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Incest मेरी माँ, बहने और उनका परिवार

Who do you suggest Raj should fuck first?

  • Shweta

    Votes: 89 75.4%
  • Soniya

    Votes: 29 24.6%

  • Total voters
    118
  • Poll closed .

priyanshu30

New Member
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45
18
शाम को जब सब खाने पर बैठे तो विक्की और मैं बार बार सोनी की तरफ देख रहे थे। सोनी से आखिरकार रहा नहीं गया। वो बोली - पूछ क्या पूछना है ?
मौसी - क्या पूछना है इन दोनों को ? फैक्ट्री पसंद नहीं आई क्या ?
मैं - अरे नहीं मौसी , फैक्ट्री तो पसंद है।
मौसा - और मैंने कुछ और एडवांस दे दिया है। बस एक आध महीने में पुरे पैसे का जुगाड़ हो जायेगा तो कागजी कार्रवाई भी करवा लेंगे ।
मैं - पैसे की चिंता मत करिये। मैंने भी इंतजाम किया है।
मौसी - ये तो बढ़िया खबर है। फिर इनका मुँह क्यों लटका है ?
सोनी - इनको सीक्रेट रूम के बारे में जानना है।
मौसी - ये सीक्रेट रूम की क्या कहानी है ?
विक्की - वही तो हम भी जानना चाहते हैं।
मौसा को मुस्कुराता देख मौसी बोल पड़ी - आपको पता है ?
मौसा - हाँ। सोनी की साड़ी बातें मुझे पता है। वो मुझसे कभी कुछ नहीं छुपाती है।
मौसी - अन्वी या उसकी माँ के अलावा भी तुम दोनों के राज हैं क्या ?
सोनी - हाँ। बताती हूँ। खाना तो खा लो ।
मैंने और विक्की ने खाने में ऐसी रेस लगाई की मौसी को ही कहना पड़ा - अरे आराम से खा लो। ये कहीं भागी नहीं जा रही।
खैर खाना खाने के बाद महफ़िल फिर से मौसा के आंगन में शुरू हुई। इस बार वापस से सोनी मौसा के साथ झूले पर बैठने जा रही थी की मैं बोल पड़ा - आजा , सिर्फ मौसा से ही झूला झुलेगी क्या ? मेरे पास भी है झुलाने के लिए ।
सोनी ये सुनकर मेरे पास आई और मेरे गोद में बैठ गई। उसने एक छोटी सी स्लिप पहनी हुई थी और निचे एक पैंटी। ऊपर ब्रा नहीं पहना हुआ था। वो एकदम से मेरे लंड पर ही बैठी थी। अब मौसी और मौसा झूले पर थे। बेचारा विक्की ये देख मुँह बना लेता है। उसके लटके चेहरे को देख मौसा बोले - तू यहाँ आजा।
मौसा उठ कर दुसरे चेयर पर बैठ गए। विक्की झूले में मौसी के गोद में सर रख कर लेट गया।
अब सोनी ने उस रूम की कहानी शुरू की।


------------------------------------------------सीक्रेट रूम की कहानी सोनी की जुबानी --------------------------------------
ये तब की बात है जब मैंने अपनी बुटीक शुरू ही की थी। मेरे पास दो तीन लड़कियां ही थी। पापा ने एक छोटी सी दूकान दिलाई थी। दूकान से सट्टे हुए दो तीन दूकान और थी। बुटीक में सिर्फ एक कूलर हुआ करता था। लड़कियों में तन्वी भी थी और उसी ने अपने कुछ और दोस्तों को बुला लिया था। हमारा काम चल पड़ा था। धीरे धीरे हम करीब दस लड़कियां हो गेन थी। मैंने अंदर से कनेक्टेड एक और दूकान ले लिया था दुसरे को अपना ऑफिस और नाप लेने वाली जगह बना ली थी। हमारी ग्राहक अब कम्फर्टेबली नपाई दे सकती थी। ये आल गर्ल्स शॉप थी तो सिलाई का काम देने वाली बिलकुल बिंदास आती थी। धीरे धीरे स्टाफ लड़कियां भी आपस में खुल गईं थी। मेरी शख्त हिदायत थी की लड़कियां किसी लड़के को कभी अंदर नहीं लाएंगी। उनके रिश्ते उन्हें बाहर ही रखने थे।

सब सही चल रहा था। मैंने सभी का ड्रेस कोड भी बना दिया था। मैं नहीं चाहती थी की लड़के हमारे दूकान के आगे पीछे चक्कर काटें। पर लड़कियों ने मुझसे शिकायत शुरू कर दी। उनका कहना था बाहर से अंदर तक आने के लिए ड्रेस कोड तो ठीक है पर अंदर गर्मी रहती है। उन्हें कुछ फ्रीडम मिलनी चाहिए। आखिर मैंने उनसे कह दिया की वो अपने हिसाब से कुछ कपडे ला सकती हैं और पहन सकती हैं। नतीजा ये हुआ की लड़कियां हाफ पेंट , टी शर्ट , स्लीव्स इत्यादि लेकर आ गईं और उसे पहनने लगीं। फ्री वाली लड़कियां अंदर के रूम इ रहती थी। पर जैसा कि होता है , लड़कियां हर तरह की थीं। कुछ को ये गलत भी लगा। मैंने उन्हें किसी तरह मना लिया। मैंने तब जाकर सबके लिए कॉन्ट्रैक्ट बनाया। उसमे सबको साफ़ साफ़ मानना था की अंदर की बात बाहर नहीं जाएगी। कोई कैमरा या मोबाइल से फोटो नहीं लेगा। अपनी हरकतों की खुद वो जिम्मेदार होंगी इत्यादि इत्यादि। मेरा मकसद खुद को सेफ रखना था और लड़कियों की बदनामी भी नहीं होने देनी थी।

