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Incest मेरी माँ, बहने और उनका परिवार

Who do you suggest Raj should fuck first?

  • Shweta

    Votes: 82 74.5%
  • Soniya

    Votes: 28 25.5%

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Premkumar65

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इन सब बातों से हम दोनों एकदम गरम हो चुके थे। बात चीत के दौरान ही कपडे तो उतर चुके थे। दीदी ने कहा - चल तूने अब मुझे गरम कर दिया है , शांत भी कर। मैं समझ गया दीदी को नानी वाला प्यार चाहिए। सरला दी के साथ ट्रैन में मैं कर ही चूका था। मैंने फटाफट दीदी की चेहरे और गर्दन को चूमना और चाटना शुरू कर दिया। उसके बाद मैंने उनको उल्टा कर दिया और उनके पीठ पर जीभ फिराना शुरू कर दिया।
दीदी - इस्सस , क्या चाटता है रे मेरे भाई। मजा आ गया। तुझे बुरा तो नहीं लग रहा है न।
मैं - नहीं दी , मुझे तुम्हारा नमकीन पानी पीकर एकदम नशा सा होने लगा है। सरला दी में भी इतना नशा नहीं है।
दीदी - और माँ।
मैं खामोश ही रहा। मुझे माँ की तुलना किसी के साथ अच्छी नहीं लगती थी। उन्होंने जिस तरह से मुझे संभाला था और कोई नहीं संभाल सकता था। मैं उन्हें सबसे ज्यादा प्यार करता था।
दीदी ने कहा - चुप क्यों हो गया ?
मैं - दी माँ तो सबसे अलग है।
दीदी ने पलट कर मुझे बाहों में भर लिया। कहने लगी - तुझसे अच्छा कोई नहीं है। मुझे पता है माँ को तू सबसे ज्यादा प्यार करता है। मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं है। बल्कि आज मैं तेरा ये प्यार देख कर बहुत खुश हो गई। चल तुझे इनाम देती हूँ।
दीदी में मुझे लेता दिया। उन्होंने अपने कमर को मेरे मुँह पर रख दिया और सिक्सटी नाइन वाले पोजीशन में आ गई।
बोली - चल मेरी चूत से मक्खन निकाल , मैं तेरे लंड का स्वाद लेती हूँ।
मैंने उनके जांघो को पहले चूमा फिर उनके चूत पर भीड़ गया। उधर वो मेरे लंड को कुल्फी की तरह चूसने लगी। हम दोनों एकदम आनंद में डूब गए। दीदी की पनियाई चूत जहर जहर कर बही जा रही थी। दीदी ने पहले ही बोल दिया था - एक भीबूंद बर्बाद नहीं होनी चाहिए।
हम दोनों एक दुसरे के गुप्तांगो को ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई मिठाई हो। दीदी की चूत ने कई बार पानी छोड़ दिया। पर मेरा जब भी पानी निकलने वाला होता दीदी रुक जाती। अंदर वीर्य पूरा िकाथा हो रखा था। कुछ बार ऐसा होने पर लगा जैसे मेरे लंड फट जायेगा। मैंने दीदी से मिन्नत की - प्लीज रुक क्यों जाती हो। मेरा भी पानी निकाल दो। मैं मर जाऊंगा अब।
दीदी ने कहा - तेरी परीक्षा ले रही थी।
मुझे ये सुन गुस्सा आ गया - मैंने उनको पलट दिया। और सीधा होकर उनके ऊपर बैठ गया। बोलै - बहन की लौड़ी , खुद तो झरने की तरह बही जा रही है। और यहाँ मेरे नाले पर स्टॉपर लगा दिया है।
दीदी - नाले में दम है तो अंदर माल बहा। मुँह में निकाल कर क्या फायदा।
मैंने तुरंत अपना लंड उनकी चूत में डाला और एक ही झटके में अंदर कर दिया।
दीदी चीख उठी - मादरचोद , फाड़ देगा क्या ?
मैं - तू ही तो परीक्षा लेना चाह रही थी। अब फट रही है।
दीदी - मेरी नहीं फटती। चल दिखा अपना दम
मैं - तो चीखी क्यों थी।
दीदी - मोटा गधे जैसे लंड को एक ही बार में डालेगा तो चीख ही निकलेगी। आराम से कर देख कितने मजे से तेरा लंड डकारती हूँ।
मैंने दीद की चूत मारनी शुरू कर दी। दीदी ने मुझे अपनी तरफ खींचकर मेरा मुँह अपने मुम्मे पर कर दिया। बोली - इन्हे भी पी।
मैं - इन्हे तो पीने में तब और भी मजा आएगा जब इनसे दूध की धार निकलेगी।
दीदी - उसी के लिए तो बस तेरा माल इक्कठा कर रही थी। बस पेल दे मुझे। एकदम ाडणार तक लंड जाना चाहिए। तेरे माल का एक एक बूँद मेरे एकदम अंदर तक चाहिए। बना दे मुझे माँ।
मैं - हाँ , तुझे माँ बना ही दूंगा अबकी। फिर तेरा दूध पियूँगा। गाय बनेगी न मेरी
दीदी - मैं ही क्या घर में तीन तीन गाय तैयार हो जाएँगी। सरला और मामी भी तो हैं।
उन दोनों का नाम सुन मुझे और भी जोश आ गया।
मैंने पेलते हुए कहा - दोनों भी अपने अपने मर्दो से चुद रही होंगी।
दीदी - हाँ। बस तू मेरे गोद में बच्चा दे दे। तू ही तो मेरा मर्द है। आह आह , और अंदर तक डाल न।
मैंने दीदी को पेलना जारी रखा।
दीदी - आह आह , माँ तेरी बेटी आज अपने भाई का वीर्य अंदर तक लेगी। आज माँ बन ही जाउंगी। आह माआआआ
दीदी झड़ने वाली थी। दीदी - मैं बस आ रही हूँ। तू भी आ जा भाई। प्लेईईीेज़
मेरा लंड भी तैयार था। लगा उसने दीदी की बात मान ली है।
दीदी को जैसे ही एहसास हुआ मेरे लंड ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने दोनों पैरो से मेरे कमर को जकड लिया। हम दोनों का बदन एकदम से चिपक गया था। दीदी ने धीरे से कहा - भाई एकदम अंदर चाहिए मुझे। मैंने भी पूरा का पूरा लंड दीदी की चूत की गहराइयों में डाले रखा।
दीदी ने लास्ट में अपनी चूत को ऐसे सिकोड़ना शुरू किया मानो मेरे कांड को चूत से चूस रही हो। उन्होंने मुझे तब तक जकड़े रखा जब तक मेरे वीर्य का एक एक बूँद उनके अंदर नहीं गया।
उन्हें जब लगा की अब कुछ नहीं बचा है तो उन्होंने अपना पेअर सीधा कर लिया और मुझे अपने पाश से मुक्त कर दिया।
मैं भी हाँफते हुए उनके बगल में लेट गया।

कुछ देर बाद दीदी ने कहा - एक बोतल पानी ले आ। प्यास लगी है। उसके बाद तुझे लीला दी की पहली चुदाई की कहानी सुनाती हूँ।
मैं फटाफट से जाकर दो बोतल पानी ले आया। हम दोनों ने एक ही सांस में पूरी की पूरी बोतल ख़त्म कर दी।
फिर दीदी ने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया और आगे की कहानी सुनाने लगी।
Ekdam mast family hai. Sab ke sab chuddakad.
 

