sandy4hotgirls
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUpdate 04
में घर पहुंचा तब तक खाना लग गया था..मां और रश्मि ने मुझे खाना परोश दिया.. मां मेरे पास बैठ गई लेकिन मेने उनसे बात तक नही की..
में अपने कमरे में चला गया.. जैसे ही रश्मि आई मेने उसे अपने सीने लगा लिया और उसे प्यार देने लगा.. कितनी प्यारी लगती है अब क्या कहूं आप को वो मुझे.. पता नही चला कब हम एक दूसरे की बाहों में नंगे एक दूसरे को चूमने और सहलाने लगे.. मेने ज्यादा देर न करते हुए उसकी योनि में अपना लिंग उतार दिया..
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रश्मि में एक बात थी वो जब भी मेरा लेती इसे सिसकारियां भरती जैसे पहली बार में ले रही हो उसकी मीठी मीठी बातें और उसकी दर्द भरी आहे.. मेरा सारा दुख दर्द पल भर जैसे गायब कर देती.. वैसी भी इतनी प्यारी खूबसूरत महिला आप की बाहों में उसका सब लूटा रही हो तब और क्या ही आप को याद रहेगा..
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"आह आह क्या हो गया है आप को में कहा भाग रही हु आप की ही घोड़ी हु ना जितना दिल करे कीजिए लेकिन काटिए मत आआउच आह मां.."
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में उसकी ऐसी बाते सुन और जॉस में आ गया और अपनी पूरी ताकत लगा के उसे अपनी बांहों में लेकर खड़ा हो गया.. रश्मि को हल्का सा डर रही थी इस लिए वो किसी बच्ची की तरह मुझे कस के पकड़ ली और अपने दोनो पैरो को मेरी कमर के चारो और इसे जकड़ दी जैसे एक दो नाग संभोग क्रिया कर रहे हो.."आह आह बस कीजिए आह.. आराम से में यही हु आह" रश्मि अपनी मीठी आवाज में सिसकारियां भरते हुए बड़ी मुश्किल से बोली...
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"आज ना रोको जानू पता नही दिल नही मान रहा आज तुम गई देखो कल चल भी पाई तो" मेने कहा.. रश्मि मेरी बातो से पानी पानी हो गई..और मेरी पीठ को अपने नाखून से नोच डाली.. और उसका पूरा बदन अकड़ गया.. उसकी सिसकारियां कम हो गई.. और वो सुकून से मेरी बाहों में किसी बच्ची की तरह निढ़ाल होकर मेरे कंधे पे अपना सर रख दी.. में समझ गया मेरी प्यारी सी गुड़िया का हो गया था.. मेने उसे बड़े प्यार वैसे ही अपनी बाहों में लेकर खड़ा रहा आई उसके गालों से मेरे गाल घिसने लगा उसे कुछ देर प्यार करता रहा.. मेरा तना हुआ लिंग अभी तक उसकी योनि में घुसा हुआ था और उसकी योनि के पानी से पूरी तरह से भीग चुका था..
में उसे नंगी ही अपनी बाहों में लेकर बालकनी में गया और वहा रखी हुए बड़ी सी आराम कुर्सी में बैठ गया.. वो मेरे सीने से लिपट के सुकून से लेट गई.. मेने उसकी कोमल मखन जेसी गांड़ को सहलाया और उसके बालो को भी प्यार से सहला रहा था.. और बड़े प्यार से इसके कामों में कहा "क्यों मेरी गुड़िया आज पापा से पहले केसे जड़ दी.. आप तो पापा को निचोड़ दिया करती थी.." मेने मुस्करा के कहा..वो किसी बच्ची की तरह ही जवाब दी अपनी गांड़ मटका के "अब आप इसे जानवर की तरह अपनी गुड़िया को की लोगे तो क्या होगा" मेने उसका शर्म से झुका हुआ चहरा उपर किया और उसकी आखों में आंखे डाल के कहा "में क्या हु आप का.. बोलो मेरी बच्ची" मेने बड़े प्यार से कहा "जी पापा आप मेरे प्यारे पापा हो My Daddy..I love you daddy" ये सुनते ही मेने उसकी गांड़ में एक उंगली डाल दी.."आह आह....." उसकी एक तेज सिसकारी निकल गई.. और फिर वो मजे लेने लगी...
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"क्या करते हो आप एक तो अपनी बीवी से इतना गंदा काम करवाते हो फिर उसे नंगी बाहर ले आई और अब ये.. कोई सुन लेगा जी.. और अभी 11 भी नही बजे कोई हमे इसे देख लेगा तो"
मेने उसकी गांड़ में और एक उंगली डाल दी और उसकी और तेज आवाज निकल गई.. "तुम सिर्फ मेरी हो और मेरा पूरा हक ही इस जिस्म पे समझी ना तुम.. कोई देखे तो देखने दो.. उन्हें भी पता चले बीवी को केसे खुस रखते हे"
"लेकिन मां और मम्मी जी भी है घर पे" रश्मि ने धीमी आवाज में कहा ... में ये बात सुन के और उत्तेजित हो गया सोच के की कही मेरी सास ने हमे ऐसे देख लिया तो... लेकिन मेने अपने आप को संभाला और कहा "श्रीमती जी.. यहां कोई केसे देख सकता है लाइट कहा जल रही है तुम भी ना.. चलो मेरा नही हुआ है यही करेंगे खुले में आज"
"नही नही में आप को तो पता है मेरा में संभाल नही पाती खुद को कोई सुन लेगा चलिए अंदर" रश्मि खुद से खड़ी नही हो सकती थी नही तो कोई यहां देख रहा होता तो उसके पूरे जिस्म का अंदाजा लगा लेता.. इस लिए वो नही गई नही तो कब की भाग जाती...