पर एक दिन हद हो गई । गर्मी ज्यादा थी तो एक लड़की ने अपना टी शर्ट भी उतार दिया। वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। वो लड़की और कोई नहीं तन्वी थी। उसकी इस हरकत पर सब सकते में आ गए। पहले तो कुछ लड़कियां हंसने लगीं। कुछ ने चेहरा निचे कर लिया पर थोड़ी देर बाद मैंने देखा कुछ और लड़कियों ने वैसा किया। मुझे ये देख बहुत गुस्सा आया। मैं अंदर पहुंची और उनसे बोलने लगी की ये हरकत सही नहीं है। वो आजादी का नाजायज फायदा उठा रही हैं।
उस पर तन्वी बोल पड़ी - कभी लड़को के टेलर शॉप में गई है ? कई तो सिर्फ बनियान में रहते हैं। हमें गर्मी लगे तो हम क्यों सहें।
मैं - उनसे क्या तुलना ? अगर किसी ने देख लिया तो ? बदनामी होगी।
तन्वी - इतना कमा रहे हैं। तीसरा कमरा भी ले लो। उसमे जिन लड़कियों को एकदम फ्री रहना हो रह लेंगी।
मैं - उसके बदले मैं एसी लगवा रही हूँ।
तन्वी - बात गर्मी की ही नहीं है। हमें अपने हिसाब से रहने दो न ।
मैं - आज तुम फ्री रहने को बोल रही हो। कल एक दुसरे के साथ लेस्बियन रिलेशन को भी बोलोगी , परसों सेक्स टॉय की बात करोगी।
ये सुन उनमे से एक लड़की बोल पड़ी - ये सब पहले से हो रहा है।
अब चौंकाने की बारी मेरी थी। मैंने कहा - क्या ?
तन्वी हँसते हुए कोने में बैठी दो लड़कियों की तरफ देखते हुए बोली - वो जिन्हे तुम सीता और गीता की जोड़ी कहती , वो बहनें नहीं हैं लव बर्ड्स हैं। बाकी तुम शीला का ड्रावर खोलो , उसमे वाइब्रेटर मिल जायेगा।
मैंने माथा पकड़ लिया। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मेरी हालत देख सबने कहा - दीदी, अगर तुम चाहती हो तो हम ये सब बंद कर देंगे। हमें अपनी नौकरी प्यारी है। आपका काम नहीं छोड़ना है।
मैं बिना पूरी बात सुने अपने केबिन में चली आई। तन्वी ने इशारा किया तो एक लड़की ने दूकान का शटर बंद कर दिया। तन्वी मेरे केबिन में ब्रा और पैंटी में आई और उसने केबिन का दरवाजा बंद कर दिया।

वो मेरे चेयर के पास आई और मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर बोली - अगर तुम्हे ये सब पसंद नहीं है तो हम सब वापस अपने पुराने रूप में चले आएंगे। पर ये मत भूलो की यहाँ काम करने की आजादी की वजह से ही लड़कियां बिना किसी शिकायत के कम पैसों में भी काम करने को तैयार हैं।
मैं तन्वी की बातें सुनते हुए उसके शरीर को देख रही थी। उसका गदराया शरीर मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था। मैं घर के खुले माहौल में शामिल नहीं होना चाहती थी पर बाहर इस तरह के मजे लेने की चाहत जागने लगी थी। मुझे माँ , विक्की और पापा के सेक्स की बातें पता थी। कई बार उन्हें करते देखा था पर मुझे वो सब अजीब लगता था। मैं उसके लिए तैयार नहीं थी। पापा से कोई शिकायत नहीं थी। और आज अजीब लग रहा था।
जब तन्वी ने देखा मैं उसकी बातें नहीं सुन रही बल्कि उसके शरीर में कहीं खोई हुई हूँ तो उसने झुक कर मुझे किस कर लिया। उसने जैसे ही मुझे किस किया मेरे तन बदन में आग सी लग गई। मैंने उसे अपने गोद में खींच लिया। हम दोनों एक दुसरे में खो गए। कुछ ही देर में मेरे बदन से भी सारे कायदे उतर गए। तन्वी तो पहले से तू पीस में थी। मेरे कपडे उतारते ही तन्वी मेरी चेयर के पास बैठ गई और उसने मेरे चूत पर मुँह लगा दिया। मैं जवान थी , अपने चूत में खुद से उँगलियाँ तो कई बार की थी पर अभी तक किसी और ने मेरे शरीर पर हाथ नहीं लगाया था। तन्वी के जीभ में जादू था। उसके चूत चाटने की कला की कायल तो मैं कुछ ही देर में हो गई। अब मुझे समझ आ रहा था माँ विक्की को पेटीकोट में क्यों घुसा लिया करती थी। माबीना अपनी चूत चटवाये विक्की से चुदती नहीं थी । ऐसा क्यों था आज मुझे समझ आया। मेरे सारे बदन में चींटिया सी रेंग रही थी। तन्वी मेरे चूत से खेल ही रही थी की कमरे में शीला ने एंट्री की। उसने भी कुछ नहीं पहना हुआ था। वो मेरे चेयर के पास आकर मेरे स्तनों से खेलने लगी। अब मेरे ऊपर दो तरफा वार हो रहे थे। शीला ने ना सिर्फ चेयर के पास आकर मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया बल्कि अपने स्तन मेरे मुँह में ठूंस दिए।
अब तन्वी ने अपनी एक ऊँगली मेरे चूत में डाल दी थी और होठों से मेरे क्लीट को चूस रही थी। मैं पता नहीं किस दुनिया में पहुँच गई थी। कुछ देर की चूत चुसाई के बाद मेरा बदन अकड़ने लगा था। पुरे शरीर में कंपन होने लगा था। मैं समझ गई अब मैं ओर्गास्म पाने वाली थी। और सच में कुछ देर में मेरी चूत में बाढ़ सी आ गई। मेरा पूरा शरीर काँप रहा था जिसे शीला ने संभाल रखा था। जब मैं स्थिर हुई तो देखा की तन्वी का पूरा होठ गीला था। मेरी आँख अपने आप बंद होने लगी। कक ही पल में चूमने की आवाज से मैंने आँखें खोली तो देखा शीला और तन्वी आपस में भिड़े हुए थे। शीला तन्वी के मुँह में लगे मेरे रस को चाट रही थी।
अपना आनंद और उन दोनों को उस हालत में देख मैंने कहा - अब बस करो। ये सब बाद के लिए।
शीला - वाह मेरी जान , अपना होते ही हमें बीच में छोड़ दिया ?
मैं - मैंने ये सब शुरू करने को नहीं कहा था।
तन्वी - ये सब छोडो। ये बताओ मजा आया की नहीं ?
मैं - तुमसे झूठ नहीं बोलूंगी। सच में पहली बार इतना मजा आया है।
तन्वी - फिर क्या सोचा लड़कियों के डिमांड के बारे में।
मैं - अगर तुम सबको कोई दिक्कत नहीं तो मुझे भी कोई दिक्कत नहीं। मैं तीसरा कमरा भी लेने की कोशिश करती हूँ। वो छोटा है और वहां जिसे जो करना है कर सकता है। बाकी बाहर वाले कमरे में कोई शरारत नहीं।
ये सुन दोनों ने मुझे चूम लिया।
मैंने शीला से कहा - जाकर सबको बता दो। शीला के बाहर जाते ही मैंने तन्वी को अपने टेबल पर पटक दिया और उसके चूत पर भीड़ गई। मुझे भी उसके चूत को चाट कर बहुत मजा आया।
कुछ महीनो बाद वो सीक्रेट कमरा भी बन गया। उसमे लड़कियां अधिकांश या तो नंगी होकर काम करती हैं या फिर सिर्फ ब्रा पैंटी में। आपस के अलावा वहां सेक्स टॉयज भी रखे होते हैं जिससे वो मजे ले लेती हैं।
--------------------------------------------वर्तमान समय - ---------------------------------------
सोनी के कहानी सुनाते सुनाते में हम सबका कार्यक्रम चालू हो चूका था। सोनी की पैंटी उतर चुकी थी और मेरा लंड उसके चूत में था। पर सोनी उसके कण्ट्रोल में थी। वो बड़े आहिस्ता आहिस्ता कहानी सुनाते सुनाते मेरे लंड से अपने चूत को मथ रही थी। उधर मौसी की चुदाई चालू थी और विक्की खलास होने वाला था। पर संयम तो मौसा में था। वो बड़े मजे से व्हिस्की का सिप लेते हुए हमारी चुदाई देख रहे थे।
सोनी को चोदते चोदते मैंने कहा - यार पर मौसा , तन्वी और उसकी माँ की कहानी कब शुरू हुई ?
सोनी - उसके बाद ही।
मैं - कैसे ?
सोनी - वो कल खुद तन्वी और उसकी माँ से सुन लेना। कल उन्होंने तुम दोनों को बुलाया है।
मौसी - बहनचोद , ये दोनों वहां नहीं जायेंगे। उन दोनों को यहाँ बुला। जो होगा मेरे सामने होगा। वैसे भी उस तन्वी मादरचोद और उसकी माँ से मिले काफी दिन हुए। साली ने मेरे मर्द को ले लिया। अब मैं उन दोनों की लुंगी।
सोनी - ठीक है। भड़क क्यों रही हो। मैं बोल दूंगी। यहीं आ जाएँगी वो दोनों।
मौसा - कल सोच रहा हूँ मैं भी छुट्टी कर लू।
मौसी - हम्म , बेटीचोद तुम तो जरूर छुट्टी ले लेना।
विक्की अब तक खलास हो चूका था। मौसी संतुष्ट नहीं हुई थी। मौसा उठ कर उनके पास पहुंचे और उनके बदन से खेलने लगे। विक्की थक कर अंदर मूतने चला गया था। सोनी अब मेरे लंड पर तेजी से कूद रही थी। मेरा लंड अपना माल छोड़ने के लिए बेकरार था।
पर उससे ज्यादा बेकरार कल के लिए था। कल तन्वी और उसकी माँ मिलने वालीं थी। दो नई चूतें मेरे लंड के नसीब थी। कल का दिन रंगीन होने वाला था।
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priyanshu30

