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Incest मेरी मां सुधा – घर की बड़ी बहू

Sensual intimacy

All I want Is Your Warm Hug
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Bhai badhiya suruwat h
Waiting for next uptade

Nice start... Ummeed hai jald hi kahani ke agle panne khulenge

Bhout badiya start

Nice start 👌 ✍️👌

Incest lover


Nice story waiting for update

Bahut jabardast start hai bas regular bade bade updates dete rehna aur hero Sudha ka beta hi rahe please

Nice start

Wahh bhai story to mast hai aur maa bhi badi rasili hai aur iske jalwe to dance se hi pata chal ta hai ab dekhte hai beta kaise is raili maa ka ras chakta hai

Romanchak shuruaat. Pratiksha agle rasprad update ki

Congratulations for new story.plz continue

कहानी का प्रारंभ बहुत ही खुबसुरत और शानदार हैं मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Waiting for update

nice start.
Thanks you very much dosto itane acche response ayega socha nahi tha...

Jaldi agala update aayega....
 

monty sharma

Active Member
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भाग 01

सुधा... सुधा... करते हुए मनोहर अपनी धर्मपत्नी को आवाज दे रहे लेकिन बैंड बाजे की आवाज में उनकी आवाज जैसे दब रही रही थी... बेटा तेरी मां को बुला तो.. मनोहर अपने बेटे से बोलते है..

सूरज अपनी मां की और जा रहा था.. सामने सुधा अपनी ही धुन में मगन हुए कमर को हिला हिला के ठुमक रही थी..लाल चोली में एक 24 साल के बेटे की मां सुधा यहा सब से अधिक खूबसूरत महिला थी... गोरा रंग.. ब्लाउज को पूरी तरह भर रहे उसके स्तन.. काली आंखे.. लंबे घने बाल... बूढ़े से लेके बचे सब सुधा की कामुकता में खो गई थे..

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कोई आगे उभरे हुए स्तनों को तो कोई सुडोल सुगठित नितंभ तो कोई लचक रही कमर तो कोई बैकलेस ब्लाउस में पूरी नंगी पीठ को को देख सुधा को अपनी बाहों में उठा लेने के सपने सजा रहे थे...

सुधा का बेटा उसे बुला के उसके पापा के पास ले जाता है.. मनोहर गुस्से में बोलते है... ये क्या है घर की बड़ी बहू हो तुम और इसे आवारा लड़को के बीच नाच रही हो..क्या इज्जत रह जायेगी मेरी.. कूच तोह सरम करो...एक तो पूरे कपड़े भी नही पहन के आई हो.. मनोहर सुधा की चोली देख बोले.. वैसे क्या करे सुधा चाची के चूचे आधे से ज्यादा बाहर आ रहे थे...

सूथा पति की बात को सुन के बोली.. भांजे की शादी है रोज रोज थोड़ी होगी..आप तो नचाते नही मुझे तो जाने दो...

शादी होने के बाद सब घर आते हे.. और बहु की मुंह दिखाई होती और बाद में नई जोड़े को उनके कमरे में ले जाते है..

(यहां से में यानी सुधा का बेटा ही कहानी सुनाऊंगा)

तोह मां (सुधा) और चाची सब पहले भाभी को कमरे में ले गई और थोड़ा हसी मज़ाक की... फिर वीर भाई से भी मजाक मस्ती करते हुए सब बाहर आ गई...

अब तक रात के 11 बज गई थे...सब बाहर आंगन में ही सोए थे घर में कोई नई सोया था.. क्यू की आज तो नई बहू की सिसकारियां निकलने से कोई सो ही नही पाता..और बाहर मौसम भी अच्छा था...

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सब जल्दी ही सो गई तभी भाभी की आवाज आई..रोते हुए चिल्ला रही थी.. मां ने आवाज सुनी और वो घर में गई.. तो भाभी रोते हुए भईया से बोल रही थी की मुझे घर जाना है..मुझे जाने दो.. मम्मी पापा....

