अगले दिन सुबह सोनी ने अन्वी के यहाँ फ़ोन किया। अन्वी ने अपनी माँ से बात की। पर उन्होंने मना कर दिया। उनके विचार से परदे के पीछे से जो हो रहा है वो भी गलत है। इस खुल्लम खुल्ला सेक्स और मस्ती तो बिलकुल ही गलत होगा। ये सब सुनकर सबका मुँह उतर गया। तब मौसी ने अन्वी से कहा - जरा उसकी माँ को फ़ोन लगा। मैं बात करती हूँ।
मौसी ने फिर तन्वी की माँ से अलग जाकर बात की। ना जाने क्या बात हुई पर मौसी ने कहा - वो दोनों आने के लिए तैयार हो गई हैं।
सबके चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी। सोनी ने भी अपनी माँ का लोहा मान लिया। अब मुझे भी समझ आने लगा था सोनी के इतना आगे बढ़ने में माँ बाप दोनों के जींस का हाथ था। सोनी तैयार होकर ऑफिस चली गई। उसने कहा था की लंच तक आ जाएगी। मौसा ने पहले हो छुट्टी ले ली थी। मौसी किचन में खाने में लग गई थी। उन सबको खाने के टाइम ही आना था। प्लान था की अन्वी और सोनी दोनों लंच तक आ जाएँगी और तन्वी की माँ को लेते हुए घर आएगी। मैं , मौसा और विक्की तब तक आपस में बैठ कर बिजनेस प्लानिंग करने लगे। हमें फैक्ट्री के दाम के हिसाब से पैसों का जुगाड़ भी करना था। माँ ने पहले ही बता दिया था की पिताजी की काफी सेविंग है जो खर्च नहीं हुई है। उसे मैं लगा सकता था। पर मैं सब खर्च नहीं करना चाहता था। पर मौसा ने भी काफी बचा रखा था। चूँकि इस इन्वेस्मेंट से विक्की और सोनी दोनों सेट हो जाते , इस लिए वि सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार थे। मौसी ने उन्हें दोनों बच्चों की शादी का याद दिलाया तो वो बोले , उसके लिए अलग से रेकरिंग कर राखी है। मौसा काफी समझदार थे। वैसे भी विक्की का मामला सेट था तो ज्यादा खर्च नहीं होने वाले थे। सुधा दी के ससुराल वालों ने भी पैसा जोड़ रखा था। सोनी का पता नहीं था।
खैर ये सब करते करते दोपहर हो गई। मौसी ने खाना बना कर नहा लिया था। हम सब भी बीच बीच में नहा धोकर आ चुके थे।
दोपहर में सोनी, तन्वी और उसकी माँ आ गई। अन्वी ने एक टाइट पेंट और टी शर्ट पहना हुआ था। उसके पेंट के अंदर से पैंटी लाइन क्लियर दिख रही थी। सोनी तो बिजनेस अटायर में थी। फॉर्मल शर्ट , पेंट। उसका पेंट भी टाइट था। उसके शर्ट में आगे बटन लगे थे जिसमे से ऊपर के कुछ खोल रखे थे जिससे उसके चूचियों की नालियां साफ़ साफ़ दिख रही थी। अन्वी की माँ ने एक सुन्दर सी गुलाबी साडी पहनी हुई थी। साडी थोड़ी ट्रांसपेरेंट थी।
मौसी और मौसा ने अन्वी और उसी माँ का स्वागत किया। कुछ देर हम सब ड्राइंग रूम में बैठे थे। मौसी ने कुछ चाय , माश्ता करवाया। पुरे समय मैं और विक्की सिर्फ अन्वी और उसकी माँ को ही देखते रहे। विक्की की ज्यादा नजर तो अन्वी पर थी। वो उसे कई महीनों या कहें सालों से चोदने के फिराक में थे। मस्त माल थी वो। पर मेरी नजर तो उसकी माँ पर टिकी थी। वो अन्वी की बड़ी बहन से ज्यादा नहीं लग रही थी। शरीर एकदम मैंटेन कर रखा था। उनका पिछवाड़ा और मुम्मे अन्वी से कुछ बड़े थे। मौसा ने हमेशा की तरह पूरा संयम रखा था। मौसी से उन दोनों की मुलाकात कम ही थी। पर आज वो भी पुरे नजर से उन दोनों को देख रही थी। उन्हें एहसास हो गया था की मौसा की दिल इन दोनों पर ख़ास कर अन्वी की माँ पर क्यों फिसला था। वैसे मौसी भी कम नहीं थी पर अन्वी की माँ के आगे थोड़ी कम ही थी। इन दोनों माल के चक्कर में सोनी थोड़ा अजीब फील कर रही थी। जहाँ मौसा और मौसी एक सोफे पर थे वहीँ अन्वी और उसकी माँ दुसरे सोफे पर। सोनी , मैं और विक्की ने चेयर खींच लिया था।
नाश्ते के टाइम पर थोड़ी बहुत बात चीत हो रही थी। अन्वी की माँ थोड़ा संकोच कर रही थी।
तो बात आगे बढ़ाते हुए मौसी ने ही उनसे पुछा - आपने फैक्ट्री देखि क्या ?
