछ कह रहा हँ.." मैंने अब ऐसे ही मजाक मजाक में कह दिया जिससे भाभी जोरो से हँसने लगीं और...

"अच्छा जी.. आजकल मै देख रही हुँ तुम कुछ ज्यादा ही बदमाश होते जा रहे हो..अब तुम बाहर चलो बहुत रात हो गयी, मुझे सुबह जल्दी उठकर मम्मी-पापा के लिए खाना बनाना है..!" भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे कमरे बाहर निकालते हुवे कहा और अन्दर से कमरे का दरवाजा बन्द कर लिया...
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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मैं बाहर खड़ा होकर अब इन्तजार करने लगा मगर जब भाभी ने दरवाजा खोला तो, भाभी‌ को देखकर मेरी आँखें फटी की फटी ही रह गईं... क्योंकि भाभी ने अब उस दिन वाली ही नाईटी पहन रखी थी.. जिसमें से उनकी ब्रा-पैन्टी यहाँ तक उनका पुरा गोरा बदन स्पष्ट दिखाई दे रहा था।

मै आँखे फाङे बस भाभी को ही देखे जा रहा था मगर तभी..
"अब अन्दर नही आना क्या, या बाहर ही रहना है..? भाभी ने शरारत से हँशते हुवे कहा।

"ह्.ह्.ह्.ऊ.. हाँ.. " कहकर मै‌ अब अन्दर आ गया मगर मेरी‌ नजरे अभी भी भाभी पर ही टिकी रही।

"सोते समय लाईट बन्द कर देना कल भी चालु छोङकर सो गये थे...!" भाभी ने शिकायत के‌ लहजे मे‌ कहा और बिस्तर पर जाकर सो गईं.. मगर सोते समय आज भी भाभी की नाईटी उनके घुटनों तक पहुँच गई थी जिससे भाभी की संगमरमर सी सफेद पिण्डलियाँ दिखने लगीं।

वैसे तो भाभी की नाईटी का‌ होना और ना होना एक बराबर ही था, क्योंकि उसका कपङा इतना पतला‌ व झीना था की‌ उनका‌ पुर का पुरा गोरा बदन स्पष्ट दिखाई दे रहा था , मगर फिर भी नाईटी‌ के घुटनो तक उठ जाने से जो थोङा बहुत अवरोध था वो भी दुर हो गया था।

भाभी ने भी उसे ठीक करने की कोशिश नही की वो ऐसे ही सो गईं और मैं फिर से पढ़ाई करने लगा। मगर मेरा ध्यान अब पढ़ने में कहाँ था.. मैं तो बस टयूब लाईट की सफेद रोशनी में दमकते भाभी के दूधिया गोरे बदन व उनकी गोरी चिकनी पिण्डुलियाँ ही देखे जा रहा था..

मैं भगवान से दुआ भी कर रहा था कि भाभी की नाईटी थोड़ा और ऊपर खिसक जाए तो‌ कसम से मजा आ‌ ही जाये, और शायद उस दिन भगवान ने भी मेरी दुआ सुन ली... क्योंकि करीब दस पन्द्रह मिनट बाद ही भाभी ने करवट बदली..करवट तो क्या बदली बस एक बार पैरो को थोङा सा मोङकर उन्हे सीधा किया था।

वो पिछली रात के जैसे ही दिवार की तरफ मुँह करके अपना एक पैर मोङकर सोई थी‌ जिससे पहले ही उनकी नाईटी घुटनो तक उपर उठी हुई थी मगर अब पैरो को मोङकर उन्होंने सीधा किया तो उनकी‌ नाईटी उनके घुटनो से उपर, उनकी जाँघो तक चढ गयी..

अब तो मेरे लिए खुद पर काबू पाना ही मुश्किल हो गया, क्योंकि भाभी की गोरी चिकनी जाँघो को देख मेरा लण्ड अकड़ कर लोहे की रॉड की तरह एकदम सख्त हो गया था तो उसमें बहुत तेज दर्द भी होने लगा...

