मेरी माँ रेशमा -3
कार एक छोटे से होटल पर रुकी थी, अब्दुल ने चाय का आर्डर दे दिया.
मैं पेशाब करने होटल के पीछे चला गया, पेशाब कर ही रहा था की वहाँ किसी की आहट हुई, वो लोग आपस मे बात कर रहे थे, जैसे लड़ रहे हो.
मैंने तुरंत दिवार की साइड ले ली,
बाहर झाँक के देखा तो मोहित और प्रवीण आदिल से कुछ बात कर रहे थे, लग रहा था जैसे झगड़ रहे हो.
"साले मादरचोद आदिल तुझे बड़ी ठरक मची हू है?, क्या कर रहा था तू आंटी के साथ " प्रवीण ने कहा
"ममम... मैं... मैं क्या मर रहा था कुछ भी तो नहीं " आदिल ने सफाई दी.
"चुप भोसड़ीके हमने साफ देखा था तेरा मुँह बिल्कुल भीगा हुआ था, आंटी की जाँघे फैली हुई थी, तू आंटी की चुत चाट रहा था " मोहित ने आदिल के हाथ मरोड़ते हुए कहा.
उफ्फ्फ्फ़.... ये बात सभी को पता पड़ गई थी, मेरी माँ ने क्या इज़्ज़त बनाई थी आज मेरी, मेरे दोस्तों के सामने मेरी और मेरे परिवार की इज़्ज़त नीलाम हो रही थी.
आदिल दबी आवाज में बोला "यार जब आंटी को कोई समस्या नहीं है तो, तुम्हे क्यों मिर्ची लग रही है सालो " आदिल की बात सुन मैं सकते मे आ गया, मतलब मेरी माँ खुद की मर्ज़ी से ये सब करवा रही थी उसकी कोई मज़बूरी नहीं थी.
" मैंने तो बस try किया, तुम लोगो ने देखा नहीं अमित की.मम्मी कितनी sexy है, उनका बदन कियना टाइट है जैसे porn फिल्मो की हीरोइन हो, कितनी गोरी है, तुम्हे क्या बता आंटी की चुत से कितना मीठा पानी आ रहा था, उफ्फ्फ.... चट्ट.... " आदिल चटकारे लेते हुए बेशर्मी से मेरी माँ की तारीफ कर रहा था.
माँ की तारीफ सुन मेरा भी लंड मचलने लगा था, क्यूंकि चुत तो मैंने भी देखी थी, बिल्कुल फूली हुई गीली चुत.
"हट साले शर्म आनी चाहिए तुझे अपने दोस्त की माँ के साथ तूने ऐसा किया " प्रवीण ने झिड़क दिया आदिल को.
"और देखो कैसे बेशर्मी से सुना रहा है हमें " मोहित ने भी डांटा लगाई.
जो काम मुझे करना चाहिए था वो मेरे दोस्त कर रहे थे, और मैं नामर्दो की तरह उनकी बात सुन उत्तेजित हो रहा था.
"हटो सालो... तुम्हे औरत की पहचान ही नहीं है, अबे आंटी खुद से दे रही थी, वो प्यासी है, लगता है काफ़ी सालो से चुदी भी नहीं है, उसकी चुत मे खुजली थी मैं तो बस मिटा रहा था" आदिल ने अपना पक्ष रखा.
प्रवीण और मोहित दोनों खामोश थे जैसे कुछ सोच रहे हो.
"औरत की भी जरुरत होती हो दोस्तों, उसे भी प्यार पाने का हक़ है, पहली बार गांव से बाहर निकली है, और अच्छा है ना कहीं बाहर से कुछ करती तो फालतू बदनामी होती, हम अमित के दोस्त है ये बात कहीं बाहर नहीं जाएगी "
आदिल ने अपनी बात रखी.
प्रवीण और मोहित दोनों चुप थे, उनकी बात समझ आ रही थी.