"तुम्हे जाना है तो जाओ" मेने जान बूझ के कहा...
"आप को पता हैं ना में पूरी तरह से नंगी हु" वो अपना मुंह बना के बोली...
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"हा तो क्या हुआ"
"यानी आप चाहते है मेरा नंगा बदन सब खुले आम देखे"
उसकी सरारती मुस्कान मुझे बड़ी भाती थी....
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मेने उसकी ये बात सुन के उसे अपनी बांहों में लेकर उठ गया और जाते हुए उसके गुलाबी होठ को चूसने लगा... वो फिर से मदहोश होने लगी.. जब में उठा मुझे ऐसा लगा जैसे कोई हमे देख रहा हे लेकिन मेरा ध्यान अभी मेरी प्यारी बीवी पे था...
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मे उसकी योनि को बेरहमी से चाटने लगा और उसकी सिसकारियां तेज होने लगी आई जैसे ही वो एक दम गरम हुए मेने अपना लिंग उसकी योनि में उतार दिया.. इस बार वो बेड पे लेटी थी और मेने उसकी गांड़ के नीचे एक तकिया लगा के उसके पैरो चाटते हुए मेरे कंधे पे रख उसकी योनि में लिंग आगे पीछे करने लगा.. उसकी नंगी चूचियां उफ्फ.. दिल होता है खा जाऊ...
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"आह आह रश्मि में आ रहा आह.. आह मेरी प्यारी गुड़िया आह" में अपनी चरम सीमा पे था.. "yes Daddy yes cum for me Daddy.." और में जोर जोर से धक्का देने लगा...
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"नही नही रुकिए वो बाहर निकल दीजिए आप को मेरी कसम आह प्लीज" रश्मि हाफते हुए बोली.. में कहता नही था तो बस रुक गया और उसे अंदर ही रखा...
"क्या हुआ यार निकल ही गया था मेरा अब" मेने नाराजगी भरे स्वर में कहा...
"वो वो में तो भूल ही गई.. वो कप में निकल दीजिए ना.."
वो बोली और उठ खड़ी हुए... और अपना गाउन पहन ली..
"ये क्या है यार मेरा नही हुआ ना.." मेने कहा...
वो कप लेके मेरे पास आई और अपने हाथ से मेरा लिंग सहलाने लगी उसके हाथ तेज तेज चलने लगे..
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लेकिन मेरा इसे नही आया बाहर.. तो वो अपने घुटनो के बल बैठ गई आई अपने मुंह में मेरा लिंग लिया और बड़ी मस्त होकर चूसने लगी..
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और जब नही आया वो बोली "पापा प्लीज अपनी गुड़िया के लिए मुझे आप का बच्चा चाइए पापा.." और मेरी उतेजजा सताने आसमान पे पहुंच गई और मेरा लिंग अपना सारा पानी छोड़ने लगा.. और पूरा कप मेरे गाढ़े वीर्य से चलकने लगा..
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रश्मि ने एक पल की भी देर ना की और भाग पे सासु मां के कमरे में चली गई...
ऐसा कही दिन चला और आखिर कार एक 1 हफ्ते में ही एक दिन जब में ऑफिस से घर आया मेने देखा सब कितने खुस है रश्मि तो इतना भावुक थी की मां और सासुमा के सामने ही मेरी बाहों में समा गए.. मेने भी खुशी में था और उसके माथे को चूमा और उसे कस के सीने से लगा दिया...
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मेने मां को भी बड़े प्यार से आलिंगन दिया.. लेकिन जब मेरी सासुमा मेरे आगे थी मेरी हालत खराब हो गई.. में जैसे किसी पत्थर की तरह जम सा गया.. क्या करू क्या कहूं कुछ समझ ना आया... बस उनके पेट की और देख के में पानी पानी हो गया.. आज वो मेरी सास नही मेरे होने वाले बच्चे की मां थी..
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सब काफी खुस थे.. कुछ दिन में मां चली गई.. तो रश्मि ने कहा की क्यों न हम तीनो साथ में सोया करे.. जब मेने कहा कि तुम दोनो सो जाओ ना.. तो वो बोली की बच्चे को उसके पापा अहसास भी होना चाहिए.. और आप मां से इतना भागो मत ये 9 महीने आप उन्हे खुस रखिए तभी हमारा बच्चा भी हेल्थी होगा...ये सब का उस के दिमाग पे असर होगा.. ऐसा डॉक्टर ने कहा है....मेने हामी भर दी...
बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गयाUpdate 05
अपनी सास को लेकर मेरे दिल ने कई विचार आने लगे थे लेकिन वो पल भर में गायब हो जाते जब में होने वाले बच्चे के बारे में सोचता था.. कितने साल इंतजार किया और अब जाके मेरे आंगन में भी बच्चे की किलकारी सुनाई देगी.. कई बार दिल हुआ की सासुमा मां को अपनी सीने से लगा के उन्हे शुक्रिया अदा करू.. लेकिन में नही कर पाया.. में अपने कमरे की बालकनी में बैठा हुआ गहरी सोच में डूब गया की बीते दिनों में क्या कुछ हो गया.. जिस औरत को में अपनी मां से अधिक पूजता था वो मेरे बच्चे की मां बनने वाली है.. जिस की तरफ मेने कभी बुरी नजर से नही देखा था उसे अब जब में सामने देखता हु मेरा लिंग लोहे से अधिक सख्त होकर खड़ा हो जाता है... जिन्हे में अपनी बाहों में भरते हुए कभी एक बार सोचता ना था आज इतनी शर्म झिजक क्यों हो जाती है... पता नही क्यों मुझे रोना आ रहा था एक और मुझे इतनी बड़ी खुशी मिली थी लेकिन दूसरी और मेने अपनी प्यारी सासुमा का प्यार जैसे को दिया था...
"राहुल बेटा......." सासुमा की मीठी आवाज मेरे कानो में प्रवेश की और मेने अपने आप को संभाला और उनकी और देखे बिना ही बाहर निकल आया अपने कमरे से...
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सासुमा अपने सीने में हजारों सवाल के साथ खड़ी हुए थी लेकिन मेने पीछे ना आगे देखा ना पिछे मुंह जुका के निकल गया....
"रश्मि.. रश्मि..." सासुमा चिल्ला के आवाज दी...
नीचे बरतन धो रही रश्मि को जैसे ही उसकी मां की आवाज आई वो भागती हुए उपर चली आई..उसका छोटा सा बदन पसीने से भीग गया था.. और भाग के आने से उसका सीना उपर नीचे हो रहा था..
"तुम दोनो में क्या चल रहा है.." सासुमा ने गुस्से से पूछा...
"कुछ भी नही मां क्या हुआ..."
"तो दामादजी रो क्यों रहे थे"
"हा हा.. मां क्यों मजाक करती हो राहुल जी कभी नही रोते.. उन्हे पसीना आ रहा होगा.. देखिए मेरी हालत.." रश्मि ने अपने भीगे हुए जिस्म की और इशारा किया...
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"तू कभी बड़ी होगी भी की नही.. देख एक मर्द को जिमदारी और उसकी परेशानी तू कब समझेगी.. वो कुछ बोलता नही तो क्या उसके उसे कोई दर्द परेशानी नहीं होगी.."
"मां ऐसा कुछ नही है आप रुकिए में उन्ही से पूछ लेती हू" रश्मि ने कहा...
"देख रश्मि तू मां बनने वाली है.. थोड़ा सी तो अपनी जिमेदारी समझा कर.. ये तो तेरी किस्मत है की राहुल जैसा जीवनसाधी तुझे मिला है.. पता भी है जब औरत बच्चा नहीं दे पाती तो क्या होता हे.... " सासुमा गुस्से में आकर बोल दी...
रश्मि सच में बच्ची ही थी उसका मुंह रोने जैसे हो गया "मां लेकिन वो..."
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"क्या वो.. वो.. बच्चे तो अपनी मां से करवा रही है बड़े भी क्या में करूंगी."
रश्मि को इतनी डाट तो कभी न पड़ी थी..हो वो रोने लगी और बिस्तर में लेट गई.. जैसे कोई चोटी बच्ची हो...
और सासुमा भी इतना गुस्सा क्यों ही की पहले ऐसा कभी हुआ नही था अपनी बेटी की आखों में आसू वो कहा देख पाती थी तभी तो एक बार में अपने ही दामाद के वीर्य को अपनी योनि में लेकर आज पेट से थी... लेकिन शायद ये उसका ही असर था क्या पता...
सासुमा कुछ देर थम सी गई और फिर मुझे देखने के लिए बाहर निकल आई जब में कही नही मिला वो समझ गई में कहा मिलूंगा वो.. सीडीओ से होते हुए छत पे आ गई.. में वहा लगे झूले पे बैठा हुआ खुले आसमान की और देख अपने हालत के बारे में सोच रहा था...
"बेटा....इतना परेशान क्यों हो.. क्या हुआ है.."
में वहा फिर से वहा से उठ के जाने लगा...
सासुमा ने फट से दरवाजा बंद किया और मेरी तरफ देख के गुस्से में आकर बोली जैसे उन्हे कुछ समझ आ गया हो.. वो बोली "अच्छा तू मुझ से भाग रहा है.. ऐसा ही था तो मना क्यों नही किया.. अब क्या फायदा होगा.."
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मेने अपना सर नीचे कर लिया और दूसरी और मुंह फेर लिया.. सासुमा रोने लगी...
"पहले पता होता की इस बच्चे के आने से तू इतना परेशान होगा तो में कभी हा ही नही की होती.."
मेने वही से धीमे आवाज में कहा "ऐसा नही है"...
"तो कैसा है.. में देख रही हु पहले तो दिन में चार बार मुझे अपनी बांहों में भर लिया करता था.. सासुमा सासुमा कह के तेरा दिल नही भरता था.. मेरी गोद में सोने के लिए लड़ते थे दोनों"
में सरमिंदा था मेरी आखों से आसू निकल आई.. लेकिन में कुछ बोल ना पाया...