Premkumar65

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-----------------------------------------------दीदी की जुबानी उनके जवानी की कहानी [फ्लैशबैक 7] ------------------------------
एक बार ऐसे ही गर्मियों को छुट्टी में हम सब इक्कठा थे। लीला दी के मुम्मे काफी बड़े हो गए थे। उनका बदन भी फैलने लगा था। उनकी जांघें मोटी होती जा रही थी। एक रात जैसे ही तुम सब सो गए , हम दोनों फिर से दबे पाँव नाना के कमरे की तरफ बढे। जैसे ही हम उधर जा रहे थे की हमें किसी और कमरे से सिसकारियों की आवाज आई। हम दोनों ने आवाज का पीछा किया तो वो मामा के कमरे से आ रही थी। हमें ये तो पता था की मामा भी कहीं न कही से सबके साथ सेक्स करने लगे है।
वैसे तो उनकी उम्र मुझसे थोड़ी ही ज्यादा थी , पर गाँव का खाया पीया शरीर था तो अच्छे खासे जवान लगते थे। हम धीरे से उनके कमरे के पास पहुंचे। वहां भी हम उनके कमरे की खिड़की से झाँका। अंदर देखा तो नानी बिस्तर पर नंगी ही लेटी हुई थी और मामा उनके बगल में लेट कर उनका दूध पी रहे थे। माँ नानी की चूत चाटने में लगी थी। सिसकियों की आवाज नानी की थी।
मुझे पता नहीं क्यों उन तीनो को देखकर बुरा नहीं लगा। मामा एकदम बच्चे की तरह नानी की एक चूची को चूस रहे थे और दुसरे को अपने हाथो से दबा रहे थे।
मौसी वहां नहीं थी। हम दोनों ने एक दुसरे की तरफ देख। हमें समझ आ गया की मौसी नाना के साथ होंगी।
हम तो यहाँ का खेल देख मजे ले रहे थे। मेरी ऊँगली हमेशा की तरह अपनी चूत में घुस गई। लीला दी ने भी वही किया।
अंदर से नानी की आवाज आई - इस्सस सरोज , कितना चाटेगी। काम से काम तीन बार तो मेरा माल पी चुकी है।
माँ - मेरा मन कहाँ भरता है तेरे रास से अम्मा। एक बार और।
नानी - आह आह , अब मेरी चूत को लंड चाहिए। अब विजय ( मामा का नाम विजय था ) को कुछ मेहनत करने दे न। देख उसका लंड कितना अकड़ गया है।
माँ - तुझे भी न बस लंड चाहिए होता है। साली सुशीला ने भी बाउजी पर कब्ज़ा कर रखा है। वार्ना तुम्हे वही चोद देते।
नानी - सही कह रही है। देख न दो दो लंड घर में हैं पर तुम दोनों बहने एक भी नहीं लेने दे रही हो। ना जाने सुशीला के मन में क्या है , आज तो तेरे बाउजी के कमरे में जाने से भी मना कर दिया है।
माँ ने फिर नानी की चूत छोड़ दी। वो नानी के बगल में लेट गई। मामा ने झट से पाला बदल लिया और नानी के ऊपर चढ़ गए।
वो एकदम नौसिखिये की तरह बिना पूरा लंड डाले ही कमर हिलाने लगे।
उस पर माँ हंसने लगी। नानी ने कहा - मादरचोद महीनो से चोद रहा है पर अब भी लंड कहाँ डालना है बताना पड़ता ह।
मामा - माफ़ कर दे अम्मा। तुझे देख बर्दास्त नहीं होता।
नानी ने फिर उनका लंड पकड़ा और अपनी चूत पर सेट किया और कहा - अब अंदर आराम से डाल।
मामा ने अबकी बार नानी की चुत में लंड सही सही डाला और चोदने लगे । मामा की नादानी पर हमें भी हंसी आई।
नानी ने तभी माँ से कहा - तूने तो मेरी खूब मलाई खाई है अभी। अब तू खिला।
माँ मादक अंदाज में उठी और उन्होंने नानी के चेहरे पर इस तरह से बैठ गई जिससे उनकी चूत एकदम नानी के मुँह से लग जाए। नानी ने फिर अपना जीभी निकाल लिया और उनकी चूत चाटने लगी।
ये देख मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। मैं वहीँ खिड़की के पास ही जमीन पर बैठ गई। मैं इन लोगो को देखने में इतना खो गई थी की मुझे पता ही नहीं चला की लीला दी कब वहां से चली गई।
कुछ देर बाद मैंने अंदर झाँका तो देखा मामा और माँ नानी के दोनों तरफ लेटे है। लगता था मामा झाड़ चुके थे।
मैं चुपके से उठी और नाना के कमरे से लगी खिड़की की तरफ बढ़ी। मुझे उम्मीद थी की लीला दी अब अपनी माँ और नाना का खेल देख रही होंगी। पर मैंने देखा लीला दी वहां नहीं हैं।
मैंने आस पास देखा वो नहीं थी। फिर मैंने कमरे में झाँका तो अंदर का सीन देख दंग रह गई। देखा की नाना बिस्तर पर लेटे हैं और मौसी का दूध पी रहे है। मौसी को अब भी दूध आता था।
[ मौसी के भी दरअसल तीन बच्चे थे। लीला दी के बाद एक लड़का था विकास हो सरला दी के उम्र का था और एक छोटी लड़की थी सुरभि। वो हम सबमे सबसे छोटी थी। श्वेता की उम्र की । जब ये सब काण्ड हो रहा था तो लीला दी , सुधा दी जवानी की दहलीज पर कदम रख चूँकि थी। सरला दी और विकास भी बस बड़ी हो रहे थे। मैं और सुरभि बच्चे ही थे। हम चारों दिनभर गाँव भर में घुमते और खेलते थे।
रात में थक कर चूर रहते थे। सुरभि की वजह से अब भी मौसी का दूध आता था । वैसे ही मेरी वजह से माँ को। नाना को चुदाई से पहले इनका ताजा दूध चाहिए होता था ]
लीला दी नाना का लंड चूसे जा रही थी। कुछ देर चूसने के बाद लीला दी ने कहा - अब मुझे नाना का लंड मेरी चूत में चाहिए।
ये सुन मेरी तो हालत खराब हो गई। कैसे वो नाना का इतना बड़ा लंड लेने को तैयार हैं। मेरी ही नहीं मौसी भी भौंचक्की रह गई।
बोली - तू अभी छोटी है।
लीला दी - चुप रहो माँ। मैं छोटी नहीं हूँ। तुम सबको पता है ये रोज रोज का खेल देख कर मैं और सुधा चूत में ऊँगली करते हैं। अब मैं उंगलि नहि करुँगी। मुझे तो नाना का प्यारा लंड चाहिए।
मौसी - चूत में ऊँगली अलग बात है लीला पर बाउजी के लंड को तो अब तक हम पूरा नहीं ले पाते है।
लीला दी अदि हुई थी। उन्होंने कहा- मुझे तो चाहिए बस। घर की सब रंडियां जिससे चाहे चुद लेती हैं। हमें क्यों रोक लगी है। जवान हो गई हूँ। बाहर का लंड भी ले सकती हूँ। समझी।
मौसी - तू चुदास हो रखी है। चल नानी के पास वो तुझे शांत कर देंगी।
लीला दी - वो तो खुद मामा से चुद रही है। पर उस चुदक्कड़ की प्यास नहीं बुझेगी। अभी देखना आ जाएगी। उसके आने से पहले मुझे चुदना है।
नाना के तो मजे हो गए थे। एक कुँवारी चूत मिल गई थी जिसे वो कब से चोदना चाह रहे थे।
मौसी - बाउजी आप ही समझाइये न।
नाना - देख किसी न किसी दिन तो ये होना ही है। आज ही सही।
मौसी - आप भी न , घात लगाए बैठे थे। कुछ हो गया इसे तो।
लीला दी - देखो माँ अब मेरे मूड की माँ बहन मत करो। नाना का लंड छोस कर खड़ा किया है। चूत भी इतनी चुदाई देख कर पूरी पनिया चुकी है। सूखे उससे पहले चुद लेने दो।
मौसी इन दोनों के जिद्द के आगे थक गई। उन्होंने कहा - जब मरने को तैयार है तो मैं क्या ही करु। रुक थोड़ा तेल माँगा लेने दे।