आगे अगले भाग में...
Mind blowing update
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Sensual intimacy … bahut hi behtarin shuruat… congratulations for your new story

Waiting for next blockbuster update 👏🏻😂👏🏻
 
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Sensual intimacy

All I want Is Your Warm Hug
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भाग 2

वीर एक गांव में पला बड़ा लड़का था.. देखने में खास नही.. लेकिन खेतो मे दिन रात काम करने से उसकी बॉडी किसी बॉडी बिल्डर से कम न थी.. गुस्सा बहोत जल्दी आजता था और किसी से भी लड़ाई कर लेना उसके लिए आम बात हुआ करती.. अब तो अपने मां बाप की भी नही सुनता था.. लेकिन मेरी मां के लिए उसे बहोट आदर था.. अब इस की कई वजह हो सकती है.. पहली तो मां की खूबसूरती मां का प्यार या क्यू की हम बहोत कम ही आते थे गांव...

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मां भाभी की रोने की आवाज सुन बहोत बैचेन हो गई थी पहली ही रात में बहु इसे क्यों रो रही मां इस लिए भी ज्यादा दर रही थी क्यू की वीर के विशाल जिस्म के आगे बिचारी दुबली पतली कंचन.. ऐसा था जिसे शेर के सामने मेमना हो... और एक तो कंचन मां के रिश्ते में आती थी.. मां ने बिना सोचे ही दरवाजा खटखटाया... बेटा कंचन क्या हुआ में यही हू...वीर बहु रो क्यों रही है...

वीर के उपर उसकी हवस चढ़ी हुए थी सामने अर्ध नंगी कंचन के गोरे और मुलायम बदन को देख वीर उसकी बड़ी मां को आवाज के सुन के भी अनसुना कराते हुए.. कंचन के हाथ उसके छोटे छोटे स्तनों से हटा देता हे...और कंचन के उपर से थोड़ा ऊपर होकर कंचन की चौकी को कामत तक ले आता है... बिचारी कंचन इतना डर गई थी की मुंह से उसकी बड़ी सास यानी मां को आवाज भी लगाना केसे भूल गई थी... वीर का काला मोटा विशाल लन्ड देख तो दो बच्चो की मां के भी पर डर के मारे कांपने लगे...
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वीर रोती हुई उसकी पत्नि को देख भी रुकता नही और एक बार में कंचन की कच्छी निकल के कच्छी की स्मेल लेता हे और फिर कंचन की और किसी जानवर केसे देखता हे...और एक दम से लोड़ा कंचन की कुंवारी योनि के प्रवेश द्वार पे रख एक जोर का थक्का लगा देता है..बिना किसी अतिरिक्त प्यार के या गरम किए वीर के इसे प्रहार से कंचन की योनि मे भारी दर्द होते ही कंचन अपनी पूरी शक्ति लगा में चिल्ला उठी और वीर को भी अपने नंगे जिस्म से थोड़ा दूर करने में संभल हुए.. कंचन दर्द भरी आवाज सुन मां अपनी पूरी शक्ति लगा के वीर को गुस्से में बोलती है... दरवाजा खोल क्या किया तूने.. मुझ से बुरा कि नही होगा अगर मेरी बच्ची के साथ कुछ बुरा किया.. अब तक बाकी घर वाले भी आ गई थे सब ने अब वीर को दरवाजा खोलने को कहा...

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जैसे ही दरवाजा खुला वीर गुस्से में आग बबूला हो के लुंगी में बाहर आया.. उसका लिंग साफ साफ दिख रहा था पूरी लुंगी उठी हुए जो थी..मां ने पहली बार इतना बड़ा उभार अपनी आखों से देख रही थी...मां तुरत अंदर गई और में भी पीछे जाने ही वाला था की पापा ने मुझे रोक लिया... बिचारी भाभी अभी तक नंगी ही थी..मां को उसके पूरे बदन पे लाल लाल निशान दिखे जो भईया के इतने जोर से पकड़ने से हुए होगे और भाभी के पतले नाजुक हॉट से खून निकल रहा था...और गले स्तन पे दात के निशान रह गई थे...योनि पर नजर मां की पड़ी तो इतना तो समझ गई कि अभी तक कंचन एक दम कवारी है..वीर का लिंग बस इतना ही भेद पाया था योनि को की कंचन की जान निकल जाय लेकिन योनि पटल की दीवार अभी तक टूटी नहीं थी...