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शाम को जब सब खाने पर बैठे तो विक्की और मैं बार बार सोनी की तरफ देख रहे थे। सोनी से आखिरकार रहा नहीं गया। वो बोली - पूछ क्या पूछना है ?
मौसी - क्या पूछना है इन दोनों को ? फैक्ट्री पसंद नहीं आई क्या ?
मैं - अरे नहीं मौसी , फैक्ट्री तो पसंद है।
मौसा - और मैंने कुछ और एडवांस दे दिया है। बस एक आध महीने में पुरे पैसे का जुगाड़ हो जायेगा तो कागजी कार्रवाई भी करवा लेंगे ।
मैं - पैसे की चिंता मत करिये। मैंने भी इंतजाम किया है।
मौसी - ये तो बढ़िया खबर है। फिर इनका मुँह क्यों लटका है ?
सोनी - इनको सीक्रेट रूम के बारे में जानना है।
मौसी - ये सीक्रेट रूम की क्या कहानी है ?
विक्की - वही तो हम भी जानना चाहते हैं।
मौसा को मुस्कुराता देख मौसी बोल पड़ी - आपको पता है ?
मौसा - हाँ। सोनी की साड़ी बातें मुझे पता है। वो मुझसे कभी कुछ नहीं छुपाती है।
मौसी - अन्वी या उसकी माँ के अलावा भी तुम दोनों के राज हैं क्या ?
सोनी - हाँ। बताती हूँ। खाना तो खा लो ।
मैंने और विक्की ने खाने में ऐसी रेस लगाई की मौसी को ही कहना पड़ा - अरे आराम से खा लो। ये कहीं भागी नहीं जा रही।
खैर खाना खाने के बाद महफ़िल फिर से मौसा के आंगन में शुरू हुई। इस बार वापस से सोनी मौसा के साथ झूले पर बैठने जा रही थी की मैं बोल पड़ा - आजा , सिर्फ मौसा से ही झूला झुलेगी क्या ? मेरे पास भी है झुलाने के लिए ।
सोनी ये सुनकर मेरे पास आई और मेरे गोद में बैठ गई। उसने एक छोटी सी स्लिप पहनी हुई थी और निचे एक पैंटी। ऊपर ब्रा नहीं पहना हुआ था। वो एकदम से मेरे लंड पर ही बैठी थी। अब मौसी और मौसा झूले पर थे। बेचारा विक्की ये देख मुँह बना लेता है। उसके लटके चेहरे को देख मौसा बोले - तू यहाँ आजा।
मौसा उठ कर दुसरे चेयर पर बैठ गए। विक्की झूले में मौसी के गोद में सर रख कर लेट गया।
अब सोनी ने उस रूम की कहानी शुरू की।


------------------------------------------------सीक्रेट रूम की कहानी सोनी की जुबानी --------------------------------------
ये तब की बात है जब मैंने अपनी बुटीक शुरू ही की थी। मेरे पास दो तीन लड़कियां ही थी। पापा ने एक छोटी सी दूकान दिलाई थी। दूकान से सट्टे हुए दो तीन दूकान और थी। बुटीक में सिर्फ एक कूलर हुआ करता था। लड़कियों में तन्वी भी थी और उसी ने अपने कुछ और दोस्तों को बुला लिया था। हमारा काम चल पड़ा था। धीरे धीरे हम करीब दस लड़कियां हो गेन थी। मैंने अंदर से कनेक्टेड एक और दूकान ले लिया था दुसरे को अपना ऑफिस और नाप लेने वाली जगह बना ली थी। हमारी ग्राहक अब कम्फर्टेबली नपाई दे सकती थी। ये आल गर्ल्स शॉप थी तो सिलाई का काम देने वाली बिलकुल बिंदास आती थी। धीरे धीरे स्टाफ लड़कियां भी आपस में खुल गईं थी। मेरी शख्त हिदायत थी की लड़कियां किसी लड़के को कभी अंदर नहीं लाएंगी। उनके रिश्ते उन्हें बाहर ही रखने थे।

सब सही चल रहा था। मैंने सभी का ड्रेस कोड भी बना दिया था। मैं नहीं चाहती थी की लड़के हमारे दूकान के आगे पीछे चक्कर काटें। पर लड़कियों ने मुझसे शिकायत शुरू कर दी। उनका कहना था बाहर से अंदर तक आने के लिए ड्रेस कोड तो ठीक है पर अंदर गर्मी रहती है। उन्हें कुछ फ्रीडम मिलनी चाहिए। आखिर मैंने उनसे कह दिया की वो अपने हिसाब से कुछ कपडे ला सकती हैं और पहन सकती हैं। नतीजा ये हुआ की लड़कियां हाफ पेंट , टी शर्ट , स्लीव्स इत्यादि लेकर आ गईं और उसे पहनने लगीं। फ्री वाली लड़कियां अंदर के रूम इ रहती थी। पर जैसा कि होता है , लड़कियां हर तरह की थीं। कुछ को ये गलत भी लगा। मैंने उन्हें किसी तरह मना लिया। मैंने तब जाकर सबके लिए कॉन्ट्रैक्ट बनाया। उसमे सबको साफ़ साफ़ मानना था की अंदर की बात बाहर नहीं जाएगी। कोई कैमरा या मोबाइल से फोटो नहीं लेगा। अपनी हरकतों की खुद वो जिम्मेदार होंगी इत्यादि इत्यादि। मेरा मकसद खुद को सेफ रखना था और लड़कियों की बदनामी भी नहीं होने देनी थी।