उन्होंने आवाज दी - सुधा चौके से जरा तेल ले आ। मुझे पता है तू सब देख रही है।
मुझे पता था की सबको हमारा छुप कर देखना पता है। पर आज सब सामने आ जायेगा ऐसा मैंने नहीं सोचा था। लीला दी के ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था।
मैं चौके की तरफ गई। देखा वहां माँ पानी पी रही थी। उन्होंने कहा - नाना का हो गया ?
मैंने कहा - अभी तो शुरू भी नहीं हुआ है। तेल कहा है।
माँ ने मुझे घूरते हुए कहा - तू क्या करेगी ?
मैं - मैं कुछ नहीं करुँगी , लीला और नाना करेंगे। मौसी ने मंगाया है।
माँ ने सर पकड़ लिया। मैं चुप चाप तेल की सीसी लेकर नाना के कमरे में गई , वहां देखा तो लीला दी नाना के कमर के ऊपर बैठी थी। मुझे लगा उनकी चुदाई शुरू हो गई। पर उन्होंने नाना के लंड को लिटा दिया था और अपनी चूत की फैंको के बीच फंसा कर मजे ले रही थी। लग रहा था जैसे अपनी चूत से उनके लंड की मालिश कर रही हो।
मौसी ने कटोरी मेरे हाथ से लिया और हाथ में तेल चुपड़ कर लीला दी से कहा - हट।
लीला दी थोड़ा पीछे हटी। नाना ला लंड अब मौसी के हाथ में था। वो उस पर तेल लगाए जा रही थी। लीला दी अपनी नशीली आँखों से मुझे ऐसे देख रही थी जैसे कह रही हो - देख आज मैं किला फ़तेह करुँगी।
खूब सारा तेल लगाने के बाद मौसी ने लीला दी के चूत पर भी तेल से मालिश की। और उनसे कहा - देख आराम से धीरे धीरे अंदर ले। एक बार में पूरा मत लेना वर्ण तेरी चूत फट जाएगी।
लीला दी - अब बस करो। देखो मेरा खेल। मैं संभाल लुंगी। नाना जन्नत की सैर के लिए तैयार हैं।
नाना - वाह लीला तेरी लीला के लिए तो कब से तरस रहा था। दिखा दे अपनी लीला। और अपनी माँ की बात जरूर मानना। मुझे तेरी चूत फाड़नी नहीं है। रोज चाहिए मुझे।
लीला दी - चिंता न करो। जो होगा देखा जायेगा। अब तो खुल कर मजा चाहिए। देख सुधा तू भी देख , तेरे भी काम आएगा।
मेरी हिम्मत नहीं थी। मैं भाग कड़ी हुई और खड़िकी से झाँकने लगी।
लीला दी ने फिर से चूत और लंड की मालिश की और घुटने के बल खड़ी सी हो गई। उनकी चूत नाना के लंड के ठीक ऊपर थी। उन्होंने झुक कर नाना के लंड को पकड़ा और धीरे धीरे निचे आने लगी। उन्होंने लंड को अपनी चूत पर सेट किया और उसे अंदर लेने की कोशिश करने लगी। पर चूत कंवारी थी और नाना का लंड विशाकाय। अंदर नहीं गया।
लीला दी ने फिर से मालिश वाला खेल खेला और उठ कर दुबारा कोशिश की। अबकी उन्होंने थोड़ा जोर लगाया। उन्होंने होठो को पूरा भींच लिया था जिससे चीख न निकले। जो भी आधा इंच लंड अंदर गया था वो उसी पर कमर सेट कर ली।
कमरे में माँ और नानी भी आ चुके थे। उन्होंने मामा को मना कर दिया था।
नानी लीला दी के बगल में गई। बोली - तू सच में तैयार है।
लीला दी - मेरी रंडी नानी , मुझे भी अपने जैसे बनाने में मदद कर। मैं भी तेरी तरह हर छेद में मजे लुंगी। आह। पर बहुत बड़ा है ये। कैसे लेती हो तुम।
नानी - चूत भी गहरी होती है। ये तो कुछ नहीं है। इससे भी बड़ा ले सकती है। पर जल्दी बाजी नहीं।
लीला दी ऊपर उठ गई और लंड को बाहर कर दिया। फिर नीचे आई और इस बार फिर से अंदर ली। अबकी नानी ने लीला दी के क्लीट पर
अपनी ऊँगली फेरनी शुरू कर दी। वो अपना थूक भी लगाए जा रही थी। अबकी लीला दी ने थोड़ा और अंदर लिया। इस बार उनकी चीख निकल गई।
माआआआ कैसे लेती हो इसे अंदर। मेरी चूत फटेगी तो नहीं।
मौसी - तू ही तो चाह रही थी। अब भी वक़्त है , रहने दे।
लीला दी - चुप रंडी। साली रोज रात में चुदती है। इसी पर उछाल उछाल मजे लेती है। और मुझे रोक रही है। अब तो फाटे तो फाटे , चुद कर रहूंगी।
ऐसे ही कुछ कोशिशों में मैंने देखा नाना के लंड का कुछ हिस्सा अब अंदर चला गया था।
लीला दी उतने पर ही ऊपर नीचे करने लगी। नानी उनके क्लीट पर भिड़ी हुई थी। तो उन्हें मजा पूरा मिल रहा था। चूत भी भर के पानी चूड रही थी। वो मजे में थी।
करीब पंद्रह बीस मिनट के प्रयास के बाद लीला दी की चूत ने लंड का एक आधा हिस्सा ले लिया था। अब उन्होंने कहा - नाना अब चोदो। बस इतने पर चोदना। नाना अब बैठ गए। उन्होंने लीला दी को गोद में लिया और उन्हें सामने से चोदने लगे। उन्होंने स्पीड अब भी काम रखा था। लीला दी और नाना दोनों अपने कमर को एक अंदाज में हिलाये जा रहे थे। लीला दी मस्ती में थी।
लीला दी - क्या मजा चुदाई का है आज मैंने जाना। थोड़ा और अंदर डालो न। पेल दो अपनी नतिनी को। बेटीचोद तो थे अब नतिनीचोद भी हो गए नाना
नाना - हाँ रे । सब तेरी लीला है तेरी चूत एकदम तैयार है। कुछ दिन रुक जा पूरा डालूंगा। अभी इतने से मजे ले।
लीला दी - तेज हल चलाओ नाना। जोत लो मेरा खेत। मालिक हो तुम मेरे।
लीला दी को मस्ती चढ़ रही थी। उन दोनों को देख मैं , माँ और मौसी अपनी चूत में ऊँगली कर रहे थे। नानी समझदार थी। वो अब भी उन दोनों के बीच में बैठी थी और लीला दी के क्लीट से खेल रही थी। उन्हें मालूम था , लीला दो को जल्दी स्खलित करना होगा वार्ना उनकी चूत तो गई।
नानी - वाह मेरे बालम , इस उम्र में भी कुँवारी चूत पेल रहे हो। बना दो इस काली को फूल। कोई और भंवरा इसका रस निकाले तुम ही निकाल दो।
नाना - सही कह रही हो। ये काली है। पर एकदम तुम्हारी तरह है। देखना एक ही हफ्ते में पूरा लेगी।
पर उन दोनों को क्या पता था , लीला दी मस्ती में ननका लंड काफी हद तक ले चूँकि है और उनकी चूत से पानी के साथ ब्लड भी आ रहा था। नाना ने लीला दी की सील तोड़ दी थी। चुदाई की मस्ती में नाना से ज्यादा लीला दी कमर हिला रही थी और खुद ही फटने को तैयार थी। पर बहुत देर तक ये नहीं चला। नाना के लंड ने जवाब दे दिया। नानी ने नाना की हालत देखि तो कहा - अंदर नहीं डालना। बाहर करो।
नाना ने झट से अपना लंड बाहर निकल लिया। उनके लंड ने वहीँ नानी के हाथ में ढेर सारा पानी उड़ेल दिया।
लंड के निकलते ही लीला दी की जोरदार चीख निकली और वो वहीगिर पड़ी। मौसी ने तुरंत उन्हें अपने गोद में ले लिए। माँ चौके की तरफ भागी। उन्हें पानी गरम करना था लीला दी की सके के लिए।
मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। लीला दी की हालत देख मैं अपने मजे को भूल गई और माँ के पास चली गई।
Very very erotic story.
 

