घर पहुँच कर मैं अपने कमरे में फ्रेश होने चला गया। माँ सोनिया को अपने कमरे में लेकर चली गईं। वो वहीँ फ्रेश होने लगी। नहाकर आया तो वो भी फ्रेश हो चुकी थी और उसने एक सुन्दर सा पिंक सूट डाल लिया था। माँ ने हम दोनों को जबरदस्ती दोबारा खिलाया। मैं रात सो नहीं पाया था तो मैंने माँ से कहा - मैं खाना नहीं खाऊंगा। अब सोऊंगा। शाम को जगाना ताकि चाची और श्वेता को भेज सकें।
माँ ने कहा ठीक है। मैं तो अपने कमरे में जाकर सो गया।
शाम को सोनिया मेरे कमरे में चाय लेकर आई। चाय का प्याला साइड टेबल पर रखते हुए उसने मुझे जगाया - उठो, शाम हो गई है। हॉस्पिटल भी चलना है।
मैंने उसे देखते ही उसका हाथ पकड़ कर कहा - आओ न रात कि तरह सोते है। यहाँ कोई दिक्कत भी नहीं होगी।
उसने शर्माते हुए कहा - धत्त , माँ जी घर में हैं।
मैं - आय हाय , माँ जी। अगर नहीं होती तो सो जाती ? और तुम्हे तो सब पता है। कहो तो उन्हें भी बुला लूँ। मस्त थ्रीसम रहेगा।
सोनिया ने हाथ छुड़ाते हुए कहा - बड़े बेशरम हो तुम। उठो।
मैं हाथ मुँह धिकार बाहर आया तो माँ ने हम सबके लिए नाश्ता और खाना बना दिया था। उन्होंने हॉस्पिटल के लिए चाय और कुछ स्नैक्स दे दिए थे।
हॉस्पिटल पहुँच कर सबने चाय और नाश्ता किया। दीदी माँ के हाथ के चाय पीकर बहुत खुश थी। लौटने का हुआ तो श्वेता ने कहा - मैं रुक जाती हूँ। बाबू को छोड़ने का मन ही नहीं हो रहा है। कितना प्यारा है।
दीदी ने कहा - सौतें एक साथ कैसे रुकेंगी। तू जा। और बहुत मन कर रहा है बच्चा खिलाने का तो कर ले तू भी। राज भी खुश हो जायेगा।
श्वेता शर्म के मारे लाल हो गई। बोली - ठीक हूँ। जा रही हूँ। मुझे पता है आपकी दुलारी यही है। चलो माँ।
दीदी ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसके माथे को चूमते हुए बोली - तू सब जानती है। तू हम सबकी जान है। जाकर आराम कर। एक दो दिन की बात है। घर आ जाउंगी तो दिन भर खेलना इसके साथ।
फिर मैं श्वेता और चाची को छोड़ने बाहर आ गया। मैंने श्वेता को छेड़ने के लिए चाची से कहा - चाची आपको कुछ जलने की बू नहीं आ रही है ?
चची कुछ बोलती इससे पहले श्वेता बोल पड़ी - चुप बहनचोद। देख तेरी झांट तो नहीं जल रही।
मैं हँसते हुए बोला - अभी एक बची है। बाकी तू अपने पैंटी में देख आग तो नहीं लगी है।
चाची ने कहा - कितना लड़ते हो तुम दोनों।
उन्होंने श्वेता से कहा - तेरी दी हुई शर्त तो थी। वर्ना ये सोनिया के पीछे क्यों पड़ता ?
श्वेता कुछ नहीं बोली। मैंने उन दोनों के लिए गाडी बुला लिया। तभी मेरे दिमाग में एक बात आई। मैंने कहा - श्वेता तू गाडी सीख लेती तो बढ़िया रहता।
श्वेता इस बात से खुश हो गई। बोली - सही कह रहे हो। एक बार सुधा दी आ जाता हैं तो सीखा देना।
उनके जाने के बाद लौट कर आया तो देखा सोनिया बच्चे को खेला रही थी और दीदी सो गई थी। मैं भी बैठ कर टीवी देखने लगा। शाम को जब शिफ्ट चेंज हुई तो कल रात वाली नर्स वापस आई। उसने कुछ दवाइयां दीदी को दीं और बोली एक दवा ख़त्म है। ले आना पड़ेगा।
मैंने बहार दवा की दूकान में खोजै तो वो नहीं थी। मैं वापस आकर बोला की वो तो नहीं मिल रही।
वो नर्स मुझसे बोली - चलो मेरे साथ देखती हूँ कहीं हॉस्पिटल में ही मिल जाये।
मैं उसके पीछे पीछे चल पड़ा। इससे पहले मैंने उसे ध्यान से नहीं देखा था , क्योंकि मैं थोड़ा व्यस्त था। आज गौर से देखने का मौका मिला था। नर्स का पिछवाड़ा बहुत ही मस्त था। लगता था शादी शुदा थी इस लिए शरीर भरा हुआ था। एक तरफ पैंट से उसके गांड बड़े मस्त लग रहे थे। चल रही थी तो मस्त हिल रहे थे। मैं उसे घूरते हुए पीछे ही चल रहा था। उसने एक जगह पलट कर मुझे देखा तो मैंने अपने नजरे फेर लीं।
वो मुझे हॉस्पिटल के ऊपरी फ्लोर में बने एक वार्ड की तरफ ले गई। उधर भीड़ कम ही थी। दोनों तरफ कमरे बने हुए थे पर लगता था पेशेंट नहीं थे। मैंने कहा - यहाँ कहाँ दवा मिलेगी ?