पर एक दिन हद हो गई । गर्मी ज्यादा थी तो एक लड़की ने अपना टी शर्ट भी उतार दिया। वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। वो लड़की और कोई नहीं तन्वी थी। उसकी इस हरकत पर सब सकते में आ गए। पहले तो कुछ लड़कियां हंसने लगीं। कुछ ने चेहरा निचे कर लिया पर थोड़ी देर बाद मैंने देखा कुछ और लड़कियों ने वैसा किया। मुझे ये देख बहुत गुस्सा आया। मैं अंदर पहुंची और उनसे बोलने लगी की ये हरकत सही नहीं है। वो आजादी का नाजायज फायदा उठा रही हैं।
उस पर तन्वी बोल पड़ी - कभी लड़को के टेलर शॉप में गई है ? कई तो सिर्फ बनियान में रहते हैं। हमें गर्मी लगे तो हम क्यों सहें।
मैं - उनसे क्या तुलना ? अगर किसी ने देख लिया तो ? बदनामी होगी।
तन्वी - इतना कमा रहे हैं। तीसरा कमरा भी ले लो। उसमे जिन लड़कियों को एकदम फ्री रहना हो रह लेंगी।
मैं - उसके बदले मैं एसी लगवा रही हूँ।
तन्वी - बात गर्मी की ही नहीं है। हमें अपने हिसाब से रहने दो न ।
मैं - आज तुम फ्री रहने को बोल रही हो। कल एक दुसरे के साथ लेस्बियन रिलेशन को भी बोलोगी , परसों सेक्स टॉय की बात करोगी।
ये सुन उनमे से एक लड़की बोल पड़ी - ये सब पहले से हो रहा है।
अब चौंकाने की बारी मेरी थी। मैंने कहा - क्या ?
तन्वी हँसते हुए कोने में बैठी दो लड़कियों की तरफ देखते हुए बोली - वो जिन्हे तुम सीता और गीता की जोड़ी कहती , वो बहनें नहीं हैं लव बर्ड्स हैं। बाकी तुम शीला का ड्रावर खोलो , उसमे वाइब्रेटर मिल जायेगा।
मैंने माथा पकड़ लिया। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मेरी हालत देख सबने कहा - दीदी, अगर तुम चाहती हो तो हम ये सब बंद कर देंगे। हमें अपनी नौकरी प्यारी है। आपका काम नहीं छोड़ना है।
मैं बिना पूरी बात सुने अपने केबिन में चली आई। तन्वी ने इशारा किया तो एक लड़की ने दूकान का शटर बंद कर दिया। तन्वी मेरे केबिन में ब्रा और पैंटी में आई और उसने केबिन का दरवाजा बंद कर दिया।

वो मेरे चेयर के पास आई और मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर बोली - अगर तुम्हे ये सब पसंद नहीं है तो हम सब वापस अपने पुराने रूप में चले आएंगे। पर ये मत भूलो की यहाँ काम करने की आजादी की वजह से ही लड़कियां बिना किसी शिकायत के कम पैसों में भी काम करने को तैयार हैं।
मैं तन्वी की बातें सुनते हुए उसके शरीर को देख रही थी। उसका गदराया शरीर मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था। मैं घर के खुले माहौल में शामिल नहीं होना चाहती थी पर बाहर इस तरह के मजे लेने की चाहत जागने लगी थी। मुझे माँ , विक्की और पापा के सेक्स की बातें पता थी। कई बार उन्हें करते देखा था पर मुझे वो सब अजीब लगता था। मैं उसके लिए तैयार नहीं थी। पापा से कोई शिकायत नहीं थी। और आज अजीब लग रहा था।
जब तन्वी ने देखा मैं उसकी बातें नहीं सुन रही बल्कि उसके शरीर में कहीं खोई हुई हूँ तो उसने झुक कर मुझे किस कर लिया। उसने जैसे ही मुझे किस किया मेरे तन बदन में आग सी लग गई। मैंने उसे अपने गोद में खींच लिया। हम दोनों एक दुसरे में खो गए। कुछ ही देर में मेरे बदन से भी सारे कायदे उतर गए। तन्वी तो पहले से तू पीस में थी। मेरे कपडे उतारते ही तन्वी मेरी चेयर के पास बैठ गई और उसने मेरे चूत पर मुँह लगा दिया। मैं जवान थी , अपने चूत में खुद से उँगलियाँ तो कई बार की थी पर अभी तक किसी और ने मेरे शरीर पर हाथ नहीं लगाया था। तन्वी के जीभ में जादू था। उसके चूत चाटने की कला की कायल तो मैं कुछ ही देर में हो गई। अब मुझे समझ आ रहा था माँ विक्की को पेटीकोट में क्यों घुसा लिया करती थी। माबीना अपनी चूत चटवाये विक्की से चुदती नहीं थी । ऐसा क्यों था आज मुझे समझ आया। मेरे सारे बदन में चींटिया सी रेंग रही थी। तन्वी मेरे चूत से खेल ही रही थी की कमरे में शीला ने एंट्री की। उसने भी कुछ नहीं पहना हुआ था। वो मेरे चेयर के पास आकर मेरे स्तनों से खेलने लगी। अब मेरे ऊपर दो तरफा वार हो रहे थे। शीला ने ना सिर्फ चेयर के पास आकर मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया बल्कि अपने स्तन मेरे मुँह में ठूंस दिए।
अब तन्वी ने अपनी एक ऊँगली मेरे चूत में डाल दी थी और होठों से मेरे क्लीट को चूस रही थी। मैं पता नहीं किस दुनिया में पहुँच गई थी। कुछ देर की चूत चुसाई के बाद मेरा बदन अकड़ने लगा था। पुरे शरीर में कंपन होने लगा था। मैं समझ गई अब मैं ओर्गास्म पाने वाली थी। और सच में कुछ देर में मेरी चूत में बाढ़ सी आ गई। मेरा पूरा शरीर काँप रहा था जिसे शीला ने संभाल रखा था। जब मैं स्थिर हुई तो देखा की तन्वी का पूरा होठ गीला था। मेरी आँख अपने आप बंद होने लगी। कक ही पल में चूमने की आवाज से मैंने आँखें खोली तो देखा शीला और तन्वी आपस में भिड़े हुए थे। शीला तन्वी के मुँह में लगे मेरे रस को चाट रही थी।
अपना आनंद और उन दोनों को उस हालत में देख मैंने कहा - अब बस करो। ये सब बाद के लिए।
शीला - वाह मेरी जान , अपना होते ही हमें बीच में छोड़ दिया ?
मैं - मैंने ये सब शुरू करने को नहीं कहा था।
तन्वी - ये सब छोडो। ये बताओ मजा आया की नहीं ?
मैं - तुमसे झूठ नहीं बोलूंगी। सच में पहली बार इतना मजा आया है।
तन्वी - फिर क्या सोचा लड़कियों के डिमांड के बारे में।
मैं - अगर तुम सबको कोई दिक्कत नहीं तो मुझे भी कोई दिक्कत नहीं। मैं तीसरा कमरा भी लेने की कोशिश करती हूँ। वो छोटा है और वहां जिसे जो करना है कर सकता है। बाकी बाहर वाले कमरे में कोई शरारत नहीं।
ये सुन दोनों ने मुझे चूम लिया।
मैंने शीला से कहा - जाकर सबको बता दो। शीला के बाहर जाते ही मैंने तन्वी को अपने टेबल पर पटक दिया और उसके चूत पर भीड़ गई। मुझे भी उसके चूत को चाट कर बहुत मजा आया।
कुछ महीनो बाद वो सीक्रेट कमरा भी बन गया। उसमे लड़कियां अधिकांश या तो नंगी होकर काम करती हैं या फिर सिर्फ ब्रा पैंटी में। आपस के अलावा वहां सेक्स टॉयज भी रखे होते हैं जिससे वो मजे ले लेती हैं।
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सोनी के कहानी सुनाते सुनाते में हम सबका कार्यक्रम चालू हो चूका था। सोनी की पैंटी उतर चुकी थी और मेरा लंड उसके चूत में था। पर सोनी उसके कण्ट्रोल में थी। वो बड़े आहिस्ता आहिस्ता कहानी सुनाते सुनाते मेरे लंड से अपने चूत को मथ रही थी। उधर मौसी की चुदाई चालू थी और विक्की खलास होने वाला था। पर संयम तो मौसा में था। वो बड़े मजे से व्हिस्की का सिप लेते हुए हमारी चुदाई देख रहे थे।
सोनी को चोदते चोदते मैंने कहा - यार पर मौसा , तन्वी और उसकी माँ की कहानी कब शुरू हुई ?
सोनी - उसके बाद ही।
मैं - कैसे ?
सोनी - वो कल खुद तन्वी और उसकी माँ से सुन लेना। कल उन्होंने तुम दोनों को बुलाया है।
मौसी - बहनचोद , ये दोनों वहां नहीं जायेंगे। उन दोनों को यहाँ बुला। जो होगा मेरे सामने होगा। वैसे भी उस तन्वी मादरचोद और उसकी माँ से मिले काफी दिन हुए। साली ने मेरे मर्द को ले लिया। अब मैं उन दोनों की लुंगी।
सोनी - ठीक है। भड़क क्यों रही हो। मैं बोल दूंगी। यहीं आ जाएँगी वो दोनों।
मौसा - कल सोच रहा हूँ मैं भी छुट्टी कर लू।
मौसी - हम्म , बेटीचोद तुम तो जरूर छुट्टी ले लेना।
विक्की अब तक खलास हो चूका था। मौसी संतुष्ट नहीं हुई थी। मौसा उठ कर उनके पास पहुंचे और उनके बदन से खेलने लगे। विक्की थक कर अंदर मूतने चला गया था। सोनी अब मेरे लंड पर तेजी से कूद रही थी। मेरा लंड अपना माल छोड़ने के लिए बेकरार था।
पर उससे ज्यादा बेकरार कल के लिए था। कल तन्वी और उसकी माँ मिलने वालीं थी। दो नई चूतें मेरे लंड के नसीब थी। कल का दिन रंगीन होने वाला था।
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Nice..keep it up
 