A.A.G.

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-----------------------------------------------दीदी की जुबानी उनके जवानी की कहानी [फ्लैशबैक 6] ------------------------------
बचपन में नाना हम सबके साथ सामान्य वयवहार ही करते थे। नानी , नाना और माँ लोगों ने नियम बना रखा था की जवानी की दहलीज पर कदम रखने पर ही घर के बच्चे इसमें शामिल होंगे। उस पर भी तभी जब वो तैयार हो। किसी भी तरह की जबर्दस्ती नहीं होगी। हम सब जब भी नाना के घर जाते या नाना नानी हमारे यहाँ होते, बड़ा मजा आता। हम सब साथ खेलते , मजे करते। खेल खेल में नाना नानी के गोद में भी बैठते थे। पर जैसे ही मैं और लीला दी जवान होंने लगे , नाना और नानी का व्यवहार बदलने लगा। मुझे और लीला दी को हमारी माओं ने शरीर में होने वाले बदलाव से अवगत करवा दिया था। कई बार तो मैं और लीला दी एक दूसरे से ये सब बातें भी कर लेते थे। लीला दी की चूचिया मुझसे जल्दी बड़ी हो रही थी। वो भरे पुरे शरीर वाली थी। मैं भी कम नहीं थी पर उनसे कम ही थी।
हम दोनों को अपनी माओं और नाना नानी के संबंधों का पता था। मेरे अलावा लीला दी भी जानती थी की हमारे बाप भी इसमें शामिल थे। मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता था पर लीला दी बड़ी चुदक्कड़ किस्म की लड़की थी। उनकी जवानी की आग ठंढी ही नहीं होती थी। जब भी वो नाना के यहाँ होती तो नाना की गोद में ही होती थी।
तुझे तो पता है उस समय हम फ्रॉक या स्कर्ट टॉप में ही ज्यादा रहते थे। लीला दी जब भी नाना की गोद में बैठती , स्कर्ट या फ्रॉक कमर से ऊपर चढ़ा कर बैठती थी , जिससे की नाना का लंड सीधे उनके गांड से टकराता था। नाना कई बार लीला दी के स्कर्ट में हाथ डालकर उनकी चूत में ऊँगली करते थे। दोनों में एक तरह का समझौता था एक दुसरे को खुश करने का। नाना मुझे भी गोद में बिठाते थे। सच कहूँ तो उनकी हरकतों से मैं भी कई बार गर्म हो जाती थी।
मुझे नाना से चुदने की कोई इच्छा नहीं होती थी। पर जब नाना मुझे गरम कर देते थे तो मै माँ या नानी के पास भाग कर चली जाती थी। मुझे पसीने पसीने देख दोनों समझ जाते थे। माँ तो कई बार नाना से लड़ने चली जाती थी।
पर सबसे निराली नानी थी। मेरे गरम होते ही वो मुझे अपने पास बुलाकर नंगी कर देती थी। उनको पसीना चाटना पसंद था और मुझे चटवाने में मजा आता था। वो मेरे बदन को अपने जीभ से ऐसे साफ़ करती थी जैसे कुत्ता करता करता है। बदन के साथ वो लास्ट में मेरी चूत का पानी निकाल पर पूरा पी जाती थी। मुझे इस खेल में बड़ा मजा आता था।
पर लीला दी को सीधे लंडके साथ ही खेलने में मजा आता था। नाना उनसे मुठ मारने को कहते तो वो कर देती थी और उनका पूरा माल पी जाती थी।
पर ये सब खेल सबको पता होते हुए भी ऐसे चलता था जैसे सब अनजान हो। रात में जब माँ मौसी नाना नानी का खेल चलता तो हम दोनों खिड़की से छुप कर देखते थे। अंदर सबको पता होता था की हम सब देख रहे होते हैं।
yeh nana toh bada harami hai..isne toh apni natin ko bhi chhoda..leela toh chudakkad thi lekin raj ki behen ko nana ka haramipan pasand nahi tha..achha hai aur ab raj apni ghar ki aurton ko dur hi rakhe uss nana se..bachhiyon ko garam karta tha harami..!!
 