मां की आखों से आसू निकल गई..और खुद को कोसने लगी की क्यो उन्होंने उसकी छोटी बहन की फुल सी बच्ची को ऐसे हैवान के साथ शादी के बंधन में बांध दिया... अंजाने में ही लेकिन मां से भारी भूल हुए थी... पड़ी लिखी हुई कंचन यहां कैसे शादी के लिए मान गई सिर्फ मां के भरोसे पे... मां ने कंचन को कस के अपने सीने में भर लिया... कुछ नही हुआ मेरी बच्ची में आ गई हु...मां ने जैसे तैसे भाभी को शांत किया और सब को बाहर आके बोल दिया की...में बहु के साथ ही सो रही हु आप सब भी सो जायेगा...

कंचन भाभी मां से किसी बच्चे के जैसे लिपट के सो जाती है..में बाहर अभी तक यही सोच रहा था की हुआ क्या था.. लेकिन पाता नहीं क्यो मुझे भाभी चिंता हो रही थी..कही न कही मुझे वीर भईया से जलन हो रही थी की उनकी शादी मेरी ही मासी की बेटी से हो रही थी जिसे में मन ही मन पसंद किया करता था लेकिन कभी हम इस बात नही करते थे... करते भी केसे छोटी बहन जो थी रिश्ते में लेकिन आज उसकी रोने की आवाज ने मुझे बैचेन कर दिया था...

सब के जाने के बाद मेने दरवाजे के पास गया और मां को धीरे से आवाज दी..मां सो तो पायेगी नही तो मेरी आवाज सुन बाहर आई..

में – मां कंचन..कंचन भाभी कैसी है उसे क्या हुआ हे..
मां – कुछ भी तोह नही बेटा वो नया घर हे तो डर गई होगी नींद में आप सो जाओ...
में – मां क्या में उसे एक बार देख एकता हु मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है जिसे उस के साथ कुछ बुरा हुआ हो...
मां – बोला ना सो जा... सुबह मिल लेना वो हमारे साथ आ रही हैं कुछ दिन...
में खुस हो गया की वो हमारे साथ हमारे सहर वाले घर आयेगी...

यहां आप समझ गई होंगे की कंचन और में दोनो बहोत नादान और भोले है.. हमे अभी तक ज्ञान नही ही कंचन को तो कुछ भी नही था लेकिन मुझे कुछ कुछ पता चल जाता था...

आगे अगले भाग में...
 

Jay1990

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Super update upcoming update ka intezar me
 
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allen barry

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Bahut badhiya start kiye ho
Lagta hai aage bahut maza aayega
 
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Infernal.Emperor

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भाग 2

वीर एक गांव में पला बड़ा लड़का था.. देखने में खास नही.. लेकिन खेतो मे दिन रात काम करने से उसकी बॉडी किसी बॉडी बिल्डर से कम न थी.. गुस्सा बहोत जल्दी आजता था और किसी से भी लड़ाई कर लेना उसके लिए आम बात हुआ करती.. अब तो अपने मां बाप की भी नही सुनता था.. लेकिन मेरी मां के लिए उसे बहोट आदर था.. अब इस की कई वजह हो सकती है.. पहली तो मां की खूबसूरती मां का प्यार या क्यू की हम बहोत कम ही आते थे गांव...