rkhedekar

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शाम को खाना खाने के बाद दीदी अपने कमरे में जाने लगी और बोली - कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा मुझे। थोड़ी प्राइवेसी चाहिए मुझे। माँ आप आपने लाडले का भी थोड़ा ख़याल रख लो। आजकल उदास दीखता है।
मुझे पता था की दीदी रात जीजू से वीडियो कॉल पर बात करेंगी फिर भी मैं अनजान बनता हुआ माँ से बोला - क्या हुआ माँ, दी ने ऐसे क्यों बोला।
माँ - कुछ नहीं रे पागल। दोपहर में वो अपने पति से बात कर रही थी मैंने आवाज लगा दी थी बस।
मैं - तुम भी ना। खैर चलो ना , कितने दिन हो गए हैं दुद्धू पिए।
माँ - चल कमरे में मैं आती हूँ।
मैं झट से माँ के कमरे में पहुँच कर नंगे ही बेड पैट लेट गया। माँ बाकी बचा खुचा काम निपटा कर आई। मुझे देख कर मुश्कुरा कर बोली - तू भी कितना पागल है रे। तेरु उम्र के लौंडे जवान चूत के चक्कर में पड़े रहते हैं और तू अपनी माँ के दूध से ही खेलता रहता है।
मैं - माँ , तो दिला दो न कोई जवान चूत। चाची ने श्वेता की बात करि थी पर वो तो गुंडा निकली । अब दीदी को ही शामिल कर लो। कम से कम चूत तो मिल जाएगी।
माँ - तू भी न घर की औरतों पर ही नज़र रखता है। कोई बाहर की जवान लौंडिया पट।
मैं - यार , आप भी न। दीदी की दिलाओ। बाहर की बाद में देखूंगा। अपना तो आप देती नहीं हो। कुछ ऐसा करो जिससे की वो भी हमारे साथ हो ले। काम से काम पुराने दिन तो लौटेंगे।
माँ - देखती हूँ। तू भी कोशिश कर। वैसे लगता है उसे कुछ अंदाजा तो है। देखा नहीं कैसे तेरा ख्याल रखने को बोल गई।
मैं - तो आओ न।
माँ ने अपनी साडी और ब्लॉउस दोनों उतार दिया । सिर्फ पेटिकट में आकर लेट गई। मैंने लपक कर उनके मुम्मो पर मुँह लगा दिया।
थोड़ी देर में ही मेरा लंड पूरी तरह से तैयार था।
माँ बोली - बड़ी जल्दी खड़ा कर लेता है इसे तू।
मैं - इतना गदराया माल हो तुम की झट से तैयार हो जाता है पर तुम हो की चूत के दर्शन करवाती ही नहीं हो।
माँ - सही समय आएगा तो ये भी मिल ही जाएगी। कह कर माँ उलटी होकर लेट गई। ये इशारा था मेरे लिए मैं उन पर चढ़ सकता हू।
मै माँ के ऊपर लेट गया और उनकी पेटीकोट कमर पर करके उनकी गांड की फांको के बीच में अपना लंड फंसा कर रगड़ने लगा।
मेरे लंड को अभी तक माँ की गांड ही नसीब हुई थी वो भी गांड के अंदर नहीं बस उसकी फांको के बीच।
उधर दीदी भी जीजा के साथ लगी हुई थी। मैंने आज दो बार पानी निकाल लिया था तो थक गया था सो गया।
माँ थोड़ी देर बाद उठी, ब्लॉउस के दो हुक लगाए । मूतने के बाद पानी पिने किचन में आई तो देखा दीदी भी वहां पानी पी रही थी।
माँ मुश्कुरा कर - हो गई मियां बीवी की बात। हो ली पानी पानी।
दीदी ने माँ को गालों पर चुम लिया और कहा - हाँ , बहा दिया पानी।
माँ - कुछ बचा है या सब वेस्ट कर दिया।
दीदी - है न चाहिए ?
माँ - ये भी पूछने की बात है।
दीदी को अंदाजा था की मैं सो चूका होऊंगा , सो वो बिना पैंटी के ही एक स्लिप डाल कर आई थी। उससे उनकी चूत और गांड का थोड़ा हिस्सा ही ढाका था।
माँ ने दीदी के कमर पर हाथ लगाया तो दीदी उचक कर किचन के स्लैब पर टांग फैलाये बैठ गई। माँ ने झुक कर उनकी चूत में मुँह लगा दिया।
अब माँ दीदी की चूत को चाटने में लग गई। अब सडप सडप की आवाज आने लगी।
दीदी - सससससस मायआआआ मस्त कुतिया की तरह चाटती हो तुम। पूरा खा जाओ। मुझे पता था की तुम्हे मेरी चूत का रस चाहिए। तभी तो बोल कर गई थी।
माँ - रंडी फिर दोपहर में काहे मना कर दिया। आवाज सुनकर तो मैं तब भी गई थी।
दीदी बात को छुपाते हुए बोली - गलती हो गई तभी तो अभी आ गई।
माँ - अगली बार ऐसी गलती की तो चूत सी दूंगी तेरा। तेरा मरद भी न छोड़ पायेगा।
दीदी - नहीं माँ। आह आह। ऐसी गलती नहीं होगी फिर। पहली बार पानी निकलना जब सिखाया था तभी से दे रही हूँ। तूने ही तो खुद से खुद को खुश करना सिखाया है। आह आह आह। जीभ अंदर डालो न।
माँ जीभ को गोल करके उनकी चूत में अंदर बाहर करने लगीं। फिर एक ऊँगली अंदर डाल दी।
दीदी - आह माआआ मेरे लौड़े को चूसो न जरा। साले ने मुझे गरम तो कर दिया पर मेरा पूरा नहीं हुआ। पानी निकलते ही बस सो गया।
