रात भर मामी के चक्कर में जगे रहने और फिर दिन में चुदाई से, हम दोनों इतने बुरे तरीके से थके थे कि समय का अंदाजा ही नहीं रहा। फोन के घंटी से एक साथ हम दोनों की नींद खुली। बिस्तर पर हम दोनो नंग धडंग पड़े हुए थे। चादर कहीं और पड़ा था। जैसे ही उसकी नजरें मुझसे मिली उसने चादर उठा कर ओढ़ ली। मैं उसकी ये हरकत देख मुश्कुरा उठा।
उधर फ़ोन पर श्वेता - कहाँ हो? कितनी देर हो गई है ? माँ घर जाने को बोल रही हैं। रात के खाने के लिए।
मैं - हाँ आता हों। गहरी नींद आ गई थी।
श्वेता - लगता है मैदान मार लिया।
मैं - हाँ।
श्वेता - बधाई हो। उसे चलने लायक छोड़ा है भी नहीं ?
इधर श्वेता बोली उधर सोनिया जो कि बिस्तर से उठने की कोशिश कर रही थी एकदम से लड़खड़ा गई। उसके मुँह से चीख निकल गई - उई माआ।
श्वेता - देख उसे क्या हुआ ?
मैं सोनिया से - क्या हुआ ?
सोनिया - बहुत दर्द हो रहा है। चला नहीं जा रहा।
मैं - तुम लेट जाओ। मैं दवा देता हूँ।
सोनिया - हम्म्म। अब सब क्या सोचेंगे ? हे भगवान् क्या हो गया।
मैं - इसमें सोचने की कोई बात नहीं है। सबको पता है आज नहीं तो कल ये होना ही था। कल तक ठीक हो जाओगी।
सोनिया - हॉस्पिटल ?
मैं - तुम रहने दो आज। कल तक ठीक हो जाओगी।
सोनिया की हालत खराब थी। मैंने उसे दवा दिया और पानी गरम करके सेंकने को कहा। वैसे तो वो बहुत जिद्द कर रही थी पर मैंने उसे घर पर ही छोड़ दिया और हॉस्पिटल की तरफ निकल पड़ा।
वहां मुझे अकेला देख सब मुश्कुरा रहे थे पर किसी ने कोई सवाल नहीं पुछा। तय ये हुआ कि माँ और श्वेता घर जाएँगी। मैंने उन्हें भी मना कर दिया। सोने में दिक्कत होती। यहाँ मैं और मामा रुकने वाले थे। कोई रुकता तो मामा को आराम नहीं मिलता।
मैंने अभी तक मामा की बेटी को नहीं देखा था। मैं उनके कमरे में गया तो उनके गोद में एक प्यारी सी बच्ची थी। बहुत ही सुन्दर, एकदम फूल सी। मामी भी निखर गई थी। उनका बदन तो पहले से ही भरा था अब और भी भर गया था। मुझे देखते ही वो खुश हो गईं।
मामी - बधाई हो , छोटी बहन आई है। और हाँ उसके लिए भी।
मैं - आपको भी। कितनी प्यारी है। आपकी तबियत कैसी है ?
मामी - सही हूँ। मस्त। पर मोटी हो गई हूँ।
मैं - गदरा गई हैं। पहले से थोड़ा ज्यादा। मामा को और मजा आएगा।
मामी - अब तो तुझे मजा देना है। दूध पियेगा ?