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मां भाभी की रोने की आवाज सुन बहोत बैचेन हो गई थी पहली ही रात में बहु इसे क्यों रो रही मां इस लिए भी ज्यादा दर रही थी क्यू की वीर के विशाल जिस्म के आगे बिचारी दुबली पतली कंचन.. ऐसा था जिसे शेर के सामने मेमना हो... और एक तो कंचन मां के रिश्ते में आती थी.. मां ने बिना सोचे ही दरवाजा खटखटाया... बेटा कंचन क्या हुआ में यही हू...वीर बहु रो क्यों रही है...

वीर के उपर उसकी हवस चढ़ी हुए थी सामने अर्ध नंगी कंचन के गोरे और मुलायम बदन को देख वीर उसकी बड़ी मां को आवाज के सुन के भी अनसुना कराते हुए.. कंचन के हाथ उसके छोटे छोटे स्तनों से हटा देता हे...और कंचन के उपर से थोड़ा ऊपर होकर कंचन की चौकी को कामत तक ले आता है... बिचारी कंचन इतना डर गई थी की मुंह से उसकी बड़ी सास यानी मां को आवाज भी लगाना केसे भूल गई थी... वीर का काला मोटा विशाल लन्ड देख तो दो बच्चो की मां के भी पर डर के मारे कांपने लगे...
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वीर रोती हुई उसकी पत्नि को देख भी रुकता नही और एक बार में कंचन की कच्छी निकल के कच्छी की स्मेल लेता हे और फिर कंचन की और किसी जानवर केसे देखता हे...और एक दम से लोड़ा कंचन की कुंवारी योनि के प्रवेश द्वार पे रख एक जोर का थक्का लगा देता है..बिना किसी अतिरिक्त प्यार के या गरम किए वीर के इसे प्रहार से कंचन की योनि मे भारी दर्द होते ही कंचन अपनी पूरी शक्ति लगा में चिल्ला उठी और वीर को भी अपने नंगे जिस्म से थोड़ा दूर करने में संभल हुए.. कंचन दर्द भरी आवाज सुन मां अपनी पूरी शक्ति लगा के वीर को गुस्से में बोलती है... दरवाजा खोल क्या किया तूने.. मुझ से बुरा कि नही होगा अगर मेरी बच्ची के साथ कुछ बुरा किया.. अब तक बाकी घर वाले भी आ गई थे सब ने अब वीर को दरवाजा खोलने को कहा...

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जैसे ही दरवाजा खुला वीर गुस्से में आग बबूला हो के लुंगी में बाहर आया.. उसका लिंग साफ साफ दिख रहा था पूरी लुंगी उठी हुए जो थी..मां ने पहली बार इतना बड़ा उभार अपनी आखों से देख रही थी...मां तुरत अंदर गई और में भी पीछे जाने ही वाला था की पापा ने मुझे रोक लिया... बिचारी भाभी अभी तक नंगी ही थी..मां को उसके पूरे बदन पे लाल लाल निशान दिखे जो भईया के इतने जोर से पकड़ने से हुए होगे और भाभी के पतले नाजुक हॉट से खून निकल रहा था...और गले स्तन पे दात के निशान रह गई थे...योनि पर नजर मां की पड़ी तो इतना तो समझ गई कि अभी तक कंचन एक दम कवारी है..वीर का लिंग बस इतना ही भेद पाया था योनि को की कंचन की जान निकल जाय लेकिन योनि पटल की दीवार अभी तक टूटी नहीं थी...

मां की आखों से आसू निकल गई..और खुद को कोसने लगी की क्यो उन्होंने उसकी छोटी बहन की फुल सी बच्ची को ऐसे हैवान के साथ शादी के बंधन में बांध दिया... अंजाने में ही लेकिन मां से भारी भूल हुए थी... पड़ी लिखी हुई कंचन यहां कैसे शादी के लिए मान गई सिर्फ मां के भरोसे पे... मां ने कंचन को कस के अपने सीने में भर लिया... कुछ नही हुआ मेरी बच्ची में आ गई हु...मां ने जैसे तैसे भाभी को शांत किया और सब को बाहर आके बोल दिया की...में बहु के साथ ही सो रही हु आप सब भी सो जायेगा...