नर्स - हम भी कुछ स्टॉक अपने पास रखते हैं। ये नया वार्ड है , इधर मरीज नहीं है। हम यहाँ अपना सामान रखते हैं और मौका मिलने पर थोड़ा आराम कर लेते हैं।
मैं मन ही मन सोच रहा था कि ये आखिर चाह क्या रही है ?
तभी एक कमरे में वो घुसी। अंदर एक बेड लगा था और साइड में सोफा और अलमारी थी । उसने अलमारी खोली और उसमे से एक डब्बा निकाल कर दवा खोजने लगी। उसने फिर दवा निकाल लिया और बोली - मिल गई।
मैंने कहा - थैंक यू। कितने पैसे देने हैं।
नर्स मेरे एकदम करीब आई और बोली - पैसे लेने होते तो यहाँ तक तुझे क्यों लाती ?
मुझे सारा माजरा समझ आ गया। पर मैं कोई गलती नहीं करना चाहता था। मैंने भोला बनते हुए कहा - देखो तुम मुझे फंसाने के लिए तो नहीं लेकर आई हो। कोई कैमरा वामेरा सेट कर रखा हो ? बाद में ब्लैकमेल करो।
नर्स ने अपने हाथ सीधे मेरे लंड पर रख दिया और बोली - बहनचोद, रिकॉर्ड करके बलैकमेल करना होता तो तभी कर लेती जब तू अपनी बहन का दूध पी रहा था और उसके ननद को छोड़ने के चक्कर में था।
अब मेरे तोते उड़ गए। मैंने कहा - क्या बकवास कर रही हो ?
नर्स - साले नौटंकी मत कर। मुझे शक तो तभी हो गया था जब बच्चे के शक्ल तुझसे मिलती हुई लगी थी। पर तुम सबकी कुछ बाटने सुनी तो समझ आया। कल रात तेरी बहन को दवा देना था तो आई थी। पर अंदर तुम सबकी गुटरगूं सुना तो होश उड़ गए। अपनी जिंदगी में हर तरह के मरीज देखे हैं। बच्चा पैदा करने वाले भी और गिराने वाले भी। कई लड़कियों की चूत से खीरा खुद ही काट कर निकाला है। सो सांडा मत बन।
मैं - तुम गलत समझ रही हो।
नर्स - साले मेरा पिछवाड़ा देख रहा था तो गलत नहीं था। अब दे रही हूँ तो गलत लग रहा है। जल्दी कर टाइम नहीं है। दवा चाहिए या नहीं ?
मैंने कहा - तुम सबके साथ ऐसा करती हो ?
नर्स - साले तुम्हे रंडी दिखती हूँ मैं ? तू चिकना है पसंद आ गया। वार्ना यहाँ सब मेरे पीछे पड़े रहते हैं। हर कोई नहीं पाता मुझे।
मैंने कहा - कंडोम ?
नर्स - उसके बिना दूंगी भी नहीं। पर पहले अपना लंड दिखा?
मैंने कहा - तुम्हारे हाथ में ही है।
नर्स ने मुझे वही बेड पर बिठा दिया और मेरे पैंट का ज़िप खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया। उसका साइज़ देख कर वो सदमे में आ गई। बोली -साला ये तो बहुत बड़ा है।
मैं - बड़ा है , माल वाला है तभी बहन को चोद कर बच्चा पैदा किया है। ले पायेगी ?
उसने तुरंत मेरा लंड मुँह में जातक लिया और चूसने लगी। लगता था लंड चूसने में उस्ताद थी। मुझे लग ही नहीं रहा था कि मेरा लंड मुँह में है। चूसते चूसते वो एकदम गले तक ले ले रही थी। मने उसका सर पकड़ा और उसके मुँह में चोदने की कोशिश की तो वो बोली - भोसड़ी के , मैं कर रही हूँ करने दे।
मैंने फिर अपने आपको उसके हवाले कर दिया। कुछ देर मेरा लंड चूसने के बाद वो खड़ी हुई। पैंट की जेब से एक कंडोम निकाला और बोली पहन ले। फिर उसने अपना पैंट उतार दिया और बेड के सहारे घोड़ी बन गई। बोली अब जल्दी चोद ले।
मैंने अपना लंड पीछे से उसके गांड से सटाया तो बोली - गांड नहीं , चूत में डाल। चाल नहीं खराब करवानी है अभी।
मैंने उसके चूत में लंड डाल दिया और उसे छोड़ना शुरू कर दिया। वो खेली खाई लग रही थी। उसे ज्यादा तकलीफ नहीं हुई। पाने हाथ आगे बढाकर उसके मुम्मे पकड़ने चाहे तो बोली - आज नहीं बस तू चूत की खुजली मिटा। चुचे बाद में दबाना।
मैंने भी बस उसे चोदना ही बेहतर समझा। कुछ देर कि चुदाई के बाद मेरे लंड ने माल निकाल दिया। मैंने कंडोम वहीँ डस्टबीन में डाल दिया। मुझे ज्यादा मजा तो नहीं आया था पर बिना मांगे एक चूत मिली थी तो कोई किसे दिक्कत थी।
उसने अपने पैंट को चढ़ाते हुए कहा - मेरा नंबर डायल कर।
मैंने उसके बताये नंबर पर डायल कर दिया।
वो बोली - कॉल करुँगी तुझे। फिर मजे से करेंगे। टेंशन मत ले मैं कोई ब्लैकमेलर नहीं हूँ। अब तू निकल मैं कुछ देर में आती हूँ।
मैं वापस चल कर कमरे में आया तो दीदी जग चुकी थी। उन्होंने कहा - कहाँ चला गया था ?
मैंने कहा - अरे एक दवा थी यहाँ नहीं मिली तो बाहर जाना पड़ गया। उसी में टाइम लग गया।
उन्हें मेरी हालत देख कुछ शक तो हुआ पर कुछ बोलीं नहीं।