मैं - क्या मामी आप भी। अभी इसे दो।
मामी - ये अभी कहाँ ले रही है। पर मेरे थन देख कितने भर गए है।
मामी ने अपने हॉस्पिटल गाउन के बटन खोल अपने स्तन दिखाने लगीं। उनके स्तनों का साइज़ सच में बढ़ गया था। सुधा दीदी की तरह ही गहरे भूरे ओरोला और उसके ऊपर बड़े खजूर जैसे निप्पल। एक बार को मन हो आया कि ले लूँ पर खुद को संभाल लिया।
मैं - अरे मामी कवर करो। कहते हैं नजर लग जाती है। बिटिया के ऊपर असर पड़ेगा। मामा समझाओ इन्हे।
मामा - अरे यार ये तो एकदम ठरकी हो चुकी है। अब जब तक इसके सारे छेदों में लंड दुबारा नहीं जायेगा इसे चैन नहीं आएगा।
मैं - फिर तो नाना को भी बुलाना पड़ेगा। मुँह बंद करने के लिए भी तो कुछ चाहिए।
मामी - ना बाबा ना। बहुत हुआ। मुझे कोई छूट ही दिला देना चाटने को। ये बता सोनिया कैसी है ? कैसा है उसका स्वाद ?
मैं हँसते हुए- सच में एकदम ठरक चढ़ी है।
मामी - सच में बता ना या। कैसी माल है ?
मैं - अरे मामी ज्यादा कुछ नहीं कर पाया। बस कल रात चोद लिया उसे।
मामी - कोई फोरप्ले नहीं ?
मैं - थोड़ा सा। हम दोनो को चुदाई की जल्दी थी।
मामी - कोई बात नहीं। अभी वो है यहाँ। कर लियो पूरी मस्ती।
मैं - हम्म। अच्छा आप लोग आराम करो दीदी अकेली होंगी चलता हूँ।
जैसे ही मैं उनके कमरे से बाहर निकला वही नर्स मिल गई। मेरे साथ चलते चलते उसने कहा - क्यों हीरो , कैसा है ? आज कहाँ छोड़ दिया अपनी माल को ? आज नहीं आई।
मैं कुछ नहीं बोला।
नर्स- शर्मा रहा है। लगता है उसका बंद बजा दिया। अकेला है तो आज फिर मिलें ?
मै - मेरे पीछे क्यों पड़ी हो ?
नर्स - दिल आ गया है तुझ पर।
मै - ज्यादा पंगे मत लो।
नर्स - अभी कुछ ख़ास लिया ही कहाँ है।
तब तक दीदी का कमरा आ चूका था मैं अंदर चला गया और नर्स अपने नर्सिंग स्टेशन पर।
सुधा दी - मिल आया अपनी प्रेमिका से ?
मैं - अरे वो तो गजब ठरकी हो चुकी हैं। उनका बस चले तो अभी यहीं थ्रीसम कर लें।
दीदी - जब औरत को कई दिनों तक लंड नहीं मिलता है तो यही हाल होता है। मर्द लोग तो इधर उधर मुह मार लेते हैं। मामा तो कई बात सुशीला मौसी और लीला दी को पेल चुके हैं। दोनो कई बार मामी का ख्याल रखने के चक्कर में चुद चुकी हैं। तू भी तो ~~
दीदी ने बात अधूरी छोड़ दी। सच में, मैं भी तो पुरे मजे ले रहा था। दीदी को तो बल्कि डॉक्टर ने सेक्स के लिए एकदम मना कर रखा था। मामी ने गांड मरवा कर कुछ तो हवस मिटा ली थी पर दीदी एकदम भूखी थी।
मैंने उनसे कहा - सॉरी दी।
दीदी - अरे यार। सॉरी वोर्री कुछ नहीं। वो तो मेरे मुँह से निकल गया। तेरी उम्र है। और कौन सा तू मेरा मरद है।
मेरे आँखों ने ये सुनकर आंसू आ गए। मैंने उनके पास गया और उनके माथे को चूम कर बोला - गोवा भूल गई ?