"और दोस्तों ऐसी औरत किस्मत से मिलती है, चुदासी, प्यासी औरत वो तो एक बार मे हम सब लोगो का लंड ले सकता है, मैंने देखी है उसकी तड़प, साली मेरे सर को ऐसे दबा रही थू जयश्री चुत मे घुसेड़ लेगी अपने "
आदिल की बात सुन मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया था, मुझे याद आया मेरे पापा बरसो से दमे के मरीज़ है, थोड़ा चल भी लेते हज तो खासने मरनेअगते है, चुदाई उनके बस की बात थी ही नहीं, तो... तो क्या माँ बरसो से नहीं चुदी है, इतने बरसो मे माँ को पहला मौका मिला है घर से बाहर निकलने का
मुझे समझ आ रही थी मेरी माँ की मज़बूरी, ऐसी गद्दाराई औरत इतने सालो से बिना चुदे रह रही थी, एकदम से इतने जवान हट्टे कट्टे लड़के मिल जाये तो चुत तो कुलाचे भरेगी ही ना.
फिर भी मैं थोड़ा निराश था, क्यूंकि जो भी हो था तो गलत ही.
"तुम लोग बस शांति से रहो, और मौका मिलते ही बहती गंगा मे नहा लेना " आदिल की बातो से प्रवीण और मोहित की आँखों मे चमक आ गई.
साले कहा अभी दोस्ती दोस्ती कर रहे थे ब दोस्त की माँ को चोदने के सपने देखने लगे हरामी साले.
मोहित और प्रवीण राजी ही गए, तीनो मूत के आगे चाय पीने चले गए, मैंने भी जल्दी से मुता और आगे चल दिया.
तूफान मचा हुआ था मेरे जीवन मे, हालात ख़राब थी सोच सोच के की आगे क्या होगा, मन कर रहा था ये सफर यही खत्म कर दू.
लेकिन आदिल की बात मेरे दिल मे घर कर गई थी, माँ पहली बार घर से बाहर निकली है, वो भी औरत है उसकी भी इच्छा है. उसमे भी अरमान है.
मैं मन मामोस के चाय सुडकने लगा.
सभी ने चाय खत्म की और कार के पास आ गए, अब्दुल तो पहले से ही माँ के पास कार के बाजु खड़ा था, माँ और अब्दुल हस हस कर बात कर रहे थे.
सब लोग अपनी अपनी जगह बैठ गए थे, मैं ही धीरे धीरे कदमो से सर झुकाये चला आ रहा था, क्यूंकि मुझे अपनी जगह और आगे का सीन पता ही था.
"अबे जल्दी आ ना " प्रवीण चिल्लाया
"आया "
धाड़ करते हुए मैंने कार का दरवाजा बंद किया और शाल ओढ़ कर बैठ गया.
अब पिछे देखने की कोई इच्छा नहीं थी मुझे ना हिम्मत थी, मैं वो इंसान था जिसे उसकी माँ और दोस्त सभी धोखा दे रहे थे.
खेर कार सडक पर दौड़ चली, सब कुछ जानते हुए भी मेरा दिल नहीं मान रहा था, कारण था मेरा लंड जो तभी से खड़ा हुआ था जब से मैंने माँ की गांड देखी थी, इतना तो देख ही चूका हूँ, थोड़ा और देख लेने मे क्या बुरा है जब माँ राजी तो क्या करेगा बेटा पाजी.
मैंने हलकी से करवट ले कर सर तक़ शाल ओढ़ लिया.
करीब आधे घंटे बाद ही आदिल ने हरकत की, शायद उसने माँ के स्तन पर हाथ रखा था, जिसे माँ ने दूर कर दिया.
शायद माँ डर रही थी अब.
"क्या हुआ आंटी?" आदिल फुसफुसा के बोला
"रहने दो ये अच्छी बात नहीं है " माँ ने भी फुसफुसा के कहा
"अमित सो रहा है, अब कुछ नहीं होगा " आदिल ने कहा
"नहीं... हाथ हटाओ " माँ ने वापस से आदिल का हाथ हटा दिया.