A.A.G.

Well-Known Member
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इन सब बातों से हम दोनों एकदम गरम हो चुके थे। बात चीत के दौरान ही कपडे तो उतर चुके थे। दीदी ने कहा - चल तूने अब मुझे गरम कर दिया है , शांत भी कर। मैं समझ गया दीदी को नानी वाला प्यार चाहिए। सरला दी के साथ ट्रैन में मैं कर ही चूका था। मैंने फटाफट दीदी की चेहरे और गर्दन को चूमना और चाटना शुरू कर दिया। उसके बाद मैंने उनको उल्टा कर दिया और उनके पीठ पर जीभ फिराना शुरू कर दिया।
दीदी - इस्सस , क्या चाटता है रे मेरे भाई। मजा आ गया। तुझे बुरा तो नहीं लग रहा है न।
मैं - नहीं दी , मुझे तुम्हारा नमकीन पानी पीकर एकदम नशा सा होने लगा है। सरला दी में भी इतना नशा नहीं है।
दीदी - और माँ।
मैं खामोश ही रहा। मुझे माँ की तुलना किसी के साथ अच्छी नहीं लगती थी। उन्होंने जिस तरह से मुझे संभाला था और कोई नहीं संभाल सकता था। मैं उन्हें सबसे ज्यादा प्यार करता था।
दीदी ने कहा - चुप क्यों हो गया ?
मैं - दी माँ तो सबसे अलग है।
दीदी ने पलट कर मुझे बाहों में भर लिया। कहने लगी - तुझसे अच्छा कोई नहीं है। मुझे पता है माँ को तू सबसे ज्यादा प्यार करता है। मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं है। बल्कि आज मैं तेरा ये प्यार देख कर बहुत खुश हो गई। चल तुझे इनाम देती हूँ।
दीदी में मुझे लेता दिया। उन्होंने अपने कमर को मेरे मुँह पर रख दिया और सिक्सटी नाइन वाले पोजीशन में आ गई।
बोली - चल मेरी चूत से मक्खन निकाल , मैं तेरे लंड का स्वाद लेती हूँ।
मैंने उनके जांघो को पहले चूमा फिर उनके चूत पर भीड़ गया। उधर वो मेरे लंड को कुल्फी की तरह चूसने लगी। हम दोनों एकदम आनंद में डूब गए। दीदी की पनियाई चूत जहर जहर कर बही जा रही थी। दीदी ने पहले ही बोल दिया था - एक भीबूंद बर्बाद नहीं होनी चाहिए।
हम दोनों एक दुसरे के गुप्तांगो को ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई मिठाई हो। दीदी की चूत ने कई बार पानी छोड़ दिया। पर मेरा जब भी पानी निकलने वाला होता दीदी रुक जाती। अंदर वीर्य पूरा िकाथा हो रखा था। कुछ बार ऐसा होने पर लगा जैसे मेरे लंड फट जायेगा। मैंने दीदी से मिन्नत की - प्लीज रुक क्यों जाती हो। मेरा भी पानी निकाल दो। मैं मर जाऊंगा अब।
दीदी ने कहा - तेरी परीक्षा ले रही थी।
मुझे ये सुन गुस्सा आ गया - मैंने उनको पलट दिया। और सीधा होकर उनके ऊपर बैठ गया। बोलै - बहन की लौड़ी , खुद तो झरने की तरह बही जा रही है। और यहाँ मेरे नाले पर स्टॉपर लगा दिया है।
दीदी - नाले में दम है तो अंदर माल बहा। मुँह में निकाल कर क्या फायदा।
मैंने तुरंत अपना लंड उनकी चूत में डाला और एक ही झटके में अंदर कर दिया।
दीदी चीख उठी - मादरचोद , फाड़ देगा क्या ?
मैं - तू ही तो परीक्षा लेना चाह रही थी। अब फट रही है।
दीदी - मेरी नहीं फटती। चल दिखा अपना दम
मैं - तो चीखी क्यों थी।
दीदी - मोटा गधे जैसे लंड को एक ही बार में डालेगा तो चीख ही निकलेगी। आराम से कर देख कितने मजे से तेरा लंड डकारती हूँ।
मैंने दीद की चूत मारनी शुरू कर दी। दीदी ने मुझे अपनी तरफ खींचकर मेरा मुँह अपने मुम्मे पर कर दिया। बोली - इन्हे भी पी।
मैं - इन्हे तो पीने में तब और भी मजा आएगा जब इनसे दूध की धार निकलेगी।
दीदी - उसी के लिए तो बस तेरा माल इक्कठा कर रही थी। बस पेल दे मुझे। एकदम ाडणार तक लंड जाना चाहिए। तेरे माल का एक एक बूँद मेरे एकदम अंदर तक चाहिए। बना दे मुझे माँ।
मैं - हाँ , तुझे माँ बना ही दूंगा अबकी। फिर तेरा दूध पियूँगा। गाय बनेगी न मेरी
दीदी - मैं ही क्या घर में तीन तीन गाय तैयार हो जाएँगी। सरला और मामी भी तो हैं।
उन दोनों का नाम सुन मुझे और भी जोश आ गया।
मैंने पेलते हुए कहा - दोनों भी अपने अपने मर्दो से चुद रही होंगी।
दीदी - हाँ। बस तू मेरे गोद में बच्चा दे दे। तू ही तो मेरा मर्द है। आह आह , और अंदर तक डाल न।
मैंने दीदी को पेलना जारी रखा।
दीदी - आह आह , माँ तेरी बेटी आज अपने भाई का वीर्य अंदर तक लेगी। आज माँ बन ही जाउंगी। आह माआआआ
दीदी झड़ने वाली थी। दीदी - मैं बस आ रही हूँ। तू भी आ जा भाई। प्लेईईीेज़
मेरा लंड भी तैयार था। लगा उसने दीदी की बात मान ली है।
दीदी को जैसे ही एहसास हुआ मेरे लंड ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने दोनों पैरो से मेरे कमर को जकड लिया। हम दोनों का बदन एकदम से चिपक गया था। दीदी ने धीरे से कहा - भाई एकदम अंदर चाहिए मुझे। मैंने भी पूरा का पूरा लंड दीदी की चूत की गहराइयों में डाले रखा।
दीदी ने लास्ट में अपनी चूत को ऐसे सिकोड़ना शुरू किया मानो मेरे कांड को चूत से चूस रही हो। उन्होंने मुझे तब तक जकड़े रखा जब तक मेरे वीर्य का एक एक बूँद उनके अंदर नहीं गया।
उन्हें जब लगा की अब कुछ नहीं बचा है तो उन्होंने अपना पेअर सीधा कर लिया और मुझे अपने पाश से मुक्त कर दिया।
मैं भी हाँफते हुए उनके बगल में लेट गया।