कूच दिन निकल गई.. सासुमा हमारे साथ ही सोने लगी.. वो गिर न जाई इस लिए उनका बीच में सोना जरूरी था लेकिन बेड पे इतनी जगा थी की में उनसे दूर सो सकता था बड़े आराम से.. जब से सासुमा हमारे साथ सो रही थी मेने रश्मि को यौन सुख नही दिया था..
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एक और हफ्ता निकल गया और अब मेरी और सासुमा की बाते होने लगी जैसे पहले हुआ करती थी.. हम सब काफी खुस थे.. मुझे पछतावा भी हो रहा था अब.. मुझे बार बार सासुमा की छत पर कही बाते याद आती.. में रोज सोचता की उन्हे फिर से अपने सीने से लगा लू.. लेकिन जैसे ही उनकी और बढ़ता मेरा लिंग खड़ा हो जाता और में अपने आप को ही गाली सुना देता मन में.. और अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए उनसे दूर चला जाता..
एक सुबह को छुट्टी के दिन में अपनी नींद से उठा अपनी आंखे खोली तो मेरी नींद एक पल में गायब हो गई.. सासुमा का मुंह मेरी और था और वो गहरी नींद में थी.. और उनके सीने पे मेरी प्यारी का बीवी हाथ था.. ठीक से कहूं तो उसके एक हाथ में सासुमा का एक स्तन था जैसे देख ऐसा लगता था जैसे रश्मी उन्हे बड़े प्यार से पकड़ के सो रही हो..
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उनका ब्लाउज पता नही केसे इतना गहरा दिख रहा था की इनके स्तनों का उपर भाग मुझे तड़पा रहा था.. में अपने होस में नही था.. पता नही मुझे क्या हुआ था में धीरे धीरे खड़ा हुआ जैसे चौरी करने आया हु.. और हल्का से पीछे हुआ और एक दम दीवार तक बेड के पिछले हिस्से का सहारा लेके बैठ गया..अब सासुमा के गोरे गोरे स्तन मेरी आखों के सामने थे.. मेरा लिंग खड़ा होकर फटने को तैयार था.. में जब ध्यान से देखा तब मेने पाया कि मेरी सास के दो बटन खुले हुए थे.. मेरा बदन आग निकल रहा था साथ में ऐसा महसूस हो रहा था जैसे में किसी के घर में डाका डालने आया हु...
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मेरा मन नही भर रहा था ये नजारा देखने से लेकिन दोनो मां बेटी उठने ही वाली थी तो में बाथरूम में घुस गया... ये पहली बार था की में मां बेटी से पहले उठा था.. में नंगा हो गया.. मेरा लिंग अभी तक तन के खड़ा था.. मेरा काफी साल बाद हिलाने का दिल हुआ लेकिन मेने खुद को संभाल लिया.. नहाते हुए मेरी नजर दो पेंटी पे गई.. एक तो वो पैंटी थी जिसे मेने कही बार अपने हाथों से उतारा था लेकिन दूसरी पेंटी काफी साधरण थी दिखने में लेकिन वो पैंटी मुझे ज्यादा आकर्षित किए जा रही थी अपनी और... पेंटी के आगे वाला हिस्सा योनि के पानी से जल चुका था.. उसका रंग वहा से उड़ सा गया था.. मेने पेंटी अपने हाथ में ली और उसकी खुसबू आने लगी में खुद को रोक नहीं आया और मेने उसे अपने नाक से लगा दिया.. उफ्फ क्या खुसबु थी.. मेरा लिंग फंफना रहा था..
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मेरे हाथ कब मेरे लिंग को सहलाने लगे मुझे भी पता नहीं चला.. में किसी और दुनिया मे पहुंच गया था.. मेने अपनी आंखे बंद की और.. अपने लिंग को पकड़ आगे पीछे करने लगा... मेने पेंटी अपने लिंग पे रख दी और उसके सख्त हो चुके भाग पे अपने लिंग को घिसने लगा मुझे जैसे लगा में अपनी सास की योनि में प्रवेश करने वाला हु.. और अभी उनकी योनि को बेरहमी से अपने लिंग से सहला रहा था..
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तभी मुझे सासुमा की आवाज आई.. "कितनी देर लगेगी बेटा.." और सासुमा की आवाज मेरे कानो में गई और नीचे मेरा वीर्य उनकी पैंटी पे.. मेने दो लंबी लंबी पिचकारी छोड़ दी.. और फिर उसके बाद छोटे छोटे जटाको के साथ मेरा वीर्य पेंटी को और गिला करता रहा.. जब सारा पानी निकल गया उनकी पैंटी मेरे पानी से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी..