दीदी भी रोने लगीं। बोली एक औरत कभी भी कुछ भी नहीं भूलती। पर मेरा तेरा भविष्य नहीं है। वो तो बस मन में था कर लिया।
मैं - पर सच यही है कि अभी आप मेरी बीवी हो और मेरे बच्चे की माँ भी । कोई रस्म न हुए हो कोई कानूनी बंधन भले नहीं हो पर दिल से आपने भी मुझे अपना पति माना था और मैं भी उस समय आपको पत्नी मान कर ही चला था। सच कहूँ तो आज भी आप ही मेरी हो। और आज मैं वादा करता हूँ कि भले कानूनी तौर पर आप मेरी पत्नी न हो पर मैं आपका हमेशा ख्याल रखूँगा। आपके मर्जी के बगैर मैं कोई काम नहीं करूँगा। आपसे कोई भी बात नहीं छुपाऊंगा। आज से मेरा कोई भी सम्बन्ध आपके परमिशन के बिना नहीं होगा।
दीदी ये सब सुन रोने लगीं। बोली -सात वचन से ज्यादा हो गए। बस कर।
ये सुन मेरा रोना रुक गया। तभी कमरे में श्वेता दाखिल हुई।
हम दोनो को ऐसे देख वो बोली - गजब है ये लड़का भाई। सबको दीवाना बना रखा है। एक घर पर है , उधर मामी इसके गुणगान गा रही हैं और यहां तुम।
दीदी भी बोल पड़ी - और एक तू है। बर्दास्त नहीं हुआ क्या इससे अलग रहना।? क्यों आ गई ?
श्वेता - भाई खाना देने आई थी। बहनो को भाई कि चिंता रहती है। एक बहन ने उधर मामा के लिए बना कर भेजा है और एक मैं चली आई।
दीदी - बड़ी आई तू इसकी बहन।
श्वेता - मैं बहन ही हूँ , ये अलग बात है ये साला बहनचोद है।
हम सब ये सुन हंस पड़े। फिर श्वेता ने बताया कि माँ को मेरी और मामा के खाने की चिंता थी तो उन्होंने फटाफट से बना कर दिया है। मामा को उनके कमरे में देकर आई थी। उसने कैब निचे ही रोक रखी थी। खाना देकर वो चली गई।
कमरे में मैं और दीदी ही रह गए। मैं काफी देर तक बच्चे के साथ खेलता रहा। दीदी को नर्स ने फिर से कुछ दवाएं दी थी वो सो गईं और मैं भी बेड पर लेट गया।
रात काफी देर हो चुकी थी तो दीदी ने मुझे जगाया। उन्हें बाथरूम जाना था। मैंने ड्रिप हटा दी और सहारा देकर ले गया। बाथरूम से लौटकर वो लेट गईं। हम दोनो की नींद खुल चुकी थी।
दीदी ने धीरे से मुझसे कहा - सो गया क्या ?
मैं - नहीं।
दीदी - पियेगा
मैं समझ गया दीदी एकदम चुदासी हो रखी हैं। मन मेरा भी कर रहा था। दीदी को प्यार किये काफी दिन हो गए थे। आज चुदाई तो नहीं कर सकता था पर प्यार तो कर ही सकता था। मैंने बच्चे को पालने में सुला दिया। दीदी अपने बेड के किनारे हो गई थी। उन्होंने मेरे लिए जगह बना दी थी। मैं उनके बगल में लेट गया। उन्होंने मेरे माथे पर किस किया। उन्होंने अपने बाहों के ऊपर मुझे बच्चे कीतरह लिटा दिया। फिर अपने गाउन का बटन खोल दिए। मैंने उनके एक स्तन को मुँह में ले लिया। होठ लगाते ही उनके स्तनों से दूध की धार मुँह में आने लगी। दूध क्या था हलके पानी सा था। पर मेरे पीने से दीदी को बहुत रहत महसूस हुई। शायद उनके स्तनों में दूध बहुत भर गया था और वो उस वजह से परेशान थी। उन्हें हल्का सा महसूस होने लगा। अब वो मेरे बालों को सहला रही थी। मैंने उनके दुसरे स्तन पर हाथ लगाया तो उन्होंने मन कर दिया। बोली - बहा कर खराब मत कर। कपडे और बेड गीले हो जायेंगे।
कुछ देर पीने के बाद दीदी ने दूसरा स्तन भी मुझे दे दिया। मैंने दोनों को खाली कर दिया। मैंने फिर दीदी के होठो पर किस करके बोलै - मजा आ गया।
दीदी - मुझे भी अब हल्का लग रहा था। दीदी मुझे प्यार से बाँहों में भरे हुए थी। मैं कभी उनके गालों को , कभी गर्दन को तो कभी स्तनों को किस करता। दीदी उत्तेजित हो रही थी। उन्होंने मुझे मना कर दिया। बोली - बस कर, मेरा मन कर जायेगा और मैं कुछ कर नहीं सकती। चल अपना लंड दे, तेरा पानी निकाल दूँ। मैं बेड से उतर गया और उठ कर उनके चेहरे के पास आ गया। मैंने अपना पैंट निचे किय। मेरा लंड अजगर की तरह फुफकारने लगा।
दीदी - रात सोनिया को पेल कर आया है फिर भी एकदम तैयार है।
मैं - तुम्ह देख कर तैयार हुआ है।
दीदी ने मेरे लंड को हाथ से आगे पीछे करना शुरू कर दिया।
बोली - अब तैयार हुआ है तो ख्याल भी रखना पड़ेगा। वैसे ये बता उस नर्स को भी पेल लिया न ?