कुछ देर बाद दीदी ने कहा - एक बोतल पानी ले आ। प्यास लगी है। उसके बाद तुझे लीला दी की पहली चुदाई की कहानी सुनाती हूँ।
मैं फटाफट से जाकर दो बोतल पानी ले आया। हम दोनों ने एक ही सांस में पूरी की पूरी बोतल ख़त्म कर दी।
फिर दीदी ने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया और आगे की कहानी सुनाने लगी।
zabardast update..!!
sudha ka pati aur mard toh sirf raj hi hai aur ab woh maa bhi banane wali hai toh aisa intense sex toh banta hai..raj ka apni maa ke liye pyaar bhi dikh gaya aur maa ne jo raj ke hisse ka dudh uss harami nana ko jo pilaya hai uska hisab ab raj apni maa ki gand maar kar lega..maja aajayega..sudha bhi apne asli pati raj ko gift me apni gand de toh aur maja aajayega bhai..!!
 

A.A.G.

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-----------------------------------------------दीदी की जुबानी उनके जवानी की कहानी [फ्लैशबैक 7] ------------------------------
एक बार ऐसे ही गर्मियों को छुट्टी में हम सब इक्कठा थे। लीला दी के मुम्मे काफी बड़े हो गए थे। उनका बदन भी फैलने लगा था। उनकी जांघें मोटी होती जा रही थी। एक रात जैसे ही तुम सब सो गए , हम दोनों फिर से दबे पाँव नाना के कमरे की तरफ बढे। जैसे ही हम उधर जा रहे थे की हमें किसी और कमरे से सिसकारियों की आवाज आई। हम दोनों ने आवाज का पीछा किया तो वो मामा के कमरे से आ रही थी। हमें ये तो पता था की मामा भी कहीं न कही से सबके साथ सेक्स करने लगे है।
वैसे तो उनकी उम्र मुझसे थोड़ी ही ज्यादा थी , पर गाँव का खाया पीया शरीर था तो अच्छे खासे जवान लगते थे। हम धीरे से उनके कमरे के पास पहुंचे। वहां भी हम उनके कमरे की खिड़की से झाँका। अंदर देखा तो नानी बिस्तर पर नंगी ही लेटी हुई थी और मामा उनके बगल में लेट कर उनका दूध पी रहे थे। माँ नानी की चूत चाटने में लगी थी। सिसकियों की आवाज नानी की थी।
मुझे पता नहीं क्यों उन तीनो को देखकर बुरा नहीं लगा। मामा एकदम बच्चे की तरह नानी की एक चूची को चूस रहे थे और दुसरे को अपने हाथो से दबा रहे थे।
मौसी वहां नहीं थी। हम दोनों ने एक दुसरे की तरफ देख। हमें समझ आ गया की मौसी नाना के साथ होंगी।
हम तो यहाँ का खेल देख मजे ले रहे थे। मेरी ऊँगली हमेशा की तरह अपनी चूत में घुस गई। लीला दी ने भी वही किया।
अंदर से नानी की आवाज आई - इस्सस सरोज , कितना चाटेगी। काम से काम तीन बार तो मेरा माल पी चुकी है।
माँ - मेरा मन कहाँ भरता है तेरे रास से अम्मा। एक बार और।
नानी - आह आह , अब मेरी चूत को लंड चाहिए। अब विजय ( मामा का नाम विजय था ) को कुछ मेहनत करने दे न। देख उसका लंड कितना अकड़ गया है।
माँ - तुझे भी न बस लंड चाहिए होता है। साली सुशीला ने भी बाउजी पर कब्ज़ा कर रखा है। वार्ना तुम्हे वही चोद देते।
नानी - सही कह रही है। देख न दो दो लंड घर में हैं पर तुम दोनों बहने एक भी नहीं लेने दे रही हो। ना जाने सुशीला के मन में क्या है , आज तो तेरे बाउजी के कमरे में जाने से भी मना कर दिया है।
माँ ने फिर नानी की चूत छोड़ दी। वो नानी के बगल में लेट गई। मामा ने झट से पाला बदल लिया और नानी के ऊपर चढ़ गए।
वो एकदम नौसिखिये की तरह बिना पूरा लंड डाले ही कमर हिलाने लगे।
उस पर माँ हंसने लगी। नानी ने कहा - मादरचोद महीनो से चोद रहा है पर अब भी लंड कहाँ डालना है बताना पड़ता ह।
मामा - माफ़ कर दे अम्मा। तुझे देख बर्दास्त नहीं होता।
नानी ने फिर उनका लंड पकड़ा और अपनी चूत पर सेट किया और कहा - अब अंदर आराम से डाल।
मामा ने अबकी बार नानी की चुत में लंड सही सही डाला और चोदने लगे । मामा की नादानी पर हमें भी हंसी आई।
नानी ने तभी माँ से कहा - तूने तो मेरी खूब मलाई खाई है अभी। अब तू खिला।
माँ मादक अंदाज में उठी और उन्होंने नानी के चेहरे पर इस तरह से बैठ गई जिससे उनकी चूत एकदम नानी के मुँह से लग जाए। नानी ने फिर अपना जीभी निकाल लिया और उनकी चूत चाटने लगी।
ये देख मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। मैं वहीँ खिड़की के पास ही जमीन पर बैठ गई। मैं इन लोगो को देखने में इतना खो गई थी की मुझे पता ही नहीं चला की लीला दी कब वहां से चली गई।
कुछ देर बाद मैंने अंदर झाँका तो देखा मामा और माँ नानी के दोनों तरफ लेटे है। लगता था मामा झाड़ चुके थे।
मैं चुपके से उठी और नाना के कमरे से लगी खिड़की की तरफ बढ़ी। मुझे उम्मीद थी की लीला दी अब अपनी माँ और नाना का खेल देख रही होंगी। पर मैंने देखा लीला दी वहां नहीं हैं।
