-----------------------------------------------दीदी की जुबानी उनके जवानी की कहानी [फ्लैशबैक 7] ------------------------------
एक बार ऐसे ही गर्मियों को छुट्टी में हम सब इक्कठा थे। लीला दी के मुम्मे काफी बड़े हो गए थे। उनका बदन भी फैलने लगा था। उनकी जांघें मोटी होती जा रही थी। एक रात जैसे ही तुम सब सो गए , हम दोनों फिर से दबे पाँव नाना के कमरे की तरफ बढे। जैसे ही हम उधर जा रहे थे की हमें किसी और कमरे से सिसकारियों की आवाज आई। हम दोनों ने आवाज का पीछा किया तो वो मामा के कमरे से आ रही थी। हमें ये तो पता था की मामा भी कहीं न कही से सबके साथ सेक्स करने लगे है।
वैसे तो उनकी उम्र मुझसे थोड़ी ही ज्यादा थी , पर गाँव का खाया पीया शरीर था तो अच्छे खासे जवान लगते थे। हम धीरे से उनके कमरे के पास पहुंचे। वहां भी हम उनके कमरे की खिड़की से झाँका। अंदर देखा तो नानी बिस्तर पर नंगी ही लेटी हुई थी और मामा उनके बगल में लेट कर उनका दूध पी रहे थे। माँ नानी की चूत चाटने में लगी थी। सिसकियों की आवाज नानी की थी।
मुझे पता नहीं क्यों उन तीनो को देखकर बुरा नहीं लगा। मामा एकदम बच्चे की तरह नानी की एक चूची को चूस रहे थे और दुसरे को अपने हाथो से दबा रहे थे।
मौसी वहां नहीं थी। हम दोनों ने एक दुसरे की तरफ देख। हमें समझ आ गया की मौसी नाना के साथ होंगी।
हम तो यहाँ का खेल देख मजे ले रहे थे। मेरी ऊँगली हमेशा की तरह अपनी चूत में घुस गई। लीला दी ने भी वही किया।
अंदर से नानी की आवाज आई - इस्सस सरोज , कितना चाटेगी। काम से काम तीन बार तो मेरा माल पी चुकी है।
माँ - मेरा मन कहाँ भरता है तेरे रास से अम्मा। एक बार और।
नानी - आह आह , अब मेरी चूत को लंड चाहिए। अब विजय ( मामा का नाम विजय था ) को कुछ मेहनत करने दे न। देख उसका लंड कितना अकड़ गया है।
माँ - तुझे भी न बस लंड चाहिए होता है। साली सुशीला ने भी बाउजी पर कब्ज़ा कर रखा है। वार्ना तुम्हे वही चोद देते।
नानी - सही कह रही है। देख न दो दो लंड घर में हैं पर तुम दोनों बहने एक भी नहीं लेने दे रही हो। ना जाने सुशीला के मन में क्या है , आज तो तेरे बाउजी के कमरे में जाने से भी मना कर दिया है।
माँ ने फिर नानी की चूत छोड़ दी। वो नानी के बगल में लेट गई। मामा ने झट से पाला बदल लिया और नानी के ऊपर चढ़ गए।
वो एकदम नौसिखिये की तरह बिना पूरा लंड डाले ही कमर हिलाने लगे।
उस पर माँ हंसने लगी। नानी ने कहा - मादरचोद महीनो से चोद रहा है पर अब भी लंड कहाँ डालना है बताना पड़ता ह।
मामा - माफ़ कर दे अम्मा। तुझे देख बर्दास्त नहीं होता।
नानी ने फिर उनका लंड पकड़ा और अपनी चूत पर सेट किया और कहा - अब अंदर आराम से डाल।
मामा ने अबकी बार नानी की चुत में लंड सही सही डाला और चोदने लगे । मामा की नादानी पर हमें भी हंसी आई।
नानी ने तभी माँ से कहा - तूने तो मेरी खूब मलाई खाई है अभी। अब तू खिला।
माँ मादक अंदाज में उठी और उन्होंने नानी के चेहरे पर इस तरह से बैठ गई जिससे उनकी चूत एकदम नानी के मुँह से लग जाए। नानी ने फिर अपना जीभी निकाल लिया और उनकी चूत चाटने लगी।
ये देख मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। मैं वहीँ खिड़की के पास ही जमीन पर बैठ गई। मैं इन लोगो को देखने में इतना खो गई थी की मुझे पता ही नहीं चला की लीला दी कब वहां से चली गई।