अन्वी की माँ - अभी नहीं। आपने?
मौसी - हाँ , देखि है।
अन्वी की माँ - अब फैक्ट्री हो जाएगी तो सोनी बेटी का काम आगे बढ़ जायेगा।
मौसा - सोनी की ही क्यों अन्वी भी उसमे आगे बढ़ेगी।
सोनी - हाँ , मुझमे और अन्वी में अंतर थोड़े ही है। जैसी मैं इनकी बेटी वैसे अन्वी भी।
तभी विक्की बोल पड़ा - तुझसे पहले पापा की बेटी अन्वी बनी है। तू पीछे रह गई।
ये बात ज्यादा किसी को समझ में नहीं आई पर मैं , मौसा और सोनी समझ गए।
सोनी - साले मुँह बंद रखा कर वरना यहीं सबके सामने तोड़ दूंगी।
विक्की - मुँह तोड़ेगी तो चटवायेगी कैसे।
ये सुनकर सब हंस पड़े। ऐसे ही हंसी मजाक से माहौल थोड़ा खुल सा गया। मौसा ने फिर विक्की से कहा - यार वैसे तू हमेशा दारु की बात करता है पर आज माहौल है तो ना जाने कहाँ खो गया है।
मैं - मौसा जब इतना सारा नशा सामने हो तो दारु किसे याद रहेगा। देखिये तो ये अन्वी के आँखों में ही डूब गया है।
विक्की ने भी मजे लेते हुए बोला - और तू उसकी अम्मा में।
मैं - बात तो सही है। दोनों में भरपूर नशा है पर आंटी की बात अलग है। क्यों मौसा ?
मौसा - सो तो है। नशे की तो यहाँ चार चार बोतलें हैं। पर इन बोतलों को खोलने के लिए असली वाली भी चाहिए। समझा कर।
सब समझ गए की मौसा क्या कहना चाहते हैं। बिना नशे के मौसी और सोनी तो सबके सामने चुद जाएँ, शायद अन्वी भी तैयार हो जाये पर उसकी माँ संकोच करती। मौसा की बात समझ कर हम मैं और विक्की फटाफट भाग कर बियर की बोतलें ले आएं। सोनी और मौसा ने सिगरेट भी जला लिया। एक बोतल अंदर जाने के बाद मौसी बोलीं - मैं खाना तैयार करती हूँ। पूड़ियाँ टालनी बची है।
अन्वी की मां भी उठ गईं और बोली - चलिए मैं भी थोड़ी मदद करती हूँ।
दोनों औरतें किचन में चली गईं। विक्की तो अन्वी के चक्कर में था। अब सोफे पर वो अकेली थी तो वो उठ कर वहां चला गया। ऐसे ही सोनी मौसा के पास। आज चुदाई का कार्यक्रम था तो अन्वी को भी कोई ऐतराज नहीं था। उसे पता था वो आज चुद कर रहेगी और सबसे पहले उसका शिकार विक्की ही करेगा। उसे अंदाजा था की मेरी नजर उसकी माँ पर है। मैं कुछ देर बाद उठ कर किचन में चला गया। मौसी और अन्वी की माँ पूड़ियाँ बनाने में लगी थी। एक बेल रही थी और एक तल रही थी।
मैंने किचन में जाकर कहा - कुछ मैं भी मदद कर दूँ क्या ?
मौसी - तू मदद करेगा या काम बिगाड़ेगा। जा यहाँ से। अन्वी के पास जा।
मैं - अरे अन्वी के पास तो विक्की है। मुझे तो आप लोगों के पास ही अच्छा लगता है। मैं कुछ मदद कर देता हूँ।
मौसी - मानेगा तो है नहीं। चल सलाद काट दे।
मैंने फ्रिज खोला वहां गाजर , खीरा और मूली पड़े थे। मुझे मस्ती सूझी। मैंने अन्वी की माँ से पुछा - आंटी आपको मोटे पसंद हैं या लम्बे ?
अन्वी की माँ - क्या मतलब ?
मौसी भी पलट कर हँसते हुए देखने लगीं।
मैं - अरे मेरे कहने का मतलब है गाजर, खीरा , मूली में से मोटे लूँ या लम्बे ?