मैंने आस पास देखा वो नहीं थी। फिर मैंने कमरे में झाँका तो अंदर का सीन देख दंग रह गई। देखा की नाना बिस्तर पर लेटे हैं और मौसी का दूध पी रहे है। मौसी को अब भी दूध आता था।
[ मौसी के भी दरअसल तीन बच्चे थे। लीला दी के बाद एक लड़का था विकास हो सरला दी के उम्र का था और एक छोटी लड़की थी सुरभि। वो हम सबमे सबसे छोटी थी। श्वेता की उम्र की । जब ये सब काण्ड हो रहा था तो लीला दी , सुधा दी जवानी की दहलीज पर कदम रख चूँकि थी। सरला दी और विकास भी बस बड़ी हो रहे थे। मैं और सुरभि बच्चे ही थे। हम चारों दिनभर गाँव भर में घुमते और खेलते थे।
रात में थक कर चूर रहते थे। सुरभि की वजह से अब भी मौसी का दूध आता था । वैसे ही मेरी वजह से माँ को। नाना को चुदाई से पहले इनका ताजा दूध चाहिए होता था ]
लीला दी नाना का लंड चूसे जा रही थी। कुछ देर चूसने के बाद लीला दी ने कहा - अब मुझे नाना का लंड मेरी चूत में चाहिए।
ये सुन मेरी तो हालत खराब हो गई। कैसे वो नाना का इतना बड़ा लंड लेने को तैयार हैं। मेरी ही नहीं मौसी भी भौंचक्की रह गई।
बोली - तू अभी छोटी है।
लीला दी - चुप रहो माँ। मैं छोटी नहीं हूँ। तुम सबको पता है ये रोज रोज का खेल देख कर मैं और सुधा चूत में ऊँगली करते हैं। अब मैं उंगलि नहि करुँगी। मुझे तो नाना का प्यारा लंड चाहिए।
मौसी - चूत में ऊँगली अलग बात है लीला पर बाउजी के लंड को तो अब तक हम पूरा नहीं ले पाते है।
लीला दी अदि हुई थी। उन्होंने कहा- मुझे तो चाहिए बस। घर की सब रंडियां जिससे चाहे चुद लेती हैं। हमें क्यों रोक लगी है। जवान हो गई हूँ। बाहर का लंड भी ले सकती हूँ। समझी।
मौसी - तू चुदास हो रखी है। चल नानी के पास वो तुझे शांत कर देंगी।
लीला दी - वो तो खुद मामा से चुद रही है। पर उस चुदक्कड़ की प्यास नहीं बुझेगी। अभी देखना आ जाएगी। उसके आने से पहले मुझे चुदना है।
नाना के तो मजे हो गए थे। एक कुँवारी चूत मिल गई थी जिसे वो कब से चोदना चाह रहे थे।
मौसी - बाउजी आप ही समझाइये न।
नाना - देख किसी न किसी दिन तो ये होना ही है। आज ही सही।
मौसी - आप भी न , घात लगाए बैठे थे। कुछ हो गया इसे तो।
लीला दी - देखो माँ अब मेरे मूड की माँ बहन मत करो। नाना का लंड छोस कर खड़ा किया है। चूत भी इतनी चुदाई देख कर पूरी पनिया चुकी है। सूखे उससे पहले चुद लेने दो।
मौसी इन दोनों के जिद्द के आगे थक गई। उन्होंने कहा - जब मरने को तैयार है तो मैं क्या ही करु। रुक थोड़ा तेल माँगा लेने दे।
उन्होंने आवाज दी - सुधा चौके से जरा तेल ले आ। मुझे पता है तू सब देख रही है।
मुझे पता था की सबको हमारा छुप कर देखना पता है। पर आज सब सामने आ जायेगा ऐसा मैंने नहीं सोचा था। लीला दी के ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था।
मैं चौके की तरफ गई। देखा वहां माँ पानी पी रही थी। उन्होंने कहा - नाना का हो गया ?
मैंने कहा - अभी तो शुरू भी नहीं हुआ है। तेल कहा है।
माँ ने मुझे घूरते हुए कहा - तू क्या करेगी ?
मैं - मैं कुछ नहीं करुँगी , लीला और नाना करेंगे। मौसी ने मंगाया है।
माँ ने सर पकड़ लिया। मैं चुप चाप तेल की सीसी लेकर नाना के कमरे में गई , वहां देखा तो लीला दी नाना के कमर के ऊपर बैठी थी। मुझे लगा उनकी चुदाई शुरू हो गई। पर उन्होंने नाना के लंड को लिटा दिया था और अपनी चूत की फैंको के बीच फंसा कर मजे ले रही थी। लग रहा था जैसे अपनी चूत से उनके लंड की मालिश कर रही हो।
मौसी ने कटोरी मेरे हाथ से लिया और हाथ में तेल चुपड़ कर लीला दी से कहा - हट।
लीला दी थोड़ा पीछे हटी। नाना ला लंड अब मौसी के हाथ में था। वो उस पर तेल लगाए जा रही थी। लीला दी अपनी नशीली आँखों से मुझे ऐसे देख रही थी जैसे कह रही हो - देख आज मैं किला फ़तेह करुँगी।
खूब सारा तेल लगाने के बाद मौसी ने लीला दी के चूत पर भी तेल से मालिश की। और उनसे कहा - देख आराम से धीरे धीरे अंदर ले। एक बार में पूरा मत लेना वर्ण तेरी चूत फट जाएगी।
लीला दी - अब बस करो। देखो मेरा खेल। मैं संभाल लुंगी। नाना जन्नत की सैर के लिए तैयार हैं।
नाना - वाह लीला तेरी लीला के लिए तो कब से तरस रहा था। दिखा दे अपनी लीला। और अपनी माँ की बात जरूर मानना। मुझे तेरी चूत फाड़नी नहीं है। रोज चाहिए मुझे।
लीला दी - चिंता न करो। जो होगा देखा जायेगा। अब तो खुल कर मजा चाहिए। देख सुधा तू भी देख , तेरे भी काम आएगा।
मेरी हिम्मत नहीं थी। मैं भाग कड़ी हुई और खड़िकी से झाँकने लगी।
लीला दी ने फिर से चूत और लंड की मालिश की और घुटने के बल खड़ी सी हो गई। उनकी चूत नाना के लंड के ठीक ऊपर थी। उन्होंने झुक कर नाना के लंड को पकड़ा और धीरे धीरे निचे आने लगी। उन्होंने लंड को अपनी चूत पर सेट किया और उसे अंदर लेने की कोशिश करने लगी। पर चूत कंवारी थी और नाना का लंड विशाकाय। अंदर नहीं गया।