कुछ देर बाद मैंने अंदर झाँका तो देखा मामा और माँ नानी के दोनों तरफ लेटे है। लगता था मामा झाड़ चुके थे।
मैं चुपके से उठी और नाना के कमरे से लगी खिड़की की तरफ बढ़ी। मुझे उम्मीद थी की लीला दी अब अपनी माँ और नाना का खेल देख रही होंगी। पर मैंने देखा लीला दी वहां नहीं हैं।
मैंने आस पास देखा वो नहीं थी। फिर मैंने कमरे में झाँका तो अंदर का सीन देख दंग रह गई। देखा की नाना बिस्तर पर लेटे हैं और मौसी का दूध पी रहे है। मौसी को अब भी दूध आता था।
[ मौसी के भी दरअसल तीन बच्चे थे। लीला दी के बाद एक लड़का था विकास हो सरला दी के उम्र का था और एक छोटी लड़की थी सुरभि। वो हम सबमे सबसे छोटी थी। श्वेता की उम्र की । जब ये सब काण्ड हो रहा था तो लीला दी , सुधा दी जवानी की दहलीज पर कदम रख चूँकि थी। सरला दी और विकास भी बस बड़ी हो रहे थे। मैं और सुरभि बच्चे ही थे। हम चारों दिनभर गाँव भर में घुमते और खेलते थे।
रात में थक कर चूर रहते थे। सुरभि की वजह से अब भी मौसी का दूध आता था । वैसे ही मेरी वजह से माँ को। नाना को चुदाई से पहले इनका ताजा दूध चाहिए होता था ]
लीला दी नाना का लंड चूसे जा रही थी। कुछ देर चूसने के बाद लीला दी ने कहा - अब मुझे नाना का लंड मेरी चूत में चाहिए।
ये सुन मेरी तो हालत खराब हो गई। कैसे वो नाना का इतना बड़ा लंड लेने को तैयार हैं। मेरी ही नहीं मौसी भी भौंचक्की रह गई।
बोली - तू अभी छोटी है।
लीला दी - चुप रहो माँ। मैं छोटी नहीं हूँ। तुम सबको पता है ये रोज रोज का खेल देख कर मैं और सुधा चूत में ऊँगली करते हैं। अब मैं उंगलि नहि करुँगी। मुझे तो नाना का प्यारा लंड चाहिए।
मौसी - चूत में ऊँगली अलग बात है लीला पर बाउजी के लंड को तो अब तक हम पूरा नहीं ले पाते है।
लीला दी अदि हुई थी। उन्होंने कहा- मुझे तो चाहिए बस। घर की सब रंडियां जिससे चाहे चुद लेती हैं। हमें क्यों रोक लगी है। जवान हो गई हूँ। बाहर का लंड भी ले सकती हूँ। समझी।
मौसी - तू चुदास हो रखी है। चल नानी के पास वो तुझे शांत कर देंगी।
लीला दी - वो तो खुद मामा से चुद रही है। पर उस चुदक्कड़ की प्यास नहीं बुझेगी। अभी देखना आ जाएगी। उसके आने से पहले मुझे चुदना है।
नाना के तो मजे हो गए थे। एक कुँवारी चूत मिल गई थी जिसे वो कब से चोदना चाह रहे थे।
मौसी - बाउजी आप ही समझाइये न।
नाना - देख किसी न किसी दिन तो ये होना ही है। आज ही सही।
मौसी - आप भी न , घात लगाए बैठे थे। कुछ हो गया इसे तो।
लीला दी - देखो माँ अब मेरे मूड की माँ बहन मत करो। नाना का लंड छोस कर खड़ा किया है। चूत भी इतनी चुदाई देख कर पूरी पनिया चुकी है। सूखे उससे पहले चुद लेने दो।
मौसी इन दोनों के जिद्द के आगे थक गई। उन्होंने कहा - जब मरने को तैयार है तो मैं क्या ही करु। रुक थोड़ा तेल माँगा लेने दे।
उन्होंने आवाज दी - सुधा चौके से जरा तेल ले आ। मुझे पता है तू सब देख रही है।
मुझे पता था की सबको हमारा छुप कर देखना पता है। पर आज सब सामने आ जायेगा ऐसा मैंने नहीं सोचा था। लीला दी के ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था।
मैं चौके की तरफ गई। देखा वहां माँ पानी पी रही थी। उन्होंने कहा - नाना का हो गया ?