माँ - सब मरद ऐसे ही होते हैं। तभी तो एक औरत का दर्द औरत ही समझ सकती है। मैंने तभी समय आने पर तुम दोनों को सब सिखाया था।
दीदी - आह आह। माआआआ ,मेरा होने वाला है।
कहकर दीदी ने खूब सारा पानी छोड़ दिया। माँ भी उनकी चूत से निकलते एक एक बूँद को चाट गईं।
दीदी बोली - मेरा हिस्सा। माँ ने तब उन्हें चूम लिया। अब दीदी माँ के होठो को चूमने लगी। माँ ने जीभ निकाल दी। दीदी ने उसे भी चूस लिया।
अब बारी दीदी की थी। वो निचे कूदी और माँ के पेटीकोट में घुस गईं। माँ ने भी अपने दोनों हाथो से उनका सर पकड़ा और अपनी चूत पर दबा दिया। दीदी की चूत चटाई से माँ गरम हो गई थी। माँ ने फिर दीदी के मुँह पर चूत सेट किया और कमर को ऐसे हिलाने लगी जैसे चुद रही हो। दीदी ने भी जीभ निकल दी थी जिसपर माँ अपनी चूत रगड़ रही थी। माँ के कमर की स्पीड बढ़ गई उन्होंने दीदी को जोर से पैरो के बीच में जकड लिया। थोड़ी ही देर में वो जोरदार तरीके से कांपने लगी और चरम स्थिति पर पहुँच गईं। दीदी ने भी उनको पूरी तरह से चाटा और फिर कड़ी हो गईं। माँ और उनके होठ फिर से आपस में जुड़ गए।
माँ - क्या नशा है रे तेरी चूत में। चुदाई के बाद से और भी रसीली और नशीली हो गई है तू।
दीदी - माँ तुम इतनी बड़ी चुदक्कड़ हो कैसे काम चलता है तुम्हारा। एक तुम हो जो तड़पती रहती हो और एक भाई है जिसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। कर लो उससे दोस्ती फिर खेलो चोदम चुदाई
माँ एकदम सीधी बनती हुई बोली - हाँ एक आध बार उसने लौंडिया पटाने की कोशिश तो की पर रिजेक्ट हो गया। पर मैं टी माँ हूँ। ऐसे कैसे उसके साथ कर लू।
दीदी - हमारे साथ करो तो कोई दिक्कत नहीं। उसके साथ दिक्कत है।
माँ - तू कर लेगी क्या उसके साथ सेक्स। बोल तो ऐसे रही है की वो तुझसे तेरी चूत मांगे तो दे देगी।
दीदी - तुम्हे कोई दिक्कत तो नहीं होगी न।
माँ - मुझे क्या , उसका कुछ काम हो जायेगा।
दीदी - अच्छा मैं दे दूंगी तो तुम भी दे दोग।
माँ - सोचूंगी।
दीदी उन्हें चूम ली और बोली - करती हूँ कुछ जुगाड़ मेरी चुदक्कड़ माँ।
दोनों फिर सोने चली गईं।
Bhai photo upload karo maza ayga
 

rkhedekar

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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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शाम को जब सब खाने पर बैठे तो विक्की और मैं बार बार सोनी की तरफ देख रहे थे। सोनी से आखिरकार रहा नहीं गया। वो बोली - पूछ क्या पूछना है ?
मौसी - क्या पूछना है इन दोनों को ? फैक्ट्री पसंद नहीं आई क्या ?
मैं - अरे नहीं मौसी , फैक्ट्री तो पसंद है।
मौसा - और मैंने कुछ और एडवांस दे दिया है। बस एक आध महीने में पुरे पैसे का जुगाड़ हो जायेगा तो कागजी कार्रवाई भी करवा लेंगे ।
मैं - पैसे की चिंता मत करिये। मैंने भी इंतजाम किया है।
मौसी - ये तो बढ़िया खबर है। फिर इनका मुँह क्यों लटका है ?
सोनी - इनको सीक्रेट रूम के बारे में जानना है।
मौसी - ये सीक्रेट रूम की क्या कहानी है ?
विक्की - वही तो हम भी जानना चाहते हैं।
मौसा को मुस्कुराता देख मौसी बोल पड़ी - आपको पता है ?
मौसा - हाँ। सोनी की साड़ी बातें मुझे पता है। वो मुझसे कभी कुछ नहीं छुपाती है।
मौसी - अन्वी या उसकी माँ के अलावा भी तुम दोनों के राज हैं क्या ?
सोनी - हाँ। बताती हूँ। खाना तो खा लो ।
मैंने और विक्की ने खाने में ऐसी रेस लगाई की मौसी को ही कहना पड़ा - अरे आराम से खा लो। ये कहीं भागी नहीं जा रही।
खैर खाना खाने के बाद महफ़िल फिर से मौसा के आंगन में शुरू हुई। इस बार वापस से सोनी मौसा के साथ झूले पर बैठने जा रही थी की मैं बोल पड़ा - आजा , सिर्फ मौसा से ही झूला झुलेगी क्या ? मेरे पास भी है झुलाने के लिए ।
सोनी ये सुनकर मेरे पास आई और मेरे गोद में बैठ गई। उसने एक छोटी सी स्लिप पहनी हुई थी और निचे एक पैंटी। ऊपर ब्रा नहीं पहना हुआ था। वो एकदम से मेरे लंड पर ही बैठी थी। अब मौसी और मौसा झूले पर थे। बेचारा विक्की ये देख मुँह बना लेता है। उसके लटके चेहरे को देख मौसा बोले - तू यहाँ आजा।
मौसा उठ कर दुसरे चेयर पर बैठ गए। विक्की झूले में मौसी के गोद में सर रख कर लेट गया।
अब सोनी ने उस रूम की कहानी शुरू की।