लीला दी ने फिर से मालिश वाला खेल खेला और उठ कर दुबारा कोशिश की। अबकी उन्होंने थोड़ा जोर लगाया। उन्होंने होठो को पूरा भींच लिया था जिससे चीख न निकले। जो भी आधा इंच लंड अंदर गया था वो उसी पर कमर सेट कर ली।
कमरे में माँ और नानी भी आ चुके थे। उन्होंने मामा को मना कर दिया था।
नानी लीला दी के बगल में गई। बोली - तू सच में तैयार है।
लीला दी - मेरी रंडी नानी , मुझे भी अपने जैसे बनाने में मदद कर। मैं भी तेरी तरह हर छेद में मजे लुंगी। आह। पर बहुत बड़ा है ये। कैसे लेती हो तुम।
नानी - चूत भी गहरी होती है। ये तो कुछ नहीं है। इससे भी बड़ा ले सकती है। पर जल्दी बाजी नहीं।
लीला दी ऊपर उठ गई और लंड को बाहर कर दिया। फिर नीचे आई और इस बार फिर से अंदर ली। अबकी नानी ने लीला दी के क्लीट पर
अपनी ऊँगली फेरनी शुरू कर दी। वो अपना थूक भी लगाए जा रही थी। अबकी लीला दी ने थोड़ा और अंदर लिया। इस बार उनकी चीख निकल गई।
माआआआ कैसे लेती हो इसे अंदर। मेरी चूत फटेगी तो नहीं।
मौसी - तू ही तो चाह रही थी। अब भी वक़्त है , रहने दे।
लीला दी - चुप रंडी। साली रोज रात में चुदती है। इसी पर उछाल उछाल मजे लेती है। और मुझे रोक रही है। अब तो फाटे तो फाटे , चुद कर रहूंगी।
ऐसे ही कुछ कोशिशों में मैंने देखा नाना के लंड का कुछ हिस्सा अब अंदर चला गया था।
लीला दी उतने पर ही ऊपर नीचे करने लगी। नानी उनके क्लीट पर भिड़ी हुई थी। तो उन्हें मजा पूरा मिल रहा था। चूत भी भर के पानी चूड रही थी। वो मजे में थी।
करीब पंद्रह बीस मिनट के प्रयास के बाद लीला दी की चूत ने लंड का एक आधा हिस्सा ले लिया था। अब उन्होंने कहा - नाना अब चोदो। बस इतने पर चोदना। नाना अब बैठ गए। उन्होंने लीला दी को गोद में लिया और उन्हें सामने से चोदने लगे। उन्होंने स्पीड अब भी काम रखा था। लीला दी और नाना दोनों अपने कमर को एक अंदाज में हिलाये जा रहे थे। लीला दी मस्ती में थी।
लीला दी - क्या मजा चुदाई का है आज मैंने जाना। थोड़ा और अंदर डालो न। पेल दो अपनी नतिनी को। बेटीचोद तो थे अब नतिनीचोद भी हो गए नाना
नाना - हाँ रे । सब तेरी लीला है तेरी चूत एकदम तैयार है। कुछ दिन रुक जा पूरा डालूंगा। अभी इतने से मजे ले।
लीला दी - तेज हल चलाओ नाना। जोत लो मेरा खेत। मालिक हो तुम मेरे।
लीला दी को मस्ती चढ़ रही थी। उन दोनों को देख मैं , माँ और मौसी अपनी चूत में ऊँगली कर रहे थे। नानी समझदार थी। वो अब भी उन दोनों के बीच में बैठी थी और लीला दी के क्लीट से खेल रही थी। उन्हें मालूम था , लीला दो को जल्दी स्खलित करना होगा वार्ना उनकी चूत तो गई।
नानी - वाह मेरे बालम , इस उम्र में भी कुँवारी चूत पेल रहे हो। बना दो इस काली को फूल। कोई और भंवरा इसका रस निकाले तुम ही निकाल दो।
नाना - सही कह रही हो। ये काली है। पर एकदम तुम्हारी तरह है। देखना एक ही हफ्ते में पूरा लेगी।
पर उन दोनों को क्या पता था , लीला दी मस्ती में ननका लंड काफी हद तक ले चूँकि है और उनकी चूत से पानी के साथ ब्लड भी आ रहा था। नाना ने लीला दी की सील तोड़ दी थी। चुदाई की मस्ती में नाना से ज्यादा लीला दी कमर हिला रही थी और खुद ही फटने को तैयार थी। पर बहुत देर तक ये नहीं चला। नाना के लंड ने जवाब दे दिया। नानी ने नाना की हालत देखि तो कहा - अंदर नहीं डालना। बाहर करो।
नाना ने झट से अपना लंड बाहर निकल लिया। उनके लंड ने वहीँ नानी के हाथ में ढेर सारा पानी उड़ेल दिया।
लंड के निकलते ही लीला दी की जोरदार चीख निकली और वो वहीगिर पड़ी। मौसी ने तुरंत उन्हें अपने गोद में ले लिए। माँ चौके की तरफ भागी। उन्हें पानी गरम करना था लीला दी की सके के लिए।
मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। लीला दी की हालत देख मैं अपने मजे को भूल गई और माँ के पास चली गई।
yeh leela toh badi chudakkad nikli apne nana se hi seal khulwa li..ab ghar me aisi randiya hai toh kya hi karegi woh..waise nani ne apne bete matlab mama ke sath galat kiya..woh chahti toh mama se khulwati leela ki chut lekin usko aane bhi nahi diya room me..sabko kya ab yeh harami nana hi khayega kya..ab yeh leela raj se chudne jarur aayegi kyunki raj ka lund sabse bada hai..lekin raj isko aise hi na chode..isko bahot tarsaye raj kyunki isne raj ko dudh nahi pilaya uss nana ke liye..raj iss leela ko itna tarsaye ki pehle iski gand hi maare fir chut ka number lagaye tab maja aayega..!!
 
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