मैंने कहा - अभी तो शुरू भी नहीं हुआ है। तेल कहा है।
माँ ने मुझे घूरते हुए कहा - तू क्या करेगी ?
मैं - मैं कुछ नहीं करुँगी , लीला और नाना करेंगे। मौसी ने मंगाया है।
माँ ने सर पकड़ लिया। मैं चुप चाप तेल की सीसी लेकर नाना के कमरे में गई , वहां देखा तो लीला दी नाना के कमर के ऊपर बैठी थी। मुझे लगा उनकी चुदाई शुरू हो गई। पर उन्होंने नाना के लंड को लिटा दिया था और अपनी चूत की फैंको के बीच फंसा कर मजे ले रही थी। लग रहा था जैसे अपनी चूत से उनके लंड की मालिश कर रही हो।
मौसी ने कटोरी मेरे हाथ से लिया और हाथ में तेल चुपड़ कर लीला दी से कहा - हट।
लीला दी थोड़ा पीछे हटी। नाना ला लंड अब मौसी के हाथ में था। वो उस पर तेल लगाए जा रही थी। लीला दी अपनी नशीली आँखों से मुझे ऐसे देख रही थी जैसे कह रही हो - देख आज मैं किला फ़तेह करुँगी।
खूब सारा तेल लगाने के बाद मौसी ने लीला दी के चूत पर भी तेल से मालिश की। और उनसे कहा - देख आराम से धीरे धीरे अंदर ले। एक बार में पूरा मत लेना वर्ण तेरी चूत फट जाएगी।
लीला दी - अब बस करो। देखो मेरा खेल। मैं संभाल लुंगी। नाना जन्नत की सैर के लिए तैयार हैं।
नाना - वाह लीला तेरी लीला के लिए तो कब से तरस रहा था। दिखा दे अपनी लीला। और अपनी माँ की बात जरूर मानना। मुझे तेरी चूत फाड़नी नहीं है। रोज चाहिए मुझे।
लीला दी - चिंता न करो। जो होगा देखा जायेगा। अब तो खुल कर मजा चाहिए। देख सुधा तू भी देख , तेरे भी काम आएगा।
मेरी हिम्मत नहीं थी। मैं भाग कड़ी हुई और खड़िकी से झाँकने लगी।
लीला दी ने फिर से चूत और लंड की मालिश की और घुटने के बल खड़ी सी हो गई। उनकी चूत नाना के लंड के ठीक ऊपर थी। उन्होंने झुक कर नाना के लंड को पकड़ा और धीरे धीरे निचे आने लगी। उन्होंने लंड को अपनी चूत पर सेट किया और उसे अंदर लेने की कोशिश करने लगी। पर चूत कंवारी थी और नाना का लंड विशाकाय। अंदर नहीं गया।
लीला दी ने फिर से मालिश वाला खेल खेला और उठ कर दुबारा कोशिश की। अबकी उन्होंने थोड़ा जोर लगाया। उन्होंने होठो को पूरा भींच लिया था जिससे चीख न निकले। जो भी आधा इंच लंड अंदर गया था वो उसी पर कमर सेट कर ली।
कमरे में माँ और नानी भी आ चुके थे। उन्होंने मामा को मना कर दिया था।
नानी लीला दी के बगल में गई। बोली - तू सच में तैयार है।
लीला दी - मेरी रंडी नानी , मुझे भी अपने जैसे बनाने में मदद कर। मैं भी तेरी तरह हर छेद में मजे लुंगी। आह। पर बहुत बड़ा है ये। कैसे लेती हो तुम।
नानी - चूत भी गहरी होती है। ये तो कुछ नहीं है। इससे भी बड़ा ले सकती है। पर जल्दी बाजी नहीं।
लीला दी ऊपर उठ गई और लंड को बाहर कर दिया। फिर नीचे आई और इस बार फिर से अंदर ली। अबकी नानी ने लीला दी के क्लीट पर
अपनी ऊँगली फेरनी शुरू कर दी। वो अपना थूक भी लगाए जा रही थी। अबकी लीला दी ने थोड़ा और अंदर लिया। इस बार उनकी चीख निकल गई।
