फंक्शन वाले दिन सुधा दीदी के ससुराल से भी सभी लोग आ गए थे। सबके रुकने का इंतजाम हमारे पास के ही दुसरे मकान में कर दिया गया था। उस दिन परिवार के सभी लोग आ गए थे। चाचा भी गाँव से आये थे। सुबह पंडित जी ने पूजा पाठ करवा दिया था। शाम को पार्टी थी। पार्टी एक बड़े से पार्टी लॉन में रखा गया था।
मैंने देखा नाना दोनों मौसियों के साथ लगे हुए थे। दोनों मौसा भी माँ, चाची और सुधा दी की सास के साथ बात करने में लगे थे। सबने अच्छे कपडे पहन रखे थे। मैंने सोनी को देखा तो उसने बहुत ही सुन्दर सूट डाला हुआ था। सूट काफी डिज़ाइनर था। उसने खुद ही डिज़ाइन किया हुआ था। मैं, श्वेता और सोनिया सुधा दी के पास थे। जब वो आई तो सबने उसकी बहुत तारीफ की।
मैंने भी कहा - मुझे पता नहीं था मेरी एक बहन इतनी बढ़िया डिज़ाइनर है।
ये सुन श्वेता बोल पड़ी - सिर्फ सुन्दर डिज़ाइनर एयर सुन्दर भी है ?
मैं - ओफ़्कौर्स सुन्दर है। अच्छे कपडे सुन्दर लोगों पर ही जमते हैं। तेरे पर थोड़े ही जांचेंगे।
श्वेता - अच्छा जी। बच कर रहना सोनी। कहीं तुम्हारे गोद में भी नन्हा मुन्ना न दे दे। क्यों सोनिया ?
सोनिया हँसते हुए - हाँ भाई। तगड़ा हथियार लेकर घूमता है।
सोनी थोड़ी शरमाई पर बोल ही पड़ी - लगता है सबने ट्राई किया हुआ है ?
मैं - मौका ही कहाँ मिलता है। बस सो पीस है।
तभी वहां मामी आ गईं। उन्होंने कहा - कौन सो पीस है भाई ?
सुधा दी - आपके सामने सब बेकार हैं। आप आईं है तो अब शो ठीक हुआ।
श्वेता ने उनके गोद से बच्चा ले लिया।
मैं - मामी का शो देखना तो अभी बचा हुआ है।
मामी - तुम्हे कितना बुलाया पर आते ही नहीं। वो देखो अपने नाना को आ गए हैं। एक तुम हो तुम्हे शो नहीं देखना और एक वो हैं उनको शो के बिना मजा ही नहीं आता। देखो लीला से कैसे चिपके हुए हैं।
ऐसे ही हंसी मजाक चल रहा था।
उधर दोनों मौसा माँ से कह रहे थे - जिज्जी आजकल आप आती ही नहीं। भाई साहब के जाने के बाद से हमारे तो मजे ही ख़त्म हो गए।
माँ - अब, बच्चों के खेलने कूदने की उम्र है। हम क्या ही मजे करे। वैसे भी राज के पापा के जाने के बाद इन सबमे मन नहीं लगता।
बड़े मौसा बेशर्मी से सुधा दी के सास से बोल पड़े - बहन जी, आपने बड़ा अच्छा किया जो इसके लिए मान गई। वैसे मुझे लगता है सुधा के हस्बैंड कीतरह आपके पति भी कुछ नहीं कर पाते होंगे।
पता नहीं माहौल का असर था या सुधा दी की सास चुदास हो रखीं थी। बोली - क्या भाई साहब अब तो पोते नातियों से खेलने की उम्र है।
छोटे मौसा - अरे आप भी कैसी बात कर रही हैं। आपको देख कर तो अच्छे अच्छे अपना खड़ा कर लें।
वो शर्मा गईं।
माँ बोली - आप सब भी। बच्चे भी हैं यहाँ। यही सब करने आये हो क्या। कुछ तो शर्म करो।
बड़े मौसा - अरे इतने सालों बाद मिले हैं। रिश्ता ही मजाक का है। अब साली और समधनों से मजाक न करें तो फिर किससे करें।
तभी मुझे हलवाई से कोई काम पड़ा और मैं उधर चल पड़ा। कुछ देर उससे बातें करने के बाद मैं जब पंडाल की तरफ जा रहा था तभी किसी ने मेरा हाथ पकड़ कर एक तरफ खींच लिया। मैं जैसे ही सम्भला उसने मेरे पेंट के ऊपर से ही मेरे हथियार को पकड़ लिया। वो बोली - तेरे लंड में बहुत खुजली हो रही थी। कपडे मेरे ऊपर नहीं जांचेंगे।
वो श्वेता थी। मैंने उसे पकड़ लिया और उसके होठो पर किस कर दिया और फिर बोला - ये सब तुझे पाने के लिए ही है जानेमन। तू मान जाती तो पटाने के जरूरत ही नहीं पड़ती। पर तू और तेरी शर्त।
उसने मेरा लंड छोड़ा नहीं , बल्कि मेरे बॉल्स को दबाते हुए बोली - मैं तो आखिरी में मिलूंगी। जब तक तू इस घर की साड़ी औरतों को नहीं चोद लेगा। मैं नहीं मिलूंगी।
मैं गिड़गिड़ा उठा - मैंने कहा - यार इन्हे तो छोड़। और ये कौन सी नई बात है। तीन कुंवारियों की शर्त थी। दो हो गईं। पर अब ये साड़ी औरतों की बात कहाँ से आ गई।
वो बोली - मेरा मन बदल गया।
मैंने कहा - यार ये चीटिंग है।
उसने मेरे सामान को छोड़ दिया और बोली - ठीक है। थोड़ा रिलैक्स कर देती हूँ। बीच बीच में कुछ इनाम देती रहूंगी। पर लंड चूत में तभी जायेगा जब इसने सारे किले फ़तेह कर लिए होंगे।
मैंने चेहरा बना लिया - यार ये गलत है।
श्वेता - पर इसमें तेरी ही तो मौज है।
मैं - पर तू ये क्यों कर रही है ? तुझे बुरा नहीं लग रहा ?