कंचन भाभी मां से किसी बच्चे के जैसे लिपट के सो जाती है..में बाहर अभी तक यही सोच रहा था की हुआ क्या था.. लेकिन पाता नहीं क्यो मुझे भाभी चिंता हो रही थी..कही न कही मुझे वीर भईया से जलन हो रही थी की उनकी शादी मेरी ही मासी की बेटी से हो रही थी जिसे में मन ही मन पसंद किया करता था लेकिन कभी हम इस बात नही करते थे... करते भी केसे छोटी बहन जो थी रिश्ते में लेकिन आज उसकी रोने की आवाज ने मुझे बैचेन कर दिया था...

सब के जाने के बाद मेने दरवाजे के पास गया और मां को धीरे से आवाज दी..मां सो तो पायेगी नही तो मेरी आवाज सुन बाहर आई..

में – मां कंचन..कंचन भाभी कैसी है उसे क्या हुआ हे..
मां – कुछ भी तोह नही बेटा वो नया घर हे तो डर गई होगी नींद में आप सो जाओ...
में – मां क्या में उसे एक बार देख एकता हु मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है जिसे उस के साथ कुछ बुरा हुआ हो...
मां – बोला ना सो जा... सुबह मिल लेना वो हमारे साथ आ रही हैं कुछ दिन...
में खुस हो गया की वो हमारे साथ हमारे सहर वाले घर आयेगी...

यहां आप समझ गई होंगे की कंचन और में दोनो बहोत नादान और भोले है.. हमे अभी तक ज्ञान नही ही कंचन को तो कुछ भी नही था लेकिन मुझे कुछ कुछ पता चल जाता था...

आगे अगले भाग में...
Nice update magar bechari kanchan ke sath bohot bura kiya isne bhale hi wo uski biwi ho but koi aisa janwaro jaisa thode karta hai wo bhi first night mai jo dono couple ke liye yadgar raat hota hai yaha pyar Kam r@p€ jyada lagta hai...
Waise yaha cousin bhai ka itna bada land dikha kar Jane kya karne wale ho mujhe laga tha beta bhabhi ko pyaar karega aur maa ke sath bhi sirf beta hi hoga but ab doubt araha hai pls ise clear kardo Sensual intimacy
 
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Jiashishji

दिल का अच्छा
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158
भाग 2

वीर एक गांव में पला बड़ा लड़का था.. देखने में खास नही.. लेकिन खेतो मे दिन रात काम करने से उसकी बॉडी किसी बॉडी बिल्डर से कम न थी.. गुस्सा बहोत जल्दी आजता था और किसी से भी लड़ाई कर लेना उसके लिए आम बात हुआ करती.. अब तो अपने मां बाप की भी नही सुनता था.. लेकिन मेरी मां के लिए उसे बहोट आदर था.. अब इस की कई वजह हो सकती है.. पहली तो मां की खूबसूरती मां का प्यार या क्यू की हम बहोत कम ही आते थे गांव...

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मां भाभी की रोने की आवाज सुन बहोत बैचेन हो गई थी पहली ही रात में बहु इसे क्यों रो रही मां इस लिए भी ज्यादा दर रही थी क्यू की वीर के विशाल जिस्म के आगे बिचारी दुबली पतली कंचन.. ऐसा था जिसे शेर के सामने मेमना हो... और एक तो कंचन मां के रिश्ते में आती थी.. मां ने बिना सोचे ही दरवाजा खटखटाया... बेटा कंचन क्या हुआ में यही हू...वीर बहु रो क्यों रही है...