माआआआ कैसे लेती हो इसे अंदर। मेरी चूत फटेगी तो नहीं।
मौसी - तू ही तो चाह रही थी। अब भी वक़्त है , रहने दे।
लीला दी - चुप रंडी। साली रोज रात में चुदती है। इसी पर उछाल उछाल मजे लेती है। और मुझे रोक रही है। अब तो फाटे तो फाटे , चुद कर रहूंगी।
ऐसे ही कुछ कोशिशों में मैंने देखा नाना के लंड का कुछ हिस्सा अब अंदर चला गया था।
लीला दी उतने पर ही ऊपर नीचे करने लगी। नानी उनके क्लीट पर भिड़ी हुई थी। तो उन्हें मजा पूरा मिल रहा था। चूत भी भर के पानी चूड रही थी। वो मजे में थी।
करीब पंद्रह बीस मिनट के प्रयास के बाद लीला दी की चूत ने लंड का एक आधा हिस्सा ले लिया था। अब उन्होंने कहा - नाना अब चोदो। बस इतने पर चोदना। नाना अब बैठ गए। उन्होंने लीला दी को गोद में लिया और उन्हें सामने से चोदने लगे। उन्होंने स्पीड अब भी काम रखा था। लीला दी और नाना दोनों अपने कमर को एक अंदाज में हिलाये जा रहे थे। लीला दी मस्ती में थी।
लीला दी - क्या मजा चुदाई का है आज मैंने जाना। थोड़ा और अंदर डालो न। पेल दो अपनी नतिनी को। बेटीचोद तो थे अब नतिनीचोद भी हो गए नाना
नाना - हाँ रे । सब तेरी लीला है तेरी चूत एकदम तैयार है। कुछ दिन रुक जा पूरा डालूंगा। अभी इतने से मजे ले।
लीला दी - तेज हल चलाओ नाना। जोत लो मेरा खेत। मालिक हो तुम मेरे।
लीला दी को मस्ती चढ़ रही थी। उन दोनों को देख मैं , माँ और मौसी अपनी चूत में ऊँगली कर रहे थे। नानी समझदार थी। वो अब भी उन दोनों के बीच में बैठी थी और लीला दी के क्लीट से खेल रही थी। उन्हें मालूम था , लीला दो को जल्दी स्खलित करना होगा वार्ना उनकी चूत तो गई।
नानी - वाह मेरे बालम , इस उम्र में भी कुँवारी चूत पेल रहे हो। बना दो इस काली को फूल। कोई और भंवरा इसका रस निकाले तुम ही निकाल दो।
नाना - सही कह रही हो। ये काली है। पर एकदम तुम्हारी तरह है। देखना एक ही हफ्ते में पूरा लेगी।
पर उन दोनों को क्या पता था , लीला दी मस्ती में ननका लंड काफी हद तक ले चूँकि है और उनकी चूत से पानी के साथ ब्लड भी आ रहा था। नाना ने लीला दी की सील तोड़ दी थी। चुदाई की मस्ती में नाना से ज्यादा लीला दी कमर हिला रही थी और खुद ही फटने को तैयार थी। पर बहुत देर तक ये नहीं चला। नाना के लंड ने जवाब दे दिया। नानी ने नाना की हालत देखि तो कहा - अंदर नहीं डालना। बाहर करो।
नाना ने झट से अपना लंड बाहर निकल लिया। उनके लंड ने वहीँ नानी के हाथ में ढेर सारा पानी उड़ेल दिया।
लंड के निकलते ही लीला दी की जोरदार चीख निकली और वो वहीगिर पड़ी। मौसी ने तुरंत उन्हें अपने गोद में ले लिए। माँ चौके की तरफ भागी। उन्हें पानी गरम करना था लीला दी की सके के लिए।
मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। लीला दी की हालत देख मैं अपने मजे को भूल गई और माँ के पास चली गई।