भाभी की नँगी जाँघो को देख‌ देखकर मैं अब हाथ से ही अपने लण्ड को मसलने लगा जिससे मेरे लण्ड ने पानी छोड़-छोड़ कर मेरे अण्डरवियर को ही गीला करना शुरु कर दिया... मै कल के जैसे अब अपने कपङो को खराब नही करना चाहता था इसलिये कुछ देर तो ऐसे ही भाभी की जाँघो को देख देखकर अपने‌ लण्ड को मसलता रहा. फिर वहाँ से उठकर बाहर बाथरुम मे आ गया...
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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बाथरुम मे आकर मैने एक अच्छे से मुठ मारी तब‌ जाकर मुझे कुछ राहत मिली। मगर बाथरुम से मुठ मारकर जब नै वापस भाभी के‌ कमरे मे आया तो मेरी साँसे ही अटक कर रह गयी.., क्योंकि भाभी अब बिल्कुल सीधी करवट करके सो रही थीं और उनकी नाईटी पेट तक उल्टी हुई थी।

भाभी की दूधिया सफेद गोरी चिकनी नँगी जांघें व उनकी लाल रंग की पैन्टी अब पुरा दिखाई दे रही थी।
भाभी को‌ इस हालत मे देख मेरी अब सांसें फूल गईं.. तो दिल की धङकन जैसे रुक सी गयी। मै अभी अभी बाथरुम से मुठ मारकर आया था मगर भाभी को देख मेरे लण्ड अब तुरन्त ही फिर से उत्तेजित हो गया..

मै कुछ देर तो ऐसे ही वही दरवाजे पर खङे खङे भाभी‌ को देखता रहा, फिर धीरे धीरे दबे पांव आहिस्ता आहिस्ता चलते हुवे बिस्तर के पास पहुँच गया। मुझे डर तो लग रहा था मगर इतना बहतरीन नजारा शायद मुझे फिर कभी नसीब नही होने वाला था...

मेरा दिल डर के कारण जोरों से धक धक कर रहा था कि कहीं भाभी जाग ना जाएं मगर फिर भी आहिस्ता आहिस्ता मैं बिस्तर पर चढकर भाभी के बिल्कुल ही पास चला गया और उनके दुधियाँ अधनँगे नँगे बदन को बङे ही ध्यान से देखने लगा..

अब तो मुझे भाभी की पैन्टी में उनकी फूली हुई चुत और चुत को बराबर दो भागो मे विभाजित करती चुत की रेखा का उभार तक स्पष्ट दिखाई दे रहा था। चुत की रेखा के ठीक‌ नीचे बिल्कुल जाँघो के जोङ‌ के पास से भाभी की पैँटी हल्की सी नम भी थी।

वो शायद भाभी की चुत का रस रहा था, मगर उस समय मुझे कहा इतना पता था। मै तो उसे भाभी‌ पिसाब ही समझ रहा था, मगर भाभी की चुत को इतना करीब से देखकर मुझे अब बेचैनी सी होने लगी थी..

मेरा दिल कर रहा था कि मैं अभी भाभी की ये पैन्टी उतार कर फेंक दूँ और भाभी की गोरी चिकनी जाँघो व उनकी चुत से कस के लिपट जाऊँ.. मगर डर लग रहा था।

मै कुछ देर तो ऐसे ही बिस्तर पर बैठे बैठे भाभी‌ की चुत को देखता रहा, मगर फिर मुझे पिछली रात वाला ही तरीका सही लगा। मैंने जल्दी से कमरे की लाईट बन्द कर दी और भाभी के बगल में जा कर लेट गया...
 

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मै आज पहले ही जानबुझकर भाभी के बिलकुल नजदीक होकर सोया, उपर से मैने धीरे से भाभी की तरफ करवट बदल कर अपना एक पैर भी अब सीधा‌ उनके नँगे पैरो पर रख दिया...