वीर के उपर उसकी हवस चढ़ी हुए थी सामने अर्ध नंगी कंचन के गोरे और मुलायम बदन को देख वीर उसकी बड़ी मां को आवाज के सुन के भी अनसुना कराते हुए.. कंचन के हाथ उसके छोटे छोटे स्तनों से हटा देता हे...और कंचन के उपर से थोड़ा ऊपर होकर कंचन की चौकी को कामत तक ले आता है... बिचारी कंचन इतना डर गई थी की मुंह से उसकी बड़ी सास यानी मां को आवाज भी लगाना केसे भूल गई थी... वीर का काला मोटा विशाल लन्ड देख तो दो बच्चो की मां के भी पर डर के मारे कांपने लगे...
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वीर रोती हुई उसकी पत्नि को देख भी रुकता नही और एक बार में कंचन की कच्छी निकल के कच्छी की स्मेल लेता हे और फिर कंचन की और किसी जानवर केसे देखता हे...और एक दम से लोड़ा कंचन की कुंवारी योनि के प्रवेश द्वार पे रख एक जोर का थक्का लगा देता है..बिना किसी अतिरिक्त प्यार के या गरम किए वीर के इसे प्रहार से कंचन की योनि मे भारी दर्द होते ही कंचन अपनी पूरी शक्ति लगा में चिल्ला उठी और वीर को भी अपने नंगे जिस्म से थोड़ा दूर करने में संभल हुए.. कंचन दर्द भरी आवाज सुन मां अपनी पूरी शक्ति लगा के वीर को गुस्से में बोलती है... दरवाजा खोल क्या किया तूने.. मुझ से बुरा कि नही होगा अगर मेरी बच्ची के साथ कुछ बुरा किया.. अब तक बाकी घर वाले भी आ गई थे सब ने अब वीर को दरवाजा खोलने को कहा...

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जैसे ही दरवाजा खुला वीर गुस्से में आग बबूला हो के लुंगी में बाहर आया.. उसका लिंग साफ साफ दिख रहा था पूरी लुंगी उठी हुए जो थी..मां ने पहली बार इतना बड़ा उभार अपनी आखों से देख रही थी...मां तुरत अंदर गई और में भी पीछे जाने ही वाला था की पापा ने मुझे रोक लिया... बिचारी भाभी अभी तक नंगी ही थी..मां को उसके पूरे बदन पे लाल लाल निशान दिखे जो भईया के इतने जोर से पकड़ने से हुए होगे और भाभी के पतले नाजुक हॉट से खून निकल रहा था...और गले स्तन पे दात के निशान रह गई थे...योनि पर नजर मां की पड़ी तो इतना तो समझ गई कि अभी तक कंचन एक दम कवारी है..वीर का लिंग बस इतना ही भेद पाया था योनि को की कंचन की जान निकल जाय लेकिन योनि पटल की दीवार अभी तक टूटी नहीं थी...

मां की आखों से आसू निकल गई..और खुद को कोसने लगी की क्यो उन्होंने उसकी छोटी बहन की फुल सी बच्ची को ऐसे हैवान के साथ शादी के बंधन में बांध दिया... अंजाने में ही लेकिन मां से भारी भूल हुए थी... पड़ी लिखी हुई कंचन यहां कैसे शादी के लिए मान गई सिर्फ मां के भरोसे पे... मां ने कंचन को कस के अपने सीने में भर लिया... कुछ नही हुआ मेरी बच्ची में आ गई हु...मां ने जैसे तैसे भाभी को शांत किया और सब को बाहर आके बोल दिया की...में बहु के साथ ही सो रही हु आप सब भी सो जायेगा...

कंचन भाभी मां से किसी बच्चे के जैसे लिपट के सो जाती है..में बाहर अभी तक यही सोच रहा था की हुआ क्या था.. लेकिन पाता नहीं क्यो मुझे भाभी चिंता हो रही थी..कही न कही मुझे वीर भईया से जलन हो रही थी की उनकी शादी मेरी ही मासी की बेटी से हो रही थी जिसे में मन ही मन पसंद किया करता था लेकिन कभी हम इस बात नही करते थे... करते भी केसे छोटी बहन जो थी रिश्ते में लेकिन आज उसकी रोने की आवाज ने मुझे बैचेन कर दिया था...

