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Incest मेरी माँ, बहने और उनका परिवार

Who do you suggest Raj should fuck first?

  • Shweta

    Votes: 89 75.4%
  • Soniya

    Votes: 29 24.6%

  • Total voters
    118
  • Poll closed .

Enjoywuth

Well-Known Member
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158
Bahut aacha update aaya bhai..maze dar
 

mkgpkr

Well-Known Member
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158
Very nice
 

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
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अगले एक हफ्ते मैंने अर्चना की जबरजस्त चुदाई की। कभी उनके घर तो कभी मेरे घर। घर पर माँ मुझे अच्छी पौष्टिक चीजें खिलाती रहती थी। उनका कहना था अर्चना के पेट में स्वस्थ बच्चा हो। उन्होंने मुझसे सम्बन्ध बनाना छोड़ दिया था। एक हफ्ते बाद अर्चना के पति वापस आ गए और हमारा मिलन भी बंद हो गया। इधर बीच विक्की का कई बार फ़ोन आया था। मैंने उसे दो दिन बाद आने का बोल दिया था।
मैंने माँ से कहा कि वो भी हमारे साथ चलें पर उन्होंने मना कर दिया। मैंने उनसे ज्यादा जबरजस्ती नहीं कि।
मैंने विक्की को पहले ही बता दिया था कि मैं आ रहा हूँ। वो बहुत खुश था। उसने पीने सीने के बारे में पुछा तो मैंने कह दिया जैसा मन करे। मैंने बता दिया कि जल्दी ही लौटूंगा क्योंकि माँ अकेली हैं और फिर मेरे फाइनल एक्साम्स भी है।