एकदम गर्म‌ गर्म‌ व बिल्कुल ही सोफ्ट सोफ्ट पैर थे भाभी के। अपना एक पैर भाभी के पैरो पर रखकर मै अब कुछ देर तो ऐसे ही बिना कोई हरकत के लेटा रहा, फिर धीरे धीरे और बिल्कुल ही आहिस्ता आहिस्ता अपने पैर से ही भाभी के पैरों को सहलाते हुवे उसे उपर की ओर बढाना शुर कर दिया..

मैने अपना पैर भाभी की पिण्डलियो पर रखा था मगर अब जैसे जैसे मै अपना पैर उपर की ओर बढा रहा था, वैसे वैसे ही मेरे पैर का घुटना मुङता जा रहा था और मेरी जाँघे भाभी की नँगी जाँघो पर चढती जा रही थी। एकदम ही सोफ्ट सोफ्ट व बिल्कुल चिकना अहसास था भाभी‌ की जाँघो का...

भाभी‌ के पैर तो नँगे थे ही, सोते समय मैंने भी जानबुझकर अपनी हाफ पैँट को ऊपर तक खींच लिया था इसलिये मेरी जाँघे भी लगभग नंगी ही थीं।
अपनी नँगी जाँघ से भाभी की नँगी जाँघो को सहलाने मे इतना अधिक मजा आ रहा था की बस पुछो मत.. ?

मै बिल्कुल ही धीरे धीरे और आहिस्ता आहिस्ता से भाभी की जाँघो को सहला रहा था ताकी अगर भाभी जाग भी जाएं तो उन्हे लगे जैसे कि मैं नींद में हूँ। वैसे तो मै अनाङी था मगर इस काम को मै बङी ही सावधानी से कर रहा था, क्योंकि इसमे फायदा भी तो मेरा ही हो रहा था। मुझे भाभी की नँगी जाँघो की चिकनाई का इतना अधिक मजा जो मिल रहा था।

एकदम ही पतली व इतनी अधिक नर्म मुलायम स्कीन थी भाभी‌ की‌ जाँघो की ऐसा लग रहा था जैसे मेरा पैर किसी वैलवैट पर ही फिसल रहा था। भाभी की‌‌ रेशम‌ सी मुलायम‌ नँगी जाँघो को बिल्कुल ही धीरे धीरे और आहिस्ता आहिस्ता अपनी नँगी जाँघो से घीसकर मै पग पग उनकी चिकनाई को महसूस कर रहा था...
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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अब कुछ देर तो मैं ऐसे ही अपने‌ पैर से भाभी‌ की जाँघो की चिकनाई को महसुस करता रहा मगर जब भाभी की तरफ से कोई भी हलचल नही हुई तो मैंने अपना एक हाथ भी धीरे से भाभी की नर्म मुलायम गोलाइयों पर भी रख दिया..

अपना हाथ भाभी की चुँचियो ओर रखकर मैने अब फिर से कुछ देर रुककर भाभी की हरकत का इन्तजार किया, और जब भाभी की तरफ से कोई भी हरकत ना हुई तो मैने धीरे-धीरे आहिस्ता आहिस्ता पिछली रात के‌ जैसे ही उनकी चुँचियो को भी सहलाना शुरु‌ कर दिया..

भाभी की जाँघो के‌ जैसे ही उनकी चुँचियाँ भी एकदम‌ मस्त थी, मगर मै उन्हे अब सहला ही रहा था की तभी भाभी के बदन मे कुछ हलचल‌ सी हुई और उनका एक‌ हाथ सीधा उनकी चुँचियो पर आ गया..!

मेरी तो डर के मारे जैसे अब दिल की धड़कन ही बन्द हो गयी.. वो तो गनीमत थी की मैने तुरन्त अपना हाथ भाभी की चुँचियो पर से हटा लिया, नही तो भाभी का हाथ सीधा मेरे हाथ पर ही लगता..

डर के मारे मै चुपचाप अब सोने का नाटक करने‌ लगा.. मगर भाभी के हाथ ने उनकी‌ चुँचियो पर आकर एक बार तो कुछ हरकत सी की, शायद उन्होंने वहाँ पर खुजाया था फिर वो चुपचाप फिर सो गयी..
 
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