सब के जाने के बाद मेने दरवाजे के पास गया और मां को धीरे से आवाज दी..मां सो तो पायेगी नही तो मेरी आवाज सुन बाहर आई..

में – मां कंचन..कंचन भाभी कैसी है उसे क्या हुआ हे..
मां – कुछ भी तोह नही बेटा वो नया घर हे तो डर गई होगी नींद में आप सो जाओ...
में – मां क्या में उसे एक बार देख एकता हु मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है जिसे उस के साथ कुछ बुरा हुआ हो...
मां – बोला ना सो जा... सुबह मिल लेना वो हमारे साथ आ रही हैं कुछ दिन...
में खुस हो गया की वो हमारे साथ हमारे सहर वाले घर आयेगी...

यहां आप समझ गई होंगे की कंचन और में दोनो बहोत नादान और भोले है.. हमे अभी तक ज्ञान नही ही कंचन को तो कुछ भी नही था लेकिन मुझे कुछ कुछ पता चल जाता था...

आगे अगले भाग में...
Bechari kanchan
ab tera kya hoga veer
 
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monty sharma

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भाग 2

वीर एक गांव में पला बड़ा लड़का था.. देखने में खास नही.. लेकिन खेतो मे दिन रात काम करने से उसकी बॉडी किसी बॉडी बिल्डर से कम न थी.. गुस्सा बहोत जल्दी आजता था और किसी से भी लड़ाई कर लेना उसके लिए आम बात हुआ करती.. अब तो अपने मां बाप की भी नही सुनता था.. लेकिन मेरी मां के लिए उसे बहोट आदर था.. अब इस की कई वजह हो सकती है.. पहली तो मां की खूबसूरती मां का प्यार या क्यू की हम बहोत कम ही आते थे गांव...

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मां भाभी की रोने की आवाज सुन बहोत बैचेन हो गई थी पहली ही रात में बहु इसे क्यों रो रही मां इस लिए भी ज्यादा दर रही थी क्यू की वीर के विशाल जिस्म के आगे बिचारी दुबली पतली कंचन.. ऐसा था जिसे शेर के सामने मेमना हो... और एक तो कंचन मां के रिश्ते में आती थी.. मां ने बिना सोचे ही दरवाजा खटखटाया... बेटा कंचन क्या हुआ में यही हू...वीर बहु रो क्यों रही है...

वीर के उपर उसकी हवस चढ़ी हुए थी सामने अर्ध नंगी कंचन के गोरे और मुलायम बदन को देख वीर उसकी बड़ी मां को आवाज के सुन के भी अनसुना कराते हुए.. कंचन के हाथ उसके छोटे छोटे स्तनों से हटा देता हे...और कंचन के उपर से थोड़ा ऊपर होकर कंचन की चौकी को कामत तक ले आता है... बिचारी कंचन इतना डर गई थी की मुंह से उसकी बड़ी सास यानी मां को आवाज भी लगाना केसे भूल गई थी... वीर का काला मोटा विशाल लन्ड देख तो दो बच्चो की मां के भी पर डर के मारे कांपने लगे...
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वीर रोती हुई उसकी पत्नि को देख भी रुकता नही और एक बार में कंचन की कच्छी निकल के कच्छी की स्मेल लेता हे और फिर कंचन की और किसी जानवर केसे देखता हे...और एक दम से लोड़ा कंचन की कुंवारी योनि के प्रवेश द्वार पे रख एक जोर का थक्का लगा देता है..बिना किसी अतिरिक्त प्यार के या गरम किए वीर के इसे प्रहार से कंचन की योनि मे भारी दर्द होते ही कंचन अपनी पूरी शक्ति लगा में चिल्ला उठी और वीर को भी अपने नंगे जिस्म से थोड़ा दूर करने में संभल हुए.. कंचन दर्द भरी आवाज सुन मां अपनी पूरी शक्ति लगा के वीर को गुस्से में बोलती है... दरवाजा खोल क्या किया तूने.. मुझ से बुरा कि नही होगा अगर मेरी बच्ची के साथ कुछ बुरा किया.. अब तक बाकी घर वाले भी आ गई थे सब ने अब वीर को दरवाजा खोलने को कहा...