मैं शाम तक मौसा के घर पहुँच गया। सोनी और मौसा अभी ऑफिस से नहीं लौटे थे। घर में सिर्फ मौसी और विक्की थे। विक्की ने मुझे देखते ही गले लगा लिया। मैंने मौसी के पैर छुए तो उन्होंने मुझे गले लगा लिया।
कुछ देर बाद मौसा और सोनी भी घर आ गए। काफी देर तक बात चीत चलती रही। विक्की ने ड्रिंक्स की बात की तो सोनी ने कहा - टाइम से सो जाओ , कल सुबह फैक्ट्री देखने चलने है। उसका ये ऐटिटूड मुझे सही लगता था।
रात मैं और विक्की उसके कमरे में सोने गए तो मैंने विक्की से पुछा - और भाई , अब तो सोनी के साथ मजे कर रहा है न।
विक्की - यार मैं उसके साथ नहीं वो मेरे साथ मजे करती है। साली बहनचोद जब उसका मन करता है तो पूरी तरफ से निचोड़ लेती है पर अगर उसका मूड नहीं है तो मैं कुछ भी नहीं कर सकता।
मैं - यार लड़कियां अपने आप दे तभी सही है। जोर जबरजस्ती गलत है। वैसे मौसी तो तेरा ख्याल रखती ही हैं।
विक्की - हाँ , वो तो है
मैं - और उस गदराई लौंडिया के साथ कुछ बना। क्या नाम था उसका , अन्वी ना
विक्की - हाँ , अन्वी। नहीं यार। साली वो तो एक नंबर की छिनाल है। बस देख कर मजे लेती है। हाथ नहीं लगाने देती।
मैं - मौसा के क्या हाल हैं ? उन्हें तो अन्वी और उसकी माँ दोनों देती हैं।
विक्की - हाँ यार। पापा के मजे हैं। वैसे उनका नेचर ऐसा है की कोई भी उनके निचे चला आये। पता नहीं क्या जादू करते हैं।
मैं - हाँ। वो तो है। नेचर भी अच्छा है और सबकी मदद भी तो करते हैं। उनके पटाने का तरीका अलग ही है। उनसे सीखना पड़ेगा।
विक्की - मादरचोद , तू क्या सीखेगा। तू तो उनका भी बाप है। क्या जादू करता है सब निचे बिछ जाती हैं। और ये नया माल अर्चना कौन है ? जरा उसके बारे में बता।
मैंने फिर उसे अर्चना के किस्से सुनाये और युहीं बात करते करते हम सो गए।
सुबह सोनी ने जल्दी उठा दिया। हम करीब नौ बजे निकल पड़े। आज हमारे साथ मौसा भी थे। रास्ते से हमने अन्वी को भी पिक किया। जगह अच्छी पसंद की थी। एक पुरानी बनी बनाई फैक्ट्री थी। मालिक को पैसों की जरुरत थी तो सस्ते में बेच रहा था। कुछ इंटीरियर का काम करना था वार्ना सब कुछ था वहां पर। जगह मुझे भी पसंद आई। फैक्ट्री देख कर हम जब वापस आने लगे तो अन्वी ने सबसे उसके घर चलने को कहा। मौसा को ऑफिस जाना था पर उसके जिद्द के आगे झुक गए। मैं और विक्की तो ये सुन खुश हो गए। हमें उसकी माँ या फिर ये कहें की मौसा के माल को भी देखना था।
सोनी ने हम दोनों से कहा - जीभ पर कण्ट्रोल रखना कुत्ते की तरह लार मत टपकाने लगना।
खैर हम उसके यहाँ पहुंचे तो एक भरे हुए बदन वाली गोरी सी औरत ने हमारा स्वागत किया। उन्हें देख लग ही नहीं रहा था की अन्वी की माँ होंगी। एकदम उसकी कॉपी जैसे उसकी बड़ी बहन हों। उन्होंने हम सबके लिए मिठाई और पानी का इंतजाम पहले से कर रखा था। मौसा की तरफ विशेष ध्यान था। मैं तो मैं विक्की भी पहली बार उनसे मिल रहा था। सोनी की नजरें हम दोनों पर ही थी और उसकी वजह से हम सही ढंग से उन्हें ताड़ भी नहीं पा रहे थे। वैसे गजब का माल थी। मौसा को चौड़ी गांड वाली पसंद थी और इनका पिछवाड़ा भी मस्त था। कुछ देर बात चीत करने के बाद हम सब वहां से निकल पड़े। मौसा अपने ऑफिस चले गए और हम चारों सोनी के ऑफिस। वहां लड़कियों ने जब सुना फैक्ट्री फ़ाइनल है तो सब खुश हो गईं। सोनी ने उन सबके लिए मिठाई माँगा रखी थी।
मिठाई खाते समय एक लड़की ने कहा - दीदी , वहां भी स्पेशल कमरा बनेगा न।
सोनी ने उसे आँख दिखाई। वो चुप हो गई। लेकिन विक्की बोल पड़ा - कैसा स्पेशल कमरा ?
तन्वी - कुछ नहीं। लड़कियों का मसला है।
मैं - हम्म।
फिर हम सोनी के ऑफिस में बैठ गए।
विक्की के मन में बात बैठ गई थी। उसने कहा - सोनी कैसा स्पेशल कमरा बनवा रही हो ? यहाँ भी ऐसा कुछ है क्या ?