------------------------------------------------सीक्रेट रूम की कहानी सोनी की जुबानी --------------------------------------
ये तब की बात है जब मैंने अपनी बुटीक शुरू ही की थी। मेरे पास दो तीन लड़कियां ही थी। पापा ने एक छोटी सी दूकान दिलाई थी। दूकान से सट्टे हुए दो तीन दूकान और थी। बुटीक में सिर्फ एक कूलर हुआ करता था। लड़कियों में तन्वी भी थी और उसी ने अपने कुछ और दोस्तों को बुला लिया था। हमारा काम चल पड़ा था। धीरे धीरे हम करीब दस लड़कियां हो गेन थी। मैंने अंदर से कनेक्टेड एक और दूकान ले लिया था दुसरे को अपना ऑफिस और नाप लेने वाली जगह बना ली थी। हमारी ग्राहक अब कम्फर्टेबली नपाई दे सकती थी। ये आल गर्ल्स शॉप थी तो सिलाई का काम देने वाली बिलकुल बिंदास आती थी। धीरे धीरे स्टाफ लड़कियां भी आपस में खुल गईं थी। मेरी शख्त हिदायत थी की लड़कियां किसी लड़के को कभी अंदर नहीं लाएंगी। उनके रिश्ते उन्हें बाहर ही रखने थे।

सब सही चल रहा था। मैंने सभी का ड्रेस कोड भी बना दिया था। मैं नहीं चाहती थी की लड़के हमारे दूकान के आगे पीछे चक्कर काटें। पर लड़कियों ने मुझसे शिकायत शुरू कर दी। उनका कहना था बाहर से अंदर तक आने के लिए ड्रेस कोड तो ठीक है पर अंदर गर्मी रहती है। उन्हें कुछ फ्रीडम मिलनी चाहिए। आखिर मैंने उनसे कह दिया की वो अपने हिसाब से कुछ कपडे ला सकती हैं और पहन सकती हैं। नतीजा ये हुआ की लड़कियां हाफ पेंट , टी शर्ट , स्लीव्स इत्यादि लेकर आ गईं और उसे पहनने लगीं। फ्री वाली लड़कियां अंदर के रूम इ रहती थी। पर जैसा कि होता है , लड़कियां हर तरह की थीं। कुछ को ये गलत भी लगा। मैंने उन्हें किसी तरह मना लिया। मैंने तब जाकर सबके लिए कॉन्ट्रैक्ट बनाया। उसमे सबको साफ़ साफ़ मानना था की अंदर की बात बाहर नहीं जाएगी। कोई कैमरा या मोबाइल से फोटो नहीं लेगा। अपनी हरकतों की खुद वो जिम्मेदार होंगी इत्यादि इत्यादि। मेरा मकसद खुद को सेफ रखना था और लड़कियों की बदनामी भी नहीं होने देनी थी।

पर एक दिन हद हो गई । गर्मी ज्यादा थी तो एक लड़की ने अपना टी शर्ट भी उतार दिया। वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। वो लड़की और कोई नहीं तन्वी थी। उसकी इस हरकत पर सब सकते में आ गए। पहले तो कुछ लड़कियां हंसने लगीं। कुछ ने चेहरा निचे कर लिया पर थोड़ी देर बाद मैंने देखा कुछ और लड़कियों ने वैसा किया। मुझे ये देख बहुत गुस्सा आया। मैं अंदर पहुंची और उनसे बोलने लगी की ये हरकत सही नहीं है। वो आजादी का नाजायज फायदा उठा रही हैं।
उस पर तन्वी बोल पड़ी - कभी लड़को के टेलर शॉप में गई है ? कई तो सिर्फ बनियान में रहते हैं। हमें गर्मी लगे तो हम क्यों सहें।
मैं - उनसे क्या तुलना ? अगर किसी ने देख लिया तो ? बदनामी होगी।
तन्वी - इतना कमा रहे हैं। तीसरा कमरा भी ले लो। उसमे जिन लड़कियों को एकदम फ्री रहना हो रह लेंगी।
मैं - उसके बदले मैं एसी लगवा रही हूँ।
तन्वी - बात गर्मी की ही नहीं है। हमें अपने हिसाब से रहने दो न ।
मैं - आज तुम फ्री रहने को बोल रही हो। कल एक दुसरे के साथ लेस्बियन रिलेशन को भी बोलोगी , परसों सेक्स टॉय की बात करोगी।
ये सुन उनमे से एक लड़की बोल पड़ी - ये सब पहले से हो रहा है।
अब चौंकाने की बारी मेरी थी। मैंने कहा - क्या ?
तन्वी हँसते हुए कोने में बैठी दो लड़कियों की तरफ देखते हुए बोली - वो जिन्हे तुम सीता और गीता की जोड़ी कहती , वो बहनें नहीं हैं लव बर्ड्स हैं। बाकी तुम शीला का ड्रावर खोलो , उसमे वाइब्रेटर मिल जायेगा।
मैंने माथा पकड़ लिया। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मेरी हालत देख सबने कहा - दीदी, अगर तुम चाहती हो तो हम ये सब बंद कर देंगे। हमें अपनी नौकरी प्यारी है। आपका काम नहीं छोड़ना है।
मैं बिना पूरी बात सुने अपने केबिन में चली आई। तन्वी ने इशारा किया तो एक लड़की ने दूकान का शटर बंद कर दिया। तन्वी मेरे केबिन में ब्रा और पैंटी में आई और उसने केबिन का दरवाजा बंद कर दिया।