मौसी हँसते हुए - लम्बे तो सबको अच्छे लगते हैं। वैसे तेरे हाथ में लम्बे ही सही लगते हैं।
आंटी - पर मोटे वाले तगड़े और थोड़े तीखे होंगे।
मैं - आंटी यहाँ तो सब मोटे ही हैं। वैसे तीखेपन हटाने के लिए उन्हें नमकीन कर लेते हैं। मौसी जरा इस खीरे पर नमकीन पानी तो लगाओ।
मौसी हलके शरूर में थी। उन्होंने छिला हुआ खीरा लिया और अपनी साडी उठा कर उसे चूत में घुसा लिया। कुछ देर अंदर बाहर करने के बाद उन्होंने खीरा दिया और कहा - देख अब सही है ?
मैंने वो खीरे साबुत हो चूस लिया और कहा - हाँ अब ये मस्त हो गया है ।
मैंने फिर एक मूली उठाई और उसे भी साफ़ करके मौसी की तरफ बढ़ाया। मौसी ने कहा - जरा आंटी से भी कुछ सेवा ले ले। अभी थोड़ी देर पहले बड़ा नशा नशा कर रहा था। क्या पता तेरे सलाद से ही सबको चढ़ जाए।
मैंने मूली आंटी की तरफ बढ़ाया। वो शरमा गईं। मौसी - अरे अभी इनडाइरेक्ट कह रहे हैं , कुछ देर में डाइरेक्ट नशा देंगी। वैसे आपके नमकीन पानी की तारीफ उसके मौसा बहुत करते हैं। कह रहे थे एक दिन कॉकटेल पिएंगे।
मैं - आंटी कॉक तो मेरा खड़ा हो गया है। पर पहले इस मूली को स्वादिष्ट करिये।
आंटी ने भी आखिर कार मूली ले ली और मौसी की तरह ही अपने चूत में डाल कर दो तीन बार अंदर बाहर किया फिर मुझे थमा दिया। अब मैं सलाद काटने में फिर लग गया। मुझे पता था की जल्दी ही कॉकटेल मिलेगा।
मौसी - कुछ टमाटर भी ले ले।
मैं - गोल गोल बड़े टमाटर सही कटते हैं।
मौसी - हाँ अंदर हैं। उनमे रस भी है। अरे देख अंदर निम्बू भी होगा।
मैं - मौसी अब यहाँ निम्बू किसके पास है। वैसे फ्रूट सलाद काटना हो तो खरबूजा काट दूँ।
मौसी हँसते हुए - निम्बू है अंदर। खरबूजा तो ले आना पड़ेगा।
आंटी का चेहरा लाल हो रहा था। मैं और मौसी पुरे दुअर्थी शब्दों से मजे ले रहे थे ?
मौसी - दबा के देख लेना रस है या नहीं।
मैं - लग रहा है रस तो बहुत है , दबाने में बहुत मजा आएगा। क्यों आंटी ?
आंटी ने भी अब शर्म छोड़ दी और कहा - अब तो दबाने वाला ही बता पायेगा की रस है या नहीं।
मैं - कहिये तो दबा कर देख लूँ ?
आंटी - देख लो।
मैं टमाटर लेकर उनके पीछे खड़ा हो गया। निम्बू उनके हाथ में देते हुए बोला - आप निम्बू चेक करिए मैं खरबूजा चेक करता हूँ। मैं उनके पीछे से चिपक गया और अपने हाथ उनके मुम्मो पर रख दिया। सच में मस्त माल थीं। एकदम रसभरी। मुलायम मुलायम मुम्मे दबाने में मुझे मजा आ रहा था।
तभी मौसी ने कहा - देख जरा मेरे चेहरे पर पसीना आ गया है। जरा पोछ भी दे।
मैंने उन्हें अपने पास खींचा और उनके चेहरे को अपने जीभ से चाट कर बोला - अब इतना स्वादिष्ट पानी तो पीना बनता है।
मौसी ने भी अपना चेहरा घुमा घुमा कर पूरा चटवाया और बोली - तू ऐसे करता है तो पुरे बदन से पानी बहने लगता है।
मैं - मुझे पानी पीने में ही तो मजा आता है। आंटी आके चेहरे पर भी पसीना आ रहा है। कहिये तो साफ़ कर दूँ।
आंटी के ऊपर खुमारी चढ़ चुकी थी। उन्होंने कहा - मैं मन कर दूंगी तो मान जाओगे क्या ?