सोनी ने अन्वी की तरफ देखा फिर दोनों मुश्कुरा उठीं।
अन्वी - बता दे यार बिजनेस पार्टनर हैं। पता तो चलना चाहिए।
सोनी - पर यार ये लड़कियों की प्राइवेसी का मामला है।
मैं - रहने दो फिर। ये तुम्हारा अपना मसला है। हमें ज्यादा अंदर नहीं घुसना है।
अन्वी - बहनचोद , चूत में घुस चूका है और कह रहा है अंदर नहीं घुसना है।
मैंने आश्चर्य से उसकी तरफ देखा तो वो बोली - ऐसे मत घूरो। मुझे सब पता है। जैसे तुम्हे मेरा और माँ का अंकल के साथ का पता है वैसे मुझे तुम सबका पता है।
सोनी - मुझमे और अन्वी में कोई परदा नहीं है।
विक्की - बहनचोद कोई पर्दा नहीं है तो छुपा क्यों रही है।
अन्वी - रुको मैं आती हूँ फिर बात करते हैं।
अन्वी फिर बाहर चली गई। कुछ देर बाद आई ौरसोंई से कहा - लड़कियों को कोई ऐतराज नहीं है। कह रही हैं घर के लड़के हैं। अंकल ने देखा ही हुआ है अब इनसे कुअछुण्णा। दिखा दो उनको स्पेशल कमरा।
सोनी हमें लेकर बाहर आई। उसके वर्कशॉप में एक कोने में एक दरवाजा था। वो खोल कर हमें वहां ले गई। उस कमरे में भी सिलाई वगैरह के सामान थे। बस थोड़ा कलरफुल था।
विक्की ने कहा - ख़ास क्या है ?
अन्वी ने कमरे के एक कोने में रखे अलमीरा को खोल दिया। अलमारी देखते ही हमारी आँखें फटी की फटी रह गईं। उसमे अलग अलग तरह के सेक्स टॉयज थे। लुब्रिवेन्ट्स, मैगज़ीन , और कुछ सीडी थे। ये सब देख मुझे समझ आ गया।
अन्वी ने कहा - ये न्यूड रूम है। जब लड़कियाँ को गर्मी चढ़ती है तो यहाँ काम करती हैं। काम करते करते मजे भी। मर्दों से चुदने से अच्छा है यहाँ खिलोने से मजे ले ले।
सोनी - और आपस में भी।
मैं - ये आईडीया किसका था ?
सोनी - लड़कियों का ही था। बताउंगी तुम्हे शाम को।
विक्की ने एक वाइब्रेटर लिया और अन्वी को दिखते हुए कहा - तुम कौन सा इस्तेमाल करती हो ?
अन्वी हँसते हुए - तेरी बहन की जीभ से बढ़िया वाइब्रेटर नहीं मिलेगा। फिर तेरे पापा का असली वाला है न।
विक्की - असली वाला तो मेरे पास भी है। हमसे भी सेवा ले लिया करो।
अन्वी - तू अपनी माँ और बहन चोद।
विक्की - तू भी तो मेरी बहन जैसी है।
अन्वी - कम बोल, वार्ना जो तेरे हाथ में है तेरे गांड में डाल दूंगी।
ये सुन विक्की ने मुँह बना लिया। मैं और सोनी हंस पड़े। सोनी ने उसके गाल पर एक किस देते हुए कहा - सब समय पर होता है भाई। जब कोई अपने मन से दे तभी लेना। अभी अन्वी तैयार नहीं है। तू सुधा दी के ससुराल के चक्कर काट आ। वहां तेरा इंतजार करती अपनी डार्लिंग का तो सोचो।
विक्की ने कुछ नहीं कहा। हम सब उस कमरे से बाहर निकले तो लड़कियां हमें देख मुश्कुरा रही थी। उसमे से एक दुबली लड़की बोली - भैया , वहां इससे अच्छा कमरा चाहिए। थोड़ा बड़ा।
सोनी - भइआ का ही बहुत बड़ा है। लेगी क्या ?
लड़की - तुम इजाजत दो तो ले लुंगी।
बाकी लड़कियां भी खिलखिला उठी। अन्वी ने उसे तरेर कर देखा तो वो लड़की चुप चाप अपना काम करने लगी। कुछ देर वहां रहने के बाद मैं और विक्की वहां से निकल पड़े। हम दोनों खामोश थे। दोनों के दिमाग में यही चल रहा था की लड़कियां जब खुलती हैं तो लड़कों को पीछे छोड़ देती हैं। सोनी भी कमाल की थी। सबका ख्याल रखती थी।

विक्की कुछ देर बाद बोला - गजब माहौल है भाई।
मैं - ज्यादा मत सोच। तेरे लिए कोई जुगाड़ नहीं है।
विक्की - पर ये सब हुआ कैसे होगा ?
मैं - आज दारू पर सोनी ही बताएगी या फिर मौसा।
फिर हम घर की तरफ चल पड़े। आज रात फिर एक राज खुलने को था। और ये राज कमाल का था। सोनी और मौसा के चरित्र का एक और पहलु सामने आने वाला था
Wonderful update. Story is getting interesting.
 

Luckyloda

Well-Known Member
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