में एक दम सासुमा की आवाज सुन के हड़बड़ा गया और उनकी पेंटी को वही वापस रख दी और.. फट से बाहर निकल आया... वो भी अंदर घुस गई और मुझे उनके मूतने के आवाज आने लगी... कुछ देर में वो वापस निकल आई.. वो वापस लेट गई.. में तब तक तैयार हो गया था और सारी हवस गायब हो गई थी जिस से मुझे खुद पे घिन आने लगी.. और में सोचने लगा पेंटी तो गीली हो चुकी हे ... मेने पहले सोचा नहीं पता चलेगा फिर मेरा दिमाग बोला वो औरत है एक बार में समझ जायेगी जैसे कभी सालो पहले में पकड़ा गया था... में तुरंत बाथरूम में घुस गया... मेरा दिमाग चकरा गया पेंटी नहि थी...यानी नही नही ये क्या हो गया... मेरे दिमाग में फिर से कामुक कल्पनाएं जगाने लगी... में बाहर आया और पता नही केसे में इतना पागल हो गया मेने जान बूझ के बेड के पास गया और बेड के नीचे देखने लगा जैसे कुछ खोज रहा हु.. और मेने तीसरी नजर से सासुमा के खुले हुए पेरो के बीच नजर घुमा दी.. और मेरी किस्मत देखो वो हरी पेंटी मुझे दिख गई...![]()
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मेरे दिल में हजार सवाल आने लगे.. इतनी गीली पेंटी वो केसे पहन ली.. और क्यों.. नई पहन लेती..क्या वो निंद में थी.. लेकिन कोई इतना सारा वीर्य अपनी योनि पे लग रहा उसके बाद भी केसे..क्या वो जान बूझ के ऐसा की..क्या वो मेरी और... मेने मन ही मन खुद से कहा "साले वो तेरी सास है क्या हो गया है मादर चोद तुझे.."
अब मुझ में सासुमा के सामने जाने की हिम्मत नही हो रही थी में उनसे आखें तक नही मिला पाया और ऑफिस भी जल्दी निकल गया...
बहुत ही शानदार जानदार और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाUpdate 06
"राहुल... राहुल..." में आवाज सुन के जैसे होस में आया और हड़बड़ाते हुए डर के मारे यहां वहा माउस हिलाने लगा... तभी मैने देखा ये तो मेरा दोस्त ही था तब जाके मुझे राहत की सास आई...
"क्या बे किस के सपने देख रहा है.." मेने मुस्करा के कहा "किसी के नही वो बस थकान है थोड़ी" वो फट से बोला "लगता है भाभी रात के काफी काम करवा रही हैं" और वो हस दिया.... ये सुन के मुझे पता नहीं क्यों रश्मि की याद नही आई और मेरी आखों के आगे मेरी सासुमा आ गई..
कुछ देर बाद रश्मि का कॉल आया की हमे उसके मायके जाना हैं वहा उसकी कसिन शादी थी जो में तो पूरी तरह से भूल ही गया था और सायद रश्मि और सासुमा भी... अच्छा था थी शादी रात को थी तो हम अभी भी जा सकते थे.. मेने अपने बॉस से बात की और जल्दी निकल गया ऑफिस से...
में रास्ते में ही था कि मुझे रश्मि का कॉल आया.. "सुनिए ना वो में क्या बोल रही हूं आप वो आप...वो..." रश्मि हिचकिचा रही थी..."बोलो ना गुड़िया क्या चाइए आप को" मेने धीमे से कहा... "जी वो निप्पल कवर्स लाने थे.." वो एक बार में बोल दी... मुझे हल्का सा गुस्सा आ गया लेकिन मैने बड़े प्यार से कहा "आप को क्या करना है उनका मेने कहा था था ना पिछली बार इतने छोटे छोटे ब्लाउज मुझे अच्छे नहीं लगते.. आप को पता है ना आप को कोई जरा भी देखे मुझे अच्छा नहीं लगता फिर भी" मेने कठोर होके कहा... "नही नही.. मेरे लिए नही वो मम्मी को चाइए" ये सुन के मेरा लिंग एक दम से खड़ा हो गया और में जैसे खो सा गया कही... "ठीक है में ले आलूंगा"
में घर पहुंचा और बैग उसके हाथ में धमा दिया...और में अपने कमरे में नहाने चला गया.. जैसे में बाहर आया मेरे होस उड़ गया... पूरे बदन में जैसे करंट दौड़ उठा.... मेरा लिंग पूरी तरह से खड़ा हो गया और टॉवल में एक तब्बू सा हो गया..
मेरे बिल्कुल आगे मेरी सास एक काले पेटीकोट में खड़ी हुई थी उनके एक हाथ में उनका काला ब्लाउज लटक रहा था.. उनके निप्पल पे वही निप्पल कवर लगे हुए थे.. उनके स्तन हल्के हल्के लटके हुए थे.. लेकिन मेरी रश्मि के स्तनों से काफी बड़े मालूम हो रहे थे.. सासुमा शर्म से पानी पानी हो चुकी थी.. सासुमा मां का ये रूप देख में जैसे वही के वही जम सा गया.. मेरी आंखे फड़ी की फटी रह गई.. ये नजारा मेरी आखों के आगे कुछ सेकेंड ही रहा..
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सासुमा को जैसे ही इस बात का अहसास हुआ कि में उन्हें देख चुका हु वो एक दम से चिल्ला उठी जैसे कोई भयानक शेर या साप देख लिया हो.. और वो अपने आप को छुपाने लेगी.. लेकिन मेरी नजर उनके दूध जैसे गोरे बदन से एक बार भी नही हटी.. उनके चूचे जैसे उछल कूद कर रहे थे जब वो यहां कहा अपने आप को छुपाने के लिए कुछ खोज रही थी.. लेकिन हाए मेरी सासुमा की किस्मत इन्हे कुछ मिल नही रहा था.. या वो इस हालत में नहीं थी की इनके पास ही बिछी हुए चादर को अपने जिस्म पे लपेट देती..