लेकिन आदिल माँ को पहचान गया था, कहा मानने वाला था.
सरसराहत की एक आवाज़ के साथ आदिल ने अपना बॉक्सर उतार दिया, जो की उसके पावो मे नीचे साफ दिख रहा था, साले मे बहुत हिम्मत आ गई थी.
उसने माँ के हाथ को पकड़ अपने गरम खड़े लंड पर रख दिया
"ऊफ्फफ्फ्फ़.... नहीं बेटा " माँ कसमसा गई और हाथ हटा लिया.
"प्लीज आंटी अमित सो गया है देखो, कुछ नहीं होगा "
माँ ने एक नजर मुझे देखा, फिर बाहर देखने लगी लेकिन माँ का हाथ आदिल के लंड पर कसता चला गया, जिसे शायद आदिल ऊपर नीचे कर अपने लंड को सहला रहा था,
माँ की सांसे फिर से तेज़ होने लगी थी, हाथ आदिल के लंड पर कसने लगे थे. लेकिन माँ खिड़की से बाहर देख रही थी.
आदिल से रहा नहीं गया, उसने माँ के चेहरे को अपनी तरह घुमा माँ के होंठो पे अपने होंठ रख दिया,
मैं हैरान रह गया आदिल मे इतनी हिम्मत कहा से आ गई, अभी सब कुछ छुप के हो रहा था.
"उउउम्म्म.... न्नन्न.... उम्म्म्म... माँ सिर्फ कसमसा कर रह गई, लेकिन अपने होंठो को अलग करने की कोई कोशिश नहीं की..
माँ फिर से गरम होने लगी थी, माँ आदिल के चुम्बन का जवाब अपना मुँह खोल के दे रही थी, उसके हाथ कम्बल मे हिल रहे थे, माँ खुद से आदिल के लंड को हिला रही थी.
थोड़ी देर kiss करने के बाद आदिल ने माँ के कान के लास जा कर फुसफुसाया,
"मुँह मे लो ना आंटी "
उफ्फ्फ्फ़..... मेरा लंड फटने को आतुर हो गया था.
क्या मेरी माँ को ये सब आता होगा? मेरे जहन मे सबसे बढ़ा सवाल यही थी.
उत्तर मुझे तुरंत मिला, माँ ने ना मे सर हिला दिया. लेकिन हाथो से आदिल के लंड को मसलती रही, माँ की आँखों मे हवस साफ दिखाई दे रही थी, आंखे किसी नशे से लाल हो गई मालूम पडती थी.
"प्लीज आंटी एक बार, अच्छा लगेगा " लेकिन माँ ने फिर से मना कर दिया.
और आदिल के होंठो को वापस से अपने लाल मखमली होंठो मे कैद कर लिया.
आदिल ने अपने इरादे पुरे ना होते देख, माँ की जांघो से कम्बल हटा दिया, बहुत हिम्मत दिखा रहा था आदिल.
कमाल पूरी तरह कमर के ऊपर चढ़ गई थी, आदिल ने जल्दी से गाउन को ऊपर चढ़ा माँ की टांगे फैला, मेरर सामने एकदम गीली साफ चिकनी चुत चमक उठी.
पहके सिर्फ एक पल को देख पाया था, अब बिल्कुल मेरे सामने माँ की चुत खुली पड़ी थी, अतिउत्तेजना मे चुत की दीवारे सिकुड़ती तो कभी फ़ैल जाती.
माँ आदिल के होंठ चूसने मे इस कदर बिजी थी जैसे खा ही जाएगी.
माँ किसी भूखी शेरनी की तरह व्यवहार कर रही थी.
तभी आदिल ने देर ना करते हुए पाचककककक......से माँ की गीली चुत मे ऊँगली घुसा दी,
आउच.... उफ्फ्फ....माँ ने कमर को थोड़ा ऊपर उठा कर एक जाँघ आदिल की जाँघ पर रख दी, ताकि ऊँगली एयर अंदर जा सके, माँ बिल्कुल पागल हो गई थी.