मैं - नहीं आंटी , आपको देख कर कण्ट्रोल ही नहीं होता।
मैं उनके गाल भी चाटने और चूसने लगा। मेरा लौड़ा पुरे शबाब पर था और उनके गांड में घुसा जा रहा था। मेरे हाथ उनके मुम्मो पर थे।
आंटी ने मेरे लौड़े को पकड़ लिया और बोली - ये तो लग रहा है अब तुम कण्ट्रोल से बाहर हो।
मैं - आंटी वो आपका नमकीन पानी पीना है।
आंटी अब मदहोश हो चुकी थी। वो कुछ कहती उससे पहले ही मैं निचे बैठ कर उनकी साडी में घुस गया। उनकी पैंटी सच में गीली हो चुकी थी। मैंने पैंटी के ऊपर से ही मुँह लगा दिया। मेरे मुँह लगाते ही उनके मुँह से सिसकारी निकल गयी पर तुरंत वो दब गई। लगता है मौसी ने उन्हें किस कर लिया था। क्योंकि मुझे लग रहा था मैं दो शरीर के बीच में हूँ। मैंने अपने आपको थोड़ा एडजस्ट किया। दोनों औरतें एक दुसरे को किस कर रही थी और मैं नीचे से आंटी के चूत को चाट रहा था। आंटी पहले से पनिया चुकी थी और फिर गरमा गरम बातों का असर था , उन्होंने अपने कमर को मेरे मुँह पर ही रगड़ना शुरू कर दिया। कुछ ही देर की चुसाई के बाद वो धराशाही हो गईं। पर मैं उठा नहीं बस मैंने साडी बदल ली। अब मैं आंटी की जगह मौसी की साडी के अंदर था। कुछ देर बाद जब बाहर आया तो मेरा पूरा चेहरा ख़ास कर होठ और नाक पूरी तरह से गीले थे। मैं खड़ा होकर बोला - अब कुछ नशा चढ़ा। मजा आ गया। ेरी हालत देख कर आंटी तो हंस पड़ी पर मौसी कमिनी मेरे चेहरे को चाटने लगीं। उन्होंने ने मुझे पूरी तरह से चाट कर अपना और आंटी के चूत का रस खुद ले लिया। अब दोनों औरतें फिर से काम में लग गईं।
मौसी ने मुझसे कहा - जाकर देख उधर क्या हो रहा है। खाना तैयार होने को है।
मैंने भी प्लेट और कटोरियाँ ले लीन और डाइनिंग टेबल की तरफ चल पड़ा। वहां का नजारा अलग ही था। मौसा ने सोनी के शर्ट के बटन खोल लिए थे और उसके स्तनों को दबा रहे थे और उधर अन्वी निचे बैठ कर विक्की के लौड़े को चूस रही थी। विक्की की आँखें बंद थी। मुझे पता था वो कुछ ही पल में अपना माल उसके मुँह में छोड़ देगा।
मुझे देख कर अन्वी मुस्कुराई और मौसा के गोद से उठ खड़ी हुई। मैं डाइनिंग टेबल के पास था तो उसने मुझे वहीँ रुकने का इशारा किया और मुझे एक चेयर पर बिठा कर मेरे पेंट को उतार दिया। अब मेरा लौड़ा उसके मुँह में था।
उधर विक्की के लंड से जूस निकाल कर अन्वी मौसा के खड़े लंड पर भीड़ गई। विक्की बेचारा झड़ने के बाद उठा और एक बियर की बोतल और उठा लिया। अब दोनों जवान लौंडिया लंड चूसने में व्यस्त हो गईं। कुछ ही देर में है दोनों भी खलास हो गए।
अब हालत ये थी की सोनी ने अपना शर्ट उतार दिया था और टॉपलेस थी। मैं और मौसा बिना पेंट के थे। विक्की ने भी अपना पेंट उतार दिया था। मौसी और आंटी ने खाना लगाना शुरू कर दिया था। अब मौसा ने अन्वी के कपडे उतार दिए और उसे सोफे के सहारे खड़ा कर दिया। वो एक कुतिया की तरह हो गई थी।
उन्हें चोदने वाले मूड में देख कर मौसी बोली - अरे खाना तो खा लेते।
मौसा - अब मूड बना है तो पहले ये काम कर लें।
अन्वी - हाँ। मैं भी चुदास हो चुकीं हूँ। अब चोद दो मुझे।
मौसा - चिंता मत कर मैं तेरी चूत की प्यास बुझाने के लिए ही तैयार हूँ।
उन्होंने ने पीछे से अपना लंड उसके चूत में घुसा दिया। किसी को उम्मीद नहीं थी की चुदाई की शुरुवात अन्वी और मौसा करेंगे। उनको चुदाई करता देख अन्वी ने अपना पेंट उतार दिया और मुझसे बोली - राज मुझे चोद दो। मेरी चूत भी बहुत प्यासी है। मैंने उसे गोद में उठा और डाइनिंग टेबल पर लिटा दिया। मैंने उसके दोनों पैर उठा कर अपने कंधो पर किया और उसके चूत पर अपना लंड लगा कर एक ही झटके में उसे पेल दिया। अब मैं सोनी की चुदाई करने में लगा था। दोनों लौंडिया मस्त चुद रही थी। और ये देख कर विक्की , मौसी और आंटी गरम हो रहे थे।