वो मेरे चेयर के पास आई और मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर बोली - अगर तुम्हे ये सब पसंद नहीं है तो हम सब वापस अपने पुराने रूप में चले आएंगे। पर ये मत भूलो की यहाँ काम करने की आजादी की वजह से ही लड़कियां बिना किसी शिकायत के कम पैसों में भी काम करने को तैयार हैं।
मैं तन्वी की बातें सुनते हुए उसके शरीर को देख रही थी। उसका गदराया शरीर मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था। मैं घर के खुले माहौल में शामिल नहीं होना चाहती थी पर बाहर इस तरह के मजे लेने की चाहत जागने लगी थी। मुझे माँ , विक्की और पापा के सेक्स की बातें पता थी। कई बार उन्हें करते देखा था पर मुझे वो सब अजीब लगता था। मैं उसके लिए तैयार नहीं थी। पापा से कोई शिकायत नहीं थी। और आज अजीब लग रहा था।
जब तन्वी ने देखा मैं उसकी बातें नहीं सुन रही बल्कि उसके शरीर में कहीं खोई हुई हूँ तो उसने झुक कर मुझे किस कर लिया। उसने जैसे ही मुझे किस किया मेरे तन बदन में आग सी लग गई। मैंने उसे अपने गोद में खींच लिया। हम दोनों एक दुसरे में खो गए। कुछ ही देर में मेरे बदन से भी सारे कायदे उतर गए। तन्वी तो पहले से तू पीस में थी। मेरे कपडे उतारते ही तन्वी मेरी चेयर के पास बैठ गई और उसने मेरे चूत पर मुँह लगा दिया। मैं जवान थी , अपने चूत में खुद से उँगलियाँ तो कई बार की थी पर अभी तक किसी और ने मेरे शरीर पर हाथ नहीं लगाया था। तन्वी के जीभ में जादू था। उसके चूत चाटने की कला की कायल तो मैं कुछ ही देर में हो गई। अब मुझे समझ आ रहा था माँ विक्की को पेटीकोट में क्यों घुसा लिया करती थी। माबीना अपनी चूत चटवाये विक्की से चुदती नहीं थी । ऐसा क्यों था आज मुझे समझ आया। मेरे सारे बदन में चींटिया सी रेंग रही थी। तन्वी मेरे चूत से खेल ही रही थी की कमरे में शीला ने एंट्री की। उसने भी कुछ नहीं पहना हुआ था। वो मेरे चेयर के पास आकर मेरे स्तनों से खेलने लगी। अब मेरे ऊपर दो तरफा वार हो रहे थे। शीला ने ना सिर्फ चेयर के पास आकर मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया बल्कि अपने स्तन मेरे मुँह में ठूंस दिए।
अब तन्वी ने अपनी एक ऊँगली मेरे चूत में डाल दी थी और होठों से मेरे क्लीट को चूस रही थी। मैं पता नहीं किस दुनिया में पहुँच गई थी। कुछ देर की चूत चुसाई के बाद मेरा बदन अकड़ने लगा था। पुरे शरीर में कंपन होने लगा था। मैं समझ गई अब मैं ओर्गास्म पाने वाली थी। और सच में कुछ देर में मेरी चूत में बाढ़ सी आ गई। मेरा पूरा शरीर काँप रहा था जिसे शीला ने संभाल रखा था। जब मैं स्थिर हुई तो देखा की तन्वी का पूरा होठ गीला था। मेरी आँख अपने आप बंद होने लगी। कक ही पल में चूमने की आवाज से मैंने आँखें खोली तो देखा शीला और तन्वी आपस में भिड़े हुए थे। शीला तन्वी के मुँह में लगे मेरे रस को चाट रही थी।
अपना आनंद और उन दोनों को उस हालत में देख मैंने कहा - अब बस करो। ये सब बाद के लिए।
शीला - वाह मेरी जान , अपना होते ही हमें बीच में छोड़ दिया ?
मैं - मैंने ये सब शुरू करने को नहीं कहा था।
तन्वी - ये सब छोडो। ये बताओ मजा आया की नहीं ?
मैं - तुमसे झूठ नहीं बोलूंगी। सच में पहली बार इतना मजा आया है।
तन्वी - फिर क्या सोचा लड़कियों के डिमांड के बारे में।
मैं - अगर तुम सबको कोई दिक्कत नहीं तो मुझे भी कोई दिक्कत नहीं। मैं तीसरा कमरा भी लेने की कोशिश करती हूँ। वो छोटा है और वहां जिसे जो करना है कर सकता है। बाकी बाहर वाले कमरे में कोई शरारत नहीं।
ये सुन दोनों ने मुझे चूम लिया।
मैंने शीला से कहा - जाकर सबको बता दो। शीला के बाहर जाते ही मैंने तन्वी को अपने टेबल पर पटक दिया और उसके चूत पर भीड़ गई। मुझे भी उसके चूत को चाट कर बहुत मजा आया।
कुछ महीनो बाद वो सीक्रेट कमरा भी बन गया। उसमे लड़कियां अधिकांश या तो नंगी होकर काम करती हैं या फिर सिर्फ ब्रा पैंटी में। आपस के अलावा वहां सेक्स टॉयज भी रखे होते हैं जिससे वो मजे ले लेती हैं।
--------------------------------------------वर्तमान समय - ---------------------------------------
सोनी के कहानी सुनाते सुनाते में हम सबका कार्यक्रम चालू हो चूका था। सोनी की पैंटी उतर चुकी थी और मेरा लंड उसके चूत में था। पर सोनी उसके कण्ट्रोल में थी। वो बड़े आहिस्ता आहिस्ता कहानी सुनाते सुनाते मेरे लंड से अपने चूत को मथ रही थी। उधर मौसी की चुदाई चालू थी और विक्की खलास होने वाला था। पर संयम तो मौसा में था। वो बड़े मजे से व्हिस्की का सिप लेते हुए हमारी चुदाई देख रहे थे।
सोनी को चोदते चोदते मैंने कहा - यार पर मौसा , तन्वी और उसकी माँ की कहानी कब शुरू हुई ?
सोनी - उसके बाद ही।
मैं - कैसे ?
सोनी - वो कल खुद तन्वी और उसकी माँ से सुन लेना। कल उन्होंने तुम दोनों को बुलाया है।
मौसी - बहनचोद , ये दोनों वहां नहीं जायेंगे। उन दोनों को यहाँ बुला। जो होगा मेरे सामने होगा। वैसे भी उस तन्वी मादरचोद और उसकी माँ से मिले काफी दिन हुए। साली ने मेरे मर्द को ले लिया। अब मैं उन दोनों की लुंगी।
सोनी - ठीक है। भड़क क्यों रही हो। मैं बोल दूंगी। यहीं आ जाएँगी वो दोनों।
मौसा - कल सोच रहा हूँ मैं भी छुट्टी कर लू।
मौसी - हम्म , बेटीचोद तुम तो जरूर छुट्टी ले लेना।
विक्की अब तक खलास हो चूका था। मौसी संतुष्ट नहीं हुई थी। मौसा उठ कर उनके पास पहुंचे और उनके बदन से खेलने लगे। विक्की थक कर अंदर मूतने चला गया था। सोनी अब मेरे लंड पर तेजी से कूद रही थी। मेरा लंड अपना माल छोड़ने के लिए बेकरार था।
पर उससे ज्यादा बेकरार कल के लिए था। कल तन्वी और उसकी माँ मिलने वालीं थी। दो नई चूतें मेरे लंड के नसीब थी। कल का दिन रंगीन होने वाला था।
Shandar lovely super hot update 🔥 🔥
 
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