पच पच... पच.... की आवाज़ से कार गूंजने लगी थी, माँ की चुत से पानी रिसता हुआ कार के फर्श को गिला कर रहा था.
आदिल ने अगली चाल चलते हुए माँ के सर पे दबाव बना कर उसे अपने लंड पर झुकाने लगा.
इस बार माँ ने कोई विरोध नहीं किया, अपने खूबसूरत होंठो को खोलते हुए, किसी कुतिया की तरह जीभ निकाल आदिल के लंड को चाटने लगी, m-ldpwiqacxt-E-Ai-mh-8tkob-Twtz01bt-Aw-28166902b आदिल मे लंड पर प्रीकम की बुँदे थी जिसे माँ एक बार मे चट कर गई.
उफ्फ्फ.... मेरी माँ किस किस्म की औरत थी.
लंड चाटने का बाद माँ ने अपना खूबसूरत मुँह खोल दिया, और एक बार मे आधे से ज्यादा लंड अपने मुँह मे समा लिया.
उउउफ्फ्फ.... मैं माँ के रंडी पने से हैरान था, मेरा तो लंड और दिमाग़ दोनों तनाव से फटे जा रहे थे,
वेक वेक.... गु.. गु... करती माँ आदिल के लंड को चूसने लगी, उधर आदिल फच.. फच... पच... करता माँ की चुत को अपनी दो ऊँगली से चोदे जा रहा था,
माँ हवस मे इस तरह गिर गई थी की उसे ये भी फ़िक्र नहीं थी की आगे की सीट पर उसका बेटा बैठा है कहीं जाग गया देख लिया तो क्या होगा.
वैसे भी हवस वासना इंसान का डर खत्म कर देती है.
माँ को सिर्फ अपनी प्यास बुझानी थी, मेरर सामने मेरी माँ मेरे दोस्त कर लंड को चूसे जा रही थी, अपनी जाँघे फैलाये चुत मे ऊँगली करवा रही थी,.
मैं साफ साफ मैं की चुत मे ऊँगली जाते देख रहा था, पच पच... फच.. फच... की आवाज़ मेरे टन बदन को जाला रही थी.
मन कर रहा था दोनों को जान से मार दू, लेकिन आदिल की वो बात, औरत की मज़बूरी और मेरी बदनामी मुझे ऐसा करने से रोक रही थी..
तभी माँ लौंडा चूसती हुई थोड़ी रुकी "बेटा आदिल कम्बल डाल दे ऊपर किसी ने देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी "
माँ ने रिक्वेस्ट की.
"देख क्या लेगा आंटी हम तो कबसे देख रहे है " मोहित और प्रवीण ने कम्बल हटाते हुए कहा.
मोहित और प्रवीण की आवाज़ सुननी थी की माँ की गांड ही फट गई, शरीर एक बार को कांप गया, चेहरा सफ़ेद पड़ गया.
"तत्तत्त... तुम लोग सोये नहीं " माँ ने मुँह पोछते हुए, खुद को ढकते हुए कहा
लेकिन आदिल की उंगलियां अभी भी माँ की चुत मे ही थी, डर के मारे माँ की सारी खुमारी सारी हवस उतर गई थी.
"आप डरिये नहीं आंटी, हम आपकी मज़बूरी समझते है, आपकी भी जरूरते है " मोहित ने हाथ आगे बढ़ा कर माँ की नंगी जांघो पर रख दिया.
माँ एकटक कभी मोहित को देखती तो कभी उसके हाथो को जो उसकी जांघो पर रेंग रहे थे.
मुझे समझते देर नहीं लगी, ये सब इनका प्लान था
"न्नन्न... नहीं नहीं बेटा ये गलत है अमित को मालूम पड़ा तो क्या होगा " माँ व्याकुल थी उसे सिर्फ मेरा डर था, बाकि वो क्या कर रही है इसकीकोई परवाह, शर्म नहीं थी.