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जैसे ही दरवाजा खुला वीर गुस्से में आग बबूला हो के लुंगी में बाहर आया.. उसका लिंग साफ साफ दिख रहा था पूरी लुंगी उठी हुए जो थी..मां ने पहली बार इतना बड़ा उभार अपनी आखों से देख रही थी...मां तुरत अंदर गई और में भी पीछे जाने ही वाला था की पापा ने मुझे रोक लिया... बिचारी भाभी अभी तक नंगी ही थी..मां को उसके पूरे बदन पे लाल लाल निशान दिखे जो भईया के इतने जोर से पकड़ने से हुए होगे और भाभी के पतले नाजुक हॉट से खून निकल रहा था...और गले स्तन पे दात के निशान रह गई थे...योनि पर नजर मां की पड़ी तो इतना तो समझ गई कि अभी तक कंचन एक दम कवारी है..वीर का लिंग बस इतना ही भेद पाया था योनि को की कंचन की जान निकल जाय लेकिन योनि पटल की दीवार अभी तक टूटी नहीं थी...

मां की आखों से आसू निकल गई..और खुद को कोसने लगी की क्यो उन्होंने उसकी छोटी बहन की फुल सी बच्ची को ऐसे हैवान के साथ शादी के बंधन में बांध दिया... अंजाने में ही लेकिन मां से भारी भूल हुए थी... पड़ी लिखी हुई कंचन यहां कैसे शादी के लिए मान गई सिर्फ मां के भरोसे पे... मां ने कंचन को कस के अपने सीने में भर लिया... कुछ नही हुआ मेरी बच्ची में आ गई हु...मां ने जैसे तैसे भाभी को शांत किया और सब को बाहर आके बोल दिया की...में बहु के साथ ही सो रही हु आप सब भी सो जायेगा...

कंचन भाभी मां से किसी बच्चे के जैसे लिपट के सो जाती है..में बाहर अभी तक यही सोच रहा था की हुआ क्या था.. लेकिन पाता नहीं क्यो मुझे भाभी चिंता हो रही थी..कही न कही मुझे वीर भईया से जलन हो रही थी की उनकी शादी मेरी ही मासी की बेटी से हो रही थी जिसे में मन ही मन पसंद किया करता था लेकिन कभी हम इस बात नही करते थे... करते भी केसे छोटी बहन जो थी रिश्ते में लेकिन आज उसकी रोने की आवाज ने मुझे बैचेन कर दिया था...

सब के जाने के बाद मेने दरवाजे के पास गया और मां को धीरे से आवाज दी..मां सो तो पायेगी नही तो मेरी आवाज सुन बाहर आई..

में – मां कंचन..कंचन भाभी कैसी है उसे क्या हुआ हे..
मां – कुछ भी तोह नही बेटा वो नया घर हे तो डर गई होगी नींद में आप सो जाओ...
में – मां क्या में उसे एक बार देख एकता हु मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है जिसे उस के साथ कुछ बुरा हुआ हो...
मां – बोला ना सो जा... सुबह मिल लेना वो हमारे साथ आ रही हैं कुछ दिन...
में खुस हो गया की वो हमारे साथ हमारे सहर वाले घर आयेगी...

यहां आप समझ गई होंगे की कंचन और में दोनो बहोत नादान और भोले है.. हमे अभी तक ज्ञान नही ही कंचन को तो कुछ भी नही था लेकिन मुझे कुछ कुछ पता चल जाता था...

आगे अगले भाग में...
Fantastic update
 
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ROB177A

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Nice
 
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