श्वेता - नहीं। जैसे आज सब नाना के बारे में बोल रहे हैं। एक दिन सब तेरे बारे में बोलेंगे। पर तू मुझसे कुछ भी नहीं छुपायेगा। और सबकी चुदाई के किस्से भी सुनाएगा।
मैं सोच में पड़ गया। नर्स वाली बात इसे नहीं बताई थी मैंने।
मैं बोला - मान लो कुछ तुम्हे नहीं बता पाया तो।
बोली - मुझे सब मालूम पड़ जायेगा। अब तक का सब पता है। उस नर्स का किस्सा भी।
मैं आश्चर्य में पड़ गया। बोला - तुम्हे कैसे पता ?
श्वेता - सुधा दी ने बता दिया था। मुझे के िदिक्क़त नहीं है। पर आगे से मुझे सारा हिसाब चाहिए।
मैंने उसके स्तन दबा दिए और कहा - जो हुकुम।
उसने मेरा हाथ हटा कर बोला - अब मुझसे बिना पूछे तुम सिर्फ मुझे किस कर सकते हो। वो भी मूड देख कर। बाकी का हक़ मैं ही दूंगी।
मैंने सर पकड़ लिया - बोला , यार सबकी लेने में उम्र निकल जाएगी। मान लो कोई तैयार नहीं हुआ तो। ये सोनी तो राजी होने वाली नहीं है। और लीला दी की छोटी बहन सुरभि के बारे में तो ज्यादा पता ही नहीं।
श्वेता - ये सोनी तो मान जाएगी। उसके अंदर बहुत आग है। बस दबा कर रखा है। मेरा गेस है घर की सबसे वाइल्ड सेक्स करने वाली लड़की होगी ये। बाकी सुरभि के बारे में पता लगाती हूँ।
मैं - सोनी के बारे में कैसे पता ?
श्वेता - तुम बुद्धू हो। एकदम मेरी जैसी है वो । जब देगी तो इतने मजे देगी की तुम संभाल नहीं पाओगे। वैसे उसने तुम्हारे बारे में इंटरेस्ट दिखाना शुरू कर दिया है। संभाल कर कदम बढ़ाओगे तो दी देगी। पर अभी मंजू मौसी के साथ डबलिंग का जुगाड़ करो।
मैं - तो तुम्हे पता है ?
श्वेता हँसते हुए बोली - तेरी टारगेट ने ही बताया है। तभी तो कह रही हूँ , बहुत आग दबाया हुआ है उसने।
फॉर वो बोली - मैं जा रही हूँ,। तुम थोड़ी देर बाद आना।
मैं - क्यों ? शर्माना क्यों ?
श्वेता - शर्म नहीं है मूरख। जो किया ही नहीं वो दिखाना क्यों ?
मैं - क्या पता इसी जलन में सोनी मान जाये।
वो ठिठक गई। उसने मेरा हाथ पकड़ा और बोली - साला कौन कहता है तुम्हारे पास दिमाग नहीं है।
हम दोनों साथ ही चल पड़े। जैसे ही पहुंचे सब हमें ही देख रहे थे। लगता था सब हमारा इंतजार कर रहे थे। मैंने कहा - चलिए खाना खाइये सब लो। हलवाई ने सब रेडी कर दिया है।
मुझे देख विक्की एकदम आश्चर्य में था। सोच में तो माँ और चाची भी थी। पर सब ग़लतफ़हमी में थे। ये देख हम दोनों के मजा आ रहा था।
खैर किसी ने हमें कुछ कहा नहीं।
खाते समय मेरे पास सोनी आई। वो मुझे अजीब नजरों से घूर रही थी। मुझसे रहा नहीं गया। मैं बोल पड़ा - ऐसे मत देखो प्यार हो जायेगा।
वो चिढ कर बोली - मुझसे दूर रह। बाकी बहनो को प्यार दे।
मैं बोला - क्यों तुम्हारे पास चूत नहीं है क्या ? तुम्हे निचे खुजली नहीं होती ? या अभी जवानी आई ही नहीं है ?
वो गुस्से में मुझसे दूर चली गई। तभी सोनिया आई। बोली - लगता है आज श्वेता का शिकार हो गया?
मैं - कहाँ यार। वो तो बस मुझसे धमका रही थी। वैसे कोई और है जो तुम्हारा शिकार करना चाह रहा है।
वो समझ गई की मैं विक्की की बात कर रहा हूँ। वो बोली - मेरा सौदा करना चाह रहे हो क्या ?
ये कहकर वो नाराज होकर मेरे पास से चली गई। पता नहीं मेरे और सोनिया के के बीच ये प्यार और नाराजगी का क्या रिश्ता था। खैर मैंने सोचा जो होगा देखा जायेगा।