"वो तो घोड़े बेच के सोता है, कान के पास बम भी फोड़ दो तो नहीं उठेगा, हम साथ रहते है हमें पता है ना " प्रवीण मे माँ को दिलाशा दिया.
माँ असमजस मे थी, क्या करे क्या नहीं, लेकिन चुत मे रेंगति आदिल की उंगलियों ने माँ को निर्णय लेने मे मदद की.
"तुम लोग सच बोल रहे हो ना,? किसी को बोलोगे तो नहीं " माँ की आवाज़ मे हवस थी, कामवासना थी औरमाँ ऐसा मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी.
माँ की बाते और उसका चेहरा देख तीनो समझ गए थे माँ को कोई आपत्ति नहीं है
"आप बीच मे आ जाओ ना आंटी, हमें भी सेवा का मौका दो, आपकी इज़्ज़त हमारी इज़्ज़त " मोहित ने माँ का हाथ पकड़ अपनी और खिंचा.
जिसका माँ ने कोई विरोध नहीं किया.
साले मादरचोद मेरे दोस्त, अभी तक मेरी इज़्ज़त की परवाह कर रहे थे,
अब मेरी ही माँ को चोदने का प्लान कर रहे थे, ऐसे दोस्त भगवान किसी को ना दे.
माँ बीच मे आने के लिए, घोड़ी बन आगे को सरकने लगी, माँ का गाउन तो पहले से ही ऊपर था, पुच... करती आदिल की गीली उंगलियां माँ की चुत से बाहर आ गई.
घोड़ी बनी माँ की गोरी सुडोल गांड हलकी रौशनी मे चमक रही थी. images-2-5
चट.. चाटक.. की आवाज़ के साथ आदिल मे माँ की थूलथूली गांड पर जोर का चाटा रसीद कर दिया. माँ को गांड थिराक उठी, मया नजारा था मैं सगा बेटा होते हुए तारीफ करने लगा था.
आदिल का हाथ माँ के चुत रस से भीगा था, आवाज़ तेज़ आई.
"आउच क्या कर रहे हो, अमित जग जायेगा "
"ससस... Sorry आंटी आपकी जैसी गांड मैंने आज तक किसी की नहीं देखी तो खुद को रोक नहीं पाया "
"हट बदमाश... माँ मुस्कुराती मोहित और आदिल के बीच मे जा बैठी.
उफ्फ्फ.... अब खेल पूरी तरह से खुले मे चल रहा था.
इस खेल के दर्शक मैं और ड्राइवर अब्दुल थे, अब्दुल मिरर से ये खेल देख के सिर्फ मुस्कुरा रहा था, उसने कोई हरकत नहीं की.
मेरा तो खून और लंड दोनों उफान पर थे.
मुझे हैरानी थी अब्दुल कुछ बोल क्यों नहीं रहा है, सिर्फ देख रहा है.
जैसे कोई बड़ा खिलाडी बच्चों को खेलता देख रहा हो.
पीछे मोहित का बॉक्सर जमीन पे पड़ा था, उसका 6 इंच का लंड माँ के कामुक मुँह मे गोते खा रहा था, माँ भी किसी मांझी हुई रंडी की तरह उसके लंड को चूस रही थी.
मुझे नहीं पता था माँ ने ये सब कहा से सीखा, या फिर माँ ये सब पहले से ही करती आई थी.
बस मैं ही बेवकूफ था जो कभी ये सब जान ही नहीं पाया.
उधर आदिल तो माँ की चुत की लकीर को खोदने मे बिजी था, उसकी उंगलियां माँ की गांड की दरार मे चल रही थी आगे पीछे, गांड के छेद से चुत के छेद तक चली जा रही थी,.
चुत मे दो ऊँगली डूबाता फिर उसी लकीर पर ऊपर बढ़ता हुआ गांड के छेद के चारो और सहलाने लगता.