पता नही मुझे क्या हुआ की उनकी और आगे बड़ा.. दोस्तो में पता दू में भी उपर से नंगा था और बस एक टॉवल में अपने लिंग को बाहर आने से छुपा के रखा हुआ था...
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सासुमा ने अपने हाथ से खुद के बड़े बड़े स्तनों को ढकने की नाकाम कोशिश की आखिर इतने बड़े और सुडोल स्तन कैसे उनके पतले और कोमल हाथों में समा जाते.. इतने बड़े स्तन को तो सिर्फ एक मर्द ही अपनी बाहों में छुपा सकता था.. में उनके पास पहुंच गया तो वो शर्म से दूसरी और हो है.. अब सासुमा को कोन समझता की उनके स्तन कुछ हद तक चुप गई थे लेकिन उनकी मक्खन सी चिकनी गोरी पीठ तो पूरी तरह से नंगी थी..
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सासुमाकी कमर ही काफी थी किसी का पानी निकालने के लिए.. मेरी तो हालत ऐसी थी जैसे पहली बार किसी औरत को बिना ब्लाउज के देख रहा था.. सायद क्यों की ये मेरी सास थी...
ये सब देख...दिल हो गया था की अभी के अभी यही पे पटक के चोद दूं लेकिन मैने खुद को संभाला उनके हाथ से गिर चुके उनके ब्लाउज को उठा के बोला.."लीजिए.. मेने उनकी और हाथ आगे जिस से ब्लाउज उनकी गोरी गोरी त्वचा से हल्का हल्का चुने लगा.. मेने देखा सासुमा जैसे मेरे डर से काप रही थी.. मुझे बुरा लगा की मेरी वजह से सासुमा इतना गभरा गई है.. "वो मुझे पता नहीं था आप यहा.." मेने खुद को संभाला और फिर से कहा "आप बाथरूम के चली जाओ कही रश्मि ने हमे देख लिया तो.." और मैने इतना कहा और उसी और मुंह कर आगे चला गया.. और जैसे ही सासुमा को लगा कि में नहीं देख रहा वो अपना ब्लाउज मेरे हाथ से ले ली और भाग के बाथरूम में घुस गई...
में कपड़े पहन के नीचे चला आया.. कुछ देर में दोनों सज धज के नीचे आ गई.. पता नही कैसे मेरी शर्म अब जैसे कहा गायब हो गई में दोनो को बड़े प्यार से देख रहा था.. सासुमा मेरी और देख के शर्म से पानी पानी हो रही थी..
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न जाने मुझे क्या सूझा मेने रश्मि को पकड़ के अपनी और खींचा और उसके गुलाबी होंठ को अपने मुंह से लगा दिया..
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और उसे अपनी बांहों में उठा के बाहर निकल गया.. मेरी सास हैरानी से हमें देख रही थी.. रश्मि पानी पानी हो गई थी अपनी मां के आगे ये सब होने से.. मेने रश्मि को कार के आगे रख के उसके गालों को चूम के कहा "मेरी प्यारी गुड़िया रानी" और हम शादी के लिए निकल गई..
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कुछ देर बाद में खुद को गाली देने लगा कि साले ये सब क्या कर रहा है.. और अपना ध्यान कही पूरी तरह ड्राइविंग पे लगाने लगा... लेकिन पता नही कैसे बार बार मेरी नजर सासुमा की स्लीव लैस ब्लाउज पे चली जाती और मुझे उनके स्तन याद आ जाते...
कुछ इस तरह सासुमा के स्तन बाहर आने को तैयार थे...
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बहुत ही मस्त और खुबसुरत लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
Update 07
हम शादी में रात के 8 बजे शादी वाली वाले घर पे पहुंच गई.. कई बुड्ढे मेरी सास को ही घूर रहे थे ये देख के मुझे पता नहीं बड़ा गुस्सा आ रहा था... में सासुमा को जितना हस हस के बात करते देखता किसी से मेरा खून खोल रहा था...
मेने देखा एक 60+ का बुड्ढा काफी देर से सासुमा को घूर रहा था जैसे खा जायेगा.. सासुमा के ठुमके देख देख मेरी तरफ बैठे कुछ बुड्ढे आपस में कॉमेंट पास किए जा रहे थे.."देखो तो कितनी गर्म औरत है.." दूसरा बोला "लगता है ब्रा भी नहीं पहनी प्यारी" वही एक और बोल पड़ा "आप को बड़ा पता है ले चुके हो क्या हा हा" पहला बुड्ढा बोल उठा "हमारे नसीब में ऐसी सुंदरी कहा भाई.."
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मेरे सबर का बान टूट गया मेरा दिल हुआ की इन सब का मुंह तोड़ दू लेकिन में कोई हंगामा खड़ा नही करना चाहता था.. में उठा और सासुमा की और चल दिया.. वो अपनी मोटी मोटी गांड़ को हिला हिला के ठुमके लगाए जा रही थी.. एक तो इतना छोटा ब्लाउज था और वो भी पीछे से पूरा खुला.. ऐसा लगता था जैसे ब्रा पहन रखी हो...