मैं - तुम्हे कैसे पता ?
दीदी - मुझे उस पर पहले से शक था। बड़ी चुदक्कड़ लग रही थी। कंडोम लगा कर लिया है न ?
मैं - आह आह। हाँ उसने खुद भी दिया था। बिना प्रोटेक्शन के सेक्स करता भी नहीं।
दीदी - और सोनिया के साथ ?
मैं - नहीं। वो तो कुँवारी थी। मुझे जरूरत नहीं लगी।
दीदी - हाँ। शादी के वक़्त से देख रही हूँ। सिर्फ मुझसे लगी थी और अपनी माँ से। सेफ है वो। पर अब पता नहीं। वैसे उसकी फाड़ तो नहीं दी न ?
मैं - उफ़ , जरा मुँह में लो न।
दीदी ने थोड़ा खिसक कर आगे आईं और मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।
मैं - आह , बस ऐसे ही। क्या मस्त चुस्ती हो दीदी। आह आह। सोनिया को दवा दिला दूंगा। प्रेग्नेंट नहीं होगी। बेचारी ने जोश जोश में ले तो लिया पर दर्द बाद में मालूम पड़ा।
दीदी - गलप गलप , हम्म,काफी समय से बहुत दिन सेतुम्हारे लंड की दीवानी थी। मूड बना कर आई थी। सही किया पेल दिया। आज कल का दर्द है बस फिर खुद ही कूदेगी तुम्हारे लंड पर।
मैं - आह हम्। उफ़। हाँ छोड़ने को तो उसकी माँ भी छोड़ दूँ। उस समय आया था तभी लग रहा था चुद जाएगी। पर बच गई।
दीदी - गलाप गलप। चिंता मत कर। वो भी मानेगी नहीं। फ़ोन आया था। यहाँ आने को बेचैन है। हो सकता है एक आध दिन में आ जाये। माँ बेटी को एक साथ चोद देना।
मैं आँखे बंद कर दोनों को एक साथ चोदने की कल्पना में खो गया। मेरा लंड भी माल छोड़ने को तैयार था।
मैं - बस मेरा होने वाला है। अहह आह चोद दूंगा उन दोनों को। आह दीदीईईईईई।
दीदी ने मेरा माल पूरा पी लिया। एक भी बूँद वेस्ट नहीं किया। बल्कि सब घोंट कर लंड को दोबारा चाट लिया।
दीदी - मजा आ गया। अब जरा ठंढा पानी पीला।
मैंने अपना पैंट ऊपर किया और उन्हें पानी पिलाया। खुद भी पीया। उसके बाद दीदी ने बच्चे को अपने पास किया और सो गईं।
मैं भी बेड पर जाकर सो गया। मुझे गहरी नींद आ रही थी। दीदी भी संतुष्ट थी। शायद वो मेरे साथ अकेले समय बिताना चाह रही थी जो आज हुआ।