माँ बेचैन थी बार बार गांड को ऊपर नीचे कर रही थी, जैसे उंगलियों को चुत मे वापस डाल लेना चाहती हो लेकिन आदिल ऐसा होने नहीं दे रहा था.
वेक... वेक.... गु.. गु.... माँ की सिस्कारिया मोहित के लंड से दबी हुई थी.
माँ से रहा नहीं जा रहा था माँ ने एक हाथ आगे बड़ा कर प्रवीण के लंड को भी थाम लिया उसे हिलाने लगी,
प्रवीण का लंड भी कोई 6,7 इंच का ही होगा.
सबसे ज्यादा मजे आदिल के थे उसका हाथ माँ की गोरी गांड को दबा दबा के सहता रहा था, उंगकिया गांड के छेद को कुरेद रही ही.
"आआहहहह.... आउच... उफ्फ्फ.... आदिल... तभी माँ ने मोहित के लंड से मुँह हटा एक धीमी हुंकार भरी.
"वहाँ नहीं बेटा " माँ ने हाथ पीछे कर आदिल का हाथ पकड़ना चाहा, जिसे आदिल ने हटा दिया.
आदिल की एक ऊँगली माँ के गांड के छेद ने धंस गई थी.
और दूसरी ऊँगली चुत को कुरेद रही थी.
"ससससस.... शस्स्स.... आंटी अमित जग जायेगा " मोहित ने वापस अपना लंड माँ के मुँह मे पेल दिया.
गो... गी... वेक.. वेक....
आदिल की उंगलियां अपना जादू दिखाने लगी, माँ गांड को उठा उठा के आदिल के हाथ पर पटक रही थी.
मेरा मन कर रहा था अभी लंड हिला लू, फटा जा रहा था दर्द से.
अब मेरी माँ सिर्फ एक औरत थी जिसे मेरे दोस्त चोदना चाह रहे थे.
"उउफ्फ्फ... आअह्ह्ह... हंफ.... हमफ.... वेक.. वेक... गो.. गो.. गुलप...
आवाज़े गूंजने लगी थी.
पच... पच... करता रस माँ की चुत से टपकता हुआ, आदिल की जांघो को भीगो रहा था..
मेरी माँ भी किसी रंडी की तरह तीनो का साथ दे रही थी, प्रवीण के लंड को हाथो से मसले जा रही थी.
15 मिनट तक ये दौर चलता रहा, माँ हँफने लगी थी.
आअह्ह्ह.... बस... बस... बेटा...
"रुको आंटी... आअह्ह्ह.... फच... फाचक.... करता मोहित माँ के गरम मुँह मे ही झड़ गया, " मेरी माँ के हाथ लगातार मोहित के लंड को निचोड़ रहे थे, जैसे एक एक बून्द निकाल लेगी, मोहित के लंड सा निकला वीर्य माँ के चेहरे को भिगोने लगा.34899752
गर्माहट का मिलना था की सससररर.... पचक फच.... करती माँ की चुत से ढेर सारा रस बह निकला,
आअह्ह्ह.... बेटा.... गटक... माँ ने मोहित के रस को गटक लिया, उसके हाथ से प्रवीण का लंड छूट गया.
माँ बिल्कुल निढाल हो कर तीनो की जांघो पर फ़ैल गई थी, सांसे तेज़ चल रही थी.
तभी कार की स्पीड धीमी होने लगी.
साला आगे तो जाम लगा हुआ है " अब्दुल की आवाज़ कार मे गूंज उठी.
मैं अभी भी वैसे ही पड़ा हुआ था.
माँ तुरंत उठ बैठ कपडे ठीक किया, और मुँह को पोंछ लिया.
कम्बल ने चारो को ढक लिया था, सन्नाटा छा गया था जैसे कुछ हुआ ही ना हो.
Chhhhrrrrr..... करती कार रुक गई.
अपने बहुमूल्य कमेंट जरूर दे, अपने विचार जरूर शेयर करे, क्या कहानी मे कुछ सुझाव चाहते है आप?
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