में उनकी करीब गया और उनके कान एम कहा "सासुमा मेरे साथ आओ.." और वो भी मेरे साथ चल दी.. में उन्हें पार्किंग में ले आया..."क्या हुआ दामादजी" वो सहज होकर बोली...
"आप को शर्म नही आती इसे.. अपनी उम्र का तो लिहाज कीजिए" मेने गुस्से से कहा....
वो मुस्करा के मेरी आखों में देखते हुए बोली "क्यों क्या हुआ"
"आप को अच्छे से पता हे क्या हुआ आप जान बुझ के ऐसा की ना.. आप को पता है ना मुझे अच्छा नहीं लगता कोई.."
में आगे नही बोल पाया...
"देखिए दामादजी आप ने रश्मि को तो अपनी बातो में फसा के उसकी आजादी चीन ली लेकिन में आप की बीवी नही हू की आप का कोई हक है समझे आप.. मुझे भी हक है खुस रहने का"
मेने सासुमा को कंधो से पकड़ लिया.. और उनकी आखों में देख के कहा "बीवी नही हो लेकिन मेरे होने वाले बच्चे की मां जरूर हो.. और में नही देख सकता उसे कोई आंख उठा के भी देखे समझी आप"
कुछ देर हम दोनो एक दूसरे को देखते रहे और पता नही कब कैसे मेरे होठ उनके गुलाबी होठों पे आ गई.. ऐसा लगा जैसे वक्त थम सा गया हो.. हम दोनो के बीच की चिंगारी जैसे आग पकड़ ली और में उनके होठों को चूसने लगा.. वो भी कुछ जैसे यही पल के इंतजार में थी.. में कैसे यही उनको अपनी बना लेने की फिराक में था.. मेने उनके गले को बड़ी बेरहमी से चूमा और काट भी लिया..
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तभी मेरी बीवी का काल आया और मुझे होश आया.. हम दोनो एक दूसरे से अलग हुए और.. वो अपने बाल और सारी सही की और हम वापस उस और लोट आई..
जहा रश्मि थी...
"आर आप कहा थे यहां सब लोग पूछ रहे हैं" रश्मि ने कहा...
"वो मेरा फोन कार में छूट था..." सासुमा ने मेरा खामोश मुंह देख फट से जवाब दिया...
सासुमा की हाजिर जवाबी देख मेरा दिल हुआ जैसे रश्मि के सामने ही मेरे बच्चे की होने वाली मां को चूम लूं...
"मां ये क्या आप के गले पे क्या हुआ कुछ लगा है क्या" रश्मि ने सासुमा के गले पे दिख रहे निशान को देख के कहा जो मेरे ज्यादा चूसने और काटने से हो गया था.. सासुमा तो पानी पानी हो गई.. लेकिन थी भी एक परिवक्व औरत मेरी और मुस्करा के देख बोली.. "वो कोई कीड़ा लग था बेटी.. बड़ी मुस्किल से हटाया मेने नही तो सारा खून चूस लेता"
में तो अपनी सास को देखते ही गया केसे एक संस्कारी औरत इतना खुल गई.. जैसे ही हम जाने लगे स्टेज की और में सास के पीछे पीछे जाने लगा और बार बार उनकी खुली कमर पे हाथ फेरने लगा.. आह क्या मखन जेसी मुलायम थी सासुमा..
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बडा ही शानदार और जानदार मदमस्त अपडेट है भाई मजा आUpdate 08
हम रात को ही वहा से निकल आई.. घर आते आते दोनो मां बेटी गहरी नींद में चली गई थी.. मेने पार्क की और कुछ पीछे का दरवाजा खोला और अपनी पत्नी को उठाने ही वाला था की उसके मासूमियत से भरे चहरे को देखते ही मेरा दिल नही माना उसकी नींद खराब करने का.. मेने बड़े प्यार से उसे अपनी बांहों में उठा लिया और अपने कमरे की और जाने लगा.. और रश्मि नींद में ही अंगड़ाई लेते हुए मुझे कस के पकड़ ली.. मेने उसे लेटा दिया और वापस नीचे आ गया.. सुबह के 4 बज रहे थे.. चारो और ठंडी ठंडी हवाएं चल रही थी जो मुझे बड़ा मदहोश किए जा रही थी..
मेने दरवाजा खोला और सासुमा के पास खड़ा हो गया वो बड़ी सुकून से सो रही थी.. मेने उन्हें आवाज दी लेकिन वो नहीं उठी तो मेने उनके हाथ को पकड़ के हिलाया लेकिन वो सायद काफी थक गई थी.. मेने बिना ज्यादा सोचे ही उन्हें अपनी गोद में उठा लिया और घर के अंदर ले आया.. सच में रश्मि को उठाना बड़ा आसान था लेकिन सासुमा सही मायनो में एक औरत थी और औरते इतनी भारी भरकम होती है आज समझ आया.. घर के दरवाजे तक पहुंच के ही में एक दम थक सा गया.. अब मेरे पास इतनी ताकत नहीं बची थी की सासुमा को उपर ले जाता.. में उन्हें नीचे वाले बेडरूम में ले आया..
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और लेटा के उनके खूबसूरत जिस्म को कुछ देर बड़े आराम से निहारने लगा.. सच में मेरी सास किसी काम देवी से कम नही थी.. बड़ी बड़ी चूचियां गहरी नाभि और उनके गुलाबी होठ और काले घने बाल उनकी कामुकता में और बड़ोतरी करते थे..
मेने बड़े प्यार से उनके माथे को चूम लिया और कहा "सासुमा आप ने जो मुझे खुशी दी है उसके लिए में आप का कर्जदार हो चुका हू.. I Love You Mere होने वाले बच्चे की मां.. मेरी प्यारी लता..." और जैसे ही मेरे मुंह से लता निकला सासुमा ने अपनी बड़ी बड़ी आखें खोल ली और मेरी और बड़े प्यार से देखने लगी..
में एक दम से हड़बड़ा गया और बाहर जाने लगा.. की एक बड़ी ही धीमी और शर्म से भरी आवाज आई.. "सुनिए आप मुझे अकेला छोड़ के कहा जा रहे हो" मेरे होस उड़ गई.. "सासुमा आप क्या बोल रहे हो.. आप की बेटी ने देख लिया हमे ऐसे तो" मेने अपना डर सामने रख दिया...
"में कोई पराई हु क्या आप के होने वाले बच्चे की मां हु.. अभी तो बड़े बोल रहे थे मेरी लता.." वो बड़ी नाराजगी में बोली जैसे मेरी पत्नी हो...
"सासुमा आप क्या बोल रही हो.. उसे पता चला तो पता है ना क्या होगा" मेने अपना सर पकड़ के कहा...
"ठीक है जाओ अपनी बीवी के पल्लू में चुप जाओ" सासुमा ने नाराज होके कहा..
में बाहर निकल गया और रश्मि को देखने उसके कमरे के पास चला गया खिड़की से देखा तो बड़े सुकून की नींद सो रही थी.. मेने कमरे का दरवाजा बंद और बाहर से कुंडी लगा दी..
और में नीचे आने लगा.. मेरा लिंग अपने आप तन गया था में कमरे में घुसा और सब से पहले दरवाजा बंद किया और कुंडी लगा दी और खिड़की भी बंद की.. में बड़े जॉस में आ गया था मेने फट से अपना कुर्ता उतार दिया... और अपने बनियान को भी उतार दिया.. सासुमा मुझे देखती ही रह गई.. अब उन्हें जैसे अपनी गकती का अहसास हुआ कि वो मुझे इतना क्यों सुना दी..
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUpdate 09
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सासुमा मुझे अर्थ नंगा देख शर्म से पानी पानी हो गई.. में उनके पास गया और उन्हें अपनी बाहों में पकड़ के लेट गया वो जैसे किसी मछली जैसे चटपटा गई.. लेकिन में कहा रुकने वाला था.. मेने अपने हाथ से कुछ ही देर में उनके ब्लाउज को खोल दिया और उनके स्तनों को मसलने और चूसने लगा.. उनकी सिसकारियां जैसे पूरे कमरे में गूंज रही थी..
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सासुमा – अअह्ह्ह्ह... आउच...बेटा आराम से आह...
में – सासुमा कैसे आराम से.. कितना तड़पा हु.. आज तो इन्हे कच्चा खा जाऊंगा...
और मैने उनके एक निप्पल को बड़ी ही कामुकता से कटा.. और सासुमा की तेज सिसकारी माहौल और भी कामुक हुए जा रहा था...
क्या बताऊं दोस्तो एक बड़ी उम्र की शादी सुदा औरत का ऐसा रूप पहली बार देख रहा था में.. क्या आग थी सासुमा के जिस्म में...
फिर क्या था ना सासुमा ने रोका न में रुका और अपना लोहे जैसा लिंग उनकी योनि में घुसा दिया..
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सासुमा – बेटा अब निकल दे आह.. सुबह हो गई हे.. कही रश्मि न उठ जाए...
में – तो क्या हुआ सासुमा आप कहा पराई हो..
सासुमा शर्म से पानी पानी हो गई पूरी नंगी खुद के दामाद के साथ इसी हालत में बिचारी का तो डर के ही बुरा हाल होगा की कही उसकी बेटी उसे इसी हालत में न देख ले...अब उन्हें क्या पता की मेने दरवाजा बाहर से बंद किया हुआ हे रश्मि का...
सासुमा ने दर्द भरी आवाज में कहा "आह.. कल फिर से करना बेटा..अभी रुक जा.. आह कही वो आ गई तो में कही की नही रहूंगी..
में – सासुमा रश्मि अभी बच्ची ही है.. पता है वो मुझे क्या बुलाती है...
सासुमा – आह.. काट क्यों रहे हो...क्या बुलाती है.. आह....
में – डैडी (पापा) और में उसे गुड़िया.. और आप तो हो ही उसकी मां फिर हो गई न हम दोनो उसके मम्मी पापा.. हा हा.
और मैने जोर से धक्का लगाया और सारा पानी सासुमा की बच्चे दानी मै छोड़ दिया...
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सासुमा को नंगी रख के ही कुछ देर प्यार से सहलाने के बाद में मेने उनके कानों में कहा " थक गई होगी ना आप आराम से सो जाओ अब.. और हमारे बच्चे का खयाल रखना...I love You Lata"
अपने दामाद के मुंह से खुद का नाम सुन के तो सासुमा इतना शर्मा गई जितना नंगी होकर भी नही शर्मा रही थी...